1:1 नबूकदनेस्सर बाबुल क राजा रहा। नबूकदनेस्सर यरूसलेम क चारिहुँ कइँती स घेर लिहस। इ तब भवा जब यहूदा क राजा यहोयाकीम क हुवूमत क तीसर बरिस चलत रहा। 2 यहोवा यहूदा क राजा यहोयाकीम क नबूकदनेस्सर क जरिये पराजित कराइ दिहस। नबूकदनेस्सर परमेस्सर क मन्दिर क कछू बर्तनन क भी हथियाइ लिहस। नबूकदनेस्सर ओन वस्तुअन क बाबुल लइ गवा। नबूकदनेस्सर ओन वस्तुअन क उ मन्दिर मँ रखवाइ दिहस जेहमाँ ओकर देवतन क मूरतियन रहिन। 3 एकरे पाछे राजा नबूकदनेस्सर असपनज क एक हुवूम दिहस। (असपनज राजा क हिंजड़े-नौकरन क प्रधान रहा।) राजा असपनज क कछू इस्राएली लड़कन क ओकरे महल मँ लिआवइ क कहे रहा। नबूकदनेस्सर चाहत रहा कि प्रमुख परिवारन अउ इस्राएल क राजा क परिवार क कछू इस्राएली लड़कन क हुवाँ लिआवा जाइ। 4 नबूकदनेस्सर क सिरिफ हट्टे कटे नउजवान इस्राएली लड़कन ही चाही रहा। राजा क बस अइसे नउजवान लड़कन क चाही रहा जेकरे तने पइ कउनो खरोंच या ओनकर तन कउनो भी तरह क दोख स रहित होइ। राजा सुन्नर, चुस्त अउ बुध्दिमान नउजवान लड़कन ही चाहत रहा। जउन बातन क हाली स अउ आसानी स सीखइ मँ समरथ होइँ। राजा क अइसे नउजवान लड़कन क जरूरत रही जउन ओकरे महल मँ सेवा क काम कइ सकइँ। राजा असपनज क हुवूम दिहेस कि ओन इस्राएली नउजवान लड़कन क कसदियन क भाखा अउ लिपि क सिच्छा दीन्ह जाइ। 5 राजा नबूकदनेस्सर ओन नउजवानन क हररोज एक निहचित मात्रा मँ भोजन अउ दाखरस देत रहत रहा। इ भोजन उहइ तरह क होत रहा, जइसा खुद राजा खावा करत रहा। राजा क इच्छा रही कि इस्राएल क ओन नउजवानन क तीन बरिस तलक प्रसिच्छण दीन्ह जाइ अउ तीन बरिस क पाछे उ सबइ नउजवान राजा क सेवक बन सकइँ। 6 ओन नउजवानन मँ दानिय्येल, हनन्याह, मीसाएल अउ अजर्याह सामिल रहेन। इ सबइ नउजवान यहूदा क परिवार समूह स रहेन। 7 तउ एकरे पाछे यहूदा क ओन नउजवानन क असपनज नवा नाउँ रख दिहेस। दानिय्येल क बेलतसस्सर क नवा नाउँ दीन्ह गवा। हनन्याह क नवा नाउँ रहा सद्रक। मीसाएल क नवा नाउँ दीन्ह गवा मेसक अउ अजर्याह क नवा नाउँ रखा गवा अबेदनगो। 8 दानिय्येल राजा क उत्तिम भोजन अउ दाखरस क ग्रहण करइ नाहीं चाहत रहा। दानिय्येल नाहीं चाहत रहा कि उ उ भोजन अउ उ दाखरस स अपन आप क असुद्ध कइ लेइ। तउइ तरह अपन आप क असुद्ध होइ स बचावइ बरे असपनज स बिनती किहेस। 9 परम्नउ जवानोस्सर असपनज क अइसा बनाइ दिहस कि उ दानिय्येल क बरे वृपालु अउर नीक विचार करइ लाग। 10 किन्तु असपनज दानिय्येल स कहेस, “मइँ आपन सुआमी, राजा स डरोत हउँ। राजा मोका हुवूम दिहेस ह कि तोहका इ भोजन अउर इ दाखरस दीन्ह जाइ। जदि तू इ भोजन क नाहीं खात अहा तउ तू दुर्बल अउ रोगी देखाइ लगब्या। तू आपन उमिर क दूसर नउजवानन स भद्दा देखाइ देब्या। राजा एका लखी अउ मोह पइ किरोध करी। होइ सकत ह, तू मोर मु़ड़ँ कटवाइ देइ। जबकि इ दोख तोहार होइ।” 11 एकरे पाछे दानिय्येल आपन देखभाल करइवालन से बातचीत किहेस। असपनज उ रखवारे क दानिय्येल, हनन्याह, मीसाएल अउ अजर्याह क ऊपर धियान रखइ क कहा भवा रहा। 12 दानिय्येल उ रखवारे स कहेस, “वृपा कइक तू दस दिन तलक हमार परीक्षा ल्या। हमका खाइ क साग-सब्जी अउर पिअइ क पानी क अलावा कछू जिन द्या। 13 फुन दस दिन क पाछे ओन दूसर नउजवानन क संग तू हमार तुलना कइके लखा, जउन राजा क भोजन करत हीं अउर फुन अपने आप लखा कि अधिक तन्दुरुस्त कउन देखाइ देत ह। फिन तू अपने-आप यह निर्गया कर्या कि तू हमरे संग कइसा बेउहार करइ चाहत ह। हम तउ तोहार सेवक अही।” 14 तउ उ रखवारा दानिय्येल, हनन्याह, मीसाएल अउ अजर्याह क परीच्छा लिहेस। 15 दस दिना क पाछे दानिय्येल अउ ओकर मीत ओन सबहिं नउजवानन स जियादा हट्टा-कट्टा देखाँइ देइ लागेन जउन राजा क खइया क खात रहेन। 16 तउ उ रखवारा ओनका राजा क उ खास भोजन अउ दाखरस देब बंद कइ दिहस अउर उ दानिय्येल, हनन्याह, मीसाएल अउ अजर्याह क उ खाइ क जगह पइ साग-सब्जियन देइ लाग। 17 परमेस्सर दानिय्येल, हनन्याह, मीसाएल अउ अजर्याह क बुध्दि प्रदान किहस अउ ओनक अलग अलग तरह क लिपियन अउ विग्यानन क सीखइ क जोग्गता प्रदान किहस। दानिय्येल तउ हर तरह क दर्सनन अउ सपनन क भी समुझ सकत रहा। 18 राजा चाहत रहा कि ओन सबहिं जवानन क तीन बरिस तलक प्रसिच्छन दीन्ह जाइ। प्रसिच्छन क समइ पूरा होइ पइ असपनज ओन सबहिं जवानन क राजा नबूकदनेस्सर क लगे लइ गवा। 19 राजा ओनसे बातन किहस। राजा पाएस कि ओनमँा स कउनो भी जवान ओतना नीक नाहीं रहा जेतना दानिय्येल, हनन्याह, मिसाएल अउ अजर्याह रहेन। तउ उ सबइ चारिउँ जवान राजा क सेवक बनाइ दीन्ह गएन। 20 राजा हर दाईं ओनसे कउनो महत्वपूर्ण बात क बारे मँ पूछत अउ उ पचे आपन प्रचुर गियान अउ समुझ-बूझ क परिचय देतेन। राजा लखेस कि उ पचे चारिउँ ओकर राज्ज क सबहिं जादुगरन अउ बुध्दिमान लोगन स दस गुणा जियादा उत्तिम अहइँ। 21 तउ राजा वुसू क सासन काल क पहिले बरिस तलक दानिय्येल राजा क सेवकाई करत रहा।
2:1 नबूकदनेस्सर आपन सासन क दूसर बरिस मँ एक सपना लखेस। उ सपना स बेचैन होइ गवा अउर सोइ नाहीं सका। 2 तउ राजा आपन जादूगरन, ओझन, भविस्स क बात बताइवालन अउर कसदियनक आपन सपना क अरथ बतावइ बरे बुलाएन। एह बरे उ सबइ आएन अउर राजा क समन्वा खड़ा होइ गएन। 3 तब राजा ओन लोगन स कहेस, “मइँ एक सपना लखेउँ ह जेहसे मइँ बियावुल हउँ। मइँ इ जानइ चाहत हउँ कि उ सपना क अरथ का बाटइ?” 4 यह पइ ओन कसदियन राजा स उत्तर देत भए कहेन। उ सबइ अरामी भाखा मँ बोलत रहेन। “राजा चिरंजीव रहइँ। हम पचे तोहार दास अही। तू आपन सपन हमका बतावा। फिन हम तोहका ओकर अरथ बताउब।” 5 एह पइ राजा नबूकदनेस्सर ओन लोगन स कहेस, “नाहीं। उ सपना का रहा, इ भी तोहक ही बताउब अहइ अउर उ सपन क अरथ का अहइ, इ भी तोहका ही बताउब अहइ अउर जदि तू अइसा नाहीं कइ पाया तउ मइँ तोहार टूकन टूकन कइ डावइ क आग्या देब। मइँ तोहरे घरन क तोरिके मलवा क देर अउ राखी मँ बदल डावइ क आग्या भी दइ देब। 6 अउ जदि तू मोका मोर सपना बताइ देत अहा अउर ओकर व्याखया कइ देत अहा तउ मइँ तोहका अनेक उपहार, बहोत स पुरस्कार अउ महान आदर प्रदान करब। तउ तू मोका मोर सपना क बारे मँ बतावा अउर बतावा कि ओकर अरथ का अहइ?” 7 ओन बुध्दिमान मनइयन राजा स फुन कहेन, “हे राजा, वृपा कइके हमका सपना क बारे मँ बतावा अउर हम तोहका इ बताउब कि उ सपना क फल का अहइ।” 8 एक पइ राजा नबूकदनेस्सर कहेस, “मइँ जानत हउँ, तू लोग अउर जियाद समइ लेइ क जतन करत अहा। तू जानत अहा कि मइँ जउन कहेउँ, उहइ मोर अभिप्राय अहइ। 9 तू इ जानत अहा कि जदि तू मोका मोर सपना क बारे मँ नाहीं बताया तउ तोहका दण्ड दीन्ह जाइ। एह बरे तू पचे आपुस मँ जोजना बाएस क कि मोहसे झूठ बोलइ अउर गलत व्याखाय करब जब तलक कि स्थिति बदल न जाइ। अब बतावा कि मोका का सपना आवा रहा। इहइ एक रास्ता बाटइ पता करइ बरे कि का तू मोका मोरे सपना क सही अरथ बताइ सकत।” 10 कसदियन राजा क उत्तर देत भए कहेन, “हे राजा धरती पइ कउनो अइसा मनई नाहीं जउन अइसा कइ सकइ जइसा आप करइ क आग्रह करत ह। बुध्दिमान मनइयन स या जादूगरन स या कसदियन स कउनो भी महान अउर सक्तिसाली राजा कबहुँ भी अइसा करइ क नाहीं कहेस। 11 महाराज, आप उ काम करइ क कहत अहा, जउन संभव नाहीं अहइ। बस राजा क ओकरे सपना क बारे मँ अउर ओकरे फल क बारे मँ देवता ही बताइ सकत हीं। किन्तु देवता तउ लोगन क बीच नाहीं रहतेन।” 12 जब राजा इ सुनेस तउ ओका बहोत किरोध आवा अउर उ बाबुल क सबहिं बुद्धिमान मनइयन क मरवा डावइ क हुवूम दइ दिहस। 13 राजा क आदेस लागू होइ चुका रहेन। सबहीं बुध्दिमान मनइयन क मारा जाब रहा, एह बरे दानिय्येल अउ ओकर मीतन क भी मरवाइ डावइ बरे ओनकर खोज मँ राज पुरुस पठइ दीन्ह गएन। 14 अयोर्क राजा क रच्छकन क नायक रहा। उ बाबुल क बुध्दिमान मनइयन क मार अवइ बरे जात रहा, किन्तु दानिय्येल ओहसे बातचीत किहस। दानिय्येल अयोर्क स बुध्दिमानी क साथ नम्र होइके बात किहेस। 15 दानिय्येल अयोर्क स पूछेस, “राजा एतना कठोर दण्ड देइके आग्या काहे दिहेस ह”एह पइ अयोर्क राजा क सपनावाली सारी कहानी कहि सुनाएस, दानिय्येल ओका समुझ गवा। 16 दानिय्येल जब इ कहानी सुन लिहेस तउ उ राजा नबूकदनेस्सर क लगे गवा। दानिय्येल राजा स बिनती किहेस कि उ ओका तनिक समइ अउर देइ। उ राजा स ओकार सपना क अरथ समेत बतावइ क वादा किहेस। 17 एकरे पाछे दानिय्येल अपने घर क चल दिहस। उ आपन मीत हनन्याह, मीसाएल अउ अजर्याह क उ सारी बातन कहि सुनाएस। 18 दानिय्येल आपन मीतन स सरग क परमेस्सर स पराथना करइ क कहेस। दानिय्येल ओनसे कहेस कि उ पचे परमेस्सर स पराथना करइँ कि उ ओन पइ दयालु होइ अउर इ रहस्स क समुझइ मँ ओनकर मदद करइ जेहसे बाबुल क दूसर विवेकी मनइयन क संग दानिय्येल अउ ओकर मीत भी घाट न उतारि दीन्ह जाइँ। 19 राति क समइ परमेस्सर एक दर्सन मँ दानिय्येल क उ रहस्स समुझाइ दिहस। एह पइ सरग क परमेस्सर क स्तुति करत भए। 20 दानिय्येल कहेस:“परमेस्सर क नाउँ क सदा प्रसंसा करा। सक्ति अउ बुद्धिमान ओहमाँ ही होत ह। 21 उ ही समइ बुद्धिमान क बदलत ह। उहइ राजा लोगन क हटावत ह अउर उहइ राजा लोगन क नियुक्त करत ह। उहइ बुध्दि देत ह अउर लोग बुध्दिमान बन जात हीं। उहइ लोगन क गियान देत ह अउर लोग गियानी बन जात हीं। 22 उ गहिर अउ छुपे रहस्सन क जानत ह जेका समुझ पाउब कठिन अहइ। प्रकास ओकरे संग रहत ह। तउ उ जानत ह कि अँधियारा मँ अउ रहस्स भरे स्थानन मँ का अहइ। 23 हे मोरे पुरखन क परमेस्सर, मइँ तोहका धन्यवाद देत हउँ अउ तोहार गुण गावत हउँ। तू ही मोका गियान अउ बुद्धिमत्ता दिहा। जउन बातन मइँ पूछे रहे ओकरे बारे मँ तू मोका बताया। तू हमका राजा क सपना क बारे मँ बताया।” 24 एकरे पाछे दानिय्येल अयोर्क क लगे गवा। राजा नबूकदनेस्सर अयोर्क क बाबुल क बुध्दिमान मनइयन क हत्तिया बरे नियुक्त कीन्ह रहा। दानिय्येल अयोर्क स कहेस, “बाबुल क बुध्दिमान मनइयन क हत्तिया जिन करा। मोका राजा क लगे लइ चला, मइँ ओका ओकर सपना अउ उ सपना क फल बताउब।” 25 तउ अयोर्क दानिय्येल क हाली ही राजा क लगे लइ गवा। अयोर्क राजा स कहेस, “यहूदा क बन्दियन मँ मइँ एक अइसा मनई हेर लिहेउँ ह जउन राजा क ओकर सपना क मतलब बताइ सकत ह।” 26 तउ राजा दानिय्येल (बेलतसस्सर) स एक सवाल पूछेस, “का तू मोका मोर सपना अउ ओकर अरथ क बारे मँ बताइ सकत ह” 27 दानिय्येल जवाब दिहस, “हे राजा नबूकदनेस्सर, तू जउन रहस्स क बारे मँ पूछत अहा, ओका तोहका न तउ कउनो बुद्धिमान व्यक्ति न कउनो तान्त्रिक अउर न कउनो भविस्यवक्ता क बताइ सका ह। 28 किन्तु सरग मँ एक परमेस्सर अइसा अहइ जउन भेद भरी बातन क रहस्स बतावत ह। परमेस्सर राजा नबूकदनेस्सर क आगे क होइवाला अहइ, इ दर्सावइ बरे सपना दिहस ह। आपन बिछउना मँ सोते भए तू सपना मँ जउन बातन लखे रह्या, उ सबइ इ सब अहइँ, 29 हे राजा। तू अपने बिछउना मँ सोवत रह्या। तू भविस्स मँ घटइवाली बातन क बारे मँ सोचब सुरू किहेस। परमेस्सर लोगन क रहस्सपुर्ण बातन क बारे मँ बताइ सकत ह। तउ उ भविस्स मँ जउन घटइवाला अहइ, उ तोहका दर्साइ दिहस। 30 परमेस्सर उ रहस्स मोका भी बताइ दिहस ह। अइसा एह बरे नाहीं भवा कि मोरे लगे दूसर लोगन स कउनो जियादा बुद्धि अहइ। बल्कि मोका परमेस्सर इ भेद क एह बरे बताएस ह कि राजा क ओकर सपना क फल पता चल जाइ अउर इ तरह हे राजा, तोहरे मने मँ जउन बातन आवति अहइँ, ओनका तू समुझ जा। 31 “हे राजा, सपना मँ तू अपने समन्वा खड़ा एक ठु बिसाल मूरति लख्या ह, उ मूरति बहोत ब़ड़ी रही, उ चमकदार रही अउर प्रभाव स पूरी रही। इ देखइ मँ डराउनी रही। 32 उ मूरति क सिर सुद्ध सोना क बना रहा। ओकर छाती अउ सबइ भुजा चाँदी क बनी रहिन। ओकर पेट अउर जाँधन काँसा क बनी रहिन। 33 उ मूरति क गोड़न लोहा क बनी रहिन। उ मूरति क पैर थोड़ा लोहा अउ थोड़ा माटी क बने रहेन। 34 “जब तू उ मूरति कइँती लखत रह्या, तउ तू एक ठु चट्टान लख्या जउन कउनो मनई क मेहनत क कटी रहेन अउर आइके मूरती क लोहे अउर मिट्टी क बनी गोड़न स टकरा गएन। उ चट्टान क कराण ओन मूतियन क गो़ड़ चकनाचूर होइ गएन। 35 फुन फउरन ही लोहा, माटी, काँसा, चाँदी अउ सोना सब चूर-चूर होइ गवा अउ उ चूरा गमिर्यन क दिनन मँ खरिहाने क भूसा जइसा होइ गवा। ओन टूकन क हवा उड़ाइ लइ गइ। हुआँ कछू भी तउ नाहीं बचा। कउनो इ नाहीं कहि सकत रहा कि हुआँ कबहुँ मूरति रही भी। फुन उ चट्टान जउन मूरति स टकराइ रही, एक बिसाल पर्वत क रूप मँ बदल गइ अउ सारी धरती पइ छाइ गइ। 36 “आपका सपना तउ इ रहा। अब हम राजा क इ बतावत अही कि इ सपना क फल का अहइ? 37 हे राजा, आप बहोत जियादा महत्वपूर्ण राजा अहइँ। सरग क परमेस्सर तोहका राज्ज दिहे सह। सक्ति दिहेस ह। सामरथ अउ महिमा दिहस ह। 38 आप क परमेस्सर नियन्त्रण क सक्ति दिहेस ह अउर आप, लोगन पइ, बन क पसुअन पइ अउ पंछियन पइ सासन करत अहा। उ सबइ चाहे कहूँ भी रहत होइँ, ओन सबन पइ परमेस्सर तोहका सासक ठहराएस ह। हे राजा नबूकदनेस्सर, उ मूरति क ऊपर जउन सोने क मू़ँड़ रहा, उ आप ही अहइँ। 39 “आप क पाछे जउन दूसर राजा आई, उहइ उ चाँदी क हीसां अहइ। किन्तु उ राज्ज तोहरे राज्ज क समान बिसाल नाहीं होइ। एकरे पाछे धरती पइ एक तीसर राज्ज क सासन होइ। उहइ उ काँसे वाला भाग अहइ। 40 एकरे पाछे एक चउथा राज्ज आइ, उ राज्ज लोहा क समान मजबूत होइ। जइसे लोहे स वस्तुअन टूटिके चकनाचूर होइ जात ही, वईसे ही चउथा राज्ज दूसर राज्जन क भंग कइके चकनाचूर करी। 41 “तू लखे रह्या कि उ मूरति क गो़ड़न अउर पंजे थो़ड़े माटी क अउर थोड़े लोहे क बना अहइँ, ओकर मतलब इ अहइ कि उ चउथा राज्ज एक ठु बटा भवा राज्ज होइ। एहमाँ कछू लोहा क सक्ति होइ काहेकि तू माटी मिला लोहा लख्या ह। 42 उ मूरति क गोड़न क पंजे क अगले हींसा जउन थोड़ा लोहा अउ थोड़ा माटी क बना रहेन, एकर अरथ इ अहइ कि उ चउथा राज्ज थोड़ा तउ लोहा क समान सक्तिसाली होइ अउर थोड़ा माटी क समान दुर्बल। 43 आप लोहा क माटी स मिला भवा लखे रह्या किन्तु जइसे लोहा अउ माटी पूरी तरह कबहुँ आपुस मँ नाहीं मिलतेन, उ चउथे राज्ज क लोग वइसे ही मिले जुले होइहीं। किन्तु एक जाति क रूप मँ उ सबइ लोग आपुस मँ एक जुट नाहीं होइहीं 44 “चउथे राज्ज क ओन राजा लोगन क समय मँ ही सरग क परमेस्सर एक दूसर राज्ज क स्थापना कइ देइ। इ राज्ज क कबहुँ अन्त नाहीं होइ अउर इ सदा-सदा बना रही। इ एक अइसा राज्ज होइ जउन कबहुँ कउनो दूसर समूह क लोगन क हाथ मँ नाहीं जाइ। इ राज्ज ओन दूसर राज्ज क वुचर देइ। इ ओन राज्जन क बिनास कइ देइ। किन्तु उ राज्ज अपने आप सदा-सदा बना रही। 45 “हे राजा नबूकदनेस्सर, आपन पहाड़ स उखड़ी भइ चट्टान तउ लखेउँ। कउनो मनई उ चट्टान क उखाड़ेस नाहीं। उ चट्टान लोहा क, काँसा क, माटी क, चाँदी क अउर सोने क टूका-टूका कइ दिहे रहा। इ प्रकार स महान परमेस्सर आप क उ देखाएस ह जउन भविस्स मँ होइवाला अहइ। इ सपना सच्चा अहइ अउर आप सपना क इ व्याख्या पइ भरोसा कइ सकत हीं।” 46 एकरे पाछे राजा नबूकदनेस्सर दानिय्येल क निहुरिके नमस्कार किहेस। राजा दानिय्येल क बड़कई किहेस। राजा इ आग्या दिहेस कि दानिय्येल क सम्मानित करइ बरे एक भेंट अउ सुगन्ध प्रदान कीन्ह जाइ। 47 फुन राजा दानिय्येल स कहेस, “मोका निहचय पूर्वक गियान होइ गवा ह कि तोहार परमेस्सर सब स जियादा महत्वपूर्ण अउ सक्तिसाली परमेस्सर अहइ। उ सबहिं राजा लोगन क परमेस्सर अहइ। उ लोगन क ओन बातन क बारे मँ बतावत ह, जेनका उ पचे नाहीं जान सकतेन। मोका पता अहइ कि इ सच अहइ। काहेकि तू मोका भेद क इ सबइ गुप्त बातन क बताइ सका।” 48 एकरे पाछे उ राजा दानिय्येल क आपन राज्ज मँ एक बहोत महत्वपुर्ण पद प्रदान किहेस तथा राजा बहोत स बहुमूल्य उपहार भी दानिय्येल क दिहेस। नबूकदनेस्सर दानिय्येल क बाबुल क समूचे प्रदेस क सासक नियुक्त कइ दिहेस। अउ उ दानिय्येल क बाबुल क सबहिं पण्डितन क प्रधान बनाइ दिहेस। 49 दानिय्येल राजा स बिनति किहेस कि उ सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क बाबुल प्रदेस क महत्वपूर्ण हाकिम बनाइ देइँ। तउ राजा वइसा ही किहेस जइसा दानिय्येल चाहे रहा। दानिय्येल खुद ओन महत्वपूर्ण मनइयन मँ होइ गवा रहा जउन राजा क निअरे रहा करत रहेन।
3:1 राजा नबूकदनेस्सर सोना क एक ठु प्रतिमा बनवाइ रखी रही। उ प्रतिमा साठ हाथ ऊँची अउ छ: हाथ चउड़ी रही। नबूकदनेस्सर उ प्रतिमा क बाबुल प्रदेस क दूरा क मैदान मँ स्थापित कइ दिहेस। 2 अउर फुन राजा राज्ज क राज्जपालन, मुखिया लोगन, अधिपतियन, सलाहकारन, खजांचियन, निआवधीसन, सासकन अउ दूसर सबहिं छेत्र क अधिकारियन क आपन राज्ज मँ आइके बटुरइ बरे बुलवाइ पठएस। राजा चाहत रहा कि उ पचे सबहिं लोग प्रतिमा क प्रतिस्ठा महोत्सव मँ सामिल होइँ। 3 एह बरे पूरा राज्ज स राज्जपाल, नेत, सलाहकार, खजानची, निआवधीस, प्रबंधक अउर बाकी सभी प्रान्तीय अधिकारी समर्पन समारोह मँ आएन अउ उ प्रतिमा क अगवा खड़े होइ गएन जेका राजा नबूकदनेस्सर स्थापित कराए रहा। 4 फुन उ डँडोरची, जउन राजा क सबइ सूचना क घोसणा प्रसारित करत रहा, ऊँचे अवाजे मँ कहस, “सुना, सबहिं लोगन, जातियन अउर भासा सुना। तू पचन क जउन करइ क आग्या दीन्ह गइ अहइ, उ इ अहइ, 5 “तू पचे जब सबहिं नरसिंहन, बाँसुरियन, सितारन सात तारवाले बाजन वीणा अउ सहनाई तथा दूसर सबहिं प्रकार क बाजन क आवाज सुना, तउ तू पचन्क इ सोना क मूरती क जरूर पूजा करइ चाही जउन राजा नबूकदनेस्सर दुआरा स्थापित कीन्ह गवा ह। 6 जदि कउनो मनई इ सोना क प्रतिमा क निहुरिके प्रणाम नाहीं करी अउ एका नाहीं पूजी तउ उ मनई क तुरंतइ धधकत भई भट्ठी मँ झोक दीन्ह जाइ।” 7 तउ, जइसे ही उ पचे नरसिंहन, बाँसुरियन, सितारन, सात तारउ वाले बाजन, सहनाइयन अउ दूसर तरह क संगीत बाजन क सुनेन, सभी लोगन, जातियन अउर हर भाखा क लोग राजा नबूकदनेस्सर क जरिये रखा गवा सोना क उ मूरति क निहुरेन अउर पूजा किहेन। 8 एकरे पाछे, कछू कसदी लोग राजा क लगे आएन। ओन लोग यहूदियन क विरोध मँ राजा क कान भरेन। 9 राजा नबूकदनेस्सर स उ पचे कहेन, “हे राजा, आप चिरंजीवी ह्वा। 10 हे राजा, आप एक ठु आदेस दिहे रहेन आप कहे रहेन कि हर उ मनई जउन नरसिंहन, बाँसुरियन, सितारन, सात तारउवाले बाजन, सबइ वीणा मसक सहनाइयन अउर दूसर सबहिं तरह क वाद्य-यन्त्रन क ध्वनि क सुनत ह, उ सोना क प्रतिमा क अगवा निहुरिके ओकर पूजा करइ चाही। 11 आप इ भी कहे रहेन कि जदि कउनो मनई सोना क प्रतिमा क अगवा नेहुरिके ओकर पूजा नाहीं करी तउ ओका कउनो धधकत भट्ठी मँ झोंक दीन्ह जाइ। 12 हे राजा, हिआँ कछू अइसे यहूदी अहइँ जउन आपक आदेस पइ धियान नाहीं देतेन। आप ओन यहूदियन क बाबुल प्रदेस मँ महत्वपूर्ण हाकिम बनाए भवा अहा। अइसे लोगन क नाम अहइँ -सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो। इ सबइ लोग आप क देवतन क पूजा नाहीं करतेन अउ जउन सोना क प्रतिमा क आप स्थापित किहेन ह, उ सबइ न तउ ओकरे अगवा निहुरत हीं अउर ही ओकर पूजा करत हीं।” 13 एह पइ नबूकदनेस्सर किरोध मँ आग-बबूला होइ उठा। उ सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क बोलवाइ पठएस। तउ ओन लोगन क राजा क समन्वा लावा गवा। 14 राजा नबूकदनेस्सर ओन लोगने स कहेस, “सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो। का इ फूर अहइ कि तू मोर देवतन क पूजा नाहीं करत्या? अउर का इ भी सच अहइ कि तू मोरे जरिये स्थापित कराइ गइ सोना क प्रतिमा क अगवा न तउ निहुरत अहा, अउर न ही ओकर पूजा करत अहा? 15 अब लखा, तू जब नरसिंहन, बाँसुरियन, सितारन, सात तार क बाजन, वीणा, सहनाइयन तथा हर तरह क दूसर वाद्य-यन्त्रन क ध्वनि सुना तउ तोहका सोना क प्रतिमा क अगवा निहुरिके ओकर पूजा करइ चाही। जदि तू मोरे जरिये बनवाइ गइ उ मूरति क पूजा करइ क तइयार अहा, तब तउ नीक अहइ किन्तु जदि ओकर पूजा नाहीं करत अहा तउ तोहका फउरन धधकत भइ भट्ठी मँ झोंक दीन्ह जाइ। अउर कउनो भी देवता तोहका मोहस बचाइ नाहीं सकत्या।” 16 सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो उत्तर देत भए राजा स कहेन, “हे नबूकदनेस्सर, हमका तोहका इ बिसय मँ जवाब देइ क जरूरत नाहीं अहइ। 17 जदि, हमार परमेस्सर जेकर हम उपासना करित ह ओकर अस्तित्व अहइ तउ उ इ बरत भइ भट्ठी स हमका बचाइ लेइ मँ समर्थ अहइ। तउ राजा, उ हमका मोरी ताकत स बचाइ लेइ। 18 किन्तु राजा, हम इ चाहित ह कि तू एतना जान ल्या कि जदि परमेस्सर हमार रच्छा न भी करइ तउ भी हम तोहरे देवतन क सेवा स इन्कार करित ह। सोना क जउन प्रतिमा तू स्थापित कराया ह हम ओकर पूजा नाहीं करिब।” 19 एह पइ तउ नबूकदनेस्सर किरोध स भड़क उठा। उ सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो कइँती घिना स लखा। उ आग्या दिहेस की जेतना उ तपा करत ह, ओका ओहसे सात गुणा जियादा दहकावा जाइ। 20 एकरे पाछे नबूकदनेस्सर आपन सेना क कछू बहोत मजबूत फउजियन क आग्या दिहेस कि उ पचे सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क बाँध लेइँ। राजा ओन फउजियन क आग्या दिहस कि उ पचे सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क धधकत भट्ठी मँ झोवं देइँ। 21 तउ सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क बाँध दीन्ह गवा अउ फुन धधकत भट्ठी मँ धकेल दीन्ह गवा। उ पचे ओकर कमीज़न, पतलूनन अउ टोप तथा दूसर ओढ़नन पहिर रखे रहेन। 22 जउनो समइ राजा इ आग्या दिहे रह्या उ समइ उ बहोत कोहान रहा, एह बरे उ फउरन ही भट्ठी क बहोत तपाइ लिहस। आगी एतना जियादा भड़कत रही कि ओकर लपटन मँ स उ सबइ सक्तिसाली फउजी जर गएन, जब उ पचे सद्रक, मेसक अउ अबदेनगो क भट्टी मँ ढकेले रहा। 23 सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो आगी मँ भहराइ गए रहेन। ओनका बहोत कसिके बाँधा भवा रहा। 24 एह पइ राजा नबूकदनेस्सर उछरिके आपन गोड़न, पइ खड़ा होइ गवा। ओका बहोत अचरज होत रहा। उ आपन मंत्रियन स पूछेस, “इ ठीक अहइ न कि हम तउ बस तीन मनइयन क बँधवाए रहे अउर आगी मँ ओनहीं तीन क डलवाए रहे।”ओकर मंत्रियन जवाब दिहन, “हाँ, महाराज।” 25 राजा बोला, “लखा, मोका तउ आगी क भीतरे इघर-उघर घुमत भए चार ठु मनई देखाई देत अहइँ। उ सबइ बंधे भए नाहीं अहइँ अउर आगी ओनका कछू नाहीं बिगाड़ बिगाड़ेस ह। लखा, उ चउथा मनई देवता क पूत जइसा देखाई देत अहइ।” 26 एकरे पाछे नबूकदनेस्सर उ बरत भइ भट्ठी क मुँहे पइ गवा। उ जोर स गोहराइके कहेस, “सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो, बाहेर आवा। सवोर्च्च परमेस्सर क सेवको बाहेर आवा।”तउ सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो आगी स बाहेर निकरि आएन। 27 तब उ पचे बाहेर आएन तउ प्रान्त क राज्जपालन, हाकिमन, अधिपतियन अउ राजा क मंत्रियन ओनके चारिहुँ तरफ भीड़ लगाइ दिहन। उ पचे देख पावत रहेन कि उ आगी सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क छुआ तलक नाहीं अहइ। ओनकर तन तनिकउ भी नाहीं जरा रहेन। ओनकर बार झुलसा तलक नाहीं रहेन। ओनकर ओढ़नन क आँच तलक नाहीं आई रहिन। ओनकर तन स अइसी गंध तलक नाहीं निकरत रही जइसे उ पचे आगी क आस-पास भी गवा होइँ। 28 फुन नबूकदनेस्सर कहेस, “सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क परमेस्सर क स्तुति करा। ओनकर परमेस्सर आपन सरगदूत क पठइके, आपन सेवकन क आगी स रच्छा किहेस ह। एन तीनहुँ पूरखन क आपन परमेस्सर मँ आस्था रही। इ सबइ मोरे आदेस क मानइ स मना कइ दिहेन अउर दूसर कउनो देवता क सेवा या पूजा करइ क बजाय उ पचे मरब कबूल किहेन। 29 तउ आजु स मइँ इ नेम बनावत हउँ: कउनो भी लोगन जातियन अउर भासा बोलइवाला कउनो मनई जदि सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क परमेस्सर क विरोध मँ कछू कही तउ ओकर टूकन-टूकन कइ दीन्ह जइहीं अउ ओकर घर क उ समइ तलक तोड़ा-फोड़ा जाइ जब तलक उ मलवा अउ राखी क ढेर मात्र न रहि जाइ। कउनो भी दूसर देवता आपन लोगन क इ तरह नाहीं बचाइ सकता।” 30 एकरे पाछे राजा सद्रक, मेसक अउ अबेदनगो क बाबुल क प्रदेस मँ अउर जियादा महत्वपूर्ण पद प्रदान कइ दिहन।
4:1 राजा नबूकदनेस्सर सबइ लोगन, जाति अउर भाखा क, जउन सारी दुनिया मँ बसे भए रहेन, इ पत्र पठएस तू सबइ क अधिक सान्ति मिली। 2 सवोर्च्च परमेस्सर मोर संग जउन अचरज भरी अद्भूत बातन किहेस ह, ओकरे बारे मँ तोहका बतावत भए मोका बहोत खुसी अहइ। 3 ओकरे कार्य केतॅना अद्भुत अहइ। ओकरे चमत्कार केतॅना सक्तिसाली अहइ। परमेस्सर क राज्ज सदा टिका रहत ह; परमेस्सर क सासन पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहत ह। 4 मइँ, नबूकदनेस्सर, आपन महल मँ रहेउँ। मइँ प्रसन्न अउ सफल रहेउँ। 5 मइँ एक सपना लखेउँ जउन मोका डेराइ दिहेस। मइँ आपन बिछउना मँ सोवत रहेउँ। मइँ तस्वीर अउर दर्सनन क लखेउँ। जउन कछू मइँ लखे रहेउँ उ मोका बहोत डेराइ दिहस। 6 तउ मइँ इ आग्या दिहेउँ कि बाबुल क सबहिं बुध्दिमान लोगन क मोरे लगे, लिआवा जाइ ताकि उ पचे मोका सपन क फल बतावइँ। 7 जब जादगर तान्त्रिक, कसदी अउर भविस्यवक्ता मोरे लगे आबइँ तउ मइँ ओनका आपन सपना क बारे मँ बताएउँ। किन्तु उ सबइ लोग मोका मोरे सपन क अर्थ नाहीं बताइ पाएन। 8 अंत मँ दानिय्येल मोरे लगे आवा (मइँ आपन देवता क सम्मानित करइ बरे दानिय्येल क बेलेतसस्सर नाउँ दिहे रहेउँ। पवित्तर देवतन क आतिमा क ओहमाँ निवास अहइ।) दानिय्येल क मइँ आपन सपन कहि सुनाएउँ। 9 मइँ ओहसे कहेउँ,“हे बेलतसस्सर, तू सबहिं तान्त्रिकन मँ सब स बड़का अहा। मोका पता अहइ कि तोहमाँ पवित्तर देवतन क आतिमा बास करत अहइ। मइँ जानत हउँ कि कउनो भी रहस्स क समुझब तोहरे बरे कठिन नाहीं अहइ। मइँ जउन सपना लखे रहेउँ, उ इ अहइ। तू मोका एकर अरथ समुझावा। 10 जब मइँ आपन बिछउना मँ ओलरा भवा रहेउँ तउ मइँ दिव्य दर्सन लखे रहेउँ। मइँ लखेउँ कि मोरे समन्वा धरती क बीचउ-बीच एक बृच्छ खड़ा अहइ। उ बृच्छ बहोत लम्बा अहइ। 11 बृच्छ बड़ा होत भवा एक बिसाल मजबूत बृच्छ बन गवा। बृच्छ क चोटी अकास छुअइ लाग। उ बृच्छ क धरती पइ कहूँ स भी लखा जाइ सकत रहा। 12 बृच्छ क पातियन सुन्नर रहिन। बृच्छ पइ बहोत नीक फल बहोतयात मँ लगे रहेन अउर उ बृच्छ पइ हर कउनो क लिए भरपूर खाइ क रहा। जंगली जनावर बृच्छ क नीचे आसरा पाए भए रहेन अउर बृच्छ क डारन पइ चिरइयन क बसेरा रहा। हर पसु पच्छी उ बृच्छ स ही भोजन पावत रहा। 13 “अपने बिछउना पइ ओलरे-ओलरे दर्सन मँ मइँ ओन वस्तुअन क लखत रहेउँ अउर तबहिं एक पवित्तर सरगदूत क मइँ सरग स नीचे उतरत भए लखेउँ। 14 उ बड़े ऊँचे सुर मँ बोला। उ कहेस, ‘बृच्छ क कांट लोकावा। एकर टहनियन क काट डाला। एकर पातियन क नोंच डावा। एकर फलन क चारिहुँ ओर बिखेर द्या। इ बृच्छ क नीचे आसरा पाए भए पसु कहूँ दूर पराइ जाइँ। एकर आरन पइ बसेरा किए भए पंछी कहूँ उड़ जाइँ। 15 “किन्तु एकर तना अउर एकर जड़न क धरती मँ रहइ द्या। एकरे चारिहुँ ओर लोहा अउ काँसे क एक बंधेज बाँध द्या। अपने आस-पास उगी घास क संग एकर तना अउर एकर जड़न धरती मँ रहिहीं। जंगली पसुअन अउ पेड़ पौधन क बीच इ खेतन मँ रही। ओस स उ नम होइ जाइ। 16 उ जियादा समइ तलक मनई क तरह नाहीं सोची। ओकर मन पसु क मन जइसा होइ जाइ। ओकर अइसा ही रहत भए सात ऋतु चक्र (बरिस) बीत जाई।’ 17 “एक पवित्तर सरगदूत इ दण्ड क घोसणा किहे रहा ताकि धरती क सबहिं लोगन क इ पता चल जाइ कि मनइयन क राज्जन क ऊपर परम प्रधान परमेस्सर सासन करत ह। परमेस्सर जेका भी चाहत ह। एन राज्जन क दइ देत ह अउर परमेस्सर ओन राज्जन पइ सासन करइ बरे विनम्र मनइयन क चुनत ह। 18 “बस मइँ (राजा नबूकदनेस्सर) सपना मँ इहइ लखेउँ ह। अब हे बेलतसस्सर। तू मोका इ बतावा कि इ सपना क अरथ का अहइ? मोरे राज्ज क कउनो भी बुध्दिमान मनई मोका इ सपना क फल नाहीं बताइ पावत अहइ। किन्तु हे बेलतसस्सर, तू मोरे इ सपना क व्याख्या कइ सकत ह काहेकि तोहमाँ पवित्तर परमेस्सर क आतिमा निवास करत अहइ।” 19 तब दानिय्येल (जेकर नाउँ बेलतसस्सर भी रहा) थोड़ी देर बरे एक दम चुप होइ गवा। जिन बातन क उ सोचत रहा, उ सबइ ओका बियावुल किहे डावत रहिन। तउ राजा ओहसे कहेस, “हे बेलतसस्सर, तू उ सपना या उ सपना क फल स भय भीत जिन ह्वा।”एह पइ बेलतसस्सर राजा क उत्तर दिहेस, “हे मोर सुआमी, कास इ सपना तोहरे दुस्मनन चइ पड़इ अउर एकर फल, जउन तोहरे विरोधी अहइँ, ओनका मिलइ।” 20 तू आपन सपना मँ एक बृच्छ लखे रहेउँ। उ बृच्छ बड़ा भवा अउर मजबूत बन गवा। बृच्छ क चोटी आसमान छुअत रही। धरती मँ हर कहूँ स उ बृच्छ देखाई देत रहा। 21 ओकर पातियन सुन्नर रहित अउर ओह पइ बहोतयात मँ फल लगे रहेन। ओन फलन स हर कउनो क पर्याप्त भोजन मिलत रहा। जंगली पसुअन क तउ उ घर ही रहा अउर ओकर डारन पइ चिरइयन बसेरा किया भए रहेन। तू सपना मँ अइसा बृच्छ लखे रह्या। 22 हे राजा, उ बृच्छ आप ही अहइँ। आप महान अउर सक्तिसाली बन चुका अहइँ। आप उ ऊँच बृच्छ क समान अहइँ जउन अकास छुइ लिहेस ह अउर आप क सक्ति धरती क सुदूर भागन तलक पहुँची भई अहइँ। 23 “हे राजा, आप एक पवित्तर सरगदूत क अकासे स नीचे उतरत लखे रह्या। सरगदूत कहे रहा बृच्छ क काट डावा अउर ओका नस्ट करा। बृच्छ क तना पइ लोहा अउ काँसे क बंधज डाइ द्या अउर एकर तना अउ जड़न क धरती मँ ही छोड़ द्या। खेत मँ घास क बीच एका रहइ द्या। ओस स ही इ नमी लेत रही। उ कउनो जंगली पसु क रूप मँ रहा करी। एकर रहइ हाल मँ सात ऋतु-चक्र बीत जइहीं। 24 “हे राजा, आपक सपन क फल इहइ अहइ। सवोर्च्च परमेस्सर मोर सुआमी राजा क बरे एन बातन क घटइ क आदेस दिहस ह। 25 हे राजा नबूकदनेस्सर, प्रजा स दूर चला जाइ क बरे आप क मजबूर कीन्ह जाइ। जंगली पसुअन क बीच आप क रहइ क होइ। मवेसियन क तरह आप घास स पेट भरिहीं अउर ओस स भिगिहीं। सात ऋतु चक्र बीत जइहीं अउर फुन ओकरे बाद तू इ स्वीकार करब्या कि सवोर्च्च परमेस्सर मनइयन क साम्राज्यन पइ सासन करत ह अउर उ जेका भी चाहत ह, ओका राज्ज दइ देत ह। 26 “बृच्छ क तना अउ ओकर जड़न क धरती मँ छोड़ देइ क आदेस क अरथ इ अहइ कि आप क साम्राज्य आप क वापस मिलि जाइ। किन्तु इ उहइ समइ होइ जब तू इ जान जाब्या कि तोहरे राज्ज पइ सवोर्च्च परमेस्सर क ही सासन अहइ। 27 एह बरे हे राज, आप वृपा कइके मोर सलाह माना। मइँ आप क इ सलाह देत हउँ कि आप पाप करब तजि देइँ अउर जउन उचित अहइ, उहइ करइँ। वुकरमन क त्याग कइ देइँ। गरीबन पइ दयालु होइँ। तबहिं आप सफल बना रहि सकिहीं।” 28 इ सबहिं बातन राजा नबूकदनेस्सर क संग घटिन। 29 इ सपना क बारह महीना बाद जब राजा नबूकदनेस्सर बाबुल मँ आपन महल क छत पइ घूमत समइ, 30 तउ उ आपन आप स किहा, “उ मइँ हउँ जउन कि इ महान बाबुल क निमार्ण किहेउँ ह। इ महल मोर अहइ। मइँ आपन सक्ति स इ बिसाल नगर क निर्माण किहेउँ ह। इ ठउर क निर्माण मइँ इ देखाइ बरे किहेउँ ह कि मइँ केतना खुस हउँ।” 31 इ सबइ सब्द अबहिं ओकरे मुँह मँ ही रहेन कि एक अकासवाणी भई। अकासवाणी कहेस, “राजा नबूकदनेस्सर, तोहरे संग इ सबइ बातन घटिहीं। राजा क रूप मँ तोहसे तोहार सक्ति छोर लीन्ह गइ अहइ। 32 तोहका आपन लोगन स दूर जाब होइ। जंगली पसुअन क संग तोहार निवास होइ। तू ढोरन क तरह घास खाब्या। एहसे पहिले कि तू सबक सीखा कि मनई क राज्जन पइ सवोर्च्च परमेस्सर सासन करत ह अउर सवोर्च्च उ जेका चाहत ह, ओका राज्ज दइ देत ह सात ऋतु-चक्र बीत जइहीं।” 33 फुन फउरन ही इ सबइ बातन घट गइन। नबूकदनेस्सर क लोगन स दूर जाइ बरे मज़बूर कीन्ह गवा। उ गाइयन क तरह घास खाब सुरू कइ दिहस। उ ओस मँ भीगा। कउनो उकाब क पंखन क तरह ओकर बार बढ़ गएन अउर ओकर नाखून अइसे बढ़ गएन जइसे कउनो पंछी क पंजन क नाखून होत हीं। 34 फुन उ समइ क अंत मँ मइँ, नबूकदनेस्सर ऊपर सरग क कइँती लेखा अउर मोर सोचइ समुझइ क बुद्धि फिर स ठीक होइ गवा। तउ मइँ सवोर्च्च परमेस्सर क स्तुति किहेउँ, जउन सदा अमर अहइ, मइँ ओका आदर प्रदान किहेउँ अउर ओका गुनगान किहेउँ।परमेस्सर सासन हमेसा करत ह। ओकर राज्ज पीढ़ी दर पीढ़ी बना रहत ह। 35 इ धरती क सबइ लोग महत्वपूर्ण नाहीं अहइँ। परमेस्सर सरग क सक्तियन अउर धरती क लोगन क संग जउन चाहत ह उहइ करत ह। उ जउन करइ चाहत ह ओका उ करइ स कउनो भी नाहीं रोक सकत ह। ओकर ससक्त हाथ जउन कछू उ करत ह ओह पइ कउनो नाहीं सवाल करत ह। 36 तउ, उ औसर पइ परमेस्सर मोका मोर बुुद्धि फुन दइ दिहेस अउर उ एक राजा क रूप मँ मोर बड़ा मान, सम्मान अउ सक्ति भी वापस लउटाइ दिहस। मोर मंत्री अउर मोर राजकीय लोग फुन मोरे लगे आवइ लागेन। मइँ फुन स राजा बन गएउँ। मइँ पहिले स भी जियादा महान अउ सक्तिसाली होइ गवा रहेउँ। 37 लखा, अब मइँ, नबूकदनेस्सर सरग क राजा क स्तुति करत हउँ तथा ओकर उपासना करत हउँ, ओका आदर देत हउँ अउर ओकरे गुनगान करत हउँ। उ जउन कछू करत ह, ठीक करत ह। उ हमेसा निआव स पूर्ण अहइ। ओहमाँ अहंकारी लोगन क विनम्र बनाइ देइ क छमता अहइ।
5:1 राजा बेलसस्सर आपन एक हजार अधिकारियन क एक बड़की दावत दिहेस। राजा ओकरे संग दाखरस पिअत रहा। 2 राजा बेलसस्सर दाखरस पिअत भए आपन सेवकन क सोना अउ चाँदी क पियाला लिआवइ क कहेस। इ सबइ उ सबइ पियालन रहेन जेनका ओकर पिता नबूकदनेस्सर यरूसलेम क मन्दिर स लिहे रहा। राजा बेलसस्सर चाहत रहा कि ओकर साही लोग, ओकर मेहररूअन अउ ओकर उप पत्नियन इन पियालन स दाखरस पिअइँ। 3 तउ सोना क उ सबइ पियालन लिआवा गएन जेनका यरूसलेम मँ परमेस्सर क मन्दिर स उठावा गवा। फुन राजा अउ ओकर अधिकारियन, ओकर रानियन तथा ओकर उप पत्नियन, ओन पियालन स दाखरस पिया किहेन। 4 दाखरस पिअत भए उ पचे आपन देवतन क मूरतियन क स्तुति करत रहेन। उ पचे ओन देवतन क स्तुति किहेन जउन देवता सोना, चाँदी, काँसा, लोहा, काठ अउ पाथर क मूरति पात्र रहेन। 5 उहइ समइ एकाएक कउनो मनई क एक हाथ परगट भवा अउ देवार पइ लिखइ लाग। ओकर अँगुरियन देवार क लेप क वुरेदत भइ सब्द लिखइ लागिन। देवार क लगे राजा क महल मँ उ हाथ देवार पइ लिखेस। हाथ जब लिखत रहा तउ राजा ओका लखत रहा। 6 राजा बेलसस्सर बहोत भयभीत होइ उठा। डर स ओकर मुँह पिअर पड़ गवा अउर ओकर घुटनन इ तरह काँपइ लागेन कि उ सबइ आपुस मँ टकरात रहेन। ओकर गोड़ एतना बलहीन होइ गएन कि उ खड़ा भी नाहीं रहि पावत रहा। 7 राजा तान्त्रिकन अउ कसदियन क अपने लगे बोलवाएस अउर ओनसे कहेस, “मोका जउन कउनो भी इ लिखावट क पढ़कर बताइ अउर मोका ओकर अरथ समुझाइ देइ, मइँ ओका पुरस्कार देब। उ मनई क मइँ बैंगनी पोसाक भेटं करब। मइँ ओकरे गले मँ सोना क हार पहिराउब अउर मइँ ओका आपन राज्ज क तीसर सबसे बड़ा सासक बनाइ देब।” 8 तउ राजा क सबहिं बुध्दिमान मनई हुवाँ आइ गएन किन्तु उ सबइ उ लिखावट क नाहीं पढ़ि सकेन। उ पचे समुझ ही नाहीं सकेन कि ओकर अरथ का अहइँ। 9 राजा बेलसस्सर क हाकिम चक्कर मँ पड़े भए रहेन अउर राजा तउ अउर भी जियादा भयभीत अउर चिंतित रहा। ओकर मुँह डर स पीला पड़ा भवा रहा। 10 तबहिं जहाँ उ दावत चलत रही, हुवाँ राजा क महतारी आइ। उ राजा अउर ओकर राजकीय अधिकारियन क आवाजन सुन रिहे रहिन, उ कहेस, “हे राजा, चिरंजीव रहा। डेरा जिन। तू आपन मुँह क डर स एतना पीला जिन पड़इ द्या। 11 लखा, तोहरे राज्ज मँ एक अइसा मनई अहइ जेहमाँ पवित्तर देवतन क आतिमा बसत ह। तोहरे बाप क दिनन मँ इ मनई इ दर्साये रहा कि ओकरे लगे देवतन क बुद्धि क नाईं बुद्धि अउर समुझ अहइ। तोहार पिता नबूकदनेस्सर इ मनई क सबहिं बुध्दिमान मनइयन पइ, तान्त्रिकन अउ कसदियन पइ मुखिया नियुक्त किहे रहा। 12 मइँ जउन मनई क बारे मँ बातन करत हउँ ओकर नाउँ दानिय्येल अहइ। किन्तु राजा ओका बेलतसस्सर क नाउँ दइ दिहे रहा। बेलतसस्सर बहुत चुस्त अहइ अउर बहुत स बातन जानत ह। उ सपनन क व्याख्या कइ सकत ह। पहेलियन क समझाइ सकत ह। अउर कठिन स कठिन हलन क सुलझाइ सकत ह। तू दानिय्येल क बोलवा। देवारे पइ जउन लिखा बाटइ, ओकर अरथ तोहका उहइ बताई।” 13 तउ उ सबइ दानिय्येल क राजा क लगे लइ आएन। राजा दानिय्येल स कहेस, “का तोहार नाउँ दानिय्येल अहइ? मोर पिता महाराज यहूदा स जिन लोगन क बंदी बनाइके लिआए रहेन, का तू ओनमाँ स एक अहा? 14 मइँ सुनेउँ ह, कि देवता क आतिमा क तोहमाँ निवास अहइ अउर मइँ इ भी जानेउँ ह कि तोहमाँ महान अन्तदृस्टि अहइ। तू बहोत चुस्त अउ बुध्दिमान अहा। 15 “बुध्दिमान मनई अउ तान्त्रिकन क इ देवार क लिखावट क समुझावइ बरे मोरे लगे लिआवा गवा। मइँ चाहत रहेउँ कि उ सबइ लोग उ लिखावट क अरथ बतावइँ। किन्तु देवार पइ लिखी इ लिखावट क व्याख्या उ पचे मोका नाहीं दइ पाएन। 16 मइँ तोहरे बारे मँ सुनेउँ ह कि तू बातन क अर्थ क व्याख्या कइ सकत ह अउर तू अत्यन्त कठिन समस्यन क उत्तर भी ढूढ़ सकत ह। जदि देवार क इ लिखावट क तू पढ़ द्या अउर एकर अरथ तू मोका समुझाइ द्या तउ मइँ तोहका उ सबइ चिजियन देब। मइँ तोहका बैंगनी रंग क पोसाक प्रदान करब, तोहरे गले मँ सोना क हार पहिराउब। फुन तउ तू इ राज्ज क तीसर सब स बड़का सासक बन जाब्या।” 17 एकरे पाछे दानिय्येल राजा क उत्तर देत भए कहेस, “हे राजा बेलसस्सर, तू आपन उपहार अपने लगे रखा, अथवा चाहा तउ ओनका कउनो अउर क दइ द्या। मइँ तोहका वइसे ही देवार क लिखावट पढ़ देब अउर ओकर अरथ का अहइ, इ तोहका समुझाइ देब। 18 “हे राजा, सवोर्च्च परमेस्सर तोहार पिता नबूकदनेस्सर क एक महान सक्तिसाली राजा बनाए रहेउँ। परमेस्सर ओनका बहोत अधिक स अधिक महत्वपूर्ण बनाए रहा। 19 सबइ रास्ट्र नबूकदनेस्सर स डरा करत रहेन काहेकि सवोर्च्च परमेस्सर ओक एक बहोत बड़का राजा बनाए रहा। जदि नबूकदनेस्सर कउनो क मार डावइ चाहत तउ ओका मार दीन्ह जात रहा अउर जदि उ चाहत कि कउनो मनई जिअत रहइ तउ ओका जिअत रहइ दीन्ह जात रहा। ओनका जेका उ उन्नती देइ चाहत रहा तउ ओका उन्नती देइ दीन्ह जात रहा। ओनका जेका उ विनम्र बनाइ चाहत रहा तउ ओका विन्रम बनाइ दीन्ह जात रहा। 20 “किन्तु नबूकदनेस्सर क अभिमान होइ गवा अउर उ हठीला बन गवा। तउ परमेस्सर क जरिये ओहसे ओकर सक्ति छोर लीन्ह गइ। ओका ओकर राज सिंहासन स उतार पंका गवा अउ ओका महिमा विहीन बनाइ दीन्ह गवा। 21 एकर पाछे लोगन स दूर पराइ जाइ क बरे नबूकदनेस्सर क मजबूर कीन्ह गवा। ओकर सोचइ समुझइ क बुद्धि कउनो पसु क बुद्धि जइसी होइ गइ। उ जंगली गदहन क बीच रहइ लगा अउर डोरन क तरह घास खात रहा। उ ओस मँ भीगा। जब तलक ओका सबक नाहीं मिल गवा, ओकरे संग अइसा ही होत गवा। फिन ओका इ गियान होइ गवा कि मनई क राज्ज पइ सवोर्च्च परमेस्सर क ही सासन अहइ। अउर साम्राज्जन क ऊपर सासन करइ बरे उ जउन कउनो क भी चाहत ह, नियुक्त कइ देत ह। 22 “किन्तु हे बेलसस्सर, तू तउ एन बातन क जानत ही अहा। तू नबूकदनेस्सर क पूत अहा किन्तु फुन भी तु अपने आप क विनम्र नाहीं बनाया। 23 नाहीं तू विनम्र तउ नाहीं भया अउ उल्टे सरग क सुआमी क खिलाफ होइ गया। तू ओकरे मन्दिर क पात्रन अउर पिआलन क अपने लगे लिआवइ क आग्या दिहा अउर फुन तू, तोहरे साही हाकिमन, तोहार मेहरूअन, तोहार उप पत्नियन ओन पिआलन मँ दाखरस पिएन। तू चाँदी, सोना, काँसा, लोहा, काठ अउर पाथर क देवतन क गुण गाया। उ पचे फुरइ क देवता नाहीं अहइँ। उ पचे लख नाहीं सकतेन, सुन नाहीं सकतेन तथा उ पचे कछू समुझ भी नाहीं सकतेन। उ पचे जानइ क सामर्थ नाहीं अहइ कि तू ओनका स्तुति करत ह। तू उ परमेस्सर क आदर नाहीं दिहा, जेकर जिन्नगी या जउन कछू भी तू करत अहा, ओह पइ अधिकार अहइ। 24 तउ एह बरे, परमेस्सर उ हाथे क पठएस जउन देवार पइ लिखेस। 25 देवार पइ जउन सब्द लिखा गवा अहइँ, उ सबइ इ सबइ अहइँ: 26 “एन सब्दन क अरथ अहइ, मने: अर्थात् परमेस्सर तोहरे सासन क दिन गन लिहेस ह अउर उ ओकरे अन्त लिआएस ह। 27 तकेल: अर्थात् तराजू पइ तोहका तौल लीन्ह गवा ह अउर तू पूरा नाहीं उतरा ह। 28 ऊपसीर्न: अर्थात् तोहसे तोहार राज्ज छोरा जात अहइ अउर ओकर बँटवारा होत अहइ। इ राज्ज मादियन अउ फारसिदन क लोगन क दइ दीन्ह जाइ।” 29 एकरे पाछे बेलसस्सर आग्या दिहेस कि दानिय्येल क बौगनी बेसभूसा पहिराइ जाइ। ओकरे गले मँ सोने क हार पहिराइ दीन्ह जाइ अउर इ घोसणा कइ दीन्ह गइ कि उ राज्ज मँ तीसरा सबस बड़कवा सासक होइ। 30 उहइ रात, बेलसस्सर, बाबुल क प्रजा क राजा बध कइ दीन्ह गवा। 31 मादे क रहइवाला एक मनई जेकर नाउँ दारा रहा अउर जेकर आयु कउनो बासठ बरिस क रही, हुवाँ क नवा राजा बना।
6:1 दारा राज्ज पइ हुवुमत करइ बरे ओकर मदद बरे एक सौ बीस प्रान्तीय अधिकारियन क नियुक्त करइ क निहचय किहा। 2 अउर एकरे बरे उ एक सौ बीस प्रान्त- अधिपतियन क ऊपर हुवूमत करइ बरे तीन ठु मनइयन क अधिकारी नियुक्त कइ दिहस। इ तीनहुँ देख-रेख करइवालन मँ एक रहा दानिय्येल। एन तीन मनइयन क नियुक्ति राजा एह बरे किहे रहा कि कउनो ओकरे संग छल न कइ पावइ अउर ओकर राज्ज क कउनो भी हानि न होइ। 3 दानिय्येल इ कइ देखाएस कि उ दूसर पर्यवेच्छकन स जियादा उत्तिम अहइ। दानिय्येल इ काम आपन उत्तम मानिसक जागतन अउर महान अन्तदृस्टि क कारण सम्पनन कइ सकेस। राजा दानिय्येल स एतना जियादा प्रभावित भवा कि उ दानिय्येल क सारी हुवूमत क हाकिम बनावइ क सोचेस। 4 किन्तु जब दूसर पर्यवेच्छकन अउ प्रान्त अधिपतियन एकरे बारे मँ सुनेन तउ ओनका दानिय्येल स जलन होइ लाग। उ पचे ओका कोसइ क बरे कारण ढूँढइ क जतन करइ लागेन। किन्तु फुन भी उ पचे ओकरे काम मँ कउनो दोख या कउनो भ्रस्ट नाहीं ढूँढ पाएन। तउ उ पचे ओह पइ कउनो गलत काम करइ क दोख नाहीं लगाइ सकेन। काहेकि दानिय्येल बहोत ईमानदार अउ भरोसेमन्द मनई रहा। उ पचे ओहमाँ कउनो दोख नाहीं ढूँढ पाएन। 5 आखिरकार ओन लोग कहेन, “दानिय्येल पइ कउनो बुरा काम करइ क दोख लगावइ क वजह हम कबहुँ नाहीं ढूंढ़ पाउब। एह बरे हमका सिकाइत क बरे कउनो अइसी बात ढूँढ़इ चाही जउन ओकर परमेस्सर क नेमन स सम्बन्ध रखत होइ।” 6 तउ उ पचे दुइनउँ पर्यवेच्छक अउर उ सबइ प्रान्त- अधिपति टोली बनाइके राजा क लगे गएन। उ पचे कहेन, “हे राजा दारा, तू अमर रहा। 7 हम सबहिं पर्यवेच्छक, हाकिम, प्रान्त - अधिपति, मंत्री अउर राज्जपाल एक बात पइ सहमत अहइ कि राजा क इ नेम बनाइ देइ चाही अउर हर मनई क इ नेम क पालन करइ चाही। उ नेम इ अहइँ, ‘जदि अगले तीस दिनन तलक कउनो भी मनई, आपक तजिके कउनो अउर देवता या मनई क पराथना करइ तउ उ मनई क सेरन क माँद मँ डाइ दीन्ह जाइ। 8 अब हे राजा! जउने कागज पइ नेम लिखा अहइ, तू ओह पइ हस्ताच्छर कइ द्या। इ तरह स इ नेम कबहुँ बदला नाहीं जाइ सकी। काहेकि मीदियन अउ फारसियन क नेम न तउ बदले जाइ सकत हीं।” 9 तउ राजा दारा इ नेम बनाइके ओह पइ हस्ताच्छर कइ दिहेस। 10 हर दिन तीन दाईं दानिय्येल अपने घुटनन क बल निहुरिके आपन परमेस्सर क पराथना करत रहेन अउर आपन परमेस्सर क सुकरिया अदा किहेन। दानिय्येल जब इ नवे नेम क बारे मँ सुनेस तउ उ अपने घर चला गवा। दानिय्येल आपन मकान क छत क ऊपर, आपन कमरा मँ चला गवा। दानिय्येल ओन खिड़कियन क लगे गवा जउन यरूसलेम क तरफ खुलत रहिन। फिन उ आपन घुटनन क बल निहुरा अउर जइसे सदा किया करत रहा, उ वइसे ही पराथना किहेस। 11 फिन उ सबइ लोग झुण्ड बनाइके दानिय्येल क हिआँ जाइ पहुँचेन। हुवाँ उ पचे दानिय्येल क पराथना करत अउ परमेस्सर स दाया माँगत पाएन। 12 बस फुन का रहा। उ सबइ लोग राजा क लगे पहुँचेन अउर उ पचे राजा स उ नेम क बारे मँ बात किहन जउन उ बनाए रहा। उ पचे कहेन, “हे राजा दारा, आप एक नेम बनाए रहेन। जेकरे अनुसार अगले तीस दिनन तलक जदि कउनो मनई कउनो देवता स या तोहरे अलावा कउनो मनई स पराथना करत ह तउ, हे राजा, ओका सेरन क माँद मँ फेंकवाइ दीन्ह जाइ। बतावइँ का आप इ नेम पइ हस्ताच्छर नाहीं किहे रहेन?”राजा जवाब दिहस, “हाँ, मइँ उ नेम पइ हस्ताच्छर किहे रहेउँ अउर मादियन अउ फारसियन क नेम अटल होत हीं। न तउ उ सबइ बदले जाइ सकत हीं, अउर न ही मिटावा, जाइ सकत हीं।” 13 एह पइ ओन राजा स कहेन, “दानिय्येल नाउँ क उ मनई आप क बात पइ धियान नाहीं देत अहइ। दानिय्येल यहूदा क बन्दियन मँ स एक अहइ। जउने नेम पइ आप हस्ताच्छर किहेन ह, उ ओह पइ धियान नाहीं देत अहइ। दानिय्येल अबहुँ भी हर दिन तीन दाईं अपने परमेस्सर क पराथना करत ह।” 14 राजा जब इ सुनेस तउ उ बहोत दुःखी अउ बियावुल होइ उठा। राजा दानिय्येल क बचावइ चाहत रहा। एह बरे ओका बचावइ क कउनो उपाय सोचत सोचत राजा सारा दिन बिताइ दिहेस अउर साम होइ गइ। 15 एकरे बाद उ सबइ लोग एक झुण्ड बनाइके राजा क लगे पहोंचने। उ पचे राजा स कहेन, “हे राजा, मादियन अउ फारसियन क ब्यवस्था क अनुसार या हुवूम पइ राजा हस्ताच्छर कइ देइ, उ न तउ कबहुँ बदला जाइ सकत ह अउर न ही कबहुँ मिटावा जाइ सकत ह।” 16 तउ राजा दारा आदेस दइ दिहेस। उ सबइ लोग दानिय्येल क धइ लाएन अउर ओका सेरन क माँद मँ लोकाइ दिहेन। राजा दिनिय्येल स कहेस, “मोका आसा अहइ कि तू जउन परमेस्सर क हमेसा उपासना करत ह, उ तोहार रच्छा करी।” 17 एक बड़ा सा पाथर लिआवा गवा अउर ओका सेरन क माँद क दुआर पइ भेड़ दीन्ह गवा। फुन राजा आपन अँगूठी लिहेस अउर उ पाथर पइ आपन मुहर लगाइ दिहस। साथ ही उ आपन हाकिमन क अंगूठियन क मुहरन भी उ पाथर पइ लगाइ दिहस। एकर इ अभिप्राय रहा कि उ पाथर क कउनो भी हटाइ नाहीं सकत अउर सेरन क उ माँद स दानिय्येल क बाहेर नाहीं लाइ सकत रहा। 18 एकरे पाछे राजा दारा आपन महल क वापस चला गवा। उ पूरी रात उपवास किहेस। उ नाहीं चाहत रहा कि कउनो ओकरे लगे आवइ अउर ओकर मन बहलावइ। राजा सारी रात सोइ नाहीं पाएस। 19 दूसरे दिन भिन्सारे जइसे ही सूरज रोसनी फइलइ लाग, राजा दारा जाग गवा अउ सेरन क माँद कइँती दउड़ा। 20 राजा बहोत चिंतित रहा। राजा जब सेरन क माँद क लगे गवा तउ हुवाँ उ दानिय्येल क जोर स अवाज लगाएस। राजा कहेस, “हे दानिय्येल, हे जिअत परमेस्सर क सेवक, का तोहार परमेस्सर, जेकर तू हमेसा उपासना करत ह, तोहका सेरन स बचावइ मँ सामर्थ भवा ह” 21 दानिय्येल जवाब दिहेस, “राजा, अमर रहइँ। 22 मोर परमेस्सर मोका बचावइ बरे सरगदूत पठए रहा। उ सरगदूत सेरन क मुँह बन्द कइ दिहेस। सेरन मोका कउनो हानि नाहीं पहोंचाएन काहेकि मोर परमेस्सर जानत ह कि मइँ निरपराध हउँ। मइँ राजा क बरे कबहुँ कउनो बुरा नाहीं किहेउँ ह।” 23 राजा दारा बहोत खुस रहा। राजा आपन सेवकन क हुवूम दिहेस कि उ पचे दानिय्येल क सेरन क माँद स बाहेर हींच लेइँ। जब दानिय्येल क सेरन क माँद स बाहेर लिआवा गवा तउ ओका ओह पइ कउनो जखम नाहीं देखाइ दिहस। सेरन दानिय्येल क कउनो भी तरह क हानि नाहीं पहोंचाए रहा। काहेकि उ आपन परमेस्सर पइ बिस्सास किहेस। 24 एकरे पाछे राजा ओन लोगन क जउन दानिय्येल पइ अभियोग लगाइके ओका सेरन क माँद मँ डलवाए रहेन, बोलवावइ क आदेस दिहस अउर ओन लोगन क, ओनकर मेहररूअन क अउर ओनके गदेलन क सेरन क माँद मँ फेंकवाइ दिहे रहा। एहसे पहिले कि उ पचे सेरन क माँद मँ धरती पइ गिरतेन, सेरन ओनका दबोच लिहन। सेर ओनके तनन क खाइ गएन अउर फुन ओनकर हाड़न क चूर-चूर कइ दिहेन। 25 एह पइ राजा दारा सारी धरती क लोगन, दूसर जाति क अलग - अलग भासा बोलइवालन क इ पत्र लिखेस:“सुभकामनाऐं 26 मइँ एक ठु नेम बनावत हउँ। मोरे राज्ज क हर भाग क लोगन क बरे इ नेम होइ। तू पचे सबहिं लोगन क दानिय्येल क परमेस्सर क भय मानइ चाही अउर ओकर आदर करइ चाहीं।दानिय्येल क परमेस्सर जिअत अहइ। परमेस्सर सदा-सदा अमर रहत ह। साम्राज्ज कबहुँ ओकर खतम नाहीं होइ ओकरे सासन क अंत कबहुँ नाहीं होइ 27 परमेस्सर लोगन क बचावत ह अउर रच्छा करत ह। सरग मँ अउ धरती क ऊपर परमेस्सर अद्भूत अचरजे स भरा करम करत ह। परमेस्सर दानिय्येल क सेरन स बचाइ लिहेस।” 28 इ तरह जब दारा क राज रहा अउर जिन दिनन फारसी राजा वुसू क हुवूमत रही, दानिय्येल सफलता प्राप्त किहस।
7:1 बेलसस्सर क बाबुल पइ सासन काल क पहिले बरिस दानिय्येल क एक ठु सपना आवा सपने मँ आपन पलंग पइ ओलरे भए दानिय्येल, इ सबइ दर्सन लखेन। दानिय्येल जउन सपना लखे रहा, ओका लिख लिहस। 2 दानिय्येल बताएस, “राति मँ मइँ सपना मँ एक दर्सन पाएउँ। मइँ लखेउँ कि चारिहुँ दिसा स हवा बहत अहइ अउर ओन हवा स सागर उफनइ लाग। 3 फुन मइँ तीन पसुअन क लखेउँ। हर पसु दूसर पसु स भिन्न रहा। उ पचे चारिहुँ पसु समुद्र मँ स उभरिके बाहर निकरे रहेन। 4 “ओनमाँ स पहिला पसु सिहं क समान देखाइ देत रहा अउर उ सिहं क उकाब क जइसे पंख रहेन। मइँ उ पसु क लखेउँ। फुन मइँ लखेउँ कि ओकर पंख उखाड़ फेंका गवा अहइँ। धरती पइ स उ पसु क इ तरह उठावा गवा जेहसे उ कउनो मनई क समान आपन दुइ गोड़न पइ खड़ा होइ गवा। ऍका मनई क दिमाग दइ दीन्ह गवा रहा। 5 “अउर फुन मइँ लखेउँ कि मोरे समन्वा एक अउर दूसर पसु मौजूद अहइ। इ पसु एक भाल् क नाईं रहा। उ आपन एक बगल पइ उठा भवा रहा। उ पसु क मुहँ स दाँतन की बीच तीन पसलियन रहिन। उ भालू स कहा गवा रहा, ‘उठा अउर तोहका जेतना चाही ओतना माँस खाइ ल्या।’ 6 “एकरे पाछे, मइँ लखेउँ कि मोरे समन्वा एक अउर पसु खड़ा अहइ। इ पसु चीते जइसा लगत रहा अउर उ चीता क पिठिया पइ चार पंख रहेन। पंख अइसे लगत रहेन, जइसे उ पचे कउनो चिरइया क पंख होइँ। इ पसु क चार ठु सिर रहेन, अउर ओका हुवूमत क अधिकार दीन्ह गवा रहा। 7 “एकरे पाछे, सपना मँ रात क मइँ लखेउँ कि मोरे समन्वा एक अउर चौथा जनावर खड़ा अहइ। इ जनावर बहोतइ खूँखार अउर भयानक लगत रहा। उ बहोत मजबूत देखाई देत रहा। ओकरे लोहे क लम्बे-लम्बे दाँत रहेन। इ जनावर अपने सिकारन क वुचर कइके खाइ डावत रहा अउर सिकार क खाइ चुकइ क पाछे जड़न कछू बचि रहत, उ ओका आपन गोड़न क तरे वुचरि डावत रहा। इ पसु स पहिले मइँ सपना मँ जउन पसु लखे रहेउँ, उ चउथा पसु ओन स अलग रहा। इ पसु क दस ठु सींग रहेन। 8 “अबहिं मइँ ओन सींगन क बारे मँ सोच ही रहेउ कि ओन सींगन क बीच एक ठु अउर सींग जमि आवा। इ सींग बहोत छोट रहा। इ छोटे सींग पइ आँखिन रहिन, अउर उ सबइ आँखिन कउनो मनई क आँखिन जइसी रहिन। इ छोटके सींग मँ एक मुँह भी रहा अउर उ खुद क प्रसंसा करत रहा। इ छोटका सींग दूसर सींगन मँ स तीन ठु सींग उखाड़ फेकेस। 9 “मोर लखत ही लखत, ओनकी जगह पइ सिंहासन रखे गएन अउर उ सनातन राजासिंहासन पर बिराज गवा। ओकर ओढ़ना बहोतइ उज्जर रहेन, उ सबइ ओढ़नन बफर् जइसे सफेद रहेन। ओकर सिंहासन आगी क बना रहा अउर ओकर पहियन लपटन स बना रहेन। 10 प्राचीन राजा क समन्वा एक आगी क नदी बहत रही। लाखों करोड़ों लोग ओकर सेवा मँ रहेन। ओकरे समन्वा करोड़न दास खड़ा रहेन। निआवधीस ओकर समन्वा बइठेस अउर पुस्तकन खोली गइ होइँ। 11 “मइँ लखत क लखत रहि गएउँ काहेकि उ छोटका सींग डीगंन मारत रहा। मइँ उ समइ तलक लखत रहेउँ जब अन्तिम रूप स चउथे पसु क हत्तिया कइ दीन्ह गइ। ओकरी देह क नस्ट कइ दीन्ह गवा अउर ओका धधकत आगी मँ डाइ दीन्ह गवा। 12 दूसर पसुअन क सक्ति अउर राजसत्ता ओहसे छीन लीन्ह गएन। किन्तु एक निहचित समइ तक ओनक जिअत रहइ दीन्ह गवा। 13 “राति क मइँ आपन दिव्व सपन मँ लखेउँ कि मोर समन्वा कउनो खड़ा अहइ, जउन मनई जइसा देखाई देत रहा। उ अकास मँ बादरन पइ सवार होइके आवत रहा। उ उ सनातन राजा क लगे आवा रहा। तउ ओका ओकरे समन्वा लइ आवा गवा। 14 “उ जउन मनई क समान देखाई देत रहा, ओका अधिकार, महिमा अउर सम्पूर्ण सासन सत्ता सौंप दीन्ह गइ। सबहिं लोग, सबहिं जातियन अउर प्रत्येक भासा-भासी लोग ओकर आराधना करिहीं। ओकर राज्ज अमर रही। ओकर राज्ज सदा बना रही। उ कबहुँ नस्ट नाहीं होइ। 15 “मइँ, दानिय्येल बहुत विकल अउ चिंतित रहेउँ। उ सबइ दर्सन जउन मइँ लखे रहेउँ, उ सबइ मोका विकल बनाए भए रहेन। 16 मइँ जउन हुवाँ खड़ा रहेउँ, ओनमाँ स एक क लगे पहोंचेउँ। मइँ ओहसे पूछेउँ, “इ सब कछू क अरथ का अहइ? “तउ उ बताएस, उ मोका समुझाएस कि एन बातन क मतलब का अहइ। 17 उ कहेस, ‘उ पच इ चार बड़के पसु, चार राज्ज अहइँ। उ सबइ चारिहुँ राज्ज धरती स उ मरिहीं। 18 किन्तु परमेस्सर क पवित्तर लोग उ राज्ज क प्राप्त करिहीं जउन एक अमर राज्ज होइ।’ 19 “फुन मइँ इ जानइ चाहेउँ कि उ चउथा पसु का रहा अउर ओकर का अभिप्राय रहा? उ चउथा पसु सबहिं दूसर पसुअन स भिन्न रहा। उ बहोत भयानक रहा। ओकर दाँत लोहे क रहेन, अउर पंजे काँसे क रहेन। उ पसु रहा, जउन आपन सिकार क चकनाचूर कइके पूरी तरह खाइ लिहे रहा, अउर आपन सिकार क खाइ क पाछे जउन कछू बचा रहा, ओका आपन गोड़वन क तले रौंद डाए रहा। 20 उ चउथे पसु क सिर पइ जउन दस सींग रहेन, मइँ ओनके बारे मँ जानइ चाहेउँ अउर मइँ उ सींग क बारे मँ जानइ चाहेउँ जउन हुवाँ सींगन मँ स तीन ठु सींग उखाड़ि फेंके रहेन। उ सींग दूसर सींगन स जियादा बड़का देखाई देत रहा। ओकर आँखिन रहिन अउर उ आपन डींग हाँके चला जात रहा। 21 मइँ लखत ही रहेउँ कि उ सींग परमेस्सर क पवित्तर लोग क विरुद्ध युद्ध अउर ओन पइ हमला करब सुरू कइ दिहेस ह अउर उ सींग ओनका मारि डावत अहइ। 22 परमेस्सर क पवित्तर लोग क उ सींग उ समइ तलक मारत रहा जब तलक सनातन राजा आइके उ सींग क निर्णय नाहीं किहस। उ निर्णय परमेस्सर क पवित्तर लोग क पच्छ मँ रहा। अउर ओनका ओनके आपन राज्ज क प्राप्ति होइ गइ। 23 “अउर फुन उ सपना क मोका इ तरह समुझाएस कि उ चउथा पसु, ‘उ चउथा राज्ज अहइ जउन धरती पइ आई। उ राज्ज दूसर सबहिं राज्जन स अलग होइ। उ चउथा राज्ज ससंार मँ सब कहूँ लोगन क बिनास करी। संसार क सबहिं देसन क उ आपन गोड़न तले रौदी अउर ओनकर टूका-टूका कइ देइ। 24 उ सबइ दस सींग उ सब दस राजा अहइँ, जउन इ चउथे राज्ज मँ अइहीं। एन दसन राजा लोगन क चले जाइ क पाछे एक ठु अउर राजा आई। उ राजा अपने स पहिले क राजा लोगन स अलग होइ। उ ओनमाँ स तीन दूसर राजा लोगन क पराजित करी। 25 इ बिसेस राजा सवोर्च्च परमेस्सर क विरुद्ध बातन करी तथा उ राजा परमेस्सर क पवित्तर लोगन क नोस्कान पहोंचाइ अउर ओनकर बध करी। जउन पवित्तर उत्सव अउर जउन नेम इ समइ प्रचलन मँ अहइँ उ राजा ओनका बदलइ क जतन करी। परमेस्सर क पवित्तर लोग सोढ़े तीन बरिस तलक उ राजा क सक्ति क अधीन रहिहीं। 26 “किन्तु जउन कछू होब अहइ, ओकर निर्णय निआवालय करी अउर उ राजा स ओकर सक्ति छोरि लीन्ह जाइ। ओकरे राज्ज क पूरी तरह अन्त होइ। 27 फिन परनेस्सर क पवित्तर लोग उ राज्ज क हुवूमत चलइहीं। धरती क सबहिं राज्जन क सबहिं लोगन पइ सासन होइ। इ राज्ज सदा सदा अटल रही, अउर दूसर सबहिं राज्जन क लोग ओनका आदर देइहीं अउर ओनकर सेवा करिहीं।’ 28 “इ तरह उ सपना क अंत भवा। मइँ, दानिय्येल तो बहोत डेराइ गवा रहेउँ। डर स मोर मुँह पीला पड़ गवा रहा। मइँ जउन बातन लखे रहेउँ अउर सुने रहेउँ, मइँ ओनके बारे मँ दूसर लोगन क नाहीं बताएउँ।”
8:1 बेलसस्सर क सासन काल क तीसरे बरिस मइँ इ दर्सन लखेउँ। इ उ पहिले वाल दर्सन क बाद क दर्सन रहा। 2 मइँ लखेउँ कि मइँ सूसन नगर मँ हउँ। सूसन, एलाम प्रान्त क राजधानी रही। मइँ ऊलै नदी क किनारे पइ खड़ा रहेउँ। 3 मइँ आँखिन ऊपर उठाएउँ तउ लखेउँ कि ऊलै नदी क किनारे पइ एक भेड़ा खड़ा अहइ। उ भेड़ा क दुइ लम्बे सींग रहेन। जदपि ओकर दुइनउँ ही सींग लम्बे रहेन। पर एक सींग दूसर स लम्बा रहा। लम्बा वाला सींग छोटेवाले सींग क बाद मँ जमा रहा। 4 मइँ लखेउँ कि उ भेड़ा कबहुँ पच्छिम कइँती दउड़त रहा तउ कबहुँ उत्तर कइँती, अउर कबहुँ दविखन कइँती अउर सींग मारत फिरत रहा। उ भेड़ा क कउनो भी पसु रोक नाहीं पावत अहइ अउर न ही कउनो दूसर पसुअन क बचाइ पावत अहइ। उ भेड़ा सब कछू कइ सकत रहा, जउन कछू उ करइ चाहत रहा। इ तरह स उ भेड़ा बहोतइ सक्तिसाली होइ गवा। 5 मइँ उ भेड़ा क बारे मँ सोचइ लगा। मइँ अबहिं सोचत ही रहत रहा कि पच्छिम कइँती स मइँ एक बोकरा क आवत लखेउँ। इ बोकरा धरती पइ दौड़ गवा। किन्तु उ बोकरा क गोड़ धरती पइ छुए तलक नाहीं। इ बोकरा क एक लम्बा सींग रहा। जउन साफ-साफ दिखत रहा, उ सींग बोकरा क दुइनउँ आँखिन क बीचउ-बीच रहा। 6 फिन उ बोकरा उ दुइ सींगवाले भेड़न क लगे आवा। इ उहइ भेड़ा रहा जेका मइँ ऊलै नदी क किनारे खड़ा लखे रहेउँ। उ बोकरा किरोध स भरा भवा रहा। तउ उ भेड़ा क तरफ लपका। 7 बोकरा क उ भेड़े क तरफ परात भए मइँ लखेउँ। उ बोकरा गुस्सा मँ आग बबूला होत रहा। तउ उ भेड़ा क दुइनउँ सींग तोड़ डाएस। भेड़ा बोकरा क रोक नाहीं पाएस। बोकरा भेड़ा क धरती पइ पछाड़ दिहस अउर फुन उ बोकरा उ भेड़ा क गोड़न तले वुचर दिहस। हुआँ उ भेड़ा क बोकरा स बचावइ वाला कउनो नाहीं रहा। 8 तउ बोकरा बहोत सक्तिसाली बन बइठा। किन्तु जब उ सक्तिसाली बना, ओकर बड़का सींग टूट गवा अउर फुन उ बड़के सींग क तरह चार सींग अउर निकरि आएन। उ सबइ चारिहुँ सींग आसानी स देखाई पड़त रहेन! उ सबइ चार सींग अलग-अलग दिसा कइँती मुड़े भए रहेन। 9 फुन ओन चारिहुँ सींगन मँ स एक छोटा सींग अउर निकरि आवा। उ छोटा सींग बड़इ लाग अउर बड़त-बड़त बहोत बड़ा होइ गवा। इ सींग दविखन-पूरब कइँती बढ़ा। इ सींग सुन्नर धरती कइँती बढ़ा। 10 उ छोटा सींग बड़िके बहोत बड़ा होइ गवा। उ बड़त बड़त अकास छुइ लिहेस। उ नान्ह सींग, हिआँ तलक कि कछू तारन क भी धरती पइ पटक दिहस अउर ओन सबहिं तारन क गोड़न तले मसल दिहस। 11 उ नान्ह सींग बहोत मजबूत होइ गवा अउर फुन उ तारन क सासक (परमेस्सर) क विरुद्ध हो गवा। उ नान्ह सींग उ सासक क अपिर्त कीन्ह जाइवाली बलियन क रोक दिहस। उ ठउर जहाँ लोग उ सासक क उपासना किया करत रहेन, उ ओका उजाड़ दिहस 12 अउर ओनकर फउज क भी हराइ दिहस अउर एक विद्रोही कार्य क रूप मँ उ नान्ह सींग दैनिक बलियन क ऊपर अपने आप क स्थापित कइ दिहस। उ सच क धरती पइ पटक दिहस। उ नान्ह सींग जउन कछू किहस उ सब कछू मँ सफल होइ गवा। 13 फुन मइँ कउनो पवित्तर जन क बोलत सुनेउँ अउर ओकरे पाछे मइँ सुनेउँ कि कउनो दूसर पवित्तर मनई उ पहिले पवित्तर मनई क जवाब देत अहइ। पहिला पवित्तर मनई कहेस, “इ दर्सन दर्सावत ह कि दैनिक बलियन क का होइ? इ उ भयानक पाप क बारे मँ अहइ जउन बिनास डावत ह। इ दर्सावत ह कि जब लोग उ सासक क पूजा स्थल क तोड़ डइहीं तब का होइ? इ दर्सन दर्सावत ह कि जब लोग उ समूचे ठउर क गोड़न तले रौदिहीं तब का होइ। इ दर्सन दर्सावत ह कि जब लोग तास क ऊपर गोड़ धरहीं तब का होइ? किन्तु इ सबइ बातन कब तलक होत रइहीं?” 14 दूसर पवित्तर मनई कहेस, “दुइ हजार तीन सौ दिन तलक अइसा ही होत रही अउर ओकरे पाछे पवित्तर ठउर क फुन स स्थापित कइ दीन्ह जाइ।” 15 मइँ, दानिय्येल इ दर्सन लखे रहेउँ, अउर इ प्रयत्न किहेउँ कि ओकर अरथ समुझ लेउँ। अबहिं मइँ इ दर्सन क विसय मँ सोच ही रहे रहेउँ कि मनई क जइसा देखाइवाला कउनो अचानक आइके मोरे समन्वा खड़ा होइ गवा। 16 एकरे पाछे मइँ कउनो मनई क वाणी सुनेउँ। इ वाणी ऊलै नदी क ऊपर स आवति रही। उ अवाज कहेस, “जिब्राएल, इ मनई क एकर दर्सन क अरथ समुझाइ द्या।” 17 तउ जिब्राएल जउन कउनो मनई क समान देखाँत रहा, जहाँ मइँ खड़ा रहेउँ, हुआँ आइ गवा। उ जब मोरे लगे आवा तउ मइँ बहोत डेराइ गएउँ। मइँ धरती पइ भहराइ पड़ेउँ। किन्तु जिब्राएल मोहसे कहेस, “अरे मनई, समुझ ल्या कि इ दर्सन अंत समइ बरे अहइ।” 18 अबहिं जिब्राएल बोलत ही रहत रहा कि मोका नीदं आइ गइ। नीदं बहोतइ गहरी रही। मोर मुख धरती कइँती रहा। फुन जिब्राएल मोका छुएस अउर मोहसे मोर गोड़न पइ खड़ा कइ दिहस। 19 जिब्राएल कहेस, “लखा, मइँ तोहका अब, उ दर्सन क समझावत हउँ। मइँ तोहका बताउब कि परमेस्सर क किरोध क समइ क बाद मँ का कछू घटी। 20 “तू दुइ सींगनवाला भेड़ा लखे रह्या। उ सबइ दुइ सींग अहइँ मादी अउ फारस क दुइ देस। 21 इ बोकरा युनान क राजा अहइ। ओकर दुइ आखिन क बीच क बड़ा सींग उ पहिला राजा अहइ। 22 उ सींग टूट गवा अउ ओकरे ठउर क चार सींग निकरि आएन। उ सबइ चार सींग चार राज्ज अहइँ। उ सबइ चार राज्ज, उ पहिले राजा क रास्ट्र स परगट होइहीं किन्तु उ सबइ चारिहुँ राज्ज उ पहिले राजा क स मजबूत नाहीं होइहीं। 23 “जब ओन राज्जन क अंत ओन लोगन क जरिये बुरा करम करइ क पाछे निकट होइ, तब हुवाँ एक हटी राजा जउन कि पहेलियन क समुझ सकत ह उठ खड़ा होइ। 24 इ राजा बहोत सक्तिसाली होइ किन्तु ओकर सक्ति ओकर आपन नाहीं होइ। इ राजा भयानक तबाहीं मचाइ देइ। उ जउन कछू करी ओहमाँ ओका सफलता मिली। उ सक्तिसाली लोगन-हिआँ तलक कि परमेस्सर क लोग क भी नस्ट कइ देइ। 25 “इ राजा बहोत चुस्त अउ मक्कार होइ। उ आपन कपट अउ झूठन क बल पइ सफलता पाइ। उ अपने आप क सब स बड़कवा समुझी। लोगन क उ बिना कउनो चितउनी क नस्ट करवाइ देइ। हिआँ तलक कि उ राजा लोगन क राजा (परमेस्सर) स भी जुद्ध क जतन करी किन्तु उ जफाकस राजा क सक्ति क खतम कइ दीन्ह जाइ अउर ओकर अंत कउनो मनई क हाथन नाहीं होइ। 26 “अउर साम अउ सुबह कर् दसन फुरइ अहइँ। किन्तु इ दर्सन पइ तू मुहर लगाइके रख द्या। काहेकि उ सबइ बातन अबहिं बहोत सारे समइ तलक घटइवाली नाहीं अहइ।” 27 उ दिब्ब दर्सन क बाद मँ मइँ दानिय्येल, बहोत कमजोर होइ गवा अउर बहोत दिनन तलक बीमार पड़ा रहा। फुन बेरामी स उठिके मइँ लउटिके राजा क कामकाज करब सुरू कइ दिहस किन्तु उ दिब्ब दर्सन क कारण मँ बहोत बियावुल रहा करत रहा। मइँ उ दर्सन क अरथ समुझ ही नाहीं पाए रहेउँ।
9:1 मादी दारा क हुवूमत क पहिले बरिस मँ, जउन छयर्स राजा क पूत रहा जउन कसदियन क राजा रहा। 2 दारा क राजा क पहिले बरिस मँ मइँ, दानिय्येल कछ् किताबन पड़त रहेउँ। ओन किताबन मँ मइँ लखेउँ कि यहोवा यिर्मयाह क इ बताएस ह कि यरूसलेम क पुन: निर्माण कितने बरिस बाद होइ। यहोवा कहे रहा कि एहसे पहिले कि यरूसलेम फुन स बसइ, सत्तर बरिस बीत जइहीं। 3 फुन मइँ आपन सुआमी परमेस्सर कइँती मुड़ेउँ अउर ओहसे पराथना करत भए मदद क याचना किहेउँ। मइँ भोजन करब तजि दिहेउँ अउर अइसे ओढ़ना पहिर लिहेउँ जेहसे इ लागइ कि मँइ दुःखी हउँ। मइँ अपने मूँड़ पइ धूरि डाल दिहेउँ। 4 मइँ आपन परमेस्सर यहोवा स पराथना करत भए ओका आपन सबहिं पाप बताइ दिहेउँ। मइँ कहेउँ, “हे यहोवा, तू महान अउ भयजोग्ग परमेस्सर अहा। जउन लोग तोहसे पिरेम करत हीं, जउन तोहरे आदेसन क पालन करत हीं, तू ओनके संग आपन पिरेम अउ दयालुता क करार क निभावत ह। 5 “मुला हे यहोवा, हम पचे पापी अही। हम पचे बुरा किहे अही। हम पचे वुकरम किहे अही। हम पचे तोहार विरोध किहा ह। तोहार निस्पच्छ निआत अउर तोहरे आदेसन स हम पचे दूर भटक गए अही। 6 हम पचे नबियन क बात नाहीं सुनित। नबी तउ तोहार सेवक अहइँ। उ पचे तोहरे बारे मँ हमारे राजा लोगन, सासकन अउ धरती क सारे लोगन क बारे मँ भी बात किहेस। 7 “हे यहोवा, तू नीक अहा, अउर तोहमाँ नेकी अहइ। जबकि आजु हम आपन बुरे करम स लज्जित अही। यरूसलेम अउ यहूदा क लोग लज्जित अहइँ-इस्राएल क सबहिं लोग लज्जित अहइँ। उ सबइ लोग जउन निआरे अहइँ अउर उ सबइ लोग जउन बहोत दूर अहइँ। हे यहोवा, तू ओन लोगन क बहोत स देसन मँ फइलाइ दिहा। ओन सबहिं देसन मँ बसे इस्राएल क लोगन क लज्जा आवइ चाही। हे यहोवा, ओन सबहिं बुरी बातन क बरे, जउन उ पचे तोहर विरुद्ध किहेन ह, ओनका लज्जित होइ चाही। 8 “हे यहोवा, हम सब क लज्जित होइ चाही। हमरे सबहिं राजा लोगन अउ मुखिया लोगन क लज्जित होइ चाही। अइसा काहे अइसा एह बरे कि हे यहोवा, हम तोहरे विरुद्ध पाप किहे अही। 9 “किन्तु हे यहोवा, तू दयालु अहा। लोग, जउन बुरे करम करतेन तउ तू ओनका, छमा कइ देत ह। हम असल मँ तोहसे मुँह फेर लिहा ह। 10 हम आपन यहोवा परमेस्सर क आग्या क पालन नाहीं कीन्ह। यहोवा आपन सेवकन, आपन नबियन क जरिये हमका व्यवस्था क विधान प्रदान किहस। किन्तु हम पचे ओकर व्यवस्थन क नाहीं माना। 11 इस्राएल क कउनो भी मनई तोहरी सिच्छन पइ नाहीं चला। उ पचे सबहिं राह स भटक ग रहेन। उ पचे तोहरे आदेसन क पालन नाहीं किहन। मूसा, जउन परमेस्सर क सेवक रहा क ब्यवस्था अउर विधान मँ सरापन अउ गम्भीर चिताउनी क उल्लेख भवा ह। उ सबइ सराप अउ चिताउनी ब्यवस्था अउर विधान पइ नाहीं चलइ क दण्ड क बखान करत हीं अउर उ सबइ सबहिं बातन हमरे संग घट चुकी अहइँ काहेकि हम यहोवा क विरोध मँ पाप किहा ह। 12 “परमेस्सर बताए रहा कि हमरे संग अउ हमरे मुखिया लोगन क संग उ सबइ बातन घटिहीं अउर उ ओनका घटाइ दिहस। उ हमरे संग भयानक बातन घटाइ दिहस। यरूसलेम क जेतना कस्ट उठावइ क पड़ा, कउनो दूसर नगर नाहीं उठाएस। 13 उ सबइ सबहिं भयानक बातन जउन मूसा क व्यवस्था क विधान मँ लिखा अहइँ हमरे संग भी घटिन। किन्तु हम अबहुँ भी यहोवा हमरे परमेस्सर स मदद माँगइ नाहीं परत ह। हम अबहुँ भी आपन पाप करब नाहीं तजा ह। अबहुँ तलक भी हम तोहस सच्चाई क अनुसार रहना सीखइ मँ रूची नाहीं रखत हउँ। 14 यहोवा उ सबइ खौफनाक बातन तइयार रख छोड़े रहिन अउर उ हमरे संग ओन बातन क घटाइ दिहस। हमार परमेस्सर यहोवा अइसा एह बरे किहे रहा कि उ तउ जउन कछू भी करत ह, निआव ही करत ह। किन्तु हम अबहुँ भी ओकर नाहीं सुनित। 15 “हे सुआमी हमार परमेस्सर, तू आपन महान सक्ति क प्रयोग किहा अउर हमका मिस्र स बाहेर निकारि लिआया। हम तउ तोहार आपन लोग अही। आजु तलक उ घटना क कारण तू जाना जात अहा। हे सुआमी, हम पाप किहा ह। हम खौफनाक पाप किहा ह। 16 हे सुआमी, यरूसलेम पइ किरोध करब तजि द्या। यरूसलेम तोहार पवित्तर पर्वतन पइ टिका अहइ। तू जउन करत अहा, ठीक ही करत अहा। एह बरे यरूसलेम पइ किरोधित होब तजि द्या। हमरे आसपास क लोग हमार अपमान करत हीं अउर हमरे लोगन क हँसी उड़ावत हीं। हम लोगन क पाप अउर हम लोगन क पुरखन क पापन क कारण इ सबइ कछू भएस ह। 17 “अब, हे यहोवा, तू मोर पराथना सुनि ल्या। मइँ तोहार दास हउँ। मदद बरे मोर बिनती सुन ल्या। आपन पवित्तर ठउर बरे तू अच्छी बातन करा। उ भवन नस्ट कइ दीन्ह गवा रहा। किन्तु हे यहोवा, तू खुद आपन भले बरे इ भली बातन क करा। 18 हे मोर परमेस्सर, हम लोगन क सुना। जरा आपन आँखिन खोला अउर हमरे संग जउन खौफनाक बातन घटी अहइँ, ओनका लखा। उ नगर जउन तोहरे नाउँ स गोहरावा जात रहा, लखा ओकरे संग का होइ गवा ह। मइँ इ नाहीं कहत हउँ कि हम अच्छे लोग अही। मइँ पराथना करत हउँ काहेकि मइँ जानत हउँ कि तू बहोत दयालु अहा। 19 “हे सुआमी मोर सुना, हे यहोवा, हमका छिमा करा। हे सुआमी, हम पइ धियान द्या, अउर फुन कछू करा। अब अउर प्रतीच्छा जिन करा। इहइ समइ कछू करा। ओका तू खुद अपने भले बरे करा। हे सुआमी, अब तउ आपन नगर अउर आपन ओन लोगन क बरे, जउन तोहरे नाउँ स गोहरावा जात हीं कछू करा।” 20 मइँ परमेस्सर स पराथना करत भए इ सबइ बातन कहत रहेउँ। मइँ इस्राएल क लोगन क अउर आपन पापन क बारे मँ बतावत रहेउँ। मइँ यहोवा हमार परमेस्सर क पवित्तर पर्वत पइ पराथना करत रहेउँ। 21 मइँ अबहिं पराथना करत ही रहेउँ कि जिब्राएल मोरे लगे आवा। जिब्राएल उहइ सरगदूत रहा जेका मइँ दर्सन मँ लखे रहेउँ। जिब्राएल हाली स मोरे लगे आवा। उ साँझ क बलि क समइ आवा रहा। 22 मइँ जउन बातन क समुझइ चाहत रहा, ओन बातन क समुझइ मँ जिब्राएल मोर मदद किहेस। जिब्राएल कहेस, “हे दानिय्येल, मइँ तोहका बुद्धि प्रदान करइ अउ समुझइ मँ तोर सहायता क आवा हउँ। 23 जब तू पहिले पराथना आरंभ किहे रही, आदेस देइ दीन्ह गवा रहा अउ लखा मइँ तोहका बतावइ आइ गवा हउँ। परमेस्सर तोहका बहोत पिरेम करत ह। इ आदेस तहोरी समुझ मँ आइ जाइ अउर तू उ दर्सन क अरथ जान लेब्या। 24 “हे दानिय्येल, परमेस्सर तोहार प्रजा अउ तोहार पवित्तर नगरी बरे सत्तर हफ्तन क समइ निहचित किहेस ह। सत्तर हफ्तन क समइ एह बरे निहचित कीन्ह गवा ह ताकि बुरे करम खत्म कइ दीन्ह जाइँ, अउर पाप करब बन्द कइ दीन्ह जाइ, पापन बरे प्रायस्चित कीन्ह जाइ, हमेसा बरे निआव स्थापित कीन्ह जाइ। सब लोगन क सुद्ध कीन्ह जाइ, सदा-सदा बनी रहइवाली नेकी क लिआवा जाइ, दर्सन अउ नबियन पइ मोहर लगाइ दीन्ह जाइ, अउर पवित्तर ठउरे क समपिर्त कीन्ह जाइ। 25 “दानिय्येल, तू एन बातन क समुझ ल्या। एन बातन क गियान रखा। जब वापस आवइ अउ यरूसलेम क पुन:निर्माण करइ क आदेस दीन्ह गवा रहा क समइ स लइके अभिसिक्त कीन्ह गवा क आवइ क समइ तलक सात हफ्ता लगिहीं। सर्वजिनिक बाजार क निर्माण अउ नगर क रच्छा करइ बरे नगर क चारिहुँ कइँती खाई खोदइ क संग नगर क बासठ हफ्तन मँ निमार्ण कीन्ह जाइहीं। बासठ हफ्ता तलक यरूसलेम क बसावा जाइ। 26 बासठ हफ्ता पाछे उ अभिसिक्त मनई क हत्तिया कइ दीन्ह जाइ। उ अउर नाहीं रहब्या। फुन होइवाले नेता क लोग नगर क अउर उ पवित्तर ठउरे क तहस-नहस कइ देइहीं। उ अंत अइसे आइ जइसे बाड़ आवत ह। अंत तलक जुद्ध होत रही। उ ठउरे क पूरी तरह तहस-नहस कइ देइ क परमेस्सर आदेस दइ चुका ह। 27 “एकरे पाछे उ भावी सासक बहोत स लोगन क संग एक करार करी। उ करार एक हफ्ता तलक चली। भेंटन अउ बलियन आधे हफ्ता क पाछे रुकी रहिहीं अउर फुन एक विनासकर्ता आई। उ बहोत सारा घृणित काम करिहीं। किन्तु ओनकर पूरा करइ स पहिले, जउन आदेस दीन्ह गवा ह उ विध्वंस करइवालन क खिलाफ कीन्ह जाइहीं।”
10:1 वुसू फारस क राजा रहा। वुसू क सासनकाल क तीसरे बरिस दानिय्येल क एन बातन क दैवी संदेस मिला। (दानिय्येल क ही दूसर नाउँ बेलतसस्सर रहा) इ सबइ बातन फुरइ रहेन किन्तु समुझइ बरे बहोत कठिन रहेन। किन्तु दानिय्येल ओन क समुझ गवा। उ सबइ बातन एक दर्सन मँ ओका समुझाई गई रहिन। 2 दानिय्येल क कहब अहइ, “उ समइ, मइँ दानिय्येल, तीन हफ्तन तलक बहोत दुःखी रहा। 3 ओन तीन हफ्तन क दौरान, मइँ कउनो भी उत्तम खाना नहीं खाएउँ। मइँ दाखरस नाहीं पिएउँ। कउनो भी तरह क तेल मइँ आपन मुँड़े पइ नाहीं डाएउँ। तीन हफ्ता तलक मइँ अइसा कछू भी नाहीं किहेउँ। 4 “बरिस क पहिले महीने क चउबीसवें दिन मइँ हिद्देकेल महानदी क किनारे खड़ा रहेउँ। 5 हुवाँ खड़े-खड़े जब मइँ ऊपर कइँती लखेउँ तउ हुँवा मइँ एक मनई क आपन समन्वा खड़ा पाएउँ। उ सन क कपड़ा भवा रहा। ओकर करिहाउँ मँ निखालिस सोना क बनी भइ कमर बंर रही। 6 ओकर बदन चमचमात पाथर क जइसे रही। ओकर मुँह बिजुरी क समान उज्जर रहा। ओकर बाँहन अउर ओकर गोड़ चमकदार पीतर स झिलमिलात रहेन। ओकर अवाज एतनी ऊँच रही जइसे लोगन क भीड़ क अवाज होत ह। 7 “इ दर्सन बस मोका, दानिय्येल क भवा। जउन लोग मोरे संग रहेन,उ सबइ जदपि उ दर्सन क नाहीं लखि पाएन किन्तु उ सबइ फुन डर गए रहेन। उ पचे एतना डर गएन कि पराइके कहूँ जाइ छिपेन। 8 तउ मइँ अकेल्ला छूटि गएउँ। मइँ उ दर्सन क लखत रहेउँ अउर उ दृस्य मोका भयभीत कइ डाए रहा। मोर सक्ति जात रही। मोर मुहँ अइसे पिअर पड़ गवा जइसे माना उ कउनो मरे भए मनई क मुँह होइ। मइँ बेवस रहा। 9 फुन दर्सन क उ मनई क मइँ बात करत सुनेउँ। मइँ ओकर अवाज क सुनत ही रहेउँ कि मोका गहिर नींद घेरि लिहस। मइँ धरती पइ औधें मुँह पड़ा रहेउँ। 10 “फिन एक हाथ मोका छुइ लिहस। अइसा होइ पइ मइँ आपन हाथन अउ आपन घुटनन क बल खड़ा होइ गवा। मइँ डर क मारे थर थर काँपत रहेउँ। 11 दर्सन क उ मनई मोहसे कहेस, ‘दानिय्येल, तू परमेस्सर क बहोत पियारा अहा। जउन सब्द मइँ तोहसे कहउँ ओह पइ तू सावधानी से पियार करा। खड़ा ह्वा। मोका तोहरे लगे पठवा गवा ह। जब उ अइसा कहेस तउ मइँ खड़ा होइ गवा। मइँ अबहुँ भी थर-थर काँपत रहेउँ काहेकि मइँ डेरान भवा रहा। 12 एकरे बाद दर्सन क उ मनई फुन बोलन सुरू किहेस। उ कहेस, ‘दानिय्येल, जिन डेराअ। पहिले ही दिन स तू इ निहचइ कइ लिहे रह्या कि तू परमेस्सर क समन्वा विवेक पूर्ण अउर विनम्र रहब्या। परमेस्सर तोहार पराथनन क सुनत रहत ह। तू पराथना करत रहा ह, मइँ एह बरे तोहरे लगे आवा हउँ। 13 “किन्तु फारस क जुवराज (सरगदूत) इक्कीस दिन तलक मोर संग लड़त रहा अउर मोका तंग करत रहा। एकरे बाद मिकाएल जउन एक बहोतइ महत्व पूर्ण जुवराज रहा। मोर मदद बरे मोरे लगे आवा काहेकि मइँ हुवाँ फारस क राजा क संग अरइ भवा रहा।’ 14 “हे दानिय्येल, अब मइँ तोहरे लगे तोहका उ बतावइ क आवा हउँ जउन भविस्स मँ तोहरे लोगन क संग घटइवाला अहइ। कहा सपना आवइवाले भविस्स क बारे मँ अहइ।’ 15 “अबहिं उ मनई मोहसे बात ही करत रहा कि मइँ धरती क तरफ़ खाले मुँह निहुराइ लिहेउँ। मइँ बोल ही नाहीं पावत रहा। 16 फुन कउनो जउन मनई क जइसा देखाइ देत रहा, मोरे होठन क छुएस। मइँ आपन मुहँ खोलेउँ, अउ बोलब सुरू किहेउँ। मोरे समन्वा जउन खड़ा रहा, ओहसे मइँ कहेउँ, महोदय, मइँ दर्सन मँ जउन लखे रहेउँ, मइँ ओहसे बियावुल अउ भयभीत अहउँ। महँ अपने क बेसहारा समुझत हउँ। 17 मइँ तोहार दास हउँ। मइँ तोहसे कइसे बात कर सकत हउँ? मोर सक्ति जात रहत ह। मोहसे तउ साँस भी नाहीं लीन्ह जात ह।” 18 “मनई जइसे देखात भए उ मोका फुन छुएस। ओकरे छुअत स मइँ मज़बूत बनि गवा। 19 फुन उ बोला, ‘दानिय्येल, डेराअ जिन। परमेस्सर तोहसे बहोत पिरेम करत ह। तोहका सान्ति प्राप्त होइ। अब तू सुदृढ़ होइ जा। सुदृढ़ होइ जा।’“उ मोहसे जब बात किहेस तउ मइँ अउर जियादा सक्तिसाली होइ गवा। फुन मइँ ओहसे कहेउँ, ‘सुआमी! आप तउ मोका सक्ति दइ दिहा ह। अब आप बोल सकत हीं।’ 20 “तउ उ फुन कहेस, ‘दानिय्येल’ का तू जानत अहा, मइँ तोहरे पास काहे आवा हउँ? फारस क जुवराज स जुद्ध करइ क बरे मोका फुन वापस जाब अहइ। मोरे चले जाइ क बाद युनान क जुवराज हिआँ आइ। 21 किन्तु दानिय्येल आपन जाइ स पहिले तोहका सब स पहिले मोका इ बताउब अहइ कि सच क पुस्तक मँ का लिखा अहइ। ओन बुरे राजवुमारन क विरोध मँ मीकाएल सरगदूत क अलावा मोरे संग कउनो नाहीं खड़ा होत। मीकाएल उ राजवुमार अहइ जउन तोहरे लोगने पइ हुवूमत करत ह।”
11:1 मादी राजा दारा क सासनकाल के पहिले बरिस मीकाएल क फारस क जुवराज क विरुद्ध जुद्ध मँ सहारा देइ अउर ओका ससक्त बनावइ क मइँ उठ खड़ा भवा। 2 “‘अब लखा, दानिय्येल मइँ, तोहसे सच्ची बात बतावत हउँ। फारस मँ तीन राजा लोगन क सासन अउर होइ। इ एकरे पाछे एक चउथा राज्ज आइ। इ चउथा राज्ज अपने पहिले क फारस क दूसर राजा लोगन स कहूँ जियादा धनवान होइ। उ चउथा राजा सक्ति पावइ बरे आपन धन क प्रयोग करी। उ हर कउनो क युनान क विरोध मँ कइ देइ। 3 एकर पाछे एक बहोत जियादा सक्तिसाली राजा आइ, उ बड़की सक्ति क संग सासन करी। उ जउन चाही उहइ करी। 4 राजा क अवाई क पाछे ओकर राज्ज क टूका-टूका होइ जइहीं। ओकर राज्ज चारिहुँ कइँती तितर बितर होइ जाइ। ओकर राज्ज ओकर पूत पोतन क बीच नाहीं बँटी। जउन सक्ति ओहमा रही, उहइ सक्ति ओकरे राज्ज मँ नाहीं होइ। अइसा काहे होइ? अइसा एह बरे होइ कि ओकर राज्ज उखाड़ दीन्ह जाइ अउर ओका दूसर लोगन क दइ दीन्ह जाइ। 5 “‘दविखन क राजा सक्तिसाली होइ जाइ। किन्तु एकरे पाछे ओकर एक सेनापति ओह स भी जियादा सक्तिसाली होइ जाइ। उ सेना नायक हुवूमत करइ लागी अउर बहोत बलसाली जोइ जाइ। 6 “‘फुन कछू बरिसन बाद एक समझोता होइ अउर दविखनी राजा क बिटिया उत्तरी राजा स बियाही जाइ। उ सान्ति कायम करइ बरे अइसा करी। किन्तु उ अउर दविखनी राजा पर्याप्त सक्तिसाली नाहीं होइहीं। फुन लोग ओकरे अउर उ मनई क जउन ओका उ देस मँ लाए रहा, खिलाफ होइ जइहीं अउर उ सबइ लोग ओकरे बच्चे क अउर उ मेहरारू क हिमाइती मनई क भी खिलाफ होइ जइहीं। 7 कन्तु उ मेहरारू क परिवार क एक मनई दविखनी राजा क ठउर क लेइ बरे आई। उ उत्तर क राजा क फउजन पइ हमला करी। उ राजा क सुदृढ़ किले मँ प्रवेस करी। उ जुद्ध करी अउर विजयी होइ। 8 उ ओनके देवतन क मूरतियन क लइ लेइ। उ ओनक धातु क बने मूरतियन अउर ओनकर चाँदी-सोने क बहुमूल्य वस्तुअन क हुवाँ स मिस्र लइ जाइ। फुन कछू बरिसन तलक उ उत्तर क राजा क तंग नाहीं करी। 9 उत्तर क राजा दविखन क राज्ज पइ हमला करी। किन्तु पराजित होइ अउर फुन अपने देस क लउटि जाइ। 10 “‘उत्तर क राजा क पूतन जुद्ध क तइयारी करिहीं। उ पचे एक बिसाल फउज जुटइहीं। उ सेना एक सक्तिसाली बाड़ क तरह बड़ी तेजी स धरती पइ अगवा बड़त चली जाइ। उ सेना दविखन क राजा क सुदृढ़ दुर्ग तलक सारे रास्ते जुध्द करत जाइ। 11 फिन दविखन क राजा क्रोध स तिलमिलाइ उठी। उत्तर क राजा स जुद्ध करइ बरे उ बाहेर निकरि आइ। उत्तर क राजा जदपि एक बहोत बड़ी सेना जुटाइ किन्तु जुद्ध मँ हार जाइ। 12 “उत्तर क सेना पराजित होइ जाइ, अउर ओन फउजियन क कहूँ लइ जावा जाइ। दविखनी राजा क बहोत अभिमान होइ जाइ अउर उ उत्तरी सेना क हजारन-हजार फउजियन क मउत क घाट उतारि देइ। किन्तु उ जुद्ध करइ बरे लगातार नाहीं रहिहीं। 13 उत्तर क राजा एक अउर सेना जुटाइ। इ सेना पहिली सेना स जियादा बड़ी होइ। कई बरिसन पाछे उ हमला करी। उ सेना बहोत बिसाल होइ अउर ओकरे लगे बहोत स हयियार होइहीं। 14 “‘ओन दिनन बहोत स लोग दविखन क राजा क विरोध मँ होइ जाइहीं। कछू तोहार आपन लोग, जेनका जुद्ध प्रिय अहइ, दविखन क राजा क खिलाफ बगावत करिहीं। उ पचे जितिहीं तउ नाहीं किन्तु अइसा करत भए उ दर्सन क फुरइ सिध्द करिहीं। 15 फुन ओकरे बाद उत्तर क राजा आई अउर उ नगर क परकोटे पइ ढलवाँ चउतरा बनाइके उ सुदृढ़ नगर पइ कब्जा करी। दविखन क राजा क सेना जुद्ध क उत्तर नाहीं दइ पाई। हिआँ तलक कि दविखनी सेना क सवोर्त्तम सैनिक भी एतने सक्तिसाली नाहीं होइहीं कि उ पचे उत्तर क सेना क रोक पावइँ। 16 “‘उत्तर क राजा जइसा चाही, वइसा करी। ओका कउनो भी रोक नाहीं पाई। उ इ सुन्नर धरती पइ नियन्त्रन कइके सक्ति पाइ लेइ। ओका इ प्रदेस नस्ट करइ क सक्ति पाइ लेइ। 17 फुन उत्तर क राजा दविखन क राजा स जुद्ध करइ बरे आपन सारी सक्ति का उपयोग करइ क निहचइ करी। उ दविखन क राजा संग एक सन्धि करी। उत्तर क राजा दविखन राजा स आपन एक बिटिया क बियाह कइ देइ। उत्तर क राजा अइसा एह बरे करी कि उ दविखन क राजा क हराइ सकइ। किन्तु ओकर उ सबइ योजना फली भूत नाहीं होइहीं। एन सबइ योजना स ओका कउनो मदद नाहीं मिली। 18 “‘एकरे आगे उत्तर क राजा भूमध्य-सागर क तट स लगत भए देसन पइ आपन धियान लगाई। उ ओन देसा मँ स बहोत स देसन क जीत लेइ। किन्तु फुन एक सेनापति उत्तर क राजा क उ अहंकार अउर उ बगावत क अंत कइ देइ। उ सेनापति उ उत्तर क राजा क लज्जित करी। 19 “‘अइसा घटइ क पाछे उत्तर क उ राजा खुद आपन देस क सुदृढ़ किलन कइँती लउटि जाइ। किन्तु उ दुर्बल होइ चुका होइ अउर ओकर पतन होइ जाइ। फुन ओकर पता भी नाहीं चली। 20 उत्तर क उ राजा क पाछे एक नवा सासक आइ। उ सासक कउनो कर वसूलइ वालन क पठइ। उ सासक अइसा एह बरे करी कि उ सम्पन्नता क संग जिन्नगी बितावइ बरे पर्याप्त धन जुटाइ सकइ। किन्तु थोड़े ही बरिसा मँ उ सासक क अंत होइ जाइ। किन्तु उ जुद्ध मँ नाहीं मारा जाइ। 21 “‘उ सासक क पाछे एक बहोत वूर एवं घृणा जोग्ग मनई आइ। उ मनई क राज परिवार क बंसज होइ क गौरव प्राप्त नाहीं होइ। उ चालाकी स राजा बनी। जब लोग अपने क सुरच्छित समुझे हुए होइहीं, उ तबहिं राज्ज पइ आक्रमण करी अउर ओह पइ कब्जा कइ लेइ। 22 उ बिसाल सक्तिसाली फउजन क हराई देइ। उ समुझौते क मुखिया क संग सन्धि करइ पइ भी ओका पराजित करइ। 23 बहोत स रास्ट्र उ वूर एवं घिना जोग्ग राजा क संग सन्धि करिहीं किन्तु उ ओनसे मिथ्या स भरी चालाकी बरती। उ मज़बूत होइ जाई किन्तु बहोत थोड़े स लोग ही ओकर पच्छ मँ होइहीं। 24 “‘जब उ प्रदेस क सर्वाधिक धनी छेत्र आपन क सुरच्छित अनुभव करत रहे होइहीं; उ वूर एवं घिना स भरे सासक ओन पइ हमला कइ देइ। उ ठीक समइ पइ हमला करी अउर हुवाँ सफलता प्राप्त करी जहाँ ओकरे पुरखन क सफलता नाहीं मिली रही। उ जउन देसन क पराजित करी ओनकर सम्पत्ति छोरिके आपन पिछलगुअन क देइ। उ सुदृढ़ नगरन क पराजित करइ क सबइ योजना रची। उ कामयाबी तउ पाई किन्तु बहोत थोड़े स समइ बरे। 25 “‘उ वूर एवं घिना जोग्ग राजा क लगे एक बिसाल फउज होइ। उ उ फउज क उपयोग आपन सक्ति अउर आपन साहस क प्रदर्सन बरे करी अउर एहसे उ दविखन क राजा पइ हमला करी। तउ दविखन क राजा भी एक बहोत बड़की अउर सक्तिसाली फउज जुटाइ अउर जुद्ध बरे वूच करी। 26 किन्तु उ सबइ लोग जउन दविखन क राजा क मीत समुझा जात रहेन छुपे-छुपे सबइ योजना रचिहीं अउर ओका पराजित करइ क जतन करिहीं। ओकर फउज पराजित कइ दीन्ह जाइ। जुद्ध मँ ओकर बहोत स फउजी मारा जइहीं। 27 ओन दुइनउँ राजा लोगन क मन इहइ बात मँ लगी कि एक दूसर क नोस्कान पहोंचावा जाइ। उ पचे एक ही मेज पइ बइठिके एक दूसर स झूठ बोलिहीं किन्तु ओहसे ओन दुइनउँ मँ स कउनो क भला नाहीं होइ, काहेकि परमेस्सर ओनकर अंत आवइ क समइ निर्धारित कइ दिहेस ह। 28 “‘बहोत स धन दौलत क संग, उ उत्तर क राजा अपने देस लउटि जाइ। फिन उ पवित्तर वाचा क बरे उ बुरे करम करइ क निर्णय लेइ। उ आपन जोग्गता क अनुसार काम करी अउ फुन आपन देस लउटि जाइ। 29 “‘फुन उत्तर क राजा ठीक समइ पइ दविखन क राजा पर हमला कइ देइ। किन्तु इ बार उ पहिले क तरह कामयाब नाहीं होइ। 30 पच्छिम क जहाज अइहीं अउर उत्तर क राजा क विरुद्ध जुद्ध करिहीं। उ ओन जहाजन क आवत लखिने डर जाइ। फुन वापस लउटिके पवित्तर वाचा पइ आपन किरोध उतारी। उ लउटिके, जउन लोग पवित्तर वाचा पइ चलब छोड़ दिहे रहा, ओनकर मदद करी। 31 फुन उत्तर क राजा यरूसलेम क मन्दिर क असुद्ध करइ बरे आपन फउज पठइ। उ सबइ लोगन क दैनिक बलि समपिर्त करइ स रोकिहीं। एकरे पाछे उ सबइ हुवाँ कछू अइसा भयानक घिनौनी वस्तु स्थापित करिहीं जउन फुरइ विनास करइवाला होइ। उ पचे अइसा खौफनाक काम करिहीं जउन विनास क जनम देत ह। 32 “‘उ उत्तरी राजा लबार अउ चिकनी चपड़ी बातन स ओन यहूदियन क छली जउन पवित्तर वाचा क पालन करब तजि चुका अहइँ। उ पचे यहूदी अउर बुरे पाप करइ लगिहीं किन्तु उ सबइ यहूदी, जउन परमेस्सर क जानत हीं, अउर ओकर अनुसरण करत हीं, अउर जियादा सुदृढ़ होइ जइहीं। उ सबइ पलटिके जुद्ध करिहीं। 33 “‘उ सबइ यहूदी जउन विवेकपूर्ण अहइँ जउन कछू घट रहा होइ, दूसर यहूदियन क ओका समुझइ मँ मदद देइहीं। किन्तु जउन विवेकपूर्ण होइहीं ओनका तउ मृत्यु दण्ड तलक झेलइ होइ। कछू समइ तलक ओनमाँ स कछू यहूदियन क तरवार क घाट उतारा जाइ अउर कछू आगी मँ झोकं दीन्ह जाइ। अथवा बन्दी गृहन मँ डाइ दीन्ह जाइ। ओनमाँ स कछू यहूदियन क घर बार अउर धन दौलत छोर लीन्ह जइहीं। 34 जब उ पचे यहूदी दण्ड भोग रहे होइहीं तउ ओन विवेकपुर्ण यहूदियन साथ देइहीं, बहोत स केवल देखावा क होइहों। 35 कछू विवेकपूर्ण यहूदी मार दीन्ह जइहीं। अइसा एह बरे होइ कि उ पचे अउर जियादा सुदृढ़ बनइँ, स्वच्छ बनइँ अउ अंत समइ क आवइ तलक निदोर्स रहइँ। फुन ठीक समइ पइ अंत होइ क समइ आइ जाइ।’“ 36 “‘उत्तर क राजा जउन चाही, सो करी। उ आपन बारे मँ डींग हाँकी। उ आत्म प्रसंसा करी अउ सोची कि उ कउनो देवता स भी अच्छा अहइ। उ अइसी बातन करी जउन कउनो कबहुँ सुनी तलक न होइहीं। उ देवतन क परमेस्सर क विरोध मँ अइसी बातन करी। उ उ समइ तलक कामयाब होत चला जाइ जब तलक उ पचे सबहिं बुरी बातन घट नाहीं जातिन। किन्तु परमेस्सर जउन योजना रची ह, उ तउ पूरी होइ ही। 37 “‘उत्तर क उ राजा ओन देवतन क उपेच्छा करी जेनका ओकर पुरखन पूजा करत रहेन। ओन देवतन क मूरतियन क उ परवाह नाहीं करी जेनकर पूजा मेहररूअन करत हीं। उ कउनो भी देवता क परवाह नाहीं करी बल्कि उ खुद आपन तारीफ करत रही अउर अपने आप क कउनो भी देवता स बड़का मानी। 38 अपने पुरखन क देवता क अपेच्छा किले क देवता क पूजा करी उ सोना, चाँदी, बहुमूल्य हीरे जवाहरात अउर दूसर उपहारन स एक अइसे देवता क पूजा करी जेका ओकर पुरखन जानत तलक नाहीं रहेन। 39 “‘इ विदिसी देवता क मदद स उ उत्तर क राजा सुदृढ़ गढ़ियन पइ हमला करी। उ ओन लोगन क सम्मान देइ जेनका उ बहोतइ पसन्द करी। उ बहोत स लोगन क ओनके अधीन कइ देइ। अउर उ ओनका भुइँया बाँट देइहीं जउन ओका एकर बरे पैसा भुगतान करिहीं बरे ओनसे भुगतान लिया करी। 40 “‘अंत आवइ क समइ उत्तर क राजा, उ दविखन क राजा क संग जुद्ध करी। उत्तर क राजा ओह पइ हमला करी। उ रथन, घुड़सवारन अउर बहोत स बिसाल जलयानन क लइके ओह पइ चड़ाई करी। उत्तर क राजा बाड़ क नाईं वेग स उ धरती पइ चढ़ आई। 41 उत्तर क राजा ‘सुन्नर धरती’ पइ हमला करी। उत्तरी राजा क जरिये बहोत स देस पराजित होइहीं किन्तु एदोम, मोआब अउ अम्मोनियन क मुखिया लोगन क ओहसे बचा लीन्ह जाइहीं। 42 उत्तर क राजा बहोत स देसन मँ आपन सक्ति देखाइ। मिस्र क भी ओकर सक्ति क पता चल जाइ। 43 उ मिस्र क सोने चाँदी क खजानन अउ ओकर समूची सम्पत्ति क छोरि लेइ। लूबी अउर वूसी लोग भी ओकरे अधीन होइ जइहीं। 44 किन्तु उत्तर क उ राजा क पूरब अउ उत्तर स एक समाचार मिली जेहसे उ भयभीत होइ उठी अउर ओका किरोध आइ। उ बहोत स देसन क तबाह कइ देइ क बरे उठी। 45 उ आपन राजकीय तम्बू समुद्र अउ सुन्नर पवित्तर पर्वत क बीच लगवइ। किन्तु आखिरकार उ बुरा राजा मरि जाइ। जब ओकर अंत आइ तउ ओका सहारा देइवाला हुवाँ कउनो नाहीं होइ।’“
12:1 “दर्सनवाला मनई कहेस, ‘हे दानिय्येल, तउ उ समइ मीकाएल नाउँ क सरगदूत तोहार लोगन क रच्छा करइ बरे उठ खड़ा होइ। फुन एक बिपत्तिपूर्ण समइ आइ। उ समइ सबन त भयानक होइ, जेतना भयानक उ धरती पइ, जब स कउनो जाति अस्तित्व मँ आई बाटइ, कबहुँ नाहीं आइ होइ। किन्तु हे दानिय्येल, उ समइ तोहरे लोगन मँ स हर उ मनई जेकर नाउँ, पुस्तक मँ लिखा मिली, बच जाइ। 2 धरती क उ सबइ अनगिनत लोग जउन मरि चुका अहइँ अउर जेनका दफनावा जाइ चुका अहइ, उठ खड़ा होइहीं अउर ओनमाँ स कछू अनन्त जीवन जिअइ बरे उठि जइहीं। किन्तु कछू एह बरे जागिहीं कि ओनका कबहुँ नाहीं समाप्त होइवाली लज्जा अउर घिना प्राप्त होइ। 3 अकासे क भव्यता क नाईर् बुध्दिमान पुरुस चमक उठिहीं। अइसे बुध्दिमान पुरुस जउन दूसरन क अच्छी जिन्नगी क राह देखाए रहेन, अनन्त काल बरे तारन क समान चमकइ लगिहीं। 4 “‘किन्तु हे दानिय्येल! इ सन्देस क तू छिपाइके रख द्या। तोहका इ पुस्तक बन्द कइ देइ चाही। तोहका अंत समइ तलक इ रहस्स क छुपाइके रखब अहइ। सच्चा गियान पावइ बरे बहोत स लोग एहर-ओहर दउड़ करिहीं अउर इ तरह सच्चे गियान क विकास होइ।’ 5 “फुन मइँ, दानिय्येल निगाह उठाएउँ अउर दुइ अलग-अलग मनइयन क लखेउँ। ओनमाँ स एक मनई नदी क हरेक किनारे खड़ा भवा रहा। 6 उ मनई जउन सन क ओढ़ना पहिर रखे रहा, नदी मँ पानी क बहाव क विरुद्ध खड़ा रहा। ओन दुइनउँ मँ स कउनो एक ओहसे पूछेस, ‘एन अचरजे स पूर्ण बातन क खतम होइ मँ अबहुँ केतना समइ लागी?’ 7 “उ मनई जउन सन क ओढ़ना धारण किहे भवा रहा अउर जउन नदी क जल क बहाव क विरुद्ध खड़ा भवा रहा, उ आपन दाहिन अउ बायाँ-दुइनउँ हाथ अकासे कइँती उठाएस। मइँ उ मनई क अमर परमेस्सर क नाउँ क प्रयोग कइके एक किरिया बोलत भए सुना। उ कहेस, इ साढ़े तीन बरिस तलक घटी। पवित्तर जन क सक्ति टूट जाइ अउर पुुन इ सबइ बातन अंतिम रूप स खतम होइ जइहीं।’ 8 “मइँ इ उत्तर सुनेउँ तउ रहा किन्तु वास्तव मँ मइँ ओका समुझेउ नाहीं। तउ मइँ पूछेउँ, ‘हे महोदय, एन सबहिं बातन क फुरइ निकरइ क पाछे का होइ?’ 9 “उ उत्तर दिहस, ‘दानिय्येल, तू आपन जिन्नगी जिअइ जा। इ सँदेसा गुप्त अहइ अउर जब तलक अंत समइ नाहीं आइ, इ गुप्त ही बना रही। 10 बहोत स लोगन क सुद्ध कीन्ह जाइ। उ लोग खुद अपने आप क स्वच्छ करिहीं किन्तु दुस्ठ लोग, दुस्ठ ही बना रहिहीं उ सबइ दुस्मन लोग एका नाहीं समुझिहीं। किन्तु बुद्धिमान लोग एका समुझिहीं। 11 “‘उ दिना स लइके बलि रोक दीन्ह जाब्या एक हजार दुइ सौ नब्बे दिन होइ जाब्या जब तलक खउफनाक चीज़ जउन तबाह करत अहइ स्थापित कीन्ह जाब्या। 12 उ मनई जउन प्रतीच्छा करत भए एन एक हजार तीन सौ पौंतीस दिनन क समइ क अंत तलक पहोंची, उ बहोत अधिक भाग्गसाली होइ। 13 “‘हे दानिय्येल! जहाँ तलक तोहार बात अहइ, जा अउर अंत समइ तलक आपन जिन्नगी जिआ। तोहका तोहार बिस्राम प्राप्त होइ अउर अंत मँ तू आपन हींसा पावइ बरे मौत स फुन उठ खड़ा होब्या।’“