1

1 आमोस तकोई जो भेड़-बकरियोंके चरानेवालोंमें से या, उसके थे वचन हैं जो उस ने यहूदा के राजा उज्जियाह के, और योआश के पुत्र इस्राएल के राजा यरोबाम के दिनोंमें, भुईंडोल से दो वर्ष पहिले, इस्राएल के विषय में दर्शन देकर कहे।। 2 यहोवा सिय्योन से गरजेगा और यरूशलेम से अपना शब्द सुनाएगा; तब चरवाहोंकी चराइयां विलाप करेंगी, और कर्म्मेल की चोटी फुलस जाएगी।। 3 यहोवा योंकहता है, दमिश्क के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण मैं उसका दण्ड न छोडूंगा; क्योंकि उन्होंने गिलाद को लोहे के दांवनेवाले यन्त्रोंसे रौंद डाला है। 4 इसलिथे मैं हजाएल के राजभवन में आग जलाऊंगा, और उस से बेन्हदद के राजभवन भी भस्म हो जाएंगे। 5 मैं दमिश्क के बेण्डोंको तोड़ डालूंगा, और आवेन नाम तराई के रहनेवालोंको और एदेन के घर में रहनेवाले राजदण्डधारी को नाश करूंगा; और अराम के लोग बंधुए होकर कीर को जाएंगे, यहोवा का यही वचन है।। 6 यहोवा योंकहता है, अज्जा के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण मैं उसका दण्ड न छोडूंगा; क्योंकि वे सब लोगोंको बंधुआ करके ले गए कि उन्हें एदोम के वश में कर दें। 7 इसलिथे मैं अज्जा की शहरपनाह में आग लगाऊंगा, और उस से उसके भवन भस्म हो जाएंगे। 8 मैं अशदोद के रहनेवालोंको और अश्कलोन के राजदण्डधारी को भी नाश करूंगा; मैं अपना हाथ एक्रोन के विरूद्ध चलाऊंगा, और शेष पलिश्ती लोग नाश होंगे, परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।। 9 यहोवा योंकहता है, सोर के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण मैं उसका दण्ड न छोडूंगा; क्योंकि उन्होंने सब लोगोंको बंधुआ करके एदोम के वश में कर दिया और भाई की सी वाचा का स्मरण न किया। 10 इसलिथे मैं सोर की शहरपनाह पर आग लगाऊंगा, और उस से उसके भवन भी भस्म हो जाएंगे।। 11 यहोवा योंकहता है, एदोम के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण मैं उसका दण्ड न छोडूंगा; क्योंकि उस ने अपके भाई को तलवार लिए हुए खदेड़ा और कुछ भी दया न की, परन्तु क्रोध से उनको लगातार फाड़ता ही रहा, और अपके रोष को अनन्त काल के लिथे बनाए रहा। 12 इसलिथे मैं तेमान में आग लगाऊंगा, और उस से बोस्रा के भवन भस्म हो जाएंगे।। 13 यहोवा योंकहता है, अम्मोन के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण मैं उसका दण्ड न छोडूंगा, क्योंकि उन्होंने अपके सिवाने को बढ़ा लेने के लिथे गिलाद की गभिर्णी स्त्रियोंका पेट चीर डाला। 14 इसलिथे मैं रब्बा की शहरपनाह में आग लगाऊंगा, और उस से उसके भवन भी भस्म हो जाएंगे। उस युद्ध के दिन में ललकार होगी, वह आंधी वरन बवण्डर का दिन होगा; 15 और उनका राजा अपके हाकिमोंसमेत बंधुआई में जाएगा, यहोवा का यही वचन है।।

2

1 यहोवा योंकहता है, मोआब के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण, मैं उसका दण्ड न छोडूंगा; क्योंकि उस ने एदोम के राजा की हड्डियोंको जलाकर चूना कर दिया। 2 इसलिथे मैं मोआब में ाग लगाऊंगा, और उस से करिय्योत के भवन भस्म हो जाएंगे; और मोआब हुल्लड़ और ललकार, और नरसिंगे के शब्द होते-होते मर जाएगा। 3 मैं उसके बीच में से न्यायी को नाश करूंगा, और साय ही साय उसके सब हाकिमोंको भी घात करूंगा, यहोवा का यही वचन है।। 4 यहोवा योंकहता है, यहूदा के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण, मैं उसका दण्ड न छोडूंगा; क्योंकि उनहोंने यहोवा की व्यवस्या को तुच्छ जाना और मेरी विधियोंका नहीं माना; और अपके फूठे देवताओं के कारण जिनके पीछे उनके पुरखा चलते थे, वे भी भटक गए हैं। 5 इसलिथे मैं यहूदा में आग लगाऊंगा, और उस से यरूशलेम के भवन भस्म हो जाएंगे।। 6 यहोवा योंकहता है, इस्राएल के तीन क्या, वरन चार अपराधोंके कारण, मैं उसका दण्ड न छोडूंगा; क्योंकि उन्होंने निर्दोष को रूपके के लिथे और दरिद्र को एक जोड़ी जूतियोंके लिथे बेच डाला है। 7 वे कंगालोंके सिर पर की धूलि का भी लालच करते, और नम्र लोगोंको मार्ग से हटा देते हैं; और बाप-बेटा दोनोंएक ही कुमारी के पास जाते हैं, जिस से मेरे पवित्र नाम को अपवित्र ठहराएं। 8 वे हर एक वेदी के पास बन्धक के वस्त्रोंपर सोते हैं, और दण्ड के रूपके से मोल लिया हुआ दाखमधु अपके देवता के घर में पी लेते हैं।। 9 मैं ने उनके साम्हने से एमोरियोंको नाश किया या, जिनकी लम्बाई देवदारोंकी सी, और जिनका बल बांज वृझोंका सा या; तौभी मैं ने ऊपर से उसके फल, और नीचे से उसकी जड़ नाश की। 10 और मैं तुम को मिस्र देश से निकाल लाया, और जंगल में चालीस वर्ष तक लिए फिरता रहा, कि तुम एमोरियोंके देश के अधिक्कारनेी हो जाओ। 11 और मैं ने तुम्हारे पुत्रोंमें से नबी होने के लिथे और तुम्हारे कुछ जवानोंमें से नाजीर होने के लिथे ठहराया। हे इस्राएलियो, क्या यह सब सच नहीं है? यहोवा की यही वाणी है। 12 परन्तु तुम ने नाजीरोंको दाखमधु पिलाया, और नबियोंको आज्ञा दी कि भविष्यद्ववाणी न करें।। 13 देखो, मैं तुम को ऐसा दबाऊंगा, जैसी पूलोंसे भरी हुई गाड़ी नीचे को दबाई जाती है। 14 इसलिथे वेग दौड़नेवाले को भाग जाने का स्यान न मिलेगा, और सामर्यी का सामर्य कुछ काम न देगा; और न पराक्रमी अपना प्राण बचा सकेगा; 15 धनुर्धारी खड़ा न रह सकेगा, और फुर्ती से दौड़नेवाला न बचेगा; सवार भी अपना प्राण न बचा सकेगा; 16 और शूरवीरोंमें जो अधिक धीर हो, वह भी उस दिन नंगा होकर भाग जाएगा, यहोवा की यही वाणी है।।

3

1 हे इस्राएलियो, यह वचन सुनो जो यहोवा ने तुम्हारे विषय में अर्यात्‌ उस सारे कुल के विषय में कहा है जिस मैं मिस्र देश से लाया हूं: 2 पृय्वी के सारे कुलोंमें से मैं ने केवल तुम्हीं पर मन लगाया है, इस कारण मैं तुम्हारे सारे अधर्म के कामोंका दण्ड दूंगा।। 3 यदि दो मनुष्य परस्पर सहमत न हों, तो क्या वे एक संग चल सकेंगे? 4 क्या सिंह बिना अहेर पाए वन में गरजेंगे? क्या जवान सिंह बिना कुछ पकड़े अपक्की मांद में से गुर्राएगा? 5 क्या चिडिय़ा बिना फन्दा लगाए फंसेगी? क्या बिना कुछ फंसे फन्दा भूमि पर से उचकेगा? 6 क्या किसी नगर में नरसिंगा फूंकने पर लोग न यरयराएंगे? क्या यहोवा के बिना भेजे किसी नगर में कोई विपत्ति पकेगी? 7 इसी प्रकार से प्रभु यहोवा अपके दास भविष्यद्वक्ताओं पर अपना मर्म बिना प्रकट किए कुछ भी न करेगा। 8 सिंह गरजा; कौन न डरेगा? परमेश्वर यहोवा बोला; कौन भविष्यवाणी न करेगा? 9 अश्दोद के भवन और मिस्र देश के राजभवन पर प्रकार करके कहो, सामरिया के पहाड़ोंपर इकट्ठे होकर देखो कि उस में क्या ही बड़ा कोलाहल और उसके बीच क्या ही अन्धेर के काम हो रहे हैं। 10 यहोवा की यह वाणी है, कि जो लो अपके भवनोंमें उपद्रव और डकैती का धन बटोर रखते हैं, वे सीधाई से काम करना जानते ही नहीं। 11 इस कारण परमेश्वर यहोवा योंकहता है, देश का घेरनेवाला एक शत्रु होगा, और वह तेरा बल तोड़ेगा, और तेरे भवन लूटे जाएंगे।। 12 यहोवा योंकहता है, जिस भांति चरवाहा सिंह के मुंह से दो टांगे वा कान का एक टुकड़ा छुड़ाता है, वैसे ही इस्राएली लोग, जो सामरिया में बिछौने के एक कोने वा रेशमी गद्दी पर बैठा करते हैं, वे भी छुड़ाए जाएंगे।। 13 सेनाओं के परमेश्वर, प्रभु यहोवा की यह वाणी है, देखो, और याकूब के घराने से यह बात चिताकर कहो, 14 जिस समय मैं इस्राएल को उसके अपराधोंका दण्ड दूंगा, उसी समय मैं बेतेल की वेदियोंको भी दण्ड दूंगा, और वेदी के सींग टूटकर भमि पर गिर पकेंगे। 15 और मैं जाड़े के भवन को और धूपकाल के भवन, दोनोंको गिराऊंगा; और हाथीदांत के बने भवन भी नाश होंगे, और बड़े बड़े घर नाश हो जएंगे, यहोवा की यही वाणी है।।

4

1 हे बाशान की गायो, यह वचन सुनो, तुम जो सामरिया पर्वत पर हो, जो कंगालोंपर अन्धेर करतीं, और दरिद्रोंको कुचल डालती हो, और अपके अपके पति से कहती हो कि ला, दे हम पीएं! 2 परमेश्वर यहोवा अपक्की पवित्रता की शपय खाकर कहता है, देखो, तुम पर ऐसे दिन आनेवाले हैं, कि तुम कटियाओं से, और तुम्हारी सन्तान मछली की बन्सिक्कों खींच लिए जाएंगे। 3 और तुम बाड़े के नाकोंसे होकर सीधी निकल जाओगी और हर्म्मोन में डाली जाआगी, यहोवा की यही वाणी है।। 4 बेतेल में आकर अपराध करो, और गिल्गाल में आकर बहुत से अपराध करो; अपके चढ़ावे भोर को, और अपके दशमांश हर तीसरे दिन ले आया करो; 5 धन्यवादबलि खमीर मिलाकर चढ़ाओ, और अपके स्वेच्छाबलियोंकी चर्चा चलाकर उनका प्रचार करो; क्योंकि हे इस्राएलियो, ऐसा करना तुमको भवता है, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।। 6 मैं ने तुम्हारे सब नगरोंमें दांत की सफाई करा दी, और तुम्हारे सब स्यानोंमें रोटी की घटी की है, तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।। 7 और जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिथे वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसाकर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा; वह सूख गया। 8 इसलिथे दो तीन नगरोंके लोग पानी पीने को मारे मारे फिरते हुए एक ही नगर में आए, परन्तु तृप्त न हुए; तौभी तुम मेरी ओर न फिरे, यहोवा की यही वाणी है।। 9 मैं ने तुमको लूह और गेरूई से मारा है; और जब तुम्हारी वाटिकाएं और दाख की बारियां, और अंजीर और जलपाई के वृझ बहुत हो गए, तब टिड्डियां उन्हें खा गईं; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।। 10 मैं ने तुम्हारे बीच में मिस्र देश की सी मरी फैलाई; मैं ने तुम्हारे घाड़ोंको छिनवा कर तुम्हारे जवानोंको तलवार से घात करा दिया; और तुम्हारी छावनी की दुर्गन्ध तुम्हारे पास पहुंचाई; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।। 11 मैं ने तुम में से कई एक को ऐसा उलट दिया, जैसे परमेश्वर ने सदोम और अमोरा को उलट दिया या, और तुम आग से निकाली हुई लुकटी के समान ठहरे; तौभी तुम मेरी ओर फिरकर न आए, यहोवा की यही वाणी है।। 12 इस कारण, हे इस्राएल, मैं तुझ से ऐसा ही करूंगा, और इसलिथे कि मैं तुझ में यह काम करने पर हूं, हे इस्राएल, अपके परमेश्वर के साम्हने आने के लिथे तैयार हो जा।। 13 देख, पहाड़ोंका बनानेवाला और पवन का सिरजनेवाला, और मनुष्य को उसके मन का विचार बतानेवाला और भोर को अन्धकार करनेवाला, और जो पृय्वी के ऊंचे स्यानोंपर चलनेवाला है, उसी का नाम सेनाओं का परमेश्वर यहोवा है।।

5

1 हे इस्राएल के घरोन, इस विलाप के गीत के वचन सुन जो मैं तुम्हारे विषय में कहता हूं: 2 इस्राएल की कुमारी कन्या गिर गई, और फिर उठ न सकेगी; वह अपक्की ही भूमि पर पटक दी गई है, और उसका उठानेवाला कोई नहीं।। 3 क्योंकि परमेश्वर यहोवा योंकहता है, जिस नगर से हजार निकलते थे, उस में इस्राएल के घराने के सौ ही बचे रहेंगे, और जिस से सौ निकलते थे, उस में दस बचे रहेंगे।। 4 यहोवा, इस्राएल के घराने से योंकहता है, मेरी खोज में लगो, तब जीवित रहोगे। 5 बेतेल की खोज में न लगो, न गिल्गाल में प्रवेश करो, और न बर्शेबा को जाओ; क्योंकि गिल्गाल निश्चय बंधुआई में जाएगा, और बेतेल सूना पकेगा।। 6 यहोवा की खोज करो, तब जीवित रहोगे, नहीं तो वह यूसुफ के घराने पर आग की नाईं भड़केगा, और वह उसे भस्म करेगी, और बेतेल में कोई उसका बुफानेवाला न होगा। 7 हे न्याय के बिगाड़नेवालोंऔर धर्म को मिट्टी में मिलानेवालों! 8 जो कचपचिया और मृगशिरा का बनानेवाला है, जो घोर अन्धकार को भोर का प्रकाश बनाता है, जो दिन को अन्धकार करके रात बना देता है, और समुद्र का जल स्यल के ऊपर बहा देता है, उसका नाम यहोवा है। 9 वह तुरन्त ही बलवन्त को विनाश कर देता, और गढ़ का भी सत्यानाश करता है।। 10 जो सभा से उलाहना देता है उस से वे बैर रखते हैं, और खरी बात बोलनेवाले से घृणा करते हैं। 11 तुम जो कंगालोंको लताड़ा करते, और भेंट कहकर उस से अन्न हर लेते हो, इसलिथे जो घर तुम ने गढ़े हुए पत्यरोंके बनाए हैं, उन में रहने न पाओगे; और जो मनभावनी दाख की बारियां तुम ने लगाई हैं, उनका दाखमधु न पीने पाओगे। 12 क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हारे पाप भारी हैं। तुम धर्मी को सताते और घूस लेते, और फाटक में दरिद्रोंका न्याय बिगाड़ते हो। 13 इस कारण जो बुद्धिमान्‌ हो, वह ऐसे समय चुपका रहे, क्योंकि समय बुरा है।। 14 हे लोगो, बुराई को नहीं, भलाई को ढूंढ़ो, ताकि तुम जीवित रहो; और तुम्हारा यह कहना सच ठहरे कि सेनाओं का परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग है। 15 बुराई से बैर और भलाई से प्रीति रखो, और फाटक में न्याय को स्यिर करो; क्या जाने सेनाओं का परमेश्वर यहोवा यूसुफ से बचे हुओं पर अनुग्रह करे।। 16 इस कारण सेनाओं का परमेश्वर, प्रभु यहोवा योंकहता है, अब चौकोंमें रोना-पीटना होगा; और सब सड़कोंमें लोग हाथ, हाथ, करेंगे! वे किसानोंको शोक करने के लिथे, और जो लोग विलाप करने कें निपुण हैं, उन्हें रोने-पीटने को बुलाएंगे। 17 और सब दाख की बारियोंमें रोना-पीटना होगा, क्योंकि यहोवा योंकहता है, मैं तुम्हारे बीच में से होकर जाऊंगा। 18 हाथ तुम पर, जो यहोवा के दिन की अभिलाषा करते हो! यहोवा के दिन से तुम्हारा क्या लाभ होगा? वह जो उजियाले का नहीं, अन्धिक्कारने का दिन होगा। 19 जैसा कोई सिंह से भागे और उसे भालू मिले; वा घर में आकर भीत पर हाथ टेके और सांप उसको डसे। 20 क्या यह सच नहीं है कि यहोवा का दिन उजियाले का नहीं, वरन अन्धिक्कारने ही का होगा? हां, ऐसे घोर अन्धकार का जिस में कुछ भी चमक न हो।। 21 मैं तुम्हारे पर्वोंसे बैर रखता, और उन्हें निकम्मा जानता हूं, और तुम्हारी महासभाओं से मैं प्रसन्न नहीं। 22 चाहे तुम मेरे लिथे होमबलि और अन्नबलि चढ़ाओ, तौभी मैं प्रसन्न न हूंगा, और तुम्हारे पाले हुए पशुओं के मेलबलियोंकी ओर न ताकूंगा। 23 अपके गीतोंको कोलाहल मुझ से दूर करो; तुम्हारी सारंगियोंका सुन मैं न सुनूंगा। 24 परन्तु न्याय को नदी की नाईं, और धर्म महानद की नाईं बहने दो। 25 हे इस्राएल के घराने, तुम जंगल में चालीस वर्ष तक पशुबलि और अन्नबलि क्या मुझी को चढ़ाते रहे? 26 नहीं, तुम तो अपके राजा का तम्बू, और अपक्की मूरतोंको चरणपीठ, और अपके देवता का तारा लिए फिरते रहे। 27 इस कारण मैं तुम को दमिश्क के उस पार बंधुआई में कर दूंगा, सेनाओं के परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।।

6

1 हाथ उन पर जो सिय्योन में सुख से रहते, और उन पर जो सामरिया के पर्वत पर निश्चिन्त रहते हैं, वे जो श्रेष्ट जाति में प्रसिद्ध हैं, जिन के पास इस्राएल का घराना आता है! 2 कलने नगर को जाकर देखो, और वहां से हमात नाम बड़े नगर को जाओ; फिर पलिश्तियोंके गत नगर को जाओ। क्या वे इन राज्योंसे उत्तम हैं? क्या उनका देश तुम्हारे देश से कुछ बड़ा है? 3 तुम बुरे दिन को दूर कर देते, और उपद्रव की गद्दी को निकट ले आते हो।। 4 तुम हाथी दांत के पलंगोंपर लेटते, और अपके अपके बिछौने पर पांव फैलाए सोते हो, और भेड़-बकरियोंमें से मेम्ने और गौशालाओं में से बछड़े खाते हो। 5 तुम सारंगी के साय गीत गाते, और दाऊद की नाईं भांति भांति के बाजे बुद्धि से निकालते हो; 6 और कटोरोंमें से दाखमधु पीते, और उत्तम उत्तम तेल लगाते हो, परन्तु यूसुफ पर आनेवाली विपत्ति का हाल सुनकर शोकित नहीं होते। 7 इस कारण वे अब बंधुआई में पहिले जाएंगे, और जो पांव फैलाए सोते थे, उनकी धूम जाती रहेगी।। 8 सेनाओं के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, (परमेश्वर यहोवा ने अपक्की ही शपय खाकर कहा है): जिस पर याकूब घमण्ड करता है, उस से मैं घृणा, और उसे राजभवनोंसे बैर रखता हूं; और मैं इस नगर को उस सब समेत जो उस में हैं, शत्रु के वश में कर दूंगा।। 9 और यदि किसी घर में दस पुरूष बचे रहें, तौभी वे मर जाएंगे। 10 और जब किसी का चचा, जो उसका जलानेवाला हो, उसकी हड्डियोंको घर के निकालने के लिथे उठाएगा, और जो घर के कोने में हो उस से कहेगा, क्या तेरे पास कोई और है? तब वह कहेगा, कोई नहीं; तब वह कहेगा, चुप रहे! हमें यहोवा का नाम नहीं लेना चाहिए।। 11 क्योंकि यहोवा की आज्ञा से बड़े घर में छेछ, और छोटे घर में दरार होगी। 12 क्या घोड़े चट्टान पर दौड़ें? क्या कोई ऐसे स्यान में बैलोंसे जोतें जहां तुम लोगोंने न्याय को विष से, और धर्म के फल को कड़वे फल से बदल डाला है? 13 तुम ऐसी वस्तु के कारण आनन्द करते हो जो व्यर्य है; और कहते हो, क्या हम अपके ही यत्न से सामर्यी नहीं हो गए? 14 इस कारण सेनाओं के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, हे इस्राएल के घराने, देख, मैं तुम्हारे विरूद्ध एक ऐसी जाति खड़ी करूंगा, जो हमात की घाटी से लेकर अराबा की नदी तक तुमको संकट में डालेगी।।

7

1 परमेश्वर यहोवा ने मुझे यह दिखाया, और मैं क्या देखता हूं कि उस ने पिछली घास के उगने के आरम्भ मे टिड्डियां उत्पन्न की; और वह राजा की कटनी के बाद की पिछली घास यीं। 2 जब वे घास खा चुकीं, तब मैं ने कहा, हे परमेश्वर यहोवा, झमा कर! नहीं तो याकूब कैसे स्यिर रह सकेगा? वह कितना निर्बल है! 3 इसके विषय में यहोवा पछताया, और उस से कहा, ऐसी बात अब न होगी।। 4 परमेश्वर यहोवा ने मुझे यह दिखाया : और क्या देखता हूं कि परमेश्वर यहोवा ने आग के द्वारा मुकद्दमा लड़ने को पुकारा, और उस आग से महासागर सूख गया, और देश भी भस्म हुआ चाहता या। 5 तब मैं ने कहा, हे परमेश्वर यहोवा, यम जा! नहीं तो याकूब कैसे स्यिर रह सकेगा? वह कैसा निर्बल है। 6 इसके विषय में भी यहोवा पछताया; और परमेश्वर यहोवा ने कहा, ऐसी बात फिर न होगी।। 7 उस ने मुझे यह भी दिखाया: मैं ने देखा कि प्रभु साहुल लगाकर बनाई हुई किसी भीत पर खड़ा है, और उसके हाथ में साहुल है। 8 और यहोवा ने मुझ से कहा, हे आमोस, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, एक साहुल। तब परमेश्वर ने कहा, देख, मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के बीच में साहुल लगाऊंगा। 9 मैं अब उनको न छोडूंगा। इसहाक के ऊंचे स्यान उजाड़, और इस्राएल के पवित्रस्यान सुनसान हो जाएंगे, और मैं यारोबाम के घराने पर तलवार खीचे हुए चढ़ाई करूंगा।। 10 तब बेतेल के याजक अमस्याह ने इस्राएल के राजा यारोबाम के पास कहला भेजा, कि, आमोस ने इस्राएल के घराने के बीच में तुझ से राजद्रोह की गोष्ठी की है; उसके सारे वचनोंको देश नहीं सह सकता। 11 क्योंकि आमोस योंकहता है, कि, यारोबाम तलवार से मारा जाएगा, और इस्राएल अपक्की भूमि पर से निश्चय बंघुआई में जाएगा।। 12 और अमस्याह ने आमोस से कहा, हे दर्शी, यहां से निकलकर यहूदा देश में भाग जा, और वहीं रोटी खाया कर, और वहीं भविष्यद्वाणी किया कर; 13 परन्तु बेतेल में फिर कभी भविष्यद्वाणी न करना, क्योंकि यह राजा का पवित्रस्यान और राज-नगर है। 14 आमोस ने उत्तर देकर अमस्याह से कहा, मैं ने तो भविष्यद्वक्ता या, और न भविष्यद्वक्ता का बेटा; मैं तो गाय-बैल का चरवाहा, और गूलर के वृझोंका छांटनेहारा या, 15 और यहोवा ने मुझे भेड़-बकरियोंके पीछे पीछे फिरने से बुलाकर कहा, जा, मेरी प्रजा इस्राएल से भविष्यद्वाणी कर। 16 इसलिथे अब तू यहोवा का वचन सुन, तू कहता है कि इस्राएल के विरूद्ध भविष्यद्वाणी मत कर; और इसहाक के घराने के विरूद्ध बार बार वचन मत सुना। 17 इस कारण यहोवा योंकहता है, तेरी स्त्री नगर में वेश्या हो जाएगी, और तेरे बेटे-बेटियां तलवार से मारी जाएंगी, और तेरी भूमि डोरी डालकर बांट ली जाएगीं; और तू आप अशुद्ध देश में मरेगा, और इस्राएल अपक्की भूमि पर से निश्चय बंधआई में जाएगा।।

8

1 परमेश्वर यहोवा ने मुझ को योंदिखाया: कि, धूपकाल के फलोंसे भरी हुई एक टोकरी है। 2 और उस ने कहा, हे आमोस, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, धूपकाल के फलोंसे भरी एक टोकरी। तब यहोवा ने मुण् से कहा, मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त आ गया है; मैं अब उसको और न छोडूंगा। 3 परमेश्वर यहोवा की वणी है, कि उस दिन राजमन्दिर के गीत हाहाकार में बदल जाएंगे, और लायोंका बड़ा ढेर लगेगा; और सब स्यानोंमें वे चुपचाप फेंक दी जाएंगी।। 4 यह सुनो, तुम जो दरिद्रोंको निगलना और देश के नम्र लोगोंको नाश करना चाहते हो, 5 जो कहते हो नया चांद कब बीतेगा कि हम अन्न बेच सकें? और विश्रमदिन कब बीतेगा, कि हम अन्न के खत्ते खोलकर एपा को छोटा और शेकेल को भारी कर दें, और छल से दण्डी मारें, 6 कि हम कंगालोंको रूपया देकर, और दरिद्रोंको एक जोड़ी जूतियां देकर मोल लें, और निकम्मा अन्न बेचें? 7 यहोवा, जिस पर याकूब को घमण्ड करना उचित है, वही अपक्की शपय खाकर कहता है, मैं तुम्हारे किसी काम को किभी न भूलूंगा। 8 क्या इस कारण भूमि न कांपेगी? और क्या उन पर के सब रहनेवाले विलाप न करेंगे? यह देश सब का सब मिस्र की नील नदी के समान होगा, जो बढ़ती है, फिर लहरें मारती, और घट जाती है।। 9 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं सूर्य का दोपहर के समय अस्त करूंगा, और इस देश को दिन दुपहरी अन्धिक्कारनेा कर दूंगा। 10 मैं तुम्हारे पर्वोंके उत्सव दूर करके विलाप कराऊंगा, और तुम्हारे सब गीतोंको दूर करके विलाप के गीत गवाऊंगा; मैं तुम सब की कटि में टाट बंधाऊंगा, और तुम सब के सिक्कों मुंड़ाऊंगा; और ऐसा विलाप कराऊंगा जैसा एकलौते के लिथे होता है, और उसका अन्त कठिन दु:ख के दिन का सा होगा।। 11 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महंगी करूंगा; उस में ने तो अन्न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनोंके सुनने ही की भूख प्यास होगी। 12 और लोग यहोवा के वचन की खोज में समुद्र से समुद्र तब और उत्तर से पूरब तक मारे मारे फिरेंगे, परन्तु उसको न पाएंगे।। 13 उस समय सुन्दर कुमारियां और जवान पुरूष दोनोंप्यास के मारे मूर्छा खाएंगे। 14 जो लोग सामरिया के पाप मूल देवता की शपय खाते हैं, और जो कहते हैं कि दान के देवता के जीवन की शपय, और बेर्शेबा के पन्य की शपय, वे सब गिर पकेंगे, और फिर न उठेंगे।।

9

1 मैं ने प्रभु को वेदी के ऊपर खड़ा देखा, और उस ने कहा, खम्भे की कंगनियोंपर मार जिस से डेवढिय़ां हिलें, और उनको सब लोगोंके सिर पर गिराकर टुकड़े टुकड़े कर; और जो नाश होने से बचें, उन्हें मैं तलवार से घात करूंगा; उन में से एक भी न भाग निकलेगा, और जो अपके को बचाए, वह बचने न पाएगा।। 2 क्योंकि चाहे वे खोदकर अधोलोक में उतर जाएं, तो वहां से मैं हाथ बढ़ाकर उन्हें लाऊंगा; चाहे वे आकाश पर चढ़ जाएं, तो वहां से मैं उन्हें उतार लाऊंगा। 3 चाहे वे कर्म्मेल में छिप जाएं, परन्तु वहां भी मैं उन्हें ढूंढ़-ढूंढकर पकड़ लूंगा, और चाहे वे समुद्र की याह में मेरी दृष्टि से ओट हों, वहां भी मैं सर्प को उन्हें डसने की आज्ञा दूंगा। 4 और चाहे शत्रु उन्हें हांककर बंधुआई में ले जाएं, वहां भी मैं आज्ञा देकर तलवार से उन्हें घात कराऊंगा; और मैं उन पर भलाई करने के लिथे नहीं, बुराई की करने के लिथे दृष्टि करूंगा।। 5 सेनाओं के परमेश्वर यहोवा के स्पर्श करने से पृय्वी पिघलती है, और उसके सारे रहनेवाले विलाप करते हैं; और वह सब की सब मिस्र की नदी के समान जो जाती है, जो बढ़ती है फिर लहरें मारती, और घट जाती है। 6 जो आकाश में अपक्की कोठरियां बनाता, और अपके आकाशमण्डल की नेव पृय्वी पर डालता, और समुद्र का जल घरती पर बहा देता है, उसी का नाम यहोवा है।। 7 हे इस्राएलियों, यहोवा की यह वाणी है, क्या तुम मेरे लेखे कूशियोंके समान नहीं हो? क्या मैं इस्राएल को मिस्र देश से और पलिश्तियोंको कप्तोर से नहीं निकाल लाया? और अरामियोंको कीर से नहीं निकाल लाया? 8 देखो, परमेश्वर यहोवा की दृष्टि इस पाप-मय राज्य पर लगी है, और मैं इसको धरती पर से नाश करूंगा; तौभी मैं पूरी रीति से याकूब के घराने को नाश न करूंगा, यहोवा की यही वाणी है। 9 मेरी आज्ञा से इस्राएल का धराना सब जातियोंमें ऐसा चला जाएगा जैसा अन्न चलनी में चला जाता है, परन्तु उसका एक भी पुष्ट दाना भूमि पर न गिरेगा। 10 मेरी प्रजा में के सब पापी जो कहते हैं कि वह विपत्ति हम पर न पकेगी, और न हमें घेरेगी, वे सब तलवार से मारे जाएंगे। 11 उस समय मैं दाऊद की गिरी हुई फोपक्की को खड़ा करूंगा, और उसके बाड़े के नाकोंको सुधारूंगा, और उसके खण्डहरोंको फिर बनाऊंगा, और जैसा वह प्राचीनकाल से या, उसको वैसा ही बना दुंगा; 12 जिस से वे बचे हुए एदोमियोंको वरन सब अन्यजातियोंको जो मेरी कहलाती है, अपके अधिक्कारने में लें, यहोवा जो यह काम पूरा करता है, उसकी यही वाणी है।। 13 यहोवा की यह भी वाणी है, देखो, ऐसे दिन आते हैं, कि हल जोतनेवाला लवनेवाले को और दाख रौंदनेवाला बीच बोनेवाले को जा लेगा; और पहाड़ोंसे नया दाखमधु टपकने लगेगा, और सब पहाडिय़ोंसे बह निकलेगा। 14 मैं अपक्की प्रजा इस्राएल के बंधुओं को फेर ले आऊंगा, और वे उजड़े हुए नगरोंको सुधारकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर दाखमधु पीएंगे, और बगीचे लगाकर उनके फल खाएंगे। 15 मैं उन्हें, उन्हीं की भूमि में बोऊंगा, और वे अपक्की भूमि में से जो मैं ने उन्हें दी है, फिर कभी उखाड़े न जाएंगे, तुम्हारे परमेश्वर यहोवा का यही वचन है।।