Ecclesiastes

1:1 इ सबइ दाऊद क पूत अउर यरूसलेम क राजा, उपदेसक क सब्द अहइँ। 2 उपदेसक क कहब अहइ कि हर चीज बेमतलब क अहइ अउर अकारथ अहइ। मतलब इ कि हर बात बियर्थ अहइ। 3 इ जिन्नगी मँ लोग जउन कड़ी मेहनत करत हीं, ओहसे ओनका फुरइ का कउनो लाभ होत ह नाहीं। 4 एक पीढ़ी आवत ह अउर दूसर चली जात ह मुला संसार हमेसा अइसहिन बना रहत ह। 5 सूरज उगत ह अउर फुन ढल जात ह अउर फुन सूरज हाली ही उहइ ठहर स उदय होइके जल्दी करत ह। 6 हवा दविखन दिसा कइँती बहत ह अउर हवा उत्तर कइँती बहइ लागत ह। हवा एक चत्र मँ घूमत रहत ह अउर फुन हवा जहाँ स चली रही वापस हुवँइ बहइ लागत ह। 7 सबहिं नदियन एक हीं जगह कइँती बार बार बहा करत ही। उ सबइ समुद्दर स आइके मिलत हीं, किन्तु फुन भी समुद्दर कबहुँ नाहीं भरत। 8 सबइ सब्दन कस्ट दायक अहइ; लोग ओहका पूरा-पूरा वर्णन नाहीं कइ सकतेन। हमेसा बोलत ही रहत हीं। सब्द हमरे काने मँ बार बार पड़त हीं मुला ओनसे हमार कान कबहुँ भी भरतेन नाहीं ह। हमार आँखिन भी, जउन कछू उ सबइ लखत हीं, ओहसे कबहुँ नाहीं अघातिन। 9 सुरू स वस्तुअन जइसी रहिन वइसी ही बनी भई अहइँ। सब कछू वइसे ही होत रही, जइसे सदा स होत आवत अहइ। इ संसार मँ कछू भी नवा नाहीं अहइ। 10 कउनो मनई कहि सकत ह, “लखा, इ बात नई अहइ।” मुला उ बात तउ हमेसा स होत रही। उ तउ हमसे भी पहिले स होत रही। 11 उ सबइ बातन जउन पहिले घट चुकी अहइँ, ओनका लोग याद नाहीं करतेन अउर आगे भी लोग ओन बातन क याद नाहीं करिहीं जउन अब घटत अहइँ ओकरे बाद भी दूसर लोग ओन बातन क याद नाहीं रखिहीं जेनका ओनके पहिले क लोगन किहे रहेन। 12 मइँ उपदेसक, यरूलेम मँ इस्राएल क राजा भवा। 13 निहचय किहेउँ कि इ जिन्नगी मँ जउन कछू होत ह ओका बुद्धि क जरिए ढूँढउँ अउर जाँच पड़ताल करेउँ। इ एक दुःखद तरीका परमेस्सर मानव जाति क दिहेस ह ताकि उ नम्र होइ सकीं। 14 इ पृथ्वी पइ सबहिं वस्तुअन पइ मइँ निगाह डाएउँ अउर लखेउँ कि इ सब कछू बियर्थ अहइ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरब। 15 तू ओन बातन क बदल नाहीं सकत्या। जदि कउनो बात टेंढ़ अहइ तउ तू ओका सोझ नाहीं कइ सकत्या अउर अगर कउनो वस्तु क लेइ चाहत तउ तू ओका नाहीं गिन सकत। 16 मइँ अपने आप स कहेउँ, “मइँ बहोत बुद्धिमान अहउँ। मोहसे पहिले यरूसलेम मँ जउन राजा लोग राज्ज किहेन ह, मइँ ओन सब स जियादा बुद्धिमान अहउँ। मइँ जानत हउँ कि असल मँ बुद्धि अउ गियान का अहइ।” 17 मइँ इ जानइ क निहचय किहेउँ कि मूर्खता स भरे चिन्तन स विवेक अउर गियान कउने तरह स स्रेस्ठ बाटइ। मुला मोका मालूम भवा कि विवेकी बनइ क प्रयास वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन। 18 काहेकि जियादा गियान क संग हतासा भी उपजत ह। उ मनई जउन जियादा गियान पाइ जात ह उ जियादा दुःख भी पाइ जात ह।

2:1 मइँ अपने मने मँ कहेउँ, “मोका मनोविनोद करइ चाही। मोका हर वस्तु क जेतना रस मइँ लइ सकउँ।” ओतना लेइ चाहीं।” मुला मइँ जानेउँ कि इ भी बियर्थ अहइ। 2 हर समइ हँसत रहब भी मूर्खता अहइ। आनन्द स का प्राप्त होत ह 3 तउ मइँ निहचय किहेउँ कि मइँ आपन देह क दाखरस स भरि लेउँ जदपि मोर दिमाग मोका अबहिं गियान क राह देखावत रहा। मइँ इ मूर्खता स भरा आचरण किहेउँ, मइँ चाहत रहेउँ कि लोगन क बरे आपन जिन्नगी क थोड़ा स दिनन मँ का करब उत्तिम अहइ, एका हेर लेउँ। 4 फुन, मइँ बड़के बड़के काम करब सुरू किहेउँ। मइँ अपने बरे घर बनवाए। अउर अंगूरे क बाग लगवाएउँ। 5 मइ बगियन लगवाएउँ अउर बाग बनवाएउँ। मइँ सबहिं तरह क फलन क बृच्छ लगवाएउँ। 6 मइँ आपन बरे पानी क तालाब बनवाएउँ अउर फुन एन तालाबन क पानी क मइँ आपन बाढ़त बृच्छन क सींचइ क काम मँ लिआवइ लागेउँ। 7 मइँ दास अउर दासियन खरीदेउँ अउर फुन मोरे घरे मँ पइदा भए दास भी रहेन। मइँ बड़की बड़की वस्तुअन क सुआमी बन गएउँ। मोरे लगे झुंड क झुंड पसु अउर भेड़न क ढेर रहेन। यरूसलेम मँ कउनो भी मनई क लगे जेतनी वस्तुअन रहिन, मोरे लगे ओसे भी जियादा रहिन। 8 मइँ आपन बरे चाँदी सोना भी जमा किहेउँ। मइँ राजा लोगन अउर ओनके देसन स भी खजानन क बटोरेउँ। मोरे लगे बहोत सी रंडियन रहिन। 9 मइँ बहोत धनवान अउर प्रसिद्ध होइ गएउँ। मोहसे पहिले यरूसलेम मँ जउन भी कउनो रहत रहा, मइँ ओहसे जिआदा महान रहा तउ मोर बुद्धि मोर संग रही। 10 मइँ हर उ चीज जेका मइँ चाहत रहा प्राप्त किहेउँ। मउँ जउन कछू करत, मोर मन सदा ओसे खुस रहा करत अउर इ खुसी मोरे कठिन मेहनत क प्रतिफल रही। 11 मुला मइँ जउन कछू किहे रहेउँ जब ओह पइ निगाह डालेउँ अउर आपन कीन्ह गवा कठिन मेहनत क बारे मँ बिचार किहेउँ तउ मोका लाग इ सब अरथहीन अहइ। इ अइसा ही रहा जइसे हवा क धरब। सच-मुच मँ इ जिन्नगी मँ हम लोगन क सारे काम बरे संतोसजनक लाभ नाहीं अहइ। 12 जेतना एक राजा कइ सकत ह, ओहसे जियादा कउनो भी मनई नाहीं कइ सकत। तू जउन भी कछू करइ चाह सकत ह, उ सब कछू कउनो राजा अब तलक कइ भी चुका होइ। मोरी समझ मँ आइ गवा कि एक राजा तलक जउन कामन क करत ह, उ सबइ सब भी बेकार अहइँ। तउ मइँ फुन बुद्धिमान बनइ, बेववूफ बनइ अउर सनकीपन क कामन क करइ क बारे मँ साचेब सुरू किहेउँ। 13 मइँ लखेउँ कि बुद्धि मूर्खता स उहइ प्रकार उत्तिम अहइ जउने तरह अँधियारा स प्रकास उत्तिम होत ह। 14 इ वइसे ही अहइ जइसे: एक बुद्धिमान मनई, उ कहाँ जात अहइ, ओका लखइ क आपन बुद्धि क प्रयोग, आपन आँखिन क तरह करत ह। किन्तु एक मूर्ख मनई उ मनई क समान अहइ जउन अँधियारा मँ चलत अहइ।किन्तु मइँ इ लखेउँ कि मूरख अउर बुद्धिमान दुइनउँ क अंत एक ही तरह स होत ह। दुइनउँ ही आखिर मँ मउत क पावत हीं। 15 अपने मने मँ मइँ सोचेउँ, “कउनो मूरख मनई क संग जउन घटत ह उ मोर संग भी घटी तउ ऍतना बुद्धिमान बनइ बरे एतना कठिन मेहनत मइँ काहे किहेउँ?” आपन खुद स मइँ कहेउँ, “बुद्धिमान बनब भी बेकार अहइ।” 16 बुद्धिमान मनई अउर मूर्ख मनई दुइनउँ ही मरि जइहीं अउर लोग सदा बरे न तउ बुद्धिमान मनई का याद रखिहीं अउर नही कउनो मूरख मनई क। उ पचे जउन कछू किहे रहेन, लोग ओका जल्दी बिसराइ देइहीं। इ सही नाहीं अहइ कि बुद्धिमान मनई मूरख मनई क जइसा मरइ चाहीं। 17 एकरे कारण मोका जिन्नगी स घिना हो गइ। इ विचार स मइँ बहोत दुःखी भएउँ कि इ जिन्नगी मँ जउन कछू बाटइ सब बेकार अहइ। बिल्वुल वइसे ही जइसे हवा क धरइ क कोसिस करब। 18 मइँ जउन कठिन मेहनत किहे रहेउँ, ओहसे घिना करब सुरू कइ दिहेउँ। मइँ लखेउँ कि उ सबइ लोग जउन मोरे पाछे जिअत रइहीं ओन चिजियन क लइ लेइहीं जेनके बरे मइँ कठिन मेहनत किहे रहेउँ। मइँ आपन ओन चिजियन क आपन संग नाहीं लइ गाइ सकब। 19 कउनो दूसर मनई इ संसार म जउन चिजियन बरे मइँ मन लगाइके कठिन मेहनत किहे रहउँ पइ नियंत्रण होइ। मइँ तउ इ भी नाहीं जानत कि उ मनई बुद्धिमान होइ या मूरख। पर इ सब भी तउ अर्थहीन ही अहइ। 20 एह बरे मइँ जउन भी कठिन परिस्रम किहे रहेउँ, उ सबइ क बारे मँ मइँ बहोत दुःखी भएउँ। 21 एक मनई आपन बुद्धि, आपन गियान अउर आपन चतुराई क प्रयोग करत भए कठिन मेहनत कइ सकत ह। मुला उ मनई तउ मरि जाइ अउर जिन चिजियन बरे उ मनई कठिन मेहनत किहे रहा, उ सबइ कउनो दूसर मनई क गिल जइहीं। ओन मनइयन ओन चिजियन बरे कउनो काम तउ नाहीं किहे रहा, मुला ओनका सबहिं कछू हाल होइ जाइ। एहसे मोका बहोत दुःख होत ह। इ निआव स पूर्ण तउ नाहीं अहइ। 22 आपन जिन्नगी मँ सारी मेहनत अउर सघंर्स क पाछे आखिर एक मनई क असल मँ का मिलत ह 23 आपन सारी जिन्नगी उ कठिन मेहनत करत रहा मुला पीरा अउर निरासा क अलावा ओकरे हाथे कछू भी नाहीं लगा। राति क समइ भी मनई क मन आराम नाहीं पावत। इ सब भी अर्थहीन अहइ। 24 जिन्नगी क जेतना आनन्द मइँ लिहेउँ ह का कउनो भी अइसा मनई अउर अहइ जउन मोका जियादा जिन्नगी क आनन्द लेइ क जतन किहे होइ? नाहीं। मोका जउन गियान भवा ह उ इ अहइ: कउनो मनई जउन नीक स नीक कइ सकत ह उ अहइ खाब, पिअब अउर उ करम का आनन्द लेब जउन ओका करइ चाही। मइँ इ भी समझेउँ ह कि सब कछू परमेस्सर स मिलन ह। 25 26 जउन मनई क उ चाहत ओका उ बुद्धि अउर ग्यान अउर आनन्द देही। मुला जेका उ कस्ट देइ चाही ओका दुःख देब, उ आर्स्चयजनक वस्तुअन क जमा करब, उ सिरफ ओहका देब जेका परमेस्सर चाहत अहा। उ भी अरथहीन अहइँ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन करब।

3:1 हर बात एक उचित समय होत ह। अउर इ धरती पइ हर बात एक उचित समय पइ ही घटित होइ। 2 जन्म लेइ क एक उचित समय निहचित अहइ, अउर मउत क भी। एक समय होत ह पेड़न क रोपइ क, अउर ओनका काटइ क। 3 मारइ क होत ह एक समय, अउर एक समय होत ह ओकरे उपचार का। एक समय होत ह जब ढहाइ दीन्ह जात, अउर एक समय होत ह करइ क निर्माण। 4 एक समय होत ह रोवइ-विलपइ क, अउर एक समय होत ह करइ क अट्ठहास। एक समय होत ह होइ क दुखे मँ मगन, अउर एक समय होत ह उल्लास भरे नाच क। 5 एक समय होत ह जब पाथर फेंका जात हीं, अउर एक समय होत ह ओनके एकत्र करइ क। केहउँ क गले लागन क एक समय होत ह। अउर गले लगावइ स रुकइ क भी एक समय होत ह। 6 एक समय होत ह खोज क, अउर एक समय होत ह रूकए क। एक समय होत ह वस्तुअन क धरइ क, अउर एक समय होत ह चिजियन क फेंकइ क। 7 होत ह एक समय ओढ़नन क फारइ क, फुन एक समय होत ह जब ओनका सिया जात ह। एक समय होत ह साधइ क चुप्पी, अउर होत ह एक समय फुन बोल उठइ क। 8 एक समय होत ह पिआर क, अउर एक समय होत जब घिना कीन्ह जात ह। एक समय होत ह करइ क लड़ाई, अउर होत ह एक समय सान्ति क। 9 का कउनो मनई क आपन कठिन मेहनत स असल मँ कछू मिल पावत ह 10 मइँ उ कठिन मेहनत लखेउँ ह जेका परमेस्सर हमका करइ क बरे दिहेस ह। 11 अपने संसार क बारे मँ सोचइ बरे परमेस्सर हमका छमता प्रदान किहेस ह। मुला परमेस्सर जउन करत ह, ओन बातन क पूरी तरह हम कबहुँ नाहीं समुझ सकित। फुन भी परमेस्सर हर एक चीज ठीक समय पइ करत ह। 12 मइ लखेउँ ह कि लोगन बरे सबसे उत्तिम बात इ अहइ कि उ पचे कोसिस करत रहइँ अउर जब तलक जिअत रहइँ आनन्द करत रहइँ। 13 अउर अगर एक मनई खाइ, पिअइ अउर इ सबइ करम क आनन्द लेत रहइ, तउ इ बातन परमेस्सर कइँती स मिला भवा उपहार अहइ। 14 मइँ जानत हउँ कि परमेस्सर जउन कछू भी घटित करत ह उ सदा घटी ही। लोग परमेस्सर क काम मँ कछू भी बृद्धि नाहीं कइ सकतेन अउर इहइ तरह लोग परमेस्सर क कामे मँ कछू घटत भी नाहीं कइ सकत हीं। परमेस्सर अइसा एह बरे किहस कि लोग ओकर आदर करइँ। 15 जउन अब होत अहइ पहिले भी होइ चुका अहइ। जउन कछू भविस्स मँ होइ उ पहिले भी भवा रहा। परमेस्सर घटनन क बार बार घटित करत रहत ह। 16 इ जिन्नगी मँ मइँ इ सबइ बातन लखेउँ ह। मइँ लखेउँ ह कि कचहरी जहाँ निआव अउर अच्छाइ होइ चाही, हुवाँ आजु बुराई भरि गइ अहइ। 17 एह बरे मइँ आपन मन स कहेउँ, “हर बात बरे परमेस्सर एक समय निहचित किहे अहइ। मनइयन जउन कछू करत हीं ओकर निआव करइ बरे भी परमेस्सर एक समय निहचित किहे अहइ। परमेस्सर नीक लोगन अउ बुरे लोगन क निआव करी।” 18 लोग एक दूसर बरे जउन कछू करत हीं ओनके बारे मँ मइँ सोचेउँ अउर आप स कहेउँ, “परमेस्सर चाहत ह कि लोग आपन खुद क उ रूपे मँ लखइँ जउने रूपे मँ उ पचे पसुअन क लखत हीं।” 19 का एक मनई एक पसु स उत्तिम अहइ? नाहीं। काहे काहेकि हर वस्तु नाकारा अहइ। मउत जइसे पसुअन क आवत ह उहइ तरह मनइयन क भी। मनई अउर पसु एक ही “साँस” लेत हीं। का एक मरा भवा पसु एक मरे भए मनई स भिन्न होत ह 20 मनइयन अउर पसुअन क तने क अंत एक ही तरह स होत ह। उ सबइ माटी स पइदा होत हीं अउर माटी मँ ही समाइ जात हीं। 21 कउन जानत ह कि मनई क आतिमा क का होत ह का कउनो जानत ह कि एक मनई क आतिमा परमेस्सर क लगे जात ह जबकि एक पसु क आतिमा खाले उतरिके धरती मँ जाइके समात ह। 22 तउ मइँ इ लखेउँ कि मनई जउन सब स नीक बात कइ सकत ह उ इ अहइ कि उ आपन करम मँ आनन्द लेत रहइ। बस ओकरे लगे इहइ अहइ कि। कउनो मनई क भविस्स क चिन्ता भी नाहीं करइ चाही। काहेकि भविस्स मँ का होइ ओका लखइ मँ कउनो भी ओकर मदद नाहीं कइ सकत।

4:1 मइँ फुन इ भी लखेउँ ह कि कछू लोगन क संग बुरा बेउहार कीन्ह जात ह। मइँ ओनकर आँसू लखेउँ ह अउर फुन इ भी लखेउँ ह कि ओन दुःखी लोगन क ढाढ़स बँधावइवाला भी कउनो नाहीं अहइ। मइँ लखेउँ ह कि कठोर लोगन क लगे समूची सवती अहइ अउर ओका ढाढ़स देइवाला कउनो नाहीं अहइ। 2 मइँ इ निर्णय पइ पहोंचा अहउँ कि इ सबइ बातन ओन मनइयन बरे जियादा नीक अहइँ जउन मरि चुके अहइँ बजाय ओनके बरे जउन अबहिं तलक जिअत अहइँ। 3 ओन लोगन बरे तउ इ सबइ बातन अउर भी नीक अहइँ जउन जन्म लेत ही मरि जाइँ। काहे काहेकि, उ पचे इ संसार मँ जउन बुराइयन होत अहइँ, ओनका लखेन ही नाहीं। 4 फुन मइँ सोचेउँ, “लोग ऍतनी कड़ी मेहनत काहे करत हीं?” मइँ लखेउँ ह कि लोग सफल होइ अउर दूसर लोगन स अउर जियादा ऊँच होइ क कोसिस मँ लगा रहत हीं। अइसा एह बरे होत ह कि लोग ईर्स्यालु अहइँ। उ पचे नाहीं चाहतेन कि जेतना ओनके लगे अहइ, दूसर क लगे ओहसे जियादा होइ। इ सब अर्थहीन अहइ। इ वइसा ही अहइ जइसे हवा क धरब। 5 कछू लोग कहा करत हीं, “हाथे पइ हाथ धइके बइठ रहब अउर कछू नाहीं करब बेववूफी अहइ। अगर तू काम नाहीं करब्या तउ भूखन मरि जाब्या।” 6 जउन कछू मूठी भइ तोहरे लगे अहइ ओहमाँ संतुट्ठ रहब नीक अहइ बजाय कि जियादा स जियादा पावइ क तलब मँ जूझत भए हवा क पाछे दौड़त जात रहब। 7 फुन मइँ एक अउर बात लखेउँ, जेकर कउनो अरथ नाहीं अहइ। 8 एक मनई बे परिवारे क होइ सकत ह। होइ सकत ह ओकर कउनो पूत अउर हिआँ तलक कि कउनो भाई भी न होइ किन्तु उ मनई कठिन स कठिन मेहनत करइ मँ लगा रहत ह अउर जउन कछू ओकरे पास होत ह, ओहसे कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होत, “तउ मइँ भी ऍतनी कड़ी मेहनत काहे करत हउँ? मइँ खुद आपन जिन्नगी क आनन्द काहे नाहीं लेत हउँ?” अब लखा इ भी एक दुःखभरी अउर बियर्थ क बात अहइ। 9 एक मनई स दुइ मनई भला होत हीं। जब दुइ मनई मिलिके साथ साथ काम करत हीं तउ जउने कामे क उ पचे करत हीं, उ काम स ओनका जियादा लाभ मिलत ह। 10 यदि एक मनई गिरि जाइ तउ दूसर मनई ओकर मदद कइ सकत ह। मुला कउनो मनई बरे अकेल्ला रहब नीक नाहीं अहइ काहेकि जब उ गिरत ह तउ ओकर सहायता बरे हुवाँ अउर कउनो नाहीं होत। 11 अगर दुइ मनई एक संग सोवत हीं तउ ओनमाँ गरमाहट रहत ह मुला अकेल्ला सोवत भवा मनई कबहुँ गरम नाहीं होइ सकत। 12 अकेले मनई क दुस्मन हराइ सकत ह मुला उहइ दुस्मन दुइ मनइयन क नाहीं हराइ सकत ह अउर तीन मनइयन क सवित तउ अउर भी जियादा होत ह। उ पचे एक ठु अइसे रस्सा क नाईर् होत हीं, जेकर तीन लटन आपुस मँ गुंथी भई होत हीं, जेका तोड़ पाउब बहुत कठिन अहइ। 13 एक ठु गरीब मुला बुद्धिमान नउजवान नेता, एक बुढ़वा मुला मूरख राजा स नीक अहइ। उ बुढ़वा राजा चिताउनियन पइ कान नाहीं देत। 14 होइ सकत ह उ नउजवान सासक उ राज्ज मँ गरीबी मँ पइदा भवा होइ अउर होइ सकत ह उ जेल स छूटिके देस पइ हुवूमत करइ आवा होइ। 15 मुला इ जिन्नगी मँ मइँ लोगन क लखेउँ ह अउर मइँ इ जानत हउँ कि लोग उ दूसर नउजवान नेता क ही अनुसरण करत हीं अउर उहइ नवा राजा बन जात ह। 16 बहोत स लोग इ नउजवान क पाछे होइ लेत हीं। मुला अगवा चलिके उ सबइ लोग भी ओका पसन्द नाहीं करतेन एह बरे उ सब भी बियर्थ अहइँ। इ वइसा ही अहइ जइसे कि हवा क धरइ क जतन करब।

5:1 जब परमेस्सर क उपासना बरे जा तउ बहोत जियादा होसियार रहा। अग्यानियन क नाईर् बलियन चढ़ावइ क अपेच्छा परमेस्सर क आग्या मानब जियादा उत्तिम अहइ। अज्ञानी लोग अवसर बुरे करम किया करत हीं अउर ओका जानत तलक नाहीं ही। 2 परमेस्सर क वाचा मानत समय होसियार रहा। परमेस्सर स जउन कछू कहा ओन बातन बरे होसियार रहा। भावना क आवेस मँ, जल्दी मँ कछू जिन कहा। परमेस्सर सरग मँ अहइ, अउर तू धरती पइ अहा। एह बरे तोहका परमेस्सर स बहोत तनिक बोलइ क जरूरत अहइ। इ कहतूत फुरइ अहइ 3 अति चिंता स बुरे सपना आवा करत हीं। अउर जियादा बोलइ स मूरखता उपजत ही। 4 अगर तू परमेस्सर स कउनो वाचा माँगत ह तउ ओका पूरा करा। जउने बाते क तू वाचा मान्या ह ओका पूरा करइ मँ देर जिन करा। परमेस्सर मूरख मनइयन स खुस नाहीं रहत। तू परमेस्सर क जउन कछू अपिर्त करइ क बचन दिहा ह ओका अपिर्त करा। 5 इ नीक बा कि तू कउनो वाचा माना ही नाहीं बजाय एकरे कि कउनो मनौती माना अउर ओका पूरा न कइ पावा। 6 एका नाहीं होइ देइ कि तोहार सब्द तोहार पापे क कारण बनी। याजक स अइसा जिन बोला कि, “जउन कछू मइँ कहे रहेउँ ओकर इ अरथ नाहीं बाटइ।” जदि तू अइसा करब्या तउ परमेस्सर तोहरे सब्दन स रिसियाइके जउन वस्तुअन बरे तू करम किहा ह, ओन सबन्क उ बर्बाद कइ देइ। 7 आपन बेकार क सपनन अउर डींग मारइ स मुसीबतन मँ जिन पड़ा। तोहका परमेस्सर क सम्मान करइ चाही। 8 कछू देसन मँ तू अइसे दीन-हीन लोगन क लखब्या जेनका कड़ी मेहनत करइ क मजबूर कीन्ह जात ह। तू लखि सकत ह कि निर्धन लोगन क संग इ बेउहार उचित नाहीं अहइ। इ गरीब लोगन क अधिकारन क खिलाफ अहइ। मुला अचरज जिन करा। जउन अधिकारी ओन मनइयन क कारज करइ बरे मजबूर करत ह, अउर उ पचे दुइनउँ अधिकारी कउनो दूसर अधिकारी क जरिये मजबूर कीन्ह जात हीं। 9 ऍतना होइ पइ भी कउनो खेती क जोग्ग भुइँया पइ एक राजा क होब देस बरे फायदेमंद अहइ। 10 उ मनई जउन धने स पिरेम करत ह उ उ धने स जउन ओकरे लगे अहइ कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होइ। उ मनई जउन धन स पिरेम करत ह, जब जियादा स जियादा धन पाइ जात ह तब भी ओकर मन नाहीं भरत। तउ उ भी बियर्थ अहइ। 11 कउनो मनई क लगे जेतना जियादा धन होइ ओका खरच करइ बरे ओकरे लगे ओतना ही जियादा “मीत” होइहीं। तउ उ धनी मनई क असल मँ प्राप्त कछू नाहीं होत ह। उ आपन धन क बस लखत भर रहि सकत ह। 12 एक ठु अइसा मनई जउन सारे दिन कड़ी मेहनत करत ह, आपन घर लउटइ पइ चइन क संग सोवत ह। इ महत्व नाहीं रखत ह कि ओकरे लगे खाइ क कमती अहइ या जियादा अहइ। एक धनी मनई आपन धने क चिंता म बूड़ रहत ह अउर सोइ तलक नाहीं पावत। 13 बहोत बड़के दुःखे क बात अहइ कि एक ठु जेका मइँ इ जिन्नगी मँ घटत लखेउँ ह। लखा एक मनई भविस्स बरे आपन धन बचाइके रखत ह। 14 अउर फुन कउनो बुरी बात घटि जात ह अउर ओकर सब कछू जात रहत ह अउर मनई क लगे आपन पूत क देइ बरे कछू भी नाहीं रहत। 15 एक मनई संसार मँ अपनी महतारी क गरभ स आवत ह अउर जब उ मनई क मउत होत ह तउ उ बगैर कछू अपने संग लिए सब हिअँइ छोड़िके चला जात ह। वस्तुअन क पावइ बरे उ कठिन मेहनत करत ह। किन्तु जब उ मरत ह तउ आपन संग कछू नाहीं लइ जात पावत। 16 इ बड़े दुःखे क बात अहइ। इ संसार ओका उहइ तरह तजइ क होत ह जउने तरह उ आवा रहा। एह बरे “हवा क धरइ क कोसिस” स कउनो मनई क हाथे क लगत ह 17 ओका अगर कछू मिलत ह तउ उ अहइ दुःख अउर सोक स भरे हुआ दिन। तउ आखिरकार उ हतास, रोगी अउ चिड़चिड़ा होइ जात ह। 18 मइँ तउ इ लखेउँ ह कि मनई जउन कइ सकत ह ओहमाँ सब स उत्तिम इ अहइ - एक मनई क चाही कि उ खाइ-पिअइ अउर जउने कामे क उ इ धरती पइ आपन छोटी स जिन्नगी क दौरान करत ह ओकर आनन्द लेइ। परमेस्सर इ सबइ तनिक क दिन स दिहेस ह अउर बस इहइ तउ ओकरे लगे अहइ। 19 अगर परमेस्सर कउनो क धन, सम्पत्ति अउर ओन वस्तुअन का आनन्द लेइ क सवती देत ह तउ उ मनई क ओनकर आनन्द लेइ चाही। उ मनई क जउन कछू ओकरे लगे अहइ ओका कबूल करइ चाही अउर आपन कामे क जउन परमेस्सर कइँती स एक उपहार अहइ ओकर रस लेइ चाही। 20 तउ अइसा मनई कबहुँ इ सोचत ही नाहीं कि जिन्नगी केतॅनी छोट स बाटइ। काहेकि परमेस्सर ओहका दिमाग क आनन्द स भरी ही राखी हीं।

6:1 मइँ जिन्नगी मँ एक अउर बुरी बात लखेउँ ह अउर इ बहोत समान्य अहइ। 2 परमेस्सर कउनो मनई क बहोत स धन देत ह, सम्पत्तियन देत ह अउर आदर देत ह। उ मनई क लगे ओकर जरूरत की चीज होत ह अउर जउन कछू भी उ चाह सकत ह उ भी होत ह। किन्तु परमेस्सर उ मनई क ओन वस्तुअन क भोग नाहीं करइ देत। तबहिं कउनो अजनबी आवत ह अउर ओन सबहिं वस्तुअन क छोरि लेत ह। इ एक बहोत बुरी अउर बियर्थ बात अहइ। 3 कउनो मनई बहोत दिनन तलक जिअत ह अउर होइ सकत ह ओकर सौ बच्चन होइ जाइँ। किन्तु अगर उ मनई ओन अच्छी वस्तुअन स सन्तुट्ठ नाहीं होत अउर अगर ओकर मउत क बाद कउनो ओका सुमिरत नाहीं तउ मइँ कहत हउँ कि 4 उ मनई स तउ उ बच्चा ही अच्छा अहइ जउन जन्मत ही मरि जात ह। उ बच्चा क कउनो नाउँ नाहीं दीन जात अउर फउरन ही ओका एक अँधेरी कब्र मँ दफनाइ दीन्ह जात ह। 5 उ बच्चा तउ कबहुँ सूरज तउ लखेस ही नाहीं। उ बच्चा कबहुँ कछू नाहीं जानेस किन्तु उ मनई क भाग्ग जउन परमेस्सर क दीन्ह गइ वस्तुअन क कबहुँ आनन्द नाहीं लिहेस, उ बच्चा क जियादा चइन मिलत ह। 6 अगर कउनो मनई दुइ हजार बरिस जिअत ह किन्तु जिन्नगी क आनन्द नाहीं उठावत, तउ का दुइनउँ क अन्त एक समान नाहीं अहइ। 7 एक मनई लगातार काहे काम करत रहत ह काहेकि ओका आपन सबइ इच्छा पूरी करइ क अहइँ। मुला उ संतुट्ठ तउ कबहुँ नाहीं होत। 8 इ तरह स एक बुद्धिमान मनई भी एक मूरख मनई स कउनो तरह उत्तिम नाहीं अहइ। एक दीनहीन मनई क बेहतर व्यवहार करइ जान लेइ मँ ओकर का भलाइ अहइ। 9 उ सबइ वस्तुअन जउन तोहरे पास अहइँ, ओनमाँ संतोस करब नीक अहइ बजाय एकरे कि अउर लगन लगी रहइ। सदा जियादा क कामना करत रहब बेकार अहइ। इ वइसे ही अहइ जइसे हवा क धरइ क जतन करब। 10 जउन कछू घटत अहइ ओकर योजना बहोत पहिले बन चुकी होत ह। एक मनई वइसा ही होत ह जइसा होइ बरे ओका बनावा गवा अहइ। हर कउनो जानत ह कि लोग कइसे होत हीं। 11 तउ इ बारे मँ परमेस्सर स तर्क करब बेकार अहइ जउन कि कउनो भी मनई स जियादा सवतीसाली अहइ। बहोत सी अइसी बातन अहइ जेकर बरे हम कउनो अन्त क तर्क कइ सकत हीं, किन्तु इ कउनो लाभ नाहीं देत ह। 12 कउन जानत ह कि इ धरती पइ मनई क छोटी स जिन्नगी मँ ओकरे बरे सबस अच्छा का अहइ? ओकर जिन्नगी तउ छाया क नाईर् ढलि जात ह। बाद मँ का होइ कउनो नाहीं बताइ सकता।

7:1 सुजस, अच्छी सुगन्धि स उत्तिम अहइ। अउर उ दिन जब मनई मरी, इ दिन उ दिन स उत्तिम होइ जब उ पइदा होइ। 2 उत्सव मँ जाइ स जाब, सदा उत्तिम हुआ करत ह। काहेकि सबहिं लोगन क मउत तउ निहचित अहइ। हर जिअत मनई क सोचइ चाही एका। 3 हँसी क ठहाके स सोक उत्तिम अहइ। काहेकि जब हमारे मुखे पइ उदासी क वास होत ह, तउ हमार हिरदय सुद्ध होत हीं। 4 विवेकी मनई तउ सोचत ह मउत क किन्तु मूरख जन तउ बस सोचत रहत हीं कि गुजरइ समय नीक। 5 विवेकी स निन्दित होब उत्तिम होत ह, बनिस्बत एकरे कि मूरख स तारीफ कीन्ह जाइ। 6 मूरख क ठहाका तउ बेकार होत ह। इ वइसे ही होत ह जइसे बर्तन क नीचे काँटे दरदराई। 7 अत्याचार विवेकी क भी मूरख बनाइ देत ह, अउर घूस मँ मिला धन ओकर मति क हर लेत ह। 8 बात क सुरू करइ स अच्छा ओकर अन्त करब अहइ। नम्रता अउर धीरज, गुस्सा दिखावइ अउर अहंकार स उत्तिम अहइ। 9 किरोध मँ हाली स जिन आवा। काहेकि किरोध मँ आउब मूर्खता अहइ। 10 जिन कहा, “अच्छे दिनन क का भएन, तब सबकछू ठीक-ठाक रहेन। इ सवाल बुद्धि स नाहीं आवत हीं। 11 जइसे वसीयतनामा मँ सम्पत्ति क पाउब अच्छा अहइ वइसे ही बुद्धि क पाउब भी उत्तिम अहइ। जिन्नगी बरे इ लाभदायक अहइ। 12 धने क समान बुद्धि भी रच्छा करत ह। बुद्धि क गियान मनई क जिन्नगी क रच्छा करत ही। 13 परमेस्सर क रचना क लखा। जेका परमेस्सर टेढ़ा कइ देइहीं ओका तू सीधा कर सकत्या। 14 जब जिन्नगी उत्तिम अहइ तउ ओकर रस ल्या मुला जब जिन्नगी कठिन अहइ तउ याद राखा कि परमेस्सर हमका कठिन समय देत अहइ अउर अच्छा समय भी देत अहइ इसलिए भियान का होइ इ तउ कउनो नाहीं जानत। 15 आपन छोटी स जिन्नगी मँ मइँ सब कछू लखेउँ ह। मइँ लखेउँ ह अच्छे लोग जवानी मँ ही मरि जात हीं। मइँ लखेउँ ह कि बुरे लोग लम्बी आयु तलक जिअत रहत हीं। 16 तउ अपने क हलाकान काहे करत अहा? न तउ बहोत जियादा धर्मी बना अउर न ही बुद्धिमान इ तोहका नास करब। न तउ बहोत जियादा दुट्ठ बना अउर न ही मूरख अन्यथा समय स पहिले तू मरि जाब्या। 17 18 तनिक इ बना अउर तनिक उ। हिआँ तलक कि परमेस्सर क मनवइयन भी कछू अच्छा करिहीं तउ पाप भी। 19 निहचय ही इ धरती पइ कउनो अइसा नीक मनई नाहीं अहइ जउन सदा अच्छा ही अच्छा करत ह अउर बुरा कबहुँ नाहीं करत। बुद्धि मनई क सवती देत ह। कउनो सहर क दस मूरख सासकन स एक साधारण बुद्धिमान मनई जियादा सवतीसाली होत ह। 20 21 लोग जउन बातन कहत रहत हीं ओन सब पइ कान जिन द्या। होइ सकत ह तू आपन सेवक क ही तोहरे बारे मँ बुरी बातन कहत सुना। 22 अउर तू जानत अहा कि तू भी अनेक अवसरन पइ दूसर लोगन क बारे मँ बुरी बातन कहया ह। 23 एन सब बातन क बारे मँ मइँ आपन बुद्धि अउर विचारन क प्रयोग किहा ह। मइँ फुरइ बुद्धिमान बनइ चाहेउँ ह मुला इ तउ असंभव रहा। 24 मइँ समुझ नाहीं पावत कि बातन वइसी काहे अहइँ जइसी उ सबइ अहइँ। कउनो क बरे इ समुझब बड़ा मुस्किल अहइ। 25 मइँ अध्ययन किहेउँ अउर सच्ची बुद्धि क पावइ बरे बहुत कठिन मेहनत किहेउँ। मइँ हर चीज क कउनो कारण हेरइ क प्रयास किहेउँ किन्तु मइँ जानेउँ का? मइँ जानेउँ कि बुरा होब बेववूफी बाटइ मूरखपन पागलपन अहइ। 26 मइँ इ भी पाएउँ कि कछू मेहररूअन एक फन्दा क नाईर् खतरनाक होत हीं। ओनकर हिरदय जाल जइसे होत हीं अउर ओनकर बाहन जंजीरन क तरह होत हीं। जउन लोग परमेस्सर क खुस करत हीं, अइसी मेहररूअन स बच निकरत हीं मुला उ सबइ लोग जउन परमेस्सर क नाखुस करत हीं ओनके जरिये फाँस लीन्ह जात हीं। 27 उपदेसक कहत ह, “इ सब कछू एकत्र कइके इहइ अहइ जउन मइँ पाएस। 28 मोर पूरा खोज बिचार क पाछा इहइ मइँ पाएउँ। हजारन मँ एक ठु मनई रहा जेका एकर छूट रही, कउनो मेहरारु क नाहीं। 29 “इहइ अहइ जउन मइँ पाएन, परमेस्सर लोगन क इमान्दार अउर सीधा बनावत ह, किन्तु लोग जल्द ही आपन राह पावइ बरे जोजना बनावत ह।”

8:1 वस्तुअन क जउने तरह एक बुद्धिमान मनई समुझ सकत ह अउर ओनकर बियाख्या कइ सकत ह, वइसे कउनो भी नाहीं कइ सकत ह। बुद्धि एक दुःखी मुँह क खुस मुँहे मँ बदल देत ह। 2 मइँ तू पचन्स कहत हउँ कि तू पचन्क सदा ही राजा क आग्या मानइ चाही। अइसा एह बरे करा काहेकि तू पचे परमेस्सर क बचन दिहे रह्या। 3 राजा क उपस्थिति स हटि मँ हाली जिन करा अउर बुरा जोजनन मँ सामिल जिन हो। जदि हालात प्रतिवूल होइँ तउ ओकरे इर्द-गिर्द जिन रहा काहेकि उ तउ उहइ करी जउन ओका नीक लागी। 4 आग्यन देइ क राजा क अधिकार अहइ, कउनो नाहीं पूछ सकत कि उ का करत अहइ। 5 जदि हुवूम क पालन करत ह तउ उ सुरच्छित रही। एक बुद्धिमान मनई जानत अहइ कि का उचित ह अउर कब अहइ। 6 काहेकि सबइ कार्य के लिए उचित समइ अउर रास्ता अहइ, मुला लोग उ प बदकिस्मती स काफी झूठ बोलइही। 7 अगर अगवा अनिहचित होइ। काहेकि भविस्स मँ का होइ इ तउ ओका कउनो भी बताइ नाहीं सकत। 8 कउनो मँ इ सक्ती नाहीं कि उ हवा क रोक सकत। इहइ तहर स कउनो मनई मँ अइसी सक्ती नाहीं अहइ कि उ आपन मउत क रोकि देइ। जब जुद्ध चलत रहत होइ तउ कउनो भी फउजी क इ अजादी नाहीं अहइ कि उ जहाँ चाहइ चला जाइ। इहइ तरह जदि कउनो मनई बुरा करत ह तउ उ बुराई उ मनई क अजाद नाहीं रहइ देत। 9 मइँ इ सबइ बातन लखेउँ ह। इ जगत मँ जउन कछू घटत ह ओन बातन क बारे मँ मइँ बड़ी हलबुली मँ सोचेउँ ह उ समइ जब दूसर सासन करइ हीं ओका नोवसान पहोंचात अहइ। 10 मइँ ओन बुरे मनइयन क बहोत बिसाल सुन्दर ल्हास-जात्रन लखेउँ ह। अउर ल्हास जात्रन क पाछे लोग जब घरे लउटत हीं तउ उ पचे जउन बुरा मनई मरि चुका अहइ ओकरे बारे मँ नीक नीक बातन करत हीं। अइसा उहइ नगर मँ हुआ करत ह जहाँ उ बुरा मनई बहोत स बुरा काम किहेस ह। इ बगैर अरथ क अहइ। 11 कबहुँ कबहुँ लोग जउन बुरे काम किहेन ह, ओनके बरे ओनका तुरंत दण्ड नाहीं मिलता। एकरे कारण दूसर लोग भी बुरे करम करइ चाहइ लागत हीं। 12 कउनो पापी चाहे सैकड़न पाप करइ ओकर उमिर केतनी ही लम्बी होइ। मुला मइँ इ जानत हउँ कि जे परमेस्सर क सम्मान करब ओकर साथ उत्तिम होब। 13 बुरे लोग परमेस्सर क सम्मान नाहीं करतेन। तउ अइसे लोग अच्छा नाहीं करतेन। उ सबइ बुरे लोग अधिक समइ तलक जिअत नाहीं रइहीं। ओनकर जिन्नगी बूड़त सूरज मँ लम्बी स लम्बी होत जात छाया क नाईर् बड़ी नाहीं होइहीं। 14 इ धरती पइ एक बात अउर होत ह जउन मोका निआव क लायक नाहीं लागत। बुरे लोगन क संग बुरी बातन घटइ चाही अउर नीक लोगन क संग नीक बातन। मुला कबहुँ कबहुँ नीक लोगन क संग बुरा बातन घटत हीं अउर बुरे लोगन क संग नीक बातन। इ तउ निआव नाहीं अहइ। 15 तउ मइँ निहचय किहेउँ कि जिन्नगी क आनन्द लेब सबसे अच्छा अहइ। काहेकि इ जिन्नगी मँ एक मनई जउन सबसे नीक बात कइ सकत ह उ बाटइ खाब, पिअब अउर जिन्नगी क रस लेब। एहसे कम स कम मनई क इ धरती पइ ओकरे जिन्नगी क दौरान परमेस्सर करइ बरे जउन कठिन काम दिहेस ह ओकर आनन्द लेइ मँ मदद मिली। 16 इ जिन्नगी मँ लोग जउन कठिन काम करत हीं ओकर मइँ बड़े धियान क साथ अध्ययन किहेउँ ह। मइँ लखेउँ ह कि लोग केतना व्यस्त अहइँ। उ पचे अवसर बगैर सोए राति दिन कामे मँ लगा रहत हीं। 17 परमेस्सर जउन करत ह ओन बहोत स बातन क भी मइँ लखेउँ ह कि धरती पइ परमेस्सर जउन कछू करत ह, लोग ओका समुझ नाहीं सकतेन। ओका समुझइ बरे मनई बार बार जतन करत ह। मुला फुन भी समुझ नाहीं पावत। अगर कउनो बुद्धिमान मनई इ भी कहइ कि उ परमेस्सर क कामन क समुझत ह तउ इ भी फुरइ नाहीं बाटइ। ओन सब बातन क तउ कउनो भी समुझ हीं सकत।

9:1 मइँ इन सबहिं बातन क बारे मँ बड़े धियान स सोचेउँ ह अउर लखेउँ ह कि नीक अउर बुद्धिमान लोगन क संग जउन घटित होत ह अउर उ पचे जउन काम करत हीं ओन पर नियंत्रण परमेस्सर करत ह। लोग नाहीं जानतेन कि ओनका पिरेम मिली या घिना अउर लोग नाहीं जानतेन कि भियान का होइवाला अहइ। 2 किन्तु एक ठु बात अइसी अहइ जउन हम सबन क संग घटत ह - हम सबहिं मरित ह। मउत नीक लोगन क भी आवत ह अउर बुरे लोगन क भी। अपित्तर लोगन क जइसा पवित्तर लोगन क भी मउत आवत ह। धर्मी लोग जउन बलिदान चढ़ावत ह उ भी वइसे ही मरत ह जइसे उ लोग जउन बलिदान नाहीं चढ़ावत ह। अच्छे लोग भी बुरे लोग जइसा मरत हीं। उ मनई जउन परमेस्सर क बिसेस बचन देत ह, उ भी वइसे ही मरत ह जइसे उ मनईर् जउन परमेस्सर क बचन देइ स घबरात ह। 3 इ जिन्नगी मँ जउन भी कछू घटित होत ह ओहमाँ सबसे बुरी बात इ अहइ कि सबहि लोगन क अंत एक ही तरह स होत ह। साथ ही इ भी बहोत बुरी बात अहइ कि लोग जिन्नगी भर सदा ही बुरे अउर बेववूफी स भरे विचारन मँ पड़ा रहत हीं अउर आखिर मँ मरि जात हीं। 4 हर उ मनई क बरे जउन अबहिं जिअत अहइ, एक आसा बची अहइ। एहसे कउनो अंतर नाहीं पड़त कि उ कउन अहइ? इ कहावत फुरइ अहइ:“कउनो मरे भए सेर स एक जिअत वूवूर नीक अहइ।” 5 जिअत लोग जानत हीं कि ओनका मरब अहइ। किन्तु मरे भए तउ कछू भी नाहीं जानतेन। मरे भएन क कउनो अउर प्रतिदान नाहीं मिलत। लोग ओनका हाली ही बिसरि जात हीं। 6 कउनो मनई क मरि जाए क पाछे ओकर पिरेम घिना अउर ईर्स्या सब समाप्त होइ जात हीं। मरा भवा मनई संसार मँ जउन कछू होत अहइ, ओहमाँ कबहुँ हींसा नाहीं बटावत। 7 तउ तू अब जा अउर आपन खइया क खा अउर ओकर आनन्द ल्या। आपन दाखमधु पिआ अउर खुस रहा। अगर तू इ सबइ बातन करत अहा तउ इ सबइ बातन परमेस्सर स समथिर्त अहइँ। 8 उत्तिम ओढ़ना पहिरा अउर सुन्नर दिखा। 9 जउन पत्नी क तू पिरेम करत अहा ओकरे संग जिन्नगी क भोग करा। आपन अरथहीन जिन्नगी क जेका परमेस्सर तोहका इ धरती मँ दिहस, उ सबइ क बरे जेका तू अपने जिन्नगी मँ पाइ, इ संसार मँ कठिन करम करइ क पाइ, स हर एक दिन क आनन्द ल्या। 10 जेका तू कइ सकत ह, एका तू जेतॅनी उत्तिमता स कइ सकत ह करा। कब्र मँ तउ कउनो काम होइ ही नाहीं। हुआँ न तउ चिन्तन होइ, न गियान अउर न विवेक अउर मउत क उ ठहर क हम सबहिं तउ जात अही। 11 मइँ इ जिन्नगी मँ कछू अउर बातन लखेउँ ह। सबसे जियादा दउड़इवाला सदा ही दउड़ मँ नाहीं जीतत, सवतीसाली सेना ही जुद्ध मँ सदा नाहीं जीतत। सबसे जियादा बुद्धिमान मनई ही सदा कमाई क नाहीं खात। सबसे जियादा चुस्त मनई ही सदा धन दौलत हासिल नाहीं करत ह अउर एक पढ़ा लिखा मनई ही सदा वइसी तारीफ नाहीं पावत जइसी तारीफ क उ जोग्ग अहइ। जब समय आवत ह तउ हर कउनो क संग बुरी बातन घट जात हीं। 12 कउनो भी मनई इ नाहीं जानत ह कि एकरे पाछे ओकरे संग का होइवाला अहइ। उ जाल मँ फँसी उ मछरी क नाईर् होत ह जउन इ नाहीं जानत कि आगे का होइ। उ उ जाल मँ फँसी चिरइया क समान होत ह जउन इ नाहीं जानत कि का होइवाला अहइ? इहइ प्रकार मनई ओन विपत्ति मँ फाँस जात अहइ, जे ओन प हाली अहइ। 13 इ जिन्नगी मँ मइँ एक मनई क एक विवेकपूर्ण कार्य करत लखेउँ ह अउर मोका इ बहोत महत्वपूर्ण लाग ह। 14 एक ठु नान्ह स नगर भवा करत रहा। ओहमाँ थोड़ा स लोग रहत रहेन। एक बहोत बड़ा राजा ओकरे खिलाफ जुद्ध किहेस अउर नगर क चारिहुँ कइँती आपन फउज लगाइ दिहस। 15 उहइ नगर मँ एक बुद्धिमान मनसेधू रहत रहा। उ बहोत निर्धन रहा। किन्तु उ उ नगर क बचावइ बरे आपन बुद्धि क उपयोग किहस। जब नगर क बिपद टरि गइ अउर सब कछू खतम होइ गवा तउ लोग उ गरीब क बिसारि दिहन। 16 किन्तु मइँ लखइ अहइ कि बल स बुद्धि स्रेस्ठ बाटइ। जदपि लोग गरीब मनई क बुद्धि क नज़र-अन्दाज़ कइ देत अहइ ओका नाहीं सुनत अहइ। 17 धीमे स बोलि गएन, विवेकी क तनिक स सब्द जियादा उत्तिम होत हीं, बजाय ओन अइसे सब्दन क जेनका मूरख सासक ऊँची आवाज मँ बोलत ह। 18 बुद्धि, ओन भोलन स अउर अइसी तरवारन स उत्तिम अहइ, जउन जुद्ध मँ काम आवत हीं। बुद्धिहीन मुला एउटा मनई, बहोत स उत्तिम बातन नस्ट कइ सकत ह।

10:1 कछू मरी भइ माखियन सवोर्त्तम सुगंध तलक क दुर्गधिंत कइ सकत हीं। इहइ तरह छोटी सी बेववूफी स समूनइ बुद्धि अउर प्रतिस्ठा नस्ट होइ सकत ह। 2 बुद्धिमान क विचार ओका उचित मारग पइ लइ चलावत हीं। किन्तु मूरख क विचार ओका बुरे सस्ते पइ लइ जात हीं। 3 मूरख की मूरखता स्पस्ट हो जात ह जउन उ राह पइ चलत मात्र सुरू करत ह। हर मनई लखि सकत ह कि उ मूरख अहइ। 4 तोहार अधिकारी तोहसे रिसियान अहइ, बस इहइ कारण स आपन काम कबहुँ जिन तजा। अगर तू सांत अउर सहायक बना रहा तउ बड़की स बड़की गलतियन क सुधार सकत अहा। 5 अउर लखा इ बात कछू अलग अहइ जेका मइँ इ जिन्नगी मँ लखेउँ ह। इ बात निआवोचित भी नाहीं अहइ। इ वइसी भूल अहइ जइसी सासक जिया करत हीं। 6 मूरख मनइयन क महत्वपूर्ण पद दइ दीन्ह जात हीं अउर धनी मनई अइसे कामन क पावत हीं जेनकर कउनो महत्व नाहीं होत। 7 मइँ अइसे मनई लखेउँ ह जेनका नोकर होइ चाही रहा। किन्तु उ पचे घोड़न पइ चढ़ा रहत हीं। जबकि उ पचे मनई जेनका सासक होइ चाही रहा, नोकर क नाईर् ओनके आगे पाछे घूमत रहत हीं। 8 उ मनई जउन कउनो गड़हा खनत ह ओहमाँ गिर भी सकत ह। उ मनई जउन कउनो देवारे क गिरावत ह, ओका साँप काट भी सकत ह। 9 एक मनई जउन बड़के बड़के पाथरन क ढकेलत ह, ओनसे चोट भी खाइ सकत ह अउर उ मनई जउन बृच्छन क काटत ह, ओकरे बरे उ खतरा भी बना रहत ह कि बृच्छ ओकरे ऊपर न भहराइ जाइ। 10 किन्तु बुद्धि क कारण हर काम आसान होइ जात ह। भोंटे, बेधार चावू स काटब बहोत कठिन होत ह किन्तु अगर उ आपन चावू पइना कइ ले तउ काम आसान होइ जात ह। बुद्धि इहइ प्रकार क अहइ। 11 कउनो मनई इ जानत ह कि कीरा क बस मँ कइसे कीन्ह जात ह किन्तु जब उ मनई आस पास नाहीं अहइ अउर कीरा कउनो क डस लेत ह तउ उ बुद्धि बेकार होइ जात ह। बुद्धि इहइ प्रकार क अहइ। 12 बुद्धिमान क सब्द तारीफ दियावत हीं। किन्तु मूरख क सब्दन स बिनास होत ह। 13 एक ठु मूरख मनई बेववूफी स भरी बातन कहिके सुरूआत करत ह। अउर आखिर मँ उ पागलपन स भरी भइ खुद क ही नोस्कान पहोंचावइ वाली बातन कहत ह। 14 एक मूरख मनई मूरख बातन बोलइ से कबहुँ नाहीं रूकत ह। किन्तु भविस्स मँ का होइ इ तउ कउनो नाहीं जानत। भविस्स मँ का होइ जात अहइ, इ तउ कउनो बताइ ही नाहीं सकत। 15 मूरख ऍतना चतुर नाहीं कि आपन घरे क मारग पाइ जाइ। एह बरे ओका तउ जिन्नगी भइ कठोर काम करब अहइ। 16 कउनो देस क बरे इ बहोत बुरा अहइ कि ओकर राजा कउनो बच्चे जइसा होइ अउर कउनो देस क बरे इ बहोत बुरा अहइ कि ओकर अधिकारी आपन सारा समय खाइ मँ ही गुजारत होइँ। 17 मुला कउनो देस क बरे इ बहोत अच्छा अहइ कि ओकर राजा कउनो उत्तिम बंस क होइ। कउनो देस बरे इ बहोत उत्तिम अहइ कि ओकर अधिकारी आपन खाइ अउर पिअइ पर काबू रखत हीं। उ सबइ अधिकारी बलसाली होइ बरे खात पिअत हीं ब कि मतवाले होइ जाइ बरे। 18 अगर कउनो मनई काम करइ मँ सुस्त अहइ, तउ ओकर घर टपकब सुरू कइ देइ अउर ओकरे घर क छत ध्वंस्त होइ जाब। 19 लोग भोजन क आनन्द लेत हीं अउर दाखरस जिन्नगी क अउर जियादा खुसियन स भरि देत हीं। किन्तु धन बहोत समस्या क हल करइ देत ह। 20 राजा क बारे मँ बुरी बातन जिन करा। ओकरे बारे मँ बुरी बातन सोचा तलक जिन। संपन्न मनइयन क बारे मँ भी बुरी बातन जिन करा। चाहे तू आपन घरे मँ अकेल्ले ही काहे न ह्वा। काहेकि होइ सकत ह कउनो एक छोटी सी चिरइया उड़िके तू जउन कछू कह्या ह, उ हर बात ओनका कहइ देइ।

11:1 तू जहाँ भी जा, हुवाँ उत्तिम काम करा। थोड़े समय पाछे तोहरे उत्तिम कार्य वापिस लउटिके तोहरे लगे अइहीं। 2 जउन कछू तोहरे लगे अहइ ओकर कछू भाग सात, आठ अलग-अलग चिजियन पइ खरच कइ द्या। तू जान ही नाहीं सकत्या कि इ धरती पइ कब का बुरा घटि जाइ? 3 कछू बातन अइसी अहइँ जेनके बारे मँ तू निहचित होइ सकत ह। जइसे बादल बर्खा स भरा अहइँ तउ उ सबइ धरती पइ जल बरसइहीं ही। जदि कउनो बृच्छ गिरत ह चाहे दाहिनी कइँती गिरइ, चाहे बाईर् तरफ गिरत ह। उ हुवँइ पड़ा रही जहाँ उ गिरा अहइ। 4 किन्तु कछू बातन अइसी होत हीं जेनके बारे मँ तू निहचित नाहीं होइ सकत्य। फुन भी तोहका एक मौका तउ लेइ ही चाही। जइसे अगर कउनो मनई पूरी तरह स उत्तिम मौसम क इंतजार करत रहत ह तउ उ आपन बीज बोइ ही नाहीं सकत ह अउर इहइ तरह कउनो मनई इ बात क डेरात रहत ह कि हर बादल बरसी ही तउ उ आपन फसल कबहुँ नाहीं काटि सकी। 5 हवा कहाँ स आवत अहइ तू नाहीं जान सकत्या। तू नाही जानत्या कि महतारी क गरभ मँ बच्चा प्राण कइसे पावत ह इहइ तरह तू इ नाहीं जान सकत्या कि परमेस्सर का करी? सब कछू क घटित करइवाला तउ उहइ अहइ। 6 एह बरे भिंसार होत ही रोपाई सुरू कइ द्या अउर दिन ढले तलक काम जिन रोका। काहेकि तू नाहीं जानत्या कि कउन स बीज सफलता स उगब - होइ सकत ह इहइ या उहइ या सबइ क सब। 7 जिअत रहब उत्तिम अहइ। सूरज क प्रकास लखब नीक अहइ। 8 तोहका आपन जिन्नगी क हर दिन क आनन्द उठावइ चाही। तू चाहे केतनी ही लम्बी उमिर पावा। पर याद राखा कि तोहका मरब अहइ अउर तू जेतने समय तलक जिए अहा ओहसे कहूँ जियादा समय तलक तोहका मरा रहब अहइ अउर मरि जाए क पाछे तउ तू कछू कर नाहीं सकत्या। 9 तउ हे जवानो! जब तलक तू जवान अहा, आनन्द मनावा। खुस रहा। अउर जउन तोहार मन चाहइ, उहइ करा। जउन तोहार रच्छा होइ उ करा। किन्तु याद राखा कि तोहरे हर कामे बरे परमेस्सर तोहार निआव करी। 10 किरोध क खुद पइ काबू जिन पावइ द्या अउर आपन सरीर क भी कस्ट जिन द्या। तू जियादा समय तलक जवान नाहीं बना रहब्या।

12:1 लरकपन स ही आपन बनावइ वाला क सुमिरन करा। एहसे पहिले कि बुढ़ाई क बुरे दिन तोहका आइके घेरइँ। पहिले एकरे कि तोहका इ कहइ क पड़इ कि, “हाय, मइँ जिन्नगी क रस नाहीं लइ सकत्या।” लरकपन स ही आपन बनावइ वाला क सुमिरन करा। 2 जब तू बुढ़वा होब्या तउ सूरज चन्द्रमा अउर सितारन क रोसनी तोहका अँधियारी लगिहीं। अउर तोहार समस्या लगातार वापस आत रहब्या अउर इ सबइ समस्या ओन बादलन क तरह ही होइहीं जउन बर्खा करत हीं अउर सीध्र वापस नाहीं छटँत हीं। 3 उहइ समइया तोहार बलवान भुजन निर्बल होइ जइहीं। तोहार सुद़ृढ गोड़ कमजोर होइ जइहीं। तू आपन कछू बचे भए दाँतन क संग खाना तलक भी चबाइ नाहीं सकत्या। आँखियन स साफ देखाई तलक नाहीं देइ। 4 तू बहिर होइ जाब्या। बाजार क सोर भी तू सुनि नाहीं पउब्या। चलत चवकी भी तोहका सांत देखाइ देइ। तू बड़ी मुस्किल स लोगन क गावत सुन पउब्या। मूला चिरइयन क चहचहाट तोहका जगाई देब तू बढ़िया नींद स नाहीं सोइ सकब। 5 चढ़ाइवाले जगहियन स तू डेराइ लगब्या। राहन क हर नान्ह स नान्ह चीज स तू डेराइ लगब्या कि तू कइँ ओह पइ ठोकर खाइके गिर परब। तोहार बाल बादाम क फूलन क नाईर् उज्जवर होइ जइहीं। तू जब चलब्या तउ उ प्रकार घेरीत चलब्या जइसे कउनो टिड्डा होइ। तू अपन जीअइ क इच्छा खो देब्या। फुन तोहका आपन क भीतरी नवा घर यानी तोहार कब्र मँ नित निवास बरे जाइ क होइ अउर तोहार मुर्दनी मँ सामिल लोगन क भीड़ स गलियन भरि जइहीं। 6 अबहिं जब तू जवान अहा, आपन बनावइवाला क याद राखा। एकरे पहिले कि चाँदी क डोर टूटि जाइ। अउर सोना क पात्र टूटिके बिखर जाइ। एकरे पहिले कि तोहार जिन्नगी बेकार होइ जाइ जइसे कउनो वुएँ लगे पात्र टूट पड़ा होइ। एकरे पहिले कि तोहार जिन्नगी उ पाथर जइसे होइ जाइ जेका उपयोग दीवार क ढाकन मँ किया जात अहइ, मुला उ टूट कइ इ मँ गिर परत ह। 7 तोहार देह माटी स उपजी अहइ अउर जब मउत होइ तउ तोहार उ देह वापिस माटी होइ जाइ। किन्तु इ प्राण तोहार परमेस्सर स आवा अहइ अउर जब तू मरब्या, तोहार इ प्राण वापिस परमेस्सर क लगे जाइ। 8 सब कछू बेकार अहइ, उपदेसक कहत ह कि सब कछू बियर्थ अहइ। 9 उपदेसक बहोत बुद्धिमान रहा। उ लोगन क सिच्छा देइ मँ आपन बुद्धि क प्रयोग करत रहा। उपदेसक बड़ी होसियारी स अध्ययन किहस अउर अनेक सूवितयन क व्यवस्थित किहस। 10 उपदेसक उचित सब्दन क बचन बरे कठिन मेहनत किहस अउर उ एन सीखन क लिखेस जउन फुरइ अहइँ अउर जेन पइ भरोसा कीन्ह जाइ सकत ह। 11 विवेकी मनइयन क बचन ओन नोकीली छड़ियन क समान होत हीं जेनकर उपयोग पसुअन क उचित मारग पइ चलावइ बरे कीन्ह जात ह। इ सबइ उपदेसक ओन मजबूत खूँटन क समान होत हीं जउन कबहुँ टूटतेन नाहीं। जिन्नगी क उचित मारग देखावइ बरे तू एन उपदेसकन पइ बिस्सास कइ सकत ह। उ सबइ सबहिं विवेक स पूरी सीखन उहइ गड़रिया (परमेस्सर) स आवत हीं। 12 तउ पूत! एक चिताउनी अउर लोग तउ सदा पुस्तकन लिखत ही रहत हीं। बहोत जियादा अध्ययन तोहका बहोत थकाइ देइ। 13 इ सब कछू क सुन लेइ क पाछे अब एक अन्तिम बात इ बतावइ क बाटइ कि परमेस्सर क आदर करा अउर ओकरे आदेसन पइ चला काहेकि इ नियम हर मनई पर लागू होत ह। काहेकि लोग जउन करत हीं, ओका हिआँ तलक कि ओनकी छिपी स छिपी बातन क भी परमेस्सर जानत ह। उ ओनकर सबहिं नीक बातन अउर बुरी बातन क बारे मँ जानत ह। मनई जउन कछू भी करत हीं उ हर एक करम क उ निआव करी। 14