1:1 ऊज नाउँ क प्रदेस मँ एक ठु मनई रहा करत रहा। ओकर नाउँ अय्युब रहा। अय्युब एक बहोत ईमानदार अउ बिस्सासी मनई रहा। अय्यूब परमेस्सर क उपासना करत रहत रहा अउ बुराई स दूर रहा करत करत रहा। 2 ओकरे सात ठु बेटहना अउ तीन ठु बिटिहनी रहिन। 3 अय्यूब सात हजार भेड़िन, तीन हजार ऊँटन, एक हजार बर्धन अउ पाँच सौ गदहियन क सुआमी रहा। ओकरे लगे बहोत स नौकर रहेन। अय्यूब पूरब क सब स जियादा धन्नासेठ मँ स एक रहा। 4 अय्युब क बेटहनन बारी-बारी स आपन घरन मँ एक दूसर क खइया क खाइ बरे बोलवा करत रहेन। उ पचे आपन बहिनियन क भी हुआँ ओकरे खाइ अउ पिइ बरे बोलात रहेन। 5 अय्यूब क गदेलन जब भोज खाइ चुकतेन, तउ अय्यूब तड़के भिन्सारे उठत अउ आपन हर गदेला क बदले होमबलि अर्पित करत रहा। काहेकि उ सोचत, “होइ सकत ह, मोर गदेलन आपन हिरदइ मँ परमेस्सर क निन्दा कइ के पाप किहे रहेन।” एह बरे अय्यूब हमेसा अइसा करत रहत रहा। 6 फिन सरगदूतन बरे यहोवा क रिपोर्ट देइ क दिन आवा। सइतान भी ओनकर संग आवा। 7 यहोवा सइतान स कहेस, “तू कहाँ रहया?” सइतान जवाब देए भए यहोवा स कहेस, “मइँ धरती पइ एहर ओहर घूमत रहेउँ।” 8 एह पइ यहोवा सइतान स कहेस, “का तू मोर सेवक अय्यूब क लख्या? इ घरती पइ ओकरे तरह कउनो दूसर मनई नाहीं अहइ। अय्यूब एक ठु ईमानदार अउ बिस्ससी मनई अहइ। उ हमेसा परमेस्सर क आराघना करत ह अउर बुराई स सदा दूर रहत ह।” 9 सइतान जवाब दिहस, “निहचय ही! मुला अय्यूब परमेस्सर क एक खास कारण स आराधना करत ह! 10 तू सदा ओकर, ओकरे घराने क अउर जउन कछू ओकरे लगे अहइ ओकर रच्छा करत ह। जउन कछू उ करत ह तू ओका सफल बनावत ह। हाँ तू ओका बहोत सारा जनावरन झुण्ड अउर रेवड़ पूरे देस मँ फइलावइ बरे दिहस ह। 11 मुला जउन कछू ओकरे लगे अहइ उ सब कछू क अगर तू बर्बाद कइ दया तउ मइँ तोहका बिस्सास दियावत हउँ कि उ तोहरे मुँहे पइ तोहरे बिरुद्घ बोलइ लागी।” 12 यहोवा सइतान स कहेस, “अगर अइसा अहइ, अय्यूब क लगे जउन कछू अहइ ओकरे संग जइसा तू चाहत ह, करा। मुला ओकरे देह का चोट न पहोंेचावा।”एकरे पाछे सइतान यहोवा क लगे स चला गवा। 13 एक दिन, अय्यूब क पूत अउ बिटियन आपन सब स बड़का भइया क घर खइया क खात रहेन अउ दाखरस पिअत रहेन। 14 ठीक तबहिं अय्यूब क लगे एक ठु संदेसवाहक आवा अउ ओका बोला, “जब बर्धा हर जोतत रहेन अउर गदहन मइदान चरत रहेन, 15 कि सबाक लोग हम पचन पइ धावा बोल दिहन अउ तोहरे गोरुअन क लइ गएन। मोका तजिके तोहार सबहिं दासन क सबा क लोग मार डाएन। आप क इ खबर देइ बरे मइँ बचिके पराइ निकरि आवा हउँ।” 16 अबहिं उ सन्देसवाहक कछू कहत ही रहा कि अय्यूब क लगे दूसर संदेसवाहक आवा। दूसर संदेसवाहक कहेस, “अकासे स बिजुरी गिरी अउ आप क भेड़िन अउ दास जरिके राखी होइ गएन है। आप क खबर देइ बरे मइँ ही बचिके निकिरि पावा हउँ।” 17 अबहिं उ संदेसवाहक आपन बात कहत ही रहा कि एक ठु अउर संदेसवाहक आइ गवा। इ तीसर संदेसवाहक कहेस, “कसदी क लोग तीन टोलियन क पठए रहेन, जउन हम पइ हमला बोल दिहन अउर उ पचे सेवकन क मारि डाई क पाछे ऊँटन क छीन लइ गएन। आपक खबर देइ बरे सिरिफ मइँ ही बचिके निकरि पाएउँ ह।” 18 इ तीसर दूत अबहिं बोलत ही रहा कि एक अउर संदेसवाहक आइ गवा। इ चउथा संदेसवाहक कहेस, “आप क बेटवन अउ बिटियन सब स बड़का भाई क घर खइया क खात रहेन अउ दाखरस पिअत रहेन। 19 ठीक तबहिं रेगिस्तान स एका-एक एक ठु तेज आँधी उठी अउर उ मकान क उड़ाइके ढहाइ दिहस मकान आप क पूतन, अउ बिटियन क ऊपर आइ पड़ा अउर उ पचे मरि गएन। आप क खबर देइ बरे सिरिफ मइँ ही बचिके निकरि पावा हउँ। 20 अय्यूब जब इ सुनेस तउ उ आपन ओढ़ना फारि डाएस अउर इ देखावइ बरे उ दुःखी अउर वियाकुल अहइ, उ आपन मूड़ँ मुड़ाइ लिहेस। अय्यूब तब धरती पइ गिरिके दण्डवत किहेस। 21 उ कहेस:“मोर जब इ संसारे क बीच जनम भवा रहा, मइँ तब नंगा रहेउँ, मोरे लगे तब कछू भी नाहीं रहा। जब मइँ मरब अउ इ संसारे क तजब, मइँ नंगा होब अउर मोरे लगे कछू न होइ। यहोवा ही देत ह अउर यहोवा ही लेत, यहोवा क नाउँ क बड़कई करा।” 22 जब इ सबहिं कछू घटना घटत रहा, अय्यूब न ही कउनो पाप किहस अउर न ही परमेस्सर क दोख दिहस।
2:1 फुन एक दिन, यहोवा स मिलइ बरे सरग दूत आएन। सइतान भी ओनके संग रहा। सइतान यहोवा स मिलइ आवा रहा। 2 यहोवा सइतान स पूछेस, “तू कहाँ रहया” सइतान यहोवा क जवाब दिहेस, “मइँ घरती पइ एहर-ओहर घूमत रहेउँ।” 3 एह पइ यहोवा सइतान स पूछेस, “का तू मोर सेवक अय्यूब पइ धियान देत रहत अहा? ओकर जइसा धरती पइ कउनो नाहीं अहइ। अय्यूब ईमानदार अउ बिस्सासी मनई अहइ। उ हमेसा परमेस्सार क उपासना करत ह, बूराई स दूर रहत ह। उ अबहुँ भी ईमानदारी राखत ह हालाँकि तू मोका प्रेरित किहे रहया कि मइँ बिना कारण ही ओका नस्ट कइ देउँ।” 4 सइतान जवाब दिहस, “खाल क बदले खाल! कउनो मनई जिअत रहइ बरे, जउन कछू ओकरे लगे अहइ, सब कछू दइ डावत ह। 5 यह बरे अगर तू आपन सवती क प्रयोग ओकरे देह क नोस्कान पहोंचावइ बरे करा, तउ उ सीधा ही तोहका कोसइ लागी।” 6 तउ यहोवा सइतान स कहेस, “अगर अइसा अहइ, तउ मइँ अय्यूब क तोहरे हवाले करत हउँ, मुला तोहका ओका मार डावइ क छूट नाही अहइ।” 7 एकरे पाछे सइतान यहोवा क लगे स चला गवा। उ अय्यूब क दुःख देइवाला फोड़न क दइ दिहस। इ सबइ पीरा देइवाला फोड़न ओकरे गोड़े क तलवा स लइके ओकरे मुँड़े क ऊपर तलक देह मँ फइल गएन। 8 तउ अय्यूब कूड़ा क ढेरी क लगे बइठ गवा। ओकरे लगे एक ठु ठीकरा रहा, जेहसे उ आपन पीरा दायक फोड़न क खजुआवा करत रहा। 9 अय्यूब क पत्नी ओसे कहेस, “का तू अबहुँ तलक ईमानदार रहइ चाहत ही? तू परमेस्सर क कोसिके मर काहे नाहीं जात्या!” 10 अय्यूब जवाब देत भए आपन पत्नी स कहेस, “तू तउ एक मूरख मेहरारु क तरह बातन करति अहा। देखा, जब परमेस्सर उत्तिम वस्तुअन क देत ह हम ओनका अंगीकार कइ लेइत ह। तउ हमका दुःख भी अपनावइ चाही अउ सिकाइत नाही करइ चाही।” इ सचमूइ दुःखे मँ भी अय्यूब कउनो पाप नाहीं किहस। परमेस्सर क खिलाफ उ कछू नाहीं बोला। 11 अय्यूब क तीन मित्र रहेन: तेमानी क एलीपज, सूही क बिलदद अउर नामाती क सोपर। एँन तीनहुँ मीतन अय्यूब क संग जउन बुरी घटना भइ रहिन, ओन सबन क बारे मँ सुनेन। एँन तीनहुँ मीत आपन-आपन घर तजिके आपुस मँ एक दूसर स भेंटेन। उ पचे इ निहचय किहेन कि उ पचे अय्यूब क लगे जाइके ओकरे बरे सहानुभूति परगट करइँ अउ ओकर हिम्मत बँधावइँ। 12 जब इ तीनहुँ मीत दूर स अय्यूब क लखेन, तउ उ पचे ओका बहोत मुस्किल स पहिचान पाएन। उ पचे भोंकारा मारिके रोवइ लागेन। उ पचे आपन ओढ़ना फाड़ि डाएन। आपन दुःख अउ आपन बेचैनी देखावइ बरे उ पचे आपन आपन मूँड़न पइ माटी डाएन। 13 फुन उ सबइ तीनहुँ मीत अय्यूब क संग सात दिन अउ सात रात तलक भुइँया पइ बइठा रहेन। अय्यूब स कउनो एक सब्द तलक नाहीं कहेस काहेकि उ पचे लखत रहेन कि अय्यूब भयानक पीरा मँ रहा।
3:1 तब अय्यूब आपन मुँह खोलेस अउर उ दिन क कोसइ लग जब उ पइदा भवा रहा। 2 उ कहेस:“जउने दिन मइँ पइदा भवा रहेउँ, बर्बाद होइ चाही रहा। उ राति कबहुँ न आइ होइ चाही जब उ पचे कहे रहेन कि ‘एक ठु लरिका पइदा भवा अहइ।’ 3 4 उ दिन अँधियारा स भरा जाइ चाही रहा। परमेस्सर उ दिन क बिसारि जात चाही रहा। उ दिन प्रकास न चमका चाही रहा। 5 उ दिन अँधियारा स पूर्ण बना होत चाही रहा जेतना कि मउत अहई। बादर उ दिन क घेरे रहतेन चाही रहा। जउनो दिन मइँ पइदा भवा करिया बादर प्रकास क डेरवाइ क खदेर देतेन चाही रहा। 6 उ राति क गहिर अँधियारा जकरि लेइ, उ राति क गनती न होइ। उ राति क कउनो महीना मँ सामिल जिन करा। 7 उ राति कछू भी पइदा न करइ। कउनो भी आनन्द क ध्वनि उ राति क सुनाइ न देइ। 8 सराप देइ मँ माहिर मनइयन क उ मनइयन क साथ जउन लिब्यातानक जगवाइ मँ सामर्थ अहइ, क उ दिना क सराप देइ दया जउन दिना मइँ पइदा भएउँ। 9 उ दिन क साँझ तारा करिया पड़ जाइ दया। उ रात भिन्सारे क रोसनी बरे तरसइ अउर उ प्रकास कबहुँ न आवइ दया। उ सूरज क पहिली किरन न लखि सकइ। 10 काहेकि उ रात मोका पइदा होइ स नाहीं रोकस। उ रात मोका इ सबइ कस्ट झेलइ स नाहीं रोकेस। 11 मइँ काहे नाहीं मरि गएउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ? जन्म क समइ ही मइँ काहे नाहीं मरि के बाहर आए रहेउँ? 12 काहे मोर महतारी गोदी मँ मोका राखेस? काहे मोर महतारी क छतियन मोका दूध पियाएन। 13 अगर मइँ तबहिं मरि गवा होतेउँ जब मइँ पइदा भवा रहेउँ तउ अब मइँ सान्ति स होतउँ। अगर अइसा होतेन मइँ सोवत रहतेउँ अउऱ आराम पउतेउँ। 14 राजा लोगन अउ बुदिधमान मनइयन क संग जउन पृथ्थवी पइ पहिले रहेन। ओन लोग आपन बरे ठउर जगह बनाएन, जउन अब नस्ट होइक मिट चुका अहइँ। 15 मोका ओन सासक लोगन क संग दफनावा जात रहतेउँ जउन सोना-चादी स आपन घर भरे होतेन। 16 मइँ गर्भपात मँ ही मरि जात रहतेउँ। मइँ दिन क प्रकास नाहीं देखि रहतेउँ। 17 दुट्ठ जन दुःख देब तब तजि देत ही जब उ पचे कब्र मँ होत ही अउर थके लोग कब्र मँ आराम पावत हीं। 18 हिआँ तलक कि बंदी भी सुख स कब्र मँ रहत हीं। हुआँ उ पचे आपन अत्याचारियन क आवाज नाहीं सुनत हीं। 19 हर तरह क लोग कब्र मँ रहत हीं चाहे उ पचे महत्व नामा होइँ या साधारण। हुआँ दास आपन सुआमी स छुटकारा पावत ह। 20 अइसे मनई क प्रकास काहे देत रहा जउन दुःख झेल रहा ह अइसे मनई क काहे जिन्नगी देत रहा ह जेकर जिन्नगी कडुवापन स भरा रहत ह 21 अइसा मनई मनइ चाहत ह मुला ओकर मउत नाहीं आवत। अइसा दुःखी मनई मउत पावइ क उहइ तरह तरसत ह जइसे कउनो छुपे खजाना बरे। 22 अइसे मनइयन कब्र पाइके खुस होत हीं अउर आनन्द मनावत हीं। 23 परमेस्सर ओनसे ओनकर भविस्स छिपाए राखत ह अउर ओनकर चारिहुँ कइँती सुरच्छा बरे देवार खड़ी करत ह। 24 मोर गहरी उदासी मोर बरे रोटी बन गवा ह। मोर विलाप जल धारा क तरह बाहेर फूट पड़त ह। 25 मइँ जउने डेराउनी बात स डेरात रहेउँ कि कहुँ उहइ मोरे संग न घटि जाइ अहइ मोरे संग घटि गइ। अउर जउने बाते स मइँ सबन त जियादा डरेउँ, उहइ मोरे संग होइ गइ। 26 न ही मइँ सान्त होइ सकत हउँ, न ही मइँ आराम कइ सकत हउँ। मइँ बहोत ही विपत्ति मँ हउँ।”
4:1 तब तेमान क एलीपज जवाब दिहेस: “अगर मइँ तोहका कउनो राय देउँ तउ का तू नाराज़ होब्या? अगर अइसा अहइ तउ भी मोका बोलइ चाही। 2 3 “हे अय्यूब, तू बहोत स लोगन क सिच्छा दिहा अउर दुर्बल हाथन क तू सक्ती दिहा। 4 जउन लोग लड़खड़त रहत रहेन तोहार सब्दन ओनका हिम्मत बँधाए रहेन तू निर्बल गोड़न क आपन उत्साह स सबल किहा। 5 मुला अब तोह पइ विपत्ति क पहाड़ टूट पड़ा बाटइ अउर तोहार हिम्मत टूट गइ अहइ। विपदा क मार तोह पइ पड़ी अउर तू ब्याकुल होइ उठ्य़ा। 6 तोहका उ परमेस्सर पइ बिस्सास करइ चाही जेका तू उपासना करत ह। आपन ईमानदारी क आपन आसा बनने दया। 7 अय्यूब, इ बात क याद राखा कि कउनो भी निर्दख कबहुँ नाही नस्ट कीन्ह गएन। नीक मनई कबहुँ नाहीं तबाह कीन्ह गवा अहइ। 8 मइँ अहसे लोगन क लखेउँ ह जउन कस्टन क बढ़ावत हीं अउर जउन जिन्नगी क कठिन करत हीं। मुला उ पचे सदा ही दण्ड भोगत हीं। 9 परमेस्सर क दण्ड ओन लोगन क मारि डावत ह, अउर ओकर किरोध ओनका नस्ट करत ह। 10 दुर्जन सेर क तरह गुर्रात अउ दहाड़त हीं। मुला परमस्सर ओन दुर्जनन क चुप करावत ह। 11 बुरे लोग ओन सेरन क तरह होत हीं जेनके लगे सिकार बरे कछू नाहीं होत। उ पचे मरि जात हीं अउर ओनकर गदेलन एहर-ओहर बिखराइ जात हीं। 12 मोरे लगे एक सँदेसा चुपचाप पहुँचावा गवा, अउर मोरे काने मँ ओकर भनक पड़ी। 13 जउने तरह राति क बुरा सपना नींद क उड़ाइ देत ह, 14 मइँ डेराइ गएउँ अउ काँपते लगेउँ। मोर सबइ हडिडयन हिल गइन। 15 मोरे समन्वा स एक आतिमा जइसी गुजरी जेहसे मोरे बदन मँ रोंगटा खड़ा होइ गएन। 16 उ आतिमा मोर समन्वा उठेस, मुला मइँ एका नाहीं पहिचान सकउँ। मोरी आँखिन क समन्वा एक सरुप खड़ा रहा। हुवाँ सन्नाटा स छावा रहा। फुन मइँ एक बहोत स सान्त आवाज सुनेउँ। उ पचे कहेस, 17 ‘का एक मनई परमेस्सर क समन्वा दोखरहित होइ सकत ह का एक मनई आपन सृजनहार स जियादा सुदध होइ सकत ह 18 परमेस्सर आपन सरग क सेवकन तक पइ भरोसा नाहीं कइ सकत। परमेस्सर क आपन दूतन तलक मँ दोख मिलि जात हीं। 19 तउ मनई तउ अउर भी जियादा गवा गुजरा बा। मनई तउ कच्ची माटा क घरौंदा मँ रहत हीं। एँन माटी क घरौंदन क नींव धूरि मँ रखी गइ अहइ। इ सबइ लोगन क ओहसे भी जियादा आसानी स मसलिके मार दीन्ह जात ह, जउने तरह भुनगन मसलिके मार दीन्ह जात ह। 20 लोग भोर स साँझ क बीच मँ मर जात हीं मुला ओन पइ कउनो धियान तलक नाहीं देत ह। उ पचे मरि जात हीं अउर सदा बरे चला जात हीं। 21 ओनके तम्बूअन क खूंटी उखाड़ दीन्ह जात हीं अउर इ सबइ लोग बिना बुद्धि क मरि जात हीं।
5:1 “अय्यूब अगर तू चाहा तउ पुकारिके लखि ल्या मुला तोहका कउनो भी जवाब नाही देइ। तू कउनो भी सरगदूत कइँती मुड़ नाहीं सकत ह। 2 मूरख क किरोध उहइ क नास कइ देइ। मूरख मनई क ईस्य़र्ा ओका ही मरि डइहीं। 3 मइँ एक मूरख क लखे रहेउँ जउन सोचत रहा कि उ सुरच्छित बाटइ। जेकर घर एका-एक सरापित कइ दीन्ह ग रहा। 4 अइसे मूरख मनई क सन्तानन क कउनो भी मदद नाहीं कइ सका। कचहरी मँ ओनका बचइया कउनो नाहीं रहा। 5 ओकरी फसल क भूखे लोग खाइ गएन। हिआँ तलक कि भूखे लोग काँटन क झाड़ियन क बीच जमा भवा अन्न क उठाइ लइ गएन। जउन कछू भी ओन लोगन क लगे रहा उ सबइ चिजियन क लालची मनइयन उठाइके लइ गएन। 6 मुसीबत माटी स नाहीं निकरत ह, न ही विपत्ति मैदान मँ जामत ह। 7 मनई क जन्म दुःख भोगइ बरे भवा ह। इ ओतना ही फुरइ अहइ जेतना फुरइ अहइ कि आगी स चिनगारी ऊपर उठत ह। 8 मुला अय्यूब, अगर तोहरी जगह मइँ होतेउँ तउ मइँ परमेस्सर क लगे जाइके आपन दुःखड़ा कहितेउँ अउर ओकरे लगे राय माँगतेउँ। 9 परमेस्सर क कारनामा समुझइ मँ बहोत अदभुत अहइँ। परमेस्सर क अजूबा गना नाहीं जाइँ। 10 परमेस्सर धरती पइ बर्खा क पठवत ह, अउर उहइ खेतन मँ पानी पठवा करत ह। 11 परमेस्सर विनम्र लोगन क ऊपर उठावत ह। उ ओका ऊपर उठाइके दुःखी क धन क बचावत ह। 12 परमेस्सर चालाक अउ दुट्ठ लोगन क कुचाल क रोक देत ह। एह बरे ओनका सफलता नाहीं मिला करत। 13 परमेस्सर चतुर क उहइ क चतुराइ भरी जोजना मँ पखरि लेत ह। एह बरे ओनकर चतुराइ भरी सबइ जोजना असफल होतिन। 14 उ सबइ चालाक लोग दिन क प्रकास अँन्धियारा क नाई होइ गवा। हिआँ तलक कि दुपहर मँ भी उ पचे आधी-रात क जइसा ठोकर खात हीं। 15 परमेस्सर दीन मनई क मउत स बचावत ह अउर ओनका सक्तीसाली चतुर लोगन क सक्ती स बचावत ह। 16 एह बरे दीन मनई क भरोसा अहइ कि परमेस्सर इ होइ क निआव नाही करब। 17 उ मनई भाग्यवान अहइ, जेकर परमेस्सर सुधार करत ह एह बरे जब सर्व सक्तीसाली परमेस्सर तू पचन्क सजा देत होइ तउ तू आपन दुःखड़ा जिन रोआ। 18 परमेस्सर ओन घावत पइ पट्टी बाधँत ह जेनका उ दिहस ह। उ चोट पहोंचावत ह मुला ओकर ही हाथ चंगा भी करत हीं। 19 उ तोहका छ: विपत्तियन स बचावा। हा!सात विपत्तियन मँ तोहका कउनो नोस्कान न होइ। 20 अकाल क समइ परमेस्सर तोहका मउत स बचाइ अउर परमेस्सर जुदध मँ तोहर मउत रच्छा करी। 21 जब लोग आपन कठोर सब्दन स तोहरे बरे बुरी बात बोलिहीं, तब परमेस्सर तोहर रच्छा करी। विपत्तियन क समइ तोहका डेराइ क जरुरत नाहीं होइ। 22 तू विनास अउ भुखमरी स समइ मँ भी खुस रहब्य़ा। अउर तोहका जगंली जनावरन स भी कबहुँ नाहीं डेराइ चाहीं। 23 मैदानन क चट्टानन तोहार साथी क होइ। जंगली जनावरन भी तोहरे संग सान्ति रखत हीं। 24 तू सान्ति स रहब्या काहेकि तोहार तम्बू सुरच्छित अहइ। तू पचे आपन भेड़न क बाड़ा भी लखब्या, अउर ओहमाँ एक भी भेड़ हेराइ नाहीं। 25 तोहर बहोत सन्तानन होइहीं। उ सबइ एँतना होइहीं जेतना घासे क पाती भुइयाँ पइ अहइँ। 26 तू उ पका भवा गोहूँ जइसा होब्या जउन कटनी क समइ तलक पकत ह। हाँ, तू पूरी उमर तलक जिअत रहब्या। 27 अय्यूब, हम पचे इ सबइ बातन जाँचित ह अउर हम पचे जानित ह कि इ सबइ फुर अहइँ। एह बरे अय्यूब मोर सुना अउर तू इ सबन्क खुद आपन समुझ ल्या।”
6:1 फुन अय्यूब जवाब दिहेस, 2 “मोरे पीरा अउ दुःख क तराजु मँ तउलइ दया। 3 मोर व्याथा समुद्दर क समूची रेत स भी जियादा भारी होइ। एह बरे मइँ गँवार जइसा बात किहेउँ ह। 4 सर्वसक्तीमान परमेस्सर क बाण मोह माँ घुसा अहइँ अउर मोर प्राण ओन बाणन क विख क पिअत रहत ह। परमेस्सर क उ सबइ भयानक सस्त्र मोरे खिलाफ एक संग रखा भवा अहइँ। 5 तोहरे सब्दन कहइ बरे आसान अहइ जब कछू भी बुरा नाहीं भएन ह। हिआँ तलक कि जंगली गदहा भी नाहीं रेकंत अगर ओकरे लगे खाइ क रहइ। इहइ तरह कउनो भी गइया तब तलक नाहीं रँभात जब तलक ओकरे लगे चइर क चारा अहइ। 6 बे नमक क भोजन बिना स्वाद क होत ह। अउर अण्डा क सफेदी मँ भी स्वाद नाहीं होत ह। 7 मोरे बरे तोहार सब्द ठीक उहइ तरह अहइ। इ भोजन क छुअइ स मइँ इन्कार करत हउँ। इ तरह क भोजन मोका सड़ा भवा लागत ह। 8 परमेस्सर क मोर माँग क अनुमोदन करइ दया अउर मोका उ देइ दया जे मँ चाहत हउँ। 9 परमेस्सर क मोका सराप अउर मार डावइ दया! 10 अगर उ मोका मारत ह तउ एक ठु बात क चैन मोका रहीं, आपन अनन्त पीरा मँ भी मोका एक ठु बाते क खुसी रही, कि मइँ कबहुँ भी आपन पवित्र क हुकुमन पइ चलइ स इन्कार नाहीं किहउँ। 11 मोर सक्ती छीण होइ चुकी बाटइ एह बरे मोका जिअत रहइ क आसा नाहीं अहइ। मोका पता नाहीं कि आखीर मँ मोरे संग का होइ? एह बरे धीरज धइर क मोरे लगे कउनो कारण नाहीं अहइ। 12 मइँ चट्टान क नाई मजबूत नाहीं अहउँ। न ही मोर देह काँसे स रची गइ अहइ। 13 अब तउ मोहमाँ एँतनी भी सक्ती नाहीं कि मइँ खुद क बचाइ लेउँ। काहेकि मोहसे कामयाबी छीन लीन्ह गइ अहइ। 14 काहेकि उ जउन आपन दोस्तन खातिर निस्ठा देखावइ स इन्कार करत ह। उ सर्वसक्तीमान परमेस्सर क भी अपमान करत ह। 15 मुला मोरे बन्धु लोगो, तू बिस्सास क जोग्ग नाहीं रहया। तू पचे नदी-तल क नाई अबिस्ससी ह जेहमाँ बरिस क कछू भाग मँ ही जल रहत ह। 16 उ सबहिं अँन्धियारा नदी-तल, बरफ स उमड़ि जात ह जब बरफ टेघरत ही। 17 मुला जब मौसम गरम अउ सूखा होत ह, तब पानी बहब बंद होइ जात ह, अउर जन क धारा झुराइ जात हीं। 18 बइपारी लोगन क दल आपन रास्ता क तजि देत ही अउर रेगिस्ताने मँ प्रवेस कइ जात ही अउर उ पचे तुप्त होइ जात हीं। 19 तेमा क वइपारी दल जल क हेरत रहेन अउर सबा क राही आसा क संग लखत रहेन। 20 उ पचन्क विस्सास रहा कि पानी मिली मुला ओनका निरासा मिली। 21 अब तू पचे ओन जल धारन क समान अहा। तू पचे मोर सबइ यातना क लखत अहा अउ डेरान अहा। 22 का मइँ कहेउँ कि ‘मोका उपहार द्या?’ का मइँ कहेउँ कि ‘मोर बरे रिस्वत क रूप मँ एक भेंट द्या?’ 23 का मइँ तू पचन्स कहेउँ, मोर दुस्मनन स मोका बचाइ ल्या? का मइँ तोहका कह्उँ कि ओका मुक्ती-धन द्या जउन मोका पकरेस ह 24 एह बरे अब मोका सिच्छा दया अउर मइँ सान्त होइ जाब। मोका देखाँइ दया कि मइँ का बूरा किहेउँ ह। 25 सच्चा सब्द ताकतवर होत हीं, मुला तू पचे का आलोचना करत ह 26 का तू आलोचना क अविस्कार करत ह का तू एहसे भी जिआदा निरासाजनक सब्द बोलब्या? 27 हिआँ तलक कि जुआ मँ अनाथ क भी वस्तुअन क लेइ चाहत ह। हिआँ तलक कि तू आपन निज मीत क भी बेचइ चाहत ह। 28 मुला अब, मोरे मुख क परखा। मइँ तोहसे झूठ नाहीं बोलब। 29 एह बरे, आपने मने क बदल डावा। एक भी अनियाय जिन होइ दया, फुन स जरा सोचा काहेकि मइँ कउनो बुरा काम नाहीं किहेउँ ह। 30 मइँ झूठ नाहीं कहत हउँ। मोका भला अउ बुरे लोगन क पहिचान अहइ।”
7:1 अय्यूब कहेस, “मनई क धरती पइ कड़ा सघर्ष करइ क पड़त ह। ओकर जिन्नगी भाड़े क मजदूर क जिन्नदी जइसी होत ह। 2 मनई उ भाड़ा क मजदूर जइसा अहइ, जउन दिन क अन्त मँ ठंडी छाँह चाहत ह, अउ मजदूरी क इन्तज़ार करत ह। 3 महीना दर महीना बेचइनी क बीत गवा अहइँ अउर पीरा भइ राति दर रात मोका दइ दीन्ह गइ अहइ। 4 जब मइँ ओलरत हउँ, मइँ सोचत रहत हउँ, ‘मोरे उठइ क कबहुँ अउर कितनी देर अहइ?’ मुला इ रात तउ घसेटत चला जात ह। मइँ तउ पीरा झेल रहत हउँ अउ करवट बदलत हउँ जब तलक सूरज नाहीं निकरि आवत। 5 मोर तन कीरन अउ धूरि स ढाक लीन्ह अहइ। मोर चमड़ी चटक गइ अहइ अउर एहमाँ रिसत भए फोड़ा भरि गवा अहइँ। 6 मोर दिन जुलाहा क फिरकी स भी जियादा तेज चाल स बीतत अहइँ। मोर जिन्नगी क आखीर बिना कउनो आसा क होत अहइ। 7 हे परमेस्सर,याद राखा मोर जिन्नगी सिरिफ एक ठु साँस अहइ। अब मोर आँखी कछू भी नाहीं लखिहीं। 8 अबहिं तू मोका लखत अहा मुला फुन तू मोका नाहीं लख पउब्या। तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब। 9 एक बादर छोटा होइ जात ह अउर आखर मँ लुप्त होइ जात ह। इ तरह एक मनई जउन मर जात ह अउर कब्र मँ गाड़ दीन्ह जात ह, उ फुन वापिस नाहीं आवत ह। 10 उ आपन पुराना घरे क वापिस कबहुँ नाहीं लउटी। ओकर घर ओका फुन कबहुँ भी नाहीं जानी। 11 एह बरे मइँ चुप नाहीं रंहब। मइँ सब कहि डाउब। मोर आतिमा दुखी अहइ अउर मोर मन कडुआहट स भरा अहइ, एह बरे मइँ उ सब बातन क बारे मँ सिकायत करब जउन मोर संग घटेस ह। 12 हे परमेस्सर,तू मोर पइ पहरेदार काहे राखेस हका मइँ समुददर हउँ, या समुददर क कउनो दैत्य? 13 हे परमेस्सर, जब मोका लगत ह कि खाट मोका सान्ति देइ अउर मोर पलंग मोका चइन अउ बिस्त्राम देइ, तब मोका सपना मँ डरावत ह। 14 15 मइँ आपन गला घोंटि जाइ पसन्द करब्या। मउत इ देह मँ रहइ स बेहतर अहइ। 16 मइँ आपन जिन्नगी स घिना करत हउँ। मइँ हमेसा अइसा जिअत रहब नाहीं चाहत हउँ। मोका अकेल्ला रहइ दया। मोर जिन्नगी बेकार अहइ। 17 हे परमेस्सर, मनई तोहरे बरे काहे एँतना महत्वपूर्ण अहइ? काहे मनई पइ तोहका एँतना धियान देइ चाहीं? 18 हर भिन्सारे काहे तू मनई क लगे आवत ह अउर हर छिन तू काहे ओका परखा करत अहा? 19 हे परमेस्सर, तू कबहुँ भी मोका नज़र अन्दाज़ नाही करत ह अउर मोका एक छन अकेल्ला नाहीं छोड़त ह। 20 हे परमेस्सर, तू हरेक चिजियन पइ जउन हम पचे करत हीं निगाह रखत ह! जदि मइँ पाप किहा तउ मइँ का किहा? तू मोका काहे निसाना बनाया ह मइँ तोहार बरे काहे बोझ बन गवा हउँ। 21 का तू मोर सबइ गलती क छिमा नाहीं करत्या अउर मोरे पापन क तू काहे छिमा नाहीं करत्या? मइँ हाली ही मरि जाब अउर कब्र मँ चला जाब। जब तू मोका हेरब्या मुला तब तलक मइँ जाइ चुका होब।”
8:1 एकरे पाछे सूह प्रदेस क बिलदद जवाब देत भए कहेस। 2 “तू कब तलक अइसी बातन करत रहब्या? तोहार सब्द तेज आँधी क तरह बहत अहइँ। 3 परमेस्सर सदा स्वच्छ रहत ह। निआउवाली बातन क सर्वसक्तीवाला परमेस्सर कबहुँ नाहीं बदलत ह। 4 एह बरे अगर तोहर सन्तानन परमेस्सर क खिलाफ पाप किहन ह तउ ओनका राजा दिहस ह। आपन पापन खातिर ओनका भोगइ क पड़ा ह। 5 मुला अब अय्यूब, परमेस्सर कइँती निगाह करा, अउर सर्वसक्तीमान परमेस्सर स ओकर दाया पावइ खातिर बिनती करा। 6 अगर तू पवितर अउर ईमानदार अहा, तउ उ हाली तोहार मदद बरे आइ। उ तोहार नीक घरे क रच्छा करब। 7 जउन कछू भी खोया उ तोहका नान्ह स बात लगी। काहेकि तोहार भविस्स बड़ा सुफल होइ। 8 ओन बुढ़वा लोगन स पूछा अउर पता करा कि ओनकर पुरखान क सीखे रहेन। 9 काहेकि अइसा लागत ह जइसा कि हम तउ बस काल्ह ही पइदा भएन ह, हम कछू नाहीं जानित। परछाई क तरह हमार उमर भुइँया पइ बहोत छोट क अहइ। 10 होइ सकत ह कि बूढ़वा लोग तोहका कूछ सिखाइ सकइँ। होइ सकत ह जउऩ उ पचे सीखेन ह उ पचे मोका सिखाइ सकइँ।” 11 बिलदद कहेस, “का भोजपत्र क बृच्छ दलदल भुइँया क इलावा कहुँ बढ़ सकत ह का नरकट बे पानी क बाढ़ि सकत ह 12 नाहीं, अगर पानी झुराइ जात ह तउ उ पचे भी मुरझाइ जइहीं। ओनका काटा जाइ जोग्ग काटिके काम मँ लिआवइ क उ पचे बहोत छोट रहि जइहीं। 13 उ मनई जउन परमेस्सर क बिसारि जात ह, नरकट क तरह होत ह। उ मनई जउन परमेस्सर क बिसारि जात ह ओकरे बरे कउनो आसा नाहीं अहइ। 14 उ मनई क बिस्सास बहोत दुर्बल होत ह। उ मनई मकड़ी क जाला क सहारे रहत ह। 15 अगर कउनो मनई मकड़ी क जाले क सहारा लेत ह, इ टुटि जाइ। अगर उ मकड़ी क जाल क पकरत ह, इ नस्ट होइ जाइ। 16 उ मनई उ पौधे क नाई अहइ जेकरे लगे पानी अउ सूरज क रोसनी बहोतइ अहइ। ओकर डारियन बगिया मँ हर कइँती सँचरत हीं। 17 उ पाथर क टीला क चारिहुँ कइँती आपन जड़न क फइलावत ह अउ चटटान मँ जमइ बरे कउनो ठउर हेरत ह। 18 जब पौधा आपन जगह स उखाड़ दीन्ह जात ह, तउ कउनो भि नाहीं जान पात ह कि हुआँ कबहुँ कउनो पौधा रहा। 19 मुला उ पौधा हुआँ खुस रहा, अब दूसर पउधन हुआँ जमिहीं, जहाँ कबहुँ उ पउधा रहा। 20 मुला परमेस्सर कबहुँ भी निर्दोख मनई का नाहीं तजी अउर उ बुरे मनई क सहारा नाहीं देइ। 21 अबहुँ भी परमेस्सर तोहरे मुँह क हँसी स भरि देइ। तोहरे ओंठन क खुसी स चहकाइ देइ। 22 परमेस्सर तोहरे दुट्ठ दुस्मनन क लज्जा स झुकाइ देइ। अउर ओनकर घरन क नास कइ देइ।
9:1 फुन अय्यूब जवाब दिहस। 2 “हाँ,मइँ जानत हउँ कि तू फुरइ कहत ह मुला मनई परमेस्सर क समन्वा निर्दोख कइसे होइ सकत ह 3 मनई परमेस्सर स बहस नाहीं कइ सकत। परमेस्सर मनई स हजारन सवाल कइ सकत ह अउर कउनो ओनमाँ स एक ठु क भी जवाब नाहीं दइ सकत ह। 4 परमेस्सर बुद्धिमान अउर सक्तीसाली बाटइ। अइसा कउनो मनई नाहीं जउन पारमेस्सर क कामयाबी क खिलाफ करी। 5 जब परमेस्सर कोहाइ जात ह, उ पहाड़न क हटाइ देत ह, अउर उ सबइ समुझ तलक नाहीं पउतेन। 6 परमेस्सर भुइँया क कँपावइ बरे भुइँडोल पठवत ह। परमेस्सर भुइँया क खम्भन क हिलाइ देत ह। 7 परमेस्सर सूरज क आग्या दइ सकत ह अउर ओका उगइ स रोक सकत ह। उ तारन क बंद कइ सकत ह ताकि उ सबइ न चमकाइँ। 8 सिरिफ परमेस्सर अकासन क रचेत ह। उ सागरे क लहरन पर बिचरि सकत ह। 9 परमेस्सर सप्तर्सि, मृगसिरा अउर कचपचिया तारन क बनाएस ह। उ ओन ग्रहन क बनाएस जउन दक्खिन क अकास पार करत हीं। 10 परमेस्सर अइसेन अदभुत करम करत ह जेनका मनई नाहीं समुझ सकत। परमेस्सर क महान अचरज भरे करमन क कउनो अन्त नाहीं अहइ। 11 परमेस्सर जब मोरे लगे स निकरत ह तउ मइँ ओका लख नाहीं पावत हउँ। परमेस्सर जब मोरी बगल स निकरि जात ह तउ भी मइँ जान नाहीं पावत हउँ। 12 अगर परमेस्सर छोरइ लागत ह तउ कउनो भी ओका रोक नाहीं सकत। कउनो भी ओहसे कह नाहीं सकत कि ‘तू का करत अहा?’ 13 परमेस्सर आपन किरोध क रोकी नाहीं। हिआँ तलक कि राहाबक सहायक भी परमेस्सर क सक्ती क आगे झुकत ही। 14 एह बरे परमेस्सर स मइँ बहस नाहीं कइ सकत। मइँ नाही जानत कि ओहसे का कहा जाइ। 15 यद्दापि मइँ तउ निर्दोख अहउँ, मोरे लगे कउनो विकल्प नाहीं अहइ किन्तु ओहसे जउनो कि मोका निआव करत ह दाया क आग्रह कइ सकत हउँ। मइँ सिरिफ ओसे जउन मोर निआउ करत ह, दाया क भीख माँग सकत हउँ। 16 अगर मइँ ओका गोहरावउँ अउर उ जवाब देइ, तबहुँ मोका बिस्सास नाहीं होइ कि उ सच ही ओह पइ धियान देत ह, ‘जउन मइँ कहत हउँ। 17 परमेस्सर मोका कुचरइ बरे तूफान पठइ अउर उ मोका अकारण ही जियादा घाव देइ। 18 परमेस्सर मोका फुन साँस नाहीं लेइ देइ। उ मोका अउर जियादा दुख देइ। 19 कउनो मनई परमेस्सर क सक्ती क मुकाबला मँ हराइ नाहीं सकत ह। कउनो मनई परमेस्सर क अदालत मँ लइ बरे मजबूर नाहीं कइ सकत ह। 20 चाहे मइँ निर्दोख अहउँ, जउन कछू भी मइँ कहत हउँ उ मोका दोखी ठहराउब। चाहे मइँ कउनो बुरा काम नाहीं किहा, उ मोका भ्रस्ट क जइसा बनाउब्या। 21 मइँ पाप रहित हउँ। मुला मोका आपन ही परवाह नाहीं अहइ मइँ खुद आपन ही जिन्नगी स घिना करत हउँ। 22 मइँ खुद स कहत हउँ, ‘हर कउनो क संग एक समान ही घटित होइ। निरपराध लोग वइसेन ही मरत हीं जइसे अपराधी मरत हीं। परमेस्सर ओन सबक जिन्नगी क अन्त करत ह।’ 23 का परमेस्सर मज़ाक करत ह जब अचान्क विपति आवत अउर कउनो निर्दोख मनई मारा जात ह 24 अगर निआधीस क आँखिन क ढाँपि दीन्ह जाइ तउ घरती पइ दुट्ठन क राज होइ जाब्या। अगर इ परमेस्सर नाहीं किहस, तउ फुन कउन किहस ह 25 कउनो तेज धावक स तेज मोर दिन परात अहइँ। मोर दिन उड़िके बीतत अहइँ अउऱ ओनमाँ कउनो खुसी नाहीं अहइँ। 26 तेजी स मोर दिन बीतत अहइँ जइसे भोजपत्र क नाब बहत चली जात ह। मोर दिन अइसे हीं बीतत अहइँ जइसे उकाब आपन सिकारे पइ टूट पड़त होइ! 27 जदि मइँ कह सकब, ‘मइ सिकाइत नाहीं करब। मइँ जानत दर्द भुल जाब। अउर खुस होइ जाब्या।’ 28 किन्तु मइँ अबहुँ तलक पीरा स डेरात हउँ काहेकि मइँ जानत हउँ कि अबहुँ भी तू (परमेस्सर) मोका निर्दोख नाहीं बनाउब्या। 29 मइँ परमेस्सर क संग आपन दलील क खोइ देब। तउ कोसिस करइ मँ मोका आपन समइ काहे बरबाद करइ चाही। 30 चाहे मइँ आपन हाथ धोइ बरे सबन त सुद्ध पानी अउर बड़िया साबुन क प्रयोग करा। 31 फुन भी परमेस्सर मोका घिनौना गड़हा मँ ढकेल देइ जहाँ मोर ओढ़ना तलक मोहसे घिना करिहीं। 32 परमेस्सर, मोर जइसा मनई नाहीं अहइ। एह बरे ओका मइँ जवाब नाहीं दइ सकत। हम दुइनउँ अदालत मँ एक दूसरे स मिल सकित नाहीं। 33 हुवाँ कउनो एक बिचौलिया नाहीं जउन हमार बीच क बातन सुन सकत। हुवाँ कउनो एक नाहीं जउन हम दुइनउँ क ऊपर अधिकार रखइ सकत। 34 अगर परमेस्सर मोका सज़ा देइ बन्द कइ देइ, अउर उ मोका बहोत जियादा नाहीं डेरावइ। 35 तब मइँ बगैर डरे परमेस्सर स उ सब कहि सकत हउँ, काहेकि मइँ जानत हउँ कि मइँ अइसा दोखी नाहीं हउँ जइसा मोह क दोखी ठहराइ गवा ह।
10:1 मुला हाथ, अब मइँ वइसा नाहीं कइ सकत। मोका खुद आपन जिन्नगी स घिना अहइ एह बरे मइँ अजाद भाव स आपन दुखड़ा रोउब। मोरे मने मँ कडुआहट भरी अहइ एह बरे अब मइँ बोलब। 2 मइँ परमेस्सर स कहब ‘मोह पइ दोख जिन लगावा। मोरे खिलाफ तोहरे लगे लगावइ बरे का अहइ? 3 हे परमेस्सर, का तू मोका चोट पहोंचाइके खुस होत ह अइसा लगत ह जइसे तोहका आपन सृस्टि बरे कउनो चिंता नाहीं अहइ। अउर सायद, तू दुस्टन क कुचालन क पच्छ लेत अहा। 4 हे परमेस्सर, का तोहर आँखिन मनई क समान अहइँ का तू चिजियन क अइसे ही लखत ह, जइसे मनइयन लखा करत हीं। 5 का तोहार आयु हम जइसे मनइयन क तरह अल्प अहइ? का तोहार जिन्नगी हम मनइयन क जइसे अल्प अहइ? 6 तू मोर गलतियन खोजत ह अउर मोरे पापन क हेरत ह। 7 तू जानत ह कि मइँ निरपराध हउँ मुला मोका कउनो भी तोहर सक्ती स बचाइ नाहीं सकत। 8 परमेस्सर, तू मोका रच्या अउर तोहर हाथन मोरे तन क सँवारेन, मुला अब ही मोरे खिलाफ होइ गया अउर मोका नस्ट करत अहा। 9 हे परमेस्सर, याद करा कि तू मोका चिकनी माटी स मढ़या, मुला अब तू ही मोका फुन स धूलि मँ बदलब्या। 10 तू मोका दुधे क नाई उड़ेरत स मँ ह, तब तू मोका दही बनावत ह अउर निचोड़त ह अउर फुन तू मोका दुधे स पनीर बनावत ह। 11 तू मोका हाड़न अउ माँस पेसियन स बनाएस ह। तू मोका चमड़ी अउ माँस स ढँकेस ह। 12 तू मोका जिन्नगी क दान दिहा अउर मोरे बरे दयालु रहया। तू मोरे धियान राख्या अउर तू मोरे प्राणन क रखवरी किहा। 13 मुला इ उ अहइ जेका तू आपन मने मँ छुपाए राख्या। मइँ जानत हउँ कि इ उ अहइ जेकर तू आपन मने मँ गुप्त रुप स जोजना बनाया ह। 14 अगर मइँ पाप किहेउँ तउ तू मोका लखत रहया। यह बरे तू मोका निर्दोख घोसित नाहीं कर सकत्य़ा ह काहेकि मइँ बुरा काम किहेउँ ह। 15 अगर मइँ दुस्ट जइसा बेउहार किहेउँ ह तउ तू मोका इ सब झेलइ चाही। अगर मइँ निरपराध भी हउँ तउ भी आपन मूँड़ नाहीं उठाइ पउतेउ काहेकि मइँ लज्जा अउ पीरा स भरा भवा हउँ। 16 इ अइसा ही लागत ह कि तोहका सिंह क तरह मोर सिकार करइ पसन्द ह। तू आपन सक्ती मोर खिलाफ बार-बार देखावत ह। 17 तू मोरे खिलाफ सदा ही कउनो न कउनो क नवा गवाह बनावत ह। तोहर किरोध मोरे खिलाफ अउर जियादा भड़क उठी अउर मोरे खिलाफ तू नई ऩई दुस्मन क सेना लिअउब्या। 18 हे परमेस्सर, तू मोका काहे जन्म दिहा?एहसे पहिले कि मोका कउनो लख सकत कास! मइँ मरि जातेउँ! 19 कास!मइँ जिउत न रहतेउँ। कास! मोका माता क गर्भ स सोझइ ही कब्रा मँ उतार दीन्ह जातेउँ! 20 मोर जिन्नगी कहीब करीब खतम होइ चुकी अहइ। कृपा कइके मोका अकेल्ले रही दया। ताकि मइँ इ अल्प समइ क अनन्द लेइ सकब। 21 एहसे पहिले कि मइँ हुआँ चला जाउँ स कबहुँ मइँ वापस नाहीं आइ सकउँ, जउन जगह पइ अँधियारा अउर घोर अन्धाकर बाटइ, 22 जउन तनिक समइ बचा अहइ मोका जिअइ लेइ दया। एहसे पहिले कि मइँ हुआँ चला जाउँ जउने जगह क कउनो लखि नाहीं पावत, अँधियारा क जगह, छाया अउर गड़वड़ क जगह, उ जगह पइ जहाँ रोसनी भी अँधियारा स भरी होत ह।”
11:1 एह पइ नामात नाउँ क पहँटा क सोपर अय्यूब क जवाब देत भए कहेस, 2 “इ सब्दन क प्रवाह क जवाब मिलइ चाही! का कउनो मनई आपन क सिरिफ जियाद बोलइ के निर्दोख बनावइ सकत ह। 3 का तू सोचत ह कि तोहार सेखी हम लोगन क सांत कइ सकत? का तू सोचत ह कि बिना हमार स डांट खाए मज़ाक उड़ा सकत ह। 4 अय्यूब, तू परमेस्सर स कहत रह्या, ‘मोर सिद्धान्त सुद्ध अहइ। तू लख सकत ह कि मइँ निर्दोख अहउँ।’ 5 सचमुच मँ मोर इ इच्छा अहइ कि परमेस्सर बोलइ अउर तोहसे बात करिहीं। 6 तउ तोहका बुद्धि क रहस्य बताइ। बुद्धि अनेक सच्चाइ राखत ह। अय्यूब, मोर सुना। परमेस्सर सचमुच ही तोहार कछू पापन क नज़र अन्दाज करत ह। 7 अय्यूब का तू परमेस्सर क रहस्य समुझ सकत ह का तू सर्वसाक्तीमान परमेस्सर क बुद्धि क सीमा समुझ सकत ह 8 ओकर बूद्धि अकासे स ऊँच अहइँ, तू का कइ सकत्या? ओकर बुद्धि मृत्यलोक स गहिर अहइँ, का तू एका समुझ सकत्या? 9 उ सबइ सीमा धरती स बड़ा अउर सागर स बिसाल अहइँ। 10 अगर परमेस्सर तोहका बन्दी बनावइ अउर तोहका अदालत मँ लइ जाइ, तउ कउन ओका रोक सकत्य़ा? 11 परमेस्सर सचमुच जानत ह कि कउन धोखेबाज़ अहइ। परमेस्सर जब बुरी काम क लखत ह, तउ उ ओकर नज़र अन्दाज़ नाही करब्या। 12 मुला कउनो मूरख मनई कबहुँ बुद्धिमान नाहीं होइ सकत ह। जइसे एक जंगली गदहा एक मनई क जन्म नाहीं देइ सकत ह। 13 तउ अय्यूब, तोहका आपन सोच-बिचार पइ जरुर रोक लगावइ चाही, अउर आपन हाथन पराथना मँ फइलावइ चाहीं। 14 कउनो दुट्ठता जउन तोहरे हाथन मँ बसा अहइ, ओका तू दूर करा। अउर आपन घरे मँ कउनो बुराइ क जिन रहइ दया। 15 तबहिं सिरिफ तोहर दोख क छिमा कीन्ह जाब्या। तू मजबूती स खड़ा रहब्या अउर नाहीं डेराब्या। 16 अय्यूब, तब तू आपन विपत्ति क बिसरि जाब्या। तू आपन दुखड़ा क बस उ पानी जइसा सुमिरन करब्या जउन तोहरे लगे स बहिके चला गवा। 17 तोहर जिन्नगी दुपहर क सूरज स भी जियादा उज्जर होइ। जिन्नगी क अंधियर घड़ियन अइसेन चमकिहीं जइसे भिन्सारे क सूरझ। 18 अय्यूब, तू सुरच्छित अनुभव करब्य़ा काहेकि हुआँ आसा होइ। परमेस्सर तोहार रखवारी करी अउर तोहका आराम देइ। 19 चइन स तू सोउब्या, कउनो तोहका नाहीं डेराई अउर बहोत स लोग तोहसे मदद मंगिहीं। 20 मुला जब बुरे लोग आसरा हेरिहीं, तब ओनका नाहीं मिली। ओनके लगे कउनो आस नाहीं होइ। मउत ही ओनकर सिरिफ आसा होइ।”
12:1 फुन अय्यूब सोपर क जवाब दिहस। 2 “बिना संदेह क तू सोचत अहा कि सिरिफ तू ही लोग बुद्धिमान अहा, तू सोचत अहा कि जब तू मरब्या तउ विवेक मर जाइ तोहरे संग। 3 मुला तोहार जेतँनी बुद्धि भी उत्तिम बाटइ, मइँ तोहसे कछू घटिके नाहीं अहउँ। अइसी बातन क जइसी तू कहत ह, हर कउनो जानत ह। 4 अब मोरे मीत मोरे मसखरी उड़ावत हीं। ‘मइँ प्रतिदिन परथना किहा करत रहा अउर उ मोर परथना क जवाब देत रहा। किन्तु अब भी मइँ बेगुनाह अउर निर्दोख अहउँ, मोर परोसी मोर खिल्ली उड़ावत हीं।’ 5 अइसे लोग जेह पइ कबहुँ विपति नाहीं पड़ी, विपदा स घिरा लागेन क हँसी किया करत हीं। मगर विपदा हमेसा उ लोगन पइ आइ बरे तइयार रहत ही जेकर गोड़ दृढ़ नाहीं अहइँ। 6 डाकुअन आपन डेरन मँ बगैर चिन्ता क रहत हीं। अइसे लोग जउन परमेस्सर क क्रोधित करत हीं, सान्ति स रहत हीं। परमेस्सर ओनका धियान रखत हीं। 7 चाहे तू पसु स पूछिके लखा, उ पचे तोहका सिखाइ देइहीं, या हवा क पंछियन स पूछा उ पचे तोहका बताइ देइहीं। 8 या तू धरती स पूछि ल्या उ तोहका सिखाइ देइ या सागरे क मछरियन क आपन गियान तोहका बतावइ दया। 9 हर कउनो जानत ह कि यहोवा एँन सबइ चिजियन क रचेस ह। 10 हर जिअत पसु अउर हर एक प्राणी जउन साँस लेत ह, परमेस्सर क आधीन अहइ। 11 जइसे जीभ भोजन क सुआद चखत ह वइसे ही कानन क सब्दन क परखत ह। 12 लोग कहित ह, ‘अइसा ही बूढ़न क लगे विवेक रहत ह। अउर लम्बी उमर समुझ बुझ देत हीं?’ 13 किन्तु उ परमेस्सर अहइ जेकर लगे बुदिध अउर सक्ती अहइ। उ अच्छा सलाह अउर सूझबूझ रखत हीं। 14 अगर परमेस्सर कउनो चिज क ढहाइ क गिराइ देइ तउ, फुन लोग ओका नाहीं बनाइ सकतेन। अगर परमेसस्र कउनो मनई क बन्दी बनावइ, तउ लोग ओका अजाद नाहीं कइ सकतेन। 15 अगर परमेस्सर बर्खा क रोकइ तउ धरती झुराइ जाइ। अगर परमेस्सर बर्खा क छूट दइ दइ, तउ उ धरती पइ बाढ़ लइ आई। 16 परमेस्सर सक्तीसीली अहइ। उ सदा विजयी होत ह। उ मनई जउन छलत ह अउर उ मनई जउन छला जात ह दुउनउँ परमेस्सर क अहइँ। 17 परमेस्सर सलाहकारन स ओनकर बूदिध लेइ लेत ह। उ प्रमुखन क अइसा बनाइ देत ह कि उ पचे मूर्ख मनइयन जइसा बेउहार करइ लागत हीं। 18 परमेस्सर राजा लोगन क अधिकार हटाइ लेत ह अउर ओनका दास बना देत ह। 19 परमेस्सर याजक लोगन ओनकर सक्ती स वंचित कर देत ह अउर ओनकर दर्जा क सुरच्छा क छीन लेत ह। 20 परमेस्सर बिस्सासनीय सलाहकार क चुप कराइ देत ह। उ बूढ़े लोगन क बूद्धि लइ लेत ह। 21 परमेस्सर महत्वपूर्ण अधिकारियन क साथ अइसा बेउहार करत ह जइसा उ कछू नाहीं अहइ। उ सासकन क सक्ती लेइ लेत हीं। 22 परमेस्सर अँधियारा स रहस्य स भरी सच्चाई क परगट करत ह। उ घना अँधियारा स घिरा जगहियन पइ, रोसनी पठवत ह। 23 परमेस्सर रास्ट्रन क विसाल अउ सक्तीसाली होइ देत ह, अउऱ फुन ओनका उ नस्ट कइ डावत ह। उ रास्ट्रन क विकसित कइके विसाल बनइ देत ह, फुन ओनकर लोगन क उ तितर बितर कइ देत ह। 24 परमेस्सर धरती क रास्ट्रन क प्रमुखन क मूरख अउर नासमुझ बनाइ देत ह। उ ओनका मरुभूमि मँ जहाँ कउऩो राह नाहीं भटक बरे पठवत ह। 25 उ पचे प्रमुख लोग अँधियारा मँ आपन राह टटरोत रहत हीं। कउनो भी प्रकास ओनके लगे नाहीं होत ह। परमेस्सर ओनका अइसे चलावत ह, जइसे पीके धुत भए लोग चलत हीं।”
13:1 मोर आँखिन पहिले स ही उ सब चिजियन क गवाही अहा जउन तू कह्या ह। मोर कानन पहिले ही सुन अउर समुझ चुका ह जउन कछू तू करत अहा। 2 मइँ भी ओतना ही जानत हउँ जेतना तू जानत अहा, मइँ तोहसे कम नाहीं हउँ। 3 किन्तु मइँ सर्वसक्तीमान परमेस्सर स बोलइ चाहत हउँ, अउर मइँ ओकर समन्वा आपन मुकद्दमा क सफ़ाइ देउँ। 4 मुला तू तीनउँ लोग आपन छूठ बातन स सच्चाई क ढाँपइ चाहत अहा। तू उ बेकार क चिकित्सक नाई अहा जउन कउनो क नीक नाहीं कइ सकत। 5 मोर इ कामना अहइ कि तू पूरी तरह चुप होइ जा। इ तोहरे बरे बूद्धिमानी क बात होइ जउन तू कइ सकत ह। 6 “अब मोर तर्क सुना। सुना जब मइँ आपन सफाई देउँ। 7 का तू परमेस्सर बरे झूठ बोलब्या? का तू सचमुच परमेस्सर क बारे मँ झूठ बोलब्या? 8 का तू मोरे खिलाफ परमेस्सर क पच्छ लेब्या? का तू अदालत मँ परमेस्सर क बचावइ जात अहा? 9 अगर परमेस्सर तोहका बहोत करीब स जाँच लिहस तउ का उ कछू भी नीक बात पाई? का तू सोचत अहा कि तू परमेस्सर क छल पउब्या, ठीक उहइ तरह जइसे तू लोगन क छलत अहा? 10 अगर तू अदालत मँ छुपा छुपा कउनो तरफ़दारी करब्या, तउ परमेस्सर निहचय ही तोहका लताड़ी। 11 ओकर तेज तोहका डरावत ह अउऱ तू डर जात ह। 12 तोहार कहब धूलि जइसे बेकार अहइँ। तोहार तर्कन माटी जइसी दुर्बल अहइँ। 13 चुप रहा अउ मोका कहि लेइ दया। मोरे संग कछू बात होइ जाइ दया। 14 मइँ खुद क संकट मँ डावत हउँ अउर मइँ खुद आपन जिन्नगी आपन हाथन मँ लेत हउँ। 15 होइ सकत ह परमेस्सर मोका मारि देइ। यद्यापि मोका जीत क कछू आसा नाहीं अहइ, तउ भी मइँ आपन मुकदमा क तर्क ओकरे समन्वा देब। 16 परमेस्सर मोर मुक्ति अहइ, काहेकि कउनो दुट्ठ मनई ओकर आपने-सामने नाहीं आइ सकत। 17 ओका धियान स सुना जेका मइँ कहत हउँ, ओह पइ कान दया जेकर व्याख्या मइँ करइ चाहत हउँ। 18 अब मइँ आपन बचाव करइ क तैयार हउँ। इ मोका पता अहइ कि मोका निर्दोख सिदध कीन्ह जाइ। 19 कउनो भी मनई इ प्रमाणित नाहीं कइ सकत कि मइँ गलत हउँ। अगर कउनो मनई इ सिदध कइ देइ तउ मइँ चुप होइ जाब अउर मरि जाब। 20 हे परमेस्सर, तू मोका दुइ बातन दइ दया, फिन मइँ तोहसे नाहीं छुपब। 21 मोका दण्ड देइ रोकि दया, अउर मोसा जियादा लड़इ छोड़ द्या। 22 फिन तू मोका पुकारा अउर मइ तोहका जवाब देब, या मोका बोलइ दया अउर तू मोका जावब दया। 23 केतँना पाप मइँ किए हउँ? कउन सा अपराध मोहसे होइ गवा? मोका मोर पाप अउर अपराध देखाँवा। 24 हे परमेस्सर, तू मोहसे काहे बचत अहा?तू मोर संग दुस्मन जइसा बेउहार काहे करत अहा? 25 का तू मोका डेरउब्या? मइँ एक पत्ता जइसा हउँ जेका पवन उड़ावत ह। एक झुरान तिनका क तू खदेड़त अहा। 26 हे परमेस्सर, तू मोरे विरोध मँ गंभीर दोसपूर्ण बात लिखत अहा। का तू मोका अइसे पापन बरे दुःख देत ह जउन मइँ आपन जवानी मँ किहे रहेउँ? 27 मोरे गोड़न मँ तू काठ डाइ दिहया ह। तू मोर हर कदम पइ आँखी गड़ए रखत ह। मोरे कदमन क तू सीमा बाँध दिहा ह। 28 मइँ सड़ी चीज जइसा छीन होत जात हउँ कीरन स खाए भए ओढ़नन क टुका जइसा।”
14:1 “उहइ दिना स जब हमार मताहरी हम पचन क जन्मेस ह, हमार जिन्नगी छोट अउ दुःख स भरी अहइ। 2 मनई क जिन्नगी फूल क नाई अहइ जउन हाली जमत ह अउर फुन खतम होइ जात ह। मनई क जिन्नगी अहइ जइसे कउनो छाया तनिक देर टोकत ह अउर बनी नाहीं रहत। 3 हे परमेस्सर, का तू उ मनई पइ धियान देब्या जउन मरा भवा लागत ह का तू मोर निआउ करइ मोका समन्वा लिअउब्या? 4 “कउनो अइसी चीज स जउन खुद स्वच्छ नाहीं अहइ स्वच्छ चीज कउन पाइ सकत ह कउनो नाहीं। 5 मनई क जिन्नगी सीमित अहइ। तू ओकर जीवन काल क सीमित कइ दिहेस ह। तू मनई बरे जउन सीमा बाँध्या ह, ओका कउनो भी नाहीं बदल सकत। 6 तउ परमेस्सर, तू हम पइ आँखी रखब तजि दया। हम लोगन क अकेल्ला तजि दया। हम पचन्क क आपन जिन्नगी क उहइ तरह समाप्त करइ दया जे तरह मजदूरन आपन काम क समाप्त करत ह। 7 मुला अगर बृच्छ क काटिके गिराइ दीन्ह जाइ तउ भी आसा ओका रहतह कि उ फुन स पनप सकत ह, काहेकि ओहमा नई नई डारन फूटत रइहीं। 8 चाहे ओकर जड़न धरती मँ पुरान काहे न होइ जाँइ अउर ओकार तना चाहे माटी मँ गल जाइ। 9 मुला पानी क सिरिफ गंध स उ नई बढ़त देत ह अउर एक पउध क तरह ओहसे डारन फूटत हीं। 10 मुला एक मनई कमज़ोर होइ जात ह अउ मरि जात ह, अउर तब उ चला जात ह। 11 समुददर स पानी गाएब होइ सकत ह अउर नदियन सूख कइ फट सकत ह, 12 अउर तउ भी जउऩ कउनो आपन कब्र मँ मरा भवा अहइ कबहुँ भी नाहीं जी उठब! ओकर नींद स जगाइ स पहिले ही आकास लुप्त होइ जाइ। 13 मोर इच्छा अहइ कि तू मोरी कब्र मँ तक तलक छुपाइ लेइ चाही जब तलक तोहार किरोध कम नाहीं होइ जाइ। अउर तोहका आदेस दीन्ह जाइतेन अउर मोका जगावा जातेन। 14 अगर कउनो मनई मरि जाइ तउ का जिन्न कबहुँ पउब्या? मइँ तब तलक बाट जोहब, जब तलक मोर कर्तव्य पूरा नाहीं होइ जात अउर जब तलक मइँ अजाद न होइ जाऊँ। 15 हे परमेस्सर, तू मोका बोलउब्या अउर मइँ तोहका जवाब देब। उ तू ही अहइ जउन मोका बनाया ह यह बरे तोहका मोह पइ धियान देइ चाही। 16 तब मोरी इच्छा अहइ कि तू मोर हर कदम क जाँच करा, मुला तोहका मोहमाँ कउनो गल्ति खोजइ क कोसिस नाहीं करइ चाही। 17 तउ इ अइसा होइतेन कि मोर पापन क एक थइला मँ बन्दा कीन्ह जातेन। अउर तू मोरे पापन क हटाइ देतेन। 18 एक नस्ट भवा पहाड़ क जइसा जेकर टूका ले लइ जात ह अउर एक चट्टान जउन आपन जगह स हटाइ लेइ जात ह। 19 जइसे पानी पाथर क घाँसि डावत ह अउ माटी क पानी बहाइके तल मँ लइ जात ह। हे परमेस्सर, उहइ तरह मनई क आसा क तू नस्ट करत अहा। 20 तू एक दाँइ मनई क हरावत अहा अउर उ खतम होइ जात ह। तू ओकरे मुँह बिगाड़न ह अउर ओका पठइ देत ह। 21 अगर ओकर पूत कबहुँ सन्मान पावत हीं तउ ओका कबहुँ ओकर पता नाहीं चल पावत। अगर ओकर पूत कबहुँ अपमान भोगत हीं, तउ उ कबहुँ ओका लखि नाहीं पावत ह। 22 तउ मनई क देह क कारण ही ओका पीड़ा होत ह अउर ओकर आतिमा ओकरे बरे सोक मनावत ह।”
15:1 एह पइ तेमान नगर क बसइया एलीपज अय्यूब क जवाब दिहेस। 2 “का तू सोचत अहा कि कउनो बुद्धिमान मनई बे अरथ सब्द स जवाब देत ह अउ आपन आप क गर्म हवा स भरि देत ह 3 का तू सोचक ह कि कउनो बुद्धिमान मनई व्यर्थ क सब्दन स अउर ओन भासणन स बहस करी जेनकर कउनो लाभ नाहीं अहइ? 4 अय्यूब, तोहर जवाब लोगन क परमेस्सर क आदर अउर ओकर उपासना करइ स रोकइ क कारण होइ। 5 तू जउने बातन क कहत ह उ तोहार पाप साफ साफ देखावत ह। अय्यूब, तू चतूराई स भरे भए सब्दन क प्रयोग कइके आपन पापन क छुपावइ क प्रयत्न करत अहा। 6 मोका जरुरी नाहीं कि तोहका गलत सिदध करउँ। काहे तू खुद आपन मुहँ स जउन बातन कहत ह, उ देखाँवत हीं कि तू बुरा अहा अउर तोहर ओठं खुद तोहरे खिलाफ बोलत हीं। 7 अय्यूब, का तू सोचत ह कि जन्म लेइवाला पहिला मनई तू ही अहा अउर पहाड़न क रचना स पहिले तोहार जन्म भवा रहा। 8 का तू परमेस्सर क रहस्य स भरी सबइ जोजना क सुने रहया? का तू सोचत ह कि तू बुद्धिमान अहा? 9 अय्यूब, तू हम पचन स जियादा कछू नाहीं जानत अहा। उ सबइ बातन हम पचन समझत अही, जेनकर तोहका समुझ अहइ। 10 उ सबइ लोग जेनकर बार सफेंद अहइँ अउर बुढ़वा मनई अहइ उ पचे हम स सहमत रहत हीं। हाँ, तोहरे बाप स भी बुढ़वा लोग हमरे समर्थन मँ अहइँ। 11 परमेस्सर तोहका सुख देइ क जतन करत ह। अउर तोहमा नर्मी स बात करत ह। का इ तोहरे बरे काफी नाहीं अहइ? मुला तू सोचत अहा कि तोहर बरे काफी नाहीं अहइ। 12 अय्यूब, तू काहे नाहीं समुझब्या? तू सच्चाइ क काहे नाहीं लखइ सकब्या? 13 जब कभी तू इ तरह बोलत ह तू परमेस्सर क खिलाफ होत ह। 14 फुरइ कउनो मनई सुद्ध नाहीं होइ सकत। मरनसील मनई नीक नाहीं होइ स्सकत ह। 15 हिआँ तलक कि परमेस्सर आपन दूतन तलक पइ भी निभर नाही रहत ह। हिआँ तलक कि सरग भी परमेस्सर क अपेच्छा सुद्ध नाही अहइ। 16 मानव जाति बहोत जियादा पापी अउर भ्रस्ट अहइँ। उ बुराइ क पानी क तरङ गटक जात ह। 17 अय्यूब, मोरी बात सुना अउर मइँ ओकर व्याख्या तोहसे करब। मइँ तोहका बताउब, जउन मइँ जानत हउँ। 18 मइँ तोहका उ सहइ बतउब्या जउन बुद्धिमान मनई बतउब्या। उ पचे एन बातन क आपन पूरखन स सुनेस ह अउर ओनका छिपाइ बिना बताएस। 19 सिरिफ ओनकर पूरखन क ही भुइँया दीन्ह गवा रहा। ओनकर देस मँ कउनो परदेसी नाहीं रहा। 20 दुट्ठ मनई जिन्नगी भइ पीरा झेली। एक क्रूर मनई ओन सबहिं बरिसन मँ जउन ओकरे बरे निहचित कीन्ह ग अहइँ, दुःख भोगत रही। 21 ओकरे कानन मँ भयंकर ध्वनियन होत रइहीं। जब उ सोची उ सुरच्छित अहइ तबहीं ओकर दुस्म ओह पइ हमला करिहीं। 22 दुट्ठ मनई कउनो आसा नाहीं अहइ कि उ आँधियारा बचिके निकरि पावइ। कहुँ एक अइसी तरवार अहइ जउन ओका मार डावइ क इन्तज़ार करत अहइ। 23 उ एँह कइँती ओह कइँती भटकत भवा फिरत ह मुला ओकर देह गधीन क चारा बनि जाइ। ओका इ पता अहइ कि ओकर मउत बहोत निचके अहइ। 24 चिन्ता अउ यातना ओका डरपोक बनावत हीं। इ सबइ बातन ओह पइ अइसे वार करत हीं जइसे कउनो राजा जुदध करइ बरे तइयार होत ही। 25 काहेकि दुट्ठ मनई परमेस्सर क हुकुम मनइ स इन्कार करत ह अउर सर्वसक्तीमान क नज़र-अन्दाज़ करत ह। 26 उ दुट्ठ मनई बहोत हठी अहइ। उ परमेस्सर क खिलाफ लड़इ चाहत ह, सोचत अहा कि उ मजबूत ढाल स ओका हराइ सकत ह। 27 दुट्ठ मनई बहोत क मुँहे पइ चर्बी चढ़ी रहत ह। ओकर कमर माँस भर जाइ स मोटवार होइ जात ह। 28 मुला उ उजाड़ सहरन मँ रही। उ अइसे घरन मँ रही जहाँ कउनो नाहीं रहत ह।ओकर घरन हाली ही रौंदा जइहीं। 29 दुट्ठ मनई जियादा समइ तलक धनी नाहीं रही। ओनकर भाग्य क धरती पइ स्थित रुप मँ ठहरवा नाहीं जाब्य़ा। 30 दुट्ठ मनई अँधियारा स न बच पाई । उ उ बृच्छ क नाई होइ जेकर सबइ डारन आगी स झउँस गइ अहइँ। परमेस्सर क साँस दुट्ठन क उड़ाइ देइ। 31 दुट्ठ लोग बेकार क चिजियन क भरोसे रहिके आपन क मुरख न बनावइँ काहेकि ओका कछू प्राप्त न होइ पाई। 32 दुट्ठ मनई समइ स पहिले ही मरि जाब। उ पचे उ बृच्छ क नाई होइ जाइ जेकर चोटी क डारन मरि गवा ह। 33 दुट्ठ मनई उ अंगूरे क बेल क नाई होत ह जेकर फल पाकइ स पहिले ही झरि जात हीं। अइसा मनई जइतून क बृच्छ क नाई होत ह, जेकर फूल सारि जात हीं। 34 काहेकि परमेस्सर क बगइर लोग खाली हाथ रहहीं। अइसे लोग जेनका पइसन स पियार अहइ,घूस लेत हीं। ओनकर घर आगी स नस्ट होइ जइहीं। 35 उ पचे मूसिबत क कुचक्र रचत हीं अउर बुरे करम करत हीं। उ पचे लोगन क छलइ क तरकीब क जोजना बनावत हीं।”
16:1 एह पइ अय्यूब जावाब देत भए कहेस: 2 “मइँ पहिले ही इ सबइ बातन क बहोत बार सुनेउँ ह। तू “आरामदेइवाला लोग” सचमुच सिरिफ मोका तंग करत ह! 3 तोहार बेकार क लम्बी बातन कबहुँ खतम नाहीं होतिन। तू काहे तर्क करत ही रहत ह 4 जइसे तू कहत अहा वइसे बातन तउ मइँ भी कहइ सकत्या। अगर तू पचन्क मोर दुःख झेलइ क पड़त, मइँ भी तोहार खिलाफ तर्क देइ सकत हउँ अउर तोहार अपमान कइ सकत्या। 5 मुला मइँ आपन बचनन स तोहार हिम्मत बढ़ाइ सकत्या अउर तोहरे बरे आसा बँधाइ सकत्या। 6 मुला जउन कछू मइँ कहत हउँ ओहसे मोर दुःख दूर नाहीं होइ सकत। मुला अगर मइँ कछू भी न कहउँ तउ भी मोका चइन नाहीं पड़त। 7 पुरइ हे परमेस्सर तू मोर सक्ती क हर लिहा ह। तू मोर सारा घराने क बर्बाद कइ दिहा ह। 8 तू मोर सरीर क झूररीदार बनाइ दिहेस ह, अउर इ मोर खिलाफ गवाही दिहेस ह। मइँ खउफनाक देखाँत हउँ अउर लोग अइसा सोचत हीं कि मइँ बुराइ करइ क कारण अपराधी हउँ। 9 परमेस्सर मोह पइ प्रहार करत ह। उ मोह पइ कोहान अहइ। उ मोरी देह क फारिके अलगाइ दिहस ह। परमेस्सर मोरे ऊपर दाँत पीसत ह। मोर दुस्मन घिना स भरी निगाह स घूरत हीं। 10 लोग मोर हँसीं करत हीं। उ पचे सबहीं मोर खिलाफ इकट्ठा होत ह अउर मोरे मुँह क थपड़ावत ह। 11 परमेस्सर मोका दुट्ठ लोगन क हाथे मँ अर्पण कइ दिहे अहइ। उ दुट्ठ मनई मोहे पइ सक्ती दिहस ह। 12 मोरे संग सब कछू भला चंगा रहा। तबहीं परमेस्सर मोका कुचर दिहस। हाँ, उ मोका गटई स धइ लिहेस अउर मोर चिथरा चिथरा कइ डाएस। परमेस्सर मोका निसाना बनाइ लिहस। 13 परमेस्सर क तीरंदाज मोरे चारिहुँ कइँती अहइँ। उ मोरे गुर्दन क बाणन स बेधत ह। उ मोहे पइ दाया नाहीं देखावत ह। उ मोरे पिप्त क धरती पइ बहाइ देत ह। 14 परमेस्सर मोह पइ बार बार वार करत ह। उ मोह पइ अइसे झपटत ह जइसे कउनो फउजी जुदध मँ नाहीं झपटत ह। 15 मइँ बहोत ही दुःखी हउँ। एह बरे मइँ विलाप क ओढ़ना पहिरत हउँ। मइँ हिआँ धूलि मँ बइठा भवा हउँ अउर हरा भवा अनुभव करत हउँ। 16 मोरे मुँह रोवत बिलखत भए लाल भवा। मोरि आँखिन क खाल् करिया घेरा अहइँ। 17 मइँ कउनो क संग कबहुँ भी क्रूर नाहीं भएउँ। मुला इ सबइ बुरी बातन मोरे संग घटित भएन। मोरे पराथनन सही अहइँ। 18 हे भुइयाँ, तू कबहुँ ओन अत्याचारन क जिन छिपाया जउन मोरे संग कीन्ह गवा अहइँ। मोर निआउ क बिनती क तू कबहुँ रुकइ जिन दया। 19 अब तलक भी होइ सकत ह कि हुआँ आकास मँ कउनो तउ मोरे पच्छ मँ होइ। कउनो ऊपर अहइ जउन मोका दोख स रहित सिदध करी। 20 मोर मीत मोर बारे मँ बोलत अहइँ, जब मइँ आसा स रोवत रही कि परमेस्सर मोर मदद करब। 21 मोर इच्छा अहइ कि कउनो एक मोर अउर परमेस्सर क बिचउली करी जइसे कउनो एक मनई अउर परोसी क बीच बिचउली करत ही। 22 कछू ही बरिस बाद मइँ हुआँ चला जाब जहाँ स फुन मइँ कबहुँ वापस न आउब।
17:1 मोर जिउने कि इच्छा नस्ट कीन्ह ग अहइ। मोर प्राण लगभग जाइ चुका अहइ। कब्र मोर बाट जोहत अहइ। 2 लोग मोका घेर लेत हीं अउर मोह पइ हँसत हीं। मइँ ओनका लखत हउँ जब लोग मोर अपमान करत हीं। 3 परमेस्सर, मोर बेकसुर होइ क पुस्टि करा। मोर निर्दोख होइ क गवाही देइ बरे कउनो तइयार नाहीं होइ। 4 मोरे मीतन क मन तू मूदँ ल्या ह। एह बरे उ पचे जीत नाहीं सकब। 5 लोग जउन कहत ह उ तू जानत ह, ‘मनई आपन मीत क मदद करइ बरे आपन गदेलन क नज़र अन्दाज़ करत ह।’ 6 परमेस्सर मोर नाउँ हर कउनो बरे अपसब्द बनाएस ह अउर लोग मोरे मुँहे पइ थूका करत हीं। 7 मोर आँखी लगभग आँधर होइ चुकी अहइ काहेकि मइँ बहोत दुःखी हउँ। मोर देह एक छाया क तरह दुर्बाल होइ चुकी अहइ। 8 नीक लोगन ब्याकुल अहइं कि इ घटि सकत ह। निरअपराध लोग ओन क खिलाफ उत्तेजित अहइ। जउन परमेस्सर क मज़ाक उड़ावत ह। 9 मुला सज्जन नेकी क जिन्नगी जिअत रहहीं। निरापाराधी लोग सक्तीसाली होइ जइहीं। 10 जदि तू लउटि आउब्या, तउ आवा। किन्तु मइँ दिखाउब कि तू पचन मँ स कउनो बुदिघमान नाहीं अहइँ। 11 मोर जिन्नगी यो ही बीतन अहइ। मोर सबइ जोजना टूट गइ अहइँ अउर आसा चली गइ अहइ। 12 हरेक चीज क उलझा दीन्ह ग ह, उ पचे रात क दिन कहत ह अउर प्रकास अँधियारा लिआवत ह। 13 मइँ आसा करउँ कि कब्र मोर घर अउ अँधियारा मोर बिछउना होइ। 14 अगर मइँ कब्र स कहउँ,’तू मोरे बाप अहा,’ अउर कीरा स ‘तू मोर महतारी अहा,’ या ‘तू मोर बहिन अहा। 15 अगर उ मोर सिरिफ एक ठु आसा अहइ तबइ तु कउनो आसा मोका नाहीं अहइ अउर कउनो भी मनई मोरे बरे कउनो आसा नाहीं लखि सकत ह। 16 का मोर आसा भी मोरे संग मरि जाइ?का मइँ अउर मोरे आसा एक संग कब्र मँ मिलिहीं?”।अय्यूब क बिल्दद क जवाब
18:1 फिन सूहू प्रदेस क बिल्दद जावाब देत भए कहेस। 2 “अय्यूब, इ तरह क बातन करब तू कब तज देब्या? तोहका चुप रहइ चाही अउर सुनइ चाही, सिरिफ तब ही हम कहि सकित ह। 3 तू काहे इ सोचत ह कि हम ओतँना मूरख अही जेतना मूरख एक ठु बर्धा होत ह 4 अय्यूब, तू आपन किरोध स आपन ही नोस्कान करत अहा। का लोग भुइँया बस तोहरे बरे तजि देइँ? का तु इ सोचत अहा कि बस तोहका तृप्त करइ क परमेस्सर धरती क हलाइ देई। 5 हाँ, बुरा मनई क प्रकास बुझी अउर ओकर आगी क लौ न चमकी। 6 ओकरे घरे क प्रकास करिया पड़ि जाइ अउर जउन दिया ओकरे लगे अहइ उ बुझ जाइ। 7 सक्तीसाली मनई क कदम धीमे स बढ़त ह। आपन ही बुरा जोजनन स उ पतन क झेलब्या। 8 ओकर आपन ही कदम ओका एक जाल क फंदा मँ गिराए देइहीं। उ चलिके जालि मँ जाई अउर फँस जाई। 9 कउनो जाल ओकर एड़ी क पकड़िके धइ लेइ। एक ठु जाल ओका कसिके जकर लेइ। 10 एक रस्ता ओकरे बरे धरती मँ छुपा रही। कछू फंदा ओकरे राहे मँ झुठ बोलब्या। 11 ओकरे चारिहुँ कइँती सबहिं आतंक होइ । ओकर हर कदम क डर पाछा करत रही। 12 खुउफनाक मुसीबतन ओकरे बरे भुखान होइँ। जब उ गिरी,विध्वंस ओकरे बरे तइयार रहहीं। 13 महा बियाधि ओकरे चमड़ी क हींसन क लील जाई। उ ओकरे बाँहिन अउ ओकर हँगियन क सड़ाइ देइ। 14 आपन घरे सुरच्छा स दुट्ठ व्यक्ती क दूर कीन्ह जाइ। आतंक क राजा क लगे ओका लइ जावा जाइ। 15 ओकरे घरे मँ तब तलक कछू भी न बची जब तलक ओकरे सचमुच घरे मँ धधकत भइ गन्धक बिखेरी जाइ। 16 ओकरे खाले गइ भइ जड़न झुराइ जइहीं अउर ओकरे ऊपर क डारन मुरझाइ जइहीं। 17 धरती क लोग ओका याद नाहीं करिहीं। बस अब कउनो भी ओका याद नाहीं करी। 18 प्रकास स ओका हटाइ दीन्ह जाइ अउर उ अँधियारा मँ ढकेला जाइ। उ पचे ओका दुनिया स दूर भगाए देइहीं। 19 ओकर कउनो गदेलन अउ सन्तानन नाहीं होइहीं। ओकरे घरे मँ कउनो जिअत नाहीं बची। 20 पच्छिम क लोग सहमा रहि जइहीं जब उ पचे जानिहीं कि उ दुट्ठ मनइयन क संग का घटेस ह। पूरब मँ लोग आतंकित होइके सन्न रहि जइहीं। 21 फुरइ दुर्जन व्यक्ति क घरे क संग अइसा ही घटी। अइसा ही घटी उ मनई जउन परमेस्सर क नाहीं जानतेन।”
19:1 तब अय्यूब जवाब देत भए कहेस। 2 “कब तलक तू पचे मोका सतावत रहब्या अउर सब्दन स मोका ताड़क रहब्या? 3 अब लखा, तू पचे दसउ दाई मोका बेज्जत किहा ह। मोह पइ वार करत तू पचन्क सर्म नाहीं आवति ह। 4 अउर जदि मइ कउनो बुराई किहेउँ तउ इ मोर गल्ती अहइ। 5 तू पचे इहइ चाहत अहा कि तू पचे मोहसे उत्तिम देखाँउन। तू पचे कहत अहा कि मोर कस्ट मोका दोखी साबित करत हीं। 6 मुला उ तउ परमेस्सर अहइ जउन मोरे संग बुरा किहस ह अउर जउन मोरे चारिहुँ कइँती आपन फदां फइलाएस ह। 7 मइँ गोहरावत हउँ ‘मोरे संग बुरा किहा ह’। मुला मोका कउनो जवाब नाहीं मिलत ह। चाहे मइँ निआउ क गुहार गोहरावउँ मोर कउनो नाहीं सुनत ह। 8 मोर रस्ता परमेस्सर रोकेस ह, एह बरे ओका मइँ पार नाहीं कइ सकत। उ अँधियारा मँ मोर रस्ता छुपाइ दिहस ह। 9 मोर सम्मान परमेस्सर छोर लिहस ह। उ मोरे मूँड़ स मुकुट छोर लिहस ह। 10 परमेस्सर मोर पूरा सरीर मँ मोर प्राण निकरि तलक मारब। उ मोर आसन क अइसे उखाड़ देत ह जइसे कउनो जड़ स बृच्छ क उखाड़ि देइ। 11 मोरे खिलाफ परमेस्सर क किरोध भड़कत अहइ। उ मोका आपन दुस्मन कहत ह। 12 परमेस्सर आपन फउज मोह पइ प्रहार करइ क पठवत ह। उ पचे मोरे चारिहुँ कइँती बुर्जियन खरा करत हीं। उ पचे मोरे तम्बू क चारिहुँ कइँती छावनी बनावत हीं। 13 परमेस्सर मोरे बन्धुअन क मोर दुस्मन बनाइ दिहेस। आपन मीतन बरे मइँ पराया होइ गएउँ। 14 मोर रिस्तेदारन मोका तजि दिहन। मोर मीतन मोका बिसराइ दिहन। 15 मोर घरे क अतिथियन स लइके मेहरारु नउकरन तलक मोरे संग अइसा बेउहार करत ह जइसा मइँ कउनो अजनबी अहउँ। 16 मइँ आपन नउकर क बोलावत हउँ पर उ मोर नाहीं सुनत ह। उ पचे मोका मदद बरे भीख माँगाएस ह। 17 मोर पत्नी मोरे साँस क गंध स घिना करत ह। मोर आपन ही गदेलन मोहसे घिना करत हीं। 18 नान्ह गदेला तलक मोर हँसी उड़ावत हीं। जब कबहुँ मइँ जागत हउँ, तउ उ पचे मोरे खिलाफ बोलत हीं। 19 मोर आपन मीत मोहसे घिना करत हीं। हिआँ तलक कि अइसे लोग जउन प्रिय अहइँ, मोर बिरोधी होइ गवा अहइँ। 20 मइँ एँतना दुर्बल अहउँ जइसे मइँ सिरिफ खाल अउर हाड़न होइ गवा अहउँ। अब मइँ सिरिफ जिअत हउँ। 21 हे मोर मोती मोह पइ दाया करा, दाया करा मोह पइ काहेकि परमेस्सर क हाथ मोहका छू गवा अहइ। 22 काहे मोका तू भी सतावत अहा जइसे मोका परमेस्सर सताएस ह काहे तू मोका दुख देत भए कबहुँ अघात्या नाहीं? 23 जउन मइँ कहत हउँ ओका कउनो क याद राखइ चाही अउ किताबे मँ लिख देइ चाही! मोर सब्द कउनो क गोल पत्रक पइ लिख देइ चाही! 24 मइँ जउने बातन क कहत ओनका कउनो लोहा क कलम स सीसा पइ लिखा जाइ चाही या ओनका चट्टाने पइ खोद दीन्ह जाइ चाही ताकि उ हमेसा बरे रहइ जाइ। 25 मोका इ जानत हउँ कि कउनो एक अइसा अहइ जउन मोर बरे बोलब्या अउर मोर रच्छा करब्या। मोका बिस्सास अहइ कि आखिर मँ उ धरती पइ खड़ा होब्या अउर मोरे बचाव करब्या। 26 मोरे आपन देह छोड़इ अउर मोर चमड़ी तबाह होइक पाछे भी मइँ जानत हउँ कि मइँ परमेस्सर क लखब। 27 मइँ परमेस्सर क खुद आपन आँखिन स लखब। खुद स कउनो दूसर नाहीं, परमेस्सर क लखब। मइँ बता नाहीं केतँना खुसी अनुभव करत हउँ। 28 होइ सकत ह तू कहा, ‘हम अय्यूब क तंग करब। मइँ मामला क जड़ तलक जाब।’ 29 मुला तोहका तरवारे स डरइ चाहीं, काहेकि परमेस्सर किरोधित होब्या अउर तोहका तरवार स सजा देब्या। अउर तब तू पचन्क समझब्या कि हुआँ निआउ क एक निहचित समइ अहइ।”
20:1 एह पइ नामात प्रदेस क सोपर जवाब दिहस। 2 “अय्यूब, धियान दया। मइँ परेसानी मँ हउँ। यह बरे मइँ हाली तोहका बताएउँ क कि मइँ का सोचत हउँ। 3 तोहार आलोचना हमार अपमान करत हीं। मुला मइँ बुद्धिमान हउँ अउर जानत हउँ कि तोहका कइसे जवाब दीन्ह जाइ चाही। 4 एका तू तब स जानत ह जब बहोत पहिले लोगन क धरती पइ पठवा ग रहा, दुट्ठ मनई क आनन्द बहोत दिन नाहीं टिकत ह। अइसा मनई जेका परमेस्सर क चिन्ता नाहीं अहइ उ तनिक समइ बरे आनन्द मँ भरि जात ह। 5 6 चाहे दुट्ठ मनई क अपमान अकासे तलक छू जाइ। 7 उ आपन तने क मल क नाई नस्ट होइ जाइ। उ सबइ लोग जउन ओका जानत हीं कइहीं, ‘उ कहाँ अहइ?’ 8 उ अइसे बिलाइ जाइ जइसे सपन हाली ही कहूँ उड़ जात ह। फिन कबहुँ कउनो ओका लखि नाहीं सकी, उ नस्ट होइ जाइ, ओका राति क सपना क तरह हाँक दीन्ह जाइ। 9 उ सबइ मनई जउन ओका लखे रहेन फुन कबहुँ नाहीं लखेन। ओकर परिवार फुन कबहुँ ओका नाहीं लखि पाइ। 10 जउन कछू भी उ(दुट्ठ) गरीबन स लिहे रहा ओकार संतानन चुकइहीं। ओनका आपन हीं हाथन स धन लौटाए होइ। 11 जब उ जवान रहा, ओकर सरीर मजबूत रही, मुला उ हाली ही धूलि होइ जाइ। 12 दुस्ट क मुहँ क दुस्टता बड़ी मीठी लागत ह, उ ओका आपन जिभिया क खाले छुपाइ लेइ। 13 बुरा मनई उ बुराई क थामे रही, ओकर दूर होइ जाब ओका कबहुँ नाहीं भाई, तउ उ ओका आपन मुँहे मँ थामे रही। 14 मुला ओकरे पेटे मँ ओकर भोजन जहर बन जाइ, उ ओकरे भीतर अइसे बन जाइ जइसे कउनो नाग क विख सा कडुवा जहर। 15 दुस्ट धन दौलत क लील जात ह मुला उ ओन सबका बाहेर उगिली। परमेस्सर दुस्ट क पेटे स ओन सबका उगालिवाइ। 16 दुस्ट मनई क विख चुसब साँपे क नाई होइ। मुला साँपे क विसैला जीभ ओका मारि डइहीं। 17 मुला दुस्ट मनई लखइ क आनन्द नाहीं लेइहीं अइसी ओन नदियन क जउन सहद अउर मलाई बरे बहा करत ह। 18 दुट्ठ क ओकर लाभ वापिस करइ क दबावा जाइ। ओका ओन चिजियन क आनन्द नाहीं लोइ दीन्ह जाइ जेनके बरे उ मेहनत किहे अहइ। 19 कहेकि उ दुस्ट मनई दीन मनई क चिन्ता नाहीं किहस। बलकि, उ दूसर लोगन क घरन क भी लइ लिहस जेका उ पचे आपन बरे बनाएस रहा। 20 दुस्ट मनई कबहुँ संतुट्ठ नाहीं होत ह। उ आपन सबहिं धन क लइ ले जात ह। 21 जब उ खात ह तउ कछू नाहीं तजत ह, तउ ओकर कामयाबी बनी नहीं रही। 22 जब दुस्ट जन क लगे भरपूर होइ तबहिं ओन पइ विपत्ती आइहीं अउर उ कस्ट क अनुभव करिहीं। 23 दुस्ट जन उ सब कछू खाइ चुकी जेका उ खाइ चाहत ह। परमेस्सर आपन बरत भवा किरोध ओह पइ डाइ। उ दुस्ट मनई पइ परमेस्सर सजा बरसाइ। 24 होइ सकत है कि उ दुस्ट लोहा क तरवार स बच निकरइ, मुला कहुँ स काँसा क बाण ओका मार गिरावइ। 25 तीर खींचत लिहेस ह, अउर बिजुरि क नाई ओकरे पीठ मँ घुसत ह, अउर ओकरे करेजा बाहर आ जात ह, अउर उ आंतकित होइके काँप उठत ह। 26 ओकर सबहिं खजाना नस्ट होइ जइहीं, एक ठु अइसी आगी जेका कउनो नाहीं बारेस ओका नस्ट करी, उ आगी ओनका जउन ओकरे घरे मँ बचा अहइँ नस्ट कइ डाइ। 27 सरग सिद्ध करी कि उ दुस्ट अपराधी अहइ, इ गबाही धरती ओकरे खिलाफ देइ। 28 जउन कछू भी ओकरे घरे मँ अहइ, उ परमेस्सर क किरोघ क बाढ़ मँ बहि जाइ। 29 इ उहइ जेका परमेस्सर दुस्टन क संग करइ क जोजना रचत ह। इ उहइ जइसा परमेस्सर ओनका देइ क जोजना बनावत ह।”
21:1 एह पइ अय्यूब जवाब देत भए कहेस। 2 “तू पचे चित्त दइके सुना जउन मइँ कहत हउँ, तोहार सुनइ क आपन तरिके स मोर दिलासा होइ जाइ। 3 जब मइँ बोलत हउँ तू धीरा धरा, “फुन जब मइँ बोल चुकउँ तब तू मोर हँसी उड़ाइ सकत ह। 4 मोर सिकाइत मनइयन क खिलाफ नाहीं अहइ, मइँ काहे सहनसील नाहीं अहउँ ओकर खास वजह अहइ। 5 तू मोका लखा अउर चकित होइ जा, आपन सोक दिखाइ बरे आपन हाथ आपन मुँहे पइ धरा। 6 जब मइँ सोचत हउँ ओन सब क जउन मोर संग घटा तउ मोका डर लागत ह अउर मोर देह थर थर काँपत ह। 7 काहे बुरे लोगन क उमर लम्बी होत ह काहे उ पचे बूढ़ाइ जात हीं अउर कामयाब होत हीं? 8 बुरे लोग आपन संतानन क आपन संग बढ़त भए लखत हीं। बुरे लोग आपन आपन नाती पोतन क लखइ क जिअत रहत हीं। 9 ओनकर घर सुरच्छित रहत हीं अउर उ पचे डेरातेन नाहीं। परमेस्सर दुस्टन क सजा देइ बरे आपन सजा काम मँ नाहीं लिआवत ह। 10 ओकर साँड़ कबहुँ भी मिला कइ मँ नाहीं चुकत ह। ओनकर गइयन बछवन क जनम देइ बरे गाभिन होत। ओनकर भ कबहुँ नाहीं गिरत हीं। 11 बुरे लोग गदेलन क बाहेर खेलइ पठवत हीं मेमनन क जइसे, ओनकर गदेलन नाचत हीं चारिहुँ ओर। 12 मजीरा, वीणा अउर बाँसुरी क धून पइ उ पचे गावत हीं अउर नाचत हीं। 13 बुरे लोग आपन जिन्नगी भइ कामयाबी क आनन्द लेत हीं। फुन बिना दुख भोगे उ पचे मरि जात हीं अउर आपन कब्रन क बीच चला जात हीं। 14 मुला बूरे लोग परमेस्सर स कहा करत हीं, ‘हमका अकेला तजि दया। अउर एकर हमका परवाह नाहीं कि तू हमसे कइसा जिन्नगी जिअइ चाहत ह।’ 15 दुट्ठ लोग कहा करत हीं, ‘सर्वसक्तीमान परमेस्सर कउन अहइ? हमका ओकरी सेवा क जरुरत नाहीं अहइ। ओकरी परथाना करइ क कउनो लाभ नाहीं।’ 16 दुस्ट मनई सोचत हीं कि ओनका आपन ही करण कामयाबी मिलत ह, मुला मइँ ओनकर विचारन क नाहीं अपनाइ सकत हउँ। 17 मुला का अइसा होत ह कि दुस्ट जन क प्रकास बुताइ जावा करत ह केतनी दाई दुस्टन क दुःख घेरा करत हीं? का परमेस्सर ओनसे कोहाइ जात ह, अउर ओनका सजा देत ह 18 का परमेस्सर दुस्ट लोगन क अइसे उड़ावत ह जइसे हवा तिनके क उड़ावत ह अउर तेज हवा अनाजे क भूसा उड़ाइ देत हीं? 19 मुला तू कहत ह: ‘परमेस्सर एक गदेला क ओकरे बाप क पापन्क सजा देत ह।’ नाहीं, परमेस्सर क चाही कि बुरे जन क राजा देइ। तबहीं उ बूरा मनई जानी कि ओका ओकरे निज पापन बरे सजा मिलती अहइ। 20 तू पापी क ओकरे आपन राजा क देखाँइ दया, तब उ सर्वसक्तीसाली परमेस्सर क कोप क अनुभव करी। 21 जब बुरा मनई क उमर क महीना खतम होइ जात हीं अउर उ मर जात ह: उ उ परिवार क परवाह नाहीं करत जेका उ पाछे तजि जात ह। 22 कउनो मनई परमेस्सर क गियान नाहीं दइ सकत, उ ऊँच ओहदन क लोगन क भी निआउ करत ह। 23 एक पूरा अउ सफल जिन्नगी क जिअइ क पाछे एक मनई मरत ह, उ एक सुरच्छित अउ सुखी जिन्नगी जिअत ह। 24 ओकर लगे पिवइ बरे भरपूर दुध रहा। अब समइ तलक ओकर हाड़ तन्दुरुस्त रहीन। 25 मुला कउनो एक अउर मनई कठिन जिन्नगी क पाछे दुःख भरे मने स मरत ह, उ जिन्नगी क कबहुँ कउनो रस नाहीं चाखेस। 26 इ सबइ दुइनउँ मनई एक संग माटी मँ गड़ा सोवत हीं किरउनन दुइनउँ क एक संग ढाँपि लेइहीं। 27 मुला मइँ जानत हउँ कि तू का सोचत अहा, अउर मोका पता अहइ कि तोहरे लगे मोरा बूरा करइ क कुचाल अहइ। 28 मोरे बरे तू इ कहा कहत ह, ‘अब कहाँ बाटइ उ महामानुस क घर? कहाँ बा उ घर जेहमाँ उ दुस्ट रहत रहा?’ 29 मुला तू कबहुँ बटोहियन क नाहीं पूछ्या? का तू ओकर कहानियन पइ बिस्सास नाहीं किहस कि उ दिन जब परमेस्सर कोहाइके सजा देत ह दुस्ट मनई सदा बच जात ह 30 31 अइसा कउन मनई नाहीं जउन ओकरे समन्वा ही ओकरे करमन क बूराइ करइ। ओकरे पाप क सजा कउनो मनई ओका नाहीं देत ह। 32 जब कउनो मनई कब्र मँ लेइ जावा जात ह, तउ ओकरे कब्र क लगे एक पहरुवा खड़ा ह। 33 उ दुट्ठ मनई बरे उ घाटी क माटी मुलायम होइ। अनगिनत लोग भी लोग ओहस मिली। 34 तउ आपन कोरे सब्दन स तू मोका चइन नाहीं दइ सकत्या,तोहार जवाब सिरिफ झुठा अहइँ।”
22:1 फुन तेमान क एलीपज जवाब देत भए कहेस। 2 “परमेस्सर क कउनो भी मनई सहारा नाहीं दइ सकत, हिआँ तलक कि उ भी जउन बहोत बुद्धिमान मनई होइ परमेस्सर बरे हितकर नाहीं होइ सकत। 3 अगर तू अहइ किहा जउन उचित रहा एहसे सर्वसक्तीमान परमेस्सर क आनन्द नाहीं मिली, अउर आगर तू खरा रहा हवा तउ एहसे ओका पछू नाहीं मिली। 4 अय्यूब तोहका परमेस्सर काहे सजा देत ह अउर काहे तोह पइ दोख लगावत ह का इ एह बरे कि तू भक्त अहा। 5 नाहीं, इ सबइ एह बरे कि तू बहोत स पाप किहा ह, अय्यूब, तोहार पाप नाहीं रुकत अहइँ। 6 अय्यूब, होइ सकत ह कि तू आपन कउनो भाई क कछू चिज बिना कउनो कारण क गिरवी रख सकत ह। होइ सकत ह कि तू कउनो दीन मनइ क ओढ़ना रख लिहे ह्वा अउर ओनका नंगा बना किहे हवा्। 7 तू थके-माँदे लोगन क पानी नाहीं दिहा, तू भुखान मनइयन क भोजन नाहीं दिहा। 8 अय्यूब, अगर तू सक्तीसाली अउ धनी रह्या, तू ओन लोगन क सहारा नाहीं दिहा। तू बड़का जर्मीदार अउ समरथ वाला मनई रहया। 9 मुला तू राँड़ अउरतन क बगइर कछू दिहे लउटाइ दिहा। अय्यूब, तू अनाथ गदेलन क लूट लिहा अउर ओनसे बुरा बेउहार किहा। 10 एह बरे तोहरे चारिहुँ कइँती जाल बिछा भवा अहइँ अउर तोहका एकाएक आवत विपत्तियन डेरावत हीं। 11 एह बरे घना अँधियारा तोहका ढाँक लिहन ह अउर एह बरे बाढ़ क पानी तोहका लीलत बाटइ। 12 परमेस्सर अकास क सब स ऊँच हींसा मँ रहत ह। उ आपन जगह स सबन स ऊँच तारन क लखइ बरे खाले लखत ह। 13 मुला अय्यूब. तू कहा करत ह, ‘परमेस्सर कछू नाहीं जानत, करिमा बरदान स कइसे परमेस्सर हमका जाँच सकत ह 14 धना बादर ओका छुपाइ लेइ हीं, एह बरे जब उ आकास क सबन ऊँच हींसा मँ बिचरत ह तउ हमका ऊपर अकासे स लखि नाहीं सकत।’ 15 अय्यूब, तू उ ही पुरानी राह पइ जेन पइ दुस्ट लोग चला करत हीं, चलत अहा। 16 आपन मउत क समइ स पहिले ही दुट्ठ लोग मर गएन। बाढ़ ओनका बहाइके लइ गइ रही। 17 इ सबइ उहइ लोग अहइँ जउन परमेस्सर स कहत हीं, ‘हमका अकेल्ले तजि द्या। उ पचे सोचेन कि सर्वसक्तीमान परमेस्सर हमार कछू नाहीं कइ सकत ह।’ 18 मुला परमेस्सर ओन लोगन क कामयाब बनाएस ह अउर ओनका धनवान बनाइ दिहा। मुला मइँ उ ढंग स जेहसे दुस्ट सोचत हीं, अपनाइ नाहीं सकत हउँ। 19 सज्जन जब बुरे लोगन क नास देखत हीं, तउ उ पचे खुस होत हीं। पाप स रहीत लोग दुस्टन पइ हँसत हीं, अउर कहा करत हीं। 20 ‘हमार दुस्मन फुरइ नस्ट होइ गएन। आगी ओनके धने क बारि देत ह।’ 21 अय्यूब, अब खुद क तू परमेस्सर क अर्पित कइ दया, तब तू सान्ति पउब्या। अगर तू अइसा करा तउ तू धन्य अउर कामयाब होइ जाब्या। 22 ओकर सीख अपनाइ ल्या अउर ओकरे सब्द आपन मने मँ सुरच्छित रखा। 23 अय्यूब, अगर तू फुन सर्वसक्तीमान परमेस्सर क लगे आवा तउ फिन स पहिले जइसा होइ जाइ। तोहका अपने घरे स पाप क बहोत दूर करइ चाही। 24 तोहका सोना क धूरि क नाई अउर ओफीर क सोना क नदी क तराई क चट्टान क नाई समझइ चाही। 25 तब सर्वसक्तीमान परमेस्सर तोहरे बरे सोना अउर चाँदी बन जाइ। 26 तब तू बहोत खुस होब्या अउर तोहका सुख मिली। परमेस्सर क समन्वा तू बिना कउनो सर्म क मूँड़ि उठाइ सकब्या। 27 जब तू ओकर बिनती करब्य़ा तउ उ तोर सुना करी, जउन प्रतिग्या तू ओहसे किहे रहया, तू ओका पूरा कइ सकब्या। 28 जउन कछू तू करब्या ओहमाँ तोहका कामयाबी मिली, तोहरे रास्ते पइ प्रकास चमकी। 29 परमेस्सर अहंकारी जन क लज्जित करी, मुला परमेस्सर नम्र मनई क रच्छा करी। 30 परमेस्सर जउन मनई भोला नाहीं अहइ ओकर भी रच्छा करी, तोहरे हाथन क सफाई स ओका उद्धार मिली।”
23:1 फिन अय्यूब जवाब देत भए कहेस 2 “मइँ आजु भी बुरी, सिकाइत करत हउँ कि परमेस्सर मोका करर् सजा देत अहइ, एह बरे मइँ सिकाइत करत रहत हउँ। 3 कास! मइँ इ जान पावत कि ओका कहाँ हेरउँ। कास! मइँ इ जान पावत कि परमेस्सर क लगे कइसे जाउँ। 4 मइँ आपन मुकद्मा क सफाई परमेस्सर क समन्वा पेस करब्य्। मइँ आपन क निर्दोख साबित करइ बरे बहस करब्या। 5 मइँ इ जानइ चाहत हउँ कि परमेस्सर कइसे मोरे दलीलन क जवाब देत ह, तब मइँ परमेस्सर क जवाब समुझ पउतेउँ। 6 का परमेस्सर आपन महासाक्ती क संग मोरे खिलाफ होत? नाहीं! उ मोर सुनी। 7 मइँ एक नेक मनई हउँ। परमेस्सर मोका आपन कहानी क कहइ देइ, तब मोर निआउ कत्ती परमेस्सर मोका अजाद कइ देइ। 8 मुला अगर मइँ पूरब क जाउँ तउ परमेस्सर हुआ नाहीं अहइ अउर अगर मइँ पच्छिउँ क जाउँ तउ भी परमेस्सर मोका नाहीं देखात ह। 9 परमेस्सर जब उत्तर मँ छिपत हतउ मइँ ओका देख नाहीं पावत हउँ। जब परमेस्सर दक्खिन क छिपत ह तउ भी उ मोका नाहीं देखात ह। 10 मुला परमेस्सर मोरे हर चरण क लखत ह, जेका मइँ उठावत हउँ। जब उ मोर परीच्छा लइ उठी तउ उ लखी कि मोहमाँ कछू भी बुरा नाहीं अबइ, उ लखी कि मइँ खरा सोना जइसा अहउँ। 11 परमेस्सर जउन चाहत ह मइँ हमेसा उहइ पइ चलत हउँ मइँ कबहुँ भी परमेस्सर क राहे पइ चलइ स नाहीं रुकेहउँ। 12 मइँ हमेसा उहइ बात करत हउँ जेनकर आसा परमेस्सर देत ह।मइँ आपन मुँहे क भोजन स जियादा परमेस्सर क मुँहे क सब्दन स पिरेम किहेउँ ह। 13 मुला परमेस्सर एक मन वाले अहा, अउर कउनो भी ओका बदल नाहीं बदलत। परमेस्सर जउन चाहत ह उहइ करत ह। 14 परमेस्सर जउन भी जोजना मोरे विरोध मँ बनाइ लिहस ह उहइ करी, ओकरे लगे मोरे बरे अउर भी बहोत सारी जोजना अहइँ। 15 एह बरे मइँ ओसे डेरात हउँ। एह बरे परमेस्सर मोका भयभीत करत ह। 16 परमेस्सर मोर हिरदइ क दुर्बल करत ह अउर मोर हिम्मत टूट जात ह। सर्वसक्तीमान परमेस्सर मोका भयभीत करत ह। 17 अगर तउ मोर मुहँ सघन अँधियारा ढकत ह तउ भी अँधियारा मोका चुप नाहीं कइ सकत ह।
24:1 “सर्वसक्तीमान परमेस्सर काहे नाहीं निआउ करइ बरे समइ मुकर्रर करत ह लोग जउन परमेस्सर क मानत हीं ओनका काहे निआउ क समइ क बेकार बाट जोहइ क पड़त ह 2 “लोग आपन धन दौलत क चीन्हन क, जउन ओकर चउहद्दी बतावत हीं, सरकावत रहत हीं ताकि आपन पड़ोसी क थोड़ी अउर घरती हड़प लेइँ। लोग पसु क चोराइ लेत हीं अउर ओनका दूसर चरागाहन मँ हाँक लइ जात हीं। 3 अनाथ बच्चन क गदहन क उ पचे चोराइ लइ जात हीं। उ पचे राँड़ मेहरारुअन क बर्धन खोल लइ जात हीं जब तलक कि उ ओनकर कर्ज नाहीं चुकावत हीं। 4 उ पचे दीन जन क मजबूर करत ही कि उ तजिके दूर हटि जाइके मजबूर होइ जात ह, एन दुस्टन स खुद क छुपावइ क। 5 उ सबइ दीन लोग ओन जंगली गदहन जइसे अहइँ जउन मरु भूमि मँ आपन चारा हेरा करत हीं। गरीबन अउ ओनकर बच्चन क मरुभूमि भोजन देत रहत ह। 6 गरीब लोगन क कउनो दूसर क खेत मँ अनाज काटइ चाही। दुस्टन क अंगूरन क बगियन स बच भवा फलन उ पचे चुना करत हीं। 7 दीन लोगन क बगइर ओढ़नन क सबइ रात बितावइ क होइ। सर्दी मँ ओनके लगे आपन क ढाँकइ बरे कछू नाहीं होइ। 8 उ पचे बर्खा स पहाड़न मँ भिज गवा अहइँ, ओनका बड़की चट्टानन स लिपट क रहइ क होइ, काहेकि ओनके लगे कछू नाहीं जउन ओनका मौसम स बचाइ लेइ। 9 बूरे लोग ओन गदेलन क जेकर बाप नाहीं अहइ ओनकर महतारी स छिन लेत हीं। उ पचे गरीब लोगन क आपन दास बनावत हीं। 10 गरीब लोगन क लगे ओढ़ना नाहीं होत हीं। यह बरे ओन लोगन क नंगा ही घूमइ क होइ। उ पचे दुस्टन क गठरी क भार ढोवत हीं, मुला फुन भी उ पचे भुखान रहत हीं। 11 गरीब लोग जइतून क तेल पेरिके निकारत हीं। उ पचे कुंडन मँ अगूर सूँदत हीं फुन भी उ पचे पिआसा रहत हीं। 12 मरत भए लोग जउन आहें भरत हीं उ सबइ सहर मँ सुनाइ पड़त ह। सतावा भवा लोग सहारा क पुकारत हीं, मुला परमेस्सर नाहीं सुनत ह। 13 कछू अइसे लोग अहइँ जउन प्रकास क खिलाफ होत हीं। उ पचे नाहीं जानइ चाहत हीं कि परमेस्सर ओनसे का करवावइ चाहत ह। परमेस्सर क राह पइ उ पचे नाहीं चलत हीं। 14 हत्यारा भिंसारे जाग जात ह गरीबन अउ जरुरतवाले लोगन क हत्या करत ह। उ राति मँ चोर क नाई बन जात ह। 15 उ मनई जउन बिभिचार करत ह, रात आवइ क बाट जोहा करत ह, उ सोचत ह, ‘ओका कउनो नाहीं लखी’ अउर उ आपन मुँह ढाँपि लेत ह। 16 दुटठ मनई जब रात मँ अँधेरा होत ह तउ सेधे लगाइके घरे मँ घुसत हीं। मुला दिन मँ उ पचे आपन हि घरन मँ छुपा रहत हीं। उ पचे प्रकास स बचत हीं। 17 ओन दुट्ठ लोग्गन क आँधियारा सबुह क नाई होत ह, उ पचे आतंक अउ आँधियारा क मीत होत हीं। 18 दुट्ठ लोग अइसे बाहइ दीन्ह जात हीं जइसे झाग बाढ़ क पानी पाइ। उ धरती अभीसाप स ढकी बा जेकर उ पचे मालिक अहइँ। कउनो भी अंगूर क बगियन मँ अंगुर जमा करइ बरे नाहीं जात ह। 19 जइसे गरम व सूखा मौसम पिघलत बरफ क पानी क सोख लेत ह, वइसे ही दुस्ट लोग कब्र क जरिये लील जइहीं। 20 दुस्ट मनइयन मरइ क पाछे ओकर महतारी तलक ओका बिसरि जाइ। दुस्ट लोगन क देह क कीरा खाइ जइहीं। कउनो भी ओन लोगन क याद नाहीं रखइहीं। दुस्ट जन गिरे भए बृच्छ क नाई नष्ट कीन्ह जइहीं। 21 दुस्ट मनई बाँझ मेहरारुअन क सतावा करत हीं। उ पचे उ तरह क मेहरारु क दुःख देत हीं। उ पचे कउनो भी राँड़ अउरत बरे दाया नाहीं देखाँवत हीं। 22 दुस्ट मनई आपन सक्ती क उपयोग बलसाली क नस्ट करइ बरे करत हीं। बुरे लोग सक्तीसाली होइ जइहीं मुला आपन ही जन्नगी क भरोसा नाहीं होइ कि उ पचे जियादा दिन जी पइहीं। 23 होइ सकत ह कि तनिक समइ बरे परमेस्सर सक्तीसाली क सुरच्छित रहइ देइ, मुला परमेस्सर सदा ओन पइ आँखी रखत ह। 24 दुस्ट मनई तनिक समइ बरे कामयाबी पाइ जात हीं, मुला फुन उ पचे नस्ट होइ जात हीं। दूसर लोगन क तरह उ पचे भी मुर्झा जात हीं अउर उदास होइ जात हीं। अनाजे क कटी भइ बाले क नाई उ पचे गिर जात हीं। 25 अगर इ सबइ बातन फुरइ नाहीं अहइँ तउ कउन सिध्द कइ सकत ह कि मइँ झूठ कहेउँ ह। कउन देखाँइ सकत ह कि मोर सब्द सत्तय नाहीं अहइँ?
25:1 फिन सूह प्रदेस क निवासी बिल्दद जवाब देत भए कहेस। 2 “परमेस्सर सासक अहइ अउर हर मनई क चाही कि परमेस्सर स डेराइ अउर ओकर मान करइ। परमेस्सर आपन सरग क राज्ज मँ सान्ति राखत ह। 3 कउनो आपन फउजन क गन नाहीं सकत ह, परमेस्सर क प्रकास सब पइ चमकात ह। 4 मुला फुरइ परमेस्सर क अगवा कउनो मनई उचित नाहीं ठहर सकत ह। कउनो मनई जउन मेहरारु स पइदा भवा होइ फुरइ निर्दोख नाहीं होइ सकत ह। 5 परमेस्सर क आँखिन क समन्वा चाँद तलक चमकीला नाहीं अहइ। परमेस्सर क आँखिन क समन्वा तारन निर्मल नाहीं अहइँ। 6 मनई तउ बहोत कम भला अहइँ। मनई तउ बस कीरा अहइ एक ठु अइसा कीरा जउन बेकार क होत ह।”
26:1 तब अय्यूब कहेस। 2 “हे बिल्दद, सोपर अउर एलीपज़ जउन लोग दुर्बल अहइँ तू फुरइ ओनका सहारा देइ सकत ह।अरे हाँ, तू दुर्बल बाहँन क फुन स सक्तीसाली बनाया ह। 3 हाँ तू निर्बुध्दि क सम्मति दिहा ह। कइसा महागियान तू देखाँया ह। 4 इ बातन क कहइ मँ कउन तोहर मदद किहस?केकर आतिमा तोहका प्रेरणा दिहस।? 5 जउन लोगन मरि गवा अहइँ ओनकर आतिमा धरती क खाले पानी मँ भय स बहोत काँपति अहइँ। 6 मउत क जगह परमेस्सर क आँखी क समन्वा खुली अहइ, परमेस्सर क अगवा विनास क जगह ढका नाहीं अहइ। 7 परमेस्सर उत्तरी अकासे क खाली जगह पइ फइलावत ह। परमेस्सर खाली जगह मँ धरती लटकाएस ह। 8 परमेस्सर घने बादरन क पानी स भरत ह, मुला पानी क भारी भार स बारदान क फाइट नाहीं देत ह। 9 परमेस्सर पूरा चन्दमा क ढाँपत ह, परमेस्सर चाँद पइ आपन बादर फइलावत ह अउर ओका ढाँकि लेत ह। 10 परमेस्सर छितिज क रचत ह प्रकास अउ अँधिरा क सीमा रेखा क रुप मँ समुन्ददर पइ। 11 जब परमेस्सर डाँटत ह तउ उ सहइ नेवंन जउने पइ आकास टिका अहइ डर स काँपइ लागत हीं। 12 परमेस्सर क सक्ती सागर क सांत कइ देत ह। परमेस्सर क बुध्दि राहबक नस्ट किहस। 13 परमेस्सर क साँस अकास क साफ पकइ देत ह। परमेस्सर क हाथ उ साँप क मारि दिहस जउन पराइ जाइ क जतन किहेस। 14 इ सबइ तउ परमेस्सर क अजूबा कारजन क तनिक सी बातन अहइं। बस हम थोड़के परमेस्सर क अवाज क फुसफुसाहट क सुनित ह। मुला फुरइ कउनो मनई परमेस्सर क सक्ती क गर्जन क नाहीं समुझ सकत ह।”
27:1 फुन अय्यूब कहइ क जारी राखेस। उ कहेस, 2 “फुरइ परमेस्सर जिअत ह अउर इ जेतँना सच अहइ कि परमेस्सर जिअत ह फुरइ उ वइसेन ही मोरे बोर अनिआउ स भरा रहा अहइ। हाँ! सर्वसाक्तीसाली परमेस्सर मोरे जीवन मँ कड़वाहट भरेस ह। 3 मुला जब तलक मोहमाँ प्राण अहइ अउर परमेस्सर क साँस मोहे मँ अहइ। 4 तब तलक मोरे होंठ झूठी बातन नाहीं बोलिहीं, अउर मोर जिभिया कबहुँ झूठ नाहीं बोली। 5 मइँ कबहुँ न मानब कि तू लोग सही अहा। जब तलक मइँ मरब उ दिन तलक कहत रहब कि मइँ निर्दोख हउँ। 6 मइँ आपन घार्मिक भाव क मजबूती क थामे रहब।मइँ कबहुँ उचित करम करब मोर चेतना मोका तंग नाहीं करी जब तलक मइँ जिअत हउँ। 7 मोरे दुस्मनन क दुस्ट जइसा बनइ दया, अउर ओनका सजा पावइ द्या जइसे दुस्ट लोग दण्डित होत हीं। 8 अइसे उ मनई बरे मरत वक्त कउनो आसा नाहीं अहइ जउन परमेस्सर क परवाह नाहीं करत ह। जब परमेस्सर ओकर प्राण लेइ तब भी ओकरे बरे कउनो आसा नाहीं अहइ। 9 जब उ बुरा मनई बुरा दुःखी पड़ी अउर ओका पुकारी, परमेस्सर नाहीं सुनी। 10 ओका चाही कि उ उ आनन्द क चाहइ जेका सिरिफ सर्वसाक्तीमान परमेस्सर देत ह। ओका चाही कि उ हर समइ परमेस्सर स पराथना करत रहा। 11 मइँ तोहका परमेस्सर क सक्ती सिखाउब। मइँ सर्वसक्तीसाली परमेस्सर क योजनन क नाहीं छिपाउब। 12 खुद तू आपन अँखिन स परमेस्सर क सक्ती लख्या ह, तउ काहे तू बेकार क बातन बोलत ह 13 दुस्ट लोगन बरे अइसी जोजना बनाया ह। दुस्ट लोगन क सर्वसक्तीसाली परमेस्सर स अइसा ही मिली। 14 दुस्ट क चाहे केतँनी ही सन्तानन होइँ, मुला ओकर संतानन जुदध मँ मारी जइहीं। दुस्टन क सन्तानन कबहुँ भरपेट खाना नाहीं पइहीं। 15 अउर अगर दुस्टन क सन्तानन ओकरी मउत क पाछे भी जिअत रहइँ तउ महामारी ओनका मारि डाई। ओकर राँड़ ओनके बरे दुःखी नाहीं होइहीं। 16 दुस्ट जन चाहे चाँदी क ढेर बटोरइँ, एतना बड़का ढेर जेतँना माटी क ढूहा होत ह, माटी क ढूहन जइसे ओढ़ना होइँ ओकरे लगे। 17 जउने ओढ़नन क दुस्ट मनई जुटावत रहा ओन ओढ़नन क सज्जन पहिरी, दुस्ट क चाँदी निर्दोखन मँ बँटी। 18 दुस्ट क बनवा घर जियादा दिनन नाहीं टिकत ह, उ मकड़ी जाल जइसा या कउनो चौकीदार क झोपड़ी जइसा कमजोर होत ह। 19 दुस्ट लोग आपन खुद क दौलत क संग आपन बिछउना पइ सोवइ जात ह, मुला एक अइसा दिन आइ जब उ फुन बिस्तरे मँ वइसे ही नाहीं जाइ पाई। जब उ आँखी खोली तउ ओकर सम्पत्ति जाइ चुकी होइ। 20 दुःख ओका बाढ़ क जइसा ढाँक लेइहीं, रातउ रात तूफान ओका उड़ाइ लइ जाइ। 21 पुर वइया हवा ओका दूर उड़ाइ देइ, तुफान ओका ओकरे घरे क बाहेर खींचली। 22 तू फान ओह पइ बगैर दाया किए भए पइ आइ अउर उ ओमँ स दुर भागए क जतन करी। मुला लपेटके मारि। 23 जब दुस्ट मनई पराई, लोग ओह पइ तालियन बजाइहीं, दुस्ट जन जब निकरिके पराइ, अपने घरे स तउ लोग ओह पइ सीटियन बजइहीं।
28:1 “हुआँ चाँदी क खान बाटि जहाँ लोग चाँदी पावत हीं, हुआँ अइसे ठउर अहइँ लोग सोना देघराइके ओका सुदध करत हीं। 2 लोग धरती स खनिके तोहा निकारत हीं, अउर चट्टानन स टेघाराइके ताँबा निकरत हीं। 3 लोग सबइ गुफा मँ प्रकास लिआवत हीं उ पचे सबइ गुफा क गहिराइ मँ हेरा करत हीं,घना अँधियारा मँ उ पचे खनिज क चट्टानन हेरत हीं। 4 जहाँ लोग रहत हीं ओहसे बहोत दूर लोग गहिर गड़हा खना करत हीं कबहुँ कउनो अउर एँन गड़हन क नाहीं छुएस। जब मनई गहिरे गड़हन मँ रस्सन लटकत ह, तउ उ दूसरन बहोत दूर होत ह। 5 भोजन धरती क सतह स मिला करत ह, मुला घरती क भीतर उ बढ़त जावा करत ह जइसे आगी चिजियन क बदल देत ह। 6 धरती क भितरे चट्टानन क खाले नीलम मिलि जात हीं, अउर धरती क खाले माटी आपन आप मँ सोना राखत ह। 7 जंगली पंछी धरती क खाले क राहन नाहीं जानत हीं न हीं कउनो बाज इ मारग लखत ह। 8 उ राहन पइ कउनो बड़का डीलडोल वाला पसु नाहीं चलेन, कबहुँ सेर इ राहे पइ नाहीं विचरेन। 9 मजदूर सब स कठोर चट्टानन क खनत हीं अउर उ पचे पहाड़न क ओकार जड़ स खनिके गिरा देत हीं। 10 काम करइवालन चट्टानन स सुरंग काटत हीं उ पचन्क आँखन हुआँ खजानन क लखि लेत हीं। 11 काम करइवालन बाँध बनवा करत हीं कि पानी ऊपर स होइके न बहइ। उ पचे छिपी भइ चिजियन क ऊपर प्रकास मँ बिआवत हीं। 12 मुला कउनो मनई विवेक कहाँ पाइ सकत ह अउर हम कहाँ जाइ सकित ह समुझ पावइ क? 13 गियान कहाँ रहत ह लोग नाहीं जानत हीं लोग जउन धरती पइ रहत हीं, ओमाँ इ नाहीं पाइ जात ह। 14 सागरे क गहराइ बतावत ह, ‘मोह माँ गियान नाहीं।’ अउर समुद् कहत ह, हिआँ मोहमाँ गियान नाहीं अहइ।’ 15 गियान क बहोत कीमती सोना भी मोल नाहीं लइ सकत ह, गियान क दाम चाँदी स नाहीं गना जाइ सकत ह। 16 गियान ओपरी देस क सोना स या कीमती सुलैमानी पाथर या नीलमणियनन स नाहीं बेसहा जाइ सकत ह। 17 गियान सोना अउ स्फटिक ल जियादा कीमती बाटइ, कउनो मनई बहोत कीमती सोना स जड़े भए रत्तन स गियान नाहीं बेसहि सकत ह। 18 गियान मूँगा अउ सूर्यकान्त मणि स जियादा कीमती बा। गियान क कनोउ मनई सिद्ध सोने मँ जुरे कीमती रतन स नाहीं बेसहा सकत ह। 19 जेतना उत्तिम गियान अहइ कूस देस क पद्मराग भी ओतना उत्तिम नाहीं अहइ। गियान क तू चोख सोना स मोल नाहीं लइ सकत्या। 20 तउ फुन हम कहाँ गियान क पावइ जाइ?हम कहाँ समुझ सीखइ जाइ? 21 गियान धरती क हर मनई स लुका भवा अहइ। हिआँ तलक कि ऊँच अकास क पंछी भी गियान क नाहीं लखि पावत हीं। 22 मउत अउ विनास कहा करत हीं, ‘हम तउ बस गियान क बातन सुनी ह।’ 23 मुला बस परमेस्सर गियान तलक पहोंचाइ क राहे क जानत ह। परमेस्सर जानत ह गियान कहाँ रहत ह। 24 परमेस्सर गियान क जानत ह काहेकि उ धरती क अखिरी छोर तलक लखा करत ह। परमेस्सर उ हर वस्तु क जउन अकास क खाले अहइ लखा करत ह। 25 जब परमेस्सर हवा क ओकर सक्ती दइ दिहस अउर इ निहचित किहस कि समुद्दरन क केतना बड़का बनावइ क अहइ। 26 अउर जब परमेस्सर निहचय किहस कि ओका कहाँ स बर्खा पठवइ क अहइ, अउर बउड़रन क कहाँ तलक जात्रा करइ क अहइ। 27 तब परमेस्सर गियान क लखे रहा। उ ओका मापेस, ओका साबित किहेस अउर इका परखेस। 28 अउर लोगन स परमेस्सर कहे रहा कि ‘यहोवा क भय माना अउर ओका आदर दया।’ बुराइयन स मुहँ मोड़ि लेब ही गियान अहइ, इहइ समझदारी अहइ।”
29:1 आपन बात क जारी रखत भए अय्यूब काहेस। 2 “मोर जिन्नगी वइसे ही होइ चाही रही जइसे गुजरे महीने मँ रही। जब परमेस्सर मोर रखवारी करत रहा, अउर मोर धियान रखत रहा 3 मइँ अइसे उ समइ क इच्छा करत हउँ जब परमेस्सर क प्रकास मोरे मूँड़े चमचमात रहा। मोका प्रकास देखाँवइ क उ समइ जब मइँ अँधियारा स होइके चलत रहेउँ। 4 अइसे ओन दिनन क इच्छा करत हउँ, जब मोर जिन्नगी सफल रही, अउर परमेस्सर मोरे निचके मीत रहा। उ सबइ अइसेन दिन रहेन जब परमेस्सर मोरे घरे क असीसे रहा। 5 अइसे समइ क मइँ इच्छा करत हउँ, जब सर्वसक्तीसाली परमेस्सर अबहुँ तलक मोर संग मँ रहा अउर मोरे संग मोरे गदेलन रहेन। 6 अइसा लगा करत रहा कि दूध-दही क नदियन बहा करत रहिन, अउर मोरे बरे चट्टानन जइतून क तेल क नदियन उडेरत रहीन। 7 इ सबइ ओ दिन रहेन जब मइँ नगर क दुआर अउर गलीयन क चौराहन पइ जात रहेउँ, अउर नगर नेता लोगन क संग बइठत रहेउँ। 8 हुवाँ सबइ लोग मोर सन्मान किहा करत रहेन। जवान मनसेधू जब मोका लखत रहेन तउ मोरी राह स हट जावा करत रहेम अउर बुढ़वा मनसेधू मोरे बरे सन्मान देखाँवइ बरे उठ खड़ा होत रहेन। 9 जब लोगन क नेता लोग मोका लखि लेत रहेन, तउ बोलब बंद कइ देत रहेन। 10 हिआँ तलक कि बहोतइ महत्ववाले नेता भी आपन स्वर हल्का कइ लेत रहेन, जब मइँ ओनके नियरे जात रहेउँ। हाँ! अइसा लागत रहा कि ओनकर जिभियन ओनकर तालु स चिपक गइ होइँ। 11 जउन कउनो भी मोका बोलत सुनेस, मोरे बारे मँ नीक बात कहेस, जउनो कउनो भी मोका लखे रहा, मोर बड़कई किहे रहा। 12 काहेकि जब कउनो दीन मदद बरे गोहँराएस, मइँ मदद किहेउँ। उ गदेला क मइँ सहारा दाहेउँ जेकरे महतारी बाप नाहीं अउर जेकर कउनो भी नाहीं धियान रखइ क। 13 मोका मरत भए मनई क आसीस मिला, मइँ ओन राँड़ मेहररुअन क जउन जरुरत मँ रहिन, मइँ सहारा दिहेउँ अउर ओनका खुस किहेउँ। 14 मोर ओढ़ना पहिरब मोर खरी जिन्नगी रही, निस्पच्छ होब मोर चोगा अउर मोर पगड़ी सी रहीं। 15 मइँ आँधरन बरे आँकी बन गएउँ अउर मइँ ओनकर गोड़ बनेउँ जेनकर गोड़ नाहीं रहेन। 16 दीन लोगन बरे मइँ बाप तरह रहेउँ, मइँ पच्छ लेत रह्उँ अउसे अनजानन क जउन विपत्तियन मँ पड़ा रहेन। 17 मइँ दुस्ट लोगन क सक्ती नस्ट करत रहेउँ। निर्दोख लोगन क मइँ दुस्टन स अजाद करावत रहेउँ। 18 मइँ सोचत रहेउँ कि मइँ बहोत लम्बी जिन्नगीजिअब अउर फुन आपन ही घरे मँ प्राण तजब। 19 मइँ एक ठु अइसा बृच्छ बनब जेकर जड़न सदा जल मँ रहत होइँ अउर जेकर डारन सदा ओस स भीजी रहत होइँ। 20 मोर सान सदा ही नई बनी रही, मइँ सदा ही वइसा बलवान रहब जइसे मोरे हाथे मँ एक नवा धनुष। 21 पहिले,लोग मोर बात सुनत रहत रहेन, अउर उ सबइ जब मोर सलाह मसवरा क इंतजार करत रहेन तउ चुप रहा करत रहेन। 22 मोर चुकइ पाछे, ओन लोगन क लगे जउन मोर बात सुनत रहेन, कछू भी बोलइ क नाहीं होत रहा। मोर सब्द धीरे-धीरे ओनकर काने मँ बर्खा क तरह पड़ जात रहेन। 23 लोग जइसे बर्खा क बाट जोहत हीं वइसे ही उ पचे मोर बोलइ क बाट जोहा करत रहेन। मोरे सब्दन क उ पचे पी जावा करत रहेन, जइसे मोर सब्द बसन्त मँ बरसा होइ। 24 जब मइँ दाया करइ क ओन पइ मुस्कात रहेउँ, तउ ओनका पहिले पहल ए पइ बिस्सास नाहीं होत रहा। फुन मोर खुस मुँह दुखी जन क सुख देत रहा। 25 मइँ जिम्मेदारी बिहेउँ अउर लोगन बरे पइसला किहेउँ, मइँ नेता बन गएउँ। मइँ ओनकर सोना क दलन क बीच राजा जइसा जिन्नगी जिएउँ। मइँ अइसा मनई रहेउँ जउन लोगन क चइत देत रहा जउन बहोत ही दुःखी बाटइ।
30:1 अब, उमर मँ छोटा लोग मोर मसखरी करत हीं। ओन जवान मनसेधुअन क बाप बिल्कुल ही निकम्मा रहेन। ओन कूकुरन जउन मोर भेड़िन क रखवारा करत ह ओन लोगन स बेहतर अहइँ। 2 ओन जवान मनसेधुअन क बाप मोका मदद देइ क कउनो सक्ती नाहीं राखत हीं, उ पचे बुढ़वा होइ चुका अहइँ अउ थका भवा अहइँ। 3 उ सबइ मनई भूख स मरत अहइँ यह बरे उ पचे झुरान अउर उजाड़ धरती खावत ह। 4 उ सबइ मनई रेगिस्तान मँ खारे पउधन क उखाड़त हीं अउर उ पचे झाड़ीदार बृच्छन क जड़न क खात हीं 5 उ पचन्क दूसर लोगन स भगाइ दइ गएन। उ पचे ओन लोगन पइ अउसे गोहरावत हीं जइसे लोग चोर पइ गोहरावत हीं। 6 अइसे उ सबई बुढ़वा लोग झुरान भइ नदी क तलन मँ चट्टानन क सहारे अउ धरती बिलन मँ रहइ क मजबूर अहइँ। 7 उ पचे झाड़ियन क बीच गुरर्त हीं। कँटहरी बृच्छन क नीचे उ पचे आपुस मँ बटुर जात हीं। 8 ओन पचन्क फसादी लोगन क दल अहइ,जेनकर नाउँ तलक नाहीं अहइ। ओनका आपन भुइँया तजि देह क मजबूर कीन्ह गवा अहइ। 9 अब अइसे ओन लोगन क पूत मोर हँसी उड़ावइ क मोेरे बारे मँ गीत गावत हीं। मोर नाउँ ओनके बरे अपसब्द जइसा बन गवा अहइ। 10 उ सबइ नउजवान मोहसे घिना करत हीं। उ पचे मोसे दूर खड़ा रहत हीं। हिआँ तलक कि उ पचे मोरे मुँहे पइ थूकत हीं। 11 परमेस्सर मोरे धनुष स ओकर डोर छोर लिहस ह अउर मोका दुर्बल किहस ह। उ पचे मोह पइ कोहान होत भए मोरे खिलाफ होइ जात ह। 12 उ सबइ जवान मोर दाहिनी कइँती स मोह पइ प्रहार करत हीं। उ पचे मोर गोड़न पइ हमला कइके मोका गिरावत ह अउर मोका चारिहुँ कइँती स घेर लेत ह। 13 उ पचे नव जवान मोरि राह पइ निगरानी रखत हीं कि मइँ बचिके निकरिके पराइ न सकउँ। उ पचे मोका नस्ट करइ मँ सफल होइ जात हीं। ओनके खिलाफत मँ मोर मदद करइ क मोरे संग कउनो नाहीं अहइ। 14 उ पचे मोह पइ अइसे वार करत हीं जइसे कि सहर क दिवार क दरार स होत ह। उ पचे टुटे हुए हिस्से स अन्दर आवत हीं। 15 मोका भय जकड़ लेत ह। जइसे हवा चिजियन क उड़ाइ लइ जात ह, वइसेन ही उ पचे जवान मोरे इज्जत धुवस्त करइ देत हीं। जइसे बादर अदृस्य हेइ जात ह , वइसे ही मोर सुरच्छा अदृस्य होइ जात ह। 16 जब मोर जिन्नगी बीतइ क अहइ अउर मइँ हाली ही मर जाब। मोका, संकट क दिन दहबोच लिहे अहइँ। 17 मोर सबइ हाड़न राति क दुख देत हीं, पीरा मोका चबाव नाही छोड़त ह। 18 मोरे कोट क गिरेबान क परमेस्सर बड़ी ताकत स धरत ह, उ मोरे लिबास क ताकत स पकड़ लेत ह। 19 परमेस्सर मोका कीचं मँ बहाइ दिहस अउर मइँ माटी व रा़खी स बनत हउँ। 20 हे परमेस्सर, मइँ सहारा पावइ क तोहका गोबरावत हउँ, मुला तू उत्तर नाहीं देत ह। मइँ खड़ा होत हउँ अउ पराथना करत हउँ, मुला तू मोह पइ धियान नाहीं देत्या। 21 हे परमेस्सर, तू मोर बरे निर्दयी होइ गवा अहा तू मोका नोस्कान पहोंचावइ क आपन सक्ती क प्रयोग करत अहा। 22 हे परमेस्सर, तू मोका देज आँधि स उड़इ देत ह। तू मोका तू फाने क बीच मँ डाल देत ह। 23 मइँ जानत हउँ तू मोका मोर मउत कइँती लइ जात अहा आखीर माँ हर कउनो क जाब अहइ। 24 मुला इ निहचय ह कि तू कउनो मनई जउन मदद बरे गोहरावत ह, ओन स नाहीं मुड़त ह। 25 हे परमोस्सर, तू तउ जानत ह कि मइँ ओनके खातिर रोएउँ जउन संकट मँ पड़ा अहइँ। तू तउ इ जानत ह कि मोर मन गरीब लोगन बरे बहोत दुखी रहत रहा। 26 मुला जब मइँ भला चाहत रहा, तउ बुरा होइ जात रहा। मइँ प्रकास हेरत रहेउँ अउर अँधियारा छाइ जात रहा। 27 मइँ भितरे स फट गवा हउँ अउर इ अइसा अहइ कि संकट कबहुँ नाहीं थम जात। अउर जियादा संकट आवइ क अहइ। 28 मइँ सोक क ओढ़ना पहिनके माना बगइर सूरज की गर्मी स करिया होइ गना हूँ। मइँ सभा क बीच मँ खड़ा होत हउँ, अउर मदद क गोहरावत हउँ। 29 मइँ जंगली कूकुरन क भइया अउर सुतुरमुर्ग क मीत होइ गवा हउँ। 30 मोर चमड़ी करिया पड़ि गइ बाटइ। मोर तन बुखारे स तपत बाटइ। 31 मोर वीणा करुण गीत गावइ क सधी बाटइ अउर मोर बाँसुरी स दुःख क रोवइ जइसे स्वर निकरत हीं।
31:1 “मइँ आपन अँखिन क संग एक समझौता किहेउ ह कि उ सबइ कउनो लड़िकी क वासना क निगाह स न लखहीं। 2 सर्वसक्तीमान परमेस्सर लोगन क संग कइसा करत ह उ कइसे आपन ऊँच सरगे क घरे से ओनकर करमन क प्रतिफल देत ह 3 परमेस्सर दुस्ट लोगन बरे संकट अउ विनास पठवत ह, अउर जउन बुरा करम करत हीं ओनके बरे बर्बादी पठवत ह। 4 मइँ जउन भी करत हउँ परमेस्सर जानत ह। अउर मोरे हर कदम क उ लखत ह। 5 अउर मइँ झूठी जिन्नगी जिया हउँ या झूठ बोलिके लोगन क मुरख बनाए हउँ। 6 तउ उ मोका खरी तरजू स तौलेइ, तब परमेस्सर जान लेइ कि मइँ निरपराघ हउँ। 7 अगर मइँ खरा रास्ता स हटा होउँ, अगर मइँ आपन आप क बुरे लालसा मँ लइ गइ होइ या अगर मइँ आपन हाथ क पवित्तर नाहीं राखत हइँ। 8 तउ मोर उपजाई भइ फसल दूसर लोग खाइ जाइँ अउर मोर फसलन क उजारिके लइ जाइँ। 9 अगर मइँ मेहररुअन बरे कामुक रहा होउँ, या अगर मइँ आपन पड़ोसी क दुआरे क ओकरी पत्नी क संग व्याभिचार करइ क बरे ताकत रहा होउँ, 10 तउ मोर पत्नी दूसर लोगन क भोजन बनावइ अउर ओकरे संग दूसर लोग सोवइँ। 11 काहेकि यौन पाप लज्जा स भरा होत ह इ अइसा पाप अहइ जेका निहचय ही सजा पावइ चाही. 12 व्याभिचार उ पाप क समान अहइ, जउन बारत अउ बर्बाद कइ डावत ह। मोरे लगे जउन कछू भी अहइ बिभिचार क पाप ओका बारि डाइ। 13 “अगर मइँ आपन दास-दासियन क समन्वा उ समइ निस्पच्छ नाहीं रहेउँ जब ओनका मोसे कउनो सिकाइत रही। तउ जब मोका परमेस्सर क समन्वा जाइ क होइ, तउ मइँ का करब? जब उ मोका मोरे करमन क सफाई माँगइ बोलइ तउ मइँ परमेस्सर क का जावाब देब? 14 15 परमेस्सर मोका अउर मोरे सेवकन क हमरी आपन-आपन महतारी क गर्भ मँ बनाएस ह। 16 मइँ कबहुँ भी दीन जन क मदद क मना नाहीं किहेउँ। मइँ राँड़ मेहररुअन क सहारे क बिना नाहीं रहइ दिहेउँ। 17 मइँ स्वार्थी नाहीं रहेउँ। मइँ आपन भोजन क संग अनाथ बच्चन क भूखा नाहीं रहइ दिहेउँ। 18 मइँ अइसे गदेलन क जेनके बाप नाहीं अहइँ, मइँ बाप जइसा रहेउँ ह। मइँ जिन्नगी भइ राँड़ मेहररुअन क धियान रखेउँ ह 19 जब मइँ कउनो क एह बरे कस्ट भोगत भए पाएउँ ह कि ओकरे लगे ओढ़ना नाहीं अहइ, या मइँ कउनो दीन क बगैर कोट क पाएउँ। 20 तउ मइँ सदा ओन लोगन क ओढ़ना देत रहेउँ, मइँ ओनका गरम राखइ क मइँ खुद आपन भेड़िन क ऊन बइपरेउँ, तउ उ पचे मोका समूचइ मने स असीसत रहेन। 21 मइँ कउनो अनाथे क खिलाफ कबहुँ आपन हाथ नाहीं उठाएस जब कबहुँ मइँ ओका सहर क फाटके पइ मदद माँगत भए निहारेउँ। 22 अगर मइ अइसा किहेउँ तउ मोर काँधा आपन जगह स छूट कइ गिर जाइ अउर मोर बाजू आपन जोड़ स अलग होइ जाइ। 23 मुला मइँ तउ ओनमाँ स कउनो बुरा करम नाहीं किहेउँ। मइँ परमेस्सर क दण्ड स डेरात हउँ। ओकरी तेजस्विता स डेरात हउँ। 24 मइँ कबहुँ आपन धन दौलत क भरोसा नाहीं किहेउँ, अउर मइँ कबहुँ नाहीं चोखा सोने स कहेउँ कि ‘तू मोर आसा अहा। 25 मइँ धने स सम्पम्न रहेउँ। मुला मइँ ओसे घमण्डी नाहीं भएउँ। मइँ खूवइ धन कमाएउँ। मुला उहइ नाहीं जेहसे आनन्दित भएउँ। 26 मइँ कबहुँ भी नाहीं चमकत सूरज क पूजा किहेउँ या मइँ सुन्नर चाँद क पूजा नाहीं किहेउँ। 27 मइँ कबहुँ भी आपन हाथ क चूम कइ सूकज अउर चाँद क पूजा करइ क मूरखता नाहीं किहा रहा। 28 अगर मइँ एनमाँ स कछू किहेउँ तउ उ मोर पाप होइ अउ मोका सजा मिलइ। अगर मइँ ओन बातन क पूजा किहे होतेउँ तउ सर्वसाक्तीसाली परमेस्सर क अबिस्सासी होइ जातेउँ। 29 “जब मोर दुस्मन बर्बाद भएन तउ मइँ खुस नाहीं भएउँ। जब मोरे दुस्मनन क दुख-मुसीबत डाली गवा, तउ मइँ ओकर बरे खूस नाहीं भवा। 30 मइँ आपन मुहँ खोलिके आपन दुस्मनन क सरापत भए पाप नाहीं किहेउँ अउ मइँ ओकरे मोत क इच्छा नाहीं कहेस। 31 मोरे घरे क सबहिं लोग जानत हीं कि मइँ सदा अजनबी लोगन क खइया क दिहेउँ। 32 मइँ सदा अजनबी लोगन क घरे मँ बोलाएउँ, ताकि ओनका राति मँ गलियन मँ सोवइ क न पड़इ। 33 दूसर लोग आपन पापे क छूपावइ क जतन करत हीं, मुला मइँ आपन दोख कबहुँ नाहीं छुपाएउँ। 34 मइँ कबहुँ नाहीं डेराउँ कि लोग का कहत रहत हीं।मइँ कबहुँ चुप नाहीं रहेउँ अउ मइँ आपन घर बाहेर जाइ बरे कबहुँ नाहीं डेराउँ। 35 कास! कउनो होत जउन मोर सुनत। मोका आपन बात अपनी कइँती स समझावइ द्या। कास! सक्तीसाली परमेस्सर मोका अउर कास उ ओनँ बातन क लिखत जउन मइँ ओकरी निगाहे मँ गलत किहे रहेउँ। 36 काहेकि फुरइ ही मइँ उ लिकावट आपन खुद क काँधे पइ घइ लेब अउर मइँ ओका मुकुट क तरह मूँड़े पइ धइ लेब। 37 “अगर परमेस्सर किहेस तउ जउन कछू मइँ किहेउँ ह,मइँ ओका परमेस्सर क समुझाउब। मइँ परमेस्सर क लगे आपन मूँड़ि उठाइके जाब, जइसे मइँ कउनो मुखिया होउँ। 38 मइँ आपन भुइँया पइ कबहुँ बेगुनाह क खुन नाहीं बहाया हउँ एँह बरे मोर मिट्टी या मोर धरती क खिलाफ कबहुँ आवाज़ा नाहीं उठाएस। 39 मइँ हमेसा मजदूरन क फसल काटइ बरे ओनकर मजूरी दिहेउँ। मइँ कबहुँ भी ओकर मालिक स जबरदस्ती अनाज़ नाहीं लिहेउँ। 40 हाँ!एनमाँ स अगर कउनो भी बुरा काम मइँ किहे होउ, तउ गोहूँ क जगह पइ काँटा अउर जौ क बजाय खर-पतवर खेतन मँ उग जाइँ।”अय्यूब क सब्द खतम भएन।
32:1 फुन अय्यूब क तीनउँ मीत अय्यूब क जवाब देइ क जतन करब तजि दिहेन। काहे कि उ अपने नजर मँ सच्चा रहेन। 2 हुआँ एलीहू नाउँ क एक मनई भी रहा।एलीहू बारकेन क पूत रहा। बारकेल बुज क निवासी रहा। एलीहू राम क परिवारे स रहा। एलीहू क अय्यूब पइ बहोत किरोध आवा काहेकि अय्यूब अपने आप क सही ठहराएस बजाए परमेस्सर क सही ठहरइ क। 3 एलीहू अय्यूब क तीनउँ मीतन स भी कोहान रहा काहेकि उ पचे तीनउँ ही अय्यूब क सवालन क जुक्ति संगत जवाब नाहीं दइ पाए रहेन अउर इ साबित नाहीं कइ सकन कि अय्यूब कसूरवार अहइ। 4 हुआँ जउन लोग रहेन ओनमाँ एलीहू सबसे लहुरा रहा। एह बरे उ तब तलक बाट जोहत रहा जब तलक हर कउनो आपन आपन बात पूरी नाहीं कइ चुका। 5 एलीहू जब इ लखेस कि अय्यूब क तीनहुँ मीतन क लगे कहइ क अउर कछू नाहीं अहइ तउ ओका बहोत किरोध आवा। 6 तउ बुज क निवासी बारकेल क पूत एलीहू आपन बात कहब सुरु किहस। उ बोला:“मइँ लहुरा अहउँ अउर तू लोग मोहसे जेठ अहा, मइँ एह बरे तोहका उ बतावइ मँ डेरात रहेउं जउन मइँ सोचत रहेउँ। 7 मइँ मन मँ सोचेउँ, ‘बड़के क पहले बोलइ चाही. अउर ओका बुद्धि सिखाइ चाही।’ 8 मुला मनई मँ परमेस्सर क आतिमा बुद्धि देत ह अउर सर्वसक्तीसाली परमेस्सर क जरिये दिया भवा साँस मनई क गियान देत ह। 9 उमर मँ ज़ेठ मनई ही नाहीं गियानी होत हीं। का बस बड़ी उम्र क लोग ही इ जानत हीं कि उचित का अहइ? 10 एँह बरे मइँ जउन कछू जानत हउँ तोहका कहत हउँ। तू पचे मोर बात सुना मइँ तू पचन्क बताउब कि मइँ का सोचत हउँ। 11 जब तलक तू लोग बोलत रहया, मइँ बाट जोहत रहा।मइँ तोहार बुद्धि सुनइ चाही रहा। मइँ खामूस रह्या जब तू पचे बोलइ बरे सोच बिचार किहस। 12 मइँ तोहरे मर्म स भरे सब्दन क अय्यूब क उत्तर देइ खातिर धियान स सुनत रहेउँ। मुला तीनउँ ही इ सिद्ध नाहीं कइ पाया कि अय्यूब बुरा अहइ। तोहमाँ स कउनो भी अय्यूब क तर्कन क जवाब नाहीं दइ पावा। 13 तू लोगन क इहइ नाहीं कहइ चाही कि तू पचे गियान क पाइ लिहा ह। लोग नाहीं, परमेस्सर निहचय ह अय्यूब क तर्कन क जवाब देइ। 14 मुला अय्यूब मोरे खिलाफत मँ नाहीं बोलत रहा, एह बरे मइँ ओन तर्कन क प्रयोग नाहीं करब जेकर प्रयोग तू पचे तीनहुँ किहा ह। 15 अय्यूब, तोहरे तीनहुँ मीत असमंजस मँ पड़ा अहइँ, ओनके लगे कछू भी अउर कहइ क नाहीं अहइ, ओनके लगे जवाह दइ बरे अउर कछु नाहीं अहइ 16 इ सबइ तीनहुँ लोग हिआँ चुप खड़ा अहइँ अउर ओनके लगे जवाब नाहीं अहइ । तउ का अबहिं भी मोका प्रतिच्छा करइ चाही? 17 नाहीं! मइँ भी आपन जवाब देब। मइँ भी बताउब तू पचन्क कि मइँ का सोचत हउँ। 18 काहेकि मोरे लगे कहइ क बहोत अहइ। मोरे भितरे जउन आतिमा अहइ, उ मोका बोलइ क मजबूर करत ह। 19 मइँ आपन भितरे अइसी नई दाखरस सा हउँ, जउन हाली ही बाहर उफनइ क अहइ। मइँ उ नई दाखरस मसक जइसा हउँ जउन हाली ही फट जाइ क अहइ। 20 तउ निहचय ही मोका बोलइ चाही, तबहीं मोका नीक लागी। आपन मुँह मोका खोलइ चाही अउर मोका अय्यूब क सिकाइतन क जवाब देइ चाही। 21 इ बहस मँ मइँ कउनो क पच्छ नाहीं लेबइँ अउ अय्यूब क वइसे ही पच्छ लेबउँ जइसे दूसर क होइ चाहीं।मइँ कउनो क खुसामाद न करब। 22 मइँ नाहीं जानत हउँ कि कइसे कउनो क खुसामद कीन्ह जात ह। अगर मइँ कउनो क खुसामद करइ जानत तउ हाली ही परमेस्सर ओका सजा देत।
33:1 “मुला अय्यूब अब, मोर संदेस सुना। ओन बातन पइ धियान दया जेनका मइँ कहत हउँ। 2 मइँ आपन बात कहइ क तइयार हउँ। मइँ आपन सब्द चुनत हउँ। 3 मोर मन सच्चा अहइ तउ मइँ सच बोलब। ओन बातन क बारे मँ जेनका मइँ जानत हउँ मइँ सच कहब। 4 परमेस्सर क आतिमा मोका बनाएस ह, मोका सर्वसक्तीसाली परमेस्सर स जिन्नगी मिलत ह। 5 अय्यूब, सुना अउ मोका जवाब द्या अगर तू सोचत ह कि तू दइ सकत ह। आपन जवाबन क तइयार रखा ताकि तू मोहसे तर्क कइ सक्या। 6 परमेस्सर क समन्वा हम दुइनउँ एक जइसे अहइँ, अउर हम दुइनउँ क ही उ माटी स बनाएस ह। 7 अय्यूब तू मोहसे जिन डेराअ। मइँ तोहरे संग कठोर न होब। 8 मुला अय्यूब, मइँ सुनेउँ ह कि तू जउन कहा करत ह। 9 तू इ कहे रह्या, ‘मइँ अय्यूब, दोखी नाहीं हउँ, मइँ पाप नाहीं किहेउँ, या मइँ कछू भी अनुचित नाहीं करत हउँ। 10 अगर मइँ कछू भी अनुचित नाहीं किहेउँ, तउ भी परमेस्सर कछू खोट मोहमाँ पाएस ह। परमेस्सर सोचत ह कि मइँ अय्यूब, ओकर दुस्मन हउँ। 11 एह बरे परमेस्सर मोरे गोड़े मँ बेड़ी डावत ह, मइँ जउन कछू भी करत हउँ, उ लखत रहत ह।’ 12 मुला अय्यूब, मइँ तोहका निहचय क संग बतावत हउँ कि तू इ बारे मँ गैर मुनासिब अहा। काहेकि परमेस्सर कउनो भी मनई स जियादा जानत ह। 13 तू काहे सिकाइत करत अहा कि परमेस्सर तोहरे इलजाम जवाब नाहीं देत ह 14 मुला परमेस्सर निहचय ही हर उ बात क जेका उ करत ह स्पस्ट कइ देत हपरमेस्सर अलग अलग रीति स बोलत ह मुला लोग ओका समुझ नाहीं पउतेन। 15 होइ सकत ह कि परमेस्सर सपन मँ लोगन क काने मँ बोलत होइ, या कउनो दिब्यदर्सन मँ राति क जब उ पचे आपन बिसतरा पइ गहिर निंदिया मँ होइँ। जब परमेस्सर क चितउनियन सुनत हीं तउ बहोतइ डर जात हीं। 16 17 परमेस्सर मनइयन क बुरी बात करइ रोकइ क होसियार करत ह, अउ ओनका अंहकारी बनवइ स रोकइ क। 18 परमेस्सर मनइयन क मउत क देस मँ जाइ स बचावइ खातिर होेसियार करत ह। परमेस्सर मनई क नास स बचावइ बरे अइसा करत ह। 19 कउनो मनई परमेस्सर क वाणी तब सुन सकत ह जब उ बिस्तरे पइ ओलरा होइ अउर परमेस्सर क सजा स दुःख भोगत होइ। उ मनई एँतनी गहिर पीरा मँ होता ह, कि ओकर हाड़न दुःखत हीं। 20 फुन अइसा मनई कछू खाइ नाहीं सकत, उ मनई क एँतनी जियादी पीरा होत ह कि ओका सबन ते बढ़िया खइया क नाहीं सोहात। 21 ओकरे देहे क छय तब तलक होत जात ह, जब तलक उ कंकाल मात्र नाहीं होइ जात, अउर ओकर सबइ हाड़न नाहीं देखाँइ लग जातिन। 22 अइसा मनई मउत क देस क तिअरे होत ह, अउर ओकर जिन्नगी मउत क निअरे होत ह। 23 मुला होइ सकत ह कि कउनो सरगदूत, हजारन सरगदूत मँ स एक होइ जउन ओकरे उत्तिम चरित्तर क गवाही देइ। 24 उ सरगदूत उ मनई पइ दयालु होइ, उ दूत परमेस्सर स कहीं: ‘महारबानी कइ क इ मनई क मउत क देस स बचा। एकर दाम चुकावइ क एक रस्ता मोका मिली गवा अहइ।’ 25 फिन मनई क देह जवान अउ खूब मजबूत होइ जाइ। उ मनई वइसा ही होइ जाइ जइसा उ तब रहा, जब उ जवान रहा। 26 उ मनई परमेस्सर क स्तुति करी अउर परमेस्सर ओकरी स्तुति क जवाब देइ । फुन उ परमेस्सर क व्यक्तित्व मँ खुसी खुसी आइ जाब। अउर उ बहोत खुस होइ काहेकि परमेस्सर ओका ओकर ईमानदारी बरे बदला देहीं। 27 फिन उ मनई मनइयन क मन्वा स्वीकार करी। उ कही; ‘मइँ पाप किहे रहउँ, भले क बुरा मइँ किहे रहेउँ, मुला मोका एहसे क मिला! 28 परमेस्सर मउत क देस मँ गिरइ स मोर आतिमा क बचाएस। मइँ अउर जियादा जिअब अउर फुन जिन्गी क रस लेब।’ 29 परमेस्सर मनई क संग ओका मउत क देस मँ दाखिल होवइ स रोक कि अहसा बार-बार करत ह। अइसा मनई फिन जिन्नगी क रह लेत ह। 30 31 अय्यूब, धियान द्या अउर मोर बात सुना। तू चुप रहा अउर मोका कहइ द्या। 32 अगर तोहार लगे कहइ बरे कछू अहइ तउ ओका कहा काहेकि मइँ तोहका निर्दोख लखइ चाहत हउँ। 33 अय्यूब, अगर तोहका कछु नाहीं कहइ क अहइ तउ तू मोर बात सुना। चुप रहा, मइँ तोहका बुध्दिमान बनवइ सिखाउबउँ।”
34:1 फिन एलीहू बात क जारी रखत भए कहेस: 2 “अरे ओ गियानी मनइयो । तू पचे धियान स सुना जउन बातन मइँ कहत हउँ। अरे ओ चतुर लोगो,मोग पइ धियान दया। 3 कान ओन सबन्क परखत ह जेनका उ सुनत ह, जइसेन जीभ जउने खइया क छुअति ह, ओकार सुआद पता करत ह। 4 तउ आवा इ परिस्थिति क परखा अउर खुद फइसला करा कि उचित का बाटइ। हम संग संग सीखब कि का खरा बाटइ। 5 अय्यबू कहेस: ‘मइँ निर्दोख हउँ, मुला परमेस्सर मोरे बरे निस्पच्छ नाहीं अहइ। 6 मइँ निरीह अहउँ मुला लोग सोचत हीं कि मइँ बुरा अहउँ। उ पचे सोचत हीं कि मइँ एक झूठा हउँ अउर चाहे मइँ निर्दोख भी होउँ फुन भी मोर घाव नाहीं भरि सकत।’ 7 अय्यूब क नाई कउनो भी मनई नाहीं अहइ जेकर मुँह परमेस्सर क निन्दा स भरा रहत ह। अय्यूब बरे परमेस्सर क बेज्जती करइ मँ आसानी स पानी क पीवइ जइसा अहइ। 8 अय्यूब बुरे लोगन क साथी अबइ अउर अय्यूब क बुरे लोगन क संगत भावत ह। 9 काहेकि अय्यूब कहत ह, ‘अगर कउनो मनई परमेस्सर क हुकुम मानई क जतन करत ह तउ एहसे उ मनई क कछू भी भला न होइ। 10 “अरे ओ लोगो जउन समुझ सकत हवा, तउ मोर बात सुना, परमेस्सर कबहुँ भी बुरा नाहीं करत ह।सर्वसक्तीमान परमेस्सर कबहुँ भी बुरा नाहीं करी। 11 परमेस्सर मनई क ओकर कीन्ह करमन क फल देइ। उ मनइयन क जउन मिलइ चाही,देइ। 12 उ फुरइ अहइ परमेस्सर कबहुँ बुरा कारज नाहीं करत ह। सर्वसक्तीसाली परमेस्सर सदा निस्पच्छ रही। 13 कउनो इनसान ओका धरती क प्रभारी नाहीं बनाएस। कउनो भी मनई ओका इ सचमुच जगत क जिम्मेदारी नाहीं दिहस। 14 अगर परमेस्सर ठान लेत तउ उ लोगन स जिन्नगी क साँस लइ लेत ह। 15 तउ धरती क सबहिं मनई मर जातेन, फिन सबहिं लोग माटी बन जातेन। 16 “अगर तू पचे विवेकी अहा तउ तू पचे ओका सुनब्या जेका मइँ कहत हउँ। 17 अइसा कउनो मनई जउनो निआउ स घिना राखत ह सासक नाहीं बन सकत ह। अय्यूब, का तू सोचत अहा कि तू परमेस्सर क दोखी साबित कइ सकत अहइ? 18 सिरिफ परमेस्सर अइसा अहइ जउन राजा लोगन स कहत रहत ह कि ‘तू पचे बेकार अहइ।’ परमेस्सर नेता लोगन स कहत रहत ह कि ‘तू पचे दुस्ट अहा।’ 19 परमेस्सर प्रमुखन स दूसर मनइयन क अपेच्छा अधिक पिरेम नाहीं करत, अउर परमेस्सर धन्नासेठन क अपेच्छा गरीबन स जियादा पिरेम नाहीं करत ह। काहेकि सबहिं क परमेस्सर रचेस ह। 20 होइ सकत ह रात मँ अचानक कउनो मनई मरि जाइ। परमेस्सर बहोत जल्दी ही लोगन क रोगी करत ह अउर उ पचे प्राण तउ देत हीं। परमेस्सर बगइर कउनो जतन क सक्तीसाली लोगन क उठाइ लइ जात ह। 21 मनई जउन करत ह परमेस्सर ओका देखत ह। मनई जउन भी चरण उठावत ह परमेस्सर ओका जानत ह। 22 कउनो जगहिया अइसी अँधियारा नाहीं अहइ, चाहे उ जगह कइसा भी अँधियारा होइ, जेह मँ कि कउनो भी दुस्ट मनई अपने क परमेस्सर स छुपाइ पावइस। 23 कउनो मनई बरे इ उचित नाहीं कि उ परमेस्सर स निआउ क अदालत मँ मिलइ क समइ निहचित करइ। 24 परमेस्सर क प्रस्नन क पूछइ क जरुरत नाहीं, मुला परमेस्सर बरिआरन क नस्ट करी अउर ओनकर जगह पइ कउनो अउर क बइठाई। 25 तउ परमेस्सर जानत ह कि लोग का कर हीं। एह बरे परमेस्सर राति मँ दुस्टन क हराई, अउर ओनका नस्ट कइ देइ। 26 परमेस्सर बुरे लोगन क ओनके बुरे करमन क कारण नस्ट कइ देइ अउर बुरे मनई क सजा क सब लखइ देइ। 27 काहेकि बुरे लोग परमेस्सर क आग्या मनाइ क तजि दिहेन अउर उ पचे बुरे लोग परवाह नाहीं करत हीं ओन कामन क करइ क जेनका परमेस्सर चाहत ह। 28 ओन बुरे लोग गरीबन क दुःख दिहन अउर ओनका मजबूर किहन परमेस्सर क मदद बरे गोहरावइ क। गरीब मदद बरे गोहरानत ह, तउ परमेस्सर ओकर सुनत ह। 29 जब परमेस्सर खामोस रही क फइसला करत ह तउ कउनो मनई परमेस्सर क दोखी नाहीं ठहराइ सकत ह। अगर परमेस्सर आपना मुख छिपा लेत ह तउ कउनो भी रास्ट्र या कउनो मनई ओका नाहीं पाइ सकत ह। 30 तउ फुन एक ठु अइसा मनई अहइ जउन परमेस्सर क खिलाफ अहइ अउर लोगन पइ जुलम करत ह। तउ परमेस्सर ओका राजा बनइ नाहीं गइ सकत ह। 31 होइ सकत ह कि कउनो परमेस्सर स कहइ, ‘मइँ अपराघी हउँ अउर फुन मइँ पाप नाहीं करब। 32 हे परमेस्सर, तू मोका उ सबइ बातन सिखावा जउन मइँ नाहीं जानत हउँ। अगर मइँ कछू बुरा किहेउँ तउ फुन, मइँ ओका नाहीं करबउँ।’ 33 मुला अय्यूब, जब तू बदलइ क मना करत अहा, तउ क परमेस्सर तोहका वइसा प्रतिफल देइ, जइसा तू चाहत अहा? इ तोहार फइसला अहइ इ मोर नाहीं अहइ। तू ही बतावा कि तू का सोचत अहा? 34 कउनो भी मनई जेहमाँ विवेक अहइ अउर जउन समझत ह उ मोरे संग सहमत होइ। कउनो भी विवेकवाला मनई जउन मोर सुनत, उ कही, 35 ‘अय्यूब, अबोध मनई क जइसी बातन करत अहा, जउन बातन अय्यूब करत ह ओऩमाँ कउनो सच्चाइ नाहीं।’ 36 मोर इ इच्छा अहइ कि अय्यूब क परखइ क अउर भी जियादा कस्ट दीन्ह जाइँ। काहेकि अय्यूब हमका अइसा जवाब देत ह, जइसा कउनो दुस्ट मनई जवाब देत होइ। 37 अय्यूब पाप पइ किए जात ह अउर ओह पइ उ बगावत किहेस। तोहरे ही समन्वा उ परमेस्सर क खिलाफ बहोत सारे इलाजाम लगावत रहत ह।”
35:1 एलीहू कहत चला गवा। उ बोल। 2 “मइँ अय्यूब, इ तोहरे बरे कहब उचित नाहीं कि “मइँ अय्यूब. परमेस्सर क खिलाफ निआउ पइ हउँ।’ 3 अय्यूब, तू परमेस्सर स पूछत अहा, ‘मनई परमेस्सर क खुस कइके का पाई? अगर मइँ पाप न करउँ तउ मोका का फायदा होइ? 4 अय्यूब, मइँ तोहका अउ तोहरे मीतन क जउन हिआँ तोहरे संग अहइँ जवाब देइ चाहत हउँ। 5 अय्यूब! ऊपर लख अकासे मँ निगाह उठाइके कि बादर तोहसे जियादा ऊँचा अहइँ। 6 अय्यूब, अगर तू पाप करा तउ परमेस्सर क कछू नाहीं बिगड़त, अउर अगर तोहार पाप बहोत होइ जाइँ तउ ओहसे परमेस्सर क कछू नाहीं बिगड़त। 7 अय्यूब, अगर तू भला अहा तउ एहसे परमेस्सर क भला नाहीं होत, तोहसे परमेस्सर क कछु नाहीं मिलत। 8 अय्यूब, तोहार पाप खुद तोहरे जइसे मनई क नोस्कान पहुँचावत हीं, तोहार नीक करम बस तोहरे जइसे मनई क हीं भला करत हीं। 9 अगर बुरे मनइयन क संग अनिआउ होत ह अउर बुरा बेउहार कीन्ह जात ह, तउ उ पचे मदद क पुकारत हीं, उ पचे बड़के बड़के बरिआर क मदद पावइ क दोहाइ देत हीं। 10 मुला बुरे मनइयन परमेस्सर स मदद नाहीं माँगतेन। उ पचे नाहीं कहत हीं, ‘परमेस्सर जउन हमका रचेस ह उ कहाँ बा? परमेस्सर हम लोगन क रात मँ गावइ बरे गीत देत ह। 11 उ बुरे मनइयन इ नाहीं कहा करतेन कि, ‘परमेस्सर जउन गोरु अउ चिरइयन स जियादा बुध्दिमान मनई क बनाएस ह उ कहाँ बा? 12 अगर बुरे लोग परमेस्सर क मदद पावइ क दुहाइ देत हीं तउ परमेस्सर ओनका जवाब नाहीं देत ह। काहेकि उ पचे बहोत घमंडी अउर बुरा होत हीं। 13 इ सच अहइ कि परमेस्सर ओनकर बेकार क दुहाइ क नाहीं सुनी। सर्वसक्तीमान परमेस्सर ओनँ पइ धियान नाहीं देत। 14 अय्यूब, इहइ तरह जब तू परमेस्सर क समन्वा आपन मामला पइ बहस कइ बरे इन्तजार करत ह, अउर अगर तू सिकायत करत ह कि उ तोहरे समन्वा प्रकट नाहीं होएइ, तउ परमेस्सर तोहका जवाब नाहीं देब्या। 15 अय्यूब, तू सोचत अहा कि परमेस्सर दुस्टन क सजा नाहीं देत ह अउर परमेस्सर पाप पइ धियान नाहीं देत ह। 16 एह बरेअय्यूब आपन बेकार क बातन करत रहत ह। अय्यूब बहोत बोलतह मुला उ नाहीं जानत कि उ का कहत रहत ह।”
36:1 एलीहू बात जारी राखत भए कहेस। 2 “अय्यूब, मोरे संग तनिक देर अउर धीरा धरा। मइँ तोहका देखाँउब कि परमेस्सर क पच्छ मँ अबहिं कहइ क अउर अहइ। 3 मइँ आपन गियान क सब स बाँटब। मोका परमेस्सर रचेस ह। मइँ जउन कछू भी जानत हउँ मइँ ओकर प्रयोग तोहका इ देखाँवइ बरे करब कि परमेस्सर निस्पच्छ अहइ। 4 अय्यूब, मइँ तोहका फुरइ कहत हउँ कि मइँ झूट नाहीं कहत हउँ। मइँ जानत कि मइँ का बात करत हउँ। 5 परमेस्सर महान अहइ मुला उ आम लोगन क तुच्छ नाहीं समुझत ह। परमेस्सर बहोत सामर्थी बाटइ अउ विवेक स पूर्ण बाटइ। 6 परमेस्सर दुट्ठ लोगन क जिअइ नाहीं देइ अउर परमेस्सर हमेसा गरीब लोगन क संग खरा बेउहार करत ह। 7 उ सबइ लोग जउन मुनासिब बेउहार करत हीं, परमेस्सर ओनकर धियान राखत ह। उ राजा लोगन क संग ओनका सिंहासन देत ह अउर उ पचे सदा आदर पावत हीं। 8 मुला अगर लोग सजा पावत होइँ अउर अउर बेड़ियन मँ जकरि गवा होइँ। अगर उ पचे पीरा भोगत रहत होइँ अउर संकटे मँ होइँ। 9 तउ परमेस्सर ओनका बताई कि उ पचे कउन सा बुरा करम किहेन ह। परमेस्सर ओनका बताई कि उ पचे पाप किहेन ह अउर उ पचे अहंकारी रहेन। 10 परमेस्सर ओनका ओकर चिताउनी सुनइ क मजबूर करी। उ ओनका पाप करइ स रोकइ खातिर आदेस देइ। 11 जदि लाग परमेस्सर क सुनिहीं अउर ओकर अनुसरण करिहीं तउ परमेस्सर ओनका खुसहाल दिन आनन्दित बरिस देब्या। 12 मुला अगर उ पचे परमेस्सर क आग्या क नकारिहीं तउ उ पचे बिना जाने ही मउत क दुनिया मँ चला जइहीं। 13 अइसे लोग जेनका परमेस्सर क परवाह नाहीं अहइ उ पचे सदा कडुवाहट स भरा रहत हीं। हिआँ तलक कि जब परमेस्सर ओनका सजा देत ह, उ पचे परमेस्सर स सहारा पावइ क विनती नाहीं करतेन। 14 अइसे लोग जवान होत ही मरि जइहीं। उ पचे भ्रस्ट लोगन क संग सर्म स मरिहीं। 15 मुला परमेस्सर दुखिन लोगन क बचाब। परमेस्सर लोगन क जगावइ बरे विपत्ति पठवत ह ताकि लोग ओकर सुनइँ। 16 सचमुच मँ परमेस्सर तोहार दुख-मुसीबत मँ तोहार मदद करइ चाहत ह। उ तोहार बोझन क दुर करइ चाहत ह जउन तोहका कुचरत ह। उ तोहार मेजे पइ भरपूर खइया रखइ चाहत ह। 17 किन्तु तू दोख, निर्णय अउर निआव क बातन स भरा भवा अहा! 18 अय्यूब, तू आपन किरोध क परमेस्सर बरे संका क कारण जिन बना द्या। मुक्ति क बड़ा मूल्य तोहका राह स दुर भटकावइ क कारण जिन बना दया। 19 तू इ जान ल्या कि न तउ जब तोहार समूचा धन अउर न ही तोहार सक्ती तोहार मदद कइ सकत ह। 20 तू राति क अवाई क इच्छा जिन करा। जब लोग आपन ठउरन स गाइब हो जात ह। 21 अय्यूब बुरा करम करइ स तू होसियार रहा। तोह पइ मुसीबतन पठइ गइ अहइँ ताकि तू पापे क ग्रहण न करा। 22 लखा, परमेस्सर क सक्ती ओेका महान बनावत ह। परमेस्सर सबहिं स महानतम सिच्छक अबइ। 23 कउनो भी मनई परमेस्सर स नाहीं कह सकत ह कि का करब। कउनो भी परमेस्सर स नाहीं कहिं सकत,’ परमेस्सर तू बुरा किहा ह।’ 24 परमेस्सर क कर्मन क बड़कइ करब तू जिन बिसरा। लोग गीत गाइके परमेस्सर क सबइ काम क बड़कइ किहेन ह। 25 परमेस्सर क करम क हर कउनो मनई लखि सकत ह। दूर देसन क लोग ओन कर्मन क लखि सकत हीं। 26 इ फुरइ अहइ कि परमेस्सर महान अहइ । ओकरी महिमा क हम नाहीं समुझ सकित ह। परमेस्सर क उमर क बरिसन क गनती क कउनो गन नाहीं सकत। 27 परमेस्सर पानी क धरती स ऊपर उठावत ह अउर ओका बर्खा अउ कुहरा क रुप मँ बदल देत ह। 28 परमेस्सर बादरन स लोगन पइ भरपूर पानी बरसावत ह। 29 का कउनो मनइ इ ब्यान कइ सकत ह कि परमेस्सर कइसे बादरन क फैलावत ह, या ओकर घर, आकास मँ बिजुरि क गरज क समझ सकत ह 30 लखा, परमेस्सर कइसे आपन बिजुरि क अकासे मँ चारिहुँ कइँती बिखेरत ह अउर कइसे समुझदार क गहिरे हींसा क ढाँपि लेत ह। 31 परमेस्सर रास्ट्रन क नियंत्रण मँ रखइ अउर ओनका भरपूर भोजन देइ बरे बारदन क उपयोग करत ह। 32 परमेस्सर आपन हाथे स बिजरी क पकरि लेत ह अउर जहाँ, उ चाहत ह. हुआँ बिजुरि क गिरइ क हुकुम देत ह। 33 गर्जन लोगन क तूफाने क अवाइ क चिताउनी देत ह। इ गर्जन दिखावत ह कि इ दुस्टता क खिलाफ किरोध मँ अहइ।
37:1 “हे अय्यूब, जब एँन बातन क बारे मँ मइँ सोचत हउँ, मोर हिरदइ बड़े जोर स धक धक करत ह। 2 हर कउनो सुनइ, परमेस्सर क वाणी बादर क गर्जन जइसी सुनाई देत ह। अनका गरजत भी ध्वनि क जउन परमेस्सर क मुँहे स आवति अहइ। 3 परमेस्सर आपन बिजुरी क सारे अकासे स होइके चमकइ क पठवत ह। उ सारी धरती क ऊपर चमका करत ह। 4 बिजुरी क कौधइ क पाछे परमेस्सर क गर्जन भरी वाणी क सुना जाइ सकत ह। जब परमेस्सर आपन अदभुत वाणी क संग गरजत ह। तब परमेस्सर क वाणी गरजत ह तउ बिजुरी कौधत ह तब। 5 परमेस्सर क गरजत भइ वाणी अदभुत अहइ। उ अइसे बड़े करम करत ह, जेनका हम समुझ नाहीं पावत अही। 6 परमेस्सर बर्फ स हुकुम देत ह, ‘तू धरती पइ गिरा’ अउर परमेस्सर बर्ख स कहत ह ‘तू धरती पइ जोर स बरसा।’ 7 परमेस्सर अइसा एह बरे कहत ह कि सबहिं मनई जेनका उ बनाएस ह जान लेइ कि उ का कइ सकत ह। उ ओकर प्रमाण अहइ। 8 पसु आपन खोहन मँ पराइ जात हीं, अउर हुआँ ठहरा रहत हीं। 9 ओनका कमरन स आँधी आवत हीं, अउ हवा सर्दि मोसम लियावत ह। 10 परमेस्सर क साँस बर्फ बनवत ह, अउर समुद्दरन क जमाइ देत ह। 11 परमेस्सर बादरन क जल स भरा करत ह, अउ बिजुरी क बादर क जरिये बिखेर देत ह। 12 परमेस्सर बादरन क चारिहुँ कइँती मोड़ देत ह ताकि उ पचे उहइ कइ सकइ जेका उ ओनका करइ क हुकुम दिहेस ह उ पचे पूरी धरती पइ छाइ जात ह। 13 परमेस्सर लोगन क सजा देइ बरे कबहुँ बाढ़ लिआवत ह। कबहुँ आपन सहानुभूती देखावइ बरे बादरन क पठवत ह अउर धरती पइ पानी बरसावत ह। 14 अय्यूब, तू छिन बरे रुका अउ सुना। रुक जा अउ सोचा ओन अदभुत कारजन क बारे मँ जेनका परमेस्सर किया करत ह। 15 अय्यूब, का तू जानत अहा कि परमेस्सर बादरन पइ कइसे काबू राखत ह का तू जानत ह कि परमेस्सर आपन बिजुरी क काहे चमकावत ह 16 का तू जानत ह कि आकास मँ बादर कइसे लटका रहत हीं। इ सबइ बादरन एक ठु उदाहरण अहइँ। परमेस्सर क गियान संपूर्ण अहइ अउर इ सबइ बादर परमेस्सर क अदभुत कारज अहइँ। 17 मुला अय्यूब, तू इ सबइ बातन क नाहीं जानत ह। तू बस एँतना जानत अहा कि तोहका पसीना आवत ह अउर तोहार ओढ़ना तोहसे चिपका रहत हीं जब सब कछू आराम करत रहत होत ह अउर दक्खिन स गरम हवा बहत ह। 18 अय्यूब, का तू परमेस्सर क मदद आकास मण्डल क तानइ मँ अउर ओका झलकत भए दर्पण क नाई चमकावइ मँ कइ सकत अहा? 19 अय्यूब, हमका बतावा कि हम परमेस्सर स का कहीं? हम ओसे कछू भी कहइ क सोच नाहीं पाइत काहेकि हम पर्याप्त कछू भी नाहीं जानित। 20 का परमेस्सर क बतावा जाइ कि मइँ ओकरे खिलाफ बोलइ चाहत हउँ। इ वइसे ही होइ जइसे आपन विनास माँगबा। 21 लखा, कउनो भी मनई चमकत भए सूरज क नाहीं लख सकत ह। जब हवा बादरन क उड़ाइ देत ह ओकरे पाछे उ बहोतइ उज्जवर अउ चमचमात भवा होत ह। 22 अउ परमेस्सर भी ओकरे समान अबइ। परमेस्सर क सुनहरी महिमा चमकत ह। परमेस्सर अदभुत महिमा क संग उत्तर कइँती स आवत ह। 23 सर्वसाक्तीमान परमेस्सर सचमुच महान अहइ, हम परमेस्सर क नाहीं जान सकित। परमेस्सर सदा ही लोगन क संग निआउ, अउ निस्पच्छ होइके बेउहार करत ह। उ कउनो लोग क संग ना इनसाफी क संग पीड़ा नाहीं देत ह। 24 एह बरे लोग परमेस्सर क आदर करत हीं, मुला परमेस्सर ओन अभिमानी लोगन क आदर नाहीं देत ह जउन खुद क बुध्दिमान समुझत हीं।”
38:1 फिन यहोवा बौडंर मँ स अय्यूब क जवाब दिहस। परमेस्सर कहेस। 2 “इ कउन मनई अहइ जउन मूर्खता स भरी भइ बातन करत अहइ?” 3 अय्यूब, तू मनई क तरह सुदृढ़ बना। जउन सावत मइँ पूछउँ ओकर जवाब देइ क तइयार होइ जा। 4 अय्यूब, बतावा तू कहाँ रहया, जब मइँ भुइँया क रचना किहे रहेउँ? अगर तू एँतना समुझदार अहा तउ मोका जवाब दया। 5 अय्यूब, अगर तू एँतना हाज़िर जवाब अहा तउ मोका बता कि इ संसारे क विस्तार कउन तय किहेस?कउन इ संसार क नापइ वाला सूत स नापेस? 6 इ पृथ्वी क नींव काहे पइ धरी गइ अहइ? कउन पृथ्वी क नींव क रुप मँ सवन त जियादा महत्व क पाथर क धरेस ह 7 जब परमेस्सर अइसा करत रहेन तउ भोर क तारन एक संग खुस होइके गाना गाएन। अउर सरगदूतन खुस होअके चिल्ला उठेन। 8 अय्यूब, जब सागर धरती क गरम स फूट बहत निकरा, तउ कउन ओका रोकइ बरे दुआर क बँद किहे रहा। 9 उ समइ मइँ बादरन स समुददर क ढाँपि दिहेउँ अउ अंधियारा मँ सागर क लपेट दिहे रहेउँ(जइसे गदेला क चादर मँ लपेटा जात ह।) 10 “सागर क चउहद्दी मइँ निहचित किहे रहेउँ अउर ओहमाँ ताला डाइके दुआरन क पाछे रख दिहे रहेउँ। 11 मइँ समुददरे स कहेउँ, तू हिआँ तलक आइ सकत ह मुला अउर जियाद आगो नाहीं।तोहार घमण्डी लहरन हिआँ पइ रुकि जइहीं।’ 12 अय्यूब, का तू कबहुँ आपन जिन्नगी मँ भोर क हुकुम दिहा ह निकरि आवइ अउर दिन क सुरु करइ क? 13 अय्यूब, का तू कबहुँ भिन्सारे क प्रकास क धरती पइ छाइ जाइ क कहया ह अउर का कबहुँ ओहसे दुस्टन क लुकाइ क जगहिया क तजि देइ क मजबूर करइ क कहया ह 14 जब भिंसारे क प्रकास धरती पइ पड़त ह तउ धरती क रूप व आकृति अइसा प्रगट होत ह जइसे नरम मिट्टी क मुहर स दबाइ स होत ह। एकर रूप रेखा ओढ़नन क सलवटन क नाईं उभरत ह। 15 दुस्ठ लोगन स प्रकास लइ लीन्ह गवा ह। नीक अउर ओन बाजूअन क जउन कि उ पचे बुरा करम करइ बरे उठाएस तोड़ दीन्ह ग रहेन। 16 अय्यूब, बतावा का तू कबहुँ सागर क गहिर तहे मँ गवा अहा जहाँ स सुरु होत हका तू कबहुँ सागर क स्त्रितों पइ चला अहा? 17 अय्यूब, का तू कबहुँ उ फाटकन क लख्या ह, जउन मउते क लोक लइ जात हीं? का तू कबहुँ ओन फाटकन क लख्या जउन मउत क अँधियार जगह क लइ जात हीं? 18 अय्यूब, तू जानत अही कि इ धरती केतँनी बड़ी अहइ? तू मोका बतावा अउर तू इ सब कछु जानत अहा। 19 अय्यूब, प्रकास कहाँ स आवत अहइ? अउर अँधियारा कहा स आवत ह 20 अय्यूब, का तू प्रकास अउ अँधियारा क अइसी जगह लइ जाइ सकत ह जहाँ स उ सबइ आए होइँ? जहाँ उ सबइ रहत हीं हुआँ पइ जाइ क मारग का तू जानत अहा? 21 अय्यूब, मोका निहचय अहइ कि तोहका सारी बातन मालूम अइँ काहेकि तू बहोत ही बूढ़ा अहा। जब वस्तुअन क रचना भइ रही तब तू हुआँ रहया। 22 अय्यूब, का तू कबहुँ ओन भण्डार क कोठरियन मँ गना अहा जहाँ मइँ बरफ अउ ओलन क धरा करत हउँ? 23 मइँ बरफ अउ ओलन क विपत्ति क समइ मँ अउ जुद्ध अउर लड़ाई क समइ मँ उपयोग करइ बरे बचाए राखत हउँ। 24 अय्यूब, का तू कबहुँ अइसी जगह गवा अहा, जहाँ स सूरज उगत ह अउ जहाँ स पुरवइया सारी धरती पइ छाइ जाइ बरे आवत ह 25 अय्यूब, भारी बर्खा बरे अकास मँ कउन नहर खोदेस ह, अउर कउन गरजनवाले बिजली क रस्ता बनाएस ह 26 अय्यूब, कउन हुआँ भी पानी बरसाएस, जहाँ कउनो भी नाहीं रहत ह 27 उ बर्खा उ खानी भुइँया क खूब देर क पानी देत ह अउ घास जामब सुरु होइ जात ह। 28 अय्यूब, का बर्खा क कउनो बाप अहइ? ओस क बूँदन क कउन बनावत अहइ? 29 अय्यूब,बरफ क महतारी कउन अहइ? आकास क पाला क कउन पइदा करत ह 30 पानी जमिके चट्टान जइसा कठोर बन जात ह, अउर सागर क ऊपर क सतह जम जावा करत ह। 31 अय्यूब, सप्तर्षि तारन क का तू बाँध सकत हका तू मिरगसरा का बन्धन खोल सकत ह 32 अय्यूब,का तू तारा समूहन(कहकसाँ) क ठीक वेला पइ निकार सकत हका तू भालू क ओकरे बच्चन क संग अगुअइ कइ सकत ह 33 का तू ओन नेमन क जानत ह, जउन नभ पइ सासन करत हीं? का तू ओन नेमन क धरती पइ लागू कइ सकत ह 34 अय्यूब, का तू गोहराइके बादरन क आदेस दइ सकत ह, कि उ पचे भारी बर्खा क साथ घेरि लेइँ। 35 अय्यूब बतावा, का तू बिजुली क जहाँ चाहत्या पठइ सकत अहा? अउर का तोहरे निअरे आइके बिजुरी कही अय्यूब, ‘हम हिआँ अही बतावा तू का चाहत ह’ 36 मनई क मन मँ विवेक क कउन राखत ह लोगन क चिजियन क समझइ बरे छमता कउन देत ह 37 अय्यूब कउन आपन बुदिध स बादरन क गनेस हकउन आकास क पानी क चाम थेले क उंडेल सकत ह 38 बर्खा धूरि क कीचंड़ बनाइ देत ह अउर माटी क लौदा आपुस मँ चिपक जात हीं। 39 अय्यूब, का तू सिंह क आहार पाइ सकत हका तू मुखान सेरनी क बच्चन क पेट भरि सकत ह 40 उ सबइ सेर आपन खोहन मँ पड़ा रहत हीं अउर सिकार बरे झाड़ी मँ दुबक क घात लगनवइ बरे बइठा रहत हीं। 41 अय्यूब, कउआ क कबेला चारा पाए बगइर एहरओहर भटकत भए परमेस्सर क दुहाइ देत हीं। कउन ओनका चारा देत ह
39:1 “अय्यूब का तू जानत अहा कि कब पहाड़ी बोकरियन बियात हीं? का तू कबहुँ लख्या जब हिरणी बियात ह 2 अय्यूब, का तू जानत ह पहाड़ी बोकरियन अउ महतारी हरिणियन केतँने महीने आपन बच्चन क गर्भ मँ राखत हीं? का तोहका पता अहइ कि ओनकर बियाइ क उचित समइ का अहइ? 3 का तू जानत ह क उ पचे बच्चा क जनम दइ बरे कब झुकत ह। का तू जानत ह कि उ पचे आपन बच्चन क कब जनम देत ह। 4 पहाड़ी बोकरियन अउर हरिणि महतारी क बच्चन खेतन मँ हट्टा कट्टा होइ जात हीं। फुन उ पचे आपन महतारी क तजि देत हीं, अउर फुन लउटिके वापस नाहीं अउतेन। 5 अय्यूब, जंगली गदहन क कउन अजाद छोड़ देत ह कउन ओनकर रस्सन क खोलेस अउर ओनका बन्धन स अजाद किहेस? 6 इ मइँ परमेस्सर हउँ जउन बनेर गदहा क घर क रुप मँ रेगिस्तान दिहेउँ। मइँ ओनका रहइ बरे उजाड़ धरती दिहेउँ। 7 बनेर गदहा सोर स भरा भवा सहरन क लगे नाहीं जात ह अउर कउनो भी मनई ओका काम करवावइ बरे नाहीं साधत ह। 8 बनेर गदहन पहाड़न मँ घूमत हीं अउर उ पचे हुअँइ घास चरत रहत हीं। उ पचे हुअँइ पर हरिअर घास चरइ क हेरत रहत हीं। 9 अय्यूब,बतावा, का कउनो जंगली साँड़ तोहरी सेवा बरे राजी होइ? का उ तोहरे चरही मँ राति क रुकी? 10 अय्यूब, का तू जंगली बर्धा पइ जुआ रख पइ आपन खेत जोतँवाइ सकत ह का घाटी क तोहरे वास्ते जोतँइ बरे उ पचन पइ जुआ रखइ जाब्या? 11 जंगली साँड़ बहोत मजबूत होत ह। मुला का तू आपन काम करइ बरे ओन पइ भरोसा कइ सकत ह 12 का तू ओह पइ भरोसा कइ सकत ह कि उ तोहार अनाज बटोरइ अउर ओका दाँवइ मँड़ाइक खरिहाने मँ लिआवइ। 13 सुतुरमुर्ग जब खुस होत ह उ आपन पंख फड़फड़ावत ह। मुला ओकर पंख सारस क पंख जइसे नाहीं होतेन। 14 मादा सुतुरमुर्ग धरती पइ अण्डा देत ह। सबइ अण्डा रेत मँ गरम होइ जात ह। 15 मुला सुतुरमुर्ग बिसरि जात ह कि कउनो ओकरे अण्डन पइ चलिके कुचर सकत ह, या कउनो बनेर पसु ओनका तोड़ सकत ह। 16 मादा सुतुरमुर्ग आपन नान्ह बच्चन पइ कठोर होइ जात ह जइसे उ पचे ओकर बच्चन नाहीं अहइँ। अगर ओकर बच्चन मरि भी जाइँ तउ भी ओका चिन्ता नाहीं होतह, अउर ओकर सब काम अकारथ होत ह। 17 परमेस्सर सुतुरमुर्ग क विवेक नाहिं दिहेस, अउर उ ओका कउनो समझदारी नाहीं दिहस ह। 18 मुला जब सुतुरमुर्ग दउड़इ क उठत ह तब धोड़न अउ ओकरे सवार पइ हँसत ह। 19 अय्यूब, बतावा का तू धोड़न क बल दिहा अउर का तू ही ओकर गटई पइ फहरती अयाल जमाया ह 20 अय्यूब, बतावा जइसे टिड्डी कूद जात ह तू वइसे धोड़ा क कुदाया ह घोड़ा ऊँची अवाजे मँ हिनहिनात ह अउर लोग डेराइ जात हीं। 21 घोड़ा घुस अहइ कि उ बहोत बलवान बाटइ अउर आपन खुरे स धरती क खतन रहत ह। जुदध मँ जात भवा घोड़ा तेज दौड़ जात ह। 22 घोडा डरे क हँसी उड़ावत ह काहेकि उ कबहुँ नाहीं डेरात। घोड़ा कबहुँ भी जुदध स मुँह नाही मोड़त ह। 23 घोड़ा क बगल मँ तरकस थिरकत रहत हीं। घोड़सवारन क भलन अउ हथियार धूपे मँ चमचामत रहत हीं। 24 घोड़ा बहोत उत्तेजित अहइ, मैदान पइ उ तेज चाल स दउड़त ह। घोड़ा जब बिगुल क आवाज सुनत ह तब उ सान्त खड़ा नाहीं रहि सकत। 25 बिगुल क ध्वनी पइ घोड़ा हिन हिनावत ह। उ बहोत ही दूर स जुदध क सूँध लेत ह। उ सेना क सनापती क आदेस अउर जुदधा क हाहाकार अउ जयजयकार क सुन लेत ह। 26 अय्यूब, का तू बाज क सिखाया आपन पखनन क फइलाउब अउर दक्खिन कइँती उड़ि जाब। 27 अय्यूब का तू उकाब क उड़इ क अउर ऊँच पहाड़न मँ आपन झोंझ बनावइ क आग्या देत ह। 28 उकाब चट्टाने पइ रहा करत ह। ओकर किला चट्टान होत ह। 29 उकाब किला स आपन सिकार पइ निगाह राखत ह। उ बहोत दूर स आपन सिकार क लखि लेत ह। 30 गिद्ध क बच्चन लहु चाटा करत हीं। जहाँ भी ल्हासन पड़ा होत हीं हुवाँ गिदध बटुर जात हीं।”
40:1 यहोवा अय्यूब स कहत ह: 2 “अय्यूब तू सर्वसक्तीमान परमेस्सर स तर्क किहा। तू मोर निन्दा किहस। अब तोहका जवाब दइ चाही।” 3 एह पइ अय्यूब कहइ बरे देत भए परमेस्सर स कहेस: 4 “मइँ तउ कछू कहइ बरे बहोत ही तुच्छ हुउँ। मइँ तोहसे का कहि सकत हउँ? मइँ आपन हाथ आपन मुँहे पइ रख लेब। 5 मइँ एक दाई कहेउँ मुला अब मइँ जवाब नाहीं देबउँ। फुन मइँ दुबारा कहेउँ मुला अब अउर कछू नाहीं बोलब।” 6 एकरे पाछे यहोवा आँधी मँ बोलत भए अय्यूब स कहेस। 7 अय्यूब, तू मनई क तरह तइयार होइ ज। मइँ तोहसे कछू सवाल पूँछब अउर तू ओन सवालन क जवाब मोका देब्य़ा। 8 अय्यूब का तू सोचत अहा कि मइँ निआउ स पूरा नाहीं हउँ। का तू मोका बुरा काम करइ क दोखी मानत अहा ताकि तू इ देखाँइ सका कि तू उचित अहा? 9 अय्यूब, बतावा का मोर सस्त्र एँतना सक्तीसाली अहइँ जेतँना कि मोर(परमेस्सर) सस्त्र अहइ!? का तू आपन वाणी क ओतँना ऊँच गरजिके बोल सकत ह जेतँना मोर वाणी अहइ!? 10 अगर तू वइसा कइ सकत ह तउ तू खुद क आदर अउर महिमा द्या अउ ओढ़ना क तरह वफादारी क सान क ओढ़ ल्या। 11 अय्यूब, अगर तू मोरे समान अहा, तउ अभिमानी लोगन स घिना करा। अय्यूब तू ओन अंहकारी लोगन पइ आपन किरोध बरसावा अउ तू ओनका विनम्र बनाइ दया। 12 हाँ,अय्यूब, ओन अंहकारी लोगन क लखा अउर तू ओनका विनम्र बनाइ दया। ओन दुस्टन क तू कुचर दया जहाँ भी उ पचे खड़ा होइँ। 13 तू सबहिं घमण्डियन क माटी मँ गाड़ दया अउर ओनकइ देहन पइ कफन लपेटिके तू कब्रन मँ धइ दया। 14 अय्यूब, अगर तू एँन सबइ बातन क कइ सकत ह तउ मइँ तहार परसंसा लरब काहेकि तू खुद क बचाइ सकत ह। 15 अय्यूब, लखा मइँ उ बहमोथ (जलगजे)क पैदा किहेउँ। अउर उ मइँ ही ह जउऩ तोहका बनाएउँ ह। उ बहमोथ उहइ तरह घास खात ह, जइसे गइया घास खात ह। 16 बहमोथ क बदन मँ बहोत ताकत होत ह। ओकरे पेटे क माँसपेसियन बहोत ताकतवर होत हीं। 17 बहमोथ क पूँछ मजबूत अइसी होत ह जइसे देवदार क बृच्छ खड़ा रहत ह। ओकरे गोड़े क माँसपेसियन बहोत मजबूत होत हीं। 18 बहमोथ क हाड़न काँसा क तरह मजबूत होत हीं, अउर गोड़ ओकरे लोहे क ढूड़न जइसे। 19 बहमोथ महानतम पसु अहइ जेका मइँ बनाएउँ ह। हिआँ तलक कि ओकर सिरजनहार भी ओका लगे तरवार लइ क जात ह। 20 बहमोथ ओन घासे क खात ह जउन पहाड़े पइ उपजात ह जहाँ बनेर पसु खेलत हीं। 21 बहमोथ कमल क पउधन क नीचे सोवत रहत ह अउ कीचंड़ मँ सरकणडन क आड़ मँ छूपा रहत ह। 22 कमल क पउधन बहमोथ क आपन छाया मँ छिपावत हीं। उ बेंत क पेड़न क खाले रहत ह, जउन नदी क निचके उगत हीं। 23 अगर नदी मँ बाढ़ आइ जाइ तउ भी जलगज परात नाहीं ह। अगइ यरदन नदी भी ओकरे मुँहे पइ थपड़ियावइ तउ भी उ डेरात नाहीं ह। 24 बहमोथ क कउनो भी हुक लगाइ क नाहीं पकड़ सकत ह। कउनो भी ओका जाली मँ नाहीं फँसाइ सकत।
41:1 “अय्यूब बतावा, का तू लिब्यातान क कउनो मछरी क काँटा स धइ सकत ह का तू एकर जिभ क रसी स बंध सकत ह 2 अय्यूब, का तू लिव्यातान क नाक मँ नकेल डाइ सकत हया ओकरे जबड़न मँ काँटा फँसाइ सकत ह 3 अय्यूब,का तू लिव्यातान क अजाद होइके बरे तोहसे बिनती करी? का उ तोहसे मीठी मीठी बातन करीं? 4 अय्यूब, का तू लिब्यातान तोहसे सन्धि करी अउर सदा तोहरी सेवा क तोहका वचन देइ? 5 अय्यूब, का तू लिब्यातान क वइसे ही खेलब्या जइसे तू कउनो चिड़िया स खेलत ह का तू ओका रस्सा स बँधब्या जेहसे तोहार दासियन ओहसे खेल सकइँ। 6 अय्यूब, का तू मछुआरा लिब्यातान क तोहसे बेसहइ क कोसिस करिहीं? का उ पचे ओका कटिहीं अउर ओनका बइपारियन क हाथे बेचि सकहीं? 7 अय्यूब, का तू लिब्यातान क खाल मँ अउर माथे पइ भाला फेंक हमला कइ सकत ह 8 अय्यूब,लिब्यातान पइ अगर तू हाथ डावा तउ जउन भयंकर जुदध होइ, तू कबहुँ भी बिसाहि नाहीं पउब्या अउर फुन तू ओहसे कबहुँ जुदध न करब्या। 9 अउर अगर तू सोचत ह कि तू लिब्यातान क पकड़ सकत ह, तउ इ बात क तू भूल जा। काहेकि ओका पकड़इ बरे कउनो आसा नाहीं अहइ। तू तो बस ओका लखइ भर सही डेराइ जाब्या। 10 कउनो भी एतना वीर नाहीं अहइ , जउन लिब्यातान क जगाइके भड़कावइ। तउ फुन अय्यूब बतावा, मोरे विरोध मँ कउन टिक सकत ह 11 कउनो भी मनई जउन कि मोहे स मुकाबला करह उ सुउच्छित नाहीं रब्या। सारे अकासे क खाले जउन कछू भी अहइ,उ सब कछू मोर ही अहइ। 12 अय्यूब मइँ तोहका लिब्यातान क सक्ती क बारे मँ बताउब। मइँ ओकर सक्ती अउर रुप क सोभा क बारे मँ बताउब। 13 कउनो भी मनई ओकर बाहरी आवरण (खाल) क भेद नाहीं सकत। ओकर खाल दोहरी कवच क नाई अहइ। 14 लिव्यातान क कउनो भी मनई मुँह खोलइ बरे मजबूर नाहीं कइ सकत ह। ओकरे भी जबडे क दाँत सबहिं क भयभीत करत हीं। 15 लिव्यातान क पिठिया पइ ढालन क कतार होत हीं, जउन आपुस मँ जुड़ी होत हीं। 16 इ सबइ ढालन आपुस मँ एँतनी सटी होत हीं कि हवा तलक ओहमाँ प्रवेस नाहीं कइ पावत ह। 17 इ सबइ ढालन एक दूसर स जुड़ी होत हीं। उ सबइ मजबूती स एक दूसरे स जुड़ी भई अहइ कि कउऩो भी ओनका उखाड़िके अलग नाहीं कइ सकत। 18 लिव्यातान जब छींकत ह तउ अइसा लागत ह जइसे बिजली सी कौधं गइ होइ। आँखी ओकर अइसी चमकत हीं जइसे कउनो तेज प्रकास होइ। 19 ओकरे मुँहना स बरत भइ मसान निकरत हीं, अउर ओहसे आगी क चिनगारियन बिखत हीं। 20 लिब्यातान क नथुनन स धुआँ अइसा नकरत ह, जइसे उबलत भइ हाँड़ी स भाप निकलत होइ। 21 लिब्यातान क फूँक स कोयला सुलग उठत हीं अउर ओकरे मुँहे स लपक निकरत हीं। 22 लिब्यातान क गटई बड़ी जबरदस्त अहइ, अउर लोग ओसे उरिके दूर पराइ जात हीं। 23 ओकरे खाल मँ कहीं भी कोमल जगह नाहीं अहइ। उ लोहा क तरह कठोर अहइ। 24 लिब्यातान क हिरदइ चट्टान क तरह होत ह। ओकर हिरदइ चक्की क नीचे क पाट क तरह सख्त अहइ। 25 लिब्यातान स सरगदूत भी डर जात हीं। लिब्यातान जब पूँछ फटकारत ह, तउ ओन सबइ भाग जात हीं। 26 लिब्यातार पइ जइसे ही भालन, तीर अउ तरवार पड़त हीं उ सबइ उछरिके दूर होइ जात ह। 27 लोहा क मोटी छड़न क उ तिनका जइसा अउर काँसा क सड़ी लकड़ी क तरह तोड़ देत ह। 28 बाण लिब्यातान क नाहीं भगाइ पावत हीं। ओह पइ पाथर फेंकना, एक सुखा तिन्का फेंकन क नाई अहइ। 29 लिब्यातान पइ जब मुगदर पड़त ह तउ ओका अइसा लागत ह माना उ कउनो बिनका होइ। जब लोग ओह पइ भालन फेंकत हीं, तब उ हँसा करत ह। 30 विब्यातान क पेट क नीचे सिरा टूटा भए मट्टी क बासन क नाई तेज अहइ। जब उ चलत ह तउ कीचड़ मँ अइसा निसान छोड़त ह माना कि खेतन मँ हेगा लगावा गवा होइ। 31 लिब्यातान पानी क अइसे मथत ह, माना कउनो हाड़न उबलत होइँ। उ अइसे बुलबुले बनावत ह माना बासन मँ खउलत भवा तेल होइ। 32 लिब्यातान जब सागर मँ तैरत ह तउ आपन पीछे उ सफेद झागन जइसी राह छोड़त ह, जइसे कउनो उज्जर बारे क सफेद बिसाल पूँछ होइ। 33 लिब्यातान सा कउनो अउर जन्तु धरती पइ नाहीं अहइ। उ अइसा पसु अहइ जेका निडर बनावा गवा। 34 उ हर एक घमण्डी जानेबर क ऊपर नजर रखत ह सबहिं जंगली पसुअन क उ राजा अहइ।”
42:1 एँह पइ अय्यूब यहोवा क जवाब दे भए कहेस। 2 “यहोवा, मइँ जानत हउँ कि तू सब कछू कइ सकत अहा। तू सबइ जोजना बनाइ सकत अहा अउर तोहर सबइ जोजना क कउनो भी नाहीं बदल सकत अउर न ही एका रोका जाइ सकत ह। 3 यहोवा, तू इ सवाल पूछ्या कि ‘इ अबोध मनई कउन अहइ? जउन इ सबइ मूर्खता स भरी बातन कहत अहइ?’ यहोवा, मइँ ओन चीजन क बारे मँ बातन किहेउँ जेनका मइँ समझत नाहीं रहेउँ। यहोवा, मइँ ओन चीजन क बारे मँ बातन किहेउँ जउन मोरे समुझ पावइ बरे बहोत अचरज भरी रहिन। 4 यहोवा,तू मोस् कहया, ‘हे अय्यूब सुना अउर मइँ बोलब। मइँ तोहसे सवाल पूँछब अउर तू मोका जवाब देब्या। 5 यहोवा, बीते भए काल मँ मइँ तोहरे बारे मँ सुने रहेउँ मुला खुद आपन आँखिन स मइँ तोहका देखि लिहेउँ ह। 6 एह बरे अब मइँ खुद आपन बरे लज्जात हउँ। मइँ आपन जिन्नगी क राह बदलइ क इच्छा दिखावइ बरे धूर अउर राखी मँ बैठा करत हउँ।” 7 यहोवा जब अय्यूब स आपन बात कइ चुका तउ यहोवा तेमान क निवासी एलीपज स कहेस: “मइँ तोहसे अउर तोहरे दुइनउ दोस्तन स कोहान हउँ काहेकि तू मोरे बारे मँ उचित बातन नाहीं कहे रहया। मुला अय्यूब मोरे बारे मँ उचित बात कहे रहा। अय्यूब मोर दास अहइ। 8 एह बरे अब एलीपज तू सात बर्धा अउऱ सात ठु भेडिंन लइके मोर दास अय्यूब क लगे जा अउर आपन बरे होमबलि क रुप मँ ओनकर भेंट चढ़ावा। मोर सेवक अय्यूब तोहरे बरे परथना करी। तब निहचइ ही मइँ ओकरी परथना क जवाब देहउँ। फुन मइँ तोहका वइसी सजा नाहीं देब जइसे सजा दीन्ह जाइ चाही रही काहेकि तू बहोतइ मूरख रहया। मोरे बारे मँ उचित बातन नाहीं किह्या जबकि मोरे सेवक अय्यूब मोरे बारे मँ उचित बातन कहे रहा।” 9 तउ तेमान क निवासी एलीपज, सूह क निवासी बिल्दद अउर नामात क निवासी सोपर यहोवा क आग्या क मानेस एँह पइ यहोवा अय्यूब क पराथना सुन लिहस। 10 इ तरह जब अय्यूब आपन मीतन बरे परथना कइ चुका तउ यहोवा अय्यूब क फुन स कामयाब किहेस। परमेस्सर जेतना ओकरे लगे पहिले रहा, ओहसे भी दुगुना ओका दइ दिहस। 11 अय्यूब क सबहिं भाई अउ बहिनियन अय्यूब क घर वापस आइ गएन अउर कउनो जउन अय्यूब क पहिले जानत रहा, ओकरे घरे आवा। अय्यूब क संग उ सबइ एक बड़की दावत मँ खाना खाएन. काहेकि यहोवा अय्यूब क बहोत कस्ट दिहे रहा, एह बरे उ पचे अय्यूब क दिलासा दिहेन। ओन मँ स हर कउनो अय्यूब क सोने क सिक्का अउर सोना क कान क बाली भेटं मँ दिहस। 12 यहोवा अय्यूब क जिन्नगी क पहिले हींसा स भी जियादा ओकरी जिन्नगी क पिछला हींसा क आपन आसीरार्वाद दिहस। अय्यूब क लगे चौदह हजार भेड़, छ: हजार ऊँट, दो हजार बैल जउर एक हजार गदहिन होइ गइन। 13 अय्यूब क सात पूत अउ तीन बिटियन भी होइ गइन। 14 अय्यूब आपन सब स बड़की बिटिया क नाउँ राखेस यामीना। दुसर की बिटिया क नाउँ धेरस कसीआ। अउर तीसरी क नाउँ राखेस केरेन्हप्पूक। 15 सारे प्रदेस मँ अय्यूब क बिटियन सब स सुन्नर मेहररुअन रहिन। अय्यूब आपन पूतन क साथ आपन दौलत क एक हींसा आपन बिटियन क भी वसीयत मँ दिहस। 16 एकरे पाछे अय्यूब एक सौ चालीस साल तलक अउर जिअउ रहा। उ आपन बच्चन, आपन पोतन, आपन परपोतन अउर परपोतन क भी संतानन यानी चार पीढ़ियन क लखइ बरे जिअत रहा। 17 जब अय्यूब क मउत भइ, उ समइ उ बहोत बुढ़ान रहा. ओका बहोत नीक अउर लम्बी जिन्नगी प्राप्त भइ रही।