The New Testament of our Lord and Saviour Jesus Christ
1 यीशु मसीहक वंशावली एहि तरहेँ अछि। ओ दाऊदक वंशज छलाह, आ दाऊद अब्राहमक वंशज । 2 अब्राहम सँ इसहाकक जन्म भेलनि। इसहाक सँ याकूबक, आ याकूब सँ यहूदा और हुनकर भाय सभक जन्म भेलनि। 3 यहूदा सँ पेरस और जेरहक जन्म भेलनि, जिनकर सभक मायक नाम तामार छलनि। पेरस सँ हेस्रोनक आ हेस्रोन सँ अरामक जन्म भेलनि। 4 अराम सँ अमीनादाबक, अमीनादाब सँ नहशोनक आ नहशोन सँ सलमोनक जन्म भेलनि। 5 सलमोन सँ बोअजक जन्म भेलनि, जिनकर माय राहाब छलीह। बोअज सँ ओबेदक जन्म भेलनि, जिनकर माय रूथ छलीह। ओबेद सँ यिशयक जन्म भेलनि। 6 यिशय सँ राजा दाऊदक जन्म भेलनि। दाऊद सँ सुलेमानक जन्म भेलनि। सुलेमानक माय पहिने उरियाहक स्त्री भेल छलीह। 7 सुलेमान सँ रेहोबामक, रेहोबाम सँ अबियाहक, और अबियाह सँ आसाक जन्म भेलनि। 8 आसा सँ यहोशाफातक, यहोशाफात सँ योरामक, आ योराम सँ उजियाहक जन्म भेलनि। 9 उजियाह सँ योतामक, योताम सँ आहाजक, और आहाज सँ हिजकियाहक जन्म भेलनि। 10 हिजकियाह सँ मनश्शेक, मनश्शे सँ आमोनक, और आमोन सँ योशियाहक जन्म भेलनि। 11 जाहि समय मे इस्राएली सभ बन्दीक रूप मे बेबिलोन देश लऽ जायल गेलाह, ताहि समय मे योशियाह सँ यकोन्याह आ हुनकर भाय सभक जन्म भेलनि। 12 इस्राएली सभ केँ बेबिलोन मे लऽ जायल गेलाक बाद यकोन्याह सँ शालतिएलक, आ शालतिएल सँ जरुब्बाबेलक जन्म भेलनि। 13 जरुब्बाबेल सँ अबीहूदक, अबीहूद सँ एलयाकीमक, और एलयाकीम सँ अजोरक जन्म भेलनि। 14 अजोर सँ सदोकक, सदोक सँ अखीमक, और अखीम सँ एलिहूदक जन्म भेलनि। 15 एलिहूद सँ एलिआजरक, एलिआजर सँ मत्तानक, और मत्तान सँ याकूबक जन्म भेलनि। 16 याकूब सँ यूसुफक जन्म भेलनि, जे मरियमक पति भेलाह, आ मरियम सँ यीशुक जन्म भेलनि जे “मसीह” कहबैत छथि। 17 एहि तरहेँ गनला सँ अब्राहम सँ दाऊद धरि चौदह पीढ़ी, दाऊद सँ बेबिलोनक बन्दी जीवन धरि चौदह पीढ़ी आ बेबिलोनक बन्दी जीवन सँ उद्धारकर्ता-मसीह धरि चौदह पीढ़ी होइत अछि। 18 यीशु मसीहक जन्मक वृत्तान्त एना अछि—हुनकर माय मरियमक विवाह यूसुफ सँ होयब निश्चित भेल रहनि। मुदा हुनका सभक वैवाहिक जीवनक सम्पर्क होयबा सँ पहिनहि मरियम परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा गर्भवती भऽ गेलीह। 19 हुनकर वर यूसुफ धार्मिक विचारक लोक होयबाक कारणेँ, मरियमक कोनो तरहक बदनामी नहि होनि, से सोचि, हुनका चुप-चाप त्यागि देबाक विचार कयलनि। 20 ओ ई बात मोने-मोन सोचिए रहल छलाह कि परमेश्वरक एकटा स्वर्गदूत सपना मे दर्शन दऽ कऽ हुनका कहलथिन जे, “हौ दाऊदक वंशज यूसुफ, तोँ मरियम केँ अपन स्त्री मानि अपना लग आनऽ सँ नहि डेराह! कारण, जे हुनका गर्भ मे छनि से परमेश्वरक पवित्र आत्माक दिस सँ छनि। 21 ओ एकटा पुत्र केँ जन्म देतीह, आ तोँ हुनकर नाम यीशु रखिहह, किएक तँ ओ अपन लोक सभ केँ ओकरा सभक पाप सँ मुक्ति देथिन।” 22 ई सभ एहि लेल भेल जे, परमेश्वरक बात पूरा होअय जे ओ अपन प्रवक्ताक माध्यम सँ कहने छलाह— 23 “देखह, एक कुमारि कन्या गर्भवती होयतीह, ओ एक पुत्र केँ जन्म देतीह आ हुनकर नाम ‘इम्मानुएल’ राखल जयतनि,” जकर अर्थ अछि, “परमेश्वर हमरा सभक संग छथि।” 24 तखन यूसुफ निन्द सँ जागि गेलाह आ परमेश्वरक स्वर्गदूतक आज्ञानुसार मरियम केँ अपना पत्नीक रूप मे अपना ओहिठाम लऽ अनलथिन। 25 ओ मरियमक संग वैवाहिक जीवनक सम्बन्ध ताबत धरि स्थापित नहि कयलनि जाबत धरि मरियम पुत्र केँ जन्म नहि दऽ देलथिन। पुत्रक जन्म भेला पर यूसुफ हुनकर नाम यीशु रखलथिन।
1 राजा हेरोदक समय मे जहिया यहूदिया प्रदेशक बेतलेहम गाम मे यीशुक जन्म भेलनि, तहिया पूब देशक ज्योतिषी सभ यरूशलेम नगर मे अयलाह। 2 ओ सभ लोक सभ सँ पुछलथिन जे, “यहूदी सभक नवजन्मल राजा कतऽ छथि? कारण, हम सभ पूब मे हुनकर तारा देखलहुँ आ हुनकर दर्शन करबाक लेल आयल छी।” 3 जखन राजा हेरोद ई समाचार सुनलनि तँ ओ अपने, आ यरूशलेमक सभ निवासी सेहो, घबड़ा गेलाह। 4 राजा हेरोद यहूदी सभक मुख्यपुरोहित लोकनि आ धर्मशिक्षक सभ केँ जमा कऽ कऽ पुछलथिन जे, “आबऽ वला उद्धारकर्ता-मसीहक जन्म कतऽ होयबाक चाहियनि?” 5 एहि पर ओ सभ कहलथिन जे, “यहूदिया प्रदेशक बेतलेहम गाम मे, कारण, धर्मशास्त्र मे परमेश्वरक प्रवक्ता ई लिखने छथि जे, 6 ‘हे बेतलेहम, यहूदिया प्रदेशक गाम! तोँ यहूदिया प्रदेशक मुख्य नगर सभ मे सँ ककरो सँ कम नहि छह। कारण, तोरा मे सँ एक शासन करऽ वलाक जन्म होयतनि, जे हमर प्रजा इस्राएलक रखबार आ बाट देखौनिहार होयताह।’” 7 तखन राजा हेरोद ज्योतिषी सभ केँ बजा कऽ एकान्त मे पूछ-ताछ कऽ एहि बातक पता लगा लेलनि जे तारा हुनका सभ केँ ठीक कोन समय मे देखाइ देने छलनि। 8 ओ हुनका सभ केँ ई कहि कऽ बेतलेहम पठौलथिन जे, “जाउ आ बालकक सम्बन्ध मे ठीक-ठीक पता लगाउ, और जखन ओ भेटि जाथि तँ हमरा खबरि करू, जाहि सँ हमहूँ जा कऽ हुनकर दर्शन करियनि।” 9 राजाक बात सुनि ओ सभ विदा भऽ गेलाह। जे तारा हुनका सभ केँ पूब मे देखाइ देने छलनि से हुनका सभक आगाँ-आगाँ बढ़ैत जाइत फेर देखाइ देलक, और जाहि घर मे ओ बालक छलाह ताहि सँ उपर पहुँचि रूकि गेल। 10 ओ सभ तारा केँ देखि अति आनन्दित भेलाह। 11 घर मे प्रवेश कऽ ओ सभ बालक केँ हुनकर माय मरियमक संग देखलथिन। ओ सभ निहुड़ि कऽ बालक केँ प्रणाम कयलथिन और अपन-अपन बाकस खोलि सोन, धूप आ सुगन्धित तेलक चढ़ौना सभ बालक केँ चढ़ौलथिन। 12 तकरबाद सपना मे परमेश्वरक ई आदेश पाबि जे, राजा हेरोद लग घूमि कऽ नहि जाउ, ओ सभ दोसर रस्ता सँ अपन देश घूमि गेलाह। 13 ज्योतिषी सभक चल गेलाक बाद परमेश्वरक एक स्वर्गदूत सपना मे यूसुफ केँ दर्शन देलथिन आ कहलथिन, “उठह, बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ एतऽ सँ भागह आ मिस्र देश मे चल जाह। जाबत तक हम घूमि अयबाक लेल नहि कहिअह ताबत ओतहि रहिहह। कारण, हेरोद एहि बालकक हत्या करबाक लेल हिनकर खोज कराबऽ वला अछि।” 14 यूसुफ उठलाह और रातिए मे बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ मिस्र देशक लेल विदा भऽ गेलाह। 15 ओ राजा हेरोदक मृत्यु तक ओतहि रहलाह। एहि तरहेँ परमेश्वर जे बात अपन प्रवक्ताक माध्यम सँ कहने छलाह से पूरा भेल जे, “हम मिस्र देश सँ अपना पुत्र केँ बजौलहुँ।” 16 जखन राजा हेरोद देखलनि जे ज्योतिषी सभ हुनका धोखा दऽ देलकनि तखन ओ क्रोध सँ भरि गेलाह। ओ ज्योतिषी सभक देल गेल सूचनाक आधार पर हिसाब लगौलनि जे बालक दू वर्षक वा ओहि सँ छोट होयबाक चाही, तेँ ओ अपना सैनिक सभ केँ पठा कऽ बेतलेहम आ ओकर लग-पास वला गाम सभक ओहि सभ बालक केँ मरबा देलनि जे सभ दू वर्षक और ओहि सँ छोट छल। 17 एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता यर्मियाहक माध्यम सँ कहल ई बात पूरा भेल जे, 18 “रामाह मे एक चीत्कार उठल, कन्ना-रोहटि और बड़का विलाप, राहेल अपन बालक सभक लेल कानि रहल अछि। ओ सान्त्वनाक बोल नहि सुनऽ चाहैत अछि, किएक तँ आब ओकर बेटा सभ जीवित नहि रहलैक।” 19 राजा हेरोदक मृत्युक बाद परमेश्वरक एकटा स्वर्गदूत मिस्र देश मे यूसुफ केँ सपना मे दर्शन दऽ कहलथिन, 20 “उठह, बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ इस्राएल देश चल जाह, किएक तँ जे सभ बालक केँ जान सँ मारऽ चाहैत छल से सभ आब मरि गेल अछि।” 21 यूसुफ उठलाह और बालक आ हुनकर माय केँ लऽ कऽ इस्राएल देश चल अयलाह। 22 मुदा जखन ओ सुनलनि जे अरखिलाउस अपन पिता हेरोदक मृत्युक बाद यहूदिया प्रदेश मे राज्य कऽ रहल छथि तखन ओ ओतऽ जयबा सँ डेरयलाह। ओ फेर सपना मे परमेश्वरक आदेश पाबि गलील प्रदेश चल गेलाह। 23 ओतऽ ओ नासरत नामक नगर मे रहऽ लगलाह। एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक माध्यम सँ कहल ई बात पूरा भेल जे, “ओ नासरी कहौताह।”
1 ओहि समय मे बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना यहूदिया प्रदेशक निर्जन क्षेत्र मे आबि प्रचार करऽ लगलाह जे, 2 “अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू, कारण, स्वर्गक राज्य लग आबि गेल अछि।” 3 यूहन्ना वैह व्यक्ति छथि जिनका सम्बन्ध मे परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह कहने छलाह, “निर्जन क्षेत्र मे केओ जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि— ‘प्रभुक लेल मार्ग तैयार करू, हुनका लेल सोझ बाट बनाउ।’” 4 यूहन्ना ऊँटक रोंइयाँ सँ बनल वस्त्र पहिरैत छलाह। ओ डाँड़ मे चमड़ाक पट्टी बन्हने रहैत छलाह। फनिगा आ वन वला मधु हुनकर भोजन छलनि। 5 यरूशलेम, सम्पूर्ण यहूदिया प्रदेश, आ यरदन नदीक लग-पास मे पड़ऽ वला सम्पूर्ण क्षेत्रक लोक सभ हुनका लग आयल, 6 और अपन पाप स्वीकार करैत यरदन नदी मे हुनका सँ बपतिस्मा लेलक। 7 मुदा जखन यूहन्ना बहुतो फरिसी आ सदुकी पंथक लोक सभ केँ बपतिस्मा लेबाक लेल अपना लग अबैत देखलनि तँ ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हे साँपक सन्तान सभ, तोरा सभ केँ परमेश्वरक आबऽ वला क्रोध सँ बचबाक लेल के सिखौलकह? 8 तोँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तँ तकर प्रमाण अपना व्यवहार द्वारा देखाबह। 9 और अपना मोन मे एना सोचि निश्चिन्त नहि रहह जे, हमर सभक कुल-पिता अब्राहम छथि, कारण, हम तोरा सभ केँ कहि दैत छिअह जे, परमेश्वर एहि पाथर सभ मे सँ अब्राहमक लेल सन्तान उत्पन्न कऽ सकैत छथि। 10 गाछक जड़ि पर कुड़हरि रखा गेल अछि। प्रत्येक गाछ जे नीक फल नहि दैत अछि से काटल आ आगि मे फेकल जायत। 11 “तोँ सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तकर चिन्ह स्वरूप हम तोरा सभ केँ पानि सँ बपतिस्मा दैत छिअह, मुदा हमरा बाद मे एक गोटे आबि रहल छथि जे हमरा सँ शक्तिशाली छथि। हम हुनकर जुत्तो उठाबऽ जोगरक नहि छियनि। ओ तोरा सभ केँ पवित्र आत्मा और आगि सँ बपतिस्मा देथुन। 12 हुनका हाथ मे सूप छनि। ओ अपन खरिहानक अन्न साफ करताह और गहुम केँ बखारी मे जमा करताह, मुदा भुस्सा केँ ओ ओहि आगि मे जरौताह जे कहियो नहि मिझायत।” 13 तखन यीशु यूहन्ना सँ बपतिस्मा लेबाक लेल गलील सँ यरदन नदी लग अयलाह। 14 मुदा यूहन्ना ई कहि कऽ हुनका रोकलथिन जे, “हमरा अहीं सँ बपतिस्मा लेबाक आवश्यकता अछि, और की, अहाँ हमरा सँ लेबाक लेल आयल छी?” 15 यीशु उत्तर देलथिन, “एखन एहिना होमऽ दिअ, कारण, अपना सभक लेल यैह उचित अछि जे एही तरहेँ धार्मिकताक सभ माँग केँ पूरा करी।” तखन यूहन्ना हुनकर बात मानि लेलथिन। 16 बपतिस्मा लेलाक बाद यीशु तुरत पानि सँ बाहर अयलाह। ओही क्षण मे आकाश खुजल और ओ परमेश्वरक आत्मा केँ परबाक रूप मे अपना पर उतरैत देखलनि। 17 तखने स्वर्ग सँ ई आवाज सुनाइ पड़ल, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि, हिनका सँ हम बहुत प्रसन्न छी।”
1 तकरबाद पवित्र आत्मा यीशु केँ निर्जन क्षेत्र मे लऽ गेलथिन जाहि सँ शैतान द्वारा हुनका सँ पाप करयबाक कोशिश कयल जानि। 2 ओहिठाम चालिस दिन आ चालिस राति उपास कयलाक बाद यीशु भुखायल छलाह। 3 जाँचऽ वला शैतान हुनका लग अयलनि आ कहलकनि, “जँ तोँ परमेश्वरक पुत्र छह तँ एहि पाथर सभ केँ रोटी बनि जयबाक आज्ञा दहक।” 4 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, ‘मनुष्य मात्र रोटी सँ नहि, बल्कि परमेश्वरक मुँह सँ निकलल प्रत्येक वचन सँ जीवित रहत।’” 5 तखन शैतान यीशु केँ पवित्र नगर मे लऽ गेलनि और मन्दिरक सभ सँ ऊँच स्थान पर ठाढ़ कऽ कऽ कहलकनि, 6 “जँ तोँ परमेश्वरक पुत्र छह तँ एतऽ सँ नीचाँ कुदि जाह। कारण, धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘परमेश्वर तोरा लेल स्वर्गदूत सभ केँ आज्ञा देथिन और ओ सभ अपना कोरा मे तोरा लोकि लेथुन, जाहि सँ पयर मे पाथर सँ चोट नहि लगतह।’” 7 यीशु ओकरा कहलथिन, “इहो लिखल अछि जे, ‘अपन प्रभु-परमेश्वरक जाँच नहि करहुन।’” 8 तखन शैतान हुनका बहुत ऊँच पहाड़ पर लऽ गेलनि और ओतऽ सँ संसारक सभ राज्य आ ओकर वैभव देखबैत 9 हुनका कहलकनि, “जँ तोँ हमरा सामने निहुरबह आ हमर उपासना करबह तँ हम ई सभ तोरा दऽ देबह।” 10 यीशु ओकरा कहलथिन, “हे शैतान, हमरा सोझाँ सँ दूर हो! कारण, धर्मशास्त्र मे ई लिखल अछि जे, ‘अपना प्रभु-परमेश्वरक उपासना करहुन, और मात्र हुनके सेवा करहुन।’” 11 तकरबाद शैतान यीशु लग सँ चल गेल, और स्वर्गदूत सभ आबि कऽ हुनकर सेवा करऽ लगलथिन। 12 जखन यीशु सुनलनि जे बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना जहल मे बन्दी बना लेल गेल छथि तखन ओ गलील प्रदेश मे घूमि कऽ चल अयलाह। 13 ओ नासरत नगर केँ छोड़ि कऽ कफरनहूम नगर मे रहऽ लगलाह। ई नगर जबूलून आ नप्ताली कुलक भूमि-क्षेत्र मे झीलक कछेर पर अछि। 14 एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक ई वचन पूरा भेल जे, 15 “हे जबूलून आ नप्ताली कुलक भूमि-क्षेत्र! 2 समुद्र दिस जाय वला रस्ता मे पड़ऽ वला यरदन नदीक ओहि पारक क्षेत्र, 2 गैर-यहूदी जाति सभक गलील प्रदेश! 16 जे सभ अन्हार मे बसल छल, 2 से सभ पैघ प्रकाश केँ देखलक अछि। जकरा सभ केँ मृत्युक अन्हार झँपने छलैक, 2 तकरा सभ पर इजोत चमकल अछि।” 17 ओही समय सँ यीशु प्रचार करऽ लगलाह जे, “अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू, कारण, स्वर्गक राज्य लग मे आबि गेल अछि।” 18 जखन यीशु गलील झीलक कछेर पर टहलैत छलाह तखन ओ दू भाइ केँ झील मे माछ पकड़बाक लेल जाल फेकैत देखलनि। ओ सभ मछबार छल। एकटाक नाम सिमोन, जकर दोसर नाम पत्रुस छलैक आ ओकर भायक नाम अन्द्रेयास छल। 19 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ। हम अहाँ सभ केँ मनुष्य केँ पकड़ऽ वला मछबार बना देब।” 20 ओ सभ तुरत अपन जाल छोड़ि कऽ हुनका संग भऽ गेलनि। 21 ओतऽ सँ कनेक आगाँ बढ़लाक बाद यीशु अन्य दू भाय केँ देखलनि—याकूब आ यूहन्ना। ओ सभ जबदी नामक व्यक्तिक बेटा छल आ अपना बाबूक संग नाव मे जाल सरिअबैत छल। यीशु ओकरा सभ केँ अपना संग अयबाक लेल कहलथिन। 22 ओहो सभ तुरत नाव आ अपन बाबू केँ छोड़ि कऽ यीशुक संग भऽ गेलनि। 23 यीशु सम्पूर्ण गलील प्रदेश मे घूमि-घूमि कऽ यहूदी सभक सभाघर सभ मे शिक्षा देबऽ लगलाह, परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनाबऽ लगलाह, आ लोक सभ केँ सभ तरहक बिमारी सँ छुटकारा देबऽ लगलाह। 24 एहि तरहेँ हुनकर यश सम्पूर्ण सीरिया प्रदेश मे पसरि गेलनि। लोक बिमार सभ केँ जे विभिन्न प्रकारक रोग वा कष्ट सँ पीड़ित छल, वा जकरा सभ मे दुष्टात्मा छलैक, मिर्गी सँ पीड़ित छल वा लकवा मारल छल—सभ केँ यीशु लग अनैत छल, और यीशु ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ दैत छलथिन। 25 गलील प्रदेश, “दस नगर” क्षेत्र, यरूशलेम नगर, यहूदिया प्रदेश और यरदन नदीक ओहि पारक क्षेत्र सँ लोकक विशाल भीड़ हुनका पाछाँ चलऽ लगलनि।
1 लोकक भीड़ केँ देखि कऽ यीशु पहाड़ पर चढ़ि गेलाह। ओ जखन बैसलाह तँ शिष्य सभ हुनका लग अयलथिन। 2 यीशु एहि तरहेँ हुनका सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन— 3 “धन्य अछि ओ सभ जे अपना केँ आत्मिक रूप सँ असहाय बुझैत अछि, 2 किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक। 4 धन्य अछि ओ सभ जे शोक करैत अछि, 2 किएक तँ ओ सभ सान्त्वना पाओत। 5 धन्य अछि ओ सभ जे नम्र अछि, 2 किएक तँ ओ सभ पृथ्वीक उत्तराधिकारी होयत। 6 धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिकताक भूखल-पियासल अछि, 2 किएक तँ ओ सभ तृप्त कयल जायत। 7 धन्य अछि ओ सभ जे दयावान अछि, 2 किएक तँ ओकरा सभ पर दया कयल जयतैक। 8 धन्य अछि ओ सभ जकर हृदय शुद्ध छैक, 2 किएक तँ ओ सभ परमेश्वर केँ देखत। 9 धन्य अछि ओ सभ जे मेल-मिलाप करबैत अछि, 2 किएक तँ ओ सभ परमेश्वरक पुत्र कहाओत। 10 धन्य अछि ओ सभ जे धार्मिक रहबाक कारणेँ सताओल जाइत अछि, 2 किएक तँ स्वर्गक राज्य ओकरे सभक छैक। 11 “धन्य छी अहाँ सभ, जखन लोक सभ हमरा कारणेँ अहाँ सभ केँ अपमानित करत, सताओत और झूठ बाजि-बाजि कऽ अहाँ सभक विरोध मे लोक केँ सभ तरहक अधलाह बात कहतैक। 12 तखन खुशी होउ और आनन्द मनाउ, किएक तँ अहाँ सभक लेल स्वर्ग मे बड़का इनाम राखल अछि। एही तरहेँ लोक परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभ केँ सेहो सतौने छलनि, जे सभ अहाँ सभ सँ पहिने प्राचीन समय मे छलाह। 13 “अहाँ सभ पृथ्वीक नून छी। मुदा जँ नून मे नूनक स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ ओ कोन वस्तु सँ फेर नूनगर बनाओल जा सकत? ओकरा फेकि देल जाय, आ लोक ओकरा पयर सँ धाँगय, से छोड़ि ओ दोसर कोन काजक रहि जायत? 14 “अहाँ सभ संसारक प्रकाश छी। पहाड़ परक नगर नुकायल नहि रहि सकैत अछि। 15 लोक डिबिया लेसि कऽ पथिया सँ नहि झँपैत अछि, बल्कि लाबनि पर रखैत अछि, और ओ डिबिया घर मे सभक लेल प्रकाश दैत छैक। 16 एहि तरहेँ अहूँ सभ अपन प्रकाश लोकक बीच चमकाउ, जाहि सँ लोक अहाँ सभक नीक काज देखि कऽ, अहाँक पिताक, जे स्वर्ग मे छथि, तिनकर स्तुति करनि। 17 “ई नहि सोचू जे हम मूसा द्वारा देल धर्म-नियम अथवा परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख सभ केँ रद्द करबाक लेल आयल छी। हम ओहि सभ केँ रद्द नहि, बल्कि पूरा करबाक लेल आयल छी। 18 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, जाबत तक आकाश आ पृथ्वी समाप्त नहि होयत, ताबत तक धर्म-नियम मे लिखल सभ बात बिनु पूरा भेने ओकर एक मात्रा वा एक बिन्दुओ नहि मेटायत। 19 जे केओ एहि आज्ञा मे सँ छोटो सँ छोट आज्ञाक उल्लंघन करत और दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे सभ सँ छोट कहाओत। मुदा जे केओ एहि आज्ञा सभक पालन करत आ दोसरो लोक केँ तहिना करऽ लेल सिखाओत, से स्वर्गक राज्य मे पैघ कहाओत। 20 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक ठहरबाक लेल जे बात आवश्यक अछि, से जँ अहाँ सभ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ सँ बढ़ि कऽ पूरा नहि करब, तँ अहाँ सभ स्वर्गक राज्य मे किन्नहुँ नहि प्रवेश करब। 21 “अहाँ सभ सुनने छी जे प्राचीन काल मे पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि, ‘हत्या नहि करह, और जे केओ हत्या करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक।’ 22 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जे केओ अपना भाय पर क्रोधो करत तकरा कचहरी मे दण्डक योग्य ठहराओल जयतैक। जे अपन भाय केँ ‘रे मूर्ख’ कहत, तकरा धर्म-महासभा मे ठाढ़ होमऽ पड़तैक, और जे केओ अपना भाय केँ सराप देत, से नरकक आगि मे खसयबा जोगरक अछि। 23 “तेँ जँ अहाँ अपन चढ़ौना प्रभुक वेदी पर अर्पण कऽ रहल छी आ ओतहि अहाँ केँ मोन पड़ल जे अहाँक भाय केँ अहाँ सँ कोनो सिकायत छैक, 24 तँ अपन चढ़ौना वेदीक कात मे राखि दिअ आ पहिने जा कऽ अपना भाय सँ मेल करू और तकरबाद आबि कऽ अपन चढ़ौना चढ़ाउ। 25 “जखन अहाँक विरोधी अहाँ केँ कचहरी मे लऽ जा रहल अछि, तँ रस्ते मे ओकरा संग जल्दी सँ मेल-मिलाप कऽ लिअ। एना नहि होअय जे विरोधी अहाँ केँ न्यायाधीशक जिम्मा मे लगा दय आ न्यायाधीश सिपाहीक जिम्मा मे, और अहाँ केँ जहल मे राखि देल जाय। 26 हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक अहाँ पाइ-पाइ कऽ सधा नहि देबैक, ताबत तक अहाँ ओतऽ सँ नहि छुटब। 27 “अहाँ सभ सुनने छी जे कहल गेल, ‘परस्त्रीगमन नहि करह।’ 28 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे कोनो पुरुष कोनो स्त्री केँ अधलाह इच्छा सँ देखैत अछि, से तखने अपना मोन मे ओकरा संग परस्त्रीगमन कऽ लेलक। 29 जँ अहाँक दहिना आँखि अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय। 30 जँ अहाँक दहिना हाथ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। अहाँक शरीरक एके अंग नष्ट भऽ जाओ, से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे सम्पूर्ण शरीर नरक मे फेकि देल जाय। 31 “कहल गेल अछि जे, ‘जे पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, से तलाकनामा लिखि कऽ दैक।’ 32 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, स्त्री केँ दोसराक संग गलत शारीरिक सम्बन्ध रखबाक कारण केँ छोड़ि कऽ जँ कोनो दोसर कारण सँ कोनो पुरुष अपना स्त्री केँ तलाक दैत अछि, तँ ओ अपना स्त्री केँ परपुरुषगमन करऽ वाली बनबाक लेल विवश करैत अछि, और जे केओ ओहि तलाक देल स्त्री सँ विवाह करैत अछि, सेहो परस्त्रीगमन करैत अछि। 33 “अहाँ सभ इहो सुनने छी जे प्राचीन समयक पुरखा सभ केँ कहल गेल छलनि जे, ‘सपत खा कऽ जे वचन देलह तकरा नहि तोड़िहह, बल्कि प्रभु सँ खायल अपन सपत केँ पूरा करिहह।’ 34 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे सपत खयबे नहि करू—ने स्वर्गक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक सिंहासन छनि, 35 ने पृथ्वीक नाम लऽ कऽ, कारण ओ परमेश्वरक पयर तरक चौकी छनि, ने यरूशलेमक, कारण ओ महान् राजाक नगर छनि, 36 और ने अपन माथक, कारण अहाँ अपन एकोटा केश केँ ने तँ उज्जर आ ने कारी कऽ सकैत छी। 37 अहाँ सभ जखन ‘हँ’ कहऽ चाहैत छी, तँ बस, ‘हँ’ए कहू, जखन ‘नहि’ कहऽ चाहैत छी, तँ ‘नहि’ए कहू। एहि सँ बेसी जे किछु बजैत छी से शैतान सँ प्रेरित बात अछि। 38 “अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘केओ जँ ककरो आँखि फोड़य तँ ओकरो आँखि फोड़ल जाय, आ केओ जँ ककरो दाँत तोड़य तँ ओकरो दाँत तोड़ल जाय।’ 39 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जँ कोनो दुष्ट लोक अहाँ केँ किछु करओ, तँ ओकर विरोध नहि करू। केओ जँ अहाँक दहिना गाल पर थप्पड़ मारय तँ ओकरा सामने दोसरो गाल कऽ दिऔक। 40 केओ जँ अहाँ पर मोकदमा कऽ अहाँक कुर्ता लेबऽ चाहय तँ ओकरा ओढ़नो लेबऽ दिऔक। 41 जँ केओ अहाँ सँ कोनो वस्तु जबरदस्ती एक कोस उघबाबय तँ अहाँ दू कोस उघि दिऔक। 42 जे केओ अहाँ सँ किछु मँगैत अछि तकरा दिऔक, आ जे केओ अहाँ सँ पैंच लेबऽ चाहैत अछि तकरा सँ मुँह नहि घुमाउ। 43 “अहाँ सभ सुनने छी जे एना कहल गेल छल, ‘अपना पड़ोसी सँ प्रेम करह आ अपन शत्रु सँ दुश्मनी राखह।’ 44 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, अपना शत्रु सभ सँ प्रेम करू आ अहाँ केँ जे सभ सतबैत अछि तकरा सभक लेल प्रभु सँ प्रार्थना करू। 45 तखने अहाँ स्वर्ग मे रहऽ वला अपन पिताक सन्तान बनब। कारण, ओ दुष्ट आ सज्जन दूनू पर अपन सूर्यक प्रकाश दैत छथि, आ धर्मी और अधर्मी दूनू पर वर्षा करबैत छथि। 46 “जँ अहाँ मात्र ओकरे सभ सँ प्रेम करी जे अहाँ सँ प्रेम करैत अछि तँ अहाँ केँ परमेश्वर सँ की इनाम भेटत? की कर असूल कयनिहार ठकहारो सभ एहिना नहि करैत अछि? 47 आ जँ अहाँ मात्र अपने लोक सभक कुशल-मङलक पुछारी करैत छी तँ अहाँ कोन बड़का काज करैत छी? की परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जातिक लोक सभ सेहो एहिना नहि करैत अछि? 48 तेँ अहाँ सभ सिद्ध बनू जेना स्वर्ग मे रहऽ वला अहाँ सभक पिता परमेश्वर सिद्ध छथि।
1 “होसियार रहू, लोक केँ देखयबाक लेल अपन ‘धर्म-कर्म’ नहि करू, नहि तँ अहाँ केँ अपन पिता सँ, जे स्वर्ग मे छथि, कोनो फल नहि भेटत। 2 “अहाँ जखन गरीब सभ केँ दान दैत छी तखन तकर ढोल नहि पिटू, जेना पाखण्डी लोक सभाघर मे और रस्ता सभ मे करैत रहैत अछि, जाहि सँ लोक ओकर प्रशंसा करैक। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, लोकक प्रशंसा पाबि ओ सभ ओहि सँ बेसी कोनो इनामक बाट बेकार ताकत। 3 “मुदा अहाँ जखन दान करी तखन अहाँक ई काज एतेक गुप्त होअय जे अहाँक बामा हाथ सेहो नहि जानय जे अहाँक दहिना हाथ की कऽ रहल अछि। तखन अहाँक पिता जे गुप्त काज केँ सेहो देखैत छथि, से अहाँ केँ तकर प्रतिफल देताह। 5 “जखन परमेश्वर सँ प्रार्थना करी, तँ पाखण्डी जकाँ नहि बनू, किएक तँ ओ सभ सभाघर सभ मे आ चौक सभ पर ठाढ़ भऽ कऽ प्रार्थना कयनाइ बहुत पसन्द करैत अछि, जाहि सँ लोक ओकरा सभ केँ देखैक। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, लोक ओकरा सभ केँ देखलक, ओहि सँ बेसी ओ सभ कोनो इनामक बाट बेकार ताकत। 6 “मुदा अहाँ जखन प्रार्थना करी, तँ अपना कोठरी मे जाउ, केबाड़ बन्द करू आ अपना पिता, जिनका केओ नहि देखि सकैत छनि, तिनका सँ प्रार्थना करू। अहाँक पिता जे गुप्त काज सेहो देखैत छथि, से अहाँ केँ तकर प्रतिफल देताह। 7 प्रार्थना करैत अहाँ सभ ओहि जाति सभक लोक जकाँ जे सभ जीवित परमेश्वर केँ नहि चिन्हैत अछि रट लगा कऽ बात नहि दोहरबैत रहू। ओ सभ तँ सोचैत अछि जे बहुत बजला सँ ओकर प्रार्थना सुनल जयतैक। 8 अहाँ सभ ओकरा सभ जकाँ नहि बनू। अहाँ सभक पिता तँ अहाँ सभक मँगनाइ सँ पहिनहि बुझैत रहैत छथि जे अहाँ सभ केँ कोन वस्तुक आवश्यकता अछि। 9 तेँ एहि तरहेँ प्रार्थना करू— ‘हे हमर सभक पिता, अहाँ जे स्वर्ग मे विराजमान छी, अहाँक नाम पवित्र मानल जाय, 10 अहाँक राज्य आबय, अहाँक इच्छा जहिना स्वर्ग मे पूरा होइत अछि, तहिना पृथ्वी पर सेहो पूरा होअय। 11 हमरा सभ केँ आइ भोजन दिअ, जे दिन प्रति दिन हमरा सभक लेल आवश्यक अछि। 12 हमर सभक अपराध क्षमा करू, जहिना हमहूँ सभ अपन अपराधी सभ केँ क्षमा कयने छिऐक। 13 हमरा सभ केँ पाप मे फँसाबऽ वला बात सँ दूर राखू, और दुष्ट सँ हमरा सभक रक्षा करू। [किएक तँ राज्य, शक्ति आ महिमा युगानुयुग अहींक अछि, आमीन।] ‘ 14 अहाँ सभ जँ लोकक अपराध क्षमा करब तँ अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि सेहो अहूँ सभक अपराध क्षमा करताह। 15 मुदा अहाँ सभ जँ लोकक अपराध क्षमा नहि करबैक, तँ अहाँ सभक पिता सेहो अहाँ सभक अपराध क्षमा नहि करताह। 16 “अहाँ सभ जखन उपास करी तखन पाखण्डी सभ जकाँ मुँह लटकौने नहि रहू। कारण, ओ सभ अपन मुँह म्लान कयने रहैत अछि जाहि सँ लोक सभ बुझैक जे ओ उपास कयने अछि। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, लोक बुझलक, ओहि सँ बेसी ओ सभ कोनो इनामक बाट बेकार ताकत। 17 मुदा अहाँ जखन उपास करी तँ तेल-कुड़ लिअ आ अपन मुँह-हाथ धोउ, 18 जाहि सँ लोक नहि बुझय जे अहाँ उपास कयने छी, बल्कि मात्र अहाँक पिता, जिनका केओ नहि देखि सकैत छनि, से बुझथि। एहि सँ अहाँक पिता जे गुप्त काज केँ सेहो देखैत छथि, से अहाँ केँ प्रतिफल देताह। 19 “पृथ्वी पर अपना लेल धन जमा नहि करू जतऽ कीड़ा आ बीझ ओकरा नष्ट कऽ दैत अछि, और चोर सेन्ह काटि कऽ ओकर चोरी कऽ लैत अछि। 20 बल्कि अपना लेल स्वर्ग मे धन जमा करू, जतऽ ने कीड़ा आ ने बीझ ओकरा नष्ट करैत अछि, आ ने चोर सेन्ह काटि कऽ ओकर चोरी करैत अछि। 21 कारण, जतऽ अहाँक धन अछि ततहि अहाँक मोनो लागल रहत। 22 “शरीरक डिबिया आँखि अछि! जँ अहाँक आँखि ठीक अछि तँ अहाँक सम्पूर्ण शरीर इजोत मे रहत। 23 मुदा जँ अहाँक आँखि खराब भऽ जाय तँ अहाँक सम्पूर्ण शरीर अन्हार मे भऽ जायत, आ जँ अहाँक भितरी प्रकाश अन्हार बनि जाय तँ ई अन्हार कतेक भयंकर होयत! 24 “कोनो खबास दूटा मालिकक सेवा एक संग नहि कऽ सकैत अछि। कारण, ओ एकटा सँ घृणा करत आ दोसर सँ प्रेम, अथवा पहिल केँ खूब मानत और दोसर केँ तुच्छ बुझत। अहाँ सभ परमेश्वर आ धन-सम्पत्ति दूनूक सेवा नहि कऽ सकैत छी। 25 “एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, अपना प्राणक लेल चिन्ता नहि करू जे हम की खायब वा की पीब, आ ने शरीरक लेल चिन्ता करू जे की पहिरब। की भोजन सँ प्राण, आ वस्त्र सँ शरीर बेसी मूल्यवान नहि अछि? 26 आकाशक चिड़ै सभ केँ देखू—ओ सभ ने बाउग करैत अछि, ने कटनी करैत अछि आ ने कोठी मे अन्न रखैत अछि, मुदा तैयो अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि से ओकर सभक पालन करैत छथिन। की अहाँ सभ चिड़ै सभ सँ बहुत मूल्यवान नहि छी? 27 चिन्ता कऽ कऽ अहाँ सभ मे सँ के अपना उमेर केँ एको घड़ी बढ़ा सकैत छी? 28 “वस्त्रक लेल अहाँ चिन्ता किएक करैत छी? जंगलक फूल सभ केँ देखू जे ओ सभ कोन तरहेँ फुलाइत अछि। ओ सभ ने खटैत अछि, आ ने चर्खा कटैत अछि। 29 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, राजा सुलेमान सेहो अपन राजसी वस्त्र पहिरि कऽ एहि फूल सन सुन्दर नहि लगैत छलाह। 30 जँ परमेश्वर मैदानक घास, जे आइ अछि आ काल्हि आगि मे जराओल जायत, तकरा एहि तरहेँ हरियरी सँ भरल रखैत छथि, तँ ओ अहाँ सभ केँ आओर किएक नहि पहिरौताह-ओढ़ौताह? अहाँ सभ केँ कतेक कम विश्वास अछि! 31 “एहि लेल चिन्ता नहि करू जे हम सभ की खायब, की पीब वा की पहिरब। 32 कारण, एहि सभ बातक पाछाँ तँ परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जातिक लोक सभ पड़ल रहैत अछि। अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि से जनैत छथि जे अहाँ सभ केँ एहि बात सभक आवश्यकता अछि। 33 बल्कि सभ सँ पहिने परमेश्वरक राज्य पर, आ परमेश्वर जाहि प्रकारक धार्मिकता अहाँ सँ चाहैत छथि, ताहि पर मोन लगाउ, तँ ई सभ वस्तु सेहो अहाँ केँ देल जायत। 34 “तेँ काल्हि की होयत तकर चिन्ता नहि करू, किएक तँ काल्हि अपन चिन्ता अपने कऽ लेत। आजुक लेल तँ अजुके दुःख बहुत अछि।
1 “ककरो दोषी नहि ठहराउ जाहि सँ अहूँ सभ दोषी नहि ठहराओल जाइ। 2 जाहि तरहेँ अहाँ दोषी ठहरायब ताहि तरहेँ अहूँ दोषी ठहराओल जायब, आ जाहि नाप सँ अहाँ नापब, सैह नाप अहूँ पर लागू होयत। 3 “अहाँ अपन भायक आँखि मेहक काठक कुन्नी किएक देखैत छी? की अपना आँखि मेहक ढेंग नहि सुझाइत अछि? 4 अहाँ अपना भाय केँ कोना कहैत छी जे, ‘आउ, हम अहाँक आँखि मे सँ कुन्नी निकालि दैत छी,’ जखन कि अहाँक अपने आँखि मे ढेंग अछि? 5 हे पाखण्डी, पहिने अपना आँखि मेहक ढेंग निकालि लिअ, तखने अपन भायक आँखि मेहक कुन्नी निकालबाक लेल अहाँ ठीक सँ देखि सकब। 6 “पवित्र वस्तु कुकुर सभ केँ नहि दिअ, आ ने अपन हीरा-मोती सुगरक आगाँ फेकू, नहि तँ एना नहि होअय जे ओ सभ पयर सँ ओकरा धाँगि दय आ घूमि कऽ अहाँ सभ केँ चीरि-फाड़ि दय। 7 “माँगू तँ अहाँ सभ केँ देल जायत। ताकू तँ अहाँ सभ केँ भेटत। ढकढकाउ तँ अहाँ सभक लेल खोलल जायत। 8 कारण, जे केओ मँगैत अछि, से प्राप्त करैत अछि; जे केओ तकैत अछि, तकरा भेटैत छैक, और जे केओ ढकढकबैत अछि, तकरा लेल खोलल जाइत छैक। 9 “की अहाँ सभ मे सँ केओ एहन लोक छी जे जँ अहाँक बेटा अहाँ सँ रोटी माँगय तँ ओकरा पाथर दिऐक? 10 वा माछ माँगय तँ साँप दिऐक? 11 जखन अहाँ सभ पापी होइतो अपना बच्चा सभ केँ नीक वस्तु सभ देनाइ जनैत छी, तँ अहाँ सभ सँ बढ़ि कऽ अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि, से मँगनिहार सभ केँ नीक वस्तु सभ किएक नहि देथिन? 12 “जेहन व्यवहार अहाँ चाहैत छी जे लोक अहाँक संग करय, तेहने व्यवहार अहूँ लोकक संग करू, किएक तँ धर्म-नियमक आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक शिक्षाक निचोड़ यैह अछि। 13 “छोट द्वारि सँ प्रवेश करू, कारण नमहर अछि ओ द्वारि आ चौरगर अछि ओ बाट जे विनाश मे लऽ जाइत अछि, और बहुतो लोक ओहि द्वारि सँ प्रवेश करैत अछि। 14 मुदा छोट अछि ओ द्वारि आ कम चौड़ा अछि ओ बाट जे जीवन मे लऽ जाइत अछि। और थोड़बे लोक ओहि द्वारि केँ ताकि पबैत अछि। 15 “ओहन लोक सँ सावधान रहू जे झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत अछि। ओ सभ अहाँ सभक बीच भेँड़ाक वेष मे अबैत अछि, मुदा भीतर मे ओ सभ चीरि-फाड़ि देबऽ वला जंगली जानबर अछि। 16 ओकर सभक काज सभ सँ अहाँ सभ ओकरा चिन्हि जायब। की काँटक गाछ सँ अंगूर तोड़ल जा सकैत अछि, वा कबछुआक लत्ती सँ अंजीर-फल? 17 एहि तरहेँ प्रत्येक नीक गाछ मे नीक फल आ खराब गाछ मे खराब फल फड़ैत अछि। 18 ई तँ भइए नहि सकैत अछि जे नीक गाछ मे खराब फल फड़ैक आ खराब गाछ मे नीक फल। 19 जे गाछ नीक फल नहि दैत अछि से काटि कऽ आगि मे फेकल जाइत अछि। 20 तहिना एहन लोक सभ केँ अहाँ सभ ओकर सभक काज सभ सँ चिन्हि जायब। 21 “ई बात नहि अछि जे, जतेक लोक हमरा ‘हे प्रभु, हे प्रभु’ कहैत अछि, ताहि मे सँ सभ केओ स्वर्गक राज्य मे प्रवेश करत, बल्कि मात्र वैह सभ प्रवेश करत जे सभ हमर पिता जे स्वर्ग मे छथि तिनकर इच्छानुरूप चलैत अछि। 22 न्यायक दिन बहुतो लोक हमरा कहत, ‘हे प्रभु! हे प्रभु! की हम सभ अहाँक नाम लऽ कऽ भविष्यवाणी नहि कयलहुँ? की हम सभ अहाँक नाम लऽ कऽ दुष्टात्मा सभ केँ नहि निकाललहुँ? की हम सभ अहाँक नाम लऽ कऽ अनेको चमत्कार नहि कयलहुँ?’ 23 तखन हम ओकरा सभ केँ स्पष्ट कहबैक, ‘हम तोरा सभ केँ कहियो नहि चिन्हलिऔ। है कुकर्मी सभ, भाग हमरा लग सँ!’ 24 “जे केओ हमर एहि उपदेश सभ केँ सुनैत अछि आ ओकर पालन करैत अछि, से ओहि बुद्धिमान मनुष्य जकाँ अछि जे अपन घर पाथर पर बनौलक। 25 बहुत जोरक वर्षा भेल, बाढ़ि आयल, अन्हड़-बिहारि चलल और ओहि घर सँ टकरायल, तैयो ओ घर नहि खसल, कारण ओकर न्यो पाथर पर राखल गेल छल। 26 मुदा जे केओ हमर एहि उपदेश सभ केँ सुनैत अछि आ ओकर पालन नहि करैत अछि, से ओहि मूर्ख मनुष्य जकाँ अछि, जे अपन घर बालु पर बनौलक। 27 जखन बहुत जोरक वर्षा भेल, बाढ़ि आयल, अन्हड़-बिहारि चलल आ ओहि घर सँ टकरायल तँ ओ घर खसि पड़ल आ पूरा नष्ट भऽ गेल।” 28 जखन यीशु ई उपदेशक बात सभ कहब समाप्त कयलनि तखन लोकक भीड़ हुनकर शिक्षा सँ चकित भेल, 29 कारण ओ धर्मशिक्षक सभ जकाँ नहि, बल्कि अधिकारपूर्बक उपदेश दैत छलाह।
1 यीशु जखन पहाड़ पर सँ नीचाँ उतरलाह तँ लोकक बड़का भीड़ हुनका पाछाँ चलऽ लगलनि। 2 एक कुष्ठ-रोगी हुनका लग अयलनि आ निंघुड़ि कऽ प्रणाम करैत कहलकनि, “यौ प्रभु, अहाँ जँ चाही तँ हमरा शुद्ध कऽ सकैत छी।” 3 यीशु हाथ बढ़ा कऽ ओकरा छुबैत कहलथिन, “हम अवश्य चाहैत छिअह, तोँ शुद्ध भऽ जाह।” और ओ तुरत अपन रोग सँ शुद्ध भऽ गेल। 4 यीशु ओकरा कहलथिन, “सुनह, ककरो किछु कहिअहक नहि। जाह, अपना केँ पुरोहित केँ देखाबह, आ धर्म-नियम मे लिखल मूसाक आदेश अनुसार जे चढ़ौना चढ़यबाक अछि, से चढ़ाबह। एहि तरहेँ सभक लेल गवाही रहत जे तोँ शुद्ध भऽ गेल छह।” 5 यीशु जखन कफरनहूम नगर मे प्रवेश कयलनि तँ रोमी सेनाक एकटा कप्तान आबि हुनका सँ विनती कयलथिन, 6 “हे प्रभु, हमर नोकर लकवा सँ पीड़ित भऽ घर मे पड़ल अछि आ महा कष्ट मे अछि।” 7 यीशु हुनका कहलथिन, “हम आबि ओकरा स्वस्थ कऽ देबैक।” 8 सेनाक कप्तान उत्तर देलथिन, “यौ प्रभु, हम एहि जोगरक नहि छी जे अपने हमरा घर पर आबी। अपने मात्र कहि देल जाओ आ हमर नोकर स्वस्थ भऽ जायत। 9 कारण हमहूँ शासनक अधीन मे छी, और हमरा अधीन मे सैनिक सभ अछि। हम एकटा केँ कहैत छिऐक, ‘जाह’ तँ ओ जाइत अछि आ दोसर केँ कहैत छिऐक, ‘आबह’ तँ ओ अबैत अछि। हम अपना नोकर केँ कहैत छिऐक, ‘ई काज करह’ तँ ओ करैत अछि।” 10 हुनकर बात सुनि यीशु केँ आश्चर्य भेलनि आ ओ अपना पाछाँ चलऽ वला लोक सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, हम इस्राएली सभ मे एहन विश्वास ककरो मे नहि देखलहुँ। 11 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, पूब आ पश्चिम सँ बहुत लोक आओत और अब्राहम, इसहाक आ याकूबक संग स्वर्गक राज्य मे भोज खयबाक लेल बैसत, 12 मुदा जे सभ ⌞अब्राहमक वंशज होयबाक कारणेँ⌟ राज्यक उत्तराधिकारी होयबाक चाही, से सभ बाहर अन्हार मे भगाओल जायत, जतऽ लोक कानत आ दाँत कटकटाओत।” 13 तकरबाद यीशु सेनाक कप्तान केँ कहलथिन, “जाउ, जेहन विश्वास अहाँ कयलहुँ अछि, अहाँक लेल ओहिना होयत।” ओही घड़ी हुनकर नोकर स्वस्थ भऽ गेलनि। 14 यीशु जखन पत्रुसक घर मे अयलाह तँ देखैत छथि जे पत्रुसक सासु बोखार सँ पीड़ित भऽ ओछायन पर पड़ल छथि। 15 यीशु हुनकर हाथ केँ छुबि देलथिन आ हुनकर बोखार उतरि गेलनि। ओ उठि कऽ हिनकर सेवा-सत्कार करऽ लगलीह। 16 साँझ पड़ला पर लोक सभ बहुतो लोक केँ जकरा मे दुष्टात्मा छलैक यीशु लग अनलकनि। यीशु आज्ञा दऽ कऽ ओकरा सभ मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालि देलथिन और सभ रोगी केँ स्वस्थ कऽ देलथिन, 17 जाहि सँ परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक ई वचन पूरा होअय जे, “ओ हमर सभक रोग-बिमारी अपना पर लऽ हमरा सभ सँ दूर हटा देलनि।” 18 जखन यीशु अपना चारू कात लोकक बड़का भीड़ देखलनि तँ अपना शिष्य सभ केँ झीलक ओहि पार चलबाक आदेश देलथिन। 19 तखन एकटा धर्मशिक्षक हुनका लग आबि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, जतऽ कतौ अपने जायब, ततऽ हमहूँ अपनेक संग चलब।” 20 यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “नढ़िया केँ सोन्हि छैक और आकाशक चिड़ै केँ खोंता, मुदा मनुष्य-पुत्र केँ मूड़िओ नुकयबाक जगह नहि छैक।” 21 केओ दोसर, हुनकर एकटा शिष्य, हुनका कहलकनि, “प्रभु, हमरा पहिने जा कऽ अपना बाबूक लास केँ गाड़ि आबऽ दिअ।” 22 यीशु ओकरा कहलथिन, “अहाँ हमरा पाछाँ आउ, आ मुरदा सभ केँ अपन मुरदा गाड़ऽ दिऔक।” 23 यीशु नाव पर चढ़लाह तँ शिष्य सभ सेहो हुनका संग विदा भेलथिन। 24 एकाएक झील मे बहुत बड़का अन्हड़-बिहारि उठल आ नाव लहरिक पानि सँ भरऽ लागल। मुदा यीशु सुतल छलाह। 25 शिष्य सभ आबि कऽ हुनका जगबैत कहलथिन, “प्रभु, हमरा सभ केँ बचाउ! हम सभ डुबऽ-डुबऽ पर छी!” 26 यीशु शिष्य सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभक विश्वास एतेक कम किएक अछि? अहाँ सभ एतेक डेरायल किएक छी?” तकरबाद यीशु उठि कऽ अन्हड़-बिहारि आ लहरि केँ डँटलथिन। अन्हड़-बिहारि थम्हि गेल आ सभ किछु एकदम शान्त भऽ गेल। 27 शिष्य सभ आश्चर्यित भऽ कहऽ लगलाह, “ई केहन मनुष्य छथि? अन्हड़-बिहारि आ लहरिओ हिनकर आदेश मानैत छनि!” 28 जखन यीशु झीलक ओहि पार गदरेनी सभक इलाका मे पहुँचलाह तँ दुष्टात्मा सँ ग्रसित दू व्यक्ति कबरिस्तान वला क्षेत्र सँ बहरा कऽ हुनका भेटलनि। ओ दूनू व्यक्ति एतेक उग्र छल जे लोक सभ डरेँ ओहि बाटे चलनाइ छोड़ि देने छल। 29 ओ दूनू चिचिया उठल, “यौ परमेश्वरक पुत्र, हमरा सभ सँ अपने केँ कोन काज? की समय सँ पहिनहि अपने हमरा सभ केँ सतयबाक लेल एतऽ आयल छी?” 30 ओहिठाम सँ कनेक दूर पर सुगरक बड़का झुण्ड चरि रहल छल। 31 दुष्टात्मा सभ यीशु सँ विनती कयलकनि, “जँ अहाँ हमरा सभ केँ भगाइए रहल छी तँ हमरा सभ केँ ओहि सुगरक झुण्ड मे पठा दिअ।” 32 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जो!” दुष्टात्मा सभ दूनू व्यक्ति मे सँ निकलि कऽ सुगरक झुण्ड मे प्रवेश कऽ गेल। सुगरक पूरा झुण्ड दौड़ि कऽ पहाड़ पर सँ झील मे खसल और डुबि कऽ मरि गेल। 33 तखन सुगर चराबऽ वला सभ भागल आ ई सभ समाचार नगर मे जा कऽ सुनाबऽ लागल। ओहि दूनू दुष्टात्मा लागल व्यक्ति केँ की भेलैक, सेहो सुनौलकैक। 34 एहि पर नगरक सभ लोक यीशु सँ भेँट करबाक लेल नगर सँ बाहर आबि गेल। यीशु केँ देखि ओ सभ हुनका सँ विनती करऽ लगलनि जे, “अहाँ हमरा सभक इलाका सँ चल जाउ।”
1 तखन यीशु नाव मे चढ़ि कऽ झील पार कयलनि आ फेर अपना नगर मे चल अयलाह। 2 किछु लोक सभ एकटा लकवा मारल आदमी केँ खाट पर लदने यीशु लग अनलकनि। यीशु ओकरा सभक विश्वास देखि लकवा मारल आदमी केँ कहलथिन, “हौ बेटा, साहस राखह, तोहर पाप माफ भेलह।” 3 ई सुनि किछु धर्मशिक्षक सभ अपना मोन मे सोचऽ लगलाह, “ई व्यक्ति तँ अपना केँ परमेश्वरक तुल्य बुझि हुनकर निन्दा करैत अछि!” 4 यीशु हुनकर सभक मोनक बात जानि कहलथिन, “अहाँ सभ अपना मोन मे अधलाह बात किएक सोचैत छी? 5 आसान की अछि—ई कहब जे, ‘तोहर पाप क्षमा भेलह’, वा ई कहब जे, ‘उठि कऽ चलह-फिरह’? 6 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ ई बात बुझि जाइ जे मनुष्य-पुत्र केँ पृथ्वी पर पाप माफ करबाक अधिकार छनि, हम एकरा कहैत छी...” तखन ओ लकवाक रोगी केँ कहलथिन, “उठह, अपन खाट उठाबह आ घर चल जाह!” 7 ओ उठल आ घर चल गेल। 8 लोक सभ ई देखि भयभीत भेल आ एहि लेल परमेश्वरक प्रशंसा करऽ लागल जे ओ मनुष्य केँ एहन अधिकार देने छथिन। 9 ओहिठाम सँ आगाँ बढ़ला पर यीशु मत्ती नामक एक आदमी केँ कर असूल करऽ वला स्थान मे बैसल देखलथिन। यीशु हुनका कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” ओ उठि कऽ यीशुक संग चलऽ लगलथिन। 10 जखन यीशु मत्तीक घर मे भोजन करबाक लेल बैसलाह तँ बहुतो कर असूल कयनिहार आ “पापी” सभ आबि हुनका और हुनकर शिष्य सभक संग भोजन करबाक लेल बैसल। 11 ई देखि फरिसी सभ यीशुक शिष्य सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभक गुरु कर असूल कयनिहार और पापी सभक संग किएक खाइत-पिबैत छथि?” 12 यीशु हुनकर सभक बात सुनि कहलथिन, “वैद्यक आवश्यकता स्वस्थ लोक केँ नहि होइत छैक, बल्कि बिमार सभ केँ! 13 अहाँ सभ जा कऽ प्रभुक कहल एहि वचनक अर्थ सिखू जे, ‘अहाँ सभक द्वारा अर्पित चढ़ौना वा बलि-प्रदान हम नहि चाहैत छी, बल्कि अहाँ सभ दयालु बनू, से।’ हम धार्मिक सभ केँ नहि, बल्कि पापी सभ केँ बजयबाक लेल आयल छी।” 14 बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक शिष्य सभ यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन, “की कारण अछि जे हम सभ आ फरिसी सभ तँ उपास करैत रहैत छी, मुदा अहाँक शिष्य सभ उपास नहि करैत छथि?” 15 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “जाबत तक वरियातीक संग वर अछि ताबत तक की वरियाती शोक मनाओत? नहि! मुदा ओ समय आओत जहिया वर ओकरा सभक बीच सँ हटा लेल जायत। ओ सभ तहिये उपास करत। 16 केओ पुरान कपड़ा पर नयाँ कपड़ाक चेफरी नहि लगबैत अछि, कारण, ओ चेफरी घोकचि कऽ पुरान कपड़ा केँ खिचत और ओ कपड़ा पहिनहु सँ बेसी फाटि जायत। 17 एहि तरहेँ लोक नव दारू पुरान चमड़ाक थैली मे नहि रखैत अछि। कारण, एना जँ करत तँ चमड़ाक थैली फाटि जयतैक; दारू बहि जयतैक, आ थैलिओ नष्ट भऽ जयतैक। नहि! नव दारू नये थैली मे राखल जाइत अछि। एहि तरहेँ दारू आ थैली दूनू सुरक्षित रहैत अछि।” 18 यीशु हुनका सभ केँ ई बात सभ कहिए रहल छलाह कि सभाघरक एक अधिकारी अयलथिन आ हुनका सामने ठेहुन रोपि कऽ कहलथिन, “हमर बेटी एखने तुरत मरि गेलि अछि, मुदा तैयो अपने चलि कऽ अपन हाथ ओकरा पर राखि देल जाओ—तँ ओ जीबि जायत।” 19 यीशु उठि कऽ अपना शिष्य सभक संग हुनका पाछाँ विदा भऽ गेलाह। 20 तखने एक स्त्री जकरा बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला बिमारी छलैक, से पाछाँ सँ आयल आ यीशुक कपड़ाक कोर छुबि लेलक। 21 ओ अपना मोन मे सोचि रहल छलि जे, “हम जँ हुनकर कपड़ो केँ छुबि लेब तँ स्वस्थ भऽ जायब।” 22 यीशु पाछाँ घूमि कऽ ओकरा देखलनि आ कहलथिन, “बेटी, साहस राखह, तोहर विश्वास तोरा स्वस्थ कऽ देलकह।” ओ स्त्री ओही घड़ी स्वस्थ भऽ गेलि। 23 यीशु सभाघरक अधिकारीक ओहिठाम पहुँचलाह तँ ओतऽ शोक मे बाँसुरी बजौनिहार सभ आ आरो लोक सभ केँ हल्ला-गुल्ला करैत देखलथिन। 24 ओ कहलथिन, “हटै जाइ जाउ, बच्ची मरल नहि अछि; सुतल अछि।” एहि पर लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल। 25 लोकक भीड़ जखन बाहर कयल गेल तँ यीशु घरक भीतर गेलाह। ओ बच्चीक हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन और बच्ची उठि बैसलि। 26 ई समाचार ओहि प्रान्तक कोना-कोना मे पसरि गेल। 27 यीशु ओतऽ सँ आगाँ बढ़लाह तँ दू आन्हर व्यक्ति एहि तरहेँ सोर पारैत हुनका पाछाँ-पाछाँ चलऽ लगलनि जे, “यौ दाऊदक पुत्र, हमरा सभ पर दया करू!” 28 यीशु जखन घर मे गेलाह तँ ओ आन्हर व्यक्ति सभ हुनका लग अयलनि। यीशु ओकरा सभ सँ पुछलथिन, “की तोरा सभ केँ विश्वास छह जे हम ई काज कऽ सकैत छी?” ओ सभ कहलकनि, “हँ, प्रभु।” 29 तखन यीशु ओकर सभक आँखि केँ छुबैत कहलथिन, “जेहन तोहर सभक विश्वास छह तहिना तोरा सभक लेल होअह।” 30 एतबा कहैत देरी ओकर सभक आँखि ठीक भऽ गेलैक। यीशु ओकरा सभ केँ चेतावनी देलथिन जे, “सुनह, ई बात ककरो नहि कहिअहक।” 31 मुदा ओ सभ घर सँ निकलि कऽ सम्पूर्ण जिला मे हुनकर कीर्ति सुना देलकनि। 32 ओ दूनू व्यक्ति केँ घर सँ निकलिते किछु लोक दुष्टात्मा सँ ग्रसित एक बौक आदमी केँ यीशु लग अनलकनि। 33 दुष्टात्मा केँ ओकरा मे सँ निकालि देल गेलाक बाद ओ बौक आदमी बाजऽ लागल। ई देखि भीड़क लोक सभ आश्चर्यित भऽ कहऽ लागल जे, “इस्राएल मे एहन बात कहियो नहि भेल छल।” 34 मुदा फरिसी सभ कहऽ लगलाह जे, “ई दुष्टात्मा सभक मुखियाक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 35 यीशु नगर-नगर, गाम-गाम घुमऽ लगलाह। ओ यहूदी सभक सभाघर सभ मे उपदेश दैत छलाह, परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनबैत छलाह आ लोक सभ केँ सभ तरहक कष्ट-बिमारी सँ मुक्त करैत छलाह। 36 लोकक भीड़ केँ देखि कऽ हुनका दया होइत छलनि, कारण ओ सभ पीड़ित आ असहाय छल—ओहि भेँड़ी सभ जकाँ जकर केओ चरबाह नहि होइक। 37 तखन ओ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “पाकल फसिल तँ बहुत अछि, मुदा काटऽ वला मजदूर कम अछि। 38 तेँ खेतक मालिक सँ प्रार्थना करिऔन जे ओ अपना खेत मे आरो मजदूर पठबथि।”
1 तखन यीशु अपन बारहो शिष्य केँ बजा कऽ दुष्टात्मा सभ केँ निकालबाक और सभ तरहक रोग-बिमारी केँ ठीक करबाक अधिकार देलथिन। 2 एहि बारह मसीह-दूतक नाम एहि तरहेँ अछि—पहिल सिमोन, जिनकर पत्रुस नाम सेहो छनि, और हुनकर भाय अन्द्रेयास; जबदीक बेटा याकूब आ हुनकर भाय यूहन्ना; 3 फिलिपुस और बरतुल्मै; थोमा आ कर असूल कयनिहार मत्ती; अल्फेयासक बेटा याकूब आ तद्दै; 4 “देश-भक्त” सिमोन आ यहूदा इस्करियोती जे बाद मे यीशुक संग विश्वासघात कयलकनि। 5 एहि बारह गोटे केँ यीशु ई आज्ञा दऽ कऽ पठौलथिन जे, “गैर-यहूदी सभक बीच नहि जाउ आ सामरी सभक कोनो नगर मे प्रवेश नहि करू, 6 बल्कि इस्राएल वंशक हेरायल भेँड़ा सभ लग जाउ। 7 “जाइत-जाइत ई प्रचार करैत जाउ जे, ‘स्वर्गक राज्य लग आबि गेल अछि।’ 8 रोगी सभ केँ स्वस्थ करू, मुइल सभ केँ जिआउ, कुष्ठ-रोगी सभ केँ शुद्ध करू, लोक सभ मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालू। अहाँ सभ केँ जे किछु भेटल अछि से अहाँ सभ बिना मूल्य पौलहुँ, तँ अहूँ सभ बिना मूल्य दिअ। 9 अपना बटुआ मे सोन, चानी वा तामक पाइ-कौड़ी किछु नहि राखू। 10 बाटक लेल ने झोरी-झण्टा, ने दोसर अंगा, ने चप्पल आ ने लाठी, किछु नहि संग लिअ; कारण, मजदूर केँ भोजन पयबाक अधिकार छैक। 11 जाहि कोनो नगर वा गाम मे जायब, तँ एहन लोकक पता लगाउ जे शुभ समाचार सुनबाक लेल तैयार होअय, आ ताबत धरि ओही व्यक्तिक ओतऽ रहू जाबत धरि ओहि गाम सँ विदा नहि भऽ जायब। 12 घर मे पहुँचि कऽ सभ सँ पहिने शान्तिक आशीर्वाद दिअ। 13 ओ घर जँ योग्य होअय तँ अपन शान्ति ओकरा पर रहऽ दिऔक, और जँ योग्य नहि होअय तँ अपन शान्ति घुमा लिअ। 14 जँ केओ अहाँ सभक स्वागत नहि करय आ अहाँ सभ जे कहऽ चाहैत छी, से नहि सुनय, तँ ओहि घर वा ओहि नगर सँ बहरयबा काल मे अपन पयरक गर्दा झाड़ि लेब। 15 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, न्यायक दिन ओहि नगरक दशा सँ सदोम आ गमोरा नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 16 “देखू, हम अहाँ सभ केँ भेँड़ी जकाँ जंगली जानबर सभक बीच मे पठा रहल छी, तेँ अहाँ सभ साँप जकाँ होसियार आ परबा जकाँ निष्कपट बनू। 17 “लोक सभ सँ सावधान रहू। कारण, ओ सभ अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ पंचायत मे पंच सभक समक्ष लऽ जायत आ अपना सभाघर सभ मे अहाँ सभ केँ कोड़ा सँ पिटबाओत। 18 हमरा कारणेँ राज्यपाल आ राजा सभक समक्ष अहाँ सभ केँ ठाढ़ कयल जायत और अहाँ सभ हुनका सभक सामने आ गैर-यहूदी सभक सामने हमरा बारे मे गवाही देब। 19 मुदा जखन ओ सभ अहाँ सभ केँ पकड़बाओत तँ अहाँ सभ चिन्ता नहि करू जे हम सभ कोना बाजब वा की बाजब। जे किछु अहाँ सभ केँ बजबाक होयत, से ओही क्षण अहाँ सभ केँ मोन मे दऽ देल जायत; 20 कारण, बाजऽ वला अहाँ सभ नहि, बल्कि अहाँ सभक पिता-परमेश्वरक आत्मा होयताह। ओ अहाँ सभक द्वारा बजताह। 21 “भाय भाय केँ, बाबू अपना बेटा केँ मृत्युदण्डक लेल पकड़बाओत, आ बेटा-बेटी अपन माय-बाबूक विरोध मे ठाढ़ भऽ कऽ मरबाओत। 22 “अहाँ सभ सँ सभ केओ घृणा करत, एहि लेल जे अहाँ सभ हमर लोक छी। मुदा जे व्यक्ति अन्त तक अपना विश्वास मे स्थिर रहत से उद्धार पाओत। 23 “जखन लोक सभ अहाँ सभ केँ कोनो नगर मे सताबऽ लागत तखन अहाँ सभ भागि कऽ दोसर नगर चल जाउ। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, अहाँ सभ इस्राएल देशक सभ नगर मे अपन काज समाप्तो नहि कयने रहब, ताबत मनुष्य-पुत्र फेर आबि जयताह। 24 “चेला अपना गुरु सँ पैघ नहि होइत अछि आ ने दास अपना मालिक सँ। 25 चेला केँ अपन गुरुक बराबरि होयब आ दास केँ अपन मालिकक बराबरि होयब, एतबे बहुत अछि। जँ ओ सभ घरक मालिक केँ ‘दुष्टात्मा सभक मुखिया’ कहैत अछि तँ मालिकक परिवारक लोक केँ की की नहि कहतैक! 26 “एहि लेल ओकरा सभ सँ डेराउ नहि। एहन किछु नहि अछि जे झाँपल होअय आ उघारल नहि जायत, वा जे नुकाओल होअय आ प्रगट नहि कयल जायत। 27 जे किछु हम अहाँ सभ केँ अन्हार मे कहैत छी से अहाँ सभ इजोत मे कहू; जे किछु एकान्ती कऽ कऽ सुनने छी तकरा छत पर सँ घोषणा करू। 28 ओकरा सभ सँ नहि डेराउ जे शरीर केँ मारि दैत अछि, मुदा आत्मा केँ नहि मारि सकैत अछि, बल्कि तिनका सँ डेराउ जे आत्मा आ शरीर, दूनू केँ नरक मे नष्ट कऽ सकैत छथि। 29 बगेड़ी कतेक मे भेटैत अछि?—एक पाइ मे दूटा! तैयो एकोटा बगेड़ी सेहो अहाँ सभक पिताक इच्छाक बिना जमीन पर नहि खसैत अछि। 30 अहाँ सभक माथक एक-एकटा केशो गनल अछि। 31 तेँ अहाँ सभ डेराउ नहि। अहाँ सभ बहुतो बगेड़ी सँ मूल्यवान छी! 32 “जे केओ लोकक समक्ष हमरा अपन प्रभु मानि लेत, तकरा हमहूँ अपन स्वर्गीय पिताक समक्ष अपन लोक मानि लेबैक। 33 मुदा जे केओ लोकक समक्ष हमरा अस्वीकार करत, तकरा हमहूँ अपन स्वर्गीय पिताक समक्ष अस्वीकार करबैक। 34 “ई नहि बुझू जे हम पृथ्वी पर मेल-मिलाप करयबाक लेल आयल छी। नहि! मेल करयबाक लेल नहि, बल्कि तरुआरि चलबयबाक लेल हम आयल छी। 35 हम तँ एहि लेल आयल छी जे ‘बेटा केँ ओकर बाबूक, बेटी केँ ओकर मायक, आ पुतोहु केँ ओकर सासुक विरोधी बना दिऐक। 36 लोकक दुश्मन ओकर अपने घरक लोक होयतैक।’ 37 “जे केओ हमरा सँ बेसी अपन माय-बाबू सँ प्रेम करैत अछि, से हमर शिष्य बनबाक योग्य नहि अछि। जे केओ हमरा सँ बेसी अपन धिआ-पुता सँ प्रेम करैत अछि, से हमर शिष्य बनबाक योग्य नहि अछि। 38 आ जे केओ हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार भऽ हमरा पाछाँ नहि चलैत अछि, से हमर शिष्य बनबाक योग्य नहि अछि। 39 जे केओ अपन जीवन सुरक्षित रखैत अछि, से ओकरा गमाओत, आ जे अपन जीवन हमरा लेल गमबैत अछि, से ओकरा सुरक्षित राखत। 40 “जे केओ अहाँ सभ केँ स्वीकार करैत अछि, से हमरा स्वीकार करैत अछि, आ जे हमरा स्वीकार करैत अछि, से तिनका स्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौने छथि। 41 जे केओ परमेश्वरक प्रवक्ता केँ एहि लेल स्वागत करत जे ओ व्यक्ति परमेश्वरक प्रवक्ता छथि, से प्रवक्ताक प्रतिफल पाओत; आ जे केओ धार्मिक व्यक्ति केँ एहि लेल स्वागत करत जे ओ धार्मिक व्यक्ति छथि, से धार्मिकक प्रतिफल पाओत। 42 जे केओ हमरा छोटो सँ छोट शिष्य सभ मे सँ ककरो एहि लेल एक लोटा ठण्ढा पानिओ पिआओत जे ओ हमर शिष्य अछि, हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, ओ अपना एहि सेवाक प्रतिफल अवश्य पाओत।”
1 यीशु अपन बारहो शिष्य केँ एहि तरहेँ आज्ञा सभ दऽ कऽ ओतऽ सँ चल गेलाह आ लग-पासक नगर सभ मे शिक्षा देबऽ लगलाह आ शुभ समाचार सुनाबऽ लगलाह। 2 जखन बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना जहल मे मसीहक काजक चर्चा सुनलनि तँ ओ अपन शिष्य सभ केँ यीशु लग ई पुछबाक लेल पठौलथिन जे, 3 “ओ जे आबऽ वला छलाह, से की अहीं छी वा हम सभ दोसराक बाट ताकू?” 4 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “जे किछु अहाँ सभ सुनैत छी आ देखैत छी, से सभ बात यूहन्ना केँ जा कऽ सुना दिऔन— 5 आन्हर सभ देखि रहल अछि, नाङड़ सभ चलि-फिरि रहल अछि, कुष्ठ-रोगी सभ स्वस्थ कयल जा रहल अछि, बहीर सभ सुनि रहल अछि, मुइल सभ जिआओल जा रहल अछि आ असहाय सभ केँ शुभ समाचार सुनाओल जा रहल छैक। 6 धन्य अछि ओ जे हमरा कारणेँ अपना विश्वास केँ नहि छोड़ैत अछि।” 7 यूहन्नाक शिष्य सभ जखन घूमि कऽ जा रहल छलाह तँ यीशु यूहन्नाक बारे मे भीड़क संग बात करैत पुछलथिन, “अहाँ सभ निर्जन क्षेत्र मे की देखबाक लेल गेल छलहुँ? हवा मे हिलैत खड़ही केँ? 8 तखन की देखऽ लेल निकलल छलहुँ? बढ़ियाँ-बढ़ियाँ वस्त्र पहिरने कोनो मनुष्य केँ? बढ़ियाँ वस्त्र पहिरऽ वला सभ तँ राजभवन मे भेटैत अछि। 9 तखन फेर, अहाँ सभ की देखबाक लेल गेल छलहुँ? की परमेश्वरक प्रवक्ता केँ? हँ, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे प्रवक्तो सँ पैघ व्यक्ति केँ देखलहुँ। 10 “ई वैह दूत छथि जिनका सम्बन्ध मे धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, प्रभु कहैत छथि, ‘देखू, अहाँ सँ पहिने हम अपन दूत पठायब, जे अहाँक आगाँ-आगाँ अहाँक बाट तैयार करत।’ 11 “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे मनुष्य सभ मे बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना सँ पैघ केओ कहियो जन्म नहि लेने अछि, तैयो स्वर्गक राज्य मे जे सभ सँ छोट अछि से हुनका सँ पैघ अछि। 12 यूहन्नाक समय सँ लऽ कऽ आइ धरि स्वर्गक राज्य जोर-तोड़ सँ आगाँ बढ़ि रहल अछि; लोक सभ रेड़म-रेड़ा कऽ कऽ स्वर्गक राज्य पर अधिकार कऽ रहल अछि। 13 किएक तँ परमेश्वरक सभ प्रवक्ता लोकनिक लेख आ धर्म-नियम सेहो यूहन्नाक समय धरि स्वर्गक राज्यक भविष्यवाणी कयने अछि। 14 आ जँ अहाँ सभ ई बात स्वीकार करबाक लेल तैयार छी, तँ सुनू, यूहन्ना ओ एलियाह छथि, जे फेर आबऽ वला छलाह। 15 जकरा कान छैक, से सुनओ। 16 “हम एहि पीढ़ीक लोकक तुलना कोन बात सँ करू? ई सभ तँ चौक-चौराहा पर खेलनिहार बच्चा सभ जकाँ अछि, जे एक-दोसर केँ सोर पारि कऽ कहैत अछि जे, 17 ‘हम सभ तँ तोरा सभक लेल बाँसुरी बजौलिऔ, मुदा तोँ सभ नचलें नहि। हम सभ विलाप कयलिऔ, मुदा तोँ सभ छाती पिटलें नहि।’ 18 “यूहन्ना लोक सभ जकाँ खाइत-पिबैत नहि अयलाह तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ओकरा मे दुष्टात्मा छैक। 19 मनुष्य-पुत्र खाइत-पिबैत आयल तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ‘यैह देखू, पेटू आ पिअक्कड़, कर असूल करऽ वला और पापी सभक संगी!’ मुदा परमेश्वरक बुद्धि ठीक अछि, से बात ओहि बुद्धिक काजे सभ सँ प्रमाणित होइत अछि।” 20 तकरबाद यीशु ओहि नगर सभ केँ, जाहि मे ओ सभ सँ बेसी चमत्कार वला काज सभ कयने छलाह, तकरा सभ केँ धिक्कारऽ लगलथिन, कारण, ओहि नगरक निवासी सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन नहि कयने छल। 21 “है खुराजीन नगर, तोरा धिक्कार छौक! है बेतसैदा नगर, तोरा धिक्कार छौक! किएक तँ जे चमत्कार सभ तोरा सभक बीच कयल गेल, से जँ सूर आ सीदोन नगर मे कयल गेल रहैत तँ ओ सभ बहुत पहिनहि चट्टी ओढ़ि छाउर पर बैसि कऽ हृदय-परिवर्तन कऽ लेने रहैत। 22 हम तोरा सभ केँ कहैत छिऔक जे, न्यायक दिन मे तोरा सभक अपेक्षा सूर आ सीदोन नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 23 आ तोँ, है कफरनहूम नगर! की तोँ स्वर्ग तक उठाओल जयबेँ? नहि, तोँ तँ पाताल मे खसाओल जयबेँ। कारण, जे चमत्कार सभ तोरा सभक बीच कयल गेल, से जँ सदोम नगर मे कयल गेल रहैत तँ ओ आइ धरि कायम रहैत। 24 तैयो हम तोरा कहैत छिऔक जे न्यायक दिन मे तोहर दशाक अपेक्षा सदोमक दशा सहबा जोगरक रहतैक।” 25 यीशु ओही समय मे कहलनि, “हे पिता, स्वर्ग आ पृथ्वीक मालिक, हम अहाँ केँ एहि लेल धन्यवाद दैत छी जे अहाँ ई बात सभ बुद्धिमान और विद्वान सभ सँ नुका कऽ रखलहुँ, मुदा बच्चा सभ पर प्रगट कयलहुँ। 26 हँ पिता, कारण, अहाँ केँ एही बात सँ प्रसन्नता भेल। 27 “हमरा पिता द्वारा सभ किछु हमरा हाथ मे सौंपल गेल अछि। पिता केँ छोड़ि पुत्र केँ आओर केओ नहि चिन्हैत अछि, आ तहिना पुत्र केँ छोड़ि पिता केँ आओर केओ नहि चिन्हैत छनि; हँ, मात्र पुत्र और जकरा सभ पर पुत्र हुनका प्रगट करऽ चाहय, से चिन्हैत छनि। 28 “हे थाकल आ बोझ सँ पिचायल लोक सभ, हमरा लग आउ। हम अहाँ सभ केँ विश्राम देब। 29 हमर जुआ अपना उपर उठा लिअ आ हमरा सँ सिखू, किएक तँ हम स्वभाव सँ नम्र आ दयालु छी। अहाँ सभ अपना आत्माक लेल विश्राम पायब। 30 कारण, हमर जुआ आसान अछि आ हमर भार हल्लुक।”
1 करीब ओही समय मे यीशु विश्राम-दिन कऽ अपन शिष्य सभक संग खेत दऽ कऽ जा रहल छलाह। हुनका शिष्य सभ केँ भूख लगलनि तँ ओ सभ अन्नक बालि तोड़ि-तोड़ि कऽ खाय लगलाह। 2 ई देखि फरिसी सभ यीशु केँ कहलथिन, “देखू, अहाँक शिष्य सभ ओ काज कऽ रहल अछि जे विश्राम-दिन मे करब धर्म-नियमक अनुसार मना अछि।” 3 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ नहि पढ़ने छी जे दाऊद आ हुनकर संगी सभ जखन भुखायल छलाह तँ ओ की कयलनि? 4 ओ परमेश्वरक भवन मे प्रवेश कयलनि आ अपना संगी सभक संग परमेश्वर केँ चढ़ाओल रोटी खयलनि, जकरा खायब हुनका सभक लेल मना छल, कारण खयबाक अधिकार मात्र पुरोहिते केँ छलनि। 5 अथवा की अहाँ सभ धर्म-नियम मे नहि पढ़ने छी जे पुरोहित मन्दिर मे विश्राम-दिन कऽ मन्दिरक काज सभ कऽ कऽ विश्राम-दिनक आज्ञा केँ तोड़ैत छथि आ तैयो निर्दोष रहैत छथि? 6 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे एतऽ केओ एहन अछि जे मन्दिरो सँ पैघ अछि। 7 की अहाँ सभ धर्मशास्त्र मे लिखल परमेश्वरक बात नहि बुझैत छी जतऽ कहैत छथि जे, ‘हम अहाँ सभक द्वारा अर्पित चढ़ौना वा बलि-प्रदान नहि चाहैत छी, बल्कि अहाँ सभ दयालु बनू, से चाहैत छी।’ ? ई जँ बुझितहुँ तँ निर्दोष केँ दोषी नहि कहने रहितहुँ। 8 किएक तँ मनुष्य-पुत्र विश्रामो-दिनक मालिक छथि।” 9 ओतऽ सँ आगाँ बढ़ि यीशु हुनका सभक सभाघर मे गेलाह। 10 ओहिठाम एक व्यक्ति छल, जकर एकटा हाथ सुखायल छलैक। फरिसी सभ यीशु पर दोष लगयबाक उद्देश्य राखि हुनका सँ प्रश्न कयलनि जे, “की विश्राम-दिन मे रोगी केँ स्वस्थ करब धर्म-नियमक अनुसार उचित अछि?” 11 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ मे एहन के छी, जकरा लग एकटा भेँड़ा होइक आ ओ विश्राम-दिन कऽ जँ खधिया मे खसि पड़ैक तँ ओकरा पकड़ि कऽ बाहर नहि निकालब? 12 आ भेँड़ा सँ मनुष्य कतेक मूल्यवान अछि! तेँ विश्राम-दिन मे भलाइक काज करब उचित अछि।” 13 तकरबाद यीशु ओहि व्यक्ति केँ कहलथिन, “अपन हाथ बढ़ाबह।” ओ हाथ बढ़ौलक आ ओकर हाथ दोसर हाथ जकाँ एकदम ठीक भऽ गेलैक। 14 एहि पर फरिसी सभ बाहर चल गेलाह आ यीशु केँ कोना मारल जाय, तकर षड्यन्त्र रचऽ लगलाह। 15 मुदा यीशु से बात बुझि ओतऽ सँ चल गेलाह। बहुतो लोक हुनका पाछाँ भऽ गेलनि आ यीशु सभ रोगी केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 16 ओ ओकरा सभ केँ कड़गर आदेश देलथिन जे, “हमरा बारे मे प्रचार नहि करिहह।” 17 ई एहि लेल भेल जे परमेश्वरक ई वचन पूर्ण होअय जे ओ अपन प्रवक्ता यशायाहक माध्यम सँ कहने छलाह— 18 “हमर सेवक केँ देखू, जिनका हम चुनने छी, हमरा लेल अति प्रिय, जिनका सँ हमर मोन प्रसन्न अछि। हम हुनका अपन आत्मा देबनि, आ ओ सभ जातिक लोकक लेल न्यायसंगत फैसला सुनौताह। 19 ने ओ कोनो तरहक विवाद करताह आ ने चिचिअयताह, आ ने हुनकर जोर सँ बजबाक आवाज रस्ता पर ककरो सुनाइ देतैक। 20 ओ थुरायल खड़ही केँ नहि तोड़ताह, आ ने झपलाइत दीप केँ मिझौताह, जाबत तक न्याय केँ विजयी नहि कऽ देताह। 21 पृथ्वीक सभ जातिक लोक हुनके पर आशा राखत।” 22 तखन लोक सभ दुष्टात्मा सँ ग्रसित एक आदमी केँ, जे आन्हर आ बौक छल, तकरा यीशु लग अनलकनि। यीशु ओकरा स्वस्थ कऽ देलथिन और ओ तखने बाजऽ आ देखऽ लागल। 23 एहि पर ओतऽ जमा भेल लोकक भीड़ आश्चर्यित भऽ कहऽ लागल जे, “कतौ ई दाऊदक पुत्र तँ नहि छथि?!” 24 मुदा फरिसी सभ जखन लोकक ई बात सुनलनि तँ ओ सभ कहऽ लगलाह, “ओ तँ मात्र दुष्टात्मा सभक मुखिया बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 25 यीशु हुनकर सभक मोनक विचार जानि कहलथिन, “जाहि राज्य मे फूट पड़ि जाय से नष्ट भऽ जायत, आ जाहि नगर वा घर मे फूट भऽ जाय से नहि टिकत। 26 जँ शैताने शैतान केँ निकालऽ लागत तँ मतलब भेल जे ओकरा मे फूट भऽ गेलैक, तखन ओकर राज्य कोना टिकल रहतैक? 27 ठीक अछि, जँ हम बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत छी तँ अहाँ सभक लोक ककरा शक्ति सँ निकालैत अछि? वैह सभ अहाँ सभक फैसला करत। 28 मुदा जँ हम परमेश्वरक आत्माक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत छी तँ परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक बीच आबि गेल अछि, से जानि लिअ। 29 “वा कोनो डकैत, बलगर आदमीक घर मे पैसि कऽ जाबत तक ओ ओकरा बान्हि कऽ काबू मे नहि कऽ लेत, की ताबत तक ओकर सम्पत्ति लुटि कऽ लऽ जा सकत? बान्हि कऽ काबू मे कयलाक बादे ओकरा लुटि सकैत अछि। 30 “जे केओ हमरा संग नहि अछि, से हमरा विरोध मे अछि। आ जे केओ हमरा संग जमा नहि करैत अछि, से छिड़िअबैत अछि। 31 तेँ हम अहाँ सभ केँ कहि दैत छी जे मनुष्यक सभ तरहक पाप आ निन्दाक बात क्षमा कयल जयतैक मुदा पवित्र आत्माक विरोध मे कयल निन्दाक बात क्षमा नहि कयल जयतैक। 32 मनुष्य-पुत्रक विरोध मे जँ केओ किछु बाजत, तँ ओकरा क्षमा कयल जयतैक। मुदा जँ केओ पवित्र आत्माक विरोध मे बाजत, तँ ओकरा ने एहि युग मे आ ने आबऽ वला युग मे क्षमा भेटतैक। 33 “कोनो गाछ केँ नीक बुझैत छी तँ ओकर फल केँ सेहो नीक बुझू, अथवा ओकरा खराब बुझैत छी तँ ओकर फल केँ सेहो खराब बुझू, किएक तँ गाछ अपन फले सँ चिन्हल जाइत अछि। 34 “है साँपक सन्तान सभ, अहाँ सभ दुष्ट भऽ नीक बात बाजि कोना सकैत छी? कारण, जे किछु ककरो हृदय मे भरल अछि, सैह मुँह सँ बहराइत छैक। 35 नीक मनुष्यक मोन मे नीके बातक भण्डार रहैत छैक आ ओ अपन भण्डार मे सँ नीक वस्तु सभ बाहर करैत अछि। अधलाह मनुष्यक मोन मे अधलाहे बातक भण्डार रहैत छैक आ ओ अपन भण्डार मे सँ अधलाह वस्तु सभ बाहर करैत अछि। 36 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, मनुष्य जे कोनो व्यर्थक बात बाजत, न्यायक दिन मे ओकरा तकर हिसाब देबऽ पड़तैक, 37 किएक तँ अहाँ अपन कहल बातक द्वारा निर्दोष और अपन कहल बातक द्वारा दोषी ठहराओल जायब।” 38 एहि पर किछु धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ यीशु केँ कहलथिन, “यौ गुरुजी, हम सभ अहाँ सँ कोनो चमत्कार वला चिन्ह देखऽ चाहैत छी।” 39 यीशु उत्तर देलथिन, “एहि पीढ़ीक लोक सभ कतेक दुष्ट आ विश्वासघाती अछि जे चमत्कारपूर्ण चिन्ह मँगैत अछि! मुदा जे घटना परमेश्वरक प्रवक्ता योनाक संग भेल छलनि, से चिन्ह छोड़ि एकरा सभ केँ आओर कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक। 40 जाहि तरहेँ योना तीन दिन आ तीन राति विशाल माछक पेट मे रहलाह, तहिना मनुष्य-पुत्र तीन दिन आ तीन राति पृथ्वीक पेट मे रहत। 41 निनवे नगरक लोक सभ न्यायक दिन मे एहि पीढ़ीक लोकक संग ठाढ़ भऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहराओत, किएक तँ निनवे नगरक लोक सभ योनाक प्रचारक बात सुनि अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलक, आ देखू, एतऽ एखन केओ एहन अछि जे योनो सँ महान् अछि। 42 न्यायक दिन मे दक्षिण देशक रानी एहि पीढ़ीक लोकक संग ठाढ़ भऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहरौतीह, किएक तँ ओ सुलेमान राजाक बुद्धिक बात सुनबाक लेल पृथ्वीक दोसर कात सँ अयलीह, आ देखू, एतऽ एखन केओ अछि जे सुलेमानो सँ महान् अछि। 43 “दुष्टात्मा जखन कोनो मनुष्य मे सँ बहरा जाइत अछि तँ ओ निर्जन-स्थान मे आराम करबाक स्थानक खोज मे घुमैत रहैत अछि, मुदा ओकरा भेटैत नहि छैक। 44 तखन ओ कहैत अछि जे, ‘हम अपन पहिलुके घर मे, जतऽ सँ बहरा कऽ आयल छलहुँ, ततहि फेर जायब।’ तँ ओ जखन ओहिठाम पहुँचैत अछि तँ देखैत अछि जे ओहि घर मे केओ नहि अछि, घर झाड़ल-बहारल अछि, आ सभ वस्तु ढंग सँ राखल अछि। 45 तखन ओ जा कऽ अपनो सँ दुष्टाह सातटा आरो दुष्टात्मा केँ अपना संग लऽ अनैत अछि आ ओहि घर मे अपन डेरा खसा लैत अछि। एहि तरहेँ ओहि मनुष्यक ई दशा पहिलुको दशा सँ खराब भऽ जाइत छैक। एहि भ्रष्ट पीढ़ीक लोकक संग सेहो तहिना होयतैक।” 46 यीशु लोकक भीड़ सँ बात करिते छलाह कि हुनकर माय आ भाय सभ ओतऽ पहुँचलाह आ हुनका सँ गप्प करबाक लेल बाहर ठाढ़ रहलाह। 47 केओ यीशु केँ कहलकनि जे, “देखू, अहाँक माय आ भाय सभ बाहर ठाढ़ छथि आ अहाँ सँ बात करऽ चाहैत छथि।” 48 यीशु ओकरा उत्तर देलथिन, “के छथि हमर माय? के सभ छथि हमर भाय?” 49 तखन अपना शिष्य सभक दिस हाथ सँ इसारा करैत कहलनि, “देखू, यैह सभ हमर माय आ हमर भाय सभ छथि। 50 जे केओ हमर पिता, जे स्वर्ग मे छथि, तिनकर इच्छाक अनुसार चलैत छथि, वैह हमर भाय, हमर बहिन, हमर माय छथि।”
1 ओही दिन यीशु घर सँ बहरा कऽ झीलक कछेर पर जा कऽ बैसलाह। 2 हुनका लग लोकक एतेक विशाल भीड़ आबि कऽ जमा भऽ गेल जे ओ नाव पर चढ़ि कऽ बैसलाह आ लोकक भीड़ झीलक कछेर पर ठाढ़ रहल। 3 यीशु विभिन्न तरहक दृष्टान्त सभक द्वारा लोक सभ केँ बहुतो बात सभ कहलथिन। ओ कहलथिन, “एक किसान बीया बाउग करबाक लेल गेल। 4 बीया बाउग करैत काल किछु बीया रस्ताक कात मे खसल आ चिड़ै सभ आबि ओकरा खा लेलकैक। 5 किछु बीया पथराह जमीन पर खसल जतऽ बेसी माटि नहि होयबाक कारणेँ ओ जल्दी जनमि गेल। 6 मुदा रौद लगिते ओ झरकि गेल आ जड़ि नहि पकड़ि सकबाक कारणेँ सुखा गेल। 7 फेर दोसर बीया काँट-कुशक बीच मे खसल मुदा काँट-कुश बढ़ि कऽ ओकरा दबा देलकैक। 8 किछु बीया नीक जमीन पर पड़ल आ फड़ल-फुलायल, कोनो सय गुना फसिल देलक, कोनो साठि गुना आ कोनो तीस गुना। 9 जकरा कान होइक, से सुनओ।” 10 यीशुक शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ पुछलथिन, “अहाँ लोक सभ सँ दृष्टान्त सभ मे किएक बात करैत छी?” 11 यीशु उत्तर देलथिन, “स्वर्गक राज्य जे अछि तकर रहस्यक ज्ञान तँ अहाँ सभ केँ देल गेल अछि, मुदा एकरा सभ केँ नहि देल गेल छैक। 12 तेँ जकरा छैक तकरा आओर देल जयतैक आ ओकरा लग बहुते भऽ जयतैक। मुदा जकरा नहि छैक तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक। 13 हम एकरा सभ सँ दृष्टान्त सभ मे एहि लेल बात करैत छी जे, ‘ई सभ तकितो देखैत नहि अछि; आ सुनितो ने सुनैत अछि आ ने बुझैत अछि।’ 14 एकरा सभ मे यशायाहक ई भविष्यवाणी पूरा होइत अछि जे, ‘तोँ सभ सुनैत तँ रहबह मुदा बुझबह नहि, तोँ सभ देखैत तँ रहबह मुदा देखाइ देतह नहि।’ 15 ‘कारण, एहि लोक सभक मोन मे ठेला पड़ि गेल छैक, ई सभ कान सँ उच्च सुनैत अछि, ई सभ अपन आँखि मुनि लेने अछि, जाहि सँ कतौ एना नहि होअय जे 2 आँखि सँ देखय, 2 कान सँ सुनय, 2 मोन सँ बुझय, 2 आ घूमि कऽ हमरा लग आबय, 2 आ हम ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ दिऐक।’ 16 “मुदा धन्य छी अहाँ सभ जे आँखि सँ देखैत छी आ कान सँ सुनैत छी। 17 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, अपना समय मे परमेश्वरक एहन बहुतो प्रवक्ता आ धार्मिक लोक सभ रहथि जे सभ चाहलनि जे, जाहि बात सभ केँ अहाँ सभ देखि रहल छी, तकरा देखी, मुदा नहि देखलनि; और जाहि बात सभ केँ अहाँ सभ सुनि रहल छी, से सुनी, मुदा नहि सुनलनि। 18 “आब अहाँ सभ बाउग कयनिहार वला दृष्टान्तक अर्थ सुनू। 19 जखन केओ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनैत अछि मुदा बुझैत नहि अछि, तखन शैतान आबि कऽ जे किछु ओकरा हृदय मे बाउग कयल गेल रहैत अछि से ओकरा सँ छिनि कऽ लऽ लैत अछि। ई वैह बीया भेल जे रस्ताक कात मे बाउग कयल गेल छल। 20 पथराह जमीन पर बाउग कयल बीया ओ व्यक्ति भेल जे परमेश्वरक शुभ समाचार सुनि कऽ तुरत आनन्दपूर्बक ओकरा ग्रहण कऽ लैत अछि, 21 मुदा ओ वचन ओकरा मे जड़ि नहि पकड़ैत छैक आ ओ कनेके काल स्थिर रहैत अछि। जखन शुभ समाचारक कारणेँ ओकरा कष्ट सहऽ पड़ैत छैक वा ओकरा संग अत्याचार होमऽ लगैत छैक तँ ओ तुरत विश्वास केँ छोड़ि दैत अछि। 22 काँट-कुशक बीच खसल बीया ओ मनुष्य भेल जे शुभ समाचार केँ सुनैत अछि मुदा सांसारिक चिन्ता आ धन-सम्पत्तिक मोह-माया ओहि शुभ समाचार केँ दबा दैत छैक और ओ वचन ओकरा जीवन मे कोनो फल नहि दैत अछि। 23 नीक जमीन मे बाउग कयल बीया ओ सभ अछि जे सभ शुभ समाचार सुनैत अछि और बुझैत अछि। ओ फड़ि-फुला कऽ फसिल दैत अछि, केओ सय गुना, केओ साठि गुना आ केओ तीस गुना।” 24 यीशु लोक सभक समक्ष दोसर दृष्टान्त रखलनि जे, “स्वर्गक राज्यक तुलना ओहि मनुष्य सँ कयल जा सकैत अछि जे अपना खेत मे नीक बीया बाउग कयलनि। 25 मुदा जखन सभ केओ सुति रहल छल तखन हुनकर दुश्मन अयलनि आ ओहि बाउग कयल गहुमक खेत मे जंगली बीया बाउग कऽ चल गेल। 26 जखन बाउग कयल गहुमक बीया जनमल आ ओहि मे बालि निकलल तखन जंगलिआ घास सेहो देखाइ देलक। 27 ई देखि नोकर सभ मालिक केँ कहलकनि, ‘मालिक, की अपने अपना खेत मे बढ़ियाँ बीया बाउग नहि कयने छलहुँ? तँ एहि मे जंगलिआ घास कतऽ सँ आबि गेल?’ 28 मालिक कहलथिन, ‘ई कोनो दुश्मनक काज अछि!’ नोकर सभ कहलकनि, ‘तँ की, ओकरा उखाड़ि दिऐक?’ 29 ओ कहलथिन, ‘नहि। कतौ एना नहि भऽ जाओ जे जंगलिआ घास उखाड़ैत काल तोँ सभ गहुमोक गाछ सभ केँ उखाड़ि दहक। 30 गहुम कटयबाक समय तक दूनू केँ संग-संग बढ़ऽ दहक। कटनी करयबाक समय मे हम कटनिहार सभ केँ कहबैक जे, पहिने जंगलिआ घासक गाछ सभ केँ जमा कऽ कऽ जरयबाक लेल बोझ बान्हि लैह, तखन गहुम केँ हमरा बखारी मे जमा करह।’” 31 यीशु लोक सभ केँ एक आओर दृष्टान्त दैत कहलथिन, “स्वर्गक राज्य सरिसोक दाना जकाँ अछि, जकरा केओ लेलक आ अपना खेत मे बाउग कऽ देलक। 32 दाना सभ मे सरिसोक दाना सभ सँ छोट होइत अछि मुदा जनमि कऽ बढ़लाक बाद सभ साग-पात सँ पैघ भऽ तेहन गाछ भऽ जाइत अछि जे आकाशक चिड़ै सभ आबि कऽ ओकरा ठाढ़ि-पात मे अपन खोंता बना लैत अछि।” 33 यीशु एकटा आओर दृष्टान्त ओकरा सभ केँ देलथिन— “स्वर्गक राज्य रोटी फुलाबऽ वला खमीर जकाँ अछि, जकरा एक स्त्री तीन पसेरी आँटा मे मिला कऽ सनलक; बाद मे खमीरक शक्ति सँ पूरा आँटा फुलि गेलैक।” 34 यीशु अपना लग जमा भेल लोकक भीड़ केँ ई सभ बात दृष्टान्त दऽ-दऽ कऽ कहलथिन। बिनु दृष्टान्त देने ओ ओकरा सभ केँ किछु नहि कहलथिन। 35 ओ एहि लेल एना बात कयलनि जे परमेश्वरक प्रवक्ता द्वारा कहल वचन पूरा होअय— “हम दृष्टान्त सभ दऽ-दऽ कऽ बाजब, सृष्टिक आरम्भ सँ जे बात सभ झाँपल छल से हम कहब।” 36 तकरबाद यीशु लोकक भीड़ केँ छोड़ि कऽ घर मे चल अयलाह। शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ कहलथिन, “खेत मे बाउग कयल जंगलिआ बीयाक दृष्टान्त वला बात केँ हमरा सभ केँ बुझा दिअ।” 37 ओ हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “नीक बीया बाउग कयनिहार छथि मनुष्य-पुत्र। 38 खेत अछि संसार, आ नीक बीया अछि परमेश्वरक राज्यक सन्तान सभ। जंगलिआ बीया अछि दुष्ट शैतानक सन्तान सभ। 39 जंगलिआ बीया बाउग करऽ वला दुश्मन अछि शैतान। कटनीक समय अछि संसारक अन्त आ कटनी कयनिहार सभ छथि स्वर्गदूत सभ। 40 “जाहि तरहेँ जंगलिआ घास केँ जमा कऽ कऽ आगि मे जराओल जाइत अछि तहिना संसारक अन्त मे सेहो कयल जायत। 41 मनुष्य-पुत्र अपना स्वर्गदूत सभ केँ पठौताह आ ओ सभ हुनका राज्य मे सँ सभ प्रकारक पाप मे फँसाबऽ वला बात सभ केँ उखाड़ि कऽ आ कुकर्मी सभ केँ जमा कऽ कऽ 42 आगिक भट्ठी मे फेकि देताह, जतऽ लोक कानत आ दाँत कटकटाओत। 43 तखन धर्मी सभ अपना पिताक राज्य मे सूर्य जकाँ चमकताह। जकरा कान होइक, से सुनओ। 44 “स्वर्गक राज्य खेत मे गाड़ल धन जकाँ अछि, जकरा कोनो मनुष्य पौलक आ फेर माटि सँ झाँपि देलक। ओ एतेक खुश भेल जे ओ अपन सभ धन-सम्पत्ति बेचि कऽ ओहि खेत केँ किनि लेलक। 45 “फेर, स्वर्गक राज्य ओहि व्यापारी सन अछि जे नीक मोतीक खोज मे छल। 46 जखन ओकरा एक बहुत बहुमूल्य मोती भेटलैक तँ जा कऽ अपन सभ किछु बेचि देलक आ ओहि मोती केँ किनि लेलक। 47 “फेर दोसर दृष्टिएँ स्वर्गक राज्य ओहि महाजाल सन अछि जे समुद्र मे खसाओल गेल आ सभ प्रकारक माछ ओहि मे घेरायल। 48 जखन जाल भरि गेल तँ लोक सभ ओकरा कछेर पर अनलक आ बैसि कऽ नीक माछ सभ केँ डाली मे जमा कयलक मुदा खराब माछ सभ केँ फेकि देलक। 49 एहि संसारक अन्त मे सेहो एहिना होयतैक। स्वर्गदूत सभ आबि कऽ दुष्ट सभ केँ धर्मी सभ सँ अलग करताह 50 आ आगिक भट्ठी मे फेकि देताह, जतऽ लोक कानत आ दाँत कटकटाओत।” 51 तखन यीशु शिष्य सभ सँ पुछलथिन, “की अहाँ सभ ई बात सभ बुझलहुँ?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “हँ।” 52 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “तेँ प्रत्येक व्यक्ति जे धर्मशास्त्र केँ बुझैत अछि आ जे स्वर्गक राज्यक शिष्य बनल अछि, से ओहि गृहस्थ जकाँ अछि जे अपन भण्डार घर मे सँ नव आ पुरान दूनू तरहक किमती वस्तु सभ निकालि सकैत अछि।” 53 यीशु ई दृष्टान्त सभ देलाक बाद ओतऽ सँ चल गेलाह। 54 ओ अपना गाम मे आबि कऽ सभाघर मे लोक सभ केँ उपदेश देबऽ लगलाह। लोक सभ हुनकर उपदेशक बात सभ सुनि आश्चर्यित भऽ गेल आ बाजल जे, “एकरा एहि तरहक बुद्धि आ चमत्कार करबाक सामर्थ्य कतऽ सँ भेटलैक? 55 की ई लकड़ी मिस्तिरीक बेटा नहि अछि? की एकर मायक नाम मरियम नहि छैक? आ एकर भाय सभ याकूब, यूसुफ, सिमोन, आ यहूदा नहि अछि? 56 की एकर बहिन सभ अपना सभक बीच नहि रहैत अछि? तखन एकरा ई बात सभ भेटलैक कतऽ सँ?” 57 एहि तरहेँ लोक यीशु सँ डाह करऽ लागल। तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “मात्र अपने गाम आ अपने घर मे परमेश्वरक प्रवक्ताक अनादर होइत छैक।” 58 और ओकरा सभक अविश्वासक कारणेँ यीशु ओतऽ बहुत कम चमत्कार वला काज सभ कयलनि।
1 ओहि समय मे ओहि प्रदेशक शासक हेरोद यीशुक काज सभक चर्चा सुनलनि। 2 ओ अपन दरबारी सभ केँ कहलनि, “ई तँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना अछि! ओ मुइल सभ मे सँ जीबि उठल अछि, आ तेँ चमत्कार करबाक एहन सामर्थ्य ओकरा मे क्रियाशील अछि।” 3 यूहन्ना हेरोद द्वारा कोना मरबाओल गेल छलाह से घटना एहि प्रकारेँ अछि—हेरोद अपन भाय फिलिपुसक स्त्री हेरोदियासक कारणेँ यूहन्ना केँ पकड़बा कऽ बन्हबौने छलथिन आ जहल मे राखि देने छलथिन, 4 किएक तँ यूहन्ना हेरोद केँ बेर-बेर कहने छलथिन जे, “अहाँ भायक स्त्री केँ राखि कऽ धर्म-नियमक आज्ञाक उल्लंघन कऽ रहल छी।” 5 हेरोद यूहन्ना केँ मारि देबऽ चाहैत छलाह, मुदा ओ लोक सभ सँ डेराइत छलाह, किएक तँ लोक सभ यूहन्ना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत छलनि। 6 मुदा जखन हेरोदक जन्म-दिन अयलनि तँ हेरोदियासक बेटी अतिथि सभक सामने नाँचि कऽ हेरोद केँ ततेक ने प्रसन्न कऽ देलकनि 7 जे ओ सपत खाइत ओकरा वचन देलथिन जे, “तोँ जे किछु हमरा सँ मँगबह, से हम तोरा देबह।” 8 बच्चीक माय ओकरा सिखा-पढ़ा कऽ कहबौलकैक जे, “हमरा बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक मूड़ी एखने थारी मे अनबा दिअ।” 9 ई सुनि राजा उदास भऽ गेलाह, मुदा तैयो अपन सपत आ उपस्थित आमन्त्रित सभक कारणेँ ओ आज्ञा देलनि जे ओकर माँग पूरा कयल जाय। 10 ओ सिपाही केँ पठा कऽ जहल मे यूहन्नाक मूड़ी कटबा देलथिन। 11 यूहन्नाक मूड़ी एकटा थारी मे आनल गेल आ बच्ची केँ दऽ देल गेलैक। ओ लऽ कऽ चलि गेल और अपना माय केँ दऽ देलकैक। 12 यूहन्नाक शिष्य सभ अयलाह आ अपन गुरुक लास लऽ जा कऽ कबर मे राखि देलथिन। तकरबाद जा कऽ ई समाचार यीशु केँ सुनौलथिन। 13 यीशु ई समाचार सुनि एकटा नाव पर बैसि कऽ चुप-चाप कोनो एकान्त स्थानक लेल विदा भऽ गेलाह। लोक सभ जखन ई बात बुझलक तँ नगर-नगर सँ बहुतो लोक पैदले हुनका पाछाँ विदा भऽ गेल। 14 यीशु जखन नाव सँ उतरलाह आ लोकक बड़का भीड़ केँ जमा देखलनि तँ हुनका ओहि लोक सभ पर दया आबि गेलनि और ओकरा सभ मे जे रोगी-बिमार सभ छलैक तकरा सभ केँ ओ स्वस्थ कऽ देलथिन। 15 जखन साँझ पड़ऽ लागल तँ यीशुक शिष्य सभ हुनका लग आबि कहलथिन, “ई जगह बस्ती सँ दूर अछि आ साँझ पड़ऽ वला अछि, तेँ एकरा सभ केँ विदा कऽ दिऔक जाहि सँ ई सभ लग-पासक गाम सभ मे जा कऽ अपना लेल किछु खयबाक वस्तु किनि सकत।” 16 मुदा यीशु शिष्य सभ केँ उत्तर देलथिन, “एकरा सभ केँ एतऽ सँ पठयबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि। अहीं सभ एकरा सभ केँ भोजन करबिऔक।” 17 शिष्य सभ कहलथिन, “हमरा सभ लग, बस, पाँचेटा रोटी आ दुइएटा माछ अछि।” 18 यीशु कहलथिन, “ओ सभ हमरा लग आनू।” 19 तकरबाद ओ लोक सभ केँ घास पर बैसि जयबाक आज्ञा देलथिन। ओहि पाँचटा रोटी आ दूटा माछ केँ ओ हाथ मे लेलनि और स्वर्ग दिस तकैत परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। तखन ओ रोटी केँ तोड़ि-तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ शिष्य सभ लोक सभ मे परसि देलनि। 20 सभ केओ भरि इच्छा भोजन कयलक और शिष्य सभ जखन उबरल टुकड़ा सभ बिछलनि तँ ओ बारह पथिया भेल। 21 भोजन करऽ वला मे स्त्रीगण आ बच्चा सभ केँ छोड़ि पुरुषक संख्या लगभग पाँच हजार छल। 22 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ तुरत नाव पर चढ़ि कऽ अपना सँ पहिने झीलक ओहि पार चल जयबाक लेल आज्ञा देलथिन आ अपने ओतहि रहि कऽ भीड़क लोक सभ केँ विदा करऽ लगलाह। 23 लोक सभ केँ विदा कयलाक बाद ओ एकान्त मे प्रार्थना करऽ लेल पहाड़ पर चल गेलाह। साँझ पड़ि गेल छल आ ओ ओतऽ एसगरे छलाह। 24 शिष्य सभ जाहि नाव पर गेल छलाह से कछेर सँ दूर पहुँचि लहरि मे डगमग कऽ रहल छल, किएक तँ हवा विपरीत दिस सँ बहि रहल छलैक। 25 यीशु रातिक चारिम पहर मे झीलक पानि पर चलैत शिष्य सभक दिस गेलाह। 26 मुदा शिष्य सभ हुनका पानि पर चलैत देखि घबड़ा गेलाह आ कहलनि जे, “भूत अछि!” और डरक मारे चिचियाय लगलाह। 27 एहि पर यीशु हुनका सभ केँ तुरत कहलथिन, “साहस राखू! हम छी, नहि डेराउ।” 28 तखन पत्रुस हुनका कहलथिन, “यौ प्रभु, जँ अहीं छी तँ हमरा पानि पर चलैत अपना लग अयबाक आज्ञा दिअ।” 29 यीशु कहलथिन, “आउ।” तखन पत्रुस नाव सँ उतरि कऽ पानि पर चलैत यीशुक दिस बढ़लाह। 30 मुदा जखन देखलनि जे हवा कतेक जोर सँ बहि रहल अछि तँ डेरा गेलाह आ डुबऽ लगलाह। ओ चिचियाइत बजलाह जे, “यौ प्रभु, हमरा बचाउ!” 31 यीशु तुरत हाथ बढ़ा कऽ हुनका पकड़ि लेलथिन आ कहलथिन, “अहाँक विश्वास एतेक कम किएक भऽ गेल! अहाँ सन्देह किएक कयलहुँ?” 32 तकरबाद जखन ओ सभ नाव पर चढ़ि गेलाह तँ हवाक बहनाइ शान्त भऽ गेल। 33 जे सभ नाव पर छलाह, से सभ हुनका पयर पर खसैत कहलथिन, “निश्चय अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी।” 34 झील केँ पार कऽ कऽ ओ सभ गन्नेसरत क्षेत्र मे पहुँचलाह। 35 ओहिठामक लोक सभ जखन हुनका चिन्हि लेलकनि तँ अपना लग-पासक इलाका मे यीशुक पहुँचबाक समाचार पसारि देलक। लोक सभ अपन सभ रोगी-बिमार केँ हुनका लग आनऽ लगलनि 36 और हुनका सँ नेहोरा करऽ लगलनि जे, “एकरा सभ केँ अहाँ अपन कपड़ाक खूटो छुबऽ दिऔक।” जे-जे रोगी-बिमार सभ यीशुक कपड़ा छुबि लेलक से सभ स्वस्थ भऽ गेल।
1 तकरबाद यरूशलेम सँ किछु फरिसी आओर धर्मशिक्षक सभ यीशु लग अयलाह आ कहलथिन, 2 “अहाँक शिष्य सभ पुरखाक चलन सभ केँ किएक तोड़ैत अछि? ओ सभ भोजन करऽ सँ पहिने विधिवत हाथ नहि धोइत अछि।” 3 यीशु उत्तर देलथिन, “और अहाँ सभ अपन चलन सभक पालन करबाक लेल परमेश्वरक आज्ञा केँ किएक तोड़ैत छी? 4 देखू, परमेश्वर कहने छथि जे, ‘अपन माय-बाबूक आदर करह,’ आ ‘जे केओ अपन माय-बाबूक निन्दा करय तकरा मृत्युदण्ड देल जाय।’ 5 मुदा अहाँ सभ कहैत छी जे, जँ केओ अपन बाबू वा माय सँ कहत, ‘हम अहाँ सभ केँ जे किछु सहायता कऽ सकैत छलहुँ से हम परमेश्वर केँ अर्पण कऽ देने छी,’ 6 तँ ओकरा अपन माय-बाबूक सहायता कऽ कऽ आदर करबाक कोनो आवश्यकता नहि छैक। एहि तरहेँ अहाँ सभ अपन चलन केँ चलयबाक लेल परमेश्वरक आज्ञा केँ निरर्थक ठहरबैत छी। 7 हे पाखण्डी सभ! यशायाह अहाँ सभक सम्बन्ध मे एकदम ठीक भविष्यवाणी कयलनि जे, 8 ‘ई सभ मुँह सँ हमर आदर करैत अछि, मुदा एकर सभक हृदय हमरा सँ दूर छैक। 9 ई सभ बेकार हमर उपासना करैत अछि। ई सभ जे शिक्षा दैत अछि, से मात्र मनुष्यक बनाओल नियम सभ अछि।’” 10 यीशु भीड़क लोक केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ सुनू आ बुझू। 11 जे कोनो वस्तु मुँह मे जाइत अछि, से मनुष्य केँ अशुद्ध नहि करैत अछि, बल्कि जे मुँह सँ बहराइत अछि से ओकरा अशुद्ध करैत अछि।” 12 एहि पर हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कहलथिन, “अहाँ जे कहलहुँ से फरिसी सभ केँ बड्ड खराब लगलनि, से अहाँ केँ बुझल अछि?” 13 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “प्रत्येक गाछ जे हमर स्वर्गीय पिता नहि लगौने छथि, से जड़ि सँ उखाड़ल जायत। 14 छोड़ू ओकर सभक बात! ओ सभ तँ अपने आन्हर अछि आ आन्हर सभ केँ बाट देखबैत अछि। आन्हरे जँ आन्हर केँ बाट देखाओत तँ दूनू अवश्य खधिया मे खसत।” 15 एहि पर पत्रुस कहलथिन, “एहि दृष्टान्तक अर्थ हमरा सभ केँ बुझा दिअ।” 16 यीशु कहलथिन, “की अहूँ सभ एखन तक नहि बुझलहुँ? 17 की अहाँ सभ नहि बुझैत छी जे, जे किछु मुँह मे जाइत अछि से पेट मे जा कऽ देह सँ बाहर भऽ जाइत अछि? 18 मुदा जे बात मुँह सँ बहराइत अछि से हृदय सँ निकलि कऽ अबैत अछि आ से मनुष्य केँ अशुद्ध बनबैत अछि। 19 कारण, हृदय सँ निकलैत अछि विभिन्न तरहक गलत विचार, हत्या, परस्त्रीगमन, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध, चोरी, झूठ गवाही, निन्दाक बात, 20 आ यैह बात सभ मनुष्य केँ अशुद्ध करैत अछि, नहि कि बिनु हाथ धोने भोजन करब, से।” 21 ओतऽ सँ आगाँ बढ़ि यीशु सूर आ सीदोन नगरक इलाका मे गेलाह। 22 ओहिठामक एक कनानी स्त्री हुनका लग आबि चिचियाय लगलनि जे, “हे प्रभु, दाऊदक पुत्र, हमरा पर दया करू! हमरा बेटी केँ दुष्टात्मा लागल छै। ओ ओकरा बड्ड कष्ट दैत छैक।” 23 मुदा यीशु ओकरा कोनो उत्तर नहि देलथिन। तखन हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ विनती कयलथिन जे, “एकरा विदा कऽ दिऔक, ई तँ चिचियाइत-चिचियाइत अपना सभक पाछाँ लागल अछि।” 24 यीशु कहलथिन, “हम तँ मात्र इस्राएल वंशक हेरायल भेँड़ा सभक लेल पठाओल गेल छी।” 25 मुदा ओ स्त्री यीशु लग आबि हुनका पयर पर खसि पड़लनि आ कहलकनि, “प्रभु, हमरा पर दया करू!” 26 ओ उत्तर देलथिन, “बच्चा सभक लेल जे रोटी अछि तकरा कुकुरक आगाँ फेकि देब से ठीक बात नहि।” 27 एहि पर स्त्री बाजल, “ठीक कहैत छी प्रभु, मुदा कुकुरो सभ तँ मालिकक टेबुल सँ खसल चुर-चार खाइते अछि।” 28 तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “हे दाइ, तोहर विश्वास बड्ड पैघ छह! जहिना तोँ चाहैत छह, तहिना तोरा लेल होअह।” ओकर बच्ची तखने स्वस्थ भऽ गेलैक। 29 यीशु ओतऽ सँ विदा भऽ कऽ गलील झीलक काते-कात चललाह। तखन एक पहाड़ पर चढ़ि कऽ बैसि रहलाह। 30 झुण्डक-झुण्ड लोक हुनका लग अयलनि। ओ सभ अपना संग लुल्ह, आन्हर, नाङड़, बौक और बहुतो दोसर तरहक बिमार लोक सभ केँ लऽ कऽ आयल आ यीशुक चरण मे राखि देलकनि। यीशु ओहि सभ बिमार केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 31 जमा भेल लोक सभ जखन देखलक जे बौक सभ बाजि रहल अछि, लुल्ह सभ स्वस्थ भऽ गेल अछि, नाङड़ सभ चलि रहल अछि आ आन्हर सभ देखि रहल अछि तखन ओ सभ आश्चर्यित भऽ इस्राएलक परमेश्वर केँ स्तुति करऽ लगलनि। 32 यीशु अपन शिष्य सभ केँ बजा कऽ कहलथिन, “हमरा एहि लोक सभ पर दया अबैत अछि। ई सभ तीन दिन सँ हमरा संग अछि आ एकरा सभ लग भोजन करबाक लेल किछु नहि छैक। हम एकरा सभ केँ भूखले घर नहि पठाबऽ चाहैत छी। कतौ एना नहि भऽ जाइक जे ई सभ रस्ते मे भूखक मारे मुर्छित भऽ जाय।” 33 शिष्य सभ कहलथिन, “एहि निर्जन स्थान मे अपना सभ केँ एतेक भोजनक वस्तु कतऽ सँ भेटत जे अपना सभ एतेकटा भीड़ केँ भोजन करा सकबैक?” 34 यीशु हुनका सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभ लग कयटा रोटी अछि?” ओ सभ कहलथिन, “सातटा, आ किछु छोटकी माछ।” 35 यीशु लोक सभ केँ जमीन पर बैसि जयबाक लेल आदेश देलथिन। 36 तकरबाद यीशु ओ सातो रोटी आ माछ सभ लऽ कऽ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि, तखन तोड़ि-तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ परसबाक लेल देलथिन। शिष्य सभ ओकरा लोक सभ मे बाँटि देलथिन। 37 सभ केओ भरि पेट भोजन कयलक। भोजनक बाद शिष्य सभ उबरल टुकड़ा सभ सात टोकरी मे भरि कऽ जमा कयलनि। 38 भोजन करऽ वला लोक मे स्त्रीगण आ बच्चा सभ केँ छोड़ि पुरुषक संख्या चारि हजार छल। 39 भोजन करौलाक बाद लोकक भीड़ केँ विदा कऽ कऽ यीशु नाव पर चढ़ि कऽ मगदन क्षेत्र चल गेलाह।
1 फरिसी आ सदुकी सभ यीशु लग आबि कऽ आग्रह कयलथिन जे, “हमरा सभ केँ स्वर्ग सँ कोनो चमत्कार वला चिन्ह देखाउ।” ई बात ओ सभ हुनका जाँच करबाक लेल कहलथिन। 2 ताहि पर यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “साँझ पड़ला पर आकाश केँ लाल देखि अहाँ सभ कहैत छी, ‘काल्हिक मौसम नीक रहत,’ 3 और भोरखन कऽ आकाश केँ लाल आ झँपौन सन देखि कहैत छी जे, ‘आइ अन्हड़-बिहारि आओत।’ अहाँ सभ आकाश मे मौसमक लक्षण केँ चिन्हऽ जनैत छी, मुदा आइ-काल्हिक समय मे अहाँ सभक सामने की भऽ रहल अछि, से कोन बातक लक्षण अछि, तकरा नहि चिन्हैत छी। 4 एहि पीढ़ीक लोक सभ कतेक दुष्ट आ विश्वासघाती अछि जे चमत्कार वला चिन्ह मँगैत अछि! मुदा जे घटना परमेश्वरक प्रवक्ता योनाक संग भेल छलनि, से चिन्ह छोड़ि एकरा सभ केँ आओर कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक।” एतेक बात कहि यीशु हुनका सभ केँ छोड़ि कऽ आगाँ बढ़ि गेलाह। 5 यीशुक शिष्य सभ जखन झील केँ पार कयलनि, तँ ओ सभ रोटी अननाइ बिसरि गेल छलाह। 6 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “सावधान, फरिसी आ सदुकी सभक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ होसियार रहू।” 7 शिष्य सभ एक-दोसर सँ बात करऽ लगलाह जे, “अपना सभ रोटी आनब बिसरि गेलहुँ, तेँ एना कहि रहल छथि।” 8 यीशु हुनकर सभक बात बुझि कहलथिन, “अहाँ सभक विश्वास एतेक कमजोर किएक अछि? अहाँ सभ आपस मे एहि पर बात किएक कऽ रहल छी जे अपना सभ लग रोटी नहि अछि? 9 की अहाँ सभ एखनो नहि बुझैत छी? की ओ पाँच हजार लोक आ पाँच रोटी वला बात, और ओहि दिन अहाँ सभ उबरल टुकड़ा कतेक पथिया जमा कऽ कऽ उठौने छलहुँ, से अहाँ सभ केँ स्मरण नहि अछि? 10 वा चारि हजार लोकक लेल ओ सातटा रोटी, आ कतेक टोकरी जमा कयलहुँ, से? 11 अहाँ सभ हमर एहि बात केँ बुझि किएक नहि रहल छी जे, ‘फरिसी आ सदुकी सभक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ होसियार रहू,’ से बात हम रोटीक सम्बन्ध मे नहि कहने छलहुँ?” 12 तखन शिष्य सभ केँ बुझऽ मे अयलनि जे यीशु रोटी फुलयबाक लेल प्रयोग होमऽ वला खमीरक सम्बन्ध मे नहि, बल्कि फरिसी आ सदुकी सभक शिक्षा सँ होसियार रहबाक लेल कहने छलाह। 13 कैसरिया-फिलिप्पी क्षेत्र मे आबि कऽ यीशु अपना शिष्य सभ केँ पुछलथिन, “मनुष्य-पुत्र के अछि, एहि सम्बन्ध मे लोक सभ की कहैत अछि?” 14 ओ सभ उत्तर देलथिन, “किछु लोक कहैत अछि जे अहाँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना छी, किछु लोक जे एलियाह छी, दोसर लोक सभ जे यर्मियाह वा प्राचीन कालक परमेश्वरक प्रवक्ता सभ मे सँ आओर केओ छी, से कहैत अछि।” 15 यीशु शिष्य सभ सँ पुछलथिन, “आ अहाँ सभ? अहाँ सभ की कहैत छी जे हम के छी?” 16 सिमोन पत्रुस उत्तर देलथिन, “अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी, जीवित परमेश्वरक पुत्र छी।” 17 यीशु हुनका कहलथिन, “हे सिमोन, योनाक पुत्र, अहाँ धन्य छी! कारण, एहि बातक ज्ञान अहाँ केँ कोनो मनुष्य सँ नहि, बल्कि हमर पिता जे स्वर्ग मे छथि, तिनका सँ भेटल। 18 हम अहाँ केँ कहैत छी जे, अहाँ ‘पत्रुस’ छी। हम एहि चट्टान पर अपन मण्डलीक स्थापना करब आ मृत्युक सामर्थ्य एहि पर विजयी नहि होयत। 19 हम अहाँ केँ स्वर्गक राज्यक कुंजी देब। जे किछु अहाँ पृथ्वी पर बान्हब से स्वर्ग मे बान्हल गेल रहत आ जे किछु अहाँ पृथ्वी पर खोलब से स्वर्ग मे खोलल गेल रहत।” 20 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन जे, “ई बात ककरो नहि कहिऔक जे हम उद्धारकर्ता-मसीह छी।” 21 ओही दिन सँ यीशु अपना शिष्य सभ केँ स्पष्ट जानकारी देबऽ लगलथिन जे, “ई आवश्यक अछि जे हम यरूशलेम जाइ, ओतऽ बूढ़-प्रतिष्ठित, मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभ सँ हमरा बहुत कष्ट देल जाय, हम जान सँ मारल जाइ, आ तेसर दिन हम फेर जिआओल जाइ।” 22 ई बात सुनि पत्रुस हुनका अलग बजा कऽ डँटैत कहलथिन, “यौ प्रभु, परमेश्वर एना नहि करथि! अहाँक संग एहन बात कहियो नहि होयत!” 23 ताहि पर यीशु पत्रुस केँ कहलथिन, “है शैतान, तोँ हमरा सोझाँ सँ दूर होअह! हमरा लेल तोँ ठेस लगबाक कारण छह। तोँ परमेश्वरक विचार नहि, बल्कि मनुष्यक विचार मोन मे रखैत छह।” 24 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “जँ केओ हमर शिष्य बनऽ चाहैत अछि, तँ ओ अपना केँ त्यागि हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार रहओ आ हमरा पाछाँ चलओ। 25 कारण, जे केओ अपन जीवन बचाबऽ चाहैत अछि, से ओकरा गमाओत, मुदा जे केओ हमरा लेल अपन जीवन गमबैत अछि, से ओकरा पाओत। 26 जँ कोनो मनुष्य सम्पूर्ण संसार केँ पाबि लय और अपन आत्मा गमा लय, तँ ओकरा की लाभ भेलैक? अथवा मनुष्य अपन आत्माक बदला मे की दऽ सकत? 27 किएक तँ मनुष्य-पुत्र अपन स्वर्गदूत सभक संग अपना पिताक महिमा मे आओत, तखन ओ प्रत्येक मनुष्य केँ ओकर काजक अनुसार प्रतिफल देतैक। 28 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, एतऽ किछु एहनो लोक सभ ठाढ़ अछि जे जाबत तक मनुष्य-पुत्र केँ अपना राज्य मे अबैत नहि देखि लेत ताबत तक नहि मरत।”
1 छओ दिनक बाद यीशु अपना संग पत्रुस, याकूब आ हुनकर भाय यूहन्ना केँ लऽ कऽ एक ऊँच पहाड़ पर एकान्त मे गेलाह। 2 हुनका सभक सामने मे यीशुक रूप बदलि गेलनि। हुनकर मुँह सूर्य जकाँ चमकऽ लगलनि आ हुनकर वस्त्र इजोत सन उज्जर भऽ गेलनि। 3 एकाएक शिष्य सभ केँ मूसा आ एलियाह यीशु सँ बात-चीत करैत देखाइ देलथिन। 4 एहि पर पत्रुस यीशु केँ कहलथिन, “यौ प्रभु, हमरा सभक लेल ई कतेक नीक बात अछि जे हम सभ एतऽ छी! जँ अपनेक आज्ञा होअय तँ हम एहिठाम तीनटा मण्डप बनायब—एकटा अपनेक लेल, एकटा मूसाक लेल आ एकटा एलियाहक लेल।” 5 पत्रुस ई सभ बाजिए रहल छलाह, तखने एकटा चमकैत मेघ आबि हुनका सभ केँ झाँपि देलकनि आ मेघ मे सँ ई आवाज आयल जे, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि। हिनका सँ हम अति प्रसन्न छी, हिनका बात पर ध्यान दिअ!” 6 ई सुनि शिष्य सभ अति भयभीत भऽ कऽ मुँहे भरेँ खसलाह। 7 तखन लग आबि यीशु हुनका सभ केँ छुबि कऽ कहलथिन, “उठू, नहि डेराउ।” 8 ओ सभ जखन अपन नजरि ऊपर उठौलनि तँ ओतऽ यीशु केँ छोड़ि आओर किनको नहि देखलनि। 9 पहाड़ पर सँ नीचाँ उतरैत समय मे यीशु शिष्य सभ केँ आज्ञा देलथिन जे, “जाबत तक मनुष्य-पुत्र मृत्यु सँ फेर जीबि कऽ नहि उठत ताबत तक जे बात अहाँ सभ देखलहुँ से ककरो नहि कहिऔक।” 10 एहि पर हुनकर शिष्य सभ हुनका सँ पुछलथिन, “धर्मशिक्षक सभ किएक कहैत छथि जे पहिने एलियाह केँ अयनाइ आवश्यक अछि?” 11 यीशु उत्तर देलथिन, “ई बात एकदम ठीक अछि। एलियाहक अयनाइ आवश्यक अछि, और ओ सभ बातक सुधार करताह। 12 मुदा हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे एलियाह तँ आबि गेल छथि। लोक सभ हुनका चिन्हि नहि सकलनि और ओकरा सभ केँ जे मोन भेलैक, से हुनका संग कयलकनि। एहि तरहेँ मनुष्य-पुत्र केँ सेहो ओकरा सभक हाथेँ कष्ट भोगऽ पड़तनि।” 13 तखन शिष्य सभ केँ बुझऽ मे अयलनि जे यीशु हमरा सभ केँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक सम्बन्ध मे कहि रहल छथि। 14 ओ सभ जखन लोकक भीड़ जतऽ जमा छल ततऽ पहुँचलाह तँ एक गोटे यीशु लग आबि ठेहुनिया दऽ कऽ कहऽ लगलनि, 15 “यौ प्रभु, हमरा बेटा पर दया कयल जाओ, एकरा मिर्गी अबैत छैक आ बहुत कष्ट होइत छैक। ई कखनो आगि मे खसि पड़ैत अछि तँ कखनो पानि मे। 16 हम एकरा अपनेक शिष्य सभ लग अनने छलहुँ, लेकिन ओ सभ एकरा ठीक नहि कऽ सकलथिन।” 17 यीशु उत्तर देलथिन, “है अविश्वासी आ भ्रष्ट पीढ़ीक लोक सभ, हम कहिया तक तोरा सभक संग रहिअह? हम कहिया तक तोरा सभ केँ सहैत रहिअह? आनह लड़का केँ हमरा लग।” 18 जे दुष्टात्मा ओकरा मे पैसि गेल छल, तकरा यीशु फटकारलथिन। दुष्टात्मा ओकरा मे सँ निकलि गेलैक, आ ओ तखने ठीक भऽ गेल। 19 बाद मे शिष्य सभ एकान्त मे यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन, “हम सभ ओहि दुष्टात्मा केँ किएक नहि निकालि सकलहुँ?” 20 ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ मे विश्वासक कमी अछि, तेँ। हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जँ अहाँ सभ मे सरिसोक दानो बराबरि विश्वास रहत आ एहि पहाड़ केँ कहब जे, ‘एहिठाम सँ हटि कऽ ओतऽ जो’ तँ हटि जायत। एहन कोनो बात नहि अछि जे अहाँ सभक लेल असम्भव होयत। 21 [मुदा एहि तरहक दुष्टात्मा प्रार्थना आ उपास केँ छोड़ि आओर कोनो दोसर उपाय सँ नहि निकालल जा सकैत अछि।] “ 22 एक दिन यीशु आ शिष्य सभ जखन गलील मे एक संग छलाह, तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “मनुष्य-पुत्र पकड़बा कऽ लोकक हाथ मे सौंपल जायत। 23 ओ सभ ओकरा मारि देतैक, मुदा तेसर दिन ओ जिआओल जायत।” ई बात सुनि शिष्य सभ बहुत उदास भऽ गेलाह। 24 तकरबाद यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन कफरनहूम नगर मे पहुँचलाह, तखन मन्दिरक कर असूल कयनिहार सभ पत्रुस लग आबि कऽ पुछलकनि, “की अहाँ सभक गुरुजी मन्दिरक कर नहि चुकबैत छथि?” 25 पत्रुस कहलथिन, “हँ, चुकबैत छथि।” तकरबाद पत्रुस जखन घर मे अयलाह तँ यीशुए हुनका सँ पुछलथिन, “यौ सिमोन, अहाँक की विचार अछि? संसारक राजा सभ सीमा-शुल्क वा व्यक्ति-कर ककरा सभ सँ लैत अछि? अपन पुत्र सभ सँ वा आन लोक सभ सँ?” 26 पत्रुस कहलथिन, “आन लोक सँ।” तखन यीशु कहलथिन, “एकर मतलब, पुत्र कर-मुक्त अछि। 27 मुदा एक बात, अपना सभ ओकरा सभ केँ सिकायत करबाक अवसर नहि दी, तेँ अहाँ झील पर जा कऽ बंसी थापू। जे माछ पहिने फँसत तकरा निकालू। ओकरा मुँह मे अहाँ केँ एकटा चानीक सिक्का भेटत। अहाँ ओ सिक्का लऽ कऽ अपना दूनू गोटेक कर ओकरा सभ केँ दऽ कऽ चुका दिऔक।”
1 ओही समय मे शिष्य सभ आबि कऽ यीशु सँ पुछलथिन, “स्वर्गक राज्य मे सभ सँ पैघ के अछि?” 2 यीशु एक छोट बच्चा केँ अपना लग बजा कऽ हुनका सभक बीच ठाढ़ करैत कहलथिन, 3 “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक अहाँ सभ बदलि कऽ बच्चा सभ जकाँ नहि बनि जायब ताबत तक स्वर्गक राज्य मे कहियो नहि प्रवेश करब। 4 तेँ, जे केओ नम्र बनि अपना केँ एहि बच्चा जकाँ छोट बुझैत अछि, से स्वर्गक राज्य मे सभ सँ पैघ अछि। 5 जे केओ हमरा नाम सँ एहन छोट बच्चा केँ स्वीकार करैत अछि से हमरा स्वीकार करैत अछि। 6 मुदा ई बच्चा सभ जे हमरा पर विश्वास करैत अछि, ताहि मे सँ जँ एकोटा केँ केओ पाप मे फँसाओत, तँ ओहि फँसौनिहारक गरदनि मे जाँतक पाट बान्हि कऽ अथाह समुद्र मे डुबा देल जाइक, से ओकरा लेल नीक होइत। 7 “पाप मे फँसाबऽ वला बात सभक कारणेँ संसार पर कतेक कष्ट औतैक! पाप मे फँसाबऽ वला बात सभ तँ रहबे करत, मुदा धिक्कार ताहि मनुष्य केँ जकरा द्वारा ओ बात सभ अबैत अछि! 8 “जँ अहाँक हाथ वा पयर अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। दूनू हाथ-पयरक संग अनन्त समय तक जरैत रहऽ वला आगिक कुण्ड मे फेकि देल जायब, अहाँक लेल ताहि सँ नीक ई जे लुल्ह-नाङड़ भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश करू। 9 आ जँ अहाँक आँखि अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि कऽ फेकि दिअ। दूनू आँखिक संग नरकक आगि मे फेकि देल जायब, अहाँक लेल ताहि सँ नीक ई जे कनाह भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश करू। 10 “अहाँ सभ एहि पर ध्यान राखू जे एहि बच्चा सभ मे सँ एकोटा केँ तुच्छ नहि बुझब। हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, स्वर्ग मे एकर सभक रक्षा कयनिहार दूत सभ सदिखन हमर स्वर्गीय पिताक मुँह दिस तकैत रहैत छथि। 11 [मनुष्य-पुत्र हेरायल सभ केँ बचयबाक लेल आयल छथि।] 12 “अहाँ सभ की सोचैत छी? जँ ककरो लग एक सय भेँड़ा छैक आ ओहि मे सँ एकटा भेँड़ा भटकि जाइक, तँ की ओ अपन निनान्नबे भेँड़ा केँ पहाड़ पर छोड़ि कऽ ओहि भटकल भेँड़ा केँ खोजबाक लेल नहि जायत? 13 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जँ ओ ओकरा भेटि जयतैक, तँ ओहि निनान्नबे भेँड़ाक कारणेँ, जे नहि भटकल छलैक, ताहि सँ बेसी आनन्द ओकरा एही भेँड़ाक कारणेँ होयतैक। 14 एही तरहेँ स्वर्ग मे रहऽ वला अहाँ सभक पिताक इच्छा ई छनि जे एहि बच्चा सभ मे सँ एकोटा नष्ट नहि होनि। 15 “अहाँक भाय जँ अहाँक संग अपराध करय तँ असगरे ओकरा लग जाउ आ एकान्त मे ओकर दोष ओकरा बुझा दिऔक। ओ जँ अहाँक बात सुनलक, तँ एकटा भाय अहाँ केँ फेर भेटि गेल से बुझू। 16 मुदा जँ ओ अहाँक बात नहि सुनैत अछि तँ अपना संग एक-दू आदमी केँ लऽ कऽ जाउ आ ओकरा बुझबिऔक, जाहि सँ, जहिना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, ‘हर बात दू वा तीन साक्षीक गवाही पर आधारित रहय’। 17 मुदा ओ जँ ओकरो सभक बात सुनबाक लेल तैयार नहि भेल, तँ तकर जानकारी विश्वासी मण्डली केँ दिऔक। आ जँ ओ विश्वासी मण्डलीक बात सेहो नहि सुनत, तँ ओकरा संग एहन व्यवहार करू जेना ओ अविश्वासी वा कर असूल कयनिहार ठकहारा होअय। 18 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, अहाँ सभ जे किछु पृथ्वी पर बान्हब, से स्वर्ग मे बान्हल गेल रहत, आ जे किछु अहाँ सभ पृथ्वी पर खोलब से स्वर्ग मे खोलल गेल रहत। 19 “हम अहाँ सभ केँ एकटा इहो बात कहैत छी जे, एहि पृथ्वी पर जँ अहाँ सभ मे सँ केओ दू गोटे कोनो बातक लेल एक विचारक भऽ कऽ विनती करब, तँ हमर पिता जे स्वर्ग मे छथि, तिनका द्वारा ओ बात अहाँ सभक लेल पूरा कयल जायत। 20 किएक तँ जतऽ दू वा तीन व्यक्ति हमरा नाम सँ एक ठाम जमा होइत अछि, ततऽ हम ओकरा सभक बीच उपस्थित छी।” 21 तकरबाद पत्रुस यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन, “यौ प्रभु, हमर भाय जँ हमरा संग अपराध करय तँ कतेक बेर हम ओकरा क्षमा करैत रहिऐक? की सात बेर तक?” 22 यीशु कहलथिन, “हम तँ कहैत छी, सात बेर नहि, बल्कि सात सँ सत्तरिक जे गुणनफल होयत ततेक बेर। 23 “कारण, स्वर्गक राज्यक तुलना एहन राजा सँ कयल जा सकैत अछि जे अपन राज्यक कर्मचारी सभ सँ हिसाब-किताब लेबऽ चाहलनि। 24 जखन ओ हिसाब-किताब लेबऽ लगलाह तँ हुनका लग एक कर्मचारी केँ लाओल गेल, जकरा पर दस हजार सोनक रुपैया ऋण छलनि। 25 ओहि कर्मचारी लग ऋण सधयबाक लेल किछु नहि छलैक तेँ ओकर मालिक आज्ञा दऽ देलथिन जे, एकरा, एकर स्त्री आ बाल-बच्चा केँ और एकर सभ सामान बेचि कऽ एकरा सँ ऋण असूल कयल जाय। 26 ई सुनि ओ कर्मचारी अपना मालिकक पयर पर खसि कऽ विनती करऽ लागल जे, ‘यौ सरकार, धैर्य राखल जाओ, हम अपनेक सम्पूर्ण ऋण सधा देब।’ 27 मालिक ओकरा पर दया कऽ कऽ ओकरा छोड़ि देलथिन आ ओकर सम्पूर्ण ऋण माफ कऽ देलथिन। 28 मुदा ओ कर्मचारी जखन ओतऽ सँ बाहर भेल तँ ओकरा संग काज करऽ वला एक दोसर कर्मचारी भेटलैक जे ओकरा सँ एक सय तामक रुपैया ऋण लेने छलैक। ओ ओकरा पकड़ि कऽ गरदनि चभैत कहलकैक, ‘जे किछु तोरा पर हमर ऋण अछि, से तुरत ला!’ 29 ओ कर्मचारी ओकरा पयर पर खसि कऽ विनती करऽ लागल, ‘धैर्य राखू, हम अहाँक ऋण सधा देब।’ 30 मुदा ओ नहि मानलक आ जा कऽ ओकरा जहल मे रखबा देलकैक जे जाबत तक ऋण नहि सधाओत ताबत तक जहल मे रहओ। 31 ई देखि दोसर कर्मचारी सभ केँ बहुत दुःख भेलैक आ ओ सभ जा कऽ सम्पूर्ण घटना मालिक केँ कहि सुनौलकनि। 32 तकरबाद मालिक ओहि कर्मचारी केँ बजबा कऽ कहलथिन, ‘है दुष्ट नोकर, तोँ हमरा सँ विनती कयलेँ तँ हम तोहर सम्पूर्ण ऋण माफ कऽ देलिऔक। 33 तँ की ई उचित नहि छल जे जहिना हम तोरा संग दया कयलिऔ, तहिना तोहूँ अपन संगी-कर्मचारीक संग दया करिते?’ 34 मालिक केँ ओहि कर्मचारी पर बहुत क्रोध भऽ गेलनि आ ओ ओकरा दण्ड देबाक लेल जहल मे पठबा देलथिन जे जाबत तक ओ पूरा ऋण सधा नहि दय ताबत तक जहल मे रहओ। 35 तेँ जँ अहूँ सभ अपना भाय केँ हृदय सँ क्षमा नहि करबैक तँ हमर स्वर्गीय पिता अहूँ सभक संग ओहने व्यवहार करताह।”
1 ई सभ बात जखन कहल भऽ गेलनि तँ यीशु गलील प्रदेश सँ विदा भऽ कऽ यरदन नदीक दोसर कात यहूदिया प्रदेश मे गेलाह। 2 लोकक बड़का भीड़ हुनका पाछाँ आबि गेलनि। यीशु ओहिठाम ओकरा सभक रोग-बिमारी सभ केँ ठीक कऽ देलनि। 3 ओहिठाम किछु फरिसी सभ यीशु लग अयलाह आ हुनका जँचबाक लेल पुछलथिन, “की धर्म-नियमक अनुसार पुरुष केँ केहनो कारण सँ अपना स्त्री केँ तलाक देनाइ उचित अछि?” 4 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ नहि पढ़ने छी जे, सृष्टि कयनिहार शुरुए सँ मनुष्य केँ ‘पुरुष आ स्त्री बनौलनि, 5 और कहलनि, ‘एहि कारणेँ पुरुष अपन माय-बाबू केँ छोड़ि अपन स्त्रीक संग रहत, आ दूनू एक शरीर भऽ जायत।’ ? 6 एहि तरहेँ ओ सभ आब दू नहि अछि, एके भऽ गेल। तेँ जकरा परमेश्वर जोड़ि देलथिन, तकरा मनुष्य अलग नहि करओ।” 7 फरिसी सभ पुछलथिन, “तखन तलाकनामा दऽ कऽ तलाक देबाक आज्ञा मूसा किएक देलनि?” 8 यीशु कहलथिन, “अहाँ सभक मोनक कठोरताक कारणेँ मूसा अहाँ सभ केँ स्त्री केँ तलाक देबाक अनुमति देलनि, मुदा शुरू सँ एहन नहि छल। 9 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, जे केओ एहि कारण केँ छोड़ि जे ओकर स्त्री दोसराक संग गलत शारीरिक सम्बन्ध रखने अछि, कोनो आन कारण सँ अपना स्त्री केँ तलाक दऽ कऽ दोसर सँ विवाह करैत अछि, से परस्त्रीगमन करैत अछि।” 10 यीशुक शिष्य सभ हुनका कहलथिन, “जँ स्त्री-पुरुषक सम्बन्ध एहन अछि, तँ विवाह नहिए कयनाइ नीक बात।” 11 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “सभ केओ एहि बात केँ स्वीकार नहि कऽ सकैत अछि, मात्र ओ सभ जकरा एहि बातक लेल वरदान भेटल छैक। 12 किएक तँ किछु लोक मे जन्मे सँ विवाह करबाक योग्यता नहि अछि, किछु लोक केँ दोसर मनुष्य अयोग्य बनबैत अछि, और किछु लोक एहनो अछि जे स्वर्गक राज्यक लेल विवाह कयनाइ त्यागि देने अछि। जे केओ एहि बात केँ स्वीकार कऽ सकैत अछि से एकरा स्वीकार करओ।” 13 तकरबाद किछु गोटे बच्चा सभ केँ यीशु लग अनलकनि जाहि सँ ओ ओकरा सभ पर हाथ राखि कऽ ओकरा सभक लेल प्रार्थना कऽ देथिन, मुदा हुनकर शिष्य सभ ओकरा सभ केँ डाँटि देलथिन। 14 यीशु कहलथिन, “बच्चा सभ केँ हमरा लग आबऽ दिऔक, ओकरा सभ केँ नहि रोकिऔक, किएक तँ स्वर्गक राज्य एहने सभक अछि।” 15 यीशु ओहि बच्चा सभक माथ पर हाथ राखि कऽ आशीर्वाद देलथिन आ ओतऽ सँ विदा भऽ गेलाह। 16 यीशु लग एक युवक अयलनि आ कहलकनि, “यौ गुरुजी, हम कोन उत्तम काज करू, जाहि सँ हमरा अनन्त जीवन भेटत?” 17 यीशु कहलथिन, “अहाँ हमरा सँ उत्तमक विषय मे किएक पुछैत छी? उत्तम तँ मात्र एकेटा छथि। जँ अहाँ अनन्त जीवन मे प्रवेश करऽ चाहैत छी तँ परमेश्वरक आज्ञा सभक पालन करू।” 18 ओ पुछलकनि, “कोन आज्ञा सभ?” एहि पर यीशु कहलथिन, “ ‘हत्या नहि करह, परस्त्रीगमन नहि करह, चोरी नहि करह, झूठ गवाही नहि दैह, 19 अपन माय-बाबूक आदर करह’ आ ‘अपना पड़ोसी सँ अपने जकाँ प्रेम करह।’” 20 ओ युवक उत्तर देलकनि, “एहि सभ आज्ञाक पालन तँ हम कऽ रहल छी, तखन फेर हमरा मे कोन बातक कमी रहि गेल?” 21 यीशु ओकरा कहलथिन, “अहाँ जँ पूर्ण सिद्ध बनऽ चाहैत छी, तँ अपन धन-सम्पत्ति बेचि कऽ ओकरा गरीब सभ मे बाँटि दिअ; अहाँ केँ स्वर्ग मे धन भेटत। तकरबाद आउ आ हमरा पाछाँ चलू।” 22 ई बात सुनि युवक उदास भऽ ओतऽ सँ चल गेल, कारण, ओकरा बहुत धन-सम्पत्ति छलैक। 23 एहि पर यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, धनिक सभक लेल स्वर्गक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कठिन अछि। 24 हम अहाँ सभ केँ फेर कहैत छी जे, धनिक केँ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ सँ ऊँट केँ सुइक भूर दऽ कऽ निकलनाइ आसान अछि।” 25 ई सुनि हुनकर शिष्य सभ अवाक भऽ कऽ कहलथिन, “तखन उद्धार ककर भऽ सकैत छैक?!” 26 यीशु हुनका सभक दिस एकटक देखैत कहलथिन, “मनुष्यक लेल तँ ई असम्भव अछि, मुदा परमेश्वरक लेल सभ किछु सम्भव अछि।” 27 एहि पर पत्रुस कहलथिन, “देखू, हम सभ तँ सभ किछु त्यागि कऽ अहाँक पाछाँ आयल छी। हमरा सभ केँ की भेटत?” 28 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, नव सृष्टि मे, जहिया मनुष्य-पुत्र अपन महिमामय सिंहासन पर विराजमान होयत, तहिया अहूँ सभ, जे सभ हमरा पाछाँ आयल छी, बारहटा सिंहासन पर बैसब आ इस्राएलक बारहो कुलक न्याय करब। 29 जे केओ हमरा कारणेँ अपन घर, भाय, बहिन, माय-बाबू, बाल-बच्चा वा जमीन-जालक त्याग कयने अछि, से तकर सय गुना पाओत और अनन्त जीवनक अधिकारी होयत। 30 मुदा बहुतो लोक जे एखन आगाँ अछि से पाछाँ भऽ जायत, आ जे एखन पाछाँ अछि से आगाँ भऽ जायत।
1 “स्वर्गक राज्य एहन एक गृहस्थ जकाँ अछि जे अपन अंगूरक बगान मे काज करयबाक लेल भोरे-भोर मजदूर तकबाक लेल गेलाह। 2 ओ मजदूर सभक संग एक दिनक चानीक एक रुपैया मजदूरी देबाक व्यवस्था कऽ ओकरा सभ केँ अपन अंगूरक बगान मे काज करबाक लेल पठौलनि। 3 ओ फेर नौ बजे बाहर गेलाह तँ आरो मजदूर सभ केँ बजार मे निरर्थक ठाढ़ देखलनि। 4 ओ ओकरा सभ केँ कहलथिन, ‘तोहूँ सभ हमर अंगूरक बगान मे जा कऽ काज करह। जे उचित होयतह से हम तोरो सभ केँ देबह।’ 5 मजदूर सभ जा कऽ काज करऽ लागल। मालिक फेर बारह बजे आ तीन बजे बाहर जा-जा कऽ ओहिना कयलनि। 6 साँझ पाँच बजे फेर ओ बहरयलाह। ओ किछु आओर मजदूर सभ केँ ओहिना ठाढ़ देखि पुछलथिन, ‘तोँ सभ एतऽ दिन भरि किएक निरर्थक ठाढ़ रहलह?’ 7 ओ सभ कहलकनि, ‘हमरा सभ केँ केओ नहि काजक लेल अढ़ौलक।’ मालिक ओकरा सभ केँ कहलथिन, ‘तोहूँ सभ हमर बगान मे जा कऽ काज करह।’ 8 “साँझ भऽ गेला पर अंगूर-बगानक मालिक अपन मुख्य नोकर केँ बजा कऽ कहलथिन, ‘मजदूर सभ केँ बजाबह आ सभ सँ अन्तिम पहर मे जे सभ आयल तकरा सभ सँ शुरू कऽ कऽ सभ सँ पहिल पहर मे आबऽ वला धरि, सभ केँ मजदूरी दऽ दहक।’ 9 जखन ओ सभ, जे साँझ लगभग पाँच बजे सँ काज शुरू कयने छल, से सभ आयल तँ ओकरा सभ केँ चानीक एक-एक रुपैया देल गेलैक। 10 जे मजदूर सभ भोरे सँ काज कयने छल जखन ई बात देखलक, तँ ओ सभ बुझलक जे हमरा सभ केँ बेसी मजदूरी भेटत। मुदा ओकरो सभ केँ चानीक एक-एक रुपैया मजदूरी भेटलैक। 11 ओ सभ अपन मजदूरी पाबि मालिक पर कुड़बुड़ाय लागल। 12 ओ सभ बाजल, ‘सभ सँ पाछाँ आबऽ वला ई मजदूर सभ, जे सभ एके घण्टा काज कयलक, तकरो अहाँ हमरा सभक बराबरि बुझलहुँ। हम सभ तँ घाम-पसिना सहि दिन भरि खटलहुँ!’ 13 “मालिक ओहि मे सँ एक गोटे केँ उत्तर देलथिन, ‘हौ मित्र, हम तोरा संग कोनो तरहक अन्याय तँ नहि कऽ रहल छिअह। की तोँ हमरा संग चानीक एक रुपैया मजदूरी लेबाक व्यवस्था नहि कयने छलह? 14 अपन पाइ लैह आ जाह। ई तँ हमर इच्छाक बात अछि जे जतबा तोरा देलिअह ततेक पछो सँ आबऽ वला मजदूर सभ केँ सेहो दिऐक। 15 की हमर ई अधिकार नहि अछि जे, जे हमर वस्तु अछि तकरा हम जेना चाही, तेना प्रयोग कऽ सकी? हम जँ अपना खुशी सँ ककरो बेसिओ दैत छी तँ की से तोरा अखड़ैत छह?’” 16 तखन यीशु आगाँ कहलनि, “एहि तरहेँ जे अन्तिम अछि से पहिल होयत, आ जे पहिल अछि से अन्तिम।” 17 यीशु यरूशलेम नगर दिस आगाँ बढ़ि रहल छलाह। ओ अपन बारहो शिष्य केँ एक कात लऽ जा कऽ कहलथिन, 18 “सुनू, अपना सभ यरूशलेम जा रहल छी। ओतऽ मनुष्य-पुत्र मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभक हाथ मे पकड़ाओल जायत। ओ सभ ओकरा मृत्युदण्डक जोगरक ठहरा देतैक 19 आ ओकरा गैर-यहूदी सभक हाथ मे सौंपि देतैक जाहि सँ ओ सभ ओकर हँसी उड़बैक, कोड़ा सँ पिटैक आ क्रूस पर टाँगि कऽ मारि दैक। मुदा तेसर दिन ओ फेर जिआओल जायत।” 20 तकरबाद जबदीक स्त्री, याकूब आ यूहन्नाक माय, अपन पुत्र सभक संग यीशु लग अयलनि आ हुनका आगाँ ठेहुनिया दऽ कऽ किछु माँगऽ चाहलकनि। 21 यीशु पुछलथिन, “अहाँ की चाहैत छी?” ओ कहलकनि, “अहाँ एहि बातक आज्ञा दिअ जे अहाँक राज्य मे हमर ई दूनू बेटा, एक अहाँक दहिना कात आ दोसर अहाँक बामा कात बैसत।” 22 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ की माँगि रहल छी, से अहाँ सभ नहि बुझैत छी। की दुःखक बाटी सँ जे हमरा पिबाक अछि से अहाँ सभ पिबि सकैत छी?” ओ सभ कहलकनि, “हँ, पिबि सकैत छी।” 23 यीशु कहलथिन, “हमर बाटी तँ अहाँ सभ पीब, मुदा किनको अपना दहिना कात वा बामा कात बैसायब, तकर अधिकार हमर नहि अछि। ई स्थान सभ तिनका सभक लेल छनि, जिनका सभक लेल हमर पिता तैयार कयने छथि।” 24 जखन बाँकी दस शिष्य एहि बातक बारे मे सुनलनि तँ ओ सभ ओहि दूनू भाइ पर खिसिआय लगलाह। 25 एहि पर यीशु शिष्य सभ केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ जनैत छी जे एहि संसारक शासक सभ जनता पर हुकुम चलबैत रहैत छथि और जनता मे जे पैघ लोक सभ छथि से जनता पर अधिकार जमबैत छथि। 26 मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, अहाँ सभ मे जे पैघ होमऽ चाहय, से अहाँ सभक सेवक बनय, 27 आ जे केओ अहाँ सभ मे प्रमुख व्यक्ति बनऽ चाहय, से टहलू बनय। 28 तहिना मनुष्य-पुत्र सेहो एहि लेल नहि आयल अछि जे ओ अपन सेवा कराबय, बल्कि एहि लेल जे ओ सेवा करय और बहुतो लोकक छुटकाराक मूल्य मे अपन प्राण देअय।” 29 यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन यरीहो नगर सँ बहरयलाह तँ लोकक बड़का भीड़ हुनका पाछाँ आबि रहल छलनि। 30 रस्ताक कात मे बैसल दू आन्हर व्यक्ति जखन सुनलक जे एहि बाटे यीशु जा रहल छथि, तँ ओ सभ सोर पारि कऽ कहऽ लागल जे, “हे प्रभु, दाऊदक पुत्र, हमरा सभ पर दया करू!” 31 भीड़क लोक सभ ओकरा दूनू केँ डाँटि देलकैक जे, “चुप होइ जाइ जो,” मुदा ओ सभ आओर जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल, “यौ प्रभु, दाऊदक पुत्र, हमरा सभ पर दया करू!” 32 यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह आ ओकरा सभ केँ बजा कऽ पुछलथिन, “तोँ सभ की चाहैत छह, हम तोरा सभक लेल की करिअह?” 33 ओ सभ बाजल, “हे प्रभु, हम सभ देखऽ चाहैत छी।” 34 यीशु केँ ओकरा सभ पर दया आबि गेलनि, आ ओकरा सभक आँखि केँ छुबि देलथिन। तखने सँ ओकरा सभ केँ देखाइ देबऽ लगलैक और ओ सभ हुनका पाछाँ चलऽ लगलनि।
1 यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन यरूशलेम नगरक लग मे जैतून पहाड़ पर बेतफगे गाम मे पहुँचलाह तखन यीशु दूटा शिष्य केँ ई कहि कऽ पठौलथिन जे, 2 “सामने मे जे गाम अछि, ताहि मे जाउ। ओतऽ पहुँचिते एक गदही अपन बच्चाक संग बान्हल भेटत। ओकरा सभ केँ खोलि कऽ हमरा लग नेने आउ। 3 जँ केओ अहाँ सभ केँ किछु कहय तँ कहबैक जे, ‘प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि।’ ई सुनैत देरी ओ अहाँ सभ केँ आनऽ देत।” 4 ई एहि लेल भेल जे परमेश्वरक प्रवक्ताक कहल ई वचन पूरा होअय जे, 5 “सियोन नगर केँ कहक, ‘देखह, तोहर राजा तोरा लग आबि रहल छथुन, ओ विनम्र छथि, ओ गदहा पर, गदहीक बच्चा पर बैसल आबि रहल छथुन।’” 6 शिष्य सभ जा कऽ यीशुक कहल अनुसार कयलनि। 7 ओ सभ गदही आ ओकर बच्चा केँ लऽ आनि ओकरा पीठ पर अपन कपड़ा सभ राखि देलनि। यीशु ओहि पर बैसि गेलाह। 8 भीड़ मे सँ बहुतो लोक सभ सेहो अपन-अपन वस्त्र आ ओढ़नी सभ बाट पर ओछौलक। दोसर लोक सभ गाछ-वृक्षक ठाढ़ि-पात काटि-काटि कऽ ओछौलक। 9 यीशुक आगाँ-पाछाँ चलऽ वला लोकक भीड़ एहि तरहेँ जयजयकार करऽ लागल जे, “दाऊदक पुत्र केँ जय! धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! सर्वोच्च स्वर्ग मे प्रभुक जयजयकार!” 10 जखन यीशु यरूशलेम मे प्रवेश कयलनि तँ सम्पूर्ण नगर मे हलचल सन होमऽ लागल। सभ पुछैत छल, “ई के छथि?” 11 आगाँ-पाछाँ चलऽ वला भीड़क लोक सभ ओकरा सभ केँ कहलकैक, “ई गलील प्रदेशक नासरत-निवासी परमेश्वरक प्रवक्ता यीशु छथि।” 12 यीशु मन्दिरक आङन मे अयलाह आ बेचऽ वला और किनऽ वला सभ केँ ओतऽ सँ बाहर भगाबऽ लगलाह। ओ पाइ भजौनिहार सभक टेबुल आ परबा-पेउरकी बेचनिहार सभक पीढ़ी-बैसकी सभ केँ उनटा-पुनटा देलथिन। 13 ओ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘हमर घर प्रार्थनाक घर कहाओत’ मुदा तोँ सभ एकरा ‘चोर-डाकूक अड्डा’ बना देने छह।” 14 मन्दिर मे यीशु लग आन्हर आ नाङड़ व्यक्ति सभ अयलनि आ यीशु ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 15 यीशुक चमत्कार वला काज सभ देखि आ मन्दिर मे बच्चा सभक द्वारा जे “दाऊदक पुत्र” क जयजयकार भऽ रहल छल, तकरा सुनि मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभ बहुत खिसिआ गेलाह। 16 ओ सभ यीशु केँ कहलथिन, “की अहाँ नहि सुनैत छी जे ई सभ की कहि रहल अछि?” यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हँ, और की अहाँ सभ नहि पढ़ने छी जे, ‘हे प्रभु, अहाँ धिआ-पुता आ कोरा मेहक बच्चा सभक मुँह सँ अपन स्तुति करबौलहुँ’ ?” 17 एतेक कहि यीशु हुनका सभ केँ ओतहि छोड़ि नगर सँ बहरा गेलाह आ बेतनिया गाम मे जा कऽ राति भरि ओतऽ रहलाह। 18 भोर मे फेर नगर दिस अबैत समय मे यीशु केँ भूख लगलनि। 19 रस्ताक कात मे एक अंजीरक गाछ देखि ओ गाछ लग गेलाह। मुदा ओहि पर पात छोड़ि आओर किछु नहि भेटलनि। यीशु ओहि गाछ केँ कहलथिन, “जो, आब कहियो तोरा पर फल नहि लटकतौ!” गाछ ओही क्षण सुखा गेल। 20 ई देखि शिष्य सभ आश्चर्यित भऽ कहलथिन, “ई अंजीरक गाछ तुरत कोना सुखा गेल?” 21 एहि पर यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जँ अहाँ सभ बिनु सन्देह कऽ विश्वास करब, तँ अहाँ सभ मात्र एतबे नहि करब जे एहि अंजीरक गाछक संग भेल, बल्कि जँ अहाँ सभ एहि पहाड़ केँ आज्ञा देबैक जे, ‘एतऽ सँ हट आ समुद्र मे जो,’ तँ सेहो भऽ जायत। 22 अहाँ सभ जे किछु प्रार्थना मे विश्वासक संग माँगब, से अहाँ सभ केँ प्राप्त होयत।” 23 यीशु जखन मन्दिर मे जा कऽ उपदेश दऽ रहल छलाह तखन मुख्यपुरोहित आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित सभ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “अहाँ कोन अधिकार सँ ई सभ बात कऽ रहल छी? अहाँ केँ ई अधिकार के देलनि?” 24 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “हमहूँ अहाँ सभ सँ एकटा बात पुछैत छी। जँ अहाँ सभ हमरा तकर जबाब देब तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ कहब जे कोन अधिकार सँ हम ई सभ बात कऽ रहल छी। 25 यूहन्ना केँ बपतिस्मा देबाक अधिकार कतऽ सँ भेटल छलनि? परमेश्वर सँ वा मनुष्य सँ?” ई सुनि ओ सभ अपना मे तर्क-वितर्क करऽ लगलाह जे, “जँ अपना सभ कहबैक जे ‘परमेश्वर सँ’, तँ ओ पुछत जे, तखन अहाँ सभ हुनकर बातक विश्वास किएक नहि कयलहुँ? 26 मुदा जँ कहबैक जे, ‘मनुष्य सँ’ तँ अपना सभ केँ जनता सँ डर अछि, कारण सभ लोक यूहन्ना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत अछि।” 27 तेँ ओ सभ यीशु केँ उत्तर देलथिन जे, “हम सभ नहि जनैत छी।” एहि पर यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “तखन हमहूँ अहाँ सभ केँ नहि कहब जे कोन अधिकार सँ हम ई काज कऽ रहल छी। 28 “अच्छा, अहाँ सभक की विचार अछि? एक गोटे केँ दूटा बेटा छलनि। ओ जेठका केँ कहलथिन, ‘बौआ, आइ अंगूरक बाड़ी मे काज करऽ जाह।’ 29 बेटा कहलकनि, ‘हम नहि जायब,’ मुदा बाद मे ओकरा पछतावा भेलैक आ ओ काज करबाक लेल गेल। 30 तखन बाबू दोसरो बेटा लग जा कऽ यैह बात कहलथिन। ओ उत्तर देलकनि, ‘ठीक अछि, बाबूजी, हम जाइत छी।’ मुदा ओ नहि गेल। 31 आब कहू, एकरा सभ मे सँ के अपन बाबूक इच्छानुरूप कयलक?” ओ सभ कहलथिन, “पहिल वला।” यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, कर असूल कयनिहार आ वेश्या सभ परमेश्वरक राज्य मे अहाँ सभ सँ आगाँ प्रवेश कऽ रहल अछि। 32 यूहन्ना धार्मिकताक बाट देखबैत अहाँ सभ लग अयलाह और अहाँ सभ हुनकर बातक विश्वास नहि कयलहुँ, मुदा कर असूल कयनिहार आ वेश्या सभ विश्वास कयलक। अहाँ सभ ई बात देखलाक बादो अपना पापक लेल पश्चात्ताप और हृदय-परिवर्तन कऽ कऽ हुनकर बातक विश्वास नहि कयलहुँ। 33 “एक आओर दृष्टान्त सुनू। एक गृहस्थ लोक छलाह। ओ एक अंगूरक बगान लगौलनि आ चारू कात सँ ओकरा घेरि देलनि। अंगूरक रस जमा करबाक लेल ओ एक रसकुण्ड बनौलनि आ रखबारीक लेल मचान बनौलनि। तकरबाद किसान सभ केँ बटाइ पर दऽ कऽ परदेश चल गेलाह। 34 फलक समय अयला पर ओ अपन हिस्सा लेबाक लेल नोकर सभ केँ बटाइदार सभ लग पठौलथिन। 35 मुदा बटाइदार सभ हुनकर नोकर सभ केँ पकड़ि, एकटा केँ पिटलक, एकटाक हत्या कऽ देलक और एकटा केँ पथरबाहि कयलक। 36 तखन मालिक पहिल बेर सँ बेसी, आरो नोकर सभ केँ पठौलथिन। मुदा बटाइदार सभ ओकरो सभक संग वैह व्यवहार कयलक। 37 अन्त मे मालिक अपना बेटा केँ ओकरा सभ लग पठौलथिन, ई सोचि जे, ओ सभ हमरा बेटाक आदर करत। 38 “मुदा बटाइदार सभ जखन मालिकक बेटा केँ देखलक तँ ओ सभ अपना मे कहऽ लागल जे, ‘ई अपन बापक उत्तराधिकारी अछि। चलू एकरा मारि कऽ समाप्त कऽ दी, और ई सम्पत्ति जे एकरा भेटऽ वला छैक ताहि पर अधिकार कऽ ली।’ 39 एना सोचि ओ सभ हुनका पकड़ि लेलकनि आ बगान सँ बाहर लऽ जा कऽ जान सँ मारि देलकनि। 40 “आब कहू, बगानक मालिक जहिया औताह तँ ओ एहि बटाइदार सभ केँ की करथिन?” 41 ओ सभ उत्तर देलथिन, “ओ ओहि दुष्ट बटाइदार सभक सर्वनाश करताह आ अंगूरक बगान ओहन बटाइदार सभ केँ दऽ देथिन जे फलक समय अयला पर हुनकर हिस्सा देतनि।” 42 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ धर्मशास्त्र मे ई कहियो नहि पढ़ने छी?— ‘जाहि पाथर केँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि कऽ फेकि देलक, वैह पाथर मकानक प्रमुख पाथर भऽ गेल। ई काज प्रभु-परमेश्वर कयलनि, और ई हमरा सभक नजरि मे अद्भुत बात अछि!’ 43 एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, परमेश्वरक राज्यक अधिकार अहाँ सभ सँ छिनि लेल जायत आ ताहि समूहक लोक सभक जिम्मा मे देल जयतैक जे एकर उचित फल लाओत। 44 [जे केओ एहि पाथर पर खसत से चकना-चूर भऽ जायत, और जकरा पर ई पाथर खसतैक से थकुचा-थकुचा भऽ जायत।]” 45 मुख्यपुरोहित आ फरिसी सभ हुनकर दृष्टान्त सभ सुनि कऽ बुझि गेलाह जे, ई हमरे सभक सम्बन्ध मे ई सभ बात कहि रहल अछि। 46 ओ सभ यीशु केँ बन्दी कोना बनाओल जाय तकर उपाय सोचऽ लगलाह। मुदा हुनका सभ केँ डर होइत छलनि, कारण जनता यीशु केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत छलनि।
1 यीशु फेर दृष्टान्त दऽ कऽ हुनका सभ केँ कहलथिन, 2 “स्वर्गक राज्यक तुलना एक एहन राजा सँ कयल जा सकैत अछि जे अपन पुत्रक विवाहक उत्सव पर भोजक आयोजन कयलनि। 3 ओ अपन नोकर सभ केँ पठौलनि जे उत्सव मे निमन्त्रित लोक सभ केँ बिझो करा लाबय। मुदा निमन्त्रित लोक सभ नहि आबऽ चाहलक। 4 राजा फेर दोसरो नोकर सभ केँ ई कहि कऽ पठौलनि जे, ‘आमन्त्रित लोक सभ केँ ई कहि दिऔन जे, देखू, भोजक लेल सभ वस्तु तैयार भऽ गेल अछि, हमर पालल-मोटायल पशु सभक वध कऽ सभ किछु बना लेल गेल अछि, तेँ भोज खयबाक लेल चलै जाइ जाउ।’ 5 मुदा नोतल लोक सभ राजाक आग्रह पर कोनो ध्यान नहि देलक। ओकरा सभ मे सँ केओ अपन खेतक काजक लेल तँ केओ अपन व्यापारक काजक लेल चल गेल। 6 बाँकी लोक राजाक नोकर सभ केँ पकड़ि कऽ ओकरा सभक संग दुर्व्यवहार कयलक आ जान सँ मारि देलक। 7 “एहि पर राजा क्रोधित भऽ अपन सैनिक सभ केँ पठा कऽ ओहि हत्यारा सभ केँ मरबा देलथिन आ ओकरा सभक नगर केँ जरबा देलथिन। 8 तकरबाद ओ अपन नोकर सभ केँ कहलथिन, ‘विवाहक भोज तँ तैयार अछि, मुदा निमन्त्रित लोक सभ एहि भोज मे खाय ताहि जोगरक नहि छल। 9 तेँ तोँ सभ चौबट्टिआ सभ पर जाह आ जे केओ भेटह, तकरा सभ केँ भोज मे बजा आनह।’ 10 नोकर सभ चौबट्टिआ आ सड़क सभ पर गेल आ नीक-अधलाह जे केओ भेटलैक, सभ केँ बजा अनलक। एतेक लोक आयल जे विवाह-भोजक घर ओकरा सभ सँ भरि गेलैक। 11 “राजा उपस्थित लोक सभ केँ देखबाक लेल भीतर अयलाह तँ हुनकर नजरि एक एहन व्यक्ति पर पड़लनि जे विवाह-उत्सवक लेल अनुकूल वस्त्र नहि पहिरने छल। 12 राजा ओकरा पुछलथिन, ‘यौ मित्र, अहाँ बिनु विवाह-उत्सवक वस्त्र पहिरने भीतर कोना आबि गेलहुँ?’ ओ व्यक्ति राजा केँ कोनो उत्तर नहि दऽ सकलनि। 13 एहि पर राजा अपन सेवक सभ केँ कहलथिन, ‘एकरा हाथ-पयर बान्हि कऽ बाहर अन्हार मे फेकि दैह जतऽ लोक कनैत आ दाँत कटकटबैत रहैत अछि।’” 14 तकरबाद यीशु कहलथिन, “बजाओल लोक तँ बहुत अछि, मुदा ओहि मे चुनल लोक किछुए अछि।” 15 तखन फरिसी सभ जा कऽ विचार-विमर्श करऽ लगलाह जे कोन तरहेँ यीशु केँ अपन कहल बातक जाल मे फँसाओल जाय। 16 ओ सभ यीशु लग हेरोद-दलक सदस्य सभ और अपन किछु चेला सभ केँ पठौलथिन। ओ सभ आबि कऽ यीशु केँ कहलकनि, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने सत्यवादी छी, सत्यक अनुसार परमेश्वरक बाटक शिक्षा दैत छी आ केओ की सोचैत अछि, तकर अपने केँ कोनो चिन्ता नहि। कारण, अपने मुँह-देखी बात नहि करैत छी। 17 आब हमरा सभ केँ एकटा बात कहल जाओ—एहि बातक सम्बन्ध मे अपनेक की विचार अछि? रोमी सम्राट-कैसर केँ कर देब धर्म-नियमक अनुसार उचित अछि वा नहि?” 18 यीशु ओकरा सभक दुष्ट उद्देश्य बुझि कहलथिन, “हे पाखण्डी सभ, अहाँ सभ हमरा किएक फँसाबऽ चाहैत छी? 19 अहाँ सभ कोन सिक्का लऽ कऽ कर चुकबैत छी?—देखाउ!” ओ सभ यीशु केँ एक दिनारक सिक्का देलकनि। 20 यीशु सिक्का लऽ प्रश्न कयलथिन, “ई किनकर चित्र छनि? आ एहि पर किनकर नाम लिखल छनि?” 21 ओ सभ उत्तर देलकनि, “सम्राट-कैसरक।” तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जे सम्राटक छनि से सम्राट केँ दिऔन, आ जे परमेश्वरक छनि से परमेश्वर केँ दिऔन।” 22 यीशुक जबाब सुनि ओ सभ गुम्म भऽ गेल आ हुनका लग सँ चल गेल। 23 ओही दिन सदुकी पंथक लोक, जे सभ एहि बात केँ नहि मानैत अछि जे मृत्यु मे सँ मनुष्य फेर जिआओल जायत, से सभ एकटा प्रश्न लऽ कऽ यीशु लग आयल। 24 ओ सभ कहलकनि, “गुरुजी, धर्मशास्त्र मे मूसा कहने छथि जे, जँ कोनो पुरुष निःसन्तान मरि जाय तँ ओकरा भाय केँ ओकर विधवा स्त्री सँ विवाह कऽ अपना भायक लेल सन्तान केँ उत्पन्न करबाक चाही। 25 हमरा सभक ओहिठाम सात भाय छल। जेठ भाय विवाह कयलक आ मरि गेल। ओकरा कोनो सन्तान नहि होयबाक कारणेँ ओकर भाय ओकर स्त्री सँ विवाह कयलक। 26 एही तरहेँ दोसर आ तेसरो भायक संग, आ होइत-होइत सातो भायक संग यैह बात भेल। 27 अन्त मे जा कऽ ओ स्त्री सेहो मरि गेलि। 28 आब कहल जाओ, ओहि समय मे जहिया मुइल सभ केँ जिआओल जयतैक, तँ ओ स्त्री एहि सातो भाय मे सँ ककर स्त्री होयतैक? किएक तँ ओ सभक स्त्री बनल छलि।” 29 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ ने धर्मशास्त्र आ ने परमेश्वरक सामर्थ्य केँ जनैत छी, तेँ अहाँ सभ केँ एहि तरहेँ धोखा भऽ रहल अछि। 30 जीबि उठाओल गेला पर लोक सभ ने विवाह करत आ ने विवाह मे देल जायत, बल्कि ओ सभ स्वर्गदूत सभ जकाँ होयत। 31 तखन मुइल सभ केँ जिआओल जयबाक जे बात अछि, ताहि सम्बन्ध मे की अहाँ सभ ई वचन नहि पढ़ने छी जे परमेश्वर ⌞एहि पूर्वज सभक मृत्युक बादो⌟ अहाँ सभ केँ कहने छलाह जे, 32 ‘हम अब्राहमक परमेश्वर, इसहाकक परमेश्वर आ याकूबक परमेश्वर छी।’ ? ओ मरल सभक नहि, बल्कि जीवित सभक परमेश्वर छथि।” 33 ई उत्तर सुनि भीड़क लोक सभ हुनकर उपदेश सँ चकित रहि गेल। 34 फरिसी सभ जखन सुनलनि जे यीशु सदुकी पंथक लोक सभ केँ निरुत्तर कऽ देलथिन तँ ओ सभ जमा भऽ कऽ एक संग यीशु लग अयलाह। 35 हुनका सभ मे सँ एक गोटे जे धर्म-नियमक पंडित छलाह से हुनका जँचबाक लेल पुछलथिन, 36 “यौ गुरुजी, धर्म-नियमक सभ सँ पैघ आज्ञा कोन अछि?” 37 यीशु उत्तर देलथिन, “‘तोँ अपन प्रभु-परमेश्वर केँ अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण आत्मा सँ आ अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ प्रेम करह।’ 38 यैह पहिल आ सभ सँ पैघ आज्ञा अछि। 39 आ दोसर सेहो ओही जकाँ अछि जे, ‘तोँ अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम करह।’ 40 सम्पूर्ण धर्म-नियम आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख एही दू आज्ञा पर केन्द्रित अछि।” 41 ओतऽ जमा भेल फरिसी सभ सँ यीशु पुछलथिन, 42 “ ‘उद्धारकर्ता-मसीह’क विषय मे अहाँ सभक की विचार अछि? ओ किनकर वंशज छथि?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “दाऊदक।” 43 एहि पर यीशु पुछि देलथिन, “तखन पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ दाऊद किएक हुनका ‘प्रभु’ कहने छथिन? कारण, दाऊद धर्मशास्त्र मे एहि तरहेँ लिखने छथि, 44 ‘प्रभु-परमेश्वर हमरा प्रभु केँ कहलथिन, अहाँ हमर दहिना कात बैसू और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 45 जखन दाऊद उद्धारकर्ता-मसीह केँ ‘प्रभु’ कहैत छथिन तँ ओ फेर हुनकर वंशज कोना भेलाह?” 46 एहि बातक उत्तर मे केओ यीशु केँ एको शब्द नहि कहि सकल आ ने ओहि दिन सँ ककरो हुनका सँ आरो कोनो प्रश्न पुछबाक साहस भेलैक।
1 तकरबाद यीशु जमा भेल लोकक भीड़ केँ आ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 2 “मूसाक धर्म-नियमक बात सिखयबाक अधिकार धर्मशिक्षक आ फरिसी सभक हाथ मे छनि। 3 तेँ ओ सभ जे किछु कहैत छथि, तकरा मानू आ करू, मुदा जे ओ सभ करैत छथि से नहि करू, कारण ओ सभ लोक सभ केँ जे सिखबैत छथि से अपने नहि करैत छथि। 4 ओ सभ भारी बोझ बान्हि कऽ लोकक कान्ह पर लादि दैत छथि मुदा तकरा उठयबाक लेल ओ सभ स्वयं अपन आङुरो नहि भिड़बऽ चाहैत छथि। 5 ओ लोकनि सभ काज मात्र लोकक ध्यान आकर्षित करबाक लेल करैत छथि। अपन तावीज सभ नमहर आकारक बनबबैत छथि आ पहिरऽ वला वस्त्र सभ मे लम्बा-लम्बा झालैर सभ लगबबैत छथि। 6 भोज-काज मे सम्मानित स्थान आ सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पसन्द करैत छथि। 7 हाट-बजार मे लोक सभ हुनका सभ केँ प्रणाम-पात करैत रहनि आ ‘गुरुजी’ कहि कऽ सम्बोधन करैत रहनि, से बात सभ हुनका सभ केँ बहुत नीक लगैत छनि। 8 “मुदा अहाँ सभ ‘गुरु’ नहि कहाउ, कारण अहाँ सभक गुरु एकेटा छथि आ अहाँ सभ आपस मे भाइ-भाइ छी। 9 पृथ्वी पर किनको अपन धर्म-पिता नहि मानू, कारण अहाँ सभक एकेटा पिता छथि जे स्वर्ग मे रहैत छथि। 10 आ अहाँ सभ ‘आचार्य’ नहि कहाउ, कारण अहाँ सभक आचार्य सेहो एके गोटे छथि, अर्थात् उद्धारकर्ता-मसीह। 11 अहाँ सभ मे जे सभ सँ पैघ होइ से सभक सेवक बनू। 12 कारण, जे केओ अपना केँ पैघ बुझत से छोट बनाओल जायत, मुदा जे केओ अपना केँ छोट बुझत से पैघ बनाओल जायत। 13 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ स्वर्गक राज्यक द्वारि लोक सभक लेल बन्द कऽ दैत छी। ने अपने ओहि मे प्रवेश करैत छी आ ने तकरा सभ केँ प्रवेश करऽ दैत छिऐक जे सभ प्रवेश करऽ चाहैत अछि। 14 [“यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ विधवा सभक घर-द्वारि सभ हड़पि लैत छिऐक। लोक सभ केँ देखयबाक लेल लम्बा-लम्बा प्रार्थना करैत छी। तेँ अहाँ सभ केँ बेसी दण्ड भेटत।] 15 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ एक गोटे केँ अपना धर्म मे अनबाक लेल पृथ्वी आ आकाश एकटार कऽ दैत छी, मुदा जखन ओ आबि जाइत अछि तँ ओकरा अपनो सँ दोबर नरक जयबाक जोगरक बना दैत छिऐक। 16 “यौ आन्हर पथ-प्रदर्शक सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ लोक सभ केँ सिखबैत छी जे, ‘जँ केओ मन्दिरक नाम लऽ कऽ सपत खायत, तँ तकर कोनो महत्व नहि अछि, मुदा जँ मन्दिर मे लगाओल सोनक नाम लऽ कऽ सपत खायत, तँ ओकरा अपन सपत केँ पूरा करऽ पड़तैक।’ 17 अहाँ सभ आन्हर छी! मूर्ख छी! कोन बात पैघ अछि, लगाओल सोन वा ओ मन्दिर, जकरा सँ ओ सोन पवित्र भेल अछि? 18 अहाँ सभ सिखबैत छी जे, ‘जँ केओ बलि-वेदीक नाम लऽ कऽ सपत खयलक तँ से कोनो बात नहि, मुदा वेदी पर चढ़ाओल चढ़ौनाक नाम लऽ कऽ सपत खयलक तँ से पकिया बात भेल।’ 19 यौ आन्हर सभ! कोन बात पैघ अछि, चढ़ौना वा ओ वेदी, जाहि पर अर्पण कयला सँ ओ चढ़ौना पवित्र भेल अछि? 20 तेँ, जे केओ वेदीक सपत खाइत अछि से ओहि वेदी आ ओहि पर जे किछु अछि, सभक सपत खाइत अछि। 21 तहिना, जे केओ मन्दिरक सपत खाइत अछि से मन्दिर आ ओहि मे जे वास करैत छथि, दूनूक सपत खाइत अछि, 22 और जे केओ स्वर्गक सपत खाइत अछि, से परमेश्वरक सिंहासन आ ओहि पर जे विराजमान छथि तिनको सपत खाइत अछि। 23 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी! अहाँ सभ पुदीना, सोंफ आ जीरक दसम भाग तँ परमेश्वर केँ अर्पण करैत छी, मुदा धर्म-नियमक मुख्य बात सभ, जेना न्याय, करुणा आ विश्वसनियता सँ कोनो मतलब नहि रखैत छी। होयबाक तँ ई चाहैत छल जे अहाँ सभ बिनु ओ बात सभ छोड़ने इहो बात सभ करितहुँ। 24 यौ आन्हर पथ-प्रदर्शक सभ, अहाँ सभ तँ मच्छर केँ छानि कऽ फेकि दैत छी, मुदा ऊँट केँ घोँटि लैत छी। 25 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ थारी-बाटी सभ केँ बाहर सँ तँ मँजैत छी, मुदा ओहि मे लूट-पाट आ स्वार्थ द्वारा प्राप्त कयल वस्तु सभ रखैत छी। 26 यौ आन्हर फरिसी, थारी-बाटी केँ पहिने भीतर सँ साफ करू, तखन ओ बाहर सँ सेहो साफ रहत। 27 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ चून सँ पोतल कबरक चबुतरा जकाँ छी, जे बाहर सँ तँ सुन्दर देखाइ दैत रहैत अछि, मुदा ओकरा भीतर मे लासक हाड़ आ सभ तरहक सड़ल वस्तु भरल रहैत छैक। 28 तहिना अहूँ सभ बाहर सँ लोक सभ केँ धार्मिक बुझाइत छिऐक, मुदा भीतर मे पाखण्ड आ अधर्म सँ भरल छी। 29 “यौ धर्मशिक्षक आ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ पाखण्डी छी। अहाँ सभ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक कबर पर चबुतराक निर्माण करैत छी, धर्मी लोकक स्मारक केँ सजबैत छी, 30 और कहैत छी जे, ‘हम सभ जँ अपना पुरखा सभक समय मे रहल रहितहुँ तँ हम सभ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक हत्या मे ओकरा सभ केँ साथ नहि देने रहितहुँ।’ 31 एहि तरहेँ अहाँ सभ अपने साक्षी दऽ रहल छी जे अहाँ सभ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक हत्या कयनिहारक सन्तान छी। 32 तँ पूरा करू अपन पुरखाक काज! पापक घैल केँ भरि दिअ! 33 “है साँप सभ! है बिषधर साँपक सन्तान सभ! अहाँ सभ नरकक दण्ड सँ कोना बाँचब? 34 एहि कारणेँ, सुनू अहाँ सभ, हम अहाँ सभ लग अपन प्रवक्ता, बुद्धिमान लोकनि आ शिक्षक सभ केँ पठा रहल छी। अहाँ सभ ओहि मे सँ कतेक गोटे केँ जान सँ मारि देबनि, क्रूस पर लटका देबनि, कतेक गोटे केँ अपन सभाघर सभ मे कोड़ा सँ मारबनि आ एक नगर सँ दोसर नगर तक खिहारैत रहबनि। 35 एहि तरहेँ पृथ्वी पर धर्मी लोकक जतेक खून बहाओल गेल—धर्मी हाबिलक खून सँ लऽ कऽ बिरिकयाहक पुत्र जकरयाहक खून धरि, जिनका अहाँ सभ मन्दिरक ‘पवित्र स्थान’ आ बलि-वेदीक बीच हत्या कऽ देलियनि, तकर भार अहाँ सभक मूड़ी पर पड़त। 36 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, ई सभ बातक लेखा-जोखा एही पीढ़ीक लोक सभ सँ लेल जायत। 37 “हे यरूशलेम! हे यरूशलेम! तोँ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक हत्या करैत छह आ जिनका परमेश्वर तोरा लग पठबैत छथुन, तिनका सभ केँ तोँ पथरबाहि कऽ कऽ मारि दैत छहुन। हम कतेको बेर चाहलिअह जे जहिना मुर्गी अपना बच्चा सभ केँ अपन पाँखिक तर मे नुकबैत अछि, तहिना हमहूँ तोहर सन्तान सभ केँ जमा कऽ लिअह। मुदा तोँ ई नहि चाहलह! 38 देखह, आब तोहर घर उजड़ल पड़ल छह। 39 हम तोरा कहैत छिअह, तोँ हमरा फेर ताबत तक नहि देखबह जाबत तक ओ समय नहि आओत जहिया तोँ ई कहबह जे, ‘धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि!’”
1 यीशु जखन मन्दिर सँ निकलि कऽ चल जा रहल छलाह तँ हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ मन्दिरक मकान सभ देखाबऽ लगलथिन। 2 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “ई सभ चीज देखैत छी? हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत। सभ ढाहल जायत।” 3 जैतून पहाड़ पर यीशु जखन बैसल छलाह तँ शिष्य सभ हुनका लग आबि कऽ एकान्त मे हुनका सँ पुछलथिन, “हमरा सभ केँ कहू जे ई घटना कहिया होयत? अहाँ आब फेर आबऽ पर छी आ संसारक अन्त होमऽ पर अछि, ताहि समय केँ हम सभ कोन बात सँ चिन्हब?” 4 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “होसियार रहू जे अहाँ सभ केँ केओ बहकाबऽ नहि पाबय। 5 बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत आ कहत जे, ‘हमहीं उद्धारकर्ता-मसीह छी,’ आ बहुतो लोक केँ बहका देत। 6 अहाँ सभ लड़ाइक समाचार आ लड़ाइक हल्ला सभ सुनब। मुदा देखू, ताहि सँ घबड़ायब नहि। ई सभ होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तहियो नहि होयत। 7 एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। बहुतो ठाम मे अकाल पड़त आ भूकम्प होयत। 8 ई सभ बात तँ कष्टक शुरुआते होयत। 9 “ओहि समय मे लोक सभ अहाँ सभ पर अत्याचार करयबाक लेल अहाँ सभ केँ अधिकारी सभक जिम्मा मे लगा देत आ मरबा देत। अहाँ सभ सँ सभ देशक लोक सभ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। 10 ओहि समय मे बहुतो लोक अपन विश्वास छोड़ि देत। ओ सभ एक-दोसर केँ पकड़बाओत आ एक-दोसर सँ घृणा करत। 11 एहन बहुतो लोक सभ प्रगट भऽ जायत जे झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहत आ बहुतो लोक केँ बहका देत। 12 अधर्मक वृद्धि भेला सँ अनेक लोकक आपसी प्रेम मन्द पड़ि जायत। 13 मुदा जे केओ अन्त धरि स्थिर रहत से उद्धार पाओत। 14 परमेश्वरक राज्यक ई शुभ समाचारक प्रचार सम्पूर्ण संसार मे कयल जायत जाहि सँ एकरा सम्बन्ध मे सभ जातिक लोक गवाही सुनय; तखन अन्तक समय आबि जायत। 15 “तेँ जखन अहाँ सभ ‘विनाश करऽ वला घृणित वस्तु’ केँ पवित्र स्थान मे ठाढ़ देखब, जकरा विषय मे परमेश्वरक प्रवक्ता दानिएल कहने छथि—पढ़ऽ वला ई बात ध्यान दऽ कऽ बुझू!— 16 तखन जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय से सभ पहाड़ पर भागि जाय। 17 जे घरक छत पर होअय से उतरि कऽ घर मे सँ कोनो वस्तु लेबऽ नहि लागओ। 18 आ जे खेत मे होअय से घर मे सँ अपन ओढ़ना लेबाक लेल घूमि कऽ नहि आबओ। 19 ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! 20 प्रार्थना करू जे जाड़क समय वा विश्राम-दिन कऽ अहाँ सभ केँ भागऽ-पड़ाय नहि पड़य। 21 ओहि समय मे एहन कष्ट होयत जे सृष्टिक आरम्भ सँ आइ तक कहियो नहि भेल अछि आ ने फेर कहियो होयत। 22 जँ ओहि समय केँ घटा नहि देल जाइत तँ कोनो मनुष्य नहि बचैत, मुदा परमेश्वर अपन चुनल लोक सभक कारणेँ ओहि समय केँ घटा देताह। 23 “ओहि समय मे जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘देखू, मसीह एतऽ छथि!’ वा ‘ओतऽ छथि!’ तँ ओहि बात पर विश्वास नहि करू। 24 कारण, ओहि समय मे झुट्ठा मसीह आ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहऽ वला सभ प्रगट होयत, और एहन अजगूत बात आ चमत्कार सभ देखाओत जे, जँ सम्भव रहैत, तँ परमेश्वरक चुनल लोक सभ केँ सेहो बहका दैत। 25 देखू, हम अहाँ सभ केँ पहिनहि कहि देलहुँ। 26 “तेँ जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘चलू, देखू, ओ निर्जन स्थान मे छथि,’ तँ ओकरा संग बाहर नहि जाउ। अथवा जँ कहत जे, ‘देखू, ओ एतऽ कोठरी मे छथि,’ तँ विश्वास नहि करू। 27 किएक तँ जहिना बिजलोकाक चमक पूब सँ निकलि कऽ पश्चिम तक देखाइ दैत अछि, तहिना जखन मनुष्य-पुत्र फेर औताह तँ एहने होयत। 28 जतऽ कतौ लास रहैत अछि ततऽ गिद्ध सभ जुटैत अछि। 29 “ओहि समयक कष्टक ठीक बाद, ‘सूर्य अन्हार भऽ जायत, चन्द्रमा इजोत नहि देत, आकाश सँ तारा सभ खसत, और आकाशक शक्ति सभ हिलि जायत।’ 30 तकरबाद मनुष्य-पुत्रक अयबाक चिन्ह आकाश मे देखाइ देत। पृथ्वी परक सभ जातिक लोक सभ कन्ना-रोहटि करत और मनुष्य-पुत्र केँ सामर्थ्य आ अपार महिमाक संग आकाशक मेघ मे अबैत देखत। 31 धुतहूक पैघ आवाजक संग ओ अपन स्वर्गदूत सभ केँ चारू दिस पठौताह आ ओ सभ आकाश आ पृथ्वीक अन्तिम सीमा तक जा कऽ हुनकर चुनल लोक सभ केँ जमा करताह। 32 “आब अंजीरक गाछ सँ एकटा बात सिखू। जखन ओकर ठाढ़ि कोमल होमऽ लगैत छैक आ ओहि मे नव पात निकलऽ लगैत छैक तँ अहाँ सभ बुझि जाइत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। 33 तहिना जखन अहाँ सभ ई सभ बात होइत देखब तँ बुझि लिअ जे समय लगचिआ गेल, हँ, ई बुझू जे ओ घरक मुँह पर आबि गेल अछि। 34 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। 35 आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। 36 “मुदा एहि घटना सभक दिन वा समय केओ नहि जनैत अछि, स्वर्गदूतो सभ नहि आ पुत्रो नहि —मात्र पिता जनैत छथि। 37 जहिना नूहक समय मे भेल तहिना ओहि समय मे होयत जहिया मनुष्य-पुत्र फेर औताह। 38 जल-प्रलय होमऽ सँ पहिने लोक सभ खाय-पिबऽ मे आ विवाह करऽ-कराबऽ मे लागल छल। नूह जाहि दिन जहाज मे चढ़ि गेलाह ताहि दिन तक लोक सभ एहि सभ काज मे मस्त रहल। 39 ओकरा सभ केँ किछु बुझऽ मे नहि अयलैक जे कोन बात सभ होमऽ वला अछि, ताबत जल-प्रलयक बाढ़ि आबि कऽ ओकरा सभ केँ बहा कऽ लऽ गेलैक। मनुष्य-पुत्र जहिया फेर औताह, तहिया ओहिना होयत। 40 ओहि समय मे दू गोटे खेत मे रहत; ओहि मे सँ एकटा लऽ लेल जायत आ दोसर ओतहि छोड़ि देल जायत। 41 दूटा स्त्रीगण जाँत पिसैत रहत, एकटा लऽ लेल जायत आ दोसर छोड़ि देल जायत। 42 “तेँ अहाँ सभ चौकस रहू, कारण अहाँ सभ नहि जनैत छी जे अहाँ सभक प्रभु कोन दिन आबि जयताह। 43 मुदा ई बात ठीक सँ बुझि लिअ जे, जँ घरक मालिक केँ बुझल रहितैक जे चोर रातिक कोन पहर मे आओत तँ ओ जागल रहैत आ अपना घर मे सेन्ह नहि काटऽ दैत। 44 तेँ अहूँ सभ सदिखन तैयार रहू, कारण मनुष्य-पुत्र एहने समय मे आबि जयताह जाहि समयक लेल अहाँ सभ सोचबो नहि करब जे ओ एखन औताह। 45 “के अछि ओहन विश्वासपात्र आ बुद्धिमान सेवक जकरा मालिक अपन घरक आरो सेवक सभक मुखिया बनौथिन जे ओ ठीक सँ ओकरा सभक देख-रेख करैक आ समय पर भोजन-भातक व्यवस्था करैक? 46 ओहि सेवकक लेल कतेक नीक होयत, जकरा मालिक आबि कऽ ओहिना करैत पौताह। 47 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, मालिक अपन सम्पूर्ण सम्पत्तिक जबाबदेही ओकरा जिम्मा मे दऽ देथिन। 48 मुदा ओ सेवक जँ दुष्ट अछि आ एना सोचय जे, ‘हमर मालिक आबऽ मे बहुत देरी कऽ रहल अछि,’ 49 आ ई सोचि ओ मालिकक आरो सेवक सभ केँ मारय-पिटय आ स्वयं पिअक्कड़ सभक संग खाय-पिबऽ लागय, 50 तँ ओहि सेवकक मालिक एहन दिन मे घूमि औताह जहिया ओ अपन मालिकक बाट नहि तकैत रहत आ एहन समय मे औताह जकरा ओ नहि जानत। 51 मालिक आबि कऽ ओकरा खण्ड-खण्ड कटबा देथिन आ ओकरा ताहि ठाम राखि देथिन जतऽ पाखण्डी लोक अपन दण्ड भोगैत अछि। ओतऽ लोक कनैत आ दाँत कटकटबैत रहैत अछि।
1 “ओहि समय मे स्वर्गक राज्य ओहि दस कुमारि कन्याक घटना वला बात जकाँ होयत जे सभ अपन-अपन दीप लऽ कऽ वरक स्वागत करबाक लेल निकलल। 2 ओहि मे पाँचटा मूर्ख आ पाँचटा बुद्धिआरि छलि। 3 मूर्ख कन्या सभ दीप तँ लेलक मुदा फाजिल तेल अपना संग नहि रखलक। 4 मुदा बुद्धिआरि कन्या सभ अपन दीप आ अलग बर्तन मे तेल सेहो लऽ गेलि। 5 वर केँ आबऽ मे जखन देरी भेलनि तँ सभ औँघाय लागलि आ सुति रहलि। 6 “आधा राति बितला पर हो-हल्ला होमऽ लागल जे, ‘चलू, चलू, वर आबि गेलाह! हुनका सँ भेँट करऽ चलू!’ 7 ई सुनि सभ कुमारि कन्या उठलि आ अपन-अपन दीप सभ ठीक करऽ लागलि। 8 मूर्ख कन्या सभ बुद्धिआरि कन्या सभ केँ कहलकैक, ‘देखह, हमर सभक दीप मिझाय लागल। तोँ सभ अपना मे सँ कनेक तेल हमरा सभ केँ दैह।’ 9 मुदा ओ बुद्धिआरि कन्या सभ उत्तर देलकैक जे, ‘नहि, कहीं ई तेल अपना सभ गोटेक लेल पूरा नहि ने होअय। तेँ नीक ई जे तोँ सभ तेल बेचऽ वला सँ किनि कऽ लऽ आनह।’ 10 “ओ सभ जखन तेल किनबाक लेल गेलि तखने वर आबि गेलाह। जे सभ तैयार छलि, से सभ वरक संग विवाह-भोज मे भीतर गेलि आ केबाड़ बन्द कयल गेल। 11 बाद मे ओ तेल किनऽ वाली मूर्ख कन्या सभ आयल आ कहऽ लागलि, ‘यौ प्रभु, यौ प्रभु! हमरा सभक लेल केबाड़ खोलि दिअ!’ 12 मुदा वर उत्तर देलथिन, ‘हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, हम अहाँ सभ केँ नहि चिन्हैत छी।’” 13 तखन यीशु कहलनि, “तेँ अहाँ सभ होसियार रहू, कारण अहाँ सभ ओहि दिन आ ओहि समय केँ नहि जनैत छी। 14 “स्वर्गक राज्य परदेश जाय लागल एक गोटेक यात्रा वला बात जकाँ अछि। परदेश जाय सँ पहिने ओ अपन सेवक सभ केँ बजौलनि आ अपन सम्पत्तिक देख-रेख करबाक भार ओकरा सभक जिम्मा देलथिन। 15 ओ अपन सेवक सभक गुणक अनुसार एकटा केँ पाँच हजार, दोसर केँ दू हजार आ तेसर केँ एक हजार सोनक रुपैया जिम्मा दऽ परदेश चल गेलाह। 16 जकरा पाँच हजार भेटल छलैक, से ओकरा तुरत व्यापार मे लगौलक आ ओहि सँ पाँच हजार आओर कमायल। 17 एहि तरहेँ जकरा दू हजार भेटल छलैक से दू हजार आओर कमायल। 18 मुदा जकरा एक हजार भेटल छलैक से खधिया खुनि कऽ अपन मालिकक रुपैया ओहि मे नुका कऽ धयलक। 19 “बहुत समय बितला पर मालिक परदेश सँ घूमि अयलाह आ अपन सेवक सभ सँ हिसाब-किताब लेबऽ लगलाह। 20 जकरा पाँच हजार भेटल छलैक से दस हजार रुपैया आनि कऽ अपना मालिक केँ कहलकनि, ‘मालिक, अपने हमरा पाँच हजार देने छलहुँ, देखल जाओ, हम एहि सँ पाँच हजार आरो कमयलहुँ।’ 21 मालिक ओहि सेवक केँ कहलथिन, ‘चाबस! तोँ नीक आ भरोसमन्द सेवक छह! थोड़बो वस्तु मे तोँ विश्वसनीय रहलह। हम आब तोरा बहुत वस्तु पर अधिकार देबह। अपन मालिकक आनन्द मे सहभागी बनह!’ 22 “जकरा दू हजार भेटल छलैक सेहो आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपने हमरा दू हजार देने छलहुँ, देखल जाओ, हम एहि सँ दू हजार आरो कमयलहुँ।’ 23 मालिक ओहू सेवक केँ कहलथिन, ‘चाबस! तोँ नीक आ भरोसमन्द सेवक छह! थोड़बो वस्तु मे तोँ विश्वसनीय रहलह। हम आब तोरा बहुत वस्तु पर अधिकार देबह। अपन मालिकक आनन्द मे सहभागी होअह!’ 24 “तकरबाद जकरा एक हजार भेटल छलैक से आयल आ कहलक, ‘मालिक, हम अपने केँ जनैत छी जे अपने कठोर आदमी छी। जाहि खेत मे रोपने नहि छी, ताहि मे कटनी करबैत छी। जतऽ अपनेक वस्तु छिटायल नहि रहैत अछि, ततऽ समटबैत छी। 25 तेँ हमरा डर भेल आ अपनेक देल एक हजार रुपैया हम जमीन मे गाड़ि कऽ रखने छलहुँ। लेल जाओ अपन ओ रुपैया।’ 26 मालिक ओहि सेवक केँ कहलथिन, ‘है दुष्ट आ आलसी सेवक! जखन तोँ जनैत छलेँ जे हम जाहि मे रोपने नहि छी ताहि मे कटनी करैत छी आ जतऽ हमर छिटायल नहि अछि ततऽ हम समटैत छी, 27 तँ तोँ हमर पाइ कोनो महाजनक जिम्मा लगा दिते, जाहि सँ हम आबि कऽ अपन पाइ कम सँ कम व्याजक संग पबितहुँ। 28 हौ, एकरा सँ इहो पाइ लऽ लैह आ जकरा लग दस हजार छैक तकरा दऽ दहक। 29 किएक तँ जकरा लग छैक तकरा आरो देल जयतैक, जाहि सँ ओकरा बहुते भऽ जायत। मुदा जकरा लग नहि छैक, तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक। 30 और एहि निकम्मा सेवक केँ बाहर अन्हार मे फेकि दैह जतऽ लोक कनैत आ दाँत कटकटबैत रहैत अछि।’ 31 “मनुष्य-पुत्र अपन सभ स्वर्गदूतक संग जहिया अपना महिमा मे औताह, तहिया ओ अपन महिमामय सिंहासन पर बैसताह। 32 पृथ्वी परक सभ जातिक लोक हुनका समक्ष जमा कयल जायत, आ जहिना चरबाह भेँड़ा सभ केँ बकरी सभ सँ छुटिअबैत अछि, तहिना ओ लोक सभ केँ एक-दोसर सँ अलग करताह। 33 ओ ‘भेँड़ा’ सभ केँ अपन दहिना कात आ ‘बकरी’ सभ केँ अपन बामा कात ठाढ़ करताह। 34 “तकरबाद राजा अपन दहिना कात ठाढ़ भेल लोक सभ केँ कहथिन, ‘हे हमर पिताक कृपापात्र सभ! आउ, ओहि राज्यक अधिकारी बनू, जकरा सृष्टिक आरम्भ सँ अहाँ सभक लेल तैयार कयल गेल अछि। 35 कारण, हम भूखल छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा भोजन करौलहुँ। हम पियासल छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा पानि पिऔलहुँ। हम परदेशी छलहुँ आ अहाँ सभ अपना घर मे हमर सेवा-सत्कार कयलहुँ। 36 हम नाङट छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा वस्त्र पहिरौलहुँ। हम बिमार छलहुँ आ अहाँ सभ हमर रेख-देख कयलहुँ। हम जहल मे छलहुँ आ अहाँ सभ हमरा सँ भेँट करबाक लेल अयलहुँ।’ 37 “ताहि पर ओ धर्मी लोक सभ हुनका कहथिन, ‘यौ प्रभु, हम सभ अहाँ केँ कहिया भूखल देखलहुँ आ भोजन करौलहुँ, पियासल देखलहुँ आ पानि पिऔलहुँ? 38 हम सभ अहाँ केँ कहिया परदेशी देखलहुँ आ अपना घर मे सेवा-सत्कार कयलहुँ, नाङट देखलहुँ आ वस्त्र पहिरौलहुँ? 39 कहिया हम सभ अहाँ केँ बिमार वा जहल मे देखलहुँ आ अहाँ सँ भेँट करबाक लेल गेलहुँ?’ 40 एहि पर राजा हुनका सभ केँ उत्तर देथिन, ‘हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जे किछु अहाँ सभ हमर एहि भाय सभ मे सँ ककरो लेल, छोटो सँ छोटक लेल कयलहुँ, से हमरा लेल कयलहुँ।’ 41 “तकरबाद राजा अपन बामा कात ठाढ़ लोक सभ केँ कहथिन, ‘हे सरापित लोक सभ! तोँ सभ हमरा लग सँ दूर हटि जाह और कहियो नहि मिझाय वला ओहि आगिक कुण्ड मे पड़ल रहह, जे शैतान आ ओकर दूत सभक लेल तैयार कयल गेल अछि। 42 कारण, हम भूखल छलहुँ आ तोँ सभ हमरा खयबाक लेल किछु नहि देलह, पियासल छलहुँ आ तोँ सभ पानि नहि पिऔलह। 43 हम परदेशी छलहुँ आ तोँ सभ अपना ओतऽ हमर स्वागत नहि कयलह, नाङट छलहुँ आ वस्त्र नहि पहिरौलह। हम बिमार छलहुँ, जहल मे छलहुँ, मुदा तोँ सभ हमरा देखबाक लेल नहि अयलह।’ 44 “एहि पर ओहो सभ पुछतनि जे, ‘यौ प्रभु, हम सभ अहाँ केँ कहिया भूखल, पियासल, परदेशी, नाङट, बिमार वा जहल मे बन्द देखलहुँ आ अहाँक सेवा नहि कयलहुँ?’ 45 ताहि पर राजा ओकरा सभ केँ उत्तर देथिन, ‘हम तोरा सभ केँ सत्य कहैत छिअह जे, जे किछु तोँ सभ हमर एहि भाय सभ मे सँ ककरो लेल, छोटो सँ छोटक लेल नहि कयलह से हमरो लेल नहि कयलह।’” 46 तखन यीशु कहलनि, “ई सभ अनन्त दण्ड भोगबाक लेल चल जायत, मुदा धर्मी सभ अनन्त जीवन मे प्रवेश करत।”
1 ई सभ बात जखन कहल भऽ गेलनि तँ यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 2 “अहाँ सभ जनैत छी जे दू दिनक बाद फसह-पाबनि अछि। ओहि समय मे मनुष्य-पुत्र क्रूस पर लटका कऽ मारबाक लेल पकड़बाओल जायत।” 3 ओम्हर काइफा नामक महापुरोहित जे छलाह तिनका आङन मे मुख्यपुरोहित आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित सभ जमा भऽ कऽ 4 अपना मे विचार-विमर्श करऽ लगलाह जे कोन तरहेँ छल सँ यीशु केँ पकड़ि कऽ मारल जाय। 5 ओ सभ कहैत छलाह जे, “मुदा पाबनिक समय मे नहि। एना नहि होअय जे जनता उपद्रव करय।” 6 यीशु जखन बेतनिया गाम मे सिमोन नामक एक आदमी, जिनका पहिने कुष्ठ-रोग भेल छलनि, तिनका ओहिठाम छलाह, 7 तँ एक स्त्री बेसकिमती सुगन्धित तेल एकटा संगमरमरक बर्तन मे लऽ कऽ अयलीह। यीशु भोजन करैत छलाह तखने ओ स्त्री ओहि सुगन्धित तेल केँ यीशुक माथ पर ढारि देलथिन। 8 ई देखि हुनकर शिष्य सभ खिसिआइत बजलाह, “एहन नीक वस्तु किएक एना बरबाद कयल गेल? 9 एहि तेल केँ बढ़ियाँ दाम मे बेचि कऽ बहुतो गरीबक सहायता कयल जा सकैत छल।” 10 शिष्य सभक बात बुझि यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “एहि स्त्री केँ अहाँ सभ किएक डाँटि रहल छी? ई तँ हमरा लेल बहुत बढ़ियाँ काज कयलनि। 11 गरीब सभ तँ अहाँ सभक संग सभ दिन रहत, मुदा हम अहाँ सभक संग सभ दिन नहि रहब। 12 ई सुगन्धित तेल हमरा मूड़ी पर ढारि कऽ ई स्त्रीगण हम जे कबर मे राखल जायब, तकर तैयारी कयलनि। 13 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, संसार भरि मे जतऽ कतौ हमर शुभ समाचारक प्रचार कयल जायत, ततऽ एहि स्त्रीगणक स्मरण मे हिनकर एहि काजक चर्चा सेहो कयल जायत।” 14 तकरबाद यीशुक बारह शिष्य मे सँ एक जकर नाम यहूदा इस्करियोती छलैक से मुख्यपुरोहित सभ लग जा कऽ कहलकनि, 15 “हम जँ यीशु केँ अहाँ सभक हाथ मे पकड़बा देब तँ अहाँ सभ हमरा की देब?” एहि पर ओ सभ तीसटा चानीक सिक्का ओकरा देलथिन। 16 ओहि समय सँ यहूदा यीशु केँ पकड़बयबाक अनुकूल अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 17 “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”क पहिल दिन यीशुक शिष्य सभ हुनका लग आबि पुछलथिन, “फसह-पाबनिक भोजक व्यवस्था अहाँक लेल हम सभ कतऽ ठीक करू?” 18 यीशु कहलथिन, “शहर मे फलानाक ओतऽ जाउ आ कहू, ‘गुरुजी कहलनि अछि जे हमर समय आब लगचिआ गेल अछि। हम अपन शिष्य सभक संग अहाँक ओतऽ फसह-भोज खायब।’” 19 शिष्य सभ यीशुक कथनानुसार सभ बात कऽ कऽ फसह-पाबनिक भोजक व्यवस्था ओतहि कयलनि। 20 साँझ पड़ला पर यीशु अपन बारहो शिष्यक संग भोजन करबाक लेल बैसलाह। 21 भोजन करैत समय यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी, अहाँ सभ मे सँ एक गोटे हमरा पकड़बा देब।” 22 ई सुनि शिष्य सभ बहुत उदास भऽ गेलाह। ओ सभ बेरा-बारी हुनका सँ पुछऽ लगलनि जे, “हे प्रभु, ओ हम तँ नहि छी?” 23 यीशु उत्तर देलथिन, “हमरा संग जे बट्टा मे हाथ रखने अछि सैह हमरा पकड़बाओत। 24 मनुष्य-पुत्रक सम्बन्ध मे जहिना धर्मशास्त्र मे लिखल गेल अछि तहिना तँ ओ चलिए जायत, मुदा धिक्कार अछि ओहि मनुष्य केँ जे मनुष्य-पुत्र केँ पकड़बा रहल अछि। ओकरा लेल तँ नीक ई रहितैक जे ओ जन्मे नहि लेने रहैत।” 25 एहि पर हुनका पकड़बाबऽ वला यहूदा कहलकनि, “गुरुजी, की अहाँ हमरा बारे मे तँ नहि कहि रहल छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ स्वयं कहि देलहुँ।” 26 ओ सभ जखन भोजन कऽ रहल छलाह तँ यीशु रोटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। ओ रोटी केँ तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ कहलथिन, “लिअ, खाउ, ई हमर देह अछि।” 27 तकरबाद ओ बाटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ शिष्य सभ केँ दैत कहलथिन, “अहाँ सभ केओ एहि मे सँ पिबू। 28 ई परमेश्वर आ मनुष्यक बीच विशेष सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि, जे बहुत लोकक पापक क्षमादानक लेल बहाओल जा रहल अछि। 29 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ई अंगूरक रस हम आजुक बाद ताबत तक फेर नहि पीब जाबत तक हम अपन पिताक राज्य मे अहाँ सभक संग नवका अंगूरक रस नहि पीब।” 30 तकरबाद एक भजन गाबि कऽ ओ सभ जैतून पहाड़ पर चल गेलाह। 31 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “आइए राति अहाँ सभ गोटे हमरा कारणेँ अपना विश्वास मे डगमगायब, किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे परमेश्वर कहने छथि, ‘हम चरबाह केँ मारि देबैक, आ झुण्डक भेँड़ा सभ छिड़िया जायत।’ 32 मुदा मृत्यु सँ फेर जीवित भऽ गेलाक बाद हम अहाँ सभ सँ पहिने गलील प्रदेश जायब।” 33 एहि पर पत्रुस कहलथिन, “चाहे सभ केओ अहाँक कारणेँ विश्वास मे डगमगायत, मुदा हम कहियो नहि डगमगायब!” 34 यीशु पत्रुस केँ कहलथिन, “हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, आइए राति मे मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार कऽ कऽ लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 35 मुदा पत्रुस कहलथिन, “हमरा जँ अहाँक संग मरहो पड़त तैयो हम किन्नहुँ नहि अहाँ केँ अस्वीकार करब।” आरो सभ शिष्य सेहो यैह बात कहलथिन। 36 ओहिठाम सँ यीशु अपन शिष्य सभक संग गतसमनी नामक एक जगह पर गेलाह। ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम किछु आगाँ जा कऽ जाबत प्रार्थना करैत छी ताबत अहाँ सभ एतऽ बैसल रहू।” 37 ओ पत्रुस आ जबदीक दूनू पुत्र केँ अपना संग लऽ गेलाह। ओ बहुत व्यथित आ व्याकुल होमऽ लगलाह, 38 और हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर मोन व्यथा सँ एतेक व्याकुल अछि—मानू जे हम दुःख सँ मरऽ पर छी। अहाँ सभ एहिठाम रहि कऽ हमरा संग जागल रहू।” 39 एतेक कहि ओ कनेक आगाँ बढ़लाह आ मुँह भरे खसि कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह, “हे हमर पिता, जँ भऽ सकैत अछि तँ ई दुःखक बाटी हमरा लग सँ हटा लिअ, मुदा तैयो जेना हम चाहैत छी तेना नहि, बल्कि जेना अहाँ चाहैत छी तेना होअय।” 40 तकरबाद यीशु अपन तीनू शिष्य लग अयलाह। ओ हुनका सभ केँ सुतल देखि पत्रुस केँ पुछलथिन, “की हमरा संग एको घण्टा जागल रहितहुँ से अहाँ सभ केँ पार नहि लागल? 41 परीक्षा मे नहि पड़ि जाउ ताहि लेल अहाँ सभ जागल रहू आ प्रार्थना करैत रहू। आत्मा तँ तत्पर अछि मुदा शरीर कमजोर।” 42 यीशु फेर जा कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह, “हे पिता, जँ ई बाटी बिनु पिने हमरा लग सँ नहि हटाओल जा सकैत अछि, तँ अहाँक जे इच्छा अछि से पूरा होअय।” 43 ओ जखन प्रार्थना कऽ कऽ शिष्य सभ लग अयलाह तँ ओ सभ फेर सुतल छलाह। हुनकर सभक आँखि नीन सँ भारी भऽ गेल छलनि। 44 यीशु हुनका सभ केँ सुतले छोड़ि कऽ फेर गेलाह आ तेसरो बेर ओही तरहेँ प्रार्थना कयलनि। 45 तकरबाद ओ शिष्य सभ लग अयलाह आ कहलथिन, “की अहाँ सभ एखनो तक सुतिए रहल छी आ आरामे कऽ रहल छी? देखू, ओ समय आब आबि गेल, मनुष्य-पुत्र पापी सभक हाथ मे पकड़बाओल जा रहल अछि। 46 उठू-उठू! चलू! देखू, हमरा पकड़बाबऽ वला आबि गेल अछि!” 47 यीशु ई बात कहिए रहल छलाह कि यहूदा, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, ओतऽ पहुँचि गेल। ओकरा संग लोकक बड़का भीड़ छलैक, और सभक हाथ मे तरुआरि आ लाठी छल। ओकरा सभ केँ मुख्यपुरोहित सभ आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि पठौने छलाह। 48 यीशु केँ पकड़बाबऽ वला ओकरा सभ केँ ई संकेत देने छलैक जे, “हम जकरा चुम्मा लेब, वैह होयत। अहाँ सभ ओकरे पकड़ि लेब।” 49 यहूदा तुरत यीशुक लग मे जा कऽ कहलकनि, “गुरुजी, प्रणाम!” आ हुनका चुम्मा लेलकनि। 50 यीशु कहलथिन, “हौ मित्र, तोँ जाहि काजक लेल आयल छह, से कऽ लैह।” तखन लोक सभ आगाँ बढ़ि कऽ यीशु केँ पकड़ि लेलकनि आ बन्दी बना लेलकनि। 51 ई देखि यीशुक एक शिष्य अपन तरुआरि निकालि कऽ महापुरोहितक टहलू पर चला देलनि जाहि सँ ओकर एकटा कान छपटा गेलैक। 52 यीशु अपना शिष्य केँ कहलथिन, “अपन तरुआरि म्यान मे राखि लिअ। जे केओ तरुआरि चलबैत अछि से तरुआरि सँ मारल जायत। 53 की अहाँ ई सोचैत छी, जे हम अपन पिता सँ एहि बातक लेल निवेदन नहि कऽ सकैत छी जे ओ एही क्षण हमरा सहायताक लेल स्वर्गदूतक बारह सेना सँ बेसिओ पठबथि? 54 मुदा तखन धर्मशास्त्रक जे लेख अछि, जे ई सभ भेनाइ जरूरी अछि, से कोना पूरा होइत?” 55 तकरबाद यीशु अपना चारू भागक भीड़क लोक केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ हमरा विद्रोह मचाबऽ वला बुझि कऽ लाठी और तरुआरि लऽ कऽ पकड़ऽ अयलहुँ? हम तँ सभ दिन मन्दिर मे बैसि कऽ लोक केँ उपदेश दैत छलिऐक, ततऽ अहाँ सभ हमरा नहि पकड़लहुँ। 56 मुदा ई सभ एना एहि लेल भेल जे परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक लिखल बात सभ पूरा होअय।” तकरबाद हुनकर सभ शिष्य हुनका छोड़ि कऽ पड़ा गेलनि। 57 यीशु केँ पकड़ऽ वला सभ हुनका महापुरोहित काइफाक ओतऽ लऽ गेलनि। ओहिठाम धर्मशिक्षक आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ जमा भेल छलाह। 58 पत्रुस सेहो कनेक दूरे रहि कऽ यीशुक पाछाँ लागल महापुरोहितक आङन तक गेलाह। ओ एहि घटनाक अन्त देखबाक उद्देश्य सँ नोकर सभक संग भीतर जा कऽ बैसि रहलाह। 59 ओम्हर मुख्यपुरोहित सभ आ सम्पूर्ण धर्म-महासभाक सदस्य सभ यीशु केँ मृत्युदण्डक योग्य बनयबाक लेल हुनका विरोध मे झूठ-फूसक प्रमाण सभ जमा करबाक कोशिश मे लागल छलाह। 60 मुदा बहुतो झुट्ठा गवाह सभक वयान लेलाक बादो कोनो पकिया प्रमाण हुनका सभ केँ नहि भेटलनि। अन्त मे दू गोटे आगाँ आबि कऽ बाजल, 61 “ई आदमी कहने छल जे, ‘हम परमेश्वरक मन्दिर केँ तोड़ि कऽ तीन दिन मे फेर ओकर निर्माण कऽ सकैत छी’।” 62 एहि पर महापुरोहित ठाढ़ होइत यीशु केँ पुछलथिन, “की अहाँ कोनो उत्तर नहि देब? ई गवाह सभ अहाँक विरोध मे केहन बात सभ कहि रहल अछि?” 63 मुदा यीशु चुपे रहलाह। महापुरोहित फेर कहलथिन, “अहाँ जीवित परमेश्वरक सपत खा कऽ कहू जे, की अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह, परमेश्वरक पुत्र छी?” 64 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि देलहुँ। और हम अहाँ सभ केँ इहो बात कहैत छी जे, भविष्य मे अहाँ सभ मनुष्य-पुत्र केँ सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसल आ आकाशक मेघ मे अबैत देखब।” 65 ई बात सुनिते महापुरोहित अपन वस्त्र फाड़ैत बजलाह, “ई आदमी अपना केँ परमेश्वरक बराबरि बुझैत अछि! की अपना सभ केँ एखनो गवाह सभक आवश्यकता अछि? अहाँ सभ स्वयं अपन कान सँ सुनलहुँ जे ई परमेश्वरक निन्दा कयलक। 66 आब अहाँ सभक की विचार अछि?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “ई मृत्युदण्डक जोगरक अछि।” 67 तकरबाद ओहिठाम उपस्थित लोक सभ यीशु केँ मुँह पर थूक फेकऽ लगलनि, हुनका मुक्का मारलकनि। किछु लोक हुनका थप्पड़ मारैत कहलकनि, 68 “यौ अन्तर्यामी मसीह! कहल जाओ, अपने केँ के मारलक?” 69 पत्रुस ओहि समय धरि बाहर आङन मे बैसल छलाह। तखन एक टहलनी हुनका लग आबि कऽ कहलकनि, “अहूँ तँ गलील निवासी यीशुक संग छलहुँ।” 70 मुदा पत्रुस सभक सामने मे अस्वीकार करैत ओकरा कहलथिन, “तोँ की बाजि रहल छेँ से हमरा बुझहे मे नहि अबैत अछि।” 71 ई बात कहि पत्रुस ओहिठाम सँ हटि कऽ आङनक मुँह पर चल गेलाह। तखन एक दोसर टहलनी हुनका देखि ओतऽ ठाढ़ लोक सभ केँ कहलक, “ई आदमी नासरत नगरक यीशुक संग छल।” 72 पत्रुस सपत खाइत फेर अस्वीकार कयलनि जे, “हम ओहि आदमी केँ नहि चिन्हैत छी!” 73 किछु कालक बाद ओहिठाम ठाढ़ लोक सभ पत्रुस लग आबि कऽ कहलकनि, “निश्चय तोँ ओकरे सभ मे सँ छह। तोहर बोलिए एहि बात केँ स्पष्ट कऽ रहल छह।” 74 तखन पत्रुस सपत खा कऽ अपना केँ सरापऽ लगलाह आ कहलथिन जे, “हम ओहि आदमी केँ चिन्हिते नहि छी!” ठीक ओही क्षण मे मुर्गा बाजि उठल। 75 तखन पत्रुस केँ यीशुक कहल ओ बात मोन पड़ि गेलनि जे, “मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ हमरा तीन बेर अस्वीकार करब।” ओ ओहिठाम सँ बाहर भऽ भोकासी पाड़ि कऽ कानऽ लगलाह।
1 प्रात भेने भोरे-भोर सभ मुख्यपुरोहित आ समाजक बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ आपस मे विचार-विमर्श कऽ एहि बातक निश्चय कयलनि जे यीशु केँ मारि देल जाय। 2 ओ सभ यीशु केँ बान्हि कऽ लऽ गेलाह आ राज्यपाल पिलातुसक जिम्मा मे लगा देलथिन। 3 यहूदा इस्करियोती जे यीशु केँ पकड़बौने छल, से जखन देखलक जे यीशु केँ मृत्युदण्डक आज्ञा देल गेलनि, तखन ओ बहुत पछतायल। ओ मुख्यपुरोहित आ बूढ़-प्रतिष्ठित सभ लग चानीक तीस सिक्का लऽ कऽ गेल आ हुनका सभ केँ कहलकनि, 4 “हम निर्दोष व्यक्ति केँ मृत्युदण्डक लेल पकड़बा कऽ पाप कयलहुँ अछि।” ओ सभ उत्तर देलथिन, “ई बात तोँ जानह, एहि सँ हमरा सभ केँ कोनो मतलब नहि अछि।” 5 एहि पर ओ चानीक सिक्का सभ मन्दिर मे फेकि कऽ चल गेल आ अपना केँ फँसरी लगा लेलक। 6 मुख्यपुरोहित सभ ओ चानीक सिक्का उठा कऽ बजलाह, “एकरा मन्दिरक खजाना मे राखब उचित नहि होयत, किएक तँ ई खूनक मूल्य अछि।” 7 ओ सभ आपस मे एहि बातक विचार-विमर्श कऽ परदेशी लोक सभक लास केँ गाड़बाक लेल ओहि पाइ सँ कुम्हारक एकटा खेत किनि लेलनि। 8 एहि कारण सँ आइओ धरि ओ खेत “खूनक खेत” कहबैत अछि। 9 एहि तरहेँ परमेश्वरक प्रवक्ता यर्मियाहक ई वचन पूर्ण भेल जे, “ओ सभ तीस चानीक सिक्का लेलक; ई ओ मूल्य छल, जे इस्राएली लोक सभ हुनकर दाम लगौने छल। 10 जेना प्रभु सँ हमरा आज्ञा भेटल छल, तेना ओहि पाइ सँ कुम्हारक खेत किनल गेल।” 11 एम्हर यीशु राज्यपाल पिलातुसक सम्मुख ठाढ़ छलाह। राज्यपाल हुनका सँ पुछलथिन, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि रहल छी।” 12 मुदा मुख्यपुरोहित आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ जे कोनो दोष यीशु पर लगौलथिन तकर ओ कोनो उत्तर नहि देलथिन। 13 एहि पर पिलातुस कहलथिन, “की अहाँ नहि सुनि रहल छी जे ई सभ अहाँ पर कतेक आरोप लगा रहल छथि?” 14 मुदा यीशु एको बातक कोनो उत्तर नहि देलथिन। ई बात देखि राज्यपाल केँ बहुत आश्चर्य लगलनि। 15 प्रत्येक साल फसह-पाबनिक अवसर पर राज्यपाल जनताक इच्छाक अनुसार एक कैदी केँ छोड़ि दैत छलाह। 16 ओहि समय मे बरब्बा नामक एक नामी अपराधी जहल मे बन्द छल। 17 भीड़ केँ जमा भेला पर राज्यपाल पिलातुस ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ की चाहैत छी? अहाँ सभक लेल हम ककरा छोड़ि दिअ? बरब्बा केँ वा यीशु केँ, जे मसीह कहबैत अछि?” 18 पिलातुस ई बात जानि गेल छलाह जे धर्मगुरु सभ यीशु केँ ईर्ष्याक कारणेँ पकड़बौने छथि। 19 पिलातुस न्यायासन पर बैसले छलाह कि हुनकर स्त्री कहा पठौलथिन जे, “ओहि निर्दोष मनुष्य केँ किछु नहि करिऔक! किएक तँ हम आइ राति सपना मे हुनका कारणेँ बहुत दुःख सहलहुँ अछि।” 20 मुदा मुख्यपुरोहित सभ आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ जमा भेल लोक सभ केँ सिखा देने छलाह जे, “तोँ सभ बरब्बा केँ छोड़ि देबाक लेल आ यीशुक मृत्युदण्डक माँग करिहह।” 21 राज्यपाल ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ की चाहैत छी? एहि दूनू मे सँ अहाँ सभक लेल हम ककरा छोड़ि दिअ?” ओ सभ बाजल, “बरब्बा केँ।” 22 पिलातुस कहलथिन, “तखन फेर एहि यीशु केँ, जे मसीह कहबैत अछि तकरा हम की करू?” सभ कहऽ लागल, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 23 ओ पुछलथिन, “किएक? ई कोन अपराध कयने अछि?” एहि पर लोकक भीड़ आरो जोर-जोर सँ चिचियाय लागल, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 24 जखन पिलातुस देखलनि जे यीशु केँ बचयबाक हुनकर प्रयत्न सफल नहि भऽ रहल अछि, बल्कि एहि सँ उपद्रव बढ़ि रहल अछि, तखन ओ हाथ मे पानि लऽ कऽ लोक सभक सामने अपन हाथ धोइत कहलथिन, “एहि मनुष्यक खूनक दोषी हम नहि छी। अहीं सभ एहि बात केँ जानू!” 25 भीड़क लोक हुनका उत्तर देलकनि, “एकर खूनक दोष हमरा सभ पर आ हमर सभक सन्तान सभ पर होअय!” 26 तकरबाद पिलातुस ओकरा सभक इच्छाक अनुसार बरब्बा केँ छोड़ि देलथिन आ यीशु केँ कोड़ा सँ पिटबा कऽ क्रूस पर चढ़यबाक लेल सैनिक सभक जिम्मा लगा देलथिन। 27 राज्यपालक सैनिक सभ यीशु केँ राजभवन मे लऽ गेलनि आ अपन पूरा सैनिक-दल केँ हुनका चारू कात जमा कऽ लेलक। 28 ओ सभ यीशु जे वस्त्र पहिरने छलाह तकरा निकलबा कऽ लाल रंगक राजसी वस्त्र पहिरा देलकनि। 29 काँटक मुकुट बना हुनका मूड़ी पर रखलकनि आ हुनका दहिना हाथ मे एक छड़ी पकड़ा देलकनि। तकरबाद हुनका सामने ठेहुनिया दऽ कऽ हुनकर मजाक उड़बैत कहऽ लगलनि, “यहूदी सभक राजा, प्रणाम!” 30 ओ सभ हुनका पर थूक फेकलकनि आ हुनका हाथ सँ छड़ी लऽ कऽ बेर-बेर मूड़ी पर मारलकनि। 31 ओ सभ एहि तरहेँ यीशुक मजाक उड़ौलाक बाद हुनका देह पर सँ लाल रंग वला वस्त्र निकालि लेलकनि आ हुनकर अपन कपड़ा फेर पहिरा देलकनि। तकरबाद ओ सभ हुनका क्रूस पर लटकयबाक लेल लऽ गेलनि। 32 शहर सँ बाहर लऽ जाइत काल सैनिक सभ केँ सिमोन नामक एक आदमी जे कुरेन नगरक रहऽ वला छल, से भेटलैक। ओकरा सैनिक सभ जबरदस्ती पकड़ि कऽ यीशुक क्रूस उठा कऽ लऽ चलबाक लेल कहलकैक। 33 यीशु केँ लऽ कऽ ओ सभ गुलगुता, अर्थात् “खप्पड़ वला स्थान” पर पहुँचल। 34 ओहिठाम ओ सभ यीशु केँ तीत दवाइ मिलाओल दारू पिबाक लेल देलकनि, मुदा ओ ओकरा चिखि कऽ नहि पिलनि। 35 सैनिक सभ हुनका हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि। हुनकर वस्त्र पर चिट्ठा खसा कऽ अपना मे बाँटि लेलक, 36 तखन ओतऽ बैसि कऽ पहरा देबऽ लागल। 37 ओ सभ एक दोष-पत्र हुनका मूड़ीक उपर क्रूस पर टाँगि देलक जाहि पर लिखल छलैक जे, “ई यीशु अछि, यहूदी सभक राजा”। 38 यीशुक संगे दूटा डाकू सेहो क्रूस पर चढ़ाओल गेल, एकटा हुनकर दहिना कात और दोसर बामा कात। 39 ओहि बाटे आबऽ-जाय वला लोक सभ मूड़ी डोला-डोला कऽ हुनकर निन्दा कऽ रहल छल। 40 ओ सभ कहैत छल, “रे मन्दिर केँ तोड़ऽ वला और तीन दिन मे ओकरा बनाबऽ वला! तोँ जँ परमेश्वरक पुत्र छेँ तँ अपना केँ बचा आ एहि क्रूस पर सँ उतरि आ।” 41 तहिना मुख्यपुरोहित लोकनि, धर्मशिक्षक सभ आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ सेहो हुनकर मजाक उड़बैत कहलनि, 42 “ई आन लोक सभ केँ बचबैत रहल मुदा अपना केँ नहि बचा सकैत अछि। ई जँ इस्राएलक राजा अछि तँ एखन क्रूस पर सँ उतरि आबओ, तखन हमहूँ सभ एकरा पर विश्वास करबैक। 43 ई आदमी परमेश्वर पर भरोसा रखैत छल। जँ एकरा सँ परमेश्वर प्रसन्न छथिन तँ एखन बचबथुन। ई तँ अपना केँ परमेश्वरक पुत्र कहैत छल।” 44 एहि तरहेँ ओ डाकू सभ सेहो, जकरा यीशुक संग क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलैक, यीशुक निन्दा कऽ रहल छल। 45 ओहि दिन बारह बजे सँ तीन बजे तक सम्पूर्ण देश अन्हार-कुप्प भऽ गेल। 46 करीब तीन बजे मे यीशु बहुत जोर सँ बजलाह जे, “एली, एली, लामा सबक्तनी”, जकर अर्थ ई अछि, “हे हमर परमेश्वर, हे हमर परमेश्वर, हमरा अहाँ किएक छोड़ि देलहुँ?” 47 ई सुनि ओतऽ ठाढ़ लोक सभ मे सँ किछु लोक बाजल, “ई आदमी एलियाह केँ बजा रहल अछि।” 48 ओकरा सभ मे सँ एक गोटे तुरत दौड़ि कऽ गेल आ रूइ जकाँ एकटा एहन चीज जे पानि सोखैत अछि से लऽ कऽ तीताह दारू मे डुबा लेलक, तखन ओकरा लाठीक हूर पर अटका कऽ हुनका पिबाक लेल देलकनि। 49 मुदा दोसर लोक सभ ओकरा कहलकैक, “थम्हह, पहिने देखी जे एलियाह एकरा बचयबाक लेल अबैत छथि कि नहि।” 50 तकरबाद यीशु फेर जोर सँ आवाज दऽ कऽ अपन प्राण त्यागि देलनि। 51 ओही क्षण मन्दिर मे जे परदा छलैक से ऊपर सँ नीचाँ तक चिरा कऽ दू भाग मे फाटि गेल। पृथ्वी डोलऽ लागल। चट्टान सभ फाटि गेल। 52 कबरक मुँह खुजि गेल आ परमेश्वरक बहुतो भक्त सभक लास फेर जिआओल गेल। 53 ओ सभ कबर सँ बहरा कऽ यीशु केँ जीबि उठलाक बाद “पवित्र नगर” मे जा कऽ बहुतो लोक सभ केँ देखाइ देलनि। 54 रोमी कप्तान आ हुनका संग यीशु पर पहरा देबऽ वला सैनिक सभ, भूकम्प आ एहि घटना सभ केँ देखि बहुत डेरा गेल, और बाजि उठल, “सत्ये ई परमेश्वरक पुत्र छलाह!” 55 बहुतो स्त्रीगण सभ सेहो ओतऽ छलीह, जे सभ दूरे सँ ई बात सभ देखि रहल छलीह। ओ सभ गलील प्रदेश सँ यीशुक संग हुनकर सेवा-टहल करैत आयल छलीह। 56 हुनका सभ मे मरियम मग्दलीनी, याकूब आ यूसुफक माय मरियम, और जबदीक स्त्री, अर्थात् याकूब आ यूहन्नाक माय, छलीह। 57 साँझ पड़ला पर अरिमतिया नगरक निवासी यूसुफ नामक एक धनिक व्यक्ति ओतऽ अयलाह। ओहो यीशुक शिष्य बनि गेल छलाह। 58 ओ राज्यपाल पिलातुसक ओतऽ जा कऽ यीशुक लास मँगलथिन। पिलातुस आदेश देलनि जे लास यूसुफ केँ दऽ देल जानि। 59 यूसुफ हुनकर लास लऽ गेलाह आ साफ मलमलक कपड़ा मे ओकरा लपेटि कऽ 60 अपन नव कबर मे रखलनि जे ओ एक चट्टान मे कटबा कऽ बनबौने छलाह। लास केँ रखलाक बाद ओ कबरक मुँह पर एक भारी पाथर गुड़का कऽ लगा देलनि आ चल गेलाह। 61 मरियम मग्दलीनी आ दोसर मरियम कबरक सामने बैसल छलीह। 62 एहि घटनाक प्रात भेने, अर्थात् विश्राम-दिन मे, मुख्यपुरोहित लोकनि आ फरिसी सभ एक संग पिलातुसक ओतऽ जा कऽ हुनका कहलथिन, 63 “यौ सरकार! हमरा सभ केँ स्मरण अछि जे ओ ठग आदमी, जखन ओ जीबैत छल तखन कहने छल जे, ‘हम तीन दिनक बाद फेर जीबि उठब’। 64 तेँ अपने आज्ञा देल जाओ जे तीन दिन धरि ओहि कबर पर पहरा राखल जाय। नहि तँ कतौ एना नहि होअय जे ओकर चेला सभ ओकर लास चोरा कऽ लऽ जाय आ लोक सभ केँ कहऽ लागय जे, ओ मुइल सभ मे सँ जीबि उठलाह। तखन एहि बेरक ई धोखा वला बात पहिलुको धोखा सँ खराब होयत।” 65 पिलातुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ सैनिक सभ लऽ जाउ आ जेहन सुरक्षा अहाँ सभ कबरक करऽ चाहैत होइ तेहन करू।” 66 तखन ओ सभ गेलाह आ कबरक मुँह पर बन्दक छाप लगा देलनि। सैनिक सभ केँ कबरक सुरक्षा करबाक लेल पहरा पर राखि देलथिन।
1 विश्राम-दिनक प्रात भेने, अर्थात् सप्ताहक पहिल दिन, भोर सँ भोर मरियम मग्दलीनी आ दोसर मरियम कबर देखबाक लेल गेलीह। 2 एकाएक बड़का भूकम्प भेल, कारण, परमेश्वरक एक स्वर्गदूत स्वर्ग सँ उतरलाह, और कबरक मुँह पर सँ पाथर गुड़का कऽ ओहि पर बैसि रहलाह। 3 हुनकर रूप बिजलोका जकाँ चमकैत छलनि आ हुनकर वस्त्र बर्फ सन उज्जर छलनि। 4 पहरा पर बैसल सैनिक सभ हुनका देखि एतेक डेरा गेल जे थर-थर काँपऽ लागल आ मरल सन भऽ गेल। 5 तखन स्वर्गदूत ओहि स्त्रीगण सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ नहि डेराउ। हम जनैत छी जे अहाँ सभ यीशु केँ, जिनका क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि, तिनका तकबाक लेल आयल छी। 6 मुदा ओ एतऽ नहि छथि। ओ जहिना कहने छलाह तहिना जीबि उठल छथि। आउ, ओहि स्थान केँ देखू जतऽ हुनका राखल गेल छलनि, 7 आ तखन जल्दी जा कऽ हुनकर शिष्य सभ केँ ई समाचार सुनाउ जे, ‘ओ मुइल सभ मे सँ जीबि उठलाह! अहाँ सभ सँ पहिने गलील जा रहल छथि आ ओतऽ हुनका सँ भेँट होयत।’ ई बात अहाँ सभ केँ कहि देलहुँ।” 8 ओ सभ डर आ तैयो बड़का खुशीक संग ई समाचार शिष्य सभ केँ सुनयबाक लेल कबर पर सँ दौड़ पड़लीह। 9 एकाएक यीशु हुनका सभक आगाँ मे प्रगट भऽ देखाइ देलथिन आ नमस्कार कयलथिन। स्त्रीगण सभ लग मे जा कऽ हुनकर पयर पकड़ि कऽ आराधना कयलनि। 10 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ डेराउ नहि। जा कऽ हमर भाय सभ केँ गलील मे पहुँचबाक लेल कहिऔक। ओतहि ओ सभ हमरा देखत।” 11 स्त्रीगण सभ एखन रस्ते मे छलीह। ओम्हर कबर पर पहरा देबऽ वला मे सँ किछु सैनिक सभ नगर मे जा कऽ मुख्यपुरोहित सभ केँ एहि घटनाक सम्पूर्ण विवरण कहि सुनौलक। 12 मुख्यपुरोहित सभ यहूदी सभक बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि केँ जमा कऽ एहि विषय मे किछु विचार-विमर्श कयलनि। तकरबाद ओ सभ ओहि सैनिक सभ केँ बहुत रुपैया-पैसा दैत कहलथिन, 13 “लोक केँ अहाँ सभ ई कहू जे, ‘राति मे हम सभ जखन सुतल छलहुँ तँ ओकर चेला सभ ओकर लास चोरा कऽ लऽ गेल।’ 14 राज्यपाल पिलातुस तक जँ कतौ ई खबरि पहुँचत तँ हम सभ हुनका सँ ई बात सभ मिला लेब और अहाँ सभ केँ बचा लेब।” 15 सैनिक सभ हुनका सभ सँ ओ पाइ लऽ लेलक आ जहिना ओ सभ सिखौने छलथिन तहिना लोक सभ केँ कहऽ लागल। ई अफवाह यहूदी सभ मे दूर-दूर पसरि गेल और आइओ तक ओकरा सभ मे प्रचलित अछि। 16 यीशुक एगारह शिष्य गलील जा कऽ ओहि पहाड़ पर गेलाह जतऽ यीशु हुनका सभ केँ पहुँचबाक लेल कहने छलथिन। 17 यीशु केँ देखि कऽ ओ सभ हुनकर आराधना कयलथिन। मुदा किछु गोटेक मोन मे हुनका बारे मे शंको छलनि। 18 तखन यीशु हुनका सभक लग आबि कहलथिन, “स्वर्ग आ पृथ्वीक सम्पूर्ण अधिकार हमरा देल गेल अछि। 19 एहि लेल अहाँ सभ आब जा कऽ सभ जातिक लोक केँ हमर शिष्य बनाउ और ओकरा सभ केँ पिता, पुत्र आ पवित्र आत्माक नाम सँ बपतिस्मा दिऔक। 20 हम जतेक आदेश अहाँ सभ केँ देने छी तकर सभक पालन करबाक लेल ओकरा सभ केँ सिखाउ। मोन राखू, संसारक अन्त तक हम सदिखन अहाँ सभक संग छी।”
1 परमेश्वरक पुत्र यीशु मसीहक शुभ समाचार एहि तरहेँ शुरू होइत अछि— 2 परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह द्वारा लिखल पुस्तक मे भविष्यवाणी कयल गेल अछि जे, “देखू, अहाँ सँ पहिने हम अपन दूत पठायब, जे अहाँक आगाँ-आगाँ अहाँक बाट तैयार करत।” 3 “निर्जन क्षेत्र मे केओ जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि जे, ‘प्रभुक लेल मार्ग तैयार करू, हुनका लेल सोझ बाट बनाउ।’” 4 तहिना यूहन्ना नामक दूत निर्जन क्षेत्र मे अयलाह और लोक केँ बपतिस्मा दैत प्रचार करऽ लगलाह जे, “पापक क्षमा पयबाक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू और बपतिस्मा लिअ।” 5 यहूदिया प्रदेशक और यरूशलेम शहरक सभ लोक बाहर निकलि कऽ हुनका लग गेल और अपन पाप स्वीकार करैत यरदन नदी मे हुनका सँ बपतिस्मा लेलक। 6 यूहन्ना ऊँटक रोंइयाँ सँ बनल वस्त्र पहिरने रहैत छलाह और अपना डाँड़ मे चमड़ाक पट्टी बन्हने रहैत छलाह। भोजन मे फनिगा आ वन वला मधु खाइत छलाह। 7 ओ एहि तरहेँ प्रचार करैत छलाह, “हमरा बाद मे एक गोटे आबि रहल छथि जे हमरा सँ शक्तिशाली छथि। हम झुकि कऽ हुनकर जुत्तो खोलऽ जोगरक नहि छी। 8 हम तँ अहाँ सभ केँ पानि सँ बपतिस्मा दैत छी लेकिन ओ अहाँ सभ केँ पवित्र आत्मा सँ बपतिस्मा देताह।” 9 ओहि समय मे यीशु गलील प्रदेशक नासरत नगर सँ अयलाह और यूहन्ना सँ यरदन नदी मे बपतिस्मा लेलनि। 10 पानि सँ बाहर होइत काल यीशु आकाश केँ फटैत और परबाक रूप मे पवित्र आत्मा केँ अपना पर उतरैत देखलनि। 11 स्वर्ग सँ आवाज आयल जे, “अहाँ हमर प्रिय पुत्र छी। अहाँ सँ हम बहुत प्रसन्न छी।” 12 तखन पवित्र आत्मा तुरत यीशु केँ निर्जन क्षेत्र मे पठौलथिन 13 जतऽ चालिस दिन धरि शैतान हुनका सँ पाप करयबाक कोशिश कयलकनि। ओ जंगली जानबर सभक बीच मे रहैत छलाह और स्वर्गदूत सभ हुनकर सेवा करैत छलनि। 14 बाद मे, यूहन्ना केँ जहल मे राखि देल गेलाक बाद, यीशु गलील प्रदेश गेलाह और परमेश्वरक शुभ समाचारक प्रचार कयलनि जे, 15 “समय आबि गेल अछि, परमेश्वरक राज्य लग मे अछि! अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू आ शुभ समाचार पर विश्वास करू।” 16 एक दिन यीशु गलील झीलक कात चलैत काल मे सिमोन और हुनकर भाय अन्द्रेयास केँ झील मे जाल फेकैत देखलनि। ओ सभ मछबार छलाह। 17 यीशु हुनका सभ केँ बजौलथिन और कहलथिन, “यौ! हमरा पाछाँ आउ। हम अहाँ सभ केँ मनुष्य केँ पकड़ऽ वला मछबार बना देब।” 18 ओ सभ अपन जाल छोड़ि कऽ हुनका पाछाँ लागि गेलनि। 19 किछु आगू बढ़लाक बाद यीशु याकूब और यूहन्ना दूनू भाय केँ अपन बाबू जबदीक संग नाव मे जाल तैयार करैत देखलथिन। 20 ओ तुरत हुनका सभ केँ बजौलथिन, और ओ सभ अपन बाबू जबदी केँ जऽन-बोनिहारक संग नाव मे छोड़ि हुनका संग भऽ गेलनि। 21 ओ सभ कफरनहूम नगर गेलाह। विश्रामक दिन मे यीशु सभाघर मे जा कऽ उपदेश देबऽ लगलाह। 22 हुनकर शिक्षा सुनि लोक सभ चकित भेल किएक तँ ओ धर्मशिक्षक सभ जकाँ नहि, बल्कि अधिकारपूर्बक शिक्षा दैत छलाह। 23 एकाएक सभाघर मे एकटा दुष्टात्मा लागल आदमी हल्ला करऽ लागल जे, 24 “यौ नासरतक निवासी यीशु! अहाँ केँ हमरा सभ सँ कोन काज? हमरा सभ केँ नष्ट करऽ अयलहुँ की? हम अहाँ केँ चिन्हैत छी। अहाँ परमेश्वरक पवित्र दूत छी।” 25 यीशु दुष्टात्मा केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “चुप रह! तोँ एकरा मे सँ निकल!” 26 दुष्टात्मा ओहि आदमी केँ झकझोड़ैत आ जोर सँ चिचियाइत ओकरा मे सँ निकलि गेल। 27 ई देखि सभ आदमी ततेक आश्चर्य-चकित भेल जे एक-दोसर केँ कहऽ लागल जे, “ई की बात? ई कोन प्रकारक नव उपदेश अछि? ई आदमी तँ अधिकारपूर्बक दुष्टात्मा सभ केँ सेहो आज्ञा दैत छथि और ओ सभ हिनकर बात मानैत छनि!” 28 एहि सभ सँ यीशुक चर्चा बहुत जल्दी सम्पूर्ण गलील प्रदेश मे चारू कात पसरि गेलनि। 29 यीशु सभाघर सँ बाहर भऽ कऽ तुरत सिमोन और अन्द्रेयासक घर गेलाह। हुनका संग यूहन्ना और याकूब सेहो छलाह। 30 सिमोनक सासु बोखार सँ पीड़ित ओछायन पर पड़ल छलीह। लोक सभ हुनका विषय मे यीशु केँ कहलकनि। 31 यीशु हुनका लग जा आ हुनकर हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन। हुनकर बोखार तुरत उतरि गेलनि और ओ हिनका सभक सेवा-सत्कार मे लागि गेलीह। 32 ओही दिनक साँझ मे सूर्यास्तक बाद लोक सभ रोगी और दुष्टात्मा लागल आदमी सभ केँ हुनका लग अनलकनि। 33 ओहि नगरक सभ लोक घरक सामने जमा भऽ गेल। 34 यीशु अनेक प्रकारक बिमारी सँ पीड़ित बहुत लोक सभ केँ नीक कयलनि, और बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ सेहो निकाललनि। मुदा ओ दुष्टात्मा सभ केँ बाजऽ नहि देलथिन किएक तँ यीशु के छथि से ओकरा सभ केँ बुझल छलैक। 35 दोसर दिन यीशु अन्हरोखे उठि बाहर गेलाह और एकान्त स्थान मे जा कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह। 36 सिमोन और हुनकर संगी सभ हुनका ताकऽ लेल गेलनि। 37 भेँट भेला पर हुनका कहलथिन, “सभ केओ अहाँ केँ खोजि रहल अछि।” 38 तखन ओ उत्तर देलथिन जे, “अपना सभ कोनो दोसर ठाम चलू। लग-पासक आरो गाम-बजार सभ मे सेहो हम परमेश्वरक शुभ समाचार सुनायब, किएक तँ हम एही लेल आयल छी।” 39 तेँ ओ पूरा गलील प्रदेश मे घुमलाह और ओकरा सभक सभाघर सभ मे जा कऽ उपदेश देलनि, और लोक सभ मे सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकाललथिन। 40 एक बेर एकटा कुष्ठ-रोगी हुनका लग आबि ठेहुनिया रोपि कऽ हुनका सँ निवेदन कयलकनि जे, “अपने जँ चाही तँ हमरा शुद्ध कऽ सकैत छी।” 41 यीशु केँ ओकरा पर दया आबि गेलनि और ओ अपन हाथ बढ़ा कऽ ओकरा छुबि कऽ कहलथिन, “हम अवश्य चाहैत छिअह! तोँ शुद्ध भऽ जाह।” 42 तुरत्ते ओकर कुष्ठ-रोग ठीक भऽ गेलैक और ओ शुद्ध भऽ गेल। 43 यीशु ओकरा ई कड़ा आदेश दऽ कऽ विदा कयलथिन जे, 44 “ई बात ककरो नहि कहिअहक। पुरोहित लग जा कऽ अपना केँ देखाबह। शुद्ध होयबाक विषय मे मूसाक लिखल नियमक अनुसार, जे बलिदान चढ़यबाक अछि से चढ़ाबह। एहि तरहेँ सभक लेल गवाही रहत जे तोँ शुद्ध भऽ गेल छह।” 45 मुदा ओ एहि घटनाक विषय मे सभ केँ जा कऽ कहि देलकैक, जकर फल ई भेल जे यीशु आब खुलि कऽ कोनो नगर मे नहि जा सकैत छलाह। ओ शहर सँ बाहर एकान्त मे रहऽ लगलाह मुदा तैयो लोक सभ चारू दिस सँ हुनका लग अबैत-जाइत छलनि।
1 किछु दिनक बाद यीशु कफरनहूम नगर घूमि अयलाह। लोक सभ केँ पता लगलैक जे ओ घर मे छथि। 2 ई सुनि ततेक लोक जमा भऽ गेल जे घरक दुआरियो लग कनेको जगह नहि बाँचल। यीशु ओकरा सभ केँ परमेश्वरक शुभ समाचार सुनबैत रहथिन। 3 ओही समय मे एकटा लकवा मारल आदमी केँ चारि गोटे सँ खाट पर लदने किछु गोटे आयल। 4 भीड़क कारणेँ ओ सभ यीशु लग नहि पहुँचि सकल। तेँ चार पर चढ़ि चार उजाड़ि कऽ, जाहि ठाम नीचाँ मे यीशु छलाह ताहि ठाम सँ खाट सहित लकवाक रोगी केँ हुनका लग उतारि देलकनि। 5 ओकरा सभक विश्वास देखि कऽ यीशु लकवाक रोगी केँ कहलथिन, “हौ बेटा, तोहर पाप माफ भेलह।” 6 किछु धर्मशिक्षक जे ओहिठाम बैसल छलाह मोने-मोन विचार करऽ लगलाह जे, 7 “अरे! ई आदमी कोना एना परमेश्वरक निन्दा करैत अछि? परमेश्वर केँ छोड़ि आरो के पाप केँ माफ कऽ सकैत अछि?” 8 यीशु तुरत अपना आत्मा मे हुनका सभक मोनक बात बुझि गेलाह और हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ अपना-अपना मोन मे किएक एना तर्क-वितर्क करैत छी? 9 आसान की अछि—लकवाक रोगी केँ ई कहब जे, ‘तोहर पाप माफ भेलह,’ वा ई कहब जे, ‘उठह! अपन खाट उठा कऽ चलह-फिरह’? 10 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ बुझि जाइ जे पृथ्वी पर पाप केँ माफ करबाक अधिकार मनुष्य-पुत्र केँ छनि, हम एकरा कहैत छी...” तखन ओ लकवाक रोगी केँ कहलथिन, 11 “हम तोरा कहैत छिअह, उठह, अपन खाट उठाबह आ घर चल जाह!” 12 ओ उठल और सभक सामने अपन खाट उठा कऽ विदा भऽ गेल। ई देखि सभ लोक अचम्भित भऽ गेल और परमेश्वरक जयजयकार करैत कहऽ लागल जे, “हम सभ तँ एहन घटना पहिने कहियो नहि देखने छलहुँ!” 13 तखन यीशु ओहिठाम सँ निकलि कऽ फेर झीलक कात गेलाह। बहुत लोक हुनका लग अबैत-जाइत रहलनि और ओ ओकरा सभ केँ उपदेश दैत रहलाह। 14 ओहिठाम सँ विदा भेलाक बाद रस्ता मे अल्फेयासक बेटा लेवी केँ कर असूल करऽ वला स्थान मे बैसल देखलथिन। हुनका बजा कऽ कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” लेवी उठि कऽ हुनका संग विदा भऽ गेलाह। 15 बाद मे यीशु लेवीक घर मे भोजन करऽ बैसलाह। हुनका आ हुनकर शिष्य सभक संग, कर असूल करऽ वला और “पापी” सभ सेहो बैसल छल। हुनका संग चलनिहार मे बहुतो एहनो लोक सभ छल। 16 फरिसी पंथक किछु धर्मशिक्षक जखन देखलनि जे यीशु कर असूल करऽ वला आ “पापी” सभक संग भोजन करैत छथि, तखन ओ सभ हुनकर शिष्य सभ सँ पुछलनि जे, “ओ कर असूल करऽ वला और पापी सभक संग किएक खाइत-पिबैत छथि?” 17 ई बात सुनि यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “वैद्यक आवश्यकता स्वस्थ लोक केँ नहि होइत छैक, बल्कि बिमार सभ केँ! हम धार्मिक सभ केँ नहि, बल्कि पापी सभ केँ बजयबाक लेल आयल छी।” 18 ओहि समय मे यूहन्नाक शिष्य सभ और फरिसी सभ उपास करैत छलाह। किछु लोक यीशु लग आबि कऽ पुछलकनि जे, “देखू! यूहन्नाक शिष्य सभ और फरिसी सभक शिष्य उपास कऽ रहल छथि। अहाँक शिष्य सभ किएक नहि?” 19 यीशु ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “जाबत तक वरियातीक संग वर अछि ताबत तक की वरियाती उपास करत? नहि! जाबत धरि वर संगे रहतैक ताबत धरि उपास नहि करत। 20 मुदा ओ समय आओत जहिया वर ओकरा सभक बीच सँ हटा लेल जायत। ओ सभ ताही दिन उपास करत। 21 “केओ पुरान कपड़ा मे नयाँ कपड़ाक चेफरी नहि लगबैत अछि। जँ लगाओत तँ नयाँ कपड़ा घोकचि कऽ पुरान कपड़ा केँ खिचत और ओ कपड़ा आरो फाटि जायत। 22 केओ नव दारू पुरान चमड़ाक थैली मे नहि रखैत अछि। कारण, एना जँ करत तँ थैली फाटि जयतैक और दारू आ थैली दूनू नष्ट भऽ जयतैक। नहि! नव दारू नये थैली मे राखल जाइत अछि।” 23 कोनो विश्राम-दिन कऽ यीशु और हुनकर शिष्य सभ खेत दऽ कऽ जा रहल छलाह। हुनकर शिष्य सभ चलैत-चलैत अन्नक बालि तोड़ि लैत छलाह। 24 ई देखि फरिसी सभ यीशु केँ कहलथिन, “देखू! जे काज विश्राम-दिन मे करब धर्म-नियमक अनुसार मना अछि, से ई सभ किएक करैत छथि?!” 25 यीशु हुनका सभ केँ जबाब देलथिन जे, “की अहाँ सभ ई नहि पढ़ने छी जे दाऊद आ हुनकर संगी सभ जखन भुखायल छलाह और हुनका सभक संग मे खयबाक लेल किछु नहि छलनि तखन ओ की कयलनि? 26 ओ अपना संगी सभक संग परमेश्वरक भवन मे गेलाह और परमेश्वर केँ चढ़ाओल रोटी खयलनि। ओहि समय मे अबियातर महापुरोहित छलाह। चढ़ाओल रोटी जे पुरोहित केँ मात्र खयबाक अधिकार छलनि से दाऊद अपनो खयलनि आ अपन संगिओ सभ केँ देलथिन।” 27 तखन ओकरा सभ केँ इहो कहलथिन जे, “विश्राम-दिन मनुष्यक लेल बनाओल गेल छैक, मनुष्य विश्राम-दिनक लेल नहि। 28 तेँ मनुष्य-पुत्र विश्रामो-दिनक मालिक छथि।”
1 दोसर बेर यीशु सभाघर गेलाह। एक गोटे जकर हाथ सुखायल छलैक सेहो ओहिठाम छल। 2 किछु लोक सभ यीशु पर दोष लगयबाक आधारक लेल हुनका पर नजरि गड़ौने छल जे, देखी ओ विश्राम-दिन मे एकरा स्वस्थ करताह वा नहि। 3 यीशु सुखल हाथ वला आदमी केँ कहलथिन, “उठह! सभक आगाँ मे ठाढ़ होअह।” 4 तखन लोक सभ दिस घूमि कऽ पुछलथिन जे, “विश्राम-दिन मे की उचित? नीक काज करब अथवा अधलाह? ककरो जीवनक रक्षा करब अथवा नष्ट करब?” केओ किछु नहि बाजल। 5 यीशु तमसा कऽ चारू दिस लोक सभ पर नजरि दौड़ौलनि। ओ लोक सभक जिद्दीपनक कारणेँ उदास भऽ गेलाह और ओहि आदमी केँ कहलथिन जे, “अपन हाथ बढ़ाबह।” ओ हाथ बढ़ौलक और ओकर हाथ एकदम ठीक भऽ गेलैक। 6 फरिसी सभ तुरत निकलि कऽ हेरोद-दलक संग मिलि कऽ यीशु केँ कोना मारल जाय, तकर षड्यन्त्र रचऽ लगलाह। 7 यीशु अपन शिष्य सभक संग झीलक कात मे चल गेलाह, और गलील प्रदेशक लोक सभक बड़का भीड़ हुनका सभक पाछाँ-पाछाँ गेलनि। 8 यीशु द्वारा कयल गेल काजक विषय मे सुनि कऽ यहूदिया प्रदेश, यरूशलेम, इदूमिया, यरदन नदीक ओहि पारक क्षेत्र, सूर और सीदोन नगरक क्षेत्र सँ बहुत लोक हुनका ओहिठाम आयल। 9 यीशु अपन शिष्य सभ केँ कछेर पर एकटा नाव तैयार राखऽ लेल कहलथिन जाहि सँ लोकक भीड़ हुनका दबा नहि देनि। 10 ओ ततेक लोक केँ नीक कयने रहथिन जे विभिन्न प्रकारक रोगी सभ हुनका शरीर मे भिड़बाक लेल ठेलम-ठेल कऽ रहल छल। 11 जखन दुष्टात्मा सभ हुनका देखैत छल तँ हुनका समक्ष खसि कऽ चिचिया लगैत छल जे, “अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी।” 12 मुदा यीशु ओकरा सभ केँ मना कयलथिन जे, “लोक केँ ई नहि कहिअहक जे हम के छी।” 13 तकर बाद यीशु पहाड़ पर चल गेलाह और जिनका सभ केँ ओ चुनलथिन तिनका सभ केँ अपना लग बजौलथिन। ओ सभ हुनका लग अयलनि। 14 यीशु बारह आदमी केँ “दूत” कहि कऽ नियुक्त कयलथिन जाहि सँ ओ सभ हुनका संग रहथि, आ जिनका ओ शुभ समाचारक प्रचार करबाक लेल आ दुष्टात्मा सभ केँ निकालबाक लेल पठा सकथि। 16 बारह शिष्य जिनका सभ केँ ओ चुनलनि से यैह सभ छथि—सिमोन, जिनका ओ “पत्रुस” नाम देलथिन, 17 जबदीक बेटा याकूब और हुनकर भाय यूहन्ना, जिनका सभ केँ ओ बुअनेरगिस, अर्थात् “ठनकाक पुत्र सभ” नाम देलथिन, 18 अन्द्रेयास, फिलिपुस, बरतुल्मै, मत्ती, थोमा, अल्फेयासक बेटा याकूब, तद्दै, सिमोन “देश-भक्त”, 19 और यहूदा इस्करियोती जे बाद मे यीशुक संग विश्वासघात कयलकनि। 20 तखन यीशु और हुनकर शिष्य सभ एकटा घर मे गेलाह। ओहिठाम ततेक लोक फेर जमा भऽ गेल जे हुनका सभ केँ भोजनो करबाक समय नहि भेटलनि। 21 हुनकर घरक लोक जखन ई बात सुनलनि तँ हुनका जबरदस्ती लऽ अयबाक लेल विदा भेलाह, ई सोचि जे यीशु पागल भऽ गेल छथि। 22 यरूशलेम सँ आयल धर्मशिक्षक सभ कहऽ लगलाह जे, “यीशु मे दुष्टात्मा सभक मुखिया बालजबूल छैक। तकरे शक्ति सँ ओ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 23 हुनका सभ केँ अपना लग बजा कऽ यीशु उदाहरण द्वारा उत्तर देलथिन जे, “शैतान कोना शैतान केँ भगा सकत? 24 जँ कोनो राज्य मे फूट पड़ि जाय तँ ओ नहि टिकि सकत। 25 तहिना जँ कोनो परिवार मे फूट भऽ गेल अछि तँ ओ नहि टिकि सकैत अछि। 26 जँ शैतान अपने केँ विरोध करय और ओकरा अपने मे फूट भऽ जाइक तँ ओ टिकि नहि सकैत अछि। ओकर विनाश निश्चित छैक। 27 केओ कोनो बलगर आदमीक घर मे ढुकि कऽ ओकर चीज-वस्तु ताबत तक नहि लुटि सकैत छैक, जाबत तक पहिने ओहि बलगर आदमी केँ बान्हि कऽ काबू मे नहि कऽ लैत अछि। ओकरा बान्हि लेलाक बादे ओकर वस्तु लुटि सकैत अछि। 28 अहाँ सभ केँ हम विश्वास दिअबैत छी जे, मनुष्य केँ सभ तरहक पाप आ निन्दाक बातक क्षमा भेटि सकैत छैक, 29 मुदा जँ केओ पवित्र आत्माक निन्दा करैत अछि तँ ओकरा कहियो क्षमा नहि भेटतैक। ओ अनन्त पापक दोषी होयत।” 30 यीशु ई बात एहि लेल कहलथिन जे ओ सभ कहैत छलाह जे हुनका मे दुष्टात्मा छनि। 31 ओहि समय मे यीशुक माय आ भाय लोकनि ओतऽ पहुँचलाह। सभ गोटे बाहर रहि कऽ, यीशु केँ बाहर अयबाक लेल खबरि पठौलनि। 32 यीशुक चारू कात लोक सभ बैसल छल। एक गोटे आबि कऽ हुनका कहलकनि जे, “सुनू! अहाँक माय और भाय लोकनि बाहर ठाढ़ छथि आ अहाँ केँ बजबैत छथि।” 33 ओ कहलथिन, “के छथि हमर माय? के सभ छथि हमर भाय?” 34 ओ चारू कात बैसल लोकक दिस ताकि कहलनि जे, “देखू! यैह सभ हमर माय और भाय लोकनि छथि! 35 जे केओ परमेश्वरक इच्छाक अनुसार चलैत छथि वैह हमर भाय, हमर बहिन, हमर माय छथि।”
1 दोसर बेर यीशु फेरो झीलक कात मे लोक सभ केँ शिक्षा देबऽ लगलाह। हुनका लग ततेक लोक जमा भऽ गेल जे ओ झील मे नाव पर चढ़ि कऽ किनार सँ कनेक हटि कऽ बैसि गेलाह। लोक सभ किनार पर सँ हुनकर शिक्षा सुनैत छल। 2 ओकरा सभ केँ ओ बहुत बात दृष्टान्त सभक द्वारा सिखबैत छलथिन। 3 एहि बेर उपदेश दैत ओ कहलथिन, “सुनू! एक किसान बीया बाउग करबाक लेल गेल। 4 बीया बाउग करैत काल किछु बीया रस्ताक कात मे खसल आ चिड़ै सभ आबि ओकरा खा लेलकैक। 5 किछु बीया पथराह जमीन पर खसल जतऽ बेसी माटि नहि होयबाक कारणेँ ओ जल्दी जनमि गेल। 6 मुदा रौद लगिते ओ झरकि गेल आ जड़ि नहि पकड़ि सकबाक कारणेँ सुखा गेल। 7 फेर दोसर बीया काँट-कुशक बीच मे खसल मुदा काँट-कुश बढ़ि कऽ ओकरा दबा देलकैक। तेँ ओहि बीया सँ कोनो फसिल नहि भेलैक। 8 किछु बीया नीक जमीन पर पड़ल। ओ जनमि कऽ फड़ल-फुलायल और फसिल देलक—कोनो तीस गुना, कोनो साठि गुना, कोनो सय गुना।” 9 तखन यीशु कहलथिन, “जकरा सुनबाक कान छैक, से सुनओ।” 10 बाद मे जखन यीशु अपन बारह शिष्य आ आरो संगी सभक संग एकान्त मे छलाह तखन ओ सभ एहि दृष्टान्तक बारे मे हुनका सँ पुछलथिन। 11 यीशु कहलथिन, “परमेश्वरक राज्यक रहस्यक ज्ञान अहाँ सभ केँ देल गेल अछि, मुदा जे बाहरक लोक अछि तकरा सभक लेल सभ बात दृष्टान्तक रूप मे रहैत छैक, 12 जाहि सँ, जहिना लिखल अछि, ‘तकितो ओ सभ देखय नहि, सुनितो ओ सभ बुझय नहि। एना जँ नहि रहैत तँ ओ सभ घुमि कऽ परमेश्वर लग अबैत और क्षमा पबैत।’ “ 13 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जँ अहाँ सभ एहि दृष्टान्तक अर्थ नहि बुझैत छिऐक तँ आरो दृष्टान्तक अर्थ कोना बुझबैक? 14 बाउग करऽ वला परमेश्वरक वचन केँ बाउग करैत अछि। 15 रस्ताक कात मे खसल बीया जकाँ ओ व्यक्ति अछि जकरा मे परमेश्वरक वचन बाउग कएल गेल छैक, और जखने ओ वचन सुनैत अछि तखने शैतान आबि कऽ ओकरा मे सँ बाउग कएल गेल वचन निकालि कऽ लऽ जाइत छैक। 16 तहिना दोसर आदमी ओहि बीया जकाँ अछि जे पथराह जमीन पर बाउग कएल गेल अछि। ई सभ परमेश्वरक वचन सुनि कऽ अपार आनन्दक संग तुरत ओकरा स्वीकार करैत अछि, 17 मुदा ओ वचन ओकरा मे जड़ि नहि पकड़ैत छैक और तेँ कनेके काल तक स्थिर रहैत अछि। जखन वचनक कारणेँ ओकरा कष्ट और अत्याचार सहबाक स्थिति अबैत छैक तखन ओ सभ तुरत विश्वास केँ छोड़ि दैत अछि। 18 फेर दोसर आदमी ओहि बीया जकाँ अछि जे काँट-कुशक बीच खसल। ई सभ वचन तँ सुनैत अछि 19 मुदा एहि संसारक चिन्ता, धनक मोह-माया आ आरो चीजक लालसा हृदय मे आबि कऽ वचन केँ दबा दैत छैक और ओ वचन ओकरा जीवन मे कोनो फल नहि दैत अछि। 20 नीक जमीन मे बाउग कयल गेल बीया जकाँ ओ सभ अछि जे वचन केँ सुनि कऽ ओकरा स्वीकार करैत अछि और फड़ि-फुला कऽ फसिल दैत अछि—केओ तीस गुना, केओ साठि गुना, केओ सय गुना।” 21 यीशु हुनका सभ केँ पुछलथिन जे, “की केओ डिबिया लेसि कऽ बासन सँ झँपैत अथवा चौकीक नीचाँ रखैत अछि? डिबिया तँ की लाबनि पर नहि रखैत अछि? 22 जँ किछु झाँपल अछि तँ एहि लेल जे उघारल जाय। जँ कोनो बात गुप्त अछि तँ एहि लेल जे एक दिन प्रगट कयल जाय। 23 जे सुनि सकैत अछि से सुनए!” 24 तखन ओ हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “जे बात सुनैत छी तकरा पर ध्यान दिअ! जाहि नाप सँ अहाँ देब, ओही नाप सँ अहाँ केँ देल जायत, और ओहि सँ बेसिओ। 25 किएक तँ जकरा छैक, तकरा आरो देल जयतैक और जकरा नहि छैक, तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक।” 26 तखन ओ इहो कहलथिन, “परमेश्वरक राज्य एना छैक—एक आदमी खेत मे बीया बाउग कऽ कऽ 27 अपन दिन-चर्या मे लागि जाइत अछि। ओ बीया अँकुरित होइत छैक और बढ़ैत छैक, ओना तँ ओ आदमी ई नहि बुझैत अछि जे कोना ई सभ होइत छैक। 28 भूमि अपने सँ फल लबैत छैक—पहिने अँकुर, तखन बालि, और अन्त मे बालि मे पाकल दाना। 29 जखन अन्न पाकि जाइत छैक तखन ओ आदमी तुरत हाँसू चलबैत अछि किएक तँ कटबाक समय आबि गेल छैक।” 30 तखन यीशु कहलथिन, “परमेश्वरक राज्यक तुलना कोन वस्तु सँ कयल जाय? कोन दृष्टान्त द्वारा ओकर वर्णन कयल जाय? 31 ओ सरिसोक दाना जकाँ अछि। बाउग होमऽ वला बीया सभ मे सरिसोक दाना सभ सँ छोट होइत अछि। 32 मुदा जखन ओ बाउग होइत अछि और बढ़ैत अछि तखन सभ साग-पात सँ पैघ भऽ जाइत अछि। ओकर ठाढ़ि एतेक पैघ भऽ जाइत छैक जे ओकर छाँह मे आकाशक चिड़ै सभ सेहो अपन वास स्थान बना सकैत अछि।” 33 एहन आओर बहुत दृष्टान्त सभक द्वारा यीशु लोक सभ केँ परमेश्वरक वचन सुनौलथिन। 34 जहिना लोक केँ बुझऽ मे आबि सकल तहिना शिक्षा देलथिन। बिनु दृष्टान्त देने ओ ओकरा सभ केँ कोनो बात नहि कहैत छलथिन। मुदा जखन अपन शिष्य सभक संग असगरे रहैत छलाह तखन ओ हुनका सभ केँ सभ बातक अर्थ बुझा दैत छलथिन। 35 ओहि दिनक साँझ मे यीशु अपन शिष्य सभ केँ कहलथिन, “चलू! झीलक ओहि पार चलू!” 36 शिष्य सभ भीड़ केँ छोड़ि, जाहि नाव मे ओ बैसल छलाह ओहि नाव मे हुनका अपना संग लऽ कऽ चललाह। हुनका सभक संग आरो नाव सभ सेहो छल। 37 एकाएक बहुत जोर सँ अन्हड़-बिहारि आयल। झील मे बड़का लहरि उठऽ लागल और नाव सँ टकराय लागल। नाव पानि सँ भरऽ लागल। 38 यीशु नावक पछिलका भाग मे गेड़ुआ लगा कऽ सुतल छलाह। शिष्य सभ हुनका उठबैत कहलथिन, “यौ गुरुजी! अपना सभ डुबि रहल छी, तकर अहाँ केँ कोनो चिन्ता नहि अछि की?!” 39 ओ उठि कऽ अन्हड़ केँ डाँटि कऽ झील केँ कहलथिन, “शान्त भऽ जो! थम्हि जो!” अन्हड़-बिहारि रूकि गेल और सभ शान्त भऽ गेल। 40 तखन ओ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ किएक एहन डेरबुक छी! की अहाँ सभ केँ एखनो तक विश्वास नहि होइत अछि?” 41 ओ सभ अति भयभीत भऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह जे, “ई के छथि?! अन्हड़-बिहारि और लहरि केँ सेहो आज्ञा दैत छथिन तँ ओ सभ मानैत छनि!”
1 यीशु और हुनकर शिष्य सभ झीलक ओहि पार गिरासेनी सभक क्षेत्र मे पहुँचलाह। 2 नाव पर सँ उतरैत काल एक दुष्टात्मा लागल आदमी कबरिस्तान दिस सँ हुनका भेँट करऽ लेल अयलनि। 3 ओ आदमी कबरिस्तान मे रहैत छल। केओ आब ओकरा जंजीरो लऽ कऽ बान्हि नहि सकैत छल। 4 कतेको बेर लोक ओकरा जंजीर सँ हाथ-पयर बान्हि देने रहैक मुदा ओ सभ जंजीर केँ तोड़ि देने रहय। ककरो एतेक शक्ति नहि छल जे ओकरा सम्हारि कऽ राखि सकय। 5 दिन-राति कबरिस्तान और पहाड़ मे ओ सदिखन चिचियाइत रहैत छल और पाथर सँ अपना देह केँ कटैत रहैत छल। 6 यीशु केँ दूर सँ देखि ओ दौड़ैत आयल और हुनका पयर पर खसि कऽ 7 जोर सँ चिचिया लागल जे, “यौ परम परमेश्वरक पुत्र यीशु! अपने केँ हमरा सँ कोन काज? अपने केँ परमेश्वरक सपत अछि—हमरा दुःख नहि दिअ।” 8 ई बात ओ एहि द्वारे कहलक कि यीशु ओहि दुष्टात्मा केँ कहैत छलाह जे, “हे दुष्टात्मा! एहि आदमी मे सँ निकल!” 9 तखन यीशु ओकरा सँ पुछलथिन जे, “तोहर नाम की छह?” ओ कहलक जे, “हमर नाम अछि ‘सेना’, किएक तँ हम सभ बहुत गोटे छी।” 10 तखन ओ हुनका सँ विनती करऽ लागल जे, “हमरा सभ केँ एहि इलाका सँ बाहर नहि निकालू।” 11 ओहीठाम लग मे पहाड़ पर सुगरक बड़का झुण्ड चरि रहल छल। 12 दुष्टात्मा सभ यीशु सँ विनती कयलकनि जे, “हमरा सभ केँ ओहि सुगर सभ मे पठा दिअ, ओकरा सभ मे हमरा सभ केँ पैसऽ दिअ।” 13 यीशु ओकरा सभ केँ अनुमति दऽ देलथिन। ओ सभ ओहि आदमी मे सँ निकलि आयल और सुगर सभ मे प्रवेश कऽ गेल। पूरा झुण्ड—लगभग दू हजार सुगर—बताह भऽ पहाड़ पर सँ धरफरा कऽ झील मे खसल और सभ पानि मे डुबि कऽ मरि गेल। 14 सुगर चराबऽ वला तुरत भागि एहि घटनाक बारे मे नगर आ देहातो मे सुनौलक। एहि घटना केँ देखऽ लेल बहुतो लोक आयल। 15 यीशु लग पहुँचि कऽ ओहि आदमी केँ जकरा मे दुष्टात्मा पहिने रहैत छलैक कपड़ा पहिरने आ स्वस्थ मोने यीशु लग बैसल देखलक। ई देखि लोक सभ भयभीत भऽ गेल। 16 जे सभ ई घटना देखने छल से सभ विस्तारपूर्बक लोक सभ केँ कहि देलक जे कोना दुष्टात्मा लागल आदमी नीक भेल और सुगर सभ केँ की भेलैक। 17 तखन लोक सभ यीशु सँ ओहि इलाका सँ चल जयबाक लेल विनती करऽ लगलनि। 18 यीशु जखन नाव पर चढ़ऽ लगलाह तखन ओ आदमी जकरा मे पहिने दुष्टात्मा सभ रहैत छलैक से हुनका सँ विनती कयलकनि जे, “अपना संग हमरो चलऽ देल जाओ।” 19 मुदा यीशु ओकरा मना करैत कहलथिन, “तोँ अपना घर जाह, और प्रभु तोरा पर कतेक पैघ दया कयलथुन अछि से अपना आदमी सभ केँ सुनबहक।” 20 ओ आदमी “दस नगर” क्षेत्र मे जा कऽ, यीशु ओकरा लेल जे-जतेक कयने रहथिन से सुनाबऽ लागल। जे सभ ई बात सुनलक से सभ बहुत आश्चर्य-चकित भेल। 21 यीशु नाव मे झीलक एहि पार अयलाह। हुनकर चारू कात बड़का भीड़ जमा भऽ गेल। जखन यीशु झीलक कात मे ठाढ़ छलाह, 22 ओही समय मे सभाघरक याइरस नामक एक अधिकारी ओहिठाम अयलाह। यीशु केँ देखि कऽ हुनकर पयर पर खसैत 23 निवेदन कयलथिन जे, “हमर बेटी मरि रहल अछि। हमरा घर चलि कऽ ओकरा पर हाथ राखि कऽ ठीक कऽ देल जाओ, जाहि सँ ओ जीबय।” यीशु हुनका संग विदा भऽ गेलाह। 24 हुनका संग बड़का भीड़ चलल। चारू कात सँ लोक सभ यीशु केँ पिचऽ लगलनि। 25 भीड़ मे एक स्त्री छलि जकरा बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला बिमारी छलैक। 26 ओ बहुतो वैद्य सँ इलाज कराबऽ मे बड्ड कष्ट सहल छलि और अपन सभ सम्पत्ति खर्च कऽ देने छलि। मुदा तैयो ओकरा कनेको गुण नहि कयलकैक। बल्कि ओकर अवस्था आओर अधलाहे होइत गेलैक। 27 यीशुक बारे मे ओ सुनने छलि। ओ हुनका पाछू आबि, हुनकर वस्त्रक कोर छुबि 28 मोन मे सोचलक जे, “जँ हम हुनकर वस्त्रो केँ छुबि लेब तँ हम ठीक भऽ जायब।” 29 हुनकर वस्त्र छुबिते ओकर खून बहनाइ बन्द भऽ गेलैक। ओकरा अपनो अनुभव भेलैक जे हम रोग सँ मुक्त भऽ गेल छी। 30 यीशु केँ सेहो तुरत अनुभव भेलनि जे हमरा मे सँ सामर्थ्य निकलि गेल अछि। ओ भीड़ दिस घूमि कऽ पुछलथिन जे, “हमरा वस्त्र केँ के छुलक?” 31 हुनकर शिष्य सभ हुनका कहलकनि जे, “अहाँ देखिते छी जे कतेक लोक अहाँ केँ दबा रहल अछि, तँ कोना पुछैत छी जे हमरा के छुलक?” 32 मुदा यीशु ई बुझबाक लेल जे ई के कयलक, चारू दिस अपन नजरि खिरौलनि। 33 तखन ओ स्त्री ई बुझि जे हमरा संग की भेल, डर सँ कँपैत आगू आयल आ यीशुक पयर पर खसैत हुनका सभ बात सत्य-सत्य कहि देलकनि। 34 यीशु ओकरा कहलथिन, “बेटी! तोहर विश्वास तोरा स्वस्थ कऽ देलकह। शान्तिपूर्बक जाह और अपन रोग सँ मुक्त रहह!” 35 यीशु ई बात कहिए रहल छलथिन कि अधिकारी याइरसक घर सँ किछु गोटे आबि कऽ याइरस केँ कहलकनि जे, “अहाँक बेटी मरि गेल। आब गुरुजी केँ आरो कष्ट देला सँ कोन लाभ?” 36 यीशु ई बात सुनि लेलथिन और सभाघरक अधिकारी केँ कहलथिन, “अहाँ डेराउ नहि! मात्र विश्वास राखू!” 37 ओ अपना संग पत्रुस, याकूब और याकूबक भाय यूहन्ना केँ छोड़ि आरो ककरो नहि आबऽ देलथिन। 38 सभाघरक अधिकारीक घर पहुँचि कऽ ओ लोक सभ केँ बहुत कनैत आ जोर सँ विलाप करैत देखलनि। 39 घर मे अबिते यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ हल्ला किएक करैत छी और कनैत किएक छी? बच्ची मरल नहि अछि—ओ सुतल अछि।” मुदा लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल। 40 तखन यीशु सभ लोक केँ बाहर हटा कऽ बच्चीक माय-बाबू केँ और अपन शिष्य सभ केँ अपना संग लऽ कऽ ओहि घर मे गेलाह जाहिठाम ओ बच्ची छल। 41 यीशु ओकर हाथ पकड़ि ओकरा कहलथिन, “तलीथा कूम!” जकर अर्थ अछि, “हे बच्ची! हम तोरा कहैत छिऔक, तोँ उठ!” 42 बच्ची तुरत उठि गेल और बुलऽ लागल—ओ तँ बारह वर्षक छल। ओ सभ बहुत आश्चर्य-चकित भेलाह। 43 यीशु एहि घटना केँ केओ नहि बुझय ताहि लेल दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन, आ कहलथिन जे बच्ची केँ किछु खयबाक लेल देल जाय।
1 यीशु ओहिठाम सँ अपन गाम अयलाह। हुनकर शिष्यो सभ हुनका संग छलनि। 2 विश्राम-दिन अयला पर ओ सभाघर मे उपदेश देबऽ लगलाह। हुनकर शिक्षा सुनि कऽ सभाक लोक आश्चर्य-चकित भऽ गेल और कहऽ लागल जे, “अरे! एकरा ई सभ बात कतऽ सँ भेटि गेलैक? ई कोन ज्ञान अछि जे एकरा देल गेल छैक? ई एहन चमत्कार सभ कोना करैत अछि! 3 की ई लकड़ी मिस्तिरी नहि अछि? की ई मरियमक बेटा और याकूब, योसेस, यहूदा और सिमोनक भाय नहि अछि? की एकर बहिन सभ अपना सभक बीच नहि रहैत अछि?” ओ सभ यीशु सँ डाह करऽ लागल। 4 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “मात्र अपने गाम, कुटुम्ब-परिवार, आ अपने घर मे परमेश्वरक प्रवक्ताक अनादर होइत छैक।” 5 ओ ओहिठाम कोनो चमत्कार नहि कऽ सकलाह, मात्र किछु रोगी पर हाथ राखि कऽ ओकरा सभ केँ स्वस्थ कयलथिन। 6 लोकक अविश्वास पर ओ चकित छलाह। यीशु उपदेश दैत गाम-गाम घुमऽ लगलाह। 7 ओ अपन बारहो शिष्य केँ बजा कऽ, हुनका सभ केँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालबाक अधिकार दऽ कऽ, दू-दू गोटेक समूह मे बाहर पठौलथिन। 8 ओ हुनका सभ केँ ई आज्ञा देलथिन जे, “बाटक लेल लाठी छोड़ि आरो किछु नहि लऽ जाउ—ने रोटी, ने झोरा और ने जेबी मे पैसा। 9 चप्पल पहिरि लिअ और एकेटा अंगा लिअ।” 10 तखन हुनका सभ केँ कहलथिन, “जाहि घर मे अहाँ सभ ठहरी, जाबत धरि ओहि गाम सँ विदा नहि होइ ताबत धरि ओही घर मे रूकू। 11 जतऽ कतौ लोक सभ अहाँ सभक स्वागत नहि करय और अहाँ सभ जे कहऽ चाहैत छी, से नहि सुनय, ताहि गाम सँ विदा होइत काल अपन पयरक गर्दा झाड़ि लेब। ई ओकरा सभक विरोधक गवाही रहत।” 12 ओ सभ विदा भेलाह और लोकक बीच प्रचार करऽ लगलाह जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू। 13 बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा निकाललनि और बहुत रोगी पर तेल लगा कऽ ओकरा सभ केँ स्वस्थ कयलनि। 14 राजा हेरोद एहि घटना सभक विषय मे सुनलनि किएक तँ यीशुक यश खूब पसरि गेल छल। किछु लोक कहैत छल जे, “बपतिस्मा देबऽ वला यूहन्ना मुइल सभ मे सँ जिआओल गेल छथि, तेँ चमत्कार करबाक एहन सामर्थ्य हुनका मे क्रियाशील अछि।” 15 दोसर लोक सभ कहैत छल जे, “ओ तँ एलियाह छथि।” आरो सभ कहैत छल जे, “ओ प्राचीन कालक परमेश्वरक प्रवक्ता सभ मे सँ केओ छथि।” 16 मुदा हेरोद यीशुक बारे मे सुनि कऽ कहलनि जे, “ई अवश्य यूहन्ना अछि जकर मूड़ी हम कटबा देने छलिऐक—ओ फेर जीबि उठल अछि!” यूहन्ना हेरोद द्वारा कोना मरबाओल गेल छलाह से एहि प्रकारेँ अछि— 17 राजा हेरोद यूहन्ना केँ पकड़बा कऽ बन्हबौने आ जहल मे राखि देने छलथिन। ओ अपन स्त्री हेरोदियासक कारणेँ एना कयलनि। हेरोदियास, हेरोदक भाय फिलिपुसक स्त्री छलीह, मुदा हेरोद अपन भायक स्त्री केँ रखने छलाह, 18 और यूहन्ना हेरोद केँ कहने छलाह जे, “धर्म-नियमक अनुसार अपन भायक स्त्री केँ राखब उचित नहि।” 19 एहि कारणेँ हेरोदियास यूहन्ना सँ दुश्मनी रखने छलीह और हुनका मरबा देबऽ चाहैत छलीह। मुदा ओ ई काज नहि करबा सकलीह 20 किएक तँ राजा हेरोद यूहन्ना केँ धार्मिक और नीक व्यक्ति बुझि कऽ हुनकर डर मानैत छलथिन और तेँ जहल मे राखि कऽ सुरक्षित रखलथिन। जखन कखनो हुनकर बात सुनैत छलाह तखन ओ घबड़ा जाइत छलाह, मुदा तैयो हुनकर बात सुनब ओ बहुत पसन्द करैत छलाह। 21 तखन एक दिन हेरोदियास केँ मौका भेटिए गेलनि। राजा हेरोद अपन जन्म दिनक अवसर पर मन्त्री सभ, सेनापति सभ और गलील प्रदेशक प्रतिष्ठित व्यक्ति सभ केँ भोजक निमन्त्रण देलथिन। 22 ओहि भोज मे हेरोदियासक बेटी भीतर आबि नचलनि जाहि सँ हेरोद और हुनकर आमन्त्रित लोक सभ बहुत प्रसन्न भेलाह। राजा लड़की केँ कहलथिन, “तोँ जे किछु चाहैत छह से हमरा सँ माँगह, हम तोरा देबह।” 23 ओ लड़की केँ सपत खा कऽ वचन देलथिन जे, “जे किछु तोँ मँगबह से तोरा हम देबह, जँ तोँ हमर आधा राज्यो मँगबह तँ हम तोरा देबह।” 24 लड़की निकलि कऽ अपन माय सँ पुछलक जे, “कहू! हम की माँगू?” ओकर माय कहलथिन जे, “बपतिस्मा देबऽ वला यूहन्नाक मूड़ी माँग!” 25 ओ तुरत भीतर राजा लग झटकारि कऽ आयल और हुनका अपन माँग सुनौलकनि, “हम चाहैत छी जे अहाँ हमरा बपतिस्मा देनिहार यूहन्नाक मूड़ी एखने थारी मे अनबा दिअ!” 26 राजा बहुत दुखी भेलाह। मुदा अपन सपतक कारणेँ और उपस्थित आमन्त्रित सभक कारणेँ ओ ओकर माँग अस्वीकार नहि करऽ चाहैत छलाह। 27 ओ तुरत एकटा जल्लाद सिपाही केँ बजा कऽ आज्ञा दऽ कऽ पठौलथिन जे, “यूहन्नाक मूड़ी काटि कऽ आनि दैह।” सिपाही जहल मे जा कऽ यूहन्नाक मूड़ी काटि 28 थारी मे नेने आयल आ लड़की केँ देलक और लड़की अपन माय केँ देलकैक। 29 जखन यूहन्नाक शिष्य सभ ई सुनलनि तखन ओ सभ आबि हुनकर लास लऽ गेलनि और कबर मे राखि देलनि। 30 पठाओल गेल दूत सभ यीशु लग फिरि कऽ अयला पर, जे काज ओ सभ कयने छलाह और जे शिक्षा देने छलाह, से सभ बात यीशु केँ कहि सुनौलथिन। 31 हुनका सभ लग ततेक लोक अबैत-जाइत छल जे हुनका सभ केँ भोजनो करबाक फुरसति नहि भेटैत छलनि। तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “आउ! अपना सभ कोनो एकान्त स्थान मे जा कऽ भीड़ सँ अलग किछु आराम करी।” 32 ओ सभ नाव मे बैसि कऽ एकान्त स्थानक लेल विदा भऽ गेलाह 33 मुदा बहुत लोक हुनका सभ केँ जाइत देखलकनि और चिन्हि गेलनि। लोक सभ, नगर-नगर सँ निकलि हुनका सभक पाछू झीलक कछेरे-कछेर दौड़ल आ हुनका सभ सँ पहिने ओतऽ पहुँचि गेल। 34 यीशु जखन नाव सँ उतरलाह आ लोकक बड़का भीड़ केँ जमा देखलनि तँ हुनका ओहि लोक सभ पर दया आबि गेलनि किएक तँ ओ सभ एहन भेँड़ी जकाँ छल जकर केओ चरबाह नहि होइक। यीशु ओकरा सभ केँ बहुत बात सिखाबऽ लगलथिन। 35 जखन साँझ पड़ऽ लागल तँ हुनकर शिष्य सभ हुनका लग आबि कहलथिन, “ई स्थान बस्ती सँ दूर अछि और साँझ पड़ऽ वला छैक। 36 लोक सभ केँ एखन जाय दिऔक जाहि सँ लगक गाम-बजार सँ अपना लेल किछु खयबाक वस्तु किनि सकत।” 37 मुदा यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहीं सभ एकरा सभ केँ भोजन करबिऔक।” शिष्य सभ हुनका कहलथिन जे, “तकरा लेल तँ दू सय दिनार लगैत। की हम सभ ओतेक खर्च कऽ कऽ रोटी आनि कऽ एकरा सभ केँ खुअबिऔक?” 38 यीशु हुनका सभ केँ जबाब देलथिन जे, “अहाँ सभ जा कऽ देखू जे अहाँ सभ लग कयटा रोटी अछि।” ओ सभ देखि कऽ हुनका कहलथिन जे, “पाँचटा रोटी आ दूटा माछ।” 39 तखन यीशु सभ लोक केँ हरियर घास पर पाँति-पाँति मे बैसयबाक आज्ञा शिष्य सभ केँ देलथिन। 40 लोक सभ सय-सय आ पचास-पचासक पाँति मे बैसैत गेल। 41 यीशु ओहि पाँचटा रोटी और दूटा माछ केँ हाथ मे लऽ कऽ, स्वर्ग दिस तकैत परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। ओ रोटी केँ तोड़ि-तोड़ि, लोक सभ मे परसबाक लेल शिष्य सभ केँ देलथिन। तखन ओहि दूटा माछो केँ हुनका सभ केँ लोक सभ मे परसबाक लेल देलथिन। 42 सभ केओ भरि इच्छा भोजन कयलक। 43 शिष्य सभ जखन रोटी आ माछक उबरल टुकड़ी सभ बिछलनि तँ बारह छिट्टा भेल। 44 भोजन करऽ वला मे मात्र पुरुषक संख्या पाँच हजार छल। 45 तकरबाद यीशु अपना शिष्य सभ केँ तुरत नाव पर चढ़ि कऽ अपना सँ पहिने झीलक ओहि पार बेतसैदा नगर चल जयबाक लेल आज्ञा देलथिन आ अपने ओतहि रहि कऽ भीड़क लोक सभ केँ विदा करऽ लगलाह। 46 ओकरा सभ केँ विदा करा कऽ ओ प्रार्थना करऽ लेल पहाड़ पर चल गेलाह। 47 साँझ बितला पर नाव झीलक बीच मे छलैक और यीशु किनार पर असगरे छलाह। 48 ओ देखलनि जे शिष्य सभ केँ नाव खेबऽ मे बहुत परिश्रम भऽ रहल छनि, किएक तँ हवा विपरीत दिस सँ बहि रहल छलैक। लगभग रातिक चारिम पहर मे ओ झीलक पानि पर चलैत हुनका सभक दिस गेलाह। यीशु हुनका सभ सँ आगू बढ़ि जाय चाहैत छलाह। 49 शिष्य सभ हुनका पानि पर चलैत देखि, हुनका भूत बुझि चिचियाय लगलाह। 50 सभ गोटे हुनका देखि भयभीत भऽ गेलाह। मुदा यीशु हुनका सभ केँ तुरत कहलथिन, “साहस राखू! हम छी! नहि डेराउ!” 51 ओ हुनका सभक संग नाव मे चढ़ि गेलाह और हुनका चढ़िते अन्हड़-बिहारि थम्हि गेल। शिष्य सभ एकदम अवाक भऽ गेलाह 52 किएक तँ ओ सभ रोटी वला घटना सेहो नहि बुझि सकल छलाह—हुनका सभक बुद्धि बन्द छलनि। 53 ओ सभ झील केँ पार कऽ कऽ गन्नेसरत क्षेत्र मे पहुँचलाह और नाव केँ किनार लगा देलनि। 54 जखन यीशु नाव पर सँ उतरलाह तखन लोक सभ हुनका चिन्हि लेलकनि। 55 लोक सभ पूरा क्षेत्र मे जा कऽ रोगी सभ केँ खाट पर लादि जाहि ठाम लोक कहैत छल जे यीशु छथि ओहि ठाम रोगी सभ केँ पहुँचाबऽ लागल। 56 जाहि गाम, शहर, अथवा बस्ती मे ओ जाइत छलाह ताहि ठामक लोक रोगी सभ केँ हाट-बजार मे सुता दैत छल। ओ सभ यीशु सँ प्रार्थना करैत छल जे, “अहाँ अपन कपड़ाक खूटो रोगी सभ केँ छुबऽ दिऔक।” जे सभ हुनकर कपड़ा छुलक से सभ स्वस्थ भऽ गेल।
1 किछु फरिसी आ धर्मशिक्षक लोकनि जे यरूशलेम सँ आयल छलाह यीशु सँ भेँट करऽ लेल अयलाह। 2 ओ लोकनि देखलनि जे हुनकर किछु शिष्य सभ बिना हाथ धोने भोजन करैत छथि, जे हुनका लोकनिक अनुसार धर्म-विरोध वला बात छल। 3 सभ यहूदी, ओहू मे खास कऽ फरिसी लोकनि, पुरखा सँ आबि रहल चलन केँ पालन करैत छथि—जाबत तक ओ लोकनि अपन हाथ केँ रीतिक अनुसार धोइत नहि छथि ताबत तक भोजन नहि करैत छथि। 4 जखन बजार सँ अबैत छथि तँ रीतिक अनुसार बिना स्नान कयने किछु नहि खाइत छथि। ओहिना पुरखाक आओर बहुत चलन केँ मानैत छथि, जेना बाटी, लोटा और कठौत केँ विशेष प्रकार सँ शुद्ध कयनाइ। 5 तँ फरिसी और धर्मशिक्षक लोकनि यीशु सँ पुछलनि जे, “अहाँक शिष्य सभ पुरखाक चलन सभ किएक नहि मानैत अछि? ओ सभ अशुद्ध हाथ सँ किएक भोजन करैत अछि?” 6 ओ उत्तर देलथिन जे, “हे पाखण्डी सभ! यशायाह अहाँ सभक बारे मे एकदम ठीक भविष्यवाणी कयलनि, जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘ई सभ मुँह सँ हमर आदर करैत अछि, 2 मुदा एकर सभक हृदय हमरा सँ दूर छैक। 7 ई सभ बेकार हमर उपासना करैत अछि। 2 ई सभ जे शिक्षा दैत अछि, से मात्र मनुष्यक बनाओल नियम सभ अछि।’ 8 अहाँ लोकनि परमेश्वरक आज्ञा केँ अवहेलना करैत छी लेकिन मनुष्यक बनाओल रीति-रिवाज केँ पकड़ने रहैत छी।” 9 यीशु आगाँ कहऽ लगलाह जे, “अहाँ सभ अपन चलन चलयबाक लेल कतेक चलाकी सँ परमेश्वरक आज्ञा सभक उल्लंघन करैत छी! 10 मूसा तँ कहने छलाह जे, ‘अपन माय-बाबूक आदर करह,’ और ‘जे केओ अपन माय-बाबूक निन्दा करय तकरा मृत्युदण्ड देल जाय।’ 11 मुदा अहाँ सभ कहैत छी जे, जँ केओ अपना बाबू वा माय सँ कहैत अछि, ‘जे किछु अहाँ सभ हमरा सँ सहायता प्राप्त करितहुँ से आब “कुर्बान” अछि’, अर्थात्, परमेश्वर केँ अर्पित, 12 आ जँ ओ किछु करहो चाहैत अछि तँ अहाँ सभ ओकरा अपन माय-बाबूक लेल कोनो कर्तव्य पूरा नहि करऽ दैत छिऐक। 13 जे चलन अहाँ केँ पुरखा सँ भेटल अछि, तकरा द्वारा अहाँ परमेश्वरक वचन केँ निरर्थक ठहरबैत छी। और एतबे नहि—आरो एहन-एहन बहुत काज करैत छी।” 14 तखन यीशु भीड़क लोक केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ गोटे हमर बात सुनू और बुझू! 15 कोनो एहन वस्तु नहि होइत छैक जे बाहर सँ मनुष्य मे प्रवेश कऽ कऽ ओकरा अशुद्ध बना सकय, बल्कि जे मनुष्यक मोनक भीतर सँ बहराइत छैक से ओकरा अशुद्ध बनबैत छैक। 16 [जे सुनि सकैत अछि से सुनए!]” 17 बाद मे भीड़ केँ छोड़ि यीशु घर गेलाह। हुनकर शिष्य सभ एहि उदाहरणक बारे मे हुनका सँ पुछलथिन। 18 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “की, अहूँ सभ नहि बुझैत छी? की ई बुझऽ मे नहि अबैत अछि जे, जे किछु खाइत काल मनुष्य मे प्रवेश करैत अछि से ओकरा अशुद्ध नहि कऽ सकैत अछि? 19 किएक तँ ओ मोन मे नहि प्रवेश करैत अछि, ओ पेट मे जाइत अछि और फेर देह सँ बहरा जाइत अछि।” (ओ ई कहि कऽ सभ भोजन-वस्तु केँ शुद्ध ठहरा देलथिन।) 20 ओ आगाँ कहऽ लगलाह, “जे मनुष्य मे सँ निकलैत छैक से ओकरा अशुद्ध करैत छैक। 21 किएक तँ मनुष्यक भीतर मे सँ, अर्थात् हृदय मे सँ सभ प्रकारक अधलाह बात सभ निकलैत छैक, जेना गलत विचार सभ, गलत शारीरिक सम्बन्ध, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन, 22 लोभ, दुष्कर्म, धोखा, निर्लज्जता, ईर्ष्या, निन्दा, घमण्ड, और मूर्खता। 23 ई सभ बात मनुष्यक भीतर मे सँ निकलैत अछि और ओकरा अशुद्ध करैत अछि।” 24 ओतऽ सँ यीशु सूर आ सीदोन नगरक इलाका मे चल गेलाह। एकटा घर मे जा कऽ ओहिठाम डेरा रखलनि। ओ चाहैत छलाह जे लोक ई नहि बुझए जे ओ कतऽ छथि, लेकिन लोक जल्दी सँ बुझि गेलनि जे ओ एहि घर मे छथि। 25 एकटा स्त्री जकर छोट बेटी दुष्टात्मा सँ ग्रसित छल हुनका विषय मे सुनिते हुनका ओहिठाम जा कऽ हुनका समक्ष मे खसल। 26 ओ स्त्री यहूदी जातिक नहि, यूनानी छल। ओकर जन्म सीरिया प्रदेशक फीनिकी क्षेत्र मे भेल छलैक। ओ यीशु सँ विनती कयलकनि जे, हमर बेटी मे सँ दुष्टात्मा केँ निकालू। 27 यीशु ओकरा कहलथिन, “सभ सँ पहिने बच्चे सभ केँ इच्छापूर्बक खाय दिऔक, किएक तँ बच्चा सभक लेल जे रोटी अछि तकरा कुकुरक आगाँ फेकि देब से ठीक बात नहि।” 28 ओ लेकिन उत्तर देलकनि जे, “ठीके कहैत छी, प्रभु, मुदा कुकुरो सभ तँ बच्चा सभक टेबुल सँ खसल चुर-चार खाइते अछि।” 29 यीशु ओकरा कहलथिन, “एहन उत्तर दैत छह तँ जा सकैत छह!—दुष्टात्मा तोरा बेटी मे सँ निकलि गेल छह!” 30 ओ घर जा कऽ अपना बेटी केँ ओछायन पर पड़ल देखलक। दुष्टात्मा ओकरा मे सँ निकलि गेल छल। 31 तकरबाद यीशु सूर क्षेत्र सँ घूरला पर सीदोन नगर और “दस नगर” क्षेत्र दऽ कऽ गलील झील तक अयलाह। 32 लोक सभ कोनो एक आदमी केँ यीशु लग अनलनि जे बहीर छल और ठीक सँ बाजिओ नहि सकैत छल। ओ सभ यीशु सँ प्रार्थना कयलनि जे ओकरा पर हाथ राखि कऽ ओकरा नीक कऽ देल जाओ। 33 यीशु ओकरा भीड़ सँ अलग लऽ कऽ ओकर कान मे अपन आङुर राखि देलथिन और अपन थूक ओकरा जीह पर लगा देलथिन। 34 स्वर्ग दिस ताकि आ जोर सँ साँस लैत ओहि आदमी केँ कहलथिन, “एफफाता,” जकर अर्थ छैक, “खुजि जो!” 35 ओकर कान तुरत खुजि गेलैक। ओकर जीह सेहो ठीक भऽ गेलैक और स्पष्ट बाजऽ लागल। 36 यीशु एहि घटनाक बारे मे लोक सभ केँ कहबाक लेल ओकरा मना कयलथिन, लेकिन जतेक बेसी ओ मना करैत छलाह, ततेक बेसी एहि घटनाक प्रचार भेलैक। 37 सभ लोक एकदम आश्चर्य-चकित भऽ कऽ कहऽ लागल जे, “देखू! सभ काज ओ नीक जकाँ करैत छथि। बहीरो सभ केँ सुनबाक और बौको सभ केँ बजबाक शक्ति दैत छथिन!”
1 ओहि काल मे फेर यीशु लग बहुत लोक सभ जमा भेल। ओकरा सभ केँ खयबाक लेल किछु नहि छलैक। तेँ यीशु अपना शिष्य सभ केँ बजा कऽ कहलथिन जे, 2 “एहि लोक सभ पर हमरा दया अबैत अछि, किएक तँ ई सभ तीन दिन सँ हमरा संग अछि आ संग मे खयबाक लेल किछु नहि छैक। 3 हम एकरा सभ केँ भूखल विदा कऽ देबैक तँ रस्ता मे ई सभ मुर्छित भऽ जायत किएक तँ एहि मे सँ किछु लोक बहुत दूरो सँ आयल अछि।” 4 शिष्य सभ यीशु केँ कहलथिन, “एहन निर्जन क्षेत्र मे एतेक लोकक भोजन कतऽ सँ भेटत?” 5 यीशु हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “अहाँ सभ लग कयटा रोटी अछि?” शिष्य सभ उत्तर देलथिन जे, “सातटा।” 6 यीशु लोक सभ केँ जमीन पर बैसबाक लेल आदेश देलनि, और ओ सातो रोटी लऽ कऽ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलथिन। रोटी सभ केँ तोड़ि-तोड़ि कऽ लोक सभ मे बाँटऽ लेल शिष्य सभ केँ देलथिन और ओ सभ रोटी बाँटि देलनि। 7 किछु छोटका माछो रहैक। यीशु माछोक लेल धन्यवाद दऽ कऽ लोक सभ मे बाँटि देबऽ लेल शिष्य सभ केँ देलथिन। 8 सभ केओ भरि पेट भोजन कयलक। भोजनक बाद शिष्य सभ उबरल टुकड़ा सभ सात टोकरी मे भरि कऽ जमा कयलनि। 9 ओहि मे भोजन करऽ वलाक संख्या करीब चारि हजार लोक छल। 10 ओकरा सभ केँ विदा कऽ कऽ यीशु तुरत शिष्य सभक संग नाव मे चढ़ि दलमनूथा क्षेत्र चल गेलाह। 11 हुनका सभ केँ पहुँचला पर फरिसी सभ आबि कऽ यीशु सँ वाद-विवाद करऽ लगलाह, आ हुनका जाँच करबाक लेल स्वर्ग सँ एकटा चमत्कार वला चिन्ह मँगलथिन। 12 यीशु भीतर सँ कुहरि कऽ कहलनि जे, “एहि पीढ़ीक लोक एकटा चिन्ह किएक मँगैत अछि! हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे एकरा सभ केँ कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक!” 13 हुनका सभ केँ छोड़ि कऽ यीशु फेर नाव मे चढ़ि कऽ झीलक ओहि पार चल गेलाह। 14 शिष्य सभ रोटी अननाइ बिसरि गेल छलाह; एकेटा रोटी नाव पर संग मे छलनि। 15 यीशु हुनका सभ केँ चेतबैत कहलथिन, “फरिसी सभक और हेरोदक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ सावधान रहू!” 16 ओ सभ आपस मे विचार करैत बजलाह जे, “अपना सभ रोटी आनब बिसरि गेलहुँ, एही कारणेँ ओ ई बात कहि रहल छथि।” 17 यीशु बुझि गेलथिन जे ओ सभ एना एक-दोसर सँ बात-चीत करैत छथि और हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “अहाँ सभ आपस मे एहि पर बात किएक कऽ रहल छी जे अपना सभ लग रोटी नहि अछि? की एखनो तक नहि देखैत छी? एखनो तक नहि बुझैत छी? बुद्धि मन्द भऽ गेल अछि की? 18 की आँखि रहितो नहि देखैत छी, आ कान रहितो नहि सुनैत छी? की मोन नहि अछि?— 19 जखन ओ पाँचटा रोटी हम पाँच हजार लोकक लेल तोड़लहुँ तँ उबरल रोटीक टुकड़ीक कतेक छिट्टा भेल?” ओ सभ जबाब देलथिन जे, “बारहटा।” 20 “और जखन ओहि सातटा रोटी सँ हम चारि हजार आदमी केँ खुऔलहुँ तँ रोटीक टुकड़ी कतेक ढाकी बिछलहुँ?” ओ सभ उत्तर देलथिन जे, “सातटा।” 21 तखन ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “की एखनो तक नहि बुझैत छी?” 22 ओ सभ बेतसैदा नगर अयलाह। लोक सभ यीशु लग एकटा आन्हर आदमी केँ आनि कऽ हुनका सँ विनती कयलकनि जे, एकरा छुबि दिऔक। 23 यीशु ओहि आन्हर आदमी केँ हाथ पकड़ि कऽ नगर सँ बाहर लऽ गेलथिन। ओकरा आँखि पर थूक लगा देलथिन, और ओकरा पर हाथ राखि कऽ पुछलथिन जे, “की, किछु देखि रहल छह?” 24 ओ आँखि उठा कऽ जबाब देलकनि जे, “हँ! मनुष्य सभ केँ देखैत छी—गाछ जकाँ लगैत छैक लेकिन चलि रहल अछि।” 25 तखन यीशु ओकरा आँखि पर फेर हाथ रखलथिन। ओकरा आँखि मे तुरत पूरा इजोत आबि गेलैक और ओ सभ किछु साफ-साफ देखऽ लागल। 26 यीशु ओकरा अपन घर पठा देलथिन और ई आदेश देलथिन जे, “शहर मे नहि जाह।” 27 यीशु और हुनकर शिष्य सभ कैसरिया-फिलिप्पीक लग-पासक गाम सभ मे गेलाह। चलिते-चलिते यीशु हुनका सभ सँ पुछलनि जे, “हम के छी, ताहि सम्बन्ध मे लोक की कहि रहल अछि?” 28 ओ सभ हुनका जबाब देलथिन जे, “केओ-केओ कहैत अछि जे अहाँ बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना छी। केओ कहैत अछि जे एलियाह छी, और किछु लोक कहैत अछि जे परमेश्वरक प्रवक्ता सभ मे सँ एक छी।” 29 तखन यीशु हुनका सभ केँ पुछलनि जे, “और अहाँ सभ? अहाँ सभ की कहैत छी जे हम के छी?” पत्रुस उत्तर देलथिन जे, “अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी।” 30 यीशु हुनका सभ केँ दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन जे हमरा बारे मे ई बात ककरो नहि कहिऔक। 31 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ सिखाबऽ लगलथिन जे, “मनुष्य-पुत्र केँ बहुत दुःख भोगऽ पड़तैक। ई आवश्यक अछि जे बूढ़-प्रतिष्ठित, मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ द्वारा तुच्छ ठहराओल जाय, जान सँ मारल जाय, आ तीन दिनक बाद ओ फेर जीबि उठय।” 32 ई बात एकदम स्पष्ट कहलथिन। एहि पर पत्रुस हुनका कात मे लऽ जा कऽ डाँटऽ लगलनि। 33 मुदा यीशु शिष्य सभक दिस घूमि कऽ पत्रुस केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “है शैतान! तोँ हमरा सोझाँ सँ दूर होअह! तोँ परमेश्वरक विचार नहि, बल्कि मनुष्यक विचार मोन मे रखैत छह।” 34 तखन यीशु लोक सभ केँ और शिष्य सभ केँ अपना लग बजौलनि और कहलथिन, “जँ केओ हमर शिष्य बनऽ चाहैत अछि तँ ओ अपना केँ त्यागि, हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार रहओ, और हमरा पाछाँ चलओ। 35 कारण, जे केओ अपन जीवन बचाबऽ चाहैत अछि से ओकरा गमाओत। मुदा जे केओ हमरा लेल और शुभ समाचारक लेल अपन जीवन गमबैत अछि से ओकरा बचाओत। 36 जँ कोनो मनुष्य सम्पूर्ण संसार केँ पाबि लय और अपन आत्मा गमा लय तँ ओहि सँ ओकरा की लाभ भेलैक? 37 अथवा मनुष्य अपन आत्माक बदला मे की दऽ सकत? 38 जँ केओ एहि पापी और विश्वासघाती युग मे हमरा और हमर शिक्षा सँ लजाइत अछि तँ ओकरो सँ मनुष्य-पुत्र लजायत जखन पिताक महिमा मे स्वर्गदूत सभक संग आओत।”
1 यीशु इहो कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ किछु एहनो लोक सभ ठाढ़ अछि जे जाबत तक परमेश्वरक राज्य शक्तिक संग अबैत नहि देखि लेत ताबत तक नहि मरत।” 2 छओ दिनक बाद यीशु अपना संग पत्रुस, याकूब और यूहन्ना केँ लेलनि और एक ऊँच पहाड़ पर एकान्त मे गेलाह। हुनका सभक सामने मे यीशुक रूप बदलि गेलनि। 3 हुनकर वस्त्र एकदम उज्जर भऽ कऽ चमकऽ लगलनि। हुनकर वस्त्र एतेक उज्जर भऽ गेलनि जे पृथ्वीक कोनो धोबिओ ओतेक उज्जर नहि कऽ सकैत। 4 तखन शिष्य सभक समक्ष मे एलियाह और मूसा प्रगट भेलाह जे यीशु सँ बात करैत छलाह। 5 ई देखि पत्रुस बाजऽ लगलाह जे, “यौ गुरुजी! हमरा सभक लेल ई कतेक नीक बात अछि जे हम सभ एतऽ छी। हम सभ तीनटा मण्डप बनायब, एकटा अहाँक लेल, एकटा मूसाक लेल और एकटा एलियाहक लेल।” 6 पत्रुस केँ बुझऽ मे एकदम नहि अयलनि जे हम की बाजू, की नहि बाजू, किएक तँ ओ सभ केओ अति भयभीत भऽ गेल छलाह। 7 तखन एकटा मेघ आबि कऽ हुनका सभ केँ झाँपि देलकनि और मेघ मे सँ आवाज आयल जे, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि—हिनका बात पर ध्यान दिअ!” 8 एकाएक शिष्य सभ चारू कात ताकऽ लगलाह तँ ओ सभ अपना संग यीशु केँ छोड़ि आरो किनको नहि देखलनि। 9 पहाड़ पर सँ उतरैत काल यीशु हुनका सभ केँ आदेश देलथिन जे, “जाबत तक मनुष्य-पुत्र मृत्यु सँ फेर जीबि कऽ नहि उठत ताबत तक जे बात अहाँ सभ देखलहुँ से ककरो नहि कहिऔक।” 10 ई आदेश ओ सभ मानलनि मुदा आपस मे गप्प करैत छलाह जे “मनुष्य-पुत्र मृत्यु सँ फेर जीबि कऽ उठत”, एहि बातक अर्थ की छलनि। 11 तखन ओ सभ यीशु सँ पुछलथिन जे, “धर्मशिक्षक लोकनि किएक कहैत छथि जे पहिने एलियाह केँ अयनाइ आवश्यक अछि?” 12 यीशु उत्तर देलथिन जे, “ई बात एकदम ठीक अछि—पहिने एलियाह अबैत छथि आ सभ चीजक सुधार करैत छथि। लेकिन मनुष्य-पुत्रक बारे मे ई किएक लिखल गेल अछि जे हुनका बहुत दुःख उठाबऽ पड़तनि और तुच्छ बुझल जयताह? 13 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे एलियाह आबिओ गेलाह आ जहिना हुनका बारे मे धर्मशास्त्र मे लिखल अछि तहिना लोक सभ केँ जे मोन भेलैक, से हुनका संग कयलकनि।” 14 ओ सभ जखन आरो शिष्य सभ लग पहुँचलाह तखन देखलनि जे हुनका सभक चारू कात बड़का भीड़ अछि और हुनका सभ सँ धर्मशिक्षक सभ वाद-विवाद कऽ रहल छनि। 15 यीशु केँ देखिते सभ लोक चकित भऽ कऽ हुनका लग दौड़ल और प्रणाम करऽ लगलनि। 16 ओ हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “हुनका सभ सँ की वाद-विवाद कऽ रहल छी?” 17 भीड़ मे सँ एक आदमी हुनका जबाब देलकनि जे, “गुरुजी, हम अपने लग अपना बेटा केँ अनने छी जकरा मे एक दुष्टात्मा पैसि गेल छैक जे एकरा बौक बना देने छैक। 18 जखने ओ एकरा लागि जाइत छैक तँ एकरा तोड़ि-मड़ोड़ि कऽ खसा दैत छैक, और मुँह सँ गाउज बहराय लगैत छैक। दाँत पिसऽ लगैत अछि और देह टाँट भऽ जाइत छैक। एहि दुष्टात्मा केँ निकालबाक लेल हम अपनेक शिष्य सभ सँ विनती कयलहुँ लेकिन ओ सभ नहि निकालि सकलाह।” 19 यीशु ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “हे अविश्वासी पीढ़ीक लोक सभ! हम तोरा सभक संग कहिया तक रहिअह? कहिया तक तोरा सभ केँ सहैत रहिअह?—लड़का केँ आनह हमरा लग।” 20 लोक सभ ओहि नेना केँ यीशु लग अनलकनि। दुष्टात्मा यीशु केँ देखिते नेना केँ ममोड़ि देलकैक। लड़का नीचाँ खसि पड़लैक। ओकरा मुँह सँ गाउज निकलऽ लगलैक और ओ ओँघराय लागल। 21 यीशु ओकरा बाबू सँ पुछलथिन जे, “एकरा ई दशा कहिया सँ छैक?” ओ उत्तर देलकनि जे, “बचपने सँ। 22 एकरा नष्ट करबाक लेल दुष्टात्मा कतेक बेर आगि और पानि मे खसौने अछि। मुदा अपने जँ किछु कऽ सकैत छी तँ हमरा सभ पर दया कऽ सहायता करू।” 23 यीशु ओकरा कहलथिन, “कोना कहैत छह जे, ‘अपने जँ कऽ सकैत छी तँ...’? विश्वास करऽ वलाक लेल सभ किछु सम्भव छैक!” 24 एहि पर लड़काक बाबू तुरत जोर सँ बाजल जे, “हम विश्वास करैत छी, हमर अविश्वास केँ दूर कऽ दिअ।” 25 जखन यीशु देखलनि जे भीड़ हमरा सभ केँ आब दबा देत तँ ओ दुष्टात्मा केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “है बौक और बहीर वला आत्मा! हम तोरा आज्ञा दैत छिऔ जे एकरा मे सँ निकलि जो और एकरा मे फेर कहियो प्रवेश नहि कर!” 26 दुष्टात्मा चिचियाइत और लड़का केँ बहुत जोर सँ मड़ोड़ि कऽ ओकरा मे सँ निकलि गेल। लड़का मुरदा जकाँ भऽ गेल। से देखि बहुत लोक कहऽ लागल जे ओ मरि गेल अछि। 27 मुदा यीशु ओकरा हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन और ओ ठाढ़ भऽ गेल। 28 जखन यीशु घर मे असगरे छलाह तखन शिष्य सभ हुनका सँ पुछलथिन जे, “हम सभ ओहि दुष्टात्मा केँ किएक नहि निकालि सकलहुँ?” 29 ओ उत्तर देलनि जे, “एहि प्रकारक दुष्टात्मा प्रार्थना केँ छोड़ि आरो कोनो दोसर उपाय सँ नहि निकालल जा सकैत अछि।” 30 ओहि ठाम सँ विदा भऽ कऽ ओ सभ गलील प्रदेश होइत आगाँ बढ़लाह। यीशु ई बात गुप्त राखऽ चाहैत छलाह 31 कारण ओ अपन शिष्य सभ केँ सिखबैत छलाह जे, “मनुष्य-पुत्र पकड़बा कऽ लोकक हाथ मे सौंपल जायत, आ ओ सभ ओकरा मारि देतैक। मरलाक तीन दिनक बाद ओ फेर जीबि उठत।” 32 मुदा शिष्य सभ ई बात नहि बुझि सकलाह और हुनका सँ एहि सम्बन्ध मे पुछऽ सँ डेराइत छलाह। 33 ओ सभ कफरनहूम नगर पहुँचलाह। घर मे आबि कऽ यीशु शिष्य सभ सँ पुछलथिन जे, “बाट मे अहाँ सभ की तर्क-वितर्क करैत छलहुँ?” 34 ओ सभ चुप रहलाह किएक तँ बाट मे ओ सभ एहि विषय मे वाद-विवाद करैत छलाह जे हमरा सभ मे सभ सँ पैघ के अछि? 35 यीशु बैसि कऽ बारहो शिष्य केँ अपना लग बजौलनि आ कहलथिन, “जे केओ पैघ बनऽ चाहैत अछि से अपना केँ छोट बनाबओ और सभक सेवक बनओ।” 36 तखन ओ एक छोट बच्चा केँ लऽ कऽ हुनका सभक बीच मे ठाढ़ कऽ देलथिन, और कोरा मे लऽ कऽ शिष्य सभ केँ कहलथिन जे, 37 “जे केओ हमरा नाम सँ एहन छोट बच्चा केँ स्वीकार करैत अछि से हमरे स्वीकार करैत अछि, और जे हमरा स्वीकार करैत अछि से हमरे नहि, बल्कि हुनको स्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौने छथि।” 38 तखन यूहन्ना यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, हम सभ एक आदमी केँ अहाँक नाम लऽ कऽ दुष्टात्मा निकालैत देखलहुँ और ओकरा मना कयलिऐक किएक तँ ओ हमरा सभक संग अहाँक शिष्य नहि अछि।” 39 लेकिन यीशु कहलथिन, “हुनका मना नहि करिऔन कारण, जे हमरा नाम सँ कोनो पैघ काज करताह से जल्दी हमरा विरोध मे नहि बजताह। 40 जे अपना सभक विरोध मे नहि अछि से अपना सभक पक्षे मे अछि। 41 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे केओ अहाँ केँ एक लोटा पानि एहि लेल पिया दैत अछि जे अहाँ मसीहक आदमी छी, तकरा एकर प्रतिफल अवश्य भेटतैक।” 42 “ई बच्चा सभ जे हमरा पर विश्वास करैत अछि, ताहि मे सँ जँ एकोटा केँ केओ पाप मे फँसाओत, तँ ओहि फँसौनिहारक गरदनि मे जाँतक पाट बान्हि कऽ समुद्र मे डुबा देल जाइक, से ओकरा लेल नीक होइत। 43 “अहाँक हाथ जँ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। दूनू हाथक संग नरक मे जायब जतऽ आगि कहियो नहि मिझायत, अहाँक लेल ताहि सँ नीक ई जे लुल्ह भऽ कऽ अनन्त जीवन मे प्रवेश करब। 45 अहाँक पयर जँ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा काटि कऽ फेकि दिअ। दूनू पयरक संग नरक मे फेकि देल जायब, ताहि सँ नीक ई जे नाङड़ भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश करब। 47 और अहाँक आँखि जँ अहाँ केँ पाप मे फँसबैत अछि तँ ओकरा निकालि दिअ। कनाह भऽ कऽ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश करब से अहाँक लेल एहि सँ नीक होयत जे दूनू आँखिक संग नरक मे फेकि देल जायब, 48 जतऽ मनुष्य मे फड़ि गेल कीड़ा नहि मरैत अछि आ अनन्त आगि जरैत रहैत अछि। 49 “प्रत्येक व्यक्ति अग्नि-परीक्षा द्वारा सिद्ध बनाओल जायत। 50 नून नीक वस्तु अछि, मुदा जँ ओकर स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ अहाँ कोन वस्तु सँ ओकरा फेर नूनगर बना सकब? अहाँ सभ अपना मे नूनक गुण राखू और एक-दोसराक संग मेल-मिलाप सँ रहू!”
1 यीशु तखन ओहि ठाम सँ विदा भऽ कऽ यहूदिया प्रदेश मे और यरदन नदीक ओहि पार गेलाह। बहुत बड़का भीड़ फेर हुनका लग अयलनि, तँ ओ अपन आदतक अनुसार ओकरा सभ केँ शिक्षा देबऽ लगलाह। 2 किछु फरिसी सभ आबि कऽ हुनका जँचबाक लेल पुछलथिन जे, “की धर्म-नियमक अनुसार पुरुष केँ अपना स्त्री केँ तलाक देनाइ ठीक अछि?” 3 यीशु हुनका सभ केँ पुछलथिन जे, “एहि सम्बन्ध मे मूसा की आज्ञा देने छथि?” 4 ओ सभ उत्तर देलथिन, “मूसा तलाकनामा लिखि कऽ तलाकक अनुमति देने छथि।” 5 एहि पर यीशु हुनका सभ केँ जबाब देलथिन जे, “अहाँ सभक मोनक कठोरताक कारणेँ मूसा अहाँ सभक लेल ई आज्ञा देने छथि। 6 लेकिन सृष्टिक शुरुए सँ परमेश्वर मनुष्य केँ ‘पुरुष आ स्त्री बनौलनि।’ 7 ‘एहि कारणेँ पुरुष अपन माय-बाबू केँ छोड़ि अपन स्त्रीक संग रहत और दूनू एक शरीर भऽ जायत।’ 8 आब ओ सभ दू नहि अछि—एके भऽ गेल। 9 तेँ जकरा परमेश्वर जोड़ि देलथिन तकरा मनुष्य अलग नहि करओ।” 10 बाद मे जखन घर मे छलाह तखन शिष्य सभ एहि विषय मे यीशु सँ फेर पुछलथिन। 11 ओ उत्तर देलथिन जे, “जे केओ अपना स्त्री केँ तलाक दऽ कऽ दोसर सँ विवाह करैत अछि, से ओहि स्त्रीक संग परस्त्रीगमन करैत अछि। 12 और जे स्त्री अपना पति केँ तलाक दऽ कऽ दोसर पुरुष सँ विवाह करैत अछि, सेहो परपुरुषगमन करैत अछि।” 13 तखन लोक सभ यीशु लग अपन बच्चा सभ केँ आनऽ लगलनि जे ओ ओकरा सभ पर हाथ राखि आशीर्वाद देथिन। मुदा शिष्य सभ ओकरा सभ केँ डँटलनि। 14 ई देखि यीशु बहुत अप्रसन्न भऽ गेलाह और शिष्य सभ केँ कहलथिन, “बच्चा सभ केँ हमरा लग आबऽ दिऔक, ओकरा सभ केँ नहि रोकिऔक, किएक तँ परमेश्वरक राज्य एहने सभक अछि। 15 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जे बच्चा जकाँ परमेश्वरक राज्य ग्रहण नहि करत से ओहि मे कहियो नहि प्रवेश करत।” 16 तखन बच्चा सभ केँ कोरा मे उठा लेलथिन और ओकरा सभ पर हाथ राखि कऽ आशीर्वाद देलथिन। 17 यीशु जखन ओहिठाम सँ विदा भऽ रस्ता मे जा रहल छलाह तँ एक आदमी दौड़ि कऽ अयलाह, और हुनका आगाँ मे ठेहुनिया रोपि कऽ यीशु सँ पुछलथिन जे, “यौ उत्तम गुरुजी! अनन्त जीवन प्राप्त करबाक लेल हम की करू?” 18 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा ‘उत्तम’ किएक कहैत छी? परमेश्वर केँ छोड़ि आरो केओ उत्तम नहि अछि। 19 मुदा अहाँ धर्म-नियमक आज्ञा सभ तँ जनिते छी—’हत्या नहि करह, परस्त्रीगमन नहि करह, चोरी नहि करह, झूठ गवाही नहि दैह, ककरो नहि ठकह, अपन माय-बाबूक आदर करह।’ “ 20 ओ उत्तर देलथिन जे, “गुरुजी, एहि सभ आज्ञाक पालन हम बचपने सँ करैत छी।” 21 यीशु हुनका देखि कऽ प्रेम कयलथिन और कहलथिन, “अहाँ मे एकटा बातक कमी अछि—अहाँ जाउ, अपन पूरा सम्पत्ति बेचि कऽ ओकरा गरीब सभ मे बाँटि दिअ, अहाँ केँ स्वर्ग मे धन भेटत। तकरबाद आउ आ हमरा पाछाँ चलू।” 22 ई बात सुनि कऽ ओहि आदमीक मुँह उतरि गेलनि, आ ओ उदास भऽ कऽ चल गेलाह किएक तँ हुनका बहुत धन-सम्पत्ति छलनि। 23 तखन यीशु चारू कात देखि कऽ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “धनिक सभक लेल परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कतेक कठिन अछि!” 24 शिष्य सभ एहि बात सँ अचम्भित भऽ गेलाह। यीशु हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “हे हमर बेटा सभ! परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कतेक कठिन अछि! 25 धनिक केँ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ सँ ऊँट केँ सुइक भूर दऽ कऽ निकलनाइ आसान अछि।” 26 ओ सभ आरो चकित भऽ कऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह जे, “तखन उद्धार ककर भऽ सकैत छैक?!” 27 यीशु हुनका सभ केँ एकटक देखैत कहलथिन, “मनुष्यक लेल तँ ई असम्भव अछि, लेकिन परमेश्वरक लेल नहि। परमेश्वरक लेल सभ किछु सम्भव अछि।” 28 पत्रुस हुनका कहलथिन, “देखू! हम सभ तँ सभ किछु त्यागि कऽ अहाँक पाछाँ आयल छी।” 29 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी, प्रत्येक व्यक्ति जे हमरा लेल और शुभ समाचारक लेल घर, भाय, बहिन, माय-बाबू, सन्तान वा जमीन-जालक त्याग करत 30 तकरा एहि युग मे सय गुना भेटतैक—घर, भाय, बहिन, माय, सन्तान, जमीन, मुदा संगे-संगे सहऽ पड़तैक अत्याचार, और आबऽ वला युग मे भेटतैक अनन्त जीवन। 31 मुदा बहुतो लोक जे एखन आगाँ अछि से पाछाँ भऽ जायत, आ जे एखन पाछाँ अछि से आगाँ भऽ जायत।” 32 यीशु और हुनकर शिष्य सभ यरूशलेम जाय वला रस्ता पर बढ़ैत छलाह। यीशु आगू-आगू चलि रहल छलाह। शिष्य सभ आश्चर्य-चकित छलाह और जे सभ संग मे पाछू-पाछू अबैत छल से सभ भयभीत छल। बारहो शिष्य केँ यीशु फेर अलग लऽ जा कऽ हुनका सभ केँ बुझा देलथिन जे हुनका संग केहन घटना सभ होयतनि। ओ हुनका सभ केँ कहलथिन जे, 33 “सुनू, अपना सभ यरूशलेम जा रहल छी। ओहिठाम मनुष्य-पुत्र मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभक हाथ मे पकड़ाओल जायत। ओ सभ ओकरा मृत्युदण्डक जोगरक ठहरा देतैक और गैर-यहूदी सभक हाथ मे सौंपि देतैक। 34 ओ सभ ओकर हँसी उड़ौतैक और ओकरा पर थुकतैक, ओकरा कोड़ा सँ मारतैक और मारि देतैक। मुदा तीन दिनक बाद ओ फेर जीबि उठत।” 35 जबदीक दूनू पुत्र याकूब और यूहन्ना यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, हम सभ चाहैत छी जे, हम सभ जे किछु माँगी से अहाँ हमरा सभक लेल कऽ दिअ।” 36 यीशु पुछलथिन जे, “अहाँ सभ की चाहैत छी जे हम कऽ दिअ?” 37 ओ सभ जबाब देलथिन जे, “अहाँ अपन महिमामय राज्य मे हमरा सभ मे सँ एक केँ अपना दहिना कात मे और दोसर केँ अपना बामा कात मे बैसबाक अधिकार दिअ।” 38 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ की माँगि रहल छी से अहाँ सभ नहि बुझैत छी। की दुःखक बाटी सँ जे हमरा पिबाक अछि से अहाँ सभ पिबि सकैत छी? वा कष्टक बपतिस्मा लऽ सकैत छी जे हमरा लेबाक अछि?” 39 ओ सभ उत्तर देलथिन जे, “हँ, कऽ सकैत छी।” तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जे बाटी हमरा पिबाक अछि से तँ अहाँ सभ पीब, और जे बपतिस्मा हमरा लेबाक अछि से अहाँ सभ लेब, 40 मुदा किनको अपना दहिना कात वा बामा कात बैसायब, तकर अधिकार हमरा नहि अछि—ई स्थान सभ तिनका सभक लेल छनि, जिनका सभक लेल तैयार कयल गेल अछि।” 41 जखन बाँकी दस शिष्य एहि बातक बारे मे सुनलनि तखन ओ सभ याकूब और यूहन्ना पर खिसिआय लगलाह। 42 एहि पर यीशु शिष्य सभ केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “अहाँ सभ जनैत छी जे एहि संसार मे जे सभ शासन करऽ वला बुझल जाइत छथि से सभ जनता पर हुकुम चलबैत रहैत छथि, और जनता मे जे पैघ लोक सभ छथि से जनता पर अधिकार जमबैत छथि। 43 मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, जे अहाँ सभ मे पैघ होमऽ चाहय से अहाँ सभक सेवक बनय। 44 और जे केओ अहाँ सभ मे प्रमुख व्यक्ति होमऽ चाहय से सभक टहलू बनय! 45 किएक तँ मनुष्य-पुत्र सेहो एहि लेल नहि आयल अछि जे अपन सेवा कराबय बल्कि एहि लेल जे ओ सेवा करय और बहुतो लोकक छुटकाराक मूल्य मे अपन प्राण देअय।” 46 तखन ओ सभ यरीहो नगर पहुँचलाह। जखन यीशु और शिष्य सभ बड़का भीड़क संग यरीहो सँ निकलैत छलाह तखन रस्ताक कात मे तिमाईक पुत्र, बरतिमाई, जे आन्हर छल, से भीख मँगैत बैसल छल। 47 जखन ओ सुनलक जे नासरत-निवासी यीशु जा रहल छथि तँ ओ सोर पारि कऽ कहऽ लागल जे, “यौ दाऊदक पुत्र यीशु! हमरा पर दया करू!” 48 ओकरा बहुत लोक डाँटि कऽ चुप रहऽ लेल कहलकैक, मुदा ओ आरो जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल जे, “यौ दाऊदक पुत्र! हमरा पर दया करू!” 49 यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह आ कहलनि जे, “ओकरा बजाउ!” तखन ओहि आन्हर केँ बजा कऽ लोक सभ कहलकैक जे, “निराश नहि हो! उठ! तोरा बजबैत छथुन!” 50 अपन ओढ़ना फेकि कऽ ओ छरपि उठल और यीशु लग आयल। 51 यीशु ओकरा पुछलथिन जे, “तोँ की चाहैत छह, हम तोरा लेल की करिअह?” आन्हर बाजल, “गुरुजी, हम देखऽ चाहैत छी!” 52 यीशु ओकरा कहलथिन, “जाह—तोहर विश्वास तोरा नीक कऽ देलकह।” ओ तुरत देखऽ लागल और रस्ता मे यीशुक पाछाँ चलऽ लागल।
1 यीशु आ हुनकर शिष्य सभ जखन यरूशलेम लग पहुँचलाह, अर्थात् जैतून पहाड़ पर बेतफगे और बेतनिया गाम सभ लग, तखन यीशु दूटा शिष्य केँ ई कहि कऽ पठौलथिन जे, 2 “सामने मे जे गाम अछि, ताहि मे जाउ। जखने अहाँ सभ गाम मे प्रवेश करब तखन गदहीक एक बच्चा बान्हल भेटत जाहि पर केओ कहियो नहि चढ़ल अछि। ओकरा खोलि कऽ आनू। 3 जँ केओ पुछत जे ‘एकरा किएक खोलैत छी?’ तँ कहबैक जे, ‘प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि और एकरा तुरत फेर लौटा देताह।’” 4 दूनू चल गेलाह, और हुनका सभ केँ सड़कक कात मे एक घरक द्वारि लग बान्हल एक गदहीक बच्चा भेटलनि। जखने ओ सभ ओकरा खोलऽ लगलाह 5 तँ ओहिठाम ठाढ़ भेल किछु लोक सभ हुनका सभ केँ पुछलकनि जे, “अहाँ सभ की करैत छी? ई गदहा किएक खोलि रहल छी?” 6 ओ सभ वैह उत्तर देलनि जे यीशु कहने छलथिन, और लोक सभ हुनका सभ केँ जाय देलकनि। 7 गदहीक बच्चा केँ ओ सभ यीशु लग अनलनि और ओकरा पीठ पर अपन कपड़ा राखि देलनि। यीशु ओहि पर बैसि गेलाह। 8 बहुत लोक रस्ता मे अपन चादर ओछा देलक, दोसर लोक खेत मे सँ पात वला ठाढ़ि तोड़ि कऽ सड़क पर ओछौलक। 9 यीशुक आगाँ-पाछाँ चलऽ वला लोकक भीड़ एहि तरहेँ जयजयकार करऽ लागल जे, “जय! जय! धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! 10 हमरा सभक पुरखा दाऊदक आबऽ वला राज्य केँ जय! सर्वोच्च स्वर्ग मे प्रभुक जयजयकार!” 11 यीशु यरूशलेम पहुँचि कऽ मन्दिर मे गेलाह। ओहिठाम चारू दिस नजरि दौड़ा कऽ सभ किछु देखलनि मुदा साँझ पड़ि जयबाक कारणेँ ओतऽ सँ बाहर गेलाह आ बारहो शिष्यक संग बेतनिया चल गेलाह। 12 दोसर दिन जखन ओ सभ बेतनिया सँ अबैत छलाह तखन यीशु केँ भूख लागल छलनि। 13 दूर सँ ओ हरियर पात सँ भरल एक अंजीरक गाछ देखि कऽ गाछ लग गेलाह जे शायद ओहि पर किछु फल भेटय। मुदा ओतऽ पहुँचला पर पात छोड़ि आरो किछु नहि भेटलनि, किएक तँ अंजीरक फलक समय नहि छल। 14 यीशु ओहि गाछ केँ कहलथिन, “आइ सँ तोहर फल केओ कहियो नहि खयतौ!” शिष्य सभ हुनका ई कहैत सुनलनि। 15 तखन ओ सभ यरूशलेम पहुँचलाह। मन्दिर मे जा कऽ यीशु बेचऽ वला और किनऽ वला सभ केँ ओतऽ सँ बाहर भगाबऽ लगलाह। ओ पाइ भजौनिहार सभक टेबुल आ परबा-पेउरकी बेचनिहार सभक पीढ़ी-बैसकी सभ केँ उनटा-पुनटा देलथिन। 16 ककरो मन्दिर दऽ कऽ कोनो सामान लऽ कऽ नहि जाय देलथिन। 17 लोक केँ शिक्षा देबऽ लगलथिन जे, “की धर्मशास्त्र मे नहि लिखल अछि जे, ‘हमर घर सभ जातिक लेल प्रार्थनाक घर कहाओत’ ? मुदा तोँ सभ एकरा ‘चोर-डाकूक अड्डा’ बना देने छह।” 18 मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ ई बात सुनि कऽ यीशु केँ कोना मारल जाय तकर उपाय सोचऽ लगलाह, एहि द्वारे जे हुनका सँ डेराइत छलाह किएक तँ पूरा जनता हुनकर शिक्षाक कारणेँ आश्चर्यित छल। 19 सूर्यास्तक बाद यीशु और शिष्य सभ शहर सँ बाहर चल गेलाह। 20 प्रात भेने रस्ता मे जाइत-जाइत ओ सभ देखलनि जे अंजीरक गाछ जड़ि सँ सुखि गेल अछि। 21 पत्रुस पछिला दिनक घटनाक स्मरण करैत यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, देखू! ओहि अंजीरक गाछ जकरा सराप देने छलहुँ से सुखि गेल अछि!” 22 ओ हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “परमेश्वर पर विश्वास राखू! 23 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जँ केओ एहि पहाड़ केँ कहत जे ‘एतऽ सँ हट आ समुद्र मे जो,’ और मोन मे सन्देह नहि करत, बल्कि एकर विश्वास करत जे हम जे कहि रहल छी से भऽ जायत, तँ ओकरा लेल से भइए जायत। 24 एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, अहाँ प्रार्थना मे जे किछु माँगब, विश्वास करू जे ओ भेटि गेल, और अहाँ केँ भेटिए जायत। 25 और जखन अहाँ प्रार्थनाक लेल ठाढ़ होयब, अहाँक हृदय मे जँ ककरो प्रति विरोध होअय तँ ओकरा क्षमा करू जाहि सँ अहाँक पिता जे स्वर्ग मे छथि सेहो अहाँक अपराध क्षमा करताह।” 27 ओ सभ फेर यरूशलेम पहुँचलाह। यीशु केँ मन्दिर मे टहलैत काल मुख्यपुरोहित, धर्मशिक्षक लोकनि और बूढ़-प्रतिष्ठित सभ हुनका लग अयलनि। 28 ई सभ यीशु सँ पुछलथिन जे, “अहाँ कोन अधिकार सँ ई सभ बात कऽ रहल छी? अहाँ केँ ई काज करबाक के अधिकार देलनि?” 29 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन जे, “हमहूँ अहाँ सभ सँ एकटा बात पुछैत छी। अहाँ सभ उत्तर देब तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ कहब जे हम कोन अधिकार सँ ई सभ काज कऽ रहल छी। 30 यूहन्ना केँ बपतिस्मा देबाक अधिकार परमेश्वर सँ भेटल छलनि वा मनुष्य सँ? बाजू!” 31 ई सुनि ओ सभ अपना मे तर्क-वितर्क करऽ लगलाह जे, “जँ अपना सभ कहबैक जे, परमेश्वर सँ, तँ ओ पुछत जे, ‘तखन हुनकर बातक विश्वास किएक नहि कयलहुँ?’ 32 मुदा जँ कहबैक जे, ‘मनुष्य सँ, तँ...’” ओ सभ जनता सँ डेराइत छलाह किएक तँ सभ लोक यूहन्ना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता मानैत छल। 33 तेँ ओ सभ यीशु केँ उत्तर देलथिन जे, “हम सभ नहि जनैत छी।” एहि पर यीशु कहलथिन, “तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ नहि कहब जे, हम कोन अधिकार सँ ई काज करैत छी!”
1 तखन ओ हुनका सभ केँ दृष्टान्त द्वारा शिक्षा देबऽ लगलाह, “एक आदमी एक अंगूरक बगान लगौलनि और चारू कात सँ ओकरा घेरि देलनि। अंगूरक रस जमा करबाक लेल ओ एक रसकुण्ड बनौलनि आ रखबारीक लेल मचान बनौलनि। तकरबाद किसान सभ केँ बटाइ पर दऽ कऽ परदेश चल गेलाह। 2 फलक समय अयला पर ओ अपन हिस्सा लेबाक लेल एक नोकर केँ बटाइदार सभक ओहिठाम पठौलथिन। 3 मुदा ओ सभ ओकरा पकड़ि कऽ मारि-पिटि कऽ खाली हाथ लौटा देलकैक। 4 तखन मालिक फेर दोसर नोकर केँ ओकरा सभक ओहिठाम पठौलथिन, मुदा ओ सभ ओकर कपार फोड़ि देलकैक और ओकर अपमान कयलकैक। 5 मालिक तेसरो केँ पठौलथिन और ओकरा ओ सभ मारि देलकैक। तहिना आरो बहुत नोकर केँ ओ सभ पिटलकैक वा मारि देलकैक। 6 आब मालिक केँ एकेटा आदमी रहि गेलनि—हुनकर अपन प्रिय बेटा। अन्त मे ओ ओकरो, ई सोचि कऽ पठौलथिन जे, ‘हमरा बेटा केँ ओ सभ अवश्य आदर करत।’ 7 मुदा बटाइदार सभ एक-दोसर केँ कहलक जे, ‘ई अपन बापक उत्तराधिकारी अछि। चलू एकरा मारि दिऐक, तखन ई सम्पत्ति अपने सभक भऽ जायत!’ 8 एना सोचि ओ सभ हुनका पकड़ि कऽ मारि देलकनि और हुनकर लास बगान सँ बाहर फेकि देलकनि।” 9 यीशु आगाँ कहलथिन, “बगानक मालिक आब की करताह? ओ आबि कऽ ओहि बटाइदार सभक सर्वनाश करथिन और बगान दोसर बटाइदार सभ केँ दऽ देथिन। 10 की अहाँ सभ धर्मशास्त्र मे ई नहि पढ़ने छी?— ‘जाहि पाथर केँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि कऽ फेकि देलक, वैह पाथर मकानक प्रमुख पाथर भऽ गेल। 11 ई काज प्रभु-परमेश्वर कयलनि, और ई हमरा सभक नजरि मे अद्भुत बात अछि!’” 12 एहि पर ओ सभ हुनका पकड़ऽ चाहैत छलाह किएक तँ ओ सभ बुझि गेलाह जे ई हमरे सभक बारे मे ई कथा कहलक अछि। मुदा जनता सँ डेरयबाक कारणेँ ओ सभ हुनका छोड़ि कऽ चल गेलाह। 13 बाद मे ओ सभ किछु फरिसी और हेरोद-दलक किछु लोक केँ यीशु लग पठा देलनि जे हुनका अपन कहल बातक जाल मे फँसाबय। 14 ओ सभ आबि कऽ हुनका कहलकनि जे, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने सत्यवादी छी, आ केओ की सोचैत अछि, तकर अपने केँ कोनो चिन्ता नहि, कारण, अपने मुँह-देखी बात नहि करैत छी। अपने सत्यक अनुसार परमेश्वरक बाटक शिक्षा दैत छी। आब हमरा सभ केँ एकटा बात कहल जाओ—रोमी सम्राट-कैसर केँ कर देब धर्म-नियमक अनुसार उचित अछि वा नहि? अपना सभ केँ कर देबाक चाही वा नहि देबाक चाही?” 15 यीशु ओकरा सभक कपट बुझि कऽ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ हमरा किएक फँसाबऽ चाहैत छी? हमरा एकटा सिक्का दिअ, हम देखब।” 16 ओ सभ एक दिनारक सिक्का लऽ आयल। तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “ई किनकर चित्र छनि? आ एहि पर किनकर नाम लिखल छनि?” ओ सभ उत्तर देलकनि, “सम्राट-कैसरक।” 17 तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जे सम्राटक छनि से सम्राट केँ दिऔन, आ जे परमेश्वरक छनि से परमेश्वर केँ दिऔन।” एहि पर ओ सभ एकदम अवाक रहि गेल। 18 तखन किछु सदुकी पंथक लोक, जे सभ एहि बात केँ नहि मानैत अछि जे मृत्यु मे सँ मनुष्य फेर जिआओल जायत, से सभ एकटा प्रश्न लऽ कऽ यीशु लग आयल। 19 ओ सभ कहलकनि, “गुरुजी, मूसा हमरा सभक लेल लिखलनि जे, जँ ककरो भाय निःसन्तान मरि जाइक आ ओकर स्त्री जीविते होइक तँ ओकरा ओहि स्त्री सँ विवाह कऽ अपना भायक लेल सन्तान उत्पन्न करबाक चाही। 20 एक परिवार मे सात भाय छल। जेठ भाय विवाह कयलक और निःसन्तान मरि गेल। 21 तँ दोसर भाय ओहि स्त्री सँ विवाह कयलक लेकिन ओहो निःसन्तान मरि गेल। तेसरो भाय केँ एहिना भेलैक। 22 तहिना सातो भाय ओहि स्त्री सँ विवाह कऽ कऽ निःसन्तान मरि गेल, और अन्त मे स्त्रिओ मरि गेल। 23 आब कहल जाओ, ओहि समय मे जहिया मुइल सभ केँ जिआओल जयतैक, तँ ओ स्त्री एहि भाय सभ मे सँ ककर स्त्री होयतैक? ओकरा सँ तँ सातो विवाह कयने छलैक।” 24 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ ने धर्मशास्त्र आ ने परमेश्वरक सामर्थ्य केँ जनैत छी। तेँ अहाँ सभ केँ एहि तरहेँ धोखा भऽ रहल अछि। 25 किएक तँ, जखन लोक सभ मृत्यु सँ जीबि जायत तखन ने ओ सभ विवाह करत आ ने विवाह मे देल जायत, बल्कि ओ सभ स्वर्गदूत सभ जकाँ होयत। 26 तखन मुइल सभ केँ जिआओल जयबाक जे बात अछि, ताहि सम्बन्ध मे की अहाँ सभ कहियो मूसाक पुस्तक मे नहि पढ़ने छी—जाहि ठाम जरैत झाड़ीक वर्णन अछि, कोना परमेश्वर ⌞एहि पूर्वज लोकनिक मृत्युक बादो⌟ मूसा केँ कहलथिन जे, ‘हम अब्राहमक परमेश्वर, इसहाकक परमेश्वर और याकूबक परमेश्वर छी।’ ? 27 ओ मुइल सभक नहि, जीवित सभक परमेश्वर छथि! अहाँ सभ एकदम गलत बुझैत छी!” 28 एक धर्मशिक्षक ई वाद-विवाद सुनि कऽ देखलनि जे यीशु सदूकी सभ केँ बहुत नीक जबाब देने छथिन, तँ ओ यीशु लग आबि कऽ पुछलथिन जे, “सभ सँ पैघ आज्ञा कोन अछि?” 29 यीशु उत्तर देलथिन जे, “सभ सँ पैघ आज्ञा यैह अछि—’हे इस्राएल, सुनह, प्रभु, अपना सभक परमेश्वर, सैह एकमात्र प्रभु छथि। 30 तोँ अपन प्रभु-परमेश्वर केँ अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण आत्मा सँ, अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ और अपन सम्पूर्ण शक्ति सँ प्रेम करह।’ 31 और दोसर पैघ आज्ञा यैह अछि जे, ‘तोँ अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम करह।’ एहि सँ पैघ आरो कोनो आज्ञा नहि अछि।” 32 धर्मशिक्षक हुनका कहलथिन, “गुरुजी, कतेक नीक जबाब देलहुँ! अहाँ ठीके कहलहुँ जे एकेटा परमेश्वर छथि और हुनका छोड़ि आरो केओ नहि छथि। 33 हुनका अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ और अपन सम्पूर्ण शक्ति सँ प्रेम कयनाइ, और अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम कयनाइ सभ प्रकारक पशु-बलिदान, अग्नि-बलिदान और चढ़ौना सँ पैघ अछि।” 34 यीशु ई देखि कऽ जे ओ बहुत बुद्धिपूर्बक उत्तर देलनि ताहि पर हुनका कहलथिन, “अहाँ परमेश्वरक राज्य सँ दूर नहि छी।” तकरबाद ककरो हुनका आरो प्रश्न पुछबाक साहस नहि भेलैक। 35 बाद मे यीशु मन्दिर मे शिक्षा दैत पुछलथिन जे, “धर्मशिक्षक सभक कहबाक अर्थ की अछि जखन ओ सभ कहैत छथि जे ‘उद्धारकर्ता-मसीह’ दाऊदक पुत्र छथि? 36 दाऊद अपने, पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ बजलाह, ‘प्रभु-परमेश्वर हमरा प्रभु केँ कहलथिन, अहाँ हमर दहिना कात बैसू और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 37 दाऊद अपने, ‘उद्धारकर्ता-मसीह’ केँ ‘प्रभु’ कहैत छथिन, तँ ओ फेर हुनकर पुत्र कोना भेलाह?” भीड़क लोक सभ बहुत आनन्दक संग हुनकर बात सुनि रहल छलनि। 38 यीशु आगाँ शिक्षा देबऽ लगलाह जे, “धर्मशिक्षक सभ सँ सावधान रहू। धर्मगुरु वला लम्बा-लम्बा कपड़ा पहिरि कऽ घुमब, और बजार मे लोक सभ हुनका सभ केँ प्रणाम-पात करनि से बहुत नीक लगैत छनि। 39 ओ सभ सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पर बैसब और भोज-काज मे सम्मानित स्थान भेटय से पसन्द करैत छथि। 40 विधवा सभक घर-आङन हड़पि लैत छथि, और लोक सभ केँ देखयबाक लेल लम्बा-लम्बा प्रार्थना करैत छथि। हुनका सभ केँ बेसी दण्ड देल जयतनि।” 41 तखन यीशु मन्दिर मे दान-पात्र लग बैसि कऽ लोक सभ केँ ओहि मे दान दैत देखलनि। बहुत लोक जे सभ धनिक छल से सभ ओहि मे बहुत किछु रखैत छल। 42 तखन एकटा गरीब विधवा आबि कऽ तामक दूटा पाइ, जकर मूल्य एको पैसा सँ कम छलैक, से दान-पात्र मे देलक। 43 यीशु शिष्य सभ केँ अपना लग बजा कऽ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, ई गरीब विधवा ओहि सभ लोक सँ बेसी दान चढ़ौलक, 44 किएक तँ ओ सभ धनिक भऽ कऽ अपन फाजिल धन मे सँ दान चढ़ौलक मुदा ई गरीब भऽ कऽ अपना लेल किछु नहि राखि अपन पूरा जीविके चढ़ा देलक।”
1 मन्दिर सँ बहराइत काल यीशु केँ हुनकर एकटा शिष्य कहलथिन, “गुरुजी, देखू! एहि मन्दिरक मकान सभ कतेकटा अछि! और एहि मे कतेक सुन्दर-सुन्दर पाथर लागल अछि!” 2 यीशु हुनका कहलथिन, “ई जे बड़का मकान सभ देखैत छिऐक—एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत, सभ ढाहल जायत।” 3 तखन मन्दिरक सामने मे जैतून पहाड़ पर यीशु जखन बैसल छलाह, तँ पत्रुस, याकूब, यूहन्ना और अन्द्रेयास एकान्त मे हुनका सँ पुछलथिन जे, 4 “हमरा सभ केँ कहू—ई बात सभ कहिया होयत? और कोन चिन्ह होयतैक जाहि सँ बुझि सकी जे ई बात सभ आब होयत?” 5 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “होसियार रहू जे अहाँ सभ केँ केओ बहकाबऽ नहि पाबय। 6 बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत और कहत जे ‘हम वैह छी!’, और बहुतो लोक केँ बहका देत। 7 जखन अहाँ सभ लड़ाइक समाचार और लड़ाइक हल्ला सभ सुनब तखन घबड़ायब नहि, ई सभ होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तहिओ नहि होयत। 8 एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। बहुतो ठाम मे अकाल पड़त आ भूकम्प होयत। ई सभ बात तँ कष्टक शुरुआते होयत! 9 “मुदा अहाँ सभ सावधान रहू! किएक तँ लोक सभ अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ दण्ड लगबयबाक लेल पंच सभक समक्ष लऽ जायत आ सभाघर सभ मे अहाँ सभ केँ कोड़ा सँ पिटबाओत। हमरा कारणेँ अहाँ सभ राज्यपाल सभ और राजा सभक समक्ष ठाढ़ कयल जायब, और हुनका सभ केँ अहाँ सभ हमरा बारे मे गवाही देब। 10 अन्तिम समय सँ पहिने परमेश्वरक शुभ समाचारक प्रचार सभ जाति मे होयब आवश्यक अछि। 11 और जखन लोक अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ दण्ड लगबयबाक लेल कचहरी मे लऽ जायत तँ ओहि सँ पहिने एकर चिन्ता नहि करब जे हम की कहब। बाजऽ वला अहाँ अपने नहि होयब, पवित्र आत्मा होयताह, तेँ ओहि समय मे अहाँ केँ मोन मे जे बात देल जाय वैह बात बाजब। 12 “भाय भाय केँ, और बाबू अपना बेटा केँ मृत्युदण्डक लेल पकड़बाओत, और बेटा-बेटी अपन माय-बाबूक विरोधी भऽ कऽ मरबा देत। 13 अहाँ सभ सँ सभ केओ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। मुदा जे व्यक्ति अन्त तक स्थिर रहत से उद्धार पाओत। 14 “मुदा जखन अहाँ सभ ‘विनाश करऽ वला घृणित वस्तु’ केँ ओहिठाम ठाढ़ देखब जाहि ठाम नहि होयबाक चाही—पढ़ऽ वला ई बात ध्यान दऽ कऽ बुझू!—तखन जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय से सभ पहाड़ पर भागि जाय। 15 जे छत पर होअय से उतरि कऽ कोनो सामान लेबाक लेल घर मे नहि जाओ—ओहो भागि जाओ। 16 और जे खेत मे होअय से अपन ओढ़ना लेबाक लेल घूमि कऽ नहि आबओ। 17 ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! 18 प्रार्थना करू जे ई सभ बात जाड़क समय मे नहि होअय! 19 कारण ओहि समय मे एहन कष्ट होयत जे शुरू सँ, जखन परमेश्वर पृथ्वीक सृष्टि कयलनि, आइ तक कहियो नहि भेल अछि, आ ने फेर कहियो होयत। 20 परमेश्वर ओहि समय केँ जँ घटा नहि देने रहितथि, तँ केओ नहि बँचैत। मुदा परमेश्वर अपन चुनल लोकक कारणेँ ओहि समय केँ घटा देलथिन। 21 “ओहि समय मे जँ केओ अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘देखू! मसीह एतऽ छथि’, वा ‘ओतऽ छथि’ तँ ओहि बात पर विश्वास नहि करब। 22 कारण, ओहि समय मे झुट्ठा मसीह आ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहऽ वला सभ प्रगट होयत, और एहन आश्चर्यजनक बात आ चमत्कार सभ देखाओत जे, जँ सम्भव रहैत, तँ परमेश्वरक चुनल लोक सभ केँ सेहो बहका दैत। 23 मुदा अहाँ सभ होसियार रहू! हम अहाँ सभ केँ सभ बात पहिनहि कहि देलहुँ। 24 “मुदा ओहि दिन सभ मे, एहि संकटक बाद, ‘सूर्य अन्हार भऽ जायत, चन्द्रमा इजोत नहि देत। 25 आकाश सँ तारा सभ खसत, और आकाशक शक्ति सभ हिलाओल जायत।’ 26 तखन लोक सभ मनुष्य-पुत्र केँ अपार शक्ति और महिमाक संग मेघ मे अबैत देखत। 27 तखन पृथ्वी सँ आकाश तक चारू दिस सँ ओ अपन चुनल लोक सभ केँ जमा करबाक लेल अपन स्वर्गदूत सभ केँ पठौताह। 28 “आब अंजीरक गाछ सँ एकटा बात सिखू—जखन ओकर ठाढ़ि कोमल होमऽ लगैत छैक और ओहि मे नव पात निकलऽ लगैत छैक तखन अहाँ सभ बुझि जाइत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। 29 तहिना जखन अहाँ सभ ई बात सभ होइत देखब तखन बुझि लिअ जे समय लगचिआ गेल, हँ, ई बुझू जे ओ घरक मुँह पर आबि गेल अछि। 30 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। 31 आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। 32 “मुदा एहि घटना सभक दिन वा समय केओ नहि जनैत अछि, स्वर्गदूतो सभ नहि आ पुत्रो नहि—मात्र पिता जनैत छथि। 33 होसियार रहू! बाट तकैत रहू आ प्रार्थना करैत रहू! अहाँ सभ तँ नहि जनैत छी जे ओ समय कहिया होयत। 34 ई बात एहन अछि जेना एक आदमी यात्रा पर परदेश जाय लगलाह। जाय सँ पहिने ओ अपन घरक लेल नोकर सभ केँ अपन-अपन जबाबदेही देलनि, और चौकीदार केँ पहरा देबाक लेल आज्ञा देलनि। 35 तहिना अहाँ सभ बाट तकैत रहू, किएक तँ अहाँ नहि जनैत छी जे घरक मालिक कखन फिरि औताह—साँझ, आधा राति, भोरहरिया, वा भिनसर मे। 36 एना नहि होअय जे ओ अचानक आबि कऽ अहाँ सभ केँ सुतल पौताह। 37 अहाँ सभ केँ हम जे कहैत छी से सभ केँ कहैत छी—होसियार रहू!”
1 फसह-पाबनि और “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि” होमऽ मे दू दिन बाँकी छल। मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ यीशु केँ कोन तरहेँ छल सँ पकड़ब और मारि देब, तकर उपाय तकैत छलाह। 2 मुदा ओ सभ कहलनि जे, “पाबनिक समय मे नहि। एना नहि होअय जे जनता उपद्रव करय।” 3 यीशु बेतनिया गाम मे सिमोन नामक एक आदमी, जिनका पहिने कुष्ठ-रोग भेल छलनि, तिनका घर मे भोजन करैत छलाह। तखने एकटा स्त्रीगण संगमरमरक बर्तन मे जटामासी नामक बहुत दामी तेल अनलनि। बर्तन फोड़ि कऽ तेल हुनका माथ पर ढारि देलथिन। 4 लेकिन ओहिठाम बैसल किछु लोक खिसिआ कऽ एक-दोसर केँ कहऽ लागल जे, “ई दामी तेल किएक बरबाद कयल गेल? 5 ई तँ एक वर्षक मजदूरी सँ बेसी मे बेचि कऽ गरीब सभ मे बाँटल जा सकैत छल!” और ओहि स्त्री केँ डाँटऽ लागल। 6 मुदा यीशु कहलथिन, “हिनका छोड़ि दिऔन! हिनका किएक तंग करैत छिऐन? हमरा लेल बहुत बढ़ियाँ काज कयलनि। 7 गरीब सभ तँ अहाँ सभक संग सभ दिन रहत, और अहाँ सभ केँ जहिया मोन होयत तहिया ओकरा सभक सहायता कऽ सकब। मुदा हम अहाँ सभक संग सभ दिन नहि रहब। 8 ई जे किछु कऽ सकैत छलीह से कयलनि। ई पहिनहि सँ हमरा देह मे तेल लगा कऽ हम जे कबर मे राखल जायब तकर तैयारी कयलनि। 9 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, संसार भरि मे जतऽ कतौ हमर शुभ समाचारक प्रचार कयल जायत, ततऽ एहि स्त्रीगणक स्मरण मे हिनकर एहि काजक चर्चा सेहो कयल जायत।” 10 तखन यहूदा इस्करियोती, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, यीशु केँ मुख्यपुरोहित सभक हाथ मे पकड़यबाक योजना बनयबाक लेल हुनका सभक ओहिठाम गेल। 11 यहूदाक बात सुनि कऽ मुख्यपुरोहित सभ बहुत खुश भऽ गेलाह और ओकरा ई काज करबाक लेल पैसा देबाक वचन देलथिन। तेँ ओ यीशु केँ पकड़बयबाक अनुकूल अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 12 बिनु खमीरक रोटी वला पाबनिक पहिल दिन, जाहि दिन मे फसह-भोजक भेँड़ा बलिदान करबाक प्रथा छल, शिष्य सभ यीशु सँ पुछलथिन जे, “फसह-पाबनिक भोजक व्यवस्था अहाँक लेल हम सभ कतऽ ठीक करू?” 13 यीशु दूटा शिष्य सभ केँ ई कहि कऽ पठौलनि जे, “शहर मे जाउ। ओतऽ घैल मे पानि लऽ जाइत एक पुरुष अहाँ सभ केँ भेटत, ओकरा पाछाँ-पाछाँ जाउ। 14 जाहि घर मे ओ प्रवेश करत ओहि घरक मालिक केँ कहबनि जे, ‘गुरुजी पुछैत छथि जे हमर अतिथि-घर कतऽ अछि जतऽ हम अपना शिष्य सभक संग फसह-भोज खायब?’ 15 ओ अहाँ सभ केँ उपरका तल्ला पर एक नमहर कोठली देखौताह जाहि मे सभ किछु तैयार रहत। ओतहि अहाँ सभ अपना सभक भोजक तैयारी करू।” 16 दूनू शिष्य विदा भऽ कऽ शहर मे पहुँचलाह, और जहिना यीशु हुनका सभ केँ कहने छलथिन, ठीक ओहिना सभ किछु भेटलनि, और ओ सभ ओतऽ फसह-भोजक तैयारी कयलनि। 17 ओहि साँझ मे यीशु अपन बारहो शिष्यक संग ओतऽ पहुँचलाह। 18 भोजन करैत काल यीशु कहऽ लगलाह जे, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, अहाँ सभ मे सँ एक गोटे हमरा पकड़बा देत, एक गोटे जे हमरा संग भोजन सेहो कऽ रहल अछि।” 19 शिष्य सभ दुखी भऽ कऽ एक-एक कऽ हुनका सँ पुछऽ लगलनि जे, “ओ हम तँ नहि छी?!” 20 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “ओ अहाँ बारहो मे सँ एक अछि जे हमरा संग बट्टा मे रोटी केँ बोड़ैत अछि। 21 मनुष्य-पुत्रक सम्बन्ध मे जहिना धर्मशास्त्र मे लिखल गेल अछि तहिना तँ ओ चलिए जायत, मुदा धिक्कार अछि ओहि मनुष्य केँ जे मनुष्य-पुत्र केँ पकड़बा रहल अछि। ओकरा लेल तँ नीक ई रहितैक जे ओ जन्मे नहि लेने रहैत।” 22 ओ सभ जखन भोजन कऽ रहल छलाह तँ यीशु रोटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। ओ रोटी केँ तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ कहलथिन, “लिअ, ई हमर देह अछि।” 23 तखन बाटी हाथ मे लेलनि, और परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ हुनका सभ केँ देलथिन। ओ सभ गोटे ओहि मे सँ पिलनि। 24 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “ई परमेश्वर आ मनुष्यक बीच विशेष सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि, जे बहुत लोकक लेल बहाओल जा रहल अछि। 25 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जाबत तक परमेश्वरक राज्य मे हम नवका अंगूरक रस नहि पीब, ताबत तक अंगूरक रस फेर नहि पीब।” 26 तकरबाद एक भजन गाबि कऽ ओ सभ जैतून पहाड़ पर चल गेलाह। 27 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ गोटे अपना विश्वास मे डगमगायब, किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे परमेश्वर कहने छथि, ‘हम चरबाह केँ मारि देबैक, और भेँड़ा सभ छिड़िया जायत।’ 28 मुदा मृत्यु सँ फेर जीवित भऽ गेलाक बाद हम अहाँ सभ सँ पहिने गलील प्रदेश जायब।” 29 एहि पर पत्रुस हुनका कहलथिन, “चाहे सभ केओ विश्वास मे डगमगायत, मुदा हम नहि डगमगायब!” 30 यीशु हुनका कहलथिन, “हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, आइए राति मे, अहाँ हमरा अस्वीकार करब। मुर्गा केँ दू बेर बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 31 मुदा पत्रुस आरो जोर सँ कहलथिन जे, “हमरा जँ अहाँक संग मरहो पड़त तैयो हम किन्नहुँ नहि अहाँ केँ अस्वीकार करब।” आरो सभ शिष्य सेहो यैह बात कहलथिन। 32 ओ सभ गतसमनी नामक एक जगह पर गेलाह। यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “जाबत हम प्रार्थना करैत छी, ताबत अहाँ सभ एहिठाम बैसल रहू।” 33 ओ पत्रुस, याकूब और यूहन्ना केँ अपना संग लऽ गेलाह। ओ मानसिक वेदना सँ व्याकुल होमऽ लगलाह, 34 आ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर मोन व्यथा सँ एतेक व्याकुल अछि—मानू जे हम दुःख सँ मरऽ पर छी। अहाँ सभ एहिठाम रहि कऽ जागल रहू।” 35 एतेक कहि ओ कनेक आगाँ जा मुँह भरे खसि कऽ प्रार्थना कयलनि जे, सम्भव होअय तँ ई दुःखक समय हमरा लग सँ दूर भऽ जाय। 36 ओ प्रार्थना करैत कहलनि जे, “हे बाबूजी! हे पिता! अहाँ तँ सभ किछु कऽ सकैत छी—ई दुःखक बाटी हमरा सँ हटा लिअ, मुदा तैयो हमर इच्छा नहि, अहींक इच्छा पूरा होअय।” 37 तकरबाद अपन शिष्य सभ लग आबि कऽ हुनका सभ केँ सुतल देखलथिन। ओ पत्रुस केँ कहलथिन, “सिमोन! सुतल छी की? की एको घण्टा जागल रहितहुँ से अहाँ केँ पार नहि लागल? 38 परीक्षा मे नहि पड़ि जाउ ताहि लेल अहाँ सभ जागल रहू आ प्रार्थना करैत रहू। आत्मा तँ तैयार अछि मुदा शरीर कमजोर।” 39 यीशु फेर जा कऽ पहिने जकाँ प्रार्थना कयलनि। 40 ओ जखन प्रार्थना कऽ कऽ शिष्य सभ लग अयलाह तँ ओ सभ फेर सुतल छलाह। हुनकर सभक आँखि नीन सँ भारी भऽ गेल छलनि। आब यीशु केँ की जबाब दिऔन से हिनका सभ केँ किछु नहि फुरयलनि। 41 यीशु फेर तेसर बेर हुनका सभ लग अयलाह और कहलथिन, “एखनो तक सुतिए रहल छी आ आरामे कऽ रहल छी? आब भऽ गेल! समय आबि गेल—देखू आब मनुष्य-पुत्र पापी सभक हाथ मे पकड़बाओल जा रहल अछि। 42 उठू-उठू! चलू! देखू, हमरा पकड़बाबऽ वला आबि गेल अछि!” 43 यीशु ई कहिए रहल छलाह कि यहूदा, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, पहुँचि गेल। ओकरा संग लोकक भीड़ छलैक, और सभक हाथ मे तरुआरि और लाठी छल। ओकरा सभ केँ मुख्यपुरोहित, धर्मशिक्षक, और बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि पठौने छलाह। 44 यीशु केँ पकड़बाबऽ वला ओकरा सभ केँ ई संकेत देने छलैक जे, “हम जकरा चुम्मा लेब, वैह होयत—अहाँ सभ ओकरे पकड़ू आ घेरि कऽ पहरा मे लऽ जायब।” 45 यहूदा तुरत यीशुक लग मे जा कऽ कहलकनि, “गुरुजी!” आ हुनका चुम्मा लेलकनि। 46 ओ सभ हुनका तुरत पकड़ि कऽ बन्दी बना लेलकनि। 47 ओहि ठाम ठाढ़ एक आदमी तरुआरि निकालि कऽ महापुरोहितक टहलू पर चला कऽ ओकर एकटा कान उड़ा देलनि। 48 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ हमरा विद्रोह मचाबऽ वला बुझि कऽ, लाठी और तरुआरि लऽ कऽ पकड़ऽ अयलहुँ? 49 सभ दिन हम मन्दिर मे शिक्षा दैत अहाँ सभक संग छलहुँ, ततऽ अहाँ सभ हमरा नहि पकड़लहुँ। मुदा ई सभ एना एहि लेल भेल जे धर्मशास्त्र मे लिखल बात पूरा होअय।” 50 तखन सभ शिष्य हुनका छोड़ि कऽ भागि गेलनि। 51 ओहिठाम एक नवयुवक सेहो छल जे यीशुक पाछाँ-पाछाँ चलैत छल। ओ अपना देह पर मात्र चद्दरि लपेटने रहय। लोक सभ ओकरो पकड़ऽ लागल 52 लेकिन ओ चद्दरि ओकरा सभक हाथ मे छोड़ि कऽ नंगटे दौड़ैत भागल। 53 तखन यीशु केँ महापुरोहितक ओहिठाम लऽ गेलनि, जाहिठाम सभ मुख्यपुरोहित, बूढ़-प्रतिष्ठित लोक और धर्मशिक्षक सभ जमा भेल छलाह। 54 पत्रुस सेहो किछु दूरे रहि कऽ यीशुक पाछाँ-पाछाँ महापुरोहितक अङने मे पैसि गेलाह। ओ सिपाही सभक संग घूर लग बैसि कऽ आगि तापऽ लगलाह। 55 मुख्यपुरोहित सभ और पूरा धर्म-महासभाक सदस्य सभ यीशु केँ मृत्युदण्डक जोगरक बनयबाक लेल हुनका विरोध मे प्रमाण सभ तकैत छलाह, मुदा किछु नहि भेटलनि। 56 कारण बहुत लोक हुनका विरोध मे झूठ गवाही देलक लेकिन ओकरा सभक बात एक-दोसर सँ नहि मिललैक। 57 तखन किछु लोक उठि कऽ हुनका विरोध मे झूठ गवाही दैत कहलक जे, 58 “हम सभ ओकरा ई कहैत सुनलहुँ अछि जे, ‘ई हाथ सँ बनाओल मन्दिर केँ हम तोड़ि देब और तीन दिनक बाद हम दोसर बनायब जे मनुष्यक हाथ सँ बनाओल नहि होयत।’” 59 मुदा तैयो ओकरा सभक बात एक-दोसर सँ नहि मिलैत छल। 60 तखन महापुरोहित सभाक बीच मे ठाढ़ भऽ कऽ यीशु सँ पुछलथिन जे, “की अहाँ कोनो उत्तर नहि देब? ई गवाह सभ अहाँक विरोध मे केहन बात सभ कहि रहल अछि?” 61 मुदा यीशु चुप रहि कऽ कोनो उत्तर नहि देलथिन। फेर महापुरोहित हुनका पुछलथिन जे, “की अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी? परमधन्य परमेश्वरक पुत्र छी?” 62 यीशु कहलथिन, “हँ, हम छी। और अहाँ सभ मनुष्य-पुत्र केँ सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसल और आकाशक मेघ मे अबैत देखब।” 63 ई सुनि महापुरोहित अपन वस्त्र फाड़ि कऽ कहलथिन, “आब आरो गवाह सभक की आवश्यकता? 64 अहाँ सभ एकरा परमेश्वरक निन्दा करैत सुनबे कयलहुँ—आब अहाँ सभक की विचार?” सभ हुनका मृत्युदण्डक जोगरक ठहरौलकनि। 65 किछु लोक हुनका पर थूक फेकऽ लगलनि, हुनका आँखि पर पट्टी बान्हि कऽ हुनका मुक्का मारऽ लगलनि और कहलकनि जे, “यौ अन्तर्यामी, कहल जाओ! अपने केँ के मारलक?” सिपाही सभ सेहो हुनका थप्पड़ मारलकनि। 66 एहि समय मे पत्रुस नीचाँ आङन मे छलाह। महापुरोहितक एक टहलनी आबि कऽ 67 पत्रुस केँ आगि तपैत देखि हुनकर मुँह ठिकिअबैत कहलकनि जे, “अहूँ एहि नासरत-निवासी यीशुक संग छलहुँ!” 68 मुदा पत्रुस अस्वीकार करैत कहलथिन, “तोँ की बाजि रहल छेँ से हमरा बुझहो मे नहि अबैत अछि आ ने ओहि बात केँ हम जनैत छी।” और ओहिठाम सँ हटि कऽ आङनक मुँह पर चल गेलाह, आ मुर्गा बाजल। 69 फेर ओ टहलनी हुनका देखि कऽ ओहिठाम ठाढ़ लोक सभ केँ कहलकैक जे, “ई आदमी ओकरे सभ मे सँ केओ अछि!” 70 मुदा पत्रुस फेर अस्वीकार कयलनि। किछु कालक बाद ओहिठाम ठाढ़ लोक सभ पत्रुस केँ कहलकनि जे, “निश्चय तोँ ओकरे सभ मे सँ छह! तोँहूँ तँ गलीले प्रदेशक छह!” 71 एहि पर ओ सपत खा कऽ अपना केँ सरापऽ लगलाह और कहलथिन, “जाहि व्यक्तिक बारे मे अहाँ सभ बाजि रहल छी, तकरा हम नहि चिन्हैत छी!” 72 तखने मुर्गा दोसर बेर बाजि उठल। तखन पत्रुस केँ ओ बात मोन पड़ि गेलनि जे यीशु हुनका कहने छलथिन जे, “मुर्गा केँ दू बेर बाजऽ सँ पहिने अहाँ हमरा तीन बेर अस्वीकार करब।” और ओ भोकासी पाड़ि कऽ कानऽ लगलाह।
1 प्रात भेने भोरे-भोर मुख्यपुरोहित, बूढ़-प्रतिष्ठित सभ, धर्मशिक्षक सभ, और धर्म-महासभाक आरो सभ सदस्य निर्णय कऽ कऽ, यीशु केँ बान्हि देलथिन, और हुनका लऽ जा कऽ राज्यपाल पिलातुसक जिम्मा मे लगा देलथिन। 2 पिलातुस हुनका सँ पुछलथिन जे, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि रहल छी।” 3 तखन मुख्यपुरोहित सभ हुनका पर बहुत बातक दोष लगाबऽ लगलाह। 4 पिलातुस हुनका सँ फेर पुछलथिन जे, “की अहाँ कोनो उत्तर नहि देब? देखू, ई सभ अहाँ पर कतेक आरोप लगा रहल छथि!” 5 मुदा यीशु तैयो कोनो उत्तर नहि देलथिन। एहि सँ पिलातुस केँ बहुत आश्चर्य लगलनि। 6 प्रत्येक साल फसह-पाबनिक अवसर पर राज्यपाल जनताक माँगक अनुसार एक कैदी केँ छोड़ि दैत छलाह। 7 एहि बेर आरो क्रान्तिकारी सभक संग जहल मे एक बरब्बा नामक कैदी छल जे आन्दोलन मे हत्या कयने छल। 8 भीड़ पिलातुसक लग मे आबि कऽ हुनका सँ माँग कयलकनि जे ओ अपन प्रथाक अनुसार ओकरा सभक लेल एक कैदी केँ छोड़ि देथि। 9 ओ ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “की अहाँ सभ चाहैत छी जे हम अहाँ सभक लेल ‘यहूदी सभक राजा’ केँ छोड़ि दी?” 10 ओ जनैत छलाह जे मुख्यपुरोहित सभ यीशु केँ ईर्ष्याक कारणेँ पकड़बौने छथि। 11 मुदा मुख्यपुरोहित सभ भीड़क लोक केँ एहि बातक लेल भड़कौलनि जे ओ सभ यीशु केँ नहि, बल्कि बरब्बा केँ छोड़ि देबाक लेल पिलातुस सँ माँग करय। 12 पिलातुस ओकरा सभ केँ फेर कहलथिन, “तखन एकरा लऽ कऽ हम की करिऔक जकरा अहाँ सभ ‘यहूदी सभक राजा’ कहैत छी?” 13 एहि पर ओ सभ बहुत जोर-जोर सँ हल्ला करऽ लागल जे, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 14 मुदा पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “किएक? ओ कोन अपराध कयने अछि?” लेकिन ओ सभ आरो जोर-जोर सँ चिचियाय लागल जे, “ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 15 तखन पिलातुस लोक सभ केँ खुश करबाक उद्देश्य सँ ओकरा सभक लेल बरब्बा केँ छोड़ि देलथिन और यीशु केँ कोड़ा सँ पिटबा कऽ क्रूस पर चढ़यबाक लेल सैनिक सभक जिम्मा लगा देलथिन। 16 तखन सैनिक सभ हुनका राजभवनक आङन मे, जकरा “प्राईटोरियम” कहल जाइत छैक, लऽ गेलनि। ओहिठाम पूरा सैनिक-दल बजाओल गेल। 17 ओ सभ हुनका बैगनी रंगक राजसी वस्त्र पहिरा देलकनि, और काँटक मुकुट बना कऽ हुनका माथ पर रखलकनि। 18 ओ सभ हुनका कहऽ लगलनि जे, “यहूदी सभक राजा, प्रणाम!” 19 ओ सभ छड़ी लऽ कऽ बेर-बेर हुनका मूड़ी पर मारलकनि, हुनका पर थूक फेकलकनि, और ठेहुनिया दऽ कऽ गोड़ लगलकनि। 20 ओ सभ एहि तरहेँ यीशुक मजाक उड़ौलाक बाद हुनका देह पर सँ बैगनी रंग वला वस्त्र निकालि लेलकनि आ हुनकर अपन कपड़ा फेर पहिरा देलकनि। तकरबाद ओ सभ हुनका क्रूस पर लटकयबाक लेल शहर सँ बाहर लऽ गेलनि। 21 रस्ता मे कुरेन नगरक रहऽ वला सिमोन नामक एक आदमी, जे सिकन्दर और रूफुसक पिता छल, गाम सँ शहर दिस आबि रहल छल। ओकरा सिपाही सभ बलजोरी पकड़लक जे ओ यीशुक क्रूस उठा कऽ लऽ चलय। 22 यीशु केँ ओ सभ गुलगुता नामक जगह, जकर अर्थ अछि “खप्पड़ वला स्थान”, पर लऽ गेलनि। 23 ओतऽ केओ मूर्र नामक तीत दवाइ दारू मे मिला कऽ हुनका पिबाक लेल देबऽ लगलनि मुदा ओ नहि लेलनि। 24 तखन यीशु केँ हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि। सिपाही सभ ककरा कोन कपड़ा भेटतैक ताहि लेल यीशुक कपड़ा पर चिट्ठा खसौलक। एहि तरहेँ ओ सभ हुनकर कपड़ा अपना मे बाँटि लेलक। 25 जखन ओ सभ यीशु केँ क्रूस पर चढ़ौलकनि तखन नौ बजे दिन छल। 26 हुनका विरोध मे जे दोष-पत्र लिखि कऽ टाँगल गेल ताहि पर ई लिखल छल, “यहूदी सभक राजा”। 27 हुनका संगे दूटा डाकू केँ सेहो क्रूस पर चढ़ाओल गेल, एकटा हुनकर दहिना कात और दोसर बामा कात। 28 [तहिना धर्मशास्त्रक वचन पूरा भऽ गेल जाहि मे लिखल अछि जे, “ओ अपराधी सभ मे सँ बुझल गेलाह।”] 29 ओहि बाटे आबऽ-जाय वला लोक सभ माथ हिला-हिला कऽ हुनकर निन्दा करैत छलनि जे, “रे मन्दिर केँ तोड़ऽ वला और तीन दिन मे ओकरा बनाबऽ वला— 30 आब क्रूस पर सँ उतरि कऽ अपना केँ बचा!” 31 तहिना मुख्यपुरोहित लोकनि और धर्मशिक्षक सभ सेहो अपना मे यीशुक हँसी उड़बैत कहलनि, “ई आन लोक सभ केँ बचबैत रहल मुदा अपना केँ नहि बचा सकैत अछि! 32 ई उद्धारकर्ता-मसीह, इस्राएलक राजा, एखन क्रूस पर सँ उतरि आबओ जाहि सँ हम सभ देखिऐक और विश्वास करिऐक!” यीशुक संग जे सभ क्रूस पर चढ़ाओल गेल छल, सेहो सभ हुनकर निन्दा करऽ लगलनि। 33 बारह बजे दिन मे पूरा देश अन्हार-कुप्प भऽ गेल, और तीन बजे तक ओहिना रहल। 34 लगभग तीन बजे मे यीशु बहुत जोर सँ बजलाह जे, “एली, एली, लामा सबक्तनी?” जकर अर्थ ई अछि, “हे हमर परमेश्वर, हे हमर परमेश्वर, हमरा अहाँ किएक छोड़ि देलहुँ?” 35 लग मे ठाढ़ किछु लोक ई सुनि कहलक जे, “सुनू!—ओ एलियाह केँ बजा रहल अछि।” 36 एक आदमी दौड़ि कऽ गेल आ रूइ जकाँ एकटा एहन चीज जे पानि सोखैत अछि से लऽ कऽ तिताह दारू मे डुबा लेलक, तखन ओकरा लाठीक हूर पर अटका कऽ ऊपर हुनका मुँह लग पिबाक लेल देलकनि आ बाजल, “आब अपना सभ देखी जे एलियाह एकरा क्रूस पर सँ उतारबाक लेल अबैत छथि कि नहि।” 37 तकरबाद यीशु बहुत जोर सँ आवाज दैत अपन प्राण त्यागि देलनि। 38 मन्दिर मे जे परदा छलैक से ऊपर सँ नीचाँ तक चिरा कऽ दू भाग मे फाटि गेल। 39 रोमी कप्तान जे यीशुक सामने मे ठाढ़ छल, ई देखि जे यीशु कोना मरलाह बाजल, “सत्ये ई आदमी परमेश्वरक पुत्र छलाह!” 40 किछु स्त्रीगण सभ छलीह जे दूरे सँ देखि रहल छलीह। हुनका सभ मे मरियम मग्दलीनी, छोटका याकूब और योसेसक माय मरियम, और सलोमी सेहो छलीह। 41 ई सभ गलील प्रदेश मे यीशुक संगे-संग घूमि कऽ हुनकर सेवा कयने छलीह। ओहिठाम आरो बहुत स्त्रीगण सेहो छलि जे हुनका संग यरूशलेम आयल छलि। 42 ई सभ घटना विश्रामक दिन सँ एक दिन पहिने भेल छल, जाहि दिन विश्राम दिनक लेल तैयारी कयल जाइत अछि। तेँ साँझ भेला पर 43 अरिमतिया नगरक यूसुफ नामक महासभाक एक प्रतिष्ठित सदस्य, जे परमेश्वरक राज्यक बाट सेहो तकैत छलाह, से साहसक संग पिलातुसक ओहिठाम जा कऽ यीशुक लास मँगलनि। 44 पिलातुस केँ आश्चर्य लगलनि जे यीशु एतेक जल्दी कोना मरि गेलाह, तेँ सेनाक कप्तान केँ बजबा कऽ ओकरा सँ पुछलथिन जे, “की यीशु एखने मरि गेल अछि?” 45 कप्तान सँ एहि बातक पता लगा कऽ पिलातुस यूसुफ केँ यीशुक लास लऽ जयबाक अनुमति दऽ देलथिन। 46 यूसुफ मलमलक कपड़ा किनि कऽ यीशुक लास क्रूस पर सँ उतारि लेलनि और ओहि कपड़ा मे लपेटि देलथिन। तखन पाथर मे काटि कऽ बनाओल कबर मे लास केँ राखि देलथिन, और कबरक मुँह पर एक पाथर गुड़का कऽ लगा देलनि। 47 मरियम मग्दलीनी आ योसेसक माय मरियम देखलनि जे यीशु कतऽ राखल गेलाह।
1 विश्रामक दिन बितला पर मरियम मग्दलीनी, याकूबक माय मरियम, और सलोमी जा कऽ सुगन्धित तेल किनलनि, जाहि सँ यीशुक लास पर लगबथि। 2 तखन प्रात भेने जे कि सप्ताहक पहिल दिन छल, भोरगरे सुर्योदय काल मे ओ सभ कबर पर गेलीह। 3 रस्ता मे एक-दोसर केँ कहैत छलीह जे, “अपना सभक लेल कबरक मुँह पर सँ पाथर केँ के हटा देत?” 4 ओ पाथर तँ बहुत बड़का छल। तखन कबर दिस तकैत ओ सभ देखलनि जे पाथर हटाओल गेल अछि। 5 ओ सभ कबर मे पैसि कऽ दहिना कात मे एक युवक केँ बैसल देखलनि, जे लम्बा उज्जर वस्त्र पहिरने छलाह। ओ सभ एकदम आश्चर्य-चकित भऽ गेलीह। 6 युवक हुनका सभ केँ कहलथिन जे “चकित नहि होउ! अहाँ सभ नासरतक निवासी यीशु केँ खोजैत छिऐन, जिनका क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि। ओ जीबि उठलाह! एतऽ नहि छथि! देखू, एही जगह पर हुनका राखल गेल छलनि। 7 मुदा अहाँ सभ जाउ, और शिष्य सभ केँ—पत्रुस केँ सेहो—ई कहि देबनि जे, ‘ओ अहाँ सभ सँ पहिने, जहिना अहाँ सभ केँ कहने छलाह, गलील जा रहल छथि, ओतऽ हुनका सँ भेँट होयत।’” 8 ओ स्त्रीगण सभ आश्चर्य सँ कँपैत कबर मे सँ निकलि कऽ भगलीह। ओ सभ डर सँ ककरो किछु नहि कहलथिन। 9 [यीशु सप्ताहक पहिल दिन भोरे मृत्यु सँ जीबि उठि कऽ सभ सँ पहिने मरियम मग्दलीनी केँ देखाइ देलथिन, जकरा मे सँ ओ सातटा दुष्टात्मा निकालने रहथिन। 10 ओ जा कऽ, यीशुक संगी सभ केँ, जे शोक सँ कनैत छलाह, ई समाचार कहलथिन। 11 मुदा मरियमक बात सुनि कऽ जे यीशु फेर जीबि उठलाह और ओ हमरा भेँट भेलाह, से बात ओ सभ नहि पतिअयलाह। 12 एकरा बाद जखन हुनका सभ मे सँ दू व्यक्ति गाम दिस जा रहल छलाह, तखन यीशु हुनका सभ केँ दोसर रूप मे दर्शन देलथिन। 13 ई सभ घूमि आबि कऽ आरो शिष्य सभ केँ एहि घटनाक बारे मे सुनौलनि, लेकिन हुनको सभक बात ओ सभ नहि पतिअयलाह। 14 बाद मे एगारहो शिष्य सभ केँ भोजन करैत काल यीशु हुनका सभ केँ दर्शन देलथिन। ओ हुनका सभक अविश्वास और मोनक कठोरताक कारणेँ हुनका सभ केँ डँटलथिन, किएक तँ ओ सभ ओहि व्यक्ति सभक बात केँ नहि पतिआयल छलाह जे व्यक्ति सभ यीशु केँ मृत्युक बाद जीवित देखने छलाह। 15 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “पूरा संसार मे जा कऽ सभ मनुष्य केँ शुभ समाचार सुनबिऔक। 16 जे व्यक्ति विश्वास करत और बपतिस्मा लेत तकरा उद्धार होयतैक, मुदा जे व्यक्ति विश्वास नहि करत से दोषी ठहराओल जायत। 17 जे सभ विश्वास करत से सभ ई चिन्ह सभ देखाओत—हमरा नाम सँ दुष्टात्मा केँ निकालत, अनजान भाषा मे बाजत, 18 जँ साँप उठा लेत वा विष पी लेत तँ ओकरा सभ केँ कोनो हानि नहि होयतैक। बिमार आदमी सभ पर हाथ राखत तँ ओ स्वस्थ भऽ जायत।” 19 तखन प्रभु यीशु शिष्य सभ सँ बात कयलाक बाद स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह, और परमेश्वरक दहिना कात बैसलाह। 20 शिष्य सभ बाहर जा कऽ सभ जगह मे शुभ समाचारक प्रचार कयलनि। प्रभु हुनका सभक सहायता करैत रहलथिन, और प्रचारक संगे-संग जे चमत्कार देखाओल गेल तकरा द्वारा ओ अपन शुभ समाचारक सत्यता प्रमाणित कयलथिन।]
1 आदरणीय थियुफिलुस, बहुतो लोक हमरा सभक मध्य घटल घटनाक विवरण लिखने छथि। 2 ओ सभ अपन विवरण तिनका सभक बातक आधार पर लिखलनि, जे शुरुए सँ एहि घटना सभक प्रत्यक्षदर्शी छलाह आ शुभ समाचारक प्रचारक सेवा मे लागल छलाह, जिनका सभक द्वारा हमरा सभ केँ एहि बात सभक जानकारी भेटल। 3 तेँ शुरुए सँ सभ बातक सावधानीपूर्बक अध्ययन कऽ कऽ हमरा उचित बुझायल जे हमहूँ अहाँक लेल क्रमानुसार तकर सम्पूर्ण विवरण लिखी, 4 जाहि सँ अहाँ जानि सकी जे जाहि बातक शिक्षा अहाँ केँ भेटल अछि से एकदम सत्य अछि। 5 यहूदिया प्रदेशक राजा हेरोदक समय मे जकरयाह नामक एक पुरोहित छलाह। ओ पुरोहित सभक ताहि समूहक छलाह जे अबियाहक समूह कहबैत छल। हुनकर स्त्री इलीशिबा सेहो पुरोहित हारूनक वंशक छलीह। 6 ओ दूनू गोटे परमेश्वरक नजरि मे धर्मी छलाह। हुनका सभक जीवन परमेश्वरक सभ आज्ञा और विधि-विधानक अनुसार निर्दोष छलनि। 7 मुदा हुनका सभ केँ कोनो सन्तान नहि छलनि, कारण इलीशिबा बाँझ छलीह, आ हुनका दूनू गोटेक अवस्था ढरि गेल छलनि। 8 एक दिन मन्दिर मे सेवा करबाक पार जखन जकरयाहक समूह केँ भेल आ जकरयाह परमेश्वरक सामने पुरोहितक काज कऽ रहल छलाह, 9 तँ पुरोहित सभक प्रथाक अनुसार हुनका नामक एक चिट्ठा निकलल जे ओ मन्दिर मे जा कऽ धूप जरबथि। 10 धूप जरयबाक समय मे लोकक भीड़ बाहर प्रार्थना कऽ रहल छल। 11 तखन परमेश्वरक एक स्वर्गदूत धूप-वेदीक दहिना कात ठाढ़ भऽ जकरयाह केँ दर्शन देलथिन। 12 हुनका देखि जकरयाह घबड़ा गेलाह आ भयभीत भऽ गेलाह। 13 मुदा स्वर्गदूत हुनका कहलथिन, “यौ जकरयाह, नहि डेराउ, कारण परमेश्वर लग अहाँक प्रार्थना सुनल गेल अछि। अहाँक स्त्री इलीशिबा एक पुत्र केँ जन्म देतीह। अहाँ ओकर नाम यूहन्ना राखब। 14 अहाँ केँ खुशी आ आनन्द होयत। ओकर जन्म सँ बहुत लोक आनन्द मनाओत, 15 कारण, ओ प्रभुक नजरि मे महान् होयत। ओ मदिरा वा आरो कोनो तरहक निसा लागऽ वला वस्तु कहियो नहि पीत। ओ मायक पेटे सँ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण होयत। 16 ओ इस्राएलक बहुतो लोक केँ अपना प्रभु-परमेश्वर दिस घुमाओत। 17 आत्मा आ सामर्थ्य मे ओ एलियाह सन भऽ कऽ प्रभुक आगाँ चलत। ओ पिता-सन्तान सभक बीच मेल-मिलाप कराओत, आज्ञा उल्लंघन करऽ वला सभ केँ ओहन बुद्धि दियाओत जाहि सँ ओ सभ धार्मिकताक अनुसार चलत, आ एहि तरहेँ प्रभुक लेल एक योग्य प्रजा तैयार करतनि।” 18 एहि पर जकरयाह स्वर्गदूत केँ कहलथिन, “ई बात हम निश्चित रूप सँ कोना जानि सकैत छी? हम अपनो बूढ़ छी आ हमर घरवाली सेहो बुढ़ि छथि।” 19 स्वर्गदूत हुनका उत्तर देलथिन, “हम जिब्राएल छी। हम परमेश्वरक सामने उपस्थित रहैत छी। हम अहाँ सँ बात करबाक लेल आ ई खुशीक सम्बाद सुनयबाक लेल पठाओल गेल छी। 20 आब सुनू, जाहि दिन धरि ई बात पूरा नहि भऽ जायत, ताहि दिन धरि अहाँ बौक रहब, बाजि नहि सकब। कारण, हमर बात जे ठीक समय अयला पर पूरा होयत, ताहि पर अहाँ विश्वास नहि कयलहुँ।” 21 एम्हर लोक सभ जकरयाहक प्रतीक्षा कऽ रहल छल आ आश्चर्यित छल जे हुनका मन्दिर मे एतेक देरी किएक भऽ रहल छनि। 22 ओ जखन बाहर अयलाह तँ ओकरा सभ सँ बाजि नहि सकलाह। ओ सभ बुझि गेल जे हिनका मन्दिर मे दर्शन भेटलनि अछि। ओ लोक सभ सँ इसारा सँ गप्प करैत छलाह कारण ओ बौक भऽ गेल छलाह। 23 अपन पुरहिताइक समयक पार समाप्त भेला पर ओ घर चल गेलाह। 24 किछु दिनक बाद जकरयाहक स्त्री इलीशिबा गर्भवती भेलीह। ओ पाँच महिना धरि कतौ नहि बहरयलीह। 25 ओ कहैत छलीह, “प्रभु कतेक दयालु छथि! आब ओ हमरा पर कृपा कऽ कऽ समाज मे हमर कलंक केँ धो देलनि।” 26 इलीशिबाक गर्भक छठम मास मे परमेश्वर जिब्राएल स्वर्गदूत केँ गलील प्रदेशक नासरत नगर मे 27 एक कुमारि कन्या लग सम्बाद दऽ कऽ पठौलथिन। हुनकर विवाहक निश्चय दाऊदक वंशज यूसुफ नामक पुरुष सँ भेल छलनि। ओहि कुमारि कन्याक नाम मरियम छलनि। 28 स्वर्गदूत मरियम लग आबि कऽ कहलथिन, “मरियम, आनन्द मनाउ, परमेश्वर अहाँ पर कृपा कयलनि अछि। प्रभु अहाँक संग छथि।” 29 हुनकर एहि कथन सँ ओ बहुत घबड़ा गेलीह आ सोचऽ लगलीह जे, ई केहन बात कहि रहल छथि! 30 तखन स्वर्गदूत कहलथिन, “मरियम, भयभीत नहि होउ, परमेश्वर अहाँ सँ प्रसन्न छथि। 31 सुनू, अहाँ गर्भवती होयब आ पुत्र केँ जन्म देब। अहाँ हुनकर नाम यीशु राखि देबनि। 32 ओ महान् होयताह आ परम-परमेश्वरक पुत्र कहौताह। प्रभु-परमेश्वर हुनकर पूर्वज दाऊदक सिंहासन हुनका देथिन। 33 ओ याकूबक वंश पर अनन्त काल तक राज्य करताह और हुनकर राज्यक अन्त कहियो नहि होयतनि।” 34 मरियम स्वर्गदूत केँ कहलथिन, “ई होयत कोना? कारण हम तँ कुमारिए छी।” 35 स्वर्गदूत उत्तर देलथिन, “पवित्र आत्मा अहाँ पर उतरताह, और परम-परमेश्वरक सामर्थ्यक छाँह अहाँ पर रहत। तेँ जन्म लेनिहार पवित्र बालक परमेश्वरक पुत्र कहौताह। 36 एतबे नहि! अहाँक सम्बन्धी इलीशिबा केँ सेहो, बुढ़ारी अवस्था मे बच्चा होयतनि! ओ जे बाँझ कहबैत छलीह, तिनका आब छठम मासक गर्भ छनि। 37 परमेश्वरक लेल कोनो बात असम्भव नहि छनि।” 38 एहि पर मरियम कहलथिन, “हम परमेश्वरक दासी छियनि। अहाँ जहिना कहलहुँ तहिना हमरा संग होअय।” तकरबाद स्वर्गदूत हुनका ओतऽ सँ विदा भऽ गेलाह। 39 तखन मरियम यात्राक तैयारी कऽ कऽ विदा भेलीह और यहूदिया प्रदेशक ओहि पहाड़ी नगर मे जल्दी सँ गेलीह जतऽ जकरयाह आ इलीशिबा रहैत छलाह। 40 ओ हुनका सभक घर मे प्रवेश कऽ कऽ इलीशिबा केँ नमस्कार कयलथिन। 41 जखन इलीशिबा मरियमक नमस्कार सुनलनि तँ हुनकर पेटक बच्चा कुदि उठलनि आ इलीशिबा पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ जोर सँ बाजि उठलीह, 42 “स्त्रीगण मे अहाँ धन्य छी, आ धन्य छथि ओ जिनका अहाँ जन्म देबनि। 43 मुदा हम कोन जोगरक छी जे हमर प्रभुक माय हमरा ओतऽ अयलीह? 44 अहाँक कहल नमस्कार शब्द जखने हमरा कान मे पड़ल, तखने हमर पेटक बच्चा खुशी सँ कुदि उठल। 45 धन्य छी अहाँ, कारण, अहाँ विश्वास कयलहुँ जे, प्रभु अहाँ केँ जे बात कहलनि, से पूरा होयत।” मरियमक स्तुति-गान 46 तखन मरियम कहलनि, “हमर मोन प्रभुक स्तुति करैत अछि, 47 और हमर आत्मा हमर उद्धारकर्ता-परमेश्वरक कारणेँ अति आनन्दित अछि, 2 48 किएक तँ ओ अपना एहि तुच्छ दासी पर दया कयलनि। आब पुस्त-पुस्तानिक लोक हमरा धन्य कहत, 2 49 कारण, सर्वशक्तिमान प्रभु हमरा लेल महान् काज कयलनि अछि, 2 हुनकर नाम पवित्र छनि! 50 हुनकर भय माननिहार लोक पर हुनकर कृपा पुस्त-पुस्तानि रहैत अछि। 51 ओ अपन बाहुबल प्रगट कयने छथि। 2 तकरा सभ केँ ओ छिन्न-भिन्न कऽ देने छथिन, 2 जकर सभक मोन अहंकार सँ भरल छल। 52 ओ शासक सभ केँ अपना सिंहासन सँ उतारि देने छथिन, 2 आ नम्र सभ केँ पैघ बना देने छथिन। 53 ओ भूखल सभ केँ नीक-नीक वस्तु सँ तृप्त कयने छथिन, 2 आ धनवान सभ केँ खाली हाथ घुमा देने छथिन। 54 ओ हमरा सभक पूर्वज लोकनि केँ देल अपन वचन अनुसार 2 अपन सेवक इस्राएलक मदति कयलनि। 55 अब्राहम और हुनकर वंशज पर सदा दया करबाक अपना वचन केँ स्मरण रखलनि।” 56 मरियम करीब तीन मास तक इलीशिबाक संग रहि कऽ अपना घर चलि अयलीह। 57 जखन इलीशिबाक पूर मास भेलनि तँ हुनका बेटा भेलनि। 58 हुनकर पड़ोसी आ सम्बन्धी सभ ई बात सुनि जे प्रभु हुनका पर कतेकटा दया कयलथिन, हुनका संग खुशी मनौलनि। 59 आठम दिन ओ सभ बच्चा केँ खतनाक विधि करबाक लेल अयलाह, आ पिताक नाम पर बच्चाक नाम “जकरयाह” राखऽ लगलथिन, 60 मुदा हुनकर माय कहलथिन, “नहि! एकर नाम यूहन्ना रखबाक अछि।” 61 एहि पर ओ सभ कहलथिन, “अहाँक कुटुम्ब-परिवार मे ई नाम कहाँ किनको छनि!” 62 तखन ओ सभ बच्चाक पिता सँ इसारा कऽ कऽ पुछलथिन जे, अहाँ एकर की नाम राखऽ चाहैत छी? 63 ओ पाटी मँगा कऽ लिखलनि, “एकर नाम यूहन्ना छैक।” एहि पर सभ चकित रहि गेलाह। 64 तखने हुनकर आवाज फुजि गेलनि आ परमेश्वरक स्तुति करैत बाजऽ लगलाह। 65 एहि सँ लग-पास मे रहऽ वला सभ लोक मे डर सन्हिया गेलैक और यहूदिया प्रदेशक पहाड़ सभ मे सभतरि एहि सभ बातक चर्चा पसरि गेल। 66 एहि बातक विषय मे जे सभ सुनलक, से सभ अपना-अपना मोन मे एहि सभक बारे मे विचार करऽ लागल आ बाजल, “ई बालक की बनताह?” कारण, स्पष्ट छल जे प्रभुक आशिष हुनका पर छलनि। 67 यूहन्नाक पिता जकरयाह पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ भविष्यवाणी कयलनि जे, 68 “इस्राएलक परमेश्वर, प्रभुक स्तुति होनि, 2 कारण ओ अपन प्रजा लग आबि कऽ ओकरा मुक्ति देलनि। 69 ओ अपन सेवक दाऊदक वंश मे 2 हमरा सभक लेल एक सामर्थ्यवान उद्धारकर्ता उत्पन्न कयलनि अछि, 70 जेना कि ओ अपन चुनल प्रवक्ता सभक माध्यम सँ प्राचीन काल सँ कहने छलाह। 71 ओ हमरा सभ केँ दुश्मन सभ सँ बचयबाक प्रतिज्ञा कयने रहथि, 2 आ हमरा सभ केँ घृणा कयनिहार सभक हाथ सँ सुरक्षित रखबाक वचन देने रहथि। 72 ओ अपन ओहि वचन केँ पूरा कऽ कऽ हमरा पूर्वज लोकनि पर दया कयलनि अछि। ओ अपन ओहि पवित्र वचन केँ स्मरण रखने छलाह 2 जे वचन ओ सपत खा कऽ हमरा सभक पुरखा अब्राहम केँ देने रहथिन जे, 74 हम तोरा सभ केँ शत्रु सभक हाथ सँ बचयबह; 2 तोँ सभ निर्भयतापूर्बक जीवन भरि पवित्रता आ धार्मिकताक संग 2 हमरा समक्ष हमर सेवा करबह। 76 आ हौ बौआ, तोँ परम-परमेश्वरक प्रवक्ता कहयबह, 2 किएक तँ तोँ प्रभुक लेल बाट तैयार करबाक हेतु हुनका आगाँ-आगाँ चलबह। 77 तोँ हुनकर प्रजा केँ उद्धारक ज्ञान प्रदान करबहुन, 2 जे उद्धार पापक क्षमा द्वारा भेटैत अछि, 78 आ से हमर सभक दयालु परमेश्वरक करुणाक कारणेँ अछि। एही करुणाक कारणेँ हमरा सभक लेल ऊपर सँ प्रकाश उगत, 2 79 जे अन्हार आ मृत्युक छाँह मे बैसल लोक सभ पर इजोत करत, 2 और हमरा सभ केँ शान्तिक बाट पर आगाँ बढ़ाओत।” 80 बालक यूहन्ना बढ़ैत गेलाह आ आत्मिक रूप सँ सबल होइत गेलाह। ओ जा धरि इस्राएली सभक बीच अपन काज शुरू नहि कयलनि, ता धरि निर्जन क्षेत्र मे वास कयलनि।
1 ओहि समय मे कैसर औगुस्तुस आदेश देलनि जे सम्पूर्ण रोम साम्राज्यक जनगणना कयल जाय। 2 एहि तरहक ई पहिल जनगणना छल, आ ई ताहि समय मे भेल जखन क्विरीनियुस सीरिया प्रदेशक राज्यपाल छलाह। 3 सभ केओ नाम लिखयबाक लेल अपन-अपन पैतृक नगर जाय लागल। 4 यूसुफ राजा दाऊदक खानदान आ वंशक छलाह, तेँ ओ अपन नाम लिखयबाक लेल गलील प्रदेशक नासरत नगर सँ यहूदिया प्रदेशक बेतलेहम गाम गेलाह, जे दाऊदक गाम छल। 5 ओ संग मे मरियम केँ सेहो लऽ गेलाह, जिनका संग हुनकर विवाहक निश्चय कयल गेल छलनि और जे गर्भवती छलीह। 6 ओतहि रहैत मरियम केँ बच्चाक जन्म देबाक समय आबि गेलनि, 7 आ ओ अपन पहिल पुत्र केँ जन्म देलनि। ओ बच्चा केँ कपड़ाक टुकड़ा मे लपेटि कऽ नादि मे राखि देलथिन, कारण हुनका सभ केँ रहबाक लेल सराय मे कोनो स्थान नहि भेटल छलनि। 8 ओहि इलाका मे चरबाह सभ छल जे बाध मे रहि कऽ राति मे अपन भेँड़ाक रखबारी कऽ रहल छल। 9 एकाएक परमेश्वरक एक स्वर्गदूत ओकरा सभक सामने मे ठाढ़ भऽ गेलाह आ प्रभुक तेज प्रकाश सँ ओकरा सभक चारू कात इजोत भऽ गेलैक। एहि सँ ओ सभ बहुत डेरा गेल। 10 मुदा स्वर्गदूत कहलथिन, “डेराह नहि! हम तोरा सभ केँ बड़का आनन्दक खुस खबरी सुनबैत छिअह, जे सभ लोकक लेल होयत। 11 आइ दाऊदक नगर मे तोरा सभक लेल एक उद्धारकर्ता जन्म लेलथुन अछि। ओ छथि प्रभु, परमेश्वरक पठाओल मसीह। 12 तोरा सभक लेल एकटा ई चेन्ह रहतह—तोँ सभ बच्चा केँ कपड़ाक टुकड़ा सँ लपेटल आ नादि मे राखल पयबह।” 13 तखन एकाएक ओहि स्वर्गदूतक संग असंख्य स्वर्गदूतक एक झुण्ड देखाइ पड़ल, जे परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा कऽ रहल छलाह जे, 14 “सर्वोच्च स्वर्ग मे परमेश्वरक स्तुति-गान होनि, और पृथ्वी पर ताहि मनुष्य सभ केँ शान्ति भेटैक जकरा सँ ओ प्रसन्न छथिन।” 15 जखन स्वर्गदूत सभ ओकरा सभक लग सँ चल गेलाह, तखन चरबाह सभ एक-दोसर केँ कहलक, “अपना सभ चल! बेतलेहम जा कऽ एहि घटना केँ देखि ली जाहि दऽ प्रभु अपना सभ केँ कहबौलनि अछि।” 16 ओ सभ जल्दी सँ गेल, आ ओतऽ पहुँचि कऽ मरियम आ यूसुफ केँ और नादि मे राखल बच्चा केँ पौलक। 17 बच्चा केँ देखि कऽ ओ सभ ओहि बातक विषय मे सभ केँ कहऽ लागल जे बात बच्चाक सम्बन्ध मे स्वर्गदूत ओकरा सभ केँ कहने छलथिन। 18 एकरा सभक बात जे सभ सुनलक, से सभ ओहि पर आश्चर्य कयलक। 19 मुदा मरियम ई सभ बात अपना मोन मे राखि कऽ ओहि पर विचार करैत रहलीह। 20 चरबाह सभ जे किछु देखने आ सुनने छल, ताहि सभ बातक लेल परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा गबैत घूमि गेल। जहिना स्वर्गदूत ओकरा सभ केँ कहने छलथिन, ठीक ओहिना सभ बात ओकरा सभ केँ भेटलो छलैक। 21 आठम दिन बालक केँ खतनाक विधि करबाक समय मे हुनकर नाम यीशु राखल गेलनि, जे नाम मायक गर्भ मे अयबा सँ पहिने स्वर्गदूत द्वारा राखल गेल छलनि। 22 मूसाक धर्म-नियमक अनुसार हुनका सभक शुद्धीकरणक दिन जखन आबि गेलनि, तँ मरियम आ यूसुफ बच्चा केँ प्रभु केँ अर्पित करबाक लेल यरूशलेम लऽ गेलथिन, 23 जेना कि प्रभुक नियम मे लिखल अछि जे, “प्रत्येक जेठ पुत्र प्रभुक मानल जायत।” 24 प्रभुक नियमक अनुसार शुद्धीकरणक वास्ते बलि चढ़यबाक लेल सेहो गेलाह, जेना कि लिखल अछि, “एक जोड़ा पउड़की वा परवाक दू बच्चा।” 25 यरूशलेम मे सिमियोन नामक एक आदमी छलाह, जे परमेश्वरक भय मानऽ वला एक धर्मी लोक छलाह। ओ “इस्राएल केँ शान्ति देनिहारक” बाट तकैत छलाह, आ पवित्र आत्मा हुनका संग छलथिन। 26 पवित्र आत्मा द्वारा हुनका ई कहल गेल छलनि जे, जा धरि अहाँ प्रभुक पठाओल उद्धारकर्ता-मसीह केँ नहि देखि लेबनि, ता धरि अहाँ नहि मरब। 27 पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ ओ मन्दिर मे गेलाह। मरियम-यूसुफ जखन बेटाक लेल धर्म-नियमक विधि सभ पूरा करबाक हेतु बालक यीशु केँ मन्दिरक भीतर अनलथिन, 28 तँ सिमियोन हुनका कोरा मे लेलथिन, आ परमेश्वरक स्तुति कऽ कऽ बजलाह, 29 “हे परम प्रभु, अहाँ जहिना वचन देलहुँ 2 तहिना आब अपना एहि दास केँ शान्ति सँ विदा करू, 30 किएक तँ हम अपना आँखि सँ अहाँक उद्धार केँ देखि लेलहुँ, 2 31 जाहि उद्धार केँ अहाँ सभ जातिक लोकक सम्मुख प्रस्तुत कयलहुँ। 32 हँ, ई उद्धार आन जाति सभ केँ बाट देखौनिहार 2 आ अहाँक निज जाति इस्राएल केँ गौरव देनिहार एक इजोत होयताह।” 33 बच्चाक माय-बाबू सिमियोनक एहि कथन सँ चकित भेलाह। 34 तखन सिमियोन हुनका सभ केँ आशीर्वाद देलथिन आ बच्चाक माय मरियम केँ कहलथिन, “ई बच्चा परमेश्वरक दिस संकेत करऽ वला चिन्ह होयबाक लेल चुनल गेल छथि। बहुत लोक हिनकर विरोध करत। अहूँक हृदय तरुआरि सँ बेधल जायत। हिनका कारणेँ इस्राएलक बहुत गोटेक पतन आ उत्थान होयतैक, और एहि तरहेँ बहुत लोकक असली मनोभावना प्रगट कयल जयतैक।” 36 ओतऽ हन्नाह नामक परमेश्वरक एक बड्ड बुढ़ि प्रवक्तिनि सेहो छलीह, जे आशेर-कुलक फनुएलक बेटी छलीह। विवाहक बाद ओ सात वर्ष धरि सुहागिन रहलीह, 37 तकरा बाद विधवा भऽ गेलीह, और आब ओ चौरासी वर्षक छलीह। ओ मन्दिर केँ नहि छोड़ि कऽ दिन-राति उपास आ प्रार्थनाक संग परमेश्वरक सेवा मे लागल रहैत छलीह। 38 ठीक ओही क्षण मरियम और यूसुफ लग आबि कऽ ओ परमेश्वरक धन्यवाद देबऽ लगलीह आ जे लोक सभ यरूशलेमक छुटकाराक बाट ताकि रहल छल, तकरा सभ सँ बच्चाक विषय मे बात करऽ लगलीह। 39 मरियम आ यूसुफ प्रभुक धर्म-नियमक अनुसार जे करबाक छलनि से सभ पूरा कऽ कऽ गलील प्रदेश मे अपन नगर नासरत घूमि अयलाह। 40 बच्चा बढ़ि कऽ बलिष्ठ आ नीक बुद्धि सँ परिपूर्ण होइत गेलाह, और हुनका पर परमेश्वरक आशीर्वाद छलनि। 41 यीशुक माय-बाबू प्रत्येक साल फसह-पाबनिक समय मे यरूशलेम जाइत छलाह। 42 यीशु जखन बारह वर्षक छलाह तँ ओ सभ आने बेर जकाँ पाबनि मनयबाक लेल यरूशलेम गेलाह। 43 पूरा पाबनि बिति गेला पर जखन ओ सभ विदा भेलाह तँ बालक यीशु यरूशलेमे मे रहि गेलाह, मुदा ई बात हुनकर माय-बाबू केँ नहि बुझल छलनि। 44 ओ सभ ई बुझि जे यीशु यात्री सभ मे कतौ होयताह एक दिनक रस्ता आगाँ बढ़ि गेलाह। तखन ओ सभ अपना सम्बन्धी आ संगी-साथी सभ मे हुनकर खोजबीन करऽ लगलथिन। 45 मुदा ओ जखन नहि भेटलथिन तँ ओ सभ हुनका तकबाक लेल फेर यरूशलेम गेलाह। 46 तेसर दिन यीशु हुनका सभ केँ मन्दिर मे धर्मगुरु सभक बीच बैसल, हुनका सभक बात सुनैत आ हुनका सभ सँ प्रश्न करैत, भेटलथिन। 47 जे सभ यीशुक बात सुनलथिन, से सभ हुनकर बुद्धि और उत्तर सभ सँ चकित छलाह। 48 यीशु केँ ओतऽ देखि कऽ हुनकर माय-बाबू आश्चर्यित भेलाह। हुनकर माय कहलथिन, “बौआ, हमरा सभक संग एना किएक कयलह? देखह, तोहर बाबूजी आ हम तोरा तकैत-तकैत परेसान भऽ गेल छलहुँ।” 49 ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ हमरा तकैत किएक छलहुँ? अहाँ सभ केँ नहि बुझल छल जे हमरा अपना पिताक घर मे होयब आवश्यक अछि?” 50 मुदा ओ सभ हुनकर कहबाक अर्थ नहि बुझि सकलाह। 51 तखन ओ हुनका सभक संग नासरत घूमि अयलाह, आ हुनकर सभक कहल मे रहलाह। हुनकर माय ई सभ बात अपना मोन मे राखि लेलनि। 52 यीशु बुद्धि आ शरीर मे बढ़ैत गेलाह, और परमेश्वर आ लोक दूनू हुनका सँ प्रसन्न रहलथिन।
1 कैसर तिबिरियुसक शासन-कालक पन्द्रहम वर्ष मे जकरयाहक पुत्र यूहन्ना लग निर्जन क्षेत्र मे परमेश्वरक दिस सँ सम्बाद अयलनि। ओहि समय मे पुन्तियुस पिलातुस यहूदिया प्रदेशक राज्यपाल छलाह, गलील प्रदेशक शासक हेरोद छलाह, इतूरिया आ त्रखोनीतिस क्षेत्रक शासक हुनकर भाय फिलिपुस और अबिलेन क्षेत्रक शासक लुसानियास छलाह। महापुरोहितक पद पर छलाह हन्ना और काइफा। यूहन्ना लग परमेश्वरक सम्बाद एही समय मे अयलनि। 3 ओ यरदन नदीक लग-पासक पूरा इलाका मे घूमि-घूमि कऽ प्रचार करऽ लगलाह जे, “पापक क्षमा पयबाक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू और बपतिस्मा लिअ,” 4 जेना परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक पुस्तक मे लिखल अछि जे, “निर्जन क्षेत्र मे केओ जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि— ‘प्रभुक लेल मार्ग तैयार करू, हुनका लेल सोझ बाट बनाउ। 5 प्रत्येक गहींर भाग भरि देल जायत, प्रत्येक ऊँच भाग आ पहाड़ नीच कयल जायत, घुमान बाट सोझ, और उबर-खाबड़ बाट समतल कयल जायत। 6 सभ मनुष्य परमेश्वर द्वारा प्रदान कयल उद्धार केँ देखत।’” 7 लोकक भीड़ सभ यूहन्ना सँ बपतिस्मा लेबऽ अबैत रहैत छल आ ओ ओकरा सभ केँ कहैत छलथिन, “है साँपक सन्तान सभ! परमेश्वरक आबऽ वला क्रोध सँ बचबाक लेल तोरा सभ केँ के सिखौलकह? 8 तोँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयने छह, तँ तकर प्रमाण अपना व्यवहार द्वारा देखाबह। और अपना मोन मे एना सोचि निश्चिन्त नहि रहह जे, हमर सभक कुल-पिता अब्राहम छथि, कारण, हम तोरा सभ केँ कहैत छिअह जे परमेश्वर एहि पाथर सभ सँ अब्राहमक लेल सन्तान उत्पन्न कऽ सकैत छथि। 9 गाछक जड़ि मे कुड़हरि रखा गेल अछि। जे गाछ नीक फल नहि दैत अछि से काटल आ आगि मे फेकल जायत।” 10 एहि पर लोक सभ यूहन्ना सँ पुछऽ लागल, “तँ हम सभ की करू?” 11 ओ उत्तर देलथिन, “जकरा दूटा कुर्ता होइक से एकटा तकरा देअओ जकरा नहि छैक, और जकरा लग भोजनक वस्तु होइक सेहो एहिना करओ।” 12 कर असूल करऽ वला सभ सेहो बपतिस्मा लेबऽ आयल आ यूहन्ना सँ पुछलकनि, “यौ गुरुजी, हम सभ की करू?” 13 ओ उत्तर देलथिन, “जतबा कर निश्चित कयल गेल अछि ताहि सँ बेसी नहि लैह।” 14 एहि पर सैनिक सभ पुछलकनि, “आ हम सभ की करू?” ओ कहलथिन, “ककरो सँ बलजोरी पाइ नहि लैह, आ ने ककरो पर झुट्ठे दोष लगाबह। अपना दरमाहा सँ सन्तुष्ट रहह।” 15 जनता मे एकटा बड़का उत्सुकता आबि गेल छलैक, आ सभ मोने-मोन यूहन्नाक बारे मे सोचि रहल छल जे, कहीं ई उद्धारकर्ता-मसीह तँ नहि छथि? 16 यूहन्ना सभ केँ उत्तर दैत छलथिन, “हम तोरा सभ केँ पानि सँ बपतिस्मा दैत छिअह। मुदा हमरा सँ शक्तिशाली एक गोटे आबि रहल छथि, जिनकर जुत्तो खोलऽ जोगरक हम नहि छी। ओ तोरा सभ केँ पवित्र आत्मा और आगि सँ बपतिस्मा देथुन। 17 ओ अपन खरिहानक अन्न साफ करबाक लेल हाथ मे सूप लेने छथि। ओ गहुम केँ बखारी मे राखि लेताह, मुदा भुस्सा केँ ओहि आगि मे जरौताह जे कहियो नहि मिझायत।” 18 ई बात और आरो अन्य तरहक बहुत बातक द्वारा यूहन्ना लोक सभ केँ बुझा-सुझा कऽ शुभ समाचार सुनबैत रहलथिन। 19 मुदा जखन यूहन्ना शासक हेरोद पर भायक घरवाली हेरोदियासक कारणेँ, तथा आरो कुकर्म सभक कारणेँ जे ओ कयने छलाह, दोष लगौलथिन, 20 तँ हेरोद अपना कुकर्म मे एकटा इहो कुकर्म जोड़ि लेलनि जे, ओ यूहन्ना केँ जहल मे बन्द करबा देलथिन। 21 सभ लोक केँ बपतिस्मा लेलाक बाद यीशुओ बपतिस्मा लेलनि। बपतिस्माक बाद जखन ओ प्रार्थना कऽ रहल छलाह तँ स्वर्ग खुजल 22 आ पवित्र आत्मा परबाक रूप मे हुनका ऊपर उतरि अयलाह, और स्वर्ग सँ आवाज आयल जे, “अहाँ हमर प्रिय पुत्र छी। अहाँ सँ हम बहुत प्रसन्न छी।” 23 यीशु जखन अपन काज शुरू कयलनि तँ लगभग तीस वर्षक छलाह। एना मानल जाइत छल जे ओ यूसुफक पुत्र छलाह। यूसुफ एलीक पुत्र छलाह, 24 एली मतातक पुत्र छलाह, मतात लेवीक पुत्र छलाह, लेवी मलकीक पुत्र छलाह, मलकी यन्नाक पुत्र छलाह, यन्ना यूसुफक पुत्र छलाह, 25 यूसुफ मततियाक पुत्र छलाह, मततिया आमोसक पुत्र छलाह, आमोस नहूमक पुत्र छलाह, नहूम एसलीक पुत्र छलाह, एसली नागैक पुत्र छलाह, 26 नागै मातक पुत्र छलाह, मात मततियाक पुत्र छलाह, मततिया शिमीक पुत्र छलाह, शिमी योसेखक पुत्र छलाह, योसेख योदाहक पुत्र छलाह, 27 योदाह योहनानक पुत्र छलाह, योहनान रेसाक पुत्र छलाह, रेसा जरुब्बाबेलक पुत्र छलाह, जरुब्बाबेल शालतिएलक पुत्र छलाह, शालतिएल नेरीक पुत्र छलाह, 28 नेरी मलकीक पुत्र छलाह, मलकी अद्दीक पुत्र छलाह, अद्दी कोसामक पुत्र छलाह, कोसाम इलमोदामक पुत्र छलाह, इलमोदाम एरक पुत्र छलाह, 29 एर यहोशूक पुत्र छलाह, यहोशू एलिएजरक पुत्र छलाह, एलिएजर योरीमक पुत्र छलाह, योरीम मतातक पुत्र छलाह, मतात लेवीक पुत्र छलाह, 30 लेवी सिमियोनक पुत्र छलाह, सिमियोन यहूदाक पुत्र छलाह, यहूदा यूसुफक पुत्र छलाह, यूसुफ योनामक पुत्र छलाह, योनाम एलयाकीमक पुत्र छलाह, 31 एलयाकीम मलेआहक पुत्र छलाह, मलेआह मिन्नाहक पुत्र छलाह, मिन्नाह मताताक पुत्र छलाह, मताता नातानक पुत्र छलाह, नातान दाऊदक पुत्र छलाह, 32 दाऊद यिशयक पुत्र छलाह, यिशय ओबेदक पुत्र छलाह, ओबेद बोअजक पुत्र छलाह, बोअज सलमोनक पुत्र छलाह, सलमोन नाशोनक पुत्र छलाह, 33 नाशोन अमीनादाबक पुत्र छलाह, अमीनादाब अदमीनक पुत्र छलाह, अदमीन अरनीक पुत्र छलाह, अरनी हेस्रोनक पुत्र छलाह, हेस्रोन पेरसक पुत्र छलाह, पेरस यहूदाक पुत्र छलाह, 34 यहूदा याकूबक पुत्र छलाह, याकूब इसहाकक पुत्र छलाह, इसहाक अब्राहमक पुत्र छलाह, अब्राहम तेरहक पुत्र छलाह, तेरह नाहोरक पुत्र छलाह, 35 नाहोर सरूगक पुत्र छलाह, सरूग रऊक पुत्र छलाह, रऊ पेलेगक पुत्र छलाह, पेलेग एबेरक पुत्र छलाह, एबेर शेलहक पुत्र छलाह, 36 शेलह केनानक पुत्र छलाह, केनान अर्पक्षदक पुत्र छलाह, अर्पक्षद शेमक पुत्र छलाह, शेम नूहक पुत्र छलाह, नूह लामेकक पुत्र छलाह, 37 लामेक मथूशेलहक पुत्र छलाह, मथूशेलह हनोकक पुत्र छलाह, हनोक यारेदक पुत्र छलाह, यारेद महलालेलक पुत्र छलाह, महलालेल केनानक पुत्र छलाह, 38 केनान एनोशक पुत्र छलाह, एनोश शेतक पुत्र छलाह, शेत आदमक पुत्र छलाह, और आदम परमेश्वरक पुत्र छलाह।
1 यीशु पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ यरदन नदी सँ घुमलाह। तखन पवित्र आत्मा हुनका निर्जन क्षेत्र मे लऽ गेलथिन, 2 जतऽ चालिस दिन धरि शैतान हुनका सँ पाप करयबाक प्रयत्न कयलकनि। एहि चालिस दिन मे ओ किछु नहि खयलनि, और एतेक दिन बितला पर हुनका बहुत भूख लागल छलनि। 3 तँ शैतान हुनका कहलकनि, “तोँ जँ परमेश्वरक पुत्र छह तँ एहि पाथर केँ रोटी बनि जयबाक आज्ञा दहक।” 4 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, मनुष्य मात्र रोटिए सँ नहि जीवित रहत। “ 5 तखन शैतान हुनका ऊँच स्थान मे लऽ जा कऽ एके क्षण मे संसारक सभ राज्य देखा देलकनि 6 आ कहलकनि, “हम तोरा एहि सभ राज्यक अधिकार आ वैभव दऽ देबह, कारण ई सभ हमरे जिम्मा मे दऽ देल गेल अछि, आ हम जकरा ककरो चाहबैक तकरा दऽ सकैत छिऐक। 7 तेँ तोँ जँ हमर उपासना करबह तँ ई सभ तोहर भऽ गेलह।” 8 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, ‘तोँ अपना प्रभु-परमेश्वरेक उपासना करहुन और मात्र हुनके सेवा करहुन।’” 9 शैतान हुनका यरूशलेम लऽ जा कऽ मन्दिरक सभ सँ ऊँच स्थान पर ठाढ़ कऽ कऽ कहलकनि, “तोँ जँ परमेश्वरक पुत्र छह, तँ एतऽ सँ नीचाँ कुदि जाह, 10 कारण धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘परमेश्वर तोहर रक्षा करबाक लेल स्वर्गदूत सभ केँ आज्ञा देथिन, 11 और ओ सभ अपना कोरा मे तोरा लोकि लेथुन, जाहि सँ पयर मे पाथर सँ चोट नहि लगतह।’” 12 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्मशास्त्रक कथन इहो अछि, ‘अपन प्रभु-परमेश्वरक जाँच नहि करहुन।’” 13 शैतान जखन हुनका सँ सभ ढंग सँ पाप करयबाक प्रयत्न कऽ चुकल तँ ओ ओतऽ सँ चल गेल आ दोसर उपयुक्त अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 14 यीशु गलील प्रदेश मे घूमि कऽ चल अयलाह, और पवित्र आत्माक सामर्थ्य हुनका संग छलनि। ओहि क्षेत्रक सभ ठाम हुनकर चर्चा पसरि गेलनि। 15 ओ सभाघर सभ मे शिक्षा दैत छलथिन, आ सभ लोक हुनकर प्रशंसा करैत छलनि। 16 एक दिन यीशु नासरत नगर अयलाह, जतऽ हुनकर पालन-पोषण भेल छलनि। ओ अपना आदतक अनुसार विश्राम-दिन सभाघर मे गेलाह। ओ धर्मशास्त्रक पाठ पढ़बाक लेल ठाढ़ भेलाह, 17 तँ हुनका परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक पुस्तक देल गेलनि। ओ पुस्तक खोलि कऽ ओहि ठाम सँ पढ़ऽ लगलाह जतऽ लिखल अछि जे, 18 “प्रभुक आत्मा हमरा पर छथि; 2 किएक तँ ओ गरीब सभ केँ शुभ समाचार सुनयबाक लेल 2 हमर अभिषेक कयने छथि। ओ हमरा पठौलनि अछि जे हम कैदी सभक लेल मुक्तिक घोषणा करी, 2 आन्हर सभ केँ कहिऐक जे, ‘तोँ सभ आब देखि सकैत छह,’ 2 सताओल लोक सभ केँ छुटकारा दिआबी 19 और एहि बातक घोषणा करी जे, प्रभुक ओ युग आबि गेल अछि जाहि मे ओ अपन करुणा प्रगट करताह।” 20 ई पाठ पढ़लाक बाद यीशु पुस्तक बन्द कऽ कऽ सभाघरक सेवक केँ दऽ देलथिन आ बैसि गेलाह। सभ केओ एकटक लगा कऽ हुनका दिस ताकि रहल छल। 21 तखन ओ बजलाह, “आइ धर्मशास्त्रक ई लेख अहाँ सभक समक्ष मे पूरा भऽ गेल।” 22 सभ केओ हुनकर प्रशंसा कयलकनि और आश्चर्यित भेल जे ओ एतेक नीक-नीक बात सभ कहैत छथि। सभ कहैत छल, “की ई यूसुफेक बेटा नहि छथि?” 23 यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ अवश्य हमरा ई कहबी सुनायब जे, ‘यौ वैद्यजी, पहिने अपना केँ नीक करू!’ आ ई कहब जे ‘एतौ अपना गाम मे ओ काज सभ करू जकरा बारे मे सुनैत छी जे अहाँ कफरनहूम मे कयलहुँ।’ 24 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, परमेश्वरक कोनो प्रवक्ता केँ अपना गाम मे स्वीकार नहि कयल जाइत छैक। 25 हमर बात सुनू! अहूँ सभ तँ जनिते छी जे एलियाहक समय मे जखन साढ़े तीन वर्ष धरि वर्षा नहि भेल आ सौंसे देश मे भयंकर अकाल पड़ि गेल, तँ ओहि समय मे इस्राएल मे बहुते विधवा रहय, 26 मुदा परमेश्वर एलियाह केँ ओकरा सभ मे सँ ककरो लग मदति देबाक लेल वा लेबाक लेल नहि पठौलथिन—ओ हुनका सीदोन क्षेत्रक सारफत गाम मे रहऽ वाली एकटा विधवाक ओहिठाम पठौलथिन। 27 फेर परमेश्वरक प्रवक्ता एलीशाक समय मे इस्राएल मे बहुते कुष्ठ-रोगी छल, मुदा ओकरा सभ मे सँ ककरो नीक नहि कयल गेलैक—मात्र सीरिया प्रदेशक निवासी नामान केँ।” 28 ई बात सुनि सभाघरक लोक सभ तिलमिला उठल। 29 ओ सभ उठि कऽ यीशु केँ नगर सँ बाहर अनलकनि, और जाहि पहाड़ पर ओ नगर बसल छल, तकर कनगी पर लऽ गेलनि जे एहि ठाम सँ एकरा नीचाँ धकेलि दी। 30 मुदा ओ ओहि भीड़ मे सँ बहरा कऽ चल जाइत रहलाह। 31 तखन यीशु कफरनहूम गेलाह, जे गलील प्रदेशक एक नगर अछि, और विश्राम-दिन मे लोक सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन। 32 हुनकर शिक्षा सँ लोक सभ चकित भेल, कारण, ओ अधिकारक संग शिक्षा दैत छलाह। 33 सभाघर मे एक आदमी छल जे दुष्टात्मा, अर्थात् अशुद्ध आत्मा, सँ ग्रसित छल। ओ जोर सँ चिकरि कऽ बाजल, 34 “यौ! नासरतक निवासी यीशु! अहाँ केँ हमरा सभ सँ कोन काज? हमरा सभ केँ नष्ट करऽ अयलहुँ की? हम अहाँ केँ चिन्हैत छी। अहाँ परमेश्वरक पवित्र दूत छी।” 35 यीशु दुष्टात्मा केँ डाँटि कऽ कहलथिन, “चुप रह! तोँ एकरा मे सँ निकल!” तखन ओ दुष्टात्मा ओहि आदमी केँ सभक सामने मे पटकि देलकैक आ बिनु हानि पहुँचौने ओकरा मे सँ निकलि गेल। 36 एहि पर सभ लोक चकित होइत एक-दोसर केँ कहऽ लागल जे, “ई केहन उपदेश अछि? ई आदमी शक्ति आ अधिकारक संग दुष्टात्मा सभ केँ आज्ञा दैत छथि और ओ सभ निकलि जाइत अछि!” 37 एहि सभ सँ हुनकर चर्चा ओहि क्षेत्रक चारू कात पसरि गेलनि। 38 यीशु सभाघर सँ बाहर भऽ कऽ सिमोनक ओहिठाम गेलाह। सिमोनक सासु केँ बहुत जोर बोखार छलनि। लोक सभ हुनका मदति करबाक लेल यीशु सँ विनती कयलकनि। 39 सिमोनक सासुक लग मे जा कऽ यीशु बोखार केँ उतरि जयबाक आज्ञा देलथिन, तँ हुनकर बोखार उतरि गेलनि। ओ तुरत उठि कऽ हिनका सभक सेवा-सत्कार करऽ मे लागि गेलीह। 40 सूर्यास्त भेला पर जकरा-जकरा ओहिठाम विभिन्न बिमारी सँ पीड़ित लोक सभ छलैक, से सभ ओकरा सभ केँ यीशु लग आनऽ लागल। प्रत्येक पर हाथ राखि कऽ ओ ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ देलथिन। 41 बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा सभ सेहो एना चिकरि कऽ कहैत निकलि आयल जे, “अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी!” मुदा ओ ओहि दुष्टात्मा सभ केँ डँटलथिन आ बाजऽ नहि देलथिन, कारण ओ सभ जनैत छल जे ई उद्धारकर्ता-मसीह छथि। 42 भोर भेला पर यीशु कोनो एकान्त स्थान मे चल गेलाह। लोक सभ तकैत-तकैत हुनका लग पहुँचल आ हुनका रोकलकनि जे, अहाँ हमरा सभ केँ छोड़ि कऽ नहि जाउ। 43 मुदा ओ उत्तर देलथिन, “हमरा तँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार दोसरो-दोसरो नगर मे सुनयबाक अछि, किएक तँ हम एही लेल पठाओल गेल छी।” 44 अतः ओ यहूदिया प्रदेशक सभाघर सभ मे प्रचारक काज करैत रहलाह।
1 एक दिन यीशु जखन गन्नेसरत झीलक कछेर पर ठाढ़ छलाह, आ लोक सभक भीड़ परमेश्वरक वचन सुनबाक लेल हुनका चारू कात सँ ठेलम-ठेल करैत घेरने छलनि, 2 तँ हुनकर नजरि कछेर पर लागल दूटा नाव पर पड़लनि। मछबार सभ ओतऽ नाव छोड़ि कऽ अपन जाल धोइत छल। 3 ओहि मे एकटा नाव जे सिमोनक छलनि, यीशु ताहि पर चढ़ि कऽ सिमोन केँ कहलथिन जे, नाव केँ कछेर सँ हटा कऽ कनेक पानि मे लऽ जा कऽ ठाढ़ करू। तखन नाव पर बैसि कऽ यीशु ओही पर सँ लोक सभ केँ उपदेश देबऽ लगलथिन। 4 उपदेश समाप्त भेला पर यीशु सिमोन केँ कहलथिन, “नाव केँ गहींर पानि मे लऽ चलू, आ माछ पकड़बाक लेल जाल खसाउ।” 5 सिमोन कहलथिन, “मालिक, हम सभ राति भरि परिश्रम कयलहुँ और एकोटा माछ नहि पकड़ायल। मुदा अहाँ जँ कहैत छी तँ हम फेर जाल खसायब।” 6 ओ सभ जाल उतारलनि तँ ततेक माछ पड़लनि जे जाल फाटऽ लगलनि। 7 ई देखि ओ सभ अपना संगी सभ, जे दोसर नाव मे छलनि, तिनका सभ केँ संकेत कयलथिन जे, आउ, हमर सभक सहायता करू। ओ सभ आबि कऽ दूनू नाव केँ माछ सँ ततेक भरि लेलनि जे आब नाव डुबऽ लागल। 8 सिमोन पत्रुस ई देखि यीशुक पयर पर खसि कऽ कहलथिन, “यौ प्रभु, हमरा लग सँ चल जाउ, किएक तँ हम पापी आदमी छी।” 9 सिमोन और हुनकर संगी सभ एतेक माछ केँ पकड़यला सँ चकित भऽ गेल छलाह। 10 तहिना जबदीक पुत्र याकूब और यूहन्ना, जे सिमोनक हिस्सेदार छलथिन, सेहो चकित भेलाह। एहि पर यीशु सिमोन केँ कहलथिन, “डेराउ नहि! आब अहाँ मनुष्य सभ केँ पकड़ब।” 11 ओ सभ नाव केँ कछेर पर घीचि कऽ अनलनि, और सभ किछु ओतहि छोड़ि कऽ हुनका संग लागि गेलाह। 12 एक बेर जखन यीशु कोनो नगर मे छलाह, तँ ओतऽ एक आदमी छल जकरा सौंसे देह मे कुष्ठ-रोगक घाव भऽ गेल छलैक। यीशु केँ देखि कऽ ई आदमी हुनका सामने मे मुँह भरे खसि कऽ विनती करऽ लगलनि जे, “यौ प्रभु! अहाँ जँ चाही तँ हमरा शुद्ध कऽ सकैत छी।” 13 यीशु अपन हाथ बढ़ा ओकरा छुबि कऽ कहलथिन, “हम अवश्य चाहैत छिअह! तोँ शुद्ध भऽ जाह!” ओकर कुष्ठ-रोग तुरत्ते छुटि गेलैक। 14 यीशु ओकरा आदेश देलथिन, “ई बात ककरो नहि कहिअहक, मुदा जा कऽ अपना केँ पुरोहित केँ देखाबह, और शुद्ध होयबाक विषय मे मूसाक लिखल नियमक अनुसार, जे बलिदान चढ़यबाक अछि से चढ़ाबह। एहि तरहेँ सभक लेल गवाही रहत जे तोँ शुद्ध भऽ गेल छह।” 15 तैयो यीशुक चर्चा आरो बहुत पसरैत गेलनि, और हाँजक-हाँज लोक सभ हुनकर उपदेश सुनबाक लेल आ अपन बिमारी सँ स्वस्थ होयबाक लेल हुनका लग अबैत रहल। 16 मुदा यीशु एकान्त स्थान मे प्रार्थना करबाक लेल निकलि जाइत छलाह। 17 एक दिन यीशु जखन उपदेश दऽ रहल छलाह, तँ हुनका लग मे फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ बैसल छलनि, जे सभ गलील प्रदेशक सभ गाम सँ, यहूदिया प्रदेश सँ आ यरूशलेम सँ आयल छलाह। रोगी सभ केँ स्वस्थ करबाक लेल प्रभु-परमेश्वरक सामर्थ्य हुनका संग छलनि। 18 किछु लोक एकटा लकवा मारल आदमी केँ खाट पर लदने आयल, और ओकरा यीशुक सामने मे रखबाक लेल घरक भीतर लऽ जयबाक कोशिश कयलक। 19 मुदा भीड़क कारणेँ जखन कोनो रस्ता नहि भेटलैक, तँ ओ सभ चार पर चढ़ि गेल, आ खपड़ा हटा कऽ ओकरा खाट सहित लोकक बीच मे यीशुक ठीक सामने मे उतारि देलकैक। 20 यीशु ओकर सभक विश्वास देखि कऽ कहलथिन, “हौ भाइ, तोहर पाप माफ भेलह।” 21 एहि पर फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ अपना मोन मे सोचऽ लगलाह जे, “ई के अछि जे परमेश्वरक निन्दा कऽ रहल अछि? परमेश्वर केँ छोड़ि आओर के पाप केँ माफ कऽ सकैत अछि?” 22 हुनकर सभक मोनक बात बुझि यीशु पुछलथिन, “अहाँ सभ अपना-अपना मोन मे एहन बात किएक सोचैत छी? 23 आसान की अछि—ई कहब जे ‘तोहर पाप माफ भेलह,’ वा ई जे, ‘उठि कऽ चलह-फिरह’? 24 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ ई बात बुझि जाइ जे मनुष्य-पुत्र केँ पृथ्वी पर पाप केँ माफ करबाक अधिकार छनि, हम एकरा कहैत छी...” तखन ओ लकवा मारल आदमी केँ कहलथिन, “हम तोरा कहैत छिअह, उठह, अपन खाट उठाबह आ घर चल जाह!” 25 ओ तुरत सभक सामने मे ठाढ़ भऽ गेल, और जाहि खाट पर ओ पड़ल रहैत छल, से उठा लेलक आ परमेश्वरक स्तुति करैत घर चल गेल। 26 सभ लोक केँ बहुत आश्चर्य लगलैक। ओ सभ परमेश्वरक प्रशंसा करैत आ हुनकर डर मानैत कहऽ लागल, “आइ तँ हम सभ बहुत अद्भुत बात सभ देखलहुँ अछि!” 27 तकरबाद यीशु जखन बाहर गेलाह तँ लेवी नामक एक कर असूल कयनिहार केँ कर असूल करऽ वला स्थान मे बैसल देखलनि। यीशु कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” 28 लेवी उठलाह और सभ किछु छोड़ि-छाड़ि कऽ हुनका संग विदा भऽ गेलाह। 29 लेवी अपना ओहिठाम यीशुक सत्कारक लेल बड़का भोज कयलनि। हुनका सभक संग दोसरो कर असूल करऽ वला सभ आ आरो-आरो बहुत लोक सभ भोजन पर बैसल छलाह। 30 तँ फरिसी आ ओहि पंथक धर्मशिक्षक सभ यीशुक शिष्य सभ पर दोष लगबैत कहलथिन, “अहाँ सभ कर असूल करऽ वला आ पापी सभक संग किएक खाइत-पिबैत छी?” 31 यीशु उत्तर देलथिन, “स्वस्थ लोक केँ वैद्यक आवश्यकता नहि होइत छैक, बल्कि बिमार लोक केँ। 32 हम धार्मिक सभ केँ नहि, बल्कि पापी सभ केँ बजयबाक लेल आयल छी जाहि सँ ओ सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करय।” 33 तखन ओ सभ यीशु केँ कहलथिन, “यूहन्नाक शिष्य सभ बेर-बेर उपास करैत रहैत छथि आ प्रार्थना मे लागल रहैत छथि, आ तहिना फरिसी सभक शिष्य सभ सेहो करैत छथि, मुदा अहाँक शिष्य सभ तँ खाइत-पिबैत रहैत अछि।” 34 यीशु उत्तर देलथिन, “जाबत तक वरियातीक संग वर अछि, ताबत तक की वरियाती सँ उपास करा सकैत छी? नहि! 35 मुदा ओ समय आओत जहिया वर ओकरा सभक बीच सँ हटा लेल जायत; ओ सभ तहिये उपास करत।” 36 तखन यीशु हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त दैत कहलथिन, “केओ नयाँ कपड़ा मे सँ फाड़ि कऽ पुरान कपड़ा पर चेफरी नहि लगबैत अछि। एना जँ करत, तँ नयाँ कपड़ा तँ फाटिए गेल, आ पुरान कपड़ा पर नयाँ कपड़ाक चेफरी मिलबो नहि करत। 37 तहिना केओ नव दारू पुरान चमड़ाक थैली मे नहि रखैत अछि। कारण, एना जँ करत, तँ नव दारू ओहि थैली केँ फाड़ि देत, दारू बहि जायत, आ थैलिओ नष्ट भऽ जायत। 38 नहि! नव दारू नये थैली मे राखऽ पड़ैत अछि। 39 आ पुरान दारू पिला पर नव दारू पिबाक ककरो इच्छा नहि होइत छैक। ओ कहैत अछि जे, पुराने नीक अछि।”
1 कोनो विश्राम-दिन कऽ यीशु खेत दऽ कऽ जा रहल छलाह; हुनकर शिष्य सभ अन्नक बालि तोड़ि हाथ सँ मीड़ि-मीड़ि कऽ खाय लगलाह। 2 एहि पर किछु फरिसी सभ कहलथिन, “जे काज विश्राम-दिन मे करब धर्म-नियमक अनुसार मना अछि, से अहाँ सभ किएक कऽ रहल छी?” 3 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ कहियो नहि पढ़ने छी जे, दाऊद आ हुनकर संगी सभ जखन भुखायल छलाह तँ ओ की कयलनि? 4 ओ परमेश्वरक भवन मे जा कऽ परमेश्वर केँ चढ़ाओल रोटी लऽ लेलनि। जाहि रोटी केँ खयबाक अधिकार पुरोहित केँ छोड़ि आरो ककरो नहि छलैक, तकरा ओ अपनो खयलनि आ संगियो सभ केँ देलथिन।” 5 तकरबाद यीशु इहो कहलथिन, “मनुष्य-पुत्र विश्रामो-दिनक मालिक छथि।” 6 एक अन्य विश्राम-दिन यीशु सभाघर मे जा कऽ उपदेश देबऽ लगलाह। ओहिठाम एक आदमी छल जकर दहिना हाथ सुखायल छलैक। 7 फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ यीशु पर दोष लगयबाक आधारक लेल हुनका पर नजरि गड़ौने छलाह जे, देखी ओ विश्राम-दिन मे ककरो स्वस्थ करताह वा नहि। 8 यीशु हुनकर सभक विचार बुझि गेलाह। तेँ ओ सुखल हाथ वला आदमी केँ कहलथिन, “उठह! सभक आगाँ मे ठाढ़ होअह।” ओ उठि कऽ ठाढ़ भेल। 9 तखन यीशु लोक सभ केँ कहलथिन, “एकटा बात हम अहाँ सभ सँ पुछैत छी। विश्राम-दिन मे धर्म-नियमक अनुसार की करब उचित होयत—नीक वा अधलाह? ककरो जीवनक रक्षा करब वा नष्ट करब?” 10 तखन ओ चारू दिस सभ पर नजरि दऽ कऽ ओहि आदमी केँ कहलथिन, “अपन हाथ बढ़ाबह।” ओ हाथ बढ़ौलक, आ ओकर हाथ एकदम ठीक भऽ गेलैक। 11 मुदा एहि पर फरिसी आ धर्मशिक्षक सभ क्रोध सँ भरि गेलाह और एक-दोसराक संग विचारऽ लगलाह जे अपना सभ यीशु केँ की करी? 12 ओहि समय मे एक दिन यीशु प्रार्थना करबाक लेल पहाड़ पर गेलाह, आ भरि राति परमेश्वर सँ प्रार्थना कयलनि। 13 भोर भेला पर ओ अपना शिष्य सभ केँ अपना लग बजौलनि और ओहि मे सँ बारह गोटे केँ चुनि कऽ हुनका सभ केँ अपन “दूत” कहलथिन। 14 ओ लोकनि यैह सभ छलाह—सिमोन, जिनका ओ “पत्रुस” नाम देलथिन, हुनकर भाय अन्द्रेयास, याकूब और यूहन्ना, फिलिपुस, बरतुल्मै, 15 मत्ती, थोमा, अल्फेयासक पुत्र याकूब, सिमोन, जे “देश-भक्त” कहबैत छलाह, 16 याकूबक पुत्र यहूदा, और यहूदा इस्करियोती जे बाद मे विश्वासघाती भऽ गेलनि। 17 यीशु हिनका सभक संग पहाड़ पर सँ नीचाँ आबि एक समतल स्थान मे ठाढ़ भेलाह। ओतऽ हुनकर शिष्यक विशाल समूह और आन-आन ठामक लोक सभक बड़का भीड़ छल। ओ सभ सौंसे यहूदिया प्रदेश सँ, यरूशलेम सँ, और समुद्रक कछेर पर बसल सूर आ सीदोन नगर सँ हुनकर उपदेश सुनबाक लेल और अपना बिमारी सँ स्वस्थ होयबाक लेल ओतऽ आयल छल। 18 दुष्टात्मा सँ पीड़ित लोक सभ सेहो ठीक कयल जाइत छल। 19 सभ केओ यीशु केँ छुबाक कोशिश करैत छल, कारण, हुनका मे सँ जे सामर्थ्य बहराइत छल, ताहि सँ सभ लोक स्वस्थ होइत छल। 20 यीशु अपना शिष्य सभक दिस तकैत कहऽ लगलथिन, “धन्य छी अहाँ सभ, जिनका किछु नहि अछि, 2 किएक तँ परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक अछि। 21 धन्य छी अहाँ सभ, जे एखन भूखल छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ तृप्त कयल जायब। धन्य छी अहाँ सभ, जे एखन कनैत छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ हँसब। 22 “धन्य छी अहाँ सभ जखन लोक सभ मनुष्य-पुत्रक कारणेँ अहाँ सभ सँ घृणा करत, अपना समाज सँ बारि देत, अहाँ सभ केँ अपमानित करत, और दुष्ट मानि कऽ अहाँ सभक नामो नहि लेत। 23 तहिया अहाँ सभ आनन्द मनाउ और खुशी सँ कुदू-फानू, किएक तँ स्वर्ग मे अहाँ सभक लेल बड़का इनाम राखल अछि। ठीक एहने व्यवहार ओकरा सभक पूर्वज सभ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक संग सेहो कयने छलनि। 24 मुदा धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ, जे सम्पत्तिशाली छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ अपन सभ सुख भोगि लेने छी। 25 धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ, जे एखन तृप्त छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ भूखल रहब। धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ, जे एखन हँसैत छी, 2 किएक तँ अहाँ सभ शोक मनायब आ कानब। 26 “धिक्कार अहाँ सभ केँ, जखन सभ लोक अहाँ सभक प्रशंसा करत, किएक तँ ठीक एहने व्यवहार ओकर सभक पूर्वज सभ ताहि लोकक संग सेहो कयने छलैक जे सभ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत छल। 27 “मुदा हम अहाँ सभ केँ, जे हमर बात सुनि रहल छी, कहैत छी जे, अपना शत्रु सभ सँ प्रेम करू; जे सभ अहाँ सँ घृणा करैत अछि, तकरा सभक संग भलाइ करू। 28 जे सभ अहाँ केँ सराप दैत अछि, तकरा सभ केँ आशीर्वाद दिऔक। जे सभ अहाँक संग दुर्व्यवहार करैत अछि, तकरा सभक लेल प्रभु सँ प्रार्थना करू। 29 जँ केओ अहाँक एक गाल पर थप्पड़ मारैत अछि, तँ ओकरा समक्ष दोसरो गाल कऽ दिऔक। जँ केओ अहाँक ओढ़ना छिनैत अछि, तँ अपन कुर्तो ओकरा लेबऽ दिऔक। 30 जे केओ अहाँ सँ किछु माँगय तकरा दिऔक, आ जँ केओ अहाँक कोनो वस्तु लऽ लेत तँ ओकरा सँ फेर नहि माँगू। 31 जेहन व्यवहार अहाँ चाहैत छी जे लोक अहाँक संग करय, तेहने व्यवहार अहूँ लोकक संग करू। 32 “जँ तकरे सभ सँ प्रेम करैत छी जे सभ अहाँ सँ प्रेम करैत अछि, तँ ओहि मे अहाँक प्रशंसाक कोन बात भेल? ‘पापिओ’ सभ तकरा सभ सँ प्रेम करैत अछि जे सभ ओकरा सभ सँ प्रेम करैत छैक। 33 आ जँ अहाँ तकरे सभक भलाइ करैत छी जे सभ अहाँक भलाइ करैत अछि, तँ ओहि मे अहाँक कोन बड़प्पन? ‘पापिओ’ सभ तँ एहिना करैत अछि। 34 और जँ अहाँ तकरे सभ केँ पैंच-उधार दैत छी जकरा सँ फेर फिरता पयबाक आशा रखैत छी, तँ ओहि मे अहाँक कोन प्रशंसा? ‘पापिओ’ सभ तँ ई आशा राखि कऽ जे हमरा फेर पूरा भेटि जायत ‘पापी’ सभ केँ पैंच-उधार दैत छैक। 35 नहि! अपना दुश्मनो सभ सँ प्रेम करू! ओकरा सभक संग भलाइ करू, और फेर फिरता पयबाक आशा नहि राखि कऽ पैंच-उधार दिऔक। अहाँक इनाम पैघ होयत, और परम-परमेश्वरक सन्तान ठहरब। कारण, जे सभ धन्यवाद देबाक भावना नहि रखैत अछि आ दुष्ट अछि, तकरो सभ पर ओ कृपा करैत छथिन। 36 दयालु बनू, जहिना अहाँक पिता दयालु छथि। 37 “दोसराक न्याय नहि करू, तँ अहूँक न्याय नहि कयल जायत। दोसर केँ दोषी नहि ठहराउ, तँ अहूँ दोषी नहि ठहराओल जायब। माफ करिऔक, तँ अहूँ केँ माफ कयल जायत। 38 दिऔक, तँ अहूँ केँ देल जायत। पूरा-पूरी नाप, दबा-दबा कऽ, हिला-डोला कऽ आ उमड़ा-उमड़ा कऽ अहाँ केँ देल जायत। किएक तँ जाहि नाप सँ अहाँ नपैत छी, ताहि नाप सँ अहूँ केँ देल जायत।” 39 तकरबाद ओ हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त दैत कहलथिन, “की एक आन्हर दोसर आन्हर केँ बाट देखा सकैत अछि? की एहि तरहेँ दूनू खधिया मे नहि खसत? 40 चेला अपना गुरु सँ पैघ नहि होइत अछि, मुदा जखन ओ पूर्ण शिक्षा प्राप्त करत तखन अपना गुरु जकाँ बनत। 41 “अहाँ अपन भायक आँखि मेहक काठक कुन्नी किएक देखैत छी? की अपना आँखि मेहक ढेंग नहि सुझाइत अछि? 42 अपना भाय केँ अहाँ कोना कहैत छी जे, ‘हौ भाइ, लाबह, हम तोरा आँखि मे सँ ओ कुन्नी निकालि दैत छिअह’, जखन कि अपना आँखि मेहक ढेंग नहि देखैत छी? हे पाखण्डी! पहिने अपना आँखि मेहक ढेंग निकालि लिअ, तखने अपन भायक आँखि मेहक कुन्नी निकालबाक लेल अहाँ ठीक सँ देखि सकब। 43 “नीक गाछ मे खराब फल नहि फड़ैत अछि, आ ने खराब गाछ मे नीक फल। 44 प्रत्येक गाछ ओकर अपन फल सँ चिन्हल जाइत अछि। लोक काँटक गाछ सँ अंजीर-फल नहि तोड़ैत अछि, आ ने काँटक झाड़ी सँ अंगूर। 45 नीक मनुष्य नीक वस्तु सँ भरल अपना हृदयक भण्डार मे सँ नीक वस्तु सभ निकालैत अछि, और अधलाह मनुष्य अपन अधलाह वस्तु सँ भरल भण्डार मे सँ अधलाह वस्तु सभ बाहर करैत अछि। कारण, जाहि बात सँ ओकर हृदय भरल छैक, सैह बात सभ ओकरा मुँह सँ बहराइत रहैत छैक। 46 “हमरा ‘प्रभु, प्रभु’ किएक कहैत छी, जखन की हमर कहल नहि करैत छी? 47 आब हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे केओ हमरा लग अबैत अछि और हमर बात सुनि कऽ ओकर पालन करैत अछि, से केहन अछि। 48 ओ ताहि आदमी सनक अछि जे घर बनयबाक समय मे गहींर तक खुनि कऽ पाथर पर न्यो रखलक। जखन बाढ़ि आयल और बाढ़िक रेत ओहि घर सँ टकरायल तँ ओकरा हिला नहि सकल, कारण ओ घर मजगूती सँ बनाओल गेल छल। 49 मुदा जे केओ हमर बात सुनैत अछि और ओकर पालन नहि करैत अछि, से ताहि आदमी जकाँ अछि जे बिनु न्यो रखनहि सोझे माटि पर घर बनौलक। ओहि घर सँ बाढ़िक पानि टकराइत देरी ओ घर खसि पड़ल आ पूरा नष्ट भऽ गेल।”
1 यीशु ई सभ उपदेश लोक सभ केँ सुनौलाक बाद कफरनहूम नगर मे अयलाह। 2 ओतऽ रोमी सेनाक एकटा कप्तान छलाह जिनकर अति प्रिय नोकर बिमार भऽ कऽ मरऽ पर छलनि। 3 ओ कप्तान यीशुक बारे मे सुनि कऽ हुनका लग किछु यहूदी बूढ़-प्रतिष्ठित सभ केँ निवेदन करबाक लेल पठौलथिन जे ओ आबि कऽ हुनका नोकर केँ स्वस्थ कऽ देथि। 4 ओ सभ यीशु लग पहुँचि कऽ बहुत आग्रहपूर्बक विनती कयलथिन जे, “ओ आदमी एहि जोगरक छथि जे अहाँ हुनकर ई काज कऽ दियनि। 5 ओ अपना सभक जाति सँ प्रेम करैत छथि, और हमरा सभक सभाघर वैह बनबा देने छथि।” 6 यीशु हुनका सभक संग विदा भऽ गेलथिन। ओ जखन कप्तानक घरक लग मे पहुँचलाह तँ कप्तान अपन किछु संगी सभ केँ हुनका लग ई कहबाक लेल पठौलथिन जे, “यौ प्रभु, अपने आरो कष्ट नहि कयल जाओ। हम एहि जोगरक नहि छी जे अपने हमरा घर मे आबी, 7 आ ने हम अपना केँ एहू जोगरक बुझलहुँ जे हम अपने लग जाइ। तेँ मात्र आज्ञा देल जाओ और हमर नोकर स्वस्थ भऽ जायत। 8 कारण हमहूँ शासनक अधीन मे छी, और हमरा अधीन मे सैनिक सभ अछि। हम एकटा केँ कहैत छिऐक, ‘जाह,’ तँ ओ जाइत अछि; दोसर केँ कहैत छिऐक, ‘आबह,’ तँ ओ अबैत अछि। अपना नोकर केँ कहैत छिऐक, ‘ई काज करह,’ तँ ओ करैत अछि।” 9 कप्तानक एहि बात सभ सँ यीशु केँ आश्चर्य लगलनि। ओ भीड़क लोक सभ जे हुनका पाछाँ चलि रहल छल तकरा सभक दिस घूमि कऽ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एहन विश्वास हमरा कतौ नहि भेटल अछि—इस्राएलिओ सभ मे नहि।” 10 कप्तानक पठाओल संगी सभ जखन घुरि कऽ अयलाह तँ देखलनि जे नोकर एकदम स्वस्थ भऽ गेल अछि। 11 किछु दिनक बाद यीशु नाइन नामक नगर गेलाह। हुनका संग हुनकर शिष्य सभ और बहुत बड़का भीड़ सेहो छलनि। 12 यीशु जखन नगरक फाटक लग पहुँचलाह तँ देखैत छथि जे लोक सभ एक मुइल आदमी केँ नगर सँ बाहर लऽ जा रहल अछि। ओ मुइल आदमी अपना मायक एकमात्र बेटा छल और ओकर माय विधवा छलैक। विधवाक संग नगरक बहुते लोक सभ छलैक। 13 ओकरा देखि कऽ प्रभु केँ बहुत दया लगलनि, और ओ कहलथिन, “नहि कानह।” 14 तकरबाद ओ आगाँ बढ़ि कऽ अर्थी केँ छुलनि। ताहि पर कान्ह देनिहार सभ ठाढ़ भऽ गेल। ओ कहलथिन, “हौ युवक, हम तोरा कहैत छिअह, उठह!” 15 मुइल आदमी उठि बैसल, और बाजऽ लागल। यीशु ओकरा मायक जिम्मा मे लगा देलथिन। 16 ई देखि लोक सभ केँ बड़का डर सन्हिया गेलैक। ओ सभ परमेश्वरक स्तुति करैत कहऽ लागल, “हमरा सभक बीच मे परमेश्वरक एक पैघ प्रवक्ता आबि गेल छथि! परमेश्वर अपना लोक पर दया करबाक लेल उतरि आयल छथि!” 17 यीशुक सम्बन्ध मे ई खबरि सौंसे यहूदिया प्रदेश मे और लग-पासक सभ क्षेत्र मे पसरि गेल। 18 यूहन्नाक शिष्य सभ हुनका एहि सभ बातक बारे मे कहि सुनौलथिन। एहि पर यूहन्ना अपना शिष्य सभ मे सँ दू गोटे केँ बजा कऽ ई बात पुछबाक लेल प्रभु लग पठौलथिन जे, 19 “ओ जे आबऽ वला छलाह, से की अहीं छी, वा हम सभ दोसराक बाट ताकू?” 20 ओ सभ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना हमरा सभ केँ अहाँ सँ ई पुछबाक लेल पठौलनि अछि जे, ओ जे आबऽ वला छलाह, से की अहीं छी, वा हम सभ दोसराक बाट ताकू?” 21 ओही काल मे यीशु बहुत लोक केँ बिमारी, पीड़ा और दुष्टात्मा सभ सँ मुक्त कऽ देलथिन, और बहुत आन्हर सभ केँ देखबाक शक्ति देलथिन। 22 तखन ओ यूहन्नाक शिष्य सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ जे किछु देखलहुँ और सुनलहुँ से सभ बात जा कऽ यूहन्ना केँ सुना दिऔन—आन्हर सभ देखि रहल अछि, नाङड़ सभ चलि-फिरि रहल अछि, कुष्ठ-रोगी सभ स्वस्थ कयल जा रहल अछि, बहीर सभ सुनि रहल अछि, मुइल सभ जिआओल जा रहल अछि, और असहाय सभ केँ शुभ समाचार सुनाओल जा रहल छैक। 23 धन्य अछि ओ जे हमरा कारणेँ अपना विश्वास केँ नहि छोड़ैत अछि।” 24 यूहन्ना द्वारा पठाओल शिष्य सभ जखन चल गेलाह तँ यीशु यूहन्नाक बारे मे भीड़क संग बात करैत पुछलथिन, “अहाँ सभ निर्जन क्षेत्र मे की देखबाक लेल गेल छलहुँ? हवा सँ हिलैत खड़ही केँ?... 25 तखन की देखऽ लेल निकलल छलहुँ? बढ़ियाँ-बढ़ियाँ वस्त्र पहिरने कोनो मनुष्य केँ? नहि, कारण जे सभ नीक-नीक वस्त्र पहिरैत अछि और सुख-विलासक जीवन बितबैत अछि, से सभ राजभवन मे भेटैत अछि। 26 तँ फेर की देखबाक लेल गेल छलहुँ? परमेश्वरक एकटा प्रवक्ता केँ? हँ! हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, प्रवक्तो सँ पैघ व्यक्ति केँ देखलहुँ! 27 ई वैह दूत छथि जिनका सम्बन्ध मे धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, प्रभु कहैत छथि, ‘देखू, अहाँ सँ पहिने हम अपन दूत पठायब, जे अहाँक आगाँ-आगाँ अहाँक बाट तैयार करत।’ 28 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, मनुष्य सभ मे यूहन्ना सँ पैघ केओ कहियो जन्म नहि लेने अछि। तैयो परमेश्वरक राज्य मे जे सभ सँ छोट अछि, से हुनका सँ पैघ अछि। 29 “सभ लोक—कर असूल करऽ वला सभ सेहो—यूहन्नाक बात सुनि कऽ ई मानि लेलक जे परमेश्वरक बात ठीक अछि, कारण ओ सभ यूहन्ना सँ बपतिस्मा लेलक। 30 मुदा फरिसी और धर्म-नियमक पंडित सभ हुनका सँ बपतिस्मा नहि लऽ कऽ हुनका सभक लेल जे परमेश्वरक योजना छलनि, तकरा ओ सभ व्यर्थ कऽ लेलनि।” 31 यीशु आगाँ कहलथिन, “तँ एहि पीढ़ीक लोकक तुलना हम कोन बात सँ करू जे ई सभ केहन अछि? 32 ई सभ बजार मे बैसल ओहि बच्चा सभ सनक अछि जे, एक-दोसर केँ सोर पारि कऽ कहैत अछि, ‘हम सभ तँ तोरा सभक लेल बाँसुरी बजौलिऔ, मुदा तोँ सभ नचलें नहि। हम सभ कन्ना-रोहटि कयलिऔ, मुदा तोँ सभ कनलें नहि।’ 33 कारण, बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना अयलाह, और लोक सभ जकाँ रोटी नहि खाइत छथि, मदिरा नहि पिबैत छथि तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ‘ओकरा मे दुष्टात्मा छैक।’ 34 मनुष्य-पुत्र आयल, और खाइत-पिबैत अछि, तँ अहाँ सभ कहैत छी जे, ‘यैह देखू! केहन पेटू आ पिअक्कड़! कर असूल करऽ वला आ पापी सभक संगी!’ 35 मुदा परमेश्वरक बुद्धि ठीक अछि, से बात तेहन लोक द्वारा प्रमाणित होइत अछि जे सभ ओहि बुद्धिक अनुसार चलैत अछि।” 36 एक फरिसी यीशु केँ अपना संग भोजन करबाक निमन्त्रण देलथिन। यीशु हुनका घर गेलाह, और भोजन करबाक लेल बैसलाह। 37 ओहि नगर मे रहऽ वाली एकटा स्त्रीगण, जे पापी जीवन बितबैत छलि, जखन सुनलक जे यीशु ओहि फरिसीक घर मे भोजन पर बैसल छथि, तँ ओ संगमरमरक बर्तन मे सुगन्धित तेल लऽ कऽ आयल। 38 कनैत-कनैत ओ यीशुक पाछाँ पयर लग ठाढ़ भेलि, और ओकर नोर हुनकर पयर पर खसैत छलैक। ओ हुनकर पयर अपना केश सँ पोछऽ लगलनि, और पयरक चुम्मा लैत ओहि पर तेल लगाबऽ लगलनि। 39 ओ फरिसी जे हुनका बजौने छलथिन से ई देखि अपना मोन मे सोचलनि, “ई आदमी जँ वास्तव मे परमेश्वरक प्रवक्ता रहैत तँ केहन स्त्री ओकरा छुबि रहल छैक, से ओ जनने रहैत—ओ बुझि जाइत जे ई केहन पापिनि अछि!” 40 यीशु जबाब देलथिन, “सिमोन, हमरा अहाँ केँ किछु कहबाक अछि।” ओ कहलथिन, “गुरुजी, बाजू ने।” 41 “कोनो महाजन केँ दूटा ऋणी छलनि। ओहि मे सँ एकटा पर पाँच सय ‘दिनार’ ऋण छलनि, आ दोसर पर पचास ‘दिनार’। 42 दूनू लग अपन ऋण चुकयबाक लेल किछु नहि छलैक, तँ महाजन दूनू केँ माफ कऽ देलथिन। आब ओहि दूनू मे सँ कोन हुनका बेसी मानतनि?” 43 सिमोन उत्तर देलथिन, “हमरा होइत अछि जे ओ, जकर बेसी ऋण माफ भेलैक।” यीशु कहलथिन, “अहाँ ठीक कहलहुँ।” 44 तखन ओहि स्त्रीगणक दिस घूमि कऽ ओ सिमोन केँ कहलथिन, “एहि स्त्री केँ देखैत छिऐक? हम अहाँक घर मे अयलहुँ, तँ अहाँ हमरा पयर धोबाक लेल पानि नहि देलहुँ, मुदा ई हमर पयर अपन नोर सँ धोलक आ केश सँ पोछलक। 45 अहाँ चुम्मा लऽ कऽ हमर स्वागत नहि कयलहुँ, मुदा जखने हम घर मे अयलहुँ तखने सँ ई हमर पयरक चुम्मा लैते अछि। 46 अहाँ हमर माथ मे तेल नहि लगौलहुँ, मुदा ई हमर पयर पर सुगन्धित तेल लगौलक। 47 तेँ, हम अहाँ केँ कहैत छी जे, एकर पाप, जे बहुते अछि, से सभ माफ कयल गेल अछि, कारण देखू—कतेक प्रेम कयलक! मुदा जकरा कम माफ भेल छैक, से कम प्रेम करैत अछि।” 48 तखन ओ स्त्री केँ कहलथिन, “तोहर पाप माफ भेलह।” 49 जे सभ हुनका संग भोजन पर बैसल छल, से सभ अपना मे कहऽ लागल, “ई के छथि जे पापो माफ करैत छथि?” 50 यीशु स्त्री केँ कहलथिन, “तोहर विश्वास तोरा उद्धार देलकह। शान्ति सँ जाह।”
1 तकरबाद यीशु लोक सभ केँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनबैत नगर-नगर आ गाम-गाम घुमऽ लगलाह। हुनका संग हुनकर बारहो शिष्य छलनि, 2 और किछु स्त्रीगण सभ सेहो, जिनका सभ केँ विभिन्न बिमारी आ दुष्टात्मा सभ सँ स्वस्थ कयल गेल छलनि। ओहि मे ई सभ छलीह—मरियम, जे मग्दलीनी कहबैत छलीह आ जिनका मे सँ सातटा दुष्टात्मा निकालल गेल छलनि, 3 हेरोद राजाक हाकिम खुसाक स्त्री योअन्ना, सुसन्ना आ आरो बहुत गोटे। ई स्त्रीगण सभ अपन व्यक्तिगत सम्पत्ति सँ हुनका सभक सेवा करैत छलीह। 4 नगर-नगर सँ लोक सभ यीशु लग आबि रहल छल, और एक दिन जखन बड़का भीड़ हुनका लग जमा भेल तँ ओ ई दृष्टान्त दऽ कऽ कहलथिन, 5 “एक किसान बीया बाउग करबाक लेल गेल। बीया बाउग करैत काल, किछु बीया रस्ताक कात मे खसल, लतखुर्दन भऽ गेल और ओकरा चिड़ै सभ खा लेलकैक। 6 किछु बीया पथराह जमीन पर खसल, आ हाल नहि रहबाक कारणेँ जनमिते सुखा गेल। 7 किछु बीया काँट-कुशक बीच मे खसल, मुदा काँट-कुश सभ सेहो संगे-संग बढ़ि कऽ ओकरा दबा देलकैक। 8 किछु बीया नीक जमीन पर पड़ल। ओ बढ़ि कऽ फड़ल-फुलायल आ सय गुना फसिल देलक।” ई कहि कऽ ओ जोर सँ बजलाह, “जकरा सुनबाक कान छैक से सुनओ।” 9 तखन हुनकर शिष्य सभ एहि दृष्टान्तक अर्थ पुछलथिन। 10 ओ उत्तर देलथिन, “परमेश्वरक राज्यक रहस्यक ज्ञान अहाँ सभ केँ देल गेल अछि, मुदा दोसर सभक लेल दृष्टान्ते सभ अछि, जाहि सँ, ‘तकितो ओ देखए नहि, सुनितो ओ बुझए नहि।’ 11 “दृष्टान्तक अर्थ ई अछि—बीया परमेश्वरक वचन अछि। 12 रस्ताक कात मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे हुनकर वचन सुनैत अछि मुदा शैतान आबि कऽ ओकरा सभक मोन मे सँ ओहि वचन केँ निकालि कऽ लऽ जाइत छैक, जाहि सँ कतौ ओ सभ विश्वास कऽ कऽ उद्धार नहि पाबए। 13 पथराह जमीन मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे परमेश्वरक वचन सुनि खुशी सँ ओकरा स्वीकार करैत अछि, मुदा ओ वचन ओकरा सभ मे जड़ि नहि पकड़ैत छैक। ओ सभ किछु काल विश्वास तँ करैत अछि, मुदा परीक्षाक समय जखन अबैत छैक तँ विश्वास केँ छोड़ि दैत अछि। 14 काँट-कुश मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे सुनैत तँ अछि, मुदा आगाँ जा कऽ जीवनक चिन्ता, धन-सम्पत्ति और सुख-विलास सभक द्वारा दबाओल जाइत अछि, और ओ सभ कोनो फसिल नहि दैत अछि। 15 मुदा नीक जमीन मे खसल बीया ओ लोक सभ अछि जे नीक और शुद्ध मोन सँ परमेश्वरक वचन सुनि कऽ अपना हृदय मे रखैत अछि, और धैर्यपूर्बक नीक फसिल दैत अछि। 16 “केओ डिबिया लेसि कऽ ओकरा तौला सँ नहि झँपैत अछि, आ ने चौकीक तर मे रखैत अछि। ओ ओकरा लाबनि पर रखैत अछि जाहि सँ घरक भीतर आबऽ वला लोक सभ केँ इजोत भेटैक। 17 हँ, कोनो वस्तु नुकायल नहि अछि जे प्रगट नहि कयल जायत, आ ने कोनो वस्तु गुप्त अछि जे जानल नहि जायत और इजोत मे नहि आनल जायत। 18 एहि लेल, अहाँ सभ कोन प्रकारेँ सुनैत छी, ताहि पर नीक जकाँ ध्यान दिअ, कारण जकरा किछु छैक, तकरा आरो देल जयतैक, और जकरा नहि छैक, तकरा सँ सेहो लऽ लेल जयतैक जाहि केँ ओ अपन बुझैत अछि।” 19 यीशुक माय और भाय सभ हुनका सँ भेँट करबाक लेल अयलाह, मुदा भीड़क कारणेँ हुनका लग नहि पहुँचि सकलाह। 20 तँ हुनका लग कहा पठाओल गेलनि जे, “अहाँक माय और भाय सभ बाहर ठाढ़ छथि, अहाँ सँ भेँट करऽ चाहैत छथि।” 21 एहि पर यीशु उत्तर देलथिन, “हमर माय और भाय ओ सभ छथि जे सभ परमेश्वरक वचन सुनैत छथि और ओहि अनुसार चलैत छथि।” 22 एक दिन यीशु अपना शिष्य सभक संग नाव मे चढ़लाह आ कहलथिन, “झीलक ओहि पार चलू।” ओ सभ नाव खोलि देलनि। 23 किछु बढ़लाक बाद यीशु सुति रहलाह। एकाएक झील मे भयंकर अन्हड़-बिहारि आयल। नाव मे पानि भरऽ लागल, और ओ सभ बड़का विपत्ति मे पड़ि गेलाह। 24 शिष्य सभ यीशु केँ जगा कऽ कहलथिन, “मालिक, यौ मालिक, अपना सभ डुबऽ पर छी!” ओ उठि कऽ अन्हड़-बिहारि और लहरि केँ डँटलथिन। अन्हड़-बिहारि बन्द भऽ गेल, आ सभ किछु शान्त भऽ गेलैक। 25 तखन ओ अपना शिष्य सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभक विश्वास की भऽ गेल?” ओ सभ भयभीत और आश्चर्यित भऽ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “ई के छथि? हवा और पानि केँ सेहो आज्ञा दैत छथिन तँ ओ मानैत छनि!” 26 जाइत-जाइत यीशु और हुनकर शिष्य सभ गिरासेनी सभक इलाका मे पहुँचलाह, जे गलील प्रदेशक सामने झीलक ओहि पार अछि। 27 यीशु जखने कछेर पर उतरलाह तँ ओहि शहरक एक आदमी भेटलनि जकरा दुष्टात्मा लागल छलैक। ई आदमी बहुत दिन सँ कपड़ा-लत्ता नहि पहिरैत छल, और घर मे नहि रहि कऽ कबरिस्तान मे रहैत छल। 28 यीशु केँ देखिते ओ जोर सँ चिकरल, हुनका पयर पर खसलनि, और जोर-जोर सँ कहलकनि, “यौ परम परमेश्वरक पुत्र यीशु! हमरा सँ अपने केँ कोन काज? हम विनती करैत छी जे हमरा दुःख नहि दिअ!” 29 ओ ई बात एहि लेल कहलकनि जे यीशु दुष्टात्मा केँ ओकरा मे सँ बहरयबाक आज्ञा देने छलथिन। ओ दुष्टात्मा ओकरा बहुत बेर पकड़ने छलैक, और लोक ओकरा जिंजीर सँ हाथ-पयर बान्हि कऽ पहरा मे रखैत छल, मुदा ओ जिंजीर सभ केँ तोड़ि-ताड़ि लैत छल, और दुष्टात्मा ओकरा सुन-सान क्षेत्र सभ मे लऽ जाइत छलैक। 30 यीशु ओकरा सँ पुछलथिन, “तोहर नाम की छह?” ओ उत्तर देलकनि, “सेना” कारण, ओकरा मे बहुते दुष्टात्मा वास करैत छलैक। 31 दुष्टात्मा सभ हुनका सँ विनती करऽ लागल जे, हमरा सभ केँ “अथाह कुण्ड” मे जयबाक आज्ञा नहि दिअ। 32 ओहिठाम पहाड़ पर सुगरक बड़का झुण्ड चरि रहल छल। दुष्टात्मा सभ विनती कयलकनि जे, हमरा सभ केँ ओहि सुगर सभ मे जयबाक अनुमति दऽ दिअ। तँ यीशु अनुमति दऽ देलथिन। 33 तखन दुष्टात्मा सभ ओहि आदमी मे सँ निकलि कऽ सुगर सभ मे चल गेल। सुगरक पूरा झुण्ड दौड़ि कऽ पहाड़ पर सँ झील मे खसल और डुबि कऽ मरि गेल। 34 सुगर चराबऽ वला सभ ई देखि तुरत भागि गेल और नगर आ देहातो मे एहि घटनाक बारे मे सुनौलक। 35 एहि पर लोक सभ देखबाक लेल आयल, और यीशु लग जखन पहुँचल तँ देखैत अछि जे ओ आदमी जकरा मे सँ दुष्टात्मा निकलि गेल छल, से कपड़ा पहिरने आ स्वस्थ मोने हुनका पयर लग बैसल अछि। ई देखि ओ सभ भयभीत भऽ गेल। 36 जे सभ ई घटना देखने छल, से सभ ओहि लोक सभ केँ सुनौलकैक जे दुष्टात्मा लागल आदमी कोना स्वस्थ कयल गेल। 37 गिरासेनी सभक क्षेत्रक सम्पूर्ण परोपट्टाक लोक सभ केँ तेहन डर भऽ गेलैक जे ओ सभ यीशु सँ विनती करऽ लगलनि जे, अहाँ एतऽ सँ चल जाउ। एहि पर यीशु नाव मे चढ़ि कऽ घूमि गेलाह। 38 जाहि आदमी मे सँ दुष्टात्मा निकलि गेल छलैक, से यीशु सँ विनती कयलकनि जे, अपना संग हमरो चलऽ देल जाओ। मुदा यीशु ओकरा ई कहि कऽ विदा कयलथिन जे, 39 “तोँ घर चल जाह, और परमेश्वर तोरा लेल कतेकटा काज कयलथुन से सभ केँ सुनाबह।” तखन ओ आदमी चल गेल, और यीशु ओकरा लेल जे-जतेक कयने रहथिन से सौंसे शहर मे लोक केँ सुनाबऽ लागल। 40 यीशु जखन झीलक एहि पार फेर पहुँचलाह तँ बड़का भीड़ जे एहि पार घूमि अयबाक हुनकर बाट ताकि रहल छलनि, से सभ हुनकर स्वागत कयलकनि। 41 तखने याइरस नामक एक आदमी यीशु लग अयलाह, जे सभाघरक अधिकारी छलाह। ओ यीशुक पयर पर खसि कऽ हुनका सँ आग्रह करऽ लगलथिन जे, हमरा ओतऽ चलल जाओ। 42 कारण, हुनकर एकमात्र बेटी, जे बारह वर्षक छलि, मरऽ-मरऽ पर छलि। रस्ता मे चलैत काल लोकक रेड़म-रेड़ा सँ यीशु पिचाय लगलाह। 43 भीड़ मे एक स्त्री छलि, जे बारह वर्ष सँ खून खसऽ वला रोग सँ पीड़ित छलि आ अपन सभ सम्पत्ति इलाजक पाछाँ वैद्य केँ दऽ देने छलि, मुदा ओकरा केओ नहि स्वस्थ कऽ सकल छल। 44 ओ पाछाँ सँ आबि यीशुक वस्त्रक कोर छुबि लेलक, और ओकर खून खसनाइ तुरत बन्द भऽ गेलैक। 45 यीशु पुछलथिन, “हमरा के छुलक?” जखन सभ केओ अस्वीकार कयलक तँ पत्रुस कहलथिन, “यौ मालिक, अहाँ तँ भीड़ सँ घेरल छी आ लोक सभ चारू कात सँ अहाँ केँ पिचि रहल अछि!” 46 मुदा यीशु कहलथिन, “नहि, केओ हमरा छुलक अछि। हम जनैत छी जे हमरा मे सँ सामर्थ्य बहरायल अछि।” 47 ओ स्त्री जखन देखलक जे हम नुकायल नहि रहि सकैत छी तँ कँपैत आबि यीशुक पयर पर खसलि, और सभ लोकक सामने कहि सुनौलकनि जे हुनका किएक छुलकनि आ कोना तुरत्ते स्वस्थ भऽ गेल। 48 तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “बेटी, तोहर विश्वास तोरा स्वस्थ कऽ देलकह। शान्तिपूर्बक जाह।” 49 यीशु ई बात कहिए रहल छलथिन कि सभाघरक अधिकारी याइरसक घर सँ एक गोटे आयल और याइरस केँ कहलकनि, “अहाँक बच्ची नहि रहल। आब गुरुजी केँ आरो कष्ट नहि दिऔन।” 50 ई बात सुनला पर यीशु याइरस केँ कहलथिन, “अहाँ डेराउ नहि, मात्र विश्वास राखू—अहाँक बेटी ठीक भऽ जायत।” 51 याइरसक ओहिठाम पहुँचला पर यीशु पत्रुस, यूहन्ना, याकूब और बच्चीक माय-बाबू केँ छोड़ि आरो ककरो अपना संग घरक भीतर नहि आबऽ देलथिन। 52 सभ केओ बच्चीक लेल विलाप कऽ रहल छल, मुदा यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “नहि कानू! ओ मुइल नहि, सुतल अछि।” 53 एहि पर लोक सभ हुनका पर हँसऽ लागल, कारण ओ सभ जनैत छल जे बच्ची मरि गेल अछि। 54 मुदा यीशु बच्चीक हाथ पकड़ि कऽ कहलथिन, “बौआ! उठ!” 55 बच्चीक प्राण घूमि अयलैक और ओ तुरत ठाढ़ भऽ गेल। यीशु आदेश देलथिन जे ओकरा किछु खाय लेल देल जाय। 56 ओकर माय-बाबू आश्चर्य-चकित भेलाह, मुदा यीशु हुनका सभ केँ आज्ञा देलथिन जे एहि घटनाक विषय मे ककरो संग चर्चा नहि करू।
1 यीशु अपन बारहो शिष्य केँ एक संग बजौलथिन, और हुनका सभ केँ सभ तरहक दुष्टात्मा केँ निकालबाक आ बिमारी सभ केँ ठीक करबाक शक्ति और अधिकार देलथिन। 2 तखन ओ हुनका सभ केँ परमेश्वरक राज्यक प्रचार करबाक लेल और रोगी सभ केँ स्वस्थ करबाक लेल गाम-गाम पठौलथिन। 3 ओ कहलथिन, “बाटक लेल अहाँ सभ किछु नहि लऽ जाउ—ने लाठी ने झोरा, ने रोटी ने पाइ, आ ने दोसर अंगा राखू। 4 जाहि कोनो घर मे ठहरब, जाबत धरि ओहि गाम सँ विदा नहि होयब ताबत धरि ओही घर मे ठहरू। 5 और जतऽ कतौ लोक अहाँ सभक स्वागत नहि करय, ताहि गाम सँ विदा होइत काल अपन पयरक गर्दा झाड़ि लेब। ई ओकरा सभक विरोधक गवाही रहत।” 6 तँ ओ सभ विदा भेलाह और गाम-गाम मे शुभ समाचारक प्रचार करैत आ सभ ठाम लोक केँ स्वस्थ करैत घुमऽ लगलाह। 7 एम्हर शासक हेरोद एहि सभ घटनाक विषय मे सुनलनि, और दुबिधा मे पड़ि गेलाह, कारण किछु लोकक कथन छलैक जे, बपतिस्मा देबऽ वला यूहन्ना मुइल सभ मे सँ जिआओल गेल छथि। 8 दोसर लोक सभ कहैत छल जे, एलियाह फेर आबि गेल छथि। आरो लोकक कथन छलैक जे, प्राचीन समयक परमेश्वरक अन्य प्रवक्ता सभ मे सँ केओ फेर जीबि उठल छथि। 9 मुदा हेरोद कहलनि, “यूहन्ना केँ तँ हम मूड़ी कटबा देने छिऐक, तँ फेर ई के अछि जकरा बारे मे एतेक बात सुनैत छी?” और ओ यीशु सँ भेँट करबाक कोशिश करऽ लगलाह। 10 पठाओल गेल दूत सभ जहिया घूमि कऽ अयलाह तँ ओ सभ जे किछु कयने छलाह से सभ बात यीशु केँ कहि सुनौलथिन। तकरबाद यीशु हुनका सभ केँ अपना संग लऽ कऽ बेतसैदा नगर गेलाह, जाहि सँ ओ सभ एकान्त स्थान मे रहि सकथि। 11 मुदा लोक सभ केँ एहि बातक पता लागि गेलैक, और ओहो सभ हुनका पाछाँ-पाछाँ आबऽ लागल। यीशु ओकरा सभक स्वागत कयलथिन, और परमेश्वरक राज्यक सम्बन्ध मे ओकरा सभक संग बात-चीत करऽ लगलाह। जकरा ककरो कोनो बिमारी सँ स्वस्थ होयबाक आवश्यकता छलैक, तकरा सभ केँ ओ स्वस्थ कयलथिन। 12 जखन साँझ पड़ऽ लागल तँ बारहो शिष्य सभ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “आब लोक सभ केँ लग-पासक गाम-बजार सभ मे अपना लेल राति मे रहबाक जगह आ भोजनक प्रबन्ध करबाक लेल विदा कऽ दिऔक, कारण अपना सभ एतऽ बस्ती सँ दूर मे छी।” 13 ओ उत्तर देलथिन, “अहीं सभ एकरा सभ केँ भोजन करबिऔक।” ओ सभ कहलथिन, “हमरा सभ लग खाली पाँचटा रोटी आ दूटा माछ अछि, बस, आओर किछु नहि। वा की—एहि सभ लोकक लेल हम सभ भोजनक वस्तु किनि कऽ लाउ?” 14 ओतऽ पुरुषक संख्या लगभग पाँच हजार छल। यीशु शिष्य सभ केँ कहलथिन, “सभ केँ पचास-पचासक समूह मे बैसा दिऔक।” 15 शिष्य सभ ओहिना कयलनि आ सभ केओ बैसि रहल। 16 तकरबाद यीशु ओ पाँचटा रोटी आ दूटा माछ लऽ लेलनि आ स्वर्ग दिस तकैत ओहि रोटी आ माछक लेल परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। तखन रोटी आ माछ केँ तोड़लनि आ लोक सभ मे परसबाक लेल अपना शिष्य सभ केँ देलथिन। 17 सभ केओ भरि इच्छा भोजन कयलक। शिष्य सभ जखन रोटी आ माछक उबरल टुकड़ा सभ बिछलनि तँ ओ बारह छिट्टा भेल। 18 एक बेर यीशु एकान्त मे प्रार्थना कऽ रहल छलाह आ हुनकर शिष्य सभ हुनका संग छलनि, तँ ओ हुनका सभ सँ पुछलथिन जे, “हम के छी, ताहि सम्बन्ध मे लोक की कहि रहल अछि?” 19 ओ सभ उत्तर देलथिन, “किछु लोक सभ ‘बपतिस्मा देनिहार यूहन्ना’ कहैत अछि, किछु लोक ‘एलियाह’ आ किछु लोक सभ कहैत अछि जे प्राचीन कालक परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनि मे सँ केओ जीबि उठलाह अछि।” 20 ओ पुछलथिन, “और अहाँ सभ?—अहाँ सभ की कहैत छी जे हम के छी?” पत्रुस उत्तर देलथिन, “अहाँ परमेश्वरक पठाओल उद्धारकर्ता-मसीह छी।” 21 एहि पर यीशु हुनका सभ केँ दृढ़तापूर्बक आदेश देलथिन जे, “ई बात ककरो नहि कहिऔक।” 22 फेर आगाँ कहऽ लगलथिन, “ई आवश्यक अछि जे मनुष्य-पुत्र बहुत दुःख सहय, बूढ़-प्रतिष्ठित, मुख्यपुरोहित आ धर्मशिक्षक सभ द्वारा तुच्छ ठहराओल जाय, जान सँ मारल जाय आ तेसर दिन जिआओल जाय।” 23 तखन यीशु सभ केँ कहलथिन, “जँ केओ हमर शिष्य बनऽ चाहैत अछि तँ ओ अपना केँ त्यागि, प्रतिदिन हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार रहओ, और हमरा पाछाँ चलओ। 24 कारण, जे केओ अपन जीवन बचाबऽ चाहैत अछि, से ओकरा गमाओत, और जे केओ हमरा लेल अपन जीवन गमबैत अछि, से ओकरा बचाओत। 25 जँ कोनो मनुष्य सम्पूर्ण संसार केँ पाबि लय मुदा अपना केँ गमा लय वा नष्ट कऽ लय तँ ओकरा की लाभ भेलैक? 26 जँ केओ हमरा और हमर शिक्षा सँ लजाइत अछि, तँ ओकरो सँ मनुष्य-पुत्र ओहि समय मे लजायत जखन ओ अपना महिमाक संग आ पिताक और पवित्र स्वर्गदूत सभक महिमाक संग आओत। 27 और हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एतऽ किछु एहनो लोक सभ ठाढ़ अछि जे जाबत तक परमेश्वरक राज्य नहि देखि लेत ताबत तक नहि मरत।” 28 एहि बात सभक करीब आठ दिनक बाद यीशु अपना संग पत्रुस, यूहन्ना और याकूब केँ लऽ कऽ प्रार्थना करबाक लेल पहाड़ पर गेलाह। 29 जखन ओ प्रार्थना कऽ रहल छलाह तँ हुनकर मुँहक रूप बदलि गेलनि, और हुनकर वस्त्र बिजलोका जकाँ चमकऽ लगलनि। 30 एकाएक दू पुरुष, मूसा और एलियाह, 31 स्वर्गिक इजोत सँ चमकैत और यीशु सँ बात करैत देखाइ देलनि। ओ सभ हुनकर मृत्युक सम्बन्ध मे बात कऽ रहल छलाह, जकरा द्वारा ओ यरूशलेम मे परमेश्वरक इच्छा पूरा करऽ वला छलाह। 32 पत्रुस और हुनकर संगी सभ औँघाय लागल छलाह, मुदा जखन पूर्ण रूप सँ सचेत भेलाह तँ यीशुक स्वर्गिक सुन्दरता और हुनका संग ठाढ़ ओहि दूनू पुरुष केँ देखलथिन। 33 जखन ओ दूनू पुरुष यीशु लग सँ विदा होमऽ लगलाह तँ पत्रुस यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी! हमरा सभक लेल ई कतेक नीक बात अछि जे हम सभ एतऽ छी! हम सभ एतऽ तीन मण्डप बनाबी—एक अहाँक लेल, एक मूसाक लेल, और एक एलियाहक लेल।” ओ अपनो नहि जनैत छलाह जे हम की बाजि रहल छी। 34 ओ ई बात बाजिए रहल छलाह कि एकटा मेघ आबि कऽ हुनका सभ केँ झाँपि देलकनि। शिष्य सभ मेघ सँ झँपा कऽ डेरा गेलाह। 35 तखन मेघ मे सँ ई आवाज आयल, “ई हमर पुत्र छथि, जिनका हम चुनने छी। हिनका बात पर ध्यान दिअ!” 36 ई आकाशवाणी भेलाक बाद शिष्य सभ देखलनि जे यीशु असगर छथि। एहि घटनाक सम्बन्ध मे ओ सभ चुप रहलाह और जे किछु देखने छलाह तकर चर्चा ओहि समय मे ककरो सँ नहि कयलनि। 37 प्रात भेने जखन ओ सभ पहाड़ पर सँ उतरलाह तँ यीशु केँ लोकक बड़का भीड़ भेटलनि। 38 भीड़ मेहक एक आदमी जोर सँ सोर पारि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, अपने सँ हमर विनती अछि जे हमरा बेटा केँ देखल जाओ। ई हमर एकमात्र सन्तान अछि। 39 दुष्टात्मा एकरा पकड़ि लैत छैक, और ई एकाएक चिकरि उठैत अछि। एकरा नीचाँ पटकि दैत छैक आ एकरा मुँह सँ गाउज आबऽ लगैत छैक। बिनु चोट पहुँचौने एकरा छोड़िते नहि छैक। 40 हम अपनेक शिष्य सभ सँ एहि दुष्टात्मा केँ निकालबाक लेल विनती कयलियनि, मुदा ओ सभ नहि निकालि सकलाह।” 41 यीशु उत्तर देलथिन, “हे अविश्वासी आ भ्रष्ट पीढ़ीक लोक सभ! हम तोरा सभक संग कहिया तक रहिअह? कहिया तक तोरा सभ केँ सहैत रहिअह? आनह अपना बेटा केँ।” 42 ओ लड़का आबि रहल छल कि दुष्टात्मा ओकरा नीचाँ पटकि देलकैक आ तोड़ऽ-ममोरऽ लगलैक। मुदा यीशु दुष्टात्मा केँ बहरयबाक आज्ञा दऽ कऽ लड़का केँ ठीक कऽ देलथिन, आ ओकरा अपना बाबू केँ जिम्मा मे दऽ देलथिन। 43 परमेश्वरक सामर्थ्य और महानता केँ देखि कऽ सभ केओ आश्चर्य-चकित रहि गेल। लोक सभ यीशुक काज सभ देखि आश्चर्य मानैत छल, मुदा यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 44 “हम जे बात कहऽ जा रहल छी, अहाँ सभ ताहि बात पर ठीक सँ ध्यान दिअ—मनुष्य-पुत्र पकड़बा कऽ लोकक हाथ मे सौंपल जायत।” 45 मुदा ओ सभ हुनकर कहबाक अर्थ नहि बुझलनि। हुनका सभ सँ एहि बातक अर्थ नुकायल रहलनि, ताहि सँ नहि बुझि सकलाह, और ओ सभ हुनका सँ एहि सम्बन्ध मे पुछऽ सँ डेराइत छलाह। 46 शिष्य सभ मे एहि बातक विवाद होमऽ लगलनि जे, हमरा सभ मे सभ सँ पैघ के अछि? 47 यीशु हुनका सभक विचार बुझि एकटा छोट बच्चा केँ अपना लग मे ठाढ़ कयलनि 48 और शिष्य सभ केँ कहलथिन, “जे केओ हमरा नाम सँ एहि बच्चा केँ स्वीकार करैत अछि, से हमरे स्वीकार करैत अछि, और जे हमरा स्वीकार करैत अछि से हमरे नहि, बल्कि तिनको स्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौने छथि। हँ, अहाँ सभ मे जे सभ सँ छोट होइ, सैह सभ सँ पैघ भेलहुँ।” 49 तखन यूहन्ना बजलाह, “मालिक, हम सभ एक आदमी केँ अहाँक नाम लऽ कऽ दुष्टात्मा निकालैत देखलहुँ, और ओकरा रोकबाक प्रयत्न कयलहुँ किएक तँ ओ हमरा सभक संग अहाँक शिष्य नहि अछि।” 50 यीशु उत्तर देलथिन, “हुनका नहि रोकिऔन, कारण जे अहाँक विरोध मे नहि अछि से अहाँक पक्ष मे अछि।” 51 जखन यीशु केँ स्वर्ग मे उठाओल जयबाक समय लगचिआय लगलनि तँ ओ यरूशलेम जयबाक दृढ़ निश्चय कयलनि, 52 और अपना सँ आगाँ किछु आदमी केँ पठौलथिन। ओ सभ विदा भऽ कऽ एक सामरी गाम मे हुनका लेल तैयारी करबाक लेल गेलाह। 53 मुदा ओहिठामक लोक सभ यीशुक स्वागत नहि कयलकनि, किएक तँ ओ यरूशलेम जा रहल छलाह। 54 ई बात जखन हुनकर शिष्य याकूब और यूहन्ना देखलनि तँ बाजि उठलाह, “की प्रभु, हम सभ आज्ञा दऽ कऽ एकरा सभ केँ नष्ट करबाक लेल आकाश सँ आगि बरिसाउ?” 55 मुदा ओ हुनका सभक दिस घूमि कऽ डँटलथिन, 56 और ओ सभ दोसर गाम चल गेलाह। 57 रस्ता मे चलैत काल एक आदमी यीशु केँ कहलकनि, “अपने जतऽ कतौ जायब, ततऽ हमहूँ अपनेक संग चलब।” 58 यीशु ओकरा उत्तर देलथिन, “नढ़िया केँ सोन्हि छैक और आकाशक चिड़ै केँ खोंता, मुदा मनुष्य-पुत्र केँ मूड़िओ नुकयबाक जगह नहि छैक।” 59 दोसर आदमी केँ यीशु कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” मुदा ओ उत्तर देलकनि, “प्रभु, हमरा पहिने जा कऽ अपना बाबूक लास केँ गाड़ि आबऽ दिअ।” 60 यीशु कहलथिन, “मुरदे सभ केँ अपन मुरदा गाड़ऽ दिऔक। अहाँ जा कऽ परमेश्वरक राज्यक प्रचार करू।” 61 फेर दोसर कहलकनि, “प्रभुजी, हम अहाँक संग आयब। मुदा हमरा पहिने अपना परिवार सँ विदा लेबऽ दिअ।” 62 यीशु उत्तर देलथिन, “जे केओ हऽर पर हाथ राखि कऽ पाछाँ देखैत अछि से परमेश्वरक राज्यक योग्य नहि अछि।”
1 एहि सभक बाद प्रभु बहत्तरि आरो व्यक्ति केँ नियुक्त कयलथिन और हुनका सभ केँ दू-दू गोटे कऽ प्रत्येक नगर आ गाम मे पठा देलथिन जतऽ-जतऽ ओ अपने जाय वला छलाह। 2 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “पाकल फसिल तँ बहुत अछि, मुदा काटऽ वला मजदूर कम अछि। तेँ खेतक मालिक सँ प्रार्थना करिऔन जे ओ अपना खेत मे आरो मजदूर पठबथि। 3 अहाँ सभ आब जाउ। हम अहाँ सभ केँ जंगली जानबर सभक बीच मे भेँड़ी जकाँ पठा रहल छी। 4 अपना संग ने बटुआ लिअ आ ने झोरा आ ने जुत्ता; रस्ता मे ककरो सँ हाल-समाचार पुछबाक लेल नहि रूकू। 5 जखन कोनो घर मे प्रवेश करब, तँ पहिने ई कहिऔक, ‘एहि घर मे शान्ति होअय।’ 6 जँ ओतऽ केओ शान्तिक पात्र होयत तँ अहाँक आशीर्वाद ओकरा पर बनल रहतैक, अन्यथा अहाँ लग घूमि आओत। 7 वासक लेल घर-घर नहि घुमू, और जे किछु ओ सभ अहाँ सभ केँ देत से खाउ-पीबू, कारण मजदूर केँ मजदूरी तँ भेटबाक चाही। 8 “हँ, जखन कोनो नगर मे प्रवेश कयलाक बाद स्वागत होइत अछि तँ जे किछु अहाँक सामने राखल जाय से खाउ। 9 ओतुक्का बिमार लोक सभ केँ ठीक करू, और लोक सभ केँ कहिऔक जे, परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक लग मे आबि गेल अछि। 10 मुदा जखन कोनो नगर मे जायब और ओहि ठामक लोक सभ अहाँ सभक स्वागत नहि करय तँ ओहि नगरक सड़क-गली सभ मे जा कऽ कहिऔक, 11 ‘अहाँ सभक नगरक गर्दो जे हमरा सभक पयर मे लागल अछि से अहाँ सभक विरोध मे झाड़ैत छी। तैयो ई बात जानि लिअ जे परमेश्वरक राज्य लग मे आबि गेल अछि।’ 12 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, न्यायक दिन मे ओहि नगर सँ सदोम नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 13 “है खुराजीन नगर, तोरा धिक्कार छौक! हे बेतसैदा नगर, तोरा धिक्कार छौक! जे चमत्कार सभ तोरा सभक बीच कयल गेल, से जँ सूर और सीदोन नगर सभ मे कयल गेल रहैत तँ ओहिठामक निवासी सभ बहुत पहिनहि चट्टी ओढ़ि और छाउर पर बैसि अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन कऽ लेने रहैत। 14 न्यायक दिन मे तोरा सभक अपेक्षा सूर आ सीदोन नगरक दशा सहबा जोगरक रहतैक। 15 और हे कफरनहूम नगर! की तोँ स्वर्ग तक उठाओल जयबेँ? नहि! तोँ तँ पाताल मे खसाओल जयबेँ। 16 “जे केओ अहाँ सभक बात सुनैत अछि से हमर बात सुनैत अछि। जे केओ अहाँ सभ केँ अस्वीकार करैत अछि, से हमरा अस्वीकार करैत अछि, और जे केओ हमरा अस्वीकार करैत अछि से तिनका अस्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौलनि।” 17 ओ बहत्तरि लोक सभ जखन अपन प्रचारक काज कऽ कऽ अयलाह तँ बहुत खुशीपूर्बक बजलाह, “प्रभुजी, अहाँक नामक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ सेहो हमरा सभक बात मानलक।” 18 यीशु उत्तर देलथिन, “हम शैतान केँ बिजुली जकाँ आकाश सँ खसैत देखलहुँ। 19 हँ, हम अहाँ सभ केँ साँप और बीछ केँ पिचबाक सामर्थ्य और शत्रुक समस्त शक्ति पर अधिकार देने छी। कोनो वस्तु अहाँ सभक हानि नहि कऽ सकत। 20 तैयो, एहि लेल आनन्द नहि मनाउ जे दुष्टात्मा सभ अहाँ सभक बात मानैत अछि, बल्कि एही लेल आनन्दित होउ जे अहाँ सभक नाम स्वर्ग मे लिखायल अछि।” 21 तखने यीशु पवित्र आत्मा सँ अत्यन्त आनन्दित भऽ कऽ बजलाह, “हे पिता, स्वर्ग आ पृथ्वीक मालिक, हम अहाँ केँ एहि लेल धन्यवाद दैत छी जे अहाँ ई बात सभ बुद्धिमान और विद्वान सभ सँ नुका कऽ रखलहुँ मुदा बच्चा सभ पर प्रगट कयलहुँ। हँ पिता, कारण, अहाँ केँ एही बात सँ प्रसन्नता भेल। 22 “हमरा पिता द्वारा सभ किछु हमरा हाथ मे सौंपल गेल अछि। पुत्र के छथि, से पिता केँ छोड़ि आरो केओ नहि जनैत अछि, और पिता के छथि, सेहो केओ नहि जनैत अछि—मात्र पुत्र और जकरा सभ पर पुत्र हुनका प्रगट करऽ चाहय, से जनैत अछि।” 23 तखन ओ अपना शिष्य सभक दिस घूमि कऽ नहुएँ जोर सँ कहलथिन, “अहाँ सभ धन्य छी जे, जे बात सभ देखि रहल छी से देखि पौलहुँ। 24 कारण, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे अपना समय मे एहन बहुत राजा और परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनि रहथि, जे सभ चाहलनि जे, जाहि बात सभ केँ अहाँ सभ देखि रहल छी, तकरा देखी, मुदा नहि देखलनि; और जे बात सभ अहाँ सभ सुनि रहल छी, से सुनी, मुदा नहि सुनलनि।” 25 एक बेर धर्म-नियमक एक पंडित उठि कऽ यीशु केँ जँचबाक लेल पुछलथिन, “गुरुजी, अनन्त जीवन प्राप्त करबाक लेल हम की करू?” 26 यीशु उत्तर देलथिन, “धर्म-नियम मे की लिखल अछि? ओहि मे की पढ़ैत छी?” 27 ओ कहलथिन, “ ‘तोँ अपन प्रभु-परमेश्वर केँ अपन सम्पूर्ण मोन सँ, अपन सम्पूर्ण आत्मा सँ, अपन सम्पूर्ण शक्ति सँ और अपन सम्पूर्ण बुद्धि सँ प्रेम करह,’ और ‘तोँ अपना पड़ोसी केँ अपने जकाँ प्रेम करह।’” 28 यीशु कहलथिन, “अहाँ ठीक कहलहुँ। एना करू तँ जीवन पायब।” 29 मुदा ओ अपना केँ ठीक ठहरयबाक उद्देश्य सँ यीशु सँ पुछलथिन, “तँ हमर पड़ोसी के अछि?” 30 यीशु उत्तर देलथिन, “एक आदमी यरूशलेम सँ यरीहो नगर जा रहल छल कि डाकू सभ आबि कऽ ओकरा घेरि लेलकैक। ओकरा नाङट कऽ कऽ आ मारैत-मारैत अधमरू बना कऽ छोड़ि देलकैक। 31 संयोग सँ एक पुरोहित ओहि रस्ता सँ जा रहल छलाह। ओ जखन ओहि आदमी केँ देखलनि तँ रस्ता काटि कऽ आगाँ बढ़ि गेलाह। 32 तहिना मन्दिरक एक सेवक जखन ओहि स्थान पर अयलाह आ ओकरा देखलनि तँ ओहो रस्ता काटि कऽ आगाँ बढ़ि गेलाह। 33 मुदा सामरी जातिक एक आदमी जे ओहि दने जाइत रहय से ओकरा देखि कऽ दया सँ भरि गेल। 34 ओ ओकरा लग जा कऽ ओकर घाव सभ पर तेल और दारू लगा कऽ पट्टी बान्हि देलकैक। तखन ओकरा अपना गदहा पर बैसा कऽ एकटा सराय मे लऽ गेल और ओहिठाम ओकर सेवा कयलकैक। 35 प्रात भेने ओ दू चानीक रुपैया निकालि कऽ सरायक मालिक केँ दऽ कऽ कहलकनि, ‘हिनकर देखभाल करिऔन। एहि सँ बेसी जे खर्च पड़त से हम घुमती काल मे अहाँ केँ दऽ देब।’ 36 आब अहाँक विचार सँ, एहि तीनू मे सँ डाकू सभक हाथ मे पड़ल आदमीक पड़ोसी अपना केँ के बुझलक?” 37 धर्म-नियमक पंडित उत्तर देलथिन, “जे ओकरा पर दया कयलकैक, से।” यीशु कहलथिन, “अहूँ जा कऽ एहिना करू।” 38 यीशु और हुनकर शिष्य सभ आगाँ बढ़ि कऽ एक गाम मे अयलाह जतऽ मार्था नामक एक स्त्री अपना ओहिठाम हुनकर अतिथि-सत्कार कयलथिन। 39 ओहि स्त्री केँ मरियम नामक एकटा बहिन छलनि। ओ यीशुक पयर लग बैसि हुनकर बात सुनि रहल छलीह। 40 मुदा मार्था सेवा-सत्कारक भार सँ चिन्तित छलीह। ओ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “प्रभु, अहाँ केँ कनेको चिन्ता नहि अछि जे हमर बहिन सभटा काज करऽ लेल हमरा असगरे छोड़ि देने अछि? ओकरा हमर मदति करबाक लेल कहिऔक!” 41 प्रभु उत्तर देलथिन, “मार्था, अए मार्था! अहाँ बहुत बातक लेल चिन्तित छी, 42 मुदा बात एकेटा जरूरी अछि। मरियम वैह नीक बात चुनि लेने अछि और ओकरा सँ ओ नहि छिनल जयतैक।”
1 एक दिन यीशु कोनो स्थान पर प्रार्थना कऽ रहल छलाह। जखन ओ प्रार्थना समाप्त कयलनि तखन हुनकर एक शिष्य कहलथिन, “प्रभु, जहिना यूहन्ना अपना शिष्य सभ केँ प्रार्थना कयनाइ सिखौलनि, तहिना अहूँ हमरा सभ केँ सिखाउ।” 2 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जखन अहाँ सभ प्रार्थना करब तँ एना कहू— हे पिता, अहाँक नाम पवित्र मानल जाय। अहाँक राज्य आबय। 3 हमरा सभ केँ प्रत्येक दिन भोजन दिअ, जे दिन प्रति दिन हमरा सभक लेल आवश्यक अछि। 4 हमरा सभक पाप क्षमा करू, किएक तँ हमहूँ सभ तकरा सभ केँ क्षमा करैत छी जे सभ हमरा सभक संग अपराध करैत अछि। और हमरा सभ केँ पाप मे फँसाबऽ वला बात सँ दूर राखू।” 5 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “मानि लिअ जे अहाँ सभ मे सँ ककरो कोनो संगी होइक और ओ ओहि संगीक ओहिठाम दुपहरिया राति मे जा कऽ कहैक जे, ‘यौ मित्र, हमरा तीनटा रोटी दिअ। 6 कारण, हमर एक मित्र जे यात्रा पर छथि से हमरा ओतऽ एखने अयलाह अछि और हुनका भोजन करयबाक लेल हमरा लग किछु नहि अछि।’ 7 तँ की भीतर सँ ओकर संगी उत्तर देतैक जे, ‘हमरा तंग नहि करू। केबाड़ लागल अछि और धिआ-पुता सभ हमरा लग सुतल अछि। हम अहाँ केँ किछु देबाक लेल नहि उठि सकैत छी।’? 8 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ओ जँ ओकर संगी रहबाक कारणेँ उठि कऽ रोटी नहि देतैक तैयो ओकरा निःसंकोच भऽ कऽ मँगबाक कारणेँ ओ उठि कऽ ओकरा जतेक आवश्यकता छैक ततेक देतैक। 9 हँ, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, माँगू तँ अहाँ केँ देल जायत। ताकू तँ अहाँ केँ भेटत। ढकढकाउ तँ अहाँक लेल खोलल जायत। 10 कारण, जे केओ मँगैत अछि, से प्राप्त करैत अछि। जे केओ तकैत अछि, तकरा भेटैत छैक। और जे केओ ढकढकबैत अछि, तकरा लेल खोलल जाइत छैक। 11 “अहाँ सभ मे सँ के एहन बाबू छी जे, बेटा जँ माछ माँगय तँ तकरा बदला मे साँप दिऐक? 12 वा जँ अण्डा माँगय तँ बीछ दिऐक? 13 जखन अहाँ सभ पापी होइतो अपना बच्चा सभ केँ नीक वस्तु सभ देनाइ जनैत छी, तँ अहाँ सभ सँ बढ़ि कऽ अहाँ सभक पिता जे स्वर्ग मे छथि, से मँगनिहार सभ केँ अपन पवित्र आत्मा किएक नहि देथिन?” 14 एक बेर यीशु एक बौक दुष्टात्मा केँ एक आदमी मे सँ निकालि रहल छलाह। दुष्टात्मा जखन निकलि गेल तँ बौक आदमी बाजऽ लागल। ई देखि लोक सभ चकित भऽ गेल। 15 मुदा कतेक गोटे कहऽ लागल, “ई तँ दुष्टात्मा सभक मुखिया बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा सभ केँ निकालैत अछि।” 16 दोसर लोक हुनका जाँच करबाक लेल स्वर्ग सँ कोनो चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखयबाक लेल कहलकनि। 17 मुदा यीशु ओकरा सभक विचार बुझि कऽ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जाहि राज्य मे फूट पड़ि जाय, से उजड़ि जाइत अछि, और जाहि परिवार मे फूट भऽ जाय से नष्ट भऽ जाइत अछि। 18 शैतान जँ स्वयं अपन विरोधी भऽ जाय तँ ओकर राज्य कोना टिकल रहतैक? हम ई बात एहि लेल कहैत छी जे अहाँ सभक कथन अछि जे हम दुष्टात्मा सभ केँ बालजबूलक शक्ति सँ निकालैत छी। 19 जँ हम बालजबूलक शक्ति सँ दुष्टात्मा निकालैत छी तँ अहाँ सभक चेला सभ ककरा शक्ति सँ निकालैत अछि? वैह सभ अहाँ सभक फैसला करत। 20 मुदा जँ हम परमेश्वरक शक्ति सँ दुष्टात्मा निकालैत छी तँ ई जानि लिअ जे परमेश्वरक राज्य अहाँ सभ लग पहुँचि गेल अछि। 21 “जखन कोनो बलगर आदमी हाथ-हथियार सँ लैस भऽ कऽ अपन घरक रखबारी करैत अछि तँ ओकर धन-सम्पत्ति सुरक्षित रहैत छैक। 22 मुदा जखन ओकरो सँ बलगर कोनो दोसर आदमी ओकरा पर आक्रमण कऽ कऽ ओकरा पराजित करैत छैक, तँ ओ ओकर सभ हथियार जाहि पर ओकरा पूरा भरोसा रहैत छैक, से छिनि लैत अछि आ ओकर सम्पत्ति लुटि कऽ अपना संगी सभ मे बाँटि दैत अछि। 23 “जे हमरा संग नहि अछि से हमरा विरोध मे अछि; जे हमरा संग जमा नहि करैत अछि से छिड़िअबैत अछि। 24 “जखन दुष्टात्मा कोनो आदमी मे सँ बहरा जाइत अछि तँ ओ दुष्टात्मा मरुभूमि मे आराम करबाक स्थानक खोज मे घुमैत रहैत अछि, मुदा ओकरा भेटैत नहि छैक। तखन ओ कहैत अछि, ‘हम अपन पहिलुके घर मे, जतऽ सँ बहरा कऽ आयल छलहुँ ततहि फेर जायब।’ 25 ओ जखन ओहिठाम पहुँचैत अछि और देखैत अछि जे ओ घर झाड़ल-बहारल साफ-सुथरा अछि, 26 तँ ओ जा कऽ अपनो सँ दुष्टाह सातटा आरो दुष्टात्मा केँ लऽ अनैत अछि आ ओ सभ ओहि घर मे अपन डेरा खसा लैत अछि। एहि तरहेँ ओहि आदमीक ई दशा पहिलुको दशा सँ खराब भऽ जाइत छैक।” 27 यीशु ई बात सभ कहिए रहल छलाह कि भीड़ मे एक स्त्री जोर सँ बाजि उठलि, “धन्य छथि ओ स्त्री जे अहाँ केँ जन्म देलनि और दूध पियौलनि!” 28 यीशु उत्तर देलथिन, “हँ, मुदा ताहू सँ धन्य छथि ओ सभ जे परमेश्वरक वचन सुनैत छथि और तकर पालन करैत छथि।” 29 जखन यीशुक चारू कात लोकक भीड़ बढ़ि गेल तँ ओ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “एहि पीढ़ीक लोक कतेक दुष्ट अछि! कारण, ई चमत्कार वला चिन्ह मँगैत अछि, मुदा जे घटना परमेश्वरक प्रवक्ता योनाक संग भेल छलनि, से चिन्ह छोड़ि कऽ एकरा सभ केँ आरो कोनो चिन्ह नहि देखाओल जयतैक। 30 जहिना योना निनवे नगरक निवासी सभक लेल चिन्ह बनलाह, तहिना मनुष्य-पुत्र एहि पीढ़ीक लेल चिन्ह रहत। 31 दक्षिण देशक रानी एहि पीढ़ीक लोकक संग न्यायक दिन मे ठाढ़ भऽ कऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहरौतीह, किएक तँ ओ सुलेमान राजाक बुद्धिक बात सभ सुनबाक लेल पृथ्वीक दोसर कात सँ अयलीह, और हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, एतऽ एखन केओ एहन अछि जे सुलेमानो सँ महान् अछि। 32 निनवेक निवासी सभ न्यायक दिन मे एहि पीढ़ीक लोकक संग ठाढ़ भऽ कऽ एकरा सभ केँ दोषी ठहराओत, किएक तँ ओ सभ योनाक प्रचार सुनि कऽ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलक, और हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, एतऽ एखन केओ एहन अछि जे योनो सँ महान् अछि। 33 “केओ डिबिया लेसि कऽ ओकरा नुका कऽ नहि रखैत अछि, आ ने पथिया सँ झँपैत अछि। ओ ओकरा लाबनि पर रखैत अछि, जाहि सँ भीतर आबऽ वला लोक सभ केँ इजोत भेटैक। 34 शरीरक डिबिया अहाँक आँखि भेल। जखन आँखि ठीक अछि तँ अहाँक सम्पूर्ण शरीर इजोत मे रहैत अछि, मुदा जखन अहाँक आँखि खराब अछि तँ सम्पूर्ण शरीर अन्हार मे अछि। 35 तेँ सावधान रहू जे कतौ अहाँक भितरी इजोत अन्हार नहि बनि जाय। 36 एहि लेल जँ अहाँक सौंसे शरीर इजोत मे अछि, कोनो अंग अन्हार मे नहि अछि, तँ ओ पूर्ण रूप सँ इजोत सँ चमकत, जहिना डिबिया अपना प्रकाश सँ अहाँ केँ आलोकित करैत अछि।” 37 यीशु जखन ई सभ बात कहब समाप्त कयलनि, तँ हुनका एक फरिसी भोजनक लेल निमन्त्रण देलथिन। यीशु हुनका ओहिठाम गेलाह आ भोजन करबाक लेल भीतर मे बैसलाह। 38 ई देखि जे यीशु भोजन करऽ सँ पहिने रीतिक अनुसार हाथ-पयर नहि धोलनि, फरिसी केँ बड्ड आश्चर्य लगलनि। 39 मुदा प्रभु हुनका कहलथिन, “अहाँ फरिसी सभ थारी-बाटी सभ केँ बाहर-बाहर तँ मँजैत छी, मुदा भीतर अहाँ सभ लोभ और दुष्टता सँ भरल छी। 40 है मूर्ख सभ! जे बाहरक भाग बनौलनि, की से भीतरको भाग नहि बनौलनि? 41 अहाँ सभक बाटी मे जे किछु अछि से गरीब सभ केँ दान करिऔक, तखन अहाँ सभक लेल सभ किछु शुद्ध होयत। 42 “यौ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ सभ पुदीना, मसल्ला और छोट सँ छोट साग-पात सभक दसम अंश तँ परमेश्वर केँ अर्पण करैत छी, मुदा न्याय और परमेश्वरक प्रेम सँ कोनो मतलब नहि रखैत छी। होयबाक तँ ई चाहैत छल जे ओ सभ बात करैत परमेश्वरक प्रेम और न्याय पर ध्यान दितहुँ। 43 “यौ फरिसी सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पर बैसब और हाट-बजार मे लोकक प्रणाम स्वीकार करब अहाँ सभ केँ बहुत नीक लगैत अछि। 44 “हँ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ बिनु चिन्हक कबर सनक छी जाहि पर लोक बिनु बुझने चलैत-फिरैत अछि।” 45 एहि पर धर्म-नियमक एक पंडित यीशु केँ उत्तर देलथिन, “गुरुजी, एहन बात सभ कहि कऽ अहाँ हमरो सभक अपमान करैत छी।” 46 यीशु कहलथिन, “हँ, अहूँ सभ जे धर्म-नियमक पंडित छी, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! अहाँ सभ लोक सभ पर तेहन बोझ लादि दैत छिऐक जे ओ सभ सहि नहि सकैत अछि और ओकरा सभ केँ बोझ उठाबऽ मे आङुरो भिड़ा कऽ मदति नहि करैत छिऐक। 47 “धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ सभ परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभक कबर पर चबुतराक निर्माण करैत छी जिनका अहाँ सभक पूर्वज सभ जान सँ मारि देलकनि। 48 एहि तरहेँ अहाँ सभ स्पष्ट करैत छी जे अपना पूर्वज सभक काज सँ सहमत छी। ओ सभ हुनका सभ केँ मारि देलकनि और अहाँ सभ हुनकर सभक कबर बनबैत छी। 49 एहि कारणेँ सर्वज्ञानी परमेश्वर कहलनि, ‘हम ओकरा सभक ओहिठाम अपन प्रवक्ता और दूत लोकनि केँ पठयबैक। ओ सभ हिनका सभ मे सँ कतेको गोटे केँ मारि देतनि और कतेको गोटे केँ सतौतनि।’ 50 तेँ सृष्टिक आरम्भ सँ परमेश्वरक जतेक प्रवक्ताक खून बहाओल गेल अछि तकर लेखा एहि पीढ़ीक लोक सँ लेल जायत, 51 अर्थात् हाबिलक खून सँ लऽ कऽ, मन्दिरक बलि-वेदी और ‘पवित्र स्थान’क बीच मे मारल गेल जकरयाहक खून धरिक लेखा। हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे तकर पूरा लेखा एही पीढ़ीक लोक सँ लेल जायत। 52 “यौ धर्म-नियमक पंडित सभ, धिक्कार अछि अहाँ सभ केँ! कारण, अहाँ सभ ओ कुंजी छिनि कऽ रखने छी जे ज्ञानक द्वारि खोलैत अछि। अहाँ सभ अपनो नहि प्रवेश कयलहुँ, और जे सभ प्रवेश कऽ रहल छल तकरो सभ केँ रोकि देलिऐक।” 53 जखन यीशु ओहिठाम सँ चल गेलाह तँ फरिसी और धर्मशिक्षक सभ हुनकर कड़ा विरोध करऽ लागल। ओ सभ एहि बातक घात लगा कऽ हुनका सँ विभिन्न विषय मे प्रश्न करऽ लगलनि जे हुनकर कोनो कहल बात द्वारा हुनका फँसाबी।
1 एम्हर हजारो-हजार लोकक भीड़ जुटि गेल, एतऽ तक जे लोक सभ एक-दोसर सँ पिचाय लागल। तखन यीशु सभ सँ पहिने अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “फरिसी सभक रोटी फुलाबऽ वला खमीर सँ सावधान रहू—हमर कहबाक अर्थ अछि, हुनका सभक कपटपन सँ। 2 एहन किछु नहि अछि जे झाँपल होअय आ उघारल नहि जायत, वा जे नुकाओल होअय आ प्रगट नहि कयल जायत। 3 अहाँ जे किछु अन्हार मे कहने छी से इजोत मे सुनल जायत, और जे किछु बन्द कयल कोठली मे कानो-कान फुसफुसा कऽ बाजल छी, से छत पर सँ घोषणा कयल जायत। 4 “हे हमर मित्र सभ, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, तकरा सभ सँ नहि डेराउ जे सभ शरीर केँ मारि दैत अछि मुदा आओर किछु नहि कऽ सकैत अछि। 5 किनका सँ डेराइ से हम कहैत छी—तिनका सँ डेराउ, जिनका अहाँक शरीर केँ मारि देलाक बाद अहाँ केँ नरको मे फेकबाक अधिकार छनि। हँ, हुनके सँ डेराउ! 6 की दू पाइ मे पाँचटा बगेड़ी नहि बिकाइत अछि? तैयो परमेश्वर ओकरा सभ मे सँ एकोटा केँ नहि बिसरैत छथि। 7 हँ, अहाँ सभक माथक एक-एकटा केशो गनल अछि। नहि डेराउ—अहाँ सभ बहुतो बगेड़ी सँ मूल्यवान छी! 8 “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जे केओ मनुष्यक सामने हमरा अपन प्रभु मानि लेत, तकरो मनुष्य-पुत्र परमेश्वरक स्वर्गदूत सभक सामने अपन लोक मानि लेतैक। 9 मुदा जे केओ मनुष्यक सामने हमरा अस्वीकार करत, तकरो हम परमेश्वरक स्वर्गदूत सभक सामने अस्वीकार करबैक। 10 और जे केओ मनुष्य-पुत्रक विरोध मे कोनो बात कहत, तकरा क्षमा कयल जयतैक, मुदा जे केओ पवित्र आत्माक निन्दा करत, तकरा क्षमा नहि कयल जयतैक। 11 “जखन लोक सभ अहाँ सभ केँ सभाघर, शासक सभ और अधिकारी सभक समक्ष लऽ जायत, तँ एकर चिन्ता नहि करू जे हम अपन वयान मे की उत्तर देबैक वा की कहबैक, 12 किएक तँ पवित्र आत्मा ओही घड़ी अहाँ सभ केँ सिखा देताह जे की कहबाक चाही।” 13 तखन भीड़ मे सँ केओ यीशु केँ कहलकनि, “यौ गुरुजी, हमरा भैया केँ हमरा संग बाबूक सम्पत्तिक बटबारा करबाक लेल कहिऔन।” 14 मुदा ओ उत्तर देलथिन, “हौ भाइ, हमरा तोहर सभक पंच वा बटबारा करऽ वला के बनौलक?” 15 तखन ओ लोक सभ केँ कहलथिन, “सावधान! सभ तरहक लोभ सँ बाँचल रहू! कारण, मनुष्यक जीवन ओकर धन-सम्पत्ति पर निर्भर नहि रहैत छैक, ओ चाहे कतबो धनिक होअय।” 16 तखन ओ ओकरा सभ केँ ई दृष्टान्त दऽ कऽ कहलथिन, “कोनो धनी आदमीक खेत मे बहुत उपजा भेलैक। 17 ओ मोने-मोन सोचलक जे, ‘आब हम की करू? हमरा लग अपन अन्न रखबाक लेल जगहे नहि अछि।’ 18 तखन सोचलक, ‘हम एना करब—ई सभ बखारी तोड़ि कऽ आरो नमहर-नमहर बना लेब, और ओही सभ मे हम अपन सभ अन्न और धन-सम्पत्ति राखब। 19 तखन हम अपना केँ कहब, ले, तोरा बहुते वर्षक लेल सम्पत्ति राखल छौ। आब आराम कर, खो-पी और आनन्द कर!’ 20 मुदा परमेश्वर ओकरा कहलथिन, ‘है मूर्ख, आइए राति तोहर प्राण तोरा सँ लऽ लेल जयतौ। तखन अपना लेल एतेक जे जमा कऽ लेलें, से ककर होयतैक?’” 21 यीशु आगाँ कहलथिन, “एहने दशा तकरा होयतैक जे केओ अपना लेल धन जुटबैत अछि मुदा परमेश्वरक नजरि मे धनिक नहि अछि।” 22 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, प्राणक लेल चिन्ता नहि करू जे हम की खायब, आ ने शरीरक लेल चिन्ता करू जे की पहिरब। 23 कारण, प्राण भोजन सँ महत्वपूर्ण अछि आ शरीर वस्त्र सँ। 24 कौआ केँ देखू। ओ सभ ने बाउग करैत अछि आ ने कटनी। ओकरा सभ केँ ने कोठी छैक आ ने बखारी। तैयो परमेश्वर ओकरा सभ केँ खुअबैत छथिन। और अहाँ सभ तँ चिड़ै सभ सँ कतेक मूल्यवान छी! 25 अहाँ सभ मे सँ के चिन्ता कऽ कऽ अपन उमेर केँ एको पल बढ़ा सकैत छी? 26 जँ ई छोट सँ छोट बात नहि कऽ सकैत छी, तँ आओर बातक चिन्ता किएक करैत छी? 27 “मैदानक फूल सभ केँ देखू, जे कोना बढ़ैत अछि। ओ सभ ने खटैत अछि आ ने चर्खा कटैत अछि। तैयो हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, राजा सुलेमान सेहो अपन राजसी वस्त्र पहिरि कऽ एहि फूल सन सुन्दर नहि लगैत छलाह। 28 परमेश्वर जँ घास केँ, जे आइ मैदान मे अछि और काल्हि आगि मे फेकल जायत, एहि प्रकारेँ हरियरी सँ भरल रखैत छथि, तँ ओ अहाँ सभ केँ आओर किएक नहि पहिरौताह-ओढ़ौताह? अहाँ सभ केँ कतेक कम विश्वास अछि! 29 तेँ अहाँ सभ अपन मोन एहि सोच मे नहि लगौने रहू जे, हम की खायब और की पीब। एकर चिन्ता मे नहि लागल रहू। 30 एहि संसारक लोक सभ, जे परमेश्वर केँ नहि चिन्हैत छनि, से सभ एहि बात सभक पाछाँ दौड़ैत रहैत अछि। अहाँ सभक पिता तँ जनैत छथि जे अहाँ सभ केँ एहि बात सभक आवश्यकता अछि। 31 नहि! परमेश्वरक राज्य पर मोन लगाउ, और इहो वस्तु सभ अहाँ केँ देल जायत। 32 “हे हमर भेँड़ाक छोट समूह, नहि डेराउ, किएक तँ अहाँ सभक पिता खुशी सँ अपन राज्य अहाँ सभ केँ देबाक निर्णय कऽ लेने छथि। 33 अपन सम्पत्ति बेचि कऽ गरीब सभ केँ दिअ। अपना लेल एहन बटुआ बना लिअ जे कहियो नहि पुरान होइत अछि, स्वर्ग मे धन जमा करू जे कहियो घटैत नहि अछि, जकरा ने चोर छुबि सकैत अछि आ ने कीड़ा नोकसान कऽ सकैत अछि। 34 कारण, जतऽ अहाँक धन अछि ततहि अहाँक मोनो लागल रहत। 35 “अहाँ सभ अपन डाँड़ कसने रहू, और डिबिया लेसने रहू। 36 ओहि नोकर सभ जकाँ रहू जे अपना मालिकक बाट ताकि रहल अछि जे, ओ विवाहक भोज खा कऽ कखन औताह जाहि सँ जखने आबि केबाड़ खटखटौताह तँ तुरत्ते खोलि दियनि। 37 कतेक नीक ओहि नोकर सभक लेल होयतैक, जकरा सभ केँ मालिक अयला पर प्रतीक्षा करैत पौताह। हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, मालिक अपन फाँड़ बान्हि कऽ ओकरा सभ केँ भोजन करबाक लेल बैसौथिन, और अपने सँ ओकरा सभ केँ परसि कऽ खुऔथिन। 38 हँ, ओहि नोकर सभक लेल कतेक नीक होयत, जकरा सभ केँ मालिक रातिक दोसरो वा तेसरो पहर मे आबि कऽ तैयार पौथिन। 39 मुदा ई बात जानि लिअ जे, घरक मालिक जँ बुझने रहैत जे चोर कय बजे आबि रहल अछि, तँ ओ अपना घर मे सेन्ह नहि काटऽ दैत। 40 अहूँ सभ सदिखन तैयार रहू, कारण मनुष्य-पुत्र एहने समय मे आबि जयताह जाहि समयक लेल अहाँ सभ सोचबो नहि करब जे ओ एखन औताह।” 41 पत्रुस पुछलथिन, “प्रभु, की ई दृष्टान्त अहाँ हमरे सभक लेल कहि रहल छी, वा सभक लेल?” 42 प्रभु उत्तर देलथिन, “तँ के अछि ओहन विश्वासपात्र आ बुद्धिमान भण्डारी जकरा मालिक अपना नोकर-चाकर सभक मुखिया बना दैत छथि जे ओ निश्चित समय पर ओकरा सभ केँ निर्धारित भोजन दैक? 43 ओहि सेवकक लेल कतेक नीक होयत, जकरा मालिक आबि कऽ ओहिना करैत पौताह। 44 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, मालिक अपन सम्पूर्ण सम्पत्तिक जबाबदेही ओकरा जिम्मा मे दऽ देथिन। 45 मुदा जँ ओ सेवक अपना मोन मे सोचऽ लागय जे, ‘हमर मालिक आबऽ मे बहुत देरी कऽ रहल अछि,’ और ओ नोकर-नोकरनी सभ केँ मारऽ-पिटऽ लागय आ खाय-पिबऽ मे लागि कऽ मातल रहऽ लागय, 46 तँ ओकर मालिक एहन दिन मे घूमि औताह जहिया ओ हुनकर बाट नहि तकैत रहत आ एहन समय मे औताह जकरा ओ नहि जानत। मालिक ओकरा खण्डी-खण्डी कऽ देथिन और ओकर अन्त ओहन होयतैक जे अविश्वासी सभक होइत छैक। 47 “ओ सेवक जे अपन मालिकक इच्छा तँ जनैत अछि मुदा तकरा पूरा करबाक लेल किछु नहि करैत अछि, से बहुत मारि खायत। 48 मुदा जे नहि जनैत अछि आ तखन मारि खाय जोगरक काज करैत अछि, से कम मारि खायत। जकरा बहुत देल गेल छैक, तकरा सँ बहुत माँगलो जयतैक, आ जतेक आओर बेसी ककरो देल गेल छैक, ततेक आओर फेर ओकरा घुमाबऽ पड़तैक। 49 “हम पृथ्वी पर आगि लगाबऽ आयल छी, और हमरा बड्ड इच्छा अछि जे ओ एखने सुनगि गेल रहैत। 50 मुदा हमरा एकटा बड़का कष्ट भोगबाक अछि, और जाबत तक ओ बात पूर्ण नहि होयत, ताबत तक हम कतेक व्याकुल छी! 51 की अहाँ सभ सोचैत छी जे हम पृथ्वी पर मेल-मिलाप करयबाक लेल आयल छी? नहि! हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, मेल-मिलाप नहि, बल्कि फूट! 52 आब सँ एके परिवार मे पाँच व्यक्ति एक-दोसराक विरोधी भऽ जायत, तीन गोटेक विरोध मे दू, आ दू गोटेक विरोध मे तीन। 53 अपना मे फूट भऽ जायत—बाबू बेटाक विरोध मे, आ बेटा बाबूक विरोध मे, माय बेटीक विरोधी, आ बेटी मायक, सासु पुतोहुक विरोधी, आ पुतोहु सासुक।” 54 यीशु भीड़क लोक सभ केँ इहो कहलथिन, “पश्चिम मे मेघ उठैत देखिते अहाँ सभ कहैत छी जे, वर्षा होयत, और से होइतो अछि। 55 और जखन दछिनाही बहैत देखैत छी तँ कहैत छी जे, बड्ड गर्मी पड़त, और से पड़बो करैत अछि। 56 यौ पाखण्डी सभ! पृथ्वी और आकाशक लक्षण अहाँ सभ चिन्हि लैत छी, तँ एहि वर्तमान समयक लक्षण सभ किएक नहि चिन्हैत छी? 57 “अहाँ सभ अपने किएक नहि निर्णय करैत छी जे उचित की अछि? 58 केओ अहाँ पर मोकदमा कऽ कऽ कचहरी लऽ जा रहल अछि, तँ बाटे मे ओकरा संग समझौता करबाक प्रयत्न करू। एना नहि होअय जे ओ अहाँ केँ न्यायाधीशक समक्ष बलजोरी लऽ जाय, न्यायाधीश अहाँ केँ सिपाहीक हाथ मे दऽ देअय, आ सिपाही अहाँ केँ जहल मे बन्द कऽ देअय। 59 हम अहाँ केँ कहैत छी जे, जाबत धरि अहाँ पाइ-पाइ कऽ सधा नहि देबैक, ताबत धरि ओतऽ सँ नहि छुटब।”
1 तखने किछु लोक यीशु लग आबि कऽ हुनका किछु गलीली सभक बारे मे सुनौलकनि जे, कोना ओ सभ जखन बलि चढ़ा रहल छल तँ राज्यपाल पिलातुस ओकर सभक हत्या करबा देलथिन। 2 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ सभ बुझैत छी जे ई गलील निवासी सभ आओर सभ गलील निवासी सँ अधिक पापी छल जे ओकरा सभ पर ई विपत्ति अयलैक? 3 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, नहि! मुदा अहाँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन नहि करब, तँ अहूँ सभ एहिना नाश होयब। 4 वा ओ अठारह गोटे जकरा सभ पर शिलोहक मिनार खसि पड़ल आ पिचा कऽ मरि गेल, की अहाँ सभ बुझैत छी जे ओ सभ यरूशलेमक आओर सभ निवासी सँ बेसी दोषी छल? 5 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, नहि! मुदा अहाँ सभ जँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन नहि करब, तँ अहूँ सभ एहिना नाश होयब।” 6 यीशु ओकरा सभ केँ ई दृष्टान्त दऽ कऽ कहलथिन, “एक आदमीक अंगूर-उद्यान मे एक अंजीरक गाछ छल। ओ ओहि सँ फल तोड़बाक लेल गेल, मुदा ओकरा किछुओ नहि भेटलैक। 7 तखन ओ माली केँ कहलकैक, ‘देखह! हम तीन वर्ष सँ एहि गाछ सँ अंजीर तोड़ऽ अबैत छी, मुदा ई कोनो फले नहि दैत अछि। एकरा काटि दैह। ई बेकार जगहो छेकने अछि।’ 8 माली उत्तर देलकैक, ‘सरकार, एकरा एक वर्ष आओर रहऽ देल जाओ। हम एकरा चारू कात कोड़ि कऽ गोबर पटा देबैक। 9 तखन अगिला वर्ष जँ फड़त, तँ ठीक, नहि तँ अपने एकरा कटबा देबैक।’” 10 एक विश्राम-दिन मे यीशु एकटा सभाघर मे उपदेश दऽ रहल छलाह। 11 ओहिठाम एक स्त्री छलि जकरा अठारह वर्ष सँ दुष्टात्मा लगबाक कारणेँ डाँड़ टुटल छलैक। ओ एकदम झुकल रहैत छलि और कनेको सोझ नहि भऽ सकैत छलि। 12 यीशु ओकरा देखि बजा कऽ कहलथिन, “बहिन, अहाँ अपना कष्ट सँ मुक्त भऽ गेलहुँ।” 13 तखन ओ ओकरा पर हाथ रखलनि, और ओ तुरत्ते सोझ भऽ गेलि आ परमेश्वरक स्तुति करऽ लागलि। 14 एहि पर सभाघरक अधिकारी तमसा गेलाह जे यीशु किएक विश्राम-दिन मे ककरो ठीक कयलनि, और ओ लोक सभ केँ कहलथिन, “छओ दिन अछि जाहि मे काज करबाक चाही। ओहि छओ दिन मे आउ और स्वस्थ कऽ देबाक लेल कहू, नहि कि विश्राम-दिन मे।” 15 प्रभु हुनका उत्तर देलथिन, “हे पाखण्डी सभ! की अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक आदमी विश्राम-दिन मे अपन बड़द वा गदहा केँ थरि सँ खोलि कऽ पानि पिअयबाक लेल नहि लऽ जाइत छी? 16 तँ ई स्त्री जे अब्राहमक वंशज अछि, और जे अठारह वर्ष सँ शैतानक बन्हन मे छलि, की एकरा विश्राम-दिन मे एहि बन्हन सँ मुक्त नहि करबाक चाही?” 17 यीशु जखन ई बात कहलनि तँ हुनकर सभ विरोधी लज्जित भऽ गेल। मुदा लोक सभ हुनकर नीक-नीक काज सभ देखि अति आनन्दित भेल। 18 तखन यीशु कहलनि, “परमेश्वरक राज्य केहन अछि? ओकर तुलना हम कोन चीज सँ करू? 19 ओ सरिसोक दाना जकाँ अछि जकरा किसान अपना बाड़ी मे बाउग कयलक। ओ बढ़ि कऽ नमहर गाछ बनि गेल, और ओकर ठाढ़ि मे आकाशक चिड़ै सभ आबि कऽ अपन खोंता बना लेलक।” 20 यीशु फेर कहलनि, “परमेश्वरक राज्यक हम कोन चीज सँ तुलना करू? 21 ओ ओहि खमीर जकाँ अछि जकरा एक स्त्री तीन पसेरी आँटा मे मिला कऽ सनलक। बाद मे खमीरक शक्ति सँ पूरा आँटा फुलि गेलैक।” 22 तखन यीशु नगर-नगर और गाम-गाम घूमि कऽ लोक सभ केँ उपदेश दैत यरूशलेम दिस बढ़ऽ लगलाह। 23 केओ हुनका सँ पुछलकनि, “प्रभु, की उद्धार पौनिहार किछुए लोक मात्र होयत?” 24 ओ उत्तर देलथिन, “द्वारिक चौराइ कम अछि तेँ पूरा शक्ति सँ प्रवेश करबाक कोशिश करू। कारण, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एहन बहुतो लोक होयत जे प्रवेश करऽ चाहत मुदा कऽ नहि सकत। 25 जखन घरक मालिक उठि कऽ केबाड़ बन्द कऽ लेताह तँ अहाँ सभ बाहर ठाढ़ भऽ कऽ केबाड़ केँ ढकढका कऽ कहऽ लागब जे, ‘प्रभु, हमरा सभक लेल खोलि दिअ।’ ओ उत्तर देताह, ‘हम तोरा सभ केँ नहि चिन्हैत छिअह आ नहि जनैत छिअह जे कतऽ सँ आयल छह।’ 26 तखन अहाँ सभ कहऽ लागब जे, ‘हम सभ तँ अहाँक संग खयलहुँ-पिलहुँ, और अहाँ हमरा सभक गाम-घर मे उपदेश देलहुँ।’ 27 मुदा ओ कहताह, ‘हम तोरा सभ केँ नहि चिन्हैत छिअह, आ नहि जनैत छिअह जे कतऽ सँ आयल छह। है कुकर्मी सभ, तोँ सभ गोटे हमरा लग सँ भाग!’ 28 अहाँ सभ जखन अब्राहम, इसहाक, याकूब आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभ केँ परमेश्वरक राज्य मे देखबनि और अपना केँ बाहर निकालल पायब तखन अहाँ सभ कानब और दाँत कटकटायब। 29 लोक पूब आ पश्चिम, उत्तर आ दक्षिण सँ आबि कऽ परमेश्वरक राज्य मे भोज खयबाक लेल बैसत। 30 हँ, कतेक लोक जे एखन पाछाँ अछि से तखन आगाँ रहत, आ कतेक लोक जे एखन आगाँ अछि से तखन पाछाँ रहत।” 31 तखने किछु फरिसी सभ आबि कऽ यीशु केँ कहलथिन, “अहाँ एहिठाम सँ चल जाउ, कारण हेरोद अहाँ केँ मारि देबऽ चाहैत अछि।” 32 ओ उत्तर देलथिन, “जा कऽ ओहि नढ़िया केँ कहि दिऔक जे, हम आइ और काल्हि दुष्टात्मा निकालबाक और बिमार लोक सभ केँ नीक करबाक अपन काज करैत रहब, और परसू हम अपन लक्ष्य पूरा करब। 33 हमरा आइ, काल्हि और परसू आगाँ बढ़ैत रहबाक अछि, किएक तँ ई कोना होयत जे परमेश्वरक कोनो प्रवक्ता यरूशलेम छोड़ि कोनो दोसर ठाम मारल जाय? 34 “हे यरूशलेम! हे यरूशलेम! तोँ प्रभुक प्रवक्ता सभक हत्या करैत छह आ जिनका परमेश्वर तोरा लग पठबैत छथुन, तिनका सभ केँ तोँ पथरबाहि कऽ कऽ मारि दैत छहुन। हम कतेको बेर चाहलिअह जे जहिना मुर्गी अपना बच्चा सभ केँ अपन पाँखिक तर मे नुकबैत अछि, तहिना हमहूँ तोहर सन्तान सभ केँ जमा कऽ लिअह। मुदा तोँ ई नहि चाहलह! 35 देखह, आब तोहर घर उजड़ल पड़ल छह। हम तोरा कहैत छिअह, तोँ हमरा फेर ताबत तक नहि देखबह जाबत तक ओ समय नहि आओत जहिया तोँ ई कहबह जे, ‘धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि!’”
1 एक विश्राम-दिन यीशु एक मुख्य फरिसीक घर भोजन करबाक लेल गेलाह। फरिसी सभ हुनका पर घात लगौने छलाह। 2 यीशुक ठीक सामने मे एक आदमी छल, जकर देह-हाथ बिमारी सँ फुलि गेल छलैक। 3 यीशु धर्म-नियमक पंडित और फरिसी सभ सँ पुछलथिन, “की विश्राम-दिन मे रोगी केँ स्वस्थ करब धर्म-नियमक अनुसार उचित होयत वा नहि?” 4 मुदा ओ सभ एकर किछु उत्तर नहि देलथिन। यीशु ओहि आदमी केँ हाथ सँ पकड़ि कऽ नीक कऽ देलथिन और जाय देलथिन। 5 तखन यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ मे एहन के छी, जकर बेटा वा बड़द जँ विश्राम-दिन मे इनार मे खसि पड़य तँ ओकरा तुरत्ते बाहर नहि निकालब?” 6 ओ सभ फेर किछु उत्तर नहि दऽ सकलथिन। 7 यीशु जखन निमन्त्रित लोक सभ केँ अपना लेल मुख्य-मुख्य आसन चुनैत देखलनि, तँ हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त दऽ कऽ सिखाबऽ लगलथिन जे, 8 “अहाँ सभ केँ जखन केओ विवाह मे निमन्त्रित करय तँ मुख्य आसन पर नहि बैसू। कतौ एना नहि होअय जे अहूँ सँ प्रतिष्ठित व्यक्ति सेहो आमन्त्रित होथि 9 और जे घरबैआ अहाँ दूनू गोटे केँ नोत देने छथि से आबि कऽ अहाँ केँ कहथि जे, ‘एहिठाम हिनका बैसऽ दिऔन।’ तखन अहाँ केँ लाजक अनुभव होयत आ सभ सँ नीच स्थान पर बैसऽ पड़त। 10 नहि, अहाँ केँ जखन केओ नोत दिअय, तँ जा कऽ सभ सँ नीच स्थान पर बैसू जाहि सँ घरबैआ जखन औताह तँ अहाँ केँ कहथि, ‘यौ संगी, चलू, एम्हर नीक आसन पर बैसू।’ एहि तरहेँ अतिथि सभक सामने अहाँक आदर कयल जायत। 11 हँ, जे केओ अपना केँ पैघ बनाबऽ चाहैत अछि, से छोट बनाओल जायत, और जे केओ अपना केँ छोट बुझैत अछि, से पैघ बनाओल जायत।” 12 तखन यीशु घरबैआ केँ कहलथिन, “जखन लोक केँ भोजन करबाक वा भोज खयबाक नोत दैत छी, तँ अपना संगी-साथी, कुटुम्ब-परिवारक लोक वा धनी-मनी पड़ोसी सभ केँ नहि बजाउ। ओकरा सभ केँ जँ बजायब तँ बहुत सम्भावना अछि जे ओ सभ अहूँ केँ फेर बजाओत, और एहि तरहेँ अहाँ केँ तकर बदला भेटि जायत। 13 नहि, अहाँ जखन भोज करी तँ गरीब, लुल्ह-नाङड़ और आन्हर सभ केँ बजाउ। 14 अहाँ धन्य होयब, कारण ओ सभ अहाँ केँ फेर बजा कऽ तकर बदला नहि दऽ सकत; अहाँ तकर बदला तहिया पायब जहिया धर्मी सभ मृत्यु सँ जीबि उठताह।” 15 ई सुनि यीशुक संग भोजन पर बैसल एक आदमी कहलकनि, “धन्य अछि ओ सभ जे परमेश्वरक राज्यक भोज खाय पाओत!” 16 यीशु उत्तर देलथिन, “एक बेर एक आदमी बड़का भोज कऽ कऽ बहुत लोक केँ निमन्त्रण देलनि। 17 भोजक सामग्री तैयार भेला पर, जकरा सभ केँ ओ नोत देने छलथिन, तकरा सभ लग ई कहबाक लेल अपना नोकर केँ पठौलथिन जे, ‘चलै जाइ जाउ, बिझो भेल, सभ वस्तु ठीक भऽ गेल अछि।’ 18 मुदा ओ सभ एक-एक कऽ बहाना करऽ लागल। पहिल आदमी कहलकैक, ‘हम एकटा खेत किनने छी और ओकरा एखन देखऽ जयबाक अछि। कृपा कऽ कऽ हमरा माफ करू।’ 19 दोसर कहलकैक, ‘हम पाँच जोड़ बड़द किनने छी, और ओकरा सभ केँ जोति कऽ जँचबाक लेल हम एखन विदा भऽ गेल छी। कृपा कऽ कऽ हमरा माफ करू।’ 20 फेर तेसर कहलकैक, ‘हम एखने विवाह कयलहुँ, तेँ हम नहि आबि सकैत छी।’ 21 नोकर घूमि कऽ सभटा बात अपना मालिक केँ कहलकनि। तखन घरबैआ तामसे-पित्ते नोकर केँ अढ़ौलनि जे, ‘जल्दी-जल्दी नगरक बाट और गली सभ मे जाह और गरीब, लुल्ह-नाङड़ और आन्हर सभ केँ बजा लाबह।’ 22 कनेक काल मे नोकर आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपने जहिना हमरा कहलहुँ तहिना हम कयलहुँ, तैयो बैसबाक जगह बाँकिए अछि।’ 23 तँ मालिक ओकरा उत्तर देलथिन, ‘तखन बाहर देहातोक सड़क और आरि-धुर पर सँ लोक सभ केँ बलजोरी बजा कऽ लाबह, जाहि सँ हमर घर भरि जाय। 24 हम तोरा सभ केँ कहैत छिअह जे, जकरा सभ केँ हम पहिने नोत देने छलिऐक, ताहि मे सँ एको गोटे हमर एहि भोज मे सँ किछु नहि चिखऽ पाओत।’” 25 आब बहुत बड़का भीड़ यीशुक संग चलि रहल छलनि। ओ ओकरा सभ दिस घूमि कऽ कहलथिन, 26 “जँ केओ हमरा लग आओत, और अपन माय-बाबू, स्त्री, धिआ-पुता और भाय-बहिन केँ, और हँ, अपना प्राणो केँ अप्रिय नहि बुझत, तँ ओ हमर शिष्य नहि बनि सकैत अछि। 27 जे केओ हमरा कारणेँ दुःख उठयबाक आ प्राणो देबाक लेल तैयार भऽ हमरा पाछाँ नहि चलैत अछि, से हमर शिष्य नहि बनि सकैत अछि। 28 “तहिना, मानि लिअ जे अहाँ सभ मे सँ केओ बड़का घर बनाबऽ चाहत, तँ की ओ पहिने बैसि कऽ हिसाब नहि करत जे एहि मे कतेक खर्च लागत, पूरा करबाक लेल हमरा लग पाइ अछि वा नहि? 29 किएक तँ ओ जँ शुरू करत आ न्यो राखि कऽ घर पूरा नहि कऽ सकत, तँ जतेक लोक देखतैक, से सभ ओकरा हँसी उड़ाबऽ लगतैक जे, 30 ‘ई घर बनाबऽ लागल और बीचहि मे छोड़ऽ पड़लैक!’ 31 “वा मानि लिअ जे कोनो राजा दोसर राजा सँ युद्ध करबाक लेल बहरा रहल अछि। तँ की ओ पहिने बैसि कऽ नीक जकाँ विचार नहि कऽ लेत जे, जे राजा बीस हजार सैनिक लऽ कऽ हमरा पर आक्रमण करऽ आबि रहल अछि, की तकर सामना हम दस हजार सैनिक लऽ कऽ कऽ सकब? 32 जँ ओकरा होयतैक जे नहि कऽ सकब, तँ ओहि राजा केँ दूर रहिते ओ दूत सभ केँ पठा कऽ मेल-मिलापक समझौताक लेल आग्रह करतैक। 33 तहिना, अहाँ सभ मे सँ जे केओ अपन सभ किछु केँ त्यागि नहि देत, से हमर शिष्य नहि बनि सकैत अछि। 34 “नून नीक वस्तु अछि, मुदा जँ ओकर स्वाद समाप्त भऽ जाइक तँ कोन वस्तु सँ ओकरा फेर नूनगर बनाओल जा सकत? 35 ओ ने जमीनक लेल उपयुक्त होयत आ ने खादक लेल। तखन ओ फेकले जायत। जकरा सुनबाक लेल कान होइक, से सुनओ।”
1 कर असूल करऽ वला और “पापी” सभ यीशु लग हुनकर शिक्षा सुनबाक लेल जमा भऽ रहल छल। 2 मुदा फरिसी और धर्मशिक्षक सभ दूसऽ लगलाह जे, “ई तँ पापी सभ केँ स्वागत करैत अछि और ओकरा सभक संग खाइतो अछि।” 3 तखन यीशु हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त देलथिन, 4 “मानि लिअ जे अहाँ सभ मे सँ ककरो जँ एक सय भेँड़ा होअय और एकटा हेरा जाय, तँ की ओ अपन निनान्नबे केँ बाध मे छोड़ि हेरायल भेँड़ा केँ ताबत धरि नहि तकैत रहत जाबत धरि ओ नहि भेटतैक? 5 तकरबाद भेटि गेला पर ओ कतेक प्रसन्न होयत! अपना भेँड़ा केँ कान्ह पर उठा कऽ घर चल आओत 6 और अपन संगी-साथी, पड़ोसी सभ केँ बजा कऽ कहतैक जे, ‘हमरा संग आनन्द मनाउ, किएक तँ हमर हेरायल भेँड़ा भेटि गेल।’ 7 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एहि तरहेँ निनान्नबे एहन धर्मी सभ जे ई बुझैत अछि जे हमरा अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि, स्वर्ग मे ओकरा सभक अपेक्षा ओहि एक पापीक लेल बेसी आनन्द मनाओल जायत जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करैत अछि। 8 “वा मानि लिअ जे कोनो स्त्री केँ दसटा चानीक रुपैया होइक और एकटा हेरा जाइक, तँ की ओ डिबिया लेसि कऽ घर बहारि कऽ ओ रुपैया जा धरि नहि भेटि जयतैक ता धरि बढ़ियाँ जकाँ तकैत नहि रहत? 9 तकरबाद रुपैया भेटला पर ओ अपन सहेली और पड़ोसी सभ केँ बजा कऽ कहतैक जे, ‘हमरा संग आनन्द मनाउ, किएक तँ हमर हेरायल रुपैया फेर भेटि गेल।’ 10 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, एही तरहेँ एकोटा पापी जे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करैत अछि, तकरा लेल परमेश्वरक स्वर्गदूत सभ आनन्द मनबैत छथि।” 11 यीशु आगाँ कहलथिन, “एक आदमी केँ दूटा बेटा रहनि। 12 छोटका अपना बाबू केँ कहलकनि, ‘यौ बाबूजी! हमर अंश-सम्पत्ति जे-जतेक होयत, से एखने हमरा बाँटि कऽ दऽ दिअ।’ एहि पर बाबू दूनू बेटा मे अपन धन-सम्पत्ति बाँटि देलथिन। 13 “किछु दिनक बाद छोटका बेटा अपन सभ धन-सम्पत्ति लऽ कऽ दूर परदेश चल गेल। ओतऽ ओ भोग-विलास मे अपन सभ धन उड़ा लेलक। 14 ओकर सभ धन खर्च भऽ गेलाक बाद, ओहि देश मे बहुत भारी रौदी पड़लैक, और ओ बड़का विपत्ति मे पड़ि गेल। 15 तखन ओ ओहि देशक एक आदमीक शरण मे गेल, जे ओकरा अपना खेत मे सुगर चरयबाक लेल पठौलकैक। 16 ओकरा बड्ड इच्छा भेलैक जे, जे खोंइचा सुगर सभ खा रहल अछि ताहि सँ हम अपनो पेट भरितहुँ, मुदा ओकरा केओ किछु नहि दैत छलैक। 17 “तखन ओकरा होश अयलैक, और ओ सोचऽ लागल जे, हमर बाबूजीक ओतेक नोकर-चाकर सभ भरि पेट भोजन पबैत अछि, और हम एतऽ भूख सँ मरऽ-मरऽ पर छी। 18 हम अपना बाबूक ओहिठाम जा कऽ ई कहबनि जे, बाबूजी, हम परमेश्वरक विरोध मे और अहाँक विरोध मे पाप कयने छी। 19 हम आब अहाँक बालक कहयबा जोगरक नहि छी। अपना नोकर सभ जकाँ हमरो एकटा नोकर मानू। 20 “एना विचार कऽ कऽ ओ उठल आ अपना बाबूक ओहिठाम जयबाक लेल विदा भऽ गेल। ओ घर सँ दूरे छल कि ओकर बाबू ओकरा चिन्हि गेलथिन और हुनकर हृदय दया सँ भरि गेलनि। ओ दौड़ि कऽ अपना बेटा केँ भरि पाँज पकड़ि ओकरा चुम्मा लेबऽ लगलथिन। 21 बेटा हुनका कहलकनि, ‘बाबूजी, हम परमेश्वरक विरोध मे और अहाँक विरोध मे पाप कयने छी। हम आब अहाँक पुत्र कहयबा जोगरक नहि छी।’ 22 मुदा पिता अपना नोकर सभ केँ कहलथिन, ‘जल्दी सँ बढ़ियाँ-बढ़ियाँ कपड़ा आनि कऽ एकरा पहिरा दहक, हाथ मे औँठी लगा दहक, पयर मे जुत्ता सेहो पहिरा दहक, 23 और ओ मोटका पशु जे पोसि कऽ रखने छी, तकरा काटह! हम सभ भोज कऽ कऽ खुशी मनायब, 24 किएक तँ ई हमर बेटा मरि गेल छल आ फेर जीबि गेल! ई हेरायल छल आ फेर भेटि गेल!’ तकरबाद ओ सभ खुशी मनाबऽ लगलाह। 25 “ई सभ होइत काल जेठका बेटा खेत मे रहनि। जखन ओ घर लग पहुँचल तँ घर मे नाच-गान सुनलक। 26 ओ एकटा नोकर केँ बजा कऽ पुछलक, ‘ई की भऽ रहल अछि?’ 27 नोकर कहलकैक, ‘अहाँक भाय अयलाह अछि, आओर अहाँक बाबूजी एहि खुशी मे जे हमर बेटा हमरा फेर सकुशल भेटि गेल अछि, मोटका पशु जे पोसल छलैक, तकरा कटबौलनि अछि।’ 28 “ई सुनि कऽ ओकरा ततेक तामस भेलैक जे ओ भीतरो नहि गेल। बाबूजी ई बात बुझि, बाहर आबि कऽ ओकरा मनाबऽ लगलथिन। 29 मुदा ओ अपना बाबू केँ उत्तर देलकनि जे, ‘देखू! एतेक वर्ष सँ हम मरि-मरि कऽ अहाँक सेवा कऽ रहल छी, आ कहियो अहाँक बात नहि टारलहुँ। तैयो आइ धरि हमरा संगी सभक संग खुशी मनयबाक लेल एकोटा पठरू तक काटऽ नहि देलहुँ, 30 मुदा अहाँक ई बेटा वेश्या सभ लग अहाँक सभ धन-सम्पत्ति उड़ा कऽ जखन घर आयल अछि, तँ अहाँ ओकरा लेल पोसल मोटका पशु कटबबैत छी!’ 31 “बाबू कहलथिन, ‘बौआ! अहाँ सभ दिन हमरा संग छी, आ जे-जतेक हमर सम्पत्ति अछि, से सभ अहींक अछि। 32 मुदा एहि शुभ अवसर पर खुशी तँ मनाबहि पड़ल, किएक तँ ई अहाँक भाय मरि गेल छल आ फेर जीबि गेल, हेरा गेल छल आ फेर भेटि गेल!’”
1 यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “कोनो धनी आदमी रहथि। हुनका एकटा मुन्सी छलनि जे हुनकर पाइ-कौड़ीक हिसाब-किताब रखैत छलनि। मुन्सीक बारे मे हुनका लग ई सिकायत अयलनि जे, ओ अपनेक सम्पत्ति उड़ा रहल अछि। 2 एहि पर ओ अपना मुन्सी केँ बजा कऽ पुछलथिन, ‘ई हम तोरा विषय मे की सुनि रहल छिअह? तोँ अपना काजक हिसाब-किताब हमरा दैह, कारण आब हम तोरा नोकरी सँ हटा रहल छिअह।’ 3 “तँ मुन्सी मोने-मोन सोचलक जे, आब हम की करू? मालिक हमरा सँ हमर नोकरी छिनि रहल छथि। माटि कोड़बाक लेल देह मे तागति नहि अछि, आ भीख माँगऽ मे लाज होइत अछि। 4 हँ, आब फुरायल एकटा बात जे हम कऽ सकैत छी जाहि सँ नोकरी छुटला पर लोक सभ अपना घर मे हमर स्वागत करत। 5 “ई विचारि कऽ ओ अपना मालिकक कर्जदार सभ केँ एक-एक कऽ बजबौलक। पहिल वला सँ पुछलकैक, ‘अहाँ पर हमर मालिकक कतेक ऋण अछि?’ 6 ओ उत्तर देलकैक जे ‘एक सय मन तेल।’ तँ मुन्सी कहलकैक, ‘लिअ अपन लेखत, आ जल्दी बैसि कऽ ओकरा पचास मन बना लिअ।’ 7 तखन दोसर सँ पुछलकैक, ‘और अहाँ पर कतेक ऋण अछि?’ ओ कहलकैक, ‘एक सय बोरा गहुम।’ मुन्सी कहलकैक, ‘लिअ अपन लेखत और अस्सी बोरा लिखि लिअ।’ 8 मालिक एहि बइमान मुन्सीक प्रशंसा कयलथिन, जे ओ चतुराइ सँ काज कयलक। एहि संसारक पुत्र सभ इजोतक पुत्र सभक अपेक्षा अपना लोकक संग जे व्यवहार छैक, ताहि मे विशेष चतुर रहैत अछि। 9 “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, सांसारिक धन अपना लेल संगी बनाबऽ मे प्रयोग करू, जाहि सँ धन-सम्पत्ति जखन समाप्त भऽ जायत तँ स्वर्गक भवन मे अहाँक स्वागत होयत। 10 “जे छोट बात सभ मे विश्वासपात्र अछि, से पैघो बात सभ मे विश्वासपात्र रहत। जे छोट बात मे बइमान अछि, से पैघो बात मे बइमान रहत। 11 अहाँ सांसारिक धन मे जँ विश्वासपात्र नहि भेलहुँ, तँ वास्तविक धन दऽ कऽ अहाँ पर के विश्वास करत? 12 जँ अनका धन मे अहाँ विश्वासपात्र नहि भेलहुँ, तँ अहाँक अपन धन अहाँ केँ के देत? 13 “कोनो खबास दूटा मालिकक सेवा नहि कऽ सकैत अछि। कारण, ओ एक सँ घृणा करत आ दोसर सँ प्रेम, अथवा पहिल केँ खूब मानत आ दोसर केँ तुच्छ बुझत। अहाँ परमेश्वर और धन-सम्पत्ति दूनूक सेवा नहि कऽ सकैत छी।” 14 फरिसी सभ, जे धनक लोभी छलाह, से सभ ई सभ बात सुनि रहल छलाह और हुनकर हँसी उड़ाबऽ लगलनि। 15 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ ठीक ओहन लोक सभ छी जे मनुष्यक सामने अपना केँ धर्मी ठहरबैत छी, मुदा परमेश्वर अहाँ सभक मोन केँ जनैत छथि। जे मनुष्यक नजरि मे सम्मानजनक बात अछि, से परमेश्वरक दृष्टि मे घृणित अछि। 16 “यूहन्नाक समय धरि मूसाक धर्म-नियम और प्रभुक प्रवक्ता सभक लेख छल। तकरा बादक समय सँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचारक प्रचार भऽ रहल अछि, और सभ केओ हुनकर राज्य मे प्रवेश करबाक पूरा बल सँ प्रयत्न कऽ रहल अछि। 17 तैयो धर्म-नियमक एको अक्षरक मात्रा मेटा जयबाक अपेक्षा आकाश और पृथ्वी समाप्त भेनाइ आसान होयत। 18 “जे केओ अपना स्त्री केँ तलाक दऽ कऽ दोसर सँ विवाह करैत अछि, से परस्त्रीगमन करैत अछि। आ जे कोनो पुरुष पति द्वारा तलाक देल गेल स्त्री सँ विवाह करैत अछि, सेहो परस्त्रीगमन करैत अछि। 19 “एक धनिक आदमी छल जे मलमल आ दामी-दामी वस्त्र पहिरैत छल। ओ सभ दिन भोज सनक भोजन करैत छल आ सुख-विलास सँ रहैत छल। 20 ओकरा दुआरि पर लाजर नामक गरीब आदमी केँ, जकर सम्पूर्ण शरीर घाव सँ भरल छलैक, राखि देल जाइत छलैक। 21 ओ गरीब आदमी आशा करैत छल जे धनिकक टेबुल सँ खसल टुकड़ा-टुकड़ी पाबि कऽ पेट भरब। कुकुर सभ आबि कऽ ओहि दुखिताह केँ घाव सेहो चाटि लैत छलैक। 22 “एक दिन गरीब लाजर मरि गेल आओर स्वर्गदूत सभ ओकरा स्वर्ग मे अब्राहम लग पहुँचौलनि। धनिक आदमी सेहो मरल आ माटि मे गाड़ल गेल। 23 नरक मे ओ अत्यन्त पीड़ा सहैत ऊपर दिस ताकि बहुत दूर अब्राहम केँ आ हुनका लग लाजर केँ देखलकनि। 24 ओ सोर पारलकनि जे, ‘यौ पिता अब्राहम! हमरा पर दया कऽ कऽ एहिठाम लाजर केँ पठा दिअ, जे ओ अपन आङुरक नऽह पानि मे डुबा कऽ हमर जीह केँ कनेक शीतल कऽ दिअय, हमरा एहि आगि मे बड्ड पीड़ा भऽ रहल अछि!’ 25 “मुदा अब्राहम उत्तर देलथिन, ‘हौ बेटा! मोन पाड़ह जे तोँ अपना जीवन मे नीक-नीक वस्तु सभ पौलह, जहिना लाजर खराब वस्तु। आब ओ एतऽ आनन्द मे अछि आओर तोँ पीड़ा मे। 26 आओर एतबे नहि—हमरा सभक आ तोरा बीच मे बड़का दरारि बनाओल गेल अछि, जाहि सँ जँ केओ एतऽ सँ तोरा ओहिठाम जाय चाहत तँ नहि जा सकत, आ ने तोँ जतऽ छह, ततऽ सँ केओ हमरा सभक ओहिठाम आबि सकत।’ 27 “तखन ओ धनिक उत्तर देलकनि, ‘एना अछि तँ, यौ पिता, हम विनती करैत छी जे हमर बाबूक ओहिठाम लाजर केँ पठाउ, 28 ओतऽ हमर पाँच भाय अछि। ओकरा सभ केँ ओ चेतावनी दैक जाहि सँ ओ सभ एहि पीड़ाक स्थान मे नहि आबय।’ 29 “अब्राहम कहलथिन, ‘मूसाक धर्म-नियम और परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख ओकरा सभ लग छैक, तोहर भाय सभ ओकरा मानओ।’ 30 “ओ उत्तर देलकनि, ‘नहि पिता अब्राहम! ओतबे सँ नहि होयत! मुदा जँ केओ मरल सभ मे सँ ओकरा सभ लग जायत, तखन ओ सभ मानत और अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ ठीक रस्ता पर आओत।’ 31 “अब्राहम कहलथिन, ‘ओ सभ जँ मूसाक और परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख नहि मानत, तँ जँ केओ मरि कऽ जिबिओ जायत तँ ओकरो बात नहि मानतैक।’”
1 यीशु अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “ई निश्चित अछि जे लोक सभ केँ पाप मे फँसाबऽ वला बात सभ होयत, मुदा धिक्कार ताहि मनुष्य केँ, जकरा द्वारा ओहन बात सभ अबैत अछि! 2 ओकरा लेल एहि सँ नीक जे ओ एहि बच्चा सभ मे सँ एकोटा केँ पाप मे फँसाबय ई होइत जे ओकरा घेंट मे जाँतक पाट बान्हि समुद्र मे फेकि देल जाय। 3 तेँ अहाँ सभ सावधान रहू! “अहाँक भाय जँ पाप करैत अछि तँ ओकरा मना करू। जँ ओ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ पाप केँ छोड़ैत अछि तँ ओकरा माफ कऽ दिऔक। 4 आ जँ ओ दिन मे सात बेर अहाँक विरोध मे अपराध करय और सात बेर अहाँ लग घूमि कऽ अपन अपराध मानि कऽ माफी माँगय तँ माफ कऽ दिऔक।” 5 तखन समीह-दूत सभ हुनका कहलथिन, “हमरा सभक विश्वास केँ बढ़ाउ!” 6 ओ उत्तर देलथिन, “जँ अहाँ सभ केँ सरिसोक दानो बराबरि विश्वास अछि, तँ एहि तूँइतक गाछ केँ कहि सकैत छिऐक जे, उखड़ि कऽ समुद्र मे रोपा जो, और ओ अहाँक आज्ञा मानत। 7 “अहाँ सभ मे एहन मालिक के छी, जकर नोकर खेत मे सँ हऽर जोति कऽ वा बाध मे सँ भेँड़ा चरा कऽ जखन अबैत अछि, तँ कहैत छिऐक जे, ‘आउ, आउ, बैसू, भोजन कऽ लिअ’? 8 की ई नहि कहबैक जे, ‘हमर भानस करह, तखन जा धरि हम भोजन पर सँ उठब नहि, ता धरि तोँ फाँड़ बान्हि कऽ हमर सेवा करह, तकरबाद तोहूँ खाह-पिबह’? 9 जखन नोकर मालिकक कहल करैत छनि, तँ की ओहि लेल मालिक ओकरा धन्यवाद दैत छथिन? नहि! 10 तहिना अहूँ सभ, जतेक काज अहाँ सभ केँ अढ़ाओल गेल होअय, से सभ पूरा कऽ कऽ ई कहू जे, ‘हम सभ कोनो प्रशंसा जोगरक नहि छी; हम सभ तँ खाली वैह कयलहुँ जे हमर सभक कर्तव्य छल।’” 11 यीशु यरूशलेम जाइत काल सामरिया और गलील प्रदेशक सीमा दऽ कऽ जा रहल छलाह। 12 कोनो गाम मे जखन प्रवेश कयलनि तँ दसटा कुष्ठ-रोगी हुनका भेटलनि। ओ सभ फराके सँ ठाढ़ भऽ कऽ 13 जोर सँ सोर पारलकनि जे, “यौ मालिक यीशु! हमरा सभ पर दया करू!” 14 यीशु ओकरा सभ केँ देखि कऽ कहलथिन, “पुरोहित सभक ओहिठाम जाह और अपना केँ हुनका सभ केँ देखा दहुन।” ओ सभ जाइते-जाइत मे नीक भऽ गेल। 15 तखन ओकरा सभ मे सँ एक गोटे जखन देखलक जे हम नीक भऽ गेलहुँ, तँ ओ जोर-जोर सँ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत घूमि आयल, 16 और यीशुक पयर पर खसि कऽ हुनकर धन्यवाद करऽ लगलनि। ओ यहूदी नहि, सामरी जातिक छल। 17 तखन यीशु बजलाह, “की दसो गोटे नीक नहि भेल? आरो नौ आदमी कतऽ अछि? 18 की एहि आन जातिक लोक केँ छोड़ि कऽ आओर केओ एहन नहि बहरायल जे घूमि कऽ परमेश्वरक धन्यवाद करितनि?” 19 तखन ओ ओकरा कहलथिन, “आब उठि कऽ जाह। तोहर विश्वास तोरा नीक कऽ देलकह।” 20 फरिसी सभक ई पुछला पर जे परमेश्वरक राज्य कहिया आओत, यीशु उत्तर देलथिन, “परमेश्वरक राज्य ओहि तरहेँ नहि अबैत अछि जे आँखि सँ देखल जा सकय। 21 केओ कहऽ वला नहि होयत जे, ‘देखू, एतऽ अछि,’ वा ‘ओतऽ अछि,’ कारण, परमेश्वरक राज्य अहाँ सभक बीच मे अछि ।” 22 तखन ओ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, “ओ समय आबि रहल अछि जखन अहाँ सभ केँ मनुष्य-पुत्रक युगक एको दिन देखबाक लेल बड़का इच्छा होयत, मुदा देखि नहि सकब। 23 लोक अहाँ सभ केँ कहत जे, ‘ओतऽ छथि!’ वा ‘एतऽ छथि।’ मुदा नहि जाउ! ओकरा सभक पाछाँ नहि दौड़ू! 24 कारण, मनुष्य-पुत्रक दिन जखन औतनि, तँ ओ बिजलोका जकाँ होयताह, जे चमकि कऽ आकाश केँ एक कात सँ दोसर कात तक इजोत कऽ दैत अछि। 25 मुदा ओहि सँ पहिने ई आवश्यक अछि जे ओ बहुत दुःख भोगथि और एहि पीढ़ीक लोक द्वारा अस्वीकार कयल जाथि। 26 “जहिना नूहक समय मे भेल, तहिना मनुष्य-पुत्रक अयबाक समय मे सेहो होयत। 27 जाहि दिन नूह जहाज मे चढ़ि गेलाह, ताहि दिन धरि लोक सभ खाय-पिबऽ मे और विवाह करऽ-कराबऽ मे मस्त रहल आ तखन जल-प्रलय भेल और सभ केओ नष्ट भऽ गेल। 28 “तहिना लूतक समय मे सेहो भेल। लोक सभ खाइत-पिबैत रहल, चीज-वस्तु बेचैत-किनैत रहल, बीया बाउग करैत रहल आ घर बनबैत रहल। 29 मुदा जाहि दिन लूत सदोम नगर सँ बहरयलाह, ताही दिन आकाश सँ आगि और गन्धकक वर्षा भेल और सभ केओ नष्ट भऽ गेल। 30 “जाहि दिन मनुष्य-पुत्र फेर प्रगट होयताह, ताहू दिन ठीक ओहिना होयत। 31 ताहि दिन जँ केओ छत पर होअय और ओकर सामान घर मे, तँ ओ ओकरा लेबाक लेल नहि उतरओ। तहिना जे केओ खेत मे होअय, से घूमि कऽ नहि आबओ। 32 लूतक घरवाली केँ मोन राखू। 33 जे केओ अपन प्राण बचयबाक प्रयत्न करैत अछि, से ओकरा गमाओत, और जे केओ अपन प्राण गमबैत अछि से ओकरा सुरक्षित राखत। 34 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, ओहि राति दू आदमी एक ओछायन पर सुतल रहत, एक लऽ लेल जायत, आ दोसर छोड़ि देल जायत। 35 दूटा स्त्रीगण एक संग जाँत पिसैत रहत, एकटा लऽ लेल जायत, आ दोसर छोड़ि देल जायत। 36 [दू आदमी खेत मे रहत, एक लऽ लेल जायत, आ दोसर छोड़ि देल जायत।] “ 37 शिष्य सभ पुछलथिन, “प्रभु, ई कतऽ होयत?” ओ उत्तर देलथिन, “जतऽ लास पड़ल रहत, ततहि गिद्ध सभ जुटत।”
1 तखन यीशु अपना शिष्य सभ केँ ई बुझयबाक लेल जे निराश नहि भऽ कऽ प्रार्थना करैत रहबाक अछि, एक दृष्टान्त देलथिन। 2 ओ कहलथिन, “कोनो शहर मे एक न्यायाधीश रहैत छल जे ने परमेश्वरक डर मानैत छल आ ने कोनो मनुष्य केँ मोजर दैत छल। 3 ओहि शहर मे एक विधवा सेहो रहैत छलि जे बेर-बेर ओकरा लग आबि कऽ कहैत छलैक जे, ‘हमर उचित न्याय कऽ दिअ और हमरा संग जे अपराध कऽ रहल अछि, तकरा सँ हमरा बचाउ।’ 4 “किछु दिन धरि ओ नहि मानलक, मुदा बाद मे ओ मोने-मोन सोचऽ लागल जे, ‘ओना तँ हम ने परमेश्वरक डर मानैत छी आ ने मनुष्य केँ मोजर दैत छी, 5 तैयो ई विधवा हमरा ततेक तंग कऽ देने अछि जे हम एकर उचित न्याय अवश्य कऽ देबैक। नहि तँ ई बेर-बेर आबि कऽ हमरा अकछ कऽ देत!’” 6 तखन प्रभु कहलथिन, “ओ अधर्मी न्यायाधीश की कहलक, से सुनलहुँ? 7 तँ की परमेश्वर अपन चुनल लोक, जे हुनका सँ दिन-राति विनती करैत छनि, तकरा सभक लेल उचित न्याय नहि करथिन? की ओकरा सभक लेल न्याय करऽ मे देरी करताह? 8 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, ओ ओकरा सभक लेल उचित न्याय करथिन, और शीघ्र करथिन। मुदा मनुष्य-पुत्र जहिया औताह, तँ की एहन विश्वास हुनका ककरो लग भेटतनि?” 9 तखन यीशु एहन लोक सभक लेल जे अपना केँ धर्मी मानि कऽ अपना धार्मिकता पर भरोसा रखैत छल और आन लोक सभ केँ हेय दृष्टि सँ देखैत छल, तकरा सभक लेल ई दृष्टान्त सुनौलनि, 10 “दू आदमी मन्दिर मे प्रार्थना करऽ गेल। एक गोटे फरिसी रहय और दोसर कर असूल करऽ वला। 11 फरिसी ठाढ़ भऽ कऽ एहि तरहेँ अपना विषय मे प्रार्थना कऽ कऽ कहऽ लागल, ‘हे परमेश्वर, हम अहाँ केँ धन्यवाद दैत छी जे हम आन लोक सभ जकाँ ठकहारा, दुष्कर्मी, वा परस्त्रीगमन करऽ वला नहि छी, आ ने एहि कर असूल करऽ वला सन छी। 12 हम सप्ताह मे दू दिन उपास करैत छी, और जे किछु हमरा भेटैत अछि, ताहि मे सँ हम दसम अंश अहाँ केँ चढ़बैत छी।’ 13 “मुदा कर असूल करऽ वला फराके सँ ठाढ़ भऽ कऽ स्वर्ग दिस अपन आँखि उठयबाक साहसो नहि कयलक, बल्कि छाती पिटैत बाजल, ‘हे परमेश्वर, हम पापी छी, हमरा पर दया करू।’ 14 “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ओ पहिल आदमी नहि, बल्कि ई दोसर आदमी परमेश्वरक नजरि मे धर्मी ठहरि कऽ अपना घर गेल। कारण, जे केओ अपना केँ पैघ बुझैत अछि, से तुच्छ कयल जायत, और जे अपना केँ तुच्छ मानैत अछि से पैघ कयल जायत।” 15 लोक सभ यीशु लग अपन छोट-छोट धिआ-पुता सभ केँ सेहो अनैत छलनि जे ओ ओकरा सभ पर हाथ राखि आशीर्वाद देथिन। शिष्य सभ ई देखि कऽ लोक सभ केँ डाँटऽ लगलनि। 16 मुदा यीशु धिआ-पुता सभ केँ अपना लग बजौलनि, और शिष्य सभ केँ कहलथिन, “बच्चा सभ केँ हमरा लग आबऽ दिऔक, ओकरा सभ केँ नहि रोकिऔक। किएक तँ, परमेश्वरक राज्य एहने सभक अछि। 17 हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, जे केओ बच्चा जकाँ परमेश्वरक राज्य ग्रहण नहि करत, से ओहि मे कहियो नहि प्रवेश करत।” 18 एकटा ऊँच अधिकारी यीशु सँ पुछलथिन, “यौ उत्तम गुरुजी! अनन्त जीवन प्राप्त करबाक लेल हम की करू?” 19 यीशु कहलथिन, “अहाँ हमरा ‘उत्तम’ किएक कहैत छी? परमेश्वर केँ छोड़ि आरो केओ उत्तम नहि अछि। 20 अहाँ धर्म-नियमक आज्ञा सभ तँ जनैत छी—’परस्त्रीगमन नहि करह, हत्या नहि करह, चोरी नहि करह, झूठ गवाही नहि दैह, अपन माय-बाबूक आदर करह।’” 21 ओ उत्तर देलथिन, “एहि सभ आज्ञाक पालन हम बचपने सँ करैत छी।” 22 यीशु ई सुनि हुनका कहलथिन, “एक बातक कमी अहाँ मे एखनो अछि। अहाँ अपन सभ किछु बेचि कऽ ओकरा गरीब सभ मे बाँटि दिअ, अहाँ केँ स्वर्ग मे धन भेटत। तकरबाद आउ आ हमरा पाछाँ चलू।” 23 ई बात सुनि ओ बहुत उदास भेलाह, किएक तँ हुनका बहुत धन-सम्पत्ति छलनि। 24 यीशु हुनका दिस तकैत बजलाह, “धनिक सभक लेल परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ कतेक कठिन अछि! 25 धनिक केँ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश कयनाइ सँ ऊँट केँ सुइक भूर दऽ कऽ निकलनाइ आसान अछि।” 26 एहि पर सुनऽ वला लोक सभ पुछलकनि, “तखन उद्धार ककर भऽ सकैत छैक?!” 27 यीशु उत्तर देलथिन, “जे बात मनुष्यक लेल असम्भव अछि, से परमेश्वरक लेल सम्भव अछि।” 28 पत्रुस हुनका कहलथिन, “देखू, हम सभ अपन सभ किछु त्यागि कऽ अहाँक पाछाँ आयल छी।” 29 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, प्रत्येक व्यक्ति जे घर, घरवाली, भाय, माय-बाबू वा धिआ-पुता केँ परमेश्वरक राज्यक लेल त्याग करैत अछि, 30 तकरा एहि युग मे ओकर कतेको गुना भेटतैक, और आबऽ वला युग मे अनन्त जीवन।” 31 यीशु बारहो शिष्य केँ एक कात लऽ जा कऽ कहलथिन, “सुनू, अपना सभ यरूशलेम जा रहल छी। ओतऽ जा कऽ जे किछु प्रभुक प्रवक्ता सभक द्वारा मनुष्य-पुत्रक विषय मे लिखल गेल अछि, से सभ बात पूरा होयत। 32 ओ गैर-यहूदी सभक हाथ मे सौंपल जायत, लोक ओकर हँसी उड़ौतैक, बेइज्जति करतैक, ओकरा पर थुकतैक, कोड़ा लगौतैक, और जान सँ मारि देतैक। 33 मुदा तेसर दिन ओ फेर जीबि उठत।” 34 मुदा शिष्य सभ एहि बात सभ सँ किछु नहि बुझि सकलाह। हुनकर सम्पूर्ण कथन हुनका सभक लेल रहस्ये बनल रहल। बुझऽ मे नहि अयलनि जे हुनकर कहबाक तात्पर्य की छनि। 35 यीशु जखन यरीहो नगर लग पहुँचलाह, तँ एकटा आन्हर आदमी रस्ताक कात मे भीख मँगैत बैसल छल। 36 लोकक भीड़ ओहि दने जाइत सुनि ओ पुछऽ लागल जे, की भऽ रहल अछि? 37 लोक ओकरा कहलकैक, “नासरत निवासी यीशु एहि दऽ कऽ जा रहल छथि।” 38 तखन ओ सोर पारऽ लागल, “यौ दाऊदक पुत्र यीशु, हमरा पर दया करू!” 39 आगाँ-आगाँ चलऽ वला लोक सभ ओकरा डँटैत चुप रहबाक लेल कहलकैक, मुदा ओ आओर जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल, “यौ दाऊदक पुत्र, हमरा पर दया करू!” 40 यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह आ अपना लग ओकरा अनबाक आदेश देलथिन। आन्हर आदमी जखन हुनका लग आयल तँ ओ पुछलथिन, 41 “तोँ की चाहैत छह, हम तोरा लेल की करिअह?” ओ उत्तर देलकनि, “प्रभु, हम देखऽ चाहैत छी।” 42 यीशु ओकरा कहलथिन, “आब तोँ देखि सकैत छह! तोहर विश्वास तोरा नीक कऽ देलकह।” 43 ओ तुरत देखऽ लागल और परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत यीशुक पाछाँ चलऽ लागल। ई देखि सभ लोक सेहो परमेश्वरक स्तुति करऽ लागल।
1 यीशु यरीहो नगर दऽ कऽ जा रहल छलाह। 2 यरीहो मे एक जक्कइ नामक आदमी छलाह जे कर असूल करऽ वला सभक हाकिम छलाह, और ओ धनिक छलाह। 3 ओ देखऽ चाहैत छलाह जे यीशु के छथि, मुदा ओ भीड़क कारणेँ नहि देखि पबैत छलाह किएक तँ ओ छोट खुट्टीक लोक छलाह। 4 तेँ ओ ई जानि जे यीशु एहि बाटे जा रहल छथि, आगाँ दौड़ि कऽ एक गुल्लड़िक गाछ पर चढ़ि गेलाह। 5 जखन यीशु ओहि स्थान पर पहुँचलाह तँ ऊपर ताकि कऽ कहलथिन, “यौ जक्कइ, जल्दी सँ उतरि आउ। आइ हमरा अहींक ओहिठाम रहबाक अछि।” 6 तँ जक्कइ जल्दी सँ उतरलाह और यीशु केँ बहुत खुशीपूर्बक अपना ओहिठाम लऽ जा कऽ स्वागत कयलथिन। 7 सभ लोक ई देखि कुड़बुड़ाय लागल जे, “ओ पापीक ओहिठाम पाहुन किएक बनऽ गेलाह!” 8 मुदा जक्कइ ठाढ़ भऽ कऽ प्रभु केँ कहलथिन, “प्रभु, हम अपन आधा सम्पत्ति गरीब सभ केँ दऽ दैत छी, और जँ हम ककरो सँ बइमानी कऽ कऽ किछु लेने छिऐक तँ ओकर चारि गुना फिरता कऽ देबैक।” 9 यीशु कहलथिन, “आइ एहि घर मे उद्धार आयल अछि, किएक तँ इहो मनुष्य अब्राहमक सन्तान अछि। 10 मनुष्य-पुत्र तँ हेरायल सभ केँ तकबाक लेल और ओकरा सभक उद्धार करबाक लेल आयल अछि।” 11 लोक सभ ई बात सुनि रहल छल। तखन यीशु ओकरा सभ केँ एक दृष्टान्त सुनौलथिन, किएक तँ ओ यरूशलेमक लग मे पहुँचि गेल छलाह, और लोक ई बुझैत छल जे परमेश्वरक राज्य तुरत्ते प्रगट होमऽ वला अछि। 12 ओ कहलथिन, “एक ऊँच घरानाक लोक दूर परदेश गेलाह जतऽ सँ हुनका अपन राज-अधिकार प्राप्त कऽ कऽ घूमि अयबाक छलनि। 13 जाय सँ पहिने ओ अपन दसटा नोकर केँ बजबा कऽ ओकरा सभ केँ एक-एकटा सोनक रुपैया देलथिन आ कहलथिन, ‘जाबत तक हम नहि आयब, ताबत तक एहि पाइ सँ व्यापार करह।’ 14 “मुदा प्रजा हुनका सँ घृणा करैत छलनि, और हुनका पाछाँ अपन आदमी सभ केँ ई सम्बाद लऽ कऽ पठौलक जे, ‘हम सभ नहि चाहैत छी जे ई हमरा सभ पर राज्य करय।’ 15 “मुदा ओ राजा बनलाह, और अपन देश मे घूमि अयलाह। तखन ई बुझबाक लेल जे, हमर नोकर सभ जकरा सभ केँ हम पाइ देने छलिऐक, से सभ हमर पाइ सँ कतेक कमायल, ओकरा सभ केँ बजबौलथिन। 16 “पहिल नोकर आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपनेक देल एक सोनक रुपैया दस गुना भऽ गेल।’ 17 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘चाबस! तोँ नीक नोकर छह! तोँ नान्हिटा बात मे विश्वासपात्र भेलह, तोरा दसटा नगर पर अधिकार होयतह।’ 18 “तखन दोसर नोकर आबि कऽ कहलकनि, ‘मालिक, अपनेक देल एक सोनक रुपैया पाँच गुना भऽ गेल।’ 19 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘तोँ पाँच नगर पर अधिकारी बनबह।’ 20 “एकटा तेसर नोकर आयल और कहऽ लागल, ‘मालिक, लेल जाओ अपन सोनक रुपैया। हम एकरा कपड़ा मे बान्हि कऽ रखने छलहुँ। 21 हम अपने सँ डेराइत छलहुँ, कारण, अपने कठोर आदमी छी। जे अहाँ रखलहुँ नहि, से निकालैत छी, आ जे रोपलहुँ नहि, से कटैत छी।’ 22 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘है दुष्ट नोकर! हम तोरे शब्द सँ तोरा दोषी ठहरयबौ! तोँ जँ जनैत छलेँ जे हम कठोर आदमी छी, जे रखलहुँ नहि, से निकालैत छी, आ जे रोपलहुँ नहि, से कटैत छी, 23 तँ तोँ हमर पाइ केँ व्याज पर किएक नहि लगा देलेँ जाहि सँ हम आबि कऽ ओकरा व्याजक संग लऽ लितहुँ?’ 24 “तखन मालिक अपना लग मे ठाढ़ भेल लोक केँ कहलथिन, ‘एकरा सँ ओ सोनक रुपैया लऽ लैह, और तकरा दऽ दहक जकरा दसटा छैक।’ 25 “ओ सभ कहलकनि, ‘मालिक, ओकरा तँ दसटा छैके!’ 26 “मालिक उत्तर देलथिन, ‘हम तोरा सभ केँ कहैत छिअह, जकरा लग छैक, तकरा आरो देल जयतैक, मुदा जकरा लग नहि छैक, तकरा सँ जेहो छैक सेहो लऽ लेल जयतैक। 27 मुदा हमर ओ दुश्मन सभ, जे नहि चाहैत छल जे हम ओकरा सभ पर राज्य करी, तकरा सभ केँ आनू, और हमरा सामने मे मारि दिऔक।’” 28 ई सभ बात कहि कऽ यीशु यरूशलेम दिस आगाँ बढ़ैत गेलाह। 29 जखन ओ ओहि पहाड़ पर जे “जैतून पहाड़” कहबैत अछि, ताहि परक बेतफगे और बेतनिया गाम सभ लग पहुँचलाह, तँ ओ दूटा शिष्य केँ ई कहि कऽ पठौलथिन जे, 30 “सामने मे जे गाम अछि, ताहि मे जाउ। जखने गाम मे प्रवेश करब, तखन गदहीक एक बच्चा बान्हल भेटत, जाहि पर केओ कहियो नहि चढ़ल अछि। ओकरा खोलि कऽ आनू। 31 केओ जँ पुछत जे, ‘एकरा किएक खोलैत छी?’ तँ कहबैक जे, ‘प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि।’” 32 शिष्य सभ ओतऽ गेलाह, और जहिना यीशु कहने छलथिन, ठीक ओहिना हुनका सभ केँ भेटलनि। 33 ओ सभ जखन गदहीक बच्चा खोलैत छलाह तँ ओकर मालिक सभ पुछऽ लगलनि जे, “अहाँ सभ ई गदहा किएक खोलि रहल छी?” 34 ओ सभ उत्तर देलथिन, “प्रभु केँ एकर आवश्यकता छनि।” 35 ओ सभ ओकरा यीशु लग अनलनि, और ओकरा पीठ पर अपन कपड़ा राखि कऽ हुनका बैसा देलथिन। 36 ओ जहिना जहिना आगाँ बढ़ैत जाइत छलाह, लोक सभ तहिना तहिना सड़क पर अपन कपड़ा ओछौने जाइत छलनि। 37 जखन ओ यरूशलेमक लग ताहिठाम पहुँचलाह जतऽ जैतून पहाड़ पर सँ सड़क नीचाँ मुँहें ढलान अछि, तँ शिष्यक विशाल भीड़ बहुत आनन्दित भऽ कऽ ओहि चमत्कार सभक लेल जे ओ सभ देखने छल, तकरा लेल जोर-जोर सँ एहि तरहेँ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करऽ लागल जे, 38 “धन्य छथि ओ राजा जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! स्वर्ग मे शान्ति, सर्वोच्च स्वर्ग मे प्रभुक जयजयकार!” 39 एहि पर भीड़ मेहक किछु फरिसी यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, अपना शिष्य सभ केँ चुप होयबाक लेल कहिऔक!” 40 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, ई सभ जँ चुप भऽ जायत तँ पाथरे सभ आवाज देबऽ लागत।” 41 यीशु यरूशलेम शहर लग जखन पहुँचलाह तँ शहर केँ देखि कऽ कानऽ लगलाह। 42 ओ कनैत-कनैत बजलाह, “तोँ, हँ तोँही, जँ आजुक दिन जनितह जे कोन बात सभ सँ शान्ति अबैत अछि...! मुदा से नहि! ई सभ बात तोरा देखाइ नहि दऽ रहल छह। 43 हँ, तोरा पर तेहन समय औतह जहिया तोहर शत्रु सभ तोरा चारू कात मोर्चा बान्हि कऽ घेरि लेतह, तोरा पर चारू कात सँ आक्रमण करतह। 44 ओ सभ तोरा और तोरा बालक सभ केँ माटि मे मिला देतह, और एको पाथर दोसर पाथर पर टिकल नहि रहतह, कारण, परमेश्वर जाहि समय मे तोरा ओहिठाम अयलथुन, ताहि समय केँ तोँ नहि चिन्हलह।” 45 यीशु मन्दिर मे गेलाह और बेचऽ वला सभ केँ ई कहि कऽ ओतऽ सँ भगाबऽ लगलाह जे, 46 “धर्मशास्त्रक लेख अछि, ‘हमर घर प्रार्थनाक घर होयत,’ मुदा तोँ सभ एकरा ‘चोर-डाकूक अड्डा’ बना देने छह।” 47 यीशु मन्दिर मे सभ दिन उपदेश दैत छलाह। मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ, और यहूदी सभक नेता सभ हुनका जान सँ मारि देबाक प्रयत्न कऽ रहल छलाह, 48 मुदा किछु कऽ नहि सकलाह, एहि लेल जे सम्पूर्ण जनता हुनकर बात सभ ध्यानपूर्बक सुनैत रहैत छल।
1 एक दिन यीशु मन्दिर मे लोक सभ केँ शिक्षा दैत छलाह और शुभ समाचार सुनबैत छलाह, तँ मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनिक संग हुनका लग आबि कऽ कहलथिन, 2 “कहू! अहाँ ई सभ बात जे करैत छी, से कोन अधिकार सँ? ई अधिकार अहाँ केँ के देलनि?” 3 ओ उत्तर देलथिन, “हमहूँ अहाँ सभ सँ एकटा बात पुछैत छी— 4 यूहन्ना केँ बपतिस्मा देबाक अधिकार परमेश्वर सँ भेटल छलनि वा मनुष्य सँ? कहू!” 5 ई सुनि ओ सभ अपना मे तर्क-वितर्क करऽ लगलाह जे, जँ अपना सभ कहबैक जे परमेश्वर सँ, तँ ओ कहत जे, तखन हुनकर बातक विश्वास किएक नहि कयलहुँ? 6 मुदा जँ ई कहबैक जे, मनुष्य सँ, तँ समस्त जनता हमरा सभ पर पथरबाहि करत, कारण ओकरा सभ केँ पूरा विश्वास छैक जे यूहन्ना परमेश्वरक एकटा प्रवक्ता छलाह। 7 तेँ ओ सभ उत्तर देलथिन जे, “हम सभ नहि जनैत छी जे कतऽ सँ भेटल छलनि।” 8 एहि पर यीशु कहलथिन, “तँ हमहूँ अहाँ सभ केँ नहि कहब जे हम कोन अधिकार सँ ई काज करैत छी।” 9 तखन ओ लोक सभ केँ ई दृष्टान्त सुनाबऽ लगलथिन, “एक आदमी अंगूरक बगान लगौलनि। तकरबाद किसान सभ केँ बटाइ पर दऽ कऽ बहुत दिनक लेल परदेश चल गेलाह। 10 फलक समय अयला पर ओ अपन हिस्सा लेबाक लेल बटाइदार सभ लग एक नोकर केँ पठौलथिन। मुदा ओ सभ ओकरा पिटलकैक आ खाली हाथ लौटा देलकैक। 11 मालिक फेर दोसर नोकर केँ पठौलथिन, मुदा ओकरो ओ सभ मारि-पिटि कऽ और अपमानित कऽ कऽ खाली हाथ लौटा देलकैक। 12 मालिक तेसरो नोकर केँ पठौलथिन, और ओकरो ओ सभ घायल कऽ कऽ भगा देलकैक। 13 तखन मालिक विचारलनि, ‘हम की करू? हम अपन प्रिय बेटा केँ पठयबैक, एकरा ओ सभ शायद मानतैक।’ 14 मुदा बटाइदार सभ हुनका अबैत देखि एक-दोसराक संग विचारऽ लागल जे, ‘ई तँ अपन बापक उत्तराधिकारी अछि! चलू, एकरा मारि दिऐक, तखन ई सम्पत्ति अपने सभक भऽ जायत!’ 15 एना सोचि ओ सभ हुनका बगान सँ बाहर लऽ जा कऽ हुनका जान सँ मारि देलकनि। “आब मालिक ओकरा सभ केँ की करथिन? 16 ओ आबि कऽ ओहि बटाइदार सभक सर्वनाश करथिन, और बगान दोसर बटाइदार सभ केँ दऽ देथिन।” ई सुनि लोक सभ बाजि उठल, “एना कहियो नहि होअय!” 17 यीशु ओकरा सभक दिस एकटक लगा कऽ देखैत कहलथिन, “तखन धर्मशास्त्र मे लिखल एहि बातक की अर्थ अछि जे, ‘जाहि पाथर केँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि फेकि देलक, वैह पाथर मकानक प्रमुख पाथर भऽ गेल।’ ? 18 जे केओ ओहि पाथर पर खसत, से चकना-चूर भऽ जायत, और जकरा पर ई पाथर खसतैक से थकुचा-थकुचा भऽ जायत।” 19 धर्मशिक्षक और मुख्यपुरोहित सभ हुनका तुरत पकड़ऽ चाहैत छलाह, कारण ओ सभ बुझि गेलाह जे ई हमरे सभक बारे मे ई कथा कहलक अछि। मुदा जनता सँ डेराइत छलाह। 20 धर्मशिक्षक आ मुख्यपुरोहित सभ अवसरक ताक मे छलाह। ओ सभ हुनका लग किछु भेदिया सभ केँ सोझिया आदमीक रूप मे पठा देलनि, एहि आशा मे जे यीशुक कोनो ने कोनो कहल बातक द्वारा हुनका पकड़ि सकी आ राज्यपाल-शासनक अधिकार मे रखबा दी। 21 भेदिया सभ हुनका सँ प्रश्न कयलकनि, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने ठीक-ठीक बात सभ बजैत आ सिखबैत छी, अपने ककरो मुँह देखि कऽ किछु नहि कहैत छिऐक, बल्कि सत्यक अनुसार परमेश्वरक बाटक शिक्षा दैत छी। 22 आब हमरा सभ केँ एकटा बात कहल जाओ—धर्म-नियमक अनुसार अपना सभक लेल रोमी सम्राट-कैसर केँ कर देनाइ उचित अछि वा नहि?” 23 मुदा ओ ओकर सभक कपट बुझि गेलथिन आ कहलथिन, 24 “हमरा एकटा सिक्का देखाउ। एहि पर किनकर चित्र छनि आ किनकर नाम लिखल छनि?” 25 ओ सभ उत्तर देलकनि, “सम्राट-कैसरक।” तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “तँ जे सम्राटक छनि से सम्राट केँ दिऔन, और जे परमेश्वरक छनि, से परमेश्वर केँ दिऔन।” 26 एहि तरहेँ ओ सभ जनताक सामने हुनकर कहल कोनो बात मे हुनका नहि पकड़ि सकल। हुनकर उत्तर सँ चकित भऽ गुम्म रहि गेल। 27 सदुकी पंथक लोक, जे सभ एहि बात केँ नहि मानैत अछि जे मृत्यु मे सँ मनुष्य फेर जिआओल जायत, से सभ एकटा प्रश्न लऽ कऽ यीशु लग आयल। 28 ओ सभ कहलकनि, “गुरुजी, मूसा हमरा सभक लेल लिखलनि जे, जँ ककरो भाय निःसन्तान मरि जाइक आ ओकर स्त्री जीविते होइक तँ ओकरा ओहि स्त्री सँ विवाह कऽ अपना भायक लेल सन्तान उत्पन्न करबाक चाही। 29 आब, केओ सात भाय रहय। जेठका विवाह कयलक आ निःसन्तान मरि गेल। 30 तँ दोसर भाय आ फेर तेसर भाय ओकरा सँ विवाह कयलक, और तहिना सातो भाय निःसन्तान मरि गेल। 32 अन्त मे स्त्रिओ मरि गेलि। 33 आब कहल जाओ, ओहि समय मे जहिया मुइल सभ केँ जिआओल जयतैक, तँ ओ स्त्री एहि भाय सभ मे सँ ककर स्त्री होयतैक? ओकरा सँ तँ सातो विवाह कयने छलैक।” 34 यीशु उत्तर देलथिन, “एही दुनियाक लोक विवाह करैत अछि आ विवाह मे देल जाइत अछि। 35 मुदा जे लोक सभ ओहि दुनिया मे जाय जोगरक ठहरि कऽ जीबि उठत, से ओहि दुनिया मे जा कऽ विवाह नहि करत। 36 ओ सभ फेर मरि नहि सकैत अछि, ओ सभ तँ एहि विषय मे स्वर्गदूत सभ जकाँ अछि, और जीबि उठलाक कारणेँ ओ सभ परमेश्वरक सन्तान अछि। 37 मुदा मुइल सभ जीबि उठैत अछि वा नहि, ताहि प्रश्नक सम्बन्ध मे मूसा जरैत झाड़ीक विवरण मे स्पष्ट कयलनि जे अवश्य जीबि उठैत अछि, कारण ओ प्रभु केँ ‘अब्राहमक परमेश्वर, इसहाकक परमेश्वर और याकूबक परमेश्वर’ कहने छथि। 38 ओ मुइल सभक नहि, बल्कि जीवित सभक परमेश्वर छथि। परमेश्वरक नजरि मे सभ केओ जीवित अछि।” 39 एहि पर धर्मशिक्षक सभ मे सँ किछु गोटे कहलथिन, “गुरुजी, अपने बड्ड नीक उत्तर देलहुँ।” 40 और ककरो हुनका सँ आरो बात पुछबाक साहस नहि भेलैक। 41 तखन यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “धर्मशास्त्र मे ई कोना कहल जाइत अछि जे उद्धारकर्ता-मसीह दाऊदक पुत्र छथि? 42 जखन कि दाऊद अपने भजन-संग्रहक पुस्तक मे कहैत छथि, ‘प्रभु-परमेश्वर हमरा प्रभु केँ कहलथिन, अहाँ हमर दहिना कात बैसू 43 और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 44 दाऊद ‘उद्धारकर्ता-मसीह’ केँ ‘प्रभु’ कहैत छथिन। तँ ओ फेर हुनकर पुत्र कोना भेलाह?” 45 सभ लोक हुनकर बात सभ सुनि रहल छलनि तखन ओ अपना शिष्य सभ केँ कहलथिन, 46 “धर्मशिक्षक सभ सँ सावधान रहू। धर्मगुरु वला लम्बा-लम्बा कपड़ा पहिरि कऽ घुमब, हाट-बजार मे लोक हुनका सभ केँ प्रणाम करनि, सभाघर सभ मे प्रमुख आसन पर बैसब और भोज-काज मे सम्मानित स्थान भेटय हुनका सभ केँ बहुत नीक लगैत छनि। 47 विधवा सभक घर-द्वारि हड़पि लैत छथि, और लोक सभ केँ देखयबाक लेल लम्बा-लम्बा प्रार्थना करैत छथि। ओहन लोक केँ बेसी दण्ड भेटतैक।”
1 यीशु नजरि उठा कऽ देखलनि जे धनिक सभ मन्दिरक दान-पात्र मे अपन दान चढ़ा रहल अछि। 2 एकटा गरीब विधवा केँ सेहो तामक दूटा पाइ दान-पात्र मे दैत देखलनि। 3 ई देखि ओ बजलाह, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे, ई गरीब विधवा ओहि सभ आदमी सँ बेसी चढ़ौलक। 4 ओ सभ तँ अपना फाजिल धन मे सँ दान चढ़ौलक, मुदा ई अपन गरीबी मे सँ अपन पूरा जीविके चढ़ा देलक।” 5 किछु शिष्य सभ मन्दिरक बारे मे बाजि रहल छलाह जे कतेक नीक सँ सुन्दर-सुन्दर पाथर और परमेश्वर केँ अर्पित कयल वस्तु सभ सँ बनाओल अछि। एहि पर यीशु कहलथिन, 6 “ई सभ वस्तु जे एतऽ देखैत छी—तेहन समय आओत जहिया एतऽ एकोटा पाथर एक-दोसर पर नहि रहत। सभ ढाहल जायत।” 7 ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “गुरुजी, ई घटना कहिया होयत? और कोन चिन्ह होयतैक जाहि सँ बुझि सकी जे ई बात सभ आब होयत?” 8 ओ उत्तर देलथिन, “होसियार रहू जाहि सँ बहकाओल नहि जायब। कारण, बहुतो लोक हमर नाम लऽ कऽ आओत आ कहत जे, ‘हम वैह छी,’ आ ‘समय लगचिआ गेल अछि।’ ओकरा सभक पाछाँ नहि जाउ! 9 जखन अनेक लड़ाइ और अन्दोलनक खबरि सुनब, तँ भयभीत नहि होउ। ई सभ तँ पहिने होयब आवश्यक अछि, मुदा संसारक अन्त तुरत नहि होयत।” 10 आगाँ ओ कहलथिन, “एक देश दोसर देश सँ लड़ाइ करत, और एक राज्य दोसर राज्य सँ। 11 बड़का-बड़का भूकम्प होयत, विभिन्न ठाम अकाल पड़त और अनेक स्थान मे महामारी होयत। आकाश मे भयंकर घटना सभ होयत और आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखाइ देत। 12 “मुदा एहि सभ बात सँ पहिने हमरा कारणेँ लोक सभ अहाँ सभ केँ पकड़ि कऽ अहाँ सभ पर अत्याचार करत। अहाँ सभ केँ सभाघर सभ मे सौंपि देत, जहल मे बन्द कऽ देत, और राजा आ राज्यपाल सभक समक्ष लऽ जायत। 13 ई बात सभ अहाँ सभक लेल गवाही देबाक अवसर होयत। 14 मुदा अहाँ सभ अपना मोन मे ई निश्चय कऽ लिअ जे हमरा पर लगाओल अभियोगक उत्तर मे हम की बाजू तकर चिन्ता पहिने सँ हम नहि करब। 15 कारण, अहाँ सभ केँ बजबाक लेल हम तेहन शब्द और बुद्धि देब जे कोनो विरोधी ने तकरा सामने मे टिकि सकत आ ने तकरा काटि सकत। 16 माय-बाबू, भाय, कुटुम्ब-परिवार और साथी-संगी सभ अहाँ सभक संग विश्वासघात कऽ कऽ पकड़बाओत, और अहाँ सभ मे सँ कतेको केँ मारिओ देत। 17 अहाँ सभ सँ सभ केओ एहि लेल घृणा करत जे अहाँ सभ हमर लोक छी। 18 मुदा अहाँ सभक माथक एकटा केशो नहि टुटत। 19 विश्वास मे दृढ़ रहला सँ अहाँ सभ जीवन प्राप्त करब। 20 “जखन यरूशलेम केँ सेना सभ सँ घेराइत देखब, तँ ई बुझि लिअ जे ओकर विनाश लग आबि गेल। 21 ओहि समय मे जे सभ यहूदिया प्रदेश मे होअय, से सभ पहाड़ पर भागि जाय। जे यरूशलेम मे होअय, से बाहर निकलि जाय, और जे लग-पासक देहात मे होअय, से शहर मे नहि जाय। 22 कारण ओ महादण्डक समय होयत जाहि समय मे धर्मशास्त्र मे लिखल सभ बात पूरा होयत। 23 ओहि समय मे जे स्त्रीगण सभ गर्भवती होयत वा जकरा दूधपीबा बच्चा होयतैक, तकरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतैक! किएक तँ एहि देश मे भयंकर संकट औतैक, और एहि लोक सभ पर परमेश्वरक प्रकोप पड़तैक। 24 ओ सभ तरुआरि सँ मारल जायत, और बन्दी बनि कऽ विश्वक प्रत्येक राष्ट्र मे लऽ गेल जायत। यरूशलेम गैर-यहूदी सभ द्वारा तहिया धरि लतखुर्दन भऽ पिचाइत रहत जहिया धरि गैर-यहूदी सभ केँ देल गेल समय पूरा बिति नहि जायत। 25 “सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ मे आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखाइ देत। पृथ्वी पर सभ जातिक लोक समुद्रक लहरि देखि आ ओकर गर्जन सुनि घबड़ा जायत और व्याकुल भऽ उठत। 26 पृथ्वी पर जे बात सभ घटऽ वला अछि, तकर डर-भय सँ लोक सभ बेहोस भऽ जायत। कारण, आकाशक शक्ति सभ हिलाओल जायत। 27 तकरबाद लोक मनुष्य-पुत्र केँ सामर्थ्य और अपार महिमाक संग मेघ मे अबैत देखत। 28 ई सभ बात जखन होमऽ लागत तँ अहाँ सभ ठाढ़ भऽ जाउ और मूड़ी उठाउ, किएक तँ अहाँ सभक छुटकारा लगचिआ गेल रहत।” 29 तखन ओ हुनका सभ केँ ई दृष्टान्त देलथिन, “अंजीरक गाछ वा कोनो गाछ केँ लिअ। 30 जखने नव पात निकलऽ लगैत छैक तँ अपने सँ जानि लैत छी जे गर्मीक समय आबि रहल अछि। 31 तहिना, जखन अहाँ सभ ई बात सभ होइत देखब तँ बुझू जे परमेश्वरक राज्य लग आबि गेल अछि। 32 “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे एहि पीढ़ी केँ समाप्त होमऽ सँ पहिने ई सभ घटना निश्चित घटत। 33 आकाश और पृथ्वी समाप्त भऽ जायत, मुदा हमर वचन अनन्त काल तक रहत। 34 “सावधान रहू! नहि तँ अहाँ सभक मोन भोग-विलास, नशा और जीवनक चिन्ता मे ओझरायल रहत, और ओ दिन अहाँ सभ पर अचानक आबि कऽ फन्दा जकाँ पकड़ि लेत। 35 कारण ओ दिन सम्पूर्ण पृथ्वी पर रहऽ वला सभ लोक पर अचानक आबि जायत। 36 एहि लेल सदिखन सचेत रहू, और प्रार्थना करू जे, जे घटना सभ होमऽ वला अछि ताहि मे बाँचि सकी और मनुष्य-पुत्रक सम्मुख ठाढ़ रहि सकी।” 37 यीशु दिन कऽ मन्दिर मे उपदेश दैत छलाह, और जैतून पहाड़ नामक परवत पर जा कऽ राति बितबैत छलाह। 38 लोक सभ हुनकर उपदेश सुनबाक लेल सभ दिन भोरे-भोर मन्दिर अबैत छल।
1 “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”, जे “फसह-पाबनि” कहबैत अछि, लगचिआ गेल छल। 2 मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ यीशु केँ कोन प्रकारेँ मारि देल जाय तकर ठीक उपायक ताक मे लागल छलाह, कारण ओ सभ जनता सँ डेराइत छलाह। 3 तखन यहूदा इस्करियोती, जे बारह शिष्य मे सँ एक छल, तकरा मोन मे शैतान पैसि गेलैक। 4 ओ जा कऽ मुख्यपुरोहित सभ और मन्दिरक सिपाही सभक कप्तान सभक संग बात-चीत कयलक जे ओ यीशु केँ कोना हुनका सभक हाथ मे पकड़बा देत। 5 ओ सभ बड्ड प्रसन्न भेलाह, और ओकरा एहि काजक लेल पाइ देबाक लेल सहमत भेलाह। 6 यहूदा सेहो मानि लेलक, और जाहि समय मे लोकक भीड़ नहि रहत, ताहि समय मे यीशु केँ पकड़बा कऽ हुनका सभक हाथ मे देबाक अवसरक ताक मे रहऽ लागल। 7 तखन बिनु खमीरक रोटी वला पाबनिक ओ दिन आबि गेल, जाहि दिन फसह-भोजक भेँड़ा बलिदान करबाक छल। 8 पत्रुस और यूहन्ना केँ यीशु ई कहि कऽ पठौलथिन जे, “जाउ, अपना सभक लेल फसह-भोजक व्यवस्था करू।” 9 ओ सभ पुछलथिन, “अहाँ कतऽ चाहैत छी जे हम सभ व्यवस्था करी?” 10 ओ कहलथिन, “शहर मे प्रवेश करिते घैल मे पानि लऽ जाइत एक पुरुष अहाँ सभ केँ भेटत। जाहि घर मे ओ प्रवेश करत, ताहि मे अहाँ सभ ओकरा पाछाँ-पाछाँ जायब, 11 और घरक मालिक केँ कहबनि जे, ‘गुरुजी पुछैत छथि जे, ओ अतिथि-घर कतऽ अछि जतऽ हम अपना शिष्य सभक संग फसह-भोज खायब?’ 12 ओ अहाँ सभ केँ उपरका तल्ला पर एक नमहर कोठली देखौताह जाहि मे सभ किछु तैयार रहत। ओतहि अहाँ सभ भोजक व्यवस्था करू।” 13 ओ सभ गेलाह, और जहिना यीशु हुनका सभ केँ कहने छलथिन, ठीक ओहिना सभ किछु भेटलनि, और ओ सभ ओतऽ फसह-भोजक व्यवस्था कयलनि। 14 जखन भोज खयबाक समय भेल तँ यीशु अपन बारहो दूतक संग भोजन करबाक लेल बैसलाह। 15 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमरा बड्ड इच्छा छल जे अपन दुःख भोगनाइ सँ पहिने अहाँ सभक संग हम ई फसह-भोज खाइ। 16 कारण, हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जा धरि एहि भोजक अभिप्राय परमेश्वरक राज्य मे पूरा नहि होयत, ता धरि हम एकरा फेर नहि खायब।” 17 ओ बाटी लेलनि, आ परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “ई लिअ, अपना सभ मे बाँटि लिअ। 18 हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जाबत तक परमेश्वरक राज्य नहि आओत ताबत तक हम अंगूरक रस फेर नहि पीब।” 19 ओ रोटी लेलनि आ परमेश्वर केँ धन्यवाद देलनि। रोटी केँ तोड़ि कऽ शिष्य सभ केँ देलथिन आ कहलथिन, “ई हमर देह अछि जे अहाँ सभक लेल देल जा रहल अछि। ई हमर यादगारी मे करू।” 20 तहिना भोजनक बाद ओ बाटी लेलनि आ कहलथिन, “एहि बाटी मे परमेश्वर आ मनुष्यक बीच नव सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि, जे अहाँ सभक लेल बहाओल जा रहल अछि। 21 मुदा हमरा पकड़बाबऽ वला एतऽ हमरा संग भोजन पर बैसल अछि! 22 मनुष्य-पुत्र तँ, जहिना ओकरा लेल निश्चित कयल गेल छैक, तहिना चल जायत, मुदा धिक्कार अछि ओहि मनुष्य केँ जे ओकरा पकड़बा रहल अछि।” 23 एहि पर शिष्य सभ एक-दोसर सँ पुछऽ लागल जे, ओ के भऽ सकैत अछि, जे एहन काज करत? 24 शिष्य सभक बीच एहि विषय मे विवाद उठि गेल जे, हमरा सभ मे पैघ के मानल जाय। 25 यीशु कहलथिन, “एहि संसारक राज्य सभ मे राजा सभ अपना प्रजा पर हुकुम चलबैत रहैत छथि, और प्रजा पर अधिकार जमाबऽ वला सभ अपना केँ ‘उपकारी’ कहैत अछि। 26 मुदा अहाँ सभ मे एना नहि होअय। बल्कि, जे अहाँ सभ मे पैघ होअय, से सभ सँ छोट बनय, और जकरा अधिकार होइक, से दास बनय। 27 पैघ के अछि, ओ जे भोजन करबाक लेल बैसल अछि, वा ओ जे सेवा करैत अछि? की भोजन करऽ वला पैघ नहि अछि? मुदा हम अहाँ सभक बीच सेवकक रूप मे छी। 28 “अहीं सभ छी जे हमर बेर-विपत्ति मे हमरा संग दैत रहलहुँ। 29 और जहिना हमर पिता हमरा राज्य करबाक अधिकार देने छथि, तहिना हमहूँ अहाँ सभ केँ राज्य करबाक अधिकार दैत छी, 30 जाहि सँ अहाँ सभ हमर राज्य मे हमरा संग खायब-पीब, और सिंहासन पर बैसि कऽ इस्राएलक बारहो कुलक न्याय करब। 31 “सिमोन, यौ सिमोन! सुनू! शैतान अहाँ सभक माँग कयने अछि, जे ओ अहाँ सभ केँ गहुम जकाँ फटकय। 32 मुदा हम अहाँक लेल पिता सँ प्रार्थना कयने छी जे अहाँक विश्वास टुटय नहि। अहाँ जखन हमरा दिस फेर घूमि आयब, तँ विश्वास मे स्थिर रहऽ मे अपना भाय सभक मदति करब।” 33 मुदा पत्रुस उत्तर देलथिन, “प्रभु! हम अहाँक संग जहल मे जयबाक लेल आ मरबाक लेल सेहो तैयार छी!” 34 यीशु कहलथिन, “यौ पत्रुस, हम अहाँ केँ कहैत छी जे, आइए मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार कऽ कऽ लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 35 तखन ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ जखन बटुआ, झोरा और जुत्ताक बिना बाहर पठौने रही, तँ की कोनो वस्तुक अभाव भेल?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “नहि।” 36 तखन यीशु कहलथिन, “मुदा आब, जकरा बटुआ छैक वा झोरा छैक से लऽ लिअय। आ जकरा तरुआरि नहि छैक, से अपन कोनो वस्त्र बेचि कऽ किनि लिअय। 37 किएक तँ हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, धर्मशास्त्र मे लिखल ई बात हमरा मे पूरा होयबाक अछि जे, ‘ओ अपराधी सभ मे गनल गेलाह।’ हँ, जे बात हमरा विषय मे लिखल अछि, से एखनो पूरा भऽ रहल अछि।” 38 शिष्य सभ हुनका कहलथिन, “प्रभु, देखू, एतऽ दूटा तरुआरि अछि।” ओ उत्तर देलथिन, “बस, भऽ गेल।” 39 तखन यीशु शहर सँ बहरा कऽ जैतून पहाड़ पर गेलाह, जतऽ ओ बेसी काल जाइत छलाह। हुनका संग हुनकर शिष्य सभ सेहो छलथिन। 40 ओतऽ पहुँचि कऽ ओ शिष्य सभ केँ कहलथिन, “प्रार्थना करैत रहू जे परीक्षा मे नहि पड़ी।” 41 तखन ओ शिष्य सभ सँ किछु दूर हटि ठेहुनिया दऽ कऽ एहि तरहेँ प्रार्थना करऽ लगलाह जे, 42 “हे पिता, अहाँ जँ चाहैत छी, तँ ई दुःखक बाटी हमरा लग सँ हटा लिअ। मुदा तैयो हमर इच्छा नहि, अहींक इच्छा पूरा होअय।” 43 तखन हुनका साहस देबाक लेल एक स्वर्गदूत हुनका लग अयलथिन। 44 ओ व्याकुल भऽ कऽ प्रार्थना मे एतेक लीन भऽ गेलाह जे हुनका शरीर सँ खूनक बुन्द सनक पसेना ठोपे-ठोप जमीन पर खसि रहल छलनि। 45 प्रार्थना सँ उठि कऽ ओ शिष्य सभ लग अयलाह। शिष्य सभ शोकित भऽ थाकि कऽ सुतल छलाह। 46 यीशु कहलथिन, “अहाँ सभ सुतल किएक छी? उठू, आ प्रार्थना करैत रहू जे परीक्षा मे नहि पड़ी।” 47 यीशु बाजिए रहल छलाह कि लोकक भीड़ ओतऽ पहुँचल। हुनकर बारह शिष्य मे सँ एक, जकर नाम यहूदा छलैक, से ओकरा सभक आगाँ छल। ओ चुम्मा लेबाक लेल यीशुक लग मे अयलनि, 48 मुदा यीशु ओकरा कहलथिन, “हौ यहूदा, की तोँ मनुष्य-पुत्र केँ चुम्मा लऽ कऽ धोखा दऽ रहल छह?” 49 यीशुक शिष्य सभ जखन देखलनि जे आब की होयत तँ पुछलथिन, “प्रभु, की हम सभ तरुआरि चलाउ?” 50 हुनका सभ मे सँ एक गोटे महापुरोहितक टहलू पर तरुआरि चला कऽ ओकर दहिना कान काटि देलनि। 51 मुदा यीशु कहलथिन, “रूकू, रूकू!” और ओहि आदमीक कान छुबि कऽ ठीक कऽ देलथिन। 52 तखन यीशु मुख्यपुरोहित, मन्दिरक सिपाही और बूढ़-प्रतिष्ठित सभ जे हुनका पकड़ऽ आयल छल, तकरा सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ हमरा विद्रोह मचाबऽ वला बुझि कऽ लाठी और तरुआरि लऽ कऽ पकड़ऽ अयलहुँ? 53 हम अहाँ सभक संग सभ दिन मन्दिर मे छलहुँ तँ हमरा पकड़बाक कोशिश नहि कयलहुँ। मुदा एखन ई अहाँ सभक समय अछि, एखन अन्हार केँ अधिकार छैक।” 54 तखन ओ सभ यीशु केँ पकड़ि लेलकनि आ ओहिठाम सँ महापुरोहितक भवन मे लऽ गेलनि। पत्रुस सेहो किछु दूर रहि कऽ पाछाँ-पाछाँ गेलाह। 55 लोक सभ आङनक बीच मे घूर लगा कऽ आगि तापऽ बैसल तँ पत्रुसो आबि कऽ बैसि रहलाह। 56 एक नोकरनी आगिक इजोत मे हुनका बैसल देखलकनि आ हुनकर मुँह ठिकिअबैत बाजल, “इहो ओकरे संग छलैक।” 57 मुदा पत्रुस अस्वीकार कऽ कऽ कहलथिन, “गे! हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।” 58 किछु कालक बाद केओ दोसर गोटे हुनका देखि कहलकनि, “अहूँ तँ ओकरे सभ मे सँ छी।” पत्रुस उत्तर देलथिन, “यौ भाइ, हम नहि छी!” 59 करीब एक घण्टाक बाद फेर तेसर गोटे जोर दैत बाजल, “ई आदमी पक्का ओकरा संग छलैक, इहो तँ गलीले निवासी अछि।” 60 मुदा पत्रुस उत्तर देलथिन, “भाइ, अहाँ की कहैत छी से हम बुझबे नहि करैत छी!” ओ ई बात कहिए रहल छलाह कि तुरत्ते मुर्गा बाजि उठल। 61 प्रभु घूमि कऽ पत्रुसक दिस तकलथिन। तखने हिनका प्रभुक कहल बात मोन पड़ि गेलनि जे, “आइ मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिने अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार करब।” 62 ओ ओहिठाम सँ बाहर भऽ भोकासी पाड़ि कऽ कानऽ लगलाह। 63 जे सिपाही सभ यीशु पर पहरा दऽ रहल छलनि से सभ हुनकर हँसी उड़ाबऽ लगलनि और मारऽ-पिटऽ लगलनि। 64 हुनका आँखि पर पट्टी बान्हि कऽ कहलकनि, “यौ अन्तर्यामी! कहल जाओ, अपने केँ के मारलक?” 65 एहि तरहक आरो-आरो बहुत बात सभ कहि कऽ हुनकर अपमान कयलकनि। 66 भोर भेला पर यहूदी सभक बूढ़-प्रतिष्ठित सभ, मुख्यपुरोहित सभ और धर्मशिक्षक सभ महासभा मे जमा भेलाह, और यीशु केँ हुनका सभक सामने आनल गेलनि। 67 ओ सभ कहलथिन, “अहाँ जँ उद्धारकर्ता-मसीह छी, तँ हमरा सभ केँ स्पष्ट कहू।” ओ उत्तर देलथिन, “हम जँ कहब, तँ अहाँ सभ विश्वास करब नहि, 68 और हम जँ अहाँ सभ सँ पुछब, तँ अहाँ सभ उत्तर देब नहि। 69 मुदा आब मनुष्य-पुत्र सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसत।” 70 ओ सभ केओ एके संग पुछलथिन, “तखन की अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी?” ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ ठीक कहैत छी। हँ, हम वैह छी।” 71 एहि पर ओ सभ बजलाह, “आब आरो गवाहीक की आवश्यकता? अपना सभ स्वयं एकरे मुँह सँ सभटा सुनि लेलहुँ।”
1 तखन पूरा सभा उठि कऽ यीशु केँ राज्यपाल पिलातुसक सामने लऽ गेलनि। 2 ओ सभ हुनका पर अभियोग लगाबऽ लागल जे, “एकरा हम सभ जनता केँ भड़कबैत पौलिऐक। ओ सम्राट-कैसर केँ कर देनाइ मना करैत अछि, और अपना केँ मसीह, अर्थात् राजा, कहैत अछि।” 3 एहि पर पिलातुस हुनका सँ पुछलथिन, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” ओ उत्तर देलथिन, “अहाँ अपने कहि रहल छी।” 4 तखन पिलातुस मुख्यपुरोहित सभ और लोकक भीड़ केँ कहलथिन, “एहि आदमी मे हम कोनो दोष नहि देखैत छी।” 5 मुदा ओ सभ आओर जोर दऽ कऽ कहलकनि, “ओ अपन सिद्धान्तक द्वारा जनता केँ भड़कबैत अछि। गलील प्रदेश सँ शुरू कऽ कऽ एहिठाम तक आबि ओ समस्त यहूदिया प्रदेश मे अपन शिक्षा दैत आयल अछि।” 6 ई सुनि पिलातुस पुछलथिन, “की ई आदमी गलील प्रदेशक अछि?” 7 और ई बुझि जे यीशु हेरोदक अधिकार-क्षेत्रक छथि, ओ हुनका हेरोदक ओहिठाम पठा देलथिन। हेरोद ओहि समय मे यरूशलेमे मे छलाह। 8 हेरोद यीशु केँ देखि कऽ बहुत प्रसन्न भेलाह, किएक तँ ओ हुनका विषय मे बहुत किछु सुनने छलाह, और बहुत दिन सँ हुनका देखबाक इच्छा छलनि। ओ आशा रखने छलाह जे यीशु कोनो चमत्कार करताह, से हम देखब। 9 तेँ ओ यीशु सँ बहुत काल तक प्रश्न करैत रहलाह, मुदा ई हुनका कोनो उत्तर नहि देलथिन। 10 मुख्यपुरोहित और धर्मशिक्षक सभ ओतऽ ठाढ़ भऽ कऽ जोर-जोर सँ बाजि कऽ यीशु पर अभियोग लगा रहल छलाह। 11 तखन राजा हेरोद और हुनकर सैनिक सभ यीशुक अपमान कयलथिन और हँसी उड़ौलथिन। हुनका राजसी वस्त्र पहिरा कऽ पिलातुस लग घुमा देलथिन। 12 हेरोद और पिलातुस, जे पहिने एक-दोसराक कट्टर दुश्मन छलाह, से ओही दिन सँ मित्र बनि गेलाह। 13 तखन पिलातुस मुख्यपुरोहित सभ, नेता सभ और जनता केँ बजा कऽ कहलथिन, 14 “अहाँ सभ एहि आदमी केँ हमरा सामने पेश कऽ कऽ ई अभियोग लगौलिऐक जे, ई आदमी जनता केँ बहका कऽ आन्दोलन कराबऽ चाहैत अछि। हम अहाँ सभक सामने एकर जाँच कयलहुँ, और जाहि बातक अभियोग अहाँ सभ एकरा पर लगा रहल छिऐक, ताहि सम्बन्ध मे हम एकरा दोषी नहि पबैत छी। 15 और हेरोदो दोषी नहि पौलनि, कारण, ओ एकरा हमरा लग फेर घुमा देलनि। स्पष्ट अछि जे ई तेहन कोनो काज नहि कयने अछि जाहि सँ एकरा मृत्युदण्ड देल जाइक। 16 तेँ हम आब एकरा दण्ड दऽ कऽ छोड़ि दैत छिऐक।” 17 [फसह-पाबनिक अवसर पर हुनका कोनो कैदी केँ छोड़ि देबाक छलनि।] 18 मुदा ओ सभ एक संग जोर-जोर सँ हल्ला करैत कहलक जे, “एकरा खतम करू! हमरा सभक लेल बरब्बा केँ छोड़ि दिअ!” 19 बरब्बा एक कैदी छल जे नगर मे कोनो विद्रोहक कारणेँ आ हत्याक अपराध मे जहल मे राखि देल गेल छल। 20 पिलातुस यीशु केँ मुक्त करबाक इच्छा सँ लोक सभ केँ फेर मनयबाक प्रयत्न कयलनि, 21 मुदा ओ सभ नारा लगाबऽ लागल जे, “क्रूस पर चढ़ाउ! ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” 22 तेसर बेर पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “किएक? ई कोन अपराध कयने अछि? हम एकरा मे एहन कोनो दोष नहि देखैत छी जाहि कारणेँ एकरा मृत्युदण्ड देल जाइक। तेँ हम एकरा दण्ड दऽ कऽ छोड़ि दैत छिऐक।” 23 मुदा ओ सभ जोर-जोर सँ हल्ला कऽ कऽ पिलातुस सँ जिद्द कयलक जे, “ओकरा क्रूसे पर चढ़ाउ।” ओकर सभक हल्लाक कारणेँ ओकरा सभक जीत भेलैक। 24 पिलातुस ओकर सभक माँग पूरा करबाक निर्णय कयलनि। 25 विद्रोह और हत्याक कारणेँ जहल मे बन्द कयल गेल अपराधी, जकरा छोड़ि देबाक माँग ओ सभ कयने छलैक, तकरा ओ छोड़ि देलथिन, आ यीशु केँ ओकरा सभक इच्छा पर दऽ देलथिन। 26 ओ सभ यीशु केँ जखन लऽ जा रहल छलनि, तँ कुरेन नगरक सिमोन नामक एक आदमी, जे गाम सँ शहर दिस आबि रहल छल, तकरा पकड़ि कऽ ओकरा पर यीशुक क्रूस लादि देलकैक, जाहि सँ ओ यीशुक पाछाँ-पाछाँ क्रूस केँ लऽ चलय। 27 यीशुक पाछाँ बड़का भीड़ जा रहल छल। ओहि मे बहुत स्त्रीगणो सभ छलीह, जे हुनका लेल शोक आ विलाप कऽ रहल छलीह। 28 यीशु घूमि कऽ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हे यरूशलेमक बेटी सभ! हमरा लेल नहि कानू, बरु अपना लेल और अपना धिआ-पुता सभक लेल कानू। 29 कारण, तेहन समय आओत जहिया अहाँ सभ कहब जे, ‘कतेक धन्य ओ स्त्रीगण सभ अछि जकरा बाल-बच्चा नहि भेलैक, हँ, ओ सभ, जे धिआ-पुता केँ जन्म नहि देलक, जे कहियो दूध नहि पिऔलक!’ 30 तखन, ‘लोक पहाड़ सभ केँ कहतैक जे, हमरा सभ पर खसि पड़! हँ, कहतैक जे, हमरा सभ केँ झाँपि ले!’ 31 कारण, जँ हरियर गाछक संग ओ सभ एना करैत अछि, तँ सुखायलक संग की नहि करतैक?” 32 यीशुक संग आरो दू आदमी, जे अपराधी छल, तकरो मृत्युदण्डक लेल लऽ गेल गेलैक। 33 ओहि स्थान पर पहुँचि कऽ जे “खप्पड़” कहबैत अछि, सिपाही सभ यीशु केँ हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि, ओहिना ओहि दूनू अपराधी केँ सेहो, एकटा केँ हुनकर दहिना कात आ दोसर केँ बामा कात। 34 क्रूस पर चढ़ाओल गेलाक बाद यीशु बजलाह, “यौ पिता, एकरा सभ केँ क्षमा करिऔक, किएक तँ ई सभ नहि जनैत अछि जे की कऽ रहल अछि।” तखन सैनिक सभ पुरजी खसा कऽ यीशुक वस्त्र अपना मे बाँटि लेलक। 35 लोक सभ ओतऽ ठाढ़ भऽ कऽ ई सभ देखि रहल छल। यहूदी अधिकारी सभ यीशुक हँसी उड़बैत कहैत छल, “ई आन लोक सभ केँ बचौलक। ई जँ परमेश्वरक पठाओल मसीह अछि, जँ परमेश्वरक चुनल व्यक्ति अछि, तँ अपना केँ बचाबओ!” 36 सैनिक सभ सेहो यीशु लग आबि कऽ हुनकर हँसी उड़ौलकनि। हुनका तिताह दारू पिबाक लेल देलकनि आ कहलकनि, 37 “तोँ जँ यहूदी सभक राजा छेँ तँ अपना केँ बचा!” 38 हुनका मूड़ीक उपर एकटा सूचना टाँगल छल, जाहि पर लिखल छलैक, “ई यहूदी सभक राजा अछि।” 39 यीशुक कात मे टाँगल एक अपराधी हुनकर निन्दा करैत कहलकनि, “की तोँ उद्धारकर्ता-मसीह नहि छेँ? अपना केँ बचा, आ हमरो सभ केँ बचा ले!” 40 मुदा दोसर अपराधी ओकरा डाँटि कऽ कहलकैक, “रौ! की तोरा परमेश्वरक डर नहि छौ? तोहूँ तँ वैह दण्ड भोगि रहल छेँ। 41 हमरा-तोरा तँ ठीक दण्ड भेटल अछि। किएक तँ अपना सभ अपना काजक फल भोगि रहल छी, मुदा ई तँ कोनो अपराध नहि कयने अछि।” 42 तखन ओ यीशु केँ कहलकनि, “यौ यीशु, अहाँ जखन अपना राज्य मे आयब तँ हमरा मोन राखब।” 43 यीशु उत्तर देलथिन, “हम तोरा सत्य कहैत छिअह जे, आइए तोँ हमरा संग स्वर्गधाम मे होयबह।” 44 लगभग दुपहरक समय छलैक, तखन सौंसे देश अन्हार-कुप्प भऽ गेल, कारण सूर्यक प्रकाश समाप्त भऽ गेल। करीब तीन बजे तक देश मे अन्हारे रहल। मन्दिर मे जे परदा छलैक, से फाटि कऽ दू भाग मे भऽ गेल। 46 तखन यीशु बहुत जोर सँ बजलाह, “हे पिता, हम अपन आत्मा अहाँक हाथ मे सौंपि रहल छी।” ई कहि कऽ ओ प्राण त्यागि देलनि। 47 रोमी कप्तान ई सभ बात देखि परमेश्वरक स्तुति करैत बाजल, “सत्ये ई आदमी निर्दोष छल।” 48 जे लोक सभ ई दृश्य देखबाक लेल जुटि गेल छल, से सभ जखन देखलक जे की सभ भेल, तँ सभ लोक छाती पिटैत घर जाय लागल। 49 मुदा हुनकर चिन्हल-जानल लोक सभ दूरे ठाढ़ भऽ कऽ ई सभ बात देखि रहल छलाह, जाहि मे हुनका संग गलील प्रदेश सँ आयल स्त्रीगण सभ सेहो छलीह। 50 यहूदिया प्रदेशक अरिमतिया नगरक निवासी यूसुफ नामक एक आदमी छलाह जे महासभाक सदस्य छलाह। ओ सज्जन और धार्मिक लोक छलाह आ परमेश्वरक राज्यक प्रतीक्षा कऽ रहल छलाह। यीशुक सम्बन्ध मे महासभा जे निर्णय आ काज कयने छल, ताहि सँ ओ सहमत नहि भेल रहथि। 52 तँ ओ आदमी पिलातुस लग जा कऽ यीशुक लास माँगि लेलनि। 53 ओ क्रूस सँ लास उतारि कऽ मलमलक कपड़ा मे लपेटलनि, और पाथर काटि कऽ बनाओल कबर मे राखि देलनि। ओहि मे कोनो लास कहियो नहि राखल गेल छल। 54 ई शुक्रदिन, विश्राम-दिनक तैयारीक दिन छल, और विश्राम-दिन शुरू भऽ रहल छल। 55 जे स्त्रीगण सभ यीशुक संग गलील प्रदेश सँ आयल छलीह, से सभ यूसुफक पाछाँ-पाछाँ जा कऽ कबर देखलनि और इहो देखलनि जे यीशुक लास ओहि मे कोना राखल गेलनि। 56 तखन ओ सभ घर जा कऽ यीशुक लास मे लगयबाक लेल सुगन्धित तेल और इत्र तैयार कयलनि। मुदा विश्राम-दिन मे ओ सभ धर्म-नियमक आज्ञा मानि कऽ विश्राम कयलनि।
1 विश्राम-दिनक प्रात भेने, अर्थात् सप्ताहक पहिल दिन, भोरे-भोर ओ स्त्रीगण सभ अपन तैयार कयल सुगन्धित तेल सभ लऽ कऽ कबर पर गेलीह। 2 ओतऽ पहुँचला पर ओ सभ देखलनि जे कबरक मुँह पर जे पाथर राखल छलैक, से एक कात हटाओल गेल अछि। 3 मुदा ओ सभ जखन कबरक भीतर गेलीह तँ प्रभु यीशुक लास नहि देखलनि। 4 एहि पर ओ सभ सोच मे पड़ि गेलीह जे, ई की भेल? ताबते मे चमकैत वस्त्र पहिरने दू पुरुष हुनका सभ लग आबि ठाढ़ भऽ गेलनि। 5 ओ सभ डरेँ मूड़ी झुका कऽ नीचाँ मुँहें देखऽ लगलीह। ओ दूनू पुरुष हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जीवित आदमी केँ मुइल सभ मे किएक ताकि रहल छियनि? 6 ओ एतऽ नहि छथि, जीबि उठल छथि! ओ गलील मे रहैत काल अहाँ सभ केँ की कहने रहथि, से मोन पाड़ू। 7 ई जे, मनुष्य-पुत्र केँ पापी सभक हाथ मे सौंपल जयनाइ, क्रूस पर चढ़ाओल जयनाइ और तेसर दिन जीबि उठनाइ आवश्यक छनि।” 8 तखन यीशुक ई कहल बात हुनका सभ केँ मोन पड़लनि। 9 कबर पर सँ घूमि आबि कऽ ओ सभ ई सभ बात एगारहो शिष्य केँ और आरो लोक सभ केँ सुनौलथिन। 10 जे स्त्रीगण सभ ई बात सभ मसीह-दूत लोकनि केँ सुनौलथिन, से ई सभ छलीह—मरियम मग्दलीनी, योअन्ना, याकूबक माय मरियम और हुनकर सभक आरो संगी सभ। 11 मुदा मसीह-दूत सभ केँ ई सभ बात बताहे वला बुझयलनि और ओ सभ विश्वास नहि कयलथिन। 12 तैयो पत्रुस उठि कऽ कबर पर दौड़ैत गेलाह। ओ निहुड़ि कऽ भीतर तकलनि तँ मात्र मलमल वला पट्टी सभ एक कात पड़ल देखलनि। एहि बात सँ आश्चर्यित होइत ओ घूमि अयलाह। 13 ओही दिन यीशुक संगी मे सँ दू व्यक्ति इम्माउस नामक गाम जा रहल छलाह, जे यरूशलेम सँ करीब चारि कोस दूर अछि। 14 ओ सभ बाट मे एहि बितल घटना सभक बारे मे अपना मे गप्प-सप्प कऽ रहल छलाह। 15 गप्प-सप्प और विचार-विमर्श करैत काल यीशु स्वयं हुनका सभक लग आबि संग-संग चलऽ लगलाह। 16 मुदा हुनका सभक नजरि तेना बन्द कयल गेल छलनि जे ओ सभ यीशु केँ नहि चिन्हि सकलथिन। 17 ओ हुनका सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभ चलैत-चलैत अपना मे की गप्प-सप्प कऽ रहल छी?” ओ सभ उदास मोन सँ ठाढ़ भऽ गेलाह। 18 ओहि मेहक एक गोटे जिनकर नाम क्लियोपास छलनि, से यीशु केँ कहलथिन, “यरूशलेम मे अहींटा एहन प्रवासी होयब जकरा बुझल नहि छैक जे हाल मे की घटना सभ भेल!” 19 यीशु पुछलथिन, “कोन घटना सभ?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “नासरत-निवासी यीशुक सम्बन्ध मे। ओ परमेश्वरक प्रवक्ता छलाह, और परमेश्वरक आ समस्त जनताक नजरि मे हुनकर काज और वचन सामर्थ्यपूर्ण छलनि। 20 मुख्यपुरोहित सभ और हमरा सभक महासभाक अधिकारी सभ हुनका मृत्युदण्ड दिअयबाक लेल राज्यपालक हाथ मे सौंपि देलथिन, आ क्रूस पर चढ़ा कऽ मरबा देलथिन। 21 हमरा सभ केँ तँ आशा छल जे यैह इस्राएल केँ छुटकारा दिऔताह। और एतबे नहि, एक बात आओर अछि—आइ तीन दिन भेल ई घटना सभ भेला, 22 और आइ हमर सभक किछु स्त्रीगण सभ हमरा सभ केँ आश्चर्यित कऽ देलनि। ओ सभ आइ भोरे-भोर कबर पर गेलीह 23 मुदा हुनकर लास हुनका सभ केँ नहि भेटलनि। ओ सभ आबि कऽ हमरा सभ केँ कहलनि जे एना-एना स्वर्गदूतक दर्शन भेल आ स्वर्गदूत कहलनि जे ओ जीविते छथि। 24 एहि पर हमरा सभक किछु संगी सभ कबर पर गेलाह, आ जहिना स्त्रीगण सभ कहने छलीह, तहिना हुनका सभ केँ सभ किछु भेटलनि, मुदा यीशु केँ ओ सभ नहि देखलनि।” 25 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ कतेक निर्बुद्धि छी! प्रभुक प्रवक्ता लोकनिक सभ कथन पर अहाँ सभ विश्वास करबाक लेल किएक नहि तैयार भेलहुँ? 26 की मसीह केँ दुःख उठौलाक बादे अपना स्वर्गिक महिमा मे प्रवेश नहि करबाक छलनि?” 27 तखन यीशु मूसाक और अन्य प्रवक्ता सभक लेख सँ शुरू कऽ कऽ सम्पूर्ण धर्मशास्त्र मे अपना बारे मे लिखल बात सभ हुनका सभ केँ बुझाबऽ लगलथिन। 28 ताबते मे ओ सभ ओहि गाम लग पहुँचलाह जतऽ जयबाक छलनि, और यीशु एना देखौलथिन जेना ओ आगाँ जाय चाहैत होथि। 29 मुदा ओ सभ हुनका सँ बहुत आग्रह कयलनि जे, “देखू, साँझ पड़ऽ वला अछि, आब अन्हार होयत। हमरा सभक संग आइ रहि जाउ।” तखन यीशु हुनका सभक संग रहबाक लेल घरक भीतर गेलाह। 30 यीशु जखन हुनका सभक संग भोजन करबाक लेल बैसलाह तँ रोटी लेलनि, और परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ रोटी तोड़ि हुनका सभ केँ देबऽ लगलथिन। 31 तखन हुनका सभक नजरि खुलि गेलनि और ओ सभ हुनका चिन्हि लेलथिन। तकरबाद तुरत्ते यीशु बिला गेलाह। 32 तखन ओ सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “बाट मे चलैत काल ओ जखन अपना सभ सँ बात-चीत कयलनि आ धर्मशास्त्रक अर्थ बुझा देलनि, तँ अपना सभक हृदय आनन्द सँ केहन धक-धक करैत छल!” 33 ओ सभ तुरत्ते उठि कऽ यरूशलेम घूमि गेलाह। ओतऽ हुनका सभ केँ एगारहो शिष्य और अन्य संगी-साथी सभ एक ठाम जमा भेल भेटलथिन। 34 शिष्य सभ कहि रहल छलाह जे, “सत्ये अछि! प्रभु जीबि उठल छथि! ओ सिमोन केँ दर्शन देलनि अछि।” 35 तखन इहो दूनू गोटे हुनका सभ केँ बाट मे भेल बात सभक विषय मे कहि सुनौलथिन, आ कहलथिन, “ओ जखन रोटी तोड़लनि तखन हम सभ हुनका चिन्हि लेलियनि।” 36 ओ सभ ई बात सभ सुनबिते छलथिन कि यीशु स्वयं हुनका सभक बीच मे प्रगट भेलथिन और कहलथिन, “अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय।” 37 ओ सभ हुनका भूत बुझि अकचका कऽ भयभीत भऽ गेलाह। 38 यीशु कहलथिन, “अहाँ सभ किएक घबड़ायल छी? मोन मे शंका किएक उठैत अछि? 39 हमर हाथ-पयर देखू। हमहीं छी! हमरा छुबि कऽ देखू! भूत-प्रेत केँ तँ एना हाड़-माँसु सभ नहि होइत छैक जेना अहाँ सभ हमरा देखि रहल छी।” 40 ई कहि ओ हुनका सभ केँ अपन हाथ-पयर देखौलथिन। 41 हुनका सभ केँ ततेक ने आनन्द भेलनि जे तखनो विश्वास नहि भेलनि, आश्चर्य मे डुबल छलाह। तेँ यीशु पुछलथिन, “की अहाँ सभ लग किछु खयबाक वस्तु अछि?” 42 ओ सभ हुनका पकाओल माछक कुटिआ देलथिन। 43 ओ लऽ कऽ हुनका सभक सामने खयलनि। 44 यीशु कहलथिन, “हम जखन अहाँ सभक संग छलहुँ तँ अहाँ सभ केँ ई कहने छलहुँ जे, मूसाक धर्म-नियम, प्रभुक प्रवक्ता सभक लेख और भजन-संग्रहक पुस्तक मे हमरा विषय मे जे किछु लिखल अछि, से सभ बात पूरा होयब आवश्यक अछि।” 45 तखन ओ हुनका सभ केँ धर्मशास्त्रक बात बुझबाक लेल बुद्धि देलथिन। 46 ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “धर्मशास्त्र मे ई लिखल अछि जे, उद्धारकर्ता-मसीह दुःख उठौताह आ तेसर दिन मृत्यु सँ जीबि उठताह, 47 और यरूशलेम सँ शुरू कऽ पृथ्वीक सभ जातिक लोक मे हुनकर नाम सँ एहि बातक प्रचार कयल जायत जे, अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू आ पापक क्षमा प्राप्त करू। 48 अहाँ सभ एहि बात सभक गवाह छी। 49 हमर पिता अहाँ सभ केँ जे किछु देबाक वचन देलनि, से हम अहाँ सभ केँ आब पठा देब। मुदा जा धरि अहाँ सभ केँ ऊपर सँ सामर्थ्य प्राप्त नहि होयत, ता धरि अहाँ सभ एहि शहर मे रूकल रहू।” 50 यीशु हुनका सभ केँ बेतनिया गाम दिस लऽ गेलथिन, और अपन हाथ उठा कऽ हुनका सभ केँ आशीर्वाद देलथिन। 51 आशीर्वाद दैत काल ओ हुनका सभ सँ अलग भऽ गेलाह, और स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह। 52 शिष्य सभ हुनकर आराधना कयलनि और अत्यन्त आनन्दक संग यरूशलेम घूमि अयलाह। 53 ओ सभ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत अपन सम्पूर्ण समय मन्दिर मे व्यतीत करऽ लगलाह।
1 शुरू मे वचन रहथि। वचन परमेश्वरक संग छलाह, और अपने परमेश्वर छलाह। 2 तँ वैह शुरू मे परमेश्वरक संग छलाह। 3 वचने द्वारा सभ वस्तु उत्पन्न कयल गेल, और जे किछु उत्पन्न भेल ओहि मे सँ एकोटा वस्तु हुनका बिना उत्पन्न नहि भेल। 4 हुनका मे जीवन छल, और ई जीवन मनुष्यक लेल इजोत छल। 5 इजोत अन्हार मे प्रकाश दैत अछि, और अन्हार ओहि पर कहियो विजयी नहि भेल अछि। 6 परमेश्वर द्वारा पठाओल गेल एक आदमी अयलाह, जिनकर नाम यूहन्ना छलनि। 7 ओ गवाहीक लेल अयलाह, ओहि इजोतक विषय मे गवाही देबाक लेल, जाहि सँ हुनका द्वारा सभ लोक विश्वास करय। 8 ओ अपने ओ इजोत नहि छलाह, बल्कि ओहि इजोतक सम्बन्ध मे गवाही देबाक लेल आयल छलाह। 9 ओ इजोत वास्तविक इजोत छलाह, जे प्रत्येक मनुष्य केँ प्रकाशित करैत छथि। और ओ इजोत संसार मे आबि रहल छलाह। 10 ओ संसार मे छलाह, संसार हुनका द्वारा बनाओल गेल छल, तैयो संसार हुनका नहि चिन्हलकनि। 11 ओ अपना ओहिठाम अयलाह, मुदा हुनकर अपन लोक हुनका स्वीकार नहि कयलकनि। 12 तैयो जे सभ हुनका स्वीकार कयलक, अर्थात् जे सभ हुनका पर विश्वास कयलक, तकरा सभ केँ ओ परमेश्वरक सन्तान बनबाक अधिकार देलथिन। 13 ओ सभ ने मनुष्यक वंशज सँ जनमल, ने शारीरिक इच्छा सँ, और ने कोनो पुरुषक कल्पना सँ, बल्कि परमेश्वर द्वारा जनमल। 14 वचन मनुष्य बनि गेलाह, और कृपा आ सत्य सँ परिपूर्ण भऽ, हमरा सभक बीच मे निवास कयलनि। हम सभ हुनकर एहन महिमा देखलहुँ जेना पिताक एकलौता पुत्रक महिमा। 15 यूहन्ना हुनका विषय मे ई गवाही दऽ कऽ जोर सँ कहलनि, “यैह छथि जिनका बारे मे हम कहैत छलहुँ जे, ओ जे हमरा बाद अबैत छथि, से हमरा सँ श्रेष्ठ छथि, किएक तँ हमर जन्मो सँ पहिने ओ छलाह।” 16 हुनकर परिपूर्णता मे सँ हमरा सभ गोटे केँ कृपा भेटल अछि, हँ, आशिष पर आशिष। कारण, 17 धर्म-नियम मूसा द्वारा देल गेल, मुदा कृपा और सत्य यीशु मसीह द्वारा आयल। 18 परमेश्वर केँ केओ कहियो नहि देखने छनि। मुदा एकलौता पुत्र, जे अपने परमेश्वर छथि, और जे पिताक संगति मे रहैत छथि, वैह हुनका प्रगट कयने छथिन। 19 यूहन्नाक गवाही ई छनि। यरूशलेम शहर सँ यहूदी लोकनि पुरोहित आ मन्दिरक सेवक सभ केँ हुनका लग ई पुछबाक लेल पठा देलनि जे, “अहाँ के छी?” 20 तँ यूहन्ना अस्वीकार नहि कयलनि, ओ खुलि कऽ मानि लेलनि जे, “हम उद्धारकर्ता-मसीह नहि छी।” 21 ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “तँ की, अहाँ एलियाह छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हम से नहि छी।” “की अहाँ परमेश्वरक ओ प्रवक्ता छी जे आबऽ वला छथि?” ओ जबाब देलथिन, “नहि।” 22 तखन ओ सभ हुनका फेर पुछलथिन, “तखन अहाँ छी के? कहू ने जाहि सँ हमरा सभ केँ जे पठौलनि तिनका सभ केँ किछु उत्तर दऽ सकबनि। अपना विषय मे अहाँ की कहैत छी?” 23 ओ उत्तर देलथिन, “जहिना परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह कहलनि, हम ‘एक स्वर’ छी जे ‘निर्जन क्षेत्र मे जोर सँ आवाज दऽ रहल अछि जे, प्रभुक आगमनक लेल बाट सोझ बनाउ।’” 24 तखन फरिसी सभ द्वारा पठाओल गेल लोक सभ मे सँ किछु गोटे 25 हुनका सँ पुछलकनि, “अहाँ जँ उद्धारकर्ता-मसीह नहि छी, आ ने एलियाह आ ने ओ प्रवक्ता, तँ अहाँ बपतिस्मा किएक दैत छी?” 26 यूहन्ना हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “हम पानि सँ बपतिस्मा दैत छी, मुदा अहाँ सभक बीच मे एक व्यक्ति ठाढ़ छथि जिनका अहाँ सभ नहि चिन्हैत छियनि। 27 ओ वैह छथि जे हमरा बाद अबैत छथि, और हम हुनकर जुत्तो खोलऽ जोगरक नहि छी।” 28 ई सभ बात यरदन नदीक ओहि पार बेतनिया गाम मे भेल, जाहिठाम यूहन्ना बपतिस्मा दैत रहथि। 29 दोसरे दिन यूहन्ना यीशु केँ अपना दिस अबैत देखि बजलाह, “देखू! ई परमेश्वरक बलि-भेँड़ा छथि जे संसारक पाप उठा कऽ लऽ जाइत छथि। 30 ई वैह छथि जिनका विषय मे हम कहलहुँ जे, हमरा बाद मे एक व्यक्ति अबैत छथि जे हमरा सँ श्रेष्ठ छथि किएक तँ हमर जन्मो सँ पहिनहि ओ छलाह। 31 हमहूँ हुनका नहि चिन्हैत छलहुँ, मुदा हम पानि सँ बपतिस्मा दैत एहि लेल अयलहुँ जे ओ अपन इस्राएली लोक पर प्रगट होथि।” 32 यूहन्ना ई गवाही देलनि, “हम परमेश्वरक आत्मा केँ आकाश सँ परबा जकाँ उतरैत आ हुनका पर टिकैत देखलहुँ। 33 हम अपने तँ हुनका नहिए चिन्हितहुँ, मुदा जे हमरा पानि सँ बपतिस्मा देबऽ लेल पठौलनि, से हमरा कहने छलाह जे, ‘जिनका पर तोँ आत्मा केँ उतरैत और टिकैत देखबह, वैह छथि जे पवित्र आत्मा सँ बपतिस्मा देताह।’ 34 हम ई बात देखने छी और गवाही दैत छी जे ई परमेश्वरक पुत्र छथि।” 35 फेर दोसरे दिन यूहन्ना अपन शिष्य मे सँ दू गोटेक संग ओहिठाम ठाढ़ छलाह। 36 यीशु केँ ओहि दऽ कऽ जाइत देखि ओ कहलनि, “देखू! परमेश्वरक बलि-भेँड़ा!” 37 ई बात सुनि दूनू शिष्य यीशुक पाछाँ लागि गेलनि। 38 यीशु घूमि कऽ हुनका सभ केँ पाछाँ अबैत देखि कहलथिन, “अहाँ सभ की चाहैत छी?” ओ सभ हुनका कहलथिन, “रब्बी,” (जकर अर्थ अछि “गुरुजी”), “अहाँ कतऽ ठहरल छी?” 39 ओ हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “चलू देखि लिअ।” तखन ओ सभ जा कऽ देखि लेलनि जे ओ कतऽ ठहरल छथि, आ ओहि दिन हुनका संग रहलाह। ओ समय लगभग चारि बजे साँझक छल। 40 ई दूनू जे यूहन्नाक बात सुनि कऽ यीशुक पाछाँ भऽ चलल रहथि, ओहि मे सँ एक अन्द्रेयास छलाह, सिमोन पत्रुसक भाय। 41 ओ तुरत अपन भाय सिमोन सँ भेँट कऽ हुनका कहलथिन, “हमरा सभ केँ उद्धारकर्ता-मसीह भेटलाह।” (⌞यूनानी भाषा मे⌟ “मसीह” केँ “ख्रिष्ट” कहल जाइत अछि।) 42 ओ हुनका यीशु लग अनलथिन। यीशु हुनका ध्यानपूर्बक देखि कहलथिन, “अहाँ सिमोन, यूहन्नाक बालक छी। अहाँक नाम ‘कैफा’ होयत” (अर्थात् “पत्रुस”) । 43 दोसरे दिन यीशु गलील प्रदेश जयबाक निश्चय कयलनि। तखन हुनका फिलिपुस भेँट भेलनि। ओ हुनका कहलथिन, “हमरा पाछाँ आउ।” 44 अन्द्रेयास और पत्रुस जकाँ, फिलिपुस सेहो बेतसैदा नगरक निवासी छलाह। 45 फिलिपुस नथनेल सँ भेँट कऽ कऽ कहलथिन, “हमरा सभ केँ ओ भेटलाह जिनका विषय मे मूसा धर्म-नियम मे लिखने छथि आ जिनका विषय मे परमेश्वरक प्रवक्ता सभ सेहो लिखने छथि। ओ छथि यूसुफक बेटा, नासरतक निवासी यीशु।” 46 “नासरत?” नथनेल बाजि उठलाह। “की नासरत सँ किछुओ नीक आबि सकैत छैक?” फिलिपुस हुनका कहलथिन, “चलि कऽ देखि लिअ।” 47 यीशु नथनेल केँ अपना लग अबैत देखि कहलथिन, “देखू! ई एक सही इस्राएली छथि, जिनका मे कोनो छल-प्रपंच नहि!” 48 नथनेल हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा कोना चिन्हैत छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “एहि सँ पहिनहि जे फिलिपुस अहाँ केँ बजौलनि, हम अहाँ केँ अंजीरक गाछ तर देखने छलहुँ।” 49 एहि पर नथनेल बजलाह, “गुरुजी! अहाँ परमेश्वरक पुत्र छी! अहाँ इस्राएलक राजा छी।” 50 यीशु हुनका कहलथिन, “की अहाँ एहि लेल ई बात विश्वास करैत छी जे हम अहाँ केँ कहलहुँ जे अंजीर गाछ तर अहाँ केँ देखने छलहुँ? अहाँ एहू सँ पैघ बात सभ देखब।” 51 तखन हुनका इहो कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे अहाँ सभ स्वर्ग केँ खुजल आ परमेश्वरक स्वर्गदूत सभ केँ मनुष्य-पुत्र पर ऊपर चढ़ैत आ नीचाँ उतरैत देखब।”
1 एहि बातक तेसरे दिन गलील प्रदेशक काना नामक गाम मे विवाह छल। ओहिठाम यीशुक माय छलीह, 2 और यीशु आ हुनकर शिष्य सभ सेहो विवाह मे निमन्त्रित छलाह। 3 अंगूरक मदिरा घटला पर माय यीशु केँ कहलथिन, “हिनका सभ केँ आब मदिरा नहि छनि।” 4 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा ई किएक कहैत छी? हमर समय एखन नहि आयल अछि।” 5 तखन हुनकर माय बारिक सभ केँ कहलनि, “ई जे किछु तोरा सभ केँ कहथुन से करिहह!” 6 लग मे यहूदी सभक रीतिक अनुसार शुद्ध करबाक लेल छओटा पाथरक घैल राखल छल। प्रत्येक मे करीब सौ-सवासौ लीटर अँटैत छल। 7 यीशु बारिक सभ केँ कहलथिन, “घैल सभ मे पानि भरि दहक।” 8 ओ सभ घैल केँ कानो-कान भरि देलक। तखन ओकरा सभ केँ कहलथिन, “आब किछु निकालि कऽ भण्डारी केँ दऽ अबहुन।” ओ सभ दऽ आयल, 9 और भण्डारी ओहि पानि केँ चिखलनि जे आब मदिरा बनि गेल छल। हुनका नहि बुझल छलनि जे ई मदिरा कतऽ सँ आबि गेल (मुदा बारिक सभ जे पानि निकालने छल, तकरा सभ केँ बुझल छलैक), तेँ भण्डारी वर केँ बजा कऽ कहलथिन, 10 “सभ आदमी तँ बढ़ियाँ वला मदिरा पहिनहि परसैत अछि, और बाद मे जखन लोक सभ बहुते पिबि लेने रहैत अछि तखने साधारण वला परसैत अछि, मुदा अहाँ बढ़ियाँ वला एखनो धरि रखनहि छलहुँ!” 11 एहि तरहेँ गलीलक काना गाम मे यीशु अपन चमत्कारपूर्ण चिन्ह सभ शुरू कऽ कऽ अपन महिमा प्रगट कयलनि और हुनकर शिष्य सभ हुनका पर विश्वास कयलनि। 12 एकरा बाद यीशु अपन माय, भाय और शिष्य सभक संग कफरनहूम नगर गेलाह और ओहिठाम किछु दिन रहलाह। 13 यहूदी सभक फसह-पाबनि लग अयला पर यीशु यरूशलेम चल गेलाह। 14 मन्दिर मे ओ लोक सभ केँ गाय-बड़द, भेँड़ा और परबा बेचैत और टेबुल पर बैसल पैसा भजबऽ वला सभ केँ पैसा भजबैत देखलनि। 15 ई देखि यीशु रस्साक कोड़ा बना कऽ सभ केँ मन्दिर मे सँ बाहर भगा देलथिन, भेँड़ा और माल-जाल केँ सेहो। पाइ भजबऽ वला सभक सिक्का छिड़िया कऽ ओकरा सभक टेबुल उनटा देलथिन। 16 परबा बेचऽ वला सभ केँ ओ कहलथिन, “एहि सभ केँ एतऽ सँ तुरत लऽ जाह! हमर पिताक घर केँ बजार नहि बनाबह!” 17 तखन हुनकर शिष्य सभ केँ धर्मशास्त्रक ई लेख मोन पड़लनि जे, “हे परमेश्वर, अहाँक घरक लेल हमर धुनि हमरा खा जायत।” 18 तखन यहूदी सभ हुनका कहलथिन, “ई सभ करबाक अधिकारक प्रमाण देबाक लेल अहाँ हमरा सभ केँ कोन चिन्ह देखायब?” 19 यीशु उत्तर देलथिन, “एहि मन्दिर केँ ढाहि दिअ और हम एकरा तीन दिन मे फेर ठाढ़ कऽ देब।” 20 एहि पर यहूदी सभ जबाब देलथिन, “एहि मन्दिर केँ बनाबऽ मे हमरा सभ केँ छियालिस वर्ष लागल, और की अहाँ एकरा तीन दिन मे फेर ठाढ़ कऽ देब!” 21 मुदा यीशु जाहि मन्दिरक बारे मे बाजल छलाह, से हुनकर देह छलनि। 22 तेँ बाद मे जखन ओ मरलाक बाद जीबि उठलाह तँ शिष्य सभ हुनकर एहि कथन केँ स्मरण कयलनि। तखन ओ सभ धर्मशास्त्रक लेख केँ और यीशुक बात केँ विश्वास कयलनि। 23 जखन यीशु फसह-भोजक समय मे यरूशलेम मे छलाह, तँ बहुत लोक हुनकर चमत्कारपूर्ण चिन्ह सभ जे ओ देखबैत छलाह, तकरा देखि कऽ हुनका पर विश्वास कयलकनि, 24 मुदा यीशु अपना केँ ओकरा सभक भरोस पर नहि छोड़लनि, कारण सभ मनुष्य केँ ओ जनैत छलाह। 25 मनुष्यक बारे मे हुनका ककरो द्वारा कोनो साक्षीक आवश्यकता नहि छलनि, किएक तँ ओ अपने जनैत छलाह जे मनुष्यक मोन मे की बात होइत छैक।
1 फरिसी सभ मे सँ एक निकोदेमुस नामक आदमी छलाह, जे यहूदी सभक धर्मसभाक सदस्य छलाह। 2 एक राति ओ यीशु लग आबि कऽ कहलथिन, “गुरुजी, हम सभ जनैत छी जे अपने परमेश्वर द्वारा पठाओल गेल गुरु छी, कारण जँ परमेश्वर संग नहि रहितथि तँ अपने जे चमत्कारपूर्ण चिन्ह सभ देखा रहल छी, से केओ नहि देखा सकैत।” 3 यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “हम अहाँ केँ सत्ये कहैत छी जे, जाबत तक केओ नव जन्म नहि लेत ताबत तक ओ परमेश्वरक राज्य नहि देखि सकत।” 4 निकोदेमुस हुनका कहलथिन, “केओ बूढ़ भऽ कऽ कोना जन्म लेत? की ओ मायक गर्भ मे दोसर बेर प्रवेश कऽ फेर जन्म लऽ सकत?!” 5 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ केँ विश्वास दिअबैत छी जे, जाबत तक केओ जल और आत्मा सँ जन्म नहि लेत ताबत तक ओ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश नहि कऽ सकत। 6 मनुष्य तँ खाली शारीरिक जन्म दैत अछि, मुदा पवित्र आत्मा आत्मिक जन्म दैत छथि। 7 तेँ एहि सँ आश्चर्य नहि मानू जे हम अहाँ केँ कहलहुँ जे अहाँ सभ केँ नव जन्म लेबऽ पड़त। 8 हवा जतऽ चाहैत अछि ततऽ बहैत अछि। ओकर आवाज सुनैत छी लेकिन कतऽ सँ आबि रहल अछि वा कतऽ जा रहल अछि से नहि जानि सकैत छी। जे आत्मा सँ जन्म लैत अछि, तकरो एहिना होइत छैक।” 9 निकोदेमुस हुनका कहलथिन, “ई सभ बात कोना भऽ सकैत अछि?” 10 यीशु उत्तर देलथिन, “अहाँ इस्राएलक गुरु छी, आ ई बात नहि बुझैत छी?! 11 हम अहाँ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे बात हम जनैत छी, वैह बात बजैत छी, मुदा तैयो अहाँ सभ हमरा गवाही केँ स्वीकार नहि करैत छी। 12 जखन हम अहाँ केँ पृथ्वी परक बात कहैत छी और अहाँ विश्वास नहि करैत छी, तँ स्वर्गक बात जँ कहब तँ अहाँ केँ कोना विश्वास होयत? 13 केओ स्वर्ग मे उपर नहि चढ़ल अछि; वैहटा चढ़ल छथि जे स्वर्ग सँ उतरल छथि, अर्थात् मनुष्य-पुत्र। 14 जहिना मूसा निर्जन क्षेत्र मे पित्तरिक साँप केँ ऊपर लटका देलनि, तहिना मनुष्य-पुत्र केँ सेहो अवश्य ऊपर लटकाओल जयतनि 15 जाहि सँ जे केओ हुनका पर विश्वास करत से अनन्त जीवन प्राप्त करत। 16 “हँ, परमेश्वर संसार सँ एहन प्रेम कयलनि जे ओ अपन एकमात्र बेटा केँ दऽ देलनि, जाहि सँ जे केओ हुनका पर विश्वास करैत अछि से नाश नहि होअय, बल्कि अनन्त जीवन पाबय। 17 परमेश्वर तँ अपना बेटा केँ संसार मे एहि लेल नहि पठौलनि जे ओ संसार केँ दोषी ठहरबथि, बल्कि एहि लेल जे हुनका द्वारा संसारक उद्धार होअय। 18 जे व्यक्ति हुनका पर विश्वास करैत अछि से दोषी नहि ठहराओल जाइत अछि, मुदा जे व्यक्ति हुनका पर विश्वास नहि करैत अछि, से दोषी ठहराओल जा चुकल अछि, किएक तँ ओ परमेश्वरक एकलौता बेटा पर विश्वास नहि कयने अछि। 19 दोष एहि मे भेल, जे संसार मे इजोत आबि गेल और लोक केँ इजोतक बदला अन्हारे नीक लगलैक, कारण ओकर काज अधलाहे होइत छलैक। 20 जे अधलाह काज करैत अछि से इजोत सँ घृणा करैत अछि और इजोत लग नहि अबैत अछि जाहि सँ ओकर काज कतौ प्रगट नहि भऽ जाइक। 21 मुदा जे सत्य पर चलैत अछि से इजोत लग अबैत अछि जाहि सँ ई प्रगट भऽ जाय जे ओ जे किछु कयने अछि से परमेश्वरक इच्छाक अनुसार कयने अछि।” 22 एकरबाद यीशु अपन शिष्य सभक संग यहूदियाक देहात जा कऽ हुनका सभक संग रहलाह और लोक केँ बपतिस्मा देबऽ लगलाह। 23 यूहन्ना सेहो शालीम लग एनोन गाम मे बपतिस्मा दैत छलाह, कारण ओतऽ पानि बहुत छल, और लोक सभ हुनका लग आबि कऽ बपतिस्मा लैत छल। 24 (ओहि समय मे यूहन्ना जहल मे नहि राखल गेल छलाह।) 25 तँ यूहन्नाक शिष्य कोनो एकटा यहूदीक संग शुद्ध करबाक रीतिक विषय मे वाद-विवाद करऽ लगलाह। 26 ओ सभ यूहन्ना लग आबि कऽ कहलनि, “गुरुजी, ओ जे यरदन नदीक ओहि पार अहाँक संग छलाह, जिनका बारे मे अहाँ गवाही देलहुँ, से आब बपतिस्मा दऽ रहल छथि और सभ लोक हुनके लग जा रहल अछि।” 27 एहि पर यूहन्ना उत्तर देलथिन, “मनुष्य किछुओ प्राप्त नहि कऽ सकैत जँ परमेश्वर सँ नहि देल जाइत। 28 अहाँ सभ अपने हमर गवाह छी जे हम कहलहुँ जे, उद्धारकर्ता-मसीह हम नहि छी, बल्कि हम हुनका सँ आगाँ पठाओल गेल छी। 29 कनियाँ वरे केँ छनि। वरक मित्र, जे वरक प्रतीक्षा मे ठाढ़ भऽ कऽ सुनैत अछि, से वरक आवाज सुनि बड्ड आनन्दित होइत अछि। तेँ हमर ई आनन्द आब पूर्ण भऽ गेल अछि। 30 ई जरूरी अछि जे ओ बढ़ैत रहथि आ हम घटैत रही। 31 “जे ऊपर सँ आयल छथि से आओर सभ सँ पैघ छथि। जे पृथ्वी सँ अछि से पृथ्विएक अछि और खाली पृथ्वी वला बात सभ कहैत अछि। जे स्वर्ग सँ अबैत छथि वैह आओर सभ सँ पैघ छथि, 32 और जे बात ओ देखने छथि और सुनने छथि, तकरे गवाही दैत छथि। मुदा केओ हुनका गवाही केँ स्वीकार नहि करैत अछि। 33 जे व्यक्ति हुनका गवाही केँ स्वीकार कयने अछि, से एहि बात पर अपन छाप लगा देने अछि जे परमेश्वर सत्य छथि, 34 कारण जिनका परमेश्वर पठौने छथिन, से वैह बात कहैत छथि जे परमेश्वर कहैत छथि। हुनका परमेश्वर अपन आत्मा, बिना नापि-जोखि कऽ दैत छथिन। 35 पिता पुत्र सँ प्रेम करैत छथि और हुनके हाथ मे सभ किछु दऽ देने छथिन। 36 जे पुत्र पर विश्वास करैत अछि, तकरा अनन्त जीवन छैक। जे पुत्र केँ नहि मानैत अछि, से ओहि जीवन केँ नहि देखत—ओकरा पर परमेश्वरक क्रोध रहैत अछि।”
1 जखन प्रभु केँ पता लगलनि जे फरिसी सभ सुनलनि अछि जे यीशु यूहन्ना सँ बेसी शिष्य केँ बनबैत छथि और बपतिस्मा दैत छथि 2 (ओना तँ यीशु अपने नहि, बल्कि हुनकर शिष्य सभ बपतिस्मा दैत छलाह), 3 तखन ओ यहूदिया प्रदेश छोड़ि कऽ फेर गलील प्रदेशक लेल विदा भऽ गेलाह। 4 रस्ता मे हुनका सामरिया प्रदेश भऽ कऽ जाय पड़लनि। 5 ओ सामरिया मे सुखार नगर पहुँचलाह। ई नगर ओहि खेत लग अछि जे याकूब अपना बेटा यूसुफ केँ देने छलाह। 6 ओतऽ याकूबक इनार छल, और यीशु यात्रा सँ थाकि कऽ इनार पर बैसि रहलाह। ई दुपहरियाक समय छल। 7 ताबते मे एक सामरी स्त्री पानि भरऽ आयल। यीशु ओकरा कहलथिन, “हमरा पानि पिबऽ लेल दैह।” 8 हुनकर शिष्य सभ भोजनक सामान किनबाक लेल नगर मे गेल छलाह। 9 सामरी स्त्री कहलकनि, “अपने यहूदी भऽ कऽ हमरा सामरी स्त्री सँ कोना पानि मँगैत छी?” (कारण, यहूदी सभ सामरी लोक सँ कोनो सम्पर्क नहि रखैत अछि।) 10 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ तोँ परमेश्वरक वरदान केँ जनितह, और ई जनितह जे ओ के छथि जे तोरा कहैत छथुन जे पिबऽ लेल दैह, तँ तोँही हुनके सँ मँगितह और ओ तोरा जीवनक जल दितथुन।” 11 स्त्री बाजल, “मालिक, पानि भरऽ लेल अपने केँ डोलो तक नहि अछि, और इनार गहींर अछि। ई जीवनक जल अपने लग आओत कतऽ सँ? 12 की अपने हमरा सभक पुरखा याकूब सँ पैघ छी? ओ तँ हमरा सभ केँ ई इनार प्रदान कयलनि, जाहि मे सँ ओ अपने और हुनकर बालक सभ पिलनि और माल-जाल सभ सेहो पिलक।” 13 यीशु बजलाह, “जे ई पानि पीत, तकरा फेर पियास लगतैक, 14 मुदा जे ओ जल पीत जे हम देबैक, तकरा कहियो फेर पियास नहि लगतैक। कारण, हम ओकरा पिबाक लेल जे जल देबैक, से ओकरा मे सदिखन उमड़ैत रहतैक और अनन्त जीवन तक बहतैक।” 15 स्त्री कहलकनि, “यौ मालिक! हमरा ई जल दिअ जाहि सँ हमरा कहियो नहि पियास लागय और एहिठाम पानि भरऽ नहि आबऽ पड़य।” 16 ओ कहलथिन, “जा कऽ अपना घरवला केँ बजा लबहुन।” 17 स्त्री हुनका जबाब देलकनि, “हमरा घरवला नहि अछि।” यीशु ओकरा कहलथिन, “तोँ ठीके कहैत छह जे हमरा घरवला नहि अछि, 18 कारण तोरा पाँचटा घरवला भेल छलह, और जे तोरा लग एखन छह, सेहो तोहर घरवला नहि छह। ई बात तोँ एकदम सत्य कहलह।” 19 स्त्री बाजल, “मालिक, हम बुझि गेलहुँ जे अपने परमेश्वरक एक प्रवक्ता छी! आब कहू। 20 हमरा सभक पुरखा एहि पहाड़ पर आराधना कयलनि, लेकिन अपने यहूदी सभ कहैत छी जे आराधना करबाक स्थान मात्र यरूशलेम अछि।” 21 यीशु ओकरा कहलथिन, “हमर विश्वास करह। ओ समय आओत जहिया तोँ सभ ने एहि पहाड़ पर पिताक आराधना करबह, ने यरूशलेम मे। 22 तोँ सामरी लोक तकर आराधना करैत छह जकरा जनिते नहि छह। हम सभ जे यहूदी सभ छी तिनकर आराधना करैत छी जिनका जनैत छी, कारण उद्धार यहूदी वंश द्वारा अबैत अछि। 23 मुदा ओ समय आबि रहल अछि, हँ, आबिओ गेल, जे सत्य आराधक पिताक आराधना आत्मा और सत्य सँ करतनि, किएक तँ पिता एहने आराधक चाहैत छथि। 24 परमेश्वर आत्मा छथि, और ई आवश्यक अछि जे हुनकर आराधक आत्मा आओर सत्य सँ हुनकर आराधना करनि।” 25 स्त्री कहलकनि, “हम जनैत छी जे मसीह, जे ख्रिष्ट कहबैत छथि, से आबऽ वला छथि। ओ जखन औताह तखन हमरा सभ केँ सभ बात बुझा देताह।” 26 यीशु ओकरा कहलथिन, “हम, जे तोरा सँ बात कऽ रहल छिअह, वैह छी।” 27 ओहि क्षण हुनकर शिष्य सभ घूमि अयलाह। हुनका सभ केँ बहुत आश्चर्य भेलनि जे यीशु एक स्त्री सँ बात कऽ रहल छथि, मुदा केओ नहि पुछलथिन जे, अहाँ की चाहैत छी, वा ओकरा सँ किएक बात कऽ रहल छी? 28 तखन स्त्री अपन घैल छोड़ि नगर मे जा कऽ लोक सभ केँ कहऽ लागल जे, 29 “आउ, एक आदमी केँ देखू! जे किछु हम कहियो कयने छी, से सभ बात ओ हमरा कहलनि। की ई उद्धारकर्ता-मसीह तँ नहि छथि?” 30 लोक सभ नगर सँ बहरायल और यीशु लग आबऽ लागल। 31 एहि बीच मे शिष्य सभ यीशु केँ आग्रह कयलथिन जे, “गुरुजी, किछु खा लिअ।” 32 मुदा ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमरा लग एहन भोजन अछि जकरा बारे मे अहाँ सभ नहि किछु जनैत छी।” 33 शिष्य सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “केओ हिनका लेल भोजन तँ नहि आनि देने छनि?” 34 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर भोजन ई अछि जे हम अपन पठाबऽ वलाक इच्छाक अनुसार चली और जे काज हमरा देने छथि तकरा पूरा करी। 35 की अहाँ सभ नहि कहैत छी जे, एखन चारि मास बाँकी अछि तखन फसिलक कटनी करबाक समय आओत? लेकिन हम कहैत छी जे आँखि खोलि कऽ खेत दिस देखू! फसिल एखनो कटनीक लेल पाकि गेल अछि! 36 एखनो काटऽ वला केँ बोनि भेटैत छैक, एखनो ओ फसिल काटि कऽ अनन्त जीवनक लेल लबैत अछि, जाहि सँ बाउग करऽ वला और काटऽ वला दूनू एक संग खुशी मनाओत। 37 एहि प्रकारेँ ओ कहबी सिद्ध होइत अछि जे बाउग करत केओ और काटत केओ। 38 हम अहाँ सभ केँ ओकरा काटऽ लेल पठौलहुँ जकरा लेल अहाँ सभ परिश्रम नहि कयने छलहुँ। परिश्रम कयलक दोसर, और अहाँ सभ ओकर परिश्रमक फल मे सहभागी भेलहुँ।” 39 ओहि नगरक बहुत सामरी लोक ओहि स्त्रीक ई गवाही जे, जे किछु हम कहियो कयने छी से सभ बात ओ हमरा कहलनि, से सुनि यीशु पर विश्वास कयलक। 40 तेँ ओ सभ यीशु लग पहुँचि कऽ आग्रह कयलकनि जे, अपने हमरा सभक संग रहल जाओ। और यीशु ओतऽ दू दिन रहलाह। 41 हुनकर बात सुनि आओर बहुत लोक हुनका पर विश्वास कयलक। 42 ओ सभ ओहि स्त्री केँ कहलक, “आब तोरे कहबाक कारणेँ विश्वास नहि करैत छी, बल्कि हम सभ अपने कान सँ हुनकर बात सुनने छी और जनैत छी जे ई वास्तव मे संसारक उद्धारकर्ता छथि।” 43 ओहिठाम दू दिन रहलाक बाद यीशु गलीलक लेल विदा भऽ गेलाह। 44 (यीशु अपने गवाही देने छलाह जे परमेश्वरक प्रवक्ता केँ अपना क्षेत्र मे आदर नहि होइत छनि।) 45 ओ जखन गलील प्रदेश पहुँचलाह तँ गलील निवासी सभ हुनका स्वागत कयलकनि, किएक तँ ओ सभ हुनकर सभ काज जे ओ यरूशलेम मे फसह-भोजक अवसर पर कयने रहथि, से देखने छल, कारण ओहो सभ पाबनिक लेल गेल छल। 46 तँ यीशु फेर गलीलक काना गाम मे अयलाह, जाहिठाम ओ पानि केँ अंगूरक मदिरा बना देने रहथि। कफरनहूम नगर मे राजाक एक हाकिम छलाह जिनकर बालक अस्वस्थ छलनि। 47 ओ ई खबरि सुनि जे यीशु यहूदिया प्रदेश सँ गलील मे पहुँचि गेल छथि, तँ जा कऽ हुनका सँ निवेदन कयलथिन जे, “चलि कऽ हमरा बेटा केँ नीक कऽ दिअ।” कारण ओ मरऽ पर छल। 48 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ सभ जाबत तक चिन्ह और चमत्कार नहि देखब ताबत विश्वास कहियो नहि करब।” 49 हाकिम हुनका कहलथिन, “यौ सरकार, एखन चलू। नहि तँ हमर बौआ मरि जायत।” 50 यीशु उत्तर देलथिन, “जाउ अहाँ, अहाँक बेटा बाँचि गेल।” ओ आदमी यीशुक कथन पर विश्वास कयलनि और चल गेलाह। 51 ओ रस्ते मे छलाह कि हुनकर नोकर सभ भेँट कऽ हुनका कहलकनि, “अपनेक बच्चा ठीक भऽ गेल अछि!” 52 ओ ओकरा सभ सँ पुछलथिन जे कतेक बजे सँ बच्चा ठीक होमऽ लागल, तँ ओ सभ कहलकनि, “काल्हिखन लगभग एक बजे दिन मे ओकर बोखार उतरि गेल।” 53 तखन ओ बुझलनि जे ठीक ओही घड़ी यीशु हुनका कहने छलथिन जे, अहाँक बेटा बाँचि गेल। और ओ अपन पूरा परिवार यीशु पर विश्वास कयलनि। 54 ई आब दोसर चमत्कारपूर्ण चिन्ह छल जे यीशु यहूदिया प्रदेश सँ गलील प्रदेश मे आबि कऽ देखौलनि।
1 बाद मे यहूदी सभक एक पाबनिक अवसर पर यीशु फेर यरूशलेम गेलाह। 2 यरूशलेम मे, भेँड़-द्वारि लग एक कुण्ड अछि जे इब्रानी भाषा मे बेतहसदा कहबैत अछि, जकरा चारू कात पाँचटा असोरा छैक। 3 एहि असोरा सभ पर बहुत रोगी पड़ल रहैत छल—आन्हर, नाङड़ आ लकवा मारल लोक सभ। [ई सभ पानिक हिलबाक समयक प्रतीक्षा मे रहैत छल, 4 कारण समय-समय पर परमेश्वरक एक स्वर्गदूत उतरि कऽ पानि केँ हिला दैत छलाह, और एहि हिलयनाइक बाद, जे रोगी सभ सँ पहिने पानि मे पैसैत छल से अपन रोग सँ मुक्त भऽ जाइत छल, चाहे जे कोनो रोग होइक।] 5 एक आदमी ओतऽ छल जे अड़तीस वर्ष सँ रोग सँ पीड़ित छल। 6 यीशु जखन ओकरा देखलथिन, ई बुझि कऽ जे ओ बहुत दिन सँ ओना पड़ल अछि, तँ ओकरा कहलथिन, “की तोँ स्वस्थ होमऽ चाहैत छह?” 7 ओ रोगी हुनका उत्तर देलकनि, “मालिक, पानिक हिलला पर कुण्ड मे उतारऽ वला हमरा केओ नहि अछि। हम उतरबाक कोशिशे करैत छी, ततबे मे हमरा सँ पहिने केओ दोसर उतरि जाइत अछि।” 8 तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “उठह! अपन पटिया उठा लैह, और चलह-फिरह!” 9 ओ आदमी तुरत स्वस्थ भऽ गेल और अपन पटिया उठा कऽ चलऽ-फिरऽ लागल। जाहि दिन ई बात भेलैक, से विश्राम-दिन छल। 10 तेँ यहूदी सभ ओहि स्वस्थ कयल गेल आदमी केँ कहऽ लगलाह, “आइ तँ विश्राम-दिन अछि। पटिया उठौनाइ मना छौ!” 11 मुदा ओ उत्तर देलकनि, “जे आदमी हमरा स्वस्थ कऽ देलनि, वैह हमरा कहलनि जे पटिया उठा कऽ चलह-फिरह।” 12 ओ सभ ओकरा पुछलथिन, “ओ के अछि जे तोरा कहलकौ जे उठा कऽ चलह-फिरह?” 13 ओ स्वस्थ भेल आदमी ई नहि जनैत छल जे ओ के छलाह, कारण यीशु ओहिठाम सँ भीड़ मे चल गेल छलाह। 14 किछु कालक बाद यीशु ओहि आदमी केँ मन्दिर मे भेँट कऽ कऽ कहलथिन, “देखह, तोँ स्वस्थ भऽ गेल छह, आब पाप केँ छोड़ह, नहि तँ एहू सँ भारी दशा मे पड़ि जयबह।” 15 ओ आदमी जा कऽ यहूदी सभ केँ कहि देलकनि जे, यीशुए छथि जे हमरा स्वस्थ कयलनि। 16 यीशु केँ विश्राम-दिन मे एहन काज करबाक कारणेँ यहूदी सभ हुनका सताबऽ लगलनि। 17 मुदा ताहि पर यीशु ओकरा सभ केँ ई उत्तर देलथिन, “हमर पिता एखनो तक काज करैत रहैत छथि, और हमहूँ काज करैत रहैत छी।” 18 एहि कारणेँ यहूदी सभ हुनका मारि देबाक आओर कोशिश करऽ लगलाह किएक तँ ओ खाली विश्रामेक दिनक नियम केँ उल्लंघन नहि करैत छलाह, बल्कि ओ परमेश्वर केँ अपन पिता कहि कऽ अपना केँ परमेश्वरक समतूल सेहो ठहरबैत छलाह। 19 यीशु हुनका सभ केँ ई उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, पुत्र स्वतन्त्र रूप सँ किछु नहि कऽ सकैत छथि। ओ मात्र वैह करैत छथि जे ओ अपन पिता केँ करैत देखैत छथि, किएक तँ जहिना पिता करैत छथि ठीक ओहिना पुत्रो करैत छथि, 20 कारण पिता पुत्र सँ प्रेम करैत छथिन और पिता जे किछु करैत छथि से सभ हुनका देखा दैत छथिन, और एहू सँ पैघ काज हुनका देखा देथिन, जाहि सँ अहाँ सभ केँ आश्चर्य होयत। 21 कारण जहिना पिता मुरदा केँ उठा कऽ ओकरा जीवन दैत छथि, तहिना पुत्रो जकरा चाहैत छथि तकरा जीवन दैत छथि। 22 और पिता ककरो न्याय करऽ वला नहि छथि। ओ न्याय करबाक सभ अधिकार सेहो पुत्रे केँ देने छथिन, 23 जाहि सँ सभ लोक जेना पिताक आदर करैत छनि तेना पुत्रोक आदर करनि। जे पुत्रक आदर नहि करैत अछि, से पिताक सेहो नहि करैत छनि, जे हुनका पठौने छथिन। 24 “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे हमर बात सुनैत अछि और हमरा पठाबऽ वला केँ मानैत अछि तकरा अनन्त जीवन छैक। ओकरा न्यायक सामना नहि करऽ पड़तैक, कारण ओ एखने मृत्यु केँ पार भऽ कऽ जीवन मे प्रवेश कऽ लेने अछि। 25 हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे ओ समय आबि रहल अछि, हँ, आबिओ गेल जखन मुइल सभ परमेश्वरक पुत्रक आवाज सुनत, और जे सभ सुनत से सभ जीअत, 26 किएक तँ जहिना पिता अपने जीवनक स्रोत छथि तहिना ओ पुत्रो केँ स्वयं जीवनक स्रोत होयबाक अधिकार देने छथिन। 27 और ओ पुत्र केँ मनुष्य-पुत्र होयबाक कारणेँ न्याय करबाक अधिकार सेहो देने छथिन। 28 एहि बात सँ आश्चर्यित नहि होउ! कारण, ओ समय आबि रहल अछि जहिया मरलाहा लोक सभ अपन कबर मे सँ हुनकर आवाज सुनि कऽ 29 बाहर निकलि आओत। जे नीक कयने अछि से जीवनक लेल उठत, और जे अधलाह कयने अछि से दण्ड पयबाक लेल उठत। 30 हम अपने सँ किछु नहि कऽ सकैत छी। हमरा जहिना न्याय करबाक लेल कहल जाइत अछि तहिना हम न्याय करैत छी। और हमर न्याय उचित होइत अछि, कारण हमर उद्देश्य ई अछि जे हम अपन नहि, बल्कि हमरा जे पठौलनि, तिनकर इच्छा पूरा करियनि। 31 “जँ हम अपना बारे मे स्वयं गवाही देब तँ हमर गवाही पकिया नहि मानल जायत। 32 मुदा एक गोटे आओर छथि जे हमरा बारे मे गवाही दैत छथि, और हम जनैत छी जे ओ जे गवाही दैत छथि से एकदम सत्य अछि। 33 “अहाँ सभ अपने यूहन्ना केँ पुछबौलहुँ, और ओ सत्यक गवाही देलनि। 34 ई बात नहि अछि जे हम मनुष्यक गवाही पर निर्भर रहैत छी, मुदा हम एकर चर्चा एहि लेल करैत छी जे अहाँ सभक उद्धार होअय। 35 यूहन्ना तँ एक जरैत दीप छलाह जे इजोत दैत छलाह, और हुनकर इजोत मे आनन्द लेनाइ अहाँ सभ केँ किछु काल धरि नीक लागल। 36 मुदा हमरा एकटा गवाही अछि जे यूहन्नोक गवाही सँ पैघ अछि, किएक तँ जे काज हमर पिता हमरा पूर्ण करबाक लेल देने छथि, तथा जे काज हम कऽ सेहो रहल छी, से हमरा बारे मे गवाही दैत अछि जे पिता हमरा पठौने छथि। 37 और पिता, जे हमरा पठौलनि, से अपने हमरा बारे मे गवाही देने छथि। अहाँ सभ हुनकर आवाज कहियो नहि सुनने छी, आ ने हुनकर स्वरूप कहियो देखने छी, 38 और ने हुनकर वचन केँ अपना मोन मे रहऽ दैत छी। कारण, जिनका ओ पठौने छथि तिनकर अहाँ सभ विश्वास नहि करैत छी। 39 अहाँ सभ धर्मशास्त्रक अध्ययन करैत छी किएक तँ अहाँ सभ मानैत छी जे ओहि सँ अहाँ सभ केँ अनन्त जीवन भेटैत अछि। वैह शास्त्र हमरा बारे मे गवाही दैत अछि, 40 और तैयो जीवन प्राप्त करबाक लेल अहाँ सभ हमरा लग नहि आबऽ चाहैत छी। 41 “हमरा मनुष्यक प्रशंसा सँ कोनो मतलब नहि। 42 मुदा अहाँ सभ केँ हम जनैत छी। हम जनैत छी जे अहाँ सभक हृदय मे परमेश्वरक प्रेम नहि अछि। 43 हम अपन पिताक नाम पर आयल छी, तैयो हमरा स्वीकार नहि करैत छी। मुदा जँ कोनो दोसर व्यक्ति अपना नाम पर अबैत अछि तँ ओकरा अहाँ सभ स्वीकार करैत छिऐक। 44 तँ अहाँ सभ विश्वास कोना कऽ सकब जखन कि एक-दोसर सँ प्रशंसा चाहैत छी लेकिन जे प्रशंसा एकमात्र परमेश्वर सँ प्राप्त होइत अछि से चाहिते नहि छी? 45 “मुदा ई नहि सोचू जे हम पिताक समक्ष अहाँ सभ पर दोष लगायब। अहाँ सभ केँ दोष लगाबऽ वला मूसा छथि, जिनका पर अहाँ सभ समस्त आशा रखने छी। 46 जँ मूसाक विश्वास करितहुँ तँ हमरो विश्वास करितहुँ, कारण ओ हमरे बारे मे लिखने छथि। 47 मुदा हुनकर लेख पर जँ विश्वास नहि करैत छी तँ हमर कथन पर कोना विश्वास करब?”
1 एकरा बाद यीशु गलील झील, अर्थात् तिबिरियास झीलक ओहि पार गेलाह। 2 बड़का भीड़ यीशुक चमत्कारपूर्ण चिन्ह जे ओ रोगी सभ पर देखबैत छलाह, ताहि सँ प्रभावित भऽ हुनका पाछाँ-पाछाँ अबैत छल। 3 यीशु पहाड़ पर चढ़ि कऽ अपन शिष्य सभक संग बैसि रहलाह। 4 यहूदी सभक फसह-भोजक पाबनि लगचिआयल छल। 5 यीशु जखन नजरि उठा कऽ लोकक बड़का भीड़ केँ अपना लग अबैत देखलनि तखन फिलिपुस केँ पुछलथिन, “अपना सभ एकरा सभ केँ खुअयबाक लेल कतऽ सँ रोटी किनू?” 6 ई बात ओ फिलिपुस केँ जँचबाक लेल पुछलथिन, कारण ओ अपने तखनो जनैत छलाह जे ओ की करताह। 7 फिलिपुस हुनका उत्तर देलथिन, “एकरा सभ गोटेक लेल कनेको-कनेको जे रोटी किनब से दुओ सय दिनार सँ नहि होयत!” 8 हुनकर एक शिष्य, अन्द्रेयास, सिमोन पत्रुसक भाय, हुनका कहलथिन, 9 “एतऽ एक लड़का अछि जकरा संग मे जओक पाँचटा रोटी छैक आ दूटा माछ, लेकिन एतेक लोक मे एतबे सँ की होयतैक?” 10 यीशु आज्ञा देलथिन, “लोक सभ केँ बैसा दिऔक।” ओहि ठाम बहुत घास छल, और ओहि पर लोक सभ बैसैत गेल। पुरुषक संख्या लगभग पाँच हजार छल। 11 तखन यीशु रोटी लेलनि, और परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ बैसलाहा लोक सभ मे बटबा देलथिन। तहिना माछो लऽ कऽ कयलनि, और सभ केँ ततेक भेटलैक जतेक-जतेक ओ सभ चाहैत छल। 12 सभ लोक केँ भरि इच्छा भोजन कऽ लेलाक बाद यीशु शिष्य सभ केँ कहलथिन, “आब उबरल टुकड़ा सभ बिछि लिअ, जाहि सँ किछुओ बरबाद नहि होअय।” 13 ओ सभ ओहि पाँचटा जओक रोटीक टुकड़ा, जे भोजन करऽ वला लोक सभ सँ बाँचि गेल छल, तकरा बिछि कऽ ओहि सँ बारहटा पथिया भरलनि। 14 लोक सभ यीशु द्वारा कयल गेल ई चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखि कऽ कहऽ लागल, “ई तँ अवश्य परमेश्वरक ओ प्रवक्ता छथि जे संसार मे आबऽ वला छलाह।” 15 यीशु ई बुझलनि जे लोक सभ हुनका जबरदस्ती पकड़ि कऽ राजा बनाबऽ चाहैत छल, तेँ ओ फेर पहाड़ पर असगरे चल गेलाह। 16 साँझ पड़ला पर यीशुक शिष्य सभ झीलक किनार पर जा 17 नाव मे चढ़ि कऽ कफरनहूम नगर जयबाक लेल झील केँ पार करऽ लगलाह। ताबत अन्हार भऽ गेल छल और यीशु एखन तक हुनका सभ लग नहि आयल छलाह। 18 हवा बहुत जोर सँ बहि रहल छल, और झील मे बड़का लहरि उठि रहल छल। 19 जखन ओ सभ लगभग तीन-चारि मील नाव केँ खेबि लेने छलाह तखन यीशु केँ झीलक पानि पर चलैत और नाव दिस अबैत देखलनि, और भयभीत भऽ गेलाह। 20 मुदा ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम छी, नहि डेराउ!” 21 तखन ओ सभ खुशी भऽ हुनका नाव मे लऽ लेबाक लेल तैयार भेलाह, और नाव तुरत ओहि स्थान पर पहुँचल जाहिठाम ओ सभ जा रहल छलाह। 22 प्रात भेने झीलक ओहि पार रहि गेल लोक सभ बुझलक जे एतऽ एकेटा नाव छल, और ओ सभ जनैत छल जे यीशु अपन शिष्य सभक संग ओहि नाव मे नहि चढ़ल छलाह, मात्र शिष्ये सभ विदा भऽ गेल छलाह। 23 तखन तिबिरियास नगर सँ दोसर नाव सभ ओहि जगह लग पहुँचल जाहिठाम प्रभु यीशुक धन्यवादक प्रार्थनाक बाद लोक सभ रोटी खयने छल। 24 तँ लोक जखन देखलक जे ने यीशु आ ने हुनकर शिष्य सभ एतऽ छथि, तखन ओ सभ नाव सभ मे चढ़ि कऽ यीशुक खोज मे कफरनहूम नगर गेल। 25 झीलक ओहि पार जखन यीशु ओकरा सभ केँ भेटलथिन तखन ओ सभ पुछलकनि, “गुरुजी, अहाँ एतऽ कखन अयलहुँ?” 26 यीशु ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे अहाँ सभ हमरा एहि लेल नहि तकैत छी जे हमर चमत्कार वला चिन्ह सभ देखि कऽ बुझलहुँ, बल्कि एहि लेल जे अहाँ सभ रोटी खा कऽ अघा गेलहुँ। 27 जे भोजन नहि टिकैत अछि, ताहि लेल परिश्रम नहि करू, बल्कि ओहि भोजनक लेल परिश्रम करू जे अनन्त जीवन तक टिकैत अछि और जे मनुष्य-पुत्र अहाँ सभ केँ प्रदान करताह, कारण हुनका पर पिता-परमेश्वर अपन छाप लगा देने छथिन।” 28 तखन ओ सभ हुनका पुछलकनि, “परमेश्वरक काज करबाक लेल, हम सभ की करू?” 29 यीशु बजलाह, “परमेश्वर अहाँ सभ सँ जे काज चाहैत छथि, से ई अछि जे जकरा ओ पठौने छथि तकरा पर विश्वास करू।” 30 एहि पर ओ सभ हुनका कहलकनि, “तखन अहाँ कोन चिन्ह देखायब, जकरा देखि कऽ हम सभ अहाँ पर विश्वास कऽ सकी? अहाँ की काज करैत छी? 31 हमरा सभक पुरखा निर्जन क्षेत्र मे मन्ना वला रोटी खयने छल, जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, ‘ओ ओकरा सभ केँ खयबाक लेल स्वर्ग सँ रोटी देलथिन।’” 32 एहि पर यीशु ओकरा सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे, बात ई नहि जे अहाँ सभ केँ मूसा स्वर्ग सँ रोटी देलनि, बल्कि ई जे हमर पिता अहाँ सभ केँ स्वर्ग सँ वास्तविक रोटी दऽ रहल छथि। 33 हँ, परमेश्वर जे रोटी दैत छथि, से ओ अछि जे स्वर्ग सँ उतरि कऽ संसार केँ जीवन दैत अछि।” 34 ओ सभ हुनका कहलकनि, “यौ मालिक, हमरा सभ केँ ई रोटी एखनो आ सभ दिन दैत रहू!” 35 यीशु बजलाह, “जीवनक रोटी हमहीं छी। जे हमरा लग आओत से कहियो भूखल नहि रहत। जे हमरा पर विश्वास करत, तकरा कहियो पियास नहि लगतैक। 36 मुदा जेना अहाँ सभ केँ कहने छलहुँ, अहाँ सभ हमरा देखने छी और तैयो विश्वास नहि करैत छी। 37 जकरा पिता हमरा दैत छथि, से सभ हमरा लग आओत, और जे केओ हमरा लग आओत, तकरा हम कहियो नहि अस्वीकार करब। 38 कारण हम अपन इच्छा नहि, बल्कि हमरा पठाबऽ वलाक इच्छा पूरा करबाक लेल स्वर्ग सँ उतरल छी, 39 और हमरा पठाबऽ वलाक इच्छा ई छनि जे जकरा सभ केँ ओ हमरा देने छथि, तकरा सभ मे सँ हम एकोटा केँ नहि हेराबी, बल्कि अन्तिम दिन मे ओकरा सभ केँ जिआबी। 40 हँ, हमर पिताक इच्छा ई छनि जे, जे केओ पुत्र दिस ताकत और ओकरा पर विश्वास करत, तकरा अनन्त जीवन भेटतैक, और हम ओकरा अन्तिम दिन मे जिआ देब।” 41 एहि पर यहूदी सभ हुनका पर कुड़बुड़ाय लगलाह, कारण ओ कहने छलाह जे, स्वर्ग सँ उतरल रोटी हमहीं छी। 42 ओ सभ कहलनि, “ई तँ यूसुफक बेटा यीशुए अछि! और एकर माय-बाप केँ अपना सभ चिन्हिते छिऐक! तँ ई आब कोना कहैत अछि जे हम स्वर्ग सँ उतरल छी?” 43 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ अपना सभ मे एना नहि कुड़बुड़ाउ! 44 केओ हमरा लग ताबत तक नहि आबि सकैत अछि जाबत तक हमर पिता जे हमरा पठौलनि, से ओकरा हमरा लग नहि खीचि दैत छथि। और हम ओकरा अन्तिम दिन मे जिआ देब। 45 परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख छनि जे, ‘ओ सभ गोटे परमेश्वर द्वारा सिखाओल जायत।’ जे केओ पिताक सुनैत छनि और हुनका सँ सिखैत अछि, से हमरा लग अबैत अछि। 46 हमर कहबाक मतलब ई नहि जे, केओ पिता केँ देखने छनि। ओ जे पिताक ओहिठाम सँ आयल अछि, खाली वैहटा हुनका देखने छनि। 47 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे विश्वास करैत अछि, तकरा अनन्त जीवन छैक। 48 जीवनक रोटी हम छी। 49 अहाँ सभक पुरखा लोकनि निर्जन क्षेत्र मे मन्ना वला रोटी खयलनि, और तैयो मरलाह। 50 मुदा ई रोटी जकरा बारे मे हम बाजि रहल छी, से ओ अछि जे स्वर्ग सँ उतरल अछि, जाहि सँ जँ केओ एहि मे सँ खायत तँ नहि मरत। 51 ओ जीबैत रोटी जे स्वर्ग सँ उतरल अछि से हमहीं छी। जँ केओ ई रोटी खायत तँ ओ अनन्त काल तक जीबैत रहत। और ई रोटी जे हम संसारक जीवनक लेल देब, से हमर माँसु अछि।” 52 तखन यहूदी सभ अपना सभ मे वाद-विवाद करऽ लगलाह जे, “ई व्यक्ति हमरा सभ केँ खाय लेल अपन माँसु कोना दऽ सकत?” 53 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे, जाबत तक अहाँ मनुष्य-पुत्रक माँसु नहि खयबैक और ओकर खून नहि पिबैक, ताबत तक अहाँ मे जीवन नहि अछि। 54 जे हमर माँसु खाइत अछि और हमर खून पिबैत अछि, तकरा अनन्त जीवन छैक, और हम ओकरा अन्तिम दिन मे जिआ देबैक। 55 कारण, हमर माँसु वास्तविक भोजन अछि और हमर खून वास्तविक पिबाक वस्तु अछि। 56 जे केओ हमर माँसु खाइत अछि और हमर खून पिबैत अछि, से हमरा मे बनल रहैत अछि और हम ओकरा मे बनल रहैत छी। 57 जहिना जीवित पिता हमरा पठौलनि आ हम हुनका कारण जीबैत छी, तहिना, जे हमरा मे सँ खायत, सैह हमरा कारण जीबैत रहत। 58 ई रोटी स्वर्ग सँ उतरल अछि। ई तेहन नहि अछि जेहन अहाँ सभक पुरखा लोकनि खयलनि। ओ सभ खयलनि आ मरलाह। मुदा जे ई रोटी खायत से सर्वदा जीबैत रहत।” 59 ई सभ बात यीशु कफरनहूमक सभाघर मे शिक्षा दैत काल बजलाह। 60 यीशुक बात सुनि कऽ हुनकर बहुतो शिष्य कहलनि, “ई शिक्षा बहुत कठोर अछि। एकरा के बरदास्त कऽ सकत?” 61 मुदा यीशु अपना मोन मे बुझि गेलाह जे हमर शिष्य सभ एहि सँ कुड़बुड़ाइत छथि, तेँ हुनका सभ केँ कहलथिन, “की एहि बात सँ अहाँ सभक मोन मे ठेस लागि गेल? 62 और मानि लिअ जे अहाँ सभ मनुष्य-पुत्र केँ ओहिठाम ऊपर जाइत देखबनि जाहिठाम ओ पहिने छलाह—तखन की? 63 आत्मे जीवन दैत अछि, शरीर सँ किछुओ लाभ नहि। जे किछु हम अहाँ सभ केँ कहलहुँ से आत्माक और जीवनक बात अछि। 64 तैयो अहाँ सभ मे अनेक एहन छी जे विश्वास नहि करैत छी।” यीशु तँ शुरुए सँ जनैत छलाह जे ओ के सभ अछि जे हमरा पर विश्वास नहि करैत अछि, और ओ के अछि जे हमरा पकड़बाओत। 65 ओ आगाँ कहऽ लगलाह, “एहि कारणेँ हम अहाँ सभ केँ कहने छलहुँ जे, केओ हमरा लग ताबत तक नहि आबि सकैत अछि जाबत तक पिता ओकरा अयबाक सामर्थ्य नहि दैत छथिन।” 66 एहि बात सभ सँ हुनकर बहुतो शिष्य ओहिठाम सँ घूमि गेल और फेर हुनका संग नहि चलल। 67 तखन यीशु अपना बारहो शिष्य केँ पुछलथिन, “की अहूँ सभ हमरा छोड़ऽ चाहैत छी?” 68 सिमोन पत्रुस हुनका उत्तर देलथिन, “प्रभु, हम सभ ककरा लग जाउ? अहाँ लग तँ अनन्त जीवनक वचन अछि। 69 हम सभ विश्वास कऽ कऽ जानि गेल छी जे अहाँ परमेश्वरक पवित्र दूत छी।” 70 यीशु उत्तर देलथिन, “की अहाँ बारहो गोटे केँ हम नहि चुनलहुँ? और तैयो अहाँ सभ मे सँ एक शैतान अछि।” 71 ओ ई बात सिमोन इस्करियोतीक पुत्र यहूदाक बारे मे कहलनि, किएक तँ ओ बारह शिष्य मे सँ एक होइतो हुनका पकड़बाबऽ वला छलाह।
1 एकरा बाद यीशु गलील प्रदेश मे जगह-जगह पर घुमऽ लगलाह। ओ यहूदिया प्रदेश मे नहि घुमऽ चाहैत छलाह, किएक तँ यहूदी सभक धर्मगुरु सभ हुनका मारि देबाक ताक मे छलनि। 2 मुदा यहूदी सभक झोपड़ीक पाबनि जखन लग आबि गेल, 3 तँ हुनकर भाय सभ हुनका कहलथिन, “ई जगह छोड़ू, और यहूदिया प्रदेश चल जाउ, जाहि सँ अहाँ जे चमत्कार कऽ रहल छी से अहाँक चेला सभ देखि सकत। 4 कारण एहन केओ नहि होइत अछि जे नामी होमऽ चाहय आ गुप्त रूप सँ काज करय। अहाँ ई सभ काज कऽ रहल छी, तँ अपना केँ दुनियाक सामने मे प्रगट करू।” 5 हुनकर अपन भाय सभ सेहो हुनका पर विश्वास नहि करैत छलाह। 6 तेँ यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हमर समय एखन तक नहि आयल अछि, लेकिन अहाँ सभक लेल कोनो समय उपयुक्त अछि। 7 अहाँ सभ सँ संसार घृणा नहि कऽ सकैत अछि, मुदा हमरा सँ तँ करैत अछि किएक तँ संसारक बारे मे हम गवाही दैत छी जे ओकर चालि-चलन खराब छैक। 8 अहीं सभ पाबनिक लेल जाउ। हम एखन एहि पाबनिक लेल नहि जायब, कारण हमर समय एखन तक नहि पूरल अछि।” 9 ई बात कहि कऽ ओ गलीले मे रहि गेलाह। 10 मुदा जखन हुनकर भाय सभ पाबनिक लेल चल गेलाह तखन ओहो गेलाह, खुलि कऽ नहि, बल्कि गुप्त रूप सँ। 11 पाबनिक समय यहूदी धर्मगुरु सभ ई कहैत यीशु केँ तकैत छलनि जे, “ओ कतऽ अछि?” 12 हुनका बारे मे लोक सभ बहुत फुसफुसाइत छल। किछु लोक कहैत छल, “ओ नीक आदमी छथि।” और दोसर कहैत छल, “नहि! ओ जनता केँ बहकबैत छैक।” 13 मुदा धर्मगुरु सभक डर सँ केओ हुनका बारे मे किछु खुलि कऽ नहि कहैत छल। 14 पाबनि करीब-करीब आधा समाप्त भऽ गेलाक बादे यीशु मन्दिर मे जा कऽ शिक्षा देबऽ लगलाह। 15 यहूदी सभ बहुत आश्चर्यित भऽ कऽ कहलनि, “एहि आदमी केँ बिनु पढ़नहि एतेक ज्ञान कतऽ सँ प्राप्त भेलैक?” 16 यीशु उत्तर देलथिन, “हम जे शिक्षा दैत छी से हमर नहि, बल्कि जे हमरा पठौलनि, तिनकर अछि। 17 जँ केओ हुनकर इच्छा पूरा करबाक निश्चय करत तँ ओ अवश्य ई जानि जायत जे हमर शिक्षा परमेश्वरक अछि वा हम अपने दिस सँ बाजि रहल छी। 18 जे अपना दिस सँ बजैत अछि, से एहि लेल, जे ओ अपना लेल आदर चाहैत अछि, मुदा जे अपन पठाबऽ वलाक आदर चाहैत अछि से सत्य पुरुष अछि और ओकरा मे कोनो छल-प्रपंच नहि छैक। 19 की मूसा अहाँ सभ केँ धर्म-नियम नहि देने छथि? तैयो अहाँ सभ मे सँ एको व्यक्ति ओहि नियमक पालन नहि करैत छी। अहाँ सभ हमरा किएक मारि देबऽ चाहैत छी?” 20 भीड़क लोक उत्तर देलकनि, “अहाँ मे तँ दुष्टात्मा अछि! अहाँ केँ के मारऽ चाहैत अछि?” 21 यीशु बजलाह, “हम एकटा काज कयलहुँ और ओहि सँ अहाँ सभ गोटे आश्चर्यित भेलहुँ। 22 मूसा अहाँ सभ केँ खतनाक विधि देलनि, ओना तँ ओ विधि वास्तव मे मूसा सँ नहि देल गेल, बल्कि हुनका सँ पहिने वला पुरखा सभ सँ, और ओहि अनुसार अहाँ सभ विश्राम-दिन मे बच्चाक खतना करैत छी। 23 जँ खतना करऽ वला दिन विश्रामोक दिन पड़ला पर अहाँ सभ ओ विधि करैत छी, जाहि सँ मूसाक नियम नहि तोड़ल जाय तँ हमरा पर किएक खिसिआइत छी जखन हम विश्राम-दिन मे ककरो शरीर पूर्ण रूप सँ स्वस्थ कऽ देलहुँ? 24 मुँह देखि न्याय कयनाइ छोड़ू और उचित न्याय करू।” 25 तखन यरूशलेमक किछु निवासी कहऽ लागल, “की ई आदमी ओ नहि अछि, जकरा ओ सभ मारि देबाक कोशिश कऽ रहल छैक? 26 मुदा देखू! ई एतऽ खुलि कऽ बाजि रहल अछि और एकरा केओ नहि किछु कहैत छैक! कतौ एहन तँ नहि भऽ गेल जे अपना सभक धर्मगुरु-नेता सभ वास्तव मे मानि लेने होथि जे ई परमेश्वरक पठाओल उद्धारकर्ता-मसीह अछि? 27 मुदा एकरा तँ अपना सभ जनिते छी जे ई कतऽ सँ आयल अछि। उद्धारकर्ता-मसीह जखन औताह तँ ककरो नहि बुझल होयतैक जे ओ कोन ठामक छथि।” 28 तखन यीशु मन्दिर मे शिक्षा दैत जोर सँ कहलनि, “हँ! हमरा चिन्हैत छी और जनैत छी जे हम कोन ठामक छी। मुदा हम अपने सँ नहि आयल छी। जे हमरा पठौलनि, वैह सत्य छथि। अहाँ सभ हुनका नहि चिन्हैत छियनि, 29 मुदा हम हुनका चिन्हैत छी, किएक तँ हम हुनका ओहिठाम सँ आयल छी, और वैह हमरा पठौलनि।” 30 एहि पर ओ सभ हुनका पकड़बाक कोशिश करऽ लगलाह, मुदा केओ हुनका हाथ नहि लगा सकलनि, कारण हुनकर समय एखन नहि आयल छल। 31 तैयो जनता मे सँ बहुत लोक हुनका पर विश्वास कयलकनि, आ बाजल, “मसीह जखन औताह तँ की एहि व्यक्ति सँ बेसी चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखौताह?” 32 फरिसी सभ जखन भीड़ केँ यीशुक बारे मे एना फुसफुसाइत सुनलनि, तँ ओ सभ आ मुख्यपुरोहित सभ मन्दिरक सिपाही केँ हुनका पकड़ऽ लेल पठा देलनि। 33 तखन यीशु बजलाह, “कनेक कालक लेल आओर अहाँ सभक संग छी, तखन तिनका लग जायब जे हमरा पठौलनि। 34 अहाँ सभ हमरा ताकब, मुदा हम नहि भेटब, और हम जतऽ होयब ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकब।” 35 यहूदी सभक धर्मगुरु सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “ई कतऽ जाय चाहैत अछि जाहि सँ हमरा सभ केँ नहि भेटत? की ओहिठाम जायत जाहिठाम अपना सभक लोक यूनानी सभ मे प्रवासी भऽ कऽ रहैत अछि, और की यूनानी सभ केँ सेहो सिखाओत? 36 एकर की कहबाक मतलब छैक जे, अहाँ सभ हमरा ताकब मुदा हम नहि भेटब, और, हम जतऽ होयब ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकब?” 37 पाबनिक अन्तिम दिन, जे पाबनिक सभ सँ पैघ दिन मानल जाइत छल, ओहि दिन यीशु ठाढ़ भऽ गेलाह और जोर सँ कहलनि, “जँ ककरो पियास लागल छैक तँ ओ हमरा लग आबय और पिबय। 38 जे हमरा पर विश्वास करैत अछि, जेना धर्मशास्त्रक कथन अछि, ओकरा हृदय सँ जीवन-जलक झरना फूटि जायत।” 39 ई बात ओ पवित्र आत्माक सम्बन्ध मे कहलनि, जिनका विश्वास कयनिहार सभ प्राप्त करऽ वला छल। एखन तक पवित्र आत्मा तँ प्रदान नहि कयल गेल छलाह, कारण यीशु एखन तक अपन स्वर्गक महिमा मे फिरि कऽ नहि गेल छलाह। 40 ई बात सुनि बहुत लोक कहऽ लागल, “ई सत्ये परमेश्वरक ओ प्रवक्ता छथि।” 41 दोसर लोक कहलक, “ओ उद्धारकर्ता-मसीह छथि।” मुदा फेर आरो दोसर लोक सभ कहलक, “कोना?! की उद्धारकर्ता-मसीह गलील प्रदेश सँ औताह? 42 की धर्मशास्त्रक कथन नहि अछि जे मसीह दाऊद राजाक वंशज होयताह, और दाऊदक गाम, बेतलेहम सँ औताह?” 43 एहि तरहेँ यीशुक विषय मे लोक सभ केँ अपना मे मतभेद भऽ गेलैक। 44 किछु लोक हुनका पकड़ऽ चाहैत छल, मुदा केओ हुनका हाथ नहि लगौलकनि। 45 तखन मन्दिरक सिपाही सभ मुख्यपुरोहित आ फरिसी सभ लग घूमि कऽ आयल। ई सभ ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ ओकरा किएक नहि पकड़ि कऽ अनलहुँ?” 46 सिपाही सभ उत्तर देलकनि, “ओ आदमी जेना बजैत छथि, तेना आइ तक केओ कहियो नहि बाजल अछि!” 47 फरिसी सभ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अरे! तोरो सभ केँ ओ ठकि लेलकौ की? 48 धर्मगुरु सभ मे सँ वा फरिसी मे सँ की एको गोटे ओकरा पर विश्वास कयने अछि? नहि! 49 मुदा ई भीड़, जे धर्म-नियमक बारे मे किछु नहि जनैत अछि—ओ सभ सरापित अछि!” 50 तखन ओहि फरिसी मे सँ एक आदमी, निकोदेमुस, जे पहिने एक बेर यीशु लग आयल छलाह, से कहलनि, 51 “अपना सभक नियमक अनुसार जाबत तक ककरो बात नहि सुनल जायत और पता नहि लगाओल जायत जे ओ की कऽ रहल अछि की ताबत तक दोषी ठहराओल जायत?” 52 ओ सभ उत्तर देलथिन, “अहूँ गलीलेक छी की? धर्मशास्त्रक अध्ययन करू—अहाँ केँ पता लागत जे परमेश्वरक कोनो प्रवक्ता गलील सँ नहि अबैत छथि!” 53 [तखन ओ सभ अपन-अपन घर चल गेलाह।
1 मुदा यीशु जैतून पहाड़ पर गेलाह। 2 भोरे भोर यीशु फेर मन्दिर मे अयलाह। लोक सभ हुनका लग आयल और ओ बैसि कऽ ओकरा सभ केँ शिक्षा देबऽ लगलाह। 3 धर्मशिक्षक और फरिसी सभ एक स्त्रीगण केँ अनलनि, जे पुरुषक संग कुकर्म करैत पकड़ा गेल छल, और लोकक बीच मे ओकरा ठाढ़ कऽ कऽ 4 यीशु केँ कहलथिन, “गुरुजी, ई स्त्रीगण पुरुषक संग कुकर्म करिते मे पकड़ा गेल। 5 धर्म-नियम मे मूसा हमरा सभ केँ आज्ञा देलनि जे एहन स्त्रीगण केँ पाथर मारि कऽ मारि देबाक चाही। आब अहाँ की कहैत छी?” 6 ई बात ओ सभ हुनका फँसाबऽ लेल पुछलनि, जाहि सँ हुनका पर दोष लगयबाक आधार भेटनि। यीशु नीचाँ झुकि कऽ अपन आङुर सँ जमीन पर लिखऽ लगलाह। 7 ओ सभ जखन हुनका सँ पुछिते रहलाह, तखन ओ मूड़ी उठा कऽ हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ मे सँ जे निष्पाप होथि, वैह सभ सँ पहिने पाथर मारथि।” 8 और फेर झुकि कऽ जमीन पर लिखऽ लगलाह। 9 ई बात जखन ओ सभ सुनलनि तँ पहिने बूढ़ सभ आ तखन एक-एक कऽ सभ केओ चल गेलाह। आब मात्र यीशु रहि गेलाह, और ओ स्त्रीगण जे ओहिठाम ठाढ़ छलि। 10 यीशु मूड़ी उठा कऽ ओकरा कहलथिन, “बहिन, ओ सभ कतऽ अछि? की तोरा केओ नहि दण्ड देलकह?” 11 ओ बाजल, “नहि, मालिक, केओ नहि।” यीशु बजलाह, “हमहूँ तोरा दण्ड नहि दैत छिअह। आब जाह, आ फेर पाप नहि करह।”] 12 बाद मे यीशु फेर लोक सभ केँ कहलनि, “हम संसारक इजोत छी। जे केओ हमरा पाछाँ आओत, से अन्हार मे कहियो नहि चलत, बल्कि जीवनक इजोत प्राप्त करत।” 13 एहि पर फरिसी सभ हुनका कहलथिन, “आब अहाँ अपना बारे मे अपने गवाही दऽ रहल छी! अहाँक गवाही पकिया नहि मानल जायत।” 14 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ हम अपना बारे मे गवाही दैतो छी तँ हमर गवाही पकिया होइत अछि, कारण हम जनैत छी जे हम कतऽ सँ आयल छी और कतऽ जा रहल छी, मुदा अहाँ सभ नहि जनैत छी जे हम कतऽ सँ अयलहुँ वा कतऽ जाय वला छी। 15 अहाँ सभ सांसारिक दृष्टि सँ न्याय करैत छी। हम ककरो न्याय नहि करैत छी। 16 तैयो जँ हम न्याय करितो छी तँ हमर न्याय उचित होइत अछि कारण निर्णय हम असगरे नहि, बल्कि हमर पिता, जे हमरा पठौलनि, से और हम दूनू गोटे करैत छी। 17 अहीं सभक धर्म-नियम मे लिखल अछि जे दू आदमीक गवाही पकिया होइत अछि। 18 हम अपना बारे मे अपने एक गवाह छी और हमर दोसर गवाह ओ छथि जे हमरा पठौलनि—हमर पिता।” 19 ओ सभ तखन हुनका कहलथिन, “अहाँक पिता कतऽ छथि?” यीशु बजलाह, “अहाँ सभ ने हमरा चिन्हैत छी, आ ने हमरा पिता केँ। जँ हमरा चिन्हितहुँ तँ हमरा पितो केँ चिन्हितिऐन।” 20 ई सभ बात ओ शिक्षा दैत काल मन्दिरक ओहि भाग मे कहलनि जाहिठाम दान-पात्र राखल रहैत छल। तैयो हुनका केओ नहि पकड़लकनि, किएक तँ हुनकर समय एखन तक नहि आयल छल। 21 यीशु हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “हम तँ जा रहल छी। अहाँ सभ हमरा ताकब, और अपना पाप मे मरब। हम जतऽ जाइत छी ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकैत छी।” 22 एहि पर यहूदी सभ एक-दोसर केँ कहऽ लागल, “तँ की ओ आत्महत्या कऽ लेत? की एहि कारणेँ ओ कहैत अछि जे, हम जतऽ जाइत छी ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकैत छी?” 23 ओ ओकरा सभ केँ आगाँ कहलथिन, “अहाँ सभ नीचाँक छी, हम ऊपरक छी। अहाँ सभ एही दुनियाक छी, हम एहि दुनियाक नहि छी। 24 एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहलहुँ जे, अहाँ सभ अपना पाप मे मरब। कारण, जँ अहाँ सभ विश्वास नहि करब जे हम वैह छी जे छी, तँ अहाँ सभ अपना पाप मे अवश्य मरब।” 25 ओ सभ हुनका कहलकनि, “तखन अहाँ के छी?” यीशु बजलाह, “वैह, जे हम शुरुए सँ अहाँ सभ केँ कहैत आबि रहल छी। 26 अहाँ सभक सम्बन्ध मे हमरा बहुत किछु कहबाक और न्याय करबाक अछि। मुदा जे हमरा पठौलनि, से सत्य छथि, और जे बात हम हुनका सँ सुनने छी, वैह बात हम संसार केँ कहैत छी।” 27 ओ सभ नहि बुझलक जे यीशु पिताक बारे मे ओकरा सभ केँ कहैत छथि। 28 तेँ यीशु कहलनि, “जखन अहाँ सभ मनुष्य-पुत्र केँ ऊपर लटका देब तखन अहाँ सभ जानि जायब जे हम वैह छी जे छी, और जानब जे हम अपने सँ किछु नहि करैत छी, बल्कि वैह करैत आ कहैत छी जे पिता हमरा सिखौने छथि। 29 जे हमरा पठौलनि, से हमरा संग छथि। ओ हमरा असगरे नहि छोड़ने छथि, कारण हम सदिखन वैह काज करैत छी जाहि काज सँ ओ प्रसन्न होइत छथि।” 30 जखन ई बात ओ कहि रहल छलाह तखने बहुतो लोक हुनका पर विश्वास कयलकनि। 31 जे यहूदी सभ हुनका पर विश्वास कयलनि, तिनका सभ केँ यीशु कहलथिन, “जँ अहाँ सभ हमरा सिद्धान्तक पालन करब तँ अहाँ सभ वास्तव मे हमर शिष्य होयब। 32 तखन अहाँ सभ सत्य केँ जानब, और सत्य अहाँ सभ केँ स्वतन्त्र कऽ देत।” 33 ओ सभ हुनका उत्तर देलथिन, “हम सभ तँ अब्राहमक वंशज छी और कहियो ककरो गुलाम नहि भेलहुँ। अहाँ कोना कहैत छी जे हम सभ स्वतन्त्र कऽ देल जायब?” 34 यीशु हुनका सभ केँ उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे केओ पाप करैत अछि, से दास अछि। 35 दास घर मे सभ दिन तक नहि रहैत अछि, मुदा पुत्र सभ दिन तक रहैत अछि। 36 तेँ जँ पुत्र अहाँ केँ स्वतन्त्र कऽ देताह तँ वास्तव मे अहाँ स्वतन्त्र भऽ जायब। 37 हमरा बुझल अछि जे अहाँ सभ अब्राहमक वंशज छी, तैयो अहाँ सभ हमरा मारि देबऽ चाहैत छी। तकर कारण ई अछि जे, अहाँ सभक मोन मे हमरा वचनक लेल कोनो स्थान नहि अछि। 38 हम जे किछु अपना पिताक ओहिठाम देखने छी, वैह कहैत छी, और अहाँ सभ से कहैत छी जे अपने पिता सँ सुनने छी।” 39 ओ सभ उत्तर देलथिन, “हमरा सभक पिता अब्राहम छथि।” यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जँ अब्राहमक सन्तान रहितहुँ तँ जे काज अब्राहम कयलनि सैह करितहुँ। 40 मुदा देखू! अहाँ सभ हमरा खून कऽ देबाक कोशिश मे छी, खाली एहि लेल, जे हम परमेश्वर सँ सुनल सत्य केँ अहाँ सभ केँ कहलहुँ। अब्राहम एहन काज तँ नहि कयलनि! 41 जे अहाँ सभक पिता अछि, तकरे जकाँ अहाँ सभ करैत छी।” ओ सभ उत्तर देलथिन, “हम सभ अनजनुआ-जन्मल नहि छी! हमरा सभक एकेटा पिता छथि, अर्थात् परमेश्वर।” 42 यीशु बजलाह, “जँ अहाँ सभक पिता परमेश्वर रहितथि तँ अहाँ सभ हमरा सँ प्रेम करितहुँ किएक तँ हम हुनके ओहिठाम सँ अयलहुँ और आब एतऽ छी। हम अपना इच्छा सँ नहि अयलहुँ, वैह हमरा पठौलनि। 43 हम जे कहैत छी से अहाँ सभ किएक नहि बुझैत छी? एहि लेल जे अहाँ सभ हमर बात नहि सुनि सकैत छी! 44 अहाँ सभ अपन पिता, जे शैतान अछि, तकर छी, और अहाँ सभ अपन पिताक इच्छा पूरा करबाक निश्चय कयने छी। ओ शुरुए सँ हत्यारा अछि और सत्य सँ कोनो सम्बन्ध नहि रखैत अछि, कारण ओकरा मे सत्य छैहे नहि। ओ जखन झूठ बजैत अछि तँ अपन स्वभावेक अनुसार बजैत अछि, किएक तँ ओ झुट्ठा अछि और झूठक पिता अछि। 45 मुदा हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी और तेँ अहाँ सभ हमर विश्वास नहि करैत छी। 46 की अहाँ सभ मे सँ केओ प्रमाणित कऽ सकैत अछि जे हम पापक दोषी छी? जँ हम सत्य बजैत छी तँ हमर विश्वास किएक नहि करैत छी? 47 जे परमेश्वरक अछि, से परमेश्वरक वचन सुनैत अछि। अहाँ सभ एहि द्वारे नहि सुनैत छी जे अहाँ सभ परमेश्वरक नहि छी।” 48 यहूदी सभ हुनका उत्तर देलथिन, “की हम सभ ठीके नहि कहैत आबि रहल छिऔ जे तोँ सामरी छैं और तोरा मे दुष्टात्मा छौ?” 49 यीशु उत्तर देलथिन, “हमरा मे दुष्टात्मा नहि अछि। हम अपना पिता केँ आदर करैत छी मुदा अहाँ सभ हमर निरादर करैत छी। 50 लेकिन हम अपना सम्मानक लेल चिन्ता नहि करैत छी। एक दोसर गोटे करैत छथि और वैह न्याय करैत छथि। 51 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे जँ केओ हमर बात पर चलत तँ ओ कहियो नहि मरत।” 52 तखन यहूदी सभ हुनका कहलकनि, “आब तँ निश्चय जानि गेलहुँ जे तोरा मे दुष्टात्मा छौ! अब्राहम मरि गेलाह और परमेश्वरक प्रवक्ता सभ सेहो, और तैयो तोँ कहैत छैं जे, कोनो व्यक्ति जँ तोरा वचन पर चलत तँ मृत्यु केँ कहियो नहि चिखत! 53 की तोँ हमरा सभक पुरखा अब्राहम सँ पैघ हयबेँ? ओ तँ मरि गेलाह आ परमेश्वरक आरो सभ प्रवक्ता सेहो मरलाह। तोँ अपना केँ की बुझैत छैं?” 54 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ हमहीं अपन सम्मान करितहुँ तँ ओहि सम्मानक कोनो महत्व नहि होइत। हमर सम्मान करऽ वला हमर पिता छथि, वैह जिनका अहाँ सभ अपन परमेश्वर कहैत छियनि। 55 अहाँ सभ हुनका चिन्हबे नहि करैत छी, मुदा हम हुनका चिन्हैत छी। जँ हम कहितहुँ जे हम हुनका नहि चिन्हैत छी, तँ हम अहीं सभ जकाँ झुट्ठा होइतहुँ, मुदा हम हुनका चिन्हिते छियनि, और हुनका वचन पर चलैत छी। 56 अहाँ सभक पिता अब्राहम हमरा देखबाक आशा मे बहुत आनन्दित छलाह। ओ देखबो कयलनि और बड्ड खुश भेलाह।” 57 तखन यहूदी सभ कहलथिन, “तोँ एखन पचासो वर्षक नहि छैं और तोँ अब्राहम केँ देखने छैं!” 58 यीशु उत्तर देलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे अब्राहमक जन्मो सँ पहिने, हम छी!” 59 एहि पर ओ सभ हुनका मारबाक लेल पाथर उठाबऽ लगलाह, मुदा यीशु नुका कऽ मन्दिर सँ बाहर भऽ कऽ चल गेलाह।
1 यीशु चलैत-चलैत एक आदमी केँ देखलनि जे जन्म सँ आन्हर छल। 2 हुनकर शिष्य सभ पुछलथिन, “गुरुजी, ई आदमी अपने पापक कारणेँ आन्हर जनमल की माय-बाबूक पापक कारणेँ?” 3 यीशु उत्तर देलथिन, “ने अपना पापक कारणेँ आ ने माय-बाबूक। ई एहि लेल भेल जे ओकरा मे परमेश्वरक काज प्रगट भऽ जानि। 4 जे हमरा पठौलनि, तिनकर काज अपना सभ केँ दिने मे करऽ पड़त। राति आबि रहल अछि, जखन केओ नहि काज कऽ सकैत अछि। 5 जाबत धरि हम संसार मे छी, ताबत धरि हम संसारक इजोत छी।” 6 एतबा कहि ओ जमीन पर थुकलनि, आओर थूक मे माटि सानि कऽ, ओहि आदमीक आँखि पर लगा देलथिन। 7 तखन ओकरा कहलथिन, “जा कऽ शिलोह कुण्ड मे धो लैह।” (शिलोहक अर्थ अछि “पठाओल गेल”।) तँ ओ आदमी जा कऽ आँखि धो लेलक आओर देखैत घर चल आयल। 8 ओकर पड़ोसी सभ आ जे लोक सभ ओकरा पहिने भीख मँगैत देखने छलैक कहलक, “की ई वैह नहि अछि जे पहिने बैसले-बैसले भीख मँगैत छल?” 9 किछु लोक कहलक, “हँ, वैह अछि।” दोसर लोक कहलक, “नहि, नहि! ओकरा सनक लगैत छैक लेकिन ओ अछि नहि।” मुदा ओ आदमी अपने कहलक, “हम वैह छी।” 10 तँ ओ सभ ओकरा कहलकैक, “तखन तोहर आँखि कोना खुजि गेलौ?” 11 ओ बाजल, “ओ यीशु नामक आदमी माटि सानि कऽ हमरा आँखि पर लगा कऽ कहलनि जे, जाह, शिलोह मे धो लैह। हम गेलहुँ, धो लेलहुँ, आओर देखऽ लगलहुँ।” 12 ओ सभ ओकरा पुछलकैक, “ओ कतऽ छथि?” ओ उत्तर देलकैक, “हम नहि जनैत छी।” 13 ओ आदमी जे पहिने आन्हर छल तकरा फरिसी सभ लग आनल गेलैक। 14 जाहि दिन यीशु माटि सानि कऽ ओकर आँखि खोलने छलथिन, से विश्राम-दिन छल। 15 तेँ फरिसी सभ ओहि आदमी केँ फेर पुछलथिन, “ई कोना भेल जे तोँ आब देखि रहल छह?” ओ बाजल, “ओ माटि सानि कऽ हमरा आँखि पर लगा देलनि, हम धो लेलहुँ, आओर आब देखैत छी।” 16 किछु फरिसी कहऽ लगलाह, “ई व्यक्ति परमेश्वरक दिस सँ नहि आयल अछि, कारण ओ विश्राम-दिन केँ नहि मानैत अछि।” मुदा दोसर सभ कहऽ लगलाह, “जे पापी होयत, से एहन चमत्कार वला चिन्ह सभ कोना देखा सकत?” एहि तरहेँ हुनका सभ मे मतभेद भऽ गेलनि। 17 आखिर मे ओ सभ ओहि आन्हर केँ पुछलथिन, “तोँ ओकरा बारे मे की कहैत छह? तोरे ने आँखि खोलि देलकह।” ओ उत्तर देलकनि, “ओ परमेश्वरक प्रवक्ता छथि।” 18 मुदा यहूदी सभ तखनो तक नहि पतिअयलाह जे ओ पहिने आन्हर छल, और आब देखऽ लागल अछि जखन तक ओ सभ ओकर माय-बाबू केँ बजा कऽ पुछि नहि लेलनि। 19 ओ सभ ओकरा सभ सँ पुछलथिन, “की ई तोरे सभक बेटा छह? ई वैह अछि जे तोरा सभक कहबाक अनुसार आन्हर जनमल? तँ ई एखन कोना देखि रहल अछि?” 20 ओकर माय-बाबू उत्तर देलकनि, “हम सभ जनैत छी जे ई हमरा सभक बालक अछि, और इहो जनैत छी जे आन्हर जनमल। 21 मुदा ई एखन कोना देखि रहल अछि, वा एकरा के आँखि खोलि देलथिन, से नहि जनैत छी। ओकरे पुछिऔक। ओ तँ बच्चा नहि अछि। ओ अपने कहत।” 22 ओकर माय-बाबू ई बात एहि लेल कहलक जे ओ सभ यहूदीक धर्मगुरु सभ सँ डेराइत छल, कारण, यहूदी अधिकारी सभ एकमत भऽ गेल रहय जे, जँ केओ कहत जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह अछि तँ ओकरा सभाघर सँ बारि देल जयतैक। 23 एही कारणेँ ओकर माय-बाबू कहने छलैक जे ओ बच्चा नहि अछि, ओकरे पुछिऔक। 24 ओ सभ फेर दोसर बेर ओहि आदमी केँ बजौलनि जे आन्हर छल, आओर ओकरा कहलथिन, “परमेश्वरक समक्ष सत्ये बाजह! हम सभ जनैत छी जे ई व्यक्ति पापी अछि।” 25 ओ बाजल, “ओ पापी छथि वा नहि, से हम नहि जनैत छी। मुदा एकटा बात हम जनैत छी—हम पहिने आन्हर छलहुँ और एखन देखैत छी।” 26 ओ सभ ओकरा पुछलथिन, “ओ तोरा की कयलकह? तोहर आँखि ओ कोना खोललकह?” 27 ओ उत्तर देलकनि, “हम अहाँ सभ केँ कहि देने छी, मुदा अहाँ सभ सुनिते नहि छी। अहाँ सभ फेर किएक सुनऽ चाहैत छी? की अहूँ सभ हुनकर शिष्य बनऽ चाहैत छी?” 28 ओ सभ ओकरा गारि पढ़ैत कहलथिन, “तोँही ओकर शिष्य छैं। हम सभ तँ मूसाक शिष्य छी। 29 हम सभ जनैत छी जे परमेश्वर मूसा सँ बाजल छलथिन, मुदा ई व्यक्ति जे अछि, से कतऽ सँ आयल तकर कोनो पता नहि।” 30 एहि पर ओ आदमी बाजल, “अरे, ई तँ बड्ड अद्भुत बात अछि! अहाँ सभ नहि जनैत छी जे ओ कतऽ सँ आयल छथि, और तैयो ओ हमर आँखि खोलि देलनि। 31 अपना सभ जनैत छी जे परमेश्वर पापी सभक नहि सुनैत छथिन। जे हुनका मानैत छनि और हुनकर इच्छा पूरा करैत छनि, तकर बात परमेश्वर सुनैत छथिन। 32 सृष्टिक आरम्भ सँ आइ तक ई कहियो सुनबा मे नहि आयल अछि जे केओ कोनो जन्म सँ आन्हर आदमीक आँखि केँ खोलने होअय। 33 ई आदमी जँ परमेश्वरक दिस सँ नहि आयल रहितथि तँ ओ किछु नहि कऽ सकितथि।” 34 एहि पर ओ सभ उत्तर देलथिन, “तोँ तँ बिलकुल पापे मे जनमल छैं आ तोँ हमरा सभ केँ सिखाबऽ चाहैत छैं?!” ई कहि ओकरा बाहर भगा देलनि। 35 यीशु जखन सुनलनि जे ओ सभ ओकरा भगा देने छैक तँ ओकरा भेँट कऽ कऽ पुछलथिन, “की तोँ मनुष्य-पुत्र पर विश्वास करैत छह?” 36 ओ उत्तर देलकनि, “मालिक, ओ के छथि? हमरा कहल जाओ, जाहि सँ हम हुनका पर विश्वास करियनि।” 37 यीशु ओकरा कहलथिन, “तोँ हुनका देखने छहुन और ओ वैह छथि जे एखनो तोरा सँ बात कऽ रहल छथुन।” 38 ओ कहलकनि, “प्रभु, हम विश्वास करैत छी!” और हुनकर पयर पर खसि कऽ गोड़ लगलकनि। 39 यीशु बजलाह, “हम एहि संसार मे न्यायक लेल आयल छी, जाहि सँ जे सभ नहि देखैत अछि, से सभ देखय, और जे सभ देखैत अछि, से सभ आन्हर भऽ जाय।” 40 किछु फरिसी जे हुनका लग मे ठाढ़ छलाह, से ई बात सुनि कहलथिन, “तँ हमहूँ सभ आन्हर छी की?” 41 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जँ आन्हर रहितहुँ, तँ दोषी नहि होइतहुँ, मुदा अहाँ सभ कहैत छी जे, हम सभ देखैत छी, आ तेँ अहाँ सभ दोषी रहलहुँ।”
1 “हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे, जे द्वारि बाटे भेँड़शाला मे प्रवेश नहि करैत अछि, बल्कि देवाल पर चढ़ि कऽ कोनो दोसर बाटे प्रवेश करैत अछि, से चोर और डाकू होइत अछि। 2 जे द्वारि बाटे प्रवेश करैत छथि, से भेँड़ाक चरबाह छथि। 3 हुनका लेल द्वारपाल द्वारिक फट्टक खोलि दैत छनि, और हुनकर आवाज भेँड़ा चिन्हैत छनि। ओ अपना भेँड़ा केँ नाम लऽ-लऽ कऽ बजबैत छथि, और ओकरा सभ केँ बाहर लऽ जाइत छथि। 4 अपन सभ भेँड़ा केँ निकालि लेला पर ओ ओकरा सभक आगाँ-आगाँ चलैत छथि और ओ सभ हुनका पाछाँ लागि जाइत छनि किएक तँ ओ सभ हुनकर आवाज केँ चिन्हैत छनि। 5 ओ सभ कोनो अपरिचित आदमीक पाछाँ कहियो नहि जायत, बल्कि ओकरा लग सँ भागत, किएक तँ अपरिचित लोकक आवाज ओ सभ नहि चिन्हैत छैक।” 6 यीशु हुनका सभ केँ ई उदाहरण देलनि, मुदा हुनकर की कहबाक अर्थ छलनि, से ओ सभ नहि बुझलनि। 7 तेँ ओ हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, भेँड़ा सभक लेल हमहीं द्वारि छी। 8 आरो सभ जे हमरा सँ पहिने आयल, से चोर और डाकू सभ छल, मुदा भेँड़ा ओकरा सभक बात नहि मानलक। 9 द्वारि हम छी। हमरा बाटे जे प्रवेश करत से सुरक्षित राखल जायत। ओ भीतर-बाहर अबैत-जाइत रहत और चारा पाओत। 10 चोर खाली चोरी करबाक, जान मारबाक, और नष्ट करबाक उद्देश्य सँ अबैत अछि। मुदा हम एहि लेल आयल छी जे मनुष्य जीवन प्राप्त करय और परिपूर्णता सँ प्राप्त करय। 11 “नीक चरबाह हम छी। नीक चरबाह भेँड़ाक लेल अपन प्राण दैत अछि। 12 जऽन-बोनिहार, जे ने चरबाह अछि आ ने भेँड़ाक मालिक अछि से चितुआ केँ अबैत देखि कऽ भेँड़ा सभ केँ छोड़ि कऽ भागि जाइत अछि। तखन चितुआ भेँड़ा केँ पकड़ऽ लगैत छैक और ओकरा सभ केँ छिड़िया दैत छैक। 13 जऽन-बोनिहार एहि लेल भागि जाइत अछि जे ओ खाली जऽन अछि और ओकरा भेँड़ाक लेल कोनो चिन्ता नहि रहैत छैक। 14 “नीक चरबाह हम छी। जहिना पिता हमरा चिन्हैत छथि और हम पिता केँ चिन्हैत छियनि, 15 तहिना हम अपना भेँड़ा सभ केँ चिन्हैत छी और ओ सभ हमरा चिन्हैत अछि। और भेँड़ा सभक लेल हम अपन प्राण दैत छी। 16 हमरा आरो भेँड़ा अछि जे एहि भेँड़शालाक नहि अछि। ओकरो सभ केँ हमरा लयबाक अछि। ओहो सभ हमर आवाज सुनत। तखन एके झुण्ड और एके चरबाह होयत। 17 “पिता हमरा सँ एहि लेल प्रेम करैत छथि जे हम अपन प्राण दैत छी जाहि सँ हम ओकरा फेर लऽ ली। 18 केओ हमर प्राण केँ हमरा सँ नहि छिनि लैत अछि, बल्कि हम अपना इच्छा सँ दऽ रहल छी। हमरा अपन जान देबाक अधिकार अछि और ओकरा फेर लऽ लेबाक अधिकार सेहो अछि। ई आज्ञा हम अपना पिता सँ प्राप्त कयने छी।” 19 एहि बात सभक कारणेँ यहूदी सभ मे फेर मतभेद भऽ गेलनि। 20 बहुत लोक कहैत छलाह, “एकरा मे दुष्टात्मा छैक। ई बताह अछि! एकर बात किएक सुनबैक?” 21 मुदा दोसर सभ कहैत छलाह, “जकरा मे दुष्टात्मा छैक, से की एहन बात सभ कहत? की दुष्टात्मा कतौ आन्हरक आँखि खोलि सकैत अछि?” 22 तखन यरूशलेम मे “मन्दिरक समर्पण” नामक पाबनि आबि गेल। 23 जाड़क मास छल, और यीशु मन्दिर मे ओहि असोरा पर टहलैत छलाह जे “सुलेमानक असोरा” कहबैत अछि। 24 यहूदी सभ हुनका चारू कात सँ घेरि कऽ कहलथिन, “कहिया तक अहाँ हमरा सभ केँ दुबिधा मे रखने रहब? अहाँ जँ परमेश्वरक मसीह छी तँ हमरा सभ केँ स्पष्ट कहि दिअ।” 25 यीशु बजलाह, “हम अहाँ सभ केँ कहिए देने छी, मुदा अहाँ सभ विश्वास नहि करैत छी। जे काज हम अपना पिताक नाम सँ करैत छी, से हमर गवाही दैत अछि। 26 मुदा अहाँ सभ विश्वास नहि करैत छी किएक तँ अहाँ सभ हमर भेँड़ा नहि छी। 27 हमर भेँड़ा हमर आवाज सुनैत अछि। हम ओकरा सभ केँ चिन्हैत छी और ओ सभ हमरा पाछाँ लागि जाइत अछि। 28 हम ओकरा सभ केँ अनन्त जीवन दैत छी और ओ सभ कहियो नाश नहि होयत। हमरा हाथ सँ केओ ओकरा सभ केँ नहि छिनि लेत। 29 हमर पिता, जे ओकरा सभ केँ हमरा देने छथि, से आरो सभ सँ शक्तिशाली छथि, तेँ हमरा पिताक हाथ सँ ओकरा सभ केँ केओ नहि छिनि सकैत अछि। 30 हम और पिता एक छी।” 31 एहि पर यहूदी सभ फेर हुनका मारि देबाक लेल पाथर उठाबऽ लगलाह, 32 मुदा यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ पिताक तरफ सँ बहुत नीक-नीक काज कऽ कऽ देखा देलहुँ। एहि सभ मे सँ कोन काजक लेल हमरा मारि देबऽ चाहैत छी?” 33 यहूदी सभ हुनका उत्तर देलथिन, “कोनो नीक काजक लेल तोरा नहि मारऽ चाहैत छिऔ, बल्कि परमेश्वरक निन्दाक लेल, कारण तोँ मनुष्ये भऽ कऽ अपना केँ परमेश्वर कहैत छैं।” 34 यीशु बजलाह, “की अहाँ सभक धर्मशास्त्र मे नहि लिखल अछि जे, ‘हम कहलहुँ जे तोँ सभ ईश्वर छह’ ? 35 जँ तकरा सभ केँ ओ ‘ईश्वर’ कहलथिन जकरा सभ केँ परमेश्वरक वचन देल गेल—और धर्मशास्त्र कहियो गलत नहि ठहरि सकैत अछि— 36 तँ जकरा पिता अपना पवित्र काजक लेल चुनि कऽ संसार मे पठौलथिन, तकरा पर परमेश्वरक निन्दा करबाक दोष किएक लगबैत छी जखन ओ कहैत अछि जे, ‘हम परमेश्वरक पुत्र छी’? 37 जँ हम अपना पिताक काज नहि कऽ रहल छी, तँ हमरा पर विश्वास नहि करू। 38 मुदा जँ हम कऽ रहल छी, तँ हमरा पर जँ नहिओ विश्वास करब, तँ हमर काज पर विश्वास करू, जाहि सँ अहाँ सभ जानब और बुझब जे पिता हमरा मे छथि और हम पिता मे छी।” 39 ओ सभ हुनका फेर पकड़ऽ चाहैत छलनि, मुदा ओ हुनका सभक हाथ सँ बचि कऽ निकलि गेलाह। 40 तखन यीशु फेर यरदन नदीक ओहि पार गेलाह जाहिठाम यूहन्ना शुरू मे बपतिस्मा दैत छलाह। ओ ओहिठाम रहलाह 41 और बहुत लोक हुनका लग आयल। ओ सभ कहलक, “ओना तँ यूहन्ना कोनो चमत्कारपूर्ण चिन्ह नहि देखौलनि, तैयो जतेक बात ओ एहि व्यक्तिक बारे मे कहलनि, से सभ सत्य छल।” 42 और ओहिठाम बहुत लोक यीशु पर विश्वास कयलकनि। #
1 एक लाजर नामक आदमी, जे बेतनिया गामक छलाह, बहुत बिमार भऽ गेल छलाह। बेतनिया गाम मरियम आओर हुनकर बहिन मार्थाक गाम छल। 2 ई मरियम वैह छथि जे यीशुक पयर पर सुगन्धित तेल ढारि कऽ हुनकर पयर अपना केश लऽ कऽ पोछि देलनि। तँ लाजर एहि मरियमक भाय छलाह। 3 दूनू बहिन यीशु केँ खबरि पठा देलनि जे, “प्रभु, अहाँक प्रिय मित्र बिमार अछि।” 4 यीशु ई सुनि कऽ बजलाह, “एहि बिमारीक अन्त मृत्यु नहि होयत। ई एहि लेल भेल जे परमेश्वरक महिमा प्रगट होयतनि, और जाहि सँ एहि द्वारा परमेश्वरक पुत्रक महिमा प्रगट होयत।” 5 यीशु मार्था, हुनकर बहिन मरियम, और लाजर सँ बहुत प्रेम करैत छलथिन, 6 मुदा तैयो ई खबरि जखन सुनलनि, जे लाजर बिमार छथि, तखन ओ जाहिठाम छलाह ताहिठाम दू दिन आओर रहि गेलाह। 7 तखन ओ अपन शिष्य सभ केँ कहलथिन, “आब फेर यहूदिया प्रदेश चलू।” 8 ओ सभ कहलथिन, “गुरुजी, किछुए दिन पहिने यहूदी सभ पाथर मारि कऽ अहाँ केँ मारि देबऽ चाहैत छलाह, आ तैयो अहाँ ओतऽ फेर जाय चाहैत छी?” 9 यीशु बजलाह, “की दिन मे बारह घण्टा नहि होइत छैक? जँ केओ दिन मे चलैत अछि तँ ओकरा ठेस नहि लगैत छैक, कारण ओ एहि संसारक इजोत केँ देखैत अछि। 10 मुदा राति मे जँ चलैत अछि तँ ठेस लगैत छैक कारण ओकरा कोनो इजोत नहि छैक।” 11 ई कहि यीशु हुनका सभ केँ आगाँ कहलथिन, “अपना सभक मित्र लाजर सुति रहलाह, मुदा हम हुनका जगयबाक लेल जाइत छी।” 12 शिष्य सभ हुनका कहलथिन, “प्रभु, जँ ओ सुति रहल छथि तँ ओ नीकैं भऽ जयताह।” 13 यीशु हुनकर मृत्युक सम्बन्ध मे ई कहने छलथिन मुदा शिष्य सभ बुझलनि जे ओ स्वभाविक निन्दक सम्बन्ध मे कहि रहल छथि। 14 तखन यीशु हुनका सभ केँ स्पष्ट कहलथिन, “लाजर मरि गेल छथि। 15 और अहाँ सभक कारणेँ हमरा खुशी अछि जे हम ओतऽ नहि छलहुँ, जाहि सँ अहाँ सभ विश्वास करी। मुदा आउ, अपना सभ आब हुनका लग चली।” 16 तखन थोमा, जे “जौंआ” कहबैत छथि, से आरो शिष्य सभ केँ कहलथिन, “आउ, अपनो सभ हिनका संग मरऽ लेल चली।” 17 ओतऽ पहुँचला पर यीशु केँ पता लगलनि जे लाजर केँ कबर मे रखला चारि दिन भऽ गेल अछि। 18 बेतनिया यरूशलेम सँ एक कोस सँ कनेक कम दूर छल, 19 और बहुत यहूदी लोक मार्था आओर मरियमक भायक मरला पर सान्त्वना देबाक लेल हुनका सभक ओहिठाम आयल छलनि। 20 मार्था जखन सुनलनि जे यीशु आबि रहल छथि तँ हुनका भेँट करऽ गेलीह, लेकिन मरियम घर मे बैसल रहलीह। 21 मार्था यीशु केँ कहलथिन, “प्रभु, अहाँ जँ एतऽ रहितहुँ तँ हमर भाय नहि मरल रहैत। 22 मुदा हम जनैत छी जे एखनो अहाँ जे किछु परमेश्वर सँ मँगबनि, से अहाँ केँ ओ देताह।” 23 यीशु बजलाह, “अहाँक भाय फेर जीबि उठत।” 24 मार्था बजलीह, “हम जनैत छी जे अन्तिम दिन मे जखन मुइल सभ जीबि उठत तखन ओहो जीबि उठत।” 25 यीशु हुनका कहलथिन, “जीबि उठाबऽ वला और जीवन देबऽ वला हमहीं छी। जे केओ हमरा पर विश्वास करैत अछि, से जँ मरिओ जायत, तैयो जीअत। 26 और जे केओ हमरा मे जीबैत अछि और विश्वास करैत अछि, से कहियो नहि मरत। की एहि पर विश्वास करैत छी?” 27 मार्था हुनका उत्तर देलथिन, “हँ प्रभु, हम विश्वास करैत छी जे अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह छी, परमेश्वरक पुत्र छी, जे संसार मे आबऽ वला छलाह।” 28 ई कहि ओ अपन बहिन मरियम केँ बजयबाक लेल गेलीह, और हुनका अलग लऽ जा कऽ कहलथिन, “गुरुजी आबि गेलाह, तोरा बजबैत छथुन।” 29 ई बात सुनितहि, मरियम जल्दी सँ उठि कऽ हुनका लग गेलीह। 30 यीशु एखन गाम मे नहि आयल छलाह, बल्कि ओहि स्थान पर छलाह जाहिठाम मार्था हुनका सँ भेँट कयने छलीह। 31 यहूदी सभ, जे मरियम केँ सान्त्वना दैत हुनका संग घर मे छलनि, से सभ जखन हुनका जल्दी उठि बाहर जाइत देखलकनि, तँ हुनका पाछाँ-पाछाँ गेल, ई बुझि कऽ जे ओ कबर पर विलाप करऽ जा रहल छथि। 32 मरियम जखन ओहिठाम पहुँचलीह जाहिठाम यीशु छलाह, तँ हुनका देखि हुनका पयर पर खसि कऽ बजलीह, “प्रभु, अहाँ जँ एतऽ रहितहुँ तँ हमर भाय नहि मरैत।” 33 यीशु जखन हुनका विलाप करैत देखलथिन, और यहूदी सभ, जे हुनका संग आयल छल, तकरो सभ केँ विलाप करैत देखलनि तँ हुनका बहुत दुःख भेलनि और ओ व्याकुल भऽ गेलाह। 34 ओ पुछलथिन, “हुनका कतऽ रखने छिऐन?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “प्रभु, चलि कऽ देखि लिअ।” 35 यीशु कानऽ लगलाह। 36 तखन यहूदी सभ कहलक, “देखू, ओकरा सँ कतेक प्रेम करैत छलथिन।” 37 मुदा ओकरा सभ मे सँ किछु लोक कहलक, “ई जे आन्हर केँ आँखि खोलि देलथिन, से की एहि आदमीक मरनाइ नहि रोकि सकलाह?” 38 यीशु फेर बहुत दुखी भऽ कऽ कबर लग गेलाह। ओ कबर एक गुफा छल, जकरा दुआरि पर एकटा बड़का पाथर राखल छलैक। 39 यीशु कहलथिन, “पाथर हटा दिअ!” मृतकक बहिन, मार्था, हुनका कहलथिन, “प्रभु, आब बहुत महकैत होयत। ओकरा मरला तँ चारि दिन भऽ गेल छैक।” 40 यीशु बजलाह, “की, हम अहाँ केँ नहि कहलहुँ जे जँ अहाँ विश्वास करब तँ परमेश्वरक महिमा देखब?” 41 तखन ओ सभ पाथर हटा देलनि, और यीशु ऊपर ताकि कऽ कहलनि, “पिता, हम अहाँ केँ धन्यवाद दैत छी जे अहाँ हमर सुनि लेने छी। 42 ओना तँ हम जनैत छी जे अहाँ सदिखन हमर सुनि लैत छी, मुदा हम ई बात एहिठाम ठाढ़ भेल लोकक कारणेँ कहलहुँ, जाहि सँ ओ सभ विश्वास करय जे अहाँ हमरा पठौने छी।” 43 ई बात कहि, यीशु जोर सँ सोर पारलनि, “लाजर! बाहर निकलि आउ!” 44 और ओ मृतक बाहर निकलि अयलाह। हुनकर हाथ-पयर पट्टी सँ बान्हल छलनि, और हुनकर मुँह अंगपोछा सँ लेपटल छलनि। यीशु लोक सभ केँ कहलथिन, “हुनका खोलि दिऔन और जाय दिऔन।” 45 एहि कारणेँ यहूदी सभ जे मरियम सँ भेँट करबाक लेल आयल छल, और जे यीशुक ई काज देखने छल, तकरा सभ मे सँ बहुतो हुनका पर विश्वास कयलकनि। 46 मुदा किछु यहूदी सभ फरिसी सभक ओहिठाम जा कऽ कहि देलकैक जे यीशु की कयलनि। 47 तेँ मुख्यपुरोहित और फरिसी सभ धर्म-महासभाक सदस्य सभ केँ बजा लेलनि। ओ सभ आपस मे कहऽ लगलाह, “अपना सभ की कऽ रहल छी? ई तँ बहुत चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखा रहल अछि! 48 एकरा ई सभ करैत छोड़ि देबैक तँ एकरा पर सभ केओ विश्वास करतैक, और रोमी सभ आबि कऽ अपना सभक पवित्र स्थान और राष्ट्र दूनू नष्ट कऽ देत।” 49 तखन हुनका सभ मे सँ काइफा नामक एक गोटे, जे ओहि वर्षक महापुरोहित छलाह से बजलाह, “अहाँ सभ किछुओ नहि जनैत छी! 50 अहाँ सभ केँ फुरयबो नहि करैत अछि जे अहाँ सभ केँ की नीक होइत। नीक तँ ई होइत जे एके आदमी जनताक लेल मरैक, और ई नहि जे पूरा राष्ट्र नाश भऽ जाय।” 51 ई बात ओ अपने सँ नहि, बल्कि ओहि वर्षक महापुरोहित होयबाक कारणेँ कहलनि, मुदा हुनको नहि बुझल छलनि जे ई भविष्यवाणी भऽ गेल जे यीशु यहूदी राष्ट्रक बदला मे मरताह, 52 और मात्र ओहि राष्ट्रक लेल नहि, बल्कि परमेश्वरक एम्हर-ओम्हर छिड़िआयल सन्तानक लेल सेहो, जाहि सँ ओ ओकरा सभ केँ एक ठाम जमा कऽ कऽ एक करथि। 53 तँ ओहि दिन सँ ओ सभ हुनका जान सँ मारि देबाक षड्यन्त्र करऽ लगलाह। 54 फलस्वरूप यीशु आब यहूदी सभक बीच मे खुलि कऽ नहि घुमैत छलाह। ओ निर्जन क्षेत्रक कात मे इफ्राइम नामक गाम मे जा कऽ ओतहि अपना शिष्य सभक संग रहऽ लगलाह। 55 जखन यहूदी सभक फसह-पाबनि लग आबि गेल तखन बहुत लोक अपना केँ शुद्ध करबाक विधिक लेल पाबनि सँ पहिनहि देहात सँ यरूशलेम आयल। 56 ओ सभ यीशु केँ तकैत छलनि, और मन्दिर मे ठाढ़ एक-दोसर सँ पुछैत छल जे, “अहाँ की सोचैत छी? ओ पाबनिक लेल नहिए औताह की?” 57 कारण मुख्यपुरोहित और फरिसी सभ आज्ञा देने छलाह जे, जँ ककरो पता लागि जाइक जे यीशु कतऽ छथि तँ ओ हुनका सभ केँ सूचना दऽ दिअय, जाहि सँ ओ सभ हुनका पकड़ि सकथि।
1 फसह-पाबनि सँ छओ दिन पहिने, यीशु बेतनिया गाम अयलाह, जाहिठाम लाजर रहैत छलाह, जिनका मरलाक बाद यीशु जीवित कऽ देने रहथिन। 2 ओहिठाम यीशुक अयबाक खुशी मे भोज कयल गेल। मार्था सेवा-सत्कारक काज मे लागल छलीह, और यीशुक संग भोजन करऽ वला सभ मे लाजर सेहो बैसल छलाह। 3 तखन मरियम विशुद्ध जटामासीक लगभग आधा सेर बहुत दामी सुगन्धित तेल लऽ यीशुक पयर पर ढारि देलनि और हुनकर पयर अपना केश सँ पोछि देलथिन। ओहि तेलक सुगन्ध सँ सौंसे घर गमकि उठल। 4 मुदा हुनकर एकटा शिष्य, यहूदा इस्करियोती, जे बाद मे हुनका संग विश्वासघात करऽ वला भेल, से बाजल, 5 “ई तेल किएक नहि बेचि देल गेल? एहि सँ एक वर्षक मजदूरीक बराबरि मूल्य भेटैत, आ गरीब सभ मे बाँटल गेल रहैत!” 6 ओ ई बात एहि लेल नहि कहलक जे ओकरा गरीब सभक लेल चिन्ता छलैक, बल्कि एहि लेल जे ओ चोर छल। ओकरा लग हुनका सभक पाइक बटुआ रहैत छलैक, और ओहि मे जे किछु राखल जाइत छल, ताहि मे सँ ओ चोरा लैत छल। 7 यीशु उत्तर देलथिन, “हिनका छोड़ि दिऔन! हम जे कबर मे राखल जायब तकर तैयारीक लेल हिनका ई तेल रखने रहबाक छलनि। 8 गरीब सभ तँ अहाँ सभक संग सभ दिन रहत, मुदा हम अहाँ सभक संग सभ दिन नहि रहब।” 9 जखन यहूदी सभक बड़का भीड़ केँ पता लगलैक जे यीशु एतऽ छथि, तँ ओ सभ देखबाक लेल आयल, मुदा खाली यीशुए केँ देखबाक लेल नहि, बल्कि लाजर केँ सेहो, जिनका मरलाक बाद यीशु जीवित कयने रहथिन। 10 तखन मुख्यपुरोहित सभ लाजर केँ सेहो खून कऽ देबाक योजना बनाबऽ लगलाह, 11 किएक तँ हुनके कारण बहुत यहूदी अपना धर्मगुरु सभ केँ छोड़ि कऽ यीशु पर विश्वास करैत छलनि। 12 दोसरे दिन बड़का भीड़ जे पाबनिक लेल आयल छल, से सुनलक जे यीशु यरूशलेम आबि रहल छथि। 13 ओ सभ खजूरक छज्जा लऽ कऽ हुनका सँ भेँट करबाक लेल शहर सँ बहरायल। ओ सभ हुनकर जयजयकार करैत छल, “जय जय! धन्य छथि ओ जे प्रभुक नाम सँ अबैत छथि! धन्य छथि इस्राएलक राजा!” 14 यीशु एक गदहीक बच्चा पर बैसल छलाह, जेना धर्मशास्त्रक लेख अछि, 15 “हे सियोन नगर ! भयभीत नहि होअह! देखह! तोहर राजा गदहीक बच्चा पर बैसल आबि रहल छथुन!” 16 एहि समय मे हुनकर शिष्य सभ ई सभ बात नहि बुझलनि, मुदा यीशु जखन स्वर्गक महिमा मे उठा लेल गेलाह तखन हुनका सभ केँ मोन पड़लनि जे ई सभ बात यीशुएक बारे मे लिखल गेल छल और हुनका संग तहिना कयलो गेलनि। 17 जे लोक सभ ओहि समय मे यीशुक संग छल जखन ओ लाजर केँ कबर मे सँ बहरयबाक लेल कहि कऽ जीवित कऽ देने रहथिन, से सभ एहि बातक बारे मे सभ लोक केँ कहैत छल। 18 एहि कारणेँ एतेक लोक यीशु सँ भेटबाक लेल बहरायल छल। ओ सभ सुनने छल जे यीशु ई चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखौने छथि। 19 तेँ फरिसी सभ एक-दोसर केँ कहऽ लगलाह, “देखैत छी कि नहि! अहाँ सभ जे कऽ रहल छी ताहि सँ कनेको फायदा नहि! देखू! सौंसे संसार ओकरा पाछाँ दौड़ि रहल छैक!” 20 जे लोक पाबनि मे आराधना करबाक लेल आयल छल, ताहि मे किछु लोक यूनानी जातिक छल। 21 ओ सभ फिलिपुस लग आयल, जे गलील प्रदेशक बेतसैदा नगरक छलाह। ओ सभ हुनका सँ ई निवेदन कयलकनि, “मालिक, हम सभ यीशु केँ देखितहुँ।” 22 फिलिपुस जा कऽ अन्द्रेयास केँ कहि देलनि, और अन्द्रेयास फिलिपुसक संग जा कऽ यीशु केँ कहलनि। 23 यीशु बजलाह, “मनुष्य-पुत्रक महिमा प्रगट होयबाक घड़ी आबि गेल अछि। 24 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जाबत धरि गहुमक दाना जमीन मे खसि कऽ मरि नहि जाइत अछि, ताबत धरि ओ असगर रहैत अछि। मुदा जँ मरि जायत, तँ आओर बहुत दाना केँ उत्पादन करत। 25 जे अपना जीवन केँ प्रिय बुझैत अछि, से ओकरा गमबैत अछि, और जे एहि संसार मे अपना जीवन केँ तुच्छ बुझैत अछि, से ओकरा अनन्त जीवनक लेल सुरक्षित रखैत अछि। 26 जे हमर सेवा करत, से हमरा पाछाँ आबय। और हम जतऽ होयब, ततऽ हमर सेवक सेहो होयत। जे केओ हमर सेवा करत, तकरा हमर पिता आदर करथिन। 27 “आब हमर आत्मा अति व्याकुल भऽ गेल अछि। हम की कहू?—ई जे, ‘यौ पिता, एहि घड़ी सँ हमरा बचाउ!’? नहि! हम तँ एही लेल एहि घड़ी तक आयल छी! 28 यौ पिता, अपन नामक महिमा केँ प्रगट करू!” एहि पर स्वर्ग सँ ई आवाज सुनाइ देलक जे, “हम ओकरा प्रगट कयने छी और फेर प्रगट करब।” 29 लग मे ठाढ़ भेल भीड़ ई सुनलक और कहलक, “मेघ बाजल।” दोसर लोक कहलक, “हुनका सँ स्वर्गदूत बजलनि।” 30 यीशु बजलाह, “ई आवाज हमरा लेल नहि, अहीं सभक लेल भेल। 31 आब एहि संसारक न्यायक समय आबि गेल अछि, आब एहि संसारक शासक केँ पराजित कऽ देल जयतैक। 32 मुदा हम जखन पृथ्वीक उपर लटकाओल जायब तँ हम अपना लग सभ लोक केँ खीचि लेब।” 33 ओ ई कहि कऽ संकेत कऽ देलथिन जे हुनकर मृत्यु कोन तरहक होयतनि। 34 एहि पर भीड़क लोक बाजल, “हम सभ धर्म-नियम सँ सिखने छी जे उद्धारकर्ता-मसीह अनन्त काल तक रहताह। तँ अहाँ कोना कहैत छी जे मनुष्य-पुत्रक ऊपर लटकाओल जयनाइ आवश्यक अछि? की मनुष्य-पुत्र आ उद्धारकर्ता-मसीह दूनू एके नहि छथि?” 35 यीशु ओकरा सभ केँ कहलनि, “इजोत कनेके काल आओर अहाँ सभक बीच मे अछि। जा धरि इजोत अछि ता धरि चलिते रहू, नहि तँ अन्हार अहाँ सभ केँ लपकि लेत। जे अन्हार मे चलैत अछि, से नहि जनैत अछि जे ओ कतऽ जा रहल अछि। 36 जा धरि इजोत अहाँ सभक संग अछि, इजोत पर विश्वास राखू, जाहि सँ इजोतक सन्तान बनब।” यीशु ई सभ बात कहि कऽ चल गेलाह और ओकरा सभ सँ नुका रहलाह। 37 ओकरा सभक समक्ष मे एतेक चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखौलाक बादो, ओ सभ यीशु पर विश्वास नहि करैत छल। 38 ई एहि लेल भेल जे परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाहक ई कथन पूरा होअय जे, “यौ प्रभु, हमरा सभ द्वारा सुनाओल गेल उपदेशक बात पर के विश्वास कयने अछि? और प्रभुक बल ककरा पर प्रगट भेल छैक?” 39 तेँ ओ सभ विश्वास नहि कऽ सकल, कारण, जेना यशायाह दोसर ठाम कहैत छथि, 40 “प्रभु ओकरा सभक आँखि आन्हर कऽ देने छथिन, और ओकरा सभक मोन कठोर कऽ देने छथिन, 2 जाहि सँ ओ सभ ने आँखि सँ देखय, 2 ने मोन सँ बुझय, 2 आ ने हमरा दिस घूमि कऽ आबय 2 कि हम ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ दिऐक।” 41 यशायाह ई बात कहलनि किएक तँ ओ यीशुक महिमा देखलनि और हुनका बारे मे बजलाह। 42 ई बात होइतो यहूदी सभक अधिकारी सभ मे सँ सेहो बहुत गोटे हुनका पर विश्वास कयलनि, मुदा फरिसी सभक कारणेँ ओ सभ अपना विश्वास केँ खुलि कऽ स्वीकार नहि कयलनि, एहि डरेँ जे सभाघर सँ बारि देल जाएब, 43 कारण ओ सभ परमेश्वरक प्रशंसा सँ मनुष्यक प्रशंसा प्रिय बुझैत छलाह। 44 तखन यीशु जोर सँ कहलनि, “जे केओ हमरा पर विश्वास करैत अछि, से हमरे पर नहि, बल्कि हमरा जे पठौलनि, तिनको पर विश्वास करैत अछि। 45 और जे हमरा देखैत अछि, से तिनका देखैत छनि जे हमरा पठौलनि। 46 हम इजोत भऽ कऽ संसार मे आयल छी जाहि सँ जे केओ हमरा पर विश्वास करत से अन्हार मे नहि रहय। 47 “हमर वचन जँ केओ सुनैत अछि, लेकिन मानैत नहि अछि, तँ हम ओकर न्याय नहि करैत छी, कारण हम संसारक न्याय करबाक लेल नहि अयलहुँ, बल्कि ओकरा बचयबाक लेल। 48 जे हमरा अस्वीकार करैत अछि और हमर वचन ग्रहण नहि करैत अछि, तकर न्याय करऽ वला एक अछि—जे वचन हम कहने छी, वैह अन्तिम दिन मे ओकर न्याय करतैक। 49 कारण हम अपना दिस सँ नहि बजलहुँ, बल्कि जे पिता हमरा पठौलनि सैह हमरा आदेश देलनि जे हम की कही और कोना बाजी। 50 और हम जनैत छी जे हुनकर आदेश अनन्त जीवन अछि। तेँ हम जे किछु बजैत छी, से वैह अछि जे ओ हमरा बजबाक लेल कहने छथि।”
1 फसह-भोज सँ पहिनेक समय छल, और यीशु जनैत छलाह जे आब एहि संसार केँ छोड़ि कऽ पिता लग जयबाक घड़ी आबि गेल अछि। अपन चुनल लोक जे संसार मे छलनि, और जिनका सभ केँ ओ प्रेम करैत आयल छलथिन, तिनका सभ केँ ओ अन्तिम सीमा तक प्रेम कयलनि। 2 यीशु और हुनकर शिष्य सभ भोजन कऽ रहल छलाह। शैतान पहिनहि सिमोनक बेटा यहूदा इस्करियोतीक मोन मे यीशु केँ पकड़बयबाक विचार धऽ देने छलैक। 3 यीशु ई जनैत छलाह जे पिता हमरा हाथ मे सभ किछु दऽ देने छथि और ई, जे हम परमेश्वर सँ आयल छी आ परमेश्वर लग जा रहल छी। 4 तेँ ओ भोजन सँ उठलाह, और अपन उपरका कपड़ा उतारि कऽ अपना डाँड़ मे गमछा लपेटि लेलनि। 5 तखन एक कठौत मे पानि ढारि कऽ ओ शिष्य सभक पयर धोबऽ और डाँड़ मे बान्हल गमछा लऽ कऽ पोछऽ लगलथिन। 6 जखन ओ सिमोन पत्रुस लग अयलाह, तँ पत्रुस हुनका कहलथिन, “प्रभु! की हमर पयर अहाँ धोब?” 7 यीशु बजलाह, “हम की कऽ रहल छी, से अहाँ एखन नहि जनैत छी, मुदा बाद मे अहाँ बुझि जायब।” 8 पत्रुस हुनका कहलथिन, “नहि! अहाँ हमर पयर कहियो नहि धोबऽ पायब!” यीशु बजलाह, “जँ अहाँ हमरा नहि धोबऽ देब तँ हमरा संग अहाँ केँ कोनो सम्बन्ध नहि रहल।” 9 तँ सिमोन पत्रुस हुनका कहलथिन, “तखन प्रभु, हमर पयरेटा नहि, हमर हाथ और माथ सेहो!” 10 यीशु उत्तर देलथिन, “जे नहा लेने अछि, तकरा पयर केँ छोड़ि कऽ आओर किछु धोबाक आवश्यकता नहि छैक, ओकर सम्पूर्ण देह शुद्ध रहैत छैक। और अहाँ सभ शुद्ध छी, मुदा सभ केओ नहि।” 11 यीशु तँ जनैत छलाह जे हुनका पकड़बाबऽ वला के होयत, और तेँ ओ कहलथिन, अहाँ सभ गोटे शुद्ध नहि छी। 12 जखन यीशु हुनका सभक पयर धो लेलनि, और अपन कपड़ा पहिरि कऽ बैसि गेलाह, तखन ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम अहाँ सभक संग की कयलहुँ, से की अहाँ सभ बुझैत छी? 13 अहाँ सभ हमरा ‘गुरुजी’ और ‘प्रभुजी’ कहैत छी, और ठीके कहैत छी, कारण ओ हम छी। 14 तँ जँ हम अहाँ सभक प्रभु और गुरु भऽ कऽ अहाँ सभक पयर धोने छी, तँ अहूँ सभ केँ एक-दोसराक पयर धोबाक चाही। 15 हम अहाँ सभ केँ एक नमूना देखा देलहुँ जाहि सँ जहिना हम अहाँ सभक संग कयलहुँ तहिना अहूँ सभ करू। 16 हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे, दास अपना मालिक सँ पैघ नहि होइत अछि, और ने पठाओल गेल दूत अपना पठाबऽ वला सँ। 17 ई सभ बात जानि कऽ, जँ एकरा अनुसार चलब तँ धन्य होयब। 18 “हम अहाँ सभ गोटेक बारे मे नहि बाजि रहल छी। जिनका सभ केँ हम चुनलियनि तिनका सभ केँ चिन्हैत छिऐन। मुदा धर्मशास्त्रक ई लेख पूरा होयबाक अछि जे, ‘जे हमर रोटी खाइत अछि से हमरा विरोध मे लात उठौने अछि।’ 19 ई घटना घटऽ सँ पहिनहि हम अहाँ सभ केँ ई बात कहि रहल छी, जाहि सँ जखन ई घटत तखन अहाँ सभ केँ पूरा विश्वास होयत जे हम वैह छी जे छी। 20 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, जे केओ ओकरा स्वीकार करैत अछि जकरा हम पठबैत छी, से हमरा स्वीकार करैत अछि, और जे हमरा स्वीकार करैत अछि से तिनका स्वीकार करैत छनि जे हमरा पठौलनि।” 21 ई बात कहि कऽ यीशु अपना आत्मा मे बहुत व्याकुल होमऽ लगलाह, और ओ खुलि कऽ कहलथिन, “हम अहाँ सभ केँ सत्य कहैत छी जे अहाँ सभ मे सँ एक गोटे हमरा पकड़बा देब।” 22 शिष्य सभ एकदम नहि बुझि कऽ जे ओ ककरा बारे मे बाजि रहल छथि, एक-दोसराक दिस ताकऽ लगलाह। 23 हुनका सभ मे सँ एकटा, जाहि शिष्य सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, से हुनका छाती सँ ओंगठि कऽ पड़ल छलनि। 24 सिमोन पत्रुस ओहि शिष्य केँ संकेत कऽ कऽ कहलथिन, “हुनका सँ पुछिऔन जे ककरा बारे मे कहि रहल छथि।” 25 ओ यीशु पर ओंगठि कऽ पुछलथिन, “प्रभु, ओ के अछि?” 26 यीशु उत्तर देलथिन, “ओ वैह अछि जकरा हम रोटीक टुकड़ा बट्टा मे बोड़ि कऽ देबैक।” तखन ओ रोटीक टुकड़ा बोड़ि कऽ सिमोन इस्करियोतीक बेटा यहूदा केँ देलथिन। 27 यहूदा केँ रोटीक टुकड़ा लितहि, शैतान ओकरा मे पैसि गेलैक। तखन यीशु ओकरा कहलथिन, “जे काज तोँ करऽ पर छह, से जल्दी करह!” 28 मुदा भोजन पर बैसल व्यक्ति सभ मे सँ केओ नहि बुझलनि जे यीशु किएक ओकरा ई बात कहलथिन। 29 किछु गोटे सोचलनि जे यहूदा लग पाइक बटुआ रहला सँ हुनकर कहबाक तात्पर्य छलनि जे, जे किछु पाबनिक लेल हमरा सभ केँ आवश्यक अछि से किनह, वा ई जे गरीब सभ मे किछु बाँटि दहक। 30 यहूदा रोटीक टुकड़ा लेलाक बाद तुरत बाहर चल गेल, ओ रातुक समय छल। 31 जखन यहूदा बाहर चल गेल, तखन यीशु बजलाह, “आब मनुष्य-पुत्रक महिमा प्रगट होयतैक, और ओकरा मे परमेश्वरक महिमा प्रगट होयतनि। 32 जँ ओकरा मे परमेश्वरक महिमा प्रगट होयतनि, तँ परमेश्वर सेहो अपना मे ओकर महिमा प्रगट करताह, और बहुत जल्दी करताह। 33 “यौ हमर बौआ सभ! कनेके काल आओर हम अहाँ सभक संग छी। अहाँ सभ हमरा ताकब, और जेना हम यहूदी सभ केँ कहलियनि, तेना अहूँ सभ केँ कहैत छी जे, जतऽ हम जा रहल छी ततऽ अहाँ सभ नहि आबि सकैत छी। 34 एक नव आज्ञा हम अहाँ सभ केँ दैत छी—एक-दोसर सँ प्रेम करू। जेना हम अहाँ सभ सँ प्रेम कयने छी तेना अहूँ सभ एक-दोसर सँ प्रेम करू। 35 एहि सँ सभ लोक जानत जे अहाँ सभ हमर शिष्य छी, अर्थात् अहाँ सभ जँ एक-दोसर सँ प्रेम करब, ताहि सँ।” 36 सिमोन पत्रुस हुनका सँ पुछलथिन, “प्रभु, अहाँ कतऽ जा रहल छी?” यीशु बजलाह, “हम जतऽ जा रहल छी, ततऽ अहाँ एखन हमरा पाछाँ-पाछाँ नहि आबि सकब, लेकिन बाद मे अहाँ हमरा पाछाँ आयब।” 37 पत्रुस कहलथिन, “प्रभु, हम अहाँक पाछाँ-पाछाँ एखन किएक नहि आबि सकैत छी? हम अहाँक लेल अपन प्राणो देब!” 38 यीशु बजलाह, “की अहाँ वास्तव मे हमरा लेल अपन प्राण देब? हम अहाँ केँ सत्य कहैत छी जे, मुर्गा केँ बाजऽ सँ पहिनहि, अहाँ तीन बेर हमरा अस्वीकार कऽ कऽ लोक केँ कहबैक जे, हम ओकरा चिन्हबो नहि करैत छिऐक।”
1 “अहाँ सभ अपना मोन मे घबड़ाउ नहि। परमेश्वर पर विश्वास करैत रहू और हमरो पर विश्वास करैत रहू। 2 हमरा पिताक घर मे बहुते रहऽ वला जगह अछि, और हम अहाँ सभक लेल जगह तैयार करऽ जा रहल छी। ई बात जँ नहि रहैत तँ हम अहाँ सभ केँ कहि दितहुँ। 3 और जँ हम अहाँ सभक लेल जगह तैयार करऽ जा रहल छी, तँ हम फेर आयब, और अहाँ सभ केँ हम अपना लग लऽ जायब, जाहि सँ हम जतऽ छी, ततऽ अहूँ सभ रही। जाहिठाम हम जा रहल छी, 4 ताहि ठामक रस्ता अहाँ सभ जनैत छी!” 5 थोमा हुनका कहलथिन, “प्रभु, अहाँ कतऽ जा रहल छी, सेहो हम सभ नहि जनैत छी। तँ रस्ता कोना जानब?” 6 यीशु बजलाह, “रस्ता हमहीं छी, हँ, और सत्य और जीवन सेहो छी। हमरा बिनु केओ पिता लग नहि अबैत अछि। 7 जँ अहाँ सभ वास्तव मे जनितहुँ जे हम के छी, तँ हमरा पितो केँ जनितहुँ। आब हुनका जनिते छी और देखने छी।” 8 फिलिपुस हुनका कहलथिन, “प्रभु, हमरा सभ केँ पिता केँ देखाउ, तखन हम सभ सन्तुष्ट भऽ जायब।” 9 यीशु उत्तर देलथिन, “फिलिपुस! अहाँ सभक संग हम एतेक दिन सँ छी, आ की एखनो तक अहाँ नहि जनैत छी जे हम के छी? जे हमरा देखने अछि से पिता केँ देखने अछि। तँ अहाँ कोना कहैत छी जे, हमरा सभ केँ पिता केँ देखाउ? 10 की अहाँ केँ विश्वास नहि होइत अछि जे हम पिता मे छी और पिता हमरा मे छथि? जे बात हम अहाँ सभ केँ कहैत छी, से हम अपना दिस सँ नहि कहैत छी, बल्कि पिता, जे हमरा मे वास करैत छथि, सैह अपन काज कऽ रहल छथि। 11 हमर विश्वास करू जे हम पिता मे छी और पिता हमरा मे छथि। आ नहि, तँ हमर काजेक कारण विश्वास करू। 12 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे, हमरा पर विश्वास कयनिहार सेहो वैह काज सभ करत जे हम करैत छी, और एहू सँ पैघ काज करत, कारण हम पिता लग जा रहल छी। 13 और अहाँ सभ हमरा नाम सँ जे किछु माँगब, से हम पूरा करब, जाहि सँ पुत्र द्वारा परमेश्वरक महिमा प्रगट होयत। 14 जँ हमरा नाम सँ अहाँ सभ हमरा सँ किछुओ माँगब तँ तकरा हम पूरा करब। 15 “जँ हमरा सँ प्रेम करैत छी तँ हमर आज्ञाक पालन करब। 16 हम पिता सँ विनती करबनि, और ओ अहाँ सभक संग अनन्त काल तक रहबाक लेल एक आओर सहायक देताह, 17 अर्थात् सत्यक आत्मा। हुनका संसार ग्रहण नहि कऽ सकैत छनि, किएक तँ ओ हुनका ने देखैत छनि आ ने चिन्हैत छनि। मुदा अहाँ सभ हुनका चिन्हैत छिऐन, कारण ओ अहाँ सभ लग रहैत छथि और अहाँ मे वास करताह। 18 हम अहाँ सभ केँ अनाथ नहि छोड़ब, हम अहाँ सभ लग आयब। 19 कनेक काल आओर अछि, तकरबाद फेर संसार हमरा नहि देखत, मुदा अहाँ सभ हमरा देखब। हमरा मे वास्तविक जीवन रहबाक कारणेँ अहूँ सभ जीब। 20 ओहि दिन अहाँ सभ जानि जायब जे हम पिता मे छी और अहाँ सभ हमरा मे छी, और हम अहाँ सभ मे छी। 21 जे हमर आज्ञा स्वीकार करैत अछि और मानैत अछि, सैह हमरा सँ प्रेम करैत अछि। और जे हमरा सँ प्रेम करैत अछि, तकरा सँ हमर पिता प्रेम करथिन, और हमहूँ ओकरा सँ प्रेम करब तथा ओकरा हम अपना केँ देखायब।” 22 तखन यहूदा (यहूदा इस्करियोती नहि, दोसर) हुनका कहलथिन, “प्रभु, ई की भेल जे अहाँ अपना केँ हमरे सभ केँ देखायब आ संसार केँ नहि?” 23 यीशु बजलाह, “जँ केओ हमरा सँ प्रेम करैत अछि तँ ओ हमर वचनक अनुसार चलत। हमर पिता ओकरा सँ प्रेम करथिन और हम सभ ओकरा लग आबि कऽ ओकरा मे अपन निवास-स्थान राखब। 24 जे हमरा सँ प्रेम नहि करैत अछि, से हमर वचनक अनुसार नहि चलत। और ई बात जे अहाँ सभ एखन सुनि रहल छी, से हमर नहि अछि; पिता जे हमरा पठौलनि, तिनकर छनि। 25 “ई सभ बात हम अहाँ सभ लग रहितहि कहि देने छी। 26 मुदा ओ सहायक, अर्थात् पवित्र आत्मा, जिनका पिता हमरा नाम सँ पठौताह, से अहाँ सभ केँ सभ बात सिखा देताह, और हम जे किछु अहाँ सभ केँ कहने छी, से सभ बात अहाँ सभ केँ मोन पाड़ि देताह। 27 “शान्ति हम अहाँ सभ केँ दऽ जाइत छी। अपन शान्ति हम अहाँ सभ केँ दैत छी। जेना संसार दैत अछि, तेना हम नहि दैत छी। अहाँ सभ अपना मोन मे नहि घबड़ाउ, आ ने भयभीत होउ। 28 “अहाँ सभ हमरा कहैत सुनलहुँ जे, हम जा रहल छी आ फेर अहाँ सभ लग आबि रहल छी। जँ अहाँ सभ हमरा सँ प्रेम करितहुँ तँ आनन्द मनबितहुँ जे हम पिता लग जा रहल छी, कारण पिता हमरा सँ पैघ छथि। 29 ई होमऽ सँ पहिनहि हम एखने ई बात कहि दैत छी, जाहि सँ ई भेला पर अहाँ सभ विश्वास राखब। 30 हम आब अहाँ सभ सँ बेसी बात नहि करब, किएक तँ एहि संसारक शासक आबि रहल अछि। हमरा पर ओकरा कोनो अधिकार नहि छैक। 31 मुदा संसार केँ ई जनबाक छैक जे हम पिता सँ प्रेम करैत छी और सभ किछु हुनकर आज्ञाक अनुसार करैत छी। आब उठू, अपना सभ एतऽ सँ चली।”
1 “वास्तविक अंगूर-लत्ती हमहीं छी, और हमर पिता किसान छथि। 2 प्रत्येक ठाढ़ि जे हमरा मे अछि और फड़ैत नहि अछि, तकरा ओ काटि दैत छथिन, और प्रत्येक ठाढ़ि जे फड़ैत अछि तकरा ओ छँटैत छथिन, जाहि सँ ओ शुद्ध भऽ कऽ आओर फड़त। 3 अहाँ सभ तँ हमर ओहि वचन द्वारा, जे हम अहाँ सभ केँ कहने छी, शुद्ध छीहे। 4 हमरा मे रहैत रहू, जेना हम अहाँ सभ मे। जहिना ठाढ़ि अपने सँ नहि फड़ि सकैत अछि, बल्कि तखने जखन लत्ती मे रहैत अछि, तहिना अहूँ सभ तखने फड़ि सकैत छी जँ हमरा मे रहैत रहब। 5 “हम अंगूर-लत्ती छी। अहाँ सभ ठाढ़ि छी। जे हमरा मे रहैत अछि और हम ओकरा मे, सैह बहुत फड़ैत अछि, कारण हमरा बिनु अहाँ सभ किछु नहि कऽ सकैत छी। 6 जँ केओ हमरा मे नहि रहैत अछि, तँ ओ काटल ठाढ़ि जकाँ होइत अछि जे फेकल जाइत अछि और सुखि जाइत अछि। एहन ठाढ़ि जमा कयल जाइत अछि, तखन आगि मे फेकल और जराओल जाइत अछि। 7 जँ हमरा मे रहब और हमर वचन अहाँ मे रहत तँ, जे किछु चाहैत छी से माँगू, और अहाँक लेल भऽ जायत। 8 हमर पिताक महिमा एहि मे प्रगट होयत जे अहाँ सभ हमर शिष्य भऽ कऽ बहुत फड़ैत रहब। अहाँ सभ बहुत फड़ब आ एहि तरहेँ हमर शिष्य ठहरब। 9 “जहिना पिता हमरा सँ प्रेम कयने छथि, तहिना अहाँ सभ सँ हम प्रेम कयने छी। आब हमरा प्रेम मे रहू। 10 अहाँ सभ जँ हमर आदेश केँ मानब तँ हमरा प्रेम मे रहब, जेना हम पिताक आदेश केँ मानने छी और हुनकर प्रेम मे रहैत छी। 11 ई बात हम एहि लेल कहैत छी जे हमर आनन्द अहाँ सभ मे रहय और अहाँ सभक आनन्द पूर्ण होअय। 12 हमर आदेश ई अछि जे, जेना हम अहाँ सभ सँ प्रेम कयने छी, तेना अहाँ सभ एक-दोसर सँ प्रेम करू। 13 एहि सँ बड़का प्रेम कोनो नहि अछि जे, केओ अपन मित्रक लेल अपन प्राण देअय। 14 जँ अहाँ सभ हमर आदेश केँ पालन करैत छी तँ अहाँ सभ हमर मित्रे छी। 15 आब हम अहाँ सभ केँ ‘दास’ नहि कहब, कारण दास नहि जनैत अछि जे ओकर मालिक की करैत छथि। मुदा अहाँ सभ केँ हम ‘मित्र’ कहने छी, किएक तँ जे किछु हम अपना पिता सँ सुनने छी, से सभ अहाँ सभ केँ कहि देने छी। 16 अहाँ सभ हमरा नहि चुनलहुँ। हमहीं अहाँ सभ केँ चुनलहुँ, और नियुक्त कयलहुँ जे अहाँ सभ जा कऽ फड़ैत रही, तथा अहाँ सभक फल स्थायी रहय, जाहि सँ जे किछु अहाँ सभ हमरा नाम सँ पिता सँ माँगब, से ओ पूरा करताह। 17 हम अहाँ सभ केँ ई आदेश दैत छी, जे एक-दोसर सँ प्रेम करू। 18 “जँ संसार अहाँ सभ सँ घृणा करैत अछि तँ मोन राखू जे अहाँ सभ सँ पहिनहि हमरा सँ घृणा कयने अछि। 19 अहाँ सभ जँ संसारक रहितहुँ तँ ओ अहाँ सभ सँ अपन लोक जकाँ प्रेम करैत। मुदा अहाँ सभ संसारक नहि छी। हम अहाँ सभ केँ संसार मे सँ चुनि लेने छी, और तेँ संसार अहाँ सभ सँ घृणा करैत अछि। 20 जे बात हम अहाँ सभ केँ कहलहुँ, तकरा मोन राखू, जे ‘दास अपना मालिक सँ पैघ नहि होइत अछि।’ जँ ओ सभ हमरा सतौने अछि तँ अहूँ सभ केँ सताओत। जँ हमर बात मानने अछि तँ अहूँ सभक मानत। 21 ओ सभ अहाँ सभक संग एहन व्यवहार हमरा नामक कारणेँ करत, किएक तँ ओ सभ तिनका नहि चिन्हैत छनि जे हमरा पठौलनि। 22 जँ हम ओकरा सभ लग नहि आयल रहितहुँ आ ने बात कयने रहितिऐक तँ ओ सभ पापक दोषी नहि होइत। मुदा आब अपना पाप सँ बचबाक लेल ओकरा सभ केँ कोनो बहाना नहि छैक। 23 जे हमरा सँ घृणा करैत अछि, से हमरा पितो सँ घृणा करैत अछि। 24 जँ ओकरा सभक बीच हम ओ काज नहि कयने रहितहुँ जे आओर केओ नहि कयलक, तँ ओ सभ पापक दोषी नहि होइत, मुदा आब ओ सभ हमरा और हमरा पिता दूनू केँ देखनो अछि आ घृणो कयने अछि। 25 मुदा ई एहि लेल भेल जे ओकरा सभक धर्म-नियम मे लिखल ई कथन पूरा होअय जे, ‘ओ सभ हमरा सँ बिनु कारणेँ घृणा कयलक।’ 26 “जखन सहायक औताह, जिनका हम पिताक ओहिठाम सँ अहाँ सभ लग पठा देब, अर्थात् सत्यक आत्मा, जे पिता मे सँ निकलैत छथि, तखन ओ हमरा बारे मे गवाही देताह, 27 और अहूँ सभ हमरा बारे मे गवाही देब, किएक तँ अहाँ सभ शुरुए सँ हमरा संग छी।
1 “ई सभ बात हम अहाँ सभ केँ एहि लेल कहि दैत छी जे अहाँ सभ विश्वास केँ नहि छोड़ी। 2 ओ सभ अहाँ सभ केँ सभाघर सँ बारि देत। हँ, ओ समय आबि रहल अछि जे, जे अहाँ सभ केँ जान सँ मारि देत से बुझत जे ओ परमेश्वरक धर्म-कर्म कऽ रहल अछि। 3 ई काज ओ सभ एहि लेल करत जे ओ सभ ने हमरा आ ने हमरा पिता केँ कहियो चिन्हने अछि। 4 मुदा ई सभ बात हम अहाँ सभ केँ कहि दैत छी जाहि सँ जखन ओ समय आओत तखन अहाँ सभ मोन राखब जे हम एहि विषय मे कहि देने छी। “ई बात सभ हम शुरू सँ नहि कहलहुँ, कारण हम अहाँ सभक संग छलहुँ। 5 मुदा आब हम तिनका लग जा रहल छी जे हमरा पठौलनि, तैयो अहाँ सभ मे सँ केओ नहि हमरा सँ पुछैत छी जे, अहाँ कतऽ जा रहल छी, 6 बल्कि हमर एहि कथनक कारणेँ अहाँ सभक मोन शोक सँ भरि गेल अछि। 7 मुदा हम सत्ये कहैत छी जे ई अहाँ सभक हितक लेल अछि जे हम जा रहल छी, किएक तँ जँ हम नहि जायब तँ सहायक नहि औताह, लेकिन जँ हम जायब तँ हम हुनका अहाँ सभ लग पठा देबनि। 8 ओ जखन औताह तँ पाप, धार्मिकता आ न्यायक विषय मे संसारक दोष सिद्ध करथिन। 9 ओकर दोष पापक विषय मे एहि लेल सिद्ध होयतैक, जे ओ सभ हमरा पर विश्वास नहि करैत अछि; 10 धार्मिकताक विषय मे एहि लेल जे हम पिता लग जा रहल छी आ अहाँ सभ हमरा फेर नहि देखब; 11 और न्यायक विषय मे एहि लेल जे, ओ जे एहि संसारक शासक अछि से दोषी ठहरि गेल अछि। 12 “हमरा अहाँ सभ केँ आओर बहुत किछु कहबाक अछि, मुदा एखन अहाँ सभ ओकरा नहि सहि सकैत छी। 13 सत्यक आत्मा जखन औताह तखन ओ अहाँ सभ केँ पूर्ण सत्य बुझौताह, कारण ओ अपना तरफ सँ नहि बजताह, बल्कि जे ओ सुनताह सैह बजताह, और भविष्य मे होमऽ वला बात अहाँ सभ केँ कहि देताह। 14 ओ हमर महिमा प्रगट करताह कारण जतेक बात ओ अहाँ सभ केँ कहताह, से हमरा सँ लऽ लेने रहताह। 15 जे किछु पिताक छनि, से सभ हमर अछि। एहि कारणेँ हम कहलहुँ जे, आत्मा जे किछु अहाँ सभ केँ कहताह से हमरा सँ लऽ लेने रहताह। 16 “आब कनेक काल मे अहाँ सभ हमरा नहि देखब, तखन फेर कनेक कालक बाद हमरा देखब।” 17 एहि पर हुनकर किछु शिष्य एक-दोसर सँ कहऽ लगलाह, “हुनकर एहि कथनक की अर्थ भेल जे ‘कनेक काल मे अहाँ सभ हमरा नहि देखब’, और, ‘तखन तकरा कनेक कालक बाद हमरा फेर देखब’, और एकर जे, ‘कारण, हम पिता लग जा रहल छी’?” 18 ओ सभ कहऽ लगलाह, “हुनकर एहि ‘कनेक काल’क की कहबाक मतलब छनि? हम सभ नहि बुझि पबैत छी जे ओ की कहि रहल छथि।” 19 यीशु जनैत छलाह जे ओ सभ हुनका सँ पुछऽ चाहैत छथि, तेँ ओ हुनका सभ केँ कहलथिन, “की अहाँ सभ एक-दोसर सँ पुछि रहल छी जे हमर की कहबाक अर्थ छल जखन हम कहलहुँ जे, कनेक काल मे अहाँ सभ हमरा नहि देखब, और, तखन तकरा कनेक कालक बाद हमरा फेर देखब? 20 हम अहाँ सभ केँ सत्ये कहैत छी जे अहाँ सभ कन्ना-रोहटि आ विलाप करब जखन कि संसार आनन्द मनाओत। अहाँ सभ शोक मनायब, मुदा अहाँ सभक शोक आनन्द मे बदलि जायत। 21 जखन स्त्री बच्चा केँ जन्म दैत अछि तँ ओकरा दर्द होइत छैक, कारण ओकर समय आबि गेल रहैत छैक, मुदा जखन ओ बच्चा केँ जन्म दऽ दैत अछि तँ ओ एहि खुशी मे जे एक नव बच्चा संसार मे जन्म लेलक, अपना पीड़ा केँ बिसरि जाइत अछि। 22 तहिना, अहाँ सभ एखन शोक मनबैत छी, मुदा हम अहाँ सभ केँ फेर देखब आ तखन अहाँ सभक मोन आनन्द सँ भरि जायत, और अहाँ सभक आनन्द केओ नहि अहाँ सभ सँ छिनत। 23 ओहि समय मे अहाँ सभ हमरा सँ कोनो प्रश्न नहि पुछब। “हम अहाँ सभ केँ विश्वास दिअबैत छी जे, जँ अहाँ सभ पिता सँ किछु माँगब तँ ओ अहाँ सभ केँ हमरा नाम सँ देताह। 24 एखन तक अहाँ सभ हमरा नाम सँ नहि किछु मँगने छी। माँगू और अहाँ सभ प्राप्त करब, आ ताहि सँ अहाँ सभक आनन्द पूर्ण भऽ जायत। 25 “ई सभ बात हम अहाँ सभ केँ झाँपल भाषा मे कहि देने छी। मुदा समय आबि रहल अछि जखन हम झाँपल भाषा मे नहि बाजब, बल्कि पिताक विषय मे अहाँ सभ केँ स्पष्ट कहब। 26 ओहि समय मे अहाँ सभ हमरा नाम सँ माँगब। हम ई नहि कहैत छी जे हम अहाँ सभक लेल पिता सँ माँगब। 27 नहि, पिता अपने अहाँ सभ सँ प्रेम करैत छथि, कारण अहाँ सभ हमरा सँ प्रेम कयने छी आ विश्वास कयने छी जे हम पिता लग सँ अयलहुँ। 28 हम पिता लग सँ संसार मे अयलहुँ, आब फेर संसार केँ छोड़ि कऽ पिता लग जा रहल छी।” 29 तखन हुनकर शिष्य सभ कहलथिन, “हँ, आब अहाँ स्पष्ट बाजि रहल छी, और झाँपल भाषा मे नहि। 30 आब हम सभ जानि गेलहुँ जे अहाँ केँ सभ किछु बुझल अछि और अहाँ केँ इहो आवश्यकता नहि अछि जे केओ अहाँ लग अपन प्रश्न राखय। एहि कारणेँ हम सभ विश्वास करैत छी जे अहाँ परमेश्वर लग सँ आयल छी।” 31 यीशु बजलाह, “की आब विश्वास करैत छी? 32 देखू! ओ समय आबि रहल अछि, हँ, आबिओ गेल, जखन अहाँ सभ छिड़िया जायब। अहाँ सभ अपन-अपन घर भागि कऽ हमरा असगरे छोड़ि देब। तैयो हम असगर नहि छी, कारण पिता हमरा संग छथि। 33 “हम अहाँ सभ केँ ई सभ बात कहि देने छी जाहि सँ हमरा मे अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय। संसार मे अहाँ सभ पर संकट आओत, मुदा साहस राखू्! हम संसार पर विजयी भऽ गेल छी।”
1 यीशु ई सभ बात कहि स्वर्ग दिस ताकि कऽ कहलनि, “हे पिता! समय आबि गेल अछि। अपन पुत्रक महिमा प्रगट करू जाहि सँ पुत्र अहाँक महिमा प्रगट करय। 2 किएक तँ अहाँ ओकरा सम्पूर्ण मानव-जातिक उपर अधिकार देने छी जे, जकरा अहाँ ओकरा देने छी, तकरा सभ केँ ओ अनन्त जीवन देअय। 3 अनन्त जीवन ई अछि—अहाँ एकमात्र सत्य परमेश्वर केँ, और यीशु मसीह केँ चिन्हनाइ, जकरा अहाँ पठौलहुँ। 4 “जे काज अहाँ हमरा करबाक लेल देने छलहुँ, से पूरा कऽ कऽ पृथ्वी पर अहाँक महिमा प्रगट कयलहुँ। 5 आब, हे पिता, अपना ओहिठाम हमरा ओहि महिमा सँ परिपूर्ण करू, जे महिमा संसारक सृष्टि सँ पहिनहि अहाँ लग हमर छल। 6 “हम ओहि मनुष्य सभ केँ, जिनका अहाँ संसार मे सँ हमरा देलहुँ, तिनका सभ केँ हम अहाँ केँ चिन्हा देने छिऐन। ई सभ अहींक छलाह, अहाँ हिनका सभ केँ हमरा देलहुँ, और ई सभ अहाँक वचन मानने छथि। 7 आब ई सभ जानि गेल छथि जे, जे किछु अहाँ हमरा देने छी से वास्तव मे अहीं सँ भेटल अछि। 8 कारण, जे अहाँ हमरा सिखौलहुँ, से हम हिनका सभ केँ सिखौने छी, और ई सभ ओहि शिक्षा केँ स्वीकार कयने छथि, और पूर्ण रूप सँ जानि गेल छथि जे हम अहाँ लग सँ आयल छी। आब हिनका सभ केँ विश्वास भऽ गेलनि जे अहाँ हमरा पठौने छी। 9 “हम हिनका सभक लेल प्रार्थना कऽ रहल छी। संसारक लेल प्रार्थना नहि कऽ रहल छी, बल्कि तिनका सभक लेल जिनका अहाँ हमरा देने छी, किएक तँ ई सभ अहाँक छथि। 10 हमर जे किछु अछि, से अहाँक अछि, और अहाँक जे किछु अछि, से हमर अछि। और हिनका सभ मे हमर महिमा प्रगट भेल अछि। 11 आब हम संसार मे नहि रहब, मुदा ई सभ संसार मे रहताह, और हम अहाँ लग आबि रहल छी। हे पवित्र पिता, अपन नामक शक्ति द्वारा, जे नाम अहाँ हमरा देलहुँ, ताहि द्वारा हिनका सभ केँ सुरक्षित राखू जाहि सँ ई सभ एक रहथि, जेना अपना सभ एक छी। 12 जा धरि हम हिनका सभक संग छलहुँ ता धरि हम हिनका सभ केँ सुरक्षित रखलहुँ और ओहि नाम द्वारा, जे अहाँ हमरा देलहुँ, हम हिनका सभक रक्षा कयलहुँ। और ‘विनाशक पुत्र’ केँ छोड़ि हिनका सभ मे सँ केओ नाश नहि भेलाह, जाहि सँ धर्मशास्त्रक लेख पूरा होअय। 13 “आब हम अहाँ लग आबि रहल छी, मुदा ई बात हम संसार मे रहिते कहैत छिऐन, जाहि सँ हमर आनन्द हिनका सभक मोन मे पूर्ण होनि। 14 हम हिनका सभ केँ अहाँक वचन देने छिऐन, और संसार हिनका सभ सँ घृणा करैत छनि, कारण ई सभ संसारक सन्तान नहि छथि, जेना हमहूँ नहि छी। 15 हम ई प्रार्थना नहि करैत छी जे अहाँ हिनका सभ केँ संसार मे सँ उठा लिअ, बल्कि ई जे हिनका सभ केँ दुष्ट सँ बचा कऽ राखू। 16 ई सभ संसारक सन्तान नहि छथि, जेना हमहूँ नहि छी। 17 हिनका सभ केँ सत्य द्वारा अपना लेल पवित्र कऽ लिअ; सत्य अहाँक वचन अछि। 18 जहिना अहाँ हमरा संसार मे पठा देलहुँ, तहिना हम हिनका सभ केँ संसार मे पठा देने छी। 19 हिनका सभक लेल हम अपना केँ समर्पित करैत छी जाहि सँ इहो सभ सत्य द्वारा समर्पित भऽ जाथि। 20 “हम मात्र हिनके सभक लेल प्रार्थना नहि करैत छी, बल्कि हुनको सभक लेल जे हिनका सभक गवाही द्वारा हमरा पर विश्वास करताह। 21 हमर प्रार्थना ई अछि जे ओ सभ एक होथि। हे पिता, जहिना अहाँ हमरा मे छी और हम अहाँ मे छी तहिना ओहो सभ अपना सभ मे रहथि, जाहि सँ संसार विश्वास करत जे अहीं हमरा पठौने छी। 22 जे महिमा अहाँ हमरा देलहुँ से हम हुनका सभ केँ दऽ देने छिऐन, जाहि सँ ओ सभ एक होथि, जेना अपना सभ एक छी— 23 हँ, हम हुनका सभ मे और अहाँ हमरा मे, जाहि सँ ओ सभ पूर्ण एकता मे सिद्ध भऽ जाथि। तखन संसार जानि जायत जे अहाँ हमरा पठौलहुँ और हुनका सभ सँ ओतेक प्रेम रखने छियनि जतेक हमरा सँ रखने छी। 24 “हे पिता, हम चाहैत छी जे, जिनका सभ केँ अहाँ हमरा देने छी, से सभ हमरा संग ओतऽ रहथि जतऽ हम रहब और हम चाहैत छी जे ओ सभ हमर ओहि महिमा केँ देखथि जे अहाँ हमरा एहि लेल देने छी जे अहाँ संसारक सृष्टि सँ पहिनहि हमरा सँ प्रेम कयलहुँ। 25 “हे धर्ममय न्यायी पिता! संसार अहाँ केँ नहि चिन्हैत अछि मुदा हम अहाँ केँ चिन्हैत छी, और ई सभ आब जनैत छथि जे अहाँ हमरा पठौने छी। 26 हम हिनका सभ केँ अहाँ केँ चिन्हा देने छिऐन तथा अहाँ केँ चिन्हबैत रहबनि जाहि सँ ओ प्रेम जे अहाँ हमरा सँ करैत छी से हिनका सभ मे रहतनि और हम हिनका सभ मे रहबनि।”
1 ई सभ बात कहलाक बाद यीशु अपना शिष्य सभक संग विदा भेलाह और किद्रोन नामक बरसाती नदी केँ पार कयलनि। ओहि पार एक गाछी छल, जाहि मे ओ अपना शिष्य सभक संग गेलाह। 2 हुनका पकड़बाबऽ वला, यहूदा, ई जगह जनैत छल, किएक तँ यीशु बहुत बेर अपना शिष्य सभक संग ओहिठाम जाइत छलाह। 3 तेँ सेनाक एक दल केँ, और मुख्यपुरोहित आ फरिसी सभक दिस सँ उपलब्ध कराओल गेल सिपाही सभ केँ लऽ कऽ, यहूदा ओहि गाछी मे आयल। संग मे ओ सभ लालटेम, मशाल, और हाथ-हथियार रखने छल। 4 यीशु ई जनैत जे हुनका संग की सभ घटत, आगाँ बढ़ि कऽ ओकरा सभ सँ पुछलथिन, “अहाँ सभ ककरा ताकि रहल छी?” 5 ओ सभ उत्तर देलकनि, “नासरत-निवासी यीशु केँ।” यीशु कहलथिन, “ओ हमहीं छी।” (हुनका पकड़बाबऽ वला, यहूदा, ओतऽ ओकरा सभक संग ठाढ़ छल।) 6 जखने यीशु कहलथिन जे, ओ हमहीं छी, ओ सभ पाछाँ हटि कऽ जमीन पर खसि पड़ल। 7 तँ यीशु फेर पुछलथिन, “ककरा ताकि रहल छी?” और ओ सभ कहलकनि, “नासरत-निवासी यीशु केँ।” 8 यीशु बजलाह, “हम अहाँ सभ केँ कहिए देने छी जे, ओ हमहीं छी। हमरा जँ ताकि रहल छी तँ हिनका सभ केँ जाय दिऔन।” 9 (ई एहि लेल भेल जे हुनकर ई कहल वचन पूरा होअय जे, अहाँ जिनका सभ केँ हमरा देलहुँ, तिनका सभ मे सँ हम एकोटा केँ नाश नहि होमऽ देलहुँ। ) 10 तखन सिमोन पत्रुस, जिनका लग तरुआरि छलनि, से तरुआरि निकालि कऽ महापुरोहितक नोकर पर चला कऽ ओकर दहिना कान उड़ा देलनि। ओहि नोकरक नाम मलखुस छल। 11 यीशु पत्रुस केँ कहलथिन, “अहाँ अपन तरुआरि म्यान मे राखि लिअ! की हम ओहि बाटी केँ नहि पिबू जे पिता हमरा देने छथि?” 12 तखन सेनाक दल और ओकर कप्तान आ यहूदी सभक सिपाही सभ यीशु केँ पकड़लकनि और हुनका बान्हि लेलकनि। 13 पहिने हुनका हन्ना लग लऽ गेलनि, जे ओहि वर्षक महापुरोहित काइफाक ससुर छलाह। 14 काइफा वैह छथि जे यहूदी सभ केँ सल्लाह देने छलाह, जे जनताक लेल एक व्यक्तिक मरनाइ नीक होइत। 15 सिमोन पत्रुस आ एक आरो शिष्य यीशुक पाछाँ-पाछाँ गेलाह। ई शिष्य महापुरोहित सँ परिचित होयबाक कारणेँ यीशुक संग सोझे आङन मे चल गेलाह। 16 मुदा पत्रुस द्वारिक बाहरे ठाढ़ रहलाह। तखन ओ शिष्य जे महापुरोहित सँ परिचित छलाह, से फेर आबि द्वारिक चौकीदारी करऽ वाली टहलनी सँ बात कऽ कऽ पत्रुस केँ भीतर लऽ अयलाह। 17 ओ टहलनी पत्रुस केँ पुछलकनि, “कहीं अहूँ एहि आदमीक शिष्य तँ नहि छी?” ओ कहलथिन, “हम नहि छी।” 18 जाड़क मास छल, और नोकर आ सिपाही सभ कोइलाक घूर लगा चारू कात ठाढ़ भऽ कऽ आगि तपैत छल। पत्रुसो ओकरा सभक संग आगि तपैत ठाढ़ छलाह। 19 एहि बीच महापुरोहित यीशु सँ हुनकर शिष्य सभक बारे मे और सिद्धान्तक विषय मे पूछ-ताछ कयलथिन। 20 यीशु हुनका उत्तर देलथिन, “हम तँ खुलल रूपेँ सभ सँ बात कयने छी। हम सदिखन सभाघर सभ मे और मन्दिर मे जाहिठाम सभ यहूदी जुटि जाइत अछि शिक्षा दैत रहलहुँ। हम गुप्त रूप सँ किछु नहि कहलहुँ। 21 हमरा किएक पुछैत छी? जे हमर बात सुनने अछि, तकरा सभ सँ पुछि लिऔक जे हम की शिक्षा देलहुँ। ओ सभ जनैत अछि जे हम की कहलहुँ।” 22 हुनकर ई कहला पर, लग मे ठाढ़ एक सिपाही हुनका एक चमेटा मारलकनि और कहलकनि, “महापुरोहित केँ तोँ एहि प्रकारेँ उत्तर दैत छहुन?” 23 यीशु बजलाह, “जँ हम अनुचित बाजल छी, तँ तकर प्रमाण दिअ। मुदा जँ हम ठीक कहने छी तँ हमरा किएक मारैत छी?” 24 तखन हन्ना यीशु केँ बान्हले महापुरोहित काइफा लग पठा देलथिन। 25 एम्हर सिमोन पत्रुस आगि तपैत ठाढ़ छलाह। तँ लोक सभ हुनका पुछलकनि, “की अहूँ ओकरे चेला सभ मे सँ नहि छी?” ओ अस्वीकार करैत बजलाह, “हम नहि छी।” 26 महापुरोहितक एकटा नोकर, जे ओहि आदमीक सम्बन्धी छल जकरा पत्रुस कान छपटि देने छलाह, से हुनका सँ पुछलकनि, “की हम अहाँ केँ ओकरा संग गाछी मे नहि देखने छलहुँ?” 27 पत्रुस फेर अस्वीकार कयलनि, और तुरत मुर्गा बाजि उठल। 28 तखन यीशु केँ काइफाक ओहिठाम सँ रोमी राज्यपालक भवन मे लऽ गेलनि। आब भोर भऽ गेल छल, और एहि डरेँ जे छुआ जायब आ फसह-भोज नहि खा सकब, यहूदी सभ अपने राजभवन मे नहि पैसल। 29 तेँ पिलातुस ओकरा सभ लग बाहर अयलाह और पुछलथिन, “एहि व्यक्ति पर की दोष लगबैत छी?” 30 ओ सभ उत्तर देलक, “ओ जँ अपराधी नहि रहैत तँ हम सभ ओकरा अहाँ केँ नहि सौंपितहुँ!” 31 पिलातुस कहलथिन, “अहीं सभ ओकरा लऽ जा कऽ अपन धर्म-नियमक अनुसार ओकर न्याय करिऔक।” यहूदी सभ उत्तर देलक, “ककरो मृत्युदण्ड देनाइ हमरा सभक अधिकार मे नहि अछि।” 32 ई एहि लेल भेल जे यीशुक कहल बात पूरा होअय जाहि द्वारा ओ संकेत देने रहथि जे हुनकर मृत्यु कोन तरहेँ होयतनि। 33 तखन पिलातुस राजभवन मे फेर गेलाह और यीशु केँ अपना सामने मे बजा कऽ पुछलथिन, “की अहाँ यहूदी सभक राजा छी?” 34 यीशु उत्तर देलथिन, “की ई बात अहाँ अपना दिस सँ पुछि रहल छी, वा दोसर लोक हमरा बारे मे कहने अछि?” 35 पिलातुस बजलाह, “की हम यहूदी छी? अहींक लोक और अहींक मुख्यपुरोहित सभ अहाँ केँ हमरा हाथ मे सौंपि देने अछि। अहाँ की कयने छी?” 36 यीशु कहलथिन, “हमर राज्य एहि संसारक नहि अछि। जँ हमर राज्य एहि संसारक रहैत तँ हमर सेवक सभ लड़ैत जाहि सँ हम यहूदी सभक हाथ नहि पड़ितहुँ। मुदा नहि! हमर राज्य एहि संसारक नहि अछि!” 37 तखन पिलातुस बजलाह, “तखन राजा तँ छी?” यीशु उत्तर देलथिन, “से अहीं कहि रहल छी। हम एहि लेल जन्म लेलहुँ और संसार मे अयलहुँ जे हम सत्यक गवाही दी, और जे सभ सत्यक पक्ष मे छथि से सभ हमर बात सुनैत छथि।” 38 पिलातुस बजलाह, “सत्य अछि की?” आ फेर यहूदी सभ लग बाहर अयलाह और ओकरा सभ केँ कहलथिन, “ओकरा मे हम दोष लगयबाक कोनो आधार नहि पबैत छी। 39 लेकिन अहाँ सभक एक प्रथा अछि जे फसह-पाबनिक अवसर पर हम अहाँ सभक लेल एक कैदी केँ छोड़ैत छी। तँ की अहाँ सभ चाहैत छी जे हम अहाँ सभक लेल ‘यहूदी सभक राजा’ केँ छोड़ि दी?” 40 एहि पर ओ सभ जोर-जोर सँ हल्ला कऽ कऽ कहऽ लागल, “नहि! एकरा नहि! बरब्बा केँ!” बरब्बा एक क्रान्तिकारी अपराधी छल।
1 तखन पिलातुस यीशु केँ लऽ जा कऽ हुनका कोड़ा लगबौलनि। 2 सैनिक सभ काँटक मुकुट बना कऽ यीशुक माथ पर रखलकनि, और हुनका बैगनी रंगक राजसी वस्त्र पहिरा कऽ 3 ई कहैत हुनका लग अबैत रहल जे, “यहूदी सभक राजा, प्रणाम!” और हुनका चमेटा मारैत छलनि। 4 पिलातुस फेर बाहर आबि कऽ यहूदी सभ केँ कहलथिन, “देखू! हम एकरा अहाँ सभ लग बाहर आनि रहल छिऐक जाहि सँ अहाँ सभ जानि लेब जे हम एकरा मे दोष लगयबाक कोनो आधार नहि पबैत छी!” 5 तखन यीशु ओ बैगनी वस्त्र और काँटक मुकुट पहिरने बाहर अयलाह। पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “देखू, यैह मनुष्य अछि!” 6 मुदा हुनका देखितहि मुख्यपुरोहित सभ और हुनकर सभक सिपाही सभ जोर-जोर सँ हल्ला कयलक, “क्रूस पर चढ़ाउ! क्रूस पर चढ़ाउ!” पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहीं सभ एकरा लऽ जाउ और क्रूस पर चढ़ाउ! कारण हम एकरा मे दोष लगयबाक कोनो आधार नहि पबैत छी।” 7 यहूदी सभ हुनका उत्तर देलकनि, “हमरा सभक एक नियम अछि, और ओहि अनुसार ओकरा मृत्युदण्ड भेटबाक चाही, कारण ओ अपना केँ परमेश्वरक पुत्र कहने अछि।” 8 पिलातुस जखन ई शब्द सुनलनि तखन आओर डेरा गेलाह। 9 ओ राजभवन मे फेर जा कऽ यीशु सँ पुछलथिन, “अहाँ कोन ठाम सँ आयल छी?” मुदा यीशु कोनो उत्तर नहि देलथिन। 10 तँ पिलातुस कहलथिन, “की अहाँ हमरा सँ नहि बाजब? की अहाँ नहि जनैत छी जे अहाँ केँ छोड़ि देबाक और क्रूस पर चढ़यबाक सेहो हमर अधिकार अछि?” 11 यीशु बजलाह, “अहाँ केँ हमरा पर कोनो अधिकार नहि रहैत जँ अहाँ केँ ऊपर सँ नहि देल गेल रहैत। एहि कारणेँ, जे अहाँक हाथ मे हमरा सौंपि देलक, से आओर दोषी अछि।” 12 ई सुनला पर, पिलातुस हुनका छोड़ि देबाक कोशिश कयलनि, मुदा यहूदी सभ हल्ला करैत छल जे, “जँ ओकरा छोड़ब तँ अहाँ सम्राट-कैसरक मित्र नहि भेलहुँ! जे केओ अपना केँ राजा कहैत अछि से कैसरक विरोधी अछि!” 13 पिलातुस ई बात सुनि कऽ, यीशु केँ बाहर अनबौलथिन और ओहि स्थान पर, जे “पाथरक चबुतरा” आ इब्रानी भाषा मे “गबथा” कहबैत अछि, न्याय-आसन पर बैसि गेलाह। 14 ई फसह-पाबनिक तैयारीक दिन छल, और दुपहरियाक समय भऽ रहल छल। पिलातुस यहूदी सभ केँ कहलथिन, “लिअ! देखू, अहाँ सभक राजा!” 15 मुदा ओ सभ जोर-जोर सँ हल्ला कयलक, “ओकरा लऽ जाउ! लऽ जाउ! ओकरा क्रूस पर चढ़ाउ!” पिलातुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “की हम अहाँ सभक राजा केँ क्रूस पर चढ़ाउ?” मुख्यपुरोहित सभ उत्तर देलथिन, “कैसर केँ छोड़ि हमरा सभक आओर केओ राजा नहि अछि!” 16 तेँ अन्त मे पिलातुस हुनका क्रूस पर चढ़यबाक लेल सैनिक सभक जिम्मा लगा देलथिन। 17 तँ ओ सभ यीशु केँ लऽ गेलनि। क्रूस केँ अपने सँ ढो कऽ यीशु बाहर ओहि जगह पर गेलाह जे “खप्पड़ वला स्थान” (और इब्रानी भाषा मे “गुलगुता”) कहबैत अछि। 18 ओहिठाम ओ सभ हुनका हाथ-पयर मे काँटी ठोकि कऽ क्रूस पर टाँगि देलकनि आ हुनका संगे दूटा आरो केँ सेहो, एकटा केँ एहि कातक क्रूस पर आ दोसर केँ ओहि कातक क्रूस पर, आ बीचला पर यीशु केँ। 19 पिलातुस एक दोष-पत्र क्रूस पर लगबा देलनि, जाहि पर लिखल छलैक, “नासरत-निवासी यीशु, यहूदी सभक राजा”। 20 एहि सूचना केँ बहुत यहूदी पढ़लक, किएक तँ जाहि स्थान पर यीशु क्रूस पर चढ़ाओल गेलाह से शहरक नजदीक छल, और सूचना इब्रानी, लतीनी, और यूनानी भाषा मे लिखल छल। 21 तखन यहूदी सभक मुख्यपुरोहित सभ पिलातुस केँ कहलथिन, “ ‘यहूदी सभक राजा’ नहि लिखू! ई लिखू जे, ‘एकर कथन छल जे हम यहूदी सभक राजा छी’।” 22 पिलातुस उत्तर देलथिन, “हम जे लिखि देलहुँ से लिखि देलहुँ।” 23 सैनिक सभ यीशु केँ क्रूस पर चढ़ौलाक बाद हुनकर कपड़ा लऽ चारि भाग मे बाँटि लेलक, प्रत्येक सैनिकक लेल एक भाग। हुनकर कुर्तो लेलक, लेकिन कुर्ता बिना सिअनक ऊपर सँ नीचाँ तक बुनल छल। 24 तेँ ओ सभ एक-दोसर केँ कहलक, “एहि केँ नहि फाड़ी। पुरजा खसा कऽ देखी जे ई ककर होयतैक।” ई एहि लेल भेल जे धर्मशास्त्रक लेख पूरा होअय जे, “ओ सभ हमर कपड़ा अपना मे बाँटि लेलक 2 और हमर वस्त्रक लेल पुरजा खसौलक।” और एहिना सैनिक सभ करबो कयलक। 25 यीशुक क्रूस लग हुनकर माय, मौसी, क्लोपासक स्त्री मरियम, और मरियम मग्दलीनी ठाढ़ छलीह। 26 यीशु जखन अपना माय केँ और ओहि शिष्य केँ, जिनका सँ ओ प्रेम करैत छलाह, लग मे ठाढ़ देखलथिन तखन अपना माय केँ कहलथिन, “ई अहाँक पुत्र अछि,” 27 और शिष्य केँ कहलथिन, “ई अहाँक माय छथि।” ओही समय सँ ओ शिष्य हुनका अपना घर लऽ गेलाह। 28 बाद मे यीशु ई जानि जे आब सभ किछु पूर्ण भऽ गेल, धर्मशास्त्रक लेख पूरा करैत कहलनि, “हमरा पियास लागल अछि।” 29 ओहिठाम तिताह दारू सँ भरल एक बर्तन राखल छल, तेँ ओ सभ रूइ जकाँ एकटा एहन चीज जे पानि सोखैत अछि से ओहि मे डुबा कऽ जूफाक ठाढ़ि मे अटका कऽ हुनका मुँह लग देलकनि। 30 यीशु ओ लऽ लेलनि आ कहलनि, “पूरा भेल,” और मूड़ी झुका कऽ प्राण त्यागि देलनि। 31 ई फसह-पाबनिक तैयारीक दिन छल, आ दोसरे दिन महा विश्राम-दिन होमऽ वला छल, और तेँ, जाहि सँ विश्राम-दिन मे लास क्रूस पर टाँगल नहि रहय, यहूदी सभ पिलातुस सँ विनती कयलनि जे अपराधी सभ केँ टाँग तोड़ि कऽ मारि देल जाय, आ लास क्रूस पर सँ उतारि लेल जाय। 32 तेँ सैनिक सभ आबि कऽ यीशुक संग क्रूस पर चढ़ाओल पहिल आदमीक टाँग तोड़ि देलकैक, तखन दोसरो केँ। 33 मुदा जखन यीशु लग आबि कऽ देखलक जे ओ मरिए गेल छथि, तँ हुनकर टाँग नहि तोड़लकनि। 34 मुदा एक सैनिक हुनका पाँजर मे भाला भोंकलकनि, और तुरत खून आ पानि बहऽ लागल। 35 जे ई घटना देखलनि, से एकर गवाही देने छथि, और हुनकर गवाही पकिया अछि। ओ जनैत छथि जे ओ सत्य बाजि रहल छथि, और ओ गवाही दैत छथि जाहि सँ अहूँ सभ विश्वास करब। 36 कारण ई सभ बात एहि लेल भेल जाहि सँ धर्मशास्त्रक लेख पूरा होअय जे, “हुनकर एकोटा हड्डी नहि तोड़ल जयतनि,” 37 और जेना धर्मशास्त्रक दोसर कथन अछि, “ओ सभ तिनका दिस तकतनि, जिनका भोंकने अछि।” 38 एहि सभक बाद, अरिमतिया नगरक यूसुफ पिलातुस सँ यीशुक लास मँगलनि। यूसुफ यीशुक एक शिष्य छलाह, मुदा गुप्त रूप सँ, कारण ओ यहूदी सभ सँ डेराइत छलाह। ओ पिलातुस सँ आज्ञा माँगि, आबि कऽ यीशुक लास उतारि कऽ लऽ गेलाह। 39 संग मे निकोदेमुस सेहो, जे शुरू मे रातुक समय यीशु लग आयल छलाह, लगभग पैंतीस सेर गन्धरस और मुसब्बरक मिश्रण लऽ कऽ अयलाह। 40 ओ सभ यीशुक लास लऽ जा कऽ, यहूदी सभक गाड़बाक प्रथाक अनुसार, ओहि सुगन्धित द्रव्य सहित मलमलक पट्टी सँ लपेटलनि। 41 जाहिठाम यीशु केँ क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि, ताहिठाम लग मे एक बगीचा छल। ओहि मे एक नव कबर बनाओल छल जाहि मे कहियो कोनो लास नहि राखल गेल छल। 42 तँ यहूदी सभक तैयारीक दिन होयबाक कारणेँ, और कबर लग मे रहबाक कारणेँ, ओ सभ यीशु केँ ओहि मे राखि देलथिन।
1 सप्ताहक पहिल दिन भोरे अन्हरोखे मरियम मग्दलीनी कबर पर गेलीह और देखलनि जे कबरक मुँह पर सँ पाथर हटाओल गेल अछि। 2 ई देखि ओ दौड़ैत-दौड़ैत सिमोन पत्रुस और ओहि दोसर शिष्य लग जिनका सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, गेलीह और कहलनि, “ओ सभ कबर मे सँ प्रभु केँ उठा कऽ लऽ गेल छनि, और हम सभ नहि जनैत छी जे हुनका कतऽ रखने छनि!” 3 एहि पर पत्रुस और दोसर शिष्य कबर दिस विदा भेलाह। 4 दूनू संग-संग दौड़लाह, मुदा दोसर शिष्य पत्रुस सँ आगाँ बढ़ि कऽ कबर पर पहिने पहुँचलाह। 5 ओ निहुड़ि कऽ भीतर तकलनि और ओतऽ पड़ल मलमल वला पट्टी सभ देखलनि, मुदा भीतर नहि गेलाह। 6 तखन सिमोन पत्रुस हुनका पाछाँ-पाछाँ पहुँचलाह, और कबर मे पैसलाह। 7 ओ पट्टी सभ केँ ओतऽ पड़ल देखलनि, और ओहि गमछा केँ सेहो, जाहि सँ यीशुक मूड़ी लपेटल छल। गमछा पट्टी सभक संग नहि, बल्कि हटले एक जगह चौपेतल राखल छल। 8 तखन ओ दोसर शिष्य जे कबर पर पहिने पहुँचल छलाह, सेहो भीतर गेलाह। ओ देखलनि और विश्वास कयलनि। 9 (एखनो तक ओ सभ तँ नहि बुझैत छलाह जे धर्मशास्त्रक कथनानुसार हुनकर मृत्यु मे सँ जीबि उठनाइ आवश्यक छल।) 10 तखन ओ शिष्य सभ अपन-अपन घर चल गेलाह। 11 मुदा मरियम कबरक बाहर कनिते ठाढ़ रहलीह। कनैत-कनैत ओ निहुड़ि कऽ कबर मे तकलनि। 12 ओ उज्जर वस्त्र पहिरने दू स्वर्गदूत केँ ओहिठाम बैसल देखलनि जाहिठाम यीशुक लास राखल गेल छल, एक सीरहान लग और दोसर पौथान लग। 13 ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “बहिन, अहाँ किएक कनैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “ओ सभ हमरा प्रभु केँ उठा कऽ लऽ गेल अछि, और हम नहि जनैत छी जे हुनका कतऽ रखने छनि।” 14 ई कहि, ओ घुमलीह और लग मे ठाढ़ यीशु केँ देखलनि, मुदा ओ नहि चिन्हलनि जे ई यीशु छथि। 15 यीशु हुनका कहलथिन, “बहिन, अहाँ कनैत किएक छी? किनका खोजि रहल छिऐन?” ओ हुनका माली बुझि कऽ कहलथिन, “यौ मालीजी, अहीं जँ हुनका उठा कऽ लऽ गेल छिऐन तँ हमरा कहू जे कतऽ रखने छिऐन। हम जा कऽ हुनका लऽ अनबनि।” 16 यीशु बजलाह, “मरियम!” ओ हुनका दिस घुरि कऽ इब्रानी भाषा मे कहलथिन, “रब्बुनी!” (जकर अर्थ अछि “गुरुजी!”) 17 यीशु कहलथिन, “हमरा नहि पकड़ू! कारण हम एखन पिता लग ऊपर नहि गेल छी। आब हमर भाय सभक ओहिठाम जा कऽ कहि दिऔन जे, हम अपना पिता और अहाँ सभक पिता, अपना परमेश्वर और अहाँ सभक परमेश्वर लग ऊपर जा रहल छी।” 18 मरियम मग्दलीनी जा कऽ शिष्य सभ केँ कहलनि, “हम प्रभु केँ देखने छी!” और ओ हुनका सभ केँ हुनकर कहल बात सुनौलथिन। 19 ओहि दिनक साँझ, अर्थात् सप्ताहक पहिल दिन, जखन शिष्य सभ यहूदी सभक डरेँ घरक केबाड़ सभ बन्द कऽ कऽ एक संग बैसल छलाह, तखन यीशु आबि कऽ हुनका सभक बीच ठाढ़ भऽ गेलाह और कहलथिन, “अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय।” 20 ई कहि ओ हुनका सभ केँ अपन हाथ और पाँजर देखौलथिन। प्रभु केँ देखि शिष्य सभक आनन्दक कोनो सीमा नहि रहलनि। 21 ओ हुनका सभ केँ फेर कहलथिन, “अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय। जेना हमरा पिता पठौने छथि, तहिना हमहूँ अहाँ सभ केँ पठबैत छी।” 22 ई कहि ओ हुनका सभ पर फुकलथिन और कहलथिन, “पवित्र आत्मा केँ लिअ। 23 जँ ककरो पाप माफ कऽ देबैक, तँ ओकर पाप माफ भेलैक। जँ ककरो पाप माफ नहि कऽ देबैक तँ ओकर पाप माफ नहि भेलैक।” 24 मुदा बारह शिष्य मे सँ एक, थोमा, जे “जौंआ” कहबैत छथि, से आरो शिष्य सभक संग ओहि समय मे नहि छलाह जखन यीशु आयल छलाह। 25 जखन ओ सभ हुनका कहऽ लगलनि, “हम सभ प्रभु केँ देखने छी,” तँ ओ कहलथिन, “जा धरि हम हुनका हाथ मे काँटीक चेन्ह देखि ओहि छेद मे अपन आङुर नहि पैसायब आ हुनकर पाँजर मे अपन हाथ नहि धऽ लेब, ता धरि हम किन्नहुँ नहि विश्वास करब।” 26 आठ दिनक बाद शिष्य सभ फेर घर मे छलाह, और थोमा सेहो संग छलाह। केबाड़ सभ बन्द रहितो, यीशु अयलाह और हुनका सभक मध्य ठाढ़ भऽ बजलाह, “अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय।” 27 तखन थोमा केँ कहलथिन, “एहिठाम अपन आङुर धऽ लिअ, और हमर हाथ देखि लिअ। अपन हाथ लाउ और हमरा पाँजर मे धऽ लिअ। अविश्वासी नहि, विश्वासी बनू।” 28 थोमा उत्तर देलथिन, “हे हमर प्रभु, हे हमर परमेश्वर!” 29 यीशु हुनका कहलथिन, “अहाँ हमरा देखबाक कारणेँ विश्वास करैत छी, धन्य छथि ओ सभ जे बिनु देखनहि विश्वास करैत छथि।” 30 यीशु आरो बहुत चमत्कारपूर्ण चिन्ह अपना शिष्य सभक समक्ष देखौलनि जे एहि पुस्तक मे नहि लिखल अछि। 31 मुदा जे सभ लिखल अछि से एहि लेल जे अहाँ सभ विश्वास करी जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह और परमेश्वरक पुत्र छथि, और जे विश्वास कयला सँ अहाँ सभ केँ हुनका द्वारा जीवन प्राप्त होअय।
1 एकरा बाद, तिबिरियास झीलक कात यीशु फेर शिष्य सभ केँ देखाइ देलनि जे एहि तरहेँ भेल— 2 सिमोन पत्रुस, थोमा, जे “जौंआ” कहबैत छथि, गलीलक काना गामक नथनेल, जबदीक दू पुत्र, आ दूटा आओर शिष्य एक संग छलाह। 3 सिमोन पत्रुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “हम माछ मारऽ जाइत छी।” ओ सभ उत्तर देलथिन, “हमहूँ सभ चलैत छी।” ओ सभ बाहर जा कऽ नाव मे चढ़लाह, मुदा ओहि राति किछु नहि पकड़ि सकलाह। 4 भोर होइतहि यीशु कछेर पर ठाढ़ छलाह, मुदा शिष्य सभ नहि चिन्हलनि जे ई यीशु छथि। 5 ओ हुनका सभ केँ सोर पारैत पुछलथिन, “यौ बाउ सभ! की अहाँ सभ किछु नहि पकड़ने छी?” ओ सभ उत्तर देलथिन, “नहि।” 6 ओ कहलथिन, “नावक दहिना कात जाल फेकू तँ बहुत भेटत।” ओ सभ जाल फेकलनि तँ ततेक माछ फँसलनि जे ओ सभ जाल नाव मे नहि खीचि सकैत छलाह। 7 तखन ओ शिष्य जिनका सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, पत्रुस केँ कहलथिन, “ई तँ प्रभु छथि!” ई शब्द सुनितहि जे, ई प्रभु छथि, सिमोन पत्रुस अपन कपड़ा पहिरि लेलनि (ओ ई कपड़ा खोलि कऽ रखने छलाह), और झील मे कुदि पड़लाह। 8 मुदा बाँकी शिष्य सभ माछ सँ भरल जाल खिचैत, नाव मे अयलाह, किएक तँ कछेर सँ बेसी दूर नहि, लगभग 200 हाथ पर छलाह। 9 ओ सभ जखन कछेर पर अयलाह तखन देखलनि जे कोइलाक आगि पर माछ राखल अछि, और रोटी सेहो अछि। 10 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “जे माछ अहाँ सभ एखने पकड़लहुँ, ओहि मे सँ किछु लाउ।” 11 सिमोन पत्रुस नाव पर चढ़ि कऽ जाल कछेर पर खिचलनि। जाल बड़का-बड़का माछ सँ भरल छल, सभ मिला कऽ एक सय तिरपन, मुदा एतेक होइतो जाल नहि फाटल। 12 यीशु हुनका सभ केँ कहलथिन, “आउ, जलखइ कऽ लिअ।” शिष्य सभ मे सँ किनको हुनका सँ ई पुछबाक साहस नहि भेलनि जे, अहाँ के छी? ओ सभ तँ जनैत छलाह जे ई प्रभु छथि। 13 तखन यीशु अयलाह, आ रोटी लऽ कऽ हुनका सभ केँ देलथिन, और तहिना माछो। 14 ई आब तेसर बेर अछि जे यीशु मृत्यु मे सँ जिआओल गेलाक बाद शिष्य सभ केँ देखाइ देलथिन। 15 हुनका सभ केँ जलखइ कयलाक बाद यीशु सिमोन पत्रुस केँ कहलथिन, “सिमोन, यूहन्नाक पुत्र, की अहाँ हिनका सभ सँ बढ़ि कऽ हमरा सँ प्रेम करैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हँ, प्रभु, अहाँ जनैत छी जे हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी।” यीशु कहलथिन, “तँ हमर नव भेँड़ा केँ चराउ।” 16 फेर दोसर बेर यीशु पुछलथिन, “सिमोन, यूहन्नाक पुत्र, की अहाँ वास्तव मे हमरा सँ प्रेम करैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हँ, प्रभु, अहाँ तँ जनैत छी जे हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी।” यीशु बजलाह, “हमर भेँड़ाक देख-रेख करू।” 17 फेर तेसर बेर यीशु पुछलथिन, “सिमोन, यूहन्नाक पुत्र, की अहाँ हमरा सँ प्रेम करैत छी?” पत्रुस दुखी भेलाह जे यीशु तेसर बेर पुछलनि जे, “की अहाँ हमरा सँ प्रेम करैत छी?” ओ उत्तर देलथिन, “प्रभु, अहाँ तँ सभ किछु जनैत छी। अहाँ जनैत छी जे हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी।” यीशु हुनका कहलथिन, “हमर भेँड़ा केँ चराउ। 18 हम अहाँ केँ सत्ये कहैत छी जे जखन अहाँ जबान छलहुँ, तखन अहाँ अपन डाँड़ अपने कसि लैत छलहुँ, आ जतऽ मोन होइत छल ततऽ जाइत छलहुँ। मुदा जखन अहाँ बूढ़ भऽ जायब, तखन हाथ पसारब और केओ दोसर अहाँक डाँड़ बान्हि कऽ अहाँ केँ ततऽ लऽ जायत जतऽ अहाँ नहि जाय चाहब।” 19 (ओ ई बात एकर संकेत देबाक लेल कहलथिन जे पत्रुस कोन तरहक मृत्यु द्वारा परमेश्वरक महिमा प्रगट करताह।) तखन ओ हुनका कहलथिन, “हमरा पाछाँ चलू।” 20 पत्रुस घूमि कऽ देखलनि जे ओहो शिष्य पाछाँ-पाछाँ अबैत छथि जिनका सँ यीशु प्रेम करैत छलाह, और जे भोजन करैत समय हुनका छाती लग ओंगठि कऽ हुनका सँ पुछने छलनि जे, प्रभु, ओ के अछि जे अहाँ केँ पकड़बाओत? 21 पत्रुस ओहि शिष्य केँ देखि कऽ यीशु सँ पुछलथिन, “प्रभु, हिनकर की होयतनि?” 22 यीशु उत्तर देलथिन, “जँ हम चाही जे जा धरि हम फेर नहि आयब ता धरि ओ जीबैत रहथि, तँ एहि सँ अहाँ केँ की? अहाँ हमरा पाछाँ चलू!” 23 एहि कारणेँ भाय सभ मे ई कथन पसरि गेल जे ओ शिष्य नहि मरताह। मुदा यीशु ई नहि कहने छलाह जे ओ नहि मरताह; ओ मात्र ई कहने छलाह जे, जँ हम चाही जे जा धरि हम फेर नहि आयब, ता धरि ओ जीबैत रहथि तँ एहि सँ अहाँ केँ की? 24 और ओ शिष्य वैह छथि जे एहि सभ बातक गवाही दऽ रहल छथि और लिखने छथि। हम सभ जनैत छी जे हुनकर गवाही सत्य अछि। 25 आओर बहुत काज अछि जे यीशु कयलनि। जँ ओकरा एक-एकटा कऽ लिखल जाइत तँ हम सोचैत छी जे, जे किताब सभ लिखल जाइत से सौंसे संसार मे नहि अँटैत।
1 आदरणीय थियुफिलुस, हम अपन पहिल पुस्तक मे यीशुक सभ काज आ शिक्षा जे ओ शुरू सँ लऽ कऽ स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह ताहि दिन धरि कयलनि तकर सम्पूर्ण विवरण लिखने छी। स्वर्ग मे उठाओल जाय सँ पहिने ओ अपन चुनल दूत सभ केँ परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा अपन आदेश सभ देलथिन। 3 हुनका सभक मध्य ओ मुइलाक बाद चालिस दिन धरि बेर-बेर प्रगट भऽ कऽ एहि बातक अकाट्य प्रमाण दैत रहलाह जे ओ जीबि उठल छथि। ओ ओहि समय मे हुनका सभ केँ परमेश्वरक राज्यक विषय मे शिक्षा दैत छलाह 4 आ एक दिन जखन हुनका सभक संग छलथिन तँ ओ ई आदेश देलथिन जे, “अहाँ सभ ताबत धरि यरूशलेम सँ बाहर नहि जाउ जाबत धरि ओ बात अहाँ सभ केँ प्राप्त नहि भऽ जायत जे बात अहाँ सभ केँ देबाक लेल हमर पिता वचन देने छथि। एहि बातक सम्बन्ध मे हम पहिनहि अहाँ सभ केँ कहने छी जे, 5 यूहन्ना तँ पानि सँ बपतिस्मा देलनि मुदा अहाँ सभ केँ किछु दिन मे पवित्र आत्मा सँ बपतिस्मा देल जायत।” 6 एक दिन यीशु जखन फेर अपन दूत सभक संग छलाह तखन ओ सभ हुनका सँ पुछलथिन, “प्रभु, की अहाँ एही समय मे इस्राएली सभ केँ अपन राज्य फिरता करबा देब?” 7 ओ उत्तर देलथिन, “कहिया कखन की होयत, से पिता अपना अधिकार सँ निश्चित कयने छथि, आ ताहि बात केँ जानी से अहाँ सभक काज नहि अछि। 8 मुदा जखन अहाँ सभ पर पवित्र आत्मा औताह तँ अहाँ सभ सामर्थ्य प्राप्त करब आ यरूशलेम मे, सम्पूर्ण यहूदिया और सामरिया प्रदेश मे, आ सम्पूर्ण पृथ्वी पर अहाँ सभ हमर गवाह होयब।” 9 एतेक कहलाक बाद हुनका सभक देखिते-देखिते ओ ऊपर उठा लेल गेलाह और एकटा मेघ आबि कऽ हुनका सभक नजरिक सोझाँ सँ हुनका झाँपि लेलकनि। 10 जखन मसीह-दूत सभ यीशु केँ ऊपर उठा लेल गेलाक बादो टकटकी लगा कऽ आकाश दिस तकिते रहलाह तखन एकाएक उज्जर वस्त्र पहिरने दूटा पुरुष हुनका सभ लग ठाढ़ भऽ गेलाह। 11 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ कहलथिन, “हे गलीलक लोक सभ, अहाँ सभ आकाश दिस की तकैत छी? यैह यीशु जे अहाँ सभ लग सँ स्वर्ग मे उठा लेल गेलाह से ओही तरहेँ एक दिन फेर औताह जाहि तरहेँ अहाँ सभ हुनका स्वर्ग जाइत देखलहुँ।” 12 तखन मसीह-दूत सभ जैतून पहाड़ नामक परवत पर सँ यरूशलेम घुरि अयलाह। ओ पहाड़ यरूशलेम सँ करीब आधा कोस दूर अछि। 13 यरूशलेम पहुँचि कऽ ओ सभ उपरका कोठली मे गेलाह जाहि मे ओ सभ ठहरल छलाह। हुनका सभक नाम ई अछि—पत्रुस, यूहन्ना, याकूब और अन्द्रेयास, फिलिपुस और थोमा, बरतुल्मै और मत्ती, अल्फेयासक पुत्र याकूब और “देश-भक्त” सिमोन और याकूबक पुत्र यहूदा। 14 ओ सभ किछु स्त्रीगण, यीशुक माय मरियम और हुनकर भाय सभक संग मिलि कऽ एक चित्त भऽ नित्य प्रार्थना करैत छलाह। 15 ओहि समय मे एक दिन विश्वासी भाय सभक बीच, अर्थात् करीब एक सय बीस व्यक्तिक समुदाय मे, पत्रुस ठाढ़ भऽ कहऽ लगलाह, 16 “यौ भाइ लोकनि, ई निश्चित छल जे धर्मशास्त्रक ओ बात पूरा होअय जे पवित्र आत्मा दाऊदक माध्यम सँ यहूदाक विषय मे पहिनहि कहलनि। यहूदा हमरा सभ मे सँ एक, और एहि सेवा-काज मे सहभागी होइतो, जे सभ यीशु के पकड़ऽ चाहैत छल, तकरा सभ केँ यीशु केँ चिन्हौलकैक।” 18 (यहूदा पापक कमाइ सँ एक खेत मोल लेलक जतऽ ओ मुँहे भरे खसल। ओकर पेट फाटि गेलैक और अँतड़ी-भोतरी बाहर भऽ गेलैक। 19 एहि बात केँ सम्पूर्ण यरूशलेम मे रहऽ वला लोक सभ बुझि गेल, आ तेँ ओहि खेतक नाम ओ सभ अपना भाषा मे “हकलदामा”, अर्थात् “खूनक खेत”, राखि देलक।) 20 “हँ, धर्मशास्त्रक बात पूरा होयबाक छल, कारण भजन-संग्रहक पुस्तक मे लिखल अछि, ‘ओकर वास स्थान उजड़ि जाय 2 आ ओहि मे रहऽ वला केओ नहि होअय।’ और, ‘ओकर पद और अधिकार केओ दोसर लेअय।’ 21 “तेँ आब ई जरूरी अछि जे अपना सभ ककरो चुनी जे अपना सभक संग प्रभु यीशुक जीबि उठनाइक गवाही देत। ओकरा तकरा सभ मे सँ चुनल जाय जे सभ ओहि समय सँ अपना सभक संग अछि जाहि समय मे प्रभु यीशु अपना सभक बीच रहलाह, अर्थात् यूहन्नाक बपतिस्मा सँ लऽ कऽ प्रभु यीशुक स्वर्ग उठाओल जयबाक समय धरि।” 23 तँ ओ सभ दू आदमीक नामक सुझाव देलनि—एकटा यूसुफ, जे बरसब्बा कहबैत छलाह और जिनकर दोसर नाम यूस्तुस सेहो छलनि; आ दोसर मतिया। 24 तखन ओ सभ प्रार्थना कयलनि जे, “यौ प्रभु, सभक हृदय अहाँ जनैत छी। हमरा सभ केँ ई बुझा दिअ जे एहि दूनू मे सँ अहाँ मसीह-दूतक ओहि पद आ सेवा-काजक लेल किनका चुनलहुँ, जाहि पद केँ त्यागि कऽ यहूदा अपना स्थान पर चल गेल।” 26 तकरबाद ओ सभ पुरजी खसौलनि, आ पुरजी मतियाक नाम सँ बाहर भेल, और ओ एगारहो मसीह-दूतक संग सम्मिलित कयल गेलाह।
1 पेन्तेकुस्त पाबनिक दिन अयला पर सभ विश्वासी एके ठाम जमा छलाह। 2 एकाएक आकाश सँ बड़का अन्हड़-बिहारि जकाँ आवाज आयल और ओ घर जाहि मे ओ सभ बैसल छलाह से ओहि आवाज सँ गोंगिया उठल। 3 ओ सभ देखलनि जे जीहक आकार मे आगि सनक कोनो वस्तु आयल और अलग-अलग भऽ कऽ हुनका सभ मे प्रत्येक गोटे पर रूकि गेल। 4 सभ केओ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ गेलाह और पवित्र आत्मा हुनका सभ केँ जे बजबाक क्षमता देलनि, ताहि अनुसार ओ सभ भिन्न-भिन्न भाषा मे बाजऽ लगलाह। 5 ओहि समय मे परमेश्वर केँ मानऽ वला बहुत देशक यहूदी सभ यरूशलेम मे रहैत छल। 6 ई आवाज जखन भेल तँ बहुत लोक ओतऽ जमा भऽ गेल आ गुम्म रहि गेल, कारण मसीह-दूत सभ जे बात बजैत छलाह से ओ सभ अपना-अपना भाषा मे सुनैत छल। 7 ओ सभ अकचका कऽ कहलक, “की ई सभ जे बाजि रहल छथि से सभ गलीले प्रदेशक नहि छथि? 8 तँ ई कोना भेल जे अपना सभ हिनकर सभक बात अपना-अपना मातृभाषा मे सुनि रहल छी? 9 अपना सभ जे पार्थी, मेदी और एलामी लोक छी, मेसोपोतामिया, यहूदिया, कप्पदुकिया, पुन्तुस, आसिया, 10 फ्रूगिया, पंफूलिया, मिस्र और कुरेनक लग मे पड़ऽ वला लिबियाइ क्षेत्रक निवासी छी, रोम सँ आयल यहूदी लोक आ दोसर समाजक लोक जे यहूदी धर्म केँ स्वीकार कयने अछि, 11 से छी, क्रेत द्वीपक वासी और अरबी लोक सभ छी—से हिनका सभक मुँह सँ परमेश्वरक महान् काजक चर्चा अपना-अपना भाषा मे कोना सुनि रहल छी?” 12 ओ सभ आश्चर्यित भऽ कऽ एक-दोसर सँ पुछऽ लागल, “एकर अर्थ की भऽ सकैत अछि?” 13 एहि पर किछु लोक ठट्ठा करैत कहऽ लागल, “ई सभ दारू पिबि कऽ मातल अछि।” 14 तखन पत्रुस एगारहो मसीह-दूतक संग ठाढ़ भेलाह और भीड़क लोक केँ जोर सँ कहऽ लगलथिन, “यहूदी भाइ लोकनि आ यरूशलेमक सभ निवासी, हम जे किछु कहैत छी तकरा ध्यानपूर्बक सुनू। 15 अहाँ सभ ई बुझि लिअ जे हम सभ मातल नहि छी, जेना कि अहाँ सभ सोचि रहल छी, कारण एखन तँ भोरक नौए बाजल अछि! 16 नहि, ई वैह बात अछि जकरा सम्बन्ध मे परमेश्वरक प्रवक्ता योएल कहने छथि, 17 ‘परमेश्वर ई कहैत छथि जे, अन्त समय मे सभ वर्गक मनुष्य केँ हम अपन आत्मा देबैक। तखन तोरा सभक बेटा-बेटी सभ हमरा सँ सम्बाद पाओत आ सुनाओत। 2 तोरा सभक युवक सभ हमरा द्वारा प्रगट कयल दृश्य देखत, 2 और तोरा सभक वृद्ध लोकनि सपना देखत। 18 हँ, हम अपन दास-दासी सभ केँ सेहो ओहि समय मे अपन आत्मा देबैक 2 और ओ सभ हमरा सँ सम्बाद पाओत आ सुनाओत। 19 हम ऊपर आकाश मे अद्भुत काज सभ करब 2 आ नीचाँ पृथ्वी पर आश्चर्यजनक चिन्ह सभ देखायब, 2 जेना कि खून, आगि और गाढ़ धुआँ। 20 परमेश्वरक महान् महिमापूर्ण दिन आबऽ सँ पहिने 2 सूर्य अन्हार भऽ जायत 2 आ चन्द्रमाक रंग खून सन लाल भऽ जायत। 21 मुदा जे केओ प्रभु सँ विनती करत तकर उद्धार होयतैक।’ 22 “इस्राएली भाइ लोकनि, हमर बात सुनू। परमेश्वर नासरत-निवासी यीशु द्वारा अहाँ सभक बीच मे बहुत आश्चर्यजनक काज आ चमत्कारपूर्ण चिन्ह देखौलनि, जे अहाँ सभ केँ बुझले अछि। ओ एहि काज आ चिन्ह सभक द्वारा एहि बात केँ प्रमाणित कयलनि जे हुनका ओ अपने पठौने छथि। 23 ओ परमेश्वरक निश्चित योजना आ पूर्वज्ञानक अनुसार अहाँ सभक जिम्मा मे देल गेलाह और अहाँ सभ हुनका अधर्मी सभक हाथेँ क्रूस पर चढ़बा कऽ मारि देलियनि। 24 मुदा परमेश्वर हुनका मृत्युक कष्ट सँ मुक्त कऽ कऽ फेर जीवित कऽ देलथिन, कारण ई असम्भव छल जे मृत्यु अपना वश मे हुनका रखितनि। 25 जेना दाऊद हुनका विषय मे कहलनि, ‘हम देखलहुँ जे प्रभु सदिखन हमरा सामने छथि, 2 ओ हमर दहिन छथि, तेँ हम डगमगायब नहि। 26 एहि कारणेँ हम खुशी मोन सँ अहाँक स्तुति गबैत छी, 2 हम अपन शरीरक लेल सेहो अहाँ पर भरोसा रखैत छी, 27 कारण, अहाँ हमरा मरले नहि छोड़ब 2 और ने अपन पवित्र सेवक केँ सड़ऽ देब। 28 अहाँ हमरा जीवनक बाट देखौने छी; 2 अहाँक संगति मे हम आनन्द सँ गद्गद् होयब।’ 29 “भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ केँ खुलि कऽ कहि सकैत छी जे अपना सभक कुल-पिता दाऊद मरलाह आ गाड़ल गेलाह और हुनकर कबर एखनो कायम अछि। 30 मुदा ओ परमेश्वरक प्रवक्ता छलाह और ओ जनैत छलाह जे परमेश्वर सपत खा कऽ हुनका वचन देने छथिन जे, हम तोरा वंश मे सँ एक आदमी केँ तोरा सिंहासन पर बैसयबह। 31 तेँ जखन ओ कहलनि जे हमरा मरले नहि छोड़ल जायत आ ने हमर शरीर सड़त तँ से ओ उद्धारकर्ता-मसीहक जीबि उठनाइक सम्बन्ध मे कहलनि, किएक तँ परमेश्वर हुनका पहिने सँ ओ बात देखौने छलथिन। 32 एही यीशु केँ परमेश्वर जिआ देलथिन तकर हम सभ केओ साक्षी छी। 33 हुनका परमेश्वरक दहिना कातक सर्वोच्च पद देल गेलनि, और जहिना पिता हुनका वचन देने छलथिन, तहिना ओ हुनका सँ पवित्र आत्मा प्राप्त कयलनि। और अहाँ सभ आइ जे बात देखि आ सुनि रहल छी, से एकर परिणाम अछि जे ओ हमरा सभ केँ वैह पवित्र आत्मा देने छथि। 34 दाऊद तँ स्वर्ग पर नहि उठाओल गेलाह, तैयो ओ बजलाह, ‘प्रभु-परमेश्वर हमर प्रभु केँ कहलथिन, 2 अहाँ हमर दहिना कात बैसू, 35 और हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब।’ 36 “तेँ समस्त इस्राएली लोक ई निश्चय जानि लेअय जे एही यीशु केँ जिनका अहाँ सभ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलियनि, परमेश्वर तिनके प्रभु और उद्धारकर्ता-मसीह ठहरा देलथिन।” 37 सुनऽ वला लोक सभक मोन मे ई बात गड़ि गेलैक, और ओ सभ पत्रुस और आन मसीह-दूत सभ सँ पुछलकनि, “यौ भाइ लोकनि, हम सभ आब की करू?” 38 पत्रुस उत्तर देलथिन, “अहाँ सभ गोटे अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू और यीशु मसीहक नाम सँ बपतिस्मा लिअ, जाहि सँ परमेश्वर अहाँ सभक पाप केँ क्षमा करथि आ अहाँ सभ केँ पवित्र आत्मा प्रदान करथि। 39 कारण, परमेश्वर जे वचन देलनि, से अहाँ सभक लेल और अहाँ सभक सन्तानक लेल अछि, और तकरो सभक लेल जे दूर-दूर रहैत अछि; हँ, तकरा सभ गोटेक लेल जकरा सभ केँ अपना सभक प्रभु-परमेश्वर अपना लग बजौथिन।” 40 पत्रुस आरो बहुत बात द्वारा ओकरा सभ केँ बुझौलथिन आ चेतावनी दैत आग्रह कयलथिन जे, “अहाँ सभ एहि भ्रष्ट पीढ़ी पर आबऽ वला दण्ड सँ बँचू!” 41 जे सभ हुनकर बात स्वीकार कयलक, से सभ बपतिस्मा लेलक। ओहि दिन करीब तीन हजार लोक विश्वासी सभक समूह मे सम्मिलित भऽ गेल। 42 ओ सभ मसीह-दूत सभक शिक्षा मे, सत्संग मे, “प्रभु-भोज” मे आ प्रार्थना मे तल्लीन रहऽ लागल। 43 मसीह-दूत सभक द्वारा बहुत चमत्कारपूर्ण काज आ चिन्ह सभ देखाओल जाइत छल जकरा देखि सभ लोक आश्चर्य आ भय सँ भरि जाइत छल। 44 सभ विश्वासी मिलि-जुलि कऽ रहैत छलाह, और सभ धन-सम्पत्ति केँ सझिआ बुझैत छलाह। 45 ओ सभ अपन घर-जमीन वा धन-सम्पत्ति बेचि कऽ जिनका जेहन आवश्यकता होइत छलनि, ताहि अनुसार अपना मे बाँटि लैत छलाह। 46 हरेक दिन ओ सभ मन्दिर मे जमा होइत छलाह, घर-घर मे “प्रभु-भोज” ग्रहण करैत छलाह, और खुशी आ विनम्र मोन सँ एक संग भोजन करैत छलाह। 47 ओ सभ परमेश्वरक स्तुति करैत रहलाह और सभ लोक हुनका सभ सँ प्रसन्न छलनि। प्रभु प्रति दिन आरो-आरो लोक सभ केँ जे सभ उद्धार पबैत छलाह तिनका सभ केँ विश्वासी सभक समूह मे सम्मिलित करैत जाइत छलाह।
1 एक दिन पत्रुस आ यूहन्ना दुपहरियाक तीन बजे प्रार्थनाक समय मे मन्दिर जा रहल छलाह। 2 ओही समय मे किछु लोक जन्म सँ लोथ एक आदमी केँ अनलक और मन्दिरक “सुन्दर” नामक द्वारि लग, जतऽ ओकरा सभ दिन बैसा देल जाइत छल ततऽ राखि देलकैक, जाहि सँ ओ मन्दिर मे जाय-आबऽ वला लोक सभ सँ भीख माँगि सकय। 3 ओ जखन पत्रुस आ यूहन्ना केँ भीतर जाइत देखलकनि तँ हुनका सभ सँ भीख मँगलक। 4 पत्रुस आ यूहन्ना एकटक लगा कऽ ओकरा देखलनि। पत्रुस कहलथिन, “हमरा सभ दिस ताकह!” 5 ओ लोथ आदमी हिनका सभ सँ किछु पयबाक आशा मे हिनका दिस तकलकनि। 6 पत्रुस कहलथिन, “हमरा संग मे सोना वा चानी नहि अछि, मुदा जे किछु अछि से तोरा दैत छिअह। नासरत-निवासी यीशु मसीहक नाम सँ चलह-फिरह!” 7 पत्रुस ओकर दहिना हाथ पकड़ि कऽ उठौलथिन, आ तखने ओकर पयर और घुट्ठी मे बल आबि गेलैक। 8 ओ फुर्ती सँ ठाढ़ भऽ गेल आ चलऽ-फिरऽ लागल। ओ दौड़ैत आ कुदि-कुदि कऽ चलैत और परमेश्वरक स्तुति करैत हुनका सभक संग मन्दिर मे प्रवेश कयलक। 9 लोक सभ ओकरा चलैत-फिरैत आ परमेश्वरक स्तुति करैत देखलक 10 आ जखन चिन्हलकैक जे, ई वैह अछि जे मन्दिरक “सुन्दर द्वारि” लग बैसि कऽ भीख मँगैत छल तँ आश्चर्यित भऽ अवाक रहि गेल जे, एकरा ई कोना भऽ गेलैक? 11 ओ नीक कयल आदमी पत्रुस और यूहन्ना केँ पकड़नहि छल तखने सभ लोक आश्चर्य सँ भरल हुनका सभ लग “सुलेमानक असोरा” नामक जगह पर दौड़ि कऽ आयल। 12 ई देखि पत्रुस ओकरा सभ केँ कहलथिन, “यौ इस्राएली भाइ लोकनि, एहि बात सँ अहाँ सभ आश्चर्यित किएक छी? अहाँ सभ हमरा सभ दिस एना किएक तकैत छी जेना हम सभ अपनहि शक्ति वा भक्ति सँ एकरा चलबाक सामर्थ्य देने होइऐक? 13 अब्राहम, इसहाक और याकूबक परमेश्वर, अपना सभक पुरखा सभक परमेश्वर अपन सेवक यीशु केँ महिमा प्रदान कयलथिन। अहाँ सभ हुनका पकड़ि कऽ मृत्युदण्डक लेल पिलातुसक हाथ मे सौंपि देलहुँ और ओ जखन हुनका छोड़बाक निश्चय कयलनि तँ अहाँ सभ पिलातुसक समक्ष हुनका अस्वीकार कयलहुँ। 14 अस्वीकार कयलहुँ तिनका जे पवित्र और धार्मिक छलाह, और अपना लेल छोड़बाक माँग कयलहुँ तकरा जे खूनी आदमी छल। 15 एहि तरहेँ अहाँ सभ जीवनक स्रोत केँ मारि देलहुँ मुदा परमेश्वर हुनका जिआ देलथिन। हम सभ एहि बातक गवाह छी। 16 यीशुएक शक्ति सँ आ हुनका नाम पर विश्वास कयला सँ ई आदमी, जकरा अहाँ सभ देखि रहल छी आ चिन्हितो छी, से स्वस्थ कयल गेल अछि। हँ, ओही नाम पर विश्वास कयलाक कारणेँ ई लोथ आदमी एखन अहाँ सभक समक्ष पूर्ण स्वस्थ अछि। 17 “प्रिय भाइ लोकनि, हम जनैत छी जे अहाँ सभ और अहाँ सभक धर्मगुरु लोकनि सेहो बिनु किछु जननहि-बुझनहि ई काज कयलहुँ। 18 मुदा एहि तरहेँ परमेश्वर अपन ओहि बात केँ पूरा कयलनि जे ओ अपन सभ प्रवक्ता लोकनिक माध्यम सँ कहने छलाह जे, हमर उद्धारकर्ता-मसीह केँ दुःख उठाबऽ पड़तनि। 19 तेँ आब अहाँ सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू और परमेश्वर लग आउ, जाहि सँ अहाँ सभक पाप मेटित होअय और प्रभु अहाँ सभ केँ आत्मिक उत्साहक समय प्रदान करथि, 20 और जाहि सँ अहाँ सभ लग परमेश्वर अपन मसीह केँ पठबथि जिनका ओ पहिनहि सँ नियुक्त कयने छथिन, अर्थात् यीशु केँ। 21 ई आवश्यक अछि जे ओ ताबत धरि स्वर्ग मे रहथि जाबत धरि सभ बातक सुधार करबाक ओ समय नहि आओत जाहि समयक सम्बन्ध मे परमेश्वर प्राचीन काल मे अपन चुनल प्रवक्ता लोकनि द्वारा वचन देने छथि। 22 मूसा कहने छलाह जे, ‘तोरा सभक प्रभु-परमेश्वर तोरा सभक लेल हमरा जकाँ एक प्रवक्ता तोरा सभक अपन लोक मे सँ नियुक्त करथुन। ओ तोरा सभ केँ जे किछु कहथुन से तोँ सभ मानिहह। 23 जे केओ हुनकर बात नहि मानत से अपना लोक मे सँ नष्ट कयल जायत।’ 24 एहि तरहेँ शमूएल सँ लऽ कऽ हुनका बाद मे एखन तक आबऽ वला परमेश्वरक सभ प्रवक्ता लोकनि एहि वर्तमान समयक भविष्यवाणी कयने छथि। 25 ओ सभ जाहि बातक भविष्यवाणी कयलनि, से अहाँ सभक बीच पूरा भेल, और परमेश्वर वचन दऽ कऽ अहाँ सभक पूर्वज सभक संग जे विशेष सम्बन्ध स्थापित कयलनि, ताहि मे अहूँ सभ सहभागी छी। ओ अब्राहम केँ कहलथिन, ‘तोरा वंश द्वारा पृथ्वीक सभ जाति आशिष पाओत।’ 26 परमेश्वर अपन सेवक यीशु केँ नियुक्त कऽ कऽ सभ सँ पहिने अहीं सभ लग पठौलनि जाहि सँ ओ अहाँ सभ केँ अधलाह मार्ग सँ घुमा कऽ आशिष देथि।”
1 पत्रुस और यूहन्ना जखन ई बात सभ बाजिए रहल छलाह तखन किछु पुरोहित, मन्दिरक सिपाहीक कप्तान और सदुकी पंथक लोक सभ हुनका सभ लग अयलाह। 2 ओ सभ एहि बात सँ खिसिआयल छलाह जे मसीह-दूत सभ लोक सभ केँ उपदेश दैत छलाह आ यीशुक मरनाइ और जीबि उठनाइ द्वारा एहि बातक प्रमाण दैत छलाह जे सभ लोक मृत्यु मे सँ निश्चित जिआओल जायत। 3 एहि पर ओ सभ हिनका सभ केँ पकड़ि कऽ जहल मे राखि देलनि जे प्रात भेने निर्णय करब, कारण तखन साँझ पड़ि गेल छल। 4 मुदा जे लोक सभ हुनका सभक प्रवचन सुनैत छल ताहि मे सँ बहुतो लोक प्रभु यीशु पर विश्वास कयलक आ एहि तरहेँ विश्वास करऽ वला मात्र पुरुषक संख्या पाँच हजार भऽ गेल। 5 प्रात भेने यहूदी अधिकारी, बूढ़-प्रतिष्ठित आ धर्मशिक्षक सभ यरूशलेम मे जमा भेलाह। 6 ओहिठाम महापुरोहित हन्ना छलाह, आ काइफा, यूहन्ना, सिकन्दर और महापुरोहितक परिवारक अन्य सदस्य सभ सेहो उपस्थित छलाह। 7 ओ सभ पत्रुस और यूहन्ना केँ जहल सँ मँगबा कऽ पूछ-ताछ करऽ लगलाह जे “तोँ सभ कोन शक्ति सँ आ किनका नाम सँ ई काज कयलह?” 8 एहि पर पत्रुस पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ बजलाह, “जनताक आदरणीय पंच और बूढ़-प्रतिष्ठित लोक सभ, 9 एक लोथ आदमीक संग दयापूर्ण व्यवहार करबाक कारणेँ आइ जँ हमरा सभ सँ पूछ-ताछ कयल जा रहल अछि आ ई पुछल जाइत अछि जे ई आदमी कोना नीक भेल 10 तँ अपने लोकनि आ सम्पूर्ण इस्राएली जनता ई जानि लिअ जे ई आदमी, जे अहाँ सभक सामने ठाढ़ अछि से नासरत-निवासी यीशु मसीहक नाम सँ स्वस्थ भेल अछि—वैह यीशु जिनका अहाँ सभ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलियनि आ परमेश्वर जिनका फेर जिआ देलथिन। 11 ओ ‘वैह पाथर छथि जिनका अहाँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि फेकि देलहुँ, 2 मुदा ओ मकानक मुख्य पाथर बनि गेलाह।’ 12 कोनो दोसर व्यक्ति द्वारा उद्धार नहि अछि, कारण स्वर्गक नीचाँ मनुष्य केँ कोनो दोसर नाम नहि देल गेल अछि जाहि द्वारा अपना सभक उद्धार भऽ सकय।” 13 ओ सभ जखन पत्रुस आ यूहन्ना केँ निडर भऽ कऽ बजैत देखलनि आ ई बुझि जे ई सभ कम पढ़ल-लिखल साधारण लोक अछि, तँ हुनका सभ केँ बहुत आश्चर्य भेलनि आ ओ सभ बुझि गेलाह जे यीशुक संग रहलाक कारणेँ ई सभ एतेक अधिकारपूर्बक बाजि रहल अछि। 14 मुदा हुनका सभक संग ओहि स्वस्थ कयल गेल आदमी केँ ठाढ़ देखि ओ सभ हुनका सभक विरोध मे किछु कहि नहि सकलाह। 15 ओ सभ अपना मे विचार-विमर्श करबाक लेल हुनका सभ केँ महासभा सँ बाहर करबा देलथिन। तखन ओ सभ आपस मे बात करऽ लगलाह जे, 16 “अपना सभ एकरा सभक संग की करी? ई सभ तँ एक चमत्कारपूर्ण काज कयलक, जकरा बारे मे सम्पूर्ण यरूशलेम जनैत अछि आ अपनो सभ अस्वीकार नहि कऽ सकैत छी। 17 मुदा जाहि सँ ई बात जनता मे आरो नहि पसरि जाय, एकरा सभ केँ डेरा-धमका कऽ कहिऐक जे, तोँ सभ आब एहि नाम सँ ककरो संग कोनो चर्चा नहि करिहह।” 18 तकरबाद ओ सभ हुनका सभ केँ बजा कऽ आज्ञा देलथिन, “तोँ सभ यीशुक नाम लऽ कऽ चर्चा करब आ लोक केँ उपदेश देब बन्द करह!” 19 मुदा एहि पर पत्रुस आ यूहन्ना उत्तर देलथिन, “की परमेश्वरक दृष्टि मे ई उचित होयत जे हम सभ परमेश्वरक बात सँ बढ़ि कऽ अहाँ सभक बात मानी, एकर निर्णय अहीं सभ करू। 20 ई तँ हमरा सभ सँ नहि भऽ सकैत अछि जे, जे बात हम सभ देखने आ सुनने छी से दोसर केँ नहि कहिऐक।” 21 अन्त मे ओ सभ हुनका सभ केँ आरो डेरा-धमका कऽ छोड़ि देलथिन। हुनका सभ केँ दण्ड देबाक कोनो उपाय नहि भेटलनि, कारण सभ लोक ओहि चमत्कारक कारणेँ परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करैत छल 22 किएक तँ जे आदमी ओहि चमत्कार द्वारा स्वस्थ कयल गेल छल तकर अवस्था चालिस वर्ष सँ उपर छलैक। 23 ओतऽ सँ छुटलाक बाद पत्रुस आ यूहन्ना अपना संगी सभ लग आबि कऽ मुख्यपुरोहित आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनिक कहल बात कहि सुनौलथिन। 24 सभ बात सुनि ओ सभ एक संग मिलि ऊँच स्वर मे परमेश्वर सँ एहि तरहेँ प्रार्थना करऽ लगलाह, “हे परम प्रभु, अहीं आकाश, पृथ्वी और समुद्र आ ओहि सभ मे जे किछु अछि, तकर सभक सृष्टिकर्ता छी। 25 अहाँ अपना पवित्र आत्मा द्वारा अपन सेवक, हमरा सभक पूर्वज दाऊदक मुँह सँ ई कहने छी, ‘संसारक जाति-जातिक लोक सभ किएक हुल्लड़ि मचबैत अछि? राष्ट्र सभ किएक व्यर्थ षड्यन्त्र रचैत अछि? 26 प्रभु और हुनकर मसीहक विरोध मे 2 पृथ्वी परक राजा सभ ठाढ़ भऽ गेल 2 और शासक सभ एक ठाम जमा भऽ गेल।’ 27 सत्ये मे अहाँक पवित्र सेवक यीशु केँ, जिनका अहाँ उद्धारकर्ता-मसीह नियुक्त कयलहुँ तिनका विरोध मे राजा हेरोद और पुन्तियुस पिलातुस गैर-यहूदी और इस्राएली लोकक संग एही शहर मे षड्यन्त्र रचबाक लेल जमा भेल। 28 मुदा ओ सभ मात्र वैह कयलक जे अहाँ पहिनहि सँ अपन सामर्थ्य आ इच्छा सँ निश्चित कयने छलहुँ। 29 हे प्रभु, आब ओकरा सभक धमकी केँ देखू आ अपन सेवक सभ केँ ई वरदान दिअ जे अहाँक शुभ समाचार निर्भय भऽ कऽ सुनबैत रही। 30 संगहि अपन हाथ बढ़ा कऽ पीड़ित लोक सभ केँ स्वस्थ करू आ अपन पवित्र सेवक यीशुक नाम सँ चमत्कारपूर्ण काज करबैत रहू।” 31 जखन ओ सभ प्रार्थना समाप्त कयलनि तखन ओ स्थान, जतऽ ओ सभ जमा भेल छलाह, से हिलि गेल और ओ सभ गोटे पवित्र आत्मा सँ भरि गेलाह आ निर्भयतापूर्बक परमेश्वरक वचन सुनाबऽ लगलाह। 32 विश्वासी सभक समूह एक मोन एक प्राण छल। आ केओ अपना सम्पत्ति केँ अपने नहि बुझैत छलाह, बल्कि सभक सझिआ मानैत छलाह। 33 मसीह-दूत सभ पूर्ण सामर्थ्यक संग प्रभु यीशुक जीबि उठनाइक सम्बन्ध मे अपन गवाही दैत छलाह। हुनका सभ गोटेक संग परमेश्वरक प्रशस्त आशिष छलनि। 34 किनको कोनो बातक कमी नहि छलनि, कारण जिनका घर वा जमीन छलनि से सभ ओकरा बेचि-बेचि कऽ 35 ओकर मूल्य मसीह-दूत सभक चरण मे राखि दैत छलाह। तखन ओ पाइ जिनका जतबा आवश्यकता रहैत छलनि ताहि अनुसार बाँटल जाइत छल। 36 जेना साइप्रस-निवासी लेवी-कुलक यूसुफ नामक एक आदमी छलाह जिनका मसीह-दूत सभ बरनबास, अर्थात् “उत्साहित कयनिहार,” नाम देने छलनि, 37 तिनका किछु जमीन छलनि, जकरा ओ बेचि कऽ ओकर मूल्य मसीह-दूत सभ केँ आनि कऽ देलथिन।
1 हननियाह नामक एक आदमी सेहो, अपना स्त्री सफीरा सँ विचार-विमर्श कऽ अपन जमीन बेचलक 2 और स्त्रीक सहमति सँ अपना लेल किछु पाइ राखि कऽ बाँकी पाइ आनि मसीह-दूत सभक चरण मे राखि देलक। 3 मुदा पत्रुस कहलथिन, “यौ हननियाह! ई केहन बात भेल जे शैतान अहाँक मोन तेना कऽ वश मे कऽ लेलक जे अहाँ परमेश्वरक पवित्र आत्मा सँ झूठ बजलहुँ आ जमीनक मोल सँ किछु अपना लेल राखि लेलहुँ? 4 की बेचऽ सँ पहिने ओ जमीन अहाँक नहि छल? आ बेचलाक बादो की अपना इच्छाक अनुसार ओहि पाइक खर्च करबाक अधिकार अहाँ केँ नहि छल? एहन बात अहाँ केँ फुरायल कोना? अहाँ मनुष्य सँ नहि, परमेश्वर सँ झूठ बजलहुँ।” 5 ई बात सुनितहि, हननियाह खसि पड़ल आ मरि गेल। ई बात जे केओ सुनलक, तकरा सभ मे बड़का डर सन्हिया गेलैक। 6 तखन किछु नवयुवक उठि कऽ ओकर लास कपड़ा मे लपेटि लेलक आ बाहर लऽ जा कऽ गाड़ि देलकैक। 7 करीब तीन घण्टाक बाद ओकर स्त्री ओतऽ आयल। ओकरा एहि घटनाक सम्बन्ध मे कोनो जानकारी नहि छलैक। 8 पत्रुस ओकरा सँ पुछलथिन, “कहू! अहाँ सभ अपन जमीन एतेक मे बेचलहुँ?” ओ उत्तर देलकनि, “हँ, एतेक मे।” 9 तखन पत्रुस कहलथिन, “अहाँ दूनू गोटे किएक प्रभुक आत्मा केँ जाँच करबाक लेल एकमत भऽ गेलहुँ? देखू! अहाँक घरवला केँ जे सभ गाड़ि आयल, से सभ द्वारिए पर अछि और अहूँ केँ लऽ जायत।” 10 ओ तुरत हुनका आगाँ मे खसि पड़ल आ मरि गेल। तखन ओ नवयुवक सभ फेर भीतर आयल, आ ओकरा मुइल देखि उठा कऽ लऽ गेलैक और ओकरा घरवलाक कात मे गाड़ि देलकैक। 11 एहि सँ पूरा मसीही मण्डली केँ, और जे सभ एहि घटना सभक बारे मे सुनलक, तकरा सभ केँ बड़का डर भऽ गेलैक। 12 मसीह-दूत सभक द्वारा लोकक बीच बहुत चमत्कारपूर्ण काज कयल जाइत छल। सभ विश्वासी सुलेमानक असोरा पर जमा होइत छलाह। 13 लोक सभ हुनका सभक प्रशंसा तँ करैत छल मुदा ककरो ई साहस नहि होइत छलैक जे हुनका सभ मे सम्मिलित भऽ जाइ। 14 तैयो बहुतो स्त्री आ पुरुष प्रभु पर विश्वास कऽ कऽ विश्वासी सभक समूह मे सम्मिलित भेल जाइत छल। 15 मसीह-दूत सभक चमत्कारपूर्ण काज देखि लोक सभ रोगी सभ केँ सड़क पर पटिया वा खाट पर राखि दैत छल, जाहि सँ पत्रुस केँ अयला पर हुनकर छाँहो ककरो-ककरो पर पड़ि जाय। 16 यरूशलेमक लग-पासक नगर सभ सँ सेहो हाँजक-हाँज लोक सभ रोगी आ दुष्टात्मा लागल आदमी सभ केँ हुनका सभ लग अनैत छल और सभ केओ स्वस्थ कयल जाइत छल। 17 एहि पर महापुरोहित आ हुनकर संग देबऽ वला सदुकी पंथक लोक सभ केँ डाह होमऽ लगलनि। 18 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ पकड़ि कऽ स्थानीय जहल मे राखि देलथिन। 19 मुदा ओही राति मे प्रभुक एकटा स्वर्गदूत जहलक द्वारि खोलि हुनका सभ केँ बाहर लऽ अनलथिन आ कहलथिन, 20 “जाह, मन्दिर मे जा कऽ एहि ‘नव जीवन’क विषय मे सभ बात लोक सभ केँ सुनाबह।” 21 ओ सभ भोर होइते मन्दिर मे जा कऽ स्वर्गदूतक कथनानुसार लोक सभक बीच उपदेश देबऽ लगलाह। एम्हर महापुरोहित आ हुनकर संगी सभ इस्राएलक सभ बूढ़-प्रतिष्ठित केँ बजा कऽ सम्पूर्ण धर्म-महासभाक लोक केँ जमा कयलनि आ जहल मे सँ मसीह-दूत सभ केँ अनबाक लेल ककरो पठौलनि। 22 मुदा सिपाही सभ जखन ओतऽ पहुँचल तँ मसीह-दूत सभ जहल मे नहि छलाह। ओ सभ घूमि कऽ आबि गेल आ ई खबरि महासभाक सदस्य सभ केँ देलकनि जे, 23 “हम सभ ओहि जहलक द्वारि मे सुरक्षित तरीका सँ ताला लागल देखलहुँ आ पहरेदार सभ सेहो चौकस भऽ द्वारि पर ठाढ़ छल मुदा ताला खोलि कऽ भीतर गेला पर देखलहुँ जे केओ नहि अछि।” 24 ई बात सुनला पर मन्दिरक सिपाहीक कप्तान आ मुख्यपुरोहित सभ सोच मे पड़ि गेलाह जे ई की भेल? 25 एतबे मे केओ आबि कऽ कहलकनि जे, “सुनैत छी, जकरा सभ केँ अपने लोकनि जहल मे बन्द कयने छलहुँ से सभ एखन मन्दिर मे ठाढ़ भऽ कऽ लोक सभ केँ शिक्षा दऽ रहल अछि।” 26 तखन मन्दिरक सिपाहीक कप्तान किछु सिपाही सभ केँ लऽ कऽ मन्दिर मे गेलाह आ हुनका सभ केँ लऽ अयलथिन, मुदा जबरदस्ती नहि, कारण हुनका सभ केँ डर छलनि जे लोक सभ कतौ पथरबाहि कऽ कऽ हमरा सभ केँ मारि नहि देअय। 27 ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ आनि कऽ महासभा मे ठाढ़ कऽ देलथिन। तकरबाद महापुरोहित हुनका सभ सँ पुछलथिन, 28 “की हम सभ तोरा सभ केँ ई आज्ञा नहि देने छलिऔक जे तोँ सभ एहि नाम सँ शिक्षा देनाइ बन्द करै, लेकिन तोँ सभ सम्पूर्ण यरूशलेम केँ अपन शिक्षा सँ भरि देलेँ और ओहि आदमीक खूनक दोषी हमरा सभ केँ बनाबऽ चाहैत छेँ।” 29 एहि पर पत्रुस और आन मसीह-दूत सभ उत्तर देलथिन, “हमरा सभ केँ मनुष्यक आज्ञा सँ बढ़ि कऽ परमेश्वरेक आज्ञा केँ मानबाक अछि। 30 जाहि यीशु केँ अहाँ सभ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलियनि, तिनका अपना सभक पूर्वजक परमेश्वर जिआ देलथिन। 31 हुनका परमेश्वर प्रभु आ उद्धारकर्ताक ऊँच पद दऽ कऽ अपन दहिना कात बैसौलथिन, जाहि सँ ओ इस्राएलक लोक केँ पश्चात्ताप आ हृदय-परिवर्तन करबाक वरदान देथि आ पापक क्षमा प्रदान करथि। 32 एहि बात सभक गवाह हम सभ छी और पवित्र आत्मा सेहो छथि, जे आत्मा परमेश्वर अपन आज्ञाक पालन कयनिहार सभ केँ देने छथिन।” 33 ई सुनि कऽ महासभाक सदस्य सभ तिलमिला उठलाह आ हुनका सभ केँ जान सँ मारि देबऽ चाहलनि। 34 मुदा फरिसी पंथक गमालिएल नामक एक आदमी जे धर्म-नियमक आचार्य छलाह आ सभक नजरि मे प्रतिष्ठित लोक छलाह से सभा मे ठाढ़ भऽ आज्ञा देलथिन जे, एकरा सभ केँ किछु कालक लेल बाहर कऽ दिऔक। 35 तकरबाद ओ महासभाक सदस्य सभ केँ कहऽ लगलाह, “इस्राएली भाइ लोकनि, एहि लोकक संग जे किछु अहाँ सभ करऽ वला छी से सोचि-विचारि कऽ करू। 36 कारण, किछु समय पहिने थियूदास नामक आदमी अपने प्रशंसा मे बहुत तरहक बात कहैत छल आ करीब चारि सय लोक ओकर बात सुनि कऽ ओकरा पाछाँ-पाछाँ चलऽ लागल मुदा ओकरा मारल गेलाक बाद ओकर चेला सभ जहाँ-तहाँ छिड़िया गेल और ओकर सभ बात समाप्त भऽ गेलैक। 37 तकरबाद जनगणनाक समय मे गलील वासी यहूदा बहुत लोक केँ चढ़ा-बढ़ा कऽ एक क्रान्ति शुरू कयलक, मुदा ओहो मारल गेल आ ओकरो पाछाँ चलऽ वला लोक सभ छिड़िया गेल। 38 तेँ एकरा सभक सम्बन्ध मे हमर कथन यैह अछि जे, एकरा सभ केँ किछु नहि कयल जाय, बल्कि छोड़ि देल जाय। जँ एकर सभक ई विचार आ काज मनुष्यक प्रेरणा सँ भऽ रहल अछि तँ अपने सँ समाप्त भऽ जायत। 39 मुदा जँ परमेश्वरक प्रेरणा सँ अछि तँ अहाँ सभ एकरा सभ केँ नहि रोकि सकब, बल्कि एना कयला पर अहीं सभ अपने परमेश्वर सँ लड़निहार बनि जायब।” 40 महासभाक सदस्य लोकनि गमालिएलक सल्लाह स्वीकार कऽ लेलनि। ओ सभ मसीह-दूत सभ केँ भीतर बजबा कऽ बेंत सँ पिटबौलथिन आ ई आज्ञा दऽ कऽ छोड़ि देलथिन जे यीशुक नाम लऽ कऽ किछु नहि बाज। 41 मसीह-दूत सभ एहि बातक लेल आनन्द मनबैत महासभा सँ बहरयलाह जे परमेश्वर हमरा सभ केँ एहि जोगरक बुझलनि जे हम सभ यीशुक नामक कारणेँ अपमानित होइ। 42 ओ सभ प्रत्येक दिन मन्दिर मे आ लोक सभक घर-घर मे जा कऽ शिक्षा दैते रहलाह और एहि शुभ समाचारक प्रचार करिते रहलाह जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह छथि।
1 ओहि समय मे जखन शिष्यक संख्या बढ़ि रहल छल तँ यूनानी भाषी यहूदी सभ इब्रानी भाषी यहूदी सभ पर कुड़बुड़ाय लागल जे सभ दिन जखन भोजन वला वस्तु सभ बाँटल जाइत अछि तँ यूनानी विधवा सभ पर ठीक सँ ध्यान नहि देल जाइत अछि। 2 तखन सभ शिष्य केँ बारहो मसीह-दूत सभ बजा कऽ कहलथिन, “ई उचित नहि होयत जे हम सभ परमेश्वरक वचनक शिक्षा देनाइ छोड़ि कऽ खुअयबा-पिअयबा मे लागि जाइ। 3 तेँ यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ अपना मे सँ सात गोटे केँ चुनि कऽ दिअ जे पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण और सच्चरित्र आ नीक बुद्धिक होथि। हम सभ हुनका सभ केँ एहि काजक भार दऽ देबनि 4 आ अपने हम सभ प्रार्थना और परमेश्वरक वचनक शिक्षाक काज मे लागल रहब।” 5 एहि विचार सँ सभ केओ प्रसन्न भेल आ ओ सभ स्तिफनुस जे पवित्र आत्मा आ विश्वास सँ परिपूर्ण छलाह, और फिलिपुस, प्रुखुरुस, निकानोर, तीमोन, परमिनास और अन्ताकिया निवासी निकुलाउस जे यहूदी धर्म स्वीकार कयने छलाह तिनका सभ केँ चुनलकनि। 6 तकरबाद ओ सभ हुनका सातो गोटे केँ मसीह-दूत सभक सामने आनि देलकनि। ई सभ प्रार्थना कयलनि आ हुनका सभ पर हाथ राखि ओहि काजक लेल नियुक्त कयलनि। 7 एहि तरहेँ परमेश्वरक वचन पसरैत गेल। यरूशलेम मे शिष्यक संख्या बहुत बढ़ि गेल और बहुत यहूदी पुरोहित सभ सेहो वचन स्वीकार कऽ आज्ञाकारी बनि प्रभु पर विश्वास कयलनि। 8 स्तिफनुस परमेश्वरक कृपा आ सामर्थ्य सँ परिपूर्ण भऽ लोकक बीच बड़का-बड़का अद्भुत काज आ चमत्कारपूर्ण चिन्ह सभ देखबैत छलाह। 9 मुदा किछु यहूदी सभ हिनकर विरोध करऽ लागल। ओ सभ “मुक्त लोकक सभाघर” नामक समूहक सदस्य सभ, कुरेन और सिकन्दरिया नगर आ किलिकिया और आसिया प्रदेशक निवासी सभ छल। ओ सभ स्तिफनुस सँ वाद-विवाद करऽ लागल 10 मुदा पवित्र आत्मा हिनका बाजऽ काल मे ततेक नीक बुद्धि देलथिन जे ओ सभ हिनका सामने मे नहि टिकि सकल। 11 तखन ओ सभ किछु लोक केँ गुप्त रूप सँ चढ़ा-बढ़ा कऽ सिखौलक जे अहाँ सभ कहू जे हम सभ एकरा मूसा आ परमेश्वरक निन्दा करैत सुनलहुँ। 12 एहि तरहेँ ओ सभ जनता, बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि आ धर्मशिक्षक सभ केँ बहका देलक और ओ सभ मिलि कऽ स्तिफनुस केँ पकड़ि लेलकनि आ धर्म-महासभाक सामने अनलकनि। 13 ओ सभ झुट्ठा गवाह सभ पेश कऽ कऽ कहबौलक जे, “ई आदमी सदिखन अपना सभक पवित्र मन्दिर आ धर्म-नियमक विरोध मे बजैत अछि 14 कारण हम सभ एकरा एहि तरहेँ कहैत सुनलहुँ जे, ‘ई नासरतक यीशु एहि मन्दिर केँ ढाहि देताह और मूसा द्वारा देल गेल प्रथा सभ केँ बदलि देताह।’” 15 महासभा मे बैसल लोक सभ जखन स्तिफनुसक दिस तकलनि तँ देखलनि जे हुनकर मुँह स्वर्गदूतक मुँह जकाँ देखाइ दऽ रहल अछि।
1 तखन महापुरोहित स्तिफनुस सँ पुछलथिन, “की ई बात सभ सत्य अछि?” 2 एहि पर स्तिफनुस उत्तर देलथिन, “बाबू-भैया लोकनि, हमर बात सुनू! अपना सभक पूर्वज अब्राहम हारान नगर मे वास करऽ सँ पहिने जखन मेसोपोतामिया क्षेत्र मे रहैत छलाह तखन हुनका महिमामय परमेश्वर दर्शन देलथिन। 3 ओ कहलथिन, ‘तोँ अपन देश सँ निकलि जाह, अपन कुटुम्ब-परिवार केँ छोड़ि दैह और ओहि देश मे जाह जे हम तोरा देखयबह।’ 4 तेँ ओ कसदी जातिक लोकक देश छोड़ि कऽ हारान मे आबि कऽ बसलाह। हुनकर पिताक मृत्युक बाद परमेश्वर हुनका हारान नगर सँ एहि देश मे पठौलथिन जतऽ एखन अहाँ सभ रहि रहल छी। 5 एतऽ परमेश्वर उत्तराधिकारक रूप मे हुनका एतबो जमीन अपन कहाबऽ वला नहि देलथिन जतबा पर ओ पयर टेकि सकितथि, मुदा तैयो परमेश्वर हुनका ई वचन देलथिन जे, ‘हम ई देश तोरा आ तोरा बाद तोहर वंशक अधिकार मे कऽ देबह,’ जखन कि ओहि समय मे हुनका कोनो सन्तानो नहि छलनि। 6 परमेश्वर हुनका ई बात कहलथिन, ‘तोहर वंशक लोक सभ आन देश मे प्रवासी भऽ जयतह आ ओतऽ ओ सभ चारि सय वर्ष धरि गुलाम बनि कष्ट सहैत रहतह।’ 7 परमेश्वर फेर कहलथिन, ‘जाहि राष्ट्रक लोक ओकरा सभ केँ गुलाम बनाओत तकरा हम दण्ड देबैक। तकरबाद ओ सभ ओहि देश सँ निकलि आओत और एही देश मे आबि कऽ हमर आराधना करत।’ 8 तखन परमेश्वर अब्राहमक संग जे विशेष सम्बन्ध स्थापित कयने छलाह, तकर चिन्ह स्वरूप हुनका सँ खतनाक विधि शुरू करबौलनि। तेँ जखन हुनकर पुत्र इसहाकक जन्म भेलनि तँ तकर आठम दिन मे ओ हुनकर खतना करौलनि। बाद मे इसहाकक पुत्र याकूबक जन्म भेलनि और याकूब सँ अपना सभक बारह कुल-पिता जन्म लेलनि। 9 “यैह कुल-पिता लोकनि अपन भाय यूसुफ सँ डाह रखैत हुनका बेचि देलनि और ओ मिस्र देश मे लऽ जायल गेलाह। मुदा परमेश्वर हुनका संग छलथिन। 10 सभ कष्ट और विपत्ति मे ओ हुनका बचौलथिन, और हुनका नीक बुद्धि देलथिन जाहि सँ मिस्रक राजा फरओ हुनका सँ प्रसन्न भेलनि और हुनका मिस्र देशक प्रधानमन्त्री आ अपन सम्पूर्ण राजभवनक मुख्य अधिकारी बनौलथिन। 11 “जखन सम्पूर्ण मिस्र देश आ कनान देश मे भारी रौदी पड़ल तँ अपना सभक पूर्वज लोकनि केँ बड़का कष्ट सहऽ पड़लनि कारण हुनका सभ लग भोजनक लेल कोनो अन्न नहि छलनि। 12 ओहि समय मे याकूब सुनलनि जे मिस्र देश मे अन्न भेटि रहल अछि, तँ ओ अपना सभक कुल-पिता सभ केँ पहिल बेर मिस्र देश सँ अन्न किनबाक लेल पठौलथिन। 13 ओ सभ फेर जखन दोसर बेर अन्न किनबाक लेल ओतऽ गेलाह तँ यूसुफ हुनका सभ केँ अपन परिचय दऽ कऽ ई बात प्रगट कयलनि जे हम अहाँ सभक भाय यूसुफ छी। तखन फरओ केँ सेहो यूसुफक परिवारक बारे मे जानकारी भेलनि। 14 एकर बाद यूसुफ अपन पिता याकूब आ हुनकर सम्पूर्ण परिवार, अर्थात् पचहत्तरियो लोक केँ बजबा लेलथिन। 15 याकूब मिस्र देश गेलाह। ओ और अपना सभक कुल-पिता लोकनि ओतहि मुइलाह। 16 हुनका सभक लास ओतऽ सँ आनि कऽ एहि देशक शकेम नामक स्थान मे ओहि कबर मे राखल गेलनि जे अब्राहम हमोरक पुत्र सभ सँ पाइ दऽ कऽ किनने छलाह। 17 “जँ जँ ओहि वचन केँ पूर्ण होयबाक समय लगचिआइत गेल जे परमेश्वर अब्राहम केँ देने छलाह तँ तँ मिस्र मे अपना सभक पूर्वजक संख्या बढ़ैत गेल। 18 ओहि समय मे मिस्र मे एक नव राजा भेलाह जे यूसुफक सम्बन्ध मे नहि किछु जनैत छलाह। 19 ओ राजा अपना सभक जाति केँ धोखा दऽ कऽ अपना सभक पूर्वज लोकनि केँ अपन-अपन बच्चा सभ केँ फेकि देबाक लेल विवश कऽ देलथिन जाहि सँ ओ सभ मरि जाय। 20 “ओही समय मे मूसाक जन्म भेलनि। परमेश्वरक नजरि मे हुनकर विशेष स्थान छलनि। तीन मास धरि हुनकर पालन-पोषण अपन पिताक घर मे भेलनि। 21 मुदा आरो दिन नहि नुका सकबाक कारणेँ हुनका जखन बाहर धऽ देल गेलनि तँ फरओ-राजाक बेटी हुनका पौलक और अपन पुत्र मानि कऽ पोसलक। 22 एहि तरहेँ मूसा मिस्र देशक सम्पूर्ण शिक्षा प्राप्त कयलनि और ओ बात आ काज दूनू मे सामर्थी भेलाह। 23 “मूसा जखन चालिस वर्षक भेलाह तखन हुनका मोन भेलनि जे हम अपन जाति-भाय इस्राएली सभ सँ भेँट-घाँट करी। 24 एक दिन ओ देखलनि जे एक मिस्री लोक हुनकर जाति-भायक संग दुर्व्यवहार कऽ रहल अछि, तेँ ओ अपन भायक पक्ष लैत ओहि मिस्री लोकक खून कऽ कऽ तकर बदला लऽ लेलनि। 25 ओ सोचैत छलाह जे हमर जाति-भाय सभ ई बात बुझि जायत जे परमेश्वर हमरा द्वारा ओकरा सभ केँ मुक्त करौताह मुदा ओ सभ एहि बात केँ नहि बुझलक। 26 प्रात भेने जखन ओ फेर बहरयलाह तँ दू इस्राएली भाय केँ अपने मे लड़ाइ करैत देखलनि। ओ ओकरा सभ केँ मेल-मिलाप कऽ लेबाक लेल बुझौलथिन, ‘सुनू, अहाँ सभ भाय-भाय छी तखन एक-दोसर केँ किएक कष्ट दैत छी?’ 27 एहि बात पर ओ जे दोषी छल से मूसा केँ धकिया कऽ कहलकनि, ‘अहाँ केँ के हमरा सभक हाकिम और न्यायाधीश बनौलक? 28 की जहिना अहाँ काल्हि ओहि मिस्री लोकक खून कयलहुँ तहिना हमरो खून कऽ देबऽ चाहैत छी?’ 29 मूसा ई बात सुनि मिस्र देश सँ भागि कऽ मिद्यान देश मे परदेशी भऽ कऽ रहऽ लगलाह और ओतहि हुनकर दूटा बेटाक जन्म भेलनि। 30 “चालिस वर्षक बाद सीनय पहाड़ लग निर्जन क्षेत्र मे जरैत झाड़ीक धधरा मे एक स्वर्गदूत मूसा केँ देखाइ देलनि। 31 ई देखि हुनका बड्ड आश्चर्य लगलनि। एहि दृश्य केँ लग सँ देखबाक लेल जखन गेलाह तँ प्रभु हुनका कहलथिन, 32 ‘हम तोहर पूर्वजक परमेश्वर, अर्थात् अब्राहम, इसहाक और याकूबक परमेश्वर छी।’ मूसा थर-थर काँपऽ लगलाह और हुनका ओम्हर देखैत रहबाक साहस नहि भेलनि। 33 तखन प्रभु कहलथिन, ‘तोँ अपन चप्पल बाहर कऽ लैह, कारण जतऽ तोँ ठाढ़ छह से पवित्र स्थान अछि। 34 हम देखलहुँ जे मिस्र मे हमरा लोक केँ कोना सताओल जा रहल अछि, हम ओकरा सभक कुहरनाइ सुनलहुँ आ ओकरा सभ केँ मुक्त करयबाक लेल उतरि आयल छी। आब आबह! हम तोरा मिस्र देश मे पठा रहल छिअह।’ 35 “ई वैह मूसा छथि जिनका ओ सभ ई कहि कऽ अस्वीकार कयने छलनि जे, अहाँ केँ के हाकिम आ न्यायाधीश बनौलक? हुनका परमेश्वर ओहि स्वर्गदूत द्वारा जे हुनका झाड़ी मे देखाइ देने छलनि हाकिम और मुक्त करौनिहार बना कऽ पठौलथिन। 36 वैह आदमी मिस्र मे, लाल सागर मे आ चालिस वर्ष धरि निर्जन क्षेत्र मे चमत्कारपूर्ण काज आ चिन्ह सभ देखबैत अपन इस्राएली लोक केँ मिस्र सँ बाहर निकालि अनलनि। 37 ई वैह मूसा छथि जे ओकरा सभ केँ कहलथिन, ‘परमेश्वर तोरे सभ मे सँ हमरा सनक प्रवक्ता तोरा सभक लेल पठौथुन।’ 38 हँ, ई वैह छथि जे निर्जन क्षेत्र मे अपना सभक पूर्वजक समुदाय मे छलाह आ जिनका सँ सीनय पहाड़ पर स्वर्गदूत बात कयलनि। हुनके जीवनक वचन देल गेलनि जे ओ अपना सभ केँ प्रदान करथि। 39 “मुदा अपना सभक पूर्वज सभ हुनकर बात नहि मानलनि, बल्कि हुनका अस्वीकार कयलथिन आ फेर मिस्र देश घूमि जयबाक इच्छा करैत छलाह। 40 ओ सभ हारून केँ कहलथिन, ‘अहाँ हमरा सभक लेल एहन देवता बना दिअ जे हमरा सभक मार्गदर्शन करथि, कारण ई मूसा जे हमरा सभ केँ मिस्र देश सँ निकालि कऽ अनलनि तिनका नहि जानि की भऽ गेलनि!’ 41 ओही समय मे ओ सभ एक बच्छाक मुरुत बना कऽ ओकरा लग बलि-प्रदान कयलनि। ओ सभ अपन हाथक बनाओल मुरुतक लेल एक पैघ उत्सव मनौलनि। 42 एहि पर परमेश्वर हुनका सभ केँ त्यागि देलथिन और आकाशक सूर्य, चन्द्रमा आ तारा सभक पूजा करबाक लेल छोड़ि देलथिन। एही सम्बन्ध मे परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख मे लिखल अछि, ‘हे इस्राएली लोक सभ, 2 की तोँ सभ निर्जन क्षेत्र मे चालिस वर्ष धरि 2 पशु-बलि आ अन्य चढ़ौना सभ हमरे चढ़ौलह? 43 नहि, तोँ सभ मोलोक देवताक मण्डप केँ 2 और रिफान देवताक तारा सभ केँ 2 अर्थात् मुरुत सभ केँ 2 जकरा तोँ सभ पूजा करबाक लेल बनौने छलह 2 तकरा सभ केँ अपना संग लऽ कऽ घुमैत छलह। तेँ आब हम तोरा सभ केँ बेबिलोनो सँ दूर देश मे भगा देबह।’ 44 “निर्जन क्षेत्र मे अपना सभक पूर्वज सभ लग ‘साक्षीक मण्डप’ छलनि। ओ मण्डप ओही नमूनाक अनुसार बनाओल गेल छल जे परमेश्वर मूसा केँ देखौने छलथिन आ ठीक ओहिना बनयबाक आज्ञा देने छलथिन। 45 ओ मण्डप ओहि पुस्त सँ दोसर पुस्त मे आयल, और परमेश्वर जखन एहि देश मे सँ दोसर जाति सभ केँ भगा देलनि आ अपना सभक पूर्वज सभ एहि देश केँ जितलनि तँ ओ सभ यहोशूक संग ओहि मण्डप केँ सेहो एतऽ अनलनि। और ओ मण्डप राजा दाऊदक समय धरि एहि देश मे रहल। 46 राजा दाऊद सँ परमेश्वर विशेष प्रसन्न छलाह। ओ परमेश्वर सँ प्रार्थना कयलनि, ‘हे हमर पूर्वज याकूबक परमेश्वर, हम अहाँक निवासक लेल एक घरक निर्माण करी तकर आज्ञा हमरा दिअ।’ 47 मुदा परमेश्वरक ओहि घरक निर्माण करऽ वला हुनकर बेटा सुलेमान भेलाह। 48 “परन्तु परम परमेश्वर मनुष्य द्वारा बनाओल घर सभ मे नहि रहैत छथि, जेना हुनकर एक प्रवक्ताक लेख मे अछि, 49 ‘स्वर्ग हमर सिंहासन अछि, 2 और पृथ्वी हमर पयरक चौकी। प्रभु कहैत छथि, तोँ हमरा लेल केहन घर बनयबह? 2 हमर रहबाक स्थान कतऽ होयत? 50 की ई सभ हमरे बनाओल नहि अछि?’ 51 “हे जिद्दी आ अशुद्ध मोनक, कानक बहीर लोक सभ! अहाँ सभ एकदम अपन पूर्वज सभ जकाँ छी, सदिखन पवित्र आत्माक विरोध करैत रहैत छी! 52 परमेश्वरक एहन एकोटा प्रवक्ता भेलाह, जिनका अहाँ सभक पूर्वज सभ नहि सतौलकनि? परमेश्वरक धार्मिक सेवकक आगमनक सम्बन्ध मे भविष्यवाणी कयनिहार सभक ओ सभ खून तक कऽ देलकनि। और आब अहाँ सभ ओहि धार्मिक सेवक केँ पकड़बा कऽ हुनकर हत्या कयलहुँ। 53 अहाँ सभ ओ लोक छी जकरा स्वर्गदूतक माध्यम सँ परमेश्वरक धर्म-नियम देल गेल मुदा अहीं सभ ओकरा नहि मानने छी।” 54 ई बात सुनितहि ओ सभ तामसे-पित्ते हुनका पर दाँत पिसऽ लागल। 55 मुदा स्तिफनुस पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ स्वर्ग दिस ताकऽ लगलाह और ओ ओतऽ परमेश्वरक तेज प्रकाश चमकैत आ परमेश्वरक दहिना कात यीशु केँ ठाढ़ देखलनि। 56 ओ बाजि उठलाह, “हम स्वर्ग केँ खुजल आ परमेश्वरक दहिना कात मनुष्य-पुत्र यीशु केँ ठाढ़ देखि रहल छियनि।” 57 एहि बात पर ओ सभ अपन कान मुनि लेलक और जोर सँ हल्ला करैत हुनका दिस दौड़ल 58 आ हुनका पकड़ि कऽ घिसिअबिते शहर सँ बाहर लऽ गेल और हुनका खून कऽ देबाक लेल पाथर मारऽ लगलनि। गवाह सभ अपन वस्त्र साउल नामक युवक लग रखने छल। 59 जखन ओ सभ स्तिफनुस केँ पाथर मारि रहल छलनि तखन ओ प्रार्थना कऽ रहल छलाह, “हे प्रभु यीशु, हमर आत्मा केँ ग्रहण करू।” 60 ओ ठेहुन रोपि फेर जोर सँ कहलनि, “हे प्रभु, एहि पापक हिसाब एकरा सभ सँ नहि लिऔक।” एतबा कहलाक बाद हुनकर प्राण छुटि गेलन्हि।
1 साउल स्तिफनुसक हत्या सँ सहमत छल। ओही दिन सँ यरूशलेमक विश्वासी मण्डली पर भयंकर अत्याचार शुरू भऽ गेल और मसीह-दूत सभ केँ छोड़ि आरो सभ विश्वासी यहूदिया आ सामरिया प्रदेश मे छिड़िया गेल। 2 परमेश्वरक भक्त सभ स्तिफनुसक लास लऽ जा कऽ कबर मे गाड़ि देलनि और हुनका लेल बहुत शोक मनौलनि। 3 एम्हर साउल विश्वासी मण्डली केँ नष्ट करबाक कोशिश कऽ रहल छल। ओ घर-घर मे हुलि कऽ स्त्रीगण और पुरुष सभ केँ पकड़ि जहल मे बन्द करबा दैत छल। 4 जे विश्वासी सभ छिड़िया गेल से सभ घूमि-घूमि कऽ प्रभुक वचनक प्रचार करैत छल। 5 फिलिपुस सामरिया प्रदेशक एक शहर मे आबि कऽ उद्धारकर्ता-मसीहक प्रचार करऽ लगलाह। 6 फिलिपुसक प्रचारक बात सुनि आ हुनका द्वारा कयल चमत्कार सभ देखि भीड़क सभ लोक एक चित्त भऽ कऽ हुनका कथन पर पूरा ध्यान देबऽ लागल। 7 बहुत लोक मे सँ दुष्टात्मा सभ चिचिया-चिचिया कऽ निकलि गेल और बहुत लकवा मारल आ नाङड़ आदमी सभ स्वस्थ भऽ गेल। 8 एहि सभ सँ ओहि शहरक लोक बहुत आनन्दित भेल। 9 ओहि शहर मे सिमोन नामक एक जादूगर बहुत दिन सँ अपन जादू देखा कऽ सामरियाक लोक सभ केँ आश्चर्यित कयने छल। ओ अपना केँ बड्ड पैघ लोक कहैत छल, 10 और ऊँच-नीच सभ तरहक लोक ओकर बात मानैत छल। ओ सभ कहैत छल जे “ई आदमी ईश्वरक ओहि शक्तिक अवतार छथि जे ‘महाशक्ति’ कहबैत छथि।” 11 लोक सभ एहि लेल ओकर बात मानैत छल जे ओ बहुत दिन सँ एकरा सभ केँ अपन जादू द्वारा प्रभावित कयने छल। 12 मुदा ओ सभ जखन फिलिपुसक प्रचार सुनि यीशु मसीह आ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार पर विश्वास कयलक तँ, पुरुष और स्त्रीगण, सभ केओ बपतिस्मा लेबऽ लागल। 13 सिमोन सेहो विश्वास कयलक आ बपतिस्मा लेलक। ओ फिलिपुसक संगे-संग सभतरि घुमैत छल आ हुनकर अद्भुत चिन्ह और चमत्कारपूर्ण काज सभ देखि चकित रहि जाइत छल। 14 यरूशलेम मे जखन मसीह-दूत सभ ई सुनलनि जे सामरिया प्रदेशक लोक सभ परमेश्वरक वचन स्वीकार कऽ लेने अछि तँ ओ सभ पत्रुस आ यूहन्ना केँ ओतऽ पठौलनि। 15 ओ दूनू गोटे ओतऽ पहुँचि कऽ ओकरा सभक लेल प्रार्थना कयलनि जाहि सँ ओ सभ पवित्र आत्मा केँ प्राप्त करय, 16 कारण एखन तक ओकरा सभ मे सँ ककरो पर पवित्र आत्मा नहि आयल छलथिन—ओ सभ मात्र प्रभु यीशु पर विश्वास कऽ कऽ हुनका नाम सँ बपतिस्मा लेने छल। 17 तखन ओ दूनू गोटे ओकरा सभ पर हाथ रखलनि और ओ सभ पवित्र आत्मा केँ प्राप्त कयलक। 18 सिमोन जखन देखलक जे ककरो शरीर पर मसीह-दूत सभ अपन हाथ रखैत छथि तँ ओकरा पवित्र आत्मा भेटैत छथिन तखन ओ अपन पाइ लऽ कऽ हुनका सभ लग गेल 19 आ कहलकनि, “हमरो ई गुण दिअ जाहि सँ हम ककरो शरीर पर हाथ रखिऐक तँ ओकरा पवित्र आत्मा भेटैक।” 20 एहि पर पत्रुस उत्तर देलथिन, “सत्यानाश होउ तोहर और तोरा पाइ केँ जे तोँ परमेश्वरक दान केँ पाइ सँ मोल लेबऽ चाहैत छेँ! 21 एहि काज मे तोहर कोनो हिस्सा वा अधिकार नहि छौक कारण परमेश्वरक दृष्टि मे तोहर मोन भ्रष्ट छौक। 22 आब तोँ अपना एहि दुष्ट विचारक लेल पश्चात्ताप कर और प्रभु सँ क्षमा माँग। भऽ सकैत अछि जे ओ तोहर एहन विचार केँ क्षमा कऽ देथुन। 23 हम देखैत छी जे तोँ ईर्ष्याक विष सँ भरल आ पाप मे जकड़ल छेँ।” 24 एहि पर सिमोन कहलकनि, “अहीं सभ हमरा लेल प्रार्थना करू जाहि सँ अहाँ जेना कहलहुँ तेना हमरा संग नहि होअय।” 25 पत्रुस और यूहन्ना प्रभु यीशुक विषय मे साक्षी दऽ कऽ आ परमेश्वरक वचनक प्रचार कऽ कऽ यरूशलेमक लेल फेर विदा भेलाह और रस्ता मे सामरिया प्रदेशक बहुतो गाम मे शुभ समाचार सुनबैत गेलाह। 26 एम्हर परमेश्वरक एक स्वर्गदूत फिलिपुस केँ कहलथिन, “तोँ एतऽ सँ दक्षिण मुँहें विदा भऽ कऽ यरूशलेम सँ गाजा नगर जाय वला रस्ता पर जाह जे बंजरभूमि दऽ कऽ गेल अछि।” 27 ई सुनि फिलिपुस विदा भऽ गेलाह। रस्ता मे हुनका इथियोपिया देशक एक हाकिम भेटलथिन जे इथियोपियाक रानी कन्दकीक मुख्य खजांची छलाह। ओ आराधना करबाक लेल यरूशलेम गेल छलाह, 28 आ ओतऽ सँ घुमैत काल अपना रथ मे बैसल धर्मशास्त्र मे परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह द्वारा लिखल भाग केँ पढ़ि रहल छलाह। 29 तखन पवित्र आत्मा फिलिपुस केँ कहलथिन, “आगाँ बढ़ि कऽ ओहि रथक संगे-संग चलह।” 30 फिलिपुस दौड़ि कऽ रथ लग गेलाह और ओहि हाकिम केँ यशायाहक पुस्तक मे सँ पढ़ैत सुनलनि। तखन फिलिपुस पुछलथिन, “अहाँ जे पढ़ि रहल छी से बुझितो छी?” 31 ओ उत्तर देलथिन, “हम कोना बुझब जाबत केओ हमरा बुझाओत नहि?” ई कहि कऽ ओ हुनका सँ रथ पर बैसबाक आग्रह कयलथिन। 32 धर्मशास्त्रक जे भाग ओ पढ़ि रहल छलाह से ई छल, “वध करबाक लेल भेँड़ा जकाँ हुनका लऽ गेलनि 2 और भेँड़ी जहिना ऊन छोपयबा काल मे शान्त रहैत अछि 2 तहिना ओ शान्त रहलाह। 33 ओ बेइज्जति कयल गेलाह 2 और हुनका उचित न्याय नहि भेटलनि। हुनकर सन्तानक वर्णन कोना भऽ सकत 2 कारण हुनकर एहि पृथ्वी परक जीवन केँ समाप्त कऽ देल गेलनि।” 34 हाकिम फिलिपुस सँ पुछलथिन, “हमरा कहल जाओ—लेखक ई बात किनका विषय मे कहि रहल छथि, अपना विषय मे वा किनको दोसराक विषय मे?” 35 एहि पर फिलिपुस धर्मशास्त्रक ओही पाठ सँ शुरू कऽ कऽ हुनका यीशुक सम्बन्ध मे शुभ समाचार सुनौलथिन। 36 जाइत-जाइत आगाँ रस्ता मे हुनका सभ केँ पानि भेटला पर हाकिम फिलिपुस केँ कहलथिन, “देखल जाओ, एतऽ पानि अछि। आब हम किएक नहि बपतिस्मा लऽ ली?” 37 [फिलिपुस उत्तर देलथिन, “जँ अहाँ सम्पूर्ण मोन सँ विश्वास करैत छी तँ लऽ सकैत छी।” ओ कहलथिन, “हम विश्वास करैत छी जे यीशु मसीह परमेश्वरक पुत्र छथि।”] 38 ई कहि हाकिम रथ केँ रोकबा देलथिन और दूनू गोटे उतरि कऽ पानि मे गेलाह और फिलिपुस हुनका बपतिस्मा देलथिन। 39 जखन ओ सभ पानि मे सँ उपर भेलाह तखन एकाएक प्रभुक आत्मा फिलिपुस केँ दोसर ठाम लऽ गेलथिन आ हाकिम फेर हुनका नहि देखलथिन मुदा आनन्दपूर्बक ओ अपन रस्ता पर बढ़ैत गेलाह। 40 एम्हर फिलिपुस अपना केँ अश्दोद नगर मे पौलनि। ओतऽ सँ आगाँ बढ़ि कऽ सभ नगर मे ओ शुभ समाचारक प्रचार करैत-करैत कैसरिया पहुँचलाह।
1 साउल एखनो तक प्रभु यीशुक शिष्य सभ केँ धमकी दैत छल आ हुनका सभक हत्या करबाक फिराक मे रहैत छल। ओ महापुरोहित लग जा कऽ 2 दमिश्कक सभाघर सभक लेल आज्ञा-पत्र मँगलक जाहि सँ जँ ओकरा दमिश्क मे एहि पंथ केँ मानऽ वला लोक सभ भेटैक तँ ओ ओकरा सभ केँ, चाहे स्त्रीगण होअय वा पुरुष, बन्दी बना कऽ यरूशलेम आनि सकय। 3 जखन ओ दमिश्क नगर लग पहुँचल तँ एकाएक आकाश सँ बहुत तेज प्रकाश ओकरा चारू कात पड़ल। 4 ओ जमीन पर खसि पड़ल आ ओकरा एक स्वर सुनाइ देलक, “हौ साउल, हौ साउल, तोँ हमरा किएक सतबैत छह?” 5 ओ पुछलकनि, “यौ प्रभु, अहाँ के छी?” ओ उत्तर देलथिन, “हम यीशु छी जिनका तोँ सता रहल छह। 6 आब तोँ उठि कऽ शहर मे जाह, ओतऽ तोरा कहल जयतह जे तोरा की करबाक छह।” 7 साउलक संग जे लोक सभ जा रहल छल से सभ अवाक रहि गेल, कारण ओ सभ आवाज सुनलक मुदा ककरो देखलक नहि। 8 साउल जमीन पर सँ उठलाह मुदा ओ जखन आँखि तकलनि तँ हुनका किछु देखाइ नहि दैत छलनि। तेँ ओ सभ हुनका हाथ पकड़ि कऽ दमिश्क शहर मे लऽ गेलनि। 9 ओ तीन दिन धरि आन्हर रहलाह आ किछु नहि खयलनि-पिलनि। 10 दमिश्क मे हननियाह नामक एक शिष्य छलाह, जिनका प्रभु यीशु दर्शन दऽ कऽ कहलथिन, “हौ हननियाह!” ओ उत्तर देलथिन, “कहल जाओ प्रभु।” 11 प्रभु आज्ञा देलथिन, “उठह, ‘सोझका गली’ नामक रस्ता मे जा कऽ यहूदाक घर मे तरसुस निवासी साउलक खोज करह, ओ प्रार्थना कऽ रहल अछि। 12 और ओकरा मोन मे एकटा दृश्य देखाइ पड़ल छैक जे हमरा घर मे हननियाह नामक एक आदमी अयलाह आ हमरा पर हाथ रखलनि जे हम देखि सकी।” 13 हननियाह उत्तर देलथिन, “यौ प्रभु, हम एहि आदमीक बारे मे बहुत किछु सुनने छी जे कोना ओ यरूशलेम मे अहाँक चुनल लोक सभ केँ सतबैत छल 14 आ एहूठाम अहाँक शिष्य सभ केँ पकड़बाक लेल मुख्यपुरोहित सभक आदेश-पत्र लऽ कऽ आयल अछि।” 15 प्रभु उत्तर देलथिन, “तोँ जाह, ओकरा हम चुनने छी जाहि सँ ओ गैर-यहूदी, ओकर सभक राजा सभ मे आ इस्राएली लोकक बीच मे हमर नामक प्रचार करय। 16 आब हम ओकरा देखयबैक जे हमर नामक कारणेँ ओकरा कतेक कष्ट सहऽ पड़तैक।” 17 तखन हननियाह गेलाह आ ओहि घर मे प्रवेश कऽ साउल पर हाथ राखि कऽ कहलथिन, “यौ साउल भाइ, प्रभु जे अहाँ केँ रस्ता मे अयबा काल दर्शन देलनि, अर्थात् यीशु, सैह हमरा अहाँ लग पठौलनि जाहि सँ अहाँ फेर देखी आ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ जाइ।” 18 तखने साउलक आँखि सँ पपड़ी जकाँ किछु खसल आ ओ देखऽ लगलाह। ओ उठलाह और बपतिस्मा लेलनि। 19 तकरबाद ओ किछु भोजन कयलनि आ हुनका बल भेटलनि। साउल दमिश्क मे शिष्य सभक संग किछु दिन रहलाह। 20 ओ तुरत ओतुक्का सभाघर सभ मे जा कऽ प्रचार करऽ लगलाह जे यीशु परमेश्वरक पुत्र छथि। 21 एहि पर सभ लोक जे हुनकर प्रचार सुनलक से अकचका कऽ बाजऽ लागल जे, “ई की भेल? की ई वैह आदमी नहि अछि जे यरूशलेम मे एहि नाम पर विश्वास करऽ वला सभ केँ सतबैत छल? और की ओ एहूठाम एहि लेल नहि आयल अछि जे यीशु केँ मानऽ वला सभ केँ पकड़ि कऽ मुख्यपुरोहित सभ लग लऽ जाय?” 22 मुदा साउल प्रचारक काज मे आओर सामर्थ्यवान होइत गेलाह। यीशुए उद्धारकर्ता-मसीह छथि तकर प्रमाण दऽ-दऽ कऽ ओ दमिश्क मे रहऽ वला यहूदी सभक मुँह बन्द कऽ दैत छलाह। 23 एहि तरहेँ बहुत दिन बिति गेल। आब यहूदी सभ षड्यन्त्र रचऽ लागल जे साउल केँ जान सँ मारि दी। 24 मुदा साउल केँ एहि बातक खबरि भऽ गेलनि। यहूदी सभ दिन-राति शहरक द्वारि लग पहरा दऽ कऽ हुनका मारबाक ताक मे रहैत छल। 25 मुदा एम्हर हुनकर चेला सभ एक राति एकटा ढाकी मे हुनका बैसा कऽ शहरक देवाल पर बाटे ओहि पार उतारि देलकनि। ओ ओहिठाम सँ यरूशलेम चल गेलाह। 26 यरूशलेम पहुँचि कऽ साउल विश्वासी सभ मे सम्मिलित होयबाक प्रयत्न कयलनि मुदा ओ सभ हिनका सँ डेराइत छलाह कारण हुनका सभ केँ एहि बातक विश्वास नहि होइत छलनि जे वास्तव मे ओ यीशु मसीहक शिष्य बनि गेल छथि। 27 तखन बरनबास हुनका मसीह-दूत सभ लग लऽ गेलनि। ओ हुनका सभ केँ कहलथिन जे कोना साउल रस्ता मे प्रभु केँ देखलनि आ प्रभु कोना हिनका सँ गप्प कयलथिन और ई कतेक साहसक संग दमिश्क मे प्रभु यीशुक प्रचार कयलनि। 28 एकरबाद साउल हुनका सभक संग रहऽ लगलाह। ओ यरूशलेम मे घूमि-फिरि कऽ निडर भऽ कऽ प्रभु यीशुक प्रचार कयलनि। 29 ओ यूनानी भाषी यहूदी सभ सँ वाद-विवाद करैत छलाह मुदा ओ सभ हिनका जान सँ मारि देबाक कोशिश करऽ लागल। 30 विश्वासी भाय सभ केँ जखन एहि बातक खबरि भेलनि तँ ओ सभ हुनका कैसरिया लऽ जा कऽ तरसुस नगरक लेल विदा कऽ देलथिन। 31 तकरबाद समस्त यहूदिया, गलील आ सामरिया प्रदेश मे विश्वासी मण्डली केँ अत्याचार सँ आराम भेटल। प्रभुक आदर करैत आ आज्ञा मानैत मण्डली मजगूत होइत गेल और परमेश्वरक पवित्र आत्मा सँ प्रोत्साहित भऽ विश्वासी सभक संख्या बढ़ैत गेल। 32 पत्रुस बहुत ठाम घुमैत-फिरैत लुद्दा नामक गाम मे विश्वासी सभ सँ भेँट करबाक लेल अयलाह। 33 एहिठाम एनियास नामक एक आदमी भेटलनि जे लकवा बिमारीक कारणेँ आठ वर्ष सँ ओछायन धऽ लेने छल। 34 पत्रुस ओकरा कहलथिन, “हौ एनियास, यीशु मसीह तोरा स्वस्थ करैत छथुन। तोँ उठह आ अपन ओछायन ठीक करह।” ओ तुरत ठाढ़ भऽ गेल। 35 लुद्दा आ शारोनक सभ निवासी ओकरा देखलक, आ प्रभु यीशु पर विश्वास कयलक। 36 याफा नगर मे एक विश्वासी स्त्री छलीह जिनकर नाम तबीता छलनि, जकरा यूनानी भाषा मे “दोरकस”, ⌞अर्थात् “हिरणी”⌟ कहल जाइत अछि। ओ बराबरि अनेक तरहक काज द्वारा दोसराक, आ खास कऽ गरीब सभक, सहायता करैत छलीह। 37 जाहि समय मे पत्रुस लुद्दा मे छलाह ताहि समय मे ओ बिमार भेलीह आ मरि गेलीह। हुनकर लास केँ स्नान करा कऽ उपरका तल्ला पर कोठली मे राखि देल गेलनि। 38 लुद्दा याफा सँ बेसी दूर नहि छल, आ तेँ विश्वासी सभ ई जानि जे पत्रुस लुद्दा मे छथि, दू आदमी केँ ई कहबाक लेल पत्रुस लग पठौलनि जे, “अहाँ एतऽ आबऽ मे देरी नहि करू!” 39 पत्रुस हुनका सभक संग विदा भेलाह। पहुँचलाक बाद लोक सभ हुनका उपरका तल्ला पर लऽ गेलनि। विधवा सभ पत्रुस केँ चारू कात सँ घेरि कऽ जे कुर्ता और अन्य वस्त्र सभ दोरकस मरऽ सँ पहिने बनौने छलीह, से सभ कानि-कानि कऽ देखाबऽ लगलथिन। 40 तखन पत्रुस सभ लोक केँ घर सँ बाहर कऽ देलनि, आ अपने ठेहुनिया दऽ कऽ प्रार्थना करऽ लगलाह। तकरबाद ओ लास दिस घूमि कऽ कहलथिन, “तबीता, उठि जाउ!” तबीता आँखि तकलनि आ सामने मे पत्रुस केँ देखि उठि कऽ बैसलीह। 41 पत्रुस हुनका हाथ धऽ कऽ ठाढ़ कयलनि। तखन ओ विधवा सभ और अन्य विश्वासी सभ केँ बजा कऽ दोरकस केँ हुनका सभक जिम्मा मे जीवित सौंपि देलथिन। 42 ई बात सम्पूर्ण याफा मे पसरि गेल आ बहुत लोक प्रभु पर विश्वास कयलक। 43 पत्रुस याफा मे चमड़ाक कारोबार करऽ वला सिमोनक ओतऽ बहुत दिन धरि रहलाह।
1 कैसरिया नगर मे कुरनेलियुस नामक एक आदमी छलाह जे रोमी सेना मे ओहि पल्टनक कप्तान छलाह जे “इटली पल्टन” कहबैत छल। 2 ओ अपन पूरा परिवार भक्तिपूर्बक परमेश्वरक भय मानऽ वला छलाह। ओ गरीब सभ केँ दान दैत छलाह और परमेश्वर सँ नियमित रूप सँ प्रार्थना करैत छलाह। 3 एक दिन बेरिआ मे, करीब तीन बजे परमेश्वरक एक स्वर्गदूत हुनका दर्शन देलथिन। ओ स्वर्गदूत केँ अपना लग अबैत स्पष्ट देखलथिन। स्वर्गदूत हुनका नाम लऽ कऽ कहलथिन, “यौ कुरनेलियुस!” 4 कुरनेलियुस डेराइते हुनका दिस एकटक लगा कऽ तकैत कहलथिन, “की बात, प्रभु?” स्वर्गदूत उत्तर देलथिन, “अहाँक प्रार्थना और गरीब सभ केँ देल गेल दान सभ चढ़ौनाक रूप मे परमेश्वर लग पहुँचल अछि, और ओ अहाँ पर ध्यान देलनि अछि। 5 आब अहाँ एना करू—किछु गोटे केँ याफा नगर मे सँ सिमोन, जकर दोसर नाम पत्रुस छैक, तकरा बजाबऽ लेल पठा दिऔक। 6 ओ ओहिठाम दोसर सिमोन नामक आदमी, जे चमड़ाक कारोबार करैत अछि, आ जकर घर समुद्रक कात मे छैक, तकरा ओतऽ रहि रहल अछि।” 7 स्वर्गदूत केँ चल गेलाक बाद, कुरनेलियुस दूटा नोकर और अपन निजि सहायक सभ मे सँ एक भक्त सैनिक केँ बजबौलनि। 8 ओ ओकरा सभ केँ सभ बात कहि देलथिन आ याफा नगर पठौलथिन। 9 प्रात भेने दुपहर कऽ ओ सभ याफा नगर लग पहुँचल, आ एम्हर पत्रुस प्रार्थना करबाक लेल छत पर गेलाह। 10 हुनका भूख लगलनि और किछु खयबाक इच्छा भेलनि, मुदा भानस भइए रहल छल। ओही समय मे हुनका सामने एक दृश्य प्रगट भेलनि। 11 ओ स्वर्ग केँ खुजल और ओतऽ सँ बड़का चद्दरि जकाँ कोनो चीज, जकर चारू खूँट बान्हल छलैक, से नीचाँ पृथ्वी दिस उतारल जाइत देखलनि। 12 ओहि चद्दरि मे सभ प्रकारक चौपाया जानबर, जमीन मे ससरऽ वला जीव-जन्तु और आकाशक चिड़ै सभ छल। 13 तखन पत्रुस केँ एक आवाज सुनाइ पड़लनि जे, “पत्रुस, उठह, आ एहि मे सँ मारि कऽ खाह!” 14 पत्रुस उत्तर देलथिन, “नहि, नहि प्रभु! हम कोनो अपवित्र वा अशुद्ध वस्तु कहियो नहि खयलहुँ।” 15 एहि पर फेर आवाज आयल जे, “जाहि वस्तु केँ परमेश्वर शुद्ध ठहरौने छथिन, तकरा तोँ अशुद्ध नहि कहक।” 16 ई बात तीन बेर भऽ गेल, तखन एकाएक ओ चद्दरि फेर स्वर्ग दिस घीचि लेल गेल। 17 पत्रुस सोचिए रहल छलाह जे एहन दृश्यक अर्थ की भऽ सकैत अछि, ठीक ओही समय मे कुरनेलियुसक पठाओल आदमी सभ पुछैत-पुछैत सिमोनक घर लग पहुँचल, और बाहर वला द्वारि लग ठाढ़ भऽ 18 सोर पारि कऽ पुछलक, “की सिमोन पत्रुस नामक कोनो व्यक्ति एतऽ ठहरल छथि?” 19 पत्रुस एखनो ओहि दृश्यक सम्बन्ध मे विचार कऽ रहल छलाह कि परमेश्वरक आत्मा हुनका कहलथिन, “सिमोन! तोरा तीन आदमी ताकि रहल छह। 20 तेँ आब नीचाँ जाह आ कोनो तरहक दुबिधा मे नहि पड़ि कऽ ओकरा सभक संग जाह, कारण हमहीं ओकरा सभ केँ तोरा लग पठौने छिऐक।” 21 पत्रुस नीचाँ जा कऽ ओकरा सभ केँ कहलथिन, “जिनका अहाँ सभ ताकि रहल छी, से हम छी। अहाँ सभ कोन काज सँ अयलहुँ?” 22 ओ सभ उत्तर देलकनि, “हम सभ कप्तान कुरनेलियुसक ओतऽ सँ अयलहुँ। ओ धार्मिक आ परमेश्वरक भय मानऽ वला लोक छथि। हुनका समस्त यहूदी जाति मे मान्यता छनि। एक पवित्र स्वर्गदूत हुनका आज्ञा देलथिन जे अपने केँ ओ अपना ओहिठाम बजबा कऽ अपनेक उपदेश सुनथि।” 23 तखन पत्रुस ओकरा सभ केँ घरक भीतर आनि कऽ सेवा-सत्कार करऽ लगलथिन। तकर प्राते भेने पत्रुस ओकरा सभक संग विदा भेलाह, और याफा सँ किछु विश्वासी भाय सेहो संग गेलनि। 24 एक दिनक बाद ओ सभ कैसरिया मे पहुँचि गेलाह। कुरनेलियुस हिनका सभक बाट तकैत छलथिन और अपन सम्बन्धी लोक आ इष्ट-मित्र सभ केँ बजा लेने छलाह। 25 जखन पत्रुस घर मे प्रवेश करहे वला छलाह तखन कुरनेलियुस आबि कऽ हुनकर पयर पर खसि कऽ प्रणाम कयलनि। 26 मुदा पत्रुस हुनका उठबैत कहलथिन, “उठू, उठू, हमहूँ मनुष्ये छी!” 27 हुनका सँ गप्प-सप्प करैत पत्रुस भीतर गेलाह, और बहुत लोक जमा भेल देखि 28 ओकरा सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ केँ बुझले अछि जे हमरा यहूदी लोकनिक धर्म-नियम गैर-यहूदी सँ सम्पर्क राखब वा ओकरा ओहिठाम जायब मना करैत अछि। मुदा परमेश्वर हमरा स्पष्ट कऽ देलनि जे ककरो अशुद्ध वा अछोप नहि बुझबाक चाही। 29 तेँ हमरा जखन बजाओल गेल तँ बिनु कोनो आपत्ति मानैत हम चल अबैत रहलहुँ। आब अहाँ सभ कहू जे हमरा कोन काज सँ बजौलहुँ।” 30 कुरनेलियुस उत्तर देलथिन, “चारि दिन पहिने हम एही समय मे, अर्थात् तीन बजे मे, अपना घर मे प्रार्थना कऽ रहल छलहुँ। एकाएक बहुत चमकैत वस्त्र पहिरने एक आदमी हमरा सामने मे ठाढ़ भऽ गेलाह 31 आ कहलनि, ‘कुरनेलियुस! परमेश्वर अहाँक प्रार्थना सुनने छथि और अहाँक दानक काज सँ प्रसन्न छथि। 32 अहाँ एना करू, सिमोन केँ, जकर दोसर नाम पत्रुस छैक, याफा सँ बजबा लिअ। ओ चमड़ाक कारोबार करऽ वला सिमोन, जकर घर समुद्रक कात मे छैक, तकरा ओतऽ ठहरल अछि।’ 33 तेँ हम अपने केँ तुरत बजबौलहुँ, और ई अपनेक कृपा भेल जे अपने हमरा ओहिठाम अयलहुँ। आब हम सभ गोटे एतऽ परमेश्वरक समक्ष उपस्थित छी, और परमेश्वर जे किछु कहबाक आज्ञा अपने केँ देने होथि, से सभ बात सुनबाक लेल हम सभ तैयार छी।” 34 एहि पर पत्रुस कहऽ लगलाह, “हम आब बुझि गेलहुँ जे सत्ये मे परमेश्वर ककरो संग पक्षपात नहि करैत छथि, 35 और जे केओ हुनकर भय मानैत छनि आ उचित काज करैत अछि चाहे ओ कोनो जातिक होअय, तकरा परमेश्वर स्वीकार करैत छथिन। 36 अहाँ सभ जनैत होयब जे परमेश्वर इस्राएली लोकक बीच एक शुभ समाचार सुनबौलथिन। ओ शुभ समाचार ई अछि जे यीशु मसीह, जे सभक प्रभु छथि, तिनका द्वारा परमेश्वरक संग मेल-मिलाप भऽ सकैत अछि। 37 अहाँ सभ इहो जनैत होयब जे यूहन्ना द्वारा पश्चात्ताप आ बपतिस्माक प्रचार भेलाक बाद, गलील प्रदेश सँ लऽ कऽ सम्पूर्ण यहूदिया प्रदेश मे की की भेल— 38 कोना नासरत-निवासी यीशु केँ परमेश्वर अपना पवित्र आत्मा आ सामर्थ्य सँ परिपूर्ण कयलथिन, आ कोना ओ सभतरि घूमि-घूमि कऽ भलाइक काज करैत छलाह और शैतान सँ पीड़ित लोक सभ केँ स्वस्थ कऽ दैत छलाह। ई काज सभ ओ एहि लेल कऽ सकलाह जे परमेश्वर हुनका संग छलथिन। 39 और जतेक काज ओ यहूदिया प्रदेश आ यरूशलेम शहर मे कयलनि, तकर सभक साक्षी हम सभ छी। लोक सभ हुनका क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देलकनि, 40 मुदा परमेश्वर हुनका तेसर दिन फेर जिआ देलथिन, और प्रत्यक्ष देखौलथिन, 41 सभ केँ नहि, बल्कि ओही लोक सभ केँ जकरा ओ पहिनहि सँ गवाहक लेल चुनि लेने छलाह। ओ गवाह हम सभ छी आ हुनकर मृत्यु मे सँ जीबि उठलाक बाद हम सभ हुनका संग खयलहुँ-पिलहुँ। 42 ओ हमरा सभ केँ आज्ञा देलनि जे हम सभ लोक सभक बीच ई शुभ समाचारक प्रचार करी आ गवाही दिऐक जे हुनके परमेश्वर सभ लोकक न्याय करबाक लेल नियुक्त कयने छथि, ओ सभ चाहे मुइल होअय वा जीवित। 43 हुनके विषय मे परमेश्वरक सभ प्रवक्ता लोकनि गवाही देने छथि जे, जे केओ हुनका पर विश्वास करत तकरा हुनका द्वारा पापक क्षमा भेटतैक।” 44 पत्रुस जखन बाजिए रहल छलाह तखने जे सभ हुनकर ई प्रवचन सुनि रहल छल, तकरा सभ पर पवित्र आत्मा अयलाह। 45 ओ सभ अनजान भाषा मे बाजऽ लागल और परमेश्वरक स्तुति-प्रशंसा करऽ लागल। यहूदी विश्वासी सभ जे पत्रुसक संग आयल छलाह, से सभ ई देखि चकित रहि गेलाह जे परमेश्वर गैर-यहूदी सभ केँ सेहो अपन पवित्र आत्मा प्रदान कयलनि। 47 तखन पत्रुस कहलथिन, “की एकरा सभक बारे मे, जे अपने सभ जकाँ पवित्र आत्मा केँ प्राप्त कयने अछि, केओ कहि सकत जे एकरा सभ केँ बपतिस्मा नहि देल जाइक?” 48 ई कहि ओ ओकरा सभ केँ प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ बपतिस्मा लेबाक आदेश देलथिन। तखन ओ सभ पत्रुस सँ निवेदन कयलकनि जे, अपने हमरा सभक संग किछु दिन रहल जाओ।
1 मसीह-दूत सभ और यहूदिया प्रदेशक आरो विश्वासी भाय सभ जखन सुनलनि जे गैर-यहूदी सभ सेहो परमेश्वरक वचन स्वीकार कयने अछि, 2 तँ पत्रुस केँ यरूशलेम अयला पर यहूदी विश्वासी सभ हुनका पर दोष लगाबऽ लगलथिन। 3 ओ सभ कहलथिन, “अहाँ गैर-यहूदी सभक घर मे प्रवेश कयलहुँ आ ओकरा सभक संग भोजनो कयलहुँ!” 4 तखन पत्रुस, कोना की भेल छल, से सभ बात हुनका सभ केँ शुरू सँ सुनाबऽ लगलाह। 5 ओ कहलथिन, “याफा नगर मे प्रार्थना करैत काल हम ध्यान-मग्न भऽ गेलहुँ और हमरा सामने एक दृश्य प्रगट भेल। हम एक बड़का चद्दरि सनक कोनो चीज चारू खूँट सँ बान्हल स्वर्ग सँ उतारल जाइत देखलहुँ। ओ वस्तु हमरा लग आबि कऽ रूकल। 6 हम जखन गौर सँ देखऽ लगलहुँ तँ ओहि मे हमरा घरैया-पशु, जंगली जानबर, जमीन मे ससरऽ वला जीव-जन्तु, और आकाशक चिड़ै सभ देखाइ पड़ल। 7 तखन हमरा ई आवाज सुनाइ देलक, ‘पत्रुस, उठह! एहि मे सँ मारि कऽ खाह!’ 8 मुदा हम उत्तर देलियनि जे, ‘नहि नहि, प्रभु! हम कोनो अपवित्र वा अशुद्ध वस्तु कहियो नहि खयने छी।’ 9 तखन दोसर बेर फेर स्वर्ग सँ आवाज सुनाइ देलक जे, ‘जाहि वस्तु केँ परमेश्वर शुद्ध ठहरौने छथिन, तकरा तोँ अशुद्ध नहि कहक।’ 10 एहिना तीन बेर भेल, आ तकरबाद ओ सभ वस्तु फेर स्वर्ग दिस उठा लेल गेल। 11 “ताही क्षण मे तीन आदमी जे हमरा बजयबाक लेल कैसरिया सँ पठाओल गेल छल, से सभ ओहि घर लग पहुँचल जतऽ हम रहैत छलहुँ। 12 पवित्र आत्मा हमरा आदेश देलनि जे, कोनो खराब बात नहि सोचि कऽ ओकरा सभक संग जाह। ई छओटा विश्वासी भाय सेहो हमरा संग गेलाह और हम सभ ओहि आदमीक घर मे गेलहुँ जे हमरा बजबौने छलाह। 13 ओ हमरा सभ केँ कहलनि जे कोना हुनका अपना घर मे स्वर्गदूत दर्शन देलथिन आ कहलथिन जे, ‘ककरो याफा नगर पठा कऽ सिमोन जकर दोसर नाम पत्रुस छैक, तकरा बजबा लिअ। 14 ओ आबि कऽ अहाँ केँ उपदेश देत जाहि द्वारा अहाँ सपरिवार उद्धार प्राप्त करब।’ 15 “हम जखन उपदेश देनाइ शुरुए कयने छलहुँ तखने पवित्र आत्मा हुनका सभ पर उतरि अयलाह, ठीक ओहिना जेना अपना सभ पर शुरू मे अयलाह। 16 तुरत प्रभुक कहल ओ बात हमरा मोन पड़ल जे, ‘यूहन्ना लोक केँ पानि सँ बपतिस्मा देलनि मुदा अहाँ सभ केँ पवित्र आत्मा सँ बपतिस्मा देल जायत।’ 17 जँ परमेश्वर हुनका सभ केँ वैह दान देलनि जे दान अपना सभ जखन प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कयलहुँ तखन अपना सभ केँ देलनि, तँ हम परमेश्वरक काज केँ रोकऽ वला के छी!” 18 ई सुनि ओ सभ सन्तुष्ट भऽ गेलाह आ परमेश्वरक स्तुति करैत बजलाह, “तखन तँ परमेश्वर दोसरो जाति सभ केँ सेहो अपना पापक लेल पश्चात्ताप आ हृदय-परिवर्तन करबाक वरदान देलथिन जाहि सँ ओहो सभ जीवन प्राप्त करय!” 19 स्तिफनुस केँ मारल गेलाक बाद मसीही विश्वासी सभ पर जखन अत्याचार बढ़ऽ लागल तँ ओ सभ जहाँ-तहाँ छिड़िया गेलाह आ फीनिकी प्रदेश, साइप्रस द्वीप और अन्ताकिया नगर तक पहुँचलाह। मुदा विशेष काल ओ सभ मात्र यहूदी सभक बीच शुभ समाचारक प्रचार करैत छलाह। 20 परन्तु हुनका सभ मे सँ किछु लोक, जे साइप्रस आ कुरेनक निवासी छलाह, से सभ अन्ताकिया नगर जा कऽ यूनानी सभ सँ सेहो सम्पर्क कऽ ओकरा सभ केँ प्रभु यीशुक सम्बन्ध मे शुभ समाचार सुनाबऽ लगलथिन। 21 प्रभुक शक्ति हुनका सभक संग छलनि, आ बहुतो लोक प्रभु पर विश्वास कऽ कऽ हुनकर रस्ता पर आबि गेलनि। 22 अन्ताकिया मे भेल सभ बातक खबरि जखन यरूशलेमक विश्वासी मण्डली लग पहुँचल तँ ओ सभ बरनबास केँ अन्ताकिया पठौलनि। 23 ओ विश्वास और पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण एक नीक लोक छलाह। ओहिठाम पहुँचला पर जखन ओहिठामक लोकक बीच परमेश्वरक कृपाक परिणाम देखलनि तँ बरनबास अति आनन्दित भेलाह, आ सभ केँ प्रोत्साहित कयलनि जे अहाँ सभ पूरा तन-मन-धन सँ प्रभुक लेल ठोस विश्वासक संग स्थिर रहू। एहि तरहेँ ओहिठामक बहुतो लोक प्रभु यीशु पर विश्वास कयलक। 25 तखन बरनबास साउल केँ तकबाक लेल तरसुस नगर गेलाह। 26 हुनका सँ भेँट भेला पर, ओ हुनका ओतऽ सँ अन्ताकिया लऽ अनलथिन। ओ दूनू गोटे वर्ष दिन ओतऽ मण्डलीक संगति मे रहलाह आ बहुत लोक केँ प्रभुक विषय मे शिक्षा देलथिन। ओतहि, अर्थात् अन्ताकिए मे, सभ सँ पहिने प्रभु यीशु मसीहक शिष्य सभ केँ “मसीही” कहबाक प्रथा शुरू भेल। 27 ओहि समय मे यरूशलेम सँ परमेश्वरक किछु प्रवक्ता सभ अन्ताकिया अयलाह। 28 ओहि मे सँ एक, अगबुस नामक प्रवक्ता उठि कऽ परमेश्वरक आत्माक प्रेरणा सँ भविष्यवाणी कयलनि जे सम्पूर्ण राज्य मे भयंकर रौदी पड़त। (ई बात सम्राट क्लौदियुसक शासन काल मे पूरा भेल।) 29 तेँ प्रभुक शिष्य सभ निर्णय कयलनि जे हम सभ अपन-अपन सामर्थ्यक अनुसार यहूदिया प्रदेशक भाय सभक लेल किछु मदति करी। 30 ओ सभ एहिना करबो कयलनि, आ बरनबास और साउलक हाथेँ अपन दान मण्डलीक देख-रेख कयनिहार सभ लग पठा देलथिन।
1 एही समय मे राजा हेरोद मण्डलीक किछु विश्वासी सभ पर अत्याचार करबाक लेल हुनका सभ केँ बन्दी बना लेलनि। 2 ओ यूहन्नाक भाय याकूब केँ तरुआरि सँ मरबा देलनि। 3 जखन ओ देखलनि जे एहि घटना सँ यहूदी सभ प्रसन्न भेल अछि तँ ओ पत्रुस केँ सेहो पकड़बा लेलनि। ई “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”क समय मे भेल। 4 पत्रुस केँ बन्दी बना कऽ जहल मे रखबा देलनि, आ चारि-चारि सैनिकक चारिटा दलक पहरा मे राखि देलनि। हेरोद सोचलनि जे पत्रुस केँ फसह-पाबनिक बाद जनताक सामने न्यायक लेल उपस्थित करायब। 5 तँ पत्रुस जहल मे छलाह, मुदा एम्हर विश्वासी सभ पूरा मोन सँ पत्रुसक लेल परमेश्वर सँ प्रार्थना कऽ रहल छलाह। 6 जाहि दिन राजा हेरोद पत्रुस केँ जनताक समक्ष अनबाक विचार कयने छलाह, ओहि सँ पहिलुके राति मे पत्रुस दू सैनिकक बीच, दूनू कात जिंजीर सँ बान्हल, सुतल छलाह। द्वारि लग सेहो सैनिक सभ पहरा दऽ रहल छल। 7 एकाएक प्रभुक एक स्वर्गदूत पत्रुस लग जहल मे ठाढ़ भेलाह। सम्पूर्ण कोठली प्रकाशमय भऽ गेल। स्वर्गदूत पत्रुस केँ हिला कऽ जगौलनि आ कहलथिन, “जल्दी उठह!” तुरत हिनकर दूनू हाथ सँ जिंजीर खुजि कऽ खसि पड़ल। 8 स्वर्गदूत कहलथिन, “कपड़ा सम्हारि लैह, आ चप्पल पहिरि लैह।” पत्रुस ओहिना कयलनि। तखन स्वर्गदूत कहलथिन, “चद्दरि ओढ़ि लैह आ हमरा पाछाँ आबह।” 9 ओ हुनका पाछाँ-पाछाँ जहल सँ बाहर अयलाह, मुदा हुनका निश्चित भान नहि भऽ रहल छलनि जे स्वर्गदूत जे कऽ रहल छथि से सही घटना अछि—हुनका होइत छलनि जे हम कोनो तरहक सपना देखि रहल छी। 10 ओ सभ पहिल और दोसर पहरेदार केँ टपि कऽ लोहाक मुख्य फाटक लग पहुँचलाह। हुनका सभ केँ पहुँचतहि ओ फाटक अपने सँ खुजि गेल, और ओ सभ निकलि कऽ शहर मे प्रवेश कऽ गेलाह। ओ सभ जखन गलीक अन्त तक गेलाह तँ स्वर्गदूत एकाएक पत्रुस केँ छोड़ि कऽ चल गेलाह। 11 तखन हिनका होश भेलनि आ बजलाह, “आब तँ निश्चय जानि गेलहुँ जे ठीके प्रभु अपन स्वर्गदूत पठा कऽ हेरोदक हाथ सँ और जे बात यहूदी सभ चाहैत छल, ताहि सभ सँ हमरा बचौलनि।” 12 ई बात बुझि ओ यूहन्ना, जिनकर दोसर नाम मरकुस छलनि, तिनकर माय मरियमक ओतऽ गेलाह, जतऽ बहुत लोक जमा भऽ कऽ प्रार्थना कऽ रहल छलाह। 13 पत्रुस बाहर सँ केबाड़ खटखटौलनि। एक नोकरनी, जकर नाम रोदा छलैक, से केबाड़ खोलबाक लेल आयल। 14 पत्रुसक आवाज चिन्हि कऽ ओ ततेक खुश भेल जे बिनु केबाड़ खोलनहि ओ ई कहैत भीतर दौड़ि कऽ गेल जे, “पत्रुस बाहर छथि!” 15 ओ सभ ओकरा कहलथिन, “तोँ बताहि छह!” मुदा ओ जखन बहुत जोर दऽ कऽ कहैत रहल जे वैह छथि तखन ओ सभ बजलाह, “हुनकर रक्षा करऽ वला स्वर्गदूत होयतनि।” 16 एम्हर पत्रुस केबाड़ खटखटबिते रहलाह। ओ सभ जखन खोलि कऽ हुनका देखलथिन तँ चकित रहि गेलाह। 17 पत्रुस हुनका सभ केँ शान्त होयबाक लेल हाथ सँ संकेत कयलनि आ कहऽ लगलथिन जे प्रभु कोना जहल सँ मुक्त कऽ देलनि। तखन कहलथिन, “ई सभ बात याकूब और दोसरो भाय सभ केँ कहि देबनि।” ई कहि ओ ओतऽ सँ दोसर ठाम चल गेलाह। 18 प्रात भेने जहल मे पहरेदारक बीच बड़का खलबली मचि गेल जे पत्रुस की भऽ गेल? 19 राजा हेरोद हुनका खोजबाक हुकुम देलथिन, मुदा ओ नहि भेटलथिन। तेँ हेरोद सैनिक सभ सँ पूछ-ताछ कऽ कऽ ओकरा सभ केँ मृत्युदण्डक आज्ञा देलथिन। तखन हेरोद यहूदिया प्रदेश छोड़ि कैसरिया नगर जा कऽ रहऽ लगलाह। 20 हेरोद सूर और सीदोनक लोक सभ पर खिसिआयल छलाह। तेँ ओ सभ मिलि कऽ हेरोद सँ भेँट करबाक लेल पहुँचल। राजभवनक मुख्यकर्मचारी ब्लास्तुस केँ अपना पक्ष मे कऽ कऽ हुनका माध्यम सँ राजा लग मेल करबाक प्रस्ताव रखलक, कारण ओकरा सभक भोजनक वस्तु हेरोदक देश सँ अबैत छलैक। 21 निश्चित कयल दिन अयला पर राजा हेरोद राजसी वस्त्र पहिरने ओकरा सभक सामने सिंहासन पर बैसलाह और भाषण देलनि। 22 भाषण सुनि लोक सभ जोर-जोर सँ प्रशंसा करऽ लागल जे, “ई तँ मनुष्य नहि, देवते बाजि रहल छथि!” 23 एहि पर परमेश्वरक स्वर्गदूत हेरोद केँ ओही क्षण कष्ट सँ पीड़ित कऽ देलथिन, कारण जे स्तुति-प्रशंसा परमेश्वर केँ देबाक चाही से ओ नहि देलथिन। और हुनका देह मे पिलुआ फड़ि गेलनि और ओ मरि गेलाह। 24 मुदा परमेश्वरक वचन पसरैत गेल और लोक सभ मे ओकर प्रभाव बढ़ैत गेल। 25 एम्हर बरनबास और साउल दान पहुँचाबऽ वला काज पूरा कऽ कऽ यरूशलेम सँ घूमि अयलाह आ अपना संग यूहन्ना जिनकर दोसर नाम मरकुस छलनि, तिनको लेने अयलाह।
1 अन्ताकियाक मण्डली मे ई सभ परमेश्वरक प्रवक्ता आ शिक्षक छलाह—बरनबास, सिमियोन, जे करिया कहबैत छलाह, कुरेन निवासी लूकियुस, मनेन, जे शासक हेरोदक संग पोसल गेल छलाह, और साउल। 2 एक दिन जखन ओ सभ उपासक संग प्रभुक आराधना कऽ रहल छलाह, तखन पवित्र आत्मा कहलथिन, “हमर ओहि काजक लेल बरनबास और साउल केँ अलग कऽ दिअ जाहि काजक लेल हम हुनका सभ केँ चुनने छी।” 3 तँ ओ सभ उपास आ प्रार्थना कऽ कऽ हुनका सभ पर हाथ राखि विदा कयलथिन। 4 ई दूनू गोटे पवित्र आत्माक आदेशक अनुसार सिलूकिया चल गेलाह आ ओतऽ सँ पानि जहाज सँ साइप्रस द्वीप गेलाह। 5 ओ सभ सलामिस शहर पहुँचि कऽ यहूदी सभक सभाघर सभ मे परमेश्वरक वचनक प्रचार कयलनि। हुनका सभक संग सहयोग करबाक लेल यूहन्ना-मरकुस सेहो छलनि। 6 तखन ओ सभ पूरा द्वीपक यात्रा करैत द्वीपक दोसर कात पाफुस नगर पहुँचलाह। ओतऽ हुनका सभ केँ बारयीशु नामक एक यहूदी भेटलनि, जे जादूगर छल आ झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत छल। 7 ओ प्रदेशक राज्यपाल सिरगियुस-पौलुसक संगी छल। राज्यपाल सिरगियुस एक विचारशील लोक छलाह। ओ बरनबास आ साउल केँ अपना ओहिठाम बजबौलनि जाहि सँ ओ हुनका सभ सँ परमेश्वरक वचन सुनि सकथि। 8 मुदा ओ जादूगर, जकर नाम यूनानी भाषा मे एलिमास छलैक, से हिनका सभक विरोध कऽ कऽ राज्यपाल केँ विश्वास करऽ सँ रोकबाक कोशिश कयलक। 9 तखन साउल, जे पौलुस सेहो कहबैत छलाह, पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण भऽ जादूगर एलिमास दिस एकटक लगा कऽ तकैत कहलथिन, 10 “हे शैतानक पुत्र! हे सभ सत्कर्मक दुश्मन! तोँ सभ तरहक छल-प्रपंच आ बइमानी सँ भरल छेँ! की तोँ प्रभुक सोझ बाट केँ टेढ़ बनौनाइ कहियो नहि छोड़बेँ? 11 देख! आब प्रभुक हाथ तोरा विरोध मे उठलौ अछि। तोँ एखन आन्हर भऽ जयबेँ आ किछु काल तक सूर्यक प्रकाश नहि देखबेँ।” तखने ओकरा आगाँ मे धुनि जकाँ बुझायल और ओकर आँखि अन्हरा गेलैक। ओ एम्हर-ओम्हर हथोड़ऽ लागल जाहि सँ केओ भेटय जे हाथ पकड़ि कऽ लऽ जाय। 12 राज्यपाल ई घटना देखि विश्वास कयलनि। ओ प्रभुक शिक्षा सँ चकित छलाह। 13 तखन पौलुस और हुनकर संगी सभ पाफुस सँ पानि जहाज सँ पंफूलिया प्रदेशक पर्गा नगर गेलाह। ओतऽ सँ यूहन्ना-मरकुस हुनका सभ केँ छोड़ि कऽ यरूशलेम घूमि गेलाह। 14 ई सभ पर्गा सँ आगाँ पिसिदिया अंचलक अन्ताकिया नगर पहुँचलाह, और विश्राम-दिन मे यहूदी सभक सभाघर मे जा कऽ बैसलाह। 15 धर्म-नियम आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक पुस्तक सँ पाठ पढ़ल गेलाक बाद, सभाघरक अधिकारी लोकनि हिनका सभ लग एहि बातक कहा पठौलथिन जे, “यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ जँ लोक सभक प्रोत्साहनक लेल किछु कहऽ चाहैत छी, तँ कहू।” 16 एहि पर पौलुस उठलाह, आ लोक सभ केँ हाथ सँ शान्त रहबाक संकेत करैत कहऽ लगलाह, “इस्राएली भाइ लोकनि और परमेश्वर मे श्रद्धा रखनिहार सभ गोटे, हमर बात सुनू! 17 इस्राएली जातिक परमेश्वर अपना सभक पूर्वज सभ केँ चुनलनि आ मिस्र देश मे प्रवास करैत काल हुनका सभक वंशक वृद्धि कयलनि। तखन ओ अपन महान् शक्ति द्वारा हुनका सभ केँ ओहि देश सँ निकालि लेलनि। 18 चालिस वर्ष धरि ओ निर्जन क्षेत्र मे हुनका सभक व्यवहार सहन कयलनि। 19 तखन ओ कनान देशक सात जाति केँ विनाश करबा कऽ ओ देश हुनका सभक अधिकार मे दऽ देलथिन। 20 ई सभ काज पूरा होमऽ मे करीब 450 वर्ष बिति गेल। “तहिया सँ लऽ कऽ शमूएल प्रवक्ताक समय धरि परमेश्वर हुनका सभ केँ प्रशासक सभ देलथिन। 21 तखन इस्राएली लोक जखन परमेश्वर सँ एकटा राजा मँगलनि तँ ओ हुनका सभक लेल बिन्यामीन कुलक कीशक पुत्र शाउल केँ नियुक्त कयलनि, जे चालिस वर्ष धरि हुनका सभक राजा रहलाह। 22 तखन शाउल केँ हटा कऽ परमेश्वर दाऊद केँ हुनका सभक राजा बना देलथिन। दाऊदक सम्बन्ध मे ओ ई बात कहलनि, ‘यिशयक बेटा दाऊद हमर मोन पसन्दक लोक अछि। जे किछु हम चाहैत छी जे ओ करय, से सभ काज ओ करत।’ 23 एही आदमीक वंश मे सँ परमेश्वर अपन देल वचनक अनुसार इस्राएलक लेल एक उद्धारकर्ता, अर्थात् यीशु केँ, उत्पन्न कयलनि। 24 यीशुक अयबाक तैयारी मे यूहन्ना इस्राएलक सभ लोकक बीच एहि बातक प्रचार कयलनि जे, अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करू आ बपतिस्मा लिअ। 25 जखन यूहन्ना अपन काज समाप्त करऽ वला छलाह तखन ओ कहलनि, ‘तोँ सभ हमरा जे बुझि रहल छह, से हम नहि छी! मुदा ओ हमरा पाछाँ आबि रहल छथि और हम तँ हुनकर चप्पलो फोलऽ जोगरक नहि छी।’ 26 “यौ भाइ लोकनि, अब्राहमक वंशज आ परमेश्वर पर श्रद्धा रखनिहार आरो जातिक लोक सभ, सुनू! अपना सभ गोटेक लेल ई उद्धारक शुभ समाचार पठाओल गेल अछि! 27 यरूशलेमक निवासी और ओकरा सभक धर्मगुरु सभ यीशु केँ नहि चिन्हलकनि, आ ने परमेश्वरक प्रवक्ता सभक बात बुझलक जे प्रत्येक विश्राम-दिन सभाघर मे पढ़ल जाइत अछि, ओना तँ हुनका मृत्युदण्ड दऽ कऽ ओ सभ बिनु बुझने ओहि प्रवक्ता सभक भविष्यवाणी सभ पूरा कयलक। 28 ओकरा सभ केँ हुनका मृत्युदण्ड देबाक लेल कोनो आधार नहि भेटलैक, मुदा तैयो पिलातुस सँ माँग कयलक जे हुनका मारिए देल जानि। 29 हुनका विषय मे पहिने सँ लिखल सभ बात ओकरा सभ द्वारा पूरा भेलाक बाद ओ सभ हुनका क्रूस पर सँ उतारि कऽ कबर मे राखि देलकनि। 30 मुदा परमेश्वर हुनका मृत्यु सँ जिआ देलथिन। 31 और ओ बहुत दिन धरि ओहि लोक सभ केँ दर्शन दैत रहलाह जे लोक हुनका संग गलील सँ यरूशलेम आयल छलनि। यैह लोक सभ आब जनताक सामने हुनकर गवाह अछि। 32 “हम सभ ई खुशीक खबरि अहाँ सभ केँ सुनयबाक लेल आयल छी जे, जाहि बातक वचन परमेश्वर अपना सभक पूर्वज सभ केँ देने रहथि 33 से ओ यीशु केँ जिआ कऽ हुनका सभक सन्तानक लेल, अर्थात् अपना सभक लेल, पूरा कयलनि। जेना धर्मशास्त्रक ‘भजन-संग्रह’क दोसर भजन मे सेहो लिखल अछि, ‘अहाँ हमर पुत्र छी, 2 आइ हम अहाँ केँ उत्पन्न कयलहुँ।’ 34 और ई बात जे, परमेश्वर हुनका मृत्यु मे सँ जिआ देलथिन जाहि सँ ओ फेर कहियो नहि मरथि, ताहि बातक वचन ओ एहि शब्द मे देने रहथि, ‘पवित्र और अटल आशिषक वचन 2 जे दाऊद केँ देल गेल, 2 से हम तोरा सभ मे पूरा करबह।’ 35 तहिना दोसर ठाम लिखल अछि, ‘अहाँ अपन पवित्र सेवक केँ नहि सड़ऽ देब।’ 36 “दाऊद तँ अपन पीढ़ी मे परमेश्वरक उद्देश्य पूरा कयलनि आ मरलाह । ओ अपन पुरखा सभ लग कबर मे राखल गेलाह आ हुनकर शरीर सड़ि गेलनि। 37 मुदा जिनका परमेश्वर मृत्यु मे सँ जिआ देलथिन, से सड़लाह नहि। 38 तेँ प्रिय भाइ लोकनि, अहाँ सभ ई बात बुझि लिअ जे यीशुए द्वारा अहाँ सभ पापक क्षमा प्राप्त कऽ सकैत छी। 39 जे केओ हुनका पर विश्वास करैत अछि, से सभ धार्मिक ठहराओल जाइत अछि, और पाप सँ मुक्त भऽ जाइत अछि। ई बात मूसाक धर्म-नियम द्वारा नहि भऽ सकल छल। 40 एहि लेल सावधान होउ! एना नहि होअय जे परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक ई बात अहाँ सभक संग भऽ जाय— 41 ‘हे निन्दा कयनिहार लोक सभ! 2 देखह, चकित होअह आ नष्ट भऽ जाह! कारण हम तोहर समय मे एहन काज कऽ रहल छी 2 जे जँ केओ ओहि सम्बन्ध मे तोरा कहबो करतह 2 तँ तोँ ओकर विश्वास नहि करबह।’” 42 जखन पौलुस और बरनबास सभाघर सँ बाहर भऽ रहल छलाह तँ लोक सभ हुनका सभ सँ विनती कयलक जे अगिलो विश्राम-दिन मे एहि बात सभक सम्बन्ध मे आरो सुनबथि। 43 सभा समाप्त भेला पर बहुतो यहूदी आ यहूदी धर्म मानऽ वला आन जातिक भक्त सभ पौलुस आ बरनबासक संग भऽ गेल। पौलुस आ बरनबास ओकरा सभ सँ बात-चीत कयलनि आ परमेश्वरक कृपा पर भरोसा रखने रहबाक लेल सिखौलथिन। 44 अगिला विश्राम-दिन प्रभुक वचन सुनबाक लेल करीब सौंसे नगरक लोक जुटि गेल। 45 भीड़ केँ देखि कऽ यहूदी सभ डाह सँ भरि गेल आ पौलुस केँ अपमानित करैत ओ जे बजैत छलाह तकर विरोध करऽ लागल। 46 तखन पौलुस और बरनबास निर्भय भऽ कऽ ओकरा सभ केँ उत्तर देलथिन जे, “परमेश्वरक वचन हमरा सभ केँ पहिने अहाँ सभ केँ सुनाबऽ पड़ल। मुदा अहाँ सभ ओकर अस्वीकार कऽ रहल छी आ अपना केँ अनन्त जीवनक लेल योग्य नहि बुझैत छी। तेँ हम सभ आब दोसर जाति सभ केँ परमेश्वरक वचन सुनाबऽ जाइत छी। 47 कारण एहि तरहेँ प्रभु हमरा सभ केँ ई कहि कऽ आज्ञा देने छथि, ‘हम तोरा आन जाति सभक लेल प्रकाश नियुक्त कयने छिअह, 2 जे तोँ पृथ्वीक अन्तिम सीमा तक हमर उद्धार पहुँचाबह।’” 48 ई बात सुनि गैर-यहूदी जातिक लोक सभ बड्ड खुश भेल आ प्रभुक वचनक प्रशंसा करऽ लागल। और जे सभ अनन्त जीवनक लेल ठहराओल गेल छल, से सभ प्रभु पर विश्वास कयलक। 49 एहि तरहेँ प्रभुक वचन सम्पूर्ण क्षेत्र मे पसरि गेल। 50 मुदा यहूदी सभ परमेश्वर केँ मानऽ वला गैर-यहूदी जातिक स्त्रीगण सभ केँ जे सभ धनिक वर्गक छलि आ ओहि शहरक प्रतिष्ठित पुरुष सभ केँ चढ़ा-बढ़ा कऽ पौलुस आ बरनबासक विरोध मे उपद्रव करबाक लेल भड़का देलक और हुनका सभ केँ ओहि क्षेत्र सँ भगा देलकनि। 51 एहि पर पौलुस आ बरनबास ओकरा सभक विरोध मे चेन्ह स्वरूप पयरक गर्दा ओतहि झाड़ि लेलनि आ इकुनियुम नगर चल गेलाह। 52 एम्हर अन्ताकियाक शिष्य सभ बहुत आनन्दित आ पवित्र आत्मा सँ परिपूर्ण छलाह।
1 करीब वैह बात इकुनियुम मे सेहो भेल—पौलुस आ बरनबास यहूदी सभक सभाघर मे गेलाह, और एहन उपदेश देलनि जे बहुतो यहूदी और आन जातिक लोक सभ विश्वास कऽ लेलक। 2 मुदा जे यहूदी सभ विश्वास नहि करऽ चाहलक, से सभ आन जातिक लोक केँ बहकाबऽ लागल आ ओकरा सभक मोन मे विश्वासी भाय सभक प्रति दुश्मनी उत्पन्न कऽ देलकैक। 3 पौलुस आ बरनबास ओतऽ बहुत दिन धरि रहलाह आ निडर भऽ प्रभु यीशुक लेल प्रचार करैत रहलाह। प्रभु हुनका सभक माध्यम सँ आश्चर्यपूर्ण चिन्ह आ चमत्कारक काज सभ कऽ कऽ अपन कृपाक विषय मे हुनका सभक प्रचार केँ सत्य ठहरौलनि। 4 शहरक लोक मे आब फूट पड़ि गेल—किछु लोक यहूदी सभक संग भऽ गेल, आ किछु लोक मसीह-दूत सभक संग। 5 जखन आन जातिक लोक आ यहूदी सभ अपन अधिकारी सभक संग मिलि कऽ हिनका सभ केँ अपमानित करबाक आ पथरबाहि कऽ मारि देबाक लेल नियारलक, 6 तँ ई बात हिनको सभ केँ बुझऽ मे आबि गेलनि, आ तुरत लुकाउनिया क्षेत्रक लुस्त्रा और दरबे नगर मे भागि गेलाह। 7 ओ सभ ओहि नगर सभ मे आ लग-पासक देहात मे शुभ समाचारक प्रचार करैत रहलाह। 8 लुस्त्रा नगर मे एक लोथ आदमी बैसल छल। ओ जन्मे सँ लोथ छल आ कहियो चलल नहि छल। 9 ई आदमी पौलुसक प्रवचन सुनि रहल छल। पौलुस ओकरा टकटकी लगा कऽ देखलथिन आ ई देखि जे ओकरा ई विश्वास छैक जे हम स्वस्थ भऽ सकैत छी, 10 ओ जोर सँ ओहि आदमी केँ कहलथिन, “अपन पयर पर सोझ भऽ कऽ ठाढ़ होउ!” एहि पर ओ छरपि कऽ ठाढ़ भेल आ चलऽ-फिरऽ लागल। 11 भीड़क लोक सभ जखन देखलक जे पौलुस की कयलनि, तँ ओ सभ लुकाउनियाक भाषा मे जोर-जोर सँ बाजि कऽ कहऽ लागल, “देवता सभ मनुष्य बनि कऽ हमरा सभक बीच अयलाह अछि!” 12 बरनबास केँ ओ सभ “ज्यूस-देवता” सँ सम्बोधन करऽ लगलनि, आ पौलुस केँ “हिरमेस-देवता,” कारण पौलुस मुख्य बाजऽ वला छलाह। 13 ज्यूस-देवताक पुजारी, जकर मन्दिर शहर सँ बाहर छल, से बड़का भीड़क संग हुनका सभ लग पशु-बलि चढ़यबाक लेल बड़द आ फूलक माला सभ लऽ कऽ शहरक प्रवेश-द्वारि लग आयल। 14 मुदा बरनबास आ पौलुस ई सुनि कऽ विरोध स्वरूप अपन वस्त्र फाड़लनि आ ओहि भीड़ मे दौड़ि कऽ गेलाह आ ओकरा सभ केँ जोर सँ कहऽ लगलाह, 15 “अहाँ सभ ई की कऽ रहल छी?! हमहूँ सभ अहीं सभ जकाँ मनुष्ये छी! हम सभ अहाँ सभ केँ ई शुभ समाचार सुनयबाक लेल आयल छी जे अहाँ सभ निरर्थक मुरुतक पूजा-पाठ कयनाइ छोड़ि कऽ जीवित परमेश्वर जे आकाश, पृथ्वी, समुद्र और ओहि मे जे किछु अछि, तकर सभक रचना कयने छथि, तिनका पर विश्वास करू। 16 प्राचीन समय मे ओ सभ जाति केँ अपना-अपना रस्ता पर चलऽ देलनि, 17 तैयो ओ अपना भलाइक काज द्वारा मनुष्य जाति केँ अपना बारे मे साक्षी दैत रहलाह—ओ अहाँ सभ केँ आकाश सँ वर्षा आ ठीक समय पर उपजा दैत छथि। अहाँ सभ केँ भोजनक वस्तु सँ तृप्त करैत छथि और अहाँ सभक मोन केँ हर्षित करैत छथि।” 18 ई सभ बात कहलाक बादो ओ सभ ओकरा सभ केँ बहुत मुश्किल सँ मना सकलाह जे हमरा सभ लग बलि नहि चढ़ाउ। 19 तखन अन्ताकिया और इकुनियुम सँ यहूदी सभ आयल और जनता केँ अपना पक्ष मे कऽ कऽ पौलुस पर पथरबाहि कयलक, आ हुनका मरल बुझि कऽ शहर सँ बाहर घिसिआ कऽ धऽ अयलनि। 20 मुदा शिष्य सभ जखन हुनका चारू कात जमा भेलनि तँ हुनका होश अयलनि और ओ उठि कऽ शहर मे गेलाह। प्रात भेने ओ बरनबासक संग दरबे नगर चल गेलाह। 21 ओहू नगर मे ओ सभ शुभ समाचारक प्रचार कयलनि, और बहुत शिष्य सभ बना कऽ लुस्त्रा, इकुनियुम आ अन्ताकिया नगर घूमि अयलाह। 22 एहि नगर सभ मे ओ सभ शिष्य सभक हिम्मत बढ़बैत ओकरा सभ केँ विश्वास मे स्थिर रहबाक लेल प्रोत्साहित करैत छलाह, और कहैत छलाह जे “परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश करबाक लेल अपना सभ केँ बहुत कष्ट सहऽ पड़त।” 23 ओ सभ शिष्य सभक लेल प्रत्येक मण्डली मे देख-रेख कयनिहार सभ केँ नियुक्त कयलथिन और उपास आ प्रार्थना कऽ कऽ प्रभु यीशु, जिनका पर ओ सभ विश्वास रखने छलाह, तिनका हाथ मे सौंपि देलथिन। 24 ओतऽ सँ पौलुस आ बरनबास पिसिदिया अंचल दऽ कऽ पंफूलिया प्रदेश मे अयलाह। 25 ओहि अंचलक पर्गा नगर मे शुभ समाचार सुना कऽ अतालिया नगर अयलाह। 26 ओतऽ सँ ओ सभ पानि जहाज सँ ⌞सीरिया प्रदेशक⌟ अन्ताकिया नगर मे घूमि अयलाह, जतऽ विश्वासी भाय सभ हुनका सभ केँ परमेश्वरक जिम्मा मे ओहि काजक लेल सौंपि देने छलनि, जाहि काज केँ ओ सभ आब पूरा कऽ लेने छलाह। 27 ओ सभ ओहिठाम पहुँचि कऽ मण्डली केँ जमा कऽ कऽ सुनौलनि जे परमेश्वर हुनका सभक द्वारा केहन-केहन काज कयलनि, आ कोना परमेश्वर गैर-यहूदी लोकक लेल विश्वासक द्वारि खोलि देलनि। 28 ओ सभ अन्ताकिया मे शिष्य सभक संग बहुत दिन धरि रहलाह।
1 तखन किछु लोक यहूदिया प्रदेश सँ अन्ताकिया मे आबि कऽ विश्वासी भाय सभ केँ एहि तरहेँ सिखाबऽ लागल जे, “जाबत धरि अहाँ सभ मूसाक प्रथाक अनुसार अपना शरीर मे खतनाक चेन्ह नहि कऽ लेब, ताबत धरि अहाँ सभक उद्धार नहि भऽ सकत।” 2 एहि विषय पर ओकरा सभक संग पौलुस आ बरनबास केँ बहुत झगड़ा आ वाद-विवाद भऽ गेलनि। अन्त मे ई निश्चय कयल गेल जे पौलुस, बरनबास आ ओहिठामक आरो किछु विश्वासी भाय सभ यरूशलेम जाथि आ एहि प्रश्नक विषय मे ओतऽ मसीह-दूत सभ और मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनिक संग बात करथि। 3 अन्ताकियाक मण्डली हुनका सभ केँ विदा कयलकनि। ओ सभ फीनिकी आ सामरिया प्रदेश दऽ कऽ गेलाह आ ओहिठामक विश्वासी भाय सभ केँ ई खबरि सुनौलनि जे कोना गैर-यहूदी लोक सभ सेहो विश्वास कयलनि, जकरा सुनि कऽ सभ विश्वासी भाय अति आनन्दित भेलाह। 4 पौलुस आ बरनबास जखन यरूशलेम पहुँचलाह तँ ओहिठामक मण्डली, मसीह-दूत आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार सभ हुनका सभक स्वागत कयलथिन। तखन पौलुस आ बरनबास हुनका सभ केँ सुनाबऽ लगलाह जे परमेश्वर हुनका सभक माध्यम सँ केहन-केहन काज सभ कयलनि। 5 एहि पर फरिसी दलक किछु लोक, जे विश्वासी भऽ गेल छल, से सभ उठि कऽ कहऽ लागल, “अन्यजातिक विश्वासी सभ केँ खतना करौनाइ जरूरी अछि, और ओकरा सभ केँ आज्ञा देल जाय जे ओ सभ मूसाक धर्म-नियमक पालन करय।” 6 एहि बातक सम्बन्ध मे विचार-विमर्श करबाक लेल, मसीह-दूत आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि एक ठाम जमा भेलाह। 7 बहुत काल धरि घमर्थन भेलाक बाद, पत्रुस उठि कऽ कहलनि, “यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ केँ बुझल अछि जे बहुत दिन पहिने परमेश्वर अहाँ सभ मे सँ हमरा एहि लेल चुनलनि जे गैर-यहूदी लोक सभ हमरा मुँह सँ शुभ समाचार सुनय आ विश्वास करय। 8 मोनक बात बुझऽ वला परमेश्वर अपना सभ जकाँ ओकरो सभ केँ अपन पवित्र आत्मा प्रदान कऽ कऽ एहि बातक प्रमाण देलनि जे ओकरा सभ केँ ओ स्वीकार कयलनि। 9 अपना सभ और ओकरा सभ मे ओ कोनो भेद नहि रखलनि—ओ ओकरा सभक मोन विश्वासेक द्वारा शुद्ध कयलनि। 10 तेँ अहाँ सभ आब किएक विश्वासी सभक कान्ह पर एहन जुआ लादि कऽ परमेश्वर केँ जँचैत छियनि, जकरा ने अपना सभ आ ने अपना सभक पूर्वज लोकनि खीचि सकलाह? 11 नहि! अपना सभक विश्वास अछि जे अपना सभक उद्धार प्रभु यीशुक कृपेक कारणेँ भेल अछि—जेना ओकरा सभक तेना अपनो सभक।” 12 ई बात सुनि कऽ सभाक सभ लोक चुप भऽ गेलाह, और पौलुस आ बरनबासक बात सुनऽ लगलाह जे परमेश्वर हुनका सभक द्वारा केहन-केहन आश्चर्यपूर्ण चिन्ह आ चमत्कार सभ गैर-यहूदी लोक सभक बीच कयलनि। 13 हुनका सभक बात जखन समाप्त भेलनि तखन याकूब बजलाह, “यौ भाइ लोकनि, हमर बात सुनू! 14 परमेश्वर कोना शुरू मे दोसरो जाति सभ पर दया कऽ कऽ ओकरा सभ केँ अपन लोक बना लेलनि, तकरा सम्बन्ध मे सिमोन एखने कहलनि, 15 आ हिनकर ई बात परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक बात सँ सेहो मिलैत अछि, जेना लिखल अछि, 16 ‘एकरा बाद हम घूमि कऽ आयब, 2 आ दाऊदक खसल घर केँ फेर उठायब। ओकर ढहलाहा भाग केँ फेर बनायब, 2 ओकर पुनः निर्माण करब, 17 जाहि सँ बाँकी सभ लोक सेहो हमरा ताकय, 2 अर्थात् दोसर जातिक ओ लोक सभ, 2 जकरा सभ केँ हम एहि लेल बजौलहुँ जे ओ सभ हमर बनय। 18 ई बात कहऽ वला हम ओ परमेश्वर छी 2 जे प्राचीन काल सँ एहि बात केँ स्पष्ट करैत आयल छी।’ 19 “एहि लेल दोसर जातिक लोक सभ जे अपना बाट केँ छोड़ि कऽ परमेश्वर लग आबि रहल अछि, तकरा सभक लेल अपना सभ कठिनाइ नहि उत्पन्न करी, से हमर विचार अछि। 20 तेँ ओकरा सभ केँ लिखि पठा देल जाय जे ओ सभ एहि बात सभ सँ बाँचल रहथु—मूर्ति पर चढ़यबाक कारणेँ अशुद्ध भेल वस्तु सभ सँ, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध सँ, कण्ठ दबा कऽ मारल ⌞अर्थात्, बिनु खून बहा कऽ मारल⌟ पशुक माँसु सँ आ खूनक खान-पान सँ। 21 कारण, प्राचीन काल सँ तँ मूसाक धर्म-नियमक प्रचार नगर-नगर मे कयल जाइत अछि, आ हुनकर लेख प्रत्येक विश्राम-दिन सभाघर सभ मे पढ़ल जाइत अछि।” 22 तखन मसीह-दूत सभ आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि पूरा मण्डलीक संग मिलि कऽ निर्णय कयलनि जे अपना सभ मे सँ किछु गोटे केँ चुनि कऽ पौलुस आ बरनबासक संग अन्ताकिया पठाबी। तँ यहूदा, जिनकर दोसर नाम बरसब्बा छलनि, आ सिलास केँ ओ सभ चुनलनि। हुनका सभ केँ विश्वासी भाय सभ विशेष मानैत छलनि। 23 हुनके सभक हाथेँ ओ सभ ई चिट्ठी पठौलनि— प्रिय अन्ताकिया, सीरिया आ किलिकियाक निवासी गैर-यहूदी विश्वासी भाय सभ, अहाँ सभ केँ मसीह-दूत आ यरूशलेमक मण्डलीक देख-रेख कयनिहार अहाँ सभक भाय लोकनिक दिस सँ नमस्कार। 24 हमरा सभ केँ सुनबा मे आयल अछि जे हमरा सभ मे सँ किछु गोटे अहाँ सभक ओहिठाम जा कऽ अपना बात द्वारा दुःख देने अछि। हम सभ ओकरा सभ केँ एहि तरहक कोनो आदेश नहि देने छलिऐक। 25 तेँ हम सभ एक ठाम जमा भऽ कऽ सभक सहमति सँ दू आदमी केँ अहाँ सभ लग पठयबाक निर्णय कयलहुँ। 26 हमरा सभक प्रिय मित्र पौलुस आ बरनबास, जिनकर जान अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक नामक कारणेँ जाय लागल छलनि, 27 तिनका सभक संग हम सभ एहि दूनू भाय यहूदा आ सिलास केँ अहाँ सभ लग पठा रहल छी। ओ सभ अपन मुँहो सँ यैह बात कहि देताह जे एहि पत्र मे लिखल अछि। 28 पवित्र आत्मा केँ आ हमरा सभ केँ ई उचित बुझायल जे निम्नलिखित आवश्यक बात सभ केँ छोड़ि कऽ आरो कोनो बातक बोझ अहाँ सभ पर नहि लादी— 29 मूर्ति पर चढ़ाओल खयबाक वस्तु सँ, खूनक खान-पान सँ, कण्ठ दबा कऽ मारल ⌞अर्थात् बिनु खून बहा कऽ मारल⌟ पशुक माँसु सँ, आ अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध सँ बँचू। एहि बात सभ सँ दूर रहला सँ अहाँ सभक भलाइ होयत। शेष शुभ। 30 हुनका सभ केँ मण्डलीक लोक विदा कयलकनि, आ ओ सभ अन्ताकिया गेलाह। ओतऽ पहुँचि कऽ ओ सभ मण्डलीक लोक केँ बजा कऽ चिट्ठी देलथिन। 31 ओ सभ चिट्ठी पढ़ि प्रोत्साहनक एहन बात सँ अति आनन्दित भेलाह। 32 यहूदा आ सिलास, जे स्वयं परमेश्वरक प्रवक्ता छलाह, विभिन्न तरहक बात सँ विश्वासी भाय सभ केँ विश्वास मे मजगूत आ प्रोत्साहित कयलथिन। 33 यहूदा आ सिलास किछु दिन धरि अन्ताकिया मे रहलाह। तकरबाद विश्वासी भाय सभ हुनका सभ केँ आशीर्वाद दऽ कऽ, तिनका सभ लग विदा कऽ देलथिन जे सभ हुनका सभ केँ पठौने छलथिन। 34 [मुदा सिलास ओहीठाम रहबाक निर्णय कयलनि।] 35 पौलुस आ बरनबास अन्ताकिया मे रहि गेलाह, जतऽ ओ सभ, आ दोसरो बहुत गोटे, प्रभुक वचनक शिक्षा दैत रहलाह आ शुभ समाचार सुनबैत रहलाह। 36 किछु समय बितला पर पौलुस बरनबास केँ कहलथिन, “चलू! जाहि-जाहि नगर मे अपना सभ प्रभुक वचनक प्रचार कयने छी, ताहि-ताहि ठाम जा कऽ देखी जे ओतुक्का विश्वासी भाय सभ केहन छथि।” 37 बरनबास यूहन्ना केँ, जिनकर दोसर नाम मरकुस छलनि, सेहो संग लऽ जाय चाहैत छलाह, 38 मुदा पौलुस केँ ई बात उपयुक्त नहि बुझि पड़लनि जे, जे आदमी हुनका सभ केँ पंफूलिया प्रदेश मे छोड़ि देने छलनि आ जे हुनका सभक काज मे संग नहि देबऽ चाहलक, तकरा अपना संग मे लऽ जाइ। 39 एहि पर हुनका दूनू गोटे मे बहुत बड़का मतभेद भऽ गेलनि, और अन्त मे ओ सभ एक-दोसर सँ अलग भऽ गेलाह। बरनबास मरकुस केँ अपना संग लऽ पानि जहाज सँ साइप्रस द्वीप चल गेलाह। 40 पौलुस सिलास केँ चुनलनि। अन्ताकियाक भाय सभ हुनका सभ केँ प्रभुक कृपा पर सौंपि विदा कयलथिन। 41 ओ सभ सीरिया आ किलिकिया प्रदेश मे घूमि-घूमि कऽ ओहिठामक मण्डली सभ केँ विश्वास मे मजगूत करैत आगाँ बढ़ैत गेलाह।
1 ओ सभ दरबे आ लुस्त्रा नगर पहुँचलाह। ओतऽ तिमुथियुस नामक एक शिष्य छलाह, जिनकर माय प्रभु यीशु पर विश्वास कयनिहारि यहूदी जातिक छलीह, मुदा हुनकर पिता यूनानी छलनि। 2 लुस्त्रा आ इकुनियुम नगर मे रहऽ वला विश्वासी भाय सभ हुनका नीक लोक कहैत छल। 3 पौलुस हुनका अपना संग लऽ जाय चाहलनि, तेँ ओहिठामक यहूदी सभक कारणेँ ओ हुनकर खतना करबौलनि, कारण सभ केओ जनैत छल जे हुनकर पिता यहूदी नहि, बल्कि यूनानी अछि। 4 तखन पौलुस, सिलास आ तिमुथियुस शहर-शहर मे घूमि-घूमि कऽ विश्वासी सभ केँ ओ नियम आ निर्णय सभ सुना देलथिन आ पालन करबाक लेल सिखौलथिन, जे निर्णय मसीह-दूत सभ आ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि यरूशलेम मे कयने छलाह। 5 एहि तरहेँ मण्डली सभक लोक सभ अपना विश्वास मे मजगूत होइत गेल, आ संख्या मे दिनानुदिन बढ़ैत गेल। 6 पौलुस आ हुनकर संगी सभ फ्रूगिया आ गलातिया प्रदेश दऽ कऽ गेलाह, कारण पवित्र आत्मा हुनका सभ केँ प्रभुक वचन सुनयबाक लेल आसिया प्रदेश मे जयबाक आज्ञा नहि देलथिन। 7 जखन ओ सभ मीसिया क्षेत्र आ बितूनिया प्रदेशक सीमा पर पहुँचलाह, तँ बितूनिया प्रदेश मे जयबाक कोशिश कयलनि, मुदा यीशुक आत्मा हुनका सभ केँ ओतऽ नहि जाय देलथिन। 8 तेँ ओ सभ मीसिया दऽ कऽ त्रोआस नगर गेलाह। 9 ओही राति पौलुस प्रभुक दिस सँ एक सपना देखलनि, जाहि मे मकिदुनिया निवासी एक आदमी ठाढ़ भेल एहि तरहेँ निवेदन करैत छलनि जे, “एहि पार मकिदुनिया प्रदेश मे आउ आ हमरा सभक मदति करू!” 10 पौलुस केँ एहि तरहक सपना देखलाक बाद, हम सभ तुरत्ते मकिदुनियाक लेल विदा होयबाक तैयारी करऽ लगलहुँ, ई बुझि जे परमेश्वरे ओकरा सभक बीच शुभ समाचार सुनयबाक लेल हमरा सभ केँ आदेश देलनि अछि। 11 त्रोआस नगर सँ पानि जहाज सँ हम सभ सोझे समुत्राके द्वीप तक गेलहुँ, आ दोसर दिन नियापुलस नगर तक। 12 ओतऽ सँ मकिदुनिया प्रदेशक फिलिप्पी नगर गेलहुँ, जे जिलाक प्रमुख शहर अछि आ रोमी सरकार द्वारा निर्माण कयल गेल अछि। ओतऽ हम सभ बहुत दिन धरि रहलहुँ। 13 हम सभ विश्राम-दिन मे शहरक बाहर नदीक कछेर दिस गेलहुँ ई सोचि कऽ जे, ओतऽ कोनो ठाम होयत जतऽ लोक प्रार्थना करबाक लेल जमा होइत अछि। ओहिठाम पहुँचि कऽ हम सभ बैसि गेलहुँ, आ ओतऽ जमा भेल स्त्रीगण सभ सँ बात-चीत करऽ लगलहुँ। 14 ओहि मे थूआतीरा नगरक एक लुदिया नामक स्त्री रहथि जे किमती रंगीन कपड़ाक व्यापार करैत छलीह। ओ परमेश्वर केँ माननिहारि छलीह आ हमरा सभक बात सुनि रहल छलीह। प्रभु हुनका मोनक द्वारि खोललनि जाहि सँ ओ पौलुसक बात पर ध्यान दऽ कऽ विश्वास करथि। 15 ओ पूरा परिवारक संग बपतिस्मा लेलनि आ हमरा सभ सँ आग्रह कयलनि जे, “अपने लोकनि जँ बुझैत छी जे हम वास्तव मे प्रभु पर विश्वास कयलहुँ तँ हमरा ओतऽ चलि कऽ रहल जाओ।” एना कहि ओ हमरा सभ केँ बाध्य कऽ देलनि जे हम सभ हुनका ओतऽ जाइ। 16 एक दिन हम सभ जखन प्रार्थना करऽ वला स्थान पर जा रहल छलहुँ तँ रस्ता मे एक गुलाम बच्ची हमरा सभ केँ भेटल, जकरा मे भविष्यक बात कहऽ वला दुष्टात्मा छलैक। ओ लोक सभ केँ भाग्यक बात सभ कहि कऽ अपना मालिक सभक लेल बहुत पाइ कमाइत छल। 17 ओ पौलुस आ हमरा सभक पाछाँ-पाछाँ आबि कऽ चिचियाय लागल, “ई सभ परम परमेश्वरक सेवक छथि और अहाँ सभ केँ उद्धारक बाटक विषय मे सुना रहल छथि।” 18 ओ बहुत दिन धरि एहिना करैत रहल। अन्त मे पौलुस एक दिन तंग भऽ कऽ ओकरा दिस तकैत ओहि दुष्टात्मा केँ कहलथिन, “हम तोरा यीशु मसीहक नाम सँ आज्ञा दैत छिऔ जे तोँ एकरा मे सँ निकल!” तखने ओ दुष्टात्मा ओहि बच्ची मे सँ निकलि गेल। 19 जखन बच्चीक मालिक सभ देखलक जे ओकर सभक कमाइक बाट समाप्त भऽ गेल, तखन ओ सभ पौलुस आ सिलास केँ पकड़ि कऽ शहरक चौक तक अधिकारी सभक सामने घिसिअबैत अनलकनि। 20 ओ सभ हुनका सभ केँ रोमी न्यायाधीश सभक समक्ष ठाढ़ कऽ कऽ कहलक, “ई सभ यहूदी अछि। ई सभ हमरा सभक शहर मे उपद्रव मचा रहल अछि, 21 आ एहन-एहन प्रथाक प्रचार कऽ रहल अछि जकरा स्वीकार कयनाइ वा पालन कयनाइ अपना सभक लेल जे रोमी छी, कानूनक दृष्टिकोण सँ मना अछि।” 22 एहि पर ओकरा सभक संग भीड़क लोक सभ सेहो पौलुस आ सिलासक विरोध करऽ लागल। तखन न्यायाधीश सिपाही सभ केँ ई आदेश देलनि जे हुनका सभ केँ कपड़ा उतारि कऽ लाठी मारल जाय। 23 हुनका सभ केँ बहुत पिटलाक बाद जहल मे राखि देलकनि। जहलक हाकिम केँ आज्ञा देल गेलैक जे, एकरा सभ केँ जहल मे नीक सँ बन्द करू। 24 ई आदेश पाबि जहलक हाकिम हुनका सभ केँ भीतरका कोठली मे लऽ गेलनि आ हड़ी मे ठोकि देलकनि। 25 करीब दुपहर राति कऽ पौलुस आ सिलास प्रार्थना कऽ रहल छलाह आ परमेश्वरक स्तुति मे गीत गाबि रहल छलाह। हुनका सभक प्रार्थना आ गीत दोसरो कैदी सभ सुनि रहल छलनि। 26 एकाएक बड़का भूकम्प भेल आ जहलक न्योओ तक हिलि गेल। तुरत्ते सभ केबाड़ खुजि गेल आ सभ कैदी बन्हन-मुक्त भऽ गेल। 27 जहलक हाकिमक निन्द टुटलैक, आ ओ जखन देखलक जे जहलक केबाड़ सभ खुजल अछि तँ सोचलक जे कैदी सभ भागि गेल। तेँ ओ अपन तरुआरि खीचि कऽ आत्महत्या करऽ लागल, 28 मुदा तखने पौलुस जोर सँ सोर पारि कऽ कहलथिन, “रूकू रूकू! अपना केँ किछु नहि करू। हम सभ केओ छीहे!” 29 ई सुनिते हाकिम इजोत मँगबा कऽ दौड़ैत भीतर अयलाह आ थर-थर कँपैत पौलुस आ सिलासक पयर पर खसलाह। 30 ओ हुनका सभ केँ बाहर आनि कऽ कहलथिन, “यौ सरकार! अपने लोकनि हमरा ई कहू जे उद्धार पयबाक लेल हम की करू।” 31 ओ सभ उत्तर देलथिन, “प्रभु यीशु पर विश्वास करू तँ अहाँक उद्धार होयत, और अहाँक पूरा परिवार उद्धार प्राप्त करत।” 32 ओ सभ हुनका आ हुनकर पूरा परिवार केँ प्रभुक शुभ समाचारक बात सुना देलथिन। 33 तखन तुरत्ते रातिए मे, जहलक हाकिम हुनका सभ केँ लऽ जा कऽ घाव धो देलथिन। तकरबाद ओ अपन पूरा परिवारक संग बपतिस्मा लेलनि। 34 तखन जहलक हाकिम पौलुस आ सिलास केँ अपना डेरा मे आनि कऽ भोजन करौलनि। ओ अपन पूरा परिवारक संग परमेश्वर पर विश्वास करबाक कारणेँ बहुत आनन्दित छलाह। 35 भोर भेला पर न्यायाधीश सभ अपना सिपाही सभ केँ ई आदेश दऽ कऽ जहलक हाकिम लग पठौलनि जे, “ओहि दूनू गोटे केँ छोड़ि दिऔक।” 36 जहलक हाकिम पौलुस केँ कहलथिन, “न्यायाधीशजी आदेश पठौलनि अछि जे अपने लोकनि केँ छोड़ि देल जाय। तेँ अपने लोकनि आब जा सकैत छी। बेस, नीक सँ गेल जाओ।” 37 मुदा पौलुस सिपाही सभ केँ कहलथिन, “हम सभ, जे रोमी नागरिक छी, तकरा सभ केँ ओ सभ बिनु दोषी पौनहि जनताक सामने मे पिटबौलनि आ जहल मे बन्द करबौलनि, और आब की, हमरा सभ केँ चुपेचाप निकालऽ चाहैत छथि? नहि! ओ सभ अपने आबि कऽ हमरा सभ केँ बाहर लऽ चलथु।” 38 सिपाही सभ हुनकर कहल बात न्यायाधीश सभ केँ सुनौलक। ओ सभ जखन सुनलनि जे पौलुस आ सिलास रोमी नागरिक छथि, तँ बहुत डेरा गेलाह। 39 ओ सभ पौलुस आ सिलास लग आबि हुनका सभ केँ मनाबऽ लगलथिन, आ जहल सँ बाहर आनि शहर छोड़ि कऽ चल जयबाक विनती कयलथिन। 40 पौलुस आ सिलास जहल सँ बाहर भऽ लुदियाक घर गेलाह। ओतऽ विश्वासी भाय सभ सँ भेँट कऽ कऽ हुनका सभ केँ विश्वास मे प्रोत्साहित कयलनि। तकरबाद ओ सभ ओतऽ सँ विदा भऽ गेलाह।
1 ओ सभ अम्फिपुलस और अपुलोनिया नगर सभ दऽ कऽ थिसलुनिका शहर पहुँचलाह, जतऽ यहूदी सभक एक सभाघर छल। 2 पौलुस जहिना सभ ठाम करैत छलाह तहिना एहूठामक सभाघर मे गेलाह। तीन सप्ताह धरि विश्राम-दिन मे ओ ओकरा सभ सँ धर्मशास्त्र पर तर्क-वितर्क कयलनि, 3 और ओकरा सभ केँ धर्मशास्त्रक बात बुझबैत ओहि मे सँ एहि बातक प्रमाण दैत रहलाह जे उद्धारकर्ता-मसीह केँ दुःख भोगनाइ आ मरि कऽ जीबि उठनाइ आवश्यक छलनि। ओ कहैत छलाह, “ई यीशु जिनका बारे मे हम अहाँ सभ केँ सुना रहल छी, सैह उद्धारकर्ता-मसीह छथि।” 4 ई बात यहूदी सभ मे सँ किछु गोटे स्वीकार कयलक, और पौलुस आ सिलासक संग भऽ गेल। तहिना परमेश्वर पर श्रद्धा रखनिहार बहुत यूनानी सभ आ प्रतिष्ठित स्त्रीगण सभ सेहो विश्वास कयलक। 5 मुदा एहि पर यहूदी सभ ईर्ष्या सँ भरि गेल, आ किछु आवारा-गुण्डा सभ केँ चढ़ा-बढ़ा कऽ बड़का भीड़ जुटा लेलक आ शहर मे हूलि मचाबऽ लागल। तखन ओ सभ पौलुस आ सिलास केँ तकबाक लेल यासोनक घर गेल। ओ सभ हुनका सभ केँ पकड़ि कऽ जन-सभाक सामने आनऽ चाहैत छल। 6 मुदा यासोनक घर मे ओ सभ जखन नहि भेटलथिन, तँ ओ सभ यासोन आ किछु आरो विश्वासी भाय सभ केँ घिसिअबैत आनि कऽ शहरक पंच सभक सामने ठाढ़ कऽ देलक आ जोर-जोर सँ हल्ला करैत हुनका सभ पर दोष लगाबऽ लागल जे, “ई सभ जे सौंसे संसार केँ उनट-पुनट कऽ रहल अछि से सभ आब एतौ आबि गेल अछि 7 आ यासोन एकरा सभ केँ अपना घर मे पाहुन बना कऽ रखने अछि। ई सभ सम्राट-कैसरक कानून सभक विरोध कऽ रहल अछि आ कहैत अछि जे एक दोसर आदमी, यीशु, हमरा सभक राजा छथि।” 8 ई सुनि जनता आ शहरक हाकिम सभ बहुत घबड़ा गेलाह। 9 तेँ हाकिम सभ यासोन आ दोसरो लोक सभ सँ जमानत लेलनि, तखन हुनका सभ केँ जाय देलथिन। 10 ओही दिन अन्हार होइत देरी विश्वासी भाय सभ पौलुस आ सिलास केँ बिरीया नगर पठा देलथिन। ओतऽ पहुँचि कऽ ओ सभ यहूदी सभक सभाघर मे गेलाह। 11 बिरीया निवासी यहूदी सभ थिसलुनिका निवासी यहूदी सभक अपेक्षा नम्र भावनाक छल, कारण ओ सभ बहुत उत्सुकता सँ प्रभुक शुभ समाचारक बात सुनलक आ प्रत्येक दिन धर्मशास्त्रक अध्ययन नीक जकाँ एहि लेल करैत छल जे, देखी, पौलुसक कहल बात एहि सँ मिलैत अछि वा नहि। 12 फलस्वरूप बहुत यहूदी लोक सभ विश्वास कयलक। तहिना बहुतो प्रतिष्ठित यूनानी स्त्रीगण आ पुरुष सभ सेहो विश्वास कयलक। 13 जखन थिसलुनिकाक यहूदी सभ केँ पता चललैक जे पौलुस आब बिरीया मे परमेश्वरक वचनक प्रचार कऽ रहल अछि, तँ ओ सभ ओतौ जा कऽ हूलि मचबाबऽ आ जनता केँ भड़काबऽ लागल। 14 एहि पर विश्वासी भाय सभ तुरत पौलुसक लेल समुद्रक कात जयबाक व्यवस्था कऽ कऽ विदा कऽ देलथिन, मुदा सिलास आ तिमुथियुस बिरीये मे रहि गेलाह। 15 पौलुसक संग जे सभ गेलाह से सभ हुनका एथेन्स शहर तक पहुँचौलथिन। ओतऽ पौलुस हुनका सभ केँ कहलथिन जे, सिलास और तिमुथियुस केँ जल्दी चल अयबाक लेल कहि दिऔन। तखन ओ सभ ओतऽ सँ घूमि गेलाह। 16 पौलुस एथेन्स शहर मे सिलास आ तिमुथियुसक अयबाक प्रतीक्षा कऽ रहल छलाह। शहर मे देवी-देवता सभक मूर्ति सभतरि देखि हुनका बहुत दुःख भेलनि। 17 तेँ ओ सभाघर मे यहूदी सभ आ परमेश्वर केँ माननिहार यूनानी सभ सँ एहि सम्बन्ध मे बात-चीत करैत छलाह, और प्रत्येक दिन चौक-बजार मे आबऽ-जाय वला लोक सभ सँ सेहो बात-चीत करैत छलाह। 18 किछु ईपिकूरी आ स्तोइकी विचारधाराक विद्वान सभ हुनका सँ विवाद करऽ लागल आ बाजल, “ई टर्र-टर्र करऽ वला कहऽ की चाहैत अछि?” दोसर सभ कहैत छल, “ई कोनो आन देशक देवताक प्रचार करऽ वला बुझाइत अछि।” ई बात एहि लेल कहलक जे पौलुस यीशुक आ मृत्यु मे सँ जीबि उठनाइक विषय मे प्रचार करैत छलाह। 19 एक दिन ओ सभ पौलुस केँ अपना संग अरियोपिगुस-सभा मे लऽ गेलनि। ओतऽ ओ सभ हुनका सँ पुछलकनि, “की हम सभ ई जानि सकैत छी जे अहाँ ई कोन नव शिक्षा दऽ रहल छी? 20 अहाँ जे किछु कहि रहल छी से हमरा सभ केँ एकदम नव बुझि पड़ैत अछि, तेँ हम सभ जानऽ चाहैत छी जे एकर अर्थ की अछि।” 21 (एथेन्स नगरक वासी और ओतऽ रहऽ वला परदेशी सभक काजे एतबे छल जे नवका-नवका बात सुनी आ सुनाबी।) 22 एहि पर पौलुस अरियोपिगुस-सभा मे ठाढ़ भऽ कऽ कहऽ लगलाह, “एथेन्सक निवासी लोकनि, हम देखैत छी जे अहाँ सभ हर प्रकार सँ बड्ड धर्म-प्रेमी लोक छी। 23 हम घूमि-फिरि कऽ जखन अहाँ सभक ओहि स्थान सभ केँ देखैत छलहुँ जतऽ अहाँ सभ पूजा करैत छी तँ हमरा एक एहन पीड़ी भेटल जाहि पर लिखल अछि ‘अज्ञात ईश्वरक लेल’। तँ जिनका अहाँ सभ बिनु जननहि पूजैत छी, हम तिनके बारे मे अहाँ सभ केँ सुना रहल छी। 24 “परमेश्वर, जे एहि संसार आ एहि मेहक प्रत्येक वस्तुक सृष्टि कयलनि, से स्वर्ग और पृथ्वीक मालिक भऽ, मनुष्य द्वारा बनाओल मन्दिर मे वास नहि करैत छथि। 25 आ हुनका कोनो वस्तुक कमी नहि छनि, जकरा मनुष्य हुनकर सेवा करैत पूरा करनि, किएक तँ वैह छथि जे सभ केँ जीवन, साँस, आ आओर सभ किछु दैत छथिन। 26 ओ एके मनुष्य सँ सभ जातिक लोक केँ उत्पन्न कयलनि, जाहि सँ ओ सभ सौंसे पृथ्वी पर रहय। ओ ओकरा सभक रहबाक समय आ स्थान पहिनहि सँ निश्चित कयलनि। 27 ई सभ बात ओ एहि लेल कयलनि जे लोक सभ हुनका ताकय आ शायद हथोड़ि-हथोड़ि कऽ प्राप्त करय, ओना तँ ओ अपना सभ मे सँ ककरो सँ दूर नहि छथि। कारण, जेना केओ कहने अछि, 28 ‘हम सभ हुनके मे छी, हुनके मे जीबैत छी आ हुनके मे चल-फिर करैत छी।’ और जेना अहाँ सभक अपन किछु कवि लोकनि कहने छथि, ‘हम सभ हुनकर सन्तान छी।’ 29 “तेँ अपना सभ जँ परमेश्वरक सन्तान छी तँ अपना सभ केँ एना नहि सोचबाक चाही जे ईश्वर कोनो तरहेँ सोना, चानी, वा पाथरक मूर्ति जकाँ छथि, जे मनुष्यक लूरि आ कल्पना सँ गढ़ल गेल अछि। 30 एहि अज्ञानताक दण्ड केँ परमेश्वर बितला युग सभ मे क्षमा कयलनि, मुदा एखन हुनकर आज्ञा छनि जे सभ ठामक सभ मनुष्य अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करय। 31 ओ तँ एक दिन निश्चित कयने छथि जहिया ओ अपन चुनल व्यक्ति द्वारा उचित न्यायानुसार संसारक न्याय करताह। एहि व्यक्ति केँ मृत्यु सँ जिआ कऽ सभ आदमी केँ एहि बातक प्रमाण देने छथि।” 32 मृत्यु सँ जीबि उठनाइक बात सुनि कऽ किछु लोक ओहि बातक हँसी उड़ाबऽ लागल, मुदा दोसर लोक सभ कहलकनि, “हम सभ एहि विषय मे अहाँ सँ फेर कहियो सुनऽ चाहैत छी।” 33 तकरबाद पौलुस ओहि सभा मे सँ चल जाइत रहलाह। 34 तैयो किछु लोक हुनका संग-संग आयल आ विश्वास कयलक। ओहि मे अरियोपिगुस-सभाक दियुनुसियुस नामक एक सदस्य, दमरिस नामक एक स्त्री आ किछु आओर लोक सभ छल।
1 तकरबाद पौलुस एथेन्स नगर केँ छोड़ि कऽ कोरिन्थ नगर गेलाह। 2 ओतऽ हुनका अक्विला नामक एक यहूदी भेटलनि, जिनकर जन्म पुन्तुस मे भेल छलनि। ओ हाले-साल मे अपन स्त्री प्रिस्किलाक संग इटली सँ एतऽ आयल छलाह, कारण क्लौदियुस सम्राट यहूदी सभ केँ रोम शहर सँ निकलि जयबाक आदेश दऽ देने छलाह। पौलुस भेँट-घाँट करबाक लेल हुनका सभक ओहिठाम गेलाह, 3 आ हुनका सभक संग रहऽ लगलाह, कारण हिनकर व्यवसाय हुनके सभ जकाँ तम्बू बनौनाइ छलनि। ओ सभ संग-संग काज करऽ लगलाह। 4 प्रत्येक विश्राम-दिन कऽ पौलुस सभाघर मे जा कऽ यहूदी आ यूनानी सभ सँ तर्क-वितर्क कऽ कऽ एहि कोशिश मे रहैत छलाह जे ओ सभ प्रभु यीशु केँ स्वीकार करय। 5 सिलास आ तिमुथियुस मकिदुनिया सँ जखन आबि गेलाह, तँ पौलुस अपन पूरा समय शुभ समाचार सुनयबा मे लगा देलनि। ओ यहूदी सभ केँ बुझबैत रहलाह जे यीशुए उद्धारकर्ता-मसीह छथि। 6 मुदा ओ सभ जखन हुनकर विरोध और अपमान करऽ लागल, तखन ओ ओकरा सभक सामने चेतावनी स्वरूप अपन कपड़ा मे सँ गर्दा झाड़ि लेलनि, आ कहलनि, “अहाँ सभ जँ नाश होयब तँ तकर दोषी अहीं सभ छी। हम निर्दोष छी। आब सँ हम दोसरे जातिक बीच शुभ समाचार सुनाबऽ जा रहल छी।” 7 तखन पौलुस सभाघर सँ निकलि कऽ तीतुस यूस्तुस नामक एक व्यक्तिक ओहिठाम गेलाह, जिनकर घर सभाघरक काते मे छलनि। ओ यहूदी नहि छलाह मुदा परमेश्वरक माननिहार छलाह। 8 सभाघरक अध्यक्ष क्रिस्पुस अपन सम्पूर्ण घर-परिवारक संग प्रभु मे विश्वास कयलनि। और बहुतो कोरिन्थ निवासी सभ पौलुस सँ शुभ समाचार सुनि विश्वास कयलक आ बपतिस्मा लेलक। 9 एक राति प्रभु पौलुस केँ सपना मे दर्शन दऽ कऽ कहलथिन, “नहि डेराउ! अहाँ प्रचार करैत रहू, रूकू नहि। 10 कारण, हम अहाँक संग छी। केओ अहाँ पर आक्रमण कऽ कऽ अहाँक हानि नहि कऽ पाओत। किएक तँ एहि शहर मे बहुते गोटे हमर लोक अछि।” 11 तेँ पौलुस लोक सभ केँ परमेश्वरक वचन सिखबैत ओतऽ डेढ़ वर्ष धरि रहलाह। 12 जखन गल्लियो अखाया प्रदेशक राज्यपाल छलाह तँ यहूदी सभ एक मत भऽ पौलुसक विरोध कयलक आ हुनका पकड़ि कऽ कचहरी मे लऽ गेलनि। 13 हुनका पर ओ सभ ई आरोप लगौलक जे, “ई आदमी लोक केँ बहका कऽ परमेश्वरक आराधना एहि तरहेँ करबाक लेल सिखबैत अछि जे कानूनक विरोध मे अछि!” 14 एहि पर पौलुस बाजहि चाहलनि कि गल्लियो यहूदी सभ केँ कहलथिन, “यौ यहूदी सभ! ई जँ कोनो अन्याय वा अपराधक मामिला रहैत तँ अहाँ सभक कथन सुननाइ उचित होइत। 15 मुदा ई खाली अहाँ सभक अपन धर्म-नियमक सम्बन्धित शब्द आ नामक विवाद अछि। तेँ अहीं सभ जानू! हम एहन बातक न्याय नहि करब।” 16 और ओ ओकरा सभ केँ कचहरी सँ भगा देलथिन। 17 तखन ओ सभ सभाघरक अध्यक्ष सोस्थिनेस केँ पकड़ि कऽ कचहरीक ठीक सामने मे पिटलक, मुदा एहि पर गल्लियो कनेको ध्यान नहि देलनि। 18 कोरिन्थ नगर मे बहुत दिन रहलाक बाद पौलुस विश्वासी भाय सभ सँ विदा लऽ कऽ पानि जहाज सँ सीरिया प्रदेशक लेल प्रस्थान कयलनि। हुनका संग प्रिस्किला आ अक्विला सेहो छलनि। चलऽ सँ पहिने पौलुस कोनो कबुलाक कारणेँ किंख्रिया शहर मे केश कटबौलनि। 19 ओ सभ इफिसुस नगर मे पहुँचलाह, जतऽ पौलुस प्रिस्किला आ अक्विला केँ छोड़ि देलथिन। ओ अपने ओहिठामक सभाघर मे जा कऽ यहूदी सभ सँ शास्त्रार्थ करऽ लगलाह। 20 ओ सभ हुनका सँ इफिसुस मे आरो दिन रहबाक आग्रह कयलकनि, मुदा ओ अस्वीकार करैत ओकरा सभ केँ कहलथिन, 21 “जँ परमेश्वरक इच्छा होयतनि तँ हम फेर आयब।” एतबा कहि ओ इफिसुस सँ पानि जहाज सँ विदा भऽ गेलाह। 22 ओ जखन कैसरिया नगर मे पहुँचलाह तँ ओतऽ सँ यरूशलेम जा कऽ मण्डली सँ भेँट कयलनि, आ तकरबाद ⌞सीरिया प्रदेशक⌟ अन्ताकिया नगर चल गेलाह। 23 अन्ताकिया मे किछु दिन रूकि कऽ पौलुस ओतऽ सँ फेर बहरयलाह आ क्रमशः गलातिया आ फ्रूगिया प्रदेश मे घूमि-घूमि कऽ शिष्य सभ केँ विश्वास मे मजगूत करैत रहलाह। 24 एम्हर इफिसुस मे, अपुल्लोस नामक एक यहूदी जिनकर जन्म सिकन्दरिया नगर मे भेल छलनि, पहुँचलाह। ओ नीक वक्ता आ धर्मशास्त्रक पंडित छलाह। 25 ओ प्रभुक देखाओल बाटक नीक शिक्षा पौने छलाह, आ यीशुक विषय मे बहुत आत्मिक उत्साह सँ लोक सभक बीच ठीक-ठीक सुनबैत आ सिखबैत छलाह। मुदा तैयो हुनकर ज्ञान यूहन्नाक बपतिस्मा तक सीमित छलनि। 26 ओ सभाघर मे सेहो निर्भयतापूर्बक बाजऽ लगलाह। प्रिस्किला आ अक्विला जखन हुनकर बात सुनलनि तँ हुनका अपना ओहिठाम लऽ गेलनि आ आओर बढ़ियाँ सँ परमेश्वरक बाटक सम्बन्ध मे बुझौलथिन। 27 तखन अपुल्लोस केँ जखन अखाया जयबाक इच्छा भेलनि तँ विश्वासी भाय सभ हुनका प्रोत्साहित कयलनि, आ हिनकर स्वागत करबाक लेल ओहिठामक शिष्य सभक नामे एक चिट्ठी लिखि देलथिन। अखाया पहुँचि कऽ ओ ओहि लोक सभ केँ बहुत मदति कयलनि जे परमेश्वरक कृपा सँ विश्वास मे आबि गेल छल, 28 कारण ओ धर्मशास्त्र सँ एहि बात केँ प्रमाणित कऽ कऽ जे यीशुए उद्धारकर्ता-मसीह छथि, सभक सामने मे यहूदी सभक मुँह एकदम बन्द कऽ दैत छलाह।
1 जखन अपुल्लोस कोरिन्थ नगर मे छलाह, तखन पौलुस समुद्र सँ दूर वला इलाका सभ दऽ कऽ इफिसुस नगर अयलाह, जतऽ हुनका किछु शिष्य सभ भेटलनि। 2 ओ ओकरा सभ केँ पुछलथिन, “अहाँ सभ जखन विश्वास कयलहुँ तँ की पवित्र आत्मा अहाँ सभ केँ प्राप्त भेलाह?” ओ सभ उत्तर देलकनि, “नहि। हम सभ तँ से सुननहु नहि छी जे पवित्र आत्मा होइत छथि।” 3 पौलुस पुछलथिन, “तँ कोन बात विश्वास कऽ कऽ बपतिस्मा लेलहुँ?” ओ सभ जबाब देलकनि, “जे बात यूहन्ना सिखबैत छलाह।” 4 एहि पर पौलुस ओकरा सभ केँ बुझौलथिन, “यूहन्नाक बपतिस्मा ई देखयबाक लेल छल जे, पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलहुँ, मुदा यूहन्ना लोक सभ केँ इहो सिखबैत छलाह जे, जे हमरा बाद मे आबि रहल छथि, अर्थात् यीशु, तिनका पर विश्वास करू।” 5 ओ सभ ई बात सुनि यीशुक नाम मे बपतिस्मा लेलक। 6 पौलुस ओकरा सभ पर हाथ रखलनि तँ पवित्र आत्मा ओकरा सभ मे अयलाह। ओ सभ अनजान भाषा मे बाजऽ लागल आ प्रभु सँ पाओल सम्बाद सभ सुनाबऽ लागल। 7 ओ सभ करीब बारह गोटे छल। 8 तीन मास धरि पौलुस ओतुक्का सभाघर मे जा कऽ निर्भयतापूर्बक लोक सभ सँ बात-चीत आ तर्क-वितर्क कऽ कऽ ओकरा सभ केँ परमेश्वरक राज्यक विषय मे बुझबैत रहलाह। 9 मुदा जखन ओकरा सभ मे सँ किछु लोक जिद्दिया कऽ शुभ समाचार नहि मानलक आ सौंसे सभाक सामने मे प्रभुक बाटक निन्दा करऽ लागल, तँ पौलुस ओकरा सभ केँ छोड़ि देलनि आ शिष्य सभ केँ अपना संग लऽ कऽ चल अयलाह। आब ओ सभ तुरन्नुस नामक व्यक्तिक भवन मे जा कऽ प्रति दिन तर्क-वितर्क करऽ लगलाह। 10 ई क्रम दू वर्ष धरि चलल। फलस्वरूप आसिया प्रदेश मे रहऽ वला सभ लोक, यहूदी आ यूनानी दूनू, प्रभुक वचन सुनऽ पौलक। 11 परमेश्वर पौलुसक माध्यम सँ बहुत अद्भुत चमत्कार करैत छलाह। 12 लोक सभ रुमाल आ अंगपोछा हुनका देह मे छुआ कऽ अस्वस्थ लोक सभ लग लऽ जाइत छल, तँ ओ सभ अपना बिमारी सँ मुक्त भऽ जाइत छल आ दुष्टात्मा सभ ओकरा सभ मे सँ निकलि जाइत छलैक। 13 एहि पर एम्हर-ओम्हर घुम-फिर करऽ वला किछु यहूदी ओझा-गुनी दुष्टात्मा सँ ग्रसित लोक सभ पर यीशुक नामक प्रयोग करबाक कोशिश कयलक। ओ सभ दुष्टात्मा सभ केँ एना कहैत छलैक, “यीशुक नाम सँ, जिनकर प्रचार पौलुस करैत छथि, हम तोरा आज्ञा दैत छिऔ—तोँ एकरा मे सँ निकल!” 14 एहि ओझा-गुनी सभ मे यहूदी सभक एक मुख्यपुरोहित, जिनकर नाम स्कीवा छलनि, तिनकर सातटा बेटा सेहो छल। 15 एक बेर दुष्टात्मा ओकरा सभ केँ उत्तर देलकैक, “यीशु केँ हम जनैत छियनि, आ पौलुस केँ चिन्हैत छियनि, लेकिन तोँ सभ के छेँ?” 16 तखन ओ दुष्टात्मा लागल आदमी ओकरा सभ पर झपटि कऽ सभ केँ पछाड़ि देलकैक, आ ततेक मारलकैक-पिटलकैक, जे ओ सभ नंगटे आ घायल भऽ कऽ ओहि घर सँ भागि गेल। 17 एहि घटनाक बारे मे जखन इफिसुसक निवासी, यहूदी आ यूनानी सभ सुनलक, तँ ओकरा सभ केँ बड़का डर सन्हिया गेलैक, आ प्रभु यीशुक प्रति आदर बहुत बढ़ि गेलैक। 18 विश्वासिओ सभ मे सँ बहुत गोटे आबि कऽ अपन गलत काज सभ खुलि कऽ मानि लेलक, 19 आ बहुत जादू-टोना करऽ वला सभ अपन पोथी सभ जमा कऽ कऽ सभक सामने मे जरा देलक। जखन ओहि सभ पोथीक मूल्यांकन कयल गेल तँ ओ पचास हजार चानीक सिक्काक छल। 20 एहि तरहेँ प्रभुक वचन आरो पसरैत गेल, और शक्ति आ प्रभाव मे बढ़ैत गेल। 21 एहि घटना सभक बाद पौलुस अपना मोन मे मकिदुनिया और अखाया प्रदेश दऽ कऽ यरूशलेम जयबाक निर्णय कऽ लेलनि। ओ कहलनि, “ओतऽ पहुँचलाक बाद हमरा रोम सेहो गेनाइ आवश्यक अछि।” 22 तखन ओ अपन दूटा सहकर्मी तिमुथियुस आ इरास्तुस केँ आगाँ मकिदुनिया पठा कऽ अपने किछु दिन आओर आसिया प्रदेश मे रहलाह। 23 एही समय मे प्रभुक “बाट” केँ लऽ कऽ इफिसुस शहर मे बड़का खलबली मचि गेल। 24 देमेत्रियुस नामक एक सोनार, जे अरतिमिस देवीक मन्दिरक चानीक मुरुत बनबैत छल आ कारीगर सभ केँ सेहो बहुते काज दिअबैत छल, 25 से एक दिन अपन कारीगर सभ आ एहि व्यवसाय सँ सम्बन्धित आरो कारीगर सभ केँ सेहो जमा कऽ कऽ कहलकैक, “यौ भाइ लोकनि! अहाँ सभ केँ बुझले अछि जे अपना सभक सभ धन-सम्पत्ति एही व्यवसाय सँ अछि। 26 और इहो देखि आ सुनि रहल छी जे ई पौलुस कोना इफिसुसो मे आ करीब-करीब सौंसे आसिया प्रदेश मे बहुतो लोक केँ समझा-बुझा कऽ बहका देने छैक जे, हाथक बनाओल देवता तँ देवता अछिए नहि। 27 एहि सँ एतबे बातक खतरा नहि, जे अपना सभक व्यवसायक प्रतिष्ठा जाइत रहत, बल्कि एकरो जे महान् देवी अरतिमिसक मन्दिर तुच्छ बुझल जयतनि, और ई देवी जिनकर पूजा आसिया प्रदेश मे आ सौंसे संसार मे सेहो कयल जाइत छनि, तिनकर ईश्वरीय गौरव समाप्त भऽ जयतनि।” 28 ई सुनि ओकरा सभक क्रोध भड़कि उठल और ओ सभ जोर-जोर सँ नारा लगाबऽ लागल जे, “इफिसी सभक अरतिमिस देवी महान् छथि!” 29 आब सौंसे शहर मे हुल्लड़ि मचि गेल। लोक सभ गयुस और अरिस्तर्खुस, जे मकिदुनिया प्रदेशक छलाह आ पौलुसक संग यात्रा कऽ रहल छलाह, तिनका सभ केँ पकड़ि लेलकनि आ सभ केओ एक जुट भऽ कऽ खेलक मैदान दिस दौड़ि पड़ल। 30 पौलुस भीड़क समक्ष जा कऽ लोक सभ केँ किछु कहऽ चाहैत छलाह, मुदा आरो शिष्य सभ हुनका ओतऽ नहि जाय देलथिन। 31 आसियाक किछु उच्चाधिकारी सभ, जे पौलुसक मित्र छलनि, सेहो हुनका खबरि पठा कऽ आग्रह कयलथिन जे ओ मैदान मे जयबाक कोशिश नहि करथि। 32 एम्हर मैदान मे लोक सभक बीच ततेक गड़बड़ी छल जे ओ सभ हल्ला कऽ कऽ केओ किछु कहैत छल, तँ केओ किछु। विशेष लोक इहो नहि जनैत छल जे एतऽ आयल छी किएक। 33 तखन यहूदी सभ सिकन्दर केँ ठेलि-ठालि कऽ प्रवक्ताक रूप मे सभाक आगाँ ठाढ़ कऽ देलकनि, और भीड़ मे सँ किछु लोक हुनका निर्देश देबऽ लगलनि। ओ भीड़ केँ चुप रहबाक लेल हाथ सँ संकेत कऽ कऽ लोक केँ बुझाबऽ लगलाह, 34 मुदा लोक सभ जखन बुझलक जे ई यहूदी अछि तँ करीब दू घण्टा धरि एक स्वर मे नारा लगबैत रहल जे, “इफिसी सभक अरतिमिस देवी महान् छथि!” 35 अन्त मे शहरक प्रधानजी भीड़ केँ शान्त कयलनि आ कहलथिन, “यौ इफिसुस-निवासी सभ! की संसारक प्रत्येक मनुष्य ई नहि जनैत अछि जे इफिसुस शहर महान् देवी अरतिमिसक मन्दिर आ आकाश सँ खसल हुनकर मुरुतक रक्षक अछि? 36 ई बात जखन निर्विवाद अछि तँ अहाँ सभ केँ शान्त रहबाक चाही आ बिनु सोचने-विचारने किछु नहि करबाक चाही। 37 कारण, अहाँ सभ तँ एहन व्यक्ति सभ केँ पकड़ि कऽ अनने छी जे ने तँ मन्दिर केँ लुटने अछि आ ने अपना सभक देवीक अपमान कयने अछि। 38 तेँ जँ देमेत्रियुस आ हुनकर संगी कारीगर सभ केँ ककरो सँ सिकायत छनि तँ कचहरी खुजल अछि आ न्यायाधीश लोकनि सेहो छथि। ओ सभ अपन अभियोग कचहरी मे पेश करथु। 39 और जँ अहाँ सभ कोनो दोसर प्रश्न उठाबऽ चाहैत होइ तँ तकर निर्णय नियमित नागरिक-सभा मे कयल जायत। 40 एखन हमरा डर अछि जे अजुका घटनाक कारणेँ कतौ अपना सभ पर दंगाक आरोप ने लगाओल जाय, कारण ई हुल्लड़ि बिनु कारणेँ छल, आ एकरा बारे मे अपना सभ कोनो उत्तर नहि दऽ सकब।” 41 एतबा कहि ओ सभा केँ समाप्त कऽ देलनि।
1 ई खलबली वला बात शान्त भेलाक बाद, पौलुस शिष्य सभ केँ बजा कऽ हुनका सभ सँ प्रोत्साहनक किछु शब्द कहि विदा लेलनि आ मकिदुनियाक लेल प्रस्थान कयलनि। 2 मकिदुनिया प्रदेश दऽ कऽ जाइत काल ओ ओतुक्का विश्वासी सभ केँ बहुत बात द्वारा उत्साह बढ़ौलनि, और अन्त मे यूनान देश मे पहुँचलाह। 3 यूनान मे तीन मास धरि रहलाक बाद, ओ सीरियाक लेल पानि जहाज सँ विदा होमऽ पर छलाह, तखने पता चललनि जे यहूदी सभ हमरा विरोध मे षड्यन्त्र रचि रहल अछि। तेँ ओ फेर मकिदुनिया दऽ कऽ फिरि जयबाक निश्चय कयलनि। 4 हुनका संग ईहो सभ छलाह—पिरुसक बेटा सोपात्रस, जे बिरीयाक निवासी छलाह, थिसलुनिकाक निवासी अरिस्तर्खुस आ सिकुन्दुस, दरबे नगरक निवासी गयुस, तिमुथियुस, और आसिया प्रदेशक तुखिकुस आ त्रोफिमुस। 5 हुनकर ई संगी सभ हमरा सभ सँ आगाँ बढ़लाह आ त्रोआस नगर जा कऽ हमरा सभक प्रतीक्षा करऽ लगलाह। 6 एम्हर हम सभ “बिनु खमीरक रोटी वला पाबनि”क बाद फिलिप्पी नगर सँ विदा भेलहुँ, आ पानि जहाजक पाँच दिनक यात्राक बाद हुनका सभ लग त्रोआस मे पहुँचलहुँ। ओतऽ हम सभ सात दिन रहलहुँ। 7 सप्ताहक पहिल दिन हम सभ विश्वासी सभक संग प्रभु-भोज करबाक लेल एक ठाम जमा भेलहुँ। पौलुस लोक सभ सँ बात-चीत करऽ लगलाह, आ दुपहर राति तक बजैत रहलाह, कारण हुनका प्रात भेने विदा होयबाक छलनि। 8 ऊपर वला कोठली जाहि मे हम सभ जमा भेल छलहुँ ताहि मे बहुते दीप सभ जरि रहल छल। 9 खिड़की मे युतखुस नामक एक युवक बैसल छल। पौलुसक बात सुनैत-सुनैत ओ औँघाय लागल आ अन्त मे भारी निन्द आबि गेला सँ ओ ओहि तीनमहला पर सँ खसि पड़ल। लोक सभ ओकरा मरल उठौलक। 10 पौलुस नीचाँ गेलाह, आ झुकि कऽ ओकरा भरि पाँज कऽ धऽ लेलथिन। तखन बजलाह, “नहि घबड़ाउ! ई जीविते अछि।” 11 तखन पौलुस फेर जा कऽ प्रभु-भोज कयलनि और भोजन कऽ कऽ लोक सभ सँ भोर तक बात-चीत करैत रहलाह आ विदा भऽ गेलाह। 12 लोक सभ बहुत खुश भऽ कऽ ओहि युवक केँ जीविते घर लऽ गेल। 13 हम सभ आब जहाज पर चढ़ि कऽ आगाँ असुस नगरक लेल विदा भेलहुँ। पौलुस हमरा सभक लेल एना सोचने छलाह जे हम सभ आगाँ पानि जहाज सँ जाइ आ असुस मे हुनका जहाज पर चढ़ा लियनि, कारण ओ असुस तक पैदले आबऽ चाहैत छलाह। 14 असुस मे ओ हमरा सभ सँ भेँट कयलनि, आ हम सभ हुनका जहाज पर लऽ, मितुलेन नगर तक अयलहुँ। 15 दोसरे दिन ओतऽ सँ विदा भऽ खियुस द्वीपक सामने पहुँचलहुँ, आ तकर प्रात भेने सामोस द्वीप तक अयलहुँ। फेर दोसरे दिन मिलेतुस नगर मे अयलहुँ। 16 पौलुस निर्णय कयने छलाह जे हम सभ इफिसुस नगर केँ छोड़ैत निकलि जायब जाहि सँ आसिया प्रदेश मे देरी नहि होअय। ओ एहि लेल जल्दी मे छलाह जे, जँ सम्भव होअय तँ पेन्तेकुस्त दिन तक यरूशलेम पहुँचि जाइ। 17 मिलेतुस सँ पौलुस इफिसुसक मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि केँ खबरि पठा कऽ बजबौलनि। 18 ओ सभ जखन आबि गेलाह तँ पौलुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “अहाँ सभ जनिते छी जे जाहि दिन हम आसिया प्रदेश मे अयलहुँ ताहि दिन सँ अहाँ सभक संग रहि कऽ हम अपन समय कोना व्यतीत कयने रही। 19 बहुत नम्रतापूर्बक आ नोर बहा-बहा कऽ ओहि संकटक घड़ी मे, जे यहूदी सभक षड्यन्त्रक कारणेँ हमरा पर आयल छल, हम प्रभुक सेवा करैत रहलहुँ। 20 जे कोनो बात अहाँ सभक हितक लेल छल, से सभ बात अहाँ सभ केँ खुलि कऽ कहलहुँ और सभा सभ मे आ घरो-घर जा-जा कऽ अहाँ सभ केँ उपदेश दैत रहलहुँ। 21 हम यहूदी आ यूनानी दूनू केँ दृढ़तापूर्बक चेतावनी दैत रहलहुँ जे ओ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ परमेश्वरक दिस फिरय आ अपना सभक प्रभु यीशु पर विश्वास करय। 22 “और आब हम पवित्र आत्माक आज्ञाक अनुसार यरूशलेम जा रहल छी। ओतऽ हमरा संग की होयत, से नहि जनैत छी। 23 एतबे जनैत छी जे प्रत्येक शहर मे पवित्र आत्मा हमरा चेतावनी दऽ रहल छथि जे जहल आ कष्ट तोहर प्रतीक्षा मे छह। 24 मुदा हमरा लेल हमर प्राणक कोनो महत्व नहि अछि। हमरा एकेटा एही बात सँ मतलब अछि जे हम ओहि दौड़ केँ अन्त धरि दौड़ी आ ओहि काज केँ पूरा करी जे प्रभु यीशु हमरा देने छथि। ओ काज अछि परमेश्वरक कृपा सम्बन्धी शुभ समाचारक गवाही देनाइ। 25 “हम आब जनैत छी जे अहाँ सभ, जिनका बीच मे हम परमेश्वरक राज्यक प्रचार करैत घुमलहुँ-फिरलहुँ, हमर मुँह फेर कहियो नहि देखब। 26 तेँ हम आइ अहाँ सभक सामने ई बात गम्भीरतापूर्बक कहैत छी जे जँ अहाँ सभ मे सँ केओ नाश होयब तँ तकर उत्तरदायी हम नहि होयब। 27 कारण, हम अहाँ सभ केँ परमेश्वरक पूरा योजना सुनाबऽ मे किछु बाँकी नहि रखलहुँ। 28 “अहाँ सभ जे सभ मण्डलीक जिम्मेवार लोक छी, अपन आत्मिक जीवनक ध्यान राखू आ तकरो सभक जकरा सभ केँ पवित्र आत्मा अहाँ सभक जिम्मा मे राखि देने छथि। परमेश्वरक एहि भेँड़ाक मण्डली, जकरा ओ अपन पुत्रक खून सँ किनलनि, तकर अहाँ सभ चरबाह छी। 29 हम जनैत छी जे हमरा चल गेलाक बाद अति खतरनाक जंगली जानबर सभ अहाँ सभक बीच मे आओत आ भेँड़ा सभ केँ नहि छोड़त। 30 अहाँ सभक अपनो बीच सँ एहन लोक ठाढ़ होयत जे विश्वासी सभ केँ अपना दिस खीचि अपन चेला बनयबाक लेल सत्य केँ टेढ़-मेढ़ कऽ देत। 31 तेँ सतर्क रहू! आ मोन राखू जे कोना हम तीन वर्ष धरि दिन-राति नोर बहा-बहा कऽ अहाँ सभ मे सँ एक-एक गोटे केँ बुझबैत रहलहुँ। 32 “और आब हम अहाँ सभ केँ परमेश्वरक जिम्मा मे छोड़ि रहल छी आ हुनकर कृपापूर्ण वचनक सुरक्षा मे सौंपि दैत छी, जे वचन अहाँ सभ केँ मजगूत बना सकैत अछि आ परमेश्वरक सभ पवित्र कयल लोकक संग अहाँ सभक उत्तराधिकार अहाँ सभ केँ दऽ सकैत अछि। 33 हम ककरो सोना-चानी वा वस्त्रक लोभ कहियो नहि कयलहुँ। 34 अहाँ सभ स्वयं जनैत छी जे हम अपन एहि हाथ सभ सँ परिश्रम कऽ कऽ अपन आ अपन संगी सभक आवश्यकता पूरा कयलहुँ। 35 हम अपन सभ काज मे अहाँ सभ केँ देखा देलहुँ जे कोना एहि तरहक परिश्रम कऽ कऽ अपना सभ केँ निर्बल सभक सहयोग करबाक अछि, आ प्रभु यीशुक कहल बात केँ मोन रखबाक अछि जे ओ अपने बाजल छलाह, ‘लेबऽ सँ देबऽ मे आशिष अछि।’” 36 एतबा कहि पौलुस सभक संग ठेहुनिया दऽ कऽ प्रार्थना कयलनि। 37 तखन ओ सभ कानि-कानि कऽ आ पंजिया-पंजिया कऽ हुनका चुम्मा लेबऽ लगलनि। 38 हुनका सभ केँ सभ सँ बेसी दुःख हुनकर एहि बात सँ भेलनि जे, अहाँ सभ हमर मुँह फेर कहियो नहि देखब। तकरबाद ओ सभ हुनका अरियाति कऽ जहाज तक पहुँचा देलनि।
1 हुनका सभ सँ विदा लऽ कऽ हम सभ जहाज मे चढ़लहुँ आ सोझे-सोझ जा कऽ कोस द्वीप पर पहुँचलहुँ। प्रात भेने रूदुस द्वीप तक अयलहुँ आ ओतऽ सँ पतारा नगर। 2 पतारा मे हमरा सभ केँ फीनिकी प्रदेश जाय वला एक जहाज भेटल, जाहि पर चढ़ि हम सभ फेर विदा भऽ गेलहुँ। 3 जाइत-जाइत हमरा सभ केँ साइप्रस द्वीप देखाइ देलक। ओकर दक्षिण भाग सँ होइत हम सभ आगाँ सीरिया प्रदेश दिस बढ़लहुँ। हम सभ सीरिया प्रदेशक सूर नगर मे उतरलहुँ, कारण ओतऽ जहाज केँ अपन माल उतारबाक छलैक। 4 सूर मे हम सभ प्रभुक शिष्य सभ केँ ताकि कऽ हुनका सभक संग सात दिन धरि रहलहुँ। पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ बुझि ओ सभ पौलुस केँ बेर-बेर कहलथिन जे, “अहाँ यरूशलेम नहि जाउ!” 5 मुदा ओतऽ रहबाक समय जखन पूरा भऽ गेल तँ हम सभ विदा लऽ कऽ अपना रस्ता पर आगाँ बढ़लहुँ। सभ शिष्य अपन स्त्री-बच्चा सभक संग हमरा सभ केँ नगरक बाहर तक अरियातऽ अयलाह। ओतऽ समुद्रक कछेर पर हम सभ ठेहुनिया दऽ कऽ प्रार्थना कयलहुँ, 6 आ एक-दोसर सँ विदा लेलहुँ। तखन हम सभ जहाज मे चढ़लहुँ और ओ सभ घर घूमि गेलाह। 7 सूर सँ आगाँ बढ़ि हम सभ तुलमाइस नगर तक पहुँचलहुँ, जतऽ उतरि कऽ विश्वासी भाय सभ सँ भेँट कयलहुँ आ हुनका सभक संग एक दिन रहलहुँ। 8 प्रात भेने हम सभ विदा भऽ गेलहुँ आ कैसरिया नगर मे पहुँचि सुसमाचार-प्रचारक फिलिपुसक ओहिठाम जा कऽ रहलहुँ। ओ “सात सेवक” मे सँ एक छलाह । 9 हुनका चारिटा कुमारि कन्या छलनि, जे परमेश्वरक प्रवक्तिनि छलीह। 10 हमरा सभ केँ ओतऽ रहैत किछु दिन बितलाक बाद अगबुस नामक परमेश्वरक प्रवक्ता यहूदिया सँ कैसरिया अयलाह। 11 ओ हमरा सभ सँ भेँट कयलनि, आ पौलुसक डाँड़ बान्हऽ वला गमछा लऽ कऽ अपन हाथ-पयर बान्हि लेलनि आ कहलनि, “पवित्र आत्मा कहैत छथि जे, जिनकर ई गमछा छनि, से एही तरहेँ यरूशलेम मे यहूदी सभक द्वारा बान्हल जयताह आ गैर-यहूदीक हाथ मे सौंपल जयताह।” 12 ई बात जखन सुनलहुँ तँ हम सभ और ओहिठामक लोक सभ पौलुस सँ बेर-बेर विनती कयलहुँ जे ओ यरूशलेम नहि जाथि। 13 मुदा पौलुस उत्तर देलनि, “अहाँ सभ ई की कऽ रहल छी? एना कानि-कानि कऽ हमरा मोन केँ किएक दुखी कऽ रहल छी? हम तँ प्रभु यीशुक कारणेँ यरूशलेम मे बन्हयबेक लेल नहि, बल्कि मरबोक लेल तैयार छी।” 14 हम सभ हुनका जखन नहि मना सकलियनि तँ ई कहि कऽ बात छोड़ि देलहुँ जे, “प्रभुक इच्छा पूरा होनि।” 15 तकरबाद हम सभ अपन सामान तैयार कऽ यरूशलेमक लेल विदा भऽ गेलहुँ। 16 कैसरियाक किछु विश्वासी सभ सेहो हमरा सभक संग अयलाह, और हमरा सभ केँ साइप्रस निवासी मनासोन नामक एक पुरान शिष्यक घर मे लऽ गेलाह, जतऽ हमरा सभ केँ रहबाक छल। 17 यरूशलेम मे जखन पहुँचलहुँ तँ विश्वासी भाय सभ बहुत आनन्दक संग हमरा सभक स्वागत कयलनि। 18 प्रात भेने पौलुस हमरा सभक संग याकूबक ओहिठाम गेलाह। मण्डलीक सभ देख-रेख कयनिहार लोकनि ओतऽ जमा छलाह। 19 पौलुस हुनका सभ केँ नमस्कार कऽ कऽ, ओ सभ काजक विषय मे एक-एकटा कऽ सुना देलथिन जे परमेश्वर हुनकर सेवा-काजक द्वारा गैर-यहूदी सभक बीच कयने छलाह। 20 पौलुसक बात सुनि ओ सभ परमेश्वरक स्तुति कयलनि। तखन पौलुस केँ कहलथिन, “यौ पौलुस भाइ, अहाँ तँ देखिते छी जे यहूदी सभ मे सँ हजारो-हजार लोक प्रभु यीशु पर विश्वास कऽ लेने अछि, आ सभ मूसाक धर्म-नियमक कट्टर समर्थक अछि। 21 अहाँक बारे मे ओकरा सभ केँ कहल गेल छैक जे अहाँ गैर-यहूदी लोकक बीच मे रहनिहार यहूदी सभ केँ सिखबैत छी जे मूसाक धर्म-नियम केँ छोड़ू, अपना बच्चा सभ केँ खतना नहि कराउ और पूर्वजक अन्य प्रथा सभ केँ नहि मानू। 22 आब की कयल जाय? ओ सभ अवश्य सुनत जे अहाँ आबि गेल छी। 23 तेँ अहाँ एकटा काज करू। एतऽ हमरा सभक संग चारि गोटे छथि जे कबुला कयने छथि। 24 हुनका सभ केँ लऽ जाउ और अहूँ हुनका सभक संग रीतिक अनुसार अपना केँ शुद्ध करू। हुनका सभ केँ एहि सभक खर्च दियौन, तखन ओ सभ अपन केशो कटबा सकताह। एहि तरहेँ सभ केँ पता लगतैक जे जतेक बात अहाँक बारे मे सुनने छल, से सभ फूसि अछि, और अहाँ अपने, धर्म-नियमक पालन करैत छी। 25 रहल गैर-यहूदी सभक विषय मे जे प्रभु पर विश्वास कऽ लेने छथि, तँ हुनका सभ केँ हम सभ अपन निर्णय लिखि पठा देने छियनि जे ओ सभ एहि बात सभ सँ बाँचल रहथु—मूर्ति पर चढ़ाओल खयबाक वस्तु सँ, खूनक खान-पान सँ, कण्ठ दबा कऽ मारल ⌞अर्थात् बिनु खून बहौने मारल⌟ पशुक माँसु सँ आ अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध सँ।” 26 प्रात भेने पौलुस ओहि चारि गोटे केँ अपना संग लऽ जा कऽ हुनका सभक संग अपना केँ शुद्ध कयलनि। तखन शुद्धीकरणक सात दिन कहिया पुरि जायत, और हुनका सभ मे सँ प्रत्येकक लेल बलि-प्रदान कयल जायत, तकर जानकारी पुरोहित केँ देबाक लेल मन्दिर मे गेलाह। 27 शुद्धीकरणक सात दिन जखन पूरा होमऽ पर छल तँ आसिया प्रदेशक किछु यहूदी सभ पौलुस केँ मन्दिर मे देखलकनि। ओ सभ समस्त भीड़ केँ भड़का कऽ हुनका पकड़ि लेलकनि 28 आ हल्ला करऽ लागल, “इस्राएली बाबू-भैया सभ, मदति करू! ई वैह अछि जे सभतरि अपना सभक यहूदी जाति, मूसाक धर्म-नियम आ एहि मन्दिरक विरोध मे सभ केँ सिखबैत अछि। एतबे नहि। आब ओ यूनानिओ सभ केँ मन्दिर मे लाबि एहि पवित्र स्थान केँ अपवित्र कऽ देलक अछि!” 29 ई बात ओ सभ एहि लेल कहलक जे शहर मे पौलुसक संग इफिसुस-निवासी त्रोफिमुस केँ देखने छलैक, आ तेँ बुझलक जे पौलुस ओकरा मन्दिरो मे लऽ गेल होयतैक। 30 ई सुनि सौंसे शहरक लोकक खून खौलऽ लगलैक। सभ दिस सँ लोक सभ दौड़ैत आयल, आ पौलुस केँ पकड़ि कऽ मन्दिर सँ घिसिअबैत बाहर अनलकनि। मन्दिरक द्वारि तुरत बन्द कऽ देल गेल। 31 ओ सभ पौलुस केँ जान सँ मारि देबाक कोशिश मे छल, मुदा तखने रोमी सैन्यदलक सेनापति लग ई खबरि पहुँचल जे सौंसे यरूशलेम मे उपद्रव मचि गेल अछि। 32 ओ तुरत किछु सेनानायक आ सैनिक सभ केँ लऽ कऽ भीड़क दिस दौड़ि पड़लाह। लोक सभ जखन सेनापति आ हुनकर सैनिक सभ केँ देखलकनि तँ पौलुस केँ पिटनाइ छोड़ि देलक। 33 सेनापति पौलुस लग आबि कऽ हुनका बन्दी बना लेलनि, आ हुनका दू जिंजीर लऽ कऽ बन्हबाक आदेश देलनि। तखन लोक सभ केँ पुछलथिन, “ई के अछि आ की कयने अछि?” 34 भीड़क लोक सभ उत्तर मे केओ किछु बाजि कऽ तँ केओ किछु बाजि कऽ हल्ला करऽ लागल। हल्लाक कारणेँ सेनापति कोनो बातक पता नहि लगा सकलाह, तेँ आज्ञा देलनि जे पौलुस केँ गढ़ मे लऽ गेल जाय। 35 पौलुस जखन गढ़क सीढ़ी लग पहुँचलाह तँ भीड़ ततेक हिंसक भऽ गेल छल जे सैनिक सभ केँ पौलुस केँ उठा कऽ लऽ जाय पड़लैक। 36 भीड़ पाछाँ-पाछाँ अबैत हल्ला करैत रहल जे, “ओकरा खतम करू!” 37 सैनिक सभ जखन पौलुस केँ गढ़क भीतर लऽ जाय लागल तँ पौलुस सेनापति केँ कहलथिन, “अपने जँ आज्ञा दी तँ हम अपने सँ किछु बात करी।” ओ उत्तर देलनि, “तखन तोँ यूनानी भाषा जनैत छह? 38 की तोँ ओ मिस्र-निवासी नहि छह जे हाल मे विद्रोह करबा कऽ चारि हजार उग्रवादी केँ निर्जन प्रदेश मे लऽ गेल छल?” 39 पौलुस उत्तर देलथिन, “हम यहूदी छी, किलिकिया प्रदेशक प्रसिद्ध महानगर तरसुसक नागरिक। अपने सँ निवेदन अछि जे एहि लोक सभ केँ हम किछु कही तकरा लेल हमरा हुकुम देल जाओ।” 40 सेनापतिक आज्ञा पाबि, पौलुस सीढ़ी पर ठाढ़ भऽ कऽ भीड़क लोक केँ शान्त रहबाक लेल हाथ सँ संकेत कयलनि। लोक सभ जखन शान्त भऽ गेल तँ ओ ओकरा सभ केँ इब्रानी भाषा मे कहऽ लगलथिन,
1 “बाबू-भैया लोकनि, हम अपना बारे मे जे कहऽ चाहैत छी से सुनू।” 2 लोक सभ जखन अपना इब्रानी भाषा मे हुनका बजैत सुनलक तँ आरो शान्त भऽ गेल। पौलुस आगाँ कहऽ लगलथिन, 3 “हम यहूदी छी। किलिकिया प्रदेशक तरसुस नगर मे हमर जन्म भेल, मुदा हमर पालन-पोषण एहि यरूशलेम शहर मे भेल। एतऽ आचार्य गमालिएलक चरण मे हमर शिक्षा-दीक्षा भेल। अपना सभक पूर्वजक धर्म-नियम सभ निष्ठापूर्बक पालन करबाक लेल हमरा विस्तारपूर्बक सिखाओल गेल, और हम परमेश्वरक लेल एहन उत्साह सँ समर्पित छलहुँ जेना अहाँ सभ आइ छी। 4 एहि ‘बाट’ पर विश्वास कयनिहार सभ केँ सता कऽ हम मारिओ दैत छलहुँ—पुरुष आ स्त्रीगण दूनू केँ बान्हि-बान्हि कऽ जहल मे रखबा दैत छलहुँ। 5 एहि बातक गवाह महापुरोहित अपने आ धर्मसभाक सदस्य सभ छथि। ओ सभ दमिश्कक यहूदी भाय सभक नामे हमरा पत्रो देलनि जाहि सँ हम दमिश्क जा कऽ विश्वासी सभ केँ बन्दी बना कऽ यरूशलेम आनि दण्ड दिआ सकी। 6 “ओतऽ जाइत-जाइत करीब दुपहरक समय मे जखन हम दमिश्क केँ लगचिआ लेने छलहुँ तँ एकाएक आकाश सँ एकटा बहुत तेज इजोत हमरा चारू कात पड़ल। 7 हम जमीन पर खसि पड़लहुँ, आ एकटा आवाज हमरा ई कहैत सुनाइ देलक, ‘हौ साउल, हौ साउल, तोँ हमरा किएक सतबैत छह?’ हम पुछलियनि, 8 ‘यौ प्रभु, अहाँ के छी?’ ओ उत्तर देलनि, ‘हम नासरतक यीशु छी, जिनका तोँ सता रहल छह।’ 9 हमर संगी सभ इजोत देखलनि, मुदा जे हमरा सँ बात कऽ रहल छलाह, तिनकर आवाजक अर्थ नहि बुझलनि। 10 “हम पुछलियनि, ‘आब हम की करू, प्रभु?’ प्रभु उत्तर देलनि, ‘तोँ उठि कऽ दमिश्क जाह। ओतऽ तोरा कहल जयतह जे तोरा करबाक लेल परमेश्वर की निश्चित कयने छथुन।’ 11 ओहि बड़का इजोतक कारणेँ हमर आँखि अन्हरा गेल छल, आ तेँ हमर संगी सभ हाथ पकड़ि कऽ हमरा दमिश्क मे लऽ गेलाह। 12 “हननियाह नामक एक आदमी हमरा सँ भेँट करबाक लेल अयलाह। ओ धर्म-नियम केँ भक्तिपूर्बक पालन करऽ वला छलाह, आ दमिश्कक सभ यहूदीक बीच प्रतिष्ठित मानल जाइत छलाह। 13 ओ हमरा लग मे ठाढ़ भऽ कऽ कहलनि, ‘भाइ साउल, आब अहाँ फेर सँ देखऽ लागू!’ ओही क्षण हमरा फेर सुझऽ लागल आ हम हुनका देखलियनि। 14 “तखन ओ हमरा कहलनि, ‘अपना सभक पूर्वजक परमेश्वर अहाँ केँ पहिनहि सँ एहि लेल चुनने छथि जे अहाँ हुनकर इच्छा केँ जानी, हुनकर धार्मिक सेवक केँ देखी आ हुनकर अपन मुँहक बात सुनी। 15 सभ मनुष्यक सामने अहाँ ओहि बातक गवाह होयब जे देखने आ सुनने छी। 16 आब आओर विलम्ब किएक? उठू, और प्रभु यीशु सँ विनती कऽ कऽ बपतिस्मा लिअ आ अपन पाप धो लिअ।’ 17 “हम यरूशलेम घुरि अयलहुँ। एक दिन मन्दिर मे प्रार्थना करैत काल हम प्रभुक दर्शन पौलहुँ। 18 हम देखलहुँ जे प्रभु हमरा कहि रहल छथि जे, ‘जल्दी करह! यरूशलेम केँ तुरत छोड़ह, कारण लोक सभ हमरा बारे मे तोहर गवाही स्वीकार नहि करतह।’ 19 हम हुनका उत्तर देलियनि, ‘मुदा प्रभुजी, ओ सभ जनैत अछि जे हम सभाघर सभ मे जा-जा कऽ अहाँक विश्वासी सभ केँ पकड़ि कऽ पिटैत छलहुँ आ जहल मे रखैत छलहुँ। 20 और अहाँक गवाह स्तिफनुसक जखन हत्या भऽ रहल छल तँ हम अपने ओतऽ ठाढ़ छलहुँ आ हुनकर हत्या सँ सहमत छलहुँ। हत्यारा सभक वस्त्रक रखबारिओ कयलहुँ।’ 21 तखन प्रभु हमरा कहलनि, ‘तोँ जाह। हम तोरा दूर-दूर तक गैर-यहूदी सभक बीच पठयबह।’” 22 एतऽ तक लोक सभ पौलुसक बात सुनैत रहल, मुदा आब ई बात सुनिते जे “हम तोरा गैर-यहूदी सभक बीच पठयबह,” ओ सभ जोर-जोर सँ हल्ला करऽ लागल, “एकरा खतम कऽ दिअ! पृथ्वी पर सँ एकर नामो-निशान मेटा दिअ! ई जीवित रहऽ जोगरक नहि अछि!” 23 हल्ला करैत ओ सभ अपन कपड़ा हवा मे फेकि रहल छल और आकाश दिस गर्दा उड़ा रहल छल। 24 तँ सेनापति आदेश देलनि जे, एकरा गढ़ मे लऽ जाह, आ चाबुक सँ पिटि कऽ एकरा सँ पूछ-ताछ करहक जाहि सँ हम बुझि सकब जे लोक सभ एकरा विरोध मे एना किएक हल्ला कऽ रहल छैक। 25 ओ सभ पौलुस केँ जखन पिटबाक लेल बान्हि लेने छल तँ पौलुस कप्तान, जे लग मे ठाढ़ छलाह, तिनका सँ पुछलथिन, “की कानूनक अनुसार ई बात ठीक अछि जे कोनो रोमी नागरिक केँ पिटब, आ ताहू मे, तकरा जे कोनो अपराधक दोषी नहि ठहराओल गेल होअय?” 26 कप्तान ई सुनि सेनापति लग जा कऽ कहलथिन, “अपने ई की कऽ रहल छी? ई आदमी तँ रोमी नागरिक अछि!” 27 सेनापति पौलुस लग अयलाह आ पुछलथिन, “कहह! की तोँ रोमी नागरिक छह?” ओ उत्तर देलथिन, “हँ।” 28 तखन सेनापति कहलथिन, “हमरा तँ अपन नागरिकता प्राप्त करऽ मे बहुत पाइ खर्च करऽ पड़ल।” पौलुस उत्तर देलथिन, “मुदा हम तँ जन्मे सँ नागरिक छी।” 29 तखन ओ सभ जे हुनका सँ पूछ-ताछ करितनि, से सभ तुरत पौलुस केँ छोड़ि कऽ ओतऽ सँ हटि गेल। सेनापति ई बुझि अपनो भयभीत छलाह, जे हम एक रोमी नागरिक केँ जिंजीर सँ बन्हबौने छी। 30 प्रात भेने एहि बातक ठीक सँ पता लगयबाक लेल जे यहूदी सभ पौलुस पर किएक अभियोग लगा रहल अछि, सेनापति हुनकर बन्हन खोलि देलनि और आदेश देलनि जे मुख्यपुरोहित सभ आ सम्पूर्ण धर्म-महासभा जमा होअय। धर्म-महासभा जमा भेला पर हुनका सभक सामने पौलुस केँ ठाढ़ कऽ देलनि।
1 पौलुस धर्म-महासभाक दिस एकटक लगा कऽ देखलनि आ बजलाह, “भाइ लोकनि, हम जाहि तरहेँ आजुक दिन धरि अपन जीवन व्यतीत कयने छी, ताहि सम्बन्ध मे हम अपना केँ परमेश्वरक नजरि मे निर्दोष बुझैत छी।” 2 एहि पर महापुरोहित हननियाह पौलुसक लग मे ठाढ़ लोक सभ केँ आदेश देलथिन जे, मारू ओकरा मुँह पर थप्पड़। 3 तखन पौलुस हुनका कहलथिन, “यौ चुनक-पोतल देवाल, परमेश्वर अहीं केँ मारताह! अहाँ धर्म-नियमक अनुसार हमर न्याय करबाक लेल एतऽ बैसल छी, और अहाँ अपने धर्म-नियमक विरोध मे हमरा मारबाक लेल आज्ञा दैत छिऐक!” 4 पौलुसक लग ठाढ़ लोक सभ हुनका कहलकनि, “की अहाँ परमेश्वरक ठहराओल महापुरोहित केँ अपमानित करैत छियनि?” 5 पौलुस उत्तर देलथिन, “भाइ लोकनि, हमरा नहि बुझल छल जे ई महापुरोहित छथि। धर्मशास्त्रक लेख अछि, ‘तोँ अपन समाजक शासक केँ अपशब्द नहि कहबह।’” 6 पौलुस जनैत छलाह जे उपस्थित लोक सभ मे सदुकी आ फरिसी दूनू पंथक लोक अछि, आ तेँ ओ सभा मे बाजऽ लगलाह, “भाइ लोकनि, हम फरिसी छी, आ फरिसीक पुत्र छी। हमर न्याय एखन एहि लेल कयल जा रहल अछि जे हमर विश्वासपूर्ण आशा अछि जे मुइल सभ फेर जिआओल जायत।” 7 हुनकर ई बात सुनिते, फरिसी आ सदुकी सभ अपने मे झगड़ा करऽ लगलाह, आ सभा मे फूट पड़ि गेल। 8 कारण, सदुकी सभक कथन अछि जे मुइल सभ नहि जिआओल जायत, और ने स्वर्गदूत अछि आ ने कोनो तरहक आत्मा होइत अछि, मुदा फरिसी सभ एहि तीनू बात केँ मानैत अछि। 9 तँ एहि तरहेँ बड़का हल्ला मचि गेल। फरिसी पंथक किछु धर्मशिक्षक सभ उठि बहुत जोर दऽ कऽ कहऽ लगलाह, “हम सभ एहि व्यक्ति मे कोनो खराबी नहि देखैत छी। आ मानि लिअ जे एकरा सँ कोनो स्वर्गदूत वा आत्मा बात कयने होथि, तखन?” 10 ई झगड़ा ततेक ने बढ़ि गेल जे सेनापति केँ डर होमऽ लगलनि जे, कतौ ई सभ पौलुस केँ टुकड़ा-टुकड़ा नहि कऽ दैक। तेँ ओ सैनिक सभ केँ आज्ञा देलथिन जे सभा मे जा कऽ ओकरा जबरदस्ती छोड़ाबह आ गढ़ मे लऽ आनह। 11 ओही राति प्रभु पौलुसक लग मे ठाढ़ भऽ कऽ कहलथिन, “साहस राखह! जहिना तोँ यरूशलेम मे हमरा विषय मे गवाही देलह, तहिना रोम मे सेहो तोरा गवाही देबाक छह।” 12 भोर भेला पर यहूदी सभ षड्यन्त्र रचलक आ सपत खयलक जे, जा धरि पौलुस केँ जान सँ नहि मारि देब, ता धरि किछु नहि खायब-पीब। 13 ई षड्यन्त्र रचनिहार सभ चालिस सँ बेसी गोटे छल। 14 ओ सभ मुख्यपुरोहित सभ आ बूढ़-प्रतिष्ठित लोकनि लग जा कऽ कहलकनि, “हम सभ भारी सपत खयलहुँ जे, जा धरि पौलुस केँ मारि नहि देब, ता धरि किछु नहि खायब-पीब। 15 तेँ अहाँ सभ धर्म-महासभाक संग मिलि कऽ सेनापति सँ निवेदन करू जे ओ पौलुस केँ एम्हर लऽ अबथि, एहि बहाना सँ जे हम सभ ओकर आरो ठीक सँ जाँच करऽ चाहैत छी। और हम सभ जे छी, से ओकरा एतऽ पहुँचऽ सँ पहिनहि ओकरा मारि देबाक लेल तैयार रहब।” 16 मुदा पौलुसक भागिन एहि षड्यन्त्रक बारे मे सुनि लेलक। ओ तुरत्ते गढ़ मे जा कऽ पौलुस केँ ई बात कहि देलकनि। 17 तखन पौलुस एक कप्तान केँ बजा कऽ कहलथिन, “एकरा सेनापति लग लऽ जाउ, ई हुनका किछु कहऽ चाहैत अछि।” 18 तँ कप्तान ओकरा सेनापति लग लऽ जा कऽ कहलथिन, “बन्दी पौलुस हमरा बजा कऽ कहलक जे हम एहि लड़का केँ अपनेक लग लऽ जाइ, कारण एकरा अपने सँ किछु कहबाक छैक।” 19 सेनापति ओहि लड़का केँ हाथ पकड़ि कऽ एकान्त मे लऽ गेलाह आ पुछलथिन, “तोँ हमरा कोन बात कहऽ चाहैत छह?” 20 ओ उत्तर देलकनि, “यहूदी सभ नियारने अछि जे पौलुस केँ काल्हिखन धर्म-महासभाक सामने अनबाक लेल अपने सँ निवेदन करी, एहि बहाना सँ जे, हम सभ ओकर आरो ठीक सँ जाँच करऽ चाहैत छी। 21 मुदा ओकर सभक निवेदन अपने स्वीकार नहि करब, कारण, ओकरा सभ मे सँ चालिस सँ बेसी लोक हुनकर घात करबाक ताक मे अछि। ओ सभ ई सपत खयने अछि जे, जा धरि पौलुस केँ जान सँ नहि मारि देब, ता धरि किछु नहि खायब-पीब। एखनो ओ सभ तैयार अछि, खाली अपनेक आज्ञाक प्रतीक्षा कऽ रहल अछि।” 22 सेनापति युवक केँ ई कहि कऽ विदा कऽ देलथिन जे, “ककरो नहि बुझऽ दहक जे तोँ हमरा एहि बातक खबरि देलह।” 23 तखन सेनापति दूटा कप्तान केँ बजा कऽ आज्ञा देलथिन, “अहाँ सभ दू सय पैदल-सैनिक, सत्तरि घोड़सवार आ दू सय भालाधारी सैनिक केँ आइ नौ बजे राति तक कैसरिया विदा होयबाक लेल तैयार करू, 24 और पौलुसक लेल सेहो घोड़ाक व्यवस्था करू, जाहि सँ ओ सभ ओकरा सुरक्षित राज्यपाल फेलिक्स लग पहुँचाबय।” 25 ओ राज्यपालक लेल ई पत्र लिखलनि— 26 परम श्रेष्ठ राज्यपाल फेलिक्स केँ क्लौदियुस लुसियासक दिस सँ सादर प्रणाम। 27 एहि आदमी केँ यहूदी सभ पकड़ने छल, और एकर खून करऽ पर लागल छल, मुदा तखने हम सैनिक सभक संग ओतऽ पहुँचि एकरा छोड़ौलहुँ, कारण हमरा पता लागल छल जे ई रोमी नागरिक अछि। 28 हम जानऽ चाहैत छलहुँ जे ओ सभ एकरा विरोध मे की आरोप लगा रहल अछि, तेँ ओकरा सभक धर्म-महासभाक सामने एकरा उपस्थित करौलिऐक। 29 ओतऽ हमरा बुझऽ मे आयल जे ओकरा सभक अपन धर्म सँ सम्बन्धित जे विवादक बात सभ अछि ताहि विषय मे एकरा पर आरोप लगाओल जा रहल अछि, नहि कि कोनो एहन बातक विषय मे जाहि लेल एकरा मृत्युदण्ड देल जाय वा जहलो मे राखल जाय। 30 आब हमरा पता लागल जे एकर हत्याक लेल षड्यन्त्र रचल गेल अछि। तेँ एकरा अपनेक ओहिठाम तुरत पठयबाक निर्णय कयलहुँ। और एकरा पर जे सभ आरोप लगा रहल अछि, तकरा सभ केँ हम सेहो आदेश देने छिऐक जे ओ सभ अपन आरोप अपनेक समक्ष प्रस्तुत करय। 31 सैनिक सभ सेनापतिक आदेशक अनुसार पौलुस केँ राता-राती लऽ गेलनि और अन्तिपत्रिस नगर तक पहुँचा देलकनि। 32 प्रात भेने ओ सभ घोड़सवार सैनिक सभ केँ पौलुस केँ आगाँ लऽ जयबाक लेल छोड़ि देलक आ ओ सभ स्वयं गढ़ पर घुरि गेल। 33 कैसरिया मे पहुँचला पर घोड़सवार सैनिक सभ राज्यपाल केँ पत्र देलकनि आ पौलुस केँ हुनका जिम्मा मे लगा देलकनि। 34 पत्र पढ़लाक बाद राज्यपाल पौलुस सँ पुछलथिन, “अहाँ कोन प्रदेशक छी?” पौलुसक ई उत्तर सुनि जे, हम किलिकिया प्रदेशक छी, 35 राज्यपाल कहलथिन, “अहाँ पर आरोप लगौनिहार सभ जखन एतऽ आबि जायत, तखन हम अहाँक मोकदमा सुनब।” तखन ओ आदेश देलनि जे पौलुस केँ हेरोद-दरबार मे पहरा मे राखल जाय।
1 पाँच दिनक बाद महापुरोहित हननियाह किछु धार्मिक अगुआ सभ और तरतुल्लुस नामक एक वकीलक संग कैसरिया अयलाह, आ राज्यपाल फेलिक्सक समक्ष पौलुसक विरोध मे अपन आरोप प्रस्तुत कयलनि। 2 पौलुस केँ बजाओल गेलनि, आ तरतुल्लुस एहि प्रकारेँ हुनका पर आरोप लगबैत राज्यपाल केँ कहऽ लगलनि, “परम श्रेष्ठ राज्यपाल जी, हमरा लोकनिक बीच जे ई निरन्तर शान्ति रहैत अछि से अपनेक कृपाक कारणेँ अछि। अपनेक बुद्धिमत्तापूर्ण शासनक फलस्वरूप एहि देश मे बहुतो समाजिक सुधार भऽ गेल अछि। 3 ई सभ बात हमरा लोकनि सभ तरहेँ आ सभतरि हार्दिक धन्यवादक संग स्वीकार करैत छी। 4 हम अपनेक बेसी समय नहि लेबऽ चाहैत छी, तेँ निवेदन अछि जे हमरा लोकनिक दू-चारि शब्द केँ सुनबाक कृपा कयल जाओ। 5 बात एहि तरहेँ अछि। ई आदमी उपद्रवी अछि। सौंसे संसारक यहूदी सभ मे आन्दोलन मचबैत घुमैत अछि। ई नासरी-कुपंथक नेता अछि, और एतबे नहि, 6 ई मन्दिरो केँ अपवित्र करबाक कोशिश कयलक, मुदा तखने हमरा लोकनि आबि एकरा पकड़ि लेलिऐक। [हम सभ अपन धर्म-नियमक अनुसार एकर फैसला कऽ देने रहितिऐक, 7 मुदा सेनापति लुसियास आबि कऽ हमरा सभक हाथ सँ एकरा जबरदस्ती छिनि लेलनि 8 और अभियोगी पक्ष केँ अपनेक सम्मुख उपस्थित होयबाक आज्ञा दऽ देलनि।] अपने स्वयं एकरा सँ पूछ-ताछ कऽ कऽ पता लगा सकब जे जाहि बातक आरोप हमरा लोकनि एकरा पर लगा रहल छी, से सभ सत्य अछि।” 9 यहूदी सभ सेहो हुनकर “हँ” मे “हँ” मिला कऽ आरोप लगाबऽ मे संग देलथिन आ कहैत रहलाह, “हँ, यैह बात सभ अछि।” 10 राज्यपाल आब पौलुस केँ बजबाक लेल संकेत कयलनि, तँ ओ एहि प्रकारेँ उत्तर देलथिन, “ई बुझि जे अपने बहुत वर्ष सँ एहि यहूदी जातिक न्यायाधीश छी, हमरा अपनेक सामने अपन वयान देबऽ मे बड्ड प्रसन्नता भऽ रहल अछि। 11 हमरा यरूशलेम मे आराधना करबाक लेल गेला बारह दिन सँ बेसी नहि भेल अछि, तकर पता अपने सेहो लगा सकैत छी। 12 ई सभ जे छथि, से हमरा ने तँ मन्दिर मे ककरो सँ वाद-विवाद करैत आ ने सभाघर मे वा शहर मे कतौ भीड़ केँ भड़कबैत पौलनि। 13 जाहि बातक आरोप ई सभ आब हमरा पर लगा रहल छथि, से बात अपनेक सामने प्रमाणित नहि कऽ सकैत छथि। 14 हँ, हम स्वीकार करैत छी जे हम एहि ‘बाट’ केँ मानैत छी, जकरा ई लोकनि ‘कुपंथ’ कहैत छथि, और एही बाटक अनुसार हम अपन पूर्वजक परमेश्वरक आराधना करैत छी। जे बात मूसाक धर्म-नियम मे आ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक लेख मे लिखल अछि, ताहि सभ पर हम एखनो विश्वास करैत छी। 15 हमर पूर्ण विश्वास अछि, जेना कि हिनको सभक छनि, जे परमेश्वर धर्मी और अधर्मी दूनू केँ मृत्युक बाद जिऔथिन। 16 एहि कारणेँ हम सदिखन अपन जीवन ताहि तरहेँ व्यतीत करबाक प्रयत्न करैत छी, जाहि सँ हम परमेश्वरक आ मनुष्यक दृष्टि मे निर्दोष रही। 17 “बहुत वर्षक बाद हम अपन जातिक गरीब लोक सभक लेल दान पहुँचाबऽ और परमेश्वर केँ चढ़ौना चढ़यबाक लेल यरूशलेम घूमि अयलहुँ। 18 एही काजक समय मे ई सभ हमरा मन्दिर मे देखलनि। हम शुद्धीकरणक विधि सभ पूरा कऽ लेने छलहुँ, और हमरा संग ने कोनो भीड़ छल आ ने कोनो बातक हुल्लड़ि मचि रहल छल। 19 मुदा तखन आसिया प्रदेशक किछु यहूदी सभ अयलाह आ... उचित तँ ई रहैत जे, जँ हुनका सभ केँ हमरा विरोध मे किछु छलनि तँ ओ सभ स्वयं अपनेक समक्ष एतऽ उपस्थित भऽ कऽ अपन आरोप हमरा पर लगबितथि। 20 आब तँ, ई सभ जे छथि, से सभ एखन कहथु जे हम जखन धर्म-महासभाक सामने मे ठाढ़ छलहुँ तखन ई सभ हमरा कोन अपराधक दोषी पौलनि। 21 एकेटा ई बात भऽ सकत जे हम हिनका सभक सामने मे ठाढ़ भऽ कऽ जोर सँ कहलहुँ जे, ‘अहाँ सभक समक्ष हमर न्याय आइ एही कारणेँ कयल जा रहल अछि जे, हमर पूर्ण विश्वास अछि जे परमेश्वर मुइल सभ केँ जिऔथिन।’” 22 तखन फेलिक्स, जे एहि “बाट”क बारे मे नीक जकाँ जनैत छलाह, ई कहि मोकदमाक सुनवाइ बन्द कयलनि जे, “सेनापति लुसियास जखन आबि जयताह, तखन अहाँ सभक मोकदमाक निर्णय करब।” 23 ओ कप्तान केँ आदेश देलथिन जे पौलुस केँ किछु स्वतन्त्रताक संग पहरा मे राखल जाय आ हुनकर साथी-संगी सभ केँ हुनकर आवश्यकताक पूर्ति करऽ सँ रोकल नहि जाय। 24 किछु दिनक बाद फेलिक्स अपन घरवाली द्रुसिल्ला, जे यहूदी जातिक छलीह, तिनका लऽ कऽ अयलाह आ पौलुस केँ बजबौलनि। पौलुस हुनका सँ प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करबाक सम्बन्ध मे बात करऽ लगलाह आ फेलिक्स सुनैत रहलाह। 25 मुदा जखन ओ धार्मिकता, अपना केँ वश मे रखनाइ, और परमेश्वरक आबऽ वला न्यायक दिनक विषय मे बाजऽ लगलाह, तखन फेलिक्स भयभीत भऽ उठलाह आ कहलथिन, “आब रहऽ दैह! एखन तोँ जा सकैत छह। फेर फुरसति भेटला पर हम तोरा बजयबह।” 26 संगहि-संग ओ पौलुस सँ घूस प्राप्त करबाक आशा रखैत छलाह, आ तेँ हुनका बेर-बेर बजबा कऽ हुनका संग बात-चीत करैत छलाह। 27 दू वर्ष बितलाक बाद फेलिक्सक जगह पर पुरखियुस फेस्तुस राज्यपालक पद पर अयलाह, आ फेलिक्स यहूदी सभ केँ खुश करबाक उद्देश्य सँ पौलुस केँ जहल मे बन्दे छोड़ि गेलाह।
1 फेस्तुस अपना प्रदेश मे अयलाक तीन दिनक बाद कैसरिया सँ यरूशलेम गेलाह। 2 ओतऽ यहूदी सभक मुख्यपुरोहित और अगुआ लोकनि हुनका समक्ष पौलुसक विरोध मे अपन अभियोग प्रस्तुत कयलनि, 3 और हुनका सँ विनती कयलनि जे ओ पौलुस केँ मोकदमाक लेल फेर यरूशलेम पठयबाक कृपा करथि। तकर कारण ई छल जे ओ सभ रस्ते मे पौलुसक हत्या करबाक योजना बना रहल छलाह। 4 मुदा फेस्तुस उत्तर देलथिन, “पौलुस कैसरिया मे बन्दी अछि, आ हम अपने जल्दिए ओतऽ जा रहल छी। 5 तेँ अहाँ सभ मे सँ जे प्रमुख व्यक्ति सभ होथि, से सभ हमरा संग चलथु और जँ ओ कोनो अनुचित काज कयने अछि तँ ओतहि ओकरा पर अभियोग लगबथु।” 6 फेस्तुस हुनका सभक बीच आठ-दस दिन बिता कऽ फेर कैसरिया घूमि अयलाह। प्राते भेने ओ न्यायासन पर बैसि कऽ आज्ञा देलनि जे पौलुस केँ उपस्थित कयल जाय। 7 पौलुस केँ अयला पर यरूशलेम सँ आयल यहूदी सभ हुनका चारू कात ठाढ़ भऽ कऽ हुनका पर भारी-भारी आरोप लगाबऽ लगलनि, जकरा प्रमाणित नहि कऽ सकलाह। 8 तखन पौलुस अपना पक्षक बात सुनौलनि, “हम ने तँ यहूदी सभक धर्म-नियमक विरोध मे, ने मन्दिरक विरोध मे आ ने सम्राट-कैसरक विरोध मे कोनो अपराध कयने छी।” 9 फेस्तुस यहूदी सभ केँ खुश करबाक लेल पौलुस सँ पुछलथिन, “की तोँ यरूशलेम जयबाक लेल तैयार होयबह जे ओतहि हमरा सामने मे एहि बात सभक सम्बन्ध मे तोहर न्याय होयतह?” 10 मुदा पौलुस उत्तर देलथिन, “हम एखन सम्राट-कैसरक न्यायासनक सामने ठाढ़ छी। एतहि हमर न्याय होयबाक चाही। जेना कि अपने नीक जकाँ जनैत छी, हम यहूदी सभ केँ कोनो हानि नहि पहुँचौने छी। 11 हम जँ मृत्युदण्डक योग्य कोनो अपराध कयने होइ तँ मरबाक लेल हम एकदम तैयार छी। मुदा जँ हिनका सभक द्वारा लगाओल अभियोग मे किछु सत्ये नहि अछि तँ हमरा हिनका सभक हाथ सौंपबाक अधिकार किनको नहि छनि। हम सम्राट लग अपील करैत छी!” 12 तखन फेस्तुस अपन सल्लाहकार सभ सँ विचार-विमर्श कऽ कऽ उत्तर देलथिन, “तोँ सम्राट लग अपील कयलह, तोँ सम्राटे लग जयबह!” 13 किछु दिनक बाद राजा अग्रिप्पा और बरनिकी फेस्तुस केँ नव पदक शुभकामना देबाक लेल कैसरिया अयलाह 14 आ हुनका ओतऽ बहुते दिन रहलाह। एहि सँ फेस्तुस केँ पौलुसक मोकदमाक विषय मे राजा केँ बुझयबाक मौका भेटलनि। ओ कहलथिन, “एतऽ एक आदमी अछि जकरा फेलिक्स बन्दिए छोड़ि गेल छथि। 15 हम जखन यरूशलेम गेलहुँ तँ यहूदी सभक मुख्यपुरोहित और बूढ़-प्रतिष्ठित सभ हमरा लग आबि एकरा पर लगाओल आरोप सभ सुनौलनि आ माँग कयलनि जे ओकरा दण्ड देल जाय। 16 मुदा हम हुनका सभ केँ उत्तर देलियनि जे, हम सभ जे रोमी छी, तकरा सभक ई प्रथा नहि अछि जे बन्दी केँ ओहिना ककरो हाथ सौंपि दिऐक। कोनो व्यक्ति पर जँ आरोप लगाओल गेल अछि, तँ पहिने ओकरा आरोप लगाबऽ वला सभक समक्ष अपन पक्षक वयान देबाक अवसर देल जाइत छैक, तकरा बादे फैसला कयल जाइत अछि, ओना नहि। 17 ओ सभ हमरा संग एतऽ अयलाह तँ हम विलम्ब नहि कऽ कऽ प्राते भेने न्यायासन पर बैसि कऽ एहि आदमी केँ उपस्थित करयबाक आज्ञा देलहुँ। 18 मुदा ओकर विरोधी सभ जखन आरोप लगयबाक लेल ठाढ़ भेलाह, तँ ओ सभ एहन कोनो अपराधक आरोप ओकरा पर नहि लगौलनि जेना हम सोचने छलहुँ। 19 एतबे बात छल जे ओकरा सँ हुनका सभ केँ अपन धर्मक कोनो बात सभ मे मतभेद छलनि, और यीशु नामक एक मुइल आदमी, जकरा पौलुस जीविते कहैत छलैक, तकरा विषय मे विवाद छलनि। 20 हमरा फुरयबे नहि करैत छल जे एहन बात सभक छानबीन कोना कयल जाय। तेँ हम ओकरा सँ पुछलिऐक जे, की तोँ यरूशलेम जयबाक लेल तैयार होयबह जाहि सँ ओतहि एहि बात सभक सम्बन्ध मे तोहर न्याय होयतह? 21 मुदा ओ अपील कयलक जे ओ सम्राटक न्याय आ निर्णयक लेल संरक्षण मे राखल जाय, तँ हम आदेश देलहुँ जे जाबत तक हम ओकरा सम्राट लग नहि पठा दैत छी ताबत तक ओ पहरा मे राखल जाय।” 22 एहि पर अग्रिप्पा फेस्तुस केँ कहलथिन, “हम अपने एहि आदमीक बात सुनितहुँ।” फेस्तुस उत्तर देलथिन, “अहाँ काल्हिए ओकर बात सुनि लेबैक।” 23 तँ प्रात भेने अग्रिप्पा आ बरनिकी बड़का धूम-धामक संग सेनापति सभ आ शहरक गणमान्य व्यक्ति सभक संग सभा भवन मे प्रवेश कयलनि। फेस्तुसक आज्ञा पर पौलुस केँ बजाओल गेलनि। 24 तखन फेस्तुस बजलाह, “राजा अग्रिप्पा आ समस्त उपस्थित आदरणीय लोक सभ, ई आदमी, जकरा एतऽ देखैत छी, तकरा सम्बन्ध मे यरूशलेम मे और एतौ सम्पूर्ण यहूदी जातिक लोक सभ जोर-जोर सँ हल्ला कऽ कऽ हमरा सँ ई माँग कयने अछि जे ई आदमी जीवित रहबाक योग्य नहि अछि। 25 मुदा हम एहि निश्चय पर पहुँचल छी जे ई आदमी मृत्युदण्डक योग्य कोनो काज नहि कयने अछि। लेकिन ई अपने जखन सम्राट लग अपील कयलक तँ हम एकरा रोम पठयबाक निर्णय कयलहुँ। 26 मुदा हमरा लग एकरा विषय मे महाराजाधिराज केँ लिखबाक लेल कोनो निश्चित बात नहि अछि। एहि कारणेँ हम अपने सभक सम्मुख, आ खास कऽ, यौ राजा अग्रिप्पा, अपनेक सम्मुख, एहि आदमी केँ उपस्थित करौने छी, जाहि सँ एकर जाँच कयलाक बाद हमरा किछु लिखबाक लेल भेटय। 27 कारण, कोनो बन्दी केँ बिनु ओकर अभियोग-पत्र तैयार कयने सम्राट लग पठायब हमरा तर्कसंगत नहि बुझाइत अछि।”
1 तखन अग्रिप्पा पौलुस केँ कहलथिन, “अहाँ केँ अपना पक्षक वयान देबाक अनुमति अछि।” एहि पर पौलुस हाथ उठा कऽ अपन वयान सुनौनाइ शुरू कयलनि— 2 “राजा अग्रिप्पा, ई हमरा लेल सौभाग्यक बात अछि जे हमरा आइ अपनेक समक्ष ओहि आरोप सभक सम्बन्ध मे उत्तर देबाक अवसर भेटल जे यहूदी सभ हमरा पर लगा रहल छथि, 3 विशेष कऽ एहि लेल जे अपने यहूदी सभक सभ प्रथा आ विवाद सँ नीक जकाँ परिचित छी। तेँ अपने सँ प्रार्थना अछि जे हमर बात धैर्यपूर्बक सुनबाक कृपा कयल जाओ। 4 “हम शुरुए सँ अपना जातिक बीच अपनो देश मे आ यरूशलेमो मे अपन जीवन बचपने सँ कोना बितौलहुँ, से यहूदी सभ जनैत छथि। 5 ओ सभ हमर पुरान परिचित लोक छथि आ तेँ जँ चाहितथि तँ हमरा बारे मे गवाहिओ दऽ सकितथि जे हम अपन यहूदी धर्मक सभ सँ कट्टर पंथ, अर्थात् फरिसी पंथक अनुसरण कयने छलहुँ। 6 और एखन हमर एहि लेल न्याय कयल जा रहल अछि जे हम पूर्ण विश्वासक संग ओहि वचन पर अपन आशा रखने छी जे वचन परमेश्वर हमरा सभक पूर्वज सभ केँ देने छथि। 7 आ ठीक यैह वचन पूरा होयबाक आशा रखैत हमरा यहूदी लोकनिक बारहो कुलक लोक सभ बहुत भक्तिक संग दिन-राति परमेश्वरक सेवा करैत छथि। हँ सरकार, एही वचन पर हमर आशाक कारणेँ यहूदी सभक द्वारा हमरा पर दोष लगाओल जा रहल अछि! 8 अपने सभ केँ ई बात अविश्वसनीय किएक लगैत अछि जे परमेश्वर मुइल सभ केँ जिअबैत छथिन? 9 “हमहूँ सोचैत छलहुँ जे, जतेक हम नासरत-निवासी यीशुक नामक विरोध मे कऽ सकैत छी, ततेक हमरा करबाक अछि। 10 आ हम यरूशलेम मे एना करबो कयलहुँ। मुख्यपुरोहित सभ सँ अधिकार लऽ कऽ हम परमेश्वरक कतेको लोक सभ केँ जहल मे राखि देलहुँ, आ जखन ओकरा सभ केँ मृत्युदण्ड देल गेलैक तँ हमहूँ ओहि मे सहमति दैत छलहुँ। 11 हम कतेको बेर सभाघर सभ मे जा-जा कऽ ओकरा सभ केँ दण्ड दिआ कऽ ओकरा सभ सँ अपना प्रभु केँ अस्वीकार करयबाक कोशिश कयलहुँ। हमरा ततेक क्रोध छल जे सनकल जकाँ भऽ गेल छलहुँ आ हम ओकरा सभ केँ सतयबाक लेल आनो-आन देशक शहर सभ मे गेलहुँ। 12 “एक बेर हम एही काजक लेल मुख्यपुरोहित सभक पूर्ण अधिकार और आज्ञाक संग दमिश्क जा रहल छलहुँ। 13 करीब दुपहरक समय मे, सरकार, रस्ता मे हम आकाश सँ एहन इजोत देखलहुँ जे सूर्योक इजोत सँ तेज छल, जे हमरा आ हमर सहयात्री सभक चारू कात चमकि रहल छल। 14 हम सभ गोटे जमीन पर खसि पड़लहुँ। तखन हमरा अपन इब्रानी भाषा मे एक आवाज सुनाइ देलक जे हमरा कहैत छल, ‘हौ साउल, हौ साउल, हमरा किएक सतबैत छह? तोँ हमर विरोध कऽ कऽ अपने केँ कष्ट पहुँचबैत छह।’ 15 तखन हम पुछलियनि, ‘प्रभु, अहाँ के छी?’ प्रभु हमरा उत्तर देलनि, ‘हम यीशु छी, जिनका तोँ सता रहल छह। 16 आब उठह! पयर पर ठाढ़ होअह, कारण हम तोरा एहि लेल दर्शन देने छिअह जे हम तोरा अपन सेवक आ गवाह नियुक्त करी। तोँ हमरा विषय मे जे देखने छह आ बाद मे जे किछु हम तोरा देखयबह, ताहि सभक सम्बन्ध मे तोरा गवाही देबाक छह। 17 हम तोहर अपन लोकक हाथ सँ और गैर-यहूदी लोक सभक हाथ सँ सेहो तोरा बचयबह। हम तोरा ओकरा सभ लग एहि लेल पठा रहल छिअह जे 18 तोँ ओकरा सभक आँखि खोलह और ओकरा सभ केँ अन्हार सँ इजोत मे, अर्थात् शैतानक राज्य सँ परमेश्वर लग, घुमाबह, जाहि सँ हमरा पर विश्वास कयला सँ ओ सभ पापक क्षमा प्राप्त करय आ परमेश्वरक पवित्र कयल लोकक संग उत्तराधिकारी बनय।’ 19 “तेँ, हे महाराज अग्रिप्पा, हम एहि स्वर्गीय दर्शन सँ भेटल आज्ञाक उल्लंघन नहि कयलहुँ। 20 पहिने दमिश्क मे, तखन यरूशलेम मे आ सौंसे यहूदिया प्रदेश मे, आ गैर-यहूदी सभ मे सेहो हम प्रचार कयलहुँ जे, अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ परमेश्वर लग घूमि आउ, और अपन काज द्वारा अपन हृदय-परिवर्तन केँ प्रमाणित करू। 21 एही कारणेँ यहूदी सभ हमरा मन्दिर मे पकड़लक आ जान सँ मारि देबाक कोशिश कयलक। 22 मुदा परमेश्वर अजुका दिन धरि हमर सहायता कयने छथि, आ तेँ हम आइ एतऽ ठाढ़ भऽ कऽ छोट-पैघ सभक सामने गवाही दऽ रहल छी। जाहि बात सभक भविष्यवाणी मूसा आ परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनि कयलनि, ताहि सँ बेसी हम किछु नहि कहैत छी— 23 अर्थात् ई जे, उद्धारकर्ता-मसीह केँ दुःख उठयबाक छलनि, और सभ सँ पहिल मृत्यु सँ जीबि उठनिहार भऽ कऽ अपनो लोक केँ आ दोसरो जाति सभ केँ सेहो इजोतक शुभ समाचार सुनयबाक छलनि।” 24 पौलुस जखन ई बात सभ कहिए रहल छलाह तँ फेस्तुस बाधा करैत बड्ड जोर सँ कहलथिन, “हौ पौलुस! तोँ बताह भऽ गेलह! तोहर पैघ शिक्षा तोरा बताह कऽ देने छह!” 25 पौलुस उत्तर देलथिन, “परम श्रेष्ठ फेस्तुस, हम बताह नहि छी। हम जे कहैत छी से एकदम सत्य आ विवेकपूर्ण बात अछि। 26 राजा साहेब एहि बात सभक विषय मे जनैत छथि, आ हुनका सँ हम खुलि कऽ बात कऽ सकैत छी। हमरा पूर्ण विश्वास अछि जे एहि सभ बात मे एहन कोनो बात नहि अछि जकरा बारे मे ओ नहि जनैत होथि, कारण ई सभ घटना कोनो कोना मे नहि भेल अछि। 27 राजा अग्रिप्पा, की अपने परमेश्वरक प्रवक्ता लोकनिक बात पर विश्वास करैत छी? हम जनैत छी जे अपने केँ विश्वास अछि।” 28 एहि पर अग्रिप्पा पौलुस केँ कहलथिन, “की अहाँ एतबे काल मे हमरा मसीही बनाबऽ चाहैत छी?!” 29 पौलुस उत्तर देलथिन, “ ‘एतबे’ काल वा ‘बहुत’ काल लागय, परमेश्वर करथु जे अपनेटा मात्र नहि, बल्कि आइ जतबा लोक हमर बात सुनि रहल छथि से सभ केओ हमरा जकाँ बनथि—मात्र एहिना जिंजीर सँ बान्हल नहि!” 30 तखन राजा अग्रिप्पा उठि गेलाह, आ तहिना राज्यपाल, बरनिकी आ हुनका सभक संग बैसल सभ लोक सेहो ठाढ़ भऽ गेलाह। 31 सभा सँ बहरा कऽ ओ सभ एक-दोसर सँ बात करऽ लगलाह, आ बजलाह, “ई आदमी मृत्युदण्ड वा जहल मे राखल जयबाक योग्य कोनो काज नहि कऽ रहल अछि।” 32 और अग्रिप्पा फेस्तुस केँ कहलथिन, “ई जँ सम्राट लग अपील नहि कयने रहैत तँ मुक्त कयल जा सकैत।”
1 जखन ई निश्चय भऽ गेल जे हम सभ पानि जहाज सँ इटली देश जायब तँ पौलुस और दोसरो बन्दी सभ केँ सम्राटक सैन्यदलक कप्तान यूलियुसक जिम्मा मे लगा देल गेलनि। 2 हम सभ अद्रमुतियुम नगरक एक जहाज जे आसिया प्रदेशक समुद्रक कछेर पर पड़ऽ वला शहर सभ होइत जाय वला छल, ताहि पर चढ़ि कऽ विदा भेलहुँ। हमरा सभक संग मकिदुनिया प्रदेशक थिसलुनिका नगरक निवासी अरिस्तर्खुस सेहो छलाह। 3 दोसर दिन सीदोन नगर मे पहुँचलहुँ। ओतऽ यूलियुस पौलुस पर दया कऽ कऽ हुनका संगी-साथी सभक ओहिठाम जा कऽ अपन आवश्यकताक वस्तु स्वीकार करबाक अनुमति देलथिन। 4 ओतऽ सँ ओही जहाज सँ फेर विदा भेलहुँ, और हवा विपरीत दिस सँ रहबाक कारणेँ हम सभ साइप्रस द्वीपक अऽढ़ मे चललहुँ। 5 तखन किलिकिया और पंफूलिया प्रदेशक सामनेक समुद्री भाग दऽ कऽ आगाँ बढ़ि लुकिया प्रदेशक मूरा नामक स्थान पर पहुँचलहुँ। 6 ओतऽ कप्तान केँ सिकन्दरिया नगरक एक जहाज भेटलनि जे इटली देश जा रहल छल। ओ हमरा सभ केँ ओहि पर चढ़ा देलनि। 7 कतेक दिन धरि धिरे-धिरे आगाँ बढ़ैत अन्त मे बहुत कठिनाइ सँ हम सभ कनिदुस नगर लग पहुँचलहुँ। हवा हमरा सभ केँ ओहि दिस आरो आगाँ बढ़ऽ नहि दऽ रहल छल आ तेँ हम सभ सलमोन नगर लग क्रेत द्वीपक अऽढ़ मे चल गेलहुँ। 8 द्वीपक काते-काते बहुत कठिनाइ सँ आगाँ बढ़ैत हम सभ “असल शरण” नामक स्थान पर पहुँचलहुँ, जे लसिया नगर लग अछि। 9 एहि तरहेँ बहुत समय बिति गेल छल। प्रायश्चित्त-दिवसक उपास सेहो बिति गेल छल, और जल-यात्रा करब आब खतरनाक छल। तेँ पौलुस लोक सभ केँ ई चेतावनी देलथिन जे, 10 “यौ मित्र लोकनि! हम देखैत छी जे एहि यात्रा मे एखन आगाँ बढ़ला सँ बहुत भारी खतरा होयत। मात्र जहाज आ माल-सामानक नहि, बल्कि अपना सभ केँ अपन प्राणोक हानि उठाबऽ पड़त।” 11 मुदा सेनाक कप्तान पौलुसक सल्लाह नहि मानि कऽ जहाजक कप्तान आ मालिकक बात मानलनि। 12 एहि स्थान पर जाड़ मास बितयबाक लेल जहाज ठाढ़ करबाक उपयुक्त जगह नहि छल, आ तेँ अधिकांश लोक एहि आशा मे आगाँ बढ़ऽ चाहैत छल जे कोहुना कऽ फीनिक्स नगर तक पहुँचि जाइ और ओतहि जाड़ मास बिताबी। फीनिक्स क्रेत द्वीपक एक बन्दरगाह अछि जकर मुँह दक्षिण-पश्चिम आ उत्तर-पश्चिमक दिस अछि। 13 जखन दक्षिण सँ हवा सिहकऽ लागल तँ ई सोचि जे हमरा सभक उद्देश्य पूरा भऽ गेल, नाविक सभ लंगर खोललक आ क्रेत द्वीपक काते-काते बढ़ऽ लागल। 14 मुदा कनेके कालक बाद द्वीपक दिस सँ भयंकर अन्हड़-बिहारि उठल जे “उत्तरबरिया-पुबरिया” कहबैत अछि। 15 जहाज अन्हड़-बिहारि मे तेना ने फँसि गेल जे नाविक सभ जेम्हर सँ अन्हड़-बिहारि आबि रहल छल जहाज केँ तेम्हर मोड़ऽ सँ असमर्थ भऽ गेल। तेँ हम सभ अपना केँ हवाक रुखि पर छोड़ि देलहुँ जे जतऽ लऽ जाय। 16 कौदा नामक छोट द्वीपक अऽढ़ मे पहुँचला पर हम सभ बहुत कठिनाइ सँ जहाजक पाछाँ बान्हल छोट नाव केँ अपना वश मे कऽ सकलहुँ। 17 ओकरा जहाज पर लऽ लेलाक बाद नाविक सभ जहाज केँ मजगूत बनयबाक उद्देश्य सँ जहाज केँ नीचाँ-ऊपर रस्सी लपेटि कऽ बन्हलक। तकरबाद, एहि डरेँ जे जहाज कहीं सुरतिस नामक बालु वला क्षेत्र मे ने धँसि जाय, ओ सभ पाल उतारि कऽ जहाज केँ ओहिना हवा मे दहाय देलक। 18 अन्हड़-बिहारि हमरा सभ केँ ततेक झकझोड़ि रहल छल जे प्रात भेने ओ सभ जहाज परक माल-सामान समुद्र मे फेकऽ लागल। 19 तेसर दिन ओ सभ अपने हाथ सँ जहाजक रस्सी-पाल इत्यादि फेकि देलक। 20 बहुतो दिन तक जखन सूर्य आ तारा सभ देखाइ नहि देलक और अन्हड़-बिहारि चलिते रहल तँ हमरा सभ केँ बचबाक कोनो आशा नहि रहि गेल। 21 जहाज परक लोक सभ बहुतो दिन सँ भोजन नहि कऽ रहल छल। तखन सभक बीच ठाढ़ भऽ कऽ पौलुस कहलथिन, “मित्र लोकनि! उचित तँ ई छल जे अहाँ सभ हमर सल्लाह मानि कऽ क्रेत द्वीप सँ विदाए नहि भेल रहितहुँ। तखन ने ई विपत्ति अबैत आ ने ई हानि उठाबऽ पड़ैत। 22 मुदा एखनो हम अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी जे, साहस राखू, कारण ककरो प्राणक हानि नहि उठाबऽ पड़त, मात्र जहाज नष्ट भऽ जायत। 23 आइए राति मे, परमेश्वर, जिनकर हम छियनि आ जिनकर सेवा करैत छी, तिनकर स्वर्गदूत हमरा लग ठाढ़ भऽ कऽ कहलनि जे, 24 ‘हौ पौलुस, डेराह नहि! तोँ सम्राटक समक्ष अवश्य ठाढ़ होयबह। और परमेश्वर तोरा पर दया कऽ कऽ, तकरा सभ केँ सुरक्षित रखथुन जे सभ तोरा संग यात्रा कऽ रहल छह।’ 25 तेँ अहाँ सभ साहस राखू! कारण, हमरा परमेश्वर पर पूरा विश्वास अछि जे जेना हमरा कहल गेल अछि तेना हयबो करत। 26 मुदा अपना सभक जहाज कोनो द्वीप पर भसिया जायत।” 27 चौदहम राति मे जखन आद्रिया सागर मे एम्हर-ओम्हर भटकि रहल छलहुँ तँ करीब दुपहर राति कऽ नाविक सभ केँ बुझयलैक जे कोनो कछेरक लग मे आबि गेल छी। 28 ओ सभ जखन थाह लेलक तँ ओतऽ अस्सी हाथ गहिंराइ छलैक। कनेक कालक बाद फेर थाह लेलक तँ साठि हाथ भेटलैक। 29 एहि डरेँ जे कहीं पाथर सभ मे ने टकरा जाइ ओ सभ जहाजक पछिलका भाग सँ चारिटा लंगर समुद्र मे खसा देलक आ भोर होयबाक प्रतीक्षा करऽ लागल। 30 नाविक सभ केँ जहाज पर सँ भागि जयबाक विचार छलैक, तेँ जहाजक अगिला भाग सँ लंगर खसयबाक बहाना सँ ओ सभ छोटका नाव समुद्र मे उतारने छल। 31 मुदा पौलुस सेनाक कप्तान और सैनिक सभ केँ कहलथिन, “ई सभ जँ जहाज पर नहि रहत तँ अहूँ सभ नहि बाँचब।” 32 तेँ सैनिक सभ रस्सी सभ काटि कऽ ओहि छोटका नाव केँ समुद्र मे दहा देलक। 33 जखन भोर होमऽ-होमऽ पर छल तँ पौलुस सभ केँ भोजन करबाक लेल आग्रह कयलथिन। ओ कहलथिन, “आइ चौदह दिन भऽ गेल जे अहाँ सभ चिन्ताक कारणेँ भूखले छी, किछु नहि खयलहुँ हँ। 34 आब हम अहाँ सभ सँ विनती करैत छी, किछु खा लिअ! नहि तँ बाँचब कोना? अहाँ सभ मे सँ ककरो कोनो तरहक हानि नहि होयत।” 35 एतबा कहि ओ रोटी लेलनि आ सभक सामने मे परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ रोटी तोड़ि खाय लगलाह। 36 एहि सँ सभ केँ साहस भेटलैक आ ओहो सभ भोजन करऽ लागल। 37 जहाज पर सभ मिला कऽ हम सभ 276 गोटे छलहुँ। 38 भरि इच्छा भोजन कयलाक बाद ओ सभ जहाज परक भार हल्लुक करबाक लेल गहुम केँ समुद्र मे फेकि देलक। 39 भोर भेला पर ओ सभ ओहि लगक जगह केँ नहि चिन्हि सकल, मुदा ओकरा सभक दृष्टि कछेर परक एक लम्बा-चौड़ा बालु वला भाग पर पड़लैक, और ओ सभ निर्णय कयलक जे जँ सम्भव होअय तँ जहाज केँ ओही भाग मे लगाओल जाय। 40 ओ सभ लंगरक रस्सी सभ काटि कऽ लंगर सभ केँ समुद्र मे छोड़ि देलक, आ संगहि पतवारक बन्हन ढील कऽ देलक। तखन जहाजक अगिला भागक पाल हवाक सम्मुख चढ़ा कऽ कछेर दिस आगाँ बढ़ल। 41 मुदा जहाज पानि मेहक बलुआह भाग मे टकरा कऽ फँसि गेल। जहाजक अगिला भाग तेना धँसि गेल जे टस्स सँ मस्स नहि होइत छल, आ पछिलका भाग बड़का लहरि सभ सँ टकरा-टकरा कऽ टुकड़ा-टुकड़ा भऽ रहल छल। 42 सैनिक सभक विचार छलैक जे कैदी सभ केँ जान सँ मारि दी जाहि सँ केओ हेलि कऽ भागि नहि सकय। 43 मुदा सेनाक कप्तान केँ पौलुसक जान बचयबाक इच्छा छलनि, तेँ ओ ओकरा सभ केँ एना करऽ सँ रोकि देलथिन। ओ आज्ञा देलनि जे जकरा सभ केँ हेलऽ अबैत होइक से सभ पहिने पानि मे कुदय और हेलि कऽ कछेर पर चल जाय, 44 आ बाँकी लोक काठक पटरा वा जहाजक कोनो टुटल टुकड़ाक सहारा लऽ कऽ पाछाँ सँ जाय। एना कऽ कऽ सभ केओ ओहि भूमि पर सकुशल पहुँचि गेलहुँ।
1 हम सभ जखन कछेर पर पहुँचलहुँ तँ पता लागल जे एहि द्वीपक नाम माल्टा अछि। 2 ओहिठामक निवासी सभ हमरा सभक संग बहुत उदार भाव सँ व्यवहार कयलक। वर्षा भऽ रहल छल आ जाड़ लागि रहल छल, तँ ओ सभ आगिक घूर बना कऽ हमरा सभक स्वागत कयलक। 3 पौलुस जारनि-काठी बिछि कऽ घूर पर जखन रखलनि तँ ओहि मे सँ आगिक ताव लगला सँ एकटा साँप निकलि कऽ पौलुसक हाथ मे लटकि गेलनि। 4 हुनका हाथ मे साँप लटकल देखि, द्वीपक निवासी सभ एक-दोसर केँ कहऽ लागल, “ई आदमी पक्का हत्यारा अछि! समुद्र सँ तँ बचि कऽ आबि गेल, मुदा न्याय-देवी ओकरा जीबऽ नहि देथिन।” 5 एम्हर पौलुस साँप केँ आगि मे झाड़ि देलनि, आ हुनका किछु नहि भेलनि। 6 ओकरा सभ केँ होइत छलैक जे, एकर शरीर आब फुलि जयतैक वा ई एकाएक खसि कऽ मरि जायत, मुदा बहुतो काल प्रतीक्षा कयलाक बाद जखन देखलक जे एकरा किछुओ नहि भऽ रहल छैक, तँ ओ सभ अपन विचार बदलि कऽ कहऽ लागल, “ई तँ देवता छथि!” 7 ओहिठाम सँ लगे, द्वीपक मुखियाजी पुबलियुसक घर और जमीन छलनि। ओ हमरा सभक स्वागत कयलनि और अपना हवेली मे प्रेम भाव सँ तीन दिन धरि अतिथि-सत्कार कयलनि। 8 हुनकर पिताजी ओहि समय मे बोखार आ सुलबाहि सँ पीड़ित छलनि। पौलुस हुनका कोठली मे जा कऽ हुनका लेल प्रार्थना कयलनि, आ हुनका पर हाथ राखि कऽ स्वस्थ कऽ देलथिन। 9 ई बात बुझि द्वीपक आरो रोगी सभ आबऽ लागल आ ओहो सभ स्वस्थ भऽ गेल। 10 ओ सभ विभिन्न प्रकार सँ हमरा सभक आदर-सत्कार कयलक, और जखन फेर चलबाक समय भऽ गेल तँ ओ सभ हमरा सभक रस्ताक लेल आवश्यक वस्तु सभ आनि जहाज पर राखि देलक। 11 माल्टा द्वीप मे तीन मास रहलाक बाद हम सभ एक जहाज पर चढ़लहुँ जे माल्टा मे जाड़ मास बितौने छल। ओ जहाज सिकन्दरिया नगरक छल और ओहि पर “जौंआदेवता”क आकृति बनाओल गेल छलैक। 12 हम सभ ओहि जहाज सँ विदा भेलहुँ आ सुरकूसा नगर मे रूकि कऽ ओतऽ तीन दिन रहलहुँ। 13 ओतऽ सँ फेर काते-कात आगाँ बढ़ैत रेगियुम बन्दरगाह मे पहुँचलहुँ। एक दिनक बाद जखन दछिनाही-पवन बहऽ लागल तँ ओतऽ सँ फेर विदा भेलहुँ आ दोसर दिन पुतियुली नगर मे अयलहुँ। 14 ओतऽ हमरा सभ केँ किछु विश्वासी भाय सभ भेँट भेलाह। हुनका सभक आग्रह पर हम सभ सात दिन हुनका सभक ओहिठाम ठहरलहुँ। एहि तरहेँ हम सभ रोम महानगर पहुँचलहुँ। 15 रोमक विश्वासी भाय सभ जखन हमरा सभक बारे मे ई सुनलनि जे हम सभ आबि रहल छी तँ हमरा सभ सँ भेँट करबाक लेल ओ सभ रोम सँ “अपियुस चौक” आ “तीन सराय” तक अयलाह। पौलुस हुनका सभ केँ जखन देखलनि तँ परमेश्वरक धन्यवाद कयलनि आ प्रोत्साहित भेलाह। 16 हम सभ जखन रोम शहर मे पहुँचलहुँ तँ पौलुस केँ एक सैनिकक पहरा मे अपन अलग डेरा मे रहबाक अनुमति भेटलनि। 17 तीन दिनक बाद पौलुस रोमक प्रमुख यहूदी सभ केँ बजौलनि। ओ सभ जखन आबि गेलाह तँ पौलुस हुनका सभ केँ कहलथिन, “बाबू-भैया लोकनि, हम अपना सभक यहूदी जातिक विरोध मे वा पूर्वज सभक प्रथाक विरोध मे किछु नहि कयने छी, मुदा तैयो यरूशलेमक यहूदी सभ हमरा बन्दी बना कऽ रोमी सभक हाथ मे सौंपि देलनि। 18 रोमी शासनक अधिकारी सभ हमरा सँ पूछ-ताछ कऽ कऽ हमरा मुक्त करऽ चाहलनि, कारण मृत्युदण्डक योग्य हम कोनो काज नहि कयने छलहुँ। 19 मुदा यहूदी सभ जखन रोमी अधिकारी सभक निर्णयक विरोध कयलनि तँ हमरा सम्राट-कैसर लग अपील करऽ पड़ल। ई बात नहि छल जे हमरा अपन जातिक लोक सभ पर कोनो अभियोग लगयबाक छल। 20 एही कारणेँ हम अपने लोकनि केँ बजा कऽ बात-चीत करऽ चाहैत छलहुँ। जिनका पर यहूदी लोक अपन सभ आशा रखने छथि, तिनके कारण हम एहि जिंजीर सँ बान्हल छी।” 21 ओ सभ उत्तर देलथिन, “हमरा सभ केँ यहूदिया प्रदेश सँ अहाँक सम्बन्ध मे ने कोनो पत्र भेटल अछि, आ ने ओतऽ सँ आयल भाय सभ मे सँ केओ औपचारिक वा अनौपचारिक रूप सँ अहाँक विरोध मे किछु कहने अछि। 22 अहाँक विचार आ विश्वासक सम्बन्ध मे हम सभ अहीं सँ सुनऽ चाहैत छी, कारण, एहि पंथक विषय मे एतेक जनैत छी जे सभ ठाम लोक एकर विरोध कऽ रहल अछि।” 23 तँ ओ सभ पौलुसक बात सुनबाक लेल एक दिन निश्चित कयलनि, आ ओहि दिन पहिल दिन सँ बेसी संख्या मे ओ सभ हुनका ओहिठाम अयलाह। भोर सँ लऽ कऽ साँझ तक ओ हुनका सभ केँ परमेश्वरक राज्यक शुभ समाचार सुनौलथिन, और मूसाक धर्म-नियम सँ आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख सँ यीशुक बारे मे हुनका सभ केँ बुझयबाक प्रयत्न कयलनि। 24 किछु लोक हुनकर बात मानि कऽ विश्वास कयलनि, मुदा किछु लोक अविश्वासिए रहि गेलाह। 25 ओ सभ आपस मे वाद-विवाद करऽ लगलाह, और पौलुसक एहि अन्तिम बातक बाद विदा होमऽ लगलाह जे, “पवित्र आत्मा अपन प्रवक्ता यशायाह द्वारा बाजि अहाँ सभक पूर्वज लोकनि केँ ई बात एकदम ठीक कहलनि जे, 26 ‘एहि जाति लग जा कऽ कहक जे, तोँ सभ सुनैत रहबह, मुदा बुझबह नहि। 2 तोँ सभ तकैत रहबह, मुदा सुझतह नहि। 27 कारण, एहि लोक सभक मोन मे ठेला पड़ि गेल छैक, 2 एकरा सभक कान बहीर भऽ गेल छैक। 2 ई सभ आँखि मुनि लेने अछि, जाहि सँ कतौ एना नहि होअय जे 2 आँखि सँ देखय, 2 कान सँ सुनय, 2 मोन सँ बुझय, आ घूमि कऽ हमरा लग आबय 2 और हम ओकरा सभ केँ स्वस्थ कऽ दिऐक।’ 28 तेँ अहाँ सभ ई बात बुझि लिअ जे परमेश्वरक उद्धारक ई शुभ समाचार गैर-यहूदी सभ लग पठाओल गेल अछि, और ओ सभ स्वीकार करत!” 29 [पौलुसक एतेक कहलाक बाद यहूदी सभ आपस मे बहुत पैघ वाद-विवाद करैत चल गेलाह।] 30 पौलुस ओहिठाम अपन किरायाक घर मे पूरा दू वर्ष धरि रहलाह। जे लोक सभ भेँट करबाक लेल हुनका ओहिठाम अबैत छलाह, तिनका सभक ओ स्वागत करैत छलथिन, 31 और बिनु कोनो रुकाबट केँ ओ निडर भऽ कऽ परमेश्वरक राज्यक विषय मे प्रचार करैत रहलाह और प्रभु यीशु मसीहक सम्बन्ध मे शिक्षा दैत रहलाह।
1 ई पत्र मसीह यीशुक सेवक पौलुसक दिस सँ अछि, जे मसीह-दूत होयबाक लेल बजाओल गेलहुँ आ परमेश्वरक ओहि शुभ समाचारक प्रचार करबाक लेल अलग कयल गेल छी, 2 जाहि शुभ समाचारक सम्बन्ध मे परमेश्वर पहिनहि सँ अपन प्रवक्ता सभक माध्यम सँ पवित्र धर्मशास्त्र मे वचन देने छथि। 3 ई शुभ समाचार परमेश्वरक पुत्रक विषय मे अछि, जे मानवीय वंशावलीक अनुसार दाऊदक वंशज छलाह, 4 आ मुइल सभ मे सँ जीबि उठबाक कारणेँ परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा सामर्थ्यक संग परमेश्वरक पुत्र प्रमाणित भेलाह। ओ छथि अपना सभक प्रभु, यीशु मसीह। 5 हुनका द्वारा आ हुनकर नामक सम्मानक लेल हमरा सभ केँ मसीह-दूत बनबाक वरदान भेटल अछि जाहि सँ सभ जातिक लोकक बीच हम सभ हुनकर प्रचार करी आ ओ सभ विश्वास कऽ कऽ हुनकर अधीनता स्वीकार करनि। 6 ओहि लोक सभ मे अहूँ सभ छी, अहाँ सभ जे सभ यीशु मसीहक अपन लोक होयबाक लेल बजाओल गेल छी। 7 अहाँ सभ जे रोम शहर मे परमेश्वरक प्रिय लोक छी आ पवित्र होयबाक लेल बजाओल गेल छी, अहाँ सभ गोटे केँ हम ई पत्र लिखि रहल छी। अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि आ अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 8 सर्वप्रथम हम यीशु मसीहक माध्यम सँ अहाँ सभक लेल अपना परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छिऐन, किएक तँ अहाँ सभक विश्वासक चर्चा समस्त संसार मे पसरि रहल अछि। 9 जाहि परमेश्वरक सेवा हम हुनकर पुत्रक शुभ समाचारक प्रचार कऽ कऽ अपन सम्पूर्ण हृदय सँ करैत छी, सैह हमर साक्षी छथि जे हम प्रार्थना सभ मे निरन्तर अहाँ सभ केँ स्मरण करैत रहैत छी, 10 आ सदिखन ई विनती करैत छिऐन जे, जँ हुनकर इच्छा छनि, तँ ओ अन्त मे हमरा लेल अहाँ सभ लग अयबाक कोनो ने कोनो उपाय करताह। 11 किएक तँ हमरा अहाँ सभ सँ भेँट करबाक बड्ड इच्छा अछि, जाहि सँ अहाँ सभ केँ विश्वास मे दृढ़ बनयबाक लेल, हम आत्मिक रूप सँ अहाँ सभक मदति कऽ सकी। 12 वा एकरा एहि तरहेँ कहू—हम चाहैत छी जे अपना सभ एक संग रहि कऽ एक-दोसराक विश्वास द्वारा प्रोत्साहित होइ—अहाँ सभ हमरा विश्वास द्वारा आ हम अहाँ सभक विश्वास द्वारा। 13 यौ भाइ लोकनि, हम नहि चाहैत छी जे अहाँ सभ एहि बात सँ अनजान रहू जे कतेको बेर हम अहाँ सभक लग अयबाक योजना बनौने छलहुँ, जाहि सँ जहिना दोसर गैर-यहूदी सभक बीच हम फलदायक काज कऽ सकलहुँ, तहिना अहूँ सभक बीच कऽ सकी, मुदा एखन तक ओहि योजना मे कोनो ने कोनो बाधा अबैत रहल अछि। 14 हमरा यूनानी आ गैर-यूनानी सभक प्रति, और ज्ञानी आ अज्ञानी सभक प्रति एक दायित्व निर्वाह करबाक अछि। 15 एहि लेल हम रोम मे सेहो अहाँ सभक बीच यीशु मसीहक शुभ समाचारक प्रचार करबाक लेल उत्सुक छी। 16 हम ई शुभ समाचार सुनाबऽ सँ लज्जित नहि होइत छी, किएक तँ ई शुभ समाचार ओ माध्यम अछि जाहि द्वारा परमेश्वर अपना सामर्थ्य सँ प्रत्येक विश्वास कयनिहार लोकक उद्धार करैत छथि, पहिने यहूदी सभक आ फेर आन जातिक लोक सभक। 17 एहि शुभ समाचार मे परमेश्वरक ओ योजना प्रगट होइत अछि जाहि योजना द्वारा ओ अपना नजरि मे लोक केँ धार्मिक ठहरबैत छथि, आ ई धार्मिकता शुरू सँ अन्त तक विश्वास पर आधारित अछि, जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “जे विश्वास द्वारा धार्मिक ठहराओल गेल अछि, से जीवन प्राप्त करत। “ 18 परमेश्वरक क्रोध ओहन लोक सभक सभ प्रकारक अधर्म आ दुष्टता पर स्वर्ग सँ प्रगट भऽ रहल अछि जे सभ अपना दुष्टता द्वारा सत्य केँ झाँपि कऽ रखने अछि। 19 कारण, परमेश्वरक सम्बन्ध मे जे किछु जानल जा सकैत अछि से ओकरा सभ पर स्पष्ट रूप सँ प्रगट भेल अछि। परमेश्वर अपने ओकरा सभ पर एहि बात केँ प्रगट कऽ देने छथिन। 20 किएक तँ परमेश्वरक अदृश्य गुण, अर्थात् हुनकर अनन्त कालीन शक्ति आ ईश्वरीय स्वभाव, संसारक सृष्टिएक समय सँ हुनका रचना मे साफ-साफ देखाइ दैत अछि। तेँ ओकरा सभ केँ अपन आचरणक सफाइ देबाक कोनो बहाना नहि चलतैक। 21 किएक तँ ओ सभ परमेश्वर केँ जनितो ने हुनका परमेश्वर मानि कऽ समुचित आदर कयलकनि आ ने हुनका धन्यवाद देलकनि। ओ सभ निरर्थक कल्पना सभ मे पड़ि गेल आ ओकरा सभक विवेकहीन मोन अन्हार सँ भरि गेलैक। 22 ओ सभ अपना केँ बुद्धिमान बुझलक मुदा मूर्ख बनि गेल। 23 ओ सभ अविनाशी परमेश्वरक वैभव आ महानताक स्थान पर नाशवान मनुष्य, चिड़ै-चुनमुन, चौपाया जानबर आ साँपक आकार मे बनाओल मूर्ति सभ केँ परमेश्वरक समतुल्य मानि अपनौलक। 24 एहि लेल परमेश्वर ओकरा सभ केँ ओकर अपन हृदयक काम-वासनाक अशुद्धता मे छोड़ि देलथिन जाहि सँ आपस मे ओ सभ अपना शरीर केँ अपवित्र करऽ लागल। 25 ओ सभ परमेश्वरक सत्यक बदला झूठ केँ अपनौलक आ सृष्टि कयल वस्तु सभक पूजा आ सेवा कयलक—नहि कि ओहि सृष्टिकर्ताक, जे सर्वदा धन्य छथि। आमीन। 26 यैह कारण अछि जे परमेश्वर ओकरा सभ केँ नीच वासना सभ मे छोड़ि देलथिन। ओकरा सभक स्त्रिओ स्वभाविक सम्बन्धक स्थान पर अस्वभाविक सम्बन्ध राखऽ लागलि। 27 एही तरहेँ पुरुष सभ सेहो स्त्रीक संग होमऽ वला स्वभाविक सम्बन्ध केँ छोड़ि पुरुषक संग वला काम-वासनाक लेल उत्तेजित होमऽ लागल। पुरुष पुरुषेक संग निर्लज्ज कर्म कऽ अपने व्यक्तित्व मे अपन दुराचरणक उचित फल पौलक। 28 एहि तरहेँ ओ सभ जखन परमेश्वरक सत्य-ज्ञान केँ रखनाइ महत्वपूर्ण नहि बुझलक तँ परमेश्वर ओकरा सभ केँ भ्रष्ट मोनक वश मे छोड़ि देलथिन जाहि सँ ओ सभ अनुचित काज करय, 29 और तेँ ओ सभ हर प्रकारक अधर्म, दुष्टता, लोभ, द्वेष आ ईर्ष्या, हत्या, झगड़ा, छल-कपट आ डाह सँ भरि गेल अछि। ओ सभ चुगली लगौनिहार, निन्दा कयनिहार, परमेश्वर सँ घृणा कयनिहार, जिद्दी, घमण्डी और अहंकारी अछि। ओ सभ अधलाह काज करबाक नव-नव तरीका सभ गढ़ैत रहैत अछि, माय-बाबूक आज्ञाक उल्लंघन करैत अछि, 31 ओ सभ विवेकहीन, विश्वासघाती, प्रेम-शुन्य और निर्दयी भऽ गेल अछि। 32 ओ सभ परमेश्वरक ई उचित फैसला जनैत अछि जे एहन काज कयनिहार मृत्युदण्ड पयबाक जोगरक अछि, तैयो ओ सभ मात्र अपने नहि एहन काज करैत अछि, बल्कि एहन काज कयनिहार लोक सभक समर्थन सेहो करैत अछि।
1 तेँ यौ दोष लगौनिहार, अहाँ जे केओ होइ, निरुत्तर छी, किएक तँ जाहि बात मे अहाँ अनका पर दोष लगबैत छी ताही मे अहाँ अपने केँ दोषी ठहरबैत छी, कारण, जे दोष अहाँ अनका पर लगबैत छी सैह काज अपनो करैत छी। 2 और अपना सभ जनैत छी जे एहन अधलाह काज कयनिहार लोक सभ पर परमेश्वरक दिस सँ दण्डक आज्ञा उचिते होइत अछि। 3 यौ जी, अहाँ दोसर पर जे एहन काज करबाक दोष लगबैत छी आ स्वयं वैह काज करैत छी, तँ की अहाँ सोचैत छी जे अहाँ परमेश्वरक दण्डक आज्ञा सँ बाँचि जायब? 4 वा की अहाँ परमेश्वरक असीम कृपा, सहनशीलता आ धैर्य केँ तुच्छ मानैत छी आ ई नहि जनैत छी जे परमेश्वर अपना कृपा द्वारा अहाँ केँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करबाक अवसर दऽ रहल छथि? 5 मुदा अपन जिद्दीपन आ अपरिवर्तित हृदयक कारणेँ अहाँ अपना लेल परमेश्वरक प्रकोप केँ ओहि दिनक लेल संचित कऽ रहल छी जहिया परमेश्वरक प्रकोप आ उचित न्याय प्रगट होयत। 6 परमेश्वर “प्रत्येक मनुष्य केँ ओकर काजक अनुरूप फल देथिन।” 7 जे लोक सभ धैर्यपूर्बक सत्कर्म करैत रहि कऽ परमेश्वर सँ देल सम्मान, आदर और अमरत्वक खोज मे लागल रहैत अछि तकरा परमेश्वर अनन्त जीवन देथिन। 8 मुदा जे केओ स्वार्थी लालसा सभक वश मे रहैत अछि आ सत्य केँ स्वीकार नहि करैत अछि, बल्कि अधर्म पर चलैत अछि, तकरा पर परमेश्वरक दण्ड आ क्रोध बरसत। 9 दुष्कर्म कयनिहार प्रत्येक मनुष्य पर कष्ट आ संकट आओत, पहिने यहूदी पर आ फेर आन जातिक लोक पर। 10 मुदा सत्कर्म कयनिहार प्रत्येक मनुष्य केँ सम्मान, आदर आ शान्ति भेटतैक, पहिने यहूदी केँ आ फेर आन जातिक लोक केँ। 11 किएक तँ परमेश्वर ककरो संग पक्षपात नहि करैत छथि। 12 ओ लोक, जकरा लग मूसा द्वारा देल गेल धर्म-नियम नहि छलैक आ ओहि अवस्था मे पाप कयलक से सभ बिनु धर्म-नियमक आधार पर नाश होयत, और ओ लोक, जकरा लग धर्म-नियम छलैक आ पाप कयलक तकर न्याय धर्म-नियमक अनुरूप कयल जयतैक। 13 किएक तँ परमेश्वरक समक्ष ओ सभ धार्मिक नहि ठहरत जे सभ धर्म-नियमक सुननिहार अछि, बल्कि वैह सभ धार्मिक ठहराओल जायत जे सभ धर्म-नियमक पालन कयनिहार अछि। 14 जखन गैर-यहूदी लोक, जकरा सभ केँ धर्म-नियम नहि भेटलैक, से सभ स्वभाव सँ धर्म-नियमक बात सभ पर चलैत अछि तखन ई बात प्रमाणित होइत अछि जे, ओना तँ मूसा केँ देल गेल धर्म-नियम ओकरा सभ लग नहि अछि, तैयो ओकरा सभक भीतर एकटा नियम अछि— 15 ओकरा सभक आचरण सँ ई स्पष्ट देखाइ दैत अछि जे, धर्म-नियमक आदेश ओकरा सभक हृदय पर लिखल छैक। ओकर सभक भितरी मोन ओकरा सभ केँ कखनो दोषी तँ कखनो निर्दोष ठहरा कऽ एहि बातक गवाही सेहो दैत अछि। 16 ई बात सभ ओहि दिन स्पष्ट होयत जहिया हमर एहि शुभ समाचारक कथन अनुसार परमेश्वर यीशु मसीहक द्वारा लोक सभक गुप्त बात सभक न्याय करताह। 17 अहाँ सभ, जे सभ यहूदी कहबैत छी, धर्म-नियम पर भरोसा रखैत छी आ परमेश्वरक लोक होयबाक घमण्ड करैत छी। 18 परमेश्वरक इच्छाक ज्ञान अहाँ सभ केँ अछि और धर्म-नियमक शिक्षा पयबाक कारणेँ उत्तम बातक मोल जनैत छी। 19 अहाँ सभक धारणा अछि जे, अहाँ सभ आन्हर सभक लेल बाट देखौनिहार, अन्हार मे रहनिहार सभक लेल इजोत, 20 मूर्ख सभ केँ बुझौनिहार, और अज्ञानी सभक गुरु छी, किएक तँ अहाँ सभ केँ धर्म-नियमक द्वारा सम्पूर्ण ज्ञान आ सत्य प्राप्त भऽ गेल अछि। 21 मुदा एकटा बात, अहाँ सभ जे अनका शिक्षा दैत छिऐक, की अपनो केँ शिक्षा दैत छी? अहाँ सभ उपदेश दैत छी जे चोरी नहि करू, की अपने चोरी करैत छी? 22 अहाँ जे कहैत छी जे, परस्त्रीगमन नहि करू, की अहाँ करैत छी? अहाँ सभ मूर्ति सभ सँ घृणा करैत छी, की अहाँ सभ मन्दिर सभक धन केँ लुटैत छी? 23 अहाँ सभ धर्म-नियम पर घमण्ड करैत छी, की अहाँ सभ धर्म-नियमक उल्लंघन कऽ कऽ परमेश्वरक अपमान करैत छियनि? 24 जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “तोरा सभक कारणेँ अन्य जातिक बीच मे परमेश्वरक नामक निन्दा भऽ रहल अछि।” 25 धर्म-नियमक अनुरूप कयल जाय वला विधि, खतना, सँ तखने लाभ होइत अछि जखन अहाँ धर्म-नियमक पालन करैत छी। जँ अहाँ धर्म-नियमक उल्लंघन करैत छी तँ अहाँक खतना करौनाइ बेकार अछि। 26 एही तरहेँ, जँ बिनु खतना कराओल कोनो व्यक्ति धर्म-नियमक पालन करैत अछि, तँ की ओ तैयो खतना कराओल व्यक्ति नहि मानल जायत? 27 एतबे नहि—ओहन मनुष्य जकरा शारीरिक रूप मे खतना नहि कयल गेल छैक, जँ धर्म-नियम पर चलैत अछि तँ ओ अहाँ केँ, जे लिखित रूप मे धर्म-नियम पाबि कऽ और खतना कराइओ कऽ धर्म-नियमक उल्लंघन करैत छी, दोषी ठहराओत। 28 असल यहूदी ओ नहि, जे मात्र बाहरी रूप सँ यहूदी देखाइ दैत अछि। तहिना असल खतना ओ नहि, जे मात्र शरीर मे बाहरी चेन्ह अछि। 29 असल यहूदी तँ ओ अछि जे मोन सँ यहूदी अछि, और असल खतना वैह अछि जे हृदय पर कयल गेल अछि। एहन खतना लिखित धर्म-नियम पर निर्भर नहि रहैत अछि, बल्कि पवित्र आत्मा द्वारा कयल जाइत अछि। एहन लोकक प्रशंसा मनुष्यक दिस सँ नहि, बल्कि परमेश्वरक दिस सँ होइत अछि।
1 तखन यहूदी भेला सँ की लाभ? वा खतना करौला सँ की लाभ? 2 हर तरहेँ बहुत लाभ! पहिल बात तँ ई जे, परमेश्वरक वचन यहूदी सभ केँ जिम्मा देल गेलैक। 3 जँ ओकरा सभ मे सँ किछु लोक विश्वास नहि कयलक तँ तकर मतलब की भेल? की ओकरा सभक अविश्वास कयनाइ परमेश्वरक विश्वासयोग्यता केँ व्यर्थ ठहराओत? 4 किन्नहुँ नहि! चाहे प्रत्येक मनुष्य झुट्ठा निकलय, मुदा परमेश्वर सत्य प्रमाणित होयताह, जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “...जाहि सँ अहाँ अपना बात मे सत्य प्रमाणित होयब आ अहाँक फैसलाक जाँच भेला पर विजयी होयब।” 5 मुदा जँ हमरा सभक दुष्टता परमेश्वरक धार्मिकता केँ प्रदर्शित करैत अछि, तँ एना मे हम सभ की ई कही जे परमेश्वर जखन हमरा सभ पर क्रोध प्रगट करैत छथि तँ ओ अन्याय करैत छथि? ई बात हम मानवीय सोचक अनुरूप कहि रहल छी। 6 ओ किन्नहुँ नहि अन्याय करैत छथि! जँ ओ अन्यायी होइतथि तँ संसारक न्याय कोना करितथि? 7 केओ शायद ई कहत जे, जँ हमरा झूठ सँ परमेश्वरक सत्यता आरो स्पष्ट रूप सँ देखाइ पड़ैत अछि आ एहि कारणेँ हुनकर गुणगान बढ़ैत छनि तँ पापी जकाँ हम किएक दण्डक योग्य ठहराओल जा रहल छी? 8 ई तँ तेहने बात कहनाइ जकाँ भेल जे हम सभ अधलाहे किएक ने करी जाहि सँ नीक उत्पन्न होअय? किछु लोक हमरा सभक निन्दा करैत आरोप लगबैत अछि जे हम सभ एहने बात सभ सिखबैत छी। एहन लोक सभ केँ दण्ड भेटनाइ उचित अछि। 9 तखन एहि बातक मतलब की भेल? की हम सभ, जे यहूदी छी, आन लोकक अपेक्षा श्रेष्ठ छी? बिलकुल नहि! हम पहिनहि यहूदी आ आन जातिक लोक, दूनू पर दोष लगा चुकल छी जे ओ सभ केओ पापक अधीन अछि। 10 जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “कोनो मनुष्य धार्मिक नहि अछि, एको गोटे नहि। 11 कोनो मनुष्य बुझनिहार नहि अछि। एको गोटे तेहन नहि अछि जे परमेश्वर केँ खोजैत होअय। 12 सभ केओ भटकि गेल अछि, सभ केओ भ्रष्ट भऽ गेल अछि। केओ नीक काज नहि करैत अछि, एको गोटे नहि।” 13 “ओकर सभक कण्ठ खुजल कबर जकाँ छैक, ओकरा सभक मुँह मे छल-कपट छैक” आ “ठोर मे साँपक विष भरल छैक।” 14 “ओकर सभक मुँह सराप आ कटुता सँ भरल छैक।” 15 “ओकर सभक पयर खून करबाक लेल दौड़ैत छैक। 16 ओ सभ जतऽ-कतौ जाइत अछि ततऽ विनाश आ दुःख लऽ जाइत अछि। 17 ओ सभ शान्तिक बाट सँ अपरिचित अछि।” 18 “ओकरा सभक मोन मे परमेश्वरक डर-भय नहि छैक।” 19 अपना सभ जनैत छी जे, धर्म-नियम जे बात कहैत अछि से ओकरे सभ केँ कहैत अछि जकरा सभ केँ धर्म-नियम देल गेल अछि। एहि तरहेँ सभक मुँह बन्द भऽ गेल अछि आ परमेश्वरक सम्मुख सम्पूर्ण संसार दण्डक योग्य ठहरि गेल अछि। 20 किएक तँ धर्म-नियमक पालन कयला सँ कोनो मनुष्य परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक नहि ठहरत, बल्कि धर्म-नियमक माध्यम सँ मनुष्य केँ अपन पापक ज्ञान होइत छैक। 21 मुदा आब परमेश्वर अपना दिस सँ एकटा तेहन धार्मिकता प्रगट कयने छथि जे धर्म-नियम पर निर्भर नहि अछि, आ जाहि सम्बन्ध मे धर्म-नियम आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक लेख गवाही सेहो देने अछि। 22 प्रगट भेल धार्मिकता ई अछि जे परमेश्वर विश्वासक आधार पर तकरा सभ गोटे केँ धार्मिक ठहरबैत छथि जे सभ यीशु मसीह पर विश्वास करैत अछि। ककरो मे कोनो भेद नहि— 23 सभ केओ पाप कयने अछि आ परमेश्वरक महिमा तक पहुँचऽ मे चुकि जाइत अछि। 24 मुदा परमेश्वर अपना खुशी सँ दानक रूप मे विश्वास कयनिहार सभ केँ ओहि छुटकाराक माध्यम सँ धार्मिक ठहरबैत छथि जे छुटकारा ओ मसीह यीशु द्वारा पूरा कयलनि। 25 परमेश्वर यीशु मसीह केँ मनुष्यक पापक प्रायश्चित्त करऽ वला बलिदानक रूप मे संसार मे प्रस्तुत कयलनि, जाहि बलिदानक बहाओल खून पर विश्वास कयला सँ मनुष्य केँ पाप सँ मुक्ति भेटैत छैक। एहि तरहेँ परमेश्वर अपन उचित न्याय केँ प्रमाणित कयलनि, किएक तँ ओ अपन सहनशीलताक अनुरूप पूर्व समय मे कयल गेल पाप सभ केँ दण्डित नहि कऽ ओहिना छोड़ने छलाह। 26 वर्तमान समय मे परमेश्वर अपन उचित न्याय प्रमाणित कऽ ई बात प्रगट कयलनि जे ओ स्वयं न्यायी छथि आ ओहि सभ लोक केँ धार्मिक ठहरबैत छथि जे सभ यीशु मसीह पर विश्वास करैत अछि। 27 तखन घमण्ड करऽ वला बात कतऽ रहल? ओकर तँ कोनो स्थाने नहि अछि। कोन कारणेँ? की एहि कारणेँ जे धर्म-नियम केँ पालन नहि कऽ सकलहुँ? नहि, बल्कि एहि कारणेँ जे सभ बात आब विश्वासे पर निर्भर अछि। 28 तेँ हम सभ ई कहैत छी जे मनुष्य धर्म-नियमक पालन कयला सँ नहि, बल्कि विश्वासक कारणेँ धार्मिक ठहरैत अछि। 29 की परमेश्वर मात्र यहूदी सभक परमेश्वर छथि? की ओ आन जाति सभक परमेश्वर नहि छथि? हँ, ओ आन जाति सभक परमेश्वर सेहो छथि। 30 किएक तँ परमेश्वर एके छथि। ओ यहूदी सभ केँ ओकरा सभक विश्वासक आधार पर, आ अन्य जातिक लोक सभ केँ ओकरा सभक विश्वासक आधार पर धार्मिक ठहरौताह। 31 तखन की, हम सभ विश्वास पर जोर दऽ कऽ धर्म-नियम केँ आब बेकार ठहरबैत छी? किन्नहुँ नहि! बल्कि धर्म-नियम केँ समर्थन करैत छी।
1 आब हम सभ अपन पूर्वज अब्राहमक विषय मे की कही? धार्मिक ठहराओल जयबाक सम्बन्ध मे हुनका की अनुभव भेलनि? 2 जँ अब्राहम अपन कर्म द्वारा धार्मिक ठहराओल गेलाह तँ ओ अपना पर घमण्ड कऽ सकैत छलाह, मुदा परमेश्वरक सम्मुख हुनका घमण्ड करबाक कोनो आधार नहि छलनि, 3 किएक तँ धर्मशास्त्र मे ई लिखल अछि जे, “अब्राहम परमेश्वरक बातक विश्वास कयलनि आ ई विश्वास हुनका लेल धार्मिकता मानल गेलनि।” 4 काज कयनिहार केँ जखन मजदूरी देल जाइत अछि, तँ ई नहि मानल जाइत अछि जे ओकरा पर कृपा कयल गेलैक, बल्कि ई ओकर अधिकार छलैक। 5 मुदा जे व्यक्ति अपना काज पर भरोसा नहि रखैत अछि, बल्कि ओहि परमेश्वर पर विश्वास करैत अछि जे पापी सभ केँ धार्मिक ठहरबैत छथि, ताहि व्यक्ति केँ विश्वासक आधार पर परमेश्वर ओकरा धार्मिक मानैत छथि ⌞आ ई कृपाक बात अछि⌟। 6 एही तरहेँ धर्मशास्त्र मे दाऊद ओहन मनुष्य केँ धन्य कहैत छथि जकरा परमेश्वर बिनु कर्मक आधार पर धार्मिक मानैत छथिन— 7 “धन्य अछि ओ सभ जकर सभक अपराध क्षमा भऽ गेल 2 आ जकर सभक पाप झाँपि देल गेलैक। 8 धन्य अछि ओ मनुष्य जकर पापक लेखा प्रभु नहि लेथिन।” 9 की ई आशिष खतना कराओल लोक सभक लेल मात्र अछि वा तकरो सभक लेल जकरा सभक खतना नहि भेल अछि? हम सभ तँ कहैत आयल छी जे, “अब्राहमक विश्वास हुनका लेल धार्मिकता मानल गेलनि।” 10 तँ हुनकर विश्वास कोन स्थिति मे धार्मिकता मानल गेलनि—हुनकर खतना होमऽ सँ पहिने वा भेलाक बाद? खतना भेलाक बाद नहि, बल्कि पहिने! 11 हुनकर खतना जखन नहि भेल छलनि, ताहि समय मे विश्वास द्वारा जे धार्मिकता प्राप्त भेल छलनि ताहि पर छाप स्वरूप खतनाक चिन्ह बाद मे लगाओल गेलनि। एहि तरहेँ ओ ओहू लोक सभक पिता भेलाह जे सभ बिनु खतना करौने विश्वास करैत अछि, जाहि सँ ओकरो सभक विश्वास ओकरा सभक लेल धार्मिकता मानल जाइक। 12 अब्राहम ओहि खतना करौनिहार लोक सभक पिता सेहो छथि जे सभ मात्र खतने नहि करौने अछि, बल्कि हमरा सभक पिता अब्राहमक ओही विश्वासक पद-चिन्ह पर सेहो चलैत अछि, जे विश्वास खतना होमऽ सँ पहिने हुनका मे छलनि। 13 अब्राहम आ हुनका वंश केँ जे वचन देल गेल छल जे ओ पृथ्वीक उत्तराधिकारी होयताह, से वचन हुनका एहि लेल नहि देल गेल जे ओ धर्म-नियमक पालन कयलनि, बल्कि एहि लेल जे ओ विश्वास कयलनि आ परमेश्वर हुनका धार्मिक मानलथिन। 14 जँ वैह सभ उत्तराधिकारी बनैत अछि जे सभ धर्म-नियमक अधीन रहैत अछि, तँ विश्वास कयनाइ बेकार अछि आ परमेश्वर जे वचन देलनि से निरर्थक भऽ जाइत अछि, 15 किएक तँ धर्म-नियम परमेश्वरक प्रकोपे उत्पन्न करैत अछि, आ जतऽ नियम अछिए नहि, मात्र ततहि आज्ञाक उल्लंघन नहि पाओल जाइत अछि। 16 एहि कारणेँ परमेश्वरक वचनक पूर्तिक आधार अछि मनुष्यक विश्वास, जाहि सँ सम्पूर्ण बात परमेश्वरक दिस सँ कृपाक रूप मे रहय आ हुनकर वचन अब्राहमक सभ वंशजक लेल अटल होअय—मात्र तकरे सभक लेल नहि, जकरा सभ केँ धर्म-नियम भेटल छैक, बल्कि ओहि सभ लोकक लेल, जे सभ अब्राहम सनक विश्वास रखैत अछि। अब्राहम अपना सभ गोटेक पिता छथि, 17 जेना कि लिखल अछि जे, “हम तोरा बहुतो जाति सभक पिता बनौने छिअह।” परमेश्वरक दृष्टि मे अब्राहम अपना सभक पिता छथि। ओ ओहि परमेश्वर पर विश्वास कयलनि जे मुइल सभ केँ जिअबैत छथि और जे वस्तु अस्तित्व मे अछिए नहि तकरा अस्तित्व मे अनैत छथि। 18 जाहि परिस्थिति मे कोनो आशा नहि राखल जा सकैत छल, ताहू मे अब्राहम आशा राखि विश्वास कयलनि और तहिना बहुतो जातिक पिता बनि गेलाह, जेना कि हुनका कहल गेल छलनि जे, “तोहर वंशज असंख्य होयतह।” 19 हुनकर उमेर लगभग एक सय वर्षक भऽ गेल छलनि आ ओ जनैत छलाह जे हमर शरीर सँ आब किछु नहि होयत आ ओ इहो जनैत छलाह जे सारा केँ बच्चा होयब असम्भवे छनि। 20 तैयो ओ परमेश्वरक वचन पर कनेको सन्देह नहि कयलनि, बल्कि विश्वास मे आओर दृढ़ भऽ कऽ परमेश्वरक स्तुति कयलनि। 21 हुनका पक्का विश्वास छलनि जे जाहि बातक वचन परमेश्वर देने छथि तकरा पूरा करऽ मे ओ सामर्थ्यवान छथि। 22 एही विश्वासक कारणेँ ओ धार्मिक मानल गेलाह। 23 धर्मशास्त्रक ई शब्द जे, “विश्वासक आधार पर ओ धार्मिक मानल गेलाह,” मात्र अब्राहमेक लेल नहि, बल्कि अपनो सभक लेल लिखल गेल अछि। अपनो सभ केँ परमेश्वर धार्मिक मानताह—अपना सभ केँ, जे सभ ओहि परमेश्वर पर विश्वास करैत छी जे अपना सभक प्रभु, यीशु केँ, मुइल सभ मे सँ जीवित कयलथिन। 25 यीशु मसीह केँ अपना सभक पापक कारणेँ मृत्युदण्ड देल गेल छलनि आ अपना सभ केँ धार्मिक ठहरयबाक लेल जिआओल गेलनि।
1 एहि तरहेँ विश्वास सँ धार्मिक ठहराओल जयबाक कारणेँ प्रभु यीशु मसीहक द्वारा परमेश्वर सँ अपना सभक मेल भेल अछि। 2 यैह यीशु मसीह अपना सभ केँ परमेश्वरक संग एहि नव सम्बन्ध मे अनने छथि जे सम्बन्ध हुनका कृपा पर आधारित अछि आ जाहि सम्बन्ध मे अपना सभ स्थिर छी। और परमेश्वरक महिमा मे सहभागी होयबाक आशा मे आनन्दित छी। 3 एतबे नहि, बल्कि कष्टक समय सभ मे सेहो आनन्दित होइत छी, किएक तँ अपना सभ जनैत छी जे कष्ट सँ धैर्य उत्पन्न होइत अछि, 4 धैर्य सँ सच्चरित्रता आ सच्चरित्रता सँ आशा उत्पन्न होइत अछि। 5 और ई आशा अपना सभ केँ निराश नहि होमऽ दैत अछि, किएक तँ परमेश्वर अपन पवित्र आत्मा जे अपना सभ केँ देने छथि, तिनका द्वारा अपन प्रेम अपना सभक हृदय मे भरि देने छथि। 6 सोचू! अपना सभ जखन असहाये छलहुँ तहिए निर्धारित समय पर मसीह अधर्मी सभक लेल मरलाह। 7 दुर्लभ बात अछि जे कोनो धार्मिको मनुष्यक लेल केओ अपन प्राण दिअय। हँ, कोनो नीक मनुष्यक लेल केओ मरबाक साहस कैओ लिअय। 8 मुदा परमेश्वर अपना प्रेम केँ अपना सभक प्रति एहि तरहेँ देखबैत छथि जे, जखन अपना सभ पापिए छलहुँ तखने मसीह अपना सभक लेल मरलाह। 9 तेँ जखन अपना सभ मसीहक खून द्वारा एखन धार्मिक ठहराओल गेलहुँ तँ निश्चय अपना सभ हुनका द्वारा परमेश्वरक दण्ड सँ सेहो बँचाओल जायब। 10 किएक तँ जखन शत्रुताक अवस्था मे परमेश्वरक संग मेल-मिलाप हुनका पुत्रक मृत्यु द्वारा भऽ गेल, तखन मेल-मिलाप भऽ गेला पर हुनका पुत्रक जीवन द्वारा अपना सभक उद्धार किएक नहि होयत? 11 एतबे नहि! अपना प्रभु यीशु मसीहक कारणेँ अपना सभ परमेश्वर मे आनन्दित सेहो छी, किएक तँ हुनके द्वारा आब परमेश्वर सँ मेल-मिलाप भऽ गेल अछि। 12 एके मनुष्यक द्वारा संसार मे पापक प्रवेश भेल आ पाप द्वारा मृत्युक। एहि तरहेँ मृत्यु सभ मनुष्य मे पसरि गेल, कारण, सभ केओ पाप कयने अछि। 13 धर्म-नियम जे मूसा केँ देल गेल ताहि सँ पहिने सेहो संसार मे पाप छल, मुदा जतऽ नियम नहि होइत अछि ततऽ “नियम-उल्लंघन”क लेखा नहि राखल जाइत अछि। 14 तैयो मृत्यु आदमक समय सँ लऽ कऽ मूसाक समय धरि ओहू लोक सभ पर शासन कयलक जे सभ परमेश्वरक आज्ञाक उल्लंघन करबाक द्वारा पाप नहि कयने छल, जेना आदम कयलक। आदम तिनकर प्रतीक छल जे आबऽ वला छलाह। 15 मुदा आदमक अपराध आ परमेश्वरक वरदान मे कोनो समानता नहि। कारण, जँ एके मनुष्यक अपराध सँ अनेको मनुष्य मरल, तँ एहि सँ कतेक बढ़ि कऽ एके मनुष्यक, अर्थात् यीशु मसीहक, वरदान द्वारा अनेको मनुष्य पर परमेश्वरक कृपा बरसल। 16 कहाँ ओ एक व्यक्तिक पापक परिणाम आ कहाँ ई परमेश्वरक वरदान!—एहि मे कोनो समानता नहि, किएक तँ एक अपराधक फलस्वरूप न्याय कयल गेल आ मनुष्य केँ दण्ड-आज्ञा भेटलैक, मुदा बहुतो अपराधक बाद जे वरदान देल गेलैक, ताहि द्वारा दोष सँ छुटकारा भेटलैक। 17 जँ एके मनुष्यक पापक कारणेँ ओहि मनुष्य द्वारा मृत्यु राज्य कयलक, तँ एहि सँ कतेक बढ़ि कऽ जकरा सभ केँ परमेश्वरक प्रशस्त कृपा आ धार्मिकताक दान भेटल छैक, से सभ एके मनुष्य, अर्थात् यीशु मसीह, द्वारा जीवन मे राज्य करत। 18 एहि तरहेँ अपना सभ देखैत छी जे, जहिना एके अपराधक फलस्वरूप सभ मनुष्य केँ दण्ड-आज्ञा भेटलैक, तहिना एके नीक काजक फलस्वरूप सभ मनुष्यक लेल दोष सँ छुटकारा आ जीवनक प्रबन्ध कयल गेल। 19 किएक तँ जाहि तरहेँ एक मनुष्यक आज्ञा-उल्लंघन सँ अनेको मनुष्य पापी भेल, ओही तरहेँ एक मनुष्यक आज्ञा-पालन सँ अनेको मनुष्य धार्मिक ठहराओल जायत। 20 बीच मे धर्म-नियम आबि गेला सँ पापक वृद्धि भेल, मुदा जतऽ पाप बढ़ल ततऽ परमेश्वरक कृपा आरो बढ़ल, 21 जाहि सँ जहिना पाप मनुष्य केँ मृत्यु दऽ कऽ शासन करैत छल, तहिना परमेश्वरक कृपा मनुष्य केँ धार्मिक ठहरा कऽ शासन करय, जकर फल अपना सभक प्रभु यीशु मसीह द्वारा अनन्त जीवन अछि।
1 तखन की, अपना सभ आओर पाप करैत रही जाहि सँ परमेश्वर आओर कृपा करथि? 2 किन्नहुँ नहि! अपना सभ जे पापक लेखेँ मरि गेल छी, आब पाप मे जीवन कोना व्यतीत करब? 3 की अहाँ सभ ई नहि जनैत छी जे, अपना सभ गोटे जे बपतिस्मा लऽ कऽ मसीह यीशु मे सहभागी भेलहुँ से हुनका मृत्यु मे सेहो सहभागी भेलहुँ? 4 तेँ अपना सभ बपतिस्मा द्वारा हुनका मृत्यु मे सहभागी भऽ हुनका संग गाड़ल सेहो गेल छी जाहि सँ जहिना यीशु मसीह पिता परमेश्वरक महिमा द्वारा मुइल सभ मे सँ जिआओल गेलाह तहिना अपनो सभ एक नव जीवन जीबी। 5 जँ हुनका मृत्यु मे अपना सभ हुनका सँ संयुक्त भऽ गेल छी, तँ निश्चय हुनका जीबि उठनाइ मे सेहो अपना सभ हुनका सँ संयुक्त भऽ जायब। 6 अपना सभ केँ ई कखनो नहि बिसरबाक चाही जे अपना सभक पहिलुका स्वभाव हुनके संग क्रूस पर चढ़ा देल गेल, जाहि सँ अपना सभ मेहक पापपूर्ण “हम” मरि जाय आ अपना सभ फेर पापक दास नहि बनी, 7 किएक तँ मरल आदमी पर पाप केँ कोनो शक्ति नहि रहि जाइत छैक। 8 आब जँ अपना सभ मसीहक संग मरलहुँ तँ अपना सभ विश्वास करैत छी जे हुनका संग जीवित सेहो रहब। 9 किएक तँ अपना सभ जनैत छी जे मसीह मुइल सभ मे सँ जिआओल गेलाक बाद फेर कहियो नहि मरताह। आब मृत्यु केँ हुनका पर कोनो अधिकार नहि रहल। 10 ओ जखन मरलाह तँ पाप केँ पराजित करबाक लेल सदाक लेल एके बेर मरलाह, आ जीबि उठि कऽ ओ आब परमेश्वरेक लेल जीबैत छथि। 11 एही तरहेँ अहाँ सभ सेहो अपना केँ पापक लेखेँ मुइल आ मसीह यीशु मे परमेश्वरक लेल जीवित बुझू। 12 एहि लेल आब अहाँ सभ अपन नश्वर शरीर मे पाप केँ राज्य नहि करऽ दिअ जे ओकर अभिलाषा सभक अनुसार जीवन व्यतीत करी। 13 अहाँ सभ अपना शरीरक अंग सभ केँ दुष्टताक साधनक रूप मे पाप करबाक लेल समर्पित नहि करू। बल्कि मृत्यु सँ जीवन मे लाओल लोक सभ जकाँ अपना केँ परमेश्वर केँ समर्पित कऽ दिअ आ शरीरक अंग सभ केँ नीक काज करबाक साधनक रूप मे परमेश्वर केँ अर्पित करू। 14 तखन पाप अहाँ सभ पर राज्य नहि कऽ पाओत, किएक तँ अहाँ सभ धर्म-नियमक अधीन नहि, बल्कि परमेश्वरक कृपाक अधीन छी। 15 तखन की? की अपना सभ जँ धर्म-नियमक अधीन नहि, बल्कि परमेश्वरक कृपाक अधीन छी, तँ एहि कारणेँ पाप करी? किन्नहुँ नहि! 16 की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे जकर आज्ञा मानबाक लेल अहाँ सभ अपना केँ दासक रूप मे समर्पित करैत छी, अहाँ सभ तकरे दास छी?—ओ चाहे पापक होइ, जकर परिणाम मृत्यु अछि, चाहे आज्ञाकारिताक, जकर परिणाम धार्मिकता अछि। 17 परमेश्वर केँ धन्यवाद जे अहाँ सभ, जे सभ एक समय मे पापक दास छलहुँ, आब पूरा मोन सँ ओहि शिक्षाक आज्ञाकारी भऽ गेल छी जाहि मे अहाँ सभ सौंपल गेलहुँ। 18 अहाँ सभ पाप सँ मुक्त कयल गेलहुँ और आब धार्मिकताक दास भऽ गेल छी। 19 हम ई साधारण मानव जीवनक उदाहरण, अर्थात् दास आ मालिकक उदाहरण, एहि लेल प्रयोग कऽ रहल छी जे अहाँ सभक मानवीय दुर्बलताक कारणेँ बात बुझनाइ अहाँ सभक लेल कठिन अछि। अहाँ सभ जहिना पहिने अपना शरीरक अंग केँ अशुद्धता आ अधर्मक अधीन कयने छलहुँ, जाहि सँ दुराचार बढ़ल, तहिना आब अपना शरीरक अंग केँ धार्मिकताक अधीन करू, जाहि सँ अहाँ सभ पवित्र बनी। 20 किएक तँ जखन अहाँ सभ पापक दास छलहुँ तँ धार्मिकताक नियन्त्रण सँ अहाँ सभ स्वतन्त्र छलहुँ। 21 ओहि समय मे अहाँ सभ केँ ओहि कर्म सँ की लाभ भेल? आब ओहि बात सँ लज्जित होइत छी, कारण, ओकर परिणाम मृत्यु अछि। 22 मुदा आब अहाँ सभ पाप सँ छुटकारा पाबि परमेश्वरक दास बनि गेल छी, जकर फल अछि पवित्रता आ जकर परिणाम अछि अनन्त जीवन। 23 किएक तँ पापक मजदूरी अछि मृत्यु, मुदा परमेश्वरक वरदान अछि अनन्त जीवन जे अपना सभक प्रभु, मसीह यीशुक माध्यम सँ प्राप्त होइत अछि।
1 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ तँ नियम-कानून केँ जननिहार लोक छी—की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे तहिए तक कोनो मनुष्य पर कानूनक अधिकार रहैत छैक जहिया तक ओ मनुष्य जीवित अछि? 2 उदाहरणक लेल, विवाहित स्त्री तहिया धरि कानून द्वारा अपन पुरुषक बन्हन मे रहैत अछि जहिया धरि ओकर पुरुष जीवित छैक। जँ पुरुष मरि जाइत छैक तँ ओ विवाह-कानूनक बन्हन सँ मुक्त भऽ जाइत अछि। 3 एहि लेल, जँ ओ पतिक जीवन काल मे कोनो दोसर पुरुष सँ विवाह करैत अछि तँ ओ परपुरुषगमन करऽ वाली कहबैत अछि, मुदा जँ ओकर पति मरि जाइत छैक तँ ओ ओहि विवाह सम्बन्ध सँ मुक्त भऽ जाइत अछि और कोनो दोसर पुरुषक स्त्री बनिओ कऽ परपुरुषगमन करऽ वाली नहि होइत अछि। 4 एहि लेल, यौ हमर भाइ लोकनि, अहूँ सभ मसीहक शारीरिक मृत्यु मे सहभागी भऽ धर्म-नियमक दृष्टिकोण सँ मरि गेल छी, जाहि सँ कोनो दोसराक, अर्थात् यीशु मसीहक, जे मृत्यु मे सँ जिआओल गेलाह, तिनकर भऽ जाइ आ परमेश्वरक लेल फलदायक सेवा करी। 5 जखन अपना सभ अपन पापी स्वभावक अनुसार आचरण करैत छलहुँ, तँ पापमय लालसा सभ धर्म-नियम द्वारा प्रेरणा पाबि कऽ अपना सभक शरीरक अंग सभ मे काज करैत छल, जाहि सँ तेहन जीवन बितबैत छलहुँ जकर परिणाम मृत्यु अछि। 6 मुदा आब तकरा लेखेँ मरि कऽ जे एक समय मे अपना सभ केँ अपना वश मे बान्हि कऽ रखने छल, अर्थात् धर्म-नियम, अपना सभ ओहि सँ मुक्त भऽ गेल छी। आब पुरान तरीका सँ लिखित नियमक दास भऽ कऽ नहि, बल्कि नव तरीका सँ, जे पवित्र आत्माक तरीका छनि, परमेश्वरक सेवा करबाक लेल स्वतन्त्र भऽ गेल छी। 7 तखन, जँ पापमय लालसा सभ धर्म-नियम द्वारा प्रेरणा पबैत अछि, तँ की अपना सभ ई कही जे धर्म-नियम आ पाप दूनू एके चीज अछि? एकदम नहि! बात ई अछि जे, धर्म-नियमक अभाव मे हम पाप केँ चिन्हने नहि रहितहुँ। जँ धर्म-नियम नहि कहने रहैत जे, “लोभ नहि करह” तँ हम ई नहि जनितहुँ जे, लोभ अछि की। 8 एहि आज्ञा सँ मौका पाबि पाप हमरा मे सभ प्रकारक लोभ उत्पन्न कऽ देलक, कारण, नियमक अभाव मे पाप निर्जीव अछि। 9 एक समय छल जहिया धर्म-नियम नहि छल आ हम जीवित छलहुँ, मुदा जखन आज्ञा आबि गेल तँ पाप जीवित भऽ गेल आ हम मरि गेलहुँ। 10 और एहि तरहेँ जाहि आज्ञाक उद्देश्य छल जीवन देनाइ, से आज्ञा हमरा लेल मृत्युक कारण बनि गेल। 11 किएक तँ पाप आज्ञाक उपस्थिति सँ अवसर पाबि हमरा धोखा देलक आ ओही आज्ञा सँ हमरा मारि देलक। 12 एहि तरहेँ अपना सभ देखैत छी जे धर्म-नियम अपने पवित्र अछि और आज्ञा सेहो पवित्र, उचित आ कल्याणकारी अछि। 13 तखन की, जे बात कल्याणकारी छल, सैह हमरा लेल मृत्युक कारण बनि गेल? कदापि नहि! बल्कि जे वस्तु कल्याणकारी छल, तकरा प्रयोग कऽ कऽ पाप हमरा लेल मृत्युक कारण बनि गेल। एहि तरहेँ पापक वास्तविक स्वरूप प्रगट भऽ गेल आ आज्ञाक माध्यम सँ पाप आओर अधिक पापमय प्रमाणित भेल। 14 अपना सभ जनैत छी जे धर्म-नियम आत्मा सँ सम्बन्ध रखैत अछि, मुदा हम मानवीय स्वभावक प्रभाव मे छी आ पापक हाथेँ बिका गेल छी। 15 हम की करैत छी, से नहि बुझि पबैत छी, किएक तँ हम जे करऽ चाहैत छी से नहि करैत छी, बल्कि जाहि बात सँ हम घृणा करैत छी सैह करैत छी। 16 आब हम जे करैत छी, जँ से करबाक इच्छा हमरा नहि अछि, तँ एहि सँ स्पष्ट होइत अछि जे हम वास्तव मे मानैत छी जे धर्म-नियम उचित अछि। 17 तखन एहन अवस्था मे करऽ वला हम नहि रहलहुँ, बल्कि करऽ वला ओ पाप अछि जे हमरा मे वास कऽ रहल अछि। 18 किएक तँ हम जनैत छी जे हमरा मे कोनो नीक वस्तुक वास नहि अछि, अर्थात् हमर मानवीय स्वभाव मे। नीक काज करबाक इच्छा तँ हमरा होइत अछि, मुदा हम ओकरा कऽ नहि पबैत छी। 19 कारण, जाहि नीक काज केँ हम करऽ चाहैत छी तकरा नहि करैत छी, आ जाहि अधलाह काज केँ करऽ नहि चाहैत छी तकरे करैत रहैत छी। 20 जँ हम जे नहि करऽ चाहैत छी सैह करैत छी, तँ ओ करऽ वला हम नहि, बल्कि पाप अछि, जे हमरा मे वास करैत अछि। 21 एहि तरहेँ हम अपना मे ई नियम पबैत छी जे, जखन हम नीक काज करबाक इच्छा करैत छी तँ अधलाहे काज हमरा सँ होइत अछि। 22 हम अपना अन्तरात्मा मे परमेश्वरक धर्म-नियम केँ तँ सहर्ष स्वीकार करैत छी, 23 मुदा हमरा अपना शरीर मे एक दोसरे नियम काज करैत देखाइ दैत अछि, जे ताहि नियम सँ संघर्ष करैत अछि जे हमर बुद्धि स्वीकार करैत अछि। हमरा शरीरक अंग मे क्रियाशील ओ नियम पाप-नियम अछि और ओ हमरा अपन बन्दी बना लैत अछि। 24 हम कतेक अभागल मनुष्य छी! एहि मृत्युक अधीन रहऽ वला शरीर सँ हमरा के छुटकारा दियाओत? 25 परमेश्वरक धन्यवाद होनि! वैह अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक द्वारा हमरा छुटकारा दिऔताह। अतः एक दिस तँ हम अपना बुद्धि सँ परमेश्वरक नियमक दास छी, मुदा दोसर दिस अपना मानवीय पाप-स्वभाव सँ पाप-नियमक दास छी।
1 एहि लेल, आब जे सभ मसीह यीशु मे अछि, तकरा सभक लेल कोनो दण्डक आज्ञा नहि अछि। 2 किएक तँ परमेश्वरक जीवनदायक आत्माक नियम मसीह यीशु द्वारा पाप आ मृत्युक नियम सँ हमरा स्वतन्त्र कऽ देने अछि। 3 धर्म-नियम मानवीय पाप-स्वभावक कारणेँ कमजोर भऽ कऽ जे काज करऽ मे असमर्थ छल, से काज परमेश्वर कऽ देलनि। ओ पापक प्रायश्चित्तक लेल अपने पुत्र केँ पठौलनि, जे पापी मनुष्यक समान मानव शरीर धारण कयलनि। एहि तरहेँ परमेश्वर मानव शरीर मे पाप केँ दण्डित कयलनि, 4 जाहि सँ अपना सभ मे, जे सभ मानवीय पाप-स्वभावक अनुसार नहि, बल्कि पवित्र आत्माक इच्छाक अनुसार आचरण करैत छी, धर्म-नियमक उचित माँग पूरा भऽ जाय। 5 कारण, मानवीय पाप-स्वभावक अनुसार चलनिहार लोक सभ ताहि बात सभ पर मोन लगबैत अछि जाहि बातक लेल पाप-स्वभाव इच्छा रखैत अछि, मुदा पवित्र आत्माक अनुसार चलनिहार लोक सभ ताहि बात सभ पर जे पवित्र आत्मा चाहैत छथि। 6 मानवीय पाप-स्वभावक इच्छा सभ पर मोन लगौनाइक परिणाम अछि मृत्यु, मुदा पवित्र आत्माक इच्छा पर मोन लगौनाइक परिणाम अछि जीवन आ शान्ति, 7 किएक तँ मानवीय पाप-स्वभावक सोच-विचार परमेश्वरक विरोधी अछि। मानवीय स्वभाव तँ परमेश्वरक नियमक अधीन नहि अछि आ ने ओकर अधीन भऽ सकैत अछि। 8 जे केओ मानवीय स्वभावक इच्छाक अनुसार आचरण करैत अछि, से परमेश्वर केँ प्रसन्न नहि कऽ सकैत अछि। 9 मुदा अहाँ सभ मानवीय स्वभावक अनुसार नहि, बल्कि परमेश्वरक आत्माक अनुसार जीबैत छी, किएक तँ अहाँ सभ मे परमेश्वरक आत्मा वास करैत छथि। और जँ ककरो मे मसीहक आत्मा वास नहि करैत छथि तँ ओ मसीहक नहि अछि। 10 मुदा जँ मसीह अहाँ सभ मे वास करैत छथि, तँ पापक कारणेँ अहाँ सभक शरीर मृत्युक अधीन मे होइतो, अहाँ सभ केँ धार्मिक ठहराओल जयबाक कारणेँ अहाँ सभक आत्मा जीवित अछि। 11 और जँ तिनकर आत्मा जे यीशु मसीह केँ मुइल सभ मे सँ जीवित कयलथिन, अहाँ सभ मे वास करैत छथि, तँ जे मसीह केँ मुइल सभ मे सँ जीवित कयलथिन से अपना आत्मा द्वारा, जिनकर वास अहाँ सभ मे अछि, अहाँ सभक नश्वर शरीर केँ सेहो जीवन प्रदान करताह। 12 एहि लेल यौ भाइ लोकनि, अपना सभ ऋणी छी, मुदा मानवीय पाप-स्वभावक नहि, जे ओकर इच्छाक अनुसार जीबी। 13 कारण, जँ अहाँ सभ मानवीय स्वभावक अनुरूप जीब तँ अवश्य मरब, मुदा जँ पवित्र आत्माक शक्ति द्वारा ताहि अधलाह काज सभक अन्त करब जे शरीर सँ कयल जाइत अछि तँ जीवन प्राप्त करब, 14 किएक तँ जे सभ परमेश्वरक आत्मा द्वारा संचालित कयल जाइत अछि, सैह सभ परमेश्वरक सन्तान अछि। 15 अहाँ सभ केँ जे आत्मा देल गेल छथि, से अहाँ सभ केँ फेर डेराय वला गुलाम नहि बनबैत छथि, बल्कि परमेश्वरक पुत्र बनौने छथि। ओहि आत्माक द्वारा अपना सभ हुनका पुकारि उठैत छियनि जे, “हे बाबूजी! हे पिता!” 16 पवित्र आत्मा स्वयं अपना सभक आत्मा केँ गवाही दैत छथि जे अपना सभ परमेश्वरक सन्तान छी। 17 जँ अपना सभ हुनकर सन्तान छी तँ उत्तराधिकारी सेहो छी—परमेश्वरक उत्तराधिकारी आ मसीहक संग सह-उत्तराधिकारी। कारण, जँ अपना सभ यीशु मसीहक संग दुःख सहब तँ हुनका संग महिमा मे सेहो सहभागी होयब। 18 हम ई मानैत छी जे, जे महिमा अपना सभ मे प्रगट होमऽ वला अछि तकरा तुलना मे वर्तमान समयक कष्ट किछु नहि अछि। 19 ई सृष्टि बहुत जिज्ञासाक संग ओहि समयक प्रतीक्षा कऽ रहल अछि जहिया परमेश्वरक सन्तान सभ केँ प्रगट कयल जायत। 20 ई सृष्टि तँ व्यर्थताक अधीन कऽ देल गेल, मुदा से अपन इच्छा सँ नहि, बल्कि हुनकर इच्छा सँ जे एकरा अधीन कऽ देलथिन, मुदा ई आशा बनल रहल जे, 21 एक दिन आओत जहिया सृष्टि सरनाइ आ मरनाइक बन्हन सँ मुक्त भऽ ओहि महिमामय स्वतन्त्रता मे सहभागी बनत जे परमेश्वरक सन्तान सभक होयतैक। 22 हम सभ जनैत छी जे सम्पूर्ण सृष्टि मिलि कऽ आइ तक ओहि प्रकारक कष्ट सँ कुहरैत आयल अछि जेना प्रसव-पीड़ाक कष्ट होइत अछि। 23 मात्र वैह नहि, बल्कि अपनो सभ, जकरा सभ केँ परमेश्वरक वचनक पूर्तिक पहिल भागक रूप मे पवित्र आत्मा भेटल छथि, भीतरे-भीतर कुहरैत छी और एहि बातक प्रतीक्षा करैत छी जे अपना सभ पूर्ण रूप सँ परमेश्वरक पोषपुत्र बनाओल जायब आ शरीर सरनाइ आ मरनाइक बन्हन सँ छुटकारा पाबि नव कयल जायत। 24 जहिया सँ अपना सभक उद्धार भेल, तहिया सँ अपना सभ मे ई आशा बनल रहल अछि। मुदा जँ अपना सभ ओहि वस्तु केँ प्राप्त कैए लेने छी जकर आशा रखैत छी, तँ ओकरा “आशा” नहि कहल जाइत अछि। जकरा कोनो वस्तु प्राप्त भऽ गेल छैक, से तकर आशा किएक करत? 25 मुदा अपना सभ ओहि वस्तुक आशा करैत छी जे देखैत नहि छी, आ तेँ धैर्यपूर्बक ओकर प्रतीक्षा करैत छी। 26 एही तरहेँ पवित्र आत्मा सेहो अपना सभक दुर्बलता मे सहायता करैत छथि, किएक तँ अपना सभ नहि जनैत छी जे अपना सभ केँ प्रार्थना कोन तरहेँ करबाक चाही, मुदा आत्मा अपने कुहरि-कुहरि कऽ अपना सभक लेल विनती करैत छथि, जकरा शब्द मे व्यक्त नहि कयल जा सकैत अछि। 27 और परमेश्वर, जे अपना सभक हृदयक भेद केँ जनैत छथि, से जनैत छथि जे आत्माक अभिप्राय की छनि, कारण, आत्मा परमेश्वरक इच्छाक अनुसार हुनकर लोक सभक लेल विनती करैत छथि। 28 अपना सभ जनैत छी जे परमेश्वर सँ प्रेम कयनिहार लोक, अर्थात् हुनका उद्देश्यक अनुरूप बजाओल गेल लोक सभक लेल प्रत्येक परिस्थिति मे परमेश्वर भलाइ उत्पन्न करैत छथि। 29 परमेश्वर अपना लोक केँ शुरुए सँ चिन्हैत छलाह, आ ओकरा सभक लेल ओ ई निश्चित कयलनि जे ओ सभ हुनकर पुत्रक समरूप बनय, जाहि सँ यीशु मसीह बहुतो भाय सभक जेठ भाय ठहरथि। 30 जकरा सभक लेल ओ ई निश्चित कयलनि जे ओ सभ हुनकर पुत्रक समरूप बनय, तकरा सभ केँ ओ बजौलनि सेहो, आ जकरा सभ केँ बजौलनि तकरा सभ केँ धार्मिक सेहो ठहरौलनि। जकरा सभ केँ ओ धार्मिक ठहरौलनि, तकरा सभ केँ ओ अपन महिमा मे सहभागी सेहो बनौलनि। 31 एहि बात सभक सम्बन्ध मे आब अपना सभ की कही? जँ परमेश्वर अपना सभक पक्ष मे छथि तँ अपना सभक विरोध मे के भऽ सकत? 32 परमेश्वर अपन निज पुत्र केँ जँ बँचा कऽ नहि रखलनि, बल्कि अपना सभ गोटेक लेल दऽ देलनि, तखन की ओ खुशी सँ अपना पुत्रक संग सभ किछु अपना सभ केँ नहि देताह? 33 परमेश्वरक चुनल लोक सभ पर के दोष लगाओत? परमेश्वर स्वयं अपना सभ केँ धार्मिक ठहरा रहल छथि, 34 तँ फेर अपना सभ केँ दण्डक आज्ञा के दऽ सकत? मसीह यीशु तँ स्वयं अपना सभक लेल मरलाह—एतबे नहि, ओ जिआओल सेहो गेलाह आ परमेश्वरक दहिना कात विराजमान भऽ अपना सभक पक्ष मे विनती करैत छथि। 35 अपना सभ केँ मसीहक प्रेम सँ के अलग कऽ सकैत अछि? की कष्ट, वा संकट, वा अत्याचार, वा अकाल, वा गरीबी, वा खतरा, वा तरुआरि? 36 जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “अहाँक लेल दिन भरि हम सभ वध कयल जाइत छी। वध होमऽ वला भेँड़ा सभ जकाँ हम सभ मानल गेल छी।” 37 नहि! अपना सभ सँ जे प्रेम कयने छथि तिनका द्वारा अपना सभ एहि सभ बात मे पूर्ण विजय पबैत छी। 38 किएक तँ हमरा पूर्ण विश्वास अछि जे, ने मृत्यु आ ने जीवन, ने स्वर्गदूत आ ने नरकदूत, ने वर्तमान आ ने भविष्य, ने कोनो तरहक शक्ति, 39 ने आकाश आ ने पाताल, और ने सौंसे सृष्टि मे आरो कोनो वस्तु अपना सभ केँ परमेश्वरक ओहि प्रेम सँ अलग कऽ सकत जे ओ अपना सभक प्रभु, मसीह यीशु, द्वारा प्रगट कयलनि।
1 हम मसीहक उपस्थिति मे सत्य कहैत छी, हम झूठ नहि बजैत छी; हमर विवेक सेहो परमेश्वरक पवित्र आत्माक अधीन रहि कऽ एहि बातक गवाही दऽ रहल अछि जे, 2 हम अत्यन्त दुखी छी आ हमर हृदय अटूट वेदना सँ भरल रहैत अछि— 3 एतऽ तक जे हम एहू लेल तैयार छी जे, जँ एहि द्वारा हमर अपन सजाति वला भाइ-बन्धु सभ मसीह पर विश्वास कऽ उद्धार पबितथि, तँ हम अपने सरापित भऽ मसीह सँ अलग भऽ जइतहुँ। 4 ओ सभ इस्राएली छथि, हुनका सभ केँ परमेश्वर अपन पुत्र मानलथिन, अपन महिमाक दर्शन देलथिन, हुनका सभक संग विशेष सम्बन्ध स्थापित कयलनि। हुनका सभ केँ धर्म-नियम और परमेश्वरक सेवाक विधान देल गेलनि। हुनका सभ केँ परमेश्वर अनेको बातक विषय मे वचन देलनि। 5 ओ सभ महान् पूर्वजक सन्तान छथि, आ मसीह सेहो शारीरिक दृष्टिकोण सँ हुनके सभक वंशज छथि—यीशु मसीह जे सर्वोच्च परमेश्वर छथि। युग-युग तक हुनकर स्तुति होनि! आमीन। 6 मुदा इस्राएली सभक अविश्वासक अर्थ ई नहि, जे हुनका सभ केँ देल गेल परमेश्वरक वचन असफल भऽ गेल, किएक तँ ई बात नहि अछि जे इस्राएलक वंश मे जन्म लेनिहार सभ लोक इस्राएली अछि। 7 आ ने अब्राहमक वंशज होयबाक कारणेँ सभ हुनकर सन्तान मानल जाइत अछि। कारण, धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे परमेश्वर अब्राहम केँ कहने छलथिन जे, “इसहाके सँ उत्पन्न वंशज तोहर वंश मानल जयतह।” 8 एकर अर्थ ई भेल जे, अब्राहमक वंश मे जे सभ प्राकृतिक तरीका सँ जन्म लेलक, सैह सभ परमेश्वरक सन्तान नहि मानल जाइत अछि, बल्कि जे सभ परमेश्वरक देल वचनक अनुसार जन्म लेलक, वैह सभ वास्तविक वंशज मानल जाइत अछि। 9 किएक तँ वचनक शब्द ई छल, “हम निर्धारित समय पर फेर आयब आ तहिया सारा केँ एकटा बेटा होयत।” 10 एतबे नहि, बल्कि रिबका केँ सेहो, जिनकर दूनू बच्चाक पिता हमरा सभक पूर्वज इसहाक छलाह, तिनको एक वचन देल गेल छलनि। 11 जाहि समय मे हुनकर ओ दूनू जौंआ जन्मो नहि लेने छल, आ ने ओ सभ कोनो नीक वा अधलाह काज कयने छल, ताहि समय मे हुनका कहल गेलनि जे, “जेठ बेटा छोटकाक सेवा करत।” ई एहि लेल भेल जे परमेश्वरक निर्णयक उद्देश्य पूरा होनि, और से निर्णय मनुष्यक कर्म पर नहि, बल्कि बजौनिहारक स्वतन्त्र चुनाव पर निर्भर अछि। 13 तहिना एहि दूनू भायक सम्बन्ध मे धर्मशास्त्र मे परमेश्वरक ई कथन सेहो लिखल अछि जे, “हम याकूब सँ प्रेम कयलहुँ मुदा एसाव केँ तुच्छ बुझलहुँ।” 14 तँ एहि बात सभक सम्बन्ध मे अपना सभ की कही? की परमेश्वर अन्यायी छथि? एकदम नहि! 15 किएक तँ परमेश्वर मूसा केँ कहलथिन, “हम जकरा पर चाहब तकरा पर कृपा करब, आ जकरा पर चाहब तकरा पर दया करब।” 16 तेँ परमेश्वरक निर्णय मनुष्यक इच्छा वा ओकर परिश्रम पर नहि, बल्कि हुनकर अपन कृपा पर निर्भर अछि। 17 किएक तँ धर्मशास्त्र मे फरओ केँ कहल गेल बात लिखल अछि जे, “हम तोरा एहि लेल राजा नियुक्त कयने छिअह जे तोरा जीवन मे हम अपन सामर्थ्य देखाबी जाहि सँ हमर नामक प्रचार समस्त पृथ्वी पर कयल जाय।” 18 तेँ निष्कर्ष ई जे परमेश्वर जकरा पर कृपा करऽ चाहथि, तकरा पर कृपा करैत छथि, आ जकरा जिद्दी बनाबऽ चाहथि, तकरा जिद्दी बना दैत छथिन। 19 भऽ सकैत अछि जे अहाँ सभ मे सँ केओ हमरा कहब, “जँ एहन बात अछि तँ परमेश्वर हमरा सभ केँ दोषी किएक मानैत छथि? हुनकर इच्छाक विरोध के कऽ सकैत अछि?” 20 ऐ मनुष्य! अहाँ छी के जे परमेश्वर सँ मुँह लगबैत छी? की कोनो गढ़ल गेल वस्तु अपन गढ़ऽ वला सँ ई कहत जे, “अहाँ हमरा एहन किएक बनौलहुँ?” 21 की कुम्हार केँ ई अधिकार नहि अछि जे ओ माटिक एके थुम्मा सँ कोनो बर्तन विशेष काजक लेल बनाबय आ कोनो बर्तन साधारण काजक लेल? 22 जँ परमेश्वर अपन क्रोध देखयबाक और अपन सामर्थ्य प्रगट करबाक इच्छा रखितो कोप मे पड़ऽ वला ओहि लोक सभ केँ अधिक समय धरि सहन कयलनि जे सभ विनाशक लेल तैयार कयल गेल छल, तँ की, हुनकर से अधिकार नहि छलनि? 23 ओ एहि लेल एना कयलनि जे ओ जाहि लोक सभ पर दया कयने छथि तकरा सभ पर अपन महान् महिमा प्रगट करऽ चाहलनि। ओकरा सभ केँ आरम्भहि सँ ओ अपन महिमा पयबाक लेल तैयार कयने छलाह। 24 हुनकर ओ दया पौनिहार लोक अपना सभ छी जकरा सभ केँ ओ मात्र यहूदीए सभ मे सँ नहि, बल्कि आन जाति सभ मे सँ सेहो बजौने छथि। 25 जेना कि ओ धर्मशास्त्र मे होशेक किताब मे कहनहुँ छथि जे, “जे लोक हमर प्रजा नहि छल, 2 तकरा सभ केँ हम अपन प्रजा कहब, आ जे हमर प्रिय नहि छल, 2 तकरा हम ‘अपन प्रिय’ कहब।” 26 और, “जतऽ ओकरा सभ केँ ई कहल गेल छलैक, ‘तोँ सभ हमर प्रजा नहि छह,’ 2 ततऽ ओ सभ ‘जीवित परमेश्वरक सन्तान’ कहाओत।” 27 धर्मशास्त्र मे इहो लिखल अछि जे, इस्राएलक सम्बन्ध मे यशायाह घोषणा करैत छथि जे, “इस्राएलक सन्तानक संख्या समुद्रक बालु जकाँ असंख्य किएक ने होअय, तैयो ओकरा सभ मे सँ किछुए लोक बचाओल जायत। 28 किएक तँ प्रभु पृथ्वी पर अपन दण्ड-आज्ञाक वचन जल्दी आ पूर्ण रूप सँ पूरा करताह।” 29 जहिना परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह पहिने कहने छलाह, तहिना भयबो कयल जे, “जँ सर्वशक्तिमान प्रभु हमरा सभक लेल किछु वंशज केँ नहि छोड़ि देने रहितथि, तँ हम सभ सदोम आ गमोरा नगर जकाँ नष्ट भऽ गेल रहितहुँ।” 30 तँ ई सभ कहबाक अर्थ की अछि? ओकर अर्थ ई अछि जे, गैर-यहूदी सभ, जे सभ धार्मिकताक खोजो नहि करैत छल, से सभ ओकरा पौलक, अर्थात्, वैह धार्मिकता जे विश्वास सँ प्राप्त होइत अछि, 31 मुदा इस्राएली सभ, जे सभ धर्म-नियम पालन करबाक माध्यम सँ धार्मिकता पयबाक लेल प्रयत्नशील रहल, से सभ ओकरा प्राप्त नहि कऽ सकल। 32 किएक नहि कऽ सकल? तकर कारण ई जे, ओ सभ तकरा विश्वास द्वारा नहि, बल्कि कर्म द्वारा पयबाक कोशिश करैत छल। एहि तरहेँ “ठेस लागऽ वला पाथर” मे ओकरा सभ केँ ठेस लागिए गेलैक। 33 जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “देखू, हम सियोन मे ओहन पाथर रखैत छी 2 जाहि मे लोक केँ ठेस लगतैक, ओहन चट्टान रखैत छी 2 जाहि पर लोक खसत। जे केओ हुनका पर भरोसा राखत 2 तकरा कहियो लज्जित नहि होमऽ पड़तैक।”
1 यौ भाइ लोकनि, हमर हार्दिक इच्छा आ परमेश्वर सँ प्रार्थना अछि जे इस्राएली सभ उद्धार पबथि। 2 हम हुनका सभक सम्बन्ध मे ई गवाही दऽ सकैत छी जे, हुनका सभ केँ परमेश्वरक प्रति जोस छनि, मुदा ई जोस सत्यक ज्ञान पर आधारित नहि छनि। 3 कारण, ओ सभ धार्मिक ठहरबाक ओहि माध्यम पर ध्यान नहि देलनि जे परमेश्वर स्थापित कयलनि, बल्कि अपन माध्यम स्थापित करबाक प्रयत्न कयलनि। एहि तरहेँ ओ सभ परमेश्वर द्वारा देल जाय वला धार्मिकताक अधीन भेनाइ अस्वीकार कयलनि। 4 मसीह धार्मिकता प्राप्त करबाक ओहि माध्यम केँ अन्त करैत छथि जे धर्म-नियम पर निर्भर रहैत अछि, जाहि सँ जे केओ विश्वास करैत अछि से धार्मिक ठहराओल जाय। 5 मूसा धर्म-नियम पर आधारित धार्मिकताक विषय मे ई लिखने छथि जे, “जे व्यक्ति धर्म-नियमक पालन करैत अछि से ओहि द्वारा जीवन पाओत।” 6 मुदा जे धार्मिकता विश्वास पर आधारित अछि, ताहि सम्बन्ध मे ई लिखल अछि, “अपना मोन मे ई नहि कहू जे, ‘स्वर्ग पर के चढ़त?’” अर्थात्, मसीह केँ नीचाँ लयबाक लेल। 7 “वा ‘पाताल मे के उतरत?’” अर्थात्, मुइल सभ मे सँ मसीह केँ जिआ कऽ ऊपर अनबाक लेल। 8 विश्वास पर आधारित धार्मिकताक सम्बन्ध मे यैह लिखल अछि जे, “वचन अहाँ सभक लगे मे अछि, ओ अहाँक मुँह मे आ अहाँक हृदय मे अछि,” अर्थात्, ई विश्वासक वचन, जकर हम सभ प्रचार करैत छी जे, 9 जँ अहाँ अपना मुँह सँ खुलि कऽ स्वीकार करी जे, “यीशु प्रभु छथि,” आ हृदय सँ विश्वास करी जे, “परमेश्वर हुनका मुइल सभ मे सँ जिऔलथिन” तँ अहाँ उद्धार पायब। 10 किएक तँ हृदय सँ विश्वास कऽ मनुष्य धार्मिक ठहरैत अछि; मुँह सँ स्वीकार कऽ उद्धार पबैत अछि। 11 धर्मशास्त्र सेहो कहैत अछि जे, “जे केओ हुनका पर भरोसा राखत, तकरा कहियो लज्जित नहि होमऽ पड़तैक।” 12 यहूदी आ आन जाति मे कोनो भेद नहि अछि—एके प्रभु सभक प्रभु छथि, आ जे सभ हुनका सँ प्रार्थना करैत अछि, ताहि सभ लोक पर ओ खुशीपूर्बक अपन आशिष बरसबैत छथि। 13 कारण, लिखल अछि, “जे केओ प्रभु सँ विनती करत तकर उद्धार होयतैक।” 14 मुदा लोक तिनका सँ विनती कोना करत जिनका पर विश्वास नहि कयने अछि? आ तिनका पर विश्वास कोना करत जिनका विषय मे सुनने नहि अछि? आ सुनत कोना जाबत धरि केओ हुनका सम्बन्ध मे प्रचार नहि करत? 15 और लोक प्रचार कोना करत जाबत धरि पठाओल नहि जायत? धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “खुस खबरी सुनौनिहारक पयरक आगमन कतेक सुखद अछि।” 16 मुदा सभ इस्राएली एहि शुभ समाचार केँ मानलनि नहि। जेना कि यशायाह कहैत छथि जे, “यौ प्रभु, हमरा सभक द्वारा सुनाओल गेल उपदेशक बात पर के विश्वास कयने अछि?” 17 एहि तरहेँ अपना सभ देखैत छी जे, सुनलाक बादे केओ विश्वास कऽ सकैत अछि, आ जे सुनबाक अछि, से अछि मसीहक वचन। 18 मुदा आब हम पुछैत छी जे, “की ओ सभ नहि सुनने छथि?” हँ, ओ सभ अवश्य सुनने छथि, जेना कि धर्मशास्त्र कहैत अछि जे, “सम्बाद सुनाबऽ वला सभक स्वर समस्त पृथ्वी पर पसरि गेल अछि आ हुनकर सभक वचन संसारक कोना-कोना मे पहुँचि गेल अछि।” 19 हम फेर पुछैत छी, “की इस्राएली सभ ओ शुभ समाचार नहि बुझि पौलनि?” हँ, अवश्य बुझलनि, कारण, पहिने मूसा कहलनि जे, प्रभु कहैत छथि— “जे सभ कोनो जातिए नहि अछि, तकरा सभक द्वारा हम तोरा सभ मे डाह उत्पन्न करबह, आ जाहि जातिक लोक सभ किछु बुझैत नहि अछि, तकरा सभक द्वारा हम तोरा सभ मे क्रोध उत्पन्न करबह।” 20 तखन यशायाह एकदम खुलि कऽ कहलनि जे, प्रभु कहैत छथि— “जे सभ हमरा तकैत नहि छल, से सभ हमरा पाबि लेलक, आ जे सभ हमरा सम्बन्ध मे पुछितो नहि छल, तकरा सभ पर हम अपना केँ प्रगट कऽ देलिऐक।” 21 मुदा इस्राएली सभक सम्बन्ध मे ओ ई कहैत छथि, “आज्ञा नहि मानऽ वला आ जिद्दी अपन प्रजा सभक दिस हम भरि दिन अपन बाँहि पसारने रहलहुँ।”
1 आब ई प्रश्न उठैत अछि जे, की परमेश्वर अपन प्रजा इस्राएली सभक परित्याग कऽ देने छथि? किन्नहुँ नहि! हम अपने इस्राएली छी, अब्राहमक वंशज आ बिन्यामीनक कुलक छी। 2 परमेश्वर अपन ओहि प्रजा केँ जकरा ओ शुरुए सँ चिन्हैत छलाह, परित्याग नहि कयने छथि। की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे धर्मशास्त्रक ओहि भाग मे की लिखल अछि, जतऽ कहल गेल अछि जे एलियाह कोना परमेश्वर सँ इस्राएली सभक विरोध मे सिकायत कयलनि? ओ कहलनि, 3 “यौ प्रभु, ओ सभ अहाँक प्रवक्ता सभक हत्या कऽ देने अछि आ अहाँक बलि-वेदी सभ केँ नष्ट कऽ देने अछि। हम असगरे अहाँ केँ मानऽ वला बाँचि गेल छी आ ओ सभ हमरो प्राण लेबऽ चाहैत अछि।” 4 तँ परमेश्वर हुनका की उत्तर देलथिन? ई जे, “हम अपना लेल सात हजार लोक केँ बँचा कऽ रखने छी, जे सभ बाअल देवताक मुरुतक समक्ष दण्डवत नहि कयने अछि।” 5 ठीक एही प्रकारेँ वर्तमान समय मे सेहो परमेश्वर अपना प्रजा मे सँ अपना लेल एक छोट भाग बचा कऽ रखने छथि जकरा ओ अपना कृपा सँ चुनलनि। 6 और ई जँ परमेश्वरक कृपाक परिणाम अछि, तँ मनुष्यक कर्मक फल आब नहि भेल, नहि तँ परमेश्वरक कृपा कृपे नहि रहैत। 7 तँ एकर मतलब की भेल? ई जे, इस्राएली सभ जाहि बातक खोज मे छलाह, से हुनका सभ गोटे केँ नहि भेटलनि, मुदा तिनका सभ केँ भेटलनि जे सभ चुनल गेल छलाह। बाँकी लोक सभ जिद्दी बनि गेलैक, 8 जेना धर्मशास्त्र मे लिखलो अछि, “परमेश्वर ओकरा सभक मोन सुस्त बना देलथिन, एहन आँखि देलथिन जे देखि नहि सकैत छल आ एहन कान देलथिन जे सुनि नहि सकैत छल, और आइ धरि ओकरा सभक दशा एहने बनल छैक।” 9 तहिना दाऊद कहैत छथि जे, “ओकर सभक भोजन ओकरा सभक लेल जाल आ फाँस बनि जाइक, ओकरा सभक पतन आ दण्डक कारण बनैक। 10 ओकरा सभक आँखिक आगाँ अन्हार पसरि जाइक जाहि सँ ओ सभ देखि नहि सकय आ ओकरा सभक पीठ सभ दिनक लेल बोझ सँ झुकल रहैक।” 11 ई प्रश्न आब उठि सकैत अछि जे, की इस्राएली सभ एहन ठोकर खयलनि जे आब हुनका सभक लेल कोनो उपाये नहि अछि? किन्नहुँ नहि! बल्कि हुनका सभक अपराधक कारणेँ गैर-यहूदी लोक सभ केँ उद्धार भेटल अछि, जाहि सँ से देखि कऽ इस्राएलिओ सभ मे उद्धार पयबाक उत्सुकता जागि उठनि। 12 आब जखन इस्राएली सभक अपराध आ पतन सँ संसार केँ, अर्थात् आन जाति सभ केँ, एतेक लाभ भेलैक, तँ सोचू जे तखन कतेक लाभ होयत जखन ओ सभ इस्राएली, जतेक केँ परमेश्वर चुनने छथि, से अपन पूर्ण संख्या मे विश्वास कऽ कऽ मसीह लग आबि जयताह! 13 आब अहाँ सभ केँ, जे सभ गैर-यहूदी लोक छी, हम ई कहैत छी। हम तँ गैर-यहूदी लोक मे प्रचार करबाक लेल मसीह-दूतक रूप मे चुनल गेल छी, आ हम अपन एहि काज केँ विशेष महत्व दैत छी, 14 जाहि सँ अहाँ सभ केँ जे किछु भेटल अछि, से प्राप्त करबाक उत्सुकता हम अपन सजातिक लोक सभ मे उत्पन्न कऽ कोनो तरहेँ हुनका सभ मे सँ किछु लोक केँ बचा सकी। 15 किएक तँ जँ हुनका सभ केँ परित्यागक फलस्वरूप परमेश्वरक संग संसारक मेल-मिलाप भेल अछि तँ हुनका सभ केँ स्वीकारक परिणाम हुनका सभक लेल मरल स्थिति मे सँ जिआओल जयबाक बात छोड़ि आओर की होयत? 16 जँ सानल आँटाक ओ भाग पवित्र अछि जे “प्रथम फलक” रूप मे अर्पण कयल गेल, तँ सम्पूर्ण सानल आँटा पवित्र अछि। जँ गाछक जड़ि पवित्र अछि तँ गाछक ठाढ़ि सेहो पवित्र अछि। 17 मुदा जँ गाछक किछु ठाढ़ि काटि कऽ अलग कयल गेल अछि आ अहाँ सभ, जे सभ जंगली जैतूनक ठाढ़ि छी, से सभ ओहि नीक जैतून मे कलम लगाओल गेलहुँ आ ओकर जड़ि आ रस-भण्डार मे सहभागी भेलहुँ, 18 तँ ओहि काटल ठाढ़ि सभक सम्मुख अहंकार नहि करू। जँ अहाँ सभ अहंकार करी तँ मोन राखू जे जड़ि अहाँ सभ पर नहि, बल्कि अहाँ सभ जड़ि पर आश्रित छी। 19 आब अहाँ सभ कहब जे, “ठाढ़ि सभ केँ एहि लेल काटल गेल जे हमरा सभ केँ कलम लगाओल जाय।” 20 मानलहुँ। मुदा हुनका सभ केँ अविश्वासेक कारणेँ काटि कऽ अलग कयल गेलनि, आ अहाँ सभ विश्वासक कारण अपन स्थान पर स्थिर छी। तेँ अहंकार नहि करू, बल्कि भय मानू। 21 किएक तँ जखन परमेश्वर मूल ठाढ़ि केँ नहि छोड़लनि तँ ओ अहूँ सभ केँ नहि छोड़ताह। 22 तेँ परमेश्वरक दया आ कठोरता, दूनू पर ध्यान राखू—कठोरता तकरा सभ पर अछि जकरा सभक पतन भऽ गेल छैक, मुदा अहाँ सभक लेल हुनकर दया अछि, लेकिन से तखने जखन अहाँ सभ हुनकर दयाक शरण मे रहब; नहि तँ अहूँ सभ काटि कऽ अलग कऽ देल जायब। 23 एही तरहेँ जँ ओहो सभ अपन अविश्वास मे जिद्दी बनल नहि रहताह तँ हुनको सभ केँ कलम लगाओल जयतनि। किएक तँ परमेश्वर सामर्थ्यवान छथि जे हुनका सभ केँ फेर कलम लगा लेथि। 24 कारण, जखन अहाँ सभ जंगली जैतूनक गाछ सँ काटल जा कऽ प्रकृतिक विपरीत एक नीक गाछ मे कलम लगाओल गेलहुँ, तँ जे नीक जैतूनक असली ठाढ़ि अछि से किएक नहि अपन गाछ मे आसानी सँ कलम लगाओल जायत? 25 यौ भाइ लोकनि, कतौ एहन नहि होअय जे अहाँ सभ अपना केँ बहुत बुद्धिमान बुझी। तेँ हम अहाँ सभ केँ ई सत्य, जे पहिने गुप्त छल, से बुझाबऽ चाहैत छी जे, इस्राएलक अधिकांश लोक जे जिद्दी बनल अछि, से बात सभ दिन तक नहि रहत, बल्कि तहिये तक जहिया तक परमेश्वरक चुनल गैर-यहूदी लोकक पूर्ण संख्याक प्रवेश नहि भऽ जाइत अछि। 26 और एहि तरहेँ सम्पूर्ण इस्राएलक उद्धार होयत, जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “सियोन सँ मुक्तिदाता औताह। ओ याकूबक वंश सँ अधर्म हटौताह। 27 प्रभु-परमेश्वर कहैत छथि जे, हम जखन ओकरा सभक पाप हरि लेब, तँ हम ओकरा सभ केँ देल अपन एहि वचन केँ पूरा करब।” 28 शुभ समाचार केँ अस्वीकार करबाक कारणेँ यहूदी सभ परमेश्वरक शत्रु ठहरि गेल छथि, जे अहाँ सभक लेल हितक बात भेल, मुदा परमेश्वर हुनका सभक पूर्वज लोकनि केँ चुनने छलाह, आ तेँ पूर्वज सभ केँ देल वचनक कारणेँ ओ सभ परमेश्वरक प्रिय प्रजा छथि। 29 कारण, परमेश्वर जखन ककरो बजयबाक वा किछु देबाक निर्णय करैत छथि तँ ओ अपन निर्णय बदलैत नहि छथि। 30 जहिना पहिने अहाँ सभ परमेश्वरक अनाज्ञाकारी छलहुँ मुदा आब यहूदी सभ केँ अनाज्ञाकारी होयबाक कारणेँ अहाँ सभ पर दया कयल गेल अछि, 31 तहिना यहूदी सभ एखन अनाज्ञाकारी छथि जाहि सँ ओहि दयाक कारणेँ जे अहाँ सभ पर कयल गेल, हुनको सभ पर आब दया कयल जानि। 32 किएक तँ परमेश्वर सभ केँ अनाज्ञाकारिताक बन्हन मे बान्हि लेने छथि जाहि सँ सभ पर ओ कृपा करथि। 33 अहा! परमेश्वरक वैभव, बुद्धि आ ज्ञान केहन अपरम्पार छनि! हुनकर निर्णयक गहिंराइ आ हुनकर काज करबाक तरीका 2 के बुझि सकैत अछि? 34 जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “प्रभुक मोन के जनलक अछि? हुनकर सल्लाहकार के भऽ सकल अछि?” 35 “परमेश्वर केँ के कहियो किछु देने अछि जे ओ बदला मे किछु पयबाक दावा कऽ सकय?” 36 सभ किछु तँ हुनका सँ, हुनका द्वारा आ हुनका लेल अछि। हुनकर स्तुति युगानुयुग होइत रहनि! आमीन।
1 तेँ यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी जे, परमेश्वरक अपार दयाक कारणेँ जे ओ अपना सभ पर कयने छथि, अहाँ सभ अपना शरीर केँ जीवित, पवित्र आ परमेश्वर द्वारा ग्रहणयोग्य बलिदानक रूप मे हुनका अर्पित करू। यैह भेल अहाँ सभक लेल परमेश्वरक असली आत्मिक आराधना कयनाइ। 2 अहाँ सभ एहि संसारक अनुरूप आचरण नहि करू, बल्कि परमेश्वर केँ अहाँक सोच-विचार केँ नव बनाबऽ दिऔन आ तहिना अहाँ केँ पूर्ण रूप सँ बदलि देबऽ दिऔन। एहि तरहेँ परमेश्वर अहाँ सभ सँ की चाहैत छथि, अर्थात् हुनका नजरि मे की नीक अछि, की ग्रहणयोग्य अछि आ की सर्वोत्तम अछि, तकरा अहाँ सभ अनुभव सँ जानि जायब। 3 हम ओहि वरदानक अधिकार सँ जे प्रभु अपना कृपा सँ हमरा देलनि, अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक केँ ई कहैत छी जे, केओ अपना केँ जतेक बुझक चाही, ताहि सँ बेसी महत्वपूर्ण नहि बुझू, बल्कि परमेश्वर सँ देल गेल विश्वासक नाप सँ प्रत्येक व्यक्ति अपन सन्तुलित मूल्यांकन करू। 4 किएक तँ जहिना अपना सभ गोटे केँ एकटा शरीर अछि जाहि मे अनेक अंग होइत अछि आ सभ अंगक काज एक समान नहि होइत अछि, 5 तहिना अपनो सभ अनेक होइतो मसीह मे एके शरीर छी आ सभ अंग एक-दोसराक अछि। 6 अपना सभ पर कयल गेल कृपाक अनुसार अपना सभ केँ भेटल वरदान सेहो भिन्न-भिन्न अछि। जँ किनको परमेश्वर सँ सम्बाद पाबि सुनयबाक वरदान भेटल होनि तँ ओ अपना विश्वासक अनुरूप तकर ठीक-ठीक उपयोग करथु, 7 जँ सेवा करबाक तँ सेवाक काज मे लागल रहथु। जँ किनको शिक्षा देबाक वरदान भेटल होनि तँ शिक्षा देबाक काज मे लागल रहथु, 8 आ जँ दोसर केँ विश्वास मे उत्साहित करबाक वरदान भेटल होनि, तँ उत्साह दैत रहथु। दान देबऽ वला हृदय खोलि कऽ देथु। अगुआ सभ कर्मठ भऽ कऽ अगुआइ करथु, आ दया करऽ वला सभ खुशी मोन सँ उपकार करथु। 9 अहाँ सभक प्रेम निष्कपट होअय। जे किछु अधलाह अछि, ताहि सँ घृणा करू; जे किछु नीक अछि, ताहि सँ प्रेम करू। 10 एक-दोसर सँ भाय-बहिन वला प्रेम राखि एक-दोसराक लेल समर्पित रहू। आपस मे एक-दोसर केँ आदरक संग अपना सँ श्रेष्ठ मानू। 11 आलस नहि करू, बल्कि आत्मिक उत्साह सँ परिपूर्ण भऽ प्रभुक सेवा करैत रहू। 12 आशा राखि आनन्दित रहू, विपत्ति मे धैर्य राखू, प्रार्थना मे लागल रहू। 13 परमेश्वरक लोक सभ केँ जाहि बातक आवश्यकता होनि ताहि मे हुनकर सहायता करिऔन। अतिथि-सत्कार करऽ मे तत्पर रहू। 14 अहाँ सभ पर जे अत्याचार करय तकरा आशीर्वाद दिअ; हँ, आशीर्वाद दिअ, सराप नहि। 15 जे केओ आनन्दित अछि, तकरा संग आनन्द मनाउ, आ जे केओ शोकित अछि तकरा संग शोक। 16 आपस मे मेल-मिलापक भावना राखू। घमण्डी नहि बनू, बल्कि दीन-हीन सभक संगति करू। अपना केँ बड़का बुद्धिआर नहि बुझऽ लागू। 17 केओ जँ अहाँक संग अधलाह व्यवहार कयलक, तँ बदला मे अहाँ ओकरा संग अधलाह व्यवहार नहि करू। सभक नजरि मे जे बात उचित अछि, सैह करबाक चेष्टा करू। 18 जहाँ तक भऽ सकय, और जहाँ तक अहाँक वश मे होअय, सभ लोकक संग मेल सँ रहू। 19 प्रिय भाइ लोकनि, अहाँ सभ स्वयं ककरो सँ बदला नहि लिअ, बल्कि तकरा परमेश्वरक क्रोध पर छोड़ि दिअ, कारण, धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “प्रभु कहैत छथि जे, बदला लेबाक काज हमर अछि, हमहीं बदला लेब।” 20 बरु, जेना लिखल अछि, “जँ अहाँक शत्रु भूखल अछि तँ ओकरा भोजन करबिऔक, जँ पियासल अछि तँ ओकरा पानि पिअबिऔक। कारण, एहि प्रकारेँ अहाँक प्रेमपूर्ण व्यवहार सँ ओ लाजे गलि जायत।” 21 अहाँ सभ दुष्टता सँ हारि नहि मानू, बल्कि भलाइ द्वारा दुष्टता पर विजयी होउ।
1 प्रत्येक व्यक्ति शासन कयनिहार अधिकारी सभक अधीन रहओ। किएक तँ कोनो अधिकार एहन नहि अछि जे परमेश्वर द्वारा स्थापित नहि कयल गेल होअय—जे सभ शासन कऽ रहल छथि, तिनकर सभक अधिकार परमेश्वर सँ भेटल छनि। 2 एहि लेल, जे केओ शासनक विरोध करैत अछि से तकर विरोध करैत अछि जे परमेश्वर स्थापित कयने छथि, आ अपना पर दण्डक आज्ञा केँ बजबैत अछि। 3 कारण, अधिकारी सभ उचित काज कयनिहार सभक लेल नहि, बल्कि गलत काज कयनिहार सभक लेल भय उत्पन्न करैत छथि। की अहाँ अधिकारी सँ निर्भय रहऽ चाहैत छी? तखन उचित काज करैत रहू आ ओ अहाँक प्रशंसा करताह। 4 किएक तँ ओ अहाँक कल्याण करबाक लेल परमेश्वरक सेवक छथि। मुदा जँ अहाँ गलत काज करैत छी तँ हुनका सँ अवश्य भयभीत होउ, कारण, दण्ड देबाक अधिकार हुनका व्यर्थे नहि छनि। ओ परमेश्वरक सेवक छथि आ गलत काज कयनिहार लोक केँ परमेश्वरक इच्छाक अनुसार दण्ड दैत छथि। 5 तेँ अधिकारी सभक अधीन रहनाइ आवश्यक अछि—मात्र दण्ड सँ बचबाक लेल नहि, बल्कि अपना विवेकक समक्ष निर्दोष रहबाक लेल सेहो। 6 एही कारण सँ अहाँ सभ राजकर सेहो चुकबैत छी, किएक तँ अधिकारी सभ परमेश्वरक सेवक छथि आ अपन कर्तव्य पूरा करऽ मे लागल रहैत छथि। 7 अहाँ सभ सेहो सभक प्रति अपन कर्तव्य पूरा करू—जिनका राजकर देबाक अछि, तिनका राजकर दिऔन; जिनका सीमा-कर देबाक अछि, तिनका सीमा-कर दिऔन; जिनकर भय मानबाक अछि तिनकर भय मानू आ जिनकर आदर करबाक अछि तिनकर आदर करू। 8 एक-दोसराक लेल प्रेमक ऋण केँ छोड़ि अन्य कोनो बात मे ककरो ऋणी बनल नहि रहू, किएक तँ जे अपन पड़ोसी सँ प्रेम करैत अछि से पूरा धर्म-नियमक पालन कयने अछि। 9 कारण, “परस्त्रीगमन नहि करह, हत्या नहि करह, चोरी नहि करह, लोभ नहि करह,” आ एकर बादो आओर जे कोनो आज्ञा सभ अछि, तकर सभक सारांश एहि कथन मे पाओल जाइत अछि जे, “अपना पड़ोसी सँ अपने जकाँ प्रेम करह।” 10 प्रेम पड़ोसीक संग अन्याय नहि करैत अछि, तेँ प्रेम कयनाइ भेल धर्म-नियमक सम्पूर्ण बातक पालन कयनाइ। 11 अपना सभ कतेक महत्वपूर्ण समय मे रहि रहल छी, से बुझि, एहि बात सभ पर ध्यान दिअ। निन्न सँ जागि कऽ उठबाक समय आबि गेल अछि, कारण, अपना सभ जाहि समय मे विश्वास मे अयलहुँ, तकर अपेक्षा आब अपना सभक उद्धार पूर्ण होयबाक समय बेसी लग अछि। 12 राति समाप्त होमऽ-होमऽ पर अछि आ दिन होमऽ वला अछि। तेँ अपना सभ अन्हारक दुष्कर्म केँ त्यागि कऽ प्रकाशक अस्त्र केँ धारण करी। 13 अपना सभ उचित आचरण करी, जे दिनक समय मे शोभनीय होइत अछि। अपना सभ भोग-विलास आ नशेबाजी सँ, गलत शारीरिक सम्बन्ध आ निर्लज्जता सँ, झगड़ा आ ईर्ष्याक बात सभ सँ दूरे रही। 14 प्रभु यीशु मसीह केँ धारण करू, आ अपन पापी स्वभावक इच्छा सभ केँ तृप्त करबाक विचार छोड़ि दिअ।
1 जे व्यक्ति विश्वास मे कमजोर अछि, तकरा स्वीकार करू और व्यक्तिगत विचारधाराक कारण ओकरा सँ वाद-विवाद नहि करू। 2 केओ विश्वास करैत अछि जे सभ प्रकारक भोजन कयनाइ उचित अछि। दोसर, जकर विश्वास कमजोर अछि, से मात्र साग-पात खाइत अछि। 3 जे व्यक्ति सभ चीज खाइत अछि, से शाकाहारी केँ हेय दृष्टि सँ नहि देखय, आ ने शाकाहारी तकरा पर दोष लगाबय, जे सभ चीज खाइत अछि, कारण, परमेश्वर ओकरा स्वीकार कयने छथि। 4 अहाँ के छी जे दोसराक नोकर पर दोष लगबैत छी? ओ ठीक करैत अछि वा नहि, से ओकर अपन मालिक कहताह, आ ओ अवश्य ठीक ठहरत, कारण प्रभु ओकरा ठीक करबाक सामर्थ्य देथिन। 5 केओ एक दिन केँ दोसर दिन सँ नीक मानैत अछि आ दोसर व्यक्ति सभ दिन केँ बराबरि बुझैत अछि। एहन विषय सभक सम्बन्ध मे प्रत्येक व्यक्ति अपना मोन मे निश्चय करओ। 6 जे व्यक्ति कोनो दिन केँ विशेष मानैत अछि से ओकरा प्रभुक आदरक लेल विशेष मानैत अछि। जे माँसु खाइत अछि से प्रभुक आदरक लेल खाइत अछि, कारण, ओ तकरा लेल प्रभु केँ धन्यवाद दैत अछि। आ जे परहेज करैत अछि से प्रभुक आदरक लेल परहेज करैत अछि और ओहो प्रभु केँ धन्यवाद दैत अछि। 7 अपना सभ मे सँ केओ ने तँ अपना लेल जीबैत छी आ ने अपना लेल मरैत छी। 8 जँ जीवित रहैत छी तँ प्रभुक लेल आ जँ मरैत छी तँ प्रभुक लेल। तेँ अपना सभ जीबी वा मरी, प्रभुएक छी। 9 एही लेल मसीह मरलाह आ जीवित भऽ उठलाह जाहि सँ ओ मरल सभ आ जीवित सभ, दूनूक प्रभु होथि। 10 तखन अहाँ अपना भाय पर किएक दोष लगबैत छी? और एम्हर, अहाँ जे छी, अहाँ अपना भाय केँ हेय दृष्टि सँ किएक देखैत छी? कारण, अपना सभ गोटे केँ तँ परमेश्वरक न्याय-सिंहासनक सम्मुख ठाढ़ होयबाक अछि, 11 किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “प्रभु कहैत छथि जे, हमर जीवनक सपत प्रत्येक व्यक्ति हमरा समक्ष ठेहुनिया देत, आ प्रत्येक व्यक्ति अपना मुँह सँ स्वीकार करत जे हमहीं परमेश्वर छी।” 12 एहि सँ ई स्पष्ट अछि जे अपना सभ मे सँ प्रत्येक गोटे केँ अपन जीवनक लेखा परमेश्वर केँ देबऽ पड़त। 13 तेँ आब सँ अपना सभ एक-दोसर पर दोष लगौनाइ छोड़ि दी। निश्चय कऽ लिअ जे अपन भायक बाट पर रोड़ा नहि अटकायब वा जाल नहि ओछायब। 14 हम प्रभु यीशुक लोक होयबाक कारणेँ जनैत छी, हमरा एहि बातक पूर्ण निश्चय अछि, जे कोनो भोजन अपने मे अशुद्ध नहि अछि। मुदा जँ कोनो व्यक्ति ओकरा अशुद्ध मानैत अछि तँ ओ वस्तु ओकरा लेल अशुद्ध अछि। 15 अहाँ जे वस्तु खाइत छी ताहि कारणेँ जँ अहाँक भाय केँ चोट लगैत छैक तँ अहाँ अपना भायक संग प्रेमपूर्ण आचरण नहि कऽ रहल छी। ओहि भायक लेल मसीह अपन प्राण देलनि, तँ अहाँ अपन भोजन द्वारा ओकर विनाशक कारण नहि बनू। 16 जे बात अहाँ नीक मानैत छी तकरा निन्दाक विषय नहि बनऽ दिअ। 17 कारण, परमेश्वरक राज्य खयनाइ-पिनाइक बात नहि अछि, बल्कि परमेश्वरक पवित्र आत्मा सँ प्राप्त धार्मिकता, शान्ति आ आनन्दक बात अछि। 18 जे केओ एहि तरहेँ मसीहक सेवा करैत अछि, तकरा सँ परमेश्वर प्रसन्न रहैत छथिन आ ओकरा लोको सभ नीक मानैत छैक। 19 तेँ अपना सभ एही प्रयत्न मे रही जे ओहने बात सभ करी जाहि बात सभ सँ मेल-मिलापक वृद्धि होइत अछि आ जाहि द्वारा अपना सभ एक-दोसराक आत्मिक उन्नति कऽ सकब। 20 परमेश्वर जे काज कऽ रहल छथि तकरा भोजनक कारणेँ नहि बिगाड़ू। ई सत्य अछि जे सभ भोजन अपने मे शुद्ध अछि मुदा जँ कोनो वस्तु खयबाक कारणेँ दोसर व्यक्ति ओ खयबाक लेल प्रेरित भऽ जाइत अछि जे ओ गलत मानैत अछि, तँ खयनिहारक लेल ओ वस्तु खयनाइ गलत भऽ जाइत अछि। 21 जँ अहाँक माँसु-मदिराक सेवन सँ वा अहाँक आन कोनो काज कयनाइ अहाँक भायक लेल पाप करबाक कारण बनत, तँ उचित ई होयत जे अहाँ तकर परहेज करब। 22 एहि बात सभक सम्बन्ध मे अहाँक जे धारणा होअय, तकरा परमेश्वरक सम्मुख अपना धरि सीमित राखू। धन्य अछि ओ मनुष्य जे जाहि बात केँ ओ ठीक बुझैत अछि, ताहि कारणेँ अपना केँ दोषी नहि पबैत अछि। 23 मुदा जे व्यक्ति सन्देह कऽ कऽ खाइत अछि, से दोषी ठहरैत अछि, कारण, ओ विश्वास सँ नहि खाइत अछि; आ जे किछु एहि विश्वास सँ नहि कयल जाइत अछि जे ई ठीक अछि, से पाप अछि।
1 अपना सभ, जे सभ विश्वास मे मजगूत छी, अपना सभ केँ चाही जे, विश्वास मे कमजोर भाय सभक कमजोरी सभ मे धैर्य राखि कऽ मदति करी, नहि कि मात्र अपन खुशीक ध्यान राखी। 2 अपना सभ मे सँ प्रत्येक गोटे केँ अपना भायक कल्याणक लेल आ हुनका विश्वास मे मजगूत बनयबाक लेल हुनकर खुशीक ध्यान रखबाक चाही। 3 किएक तँ मसीह सेहो अपन खुशीक ध्यान नहि रखलनि। जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “हे परमेश्वर, अहाँक निन्दा करऽ वला सभक निन्दा हमरा पर पड़ल।” 4 धर्मशास्त्र मे जतेक बात पहिने सँ लिखल गेल अछि से सभ अपना सभक शिक्षाक लेल लिखल गेल अछि, जाहि सँ अपना सभ ओहि धर्मशास्त्रक द्वारा धैर्य आ प्रोत्साहन पाबि अपन आशा केँ मजगूत राखि सकी। 5 धैर्य आ प्रोत्साहन देबऽ वला परमेश्वर अहाँ सभ केँ एहन वरदान देथि जे अहाँ सभ मसीह यीशुक शिक्षाक अनुसार आपस मे मेल-मिलापक भावना रखने रही, 6 जाहि सँ अहाँ सभ एक मोनक भऽ एक स्वर सँ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक परमेश्वर आ पिताक स्तुति करैत रहियनि। 7 जहिना मसीह अहाँ सभ केँ स्वीकार कयलनि, तहिना अहूँ सभ एक-दोसर केँ स्वीकार करू, जाहि सँ परमेश्वरक स्तुति होनि। 8 हम चाहैत छी जे अहाँ सभ मोन राखी जे मसीह यहूदी सभक सेवक एहि लेल बनलाह जाहि सँ ओ परमेश्वरक विश्वासयोग्यता केँ प्रमाणित करैत, यहूदी सभक पूर्वज सभ केँ जे वचन परमेश्वर देने छलाह, ताहि वचन सभ केँ पूरा करथि, 9 और जाहि सँ आन जातिक लोक सेहो परमेश्वरक कृपा पाबि कऽ हुनकर स्तुति करनि। जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “एहि लेल गैर-यहूदी सभक बीच हम अहाँक प्रशंसा करब, आ अहाँक नामक स्तुति गायब।” 10 धर्मशास्त्र आगाँ कहैत अछि, “यौ अन्यजातिक लोक सभ, 2 परमेश्वरक प्रजाक संग आनन्द मनाउ।” 11 धर्मशास्त्र इहो कहैत अछि जे, “यौ सभ गैर-यहूदी लोक, 2 प्रभुक स्तुति करू, सभ जातिक लोक सभ, 2 प्रभुक प्रशंसा करिऔन!” 12 परमेश्वरक प्रवक्ता यशायाह कहैत छथि जे, “यिशयक वंश मे एक गोटे प्रगट होयताह; सभ जातिक लोक पर ओ शासन करताह, गैर-यहूदी लोक सभ हुनका पर आशा राखत।” 13 परमेश्वर, जे आशाक स्रोत छथि, अहाँ सभ केँ परमेश्वर परक भरोसाक कारणेँ अत्यन्त आनन्द आ शान्ति सँ भरि देथि, जाहि सँ पवित्र आत्माक सामर्थ्य सँ अहाँ सभक मोन आशा सँ भरल रहय। 14 यौ हमर भाइ लोकनि, हमरा दृढ़ विश्वास अछि जे अहाँ सभ सदभाव आ हर प्रकारक ज्ञान सँ परिपूर्ण भऽ एक-दोसर केँ परामर्श देबऽ मे समर्थ छी। 15 तैयो किछु बात सभक स्मरण करयबाक लेल हम अहाँ सभ केँ ओहि बात सभक विषय मे साफ-साफ लिखलहुँ। कारण, परमेश्वरक कृपा सँ हमरा एहि बातक वरदान भेटल अछि जे, 16 हम गैर-यहूदी सभक बीच मसीह यीशुक सेवक बनी आ परमेश्वरक शुभ समाचार सुनयबाक सेवा करी, जाहि सँ गैर-यहूदी सभ परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा पवित्र कयल जाय आ परमेश्वर केँ ग्रहणयोग्य चढ़ौना बनय। 17 एहि लेल हम परमेश्वरक जे सेवा कऽ रहल छी ताहि पर मसीह यीशु द्वारा हमरा गर्व अछि। 18 हम आन बातक विषय मे नहि बाजब—हम खाली ओही बात सभक चर्चा करबाक साहस करब जे मसीह गैर-यहूदी सभ केँ परमेश्वरक बात माननिहार बनयबाक लेल हमरा द्वारा की सभ कयने छथि, अर्थात्, हमर शब्द आ काजक माध्यम सँ, 19 चमत्कारपूर्ण चिन्ह सभक सामर्थ्य द्वारा आ पवित्र आत्माक सामर्थ्य द्वारा। एहि क्रम मे हम यरूशलेम आ ओकर लग-पासक प्रदेश सँ लऽ कऽ इल्लुरिकुम धरि मसीहक शुभ समाचार-प्रचार करबाक अपन काज पूरा कयलहुँ। 20 हमर मोनक आकांक्षा यैह रहल जे जतऽ मसीहक नाम नहि पहुँचल अछि ततऽ शुभ समाचार सुनाबी, जाहि सँ अनका न्यो पर हम घर नहि बनाबी। 21 बल्कि, जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “जकरा सभ केँ हुनका सम्बन्ध मे कहियो नहि कहल गेल छलैक, से सभ देखत, जे सभ हुनका सम्बन्ध मे कहियो नहि सुनने छल, से सभ बुझत।” 22 एहि काज मे लागल रहबाक कारणेँ हमरा एखन तक अहाँ सभक ओतऽ पहुँचबाक कार्यक्रम मे बेर-बेर बाधा पड़ल। 23 मुदा आब एहि प्रान्त सभ मे हमर कोनो कार्यक्षेत्र बाँकी नहि रहल, आ हम कतेक वर्ष सँ अहाँ सभ सँ भेँट करबाक इच्छा रखने छी। 24 तेँ हमर आशा अछि जे स्पेन जाइत समय मे अहाँ सभक ओतऽ होइत जायब। हमरा आशा अछि जे हम ओहि यात्रा मे अहाँ सभ सँ भेँट कऽ सकब आ किछु समय धरि अहाँ सभक संगतिक आनन्द उठौलाक बाद अहाँ सभक सहायता सँ स्पेनक यात्रा मे आगाँ बढ़ि सकब। 25 मुदा एखन परमेश्वरक लोक केँ किछु सहायता पहुँचयबाक लेल हम यरूशलेम जा रहल छी। 26 कारण, मकिदुनिया आ अखाया प्रदेशक मण्डलीक लोक सभ यरूशलेमक मण्डलीक गरीब लोकक लेल किछु आर्थिक सहायता पठयबाक निश्चय कयने छथि। 27 ई सभ ई काज खुशी सँ कयलनि, आ वास्तव मे ई सभ हुनका सभक ऋणी सेहो छथि, कारण, जखन गैर-यहूदी सभ आत्मिक सम्पत्ति मे हुनका सभक हिस्सेदार भेलनि तखन ई उचिते अछि जे इहो सभ अपन आर्थिक सम्पत्ति द्वारा हुनका सभक सहायता करनि। 28 तेँ ई काज समाप्त भेला पर, अर्थात् ई दान सुरक्षित तरीका सँ यरूशलेमक मण्डलीक लोक सभक जिम्मा मे देलाक बाद, हम अहाँ सभक ओतऽ होइत स्पेन जायब। 29 हमरा विश्वास अछि जे जखन हम अहाँ सभक ओतऽ आयब तँ मसीहक आशिषक परिपूर्णताक संग आयब। 30 आब यौ भाइ लोकनि, अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ आ पवित्र आत्माक प्रेमक आधार पर हम अहाँ सभ सँ विनती करैत छी जे हमरा लेल परमेश्वर सँ प्रार्थना कऽ कऽ हमरा संघर्ष मे अहाँ सभ संग दिअ। 31 परमेश्वर सँ ई प्रार्थना करू जे हम यहूदिया प्रदेशक अविश्वासी सभ सँ बाँचि सकी, और जे सहायता पहुँचयबाक लेल हम यरूशलेम जा रहल छी तकरा ओहिठामक परमेश्वरक लोक सभ खुशी सँ स्वीकार करथि। 32 एहि तरहेँ परमेश्वरक इच्छा जँ होयतनि तँ हम आनन्दपूर्बक अहाँ सभक ओतऽ आयब, आ अहाँ सभक संगति मे आराम करब। 33 शान्तिदाता परमेश्वर अहाँ सभ गोटेक संग रहथि। आमीन।
1 एहि पत्र द्वारा किंख्रिया शहरक मण्डली-सेविका, अपना सभक बहिन फीबेक परिचय दैत 2 हम अहाँ सभ सँ निवेदन करैत छी जे, जाहि तरहेँ परमेश्वरक लोक केँ एक-दोसराक स्वागत करबाक चाही तहिना अहाँ सभ प्रभु मे हुनकर स्वागत करिऔन, आ जँ हुनका कोनो बात मे अहाँ सभक सहायताक आवश्यकता होनि तँ अहाँ सभ हुनकर सहायता करिऔन, कारण, ओ बहुतो लोकक, आ हमरो, बड्ड सहायता कयने छथि। 3 मसीह यीशुक काज मे हमर सहकर्मी प्रिस्किला आ अक्विला केँ हमर नमस्कार। 4 ओ सभ हमर प्राण बचयबाक लेल अपन जीवन संकट मे कऽ लेने छलाह। मात्र हमहीं नहि, बल्कि गैर-यहूदी लोकक सभ मण्डली अपना केँ हुनका सभक आभारी मानैत छथि। 5 हुनका सभक घर मे जमा होमऽ वला मण्डली केँ सेहो नमस्कार। हमर प्रिय मित्र इपैनितुस केँ, जे आसिया प्रदेश मे पहिल व्यक्ति छथि जे मसीहक विश्वासी भेलाह, तिनका हमर नमस्कार कहिऔन। 6 मरियम केँ सेहो हमर नमस्कार अछि, जे अहाँ सभक लेल बहुत परिश्रम कयने छथि। 7 अन्द्रोनिकुस आ यूनियास, जे हमर जाति-भाय सभ छथि और हमरा संग जहल मे छलाह, तिनका सभ केँ हमर नमस्कार कहू। ई सभ मसीह-दूत सभ मे प्रतिष्ठित लोक छथि आ हमरा सँ पहिने मसीहक विश्वासी भेलाह। 8 अम्पलियातुस केँ, जे प्रभु मे हमर प्रिय मित्र छथि, तिनका हमर नमस्कार। 9 मसीहक काज मे अपना सभक सहकर्मी उरबानुस आ हमर प्रिय मित्र इस्तखुस केँ हमर नमस्कार कहू। 10 अपिलेस केँ, जे परीक्षा मे स्थिर रहि मसीहक दृष्टि मे सुयोग्य सेवक निकललाह, हमर नमस्कार। अरिस्तुबुलुस आ हुनकर परिवारक लोक केँ हमर नमस्कार। 11 हमर जाति-भाय हेरोदियोन केँ, आ नरकिस्सुसक परिवार मे जे सभ प्रभुक लोक छथि, तिनका सभ केँ हमर नमस्कार कहू। 12 प्रभुक सेवा मे परिश्रम करऽ वाली त्रुफेना आ त्रुफोसा केँ हमर नमस्कार। प्रिय बहिन परसिस केँ, जे प्रभुक सेवा मे बहुत परिश्रम कयने छथि, हुनका हमर नमस्कार कहू। 13 प्रभुक कृपापात्र रूफुस आ हुनकर माय केँ, जे हमरो माये छथि, तिनका सभ केँ हमर नमस्कार अछि। 14 असुंक्रितुस, फिलेगोन, हिरमेस, पत्रुबास, हिर्मास आ हुनका सभक संग जे आओर भाय सभ छथि, तिनका सभ केँ हमर नमस्कार कहू। 15 फिलोलोगुस आ यूलिया, नेरियुस आ हुनकर बहिन, उलुम्पास और प्रभुक आरो सभ लोक जे हुनका सभक संग छथि, तिनका सभ केँ हमर नमस्कार। 16 पवित्र मोन सँ एक-दोसर केँ सस्नेह नमस्कार करू। मसीहक सभ मण्डलीक लोक अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। 17 यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ सँ आग्रहपूर्बक विनती करैत छी जे अहाँ सभ ओहन लोक सभ सँ सावधान रहू जे सभ अहाँ सभ जे शिक्षा पौने छी तकरा विरुद्ध बात सिखा कऽ अहाँ सभ मे फूट करबैत अछि आ अहाँ सभक विश्वास केँ बिगाड़बाक कोशिश करैत अछि। अहाँ सभ ओहन लोक सभ सँ दूरे रहू। 18 ओ सभ अपना सभक प्रभु मसीहक सेवा नहि, बल्कि अपन पेटक पूजा करैत अछि। ओ सभ फुसलाबऽ वला मिठगर-मिठगर बात कऽ कऽ सोझगर लोक सभ केँ भटका दैत अछि। 19 अहाँ सभक आज्ञा-पालनक चर्चा सभ ठाम पसरि गेल अछि। तेँ अहाँ सभक कारणेँ हमरा बहुत आनन्द अछि। मुदा तैयो हम चाहैत छी जे अहाँ सभ नीक काज करऽ मे बुद्धिमान बनू आ अधलाह काज सभ सँ दूर रहू। 20 शान्तिदाता परमेश्वर बहुत जल्दी शैतान केँ अहाँ सभक पयरक तर मे थुरबौताह। अपना सभक प्रभु यीशुक कृपा अहाँ सभ पर बनल रहय। 21 हमर सहकर्मी तिमुथियुस, आ जाति-भाय सभ लूकियुस, यासोन आ सोसिपात्रस अहाँ सभ केँ नमस्कार कहि रहल छथि। 22 हम, तेरतियुस, जे एहि पत्र केँ लिखबाक काज कयलहुँ, अहाँ सभ केँ प्रभु मे नमस्कार कऽ रहल छी। 23 गयुसक दिस सँ नमस्कार जे एहिठामक सम्पूर्ण मण्डलीक और हमरो अतिथि-सत्कार कयनिहार छथि। एहि नगरक कोषाध्यक्ष इरास्तुस आ अपना सभक भाय क्वारतुस सेहो अहाँ सभ केँ अपन नमस्कार पठा रहल छथि। 24 [अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभ पर बनल रहय। आमीन।] 25 आब ओहि परमेश्वरक स्तुति होनि जे अहाँ सभ केँ यीशु मसीहक शुभ समाचार द्वारा, अर्थात् जे शुभ समाचार हम सुनबैत छी, ताहि शुभ समाचार द्वारा स्थिर राखऽ मे समर्थ छथि। ई शुभ समाचार ओहि रहस्यक उद्घाटन अछि जे युग-युग सँ गुप्त राखल गेल छल, 26 मुदा आब प्रगट भऽ गेल अछि। और आब युगानुयुग तक रहनिहार परमेश्वरक आदेशानुसार हुनकर प्रवक्ता सभक लेख सभक प्रचार द्वारा ई शुभ समाचार सुनाओल जा रहल अछि, जाहि सँ सभ जातिक लोक विश्वास कऽ हुनकर आज्ञाकारी बननि। 27 ओही एकमात्र ज्ञानमय परमेश्वरक स्तुति यीशु मसीहक द्वारा युगानुयुग होइत रहनि! आमीन।
1 हम पौलुस, जे परमेश्वरक इच्छा सँ मसीह यीशुक एक मसीह-दूत होयबाक लेल बजाओल गेल छी, और भाइ सोस्थिनेस सेहो, 2 ई पत्र अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी, जे सभ कोरिन्थ नगर मे परमेश्वरक मण्डली छी। अहाँ सभ यीशु मसीह द्वारा पवित्र कयल गेल छी और परमेश्वरक अपन लोक होयबाक लेल बजाओल गेल छी, जहिना सभ ठामक ओ सभ लोक छथि जे अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ प्रार्थना करैत छथि—ओ तँ हुनका सभक आ अपना सभक, दूनूक प्रभु छथि। 3 अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 4 अहाँ सभक लेल हम सदिखन अपना परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि, किएक तँ ओ मसीह यीशु द्वारा अहाँ सभ पर कृपा कयने छथि। 5 कारण, मसीहक सम्बन्ध मे जे गवाही अहाँ सभ केँ सुनाओल गेल, से अहाँ सभक बीच एहि बातक द्वारा सत्य प्रमाणित भेल जे मसीह मे अहाँ सभ हर क्षेत्र मे सम्पन्न भऽ गेल छी, अर्थात् सभ बात व्यक्त करबाक गुण मे आ सभ बातक ज्ञान मे। 7 तेँ अहाँ सभ उत्सुकतापूर्बक अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक फेर अयबाक बाट तकैत कोनो आत्मिक वरदानक अभाव मे नहि छी। 8 एतबे नहि, परमेश्वर अन्त धरि अहाँ सभ केँ मजगूत कयने रहताह, जाहि सँ अहाँ सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक फेर अयबाक दिन मे निर्दोष पाओल जाइ। 9 परमेश्वरे अपन पुत्रक संगति मे, अर्थात् अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक संगति मे, अहाँ सभ केँ बजौने छथि आ ओ विश्वासयोग्य छथि। 10 यौ भाइ लोकनि, अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ हम अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी जे अहाँ सभ एकमत भऽ कऽ रहू जाहि सँ आपस मे फूट नहि होअय, बल्कि अहाँ सभक मोन आ विचार मे पूर्ण एकता होअय। 11 किएक तँ, यौ भाइ लोकनि, हमरा खलोएक घरक किछु लोक द्वारा एहि बातक जानकारी भेटल अछि जे अहाँ सभक बीच झगड़ा चलि रहल अछि। 12 हमर कहबाक मतलब ई अछि जे अहाँ सभ मे सँ केओ कहैत छी जे, “हम पौलुसक चेला छी”, केओ जे, “हम अपुल्लोसक”, केओ जे, “हम पत्रुसक,” आ केओ जे, “हम मसीहक चेला छी।” 13 तँ की मसीहक बटबारा कऽ देल गेल छनि? की अहाँ सभक लेल पौलुस केँ क्रूस पर चढ़ाओल गेल? की अहाँ सभ पौलुसक नाम सँ बपतिस्मा लेने छलहुँ? 14 हम परमेश्वरक धन्यवाद दैत छियनि जे अहाँ सभ मे सँ क्रिस्पुस आ गयुस केँ छोड़ि आरो किनको बपतिस्मा हम नहि देलहुँ। 15 आब केओ ई नहि कहि सकैत अछि जे ओ हमरा नाम सँ बपतिस्मा लेने अछि। 16 हँ, हम स्तेफनासक घरक लोक केँ सेहो बपतिस्मा देने छी। हमरा मोन नहि अछि जे हम हिनका सभ केँ छोड़ि आरो किनको बपतिस्मा देलहुँ। 17 किएक तँ मसीह हमरा बपतिस्मा देबाक लेल नहि, बल्कि शुभ समाचार सुनयबाक लेल पठौने छथि। आ सेहो सांसारिक ज्ञान सँ भरल शब्द सभक प्रयोग नहि कऽ कऽ, जाहि सँ ई नहि होअय जे मसीहक क्रूस परक मृत्युक प्रभाव खतम भऽ जाय। 18 विनाश भेनिहार लोक क्रूसक शिक्षा केँ मूर्खताक बात बुझैत अछि। मुदा अपना सभक लेल, जे सभ उद्धार पाबि रहल छी, क्रूसक शिक्षा परमेश्वरक सामर्थ्य अछि। 19 किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे परमेश्वर कहैत छथि, “हम ज्ञानी सभक ज्ञान केँ नष्ट कऽ देब 2 आ बुद्धिमान सभक बुद्धि केँ व्यर्थ कऽ देब।” 20 कतऽ अछि ज्ञानी सभ? कतऽ अछि विद्वान सभ? कतऽ अछि एहि संसारक तर्क-वितर्क करऽ वला सभ? की परमेश्वर एहि संसारक “ज्ञान” केँ मूर्खता नहि बना देने छथि? 21 परमेश्वरक बुद्धिपूर्ण योजना ई छलनि जे संसार अपन बुद्धि द्वारा हुनका नहि चिन्हि सकय। एहि लेल परमेश्वर केँ ई नीक बुझयलनि जे शुभ समाचारक प्रचारक “मूर्खता” द्वारा ओ विश्वास कयनिहार लोक सभक उद्धार करथि। 22 यहूदी सभ चमत्कार सभक माँग करैत अछि आ यूनानी सभ बुद्धिक खोज करैत अछि। 23 मुदा हम सभ क्रूस पर चढ़ाओल गेल मसीहक प्रचार करैत छी। ई यहूदी सभक लेल विश्वास करऽ मे बाधा वला बात आ आन जाति सभक लेल मूर्खताक बात अछि। 24 मुदा परमेश्वर जकरा सभ केँ बजौने छथि, ओ चाहे यहूदी होअय वा यूनानी, तकरा सभक लेल मसीह छथि परमेश्वरक सामर्थ्य आ परमेश्वरक ज्ञान। 25 किएक तँ जकरा परमेश्वरक “मूर्खता” बुझल जाइत अछि, से मनुष्यक ज्ञानक अपेक्षा अधिक ज्ञानवान अछि, आ जकरा परमेश्वरक “दुर्बलता” बुझल जाइत अछि, से मनुष्यक बलक अपेक्षा अधिक बलवान अछि। 26 यौ भाइ लोकनि, विचार करू, परमेश्वर अहाँ सभ केँ जहिया बजौलनि तहिया अहाँ सभ की छलहुँ? सांसारिक दृष्टिएँ अहाँ सभ मे सँ किछुए लोक ज्ञानी, सामर्थी वा खानदानी छलहुँ। 27 मुदा ज्ञानी सभ केँ लज्जित करबाक लेल परमेश्वर ओहन बात सभ केँ चुनलनि जे संसारक दृष्टि मे मूर्खताक बात अछि। सामर्थी सभ केँ लज्जित करबाक लेल ओ ओहन बात सभ केँ चुनलनि, जे संसारक दृष्टि मे निर्बल अछि। 28 जे बात सभ संसार मे नीच, तुच्छ आ नगण्य मानल जाइत अछि ओहन बात सभ केँ परमेश्वर एहि लेल चुनलनि जे ओ तेहन बात सभ केँ नष्ट कऽ देथि जे संसार मे महत्वपूर्ण मानल जाइत अछि, 29 जाहि सँ केओ परमेश्वरक सामने घमण्ड नहि करय। 30 परमेश्वरेक कारणेँ अहाँ सभ मसीह यीशु मे छी। प्रभु यीशु मसीह अपना सभक लेल परमेश्वर द्वारा देल गेल ज्ञान बनि गेल छथि। ओ स्वयं अपना सभक धार्मिकता, पवित्रता, आ पाप सँ छुटकारा भऽ गेल छथि। 31 तेँ जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “जँ केओ घमण्ड करय तँ ओ प्रभु पर घमण्ड करय।”
1 यौ भाइ लोकनि, हम जखन अहाँ सभक ओतऽ परमेश्वरक विषय मे गवाही देबऽ अयलहुँ तँ शब्दक आडम्बर अथवा सांसारिक ज्ञानक संग नहि अयलहुँ। 2 हम निश्चय कयने छलहुँ जे हम अहाँ सभक बीच यीशु मसीह आ क्रूस पर भेल हुनकर मृत्यु केँ छोड़ि, कोनो आन विषय पर बात नहि करब। 3 हम कमजोर आ डेरायल आ थर-थर कँपैत अहाँ सभक बीच रहलहुँ। 4 हमर शिक्षा आ हमर प्रचार मे विद्वानक प्रभावशाली शब्दक आकर्षण नहि छल, बल्कि परमेश्वरक आत्माक सामर्थ्यक प्रदर्शन छल, 5 जाहि सँ अहाँ सभक विश्वास मनुष्यक ज्ञान पर नहि, बल्कि परमेश्वरक सामर्थ्य पर आधारित होअय। 6 ओना तँ जे लोक सभ आत्मिक रूप सँ बुझनिहार छथि तिनका सभक बीच हम सभ अवश्य ज्ञानक बात सुनबैत छी। मुदा ई ज्ञान ने तँ एहि संसारक अछि आ ने एहि संसारक शासन करऽ वला सभक, जे सभ समाप्त होमऽ पर अछि। 7 हम सभ परमेश्वरेक रहस्यमय ज्ञानक बात सुनबैत छी जे पहिने गुप्त राखल छल, आ जकरा परमेश्वर संसारक सृष्टि सँ पूर्वहिं अपना सभक महिमाक लेल निश्चित कयने छलाह। 8 एहि ज्ञान केँ संसारक शासन करऽ वला सभ मे सँ केओ नहि बुझि पौलक, नहि तँ महिमामय प्रभु केँ क्रूस पर नहि चढ़बितनि। 9 मुदा जेना कि धर्मशास्त्रक लेख अछि, “जे सभ परमेश्वर सँ प्रेम करैत अछि तकरा सभक लेल ओ जे किछु तैयार कयने छथि तकरा केओ कहियो देखलक नहि, केओ कहियो सुनलक नहि आ ने केओ तकर कल्पना कऽ पौलक।” 10 मुदा, परमेश्वर अपन पवित्र आत्मा द्वारा ई ज्ञान अपना सभ पर प्रगट कयने छथि, किएक तँ परमेश्वरक आत्मा सभ बातक, परमेश्वरक रहस्यमय बात सभक सेहो, थाह पाबि लैत छथि। 11 ककरो मोनक बात केँ कोन मनुष्य जानि सकैत अछि? खाली ओकर अपन आत्मा ओकर मोनक बात जनैत अछि। एही प्रकारेँ परमेश्वरक आत्मा केँ छोड़ि परमेश्वरक विचार केओ नहि जनैत अछि। 12 अपना सभ केँ संसारक आत्मा नहि, बल्कि परमेश्वरक दिस सँ आबऽ वला पवित्र आत्मा भेटल छथि जाहि सँ परमेश्वर अपन खुशी सँ अपना सभ केँ की सभ देने छथि तकरा जानि सकी। 13 हम सभ एहि बात सभक व्याख्या करैत काल मानवीय बुद्धि सँ प्रेरित शब्द सभक नहि, बल्कि पवित्र आत्मा द्वारा सिखाओल गेल शब्द सभक प्रयोग करैत छी, अर्थात् आत्मिक बात सभ आत्मिक तरीका द्वारा व्यक्त करैत छी। 14 मुदा जाहि मनुष्य मे परमेश्वरक आत्मा नहि रहैत छथि से परमेश्वरक आत्माक बात सभ केँ स्वीकार नहि करैत अछि, किएक तँ ओ ओहि बात सभ केँ मूर्खता मानैत अछि। ओ ओकरा बुझि नहि सकैत अछि, किएक तँ परमेश्वरक आत्मे द्वारा ओकर थाह पाओल जा सकैत अछि। 15 जाहि मनुष्य मे परमेश्वरक पवित्र आत्मा रहैत छथि से सभ बात जाँचि कऽ बुझैत अछि, मुदा ओ अपने कोनो मनुष्य द्वारा नहि बुझल जाइत अछि। 16 किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “प्रभुक सोच-विचार केँ के जनने अछि? हुनकर सल्लाहकार के भऽ सकल अछि?” मुदा अपना सभ केँ तँ मसीहक सोच-विचार भेटल अछि।
1 यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ सँ ओहि तरहेँ बात नहि कऽ सकलहुँ जाहि तरहेँ आत्मिक लोक सँ कयल जाइत अछि। हमरा अहाँ सभ सँ ओहि तरहेँ बात करऽ पड़ल जाहि तरहेँ सांसारिक व्यक्ति सभ सँ कयल जाइत अछि, मसीह मेहक छोट बच्चा सभ जकाँ। 2 हम अहाँ सभ केँ दूध पिऔने छलहुँ, अन्न नहि खुऔने छलहुँ, किएक तँ अहाँ सभ ओकरा पचा नहि सकैत छलहुँ। हँ, अहाँ सभ एखनो ओकरा पचा नहि सकैत छी। 3 किएक तँ अहाँ सभ एखनो सांसारिक छी। जखन अहाँ सभ मे डाह आ झगड़ा होइत अछि तँ की ई एहि बातक प्रमाण नहि अछि जे अहाँ सभ सांसारिक छी? की अहाँ सभक व्यवहार एहन लोकक व्यवहार जकाँ नहि अछि जकरा सभ मे पवित्र आत्मा नहि छथि? 4 जखन केओ कहैत अछि, “हम पौलुसक चेला छी” आ केओ जे, “हम अपुल्लोसक छी”, तँ की अहाँ सभ सांसारिक लोक नहि भेलहुँ? 5 तँ अपुल्लोस की छथि? आ पौलुस की अछि? हम सभ सेवक मात्र छी, जकरा द्वारा अहाँ सभ विश्वास कयलहुँ। हम सभ हर एक, बस, वैह काज कयलहुँ जे प्रभु हमरा सभ केँ जिम्मा देलनि। 6 हम बीया बाउग कयलहुँ, अपुल्लोस ओहि मे पानि पटौलनि, मुदा बढ़ौलनि ओकरा परमेश्वर। 7 ने तँ बाउग करऽ वलाक कोनो महत्व अछि आ ने पानि पटाबऽ वलाक, बल्कि ओकरा बढ़ाबऽ वला परमेश्वरे सभ किछु छथि। 8 बाउग करऽ वला आ पानि पटाबऽ वला एके लक्ष्य राखि कऽ काज करैत अछि आ प्रत्येक अपने परिश्रमक अनुरूप इनाम पाओत। 9 हम सभ परमेश्वरेक सेवा मे सहकर्मी छी; अहूँ सभ परमेश्वरेक खेत आ परमेश्वरेक भवन छी। 10 परमेश्वरक ओहि कृपा द्वारा जे हमरा प्रदान कयल गेल अछि हम कुशल राजमिस्तिरी जकाँ न्यो रखलहुँ आ केओ दोसर ओहि पर भवन बनबैत जा रहल अछि। मुदा प्रत्येक गोटे एहि बातक ध्यान राखय जे ओ भवनक निर्माण कोना कऽ रहल अछि। 11 किएक तँ जे न्यो राखल गेल अछि तकरा छोड़ि कोनो दोसर नहि राखल जा सकैत अछि आ ओ न्यो छथि यीशु मसीह। 12 जँ केओ एहि न्यो पर निर्माणक काज मे सोन, चानी, बहुमूल्य पाथर, काठ वा घास-फूस प्रयोग मे लाओत, 13 तँ ओकर ओ काज स्पष्ट देखाओल जायत किएक तँ न्यायक दिन ओहि काज केँ देखार कऽ देत। ओ दिन आगिक संग प्रगट होयत, आ ओ आगि प्रत्येक गोटेक काजक जाँच करत जे ओ केहन अछि। 14 जकर निर्माणक काज टिकल रहि जायत तकरा इनाम भेटतैक। 15 जकर काज भस्म भऽ जयतैक से इनाम पाबऽ सँ वंचित होयत। ओ अपने बाँचि जायत, मानू जेना आगि मे सँ जरैत-जरैत बाँचल होअय। 16 की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे अहाँ सभ गोटे मिलि कऽ परमेश्वरक मन्दिर छी आ परमेश्वरक आत्मा अहाँ सभ मे वास करैत छथि? 17 जँ केओ परमेश्वरक मन्दिर केँ नष्ट करत तँ परमेश्वर ओकरा नष्ट कऽ देथिन, किएक तँ परमेश्वरक मन्दिर पवित्र अछि आ ओ मन्दिर अहाँ सभ छी। 18 केओ अपना केँ धोखा नहि दओ। जँ अहाँ सभ मे सँ केओ अपना केँ संसारक दृष्टि मे बुद्धिमान बुझैत होइ तँ असल बुद्धिमान बनबाक लेल अपना केँ “मूर्ख” बना लिअ, 19 किएक तँ एहि संसारक ज्ञान परमेश्वरक दृष्टि मे मूर्खता अछि, जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “ओ बुद्धिमान सभ केँ ओकर सभक चतुराइ मे फँसबैत छथिन।” 20 और इहो लिखल अछि जे, “प्रभु बुद्धिमान सभक विचार केँ जनैत छथिन जे ओ व्यर्थ छैक।” 21 एहि लेल कोनो मनुष्य पर केओ घमण्ड नहि करय! किएक तँ सभ किछु अहाँ सभक अछि, 22 चाहे ओ पौलुस होअय, अपुल्लोस होथि अथवा पत्रुस होथि, चाहे संसार होअय, जीवन होअय वा मृत्यु होअय, चाहे आजुक बात होअय वा आबऽ वला समयक, सभ किछु अहाँ सभक अछि, 23 और अहाँ सभ मसीहक छी आ मसीह परमेश्वरक छथि।
1 एहि लेल लोक हमरा सभ केँ मसीहक सेवक बुझओ जकरा सभक जिम्मा मे पहिने गुप्त राखल परमेश्वरक रहस्यक बात सभ सौंपल गेल अछि। 2 जकरा सभक जिम्मा मे किछु सौंपल गेल अछि तकरा सभक लेल ई जरूरी छैक जे ओ सभ विश्वासयोग्य निकलय। 3 हमरा लेल एहि बातक कोनो महत्व नहि अछि जे अहाँ सभ अथवा मनुष्यक कोनो पंचायत हमर न्याय करय। हमहूँ अपन न्याय नहि करैत छी। 4 हमर मोन हमरा दोषी नहि ठहरबैत अछि, मुदा ई बात एकर कोनो प्रमाण नहि भऽ गेल जे हम निर्दोष छी। प्रभुए हमर न्यायकर्ता छथि। 5 एहि लेल समय सँ पहिने कोनो बातक न्याय नहि करू, अर्थात् जाबत धरि प्रभु नहि औताह ताबत धरि रूकल रहू। ओ अन्हार मे नुकायल सभ बात केँ इजोत मे लौताह आ लोकक भितरी मोनक अभिप्राय सभ केँ प्रगट करताह। तहिया प्रत्येक मनुष्य परमेश्वरे सँ अपन प्रशंसा पाओत। 6 यौ भाइ लोकनि, हम अपन आ अपुल्लोसक उदाहरण दऽ कऽ अहाँ सभक भलाइक लेल ई सभ बात लिखलहुँ अछि, जाहि सँ हमरा सभक माध्यम सँ अहाँ सभ ई सिखी जे “धर्मशास्त्र मे लिखल बातक अन्तर्गत रहू।” तखन अहाँ सभ घमण्ड सँ एक गोटेक पक्ष लेनाइ आ दोसर गोटे केँ तुच्छ माननाइ वला काज नहि करब। 7 कारण, के कहैत अछि जे अहाँ दोसर लोक सँ नीक छी? अहाँ लग की अछि जे अहाँ केँ नहि देल गेल? आ जँ अहाँ केँ देल गेल अछि तँ फेर घमण्ड किएक करैत छी जेना कि अहाँक अपने कयला सँ किछु प्राप्त भेल होअय? 8 एखने अहाँ सभ तृप्त भऽ गेल छी! एखने अहाँ सभ सम्पन्न भऽ गेल छी! अहाँ सभ राजा भऽ गेलहुँ, आ सेहो बिनु हमरा सभक! कतेक बढ़ियाँ होइत जे अहाँ सभ वास्तव मे राजा भऽ गेल रहितहुँ जाहि सँ हमहूँ सभ अहाँ सभक संग राजा बनि सकितहुँ! 9 हमरा एना बुझाइत अछि जे परमेश्वर हमरा सभ केँ, जे सभ मसीह-दूत छी, विजय-जुलूसक अन्त मे ओहि बन्दी सभ जकाँ रखने छथि जकरा सभ पर मृत्युदण्डक आज्ञा भऽ गेल होइक, किएक तँ हम सभ सम्पूर्ण सृष्टिक लेल, स्वर्गदूतो सभ आ मनुष्यो सभक लेल, तमाशा बनि गेल छी। 10 हम सभ मसीहक कारणेँ मूर्ख छी, मुदा अहाँ सभ मसीह मे ज्ञानवान छी! हम सभ दुर्बल छी मुदा अहाँ सभ बलवान छी! अहाँ सभ केँ आदर भेटि रहल अछि आ हमरा सभ केँ निरादर! 11 हम सभ एखनो तक भूखल-पियासल रहैत छी, फाटल-पुरान पहिरैत छी, मारि खाइत छी। हमरा सभ केँ रहबाक लेल कोनो घर नहि अछि। 12 हम सभ अपना हाथ सँ कठिन परिश्रम करैत छी। जखन हमरा सभक अपमान कयल जाइत अछि तँ हम सभ आशीर्वाद दैत छी। जखन हमरा सभ पर अत्याचार होइत अछि तँ हम सभ ओकरा सहैत छी। 13 जखन लोक हमरा सभक निन्दा करैत अछि तखन हम सभ नम्रतापूर्बक उत्तर दैत छी। आइओ तक हम सभ संसारक मैल आ समाजक कूड़ा-करकट बनल छी। 14 हम अहाँ सभ केँ लज्जित करबाक लेल ई नहि लिखि रहल छी, बल्कि अपन प्रिय बच्चा बुझैत चेतावनी दऽ रहल छी। 15 मसीह मे अहाँ सभ केँ हजारो देखनिहार किएक नहि होअय, मुदा पिता अनेक नहि अछि। अहाँ सभ हमरे सँ शुभ समाचार सुनि कऽ विश्वास कयलहुँ तेँ मसीह यीशु मे हमहीं अहाँ सभक पिता बनल छी। 16 एहि लेल हम एहि पर जोर दैत छी जे हम जेना करैत छी, तेना अहूँ सभ करू। 17 एही कारणेँ हम तिमुथियुस केँ, जे प्रभु मे हमर प्रिय आ विश्वासयोग्य बेटा छथि, अहाँ सभ लग पठौने छी। ओ अहाँ सभ केँ मोन पाड़ताह जे मसीह मे रहबाक कारणेँ हमर जीवन-शैली केहन अछि। हमर जीवन-शैली ओहि शिक्षा सँ मिलैत अछि जे सभ ठाम हम प्रत्येक मण्डली मे दैत छी। 18 अहाँ सभ मे सँ किछु लोक ई सोचि कऽ घमण्डी बनि गेल छी जे, पौलुस हमरा सभक ओतऽ नहि औताह! 19 मुदा जँ प्रभुक इच्छा होयतनि तँ हम अहाँ सभ लग जल्दिए आयब आ घमण्डी सभक गप्पे नहि, बल्कि ओकरा सभक सामर्थ्यक पता पाबि लेबैक। 20 किएक तँ परमेश्वरक राज्य गप्पक बात नहि, बल्कि सामर्थ्यक बात अछि। 21 अहाँ सभ की चाहैत छी? की हम लाठी लऽ कऽ अहाँ सभ लग आउ, वा प्रेम आ कोमलताक भाव लऽ कऽ?
1 एतऽ तक सुनऽ मे आयल जे अहाँ सभक बीच कुकर्म भऽ रहल अछि—एहन कुकर्म जे प्रभुक शिक्षा सँ अपरिचितो जातिक लोक सभ मे नहि पाओल जाइत अछि, अर्थात् केओ अपन पिताक स्त्री केँ राखि लेने अछि। 2 तैयो अहाँ सभ घमण्ड सँ फुलि गेल छी! अहाँ सभ केँ तँ शोक मनयबाक छल आ जे एहन कुकर्म कऽ रहल अछि तकरा मण्डलीक संगति सँ निकालि देबाक छल। 3 हम शारीरिक रूप सँ अनुपस्थित होइतो आत्मिक रूप सँ अहाँ सभक बीच उपस्थित छी। हम एहि कुकर्म कयनिहारक सम्बन्ध मे निर्णय दऽ चुकल छी, मानू हम वास्तव मे ओतऽ उपस्थित छी। 4 हमर निर्णय ई अछि जे जखन अहाँ सभ अपना सभक प्रभु यीशुक नाम मे हमर आत्माक उपस्थितिक संग आ अपना सभक प्रभु यीशुक सामर्थ्यक संग जमा होइ, 5 तखन एहि व्यक्ति केँ शैतानक हाथ मे सौंपि दिअ जाहि सँ ओकर पापी मानवीय स्वभाव नष्ट होइक, मुदा प्रभुक न्यायक दिन ओकर आत्मा उद्धार पबैक। 6 अहाँ सभक घमण्ड कयनाइ ठीक बात नहि अछि। की अहाँ सभ ई नहि जनैत छी जे कनेको खमीर सम्पूर्ण सानल आँटा केँ फुलबैत अछि? 7 अहाँ सभ पुरान “खमीर” फेकि कऽ शुद्ध भऽ जाउ जाहि सँ अहाँ सभ “बिनु खमीर वला नव सानल आँटा” बनि जाइ जे अहाँ सभ वास्तव मे छीहो, किएक तँ अपना सभक “फसह-पाबनिक बलि-भेँड़ा”, अथार्त मसीह केँ, चढ़ा देल गेल छनि। 8 एहि लेल अपना सभ पुरान “खमीर” सँ, अर्थात् दुष्टताक आ कुकर्मक “खमीर” सँ नहि, बल्कि निष्कपटता आ सत्य रूपी “बिनु खमीर वला रोटी” सँ “फसह-पाबनि मनाबी”। 9 हम अपना पत्र मे लिखने छलहुँ जे अनैतिक सम्बन्ध राखऽ वला लोक सभ सँ संगति नहि राखू। 10 एकर अर्थ ई नहि छल जे अहाँ सभ एहि संसारेक एहन लोक सँ संगति नहि राखू जे अनैतिक सम्बन्ध राखऽ वला, वा लोभी, वा धोखेबाज वा मूर्तिक पूजा कयनिहार सभ अछि। एना करबाक लेल तँ अहाँ सभ केँ संसारे केँ छोड़ि देबऽ पड़ैत। 11 हमर कहबाक मतलब ई अछि जे जँ कोनो व्यक्ति मसीही भाइ कहबैत अछि, मुदा ओ अनैतिक सम्बन्ध राखऽ वला, लोभी, मूर्तिक पूजा कयनिहार, गारि पढ़ऽ वला, पिअक्कड़ वा धोखेबाज अछि तँ ओकर संगति नहि करू; ओहन व्यक्तिक संग भोजन तक नहि करू। 12 किएक तँ हमरा बाहरक लोकक न्याय करबाक कोन काज? की अहाँ सभ केँ ताही लोक सभक न्याय नहि करबाक अछि जे सभ मण्डली मे अछि? 13 बाहरक लोक सभक न्याय परमेश्वर करताह। मुदा जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “अहाँ सभ अपना बीच सँ ओहि अधर्मी व्यक्ति केँ बाहर निकालि दिऔक।”
1 जखन अहाँ सभक बीच आपस मे विवाद होइत अछि तँ तकर न्यायक लेल प्रभुक लोक सभक बदला अधर्मी सभक सामने जयबाक दुःसाहस अहाँ सभ कोना करैत छी? 2 की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे एक दिन प्रभुक लोक सभ संसारक न्याय करताह? अहाँ सभक द्वारा जँ संसारक न्याय कयल जायत तँ की अहाँ सभ छोट-मोट विवाद सभक न्याय करबाक योग्य नहि छी? 3 की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे अपना सभ स्वर्गदूत सभक न्याय करब? तखन की एहि जीवन सँ सम्बन्धित बात सभक न्याय कयनाइ कोनो बड़का बात अछि? 4 जँ अहाँ सभक बीच कोनो एहन विवाद अछि तँ की अहाँ सभ ओहन लोक सभ केँ पंच बनबैत छी जकरा सभ केँ मण्डली मे कोनो स्थान नहि छैक? 5 हम अहाँ सभ केँ लज्जित करबाक लेल ई बात कहि रहल छी। की ई सम्भव अछि जे अहाँ सभक बीच एको गोटे एहन बुद्धिमान नहि होइ जे भाइ-भाइक बीच फैसला कऽ सकी? 6 मुदा तकरा बदला मे एक विश्वासी भाइ दोसर भाइ पर मोकदमा करैत छी आ सेहो अविश्वासी सभक सामने! 7 वास्तव मे जखन अहाँ सभ एक-दोसर पर मोकदमा चलबैत छी, तँ ताहि सँ स्पष्ट होइत अछि जे अहाँ सभ एखने पूर्ण रूप सँ हारि गेल छी। तकर बदला मे अहाँ सभ अन्याय किएक नहि सहि लैत छी? अपन हानि किएक नहि होमऽ दैत छी? 8 मुदा अहाँ सभ तँ तकर विपरीत जा कऽ स्वयं अन्याय करैत छी आ दोसराक हक मारैत छी—सेहो अपन मसीही भाइ सभक! 9 की अहाँ सभ ई नहि जनैत छी जे अधर्मी लोक परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश करबाक अधिकारी नहि होयत? अपना केँ धोखा नहि दिअ! अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध रखनिहार, मूर्तिक पूजा कयनिहार, परस्त्रीगमन कयनिहार, वेश्या सनक काज कयनिहार पुरुष, समलैंगिक सम्बन्ध रखनिहार लोक, 10 चोर, लोभी, पिअक्कड़, गारि पढ़निहार आ धोखेबाज सभ परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश करबाक अधिकारी नहि होयत। 11 आ से अहाँ सभ मे सँ किछु गोटे छलहुँ, मुदा अहाँ सभ आब प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ आ अपना सभक परमेश्वरक आत्मा द्वारा धोअल गेलहुँ, पवित्र कयल गेलहुँ आ निर्दोष ठहराओल गेलहुँ। 12 “सभ किछु करबाक हमरा स्वतन्त्रता अछि”—मुदा सभ किछु हितकर नहि अछि। “सभ किछु करबाक हमरा स्वतन्त्रता अछि”—मुदा हम कोनो बातक गुलाम नहि बनब। 13 “भोजन पेटक लेल अछि आ पेट भोजनक लेल”—मुदा परमेश्वर दूनू केँ समाप्त कऽ देताह। शरीर अनैतिक सम्बन्धक लेल नहि, बल्कि प्रभुक सेवाक लेल अछि आ प्रभु शरीरक कल्याणक लेल। 14 परमेश्वर जहिना अपना सामर्थ्य सँ प्रभु यीशु केँ मृत्यु मे सँ जिऔलथिन तहिना ओ हमरो सभ केँ जिऔताह। 15 की अहाँ सभ ई नहि जनैत छी जे अहाँ सभक शरीर मसीहक अंग सभ अछि? तँ की हम मसीहक अंग लऽ कऽ तकरा वेश्याक अंग बना दिऐक? किन्नहुँ नहि! 16 की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे वेश्याक संग जे केओ अपन शरीर जोड़ैत अछि से ओकरा संग एक शरीर भऽ जाइत अछि? किएक तँ धर्मशास्त्र कहैत अछि जे, “दूनू एक शरीर भऽ जायत।” 17 मुदा जे प्रभु सँ संयुक्त भऽ जाइत अछि से हुनका संग आत्मा मे एक बनि जाइत अछि। 18 अनैतिक सम्बन्ध सँ दूर रहू। आरो सभ पाप जे मनुष्य करैत अछि, से शरीर सँ हटल अछि, मुदा जे ककरो संग अनैतिक सम्बन्ध रखैत अछि से अपना शरीरेक विरुद्ध पाप करैत अछि। 19 की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे अहाँ सभक शरीर परमेश्वरक पवित्र आत्माक मन्दिर अछि, जे आत्मा अहाँ सभ मे वास करैत छथि आ जे अहाँ सभ केँ परमेश्वर सँ प्राप्त भेल छथि? अहाँ सभ अपन नहि छी। 20 अहाँ सभ दाम दऽ कऽ किनल गेल छी। एहि लेल अपना शरीर द्वारा परमेश्वरक सम्मान करू।
1 आब ओहि बात सभक विषय मे जे अहाँ सभ पत्र मे लिखि कऽ पुछने छी—हँ, पुरुषक लेल स्त्री केँ नहि छुबी से नीक बात अछि। 2 मुदा एतेक अनैतिक सम्बन्ध चलि रहल अछि जे ताहि सँ बचबाक लेल प्रत्येक पुरुष केँ अपन स्त्री होअय आ प्रत्येक स्त्री केँ अपन पति। 3 पति अपना स्त्रीक प्रति अपन वैवाहिक कर्तव्य पूरा करय, आ तहिना स्त्री सेहो अपना पतिक प्रति। 4 स्त्री केँ अपना शरीर पर अधिकार नहि छैक; ओहि पर ओकर पतिक अधिकार छैक। आ तहिना पति केँ ओकर अपना शरीर पर अधिकार नहि छैक; ओहि पर ओकर स्त्रीक अधिकार छैक। 5 अहाँ सभ एक-दोसर केँ एहि अधिकार सँ वंचित नहि करू। जँ अपना केँ प्रार्थना मे समर्पित करबाक लेल से करबो करी तँ दूनूक सहमत सँ आ किछुए समयक लेल। तखन फेर पहिने जकाँ एक संग रहू जाहि सँ एना नहि होअय जे अहाँ सभ केँ अपना पर काबू नहि राखि सकबाक कारणेँ अहाँ सभ केँ शैतान प्रलोभन मे फँसाबय। 6 हमर कहबाक अर्थ ई नहि जे एक-दोसर सँ अलग रहबे करू, बल्कि जँ रही तँ कोना आ किएक। 7 हम ई चुनितहुँ जे सभ मनुष्य हमरा जकाँ अविवाहित रहय । मुदा प्रत्येक व्यक्ति केँ परमेश्वरक दिस सँ अपन विशेष वरदान भेटल अछि—ककरो एक प्रकारक तँ ककरो दोसर प्रकारक। 8 हम अविवाहित सभ केँ आ विधवा सभ केँ ई कहैत छी जे हमरे जकाँ ओहिना रहनाइ अहाँ सभक लेल उत्तम बात होयत। 9 मुदा जँ अहाँ सभ अपना पर काबू नहि राखि सकैत छी तँ विवाह कऽ लिअ, किएक तँ काम-वासना सँ जरैत रहबाक अपेक्षा विवाह कयनाइ नीक अछि। 10 विवाहित सभक लेल हमर नहि, बल्कि प्रभुक ई आदेश अछि जे स्त्री अपन पति केँ नहि छोड़ि दओ। 11 आ जँ ओ छोड़िओ दय तँ ओकरा अविवाहित रूप मे रहऽ पड़त अथवा अपन पति सँ फेर मेल कऽ लेबाक अछि। पति सेहो अपन स्त्रीक परित्याग नहि करओ। 12 बाँकी लोक सभ सँ प्रभुक नहि, बल्कि हमर कथन अछि, जे जँ कोनो विश्वासी भायक स्त्री विश्वास नहि करैत होअय आ ओ ओहि भायक संग रहबाक लेल सहमत अछि तँ ओ भाय स्त्रीक परित्याग नहि करओ। 13 जँ कोनो स्त्री केँ एहन पति होअय जे विश्वास नहि करैत होअय आ स्त्रीक संग रहबाक लेल सहमत होअय तँ ओ पतिक परित्याग नहि करओ 14 किएक तँ अविश्वासी पति अपन स्त्री द्वारा पवित्र बनाओल गेल अछि आ तहिना अविश्वासी स्त्री अपन पति द्वारा पवित्र बनाओल गेल अछि। नहि तँ अहाँ सभक बाल-बच्चा अशुद्ध होइत, मुदा आब ओहो सभ पवित्र अछि। 15 मुदा जँ कोनो अविश्वासी अलग होमऽ चाहैत अछि तँ ओकरा अलग होमऽ दिऔक। एहन परिस्थिति मे विश्वास कयनिहार भाइ वा बहिन अपना पति वा स्त्रीक संग रहबाक बन्हन मे नहि अछि। परमेश्वर तँ अपना सभ केँ शान्तिक जीवन व्यतीत करबाक लेल बजौने छथि। 16 हे स्त्री, अहाँ की जानऽ गेलहुँ जे अहाँ अपन पतिक उद्धारक कारण बनब वा नहि बनब? वा हे पति, अहाँ की जानऽ गेलहुँ जे अहाँ अपन स्त्रीक उद्धारक कारण बनब वा नहि बनब? 17 तैयो प्रभु जकरा जाहि स्थिति मे रखने छथि, परमेश्वर जकरा जाहि स्थिति मे अपना लग बजौने छथि, से ताही प्रकारक जीवन बिताबय। सभ मण्डलीक लेल हम यैह आदेश दैत छी। 18 जँ बजाओल गेलाक समय मे ककरो खतना भऽ चुकल होइक तँ ओ तकरा नहि बदलओ। जँ बजाओल गेलाक समय मे ककरो खतना नहि भेल होइक तँ ओ खतना नहि कराबओ। 19 कारण, ने तँ खतना करयबाक कोनो महत्व अछि आ ने ओकर अभावक। महत्व अछि परमेश्वरक आज्ञा सभक पालन करबाक। 20 हरेक व्यक्ति जाहि स्थिति मे परमेश्वर द्वारा बजाओल गेल छल, ओ ताही मे रहओ। 21 की अहाँ बजाओल जयबाक समय मे ककरो गुलाम छलहुँ? कोनो चिन्ता नहि करू—ओना तँ जँ स्वतन्त्र भेनाइ सम्भव भऽ जाय तँ अवसर सँ फायदा लिअ। 22 हँ, कोनो चिन्ता नहि करू, किएक तँ जे गुलाम भऽ कऽ प्रभु मे अयबाक लेल बजाओल गेल से प्रभुक स्वतन्त्र कयल व्यक्ति भऽ गेल अछि। तहिना जे व्यक्ति स्वतन्त्र रहि कऽ बजाओल गेल से मसीहक गुलाम भऽ गेल अछि। 23 अहाँ सभ दाम दऽ कऽ किनल गेल छी, आब मनुष्यक गुलाम नहि बनू। 24 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ प्रत्येक व्यक्ति जाहि स्थिति मे प्रभु लग बजाओल गेलहुँ, परमेश्वरक संग ताही मे रहू। 25 कुमार और कुमारि सभक विषय मे प्रभुक दिस सँ हमरा कोनो आदेश नहि भेटल अछि, तैयो प्रभुक दया सँ विश्वासयोग्य रहि हम अपन विचार दऽ रहल छी। 26 हमर विचार अछि जे आइ-काल्हिक समयक कठिन परिस्थिति मे कोनो मनुष्यक लेल यैह नीक अछि जे ओ जाहि स्थिति मे अछि ताही स्थिति मे रहय। 27 की अहाँ केँ स्त्री छथि? अहाँ हुनका सँ मुक्त होयबाक प्रयत्न नहि करू। की अहाँ केँ स्त्री नहि अछि? तँ अहाँ विवाह करबाक प्रयत्न नहि करू। 28 मुदा जँ अहाँ विवाह करी तँ एहि मे कोनो पाप नहि अछि आ जँ कोनो कुमारि विवाह करय तँ ओ पाप नहि करैत अछि। मुदा जे सभ विवाह करत तकरा सभ केँ सांसारिक जीवन मे कष्ट सहऽ पड़तैक आ हम अहाँ सभ केँ ओहि सँ बँचाबऽ चाहैत छी। 29 यौ भाइ लोकनि, हमर कहबाक अर्थ ई अछि जे समय थोड़बे रहि गेल अछि। आब जकरा स्त्री अछि से एना रहओ जेना स्त्री नहि होअय। 30 जे कनैत अछि से एना रहओ जेना नहि कनैत होअय। जे आनन्द मनबैत अछि से एना रहओ जेना आनन्द नहि मनबैत होअय। जे चीज-वस्तु मोल लैत अछि से एना रहओ जेना ओ चीज ओकर नहि होइक। 31 जे संसारक चीज-वस्तुक उपभोग करैत अछि से एना रहओ जेना ओहि मे लिप्त नहि भऽ गेल होअय, किएक तँ ई संसार जे देखैत छी से समाप्त भऽ रहल अछि। 32 हम चाहैत छी जे अहाँ सभ चिन्ता-मुक्त रहू। अविवाहित पुरुष ई सोचैत प्रभुक सेवा मे व्यस्त रहैत अछि जे “प्रभु केँ कोना प्रसन्नता भेटतनि?” 33 मुदा विवाहित पुरुष ई सोचैत सांसारिक बात सभ मे व्यस्त रहैत अछि जे, “स्त्री केँ कोना प्रसन्न करी?” 34 एहन मनुष्यक मोन दू दिस लागल रहैत छैक। जकरा पति नहि छैक वा जे कुमारि अछि, से एहि इच्छा सँ प्रभुक बात पर ध्यान रखैत अछि जे अपना केँ पूर्ण रूप सँ, तन-मन सँ, प्रभु केँ अर्पण करी। मुदा विवाहिता केँ सांसारिक बात सभक चिन्ता रहैत छैक जे अपना पति केँ कोना प्रसन्न राखी। 35 हम अहाँ सभ केँ ई बात स्वतन्त्रता पर रोक लगयबाक लेल नहि कहि रहल छी, बल्कि अहाँ सभक भलाइक लेल, जाहि सँ अहाँ सभ उचित ढंग सँ रहैत बाधा सँ बाँचि कऽ पूरा मोन सँ प्रभुक सेवाक लेल समर्पित होइ। 36 मुदा जँ ककरो ई बुझाइत होइक जे विवाह नहि कयला सँ ओ अपन विवाहक लेल ठीक कयल गेल लड़कीक लेल उचित नहि कऽ रहल अछि आ आत्मसंयम कयनाइ सेहो कठिन भऽ रहल छैक, आ ई बुझैत होअय जे विवाह कयनाइ उचित होइत, तँ ओ जेना करऽ चाहैत अछि, तेना करय—ओ सभ विवाह कऽ लय। एहि मे पाप नहि अछि। 37 मुदा जकर मोन एहि विषय मे स्थिर भऽ गेल छैक, आ कोनो तरहेँ बाध्य नहि अछि, बल्कि अपन इच्छाक अनुसार चलबाक अधिकारी अछि, आ अपना लेल ठीक भेल कुमारिक संग विवाह नहि करबाक निश्चय कऽ लेने अछि, सेहो ठीक करैत अछि। 38 एहि तरहेँ जे अपना लेल ठीक भेल कुमारिक संग विवाह करैत अछि से ठीक करैत अछि, मुदा जे विवाह नहि करैत अछि से आरो ठीक करैत अछि। 39 जाबत धरि कोनो स्त्रीक पति जीवित अछि ताबत धरि ओ अपन पतिक संग विवाहक बन्हन मे बान्हल अछि। मुदा पतिक मृत्यु भऽ गेला पर ओ स्वतन्त्र भऽ जाइत अछि आ जकरा सँ चाहय विवाह कऽ सकैत अछि, मुदा आवश्यक ई अछि जे विवाह प्रभुक लोक सँ होअय । 40 तैयो जँ ओ ओहिना रहि जाय तँ आरो आनन्दित रहत। ई हमर विचार अछि, आ हमरा विश्वास अछि जे परमेश्वरक आत्मा हमरो संग छथि।
1 आब मूर्ति पर चढ़ाओल गेल बलिक माँसुक सम्बन्ध मे अहाँ सभक प्रश्नक उत्तर—अपना सभ गोटे केँ ज्ञान अछि से हमहूँ सभ मानैत छी। मुदा ज्ञान मोन केँ घमण्ड सँ फुलबैत अछि जखन कि प्रेम उन्नति करबैत अछि। 2 जँ केओ अपना बारे मे बुझैत अछि जे हमरा लग ज्ञान अछि तँ ओकरा एखन धरि असली ज्ञान सँ परिचय नहि छैक। 3 मुदा जे केओ परमेश्वर सँ प्रेम करैत अछि तकरा परमेश्वर जनैत छथिन। 4 तखन मुरुत पर चढ़ाओल बलिक माँसु खयबाक विषय मे—अपना सभ जनैत छी जे मुरुतक पाछाँ कोनो वास्तविकता नहि अछि आ एकेटा परमेश्वर केँ छोड़ि आन कोनो परमेश्वर नहि अछि। 5 आकाश मे आ पृथ्वी पर देवी-देवता कहाबऽ वला सभ होइतो, आ सत्य पुछल जाय तँ एहन “देवी-देवता” आ “प्रभु” बहुत अछि, 6 तैयो अपना सभक लेल एकेटा परमेश्वर छथि, अर्थात् पिता, जिनका सँ सभ किछु उत्पन्न भेल अछि आ जिनका लेल अपना सभ जीबैत छी। आ एकेटा प्रभु छथि, अर्थात् यीशु मसीह, जिनका द्वारा सभ किछु बनाओल गेल अछि आ जिनका द्वारा अपना सभ जीबैत छी। 7 मुदा सभ लोक केँ ई ज्ञान नहि अछि। किछु विश्वासी सभ बितल समय मे मुरुतक पूजाक अभ्यस्त होयबाक कारणेँ एखनो धरि जखन मुरुत पर चढ़ाओल वस्तु खाइत अछि तँ ओकरा प्रसाद मानैत अछि आ ओकर नीक-अधलाह बुझबाक ज्ञान कमजोर रहबाक कारणेँ ओकर मोन ओकरा अशुद्ध ठहरा दैत छैक। 8 भोजनक वस्तु अपना सभ केँ परमेश्वरक नजदीक नहि पहुँचा सकैत अछि। जँ ओकरा नहि खाइ तँ ताहि सँ कोनो हानि नहि होयत आ जँ ओकरा खाइ तँ ओहि सँ कोनो लाभ नहि होयत। 9 मुदा एकर ध्यान राखू, जे अहाँक स्वतन्त्रता कमजोर लोक सभक लेल ठोकर लगबाक कारण नहि बनि जाय। 10 कारण, जँ केओ, जकर नीक-अधलाह बुझबाक ज्ञान कमजोर छैक अहाँ केँ, जकरा एहि बात सभक ज्ञान अछि, देवताक मन्दिर मे भोजन करैत देखय तँ की मूर्ति पर चढ़ाओल बलिक माँसु खयनाइ गलत मानिओ कऽ तकरा खयबाक लेल उत्साहित नहि भऽ जायत? 11 एहि तरहेँ अहाँक ज्ञानक कारणेँ ओ कमजोर भाय, जकरा लेल मसीह मरलाह, नाश भऽ जाइत अछि। 12 जखन अहाँ सभ एना कऽ कऽ अपन भाय सभक कमजोर विवेक केँ हानि पहुँचबैत ओकर विरुद्ध अपराध करैत छी तखन मसीहक विरुद्ध अपराध करैत छी। 13 एहि लेल जँ हमर भोजनक वस्तु हमरा भाय केँ पाप मे खसाओत तँ हम फेर कहियो माँसु नहि खायब, जाहि सँ हम अपना भायक लेल खसबाक कारण नहि बनी।
1 की हम स्वतन्त्र नहि छी? की हम मसीह-दूत नहि छी? की हम अपना सभक प्रभु, यीशु, केँ नहि देखने छी? की अहाँ सभ प्रभुएक शक्ति द्वारा कयल हमर परिश्रमक परिणाम नहि छी? 2 दोसर सभक दृष्टि मे हम मसीह-दूत नहिओ होइ, मुदा अहाँ सभक लेल तँ अवश्य छी, किएक तँ अहाँ सभ अपने एहि बात केँ प्रमाणित करऽ वला “छाप” छी जे हम प्रभुक पठाओल मसीह-दूत छी। 3 हमरा सम्बन्ध मे पूछ-ताछ कयनिहार सभक लेल अपन सफाइ मे हमर यैह उत्तर अछि— 4 की हमरा सभ केँ खयबाक-पिबाक लेल खर्च पयबाक अधिकार नहि अछि? 5 की हमरा सभ केँ ई अधिकार नहि अछि जे हमहूँ सभ कोनो मसीही स्त्री सँ विवाह कऽ कऽ जतऽ जाइ ततऽ संग लऽ जाइ, जेना कि आन मसीह-दूत सभ आ प्रभु यीशुक भाय सभ और पत्रुस करैत छथि? 6 की हम आ बरनबास मात्रे अपन जीवन-निर्वाहक लेल काज करैत रहबाक लेल बाध्य छी? 7 एहन के अछि जे अपने खर्च सँ सेना मे सेवा करैत होअय? के अछि जे अंगूरक बगान लगा कऽ ओकर फल नहि खाइत होअय? के अछि जे भेँड़-बकरी सभ केँ चरबाही कऽ कऽ ओकर दूध नहि पिबैत होअय? 8 की हम मनुष्यक दृष्टिकोण सँ मात्र ई बात कहैत छी? की धर्म-नियम सेहो यैह बात नहि कहैत अछि? 9 किएक तँ मूसा केँ देल गेल धर्म-नियम मे लिखल अछि जे, “दाउन करैत बरदक मुँह मे जाबी नहि लगाउ।” की बरदे सभक लेल परमेश्वर चिन्ता करैत छथि? 10 की ओ अपना सभक लेल ई नहि कहने छथि? हँ, ई निश्चय अपने सभक लेल लिखल गेल अछि। किएक तँ ई उचित अछि जे हऽर जोतऽ वला आ दाउन करऽ वला अपन काज एही आशा मे करय जे हम उपजा-बाड़ीक हिस्सा पायब। 11 जखन हम सभ अहाँ सभक बीच आत्मिक बीया बाउग कयने छी तँ की अहाँ सभ सँ भोजन-वस्त्र रूपी फसिलक आशा कयनाइ कोनो बड़का बात भेल? 12 जँ दोसर लोक केँ अहाँ सभ सँ एहि तरहेँ सहयोग पयबाक अधिकार छनि तँ की हुनका सभक अपेक्षा हमरे सभ केँ बेसी अधिकार नहि अछि? तैयो हम सभ एहि अधिकारक उपयोग नहि कयने छी। तकरा बदला मे हम सभ केहनो बात सहैत छी जाहि सँ मसीहक शुभ समाचारक प्रभाव मे हमरा सभक द्वारा बाधा नहि पड़य। 13 की अहाँ सभ ई नहि जनैत छी जे मन्दिर मे सेवा कयनिहार लोक मन्दिर सँ भोजन पबैत छथि आ बलि-वेदीक कार्य कयनिहार लोक वेदी परक बलिक हिस्सेदार रहैत छथि? 14 एही तरहेँ प्रभु ई व्यवस्था कयलनि जे शुभ समाचारक प्रचार कयनिहार लोक शुभ समाचारक प्रचारक काज द्वारा अपन जीविका चलयबाक लेल खर्च पाबय। 15 मुदा हम एहि अधिकार सभ मे सँ एकोटाक प्रयोग नहि कयलहुँ। हम ई बात सभ एहि लेल नहि लिखि रहल छी जे आब हमरा लेल ई सभ कयल जाय। हम भलेही मरि जाइ, मुदा केओ हमरा एहि गौरव सँ वंचित नहि करय जे हम बिनु किछु पौने शुभ समाचार सुनौलहुँ। 16 हम एहि बात पर गौरव नहि करैत छी जे हम शुभ समाचारक प्रचार करैत छी। हमरा तँ सैह करबाक अछि। धिक्कार हमरा, जँ हम शुभ समाचारक प्रचार नहि करी! 17 जँ हम अपने सँ प्रचारक काज चुनि कऽ करितहुँ तँ हमरा पुरस्कारक आशा होइत। मुदा हम अपने इच्छा सँ नहि करैत छी, बल्कि हमरा जाहि काजक जिम्मा देल गेल अछि, बस, तकरे पूरा कऽ रहल छी। 18 तँ फेर की अछि हमर पुरस्कार? ओ यैह अछि जे हम प्रभु यीशुक शुभ समाचारक प्रचार बिनु पारिश्रमिक लऽ करी आ ओहि सँ सम्बन्धित अधिकार अपना लेल उपयोग मे नहि लाबी। 19 हम ककरो बन्हन मे नहि, स्वतन्त्रे छी, तैयो हम अपना केँ सभक गुलाम बना लेने छी जाहि सँ हम बेसी सँ बेसी लोक केँ प्रभु लग आनि सकी। 20 यहूदी सभक बीच हम यहूदी सनक बनि गेलहुँ जाहि सँ यहूदी सभ केँ प्रभु लग आनि सकी। जे लोक सभ मूसाक धर्म-नियमक अधीन अछि, तकरा सभक बीच हम धर्म-नियमक अधीन नहिओ रहैत स्वयं धर्म-नियमक अधीन सनक बनि गेलहुँ जाहि सँ धर्म-नियमक अधीन मे रहऽ वला लोक सभ केँ प्रभु लग आनि सकी। 21 जाहि समाजक लोक लग मूसाक धर्म-नियम नहि अछि तकरा सभ केँ प्रभु लग अनबाक लेल हम ओकरे सभ सनक बनि गेलहुँ, ओना तँ हम मसीहक नियमक अधीन रहबाक कारणेँ वास्तव मे परमेश्वरक नियम सँ स्वतन्त्र नहि छी। 22 हम दुर्बल सभक बीच दुर्बल बनि गेलहुँ जाहि सँ हम ओकरा सभ केँ प्रभु लग आनि सकी। हम सभक लेल सभ किछु बनि गेल छी जाहि सँ कोनो ने कोनो तरहेँ हम किछु लोक केँ बँचा सकी। 23 हम ई सभ बात शुभ समाचारक प्रभाव केँ बढ़यबाक लेल करैत छी जाहि सँ शुभ समाचारक आशिष मे हम सहभागी बनि जाइ। 24 की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे दौड़ प्रतियोगिता मे सभ प्रतियोगी दौड़ैत अछि, मुदा पुरस्कार मात्र एके गोटे केँ भेटैत छैक? तेँ अहाँ सभ एहि तरहेँ दौड़ू जे पुरस्कार प्राप्त करी। 25 खेल प्रतियोगिता मे भाग लेबऽ वला खेलाड़ी सभ प्रत्येक बातक संयम रखैत अछि। ओ सभ ओहन जय-माला पयबाक लेल ई सभ करैत अछि जे टिकत नहि, मुदा अपना सभ अविनाशी मुकुट पयबाक लेल एना करैत छी। 26 एहि लेल हम एहन खेलाड़ी जकाँ छी जे सामने राखल लक्ष्य पर सँ नजरि नहि हटा कऽ दौड़ैत अछि। हम एहन मुक्केबाजीक खेलाड़ी जकाँ नहि छी जे हवे मे मुक्का मारैत अछि। 27 हम अपना शरीर केँ कष्ट दऽ कऽ वश मे रखैत छी। नहि तँ कतौ एना नहि भऽ जाय जे दोसर लोक केँ उपदेश देलाक बाद हम स्वयं पुरस्कार पयबाक लेल अयोग्य ठहरी।
1 तेँ, यौ भाइ लोकनि, हम चाहैत छी जे अहाँ सभ अपना सभक प्राचीन समयक पुरखा लोकनिक बारे मे बुझी जे, जे सभ मूसाक संग मिस्र देश सँ निकललाह ओ सभ गोटे ओहि मेघक छाया मे चललाह जे रस्ता देखबैत संग-संग चलैत छलनि, आ ओ सभ केओ लाल सागरक बीच बाटे पार भेलाह। 2 एहि तरहेँ बुझल जा सकैत अछि जे ओ सभ केओ ओहि मेघक छाया मे चलि कऽ आ मूसाक पाछाँ समुद्र मे जा कऽ एहि रूप मे “बपतिस्मा” स्वीकार करैत मूसा मे सहभागी बनलाह। 3 सभ केओ एके प्रकारक आत्मिक भोजन कयलनि, 4 आ एके प्रकारक आत्मिक जल पिलनि, किएक तँ ओ सभ ओहि आत्मिक चट्टान सँ बहऽ वला जल पिबैत छलाह जे हुनका सभक संग-संग चलैत छलनि, और ओ चट्टान छलाह मसीह। 5 ई सभ बात होइतो हुनका सभ मे सँ अधिकांश लोक सँ परमेश्वर अप्रसन्न भेलाह और ओ सभ निर्जन क्षेत्र मे नष्ट भऽ गेल। 6 ई घटना सभ अपना सभक लेल उदाहरणक रूप मे चेतावनी भेल जाहि सँ अपना सभ हुनका सभ जकाँ अधलाह बात सभक लालसा नहि करी। 7 हुनका सभ मे सँ किछु लोक जकाँ अहाँ सभ मूर्तिक पूजा कयनिहार नहि बनू, जिनका सभक विषय मे धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “लोक सभ खयबाक-पिबाक लेल बैसल आ मौज-मजा करबाक लेल उठल।” 8 अपना सभ अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध नहि राखी, जेना कि हुनका सभ मे सँ किछु लोक कयलनि आ एके दिन मे तेइस हजार मरि गेलाह। 9 अपना सभ प्रभुक परीक्षा नहि करियनि, जेना कि हुनका सभ मे सँ किछु लोक कयलनि आ साँप सभक कटनाइ सँ मारल गेलाह। 10 अहाँ सभ कुड़बुड़ाउ नहि, जेना कि हुनका सभ मे सँ किछु लोक कयलनि आ विनाशक दूत द्वारा मारल गेलाह। 11 ई सभ घटना उदाहरणक लेल हुनका सभ पर बितलनि, आ अपना सभ केँ चेतावनी देबाक लेल लिखल गेल अछि जे सभ संसारक अन्त होमऽ-होमऽ वला समय मे जीबि रहल छी। 12 तेँ जे केओ अपना केँ मजगूत बुझैत अछि से सावधान रहओ जे कहीं खसि ने पड़य। 13 अहाँ सभ कहियो कोनो एहन परीक्षा मे नहि पड़लहुँ जे मनुष्य सभ केँ नहि होइत रहैत अछि। परमेश्वर विश्वासयोग्य छथि। ओ अहाँ सभ केँ एहन परीक्षा मे नहि पड़ऽ देताह जे अहाँ सभक सहनशक्ति सँ बाहर होअय। ओ परीक्षाक समय मे तकरा सहबाक साहस दैत अहाँ सभ केँ पार कऽ निकलबाक उपाय सेहो उपलब्ध करौताह। 14 तेँ, यौ हमर प्रिय भाइ लोकनि, अहाँ सभ मूर्तिक पूजा कयनाइ सँ दूर रहू। 15 हम अहाँ सभ केँ समझदार बुझि ई बात कहि रहल छी। हम जे कहैत छी तकर अहाँ सभ स्वयं जाँच करू जे ओ सही अछि वा नहि। 16 प्रभु-भोजक ओ आशिषक बाटी, जकरा लेल अपना सभ प्रभु केँ धन्यवाद दैत छी, की ताहि मे सँ पिबैत अपना सभ मसीहक बहाओल खून मे सहभागी नहि छी? आ ओ रोटी, जकरा अपना सभ तोड़ैत छी, की ताहि मे सँ खा कऽ अपना सभ मसीहक देह मे सहभागी नहि छी? 17 रोटी एकेटा अछि, एहि कारणेँ अपना सभ अनेक होइतो एक देह छी, किएक तँ अपना सभ ओहि एकेटा रोटी मे सँ खाइत छी। 18 इस्राएली समाजक बारे मे सोचू—की बलि-भोज खयनिहार लोक ओहि परमेश्वरक सेवा मे सहभागी नहि अछि जिनकर वेदी पर बलि चढ़ाओल गेल अछि? 19 तखन हम कहि की रहल छी? की ई जे मुरुत पर चढ़ाओल वस्तुक कोनो विशेषता अछि? वा की ई जे मुरुतक कोनो महत्व अछि? 20 नहि! हमर कहबाक अर्थ ई अछि जे, जे बलि मुरुत पर चढ़ाओल जाइत अछि से परमेश्वर केँ नहि, बल्कि दुष्टात्मा सभ केँ चढ़ाओल जाइत अछि, आ हम नहि चाहैत छी जे अहाँ सभ दुष्टात्मा सभक सहभागी बनू। 21 अहाँ सभ प्रभुक बाटी आ दुष्टात्मा सभक बाटी, दूनू मे सँ नहि पिबि सकैत छी। अहाँ सभ प्रभुक भोज आ दुष्टात्मा सभक भोज, दूनू मे सहभागी नहि बनि सकैत छी। 22 की अपना सभ प्रभुक मोन मे डाह उत्पन्न कराबऽ चाहैत छी? की अपना सभ हुनका सँ शक्तिशाली छी? 23 “सभ किछु करबाक स्वतन्त्रता अछि”—मुदा सभ किछु हितकर नहि अछि। “सभ किछु करबाक स्वतन्त्रता अछि”—मुदा सभ किछु लाभदायक नहि अछि। 24 सभ केँ अपन नहि, बल्कि दोसर लोकक हितक ध्यान रखबाक चाही। 25 बजार मे जे माँसु बिकाइत अछि तकरा अहाँ निश्चिन्ततापूर्बक खा सकैत छी। ओ माँसु चढ़ाओल अछि वा नहि तकर पूछ-ताछ नहि करऽ लागू, 26 किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे “पृथ्वी आ ओहि परक जे किछु अछि से सभ प्रभुक छनि।” 27 जँ अविश्वासी सभ मे सँ केओ अहाँ केँ निमन्त्रण दय आ अहाँ जाय चाही तँ जाउ आ ओतऽ जे किछु अहाँ केँ परसल जाइत अछि तकरा निश्चिन्ततापूर्बक बिनु कोनो प्रश्न कयने खाउ। 28 मुदा जँ केओ कहय जे, “ओ प्रसाद अछि,” तँ कहनिहारक हितक लेल आ जाहि सँ विवेक केँ हानि नहि पहुँचय ओ वस्तु नहि खाउ। 29 हमर कहबाक अर्थ अहाँक विवेक सँ नहि, बल्कि ओहि दोसर आदमीक विवेक सँ अछि। किएक तँ हमर स्वतन्त्रता दोसराक विवेकक अनुसार किएक दोषी ठहरय? 30 जँ हम धन्यवाद दऽ कऽ भोजन करैत छी तँ जाहि वस्तुक लेल हम परमेश्वर केँ धन्यवाद देने छी ताहि सँ हमर निन्दा किएक होअय? 31 अहाँ सभ खाइ वा पिबी वा जे किछु करी, सभ किछु एहि लेल करू जाहि सँ परमेश्वरक महिमा प्रगट होनि। 32 ककरो ठेस लगबाक कारण नहि बनू, ने यहूदी सभक लेल, ने आन जातिक लेल आ ने परमेश्वरक मण्डलीक लेल। 33 तहिना हमहूँ अपना हितक लेल नहि, बल्कि दोसर लोक सभक हित केँ ध्यान मे राखि कऽ सभ बात मे सभ लोक केँ प्रसन्न करबाक प्रयत्न करैत छी जाहि सँ ओ सभ उद्धार पाबि सकय।
1 जहिना मसीह जेना करैत छथि तेना हमहूँ करैत छी, तहिना हम जेना करैत छी तेना अहूँ सभ करू। 2 हम अहाँ सभक प्रशंसा करैत छी जे अहाँ सभ प्रत्येक बात मे हमर ध्यान रखैत छी आ हमरा सँ जे शिक्षा अहाँ सभ केँ भेटल अछि ताहि मे दृढ़ बनल रहैत छी। 3 मुदा हम चाहैत छी जे अहाँ सभ ई बुझी जे प्रत्येक पुरुषक ⌞प्रमुख, अर्थात्,⌟ “सिर”, मसीह छथि, स्त्रीक “सिर” पुरुष छथि आ मसीहक “सिर” परमेश्वर छथि। 4 कोनो पुरुष जे सिर झाँपि कऽ प्रार्थना करैत अछि वा परमेश्वर सँ भेटल सम्बाद सुनबैत अछि से अपन सिरक अपमान करैत अछि। 5 कोनो स्त्री जे सिर उघाड़ि कऽ प्रार्थना करैत अछि वा परमेश्वर सँ भेटल सम्बाद सुनबैत अछि से अपन सिरक अपमान करैत अछि किएक तँ ओ एहन बात होइत जेना ओ पूरा मूड़ीक केश छिलौने रहैत। 6 कारण, जँ स्त्री अपन सिर नहि झाँपय तँ ओ अपन केश कटबा लओ। मुदा जँ स्त्रीक लेल पूरा मूड़ीक केश कटौनाइ वा छिलौनाइ लाजक बात अछि तँ ओ अपन सिर झाँपओ। 7 पुरुष केँ अपन सिर नहि झँपबाक चाहिऐक, किएक तँ पुरुष परमेश्वरक प्रतिरूप आ हुनकर गौरव अछि। तहिना स्त्री पुरुषक गौरव अछि 8 किएक तँ स्त्री सँ पुरुष नहि बनाओल गेल, बल्कि पुरुष सँ स्त्री, 9 आ स्त्रीक लेल पुरुषक सृष्टि नहि भेल, बल्कि पुरुषक लेल स्त्रीक। 10 एहि कारणेँ, आ स्वर्गदूत सभक कारणेँ सेहो, स्त्रीगण सभ केँ अधिकारक चिन्ह केँ अपना सिर पर रखबाक चाही। 11 तैयो प्रभुक विधानक अनुसार स्त्री आ पुरुष दूनू एक-दोसर पर निर्भर रहैत अछि। 12 कारण, जहिना पुरुष सँ स्त्रीक सृष्टि भेल तहिना पुरुषक जन्म स्त्री सँ होइत अछि आ सभ बातक मूलस्रोत परमेश्वरे छथि। 13 अहीं सभ विचार करू—की ई उचित अछि जे स्त्री बिनु सिर झँपने परमेश्वर सँ प्रार्थना करय? 14 जे स्वभाविक बात सभ अछि, की ताहि सँ अहाँ सभ केँ ई शिक्षा नहि भेटैत अछि जे पुरुषक लेल लम्बा केश रखनाइ लाजक बात अछि? 15 मुदा स्त्रीक लेल लम्बा केश ओकर शोभा छैक। किएक तँ ओकर झापनक रूप मे ओकरा लम्बा केश देल गेल छैक। 16 मुदा जँ केओ एहि विषय मे विवाद करऽ चाहय तँ ओ ई जानि लओ जे ने तँ हमरा सभक बीच कोनो दोसर प्रथा प्रचलित अछि आ ने परमेश्वरक मण्डली सभ मे। 17 जाहि विषय मे हम आब आदेश देबऽ जा रहल छी ताहि विषय मे हम अहाँ सभक प्रशंसा नहि करैत छी, किएक तँ अहाँ सभक एक ठाम जमा भेनाइ सँ लाभ नहि, बल्कि हानि होइत अछि। 18 पहिल बात ई—हम सुनैत छी जे जहिया-जहिया अहाँ सभ मण्डलीक रूप मे जमा होइत छी तहिया-तहिया अहाँ सभक बीच दलबन्दी स्पष्ट भऽ जाइत अछि। हम किछु सीमा तक एहि बातक विश्वासो करैत छी। 19 अहाँ सभ मे फूट होयब एक प्रकार सँ आवश्यको अछि जाहि सँ ई स्पष्ट भऽ जाय जे अहाँ सभ मे सँ योग्य व्यक्ति के सभ छी। 20 अहाँ सभ जखन एक ठाम जमा होइत छी, तँ जाहि तरहेँ खाइत छी तकरा प्रभु-भोज नहि कहल जा सकैत अछि, 21 किएक तँ प्रत्येक व्यक्ति झटपट दोसर सभ सँ पहिने अपने भोजन करऽ मे लागि जाइत छी। एहि तरहेँ केओ भूखल रहि जाइत अछि आ केओ पिबि कऽ माति जाइत अछि। 22 की खयबाक-पिबाक लेल अहाँ सभ केँ अपन-अपन घर नहि अछि? की अहाँ सभ गरीब सभ केँ नीचाँ देखा कऽ परमेश्वरक मण्डली केँ तुच्छ बुझैत छी? हम अहाँ सभ केँ की कहू? की एहि बातक लेल अहाँ सभक प्रशंसा करू? हम किन्नहुँ प्रशंसा नहि करब! 23 कारण, हम अहाँ सभ केँ जे शिक्षा सौंपि देलहुँ, से हम प्रभु सँ पौने छलहुँ, अर्थात्, जाहि राति प्रभु यीशु पकड़बाओल गेलाह, ओहि राति ओ हाथ मे रोटी लेलनि 24 आ परमेश्वर केँ धन्यवाद दऽ कऽ ओहि रोटी केँ तोड़लनि आ कहलनि, “ई हमर देह अछि जे अहाँ सभक लेल देल जा रहल अछि। ई हमर यादगारी मे करू।” 25 एही तरहेँ भोजनक बाद ओ हाथ मे बाटी लेलनि आ कहलनि, “एहि बाटी मे परमेश्वर आ मनुष्यक बीच नव सम्बन्ध स्थापित करऽ वला हमर खून अछि। जहिया-जहिया अहाँ सभ ई पिबी तहिया-तहिया से हमरा यादगारी मे करू।” 26 एहि तरहेँ जहिया कहियो अहाँ सभ ई रोटी खाइत छी आ ई रस पिबैत छी तँ प्रभुक अयबाक दिन धरि अहाँ सभ हुनकर मृत्युक प्रचार करैत छी। 27 तेँ जे केओ अनुचित रीति सँ प्रभुक ई रोटी खाइत अछि आ प्रभुक ई रस पिबैत अछि से प्रभुक देह आ खूनक सम्बन्ध मे दोषी ठहरत। 28 एहि लेल प्रत्येक मनुष्य अपना केँ जाँचओ, तकरबादे एहि रोटी मे सँ खाओ आ एहि बाटी मे सँ पिबओ। 29 किएक तँ जे केओ ई बात बिनु चिन्हने जे प्रभुक देह की अछि एहि मे सँ खाइत आ पिबैत अछि से खाइत-पिबैत अपना पर परमेश्वरक दण्ड लऽ अनैत अछि। 30 यैह कारण अछि जे अहाँ सभक बीच बहुतो लोक कमजोर आ रोगी अछि और किछु मरिओ गेल अछि । 31 जँ अपना सभ स्वयं अपना केँ ठीक सँ जँचितहुँ तँ दण्डक भागी नहि होइतहुँ। 32 मुदा प्रभु जखन अपना सभ केँ सजाय दैत छथि तँ अपना सभ केँ सुधारबाक लेल दैत छथि जाहि सँ अपना सभ संसारक संग दण्डक भागी नहि बनी। 33 एहि लेल, यौ हमर भाइ लोकनि, अहाँ सभ जखन भोजन करबाक लेल जमा होइत छी तँ एक-दोसराक लेल ठहरू। 34 जँ केओ भूखल होइ तँ अपना घरे मे खा लिअ जाहि सँ अहाँ सभक जमा भेनाइ दण्डक कारण नहि बनय। आरो बात सभक निपटारा हम अयला पर करब।
1 यौ भाइ लोकनि, हम चाहैत छी जे अहाँ सभ आत्मिक वरदान सभक विषय मे ठीक सँ बुझी। 2 अहाँ सभ केँ बुझले अछि जे जखन अहाँ सभ प्रभु सँ अपरिचित छलहुँ तखन कोनो ने कोनो तरहेँ प्रभावित भऽ अहाँ सभ बौक मुरुत सभक दिस भटकाओल जाइत छलहुँ। 3 एहि लेल हम अहाँ सभ केँ कहि दैत छी जे परमेश्वरक आत्माक प्रेरणा सँ बाजऽ वला केओ एना नहि कहैत अछि जे, “यीशु सरापित होओ” आ ने पवित्र आत्माक प्रेरणा बिना केओ ई कहि सकैत अछि जे, “यीशुए प्रभु छथि।” 4 वरदान विभिन्न प्रकारक अछि मुदा वरदान देबऽ वला पवित्र आत्मा एकेटा छथि। 5 सेवाक काज सेहो अनेक प्रकारक अछि मुदा एकेटा प्रभु छथि जिनकर सेवा कयल जाइत अछि। 6 काज अनेक तरीका सँ होइत अछि मुदा सभ लोक मे एकेटा परमेश्वर ओहि सभ काज मे क्रियाशील छथि। 7 सभक हितक लेल एक-एक व्यक्ति मे पवित्र आत्माक उपस्थिति कोनो ने कोनो रूप मे प्रगट कयल जाइत अछि। 8 पवित्र आत्मा द्वारा किनको बुद्धिपूर्ण बात बजबाक आ किनको ओही पवित्र आत्मा द्वारा ज्ञानक बात बजबाक वरदान भेटैत अछि। 9 किनको ओही पवित्र आत्मा द्वारा विशेष विश्वास आ किनको ओही पवित्र आत्मा द्वारा बिमार लोक केँ स्वस्थ करबाक वरदान सभ देल जाइत अछि, 10 किनको चमत्कारक काज सभ करबाक वरदान, किनको प्रभुक दिस सँ सम्बाद पयबाक आ सुनयबाक वरदान, किनको ई चिन्हबाक वरदान जे कोनो बात परमेश्वरक आत्माक दिस सँ अछि वा दोसर आत्माक दिस सँ, किनको अनजान भाषा बजबाक वरदान आ किनको ओहि भाषा सभक अर्थ बुझयबाक वरदान देल जाइत अछि। 11 ई सभ ओही एक पवित्र आत्माक काज छनि जे अपन इच्छाक अनुसार एक-एक व्यक्ति केँ वरदान बँटैत छथि। 12 जहिना मनुष्यक शरीर एक अछि, मुदा तैयो ओकर बहुत अंग होइत अछि आ सभ अंग अनेक होइतो एकेटा शरीर अछि, तहिना मसीह सेहो छथि। 13 किएक तँ, अपना सभ यहूदी होइ वा यूनानी, गुलाम होइ वा स्वतन्त्र, एके शरीर होयबाक लेल अपना सभ गोटे केँ एके पवित्र आत्मा द्वारा बपतिस्मा देल गेल अछि। सभ केँ एके पवित्र आत्मा पिआओल गेल छथि। 14 शरीर मे सेहो एक नहि, अनेक अंग अछि। 15 जँ पयर कहय, “हम हाथ नहि छी, एहि लेल हम शरीरक अंग नहि छी,” तँ की ओ एहि कारणेँ शरीरक अंग नहि भेल? 16 जँ कान कहय, “हम आँखि नहि छी, एहि लेल हम शरीरक अंग नहि छी,” तँ की एहि कारणेँ ओ शरीरक अंग नहि भेल? 17 जँ सम्पूर्ण शरीर आँखिए होइत तँ ओ सुनैत कोना? जँ सम्पूर्ण शरीर काने होइत तँ ओ सुँघैत कोना? 18 मुदा परमेश्वर अपन इच्छाक अनुसार प्रत्येक अंग केँ शरीर मे अपन स्थान पर राखि देने छथि। 19 जँ सभ एकेटा अंग रहैत तँ शरीर कोना होइत? 20 मुदा वास्तविकता ई अछि जे अंग अनेक अछि, तैयो शरीर एक अछि। 21 आँखि हाथ केँ नहि कहि सकैत अछि जे, “हमरा तोहर आवश्यकता नहि,” आ ने मूड़ी पयर केँ कहि सकैत अछि जे, “हमरा तोहर आवश्यकता नहि।” 22 उल्टे, शरीरक जे-जे अंग कम महत्वक बुझल जाइत अछि से सभ अत्यन्त आवश्यक अछि। 23 शरीरक जाहि-जाहि अंग केँ अपना सभ कम आदरक योग्य बुझैत छी तकरे सभ पर विशेष ध्यान दैत छी। जे-जे अंग अशोभनीय अछि तकरा झाँपि कऽ शोभनीय बनबैत छी 24 मुदा अपना सभक शोभनीय अंग सभक लेल एकर आवश्यकता नहि होइत अछि। परमेश्वर अपना सभक शरीरक अंग केँ एना कऽ जोड़ि देने छथि जाहि सँ कम आदरणीय अंग सभ केँ विशेष आदर भेटैक 25 आ शरीर मे फूट उत्पन्न नहि होअय, बल्कि शरीरक सभ अंग एक-दोसराक बराबरि-बराबरि चिन्ता करय। 26 जँ एक अंग केँ पीड़ा होइत छैक तँ ओकरा संग सभ अंग केँ पीड़ा होइत छैक। जँ एक अंग केँ सम्मान होइत छैक तँ ओकरा संग सभ अंग आनन्द मनबैत अछि। 27 एही तरहेँ अहाँ सभ मिलि कऽ मसीहक शरीर छी आ अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक व्यक्ति तकर एक अंग छी। 28 परमेश्वर मण्डली मे सभ केँ अपन-अपन स्थान पर राखि देने छथि—सभ सँ पहिल मसीह-दूत सभ केँ, दोसर, परमेश्वरक प्रवक्ता सभ केँ, तेसर शिक्षा देनिहार सभ केँ, तकरबाद चमत्कारक काज कयनिहार सभ केँ, स्वस्थ करबाक वरदान पौनिहार सभ केँ, दोसराक सहायता करऽ वला सभ केँ, अगुआइ करबाक वरदान पौनिहार सभ केँ और अनजान भाषा बजबाक वरदान पौनिहार सभ केँ। 29 की सभ केओ मसीह-दूत छथि? की सभ केओ परमेश्वरक प्रवक्ता छथि? की सभ केओ शिक्षा देनिहार छथि? की सभ केओ चमत्कारक काज कयनिहार छथि? 30 की सभ केओ स्वस्थ करबाक वरदान पौनिहार छथि? की सभ केओ अनजान भाषा बजनिहार छथि? की सभ केओ अनजान भाषा मे बाजल बातक अर्थ बतौनिहार छथि? 31 अहाँ सभ श्रेष्ठ वरदान सभ पयबाक लेल उत्सुक रहू। मुदा हम आब अहाँ सभ केँ सभ सँ उत्तम तरीका बुझाबऽ चाहैत छी।
1 जँ हम मनुष्य सभक आ स्वर्गदूत सभक भाषा सभ बाजी मुदा हम प्रेम नहि करी तँ हम टनटन करऽ वला घण्टा वा झनझन करऽ वला झालि मात्र छी। 2 जँ परमेश्वर सँ सम्बाद पयबाक और सुनयबाक वरदान हमरा भेटल होअय, जँ सभ रहस्य आ समस्त ज्ञान केँ जानि लेने होइ, आ हमर विश्वास एतेक परिपूर्ण होअय जे पहाड़ सभ केँ सेहो ओकर स्थान सँ हटा सकी, मुदा हम प्रेम नहि करी तँ हम किछु नहि छी। 3 जँ हम अपन सम्पूर्ण सम्पत्ति बाँटि कऽ दान कऽ दी आ अपन शरीर भस्म होयबाक लेल अर्पित करी, मुदा हम प्रेम नहि करी तँ हमरा कोनो लाभ नहि अछि। 4 प्रेम सहनशील आ दयालु होइत अछि। प्रेम डाह नहि करैत अछि, प्रेम अपन बड़ाइ नहि करैत अछि आ ने घमण्ड करैत अछि। 5 प्रेम अभद्र व्यवहार नहि करैत अछि, ओ स्वार्थी नहि अछि, जल्दी सँ खौंझाइत नहि अछि आ ने अपराधक हिसाब रखैत अछि। 6 प्रेम अधर्म सँ प्रसन्न नहि होइत अछि, बल्कि सत्य सँ आनन्दित होइत अछि। 7 प्रेम सभ बात सहन करैत अछि, सभ स्थिति मे विश्वास रखैत अछि, सभ स्थिति मे आशा रखैत अछि आ सभ स्थिति मे लगनशील रहैत अछि। 8 प्रेमक अन्त कहियो नहि होयत। परमेश्वरक दिस सँ सम्बाद पौनाइ समाप्त भऽ जायत, अनजान भाषा सभ बजनाइ बन्द भऽ जायत आ ज्ञान लुप्त भऽ जायत। 9 किएक तँ अपना सभक ज्ञान अपूर्ण अछि आ परमेश्वर सँ सम्बाद पौनाइ आ सुनौनाइ अपूर्ण अछि। 10 मुदा जखन पूर्णता आबि जायत तँ जे अपूर्ण अछि से लुप्त भऽ जायत। 11 जखन हम बच्चा छलहुँ तँ बच्चा जकाँ बजैत छलहुँ, बच्चा जकाँ सोचैत छलहुँ आ बच्चा जकाँ विचार करैत छलहुँ। मुदा पैघ भऽ गेला पर बचकानी बात सभ छोड़ि देलहुँ। 12 तहिना एखन अपना सभ केँ अएना मे धोनाह सन देखाइ दैत अछि, मुदा तखन प्रत्यक्ष देखब। एखन हमर ज्ञान अपूर्ण अछि, मुदा तखन ओही तरहेँ पूर्ण रूप सँ जानब जाहि तरहेँ परमेश्वर पूर्ण रूप सँ हमरा एखनो जनैत छथि। 13 आब विश्वास, आशा आ प्रेम, ई तीनू टिकैत अछि मुदा सभ सँ श्रेष्ठ अछि प्रेम।
1 अहाँ सभ प्रेमक प्रेरणाक अनुसार चलबाक लेल प्रयत्नशील रहू आ आत्मिक वरदान सभक प्राप्तिक लेल उत्सुक रहू, विशेष रूप सँ परमेश्वर सँ सम्बाद पयबाक आ सुनयबाक वरदानक लेल। 2 किएक तँ जे अनजान भाषा मे बजैत अछि से मनुष्य सभ सँ नहि, बल्कि परमेश्वर सँ बजैत अछि। वास्तव मे ओकर बात केओ नहि बुझैत अछि। ओ परमेश्वरक आत्मा द्वारा रहस्यक बात सभ कहैत अछि। 3 मुदा जे परमेश्वर सँ सम्बाद पाबि सुनबैत अछि से लोकक आत्मिक वृद्धिक लेल आ ओकरा सभ केँ प्रोत्साहन आ सान्त्वना देबाक लेल बजैत अछि। 4 अनजान भाषा बजनिहार अपनहि आत्मिक वृद्धि करैत अछि मुदा परमेश्वर सँ पाओल सम्बाद सुनौनिहार मण्डलीक आत्मिक वृद्धि करैत अछि। 5 हम चाहितहुँ जे अहाँ सभ मे सँ सभ केँ अनजान भाषा सभ बजबाक वरदान भेटय, मुदा ताहि सँ बेसी ई चाहितहुँ जे अहाँ सभ मे सँ सभ केँ परमेश्वर सँ सम्बाद पयबाक आ सुनयबाक वरदान भेटय। जँ अनजान भाषा बाजऽ वला स्वयं अपन कहल बातक अर्थ नहि बुझा सकैत अछि तँ ओकरा सँ श्रेष्ठ ओ व्यक्ति अछि जे परमेश्वर सँ भेटल सम्बाद सुनबैत अछि, जाहि सँ मण्डलीक आत्मिक वृद्धि होअय। 6 यौ भाइ लोकनि, जँ हम अहाँ सभक ओतऽ आबि कऽ अनजान भाषा मे बाजी तँ जा धरि अहाँ सभ केँ हम अपना पर प्रगट कयल कोनो सत्य नहि सुनाबी, आ ने कोनो ज्ञानक बात, वा परमेश्वर सँ पाओल कोनो सम्बाद वा कोनो शिक्षाक बात कही, तँ ओहि सँ अहाँ सभ केँ की लाभ होयत? 7 तहिना बाँसुरी वा वीणा सनक निर्जीवो बाजा सँ जँ स्पष्ट धुनि नहि निकलत तँ के कहि सकत जे ओहि सँ की बजाओल जा रहल अछि? 8 फेर जँ सेनाक बिगुल सँ स्पष्ट आवाज नहि निकलत तँ कोन सैनिक अपना केँ लड़ाइक लेल तैयार करत? 9 एही तरहेँ अहूँ सभ, जँ बुझऽ वला भाषा मे नहि बाजब तँ जे बात बाजि रहल छी तकर अर्थ के बुझत? एना कऽ कऽ अहाँ सभ तँ हवा मे बात कयनिहार बनि जायब। 10 एहि संसार मे नहि जानि कतेक प्रकारक भाषा अछि, आ ओहि मे सँ एकोटा बिनु अर्थक नहि अछि। 11 जँ हम ककरो बाजल शब्दक अर्थ नहि बुझि पबैत छी तँ हम बजनिहारक लेल परदेशी छी आ बजनिहार हमरा लेल परदेशी अछि। 12 एहि तरहेँ अहूँ सभ, जे पवित्र आत्माक वरदान सभ पयबाक लेल उत्सुक छी, एही बातक लेल विशेष रूप सँ प्रयत्नशील रहू जे अहाँ सभक वरदानक उपयोगिता सँ मण्डलीक आत्मिक वृद्धि होअय। 13 एहि कारणेँ अनजान भाषा बजनिहार अपन कहल बातक अर्थ सेहो बुझा सकय, तकरा लेल ओ प्रभु सँ विनती करओ। 14 किएक तँ जँ हम अनजान भाषा मे प्रार्थना करैत छी तँ हमर आत्मा तँ प्रार्थना करैत अछि मुदा हमर बुद्धि कोनो काजक नहि होइत अछि। 15 तखन हम की करी? हम अपन आत्मा सँ प्रार्थना तँ करब मुदा अपन बुद्धि सँ सेहो प्रार्थना करब। हम अपन आत्मा सँ स्तुति गायब मुदा अपन बुद्धि सँ सेहो स्तुति गायब। 16 जँ अहाँ मात्र आत्मे सँ, ⌞अर्थात् अनजान भाषा मे,⌟ परमेश्वरक स्तुति कऽ रहल छी तँ ओतऽ उपस्थित लोक सभ मे सँ, जे केओ बुझऽ वला नहि अछि, से अहाँक धन्यवादक प्रार्थनाक बाद कोना कहत जे “हँ, एहिना होअय” किएक तँ ओ नहि जनैत अछि जे अहाँ की कहि रहल छी। 17 अहाँ तँ धन्यवाद बहुत बढ़ियाँ सँ दैत छी मुदा ओहि सँ दोसर व्यक्तिक आत्मिक वृद्धि नहि भऽ रहल अछि। 18 हम परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि जे हम अहाँ सभ गोटे सँ बढ़ि कऽ अनजान भाषा मे बजैत छी। 19 तैयो मण्डली मे अनजान भाषा मे दस हजार शब्द बजबाक अपेक्षा दोसर लोक सभ केँ शिक्षा देबाक लेल पाँचेटा बुझऽ वला शब्द बाजब नीक बुझैत छी। 20 यौ भाइ लोकनि, बच्चा जकाँ सोच-विचार कयनाइ छोड़ि दिअ। हँ, अधलाह बात मे छोट बच्चा बनल रहू, मुदा सोचऽ-विचारऽ मे सेयान बनू। 21 धर्म-नियम मे लिखल अछि, “प्रभुक कथन छनि जे, ‘हम दोसर-दोसर भाषा बाजऽ वला आन देशक लोक द्वारा एहि लोक सभ सँ बात करब। मुदा तखनो ई लोक सभ हमर बात पर ध्यान नहि देत।’” 22 तहिना अनजान भाषा सभ बजबाक वरदान विश्वासी सभक लेल नहि, बल्कि विश्वास केँ अस्वीकार कयनिहार सभक लेल चिन्ह स्वरूप अछि। मुदा परमेश्वर सँ पाओल सम्बाद सुनौनाइ अविश्वासी सभक लेल नहि, बल्कि विश्वासी सभक लेल चिन्ह स्वरूप अछि। 23 जँ समस्त मण्डली एक ठाम जमा भऽ जाय आ अहाँ सभ केओ अनजान भाषा सभ बाजऽ लागी, आ किछु लोक जे प्रभुक बात सँ अपरिचित अछि वा अविश्वासी अछि, भीतर आबि जाय तँ की ओ सभ अहाँ सभ केँ पागल नहि बुझत? 24 मुदा जँ सभ केओ परमेश्वर सँ पाओल सम्बाद सुनबैत रही आ तखन कोनो अविश्वासी वा प्रभुक बात सँ अपरिचित व्यक्ति भीतर प्रवेश करय तँ ओकरा परमेश्वरक सम्बाद सुनौनिहार सभक बात द्वारा अपना पापक अनुभव होयतैक आ ओहि सभ बात द्वारा ओ अपना केँ दोषी बुझत। 25 एहि तरहेँ ओकरा हृदयक गुप्त बात सभ प्रकाश मे आबि जयतैक आ ओ दण्डवत कऽ परमेश्वरक आराधना करैत ई स्वीकार करत जे, “परमेश्वर वास्तव मे अहाँ सभक बीच उपस्थित छथि।” 26 यौ भाइ लोकनि, फेर एकर निष्कर्ष की अछि? जहिया-कहियो अहाँ सभ जमा होइत छी तँ केओ भजन सुनबैत छी, केओ शिक्षा दैत छी, केओ अपना पर प्रगट कयल कोनो सत्य बतबैत छी, केओ अनजान भाषा मे बजैत छी आ केओ तकर अर्थ बुझबैत छी। मुदा ई सभ मण्डलीक आत्मिक वृद्धिक लेल कयल जाय। 27 जँ केओ अनजान भाषा मे बाजय तँ दू वा बेसी सँ बेसी तीन गोटे बेरा-बेरी बाजओ, और केओ ओकर अर्थ बुझाबओ। 28 जँ कोनो अर्थ बुझौनिहार नहि होअय तँ अनजान भाषा बाजऽ वला मण्डली मे चुप रहओ। ओ अपने सँ आ परमेश्वर सँ बाजओ। 29 परमेश्वरक प्रवक्ता सभ मे सँ दू वा तीन गोटे बाजथि आ बाँकी लोक हुनकर सभक बात सभक जाँच करथि। 30 मुदा जँ ओतऽ बैसल लोक सभ मे सँ किनको पर परमेश्वर सँ कोनो सत्य प्रगट भऽ जाय तँ पहिने सँ बाजऽ वला व्यक्ति चुप भऽ जाथि। 31 अहाँ सभ बेरा-बेरी सभ केओ परमेश्वर सँ पाओल सम्बाद सुना सकैत छी जाहि सँ सभ केँ शिक्षा आ प्रोत्साहन भेटय। 32 परमेश्वरक प्रवक्ता सभ केँ अपन आत्मा पर नियन्त्रण छनि, 33 किएक तँ परमेश्वर द्वारा अव्यवस्था नहि उत्पन्न होइत अछि, बल्कि शान्ति। जहिना प्रभुक लोकक सभ मण्डली मे होइत अछि, 34 तहिना अहूँ सभक सभा सभ मे स्त्रीगण सभ केँ चुप रहबाक चाहियनि। हुनका सभ केँ बजबाक अनुमति नहि अछि, बल्कि धर्म-नियमक कथनानुसार ओ सभ अधीनता मे रहथु। 35 जँ ओ सभ कोनो बातक बारे मे बुझऽ चाहैत होथि तँ घर पर अपन-अपन पति सँ पुछथु, किएक तँ मण्डलीक सभा मे स्त्रीगण सभ केँ बजनाइ लाजक बात अछि। 36 आब कहू, की परमेश्वरक वचन अहीं सभ सँ शुरू भेल? वा की ओ अहीं सभ तक पहुँचल अछि? 37 जँ केओ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता वा आत्मिक वरदान सँ सम्पन्न बुझैत होअय तँ ओ ई स्वीकार कऽ लओ जे हम जे किछु अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी से प्रभुक आदेश अछि। 38 मुदा जँ केओ एहि पर ध्यान नहि देत तँ ओकरो पर ध्यान नहि देल जयतैक। 39 एहि लेल, यौ भाइ लोकनि, परमेश्वर सँ सम्बाद पयबाक और सुनयबाक लेल उत्सुक रहू मुदा अनजान भाषा सभ मे बाजऽ वला सभ केँ रोकू नहि। 40 सभ किछु उचित आ व्यवस्थित ढंग सँ कयल जाय।
1 यौ भाइ लोकनि, आब हम अहाँ सभ केँ ओहि सुसमाचारक स्मरण करबैत छी जकर प्रचार हम अहाँ सभक बीच कयने छलहुँ, जकरा अहाँ सभ मानि लेलहुँ आ जाहि पर अहाँ सभक विश्वास आधारित अछि। 2 जँ अहाँ सभ ओहि वचन पर अटल रहैत छी जे हम अहाँ सभ केँ सुनौने छी, तँ एहि सुसमाचार द्वारा अहाँ सभक उद्धार अछि। नहि तँ अहाँ सभक विश्वास कयनाइ व्यर्थ भेल। 3 कारण, जे बात हमरा भेटल तकरा हम मुख्य सत्यक रूप मे अहाँ सभ लग पहुँचा देलहुँ, अर्थात् ई जे, मसीह धर्मशास्त्रक भविष्यवाणीक अनुसार अपना सभक पापक प्रायश्चित्तक लेल मरलाह, 4 गाड़ल गेलाह, धर्मशास्त्रक भविष्यवाणीक अनुसार तेसर दिन जिआओल गेलाह 5 आ पत्रुस केँ देखाइ देलथिन आ तखन बारहो मसीह-दूतक समूह केँ सेहो। 6 तकरबाद ओ एके समय मे पाँच सय सँ बेसी भाइ सभ केँ देखाइ देलथिन। ओहि मे सँ अधिकांश आइओ जीवित अछि, ओना तँ किछु लोक मरिओ गेल अछि । 7 बाद मे ओ याकूब केँ आ फेर सभ मसीह-दूत लोकनि केँ देखाइ देलथिन, 8 आ अन्त मे हमरो देखाइ देलनि, मानू जे हम असमयक जन्मल लोक छी। 9 हम ई एहि लेल कहलहुँ जे हम मसीह-दूत सभ मे सभ सँ छोट छी आ मसीह-दूत कहयबा जोगरक सेहो नहि छी, कारण हम परमेश्वरक मण्डली पर अत्याचार कयने छी। 10 मुदा हम जे किछु छी से परमेश्वरक कृपा सँ छी आ हमरा पर जे हुनका द्वारा कृपा कयल गेल से व्यर्थ नहि भेल। हम आन सभ मसीह-दूत सँ बढ़ि कऽ परिश्रम कयलहुँ—ओना तँ हम नहि कयलहुँ, बल्कि ई परमेश्वरक ओहि कृपा द्वारा भेल जे हमरा पर रहल। 11 चाहे हम होइ वा ओ सभ होथि, हम सभ केओ एही सुसमाचारक प्रचार करैत छी आ एही पर अहाँ सभ विश्वास कयने छी। 12 मुदा जँ मसीहक विषय मे हम सभ प्रचार करैत छी जे ओ मृत्यु सँ जीबि उठाओल गेल छथि तँ अहाँ सभ मे सँ किछु व्यक्ति कोना कहैत छी जे मरल सभ केँ जिआओल नहि जायत? 13 जँ मरल सभ जिआओल नहि जायत तँ मसीहो नहि जिआओल गेल छथि। 14 आ जँ मसीह नहि जिआओल गेल छथि तँ हमरा सभक प्रचार कयनाइ व्यर्थ अछि और अहाँ सभक विश्वास कयनाइ सेहो व्यर्थ अछि। 15 तखन एतबे नहि, हम सभ परमेश्वरक विषय मे झुट्ठा गवाह सेहो ठहरि गेलहुँ, किएक तँ हम सभ परमेश्वरक सम्बन्ध मे ई गवाही देने छी जे ओ मसीह केँ फेर जीवित कयलथिन। मुदा जँ वास्तव मे मरल सभ फेर जिआओल नहि जाइत अछि तँ परमेश्वर मसीह केँ सेहो फेर जीवित नहि कयलथिन। 16 कारण, जँ मरल सभ जिआओल नहि जाइत अछि तँ मसीह सेहो नहि जिआओल गेल छथि। 17 जँ मसीह फेर जिआओल नहि गेल छथि तँ अहाँ सभक विश्वास बेकार अछि आ अहाँ सभ केँ पापक दोष एखनो लागले अछि। 18 एतबे नहि, तखन तँ ओहो लोक, जे सभ मसीह पर विश्वास करैत मरि गेल छथि, तिनको सभक विनाश भेल अछि। 19 जँ मसीह पर अपना सभक आशा मात्र एही जीवन तक सीमित अछि तँ समस्त मनुष्य जाति मे अपने सभक दशा सभ सँ खराब अछि। 20 मुदा मसीह निश्चय जिआओल गेल छथि। हँ, जे सभ मरि गेल छथि तिनका सभ मे सँ ओ “प्रथम फल” भेलाह। 21 किएक तँ जखन मृत्यु एक मनुष्य द्वारा संसार मे आयल तँ एक मनुष्ये द्वारा मुइल सभक जीबि उठनाइ सेहो अछि। 22 जाहि तरहेँ सभ लोक आदम सँ सम्बन्धित भऽ मरैत अछि ताही तरहेँ सभ लोक जे मसीह सँ संयुक्त अछि, जिआओल जायत। 23 मुदा हर एक निर्धारित क्रमक अनुसार अपन-अपन पार पर जिआओल जायत—सभ सँ पहिने मसीह, जे “प्रथम फल” छथि, तकरबाद जखन ओ फेर औताह तखन ओ सभ जे हुनकर लोक अछि। 24 तखन एहि संसारक अन्त भऽ जायत आ मसीह सभ प्रकारक शासन, अधिकार आ सामर्थ्य केँ समाप्त कऽ अपन राज्य पिता परमेश्वरक हाथ मे सौंपि देथिन। 25 किएक तँ जाबत तक मसीह अपन सभ शत्रु केँ पयरक तर मे नहि कऽ लेथि, ताबत तक हुनका राज्य कयनाइ आवश्यक छनि। 26 ओहि मे अन्तिम नष्ट होमऽ वला शत्रु अछि मृत्यु। 27 किएक तँ धर्मशास्त्रक कथन अछि जे, “ओ सभ किछु हुनकर पयरक तर मे कयने छथि।” जखन ई कहल गेल जे “सभ किछु” हुनकर अधीन कयल गेल अछि तखन एहि कथन मे निःसन्देह परमेश्वर केँ छोड़ि देल गेल छनि। वैह तँ सभ किछु मसीहक अधीन कयने छथिन। 28 जखन सभ किछु पुत्रक अधीन कऽ देल जायत तखन पुत्र स्वयं तिनकर अधीन भऽ जयताह जे सभ किछु पुत्रक अधीन कऽ देलनि, जाहि सँ सभ बात मे परमेश्वरे सभ किछु रहथि। 29 जँ ई सभ बात होमऽ वला नहि अछि तँ जे व्यक्ति सभ मरल सभक लेल बपतिस्मा लैत अछि से की करत? जँ मरल सभ जिआओले नहि जाइत अछि तँ फेर तकरा सभक लेल लोक बपतिस्मा किएक लैत अछि? 30 आ हमहूँ सभ किएक प्रति क्षण संकटक सामना करैत छी? 31 सभ दिन हम मृत्युक सामना करैत छी। हँ, यौ भाइ लोकनि, ई ततेक निश्चित अछि जतेक निश्चित इहो अछि जे अहाँ सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह मे हमर गौरव छी। 32 जँ हम इफिसुस मे हिंसक पशु सभ सँ लड़लहुँ तँ मनुष्यक दृष्टिकोण सँ हमरा की लाभ भेल? जँ मरल सभ जिआओल नहि जायत तँ, “आउ, खाइ आ पिबी, किएक तँ काल्हि तँ मरहेक अछि।” 33 धोखा नहि खाउ—”अधलाह संगति नीक चरित्र केँ भ्रष्ट कऽ दैत अछि।” 34 सही काज करबाक लेल होश मे आउ आ पाप कयनाइ छोड़ि दिअ। अहाँ सभ मे किछु लोक परमेश्वरक सम्बन्ध मे एकदम अनजान छी। ई अहाँ सभक लेल लाजक बात होयबाक चाही। 35 मुदा आब केओ ई पुछत जे, “मरल सभ कोना जिआओल जायत? ओ सभ केहन शरीर धारण कऽ कऽ आओत?” 36 ई प्रश्नो मूर्खताक बात अछि! अहूँ जे कोनो बीया बाउग करैत छी से बिनु मरने कहाँ जीवित होइत अछि? 37 अहाँ जे बाउग करैत छी से बाद मे जाहि रूपक होयतैक ताहि रूप मे बाउग नहि करैत छी, बल्कि मात्र बीया बाउग करैत छी—ओ गहुमक होअय वा कोनो आन अनाजक। 38 मुदा परमेश्वर अपन इच्छाक अनुसार ओकरा कोनो रूप प्रदान करैत छथि—प्रत्येक बीया केँ ओकर अपन अलग रूपक गाछ होइत अछि। 39 सभ प्राणी केँ एक समानक शरीर नहि होइत अछि। मनुष्यक शरीर एक प्रकारक होइत अछि, पशुक शरीर दोसर प्रकारक, चिड़ै सभक फेर दोसर और माछ सभक दोसर प्रकारक होइत अछि। 40 स्वर्गिक शरीर होइत अछि आ पृथ्वी वला शरीर सेहो होइत अछि, मुदा स्वर्गिक शरीरक शोभा एक प्रकारक अछि आ पृथ्वी वलाक शोभा दोसर प्रकारक। 41 सूर्यक शोभा एक प्रकारक होइत अछि, चन्द्रमाक शोभा दोसर प्रकारक आ तरेगन सभक शोभा आन प्रकारक, एतऽ तक जे एक ताराक शोभा दोसर ताराक शोभा सँ भिन्न होइत अछि। 42 मरल सभक जीबि उठनाइ सेहो एहने बात अछि। जे शरीर मृत्यु द्वारा “बाउग कयल जाइत अछि” से मरऽ आ सड़ऽ वला अछि। जखन जिआओल जाइत अछि तँ मरैत आ सरैत नहि अछि। 43 अनादरपूर्ण दशा मे “बाउग कयल जाइत अछि,” महिमा सँ मण्डित भऽ जिआओल जाइत अछि। कमजोर दशा मे “बाउग कयल जाइत अछि”, जिआओल जा कऽ सामर्थी होइत अछि। 44 जे शरीर “बाउग कयल जाइत अछि” से प्राकृतिक वस्तु अछि आ जखन जिआओल जाइत अछि तँ ओ आत्मिक वस्तु अछि। जँ प्राकृतिक शरीर होइत अछि तँ आत्मिक शरीर सेहो होइत अछि। 45 धर्मशास्त्रक लेख सेहो यैह अछि जे, “पहिल मनुष्य, आदम, जीवित प्राणी बनि गेल।” “अन्तिम आदम”, अर्थात् मसीह, जीवनदायक आत्मा बनलाह। 46 पहिने आत्मिक बात नहि, बल्कि प्राकृतिक बात आयल, तकरबादे आत्मिक बात। 47 पहिल मनुष्य माटिक बनल छल, पृथ्वी सँ छल, मुदा दोसर मनुष्य स्वर्ग सँ छथि। 48 पृथ्वी वला ओ मनुष्य जेहन छल तेहने ओ सभ लोक अछि जे पृथ्वी पर रहैत अछि आ स्वर्ग सँ आयल ओ मनुष्य जेहन छथि तेहने ओ सभ लोक होयत जे स्वर्ग मे रहत। 49 अपना सभ जहिना पृथ्वी वला मनुष्यक रूप धारण कयने छी तहिना स्वर्ग वला मनुष्यक रूप सेहो धारण करब। 50 यौ भाइ लोकनि, हमर कहबाक तात्पर्य ई अछि जे, माँसु आ खून वला शरीर परमेश्वरक राज्य मे प्रवेश करबाक अधिकारी नहि भऽ सकैत अछि। जे किछु विनाश होमऽ वला अछि से तकरा पयबाक अधिकारी नहि भऽ सकैत अछि जे अविनाशी अछि। 51 सुनू, हम अहाँ सभ केँ एकटा बात कहैत छी जे पहिने गुप्त राखल गेल छल—अपना सभ मे सँ सभ केओ नहि मरब, मुदा सभ बदलि देल जायब। 52 ई एक क्षण मे, पलक मारिते, धुतहूक अन्तिम आवाज होइते भऽ जायत। किएक तँ धुतहू बाजत, मरल सभ अविनाशी भऽ जीवित कयल जायत आ अपना सभ बदलि देल जायब। 53 ई आवश्यक अछि जे, जे सड़ऽ वला अछि से एहन रूप धारण करय जे नहि सरैत अछि, जे मरऽ वला अछि, से एहन रूप धारण करय जे नहि मरैत अछि। 54 जखन ई नाश होमऽ वला शरीर अविनाशी वला केँ, आ ई मरणशील शरीर अमरता केँ धारण कऽ लेत तखन धर्मशास्त्रक ई बात पूरा भऽ जायत जे, “मृत्यु पर विजय भऽ गेल अछि! ओ आब समाप्त भेल।” 55 “हे मृत्यु, तोहर विजय कतऽ छौक? 2 हे मृत्यु, कतऽ छौक तोहर डंक?” 56 पाप अछि मृत्युक डंक, आ पाप धर्म-नियमक आधार पर मृत्युक कारण बनैत अछि। 57 मुदा परमेश्वर केँ धन्यवाद होनि! ओ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह द्वारा अपना सभ केँ विजय प्रदान करैत छथि। 58 एहि लेल, यौ प्रिय भाइ लोकनि, स्थिर और अटल बनल रहू। अपना केँ पूर्ण रूप सँ प्रभुक काजक लेल सदत समर्पित कयने रहू, किएक तँ अहाँ सभ जनैत छी जे अहाँ सभक परिश्रम प्रभु मे व्यर्थ नहि अछि।
1 आब प्रभुक लोकक लेल चन्दा जमा करबाक सम्बन्ध मे हम ई कहऽ चाहैत छी जे, अहूँ सभ ओहिना करू जेना हम गलातिया प्रदेशक मण्डली सभ केँ कहि देने छी। 2 सप्ताहक पहिल दिन मे प्रत्येक व्यक्ति अपन कमाइक अनुसार किछु अलग कऽ कऽ जमा करैत जाय। एहि तरहेँ हमरा पहुँचला पर चन्दा जमा करबाक आवश्यकता नहि रहत। 3 जखन हम आयब तँ जकरा सभ केँ अहाँ सभ उपयुक्त बुझब तकरा सभ केँ हम परिचय-पत्र दऽ कऽ अहाँ सभ द्वारा जमा कयल दान यरूशलेम पहुँचयबाक लेल पठा देबैक। 4 आ जँ यैह उचित बुझायत जे हमहूँ जाइ तँ ओ सभ हमरा संग जायत। 5 हम मकिदुनिया प्रदेश दऽ कऽ अहाँ सभक ओतऽ आयब, कारण हमरा मकिदुनियाक यात्रा करबाक कार्यक्रम अछि। 6 सम्भव अछि जे हम अहाँ सभक संग विशेष दिन ठहरी वा जाड़क समय सेहो बिताबी, जाहि सँ ओतऽ सँ हमरा जाहिठाम जयबाक रहत ताहिठामक लेल अहाँ सभ हमरा जयबाक प्रबन्ध कऽ सकी। 7 हम अहाँ सभ सँ एखन रस्ते मे भेँट नहि करऽ चाहैत छी, बल्कि, जँ प्रभुक इच्छा होयतनि, तँ हमरा बेसी दिन तक अहाँ सभक संग रहबाक आशा अछि। 8 मुदा हम पेन्तेकुस्त पाबनि धरि इफिसुसे मे रहब, 9 किएक तँ एतऽ फलदायक काजक लेल हमरा आगाँ एक विशाल द्वारि खुजल अछि, आ बहुत विरोधी सभ सेहो अछि। 10 जँ तिमुथियुस अबथि तँ हुनकर ध्यान रखबनि जे अहाँ सभक बीच हुनका कोनो प्रकारक भय नहि होनि कारण हमरे जकाँ ओहो प्रभुक काज कऽ रहल छथि। 11 एहि लेल केओ हुनका तुच्छ नहि बुझनि। हुनका आशीर्वाद दऽ कऽ हमरा लग पठा देबनि। हम बाट ताकि रहल छी जे भाइ सभक संग ओ कहिया आबि जयताह। 12 आब भाइ अपुल्लोसक सम्बन्ध मे—हम हुनका बहुत आग्रह कयलियनि जे भाइ सभक संग ओ अहाँ सभ लग चल जाथि, मुदा एहि समय मे ओ नहि जाय चाहैत छथि। अवसर भेटला पर ओ जयताह। 13 सतर्क रहू, ओहि सिद्धान्त पर अटल रहू जाहि पर अहाँ सभक विश्वास आधारित अछि। साहसी आ मजगूत बनल रहू। 14 जे किछु करी से प्रेम सँ करू। 15 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ स्तेफनासक घरक लोक सभ सँ परिचित छी जे ओ सभ अखाया प्रदेश मे पहिल व्यक्ति सभ छथि जे मसीहक विश्वासी भेलाह आ प्रभुक लोक सभक सेवा मे समर्पित छथि। 16 आब हम अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी जे एहन लोकक अगुआइ स्वीकार करू, आ आनो सभक जे सभ हिनका सभ जकाँ प्रभुक काज मे संग दऽ परिश्रम करैत छथि। 17 स्तेफनास, फूरतुनातुस आ अखइकुस केँ आबि गेला सँ हमरा बहुत प्रसन्नता अछि। अहाँ सभ हमरा संग नहि रहि कऽ जे सहायता नहि कऽ सकलहुँ ताहि कमी केँ ओ सभ पूरा कऽ देलनि। 18 ओ सभ हमरो आ अहूँ सभक मोन केँ प्रोत्साहित कऽ देलनि अछि। एहन लोक सभ केँ विशेष मान्यता दिअ। 19 आसिया प्रदेशक मण्डली सभक दिस सँ अहाँ सभ केँ नमस्कार। अक्विला आ प्रिस्किला आ हुनका घर मे जमा होमऽ वला मण्डली प्रभु मे अहाँ सभ केँ हार्दिक नमस्कार कहैत छथि। 20 एतुका सभ भाइ लोकनि अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। पवित्र मोन सँ एक-दोसर केँ सस्नेह नमस्कार करू। 21 हम, पौलुस, अपन नमस्कार अपने हाथ सँ लिखि रहल छी। 22 जँ केओ प्रभु सँ प्रेम नहि राखय तँ ओ सरापित होअय। हे प्रभु, आउ! 23 प्रभु यीशुक कृपा अहाँ सभ पर बनल रहय। 24 मसीह यीशु मे अहाँ सभ गोटे केँ हमर प्रेम। आमीन।
1 हम पौलुस, जे परमेश्वरक इच्छा सँ मसीह यीशुक एक मसीह-दूत छी, और भाइ तिमुथियुस सेहो, ई पत्र अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी, जे सभ कोरिन्थ नगर मे परमेश्वरक मण्डली छी। आ संगहि समस्त अखाया प्रदेशक हुनकर सभ पवित्र लोक केँ सेहो लिखि रहल छी। 2 अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 3 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक जे परमेश्वर आ पिता छथि, तिनकर स्तुति होनि, जे दया करऽ वला पिता छथि आ सभ प्रकारक सान्त्वना देबऽ वला परमेश्वर छथि। 4 ओ अपना सभ केँ सभ प्रकारक दुःख-तकलीफ मे सान्त्वना दैत छथि जाहि सँ अपनो सभ परमेश्वर सँ प्राप्त एहि सान्त्वना द्वारा सभ प्रकारक दुःख मे पड़ल लोक सभ केँ सान्त्वना दऽ सकिऐक। 5 किएक तँ जाहि तरहेँ मसीहक कष्ट प्रशस्त मात्रा मे अपना सभक जीवन मे अबैत रहैत अछि ताहि तरहेँ मसीह द्वारा सान्त्वना सेहो प्रशस्त मात्रा मे अबैत रहैत अछि। 6 जँ हमरा सभ केँ दुःख-कष्ट भोगऽ पड़ैत अछि तँ ई अहाँ सभक सान्त्वना आ उद्धारक लेल अछि। कारण, जखन हम सभ सान्त्वना पबैत छी तँ से एहि लेल जे हम सभ अहूँ सभ केँ सान्त्वना दऽ सकी, जाहि सँ अहाँ सभ धैर्यपूर्बक ओहि सभ कष्ट केँ सहबाक लेल साहस करी जकरा हमहूँ सभ सहैत छी। 7 अहाँ सभक विषय मे हमरा सभ केँ पूरा विश्वास अछि जे अहाँ सभ स्थिर रहब, किएक तँ हम सभ ई जनैत छी जे जहिना अहाँ सभ कष्ट मे सहभागी छी तहिना सान्त्वना मे सेहो सहभागी छी। 8 यौ भाइ लोकनि, हम सभ अहाँ सभ सँ ई नहि नुकाबऽ चाहैत छी जे आसिया प्रदेश मे हमरा सभ केँ केहन-केहन कष्ट उठाबऽ पड़ल। एहि कष्टक भार एतेक भारी छल जे ओ हमरा सभक सहनशक्तिक सीमा सँ बाहर छल, एतऽ तक जे हमरा सभ केँ जीवित बचबाक कोनो आशा नहि रहि गेल छल। 9 वास्तव मे हमरा सभ केँ एना बुझाइत छल जे आब हमरा सभक मृत्यु निश्चित अछि। ई सभ एहि लेल भेल जे हम सभ अपना पर नहि, बल्कि परमेश्वर पर भरोसा राखी, जे मरल सभ केँ जीवित कऽ दैत छथि। 10 ओ हमरा सभ केँ एहन मृत्युक संकट सँ बचौलनि आ एखनो बँचौताह। हुनका पर हम सभ आशा लगौने छी जे ओ हमरा सभ केँ आबऽ वला समय मे सेहो बचबैत रहताह। 11 एहि बात मे अहूँ सभ प्रार्थना द्वारा हमरा सभक सहायता करैत छी। एहि तरहेँ अनेक लोकक प्रार्थनाक उत्तर मे जे आशिष हमरा सभ केँ भेटत तकरा लेल बहुत लोक हमरा सभक कारणेँ परमेश्वर केँ धन्यवाद देतनि। 12 हमरा सभ केँ एकटा गर्वक बात अछि—हमरा सभक मोन एहि बातक गवाही दैत अछि जे संसार मे हमरा सभक आचरण, आ विशेष रूप सँ अहाँ सभक संग जे व्यवहार कयने छी, से ओहि पवित्रताक संग आ शुद्ध मोन सँ छल जे परमेश्वर सँ भेटैत अछि। हमरा सभक भरोसा सांसारिक बुद्धि पर नहि, बल्कि परमेश्वरक कृपा पर छल। 13 हम सभ तँ अहाँ सभ केँ कोनो एहन बात नहि लिखैत छी जकरा पढ़ला सँ अर्थ नहि बुझल जा सकैत अछि। हमरा आशा अछि जे अहाँ सभ जहिना एखन आंशिक रूप मे हमरा सभ केँ जनैत छी, 14 तहिना पूर्ण रूप सँ ई बात जानी जे जाहि तरहेँ हम सभ प्रभु यीशुक अयबाक दिन मे अहाँ सभ पर गर्व करब ताहि तरहेँ अहाँ सभ हमरो सभ पर गर्व कऽ सकब। 15 हमरा एहि बातक पूरा विश्वास अछि। एहि लेल हम अहाँ सभ केँ दू बेर आशिष पयबाक अवसर देबाक विचार कऽ कऽ पहिने अहीं सभ लग अयबाक निश्चय कयने छलहुँ। 16 हम अहाँ सभक ओतऽ होइत मकिदुनिया प्रदेश जाइ आ फेर मकिदुनिया सँ लौटैत काल अहाँ सभक ओतऽ आबी, से चाहैत छलहुँ, जाहि सँ अहाँ सभ हमरा लेल यहूदिया प्रदेशक यात्राक लेल प्रबन्ध कऽ सकी। 17 हमर निश्चय जँ यैह छल, तँ की हम बिनु कारणेँ अपन विचार बदलि लेलहुँ? की हम सांसारिक लोक सभ जकाँ बात नियारैत छी जे एके समय मे “हँ, हँ” सेहो आ “नहि, नहि” सेहो कही? 18 जाहि तरहेँ परमेश्वर विश्वसनीय छथि ताहि तरहेँ अहाँ सभक प्रति हमर वचन मे कखनो “हँ” आ कखनो “नहि” वला बात नहि अछि। 19 किएक तँ परमेश्वरक पुत्र यीशु मसीह, जिनकर प्रचार अहाँ सभक बीच हम सभ, अर्थात् सिलास, तिमुथियुस आ हम, कयलहुँ, तिनका मे कखनो “हँ” कखनो “नहि” वला बात नहि अछि, बल्कि हुनका मे सदा सँ “हँ” “हँ”ए रहल अछि। 20 परमेश्वर जतेक बात सभ करबाक लेल वचन देने छथि, से सभ बात मसीह मे पूरा होइत अछि, तेँ अपना सभ हुनका द्वारा परमेश्वरक बड़ाइ मे “आमीन, हँ, एहिना होअय” कहैत छी। 21 परमेश्वरे हमरो सभ केँ आ अहूँ सभ केँ मसीह मे स्थिर रखैत छथि। ओ अपना सभक अभिषेक कयने छथि, 22 अपना सभ पर अपन छाप लगौने छथि, बेनाक रूप मे अपन पवित्र आत्मा केँ अपना सभक हृदय मे वास करौने छथि। 23 हम परमेश्वर केँ साक्षी मानि कऽ कहैत छी जे हम एहि लेल दोहरा कऽ कोरिन्थ नगर नहि अयलहुँ जे अहाँ सभ केँ दुःख नहि पहुँचाबी। 24 हम सभ अहाँ सभक विश्वास पर अधिकार नहि जमाबऽ चाहैत छी, बल्कि अहाँ सभक आनन्दक लेल अहाँ सभक संगे-संग काज करऽ वला छी। अहाँ सभ तँ अपना विश्वास मे स्थिर छी।
1 तेँ हम ई निश्चय कऽ लेने छलहुँ जे हम आबि कऽ अहाँ सभ केँ फेर दुःख नहि दी। 2 किएक तँ जँ हम अहाँ सभ केँ दुखी करी तँ हमरा द्वारा दुखी कयल लोक केँ छोड़ि हमरा प्रसन्नता देबाक लेल के रहि जायत? 3 हम ओ पत्र एहि लेल लिखने छलहुँ जे हमरा अयला पर कतौ एना नहि होअय जे जाहि लोक सभ सँ हमरा आनन्द भेटबाक चाही से सभ हमरा दुखी बनाबय, किएक तँ अहाँ सभक विषय मे हमरा ई विश्वास अछि जे हमरा आनन्द मे अहाँ सभ सेहो आनन्दित रहैत छी। 4 हम दुःख सँ भरल मोन सँ भितरी हृदयक वेदना सहैत नोर बहा-बहा कऽ ओ पत्र लिखलहुँ। हम ओ पत्र अहाँ सभ केँ दुःख देबाक लेल नहि लिखलहुँ, बल्कि एहि लेल जे अहाँ सभ ई जानि ली जे हम अहाँ सभ सँ कतेक प्रेम करैत छी। 5 मुदा जँ केओ दुःख देने अछि तँ ओ हमरे नहि, बल्कि बढ़ा-चढ़ा कऽ जँ नहि कहल जाय, तँ किछु मात्रा मे अहाँ सभ गोटे केँ दुःख देने अछि। 6 मण्डली द्वारा ओकरा जे सजाय देल गेलैक सैह ओकरा लेल प्रशस्त अछि। 7 आब तकर बदला मे ओकरा क्षमा कऽ दिऔक आ हिम्मत बढ़बिऔक जाहि सँ एना नहि भऽ जाय जे ओ भारी शोक मे डुबि जाय। 8 एहि लेल हम अहाँ सभ सँ विनती करैत छी जे ओकरा अहाँ सभ अपन प्रेमक प्रत्यक्ष प्रमाण दिऔक। 9 हम एहू लेल अहाँ सभ केँ लिखने छलहुँ जाहि सँ हम जाँचि कऽ बुझि ली जे अहाँ सभ प्रत्येक बात मे आज्ञाकारी छी वा नहि। 10 जकरा अहाँ सभ क्षमा करैत छी तकरा हमहूँ क्षमा करैत छी। जे बात हम क्षमा कयने छी—जँ वास्तव मे कोनो बात क्षमा करबाक छल तँ—से हम अहाँ सभक हितक लेल आ मसीहक उपस्थिति मे कयने छी, 11 जाहि सँ शैतान अपना सभक स्थिति सँ लाभ नहि उठाबय। अपना सभ शैतानक चालि सँ अनजान नहि छी। 12 जखन हम मसीहक शुभ समाचार सुनयबाक लेल त्रोआस नगर अयलहुँ तँ से काज करबाक लेल प्रभु हमरा आगाँ द्वारि खोलि देने छलाह। 13 तैयो हमरा मोन मे चैन नहि छल, किएक तँ हमर भाय तीतुस ओतऽ नहि भेटलाह। तेँ हम ओहिठामक लोक सभ सँ विदा लऽ कऽ मकिदुनिया प्रदेश चल गेलहुँ। 14 मुदा परमेश्वरक धन्यवाद होनि! ओ हमरा सभ केँ मसीहक विजय-जुलूस मे सदत लऽ जाइत छथि आ सभ ठाम मसीहक ज्ञान सुगन्ध जकाँ हमरा सभक द्वारा फैलबैत छथि। 15 किएक तँ उद्धार पाबऽ वला सभक बीच आ नष्ट होमऽ वला सभक बीच हम सभ परमेश्वरक लेल मसीहक सुगन्ध छी। 16 नष्ट होमऽ वला सभक लेल एहन प्राण-घातक दुर्गन्ध छी जे मृत्युक दिस लऽ जाइत अछि, आ उद्धार पाबऽ वला सभक लेल एहन जीवनदायक सुगन्ध छी जे जीवनक दिस लऽ जाइत अछि। के अछि एहि बातक लेल सुयोग्य? 17 हम सभ ओहि अनेको लोक सभ जकाँ नहि छी जे सभ पाइ कमयबाक लेल परमेश्वरक वचनक व्यापार करैत अछि, बल्कि हम सभ परमेश्वर द्वारा पठाओल दूतक रूप मे परमेश्वर केँ उपस्थित मानि कऽ मसीहक सामर्थ्य द्वारा शुद्ध मोन सँ बजैत छी।
1 की हम सभ फेर अपने प्रशंसा करऽ लगलहुँ? की किछु आन लोक सभ जकाँ हमरो सभ केँ एहि बातक आवश्यकता अछि जे सिफारिश-पत्र अहाँ सभ केँ देखाबी अथवा अहाँ सभ सँ लिखाबी? 2 हमरा सभक पत्र तँ अहीं सभ छी जे हमरा सभक हृदय पर लिखल गेल छी आ जकरा सभ केओ देखि आ पढ़ि सकैत अछि। 3 ई स्पष्ट अछि जे अहाँ सभ मसीहक पत्र छी जकरा ओ हमरा सभ सँ लिखबौलनि। ई पत्र मोइस सँ नहि, बल्कि जीवित परमेश्वरक आत्मा सँ, पाथरक पाटी पर नहि, बल्कि मानव हृदयक पाटी पर लिखल गेल अछि। 4 एहन बात कहबाक साहस एहि लेल अछि जे हमरा सभ केँ मसीहक कारणेँ परमेश्वर पर भरोसा अछि। 5 ई नहि, जे हम सभ अपने एतेक योग्य छी जे अपने सँ किछु कऽ सकबाक दावा करी, बल्कि हमरा सभक योग्यता तँ परमेश्वरेक दिस सँ अबैत अछि। 6 वैह हमरा सभ केँ योग्य बनौने छथि, जाहि सँ हम सभ ओहि नव सम्बन्धक विषय मे सुना सकी जे परमेश्वर अपन वचन दऽ कऽ मनुष्यक संग स्थापित कयने छथि। ई नव सम्बन्ध अक्षर सँ लिखल विधान द्वारा स्थापित नहि भेल, बल्कि परमेश्वरक आत्मा द्वारा, किएक तँ अक्षर वला विधान मारैत अछि मुदा आत्मा जीवन दैत छथि। 7 आब सोचू। मूसा केँ देल गेल विधान जे पाथर पर खोधि कऽ लिखल छल से मृत्यु मे लऽ जाइत छल। तैयो ओ एहन महिमाक संग आयल जे मूसाक मुँह सेहो एतेक चमकैत छल जे इस्राएली सभ एकटक लगा कऽ हुनका मुँह दिस नहि देखि सकल, जखन कि ओ चमक तुरत फेर मन्द पड़ऽ लगैत छल। जँ मृत्यु दिआबऽ वला विधान एतेक महिमामय छल, 8 तँ की पवित्र आत्मा दिआबऽ वला विधान ओहि सँ आरो बेसी महिमामय नहि होयत? 9 जखन दोषी ठहराबऽ वला विधान एतेक महिमामय छल तँ की धार्मिक ठहराबऽ वला विधान ओहि सँ बहुत अधिक महिमामय नहि होयत? 10 वास्तव मे, ओ जे पहिने महिमामय छल, तकरा एहि सर्वश्रेष्ठ महिमाक सम्मुख आब कोनो महिमा नहि छैक। 11 किएक तँ जखन नहि टिकऽ वला विधान एतेक महिमामय छल तँ सदा अटल रहऽ वला विधान कतेक आरो महिमामय होयत! 12 हमरा सभक एहने आशा होयबाक कारणेँ हम सभ साहसपूर्बक बजैत छी। 13 हम सभ मूसा जकाँ नहि छी। मूसा तँ अपना मुँह पर परदा रखने रहैत छलाह जाहि सँ इस्राएली लोक सभ लुप्त होमऽ वला चमक पर अन्त तक नजरि नहि टिकौने रहय। 14 मुदा ओकरा सभक मोन कठोर कयल गेल छलैक। आइओ धरि जखन पुरान विधान पढ़ल जाइत अछि तँ वैह परदा लागल रहैत छैक। ओ हटाओल नहि गेल अछि किएक तँ ओकरा मात्र मसीह द्वारा हटाओल जाइत अछि। 15 हँ, आइओ जखन मूसाक धर्म-नियम पढ़ल जाइत अछि तँ ओकरा सभक मोन पर परदा टाँगल रहैत छैक। 16 मुदा जखने केओ प्रभु लग फिरैत अछि तँ ओ परदा हटा देल जाइत अछि। 17 जाहि प्रभु लग फिरबाक अछि, से नव विधानक ओ आत्मा छथि, आ जतऽ प्रभुक आत्मा छथि ततऽ स्वतन्त्रता अछि। 18 मुदा अपना सभक मुँह पर परदा नहि अछि आ जहिना अएना मे देखल जाइत अछि, तहिना अपना सभ प्रभुक महिमाक प्रतिबिम्ब देखैत छी। संगहि अपना सभ क्रमशः बढ़ैत मात्रा मे ओहि महिमामय रूप मे बदलल जाइत छी। ई रूपान्तर प्रभुक, अर्थात् पवित्र आत्माक, काज छनि।
1 एहि लेल, परमेश्वरक दया सँ हमरा सभ केँ ई सेवा-काज भेटबाक कारणेँ हम सभ कखनो साहस नहि छोड़ैत छी। 2 हम सभ ठोस निर्णय लेने छी जे कोनो नीचता वला गुप्त काज नहि करब। हम सभ ने तँ छल-कपट करैत छी आ ने परमेश्वरक वचन मे हेर-फेर करैत छी, बल्कि हम सभ स्पष्ट रूप सँ सत्य प्रस्तुत कऽ कऽ प्रचार करैत छी। एहि सँ प्रत्येक मनुष्य देखि सकैत अछि जे हम सभ परमेश्वर केँ उपस्थित मानि शुद्ध मोन सँ सत्यक प्रचार करैत छी। 3 जँ हमरा सभक सुसमाचार पर परदा पड़ल अछिओ तँ ई परदा तकरे सभक लेल पड़ल अछि जे सभ विनाशक मार्ग पर चलि रहल अछि। 4 शैतान, जे एहि संसारक ईश्वर अछि, से ओहि अविश्वासी सभक बुद्धि केँ आन्हर बना देने छैक जाहि सँ ओ सभ परमेश्वरक प्रतिरूप, जे मसीह छथि, तिनकर महिमाक इजोत जे सुसमाचार द्वारा प्रगट कयल गेल अछि, से नहि देखय। 5 कारण, हम सभ अपन नहि, बल्कि यीशु मसीहक प्रचार करैत छी जे ओ प्रभु छथि। हम सभ यीशुक सेवा मे अहाँ सभक सेवक छी, 6 किएक तँ जे परमेश्वर ई कहलनि जे, “अन्हार मे सँ इजोत चमकओ,” से हमरा सभक मोन मे इजोत चमकौने छथि जाहि सँ हम सभ परमेश्वरक ओ महिमा जानि जाइ जे मसीहक मुँह पर चमकैत छनि। 7 मुदा ई अमूल्य धन माटिक बर्तन सभ मे, अर्थात् हमरा सभ मे, राखल अछि जाहि सँ स्पष्ट होअय जे ई सर्वश्रेष्ठ सामर्थ्य हमरा सभक अपन नहि, बल्कि परमेश्वरक छनि। 8 हमरा सभ पर चारू दिस सँ कष्ट अबैत अछि मुदा हम सभ पिचाइत नहि छी, निरुपाय भऽ जाइत छी मुदा निराश नहि छी। 9 अत्याचार सभ सँ पीड़ित होइत रहैत छी मुदा अपना केँ परमेश्वर द्वारा त्यागल नहि बुझैत छी। खसाओल जाइत छी मुदा नष्ट नहि भऽ जाइत छी। 10 हम सभ सदिखन सभ ठाम अपना शरीर मे यीशुक मृत्यु वला दुःख-भोगक अनुभव करैत छी जाहि सँ यीशुक जीवन सेहो हमरा सभक शरीर मे प्रत्यक्ष होअय, 11 किएक तँ हम सभ जीवित रहितो यीशुक कारणेँ सदिखन मृत्युक हाथ मे सौंपल जाइत छी जाहि सँ हमरा सभक नाशवान शरीर मे यीशुक जीवन प्रगट होअय। 12 एहि तरहेँ हम सभ सदा मृत्युक सामना करैत छी, मुदा तकर परिणाम भेल अहाँ सभक लेल जीवन। 13 धर्मशास्त्र मे केओ कहने अछि, “हम विश्वास कयलहुँ, एहि लेल हम बजलहुँ।” विश्वासक वैह आत्मा हमरो सभ मे होयबाक कारणेँ हमहूँ सभ विश्वास करैत छी आ तेँ बजैत छी, 14 कारण, हम सभ ई जनैत छी जे, ओ जे प्रभु यीशु केँ मृत्यु सँ जिऔलनि, वैह हमरो सभ केँ यीशुक संग जिऔताह, आ अहाँ सभक संग हमरो सभ केँ अपना सम्मुख उपस्थित करताह। 15 ई सभ किछु अहाँ सभक हितक लेल भऽ रहल अछि जाहि सँ आरो-आरो लोकक बीच परमेश्वरक कृपा बढ़ल जयबाक कारणेँ, परमेश्वरक स्तुति मे धन्यवादक प्रार्थना अधिक सँ अधिक बढ़ैत जाय। 16 यैह कारण अछि जे हम सभ साहस नहि छोड़ैत छी। ओना तँ हमरा सभक बाहरी शारीरिक बल घटल जा रहल अछि तैयो हमरा सभक भितरी आत्मिक बल दिन प्रति दिन नव भेल जा रहल अछि। 17 किएक तँ हमरा सभक पल भरिक ई हल्लुक कष्ट हमरा सभक लेल अतुल्य और अनन्त कालीन महिमा तैयार कऽ रहल अछि। 18 तेँ हमरा सभक नजरि ओहि वस्तु सभ पर टिकल नहि अछि जे देखाइ दैत अछि, बल्कि ओहि वस्तु सभ पर जे आँखि सँ नहि देखल जा सकैत अछि, किएक तँ देखाइ पड़ऽ वला वस्तु सभ तँ कनेके काल टिकैत अछि, मुदा जे वस्तु सभ देखल नहि जा सकैत अछि, से अनन्त काल तक बनल रहैत अछि।
1 कारण, अपना सभ जनैत छी जे जँ अपना सभक ई देहरूपी तम्बू, पृथ्वी पर अपना सभक ई डेरा, नष्ट होयत तँ परमेश्वरक दिस सँ अपना सभ केँ स्वर्ग मे एक देहरूपी भवन अछि—अनन्त काल तक रहऽ वला एक एहन “घर” जे मनुष्यक बनाओल नहि अछि। 2 ताबत अपना सभ एहि “तम्बू” मे कुहरैत अपन स्वर्गिक “भवन” केँ वस्त्र जकाँ धारण करबाक लेल लालाइत छी, 3 किएक तँ ओहि “वस्त्र” केँ धारण कयला पर अपना सभ नाङट नहि पाओल जायब। 4 वास्तव मे जाबत धरि अपना सभ एहि “तम्बू” मे छी, अर्थात्, एहि भौतिक शरीर मे, तँ बोझ सँ दबायल कुहरैत छी। कारण, अपना सभ एहि तम्बू केँ उतारऽ चाहैत छी, से बात नहि अछि, मुदा ओहि स्वर्गिक शरीर केँ उपर सँ धारण करऽ चाहैत छी जाहि सँ एहि मरणशील शरीरक स्थान पर अनन्त काल तक जीवित रहऽ वला प्राप्त करी। 5 जे अपना सभक रचना एही अभिप्राय सँ कयलनि से परमेश्वरे छथि आ ओ बेनाक रूप मे अपना सभ मे अपन पवित्र आत्मा वास करौने छथि। 6 एहि लेल हम सभ सदत साहस रखैत छी। हम सभ ई बुझैत छी जे जाबत धरि ई देह हमरा सभक घर अछि ताबत धरि हम सभ प्रभुक लग वला “घर पर” नहि छी। 7 हम सभ तँ आँखि सँ देखल बातक आधार पर नहि, बल्कि विश्वास पर चलैत छी। 8 हँ, हम सभ साहस रखैत छी आ एहि देह सँ अलग भऽ कऽ प्रभुक लग वला “घर पर” रहनाइ केँ सभ सँ उत्तम मानैत छी। 9 तेँ हम सभ चाहे एहि देह मे रही वा एकरा सँ अलग, हमरा सभक एकमात्र लक्ष्य ई अछि जे हम सभ हुनकर प्रसन्नताक अनुसार चलैत रही। 10 किएक तँ अपना सभ गोटे केँ मसीहक न्यायासनक सामने उपस्थित होमऽ पड़त जाहि सँ प्रत्येक व्यक्ति केँ अपना देहधारी जीवन मे कयल नीक अथवा अधलाह काज सभक प्रतिफल भेटैक। 11 हम सभ प्रभुक भय मानैत छी, तेँ लोक सभ केँ समझबैत-बुझबैत रहैत छी। हम सभ की छी से परमेश्वर स्पष्ट रूप सँ जनैत छथि आ हमरा आशा अछि जे अहाँ सभक मोन मे सेहो स्पष्ट अछि। 12 हम सभ फेर अहाँ सभक सामने अपन प्रशंसा नहि कऽ रहल छी, बल्कि अहाँ सभ केँ हमरा सभ पर गर्व करबाक मौका दऽ रहल छी जाहि सँ अहाँ सभ ओहन लोक केँ उत्तर दऽ सकिऐक जे सभ हृदयक भावना पर नहि, बल्कि बाहरी बात सभ पर गर्व करैत अछि। 13 की हम सभ “पागल” छी? जँ छीहो तँ ई परमेश्वरक लेल अछि। जँ हमरा सभक होश ठीक अछि तँ ई अहाँ सभक कल्याणक लेल अछि। 14 मसीहक प्रेम हमरा सभ केँ बाध्य करैत अछि, किएक तँ हम सभ बुझि गेल छी जे जखन एक गोटे सभक लेल मरलाह तँ सभ केओ मरि गेल। 15 मसीह सभक लेल मरलाह जाहि सँ जे सभ जीवित अछि से सभ आब अपना लेल नहि, बल्कि तिनका लेल जीवन बिताबय जे ओकरा सभक लेल मरलाह आ जिआओल गेलाह। 16 एहि लेल आब हम सभ कोनो मनुष्य केँ सांसारिक दृष्टि सँ नहि देखैत छी। पहिने हम सभ मसीहो केँ सांसारिक दृष्टि सँ देखैत छलहुँ मुदा आब हम सभ हुनका तेना नहि देखैत छी। 17 एकर अर्थ अछि जे जँ केओ मसीह मे अछि तँ ओ एक नव सृष्टि अछि। पुरान बात सभ समाप्त भऽ गेल, आब सभ किछु नव बनि गेल अछि। 18 ई सभ परमेश्वरक दिस सँ भेल। ओ मसीह द्वारा अपना संग हमरा सभक मिलाप करौने छथि आ हमरा सभ केँ मिलाप करयबाक सेवा-काजक जिम्मा देने छथि। 19 एकर अर्थ ई अछि जे परमेश्वर मनुष्य सभक अपराधक लेखा नहि लऽ कऽ मसीह मे अपना संग संसारक मिलाप करा रहल छलाह, आ हमरा सभ केँ एहि मिलापक सुसमाचार सुनयबाक जिम्मा दऽ देने छथि। 20 एहि लेल हम सभ मसीहक राजदूत छी, मानू जेना हमरा सभक द्वारा परमेश्वर अहाँ सभ सँ अनुरोध कऽ रहल छथि। तेँ हम सभ मसीहक दिस सँ अहाँ सभ सँ यैह अनुरोध कऽ रहल छी जे अहाँ सभ परमेश्वरक मेल-मिलाप केँ स्वीकार करू। 21 मसीह, जिनका मे कोनो पाप नहि छलनि, तिनका परमेश्वर हमरा सभक लेल पाप ठहरौलथिन जाहि सँ हम सभ हुनका द्वारा परमेश्वरक धार्मिकता ठहरी।
1 परमेश्वरक सहकर्मी भऽ कऽ हम सभ अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी जे परमेश्वरक जे कृपा अहाँ सभ केँ भेटल अछि तकरा व्यर्थ नहि होमऽ दिअ। 2 किएक तँ परमेश्वर धर्मशास्त्र मे कहैत छथि जे, “हम अपन कृपादृष्टि रखबाक समय मे तोहर सुनलिअह, आ उद्धारक दिन मे हम तोहर सहायता कयलिअह।” देखू, एखने “कृपादृष्टिक समय” अछि। देखू, आइए “उद्धारक दिन” अछि। 3 हम सभ कोनो बात द्वारा ककरो ठोकरक कारण नहि बनैत छी, जाहि सँ ककरो हमरा सभक सेवा-काज पर दोष लगयबाक कोनो अवसर नहि भेटैक, 4 बल्कि परमेश्वरक सेवक भऽ हम सभ प्रत्येक परिस्थिति मे अपन योग्यता प्रमाणित करैत छी—हम सभ कठिनाइ, विपत्ति आ संकट सभ केँ धैर्यक संग सहन करैत छी। 5 हम सभ मारि खाइत छी, जहल मे राखल जाइत छी, उपद्रव मे पड़ैत छी। परिश्रम करैत छी, राति-राति भरि पलक नहि झपका कऽ जागल रहैत छी, भूखल रहैत छी। 6 हम सभ एहि सभ बातक सामना शुद्ध मोन सँ, ज्ञान सँ, और धैर्य आ दयालुताक संग करैत छी। हम सभ ई काज परमेश्वरक पवित्र आत्माक शक्ति सँ और निष्कपट प्रेम द्वारा करैत छी। 7 दहिना आ बामा हाथ मे धार्मिकताक हथियार धारण कयने सत्यक प्रचार करैत छी; परमेश्वरक सामर्थ्य पर भरोसा रखैत छी। 8 ककरो सँ आदर पबैत छी, तँ ककरो सँ निरादर, ककरो सँ जस आ ककरो सँ अपजस । सही रहितो हम सभ कपटी बुझल जाइत छी, 9 चिन्हल-जानल होइतो अनचिन्हार बुझल जाइत छी। मरऽ-मरऽ पर होइतो जीवित रहैत छी। सजाय पबैत छी मुदा जान सँ मारल नहि जाइत छी। 10 शोकित होइतो सदत् आनन्द मग्न रहैत छी, गरीब होइतो बहुतो केँ सम्पन्न बनबैत छी। हमरा सभ लग अपन किछु नहि होइतो, सभ किछु हमरा सभक अछि। 11 यौ कोरिन्थ निवासी सभ, हम सभ अहाँ सभ सँ खुलि कऽ बात कयने छी। हम सभ अहाँ सभक प्रति अपन हृदय खोलि कऽ राखि देने छी। 12 अहाँ सभक प्रति हमरा सभक हृदय मे कोनो संकीर्णता नहि अछि, बल्कि अहीं सभक हृदय मे संकीर्णता अछि। 13 हम अहाँ सभ केँ अपन बच्चा मानि कहैत छी जे हमरा सभक प्रेमक बदला मे अहूँ सभ हमरा सभक लेल अपन हृदय खोलि दिअ। 14 अहाँ सभ मसीह पर विश्वास नहि कयनिहार लोक सभक संग बेमेल जुआ मे नहि जोताउ। अधर्म सँ धार्मिकताक कोन मेल? अन्हार सँ इजोतक कोन मेल? 15 शैतान सँ मसीहक कोन संगति? अविश्वासीक संग विश्वासीक कोन सहभागिता? 16 मुरुत सभक संग परमेश्वरक मन्दिरक कोन समझौता? किएक तँ अपना सभ जीवित परमेश्वरक मन्दिर छी, जेना कि परमेश्वर कहने छथि जे, “हम ओकरा सभक संग वास करब 2 आ ओकरा सभक बीच चलब-फिरब। हम ओकरा सभक परमेश्वर होयबैक 2 आ ओ सभ हमर प्रजा होयत।” 17 एहि कारणेँ, “प्रभुक कथन इहो छनि जे, ‘अहाँ सभ ओकरा सभक बीच सँ बाहर आबि कऽ 2 अलग भऽ जाउ। अशुद्ध वस्तु सभ सँ हटल रहू, 2 तखन हम अहाँ सभ केँ ग्रहण करब।’” 18 “हम अहाँ सभक पिता होयब आ अहाँ सभ हमर बेटा-बेटी सभ होयब। ई सर्वशक्तिमान प्रभुक कथन अछि।”
1 यौ हमर प्रिय मित्र सभ, परमेश्वर जखन अपना सभ केँ ई बात सभ करबाक वचन देने छथि तँ अबैत जाउ, परमेश्वरक भय मानि कऽ पवित्रताक परिपूर्णता धरि बढ़ैत अपना केँ समस्त शारीरिक आ आत्मिक मलिनता सँ पवित्र करी। 2 अहाँ सभ हमरा सभ केँ अपना हृदय मे स्थान दिअ। हम सभ ककरो संग अन्याय नहि कयलहुँ, ककरो नहि बिगाड़लहुँ, ककरो सँ अनुचित लाभ नहि उठौलहुँ। 3 हम अहाँ सभ पर दोष नहि लगा रहल छी। हम पहिने कहि चुकल छी जे अहाँ सभ हमरा सभक हृदय मे बसल छी आ हम सभ अहाँ सभक संग जीबाक लेल आ मरबाक लेल तैयार छी। 4 अहाँ सभ पर हमरा पूरा भरोसा अछि। हम अहाँ सभ पर बहुत गर्व करैत छी। हम बहुत उत्साहित छी—अपन विभिन्न कष्टो सभ मे हमर आनन्दक कोनो सीमा नहि रहैत अछि। 5 मकिदुनिया पहुँचला पर सेहो हमरा सभ केँ कोनो आराम नहि भेटल। चारू दिस सँ हमरा सभ पर कष्ट आबि गेल छल—बाहर संघर्ष सभ आ भीतर चिन्ता सभ। 6 मुदा निराश लोक सभ केँ सान्त्वना देबऽ वला परमेश्वर तीतुसक अयला सँ हमरा सभ केँ सान्त्वना देलनि— 7 मात्र हुनका अयले सँ नहि, बल्कि ओहि उत्साह सँ सेहो जे अहाँ सभ सँ हुनका भेटल छलनि। हमरा देखबाक अहाँ सभक अभिलाषा, अहाँ सभक मानसिक पीड़ा आ हमरा लेल अहाँ सभक जे चिन्ता अछि तकरा सम्बन्ध मे ओ हमरा सभ केँ कहलनि आ से जानि हमर आनन्द आरो बढ़ल। 8 हम जनैत छी जे हम अहाँ सभ केँ ओहि पत्र द्वारा दुःख देलहुँ मुदा तैयो हमरा लिखबाक अफसोच नहि अछि। हमरा ई देखि कऽ अफसोच भेल छल जे ओ पत्र किछु समयक लेल अहाँ सभ केँ दुखी बना देने छल। 9 मुदा आब हमरा प्रसन्नता अछि। हमरा एहि लेल प्रसन्नता नहि अछि जे अहाँ सभ केँ दुःख भेल, बल्कि एहि लेल जे ओहि दुःखक परिणाम ई भेल जे अहाँ सभ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन कयलहुँ। अहाँ सभ परमेश्वरक श्रद्धा मानि हुनका सम्मुख दुखी भेलहुँ, तेँ ओहि पत्र द्वारा हमरा सभक दिस सँ अहाँ सभ केँ कोनो हानि नहि पहुँचाओल गेल। 10 किएक तँ परमेश्वरक सम्मुख जे श्रद्धापूर्ण दुःख होइत अछि से पापक लेल एहन पश्चात्ताप और हृदय-परिवर्तन उत्पन्न करबैत अछि, जकर परिणाम होइत अछि उद्धार, आ ओहि सँ लोक केँ पछताय नहि पड़ैत छैक, मुदा सांसारिक दुःखक परिणाम मृत्यु होइत अछि। 11 अहाँ सभ देखि सकैत छी जे परमेश्वरक सम्मुख अहाँ सभक ओ दुःख अहाँ सभ केँ कतेक गम्भीर बनौलक, अपन सफाइ देबाक लेल कतेक उत्सुक बनौलक आ अहाँ सभ मे कतेक क्रोध, कतेक भय, कतेक अभिलाषा आ कतेक धुन उत्पन्न कयलक, और न्याय होअय ताहि बातक लेल कतेक इच्छा बढ़ा देलक। एहि तरहेँ अहाँ सभ एहि विषयक हर-एक बात मे अपना केँ निर्दोष प्रमाणित कऽ सकलहुँ। 12 तेँ हम ओ पत्र जे अहाँ सभ केँ लिखलहुँ से ने तँ ओहि व्यक्तिक कारणेँ जे गलती कयलक, आ ने ओकरा कारणेँ जकरा संग गलत कयल गेल, बल्कि एहि कारणेँ लिखलहुँ जे परमेश्वरक सामने अहाँ सभ बुझि सकी जे हमरा सभक लेल अहाँ सभ केँ कतेक चिन्ता अछि। 13 एहि सँ हमरा सभ केँ प्रोत्साहन भेटल अछि। प्रोत्साहनक संग-संग हमरा सभ केँ तीतुसक आनन्द केँ देखि कऽ विशेष खुशी सेहो भेल अछि, किएक तँ हुनकर मोन अहाँ सभ गोटे द्वारा उत्साहित भेलनि। 14 हम तीतुसक सामने मे जे अहाँ सभ पर गर्व कयने छलहुँ, तकरा लेल हमरा लज्जित नहि होमऽ पड़ल। जहिना हम सभ जे किछु अहाँ सभ केँ कहियो कहने छलहुँ से सत्य छल तहिना तीतुसक सामने अहाँ सभक बारे मे हमर सभक गर्व कयनाइ सेहो सत्य प्रमाणित भेल। 15 जखन तीतुस केँ स्मरण होइत छनि जे अहाँ सभ कतेक आज्ञाकारी भेलहुँ आ कोन तरहेँ डेराइत-कँपैत हिनकर स्वागत कयलियनि तँ अहाँ सभक प्रति हिनकर स्नेह आओर बढ़ि जाइत छनि। 16 हम एहि बात सँ आनन्दित छी जे हम अहाँ सभ पर पूर्ण भरोसा राखि सकैत छी।
1 यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ केँ ओहि कृपाक विषय मे सुनाबऽ चाहैत छी जे मकिदुनिया प्रदेशक मण्डली सभ केँ परमेश्वरक दिस सँ प्राप्त भेल अछि— 2 संकटक अग्नि-परीक्षा मे रहितो हुनका सभ मेहक उमड़ैत आनन्द आ हुनका सभक घोर गरीबी हुनका सभक मोन केँ एहन बना देलकनि जे ओ सभ पूरा तन-मन-धन सँ बेसी सँ बेसी दान देबाक लेल तैयार छलाह। 3 हम गवाही दैत छी जे ओ सभ अपने इच्छा सँ अपन क्षमताक अनुसार आ क्षमतो सँ बेसी देलनि। 4 ओ सभ हमरा सभ सँ बेर-बेर विनती करैत जोर देलनि जे हम सभ हुनको सभ केँ प्रभुक लोक सभक सहायता करऽ मे सहभागी होयबाक अवसर दियनि। 5 ओ सभ एहि बात मे हमरा सभक आशा सँ बढ़ि कऽ निकललाह। ओ सभ परमेश्वरक इच्छाक अनुसार सभ सँ पहिने परमेश्वरक प्रति, तखन हमरा सभक प्रति, अपना केँ समर्पित कऽ देलनि। 6 तेँ हम सभ तीतुस केँ अनुरोध कयलहुँ जे ओ जखन पहिनहि सँ अहाँ सभक बीच ई दान देबऽ वला काज शुरू करौने छलाह, तँ आब ओकरा पूरा करऽ मे सेहो अहाँ सभक सहायता करथि। 7 जहिना अहाँ सभ प्रत्येक बात मे आगाँ बढ़ल छी, अर्थात् विश्वास मे, बाजऽ मे, ज्ञान मे, पूर्ण समर्पणता मे आ हमरा सभक प्रति प्रेम मे, तहिना अहाँ सभ खुशी मोन सँ दान देबऽ मे सेहो आगाँ रहू। 8 हम अहाँ सभ केँ आदेश नहि दऽ रहल छी, बल्कि एहि बातक चर्चा कऽ कऽ जे दोसर लोक सभ दान देबाक लेल कोना तत्पर रहैत अछि ई जाँचऽ चाहैत छी जे अहाँ सभक प्रेम कतेक पक्का अछि। 9 किएक तँ अहाँ सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक कृपा केँ जनैत छी जे धनिक होइतो ओ अहाँ सभक लेल गरीब बनि गेलाह, जाहि सँ अहाँ सभ हुनकर गरीब बनला सँ धनिक बनि जाइ। 10 आब एहि विषय मे अहाँ सभक लेल की नीक होयत ताहि सम्बन्ध मे हम अपन सल्लाह दऽ रहल छी—एक वर्ष पहिने अहीं सभ दान देबहे मे नहि, बल्कि दान देबाक इच्छा करऽ मे सेहो सभ सँ पहिल छलहुँ। 11 एहि दान वला काज केँ आब पूरा कऽ लिअ, जाहि सँ जहिना इच्छा करऽ मे तत्पर छलहुँ तहिना अपन सामर्थ्यक अनुसार दान दऽ कऽ एहि काज केँ पूरो करी। 12 किएक तँ जँ केओ देबाक लेल इच्छुक अछि तँ ओकरा लग जे किछु छैक तकरा अनुसार दान ग्रहणयोग्य ठहराओल जयतैक, नहि कि तकरा अनुसार जे ओकरा लग नहि छैक। 13 हमर कहबाक तात्पर्य ई नहि जे, अहाँ सभ दोसर लोक केँ कष्ट सँ बचा कऽ अपने कष्ट मे पड़ि जाइ, बल्कि ई जे, सभ मे समानता होअय। 14 एहि समय मे अहाँ सभक सम्पन्नता हुनका सभक अभावक पूर्ति करत जाहि सँ कहियो हुनका सभक सम्पन्नता अहाँ सभक अभावक पूर्ति करय आ एहि तरहेँ समानताक स्थिति रहि सकय। 15 धर्मशास्त्रक लेख सेहो अछि जे, “जे अपना लेल बहुत जमा कयलक तकरा लग फाजिल नहि भेलैक, आ जे अपना लेल कनेके जमा कयलक तकरा अभाव नहि रहलैक।” 16 परमेश्वर केँ धन्यवाद होनि जे ओ तीतुसक हृदय मे सेहो अहाँ सभक लेल एहने चिन्ता रखने छथिन जेहन हमरा हृदय मे अछि। 17 किएक तँ ओ हमरा सभक अनुरोध खुशी-खुशी स्वीकारे नहि कयलनि, बल्कि अहाँ सभ लग उत्साहपूर्बक आ अपन इच्छा सँ जा रहल छथि। 18 हम सभ हुनका संग ओहि भाय केँ सेहो पठा रहल छी जे सुसमाचार सम्बन्धी काज मे विश्वासयोग्य रहबाक कारणेँ सभ मण्डली मे प्रशंसाक पात्र छथि। 19 एतबे नहि, बल्कि मण्डली सभ सेहो हुनका चुनने छनि जे ओ जमा कयल दान केँ पहुँचयबाक लेल हमरा सभक संग जाथि। हम सभ ई सेवा-काज एहन तरीका सँ करैत छी जाहि सँ प्रभुक महिमा आ हमरा सभक परोपकार करबाक उत्सुकता देखाइ देअय। 20 हम सभ एहि लेल एहन सावधानी रखैत छी जाहि सँ एहि बड़का दानक प्रबन्ध मे केओ हमरा सभ पर दोष नहि लगाबऽ पाबय। 21 किएक तँ हम सभ मात्र प्रभुएक दृष्टि मे नहि, बल्कि मनुष्य सभक दृष्टि मे सेहो ठीक सँ काज करबाक ध्यान रखैत छी। 22 एहि दूनू गोटेक संग हम सभ अपन एकटा आरो भाय केँ सेहो पठा रहल छी, जे कतेको बेर आ बहुतो बात मे अपन उत्साह प्रमाणित कयने छथि। अहाँ सभ पर हिनका बहुत भरोसा छनि तेँ हिनकर उत्साह आरो बढ़ल छनि। 23 तीतुसक विषय मे हम ई कहब जे ओ हमर सहयोगी छथि आ अहाँ सभक सेवा करऽ मे हमरा संग काज करैत छथि, और एहि भाय सभक विषय मे ई, जे ई सभ मण्डली सभक पठाओल प्रतिनिधि छथि आ हिनका सभक जीवन सँ मसीह केँ सम्मान होइत छनि। 24 एहि लेल अहाँ सभ हिनका सभ केँ अपन प्रेमक प्रमाण दिअ आ एहि बातक प्रमाण सेहो दिअ जे हम सभ अहाँ सभ पर कोन कारणेँ गर्व करैत छी, जाहि सँ मण्डली सभ ई बात बुझत जे हमर सभक गर्व सही आधार पर कयल गेल अछि।
1 ई आवश्यक नहि अछि जे प्रभुक लोक सभक लेल जमा होमऽ वला एहि दानक विषय मे हम अहाँ सभ केँ एहि तरहेँ लिखी। 2 किएक तँ हम जनैत छी जे अहाँ सभ सहायता करबाक लेल तत्पर छी। हम मकिदुनिया प्रदेशक विश्वासी सभ लग एहि विषय मे अहाँ सभ पर गर्व करैत कहने छी जे अखाया प्रदेशक विश्वासी सभ एक साल सँ दान देबाक लेल तैयार छथि। अहाँ सभक तत्परता सँ हुनका सभ मे सँ बहुतो केँ जोस भेटल छनि। 3 मुदा हम एहि भाय सभ केँ अहाँ सभ लग एहि लेल पठा रहल छी जे हम एहि विषय मे अहाँ सभक जे बड़ाइ कयलहुँ से निरर्थक नहि ठहरय आ जाहि सँ जहिना हम कहैत आयल छी तहिना अहाँ सभ तैयार पाओल जाइ। 4 नहि तँ कतौ एना नहि होअय जे जँ किछु मकिदुनियाक विश्वासी हमरा संग अबथि आ अहाँ सभ केँ तैयार नहि पबथि तँ एहि भरोसा लेल जे अहाँ सभ पर कयने छी, हमरा सभ केँ लज्जित होमऽ पड़य आ हमरो सभ सँ बेसी अहीं सभ केँ होमऽ पड़य। 5 तेँ हमरा ई आवश्यक बुझायल जे हम एहि भाय सभ सँ अनुरोध करी जे ओ सभ हमरा सँ पहिने अहाँ सभक ओतऽ पहुँचथि आ एहन प्रबन्ध करथि जे अहाँ सभ जे दान देबाक लेल पहिने सँ वचन देने छी से तैयार रहय। मुदा ई दान जोर-जबरदस्ती सँ नहि, बल्कि स्वेच्छा सँ देल जाय। 6 मुदा एहि बातक ध्यान राखू जे, जे कम बीया बाउग करत से कम काटत आ जे प्रशस्त बाउग करत से बेसी काटत। 7 प्रत्येक व्यक्ति, जतबा ओ अपना मोन मे निश्चय कयने होअय ततबा देअय, दुखी भऽ कऽ वा जोर-जबरदस्तीक कारणेँ नहि, किएक तँ प्रसन्नतापूर्बक देबऽ वला सँ परमेश्वर प्रेम करैत छथिन। 8 परमेश्वर अपना कृपा सँ अहाँ सभ केँ प्रशस्त मात्रा मे सभ प्रकारक आशिष देबऽ मे समर्थ छथि जाहि सँ अहाँ सभ केँ जे किछु आवश्यक होअय, से सदिखन अहाँ सभ लग रहय, आ प्रत्येक भलाइक काजक लेल सेहो अहाँ सभ लग बहुत किछु बचि जाय। 9 धर्मशास्त्र मे एहन व्यक्तिक बारे मे लिखल अछि जे, “ओ प्रशस्त मात्रा मे गरीब सभ केँ दान देने अछि; ओकर धार्मिकता अनन्त काल तक बनल रहतैक।” 10 जे बाउग करऽ वला केँ बीया, आ भोजन करऽ वला केँ रोटी दैत छथिन सैह अहाँ सभक बीयाक भण्डार बढ़ौताह आ अहाँ सभक परोपकार रूपी फसिलक वृद्धि करताह। 11 अहाँ सभ प्रत्येक बात मे सम्पन्न बनाओल जायब जाहि सँ अहाँ सभ हमेशा बिनु कंजूसी कऽ खुशी-खुशी सँ दोसर केँ दऽ सकब। तखन हमरा सभक माध्यम सँ पठाओल अहाँ सभक दानक कारणेँ बहुत लोक परमेश्वर केँ धन्यवाद देतनि। 12 किएक तँ अहाँ सभक एहि दान वला सेवा-काजक द्वारा मात्र प्रभुक लोक सभक आवश्यकते सभ पूरा नहि होइत अछि, बल्कि ई बहुते लोकक मोन मे परमेश्वर केँ धन्यवाद देबाक कारण सेहो बनैत अछि। 13 अहाँ सभक एहि सेवा सँ प्रमाण लऽ कऽ लोक परमेश्वरक स्तुति करतनि जे अहाँ सभ मसीहक सुसमाचार पर विश्वास करबाक गवाही देबाक संग-संग तकरा अनुसार चलितो छी आ अपन सम्पत्ति मे सँ ओकरा सभ केँ और सभ केँ खुशी सँ दैत छी। 14 ओ सभ अहाँ सभ केँ परमेश्वर सँ प्राप्त कयल अपार कृपा केँ देखि हृदय खोलि कऽ अहाँ सभक लेल प्रार्थना करताह। 15 परमेश्वरक ओहि दानक लेल जे वर्णन सँ बाहर अछि हुनका धन्यवाद होनि!
1 हम पौलुस, जे किछु लोकक कथनक अनुसार अहाँ सभक सामने मे कायर छी मुदा अहाँ सभ सँ दूर रहला पर साहस देखबैत छी, से मसीहक नम्रता आ कोमलताक नाम पर अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी— 2 अहाँ सभ सँ ई विनती करैत छी जे जखन हम अहाँ सभ लग आबी तँ हमरा तेहन साहस नहि देखाबऽ पड़य जेहन हम तकरा सभक प्रति देखयबाक निश्चय कऽ लेने छी जे सभ हमरा सभक सम्बन्ध मे कहैत अछि जे, “ओ सभ सांसारिक विचारक अनुसार चलैत अछि।” 3 कारण, हम सभ संसार मे रहैत छी अवश्य, मुदा सांसारिक तरीका सँ युद्ध नहि लड़ैत छी। 4 किएक तँ हमरा सभक युद्धक हथियार सांसारिक नहि, बल्कि परमेश्वरक शक्तिशाली हथियार अछि जाहि द्वारा शक्ति-केन्द्र सभ केँ ध्वस्त कयल जाइत अछि। 5 हम सभ परमेश्वर सम्बन्धी सत्य ज्ञानक विरोध मे ठाढ़ होमऽ वला कल्पना सभ और प्रत्येक कुतर्क केँ नष्ट करैत छी आ प्रत्येक विचार केँ बन्दी बना कऽ मसीहक अधीनता मे लबैत छी। 6 अहाँ सभ जखन पूर्ण रूप सँ आज्ञाकारी होयब तखन हम सभ आज्ञा केँ तोड़नाइ वला प्रत्येक काज केँ दण्डित करबाक लेल तैयार रहब। 7 जे बात आँखिक सामने स्पष्ट अछि तकरा अहाँ सभ देखि लिअ। जँ केओ अपना सम्बन्ध मे निश्चिन्त अछि जे ओ मसीहक अछि तँ ओ एहि पर सेहो विचार करय जे जहिना ओ मसीहक अछि तहिना हमहूँ सभ मसीहक छी। 8 जँ हम प्रभु सँ भेटल अधिकार पर विशेष गर्व करबो करी, तँ हमरा एहि बात सँ कोनो लाज नहि होयत; ई अधिकार अहाँ सभक नोकसानक लेल नहि, बल्कि अहाँ सभक आत्मिक निर्माणक लेल अछि। 9 अहाँ सभ ई नहि बुझू जे हम अपन पत्र सभक द्वारा अहाँ सभ केँ डेराबऽ चाहैत छी। 10 किएक तँ किछु लोक सभक कथन अछि जे, “ओकर पत्र सभ गम्भीर आ प्रभावशाली तँ होइत अछि, मुदा जखन ओ स्वयं उपस्थित होइत अछि तँ ओ कमजोर लगैत अछि आ ओकर बजबाक तरीका सँ कोनो प्रभाव नहि पड़ैत अछि।” 11 एहन लोक सभ ई बुझओ जे हम सभ अपन अनुपस्थिति मे पत्र सभक माध्यम सँ जे कहैत छी, उपस्थित भेला पर सैह करबो करब। 12 जे लोक सभ अपन प्रशंसा करैत अछि, हम सभ अपना केँ तकरा सभ जकाँ मानबाक आ तकरा सभ सँ अपन तुलना करबाक साहस नहि करैत छी। ओ सभ अपने नाप सँ अपना केँ नपैत अछि आ अपने सँ अपना केँ तुलना करैत अछि। केहन मूर्खता वला बात! 13 मुदा हम सभ जे छी, से उचित सीमा केँ नाँघि कऽ गर्व नहि करब। परमेश्वर हमरा सभक लेल जे क्षेत्र निर्धारित कयने छथि से अहूँ सभ तक पहुँचैत अछि आ हम सभ तकरा भीतर मे रहि कऽ गर्व करब। 14 हम सभ अपन क्षेत्रक सीमाक उल्लंघन नहि करैत छी। जँ अहाँ सभ लग नहि पहुँचल रहितहुँ तँ हमरा सभ सँ सैह होइत, मुदा हम सभ मसीहक शुभ समाचार प्रचार करैत अहाँ सभ लग पहुँचल छी। 15 हम सभ अपन सीमाक उल्लंघन करैत दोसराक परिश्रम पर गर्व सेहो नहि करैत छी, बल्कि हमरा सभक आशा अछि जे जहिना-जहिना अहाँ सभक विश्वास बढ़ैत जायत, तहिना-तहिना हमरा सभक कार्यक्षेत्र सेहो अहाँ सभक सहायता सँ विस्तृत होइत जायत, 16 जाहि सँ हम सभ अहाँ सभ सँ आगाँक इलाका मे सुसमाचारक प्रचार कऽ सकी आ अनकर क्षेत्रक सीमाक भीतर भेल काज पर गर्व नहि करी। 17 बल्कि जेना कि धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “जे केओ घमण्ड करय से प्रभु पर घमण्ड करय।” 18 किएक तँ जे अपन प्रशंसा स्वयं करैत अछि से नहि, बल्कि जकर प्रशंसा प्रभु करैत छथिन, वैह योग्य ठहराओल जाइत अछि।
1 हम चाहैत छी जे अहाँ सभ हमर कनेक मूर्खता सहि लितहुँ, मुदा वास्तव मे अहाँ सभ तँ सहिओ रहल छी। 2 अहाँ सभक लेल हमरा मोन मे तेहन जरनि भरल अछि जेहन परमेश्वरक जरनि होइत अछि। किएक तँ हम अहाँ सभक विवाह एकमात्र वर, अर्थात् मसीहक संग, ठीक कयने छी आ हम अहाँ सभ केँ पवित्र कुमारि जकाँ हुनका अर्पण करऽ चाहैत छी। 3 मुदा हमरा डर होइत अछि जे जहिना साँप हव्वा केँ अपन कपट सँ बहका देलक तहिना अहाँ सभ मे मसीहक प्रति जे निष्कपट आ शुद्ध भक्ति अछि, ताहि सँ अहाँ सभक मोन बहका ने देल जाय। 4 किएक तँ जखन केओ अहाँ सभ लग कोनो एहन यीशुक प्रचार करऽ अबैत अछि जे हमरा सभक द्वारा प्रचारित यीशु सँ भिन्न अछि, वा जँ अहाँ सभ केँ कोनो ओहन आत्मा अथवा सुसमाचार भेटैत अछि जे अहाँ सभक द्वारा पहिने स्वीकार कयल गेल पवित्र आत्मा आ सुसमाचार सँ भिन्न अछि तँ अहाँ सभ आराम सँ ओकरा सहि लैत छी। 5 हम अपना केँ ओहि “महा मसीह-दूत सभ” सँ कनेको कम नहि बुझैत छी। 6 सम्भव अछि जे हम भाषण देबऽ मे निपुण नहि होइ, तैयो हमरा मे ज्ञानक अभाव नहि अछि। एहि बात केँ हम सभ हर प्रकारेँ सभ बात मे अहाँ सभक सम्मुख स्पष्ट कऽ देने छी। 7 अहाँ सभ केँ ऊपर उठयबाक लेल हम अपना केँ छोट बना लेलहुँ आ बिनु किछु लेनहि अहाँ सभक बीच परमेश्वरक सुसमाचारक प्रचार कयलहुँ, से की हम गलती कयलहुँ? 8 ई कहल जा सकैत जे हम दोसर मण्डली सभ सँ पारिश्रमिक लऽ कऽ अहाँ सभक सेवा करबाक लेल हुनका सभ केँ “लुटलहुँ”। 9 जहिया हम अहाँ सभक ओतऽ छलहुँ तँ अभाव मे रहला पर सेहो हम अहाँ सभक लेल भार नहि बनलहुँ, किएक तँ मकिदुनिया प्रदेश सँ आयल भाय सभ हमर आवश्यकता सभक पूर्ति कऽ देलनि। हम अपना केँ कोनो तरहेँ अहाँ सभ पर भार नहि बनऽ देलहुँ आ ने कहियो बनऽ देब। 10 जँ मसीहक सत्यता हमरा मे अछि तँ अखाया प्रदेश भरि मे केओ हमरा एहन गर्व करबाक हक सँ वंचित नहि करत। 11 एना किएक? की एहि लेल जे हम अहाँ सभ सँ प्रेम नहि करैत छी? परमेश्वर जनैत छथि जे हम अहाँ सभ सँ प्रेम करैत छी! 12 हम जे करैत आबि रहल छी सैह करैत रहब जाहि सँ अपन बड़ाइ करऽ वला ओहि “महा मसीह-दूत सभ” केँ एहि बात पर गर्व करबाक मौका नहि भेटैक जे ओ सभ प्रचारक काज मे हमरा सभक बराबरि अछि। 13 किएक तँ एहन लोक झुट्ठा मसीह-दूत अछि जे अपना काज द्वारा धोखा दैत अछि आ मसीहक दूत होमऽ सनक रूप मात्र धारण करैत अछि। 14 ई कोनो आश्चर्यक बात नहि अछि, किएक तँ शैतान स्वयं चमकैत स्वर्गदूतक रूप धारण कऽ लैत अछि। 15 तेँ जँ ओकर सेवक सभ सेहो धार्मिकताक सेवकक रूप धारण करैत अछि तँ एहि मे कोनो आश्चर्य नहि, मुदा जेहने ओकरा सभक काज अछि, तेहने ओकरा सभक अन्त होयतैक। 16 हम फेर कहैत छी जे, केओ हमरा मूर्ख नहि बुझय। मुदा, जँ अहाँ सभ हमरा एना बुझैत छी तँ हमरा मूर्खे बुझि कऽ स्वीकार करू जाहि सँ हमहूँ कनेक अपन बड़ाइ कऽ सकी। 17 हम एखन जे कहि रहल छी से प्रभुक स्वभावक अनुरूप नहि, बल्कि मूर्ख जकाँ निःसंकोच भऽ कऽ अपन बड़ाइ कऽ रहल छी। 18 जखन अनेक लोक सांसारिक भावना सँ अपन बड़ाइ करैत अछि तँ हमहूँ अपन बड़ाइ किएक ने करी? 19 अहाँ सभ एहन बुद्धिमान छी जे आनन्दपूर्बक मूर्ख सभक व्यवहार सहि लैत छी! 20 हँ, जखन केओ अहाँ सभ केँ गुलाम बना लैत अछि, अहाँ सभक धन-सम्पत्ति हड़पि लैत अछि, अहाँ सभ केँ ठकि लैत अछि, अहाँ सभ लग धाख जमबैत अछि वा अहाँ सभक मुँह पर थप्पड़ मारैत अछि तँ अहाँ सभ ओहन लोक सभक व्यवहार सहि लैत छी। 21 हम लाजक संग स्वीकार करैत छी जे अहाँ सभक संग एहि प्रकारक व्यवहार करबाक साहस हमरा सभ केँ नहि भेल! जाहि बात सभक विषय मे ओ सभ अपन बड़ाइ करबाक साहस करैत अछि, ताहि विषय मे हमरो अपन बड़ाइ करबाक साहस अछि—हम मूर्ख जकाँ बजैत छी। 22 की ओ सभ इब्रानी अछि? हमहूँ छी। की ओ सभ इस्राएली अछि? हमहूँ छी। की ओ सभ अब्राहमक वंशज अछि? हमहूँ छी। 23 की ओ सभ मसीहक सेवक अछि? हम पागल जकाँ बजैत छी!—हम ओकरा सभ सँ बढ़ि कऽ छी। हम ओकरा सभ सँ अधिक परिश्रम कयने छी, हम ओकरा सभ सँ बेसी बेर जहल मे पड़लहुँ, नहि जानि हम कतेक बेर पिटल गेलहुँ। कतेको बेर मरैत-मरैत बचलहुँ। 24 यहूदी सभ हमरा पाँच बेर एक-कम-चालिस कोड़ा लगबौलक। 25 हम तीन बेर बेंतक मारि सहलहुँ। एक बेर हमरा मारि देबाक लेल हमरा पर पथरबाहि कयल गेल। तीन बेर एना भेल जे, जाहि पानि जहाज पर हम यात्रा कऽ रहल छलहुँ से ध्वस्त भऽ गेल। एक बेर दिन-राति भरि हम समुद्र मे बहैत रहलहुँ। 26 हमरा बारम्बार यात्रा करऽ पड़ल, जाहि मे नदी सभक खतरा, डाकू सभक खतरा, सजाति यहूदी सभ सँ खतरा, आन जातिक लोक सभ सँ खतरा, नगर सभक खतरा, निर्जन प्रदेश सभक खतरा, समुद्रक खतरा आ झुट्ठा भाइ सभ सँ खतरा अबैत रहल। 27 हम खटि-खटि कऽ कठोर परिश्रम कयलहुँ आ बहुतो राति जागि कऽ बितौलहुँ। हमरा कतेको बेर भोजन नहि भेटल आ भूखल-पियासल रहलहुँ। वस्त्रक अभाव मे जाड़ सहैत रहलहुँ। 28 और एहि सभ बातक अलावे, सभ मण्डलीक चिन्ताक भार सेहो सभ दिन हमरा पर रहैत अछि। 29 जखन केओ दुर्बल अछि तँ की हम दुर्बलताक अनुभव नहि करैत छी? जखन केओ पाप मे फँसाओल जाइत अछि तँ की हमरा हृदय मे आगि नहि धधकैत अछि? 30 जँ हमरा अपन बड़ाइ करहे पड़ैत अछि तँ हम अपन दुर्बलता प्रगट करऽ वला बात सभक विषय मे बड़ाइ करब। 31 प्रभु यीशुक पिता आ परमेश्वर, जे सदा-सर्वदा धन्य छथि, जनैत छथि जे हम झूठ नहि बाजि रहल छी। 32 जखन हम दमिश्क नगर मे छलहुँ तँ राजा अरितासक राज्यपाल नगर पर पहरा बैसा कऽ हमरा पकड़ऽ चाहलक। 33 मुदा हमरा टोकरी मे बैसा कऽ नगरक छहरदेवालीक खिड़की बाटे नीचाँ उतारि देल गेल आ एहि तरहेँ हम ओकरा हाथ मे अबैत-अबैत बाँचि गेलहुँ।
1 हमरा अपन बड़ाइ करहे पड़ि रहल अछि, ओना तँ एहि सँ कोनो लाभ नहि होइत अछि। आब हम प्रभु सँ देल गेल दर्शन सभ आ प्रभुक द्वारा प्रगट कयल रहस्य सभक चर्चा करब। 2 हम मसीह मेहक एक व्यक्ति केँ जनैत छी जे चौदह वर्ष पहिने आकाश केँ पार कऽ कऽ स्वर्ग मे ऊपर उठाओल गेल—देहक संग वा बिना देहक, हम नहि जनैत छी, परमेश्वर जनैत छथि। 3 हम ओहि व्यक्तिक विषय मे जनैत छी जे ओ स्वर्गधाम मे उठाओल गेल—देहक संग वा बिना देहक, ई हम नहि जनैत छी, परमेश्वर जनैत छथि। ओ एहन बात सभ सुनलक जकरा वर्णनो नहि कयल जा सकैत अछि, जकरा कहबाक अनुमति मनुष्य केँ नहि देल गेल अछि। 5 हम एहन मनुष्यक बड़ाइ करब मुदा हम अपन दुर्बलता सभ केँ छोड़ि कऽ आन कोनो बात लऽ कऽ अपन बड़ाइ नहि करब। 6 जँ हम अपन बड़ाइ करहो चाहितहुँ तँ तैयो हम मूर्ख नहि होइतहुँ, किएक तँ हम सत्ये बजितहुँ। मुदा हम से नहि करब जाहि सँ प्रत्येक व्यक्ति हमरा जे करैत देखैत अछि वा कहैत सुनैत अछि, ताहि अनुसारेँ मात्र हमर मूल्यांकन करय, नहि कि ताहि सँ बढ़ि कऽ। 7 हमरा पर प्रगट कयल एहि बहुत अद्भुत रहस्य सभक कारणेँ हम घमण्ड नहि करऽ लागी, ताहि लेल हमरा शरीर मे एकटा काँट गरा देल गेल। अर्थात्, शैतानक एक “दूत” हमरा कष्ट देबाक लेल राखि देल गेल जाहि सँ हम घमण्डी नहि भऽ जाइ। 8 हम एकरा विषय मे प्रभु सँ तीन बेर नेहोरा-विनती कयलहुँ जे ई हमरा सँ दूर भऽ जाय। 9 मुदा ओ हमरा कहलनि, “हमर कृपा तोरा लेल प्रशस्त छह, किएक तँ~हमर सामर्थ्यक पूर्णता मनुष्यक दुर्बलता मे सिद्ध~होइत अछि।” एहि लेल हम खुशी सँ अपन दुर्बलता सभ पर गर्व करब, जाहि सँ ओहि दुर्बलता सभक द्वारा हमरा मे मसीहक सामर्थ्य क्रियाशील रहय। 10 तेँ मसीहक लेल हम अपन दुर्बलता सभ मे, अपमान सभ मे, कष्ट सभ मे, सतावट सभ मे आ विपत्ति सभ मे प्रसन्न रहैत छी, किएक तँ जखन हम दुर्बल छी तखने बलगर होइत छी। 11 हम एना बात कऽ कऽ मूर्ख बनि गेल छी मुदा अहीं सभ हमरा ताहि लेल विवश कयने छी। उचित तँ ई छल जे अहीं सभ हमरा योग्य ठहरबितहुँ, कारण, हम किछु नहि होइतो ओहि “महा मसीह-दूत सभ” सँ कोनो तरहेँ कम नहि छी। 12 अहाँ सभक बीच मसीह-दूतक असली लक्षण अटल धैर्यक संग हमरा द्वारा प्रदर्शित भेल, अर्थात् आश्चर्यपूर्ण चिन्ह, सामर्थ्यक काज आ चमत्कार सभ। 13 अहाँ सभ केँ किएक होइत अछि जे हम अहाँ सभ केँ दोसर मण्डली सभ सँ कम मानैत छी? की एहि लेल जे हम अहाँ सभ पर अपन खर्चक लेल भार नहि बनलहुँ? एहि अन्यायक लेल अहाँ सभ हमरा क्षमा करू! 14 आब हम अहाँ सभक ओतऽ तेसर बेर अयबाक लेल तैयार छी। हम अहाँ सभक लेल भार नहि बनब, किएक तँ हम अहाँ सभक सम्पत्ति नहि, अहीं सभ केँ चाहैत छी। बच्चा सभ केँ तँ अपन माय-बाबूक लेल धन जमा करबाक भार नहि होयबाक चाही, बल्कि अपन बच्चा सभक लेल माय-बाबू केँ। 15 हम अहाँ सभक लेल खुशी सँ अपन सभ किछु—अपना केँ सेहो—खर्च कऽ देब। जखन हम अहाँ सभ सँ एतेक प्रेम करैत छी तँ की अहाँ सभ हमरा सँ कम प्रेम करब? 16 जे होअय, हम अहाँ सभ पर भार नहि बनलहुँ। तखन की, हम चलाक भऽ कऽ अहाँ सभ केँ छल-कपट सँ फँसा लेलहुँ? 17 हम जाहि व्यक्ति सभ केँ अहाँ सभक ओतऽ पठौलहुँ, की ओहि मे सँ किनको द्वारा अहाँ सभ सँ लाभ उठौलहुँ? 18 हम तीतुस सँ अहाँ सभक ओतऽ जयबाक लेल जोर दैत निवेदन कयलहुँ आ हुनका संग ओहि भाय केँ पठौलहुँ। की तीतुस अहाँ सभ सँ कोनो अनुचित लाभ उठौलनि? की हम दूनू गोटे एके आत्मा सँ प्रेरित भऽ एके बाट पर नहि चललहुँ? 19 अहाँ सभ सोचैत होयब जे एखन तक हम सभ अहाँ सभक समक्ष अपन सफाइ दऽ रहल छी। यौ प्रिय भाइ लोकनि, बात से नहि अछि। हम सभ परमेश्वरक सम्मुख मसीह मे रहि कऽ ई सभ बात बाजि रहल छी आ सभ अहाँ सभक आत्मिक उन्नतिक लेल अछि। 20 हमरा डर अछि जे अहाँ सभक ओतऽ अयला पर हम अहाँ सभ केँ ओहन नहि पाबी जेहन पाबऽ चाहैत छी आ अहाँ सभ सेहो हमरा तेहन नहि पाबी जेहन पाबऽ चाहैत छी। कतौ एहन नहि होअय जे अहाँ सभक बीच झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, स्वार्थ, परनिन्दा, चुगलखोरी, अहंकार आ अव्यवस्था सभ पाबी। 21 हमरा डर अछि जे अहाँ सभक ओतऽ फेर अयला पर कतौ हमर परमेश्वर अहाँ सभ पर जे हमर गर्व अछि तकरा अहाँ सभक सम्मुख चूर-चूर ने करथि आ हम ओहन बहुतो लोक सभक कारणेँ दुखी भऽ जाइ जे सभ पहिने पाप कयने अछि आ अपन कयल अशुद्ध व्यवहार, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध आ भोग-विलासक लेल पश्चात्ताप नहि कयने अछि।
1 आब हम तेसर बेर अहाँ सभक ओतऽ आबि रहल छी। धर्मशास्त्रक नियमक अनुसार, “प्रत्येक बातक पुष्टि दू वा तीन गवाहक गवाही पर कयल जायत।” 2 हम जखन दोसर बेर अहाँ सभक ओतऽ छलहुँ तहिए अहाँ सभ केँ कहलहुँ आ आब जखन अहाँ सभ सँ दूर छी तँ ओहि सभ लोक केँ जे सभ पाप कयलक और आनो लोक सभ केँ फेर कहि दैत छी जे, हम जखन घूमि कऽ आयब तँ ककरो छोड़ब नहि। 3 अहाँ सभ तँ चाहितो छी जे हम एहि बातक प्रमाण दी जे मसीह हमरा द्वारा बजैत छथि। मसीह अहाँ सभक संग जे व्यवहार करैत छथि ताहि मे ओ दुर्बल नहि, बल्कि अहाँ सभक बीच सामर्थी छथि। 4 ई बात सत्य अछि जे दुर्बलता मे ओ क्रूस पर चढ़ा कऽ मारल गेलाह, मुदा परमेश्वरक सामर्थ्य सँ ओ आब जीवित छथि। तहिना हमहूँ सभ मसीह मे दुर्बल छी, तैयो अहाँ सभक संग जे हमरा सभक व्यवहार होयत ताहि सँ ई स्पष्ट होयत जे हम सभ मसीहक संग परमेश्वरक सामर्थ्य सँ जीबैत छी। 5 अहाँ सभ अपना केँ परखू जे अहाँ सभक विश्वास पकिया अछि वा नहि। अपना केँ जाँचू। की अहाँ सभ ई नहि जनैत छी जे मसीह यीशु अहाँ सभक बीच मे छथि ?—जँ अहाँ सभ कसौटी पर खोटा नहि निकललहुँ तँ। 6 हमर आशा अछि जे अहाँ सभ बुझि जायब जे हम सभ खोटा नहि निकललहुँ। 7 हम सभ परमेश्वर सँ प्रार्थना करैत छी जे अहाँ सभ कोनो गलती नहि करी। एहि लेल नहि, जे हम सभ पकिया प्रमाणित होइ, बल्कि एहि लेल जे अहाँ सभ सैह करी जे उचित अछि, भलेही हम सभ खोटा देखाइ दी। 8 कारण, हमरा सभ केँ सत्यक विरोध मे किछु करबाक कोनो अधिकार नहि अछि, हम सभ सत्यक समर्थने करैत छी। 9 किएक तँ जखन हम सभ दुर्बल आ अहाँ सभ सामर्थी होइत छी तखन हमरा सभ केँ आनन्द होइत अछि। हमरा सभक यैह प्रार्थना अछि जे अहाँ सभ मे पूर्ण सुधार होअय। 10 एहि कारणेँ हम अहाँ सभ सँ दूर रहितो एहि बात सभ केँ लिखि रहल छी जाहि सँ जखन हम अहाँ सभक ओतऽ आबी तँ हमरा प्रभु द्वारा देल अधिकारक अनुसार अहाँ सभक संग कठोर व्यवहार नहि करऽ पड़य। किएक तँ हमरा ई अधिकार अहाँ सभ केँ खसयबाक लेल नहि, बल्कि अहाँ सभक आत्मिक निर्माण करबाक लेल भेटल अछि। 11 यौ भाइ लोकनि, आब अन्त मे ई जे, आनन्दित रहू, अपना केँ सुधारू, हमर बात सभ पर ध्यान दिअ, आपस मे एक मोनक भऽ कऽ शान्तिपूर्बक रहू। तखन प्रेम आ शान्ति देबऽ वला परमेश्वर अहाँ सभक संग रहताह। 12 पवित्र मोन सँ एक-दोसर केँ सस्नेह नमस्कार करू। 13 परमेश्वरक सभ लोक अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। 14 प्रभु यीशु मसीहक कृपा, परमेश्वरक प्रेम आ पवित्र आत्माक संगति अहाँ सभ गोटेक संग बनल रहय।
1 ई पत्र हम मसीह-दूत पौलुस लिखि रहल छी, जे ने तँ मनुष्य सभक दिस सँ आ ने कोनो मनुष्यक द्वारा मसीह-दूत नियुक्त भेल छी, बल्कि यीशु मसीह द्वारा आ पिता परमेश्वर द्वारा, जे यीशु मसीह केँ मृत्यु मे सँ जिऔलथिन। 2 हम आ हमरा संग जतेक भाय लोकनि छथि से सभ ई पत्र गलातिया प्रदेशक मण्डली सभ केँ लिखि रहल छी। 3 अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 4 मसीह अपना सभक पापक प्रायश्चित्तक लेल अपना केँ अर्पित कयलनि जाहि सँ एहि वर्तमान पापमय संसारक वश सँ अपना सभ केँ बचबथि। ई अपना सभक पिता परमेश्वरक इच्छाक अनुसार भेल, 5 जिनकर प्रशंसा युगानुयुग होइत रहनि। आमीन। 6 हमरा आश्चर्य होइत अछि जे, जे परमेश्वर मसीहक कृपा द्वारा अहाँ सभ केँ बजौलनि तिनका अहाँ सभ कोना एतेक जल्दी त्यागि कऽ कोनो दोसरे सुसमाचारक दिस घूमि रहल छी। 7 दोसर सुसमाचार तँ कोनो अछिए नहि, मुदा किछु लोक अछि जे अहाँ सभ केँ विचलित कऽ रहल अछि आ मसीहक सुसमाचार केँ बिगाड़ऽ चाहैत अछि। 8 परन्तु जँ हमहूँ सभ वा स्वर्गक कोनो दूतो ओहि सुसमाचार केँ छोड़ि जे हम सभ अहाँ सभ केँ सुनौलहुँ, कोनो आन सुसमाचार अहाँ सभ केँ सुनाबय तँ ओ परमेश्वर द्वारा सरापित होअय! 9 हम सभ जे बात पहिनो कहि चुकल छी सैह हम दोहरबैत छी—जे शुभ समाचार अहाँ सभ स्वीकार कयने छी, जँ ओहि सँ अलग कोनो सुसमाचार केओ अहाँ सभ केँ सुनाबय तँ ओ परमेश्वर द्वारा सरापित होअय! 10 की आब हम मनुष्य सभ सँ प्रशंसा पाबऽ चाहैत छी वा परमेश्वर सँ? की हम मनुष्य सभ केँ प्रसन्न करबाक प्रयास कऽ रहल छी? जँ हम एखनो धरि मनुष्य सभ केँ प्रसन्न करबाक प्रयत्न करैत रहितहुँ तँ हम मसीहक सेवक नहि होइतहुँ। 11 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ ई बुझि लिअ जे हम जे सुसमाचार अहाँ सभ केँ सुनौलहुँ से मनुष्य द्वारा रचित नहि अछि। 12 किएक तँ ओ ने हमरा कोनो मनुष्य सँ प्राप्त भेल आ ने केओ हमरा सिखौलक, बल्कि तकर ज्ञान यीशु मसीह अपने हमरा देलनि। 13 अहाँ सभ तँ सुनि चुकल छी जे पहिने जखन हम यहूदी धर्म मानैत छलहुँ तँ हमर व्यवहार केहन छल। हम परमेश्वरक मण्डली पर घोर अत्याचार करैत छलहुँ आ ओकरा नष्ट करबाक प्रयत्न करैत छलहुँ। 14 हम अपना तुरियाक बहुतो यहूदी सभक अपेक्षा यहूदी धर्मक पालन करबा मे आगू रही आ अपन पुरखा लोकनिक परम्परा सभक कट्टर समर्थक छलहुँ। 15 मुदा परमेश्वर मायक गर्भे सँ हमरा अपना लेल अलग रखने छलाह आ हमरा पर कृपा कऽ हमरा बजौलनि। 16 जखन ओ अपना इच्छाक अनुसार अपना पुत्र केँ हमरा चिन्हौलनि जाहि सँ हम गैर-यहूदी सभ मे हुनकर सुसमाचार सुनाबी, तखन हम एहि सम्बन्ध मे कोनो मनुष्यक संग विचार-विमर्श नहि कयलहुँ, 17 आ ने हम यरूशलेम मे हुनका सभ लग गेलहुँ जे सभ हमरा सँ पहिने सँ मसीह-दूत छलाह, बल्कि हम सोझे अरब देश चल गेलहुँ आ बाद मे फेर दमिश्क नगर घूमि अयलहुँ। 18 हम तीन वर्षक बाद पत्रुस सँ भेँट करबाक लेल यरूशलेम गेलहुँ आ हुनका संग पन्द्रह दिन रहलहुँ। 19 मुदा प्रभुक भाय याकूब केँ छोड़ि हमरा आरो मसीह-दूत मे सँ किनको सँ भेँट नहि भेल। 20 परमेश्वर हमर गवाह छथि जे हम जे अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी से झूठ नहि अछि। 21 तकरबाद हम सीरिया आ किलिकिया प्रदेश गेलहुँ। 22 ओहि समय मे यहूदिया प्रदेशक मसीहक मण्डली सभ हमरा व्यक्तिगत रूप सँ नहि चिन्हैत छलाह। 23 ओ सभ एतबे सुनने छलाह जे, “जे व्यक्ति पहिने हमरा सभ पर अत्याचार करैत छल वैह आब ओहि विश्वासक प्रचार करैत अछि जकर ओ पहिने सर्वनाश करबाक प्रयत्न करैत छल।” 24 आ ओ सभ हमरा विषय मे परमेश्वरक प्रशंसा कयलनि।
1 चौदह वर्षक बाद हम फेर यरूशलेम गेलहुँ। बरनबास हमरा संग छलाह आ तीतुस केँ सेहो हम अपना संग लऽ गेलहुँ। 2 हम एहि लेल गेलहुँ जे परमेश्वर स्पष्ट रूप सँ देखा देने छलाह जे हमरा जयबाक अछि। हम मण्डलीक मुख्य व्यक्ति सभक सामने एकान्त मे ओ सुसमाचार प्रस्तुत कयलहुँ जकर प्रचार हम गैर-यहूदी लोकक बीच करैत छी, जाहि सँ एना नहि होअय जे हम जे परिश्रम कऽ रहल छलहुँ वा कऽ चुकल छलहुँ से व्यर्थ होअय। 3 मुदा तीतुस जे हमरा संग छलाह, यूनानी होइतो, तिनका केओ खतना करयबाक लेल विवश नहि कयलकनि। 4 खतनाक प्रश्नो किछु झुट्ठा भाय सभक कारणेँ मात्र उठाओल गेल जे सभ एहि लेल मण्डली मे चोरा कऽ घुसि आयल छल, जाहि सँ मसीह यीशु मे भेटल हमरा सभक स्वतन्त्रताक भेद लय आ हमरा सभ केँ फेर धर्म-नियमक गुलामी मे राखि दय। 5 हम सभ ओकरा सभक सामने एको क्षणक लेल नहि झुकलहुँ जाहि सँ अहाँ सभक बीच सुसमाचारक सत्य स्थिर बनल रहय। 6 मुदा जे सभ प्रतिष्ठित मानल जाइत छलाह—ओना तँ ओ सभ की छलाह ओहि सँ हमरा कोनो अन्तर नहि पड़ैत अछि, कारण परमेश्वर ककरो संग पक्षपात कयनिहार नहि छथि—से सभ हमरा सुसमाचार मे कोनो बात नहि जोड़लनि। 7 बरु ओ सभ मानि लेलनि जे हमरा ओही तरहेँ आन जाति सभक बीच सुसमाचारक प्रचारक काज सौंपल गेल अछि जाहि तरहेँ पत्रुस केँ यहूदी जातिक बीच मे, 8 किएक तँ जे परमेश्वर पत्रुस द्वारा यहूदी सभक बीच मसीह-दूतक काज करबा रहल छलाह, वैह हमरो द्वारा आन जाति सभक बीच मसीह-दूतक काज करबा रहल छलाह। 9 जखन ओ सभ बुझलनि जे ई काज हमरा देल गेल परमेश्वरक कृपादान अछि तँ याकूब, पत्रुस आ यूहन्ना, जे सभ मण्डलीक खाम्ह बुझल जाइत छथि, हमरा आ बरनबास सँ दहिना हाथ मिलबैत हमरा सभ केँ सहभागीक रूप मे स्वीकार कयलनि। ओ सभ एहि बात सँ सहमति छलाह जे हम सभ आन जाति सभक बीच काज करी आ ओ सभ यहूदी सभक बीच। 10 हुनका सभक आग्रह एतबे छल जे हुनका सभक बीच मे जे गरीब सभ छल, तकरा सभक सुधि ली। आ ठीक सैह काज करबाक लेल हम अपनो उत्सुक छलहुँ। 11 मुदा जखन पत्रुस अन्ताकिया नगर अयलाह तँ हम हुनका मुँह पर हुनकर विरोध कयलियनि, किएक तँ ओ गलत बात करैत छलाह। 12 कारण, याकूबक ओतऽ सँ किछु लोक सभ केँ आबऽ सँ पहिने ओ यहूदी प्रथा नहि मानऽ वला आन जातिक लोक सभक संग-संग भोजन करैत छलाह, मुदा ओकरा सभ केँ अयला पर ओ पाछाँ हटऽ लगलाह आ गैर-यहूदी लोक सभ सँ अलग रहऽ लगलाह, किएक तँ ओ ओहि यहूदी सभ सँ डेराइत छलाह जे सभ खतना प्रथाक कट्टर समर्थक छल। 13 मण्डलीक बाँकी यहूदी भाय सभ सेहो एहि कपट मे हुनका संग देलकनि, एतऽ तक जे बरनबासो ओहि लोक सभक कपटक कारणेँ बहकि गेलाह। 14 मुदा जखन हम देखलहुँ जे हुनका सभक व्यवहार सुसमाचारक सत्य सँ नहि मिलैत अछि तँ सभक सामने मे हम पत्रुस केँ कहलियनि, “जखन अहाँ यहूदी वंशक भऽ कऽ यहूदी प्रथा सभ केँ त्यागि कऽ आन जाति सभ जकाँ व्यवहार करैत आयल छी तँ आन जातिक विश्वासी सभ केँ यहूदी सभक प्रथाक अनुसार चलबाक लेल आब कोना विवश करैत छिऐक?” 15 हम सभ जन्म सँ यहूदी छी, नहि कि “आन जातिक पापी सभ”, जेना गैर-यहूदी सभ केँ कहल जाइत छैक। 16 तैयो हम सभ जनैत छी जे कोनो मनुष्य यहूदी सभक धर्म-नियमक कर्म-काण्ड द्वारा नहि, बल्कि मसीह यीशु पर विश्वास कयला सँ परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक ठहरैत अछि। एहि कारणेँ हमहूँ सभ मसीह यीशु पर विश्वास कयने छी जाहि सँ हम सभ धर्म-नियमक कर्म-काण्ड द्वारा नहि, बल्कि मसीह यीशु पर विश्वास कयला सँ धार्मिक ठहराओल जाइ, किएक तँ धर्म-नियमक कर्म-काण्ड द्वारा कोनो मनुष्य धार्मिक नहि ठहराओल जायत। 17 जँ हम सभ, जे मसीह द्वारा धार्मिक ठहराओल जयबाक आशा कऽ रहल छी, से धर्म-नियम द्वारा पापी प्रमाणित होइत छी तँ की एकर अर्थ ई अछि जे मसीह पाप केँ बढ़बैत छथि? किन्नहुँ नहि! 18 धर्म-नियम द्वारा धार्मिक ठहरबाक जाहि आशा केँ हम एक बेर नष्ट कऽ चुकल छी, जँ ओकरा फेर ठाढ़ करी तँ हम अपना केँ फेर पापी प्रमाणित करब, 19 किएक तँ धर्म-नियमक द्वारा हम धर्म-नियमक लेखेँ मरि गेलहुँ जाहि सँ हम परमेश्वरक लेल जीबि सकी। 20 हम मसीहक संग क्रूस पर मरि गेल छी। आब हम जीवित नहि रहलहुँ, बल्कि मसीह हमरा मे जीबैत छथि। जे जीवन हम आब एहि शरीर मे जीबैत छी से विश्वास सँ जीबैत छी। ई विश्वास परमेश्वरक पुत्र पर टिकल अछि, जे हमरा सँ प्रेम कयलनि आ हमरा लेल अपना केँ अर्पित कऽ देलनि। 21 हम परमेश्वरक कृपा केँ नहि त्यागब। जँ धर्म-नियम द्वारा मनुष्य धार्मिक ठहरि सकैत अछि, तँ मसीह बेकारे मरलाह!
1 यौ गलाती सभ, अहाँ सभ किएक नहि बुझैत छी! अहाँ सभ पर के जादू कऽ देलक? अहाँ सभक सामने तँ स्पष्ट रूप सँ ई चित्रित कयल गेल छल जे यीशु मसीह केँ कोना क्रूस पर चढ़ाओल गेल छलनि। 2 हम अहाँ सभ सँ एतबे जानऽ चाहैत छी जे, की अहाँ सभ केँ धर्म-नियमक पालन करबाक कारणेँ पवित्र आत्मा देल गेलाह वा शुभ समाचार सुनि कऽ विश्वास करबाक कारणेँ? 3 की अहाँ सभ एतेक निर्बुद्धि छी जे, जाहि जीवन केँ परमेश्वरक आत्मा द्वारा आरम्भ कयलहुँ ताहि मे आब अपने कोशिश सँ अन्त तक पहुँचऽ चाहैत छी? 4 की अहाँ सभ केँ एतेक बातक अनुभव भेनाइ व्यर्थे भेल? की ई सम्भव अछि जे वास्तव मे व्यर्थ भेल? 5 जे परमेश्वर अहाँ सभ केँ अपन आत्मा दैत छथि आ अहाँ सभक बीच सामर्थ्यक काज करैत छथि, की ओ एहि लेल करैत छथि जे अहाँ सभ धर्म-नियमक अनुरूप कर्म करैत छी अथवा एहि लेल जे अहाँ सभ ओहि सुनल शुभ समाचार पर विश्वास करैत छी? 6 अब्राहमक सम्बन्ध मे सेहो यैह बात लिखल अछि, “ओ परमेश्वरक बातक विश्वास कयलनि आ ई विश्वास हुनका लेल धार्मिकता मानल गेलनि।” 7 अहाँ सभ ई जानि लिअ जे अब्राहमक असल सन्तान वैह सभ अछि जे विश्वास करैत अछि। 8 धर्मशास्त्र पहिनहि सँ एहि बातक संकेत कयलक जे परमेश्वर विश्वासक आधार पर गैर-यहूदी सभ केँ सेहो धार्मिक ठहरौताह, कारण, अब्राहम केँ पहिनहि सँ एहि शब्द मे शुभ समाचार सुना देल गेल जे, “तोरा माध्यम सँ सभ जातिक लोक आशिष पाओत।” 9 एहि लेल, अब्राहम विश्वास कऽ कऽ जे आशिष पौलनि, ताहि आशिष मे ओ सभ लोक सेहो सहभागी बनैत अछि जे सभ हुनका जकाँ विश्वास करैत अछि। 10 दोसर दिस जतेक लोक धार्मिक ठहरबाक लेल धर्म-नियमक कर्म-काण्ड पर भरोसा रखैत अछि से सभ सरापक अधीन अछि, किएक तँ धर्मशास्त्रक लेख अछि जे, “जे केओ धर्म-नियमक पुस्तक मे लिखल सभ बातक पालन करऽ मे स्थिर नहि अछि से सरापित अछि।” 11 मुदा ई स्पष्ट अछि जे धर्म-नियमक पालन कयला सँ परमेश्वरक नजरि मे केओ धार्मिक नहि ठहरैत अछि, किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “जे विश्वास द्वारा धार्मिक ठहराओल गेल अछि, से जीवन प्राप्त करत। “ 12 धर्म-नियम विश्वास पर आधारित नहि अछि। बल्कि ठीक तकरा विपरीत, धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “जे व्यक्ति धर्म-नियमक सभ माँग पूरा करैत अछि से ओहि द्वारा जीवन पाओत।” 13 मसीह मूल्य चुका कऽ अपना सभ केँ धर्म-नियमक सराप सँ छोड़ौलनि आ स्वयं अपना सभक लेल सरापित बनलाह, किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “जे केओ काठ पर लटकाओल जाइत अछि से सरापित अछि।” 14 मसीह अपना सभ केँ एहि लेल सराप सँ छोड़ौलनि जे अब्राहम केँ जाहि आशिषक सम्बन्ध मे वचन देल गेल छलनि से आशिष मसीह यीशु द्वारा आन जाति सभ तक पहुँचय आ अपना सभ विश्वास द्वारा ओ आत्मा प्राप्त करी जिनका सम्बन्ध मे वचन देल गेल छल। 15 यौ भाइ लोकनि, हम आब अहाँ सभ केँ दैनिक जीवन सँ साधारण उदाहरण दऽ रहल छी। मनुष्यो सभ मे कोनो समझौता जखन एक बेर पक्का भऽ जाइत अछि तँ ओकरा केओ रद्द नहि कऽ सकैत अछि आ ने ओहि मे किछु जोड़िए सकैत अछि। 16 परमेश्वर जे वचन सभ अब्राहम केँ देलनि से हुनका आ हुनका वंशज केँ देलनि। धर्मशास्त्र नहि कहैत अछि जे, “तोरा वंशज सभ केँ” जेना कि बहुतो वंशज सभ होअय, बल्कि “तोरा वंशज केँ,” अर्थात् एके वंशज केँ, आ ओ वंशज मसीह छथि। 17 हमर कहबाक तात्पर्य ई अछि जे, परमेश्वर वचन दऽ कऽ जाहि विशेष सम्बन्ध केँ अब्राहमक संग पहिने पक्का कऽ देने छलाह तकरा ओ धर्म-नियम, जे चारि सय तीस वर्षक बाद देल गेल, रद्द नहि कऽ सकैत अछि आ ने ओहि वचन केँ व्यर्थ बना सकैत अछि। 18 किएक तँ जँ आशिषक प्राप्ति धर्म-नियमक पालन कयनाइ पर निर्भर अछि तँ ओ वचन पर आधारित नहि रहि गेल। मुदा परमेश्वर दानक रूप मे अब्राहम केँ ई आशिष पयबाक अधिकार वचने द्वारा देलनि। 19 तखन फेर धर्म-नियमक की आवश्यकता छल? ओ बाद मे देल गेल जाहि सँ मनुष्य केँ अपन अपराध सभ चिन्हाओल जा सकैक, और ओ तहिये धरि लागू रहल जहिया धरि ओ वंशज नहि अयलाह जिनका सम्बन्ध मे अब्राहम केँ वचन देल गेल छलनि। ओ स्वर्गदूत सभक माध्यम सँ, एक मध्यस्थक, ⌞अर्थात् मूसाक,⌟ द्वारा लोकक बीच लागू कयल गेल। 20 मध्यस्थ तँ कम सँ कम दू पक्षक बीच होइत अछि, मुदा परमेश्वर एकेटा छथि। ⌞ओ स्वयं वचन देलनि और ओ स्वयं तकरा पूरा सेहो करताह।⌟ 21 तखन की धर्म-नियम परमेश्वरक देल वचन सभक विरुद्ध अछि? किन्नहुँ नहि! जँ एहन धर्म-नियम देल गेल रहैत जे जीवन प्रदान कऽ सकैत छल तँ धर्म-नियमक पालन कयनाइ धार्मिक ठहरबाक माध्यम अवश्य बनल रहैत। 22 मुदा धर्मशास्त्र तँ सभ लोक केँ पापक कैदी ठहरा देने अछि जाहि सँ ओ वचन, जकर पूर्ति यीशु मसीह पर कयल विश्वास पर आधारित अछि, से विश्वास कयनिहार सभक लेल पूरा भऽ जाय। 23 एहि विश्वासक मार्ग केँ आबऽ सँ पहिने अपना सभ धर्म-नियमक नियन्त्रण मे छलहुँ। विश्वासक मार्ग केँ प्रगट होयबाक समय धरि धर्म-नियमक बन्दी रहलहुँ। 24 एहि तरहेँ अपना सभ केँ मसीह तक पहुँचयबाक लेल धर्म-नियम “संरक्षक” बनाओल गेल छल जाहि सँ मसीहक अयला पर अपना सभ विश्वास द्वारा धार्मिक ठहराओल जा सकी। 25 जखन विश्वासक मार्ग आबि गेल अछि तँ आब अपना सभ ओहि संरक्षकक अधीन नहि रहलहुँ। 26 अहाँ सभ केओ मसीह यीशु पर विश्वास करबाक कारणेँ परमेश्वरक सन्तान छी। 27 किएक तँ अहाँ सभ, जकरा सभ केँ मसीहक बपतिस्मा भेटल अछि से सभ मसीह केँ धारण कयने छी। 28 आब ने केओ यहूदी अछि आ ने यूनानी, ने गुलाम अछि ने स्वतन्त्र, ने पुरुष अछि ने स्त्रीगण, किएक तँ अहाँ सभ मसीह यीशु मे एक छी। 29 और जँ अहाँ सभ मसीहक छी तँ अब्राहमक असल वंशज छी। एहि तरहेँ ओहि आशिषक उत्तराधिकारी सेहो छी जाहि सम्बन्ध मे परमेश्वर अब्राहम केँ वचन देने छलाह।
1 हमर कहबाक तात्पर्य ई अछि जे जाबत धरि उत्तराधिकारी नाबालिग अछि ताबत धरि ओ समस्त सम्पत्तिक मालिक होइतो ओकरा मे आ गुलाम मे कोनो अन्तर नहि रहैत अछि। 2 ओ पिता द्वारा निर्धारित समय धरि संरक्षक सभक आ घर-व्यवहारक प्रबन्ध कयनिहार सभक अधीन रहैत अछि। 3 एही तरहेँ अपनो सभ जाबत धरि नाबालिग छलहुँ ताबत धरि संसारक प्रारम्भिक सिद्धान्त सभक गुलाम बनल छलहुँ। 4 मुदा निर्धारित समय आबि गेला पर परमेश्वर अपना पुत्र केँ पठौलनि। हुनकर जन्म एक स्त्री सँ आ धर्म-नियमक अधीन भेलनि, 5 जाहि सँ ओ मूल्य चुका कऽ धर्म-नियमक अधीन रहऽ वला लोक सभ केँ छुटकारा दिअबथि, आ जाहि सँ छुटकारा पाबि कऽ अपना सभ परमेश्वरक पुत्रक पूरा हक पाबि सकी। 6 आब अहाँ सभ पुत्र छी आ तेँ परमेश्वर अपना सभक हृदय मे अपन पुत्रक आत्मा केँ पठौने छथि। वैह आत्मा ई कहैत पुकार करैत छथि जे, “हे बाबूजी! हे पिता!” 7 एहि लेल आब अहाँ सभ गुलाम नहि, बल्कि पुत्र छी आ जखन पुत्र छी तँ परमेश्वर द्वारा उत्तराधिकारी सेहो बनाओल गेल छी। 8 पहिने, जखन अहाँ सभ परमेश्वर केँ नहि चिन्हैत छलहुँ, तखन अहाँ सभ एहन देवता सभक गुलाम छलहुँ जे वास्तव मे देवता अछिए नहि। 9 मुदा आब तँ अहाँ सभ परमेश्वर केँ चिन्हि लेने छी वा एना कही जे परमेश्वर अहाँ सभ केँ चिन्हि लेने छथि, तखन फेर अहाँ सभ ओहि निर्बल आ तुच्छ सिद्धान्त सभक दिस कोना फिरि रहल छी? की अहाँ सभ फेर ओकर गुलाम होमऽ चाहैत छी? 10 अहाँ सभ आब विशेष दिन, महिना, ऋतु आ वर्षक पाबनिक नियम मानऽ लागल छी! 11 हमरा डर भऽ रहल अछि जे कतौ अहाँ सभक लेल कयल गेल हमर परिश्रम व्यर्थ ने भेल होअय। 12 यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ सँ हाथ जोड़ि कऽ विनती करैत छी जे एहि बात सभक विषय मे जहिना हम छी तहिना अहूँ सभ बनू, किएक तँ जहिना अहाँ सभ पहिने धर्म-नियमक अधीनता सँ स्वतन्त्र छलहुँ तहिना हमहूँ स्वतन्त्र भऽ गेल छी। अहाँ सभ हमरा संग कोनो अन्याय नहि कयने छलहुँ। 13 अहाँ सभ जनैत छी जे अहाँ सभक बीच पहिल बेर शुभ समाचार सुनयबाक अवसर हमरा अस्वस्थ होयबाक कारणेँ भेटल छल। 14 ओना तँ हमर शरीरक दुर्बलता अहाँ सभक लेल कष्टक कारण छल, तैयो अहाँ सभ हमरा हेय दृष्टि सँ नहि देखलहुँ आ ने हमरा प्रति घृणा प्रगट कयलहुँ, बल्कि अहाँ सभ हमर एहन स्वागत कयलहुँ जेना हम परमेश्वरक एक स्वर्गदूत वा स्वयं मसीह यीशु होइ। 15 आब अहाँ सभक आनन्दक ओ भावना कतऽ चल गेल? एहि बातक गवाही हम अपने दऽ सकैत छी जे जँ सम्भव होइत तँ अहाँ सभ अपन आँखि तक निकालि कऽ हमरा दऽ देने रहितहुँ। 16 की अहाँ सभ केँ सत्य कहबाक कारणेँ हम अहाँ सभक दुश्मन बनि गेल छी? 17 जे सभ अहाँ सभ केँ धर्म-नियमक अधीन कराबऽ चाहैत अछि से सभ अहाँ सभ पर विशेष ध्यान दैत अछि मुदा नीक उद्देश्य सँ नहि। ओ सभ अहाँ सभ केँ हमरा सभ सँ दूर करऽ चाहैत अछि जाहि सँ अहाँ सभ ओकरा सभ पर विशेष ध्यान दिऐक। 18 ककरो पर विशेष ध्यान देनाइ बढ़ियाँ बात अछि जँ उद्देश्य नीक अछि तँ, आ से तखने नहि कयल जयबाक चाही जखन हम अहाँ सभक संग छी, बल्कि सदिखन। 19 यौ हमर बौआ सभ, जाबत धरि मसीहक स्वरूप अहाँ सभ मे नहि बनि जायत, ताबत धरि हम अहाँ सभक लेल फेर प्रसव-पीड़ा सहि रहल छी। 20 हमरा कतेक मोन होइत अछि जे हम एखन अहाँ सभक बीच रहितहुँ, तखन एहि तरहेँ बात नहि करऽ पड़ैत। अहाँ सभक व्यवहार हमरा एकदम बुझऽ मे नहि अबैत अछि। 21 अहाँ सभ जे धर्म-नियमक अधीन रहऽ चाहैत छी से हमरा ई कहू—की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे धर्म-नियम की कहैत अछि? 22 ओहि मे लिखल अछि जे अब्राहम केँ दूटा पुत्र छलनि, एकटा ⌞हागार नामक⌟ दासी सँ आ दोसर अपन स्त्री सँ जे दासी नहि, बल्कि स्वतन्त्र छलीह। 23 दासी सँ जन्मल हुनकर पुत्र प्राकृतिक सीमाक अन्तर्गत जन्मल, मुदा स्वतन्त्र स्त्री सँ जे पुत्र भेलनि से परमेश्वरक देल वचनक कारणेँ जन्म लेलक। 24 ई बात सभ दृष्टान्तक रूप मे बुझल जा सकैत अछि—ई दूटा स्त्रीगण दूटा विशेष सम्बन्ध पर संकेत करैत अछि जे परमेश्वर अपना लोकक संग स्थापित कयलनि। एक स्त्री, हागार, सीनय पहाड़ पर स्थापित कयल विशेष सम्बन्ध पर संकेत करैत अछि जे धर्म-नियम पर केन्द्रित अछि। एहि सम्बन्धक अधीन रहऽ वला सभ लोक गुलाम होइत अछि जहिना हागारक बच्चा छल। 25 हागार जे अरब देशक सीनय पहाड़ पर संकेत करैत अछि तकर तुलना एहि पृथ्वी परक वर्तमान यरूशलेम सँ कयल जा सकैत अछि, किएक तँ यरूशलेम अपन सन्ततिक संग, ⌞अर्थात् यहूदी सभक संग,⌟ धर्म-नियमक गुलाम अछि। 26 मुदा स्वर्गक यरूशलेम स्वतन्त्र स्त्री जकाँ स्वतन्त्र अछि आ वैह अपना सभक माय अछि। 27 किएक तँ धर्मशास्त्रक लेख अछि जे, “हे बाँझ स्त्री, जे कहियो नहि जन्म देलह, 2 आब आनन्द मनाबह। तोँ, जे प्रसव-पीड़ा कहियो नहि भोगलह, 2 जोर-जोर सँ गीत गाबह, किएक तँ जे स्त्री त्यागि देल गेल छल तकरा 2 अधिक सन्तान अछि ओकरा सँ जकरा पुरुष छलैक।” 28 यौ भाइ लोकनि, इसहाक जकाँ अहाँ सभ परमेश्वरक देल वचनक अनुसार जन्मल सन्तान छी। 29 मुदा जहिना ओहि समय मे प्राकृतिक परिस्थिति मे जन्मल बेटा परमेश्वरक आत्माक सामर्थ्य द्वारा जन्मल बेटा केँ सतबैत छल, तहिना आइओ भऽ रहल अछि। 30 परन्तु धर्मशास्त्र की कहैत अछि? ई कहैत अछि जे, “दासी आ ओकरा बेटा केँ घर सँ बाहर निकालि दिअ, किएक तँ दासीक बेटा स्वतन्त्र स्त्रीक बेटाक संग उत्तराधिकारक हिस्सेदार नहि होयत।” 31 एहि लेल यौ भाइ लोकनि, अपना सभ दासीक सन्तान नहि छी ⌞जे धर्म-नियमक गुलाम होइ⌟, बल्कि स्वतन्त्र स्त्रीक सन्तान ⌞भऽ कऽ स्वतन्त्र⌟ छी।
1 स्वतन्त्रे बनल रहबाक लेल मसीह अपना सभ केँ स्वतन्त्र कयने छथि, तेँ दृढ़ रहू आ गुलामीक जुआ मे अपना केँ फेर नहि जोतऽ दिअ। 2 देखू, हम पौलुस, अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, जँ अहाँ सभ खतना करा कऽ धर्म-नियमक अधीन भऽ जायब तँ मसीह सँ अहाँ सभ केँ कोनो लाभ नहि होयत। 3 हम खतना-नियमक अधीन होमऽ वला प्रत्येक व्यक्ति केँ फेर कहैत छी जे ओकरा सम्पूर्ण धर्म-नियमक पालन करऽ पड़तैक। 4 अहाँ सभ मे सँ जतेक लोक धर्म-नियमक पालन कयला सँ परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक ठहरऽ चाहैत छी से सभ मसीह सँ अलग भऽ गेल छी, परमेश्वरक कृपा सँ वंचित भऽ गेल छी। 5 मुदा हम सभ तँ विश्वास द्वारा परमेश्वरक सम्मुख धार्मिक ठहरबाक आशा रखैत छी; परमेश्वरक आत्माक सहायता सँ हम सभ उत्सुकतापूर्बक एहि बातक प्रतीक्षा करैत छी। 6 कारण, मसीह यीशुक संग जे सम्बन्ध अछि ताहि विषय मे ककरो खतना भेल छैक वा नहि भेल छैक, तकर कोनो महत्व नहि होइत अछि। महत्व अछि मात्र विश्वासक जे प्रेम द्वारा क्रियाशील होइत अछि। 7 अहाँ सभ तँ बहुत नीक सँ दौड़ प्रतियोगिता मे दौड़ि रहल छलहुँ। के बाधा दऽ कऽ अहाँ सभ केँ सत्यक मार्ग पर आगाँ बढ़ऽ सँ रोकि देलक? 8 एहन सीख तिनका दिस सँ नहि अछि जे अहाँ सभ केँ बजौने छथि। 9 मोन राखू, “कनेको खमीर सम्पूर्ण सानल आँटा केँ फुलबैत अछि।” 10 हमरा अहाँ सभक सम्बन्ध मे प्रभु पर पूरा भरोसा अछि जे अहाँ सभ कोनो आन विचारधारा केँ नहि अपनायब। जे व्यक्ति अहाँ सभ केँ विचलित कऽ रहल अछि, ओ चाहे केओ होअय, परमेश्वरक दण्ड भोगत। 11 यौ भाइ लोकनि, जँ हम एखनो तक खतनाक प्रचार करैत रहितहुँ, जेना किछु लोक हमरा बारे मे कहैत अछि, तँ हमरा पर एखन तक यहूदी सभ द्वारा अत्याचार किएक कयल जाइत? जँ हम से करैत रहितहुँ तँ क्रूस परक भेल मसीहक मृत्युक प्रचार सँ जे ठेस लगैत छैक से समाप्त भऽ गेल रहैत। 12 कतेक बढ़ियाँ होइत जे, जे लोक अहाँ सभक बीच उपद्रव उत्पन्न कऽ रहल अछि से सभ खतनेटा नहि करबैत, बल्कि अपना केँ वधिया सेहो करबा लीत! 13 यौ भाइ लोकनि, स्वतन्त्र होयबाक लेल अहाँ सभ बजाओल गेल छी। एहि स्वतन्त्रता केँ अपन पापी स्वभावक इच्छा पूरा करबाक साधन नहि बनाउ, बल्कि प्रेम सँ एक दोसराक सेवा करू। 14 किएक तँ सम्पूर्ण धर्म-नियमक निचोड़ एहि आज्ञा मे भेटैत अछि जे “अहाँ अपना पड़ोसी सँ अपने जकाँ प्रेम करू।” 15 मुदा जँ अहाँ सभ एक-दोसर केँ चीरि-फाड़ि कऽ घोँटि लेबाक लेल तत्पर रहैत छी तँ सावधान भऽ जाउ। कतौ एना नहि होअय जे अहाँ सभ एक-दोसराक द्वारा नष्ट कयल जाइ। 16 तेँ हम अहाँ सभ केँ कहैत छी जे अहाँ सभ परमेश्वरक आत्माक प्रेरणाक अनुसार चलू, तखन अहाँ सभ पापी स्वभावक इच्छा सभक पूर्ति करऽ वला नहि होयब। 17 किएक तँ पापी स्वभावक लालसा परमेश्वरक आत्माक लालसाक विरुद्ध अछि आ परमेश्वरक आत्माक लालसा पापी स्वभावक विरुद्ध। ई दूनू एक दोसराक विरोधी अछि। एही कारणेँ अहाँ सभ जे करऽ चाहैत छी से नहि कऽ पबैत छी। 18 मुदा जँ अहाँ सभक संचालन परमेश्वरक आत्मा द्वारा होइत अछि तँ अहाँ सभ धर्म-नियमक अधीन नहि छी। 19 आब देखू, पापी स्वभावक काज सभ स्पष्ट अछि, जेना गलत शारीरिक सम्बन्ध, अशुद्ध विचार-व्यवहार, निर्लज्जता, 20 मुरुतक पूजा, जादू-टोना, दुश्मनी, लड़ाइ-झगड़ा, ईर्ष्या, क्रोध, स्वार्थ, मनमोटाब, दलबन्दी, 21 द्वेष, मतवालापन आ भोग-विलास आ एहि प्रकारक आन बात सभ। हम अहाँ सभ केँ एहि विषय सभ मे चेतावनी दैत छी, जेना कि पहिनो दऽ चुकल छी जे, एहन काज करऽ वला लोक सभ परमेश्वरक राज्यक उत्तराधिकारी नहि होयत। 22 मुदा परमेश्वरक आत्माक फल ई अछि—प्रेम, आनन्द, शान्ति, सहनशीलता, दयालुता, भलाइ, विश्वस्तता, 23 नम्रता आ आत्मसंयम। एहि गुण सभक विरुद्ध कोनो नियम नहि अछि। 24 जे लोक मसीह यीशुक छथि से सभ अपना पापी स्वभाव केँ ओकर अधलाह इच्छा आ लालसा सभक संग क्रूस पर चढ़ा लेने छथि। 25 जखन अपना सभ परमेश्वरक आत्मा सँ जीवन प्राप्त कयने छी तँ परमेश्वरक आत्माक निर्देशनक अनुसार चली। 26 अपना सभ घमण्डी नहि बनी, एक-दोसर केँ क्रोधित नहि करी आ ने एक-दोसर सँ ईर्ष्या करी।
1 यौ भाइ लोकनि, जँ केओ कोनो गलत काज मे पड़ि जाय तँ अहाँ सभ जे परमेश्वरक आत्माक निर्देशन अनुसार चलैत छी से ओकरा नम्रतापूर्बक ठीक रस्ता पर घूमि अयबाक लेल सहायता करू। मुदा अहाँ सावधान रहू जे कतौ अहूँ प्रलोभन मे ने पड़ि जाइ। 2 एक दोसराक भार उठाउ। एहि तरहेँ अहाँ सभ मसीहक नियम पूरा करब। 3 किएक तँ जँ केओ किछु नहि रहितो अपना केँ किछु बुझैत अछि तँ ओ अपना केँ धोखा दैत अछि। 4 प्रत्येक मनुष्य अपने काजक जाँच करय। तखन बिनु अपना केँ दोसर सँ तुलना कयने ओ अपन कयल काज सँ गर्व कऽ सकत। 5 किएक तँ प्रत्येक व्यक्ति केँ अपन बोझ स्वयं उठाबऽ पड़ैत छैक। 6 जे परमेश्वरक वचनक शिक्षा पाबि रहल अछि से अपन सभ प्रकारक नीक वस्तु सभ मे सँ अपना शिक्षक केँ सेहो देअय। 7 धोखा नहि खाउ! परमेश्वर ठट्ठा मे नहि उड़ाओल जाइत छथि। मनुष्य जे बाउग करत सैह कटनी करत। 8 किएक तँ जे अपन पापी स्वभावक इच्छानुसार बाउग करैत अछि, से पापी स्वभावक द्वारा विनाशक कटनी करत। मुदा जे परमेश्वरक आत्माक इच्छानुसार बाउग करैत अछि, से परमेश्वरक आत्मा द्वारा अनन्त जीवनक कटनी करत। 9 अपना सभ भलाइक काज करऽ सँ थाकी नहि, किएक तँ जँ अपना सभ हिम्मत नहि हारब तँ उचित समय पर कटनी काटब। 10 एहि लेल जतऽ धरि अवसर भेटय, सभक लेल भलाइ करी, विशेष रूप सँ तिनका सभक लेल जे सभ विश्वासक कारणेँ अपना सभक भाय-बहिन छथि। 11 देखू, कतेक बड़का-बड़का अक्षर मे हम एखन अपने हाथ सँ अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी। 12 जे सभ बाहरी बात मे लोक केँ प्रभावित करऽ चाहैत अछि सैह सभ अहाँ सभ केँ खतना करयबाक लेल बाध्य करैत अछि। ओ सभ ई मात्र एहि लेल करैत अछि जे मसीहक क्रूसक कारणेँ ओकरा सभ केँ अत्याचार नहि सहऽ पड़ैक। 13 किएक तँ जकरा सभक खतना भेल अछि से सभ स्वयं तँ धर्म-नियमक पालन नहि करैत अछि। ओ सभ अहाँ सभक खतना कराबऽ चाहैत अछि जाहि सँ अहाँ सभक शरीर मे एहि धर्म-विधि केँ स्वीकार करा कऽ गर्व कऽ सकय। 14 मुदा ई किन्नहुँ नहि होअय जे हम अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक क्रूस केँ छोड़ि कऽ कोनो आन बात पर गर्व करी। मसीहक क्रूस परक मृत्यु द्वारा संसार हमरा लेखेँ मरि गेल अछि आ संसारक लेखेँ हम मरि गेल छी। 15 किएक तँ ककरो खतना भेल होइक वा खतना नहि भेल होइक तकर कोनो महत्व नहि अछि। महत्व एहि बातक अछि जे, केओ पूर्ण रूप सँ नव सृष्टि बनि जाय। 16 जतेक लोक एहि नियम पर चलैत छथि तिनका सभ पर, अर्थात् परमेश्वरक असली प्रजा पर, शान्ति और दया होइत रहय। 17 ई पत्र समाप्त करैत हम अहाँ सभ सँ विनती करैत छी जे आब हमरा केओ आओर कष्ट नहि दिअ। किएक तँ हमरा शरीर परक घाव सभक चेन्ह द्वारा यीशुक छाप हमरा मे स्पष्ट अछि। 18 यौ भाइ लोकनि, अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभक आत्मा मे बनल रहय। आमीन।
1 हम पौलुस, जे परमेश्वरक इच्छा सँ मसीह यीशुक एक मसीह-दूत छी, अहाँ सभ केँ ई पत्र लिखि रहल छी जे सभ इफिसुस नगर मे परमेश्वरक पवित्र लोक छी, अर्थात्, अहाँ विश्वासी सभ केँ जे मसीह यीशु मे छी। 2 अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 3 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक जे परमेश्वर आ पिता छथि, तिनकर स्तुति होनि! कारण, मसीह द्वारा ओ अपना सभ केँ स्वर्गीय क्षेत्रक प्रत्येक आत्मिक आशिष प्रदान कयने छथि। 4 ओ तँ संसारक सृष्टिओ सँ पहिने मसीह मे अपना सभ केँ चुनलनि, जाहि सँ अपना सभ मसीह मे संयुक्त भऽ कऽ हुनका नजरि मे पवित्र आ निष्कलंक होइ। 5 अपन प्रेमक कारणेँ ओ अपना खुशीक लेल और अपना इच्छानुसार शुरुए मे निश्चय कयलनि जे ओ अपना सभ केँ यीशु मसीह द्वारा अपन पोषपुत्र बनबथि, 6 जाहि सँ हुनकर ओ अनमोल कृपाक प्रशंसा होनि, जे ओ अपन प्रिय पुत्र द्वारा अपना सभ पर कयने छथि, जकरा पाबऽ जोगरक अपना सभ छलहुँ नहि। 7 किएक तँ मसीहक कारणेँ आ माध्यम सँ, अपना सभ केँ हुनकर बहाओल खून द्वारा छुटकारा भेटल अछि, अर्थात्, पापक क्षमा। ई सभ परमेश्वरक ओहि अपार कृपाक परिणाम भेल, 8 जे कृपा ओ अति खुशी मोन सँ अपना सभ पर बरसौलनि। अपन असीमित बुद्धि और ज्ञान सँ 9 ओ अपना सभ केँ अपन ओहि गुप्त योजना केँ बुझऽ देलनि जे ओ शुरुए मे अपना खुशीक लेल निर्धारित कयने छलाह, आ मसीह द्वारा पूरा करबाक निश्चय कयने छलाह। 10 हुनकर ओ योजना ई अछि जे, समय पूरा भेला पर ओ सभ वस्तु, अर्थात् जे किछु स्वर्ग मे अछि आ जे किछु पृथ्वी पर—सभ किछु केँ मसीहे द्वारा एकता मे आनि हुनकर अधीन करताह। 11 परमेश्वर अपना सभ केँ मसीहे मे अपन निज लोक होयबाक लेल चुनलनि। ई निर्णय हुनकर पहिने सँ बनाओल योजनाक भीतर छल; ओ तँ सभ बात मे अपन इच्छा और योजना पूरा करैत छथि। 12 हुनकर एहि निर्णयक उद्देश्य ई छलनि जे, हम सभ जे मसीह पर सभ सँ पहिने आशा रखनिहार छलहुँ—हमरा सभक कारणेँ आ हमरा सभक द्वारा हुनकर महिमाक गुणगान होनि। 13 तहिना अहूँ सभ जखन सत्यक सम्बाद सुनलहुँ, अपन उद्धारक शुभ समाचार सुनलहुँ, तँ विश्वासो कयलहुँ। आ जखन विश्वास कयलहुँ, तँ मसीह मे संयुक्त भऽ कऽ, परमेश्वरक देल वचनक अनुसार अहूँ सभ केँ हुनकर पवित्र आत्मा देल गेलाह, जे स्वयं अहाँ सभ पर लगाओल गेल एहि बातक छाप छथि जे अहाँ सभ हुनकर छिऐन। 14 परमेश्वरक पवित्र आत्मा बेनाक रूप मे एहि बात केँ पक्का करबाक लेल अपना सभ केँ देल गेलाह जे, जहिया परमेश्वर अपन निज लोकक छुटकारा पूरा करताह, तहिया अपना सभ केँ जे किछु उत्तराधिकार मे भेटऽ वला अछि, से सभ भेटि जायत। और एहि सभ बातक उद्देश्य ई अछि जे, हुनकर महिमाक प्रशंसा होनि। 15 एहि कारणेँ, प्रभु यीशु पर अहाँ सभक जे विश्वास अछि आ परमेश्वरक सभ लोकक लेल जे प्रेम अछि, ताहि विषय मे हम जहिया सँ सुनलहुँ, 16 तहिया सँ अहाँ सभक लेल सदिखन परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छिऐन, और अपना प्रार्थना मे अहाँ सभ केँ स्मरण करैत रहैत छी। 17 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक परमेश्वर जे महिमामय पिता छथि, तिनका सँ हम ई प्रार्थना करैत छी जे ओ अपन आत्मा द्वारा अहाँ सभ केँ बुद्धि देथि और आत्मिक बात सभ बुझबाक लेल प्रकाश प्रदान करथि, जाहि सँ हुनका आओर नीक जकाँ जानि सकियनि। 18 हम इहो प्रार्थना करैत छी जे ओ अहाँ सभक भितरी आँखि खोलि देथि, जाहि सँ अहाँ सभ जानि ली जे हुनका द्वारा बजाओल जयबाक कारणेँ अहाँ सभक आशा कतेक महान् अछि, और ई जानि ली जे हुनकर लोक हुनका लेल केहन अद्भुत आ अनमोल उत्तराधिकार छनि । 19 हुनका सँ हमर ई प्रार्थना अछि जे अहाँ सभ इहो जानि ली जे अपना सभ जे विश्वास कयनिहार छी तकरा सभक कल्याणक लेल सक्रिय रहऽ वला परमेश्वरक सामर्थ्य कतेक अपार अछि। ई सामर्थ्य वैह महान् शक्ति अछि जे ओ मसीह मे प्रगट कयलनि, जखन ओ हुनका मृत्यु सँ जिऔलनि आ स्वर्गीय क्षेत्र मे अपन दहिना कात बैसौलनि। 21 ओ हुनका ओहन स्थान देलथिन जे आरो सभ प्रकारक शासन और अधिकार, शक्ति और प्रभुता, और हर प्रकारक पद सँ उपर अछि जे ने मात्र एहि युग मे देल जा सकैत अछि, बल्कि आबऽ वला युग मे सेहो। 22 परमेश्वर सभ किछु हुनका अधीन मे कऽ देलथिन, और हुनका सभ बात पर सर्वोच्च प्रभु बना कऽ मण्डली केँ दऽ देलथिन। 23 मण्डली मसीहक देह अछि, आ तिनका सँ परिपूर्ण अछि जे सभ किछु केँ सभ तरहेँ परिपूर्णता धरि लऽ जाइत छथि।
1 अहाँ सभ जे छी, से अपन अपराध और पापक कारणेँ मरल छलहुँ। 2 ओहि समय मे अहाँ सभ पापक रस्ता पर चलैत एहि संसारक रीतिक अनुसार जीवन व्यतीत करैत छलहुँ। शैतान, जे एहि धरतीक उपरक आध्यात्मिक शक्ति सभक स्वामी अछि, तकर बात मानैत छलहुँ। ओ आत्मा एखनो परमेश्वरक बात नहि मानऽ वला लोक सभ मे क्रियाशील अछि। 3 अपना सभ केओ पहिने परमेश्वरक बात नहि माननिहार लोक सभ मे सम्मिलित छलहुँ। अपन शरीर आ मोनक इच्छा सभ केँ तृप्त करैत अपना सभ अपन पापी स्वभावक अभिलाषाक अनुसार जीवन व्यतीत करैत छलहुँ। आन सभ लोक जकाँ अपना सभ सेहो अपन पाप-स्वभावक कारणेँ परमेश्वरक क्रोध भोगऽ जोगरक छलहुँ। 4 मुदा अपार दया करऽ वला परमेश्वर अपना सभक प्रति महान् प्रेम रखबाक कारणेँ, 5 अपना सभ केँ मसीहक संग-संग जीवित कऽ देलनि—सेहो तहिया, जहिया अपना सभ अपराधक कारणेँ मरल छलहुँ! हुनकर कृपे सँ अहाँ सभक उद्धार भेल अछि। 6 ओ अपना सभ केँ मसीह यीशुक संग-संग जिऔलनि आ हुनका संग स्वर्गीय क्षेत्र मे बैसौलनि। 7 ओ ई एहि लेल कयलनि जे आबऽ वला युग सभ मे ओ अपन ओहि अतुलनीय कृपाक महान्ता केँ प्रदर्शित कऽ सकथि, जकरा ओ मसीह यीशु द्वारा अपना सभ पर दया कऽ कऽ प्रगट कयलनि अछि। 8 कारण, विश्वास द्वारा, हुनकर कृपे सँ, अहाँ सभक उद्धार भेल अछि—ई अहाँ सभक कोनो पुण्यक फल नहि, बल्कि परमेश्वर द्वारा देल गेल दान अछि। 9 ई ककरो द्वारा कयल कोनो कर्मक परिणाम नहि छैक, जे एहि पर केओ घमण्ड करय। 10 किएक तँ अपना सभ परमेश्वरेक हाथक कारीगरी छी—ओ अपना सभ केँ मसीह यीशु मे संयुक्त कऽ कऽ अपना सभक नव सृष्टि कयलनि, आ से एहि लेल जे अपना सभ ओ नीक काज सभ करी, जे काज ओ अपना सभक लेल पहिने सँ तैयार कयने छथि। 11 एहि लेल मोन पाड़ू, अहाँ सभ जे जन्म सँ यहूदी नहि, गैर-यहूदी छी, अहाँ सभक स्थिति पहिने केहन छल। यहूदी सभ, जे सभ अपना केँ “खतना कराओल लोक” कहैत अछि—ओना तँ ओकरा सभक खतना मात्र शरीर मे आ मनुष्ये द्वारा कयल गेल अछि—से सभ अहाँ सभ केँ “बिनु खतना वला लोक सभ” कहैत अछि। 12 मोन पाड़ू जे ओहि समय मे अहाँ सभ केँ मसीह सँ कोनो सम्बन्ध नहि छल। अहाँ सभ इस्राएलक नागरिकताक अधिकार सँ वंचित छलहुँ। परमेश्वर अपना वचन पर आधारित जे विशेष सम्बन्ध अपना लोकक संग स्थापित कयलनि, ताहि मे अहाँ सभ सहभागी नहि छलहुँ। अहाँ सभ केँ एहि संसार मे ने कोनो आशा छल आ ने अहाँ सभ लग परमेश्वर छलाह। 13 मुदा आब मसीह यीशु मे संयुक्त भऽ कऽ, अहाँ सभ जे पहिने दूर छलहुँ, आब मसीहक बहाओल खून द्वारा लग आनल गेल छी। 14 कारण, मसीह स्वयं अपना सभक मिलापक साधन छथि। ओ अपना सभ केँ—गैर-यहूदी आ यहूदी, दूनू केँ—एक बना देलनि। अपना सभक बीच जे दुश्मनी छल, जे दूनू केँ देवाल जकाँ एक-दोसर सँ अलग रखैत छल, तकरा ओ नष्ट कऽ देलनि। 15 ओ अपना मृत्यु द्वारा विधि-विधानक धर्म-नियम केँ रद्द कऽ देलनि। एना करऽ मे हुनकर उद्देश्य ई छलनि जे दूनू समूह सँ एक नव मानवताक सृष्टि करब जे हुनका मे संयुक्त होअय, आ एहि तरहेँ दूनू मे मेल करायब। 16 संगहि हुनकर इहो उद्देश्य रहनि जे, क्रूसक मृत्यु द्वारा दूनू केँ एहि नव मानवता मे जोड़ि कऽ परमेश्वर सँ मेल करायब और एहि तरहेँ ओ दुश्मनी जे परमेश्वर आ मनुष्यक बीच छल, तकरा समाप्त करायब। 17 तकरबाद ओ आबि कऽ अहाँ सभ केँ, जे दूर छलहुँ, और ओकरा सभ केँ, जे लग छल, दूनू केँ मेल-मिलापक सम्बाद सुनौलनि। 18 कारण, हुनका द्वारा अपना सभ केँ, अर्थात् गैर-यहूदी आ यहूदी दूनू केँ, एके पवित्र आत्माक माध्यम सँ पिता तक पहुँच अछि। 19 फलस्वरूप, अहाँ सभ आब परदेशी वा प्रवासी नहि रहलहुँ, बल्कि परमेश्वरक लोक मे मिलि कऽ हुनका सभक संग नागरिक छी। परमेश्वरक परिवारक सदस्य छी। 20 अहाँ सभ परमेश्वरक ओहि “भवन”क भाग छी, जाहि भवनक न्यो मसीह-दूत आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभ छथि आ जकर मुख्य पाथर मसीह यीशु अपने छथि। 21 हिनके मे पूरा भवन एक संग जुटल रहि कऽ प्रभुक लेल एक पवित्र मन्दिर बनैत जा रहल अछि। 22 हिनके मे संयुक्त भऽ कऽ अहूँ सभ आओर लोक सभक संग परमेश्वरक वास-स्थान बनाओल जा रहल छी, जाहि मे ओ अपन आत्मा द्वारा वास करैत छथि।
1 एहि कारणेँ हम, पौलुस, जे अहाँ गैर-यहूदी सभक लेल आ मसीह यीशुक कारणेँ जहल मे बन्दी छी, अहाँ सभक लेल प्रार्थना करैत छी । 2 परमेश्वर अपना कृपा सँ अहाँ सभक भलाइक लेल हमरा एक विशेष काज सौंपि देने छथि, ताहि विषय मे अहाँ सभ अवश्य सुनने होयब। 3 एहि सम्बन्ध मे परमेश्वर स्वयं अपन गुप्त योजना हमरा पर प्रगट कयलनि, जाहि विषय मे हम ऊपर किछु चर्चा कयने छी। 4 अहाँ सभ जखन ओकरा पढ़ब तँ मसीहक सम्बन्ध मे परमेश्वरक गुप्त योजनाक ज्ञान हमरा की भेटल अछि से अहाँ सभ बुझि जायब। 5 ई योजना एहि सँ पहिलुका पीढ़ीक लोक सभ केँ एहि रूप मे नहि कहल गेल छल, जाहि रूप मे एखन परमेश्वरक आत्मा द्वारा हुनकर पवित्र मसीह-दूत आ हुनकर प्रवक्ता सभ पर प्रगट कयल गेल अछि। 6 ओ बात जे पहिने गुप्त छल, से ई अछि जे, शुभ समाचार द्वारा यहूदी सभक संग-संग गैर-यहूदी सभ सेहो उत्तराधिकारी अछि, संग-संग एके शरीरक अंग अछि आ मसीह मे पूरा कयल गेल परमेश्वरक वचन सभ मे संग-संग सहभागी अछि। 7 परमेश्वरक सामर्थ्यक प्रभाव द्वारा हुनका कृपा सँ हमरा ई वरदान देल गेल जे हम एहि शुभ समाचारक प्रचार करैत हुनकर सेवा करी। 8 हमरा पर, जे परमेश्वरक लोक मे छोटो सँ छोट छी, परमेश्वर ई कृपा कयलनि—ओ हमरा गैर-यहूदी सभ केँ मसीहक अथाह धनक शुभ समाचार सुनयबाक शुभ काज सौंपि देलनि। 9 सभ लोकक लेल हमरा ई स्पष्ट करबाक अछि जे परमेश्वरक गुप्त योजना की अछि। ई योजना परमेश्वर, जे सभ वस्तुक सृष्टिकर्ता छथि, से बितल युग सभ मे अपना लग गुप्त रखने छलाह। 10 हुनकर उद्देश्य ई छलनि जे, एखन, वर्तमाने समय मे, स्वर्गीय क्षेत्र मे शासन करऽ वला सभ और अधिकारी सभ मसीही मण्डली केँ देखि कऽ परमेश्वरक विभिन्न प्रकारक बुद्धि केँ जानि सकय। 11 ई परमेश्वरक ओहि योजनाक अनुसार अछि जे अनन्त काल सँ हुनका मोन मे छलनि आ जकरा ओ अपना सभक प्रभु, मसीह यीशु, द्वारा पूरा कयलनि। 12 एही मसीह यीशु द्वारा आ हुनका पर विश्वास करबाक कारणेँ, अपना सभ निर्भय भऽ कऽ पूर्ण भरोसाक संग परमेश्वर लग आबि सकैत छी। 13 तेँ अहाँ सभ सँ हमर ई विनती अछि जे, अहाँ सभक लेल जे कष्ट हम सहि रहल छी, ताहि कारणेँ अहाँ सभ हिम्मत नहि हारू, किएक तँ ई अहाँ सभक लेल गौरवक बात अछि। 14 एहि कारणेँ हम पिताक सामने ठेहुनिया रोपि कऽ प्रार्थना करैत छी— 15 ओही पिताक सामने जिनका नाम पर स्वर्ग मेहक और पृथ्वी परक हुनकर पूरा परिवारक नाम राखल गेल अछि। 16 हम ई प्रार्थना करैत छी जे ओ अपन अपार महिमाक अनुरूप अपन सामर्थ्यक भण्डार सँ अपना आत्मा द्वारा अहाँ सभ केँ सामर्थ्य देथि जाहि सँ अहाँ सभक भितरी मोन आओर मजगूत होअय, 17 आ अहाँ सभक विश्वास द्वारा मसीह अहाँ सभक मोन मे वास करथि। हम इहो प्रार्थना करैत छी जे मसीहक प्रेम मे अहाँ सभक जड़ि गहिंराइ धरि जा कऽ और हुनका प्रेम पर अहाँ सभक न्यो मजगूत भऽ कऽ, 18 अहाँ सभ केँ परमेश्वरक सभ लोकक संग ई बुझबाक क्षमता होअय जे मसीहक प्रेमक लम्बाइ, चौड़ाइ, उँचाइ और गहिंराइ कतेक अछि, 19 और एहि प्रेम केँ जानी जकरा पूर्ण रूप सँ जानल नहि जा सकैत अछि। एहि प्रकारेँ अहाँ सभ बढ़ि कऽ परमेश्वरक समस्त परिपूर्णता सँ भरि जायब। 20 आब ओ जे अपन सामर्थ्य अपना सभक भीतर क्रियाशील राखि कऽ अपना सभक सभ विनती आ कल्पनो सँ बढ़ि कऽ एतेक कऽ सकैत छथि जाहि बातक पार नहि पाबि सकैत छी 21 तिनकर महिमा पुस्त-पुस्तानि तक युगानुयुग मण्डली मे और मसीह यीशु मे प्रगट होइत रहनि। आमीन!
1 एहि सभ बातक कारणेँ हम, जे प्रभुक लेल कैदी छी, अहाँ सभ सँ अनुरोध करैत छी जे, जाहि उद्देश्य सँ परमेश्वर अहाँ सभ केँ हुनकर लोक होयबाक लेल बजौलनि, ताहि उद्देश्यक अनुरूप जीवन व्यतीत करू। 2 पूर्ण रूप सँ विनम्र भऽ कऽ कोमलताक संग एक-दोसराक संग धैर्य राखू। प्रेम सँ एक-दोसराक संग सहनशील होउ। 3 एक-दोसराक संग मेल सँ रहि कऽ ओहि एकता केँ कायम रखबाक प्रयत्न करैत रहू जे पवित्र आत्मा प्रदान करैत छथि। 4 मसीहक शरीर एके होइत अछि, और परमेश्वरक आत्मा सेहो एके छथि—जहिना अहाँ सभ जखन बजाओल गेलहुँ तँ एके आशा मे सहभागी होयबाक लेल बजाओल गेलहुँ। 5 एके प्रभु छथि, एके विश्वास अछि, और एके बपतिस्मा। 6 एकेटा छथि जे अपना सभ गोटेक परमेश्वर और पिता छथि, अपना सभ गोटेक उपर छथि, अपना सभ गोटेक माध्यम सँ काज करैत छथि, और अपना सभ गोटेक हृदय मे वास करैत छथि। 7 मुदा अपना सभ केँ भेटल वरदान अलग-अलग अछि—मसीह जाहि रूप मे बाँटऽ चाहलनि, ताहि अनुसारेँ अपना सभ मे सँ हर एक केँ कृपाक विशेष वरदान देल गेल अछि। 8 धर्मशास्त्र ई बात कहितो अछि, जेना लिखल अछि जे, “ओ जखन ऊँच स्थान पर चढ़लाह, तँ संग मे बन्दीक समूह लऽ गेलाह, आ लोक केँ उपहार देलनि।” 9 जखन लिखल अछि जे, “ओ चढ़लाह”, तँ तकर अर्थ की भेल? ओकर अर्थ ई अछि जे ओ पहिने नीचाँ, पृथ्वी पर उतरल छलाह। 10 जे नीचाँ उतरलाह, सैह छथि जे आब ऊपर चढ़लाह—समस्त आकाशो सँ बहुत उपर, जाहि सँ ओ सम्पूर्ण सृष्टि केँ परिपूर्णता धरि लऽ जा सकथि। 11 वैह विभिन्न वरदान बँटलनि—किछु लोक केँ मसीह-दूत होयबाक वरदान देलथिन, किछु लोक केँ परमेश्वरक प्रवक्ता होयबाक, किछु लोक केँ शुभ समाचारक प्रचार करऽ वला होयबाक, आ किछु लोक केँ मण्डलीक देख-रेख करऽ वला और शिक्षक होयबाक वरदान देलथिन। 12 ई वरदान सभ देबऽ मे मसीहक उद्देश्य ई छलनि जे एहि सभ द्वारा परमेश्वरक लोक केँ सेवा-काज सभ करबाक लेल तैयार कयल जाय जाहि सँ हुनकर देह मजगूत होनि। 13 एहि तरहेँ अपना सभ केओ संग-संग बढ़ि कऽ, विश्वास मे और परमेश्वरक पुत्रक ज्ञान मे एक भऽ जायब, और पूर्ण सिद्धता, अर्थात् मसीहक पूर्णता, धरि पहुँचब। 14 एहि प्रकारेँ अपना सभ छोट बच्चा नहि रहि जायब जे प्रत्येक शिक्षाक झोंक सँ एम्हर-ओम्हर फेकाइत रही आ धोखा देबऽ वला धूर्त लोकक छल-प्रपंच सँ बनाओल जाल मे फँसि कऽ बहकाओल जाइ। 15 बल्कि प्रेमक संग सत्य बजैत अपना सभ बढ़ि कऽ सभ बात मे तिनका जकाँ बनैत जायब जे शरीरक सिर छथि, अर्थात् मसीह। 16 हुनके द्वारा पूरा देह एक संग जुटल रहैत अछि, देहक सभ अलग-अलग अंग प्रत्येक जोड़क सहायता सँ एक-दोसर सँ संयुक्त रहैत अछि, और एहि तरहेँ जखन प्रत्येक अंग ठीक सँ अपन काज करैत अछि तँ पूरा देह बढ़ि कऽ प्रेम मे अपना केँ मजगूत करैत अछि। 17 तेँ अहाँ सभ केँ हम ई कहऽ चाहैत छी आ प्रभु केँ साक्षी राखि एहि बात पर जोर दैत छी जे, आब सँ तकरा सभ जकाँ आचरण नहि करू जे सभ परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जाति सभक लोक अछि। ओकरा सभक सोच-विचार निरर्थक छैक, 18 ओकरा सभक बुद्धि अन्हार सँ भरल छैक और ओ सभ ओहि जीवन सँ वंचित अछि जे परमेश्वर प्रदान करैत छथि। एकर कारण ई अछि जे ओ सभ जिद्दी बनि कऽ अज्ञान भऽ गेल अछि। 19 ओकरा सभक विवेक सुन्न भऽ गेल छैक, ओकरा सभ केँ कोनो लाजे नहि छैक। ओ सभ जानि-बुझि कऽ शारीरिक इच्छाक दास बनल अछि, आ सभ तरहक गन्दा काज करैत, ओहने-ओहने आओर काज करबाक लेल लालायित रहैत अछि। 20 मुदा अहाँ सभ जखन मसीह केँ चिन्हलहुँ तँ हुनका सँ एहि प्रकारक जीवन बितयबाक बात नहि सिखलहुँ। 21 अहाँ सभ अवश्य हुनका विषय मे सुनने छी और हुनका सम्बन्ध मे शिक्षा पौने छी, जे शिक्षा ओहि सत्यक अनुसार अछि जे यीशु मे प्रगट भेल। 22 अहाँ सभ केँ ई सिखाओल गेल जे अपन पुरान स्वभाव, जे अहाँ सभक पहिलुका चालि-चलन सँ स्पष्ट होइत छल, तकरा अहाँ सभ केँ त्यागि देबाक अछि, किएक तँ ओ स्वभाव धोखा देबऽ वला अभिलाषा सभक कारणेँ बिगड़ैत जा रहल अछि। 23 अहाँ सभ केँ ई सिखाओल गेल जे पूर्ण रूप सँ आत्मा और विचार मे नव लोक बनबाक अछि, 24 और नवका स्वभाव धारण करबाक अछि। नवका स्वभाव परमेश्वरक स्वरूप मे रचल गेल अछि आ ओहि धार्मिकता और पवित्रता मे व्यक्त होइत अछि जे सत्य पर आधारित अछि। 25 एहि लेल, अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक व्यक्ति झूठ बजनाइ छोड़ू, और एक-दोसर सँ सत्य बाजू, कारण, अपना सभ एके शरीरक अंग भऽ कऽ एक-दोसराक छी। 26 “जँ क्रोधित भऽ जाइ, तँ अपना क्रोध केँ पापक कारण नहि बनऽ दिअ” —सूर्य डुबऽ सँ पहिनहि अपना क्रोध सँ मुक्त होउ। 27 शैतान केँ अवसर नहि दिऔक! 28 जे चोरी करैत अछि, से आब चोरी नहि करओ, बल्कि अपना हाथ सँ इमानदारीपूर्बक परिश्रम करओ, जाहि सँ ओ आवश्यकता मे पड़ल लोक सभक मदति कऽ सकय। 29 अहाँ सभक मुँह सँ कोनो हानि पहुँचाबऽ वला बात नहि निकलय, बल्कि एहन बात जे दोसराक उन्नतिक लेल होअय और अवसरक अनुरूप होअय, जाहि सँ ओहि सँ सुननिहारक हित होयतैक। 30 परमेश्वरक पवित्र आत्मा केँ दुखी नहि करिऔन, किएक तँ पवित्र आत्मा स्वयं अहाँ सभ पर परमेश्वरक लगाओल छाप छथि जे एहि बात केँ पक्का करैत अछि जे छुटकाराक दिन मे अहूँ सभक छुटकारा होयत। 31 अहाँ सभ हर तरहक कटुता, क्रोध, तामस, चिकरनाइ, दोसराक निन्दा कयनाइ और दुष्ट भावना केँ अपना सँ दूर करू। 32 एक-दोसराक प्रति दयालु बनू, एक-दोसर केँ करुणा देखाउ, और जहिना परमेश्वर मसीहक कारणेँ अहाँ सभ केँ क्षमा कऽ देलनि तहिना अहूँ सभ एक-दोसर केँ क्षमा करू।
1 संक्षेप मे ई जे, परमेश्वर केँ नमूना मानि, अपन आचरण हुनका जकाँ राखू, कारण, अहाँ सभ हुनकर धिआ-पुता छी, और ओ अहाँ सभ सँ बहुत प्रेम करैत छथि। 2 और जाहि तरहेँ मसीह अपना सभ सँ प्रेम कयलनि और अपना सभक लेल सुगन्धित चढ़ौना आ बलिदानक रूप मे अपना केँ पिता लग अर्पित कयलनि, तहिना अहाँ सभ प्रेमक मार्ग पर चलू। 3 अहाँ सभ मे कोनो तरहक अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध नहि होअय, कोनो प्रकारक अपवित्र विचार-व्यवहार नहि होअय, कोनो लोभ नहि होअय—एहि सभक चर्चो तक नहि। कारण, ई सभ बात परमेश्वरक पवित्र लोकक लेल उचित नहि अछि। 4 आ ने निर्लज्जता, मूर्खतापूर्ण बात-चीत वा अभद्र मजाक होअय—अहाँ सभ केँ एहन बात सभ शोभा नहि दैत अछि, बल्कि एहि सभक बदला मे प्रभु केँ धन्यवादे देबाक काज होयबाक चाही। 5 कारण, ई निश्चित रूप सँ जानि लिअ जे, कोनो अनैतिक वा अपवित्र काज करऽ वला, वा लोभी आदमी केँ मसीह आ परमेश्वरक राज्य मे कोनो हिस्सा नहि होयतैक। लोभ कयनाइ आ मूर्तिपूजा कयनाइ बराबरि बात अछि। 6 केओ निरर्थक तर्क द्वारा अहाँ सभ केँ धोखा नहि दओ—एही काज सभक कारणेँ आज्ञा नहि माननिहार सभ पर परमेश्वरक प्रकोप अबैत अछि। 7 तेँ ओहन काज करऽ वला सभक संग सहभागी नहि बनू। 8 अहाँ सभ पहिने अन्हार सँ भरल छलहुँ। आब प्रभुक लोक होयबाक कारणेँ इजोत सँ भरल छी। तेँ इजोतक सन्तान जकाँ आचरण करू, 9 किएक तँ इजोत जतऽ अछि, ततऽ ओ सभ बात उत्पन्न होइत अछि जे नीक, उचित और सत्य अछि। 10 ई सिखबाक कोशिश करैत रहू जे कोन-कोन बात सँ प्रभु प्रसन्न होइत छथि। 11 अन्हार द्वारा उत्पन्न व्यर्थक काज सभ मे भाग नहि लिअ, बल्कि ओकरा सभ केँ इजोत द्वारा देखार करू जे केहन काज अछि। 12 कारण, जे काज अनाज्ञाकारी लोक नुका कऽ करैत अछि तकर चर्चो कयनाइ लाजक बात अछि। 13 मुदा जे किछु इजोत मे लाओल जाइत अछि, से स्पष्ट रूप सँ देखाइ दैत अछि, और जे वस्तु एहि तरहेँ इजोत सँ प्रगट कयल जाइत अछि, से अपने इजोत बनि जाइत अछि। 14 एहि कारणेँ कहलो जाइत अछि जे, “हौ सुतनिहार, जागह! 2 मृत्यु मे सँ जीबि उठह, तँ मसीह तोरा पर अपन इजोत चमकौथुन।” 15 एहि लेल, अपन आचरणक पूरा-पूरा ध्यान राखू। निर्बुद्धि लोक जकाँ नहि, बल्कि बुद्धिमान जकाँ आचरण करू। 16 हर अवसरक पूरा सदुपयोग करू, कारण, ई वर्तमान समय खराब अछि। 17 तेँ एहन लोक नहि बनू जे बिनु सोचि-विचारि कऽ काज करैत अछि, बल्कि प्रभुक इच्छा की अछि, से बुझू। 18 दारू पिबि कऽ मतवाला नहि होउ, किएक तँ मतवालापन मात्र दुराचार वला मार्ग पर लऽ जाइत अछि, बल्कि परमेश्वरक आत्मा सँ परिपूर्ण होउ। 19 आपस मे भजन, स्तुति-गान और भक्तिक गीत गबैत रहू। अपना मोनो मे प्रभुक लेल गीत गबैत-बजबैत रहू, 20 और अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक माध्यम सँ हरदम सभ बातक लेल परमेश्वर पिता केँ धन्यवाद दिऔन। 21 मसीहक लेल श्रद्धा-भय रखबाक कारणेँ एक-दोसराक अधीन रहू। 22 हे स्त्री सभ, अहाँ सभ जहिना प्रभुक अधीन मे रहैत छी, तहिना अपना-अपना पतिक अधीन मे रहू। 23 कारण, जाहि तरहेँ मसीह अपन शरीरक, अर्थात् मण्डलीक, सिर छथि और ओकर मुक्तिदाता छथि, तहिना पति अपन स्त्रीक उपर, अर्थात् ओकर सिर, अछि। 24 तँ जाहि तरहेँ मण्डली मसीहक अधीन रहैत अछि, ताहि तरहेँ स्त्री सभ केँ सभ बात मे अपना-अपना पतिक अधीन रहबाक छैक। 25 यौ पति लोकनि, ओहि तरहेँ अपना स्त्री सँ प्रेम करू जाहि तरहेँ मसीह मण्डली सँ कयलनि और ओकरा लेल अपना केँ अर्पित कऽ देलनि, 26 जाहि सँ ओ ओकरा जल सँ धो कऽ वचन द्वारा शुद्ध करैत ओकरा पवित्र कऽ सकथि। 27 ई बात ओ एहि लेल कयलनि जाहि सँ ओ अपना सामने मण्डली केँ एक एहन कनियाँक रूप मे प्रस्तुत कऽ सकथि जे अति सुन्नरि होअय, जकरा मे ने कोनो दाग, ने झुर्री आ ने कोनो आन दोष होइक, बल्कि जे पवित्र और निष्कलंक होअय। 28 तहिना, पतिओ लोकनि केँ अपना स्त्री सँ अपन शरीर जकाँ प्रेम करबाक छैक। जे केओ अपना स्त्री सँ प्रेम करैत अछि, से अपना सँ प्रेम करैत अछि। 29 केओ कहाँ अपना शरीर सँ घृणा करैत अछि? बरु, ओ ओकर पालन-पोषण करैत अछि, ओकर देख-रेख करैत अछि। मसीहो मण्डलीक संग एहिना करैत छथि, कारण, मण्डली हुनकर शरीर छनि, 30 आ अपना सभ ओहि शरीरक अंग छी। 31 धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, “एहि कारणेँ पुरुष अपन माय-बाबू केँ छोड़ि कऽ अपन स्त्रीक संग रहत, और दूनू एक शरीर भऽ जायत।” 32 ई एकटा पैघ रहस्य अछि, मुदा हम एकरा एहि रूप मे बुझैत छी जे ई मसीह और हुनकर मण्डलीक सम्बन्धक दिस संकेत करैत अछि। 33 तैयो एकर व्यक्तिगत रूप मे सेहो अर्थ होइत अछि—अहाँ सभ मे सँ हर व्यक्ति जहिना अपना सँ प्रेम करैत छी तहिना अपना स्त्री सँ प्रेम करू, और स्त्री अपन पतिक आदर करथि।
1 हौ धिआ-पुता सभ! तोँ सभ प्रभुक लोक होयबाक कारणेँ अपन माय-बाबूक आज्ञा मानह, किएक तँ यैह उचित छह। 2 धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “अपन माय-बाबूक आदर करह”—ई पहिल आज्ञा अछि जकरा संग एक वचनो देल गेल अछि। 3 ओ वचन ई अछि जे, “...जाहि सँ तोहर कल्याण होअओ और तोँ बहुतो साल धरि पृथ्वी पर जीबैत रहह।” 4 यौ पिता लोकनि, अहाँ सभ अपन बच्चा सभक संग एहन व्यवहार नहि करू जाहि सँ ओ सभ तंग भऽ कऽ खिसिआयल रहि जाय, बल्कि ओकरा सभक पालन-पोषण प्रभुक शिक्षा आ निर्देशक अनुसार करिऔक। 5 यौ दास सभ! अहाँ सभ जहिना मसीहक सेवा करितहुँ तहिना निष्कपट मोन सँ भय आ आदरक संग तिनका सभक आज्ञा मानू जे सभ एहि संसार मे अहाँ सभक मालिक छथि। 6 मालिक केँ खुश करबाक उद्देश्य सँ, जखन ओ देखैत छथि तखने मात्र अपन काज नहि करू, बल्कि पूरा मोन सँ परमेश्वरक इच्छा पूरा करैत अपना केँ मसीहेक दास बुझि कऽ करू। 7 अपन सेवा-काज खुशी मोन सँ करू, ई बुझैत जे मनुष्यक लेल नहि, बल्कि प्रभुक लेल करैत छी, 8 कारण, अहाँ सभ तँ जनिते छी जे प्रत्येक व्यक्ति, ओ चाहे दास होअय वा स्वतन्त्र, ओ जे कोनो नीक काज करत, तकर प्रतिफल प्रभु सँ पाओत। 9 आब अहाँ सभ, जे मालिक छी, अहूँ सभ उचिते व्यवहार अपन दास सभक संग करू। डेरौनाइ-धमकौनाइ छोड़ि दिअ, एहि बातक मोन रखैत जे स्वर्ग मे ओकरा सभक आ अहाँ सभक एके मालिक छथि, और ओ ककरो संग पक्षपात नहि करैत छथि। 10 अन्त मे ई जे, प्रभुक असीम सामर्थ्य द्वारा हुनका मे बलवन्त होउ। 11 परमेश्वर सँ भेटल सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण करू जाहि सँ शैतानक छल-कपट वला चालि सभक सामना कऽ सकी। 12 कारण, अपना सभक संघर्ष मनुष्य सँ नहि अछि, बल्कि एहि अन्हार संसारक अदृश्य अधिपति सभ, अधिकारी सभ आ शासन करऽ वला सभ सँ अछि, आत्मिक क्षेत्र सभक दुष्ट शक्ति सभ सँ अछि। 13 एहि लेल, परमेश्वरक सम्पूर्ण अस्त्र-शस्त्र धारण करू, जाहि सँ दुष्ट वला दुर्दिन जखन आओत, तँ अहाँ सभ दुष्टताक सामना कऽ सकी, आ अन्त धरि लड़ि कऽ ठाढ़ रहि सकी। 14 तेँ डाँड़ मे सत्यक फाँड़ बान्हि कऽ, धार्मिकताक कवच धारण कऽ आ शान्तिक सुसमाचार सुनयबाक लेल उत्साहक जुत्ता पयर मे पहिरि दृढ़ भऽ कऽ ठाढ़ होउ। 16 संगहि विश्वासक ढाल हाथ मे लेने रहू, जकरा द्वारा अहाँ सभ दुष्ट शैतानक सभ अग्निवाण मिझा सकब। 17 उद्धारक टोप लगाउ आ पवित्र आत्माक तरुआरि, अर्थात् परमेश्वरक वचन, सेहो लऽ लिअ। 18 हर समय मे परमेश्वरक आत्माक सहायता सँ सभ प्रकारक प्रार्थना और विनती प्रभु सँ करैत रहू। प्रार्थना करऽ मे सदिखन सचेत आ लगनशील रहू। परमेश्वरक सभ लोकक लेल प्रार्थना कयनाइ नहि छोड़ू। 19 हमरो लेल प्रार्थना करू। प्रार्थना ई करू जे हमरा जखन बजबाक अवसर भेटय, तखन कहऽ वला शब्द हमरा देल जाय, जाहि सँ हम निडर भऽ कऽ लोक केँ शुभ समाचारक ओहि सत्य केँ सुना सकी, जे पहिने गुप्त छल मुदा आब प्रगट कयल गेल अछि। 20 हम ओही शुभ समाचारक लेल राजदूत छी, आ जहल मे कैदी छी । ई प्रार्थना करू जे, जहिना हमरा साहसक संग शुभ समाचार सुनयबाक चाही, तहिना हम सुना सेहो सकी। 21 प्रभुक विश्वस्त सेवक, हमर प्रिय भाय तुखिकुस अहाँ सभ केँ सभ बात सुनौताह, जाहि सँ अहूँ सभ बुझब जे हम कोना छी आ की कऽ रहल छी। 22 हम हुनका एही लेल अहाँ सभक ओतऽ पठा रहल छी, जे अहाँ सभ हमरा सभक सभ हाल-समाचार बुझी, आ ओ अहाँ सभक हिम्मत बढ़बथि। 23 पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीहक दिस सँ सभ भाइ लोकनि केँ शान्ति आ विश्वासक संग प्रेम भेटैत रहय। 24 परमेश्वरक कृपा ओहि सभ लोक पर रहय, जे सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह सँ ओहन प्रेम करैत अछि जे कहियो समाप्त नहि होयत।
1 पौलुस आ तिमुथियुस, जे मसीह यीशुक दास सभ छथि, तिनका सभक दिस सँ फिलिप्पी नगर मे रहऽ वला परमेश्वरक सभ पवित्र लोक जे मसीह यीशु मे छथि, मण्डलीक जिम्मेवार लोकनि और मण्डली-सेवक सभ सेहो, तिनका सभक नाम मे ई पत्र। 2 अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 3 जखन कखनो हम अहाँ सभक स्मरण करैत छी तँ हम अपना परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि। 4 जखन अहाँ सभ गोटेक लेल प्रार्थना करैत छी तँ हरदम आनन्देक संग करैत छी, 5 किएक तँ अहाँ सभ पहिलुके दिन सँ लऽ कऽ एखन धरि शुभ समाचारक काज मे हमरा संग सहभागी छी। 6 हमरा एहि बातक निश्चयता अछि जे, जे परमेश्वर अहाँ सभ मे नीक काज शुरू कयने छथि, से मसीह यीशुक अयबाक दिन धरि ओकरा पूरा सेहो करताह। 7 अहाँ सभक प्रति हमर ई भावना ठीको अछि—अहाँ सभ तँ हमरा हृदय मे बसि गेल छी, किएक तँ हम चाहे जहलक भीतर मे छी वा बाहर शुभ समाचारक सत्यताक साक्षी दऽ रहल छी आ ओकर पुष्टि कऽ रहल छी, अहाँ सभ गोटे हमरा संग परमेश्वरक कृपा मे सहभागी छी। 8 परमेश्वर हमर गवाह छथि जे हमर हृदय अहाँ सभक प्रति मसीह यीशुक प्रेम सँ भरल अछि और अहाँ सभ गोटे केँ देखबाक लेल हमर मोन कतेक लागल रहैत अछि। 9 परमेश्वर सँ हमर प्रार्थना यैह अछि जे अहाँ सभक प्रेम सत्य-ज्ञान आ पूर्ण बुद्धि-विवेकक संग निरन्तर बढ़ैत जाय, 10 जाहि सँ अहाँ लोकनि सभ सँ उत्तम बात सभ चिन्हि ली आ मसीहक अयबाक दिन धरि निर्दोष आ शुद्ध मोनक रही 11 आ अहाँ सभक जीवन यीशु मसीह द्वारा उत्पन्न होमऽ वला धार्मिकता सँ भरल होअय, जाहि सँ परमेश्वरक सम्मान आ प्रशंसा होनि। 12 यौ भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ केँ एहि बातक जानकारी दऽ देबऽ चाहैत छी जे हमरा पर जे बितल अछि ताहि सँ शुभ समाचारक प्रचार मे उन्नतिए भेल अछि, 13 एतऽ तक जे राज-महलक सम्पूर्ण सुरक्षा दल और आरो सभ लोकक बीच सेहो ई बात पसरि गेल अछि जे हम मसीहक प्रचार करबाक कारणेँ बन्दी बनाओल गेल छी। 14 हमरा बन्दी होयबाक कारणेँ अधिकांश मसीही भाय सभक मोन मे प्रभु पर भरोसा बढ़ि गेल छनि जाहि सँ ओ सभ आब पहिने सँ बेसी साहसक संग निडर भऽ कऽ परमेश्वरक वचन सुनबैत छथि। 15 किछु लोक हमरा सँ डाह कऽ कऽ विरोधक भावना सँ मसीहक प्रचार करैत छथि, से बुझैत छी, मुदा किछु लोक नीक भावना सँ। 16 ई लोक प्रेम सँ प्रचार करैत छथि, ई जानि जे हम शुभ समाचारक रक्षाक लेल एतऽ राखल गेल छी। 17 मुदा दोसर सभ शुद्ध मोन सँ नहि, स्वार्थ सँ मसीहक शुभ समाचार सुनबैत अछि, ई सोचि जे एहि तरहेँ हमरा लेल जहल मे कष्ट बढ़ा रहल अछि। 18 मुदा ताहि सँ की? कपट सँ होअय वा सदभाव सँ, मसीहक प्रचार सभ तरहेँ भऽ रहल अछि। हम एहि बात सँ आनन्दित छी। आ हम आनन्द मनबिते रहब, 19 किएक तँ हम जनैत छी जे अहाँ सभक प्रार्थना सभक द्वारा आ यीशु मसीहक आत्माक सहायता द्वारा एहि सभ बातक परिणाम ई होयत जे हमर छुटकारा भऽ जायत। 20 ई हमर एहि हार्दिक आशा आ अभिलाषाक अनुसार सेहो अछि जे हम कोनो बात मे लज्जित होयबाक जोगरक नहि बनी, बल्कि हमरा पूरा साहस रहय जाहि सँ जहिना हमरा जीवन सँ मसीहक आदर सदा होइत रहल अछि तहिना आब सेहो होइत रहओ, चाहे हम जीवित रही वा मरि जाइ। 21 हमरा लेल जीवित रहबाक अर्थ अछि मसीहक लेल जीनाइ, आ मरनाइ अछि लाभ। 22 मुदा जँ हम जीवित रही तँ फलदायक परिश्रम कऽ सकब। तखन हम कोन चुनी—जीनाइ वा मरनाइ, से नहि जनैत छी। 23 हम बड़का दुबिधा मे छी। मोन तँ होइत अछि जे एहि संसार केँ छोड़ि कऽ मसीह लग जा कऽ रही, जे शरीर मे जीवित रहनाइ सँ बहुत नीक अछि। 24 मुदा अहाँ सभक लेल बेसी आवश्यक ई अछि जे हम शरीर मे जीवित रही। 25 एहि बातक हमरा पूरा विश्वास अछि, आ तेँ हम जनैत छी जे हम जीवित रहब और अहाँ सभक संग रहब, जाहि सँ विश्वास मे अहाँ सभक आनन्द बढ़य और प्रगति होअय। 26 एहि तरहेँ जखन हम फेर अहाँ सभक ओतऽ आयब तँ मसीह यीशु हमरा लेल की सभ कयलनि, ताहि पर अहाँ सभ केँ आरो गर्व करबाक आधार भेटत। 27 मुदा जे किछु होअय, अहाँ सभ एक बातक ध्यान राखू—अहाँ सभक आचरण-व्यवहार मसीहक शुभ समाचारक योग्य होअय। एहि तरहेँ हम चाहे आबि कऽ अहाँ सभ सँ भेँट करी वा दूर रहि कऽ अहाँ सभक विषय मे सुनी, हमरा यैह पता चलय जे अहाँ सभ एक आत्मा मे स्थिर छी और एक मोनक भऽ कऽ एक संग मिलि कऽ ओहि विश्वासक लेल संघर्ष करैत छी जे शुभ समाचार पर आधारित अछि 28 आ अपन विरोधी सभ सँ कनेको डेरायल नहि छी। ई ओकरा सभक विनाशक, मुदा अहाँ सभक उद्धारक स्पष्ट प्रमाण अछि। और ई सभ बात परमेश्वरक दिस सँ अछि। 29 कारण, अहाँ सभ केँ ई वरदान देल गेल अछि जे अहाँ सभ मात्र मसीह पर विश्वासे नहि करी, बल्कि हुनका लेल कष्ट सेहो सही। 30 अर्थात्, अहूँ सभ ओहने संघर्ष मे लागल छी जेहन अहाँ सभ हमरा करैत देखलहुँ आ सुनैत होयब जे एखनो कऽ रहल छी।
1 एहि लेल, जखन मसीह सँ संयुक्त रहला सँ अहाँ सभ केँ प्रोत्साहन भेटैत अछि, जखन हुनका प्रेम सँ सान्त्वना भेटैत अछि, जखन पवित्र आत्माक संग संगति अछि, जखन स्नेहक भावना आ सहानुभूति अछि, 2 तँ अहाँ सभ एक-दोसर सँ सहमत रहू, एक-दोसर सँ प्रेम करू, एकचित्त रहि एके लक्ष्य राखू और एहि तरहेँ हमर आनन्द पूर्ण करू। 3 स्वार्थपूर्ण अभिलाषा सँ वा अपना केँ किछु बनयबाक लेल कोनो काज नहि करू, बल्कि नम्र भऽ कऽ दोसर केँ अपना सँ श्रेष्ठ मानू। 4 अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक लोक अपनेटा नहि, बल्कि दोसरो लोकक हितक ध्यान राखू। 5 अहाँ सभ वैह भावना राखू जे मसीह यीशु मे छलनि— 6 ओ वास्तव मे परमेश्वर छलाह, 2 मुदा तैयो ओ परमेश्वरक तुल्य रहबाक अधिकार केँ पकड़ने रहऽ वला वस्तु नहि बुझलनि। 7 तकरा बदला मे ओ अपन सभ किछु त्यागि देलनि 2 आ दासक स्वरूप धारण कऽ मनुष्य बनि गेलाह। 8 एहि तरहेँ मनुष्यक रूप मे रहि कऽ 2 ओ अपना केँ विनम्र बनौलनि 2 आ एतऽ तक आज्ञाकारी बनलाह जे मृत्यु, हँ, क्रूस परक मृत्यु सेहो, स्वीकार कयलनि। 9 एहि कारणेँ परमेश्वर हुनका सभ सँ ऊँच स्थान पर राखि अति महान् कयलनि 2 आ हुनका ओ नाम प्रदान कयलनि जे सभ नाम सँ श्रेष्ठ अछि, 10 जाहि सँ यीशुक नाम सुनैत प्रत्येक प्राणी ठेहुनिया देअय, 2 चाहे ओ स्वर्ग मे वा पृथ्वी पर वा पृथ्वीक नीचाँ रहऽ वला होअय, 11 और पिता परमेश्वरक गुणगान मे 2 प्रत्येक प्राणी अपना मुँह सँ स्वीकार करय जे यीशु मसीह प्रभु छथि। 12 एहि लेल, यौ हमर प्रिय मित्र लोकनि, जाहि तरहेँ अहाँ सभ हरदम आज्ञा पालन करैत आयल छी, तहिना आब सेहो हमर उपस्थिति सँ बेसी हमर अनुपस्थिति मे पालन करैत रहू। डेराइत-कँपैत ओहन काज करैत रहू जे परमेश्वर सँ पाओल अपन उद्धार सँ उत्पन्न होअय। 13 किएक तँ परमेश्वर अपने अहाँ सभ मे काज करैत अपन प्रसन्नताक अनुसार चलबाक इच्छा आ क्षमता दूनू प्रदान करैत छथि। 14 अहाँ सभ जे किछु करब से बिनु कुड़बुड़ा कऽ आ बिना विवाद मे पड़ि कऽ करू, 15 जाहि सँ अहाँ सभ निर्दोष आ निष्कपट होइ और जीवन देबऽ वला सुसमाचार पर अटल रहि कऽ एहि बेइमान आ भ्रष्ट पीढ़ीक बीच परमेश्वरक निष्कलंक सन्तान भऽ संसार मे इजोत बनि कऽ चमकी। एहि तरहेँ हम मसीहक अयबाक दिन मे एहि बात पर गौरव कऽ सकब जे हमर भाग-दौड़ आ परिश्रम कयनाइ व्यर्थ नहि भेल। 17 अहाँ सभ विश्वास सँ प्रेरित भऽ कऽ परमेश्वरक जे सेवा कऽ रहल छी, से हुनका अर्पित कयल एक बलि अछि। आब जँ हमरो जीवन ताहि पर ढारल जा कऽ अर्पित कयल जा रहल अछि तँ हम तैयो खुश छी आ अहाँ सभ गोटेक संग आनन्द मनबैत छी। 18 तेँ अहूँ सभ आनन्दित होउ आ हमरा संग आनन्द मनाउ। 19 हमरा आशा अछि जे हम प्रभु यीशुक सहायता सँ किछुए दिन मे तिमुथियुस केँ अहाँ सभक ओतऽ पठा सकब, जाहि सँ अहाँ सभक हाल-समाचार जानि कऽ हमरो मोन खुश भऽ जाय। 20 हमरा लग हुनका जकाँ आओर केओ नहि अछि जे शुद्ध मोन सँ अहाँ सभक कुशलताक चिन्ता करैत होअय। 21 सभ अपन-अपन काज मे लागल अछि, यीशु मसीहक काज पर ध्यान नहि दैत अछि। 22 मुदा अहाँ सभ जनैत छी जे तिमुथियुस अपन योग्यता स्पष्ट रूप सँ प्रमाणित कयने छथि, कारण जेना कोनो बाप-बेटा संग-संग काज करैत अछि, तहिना शुभ समाचार सुनयबाक सेवा-काज मे ओ बेटा जकाँ हमरा संग परिश्रम कयने छथि। 23 एहि लेल हम आशा करैत छी जे जखने हमरा किछु बुझऽ मे आबि जायत जे हमरा संग की होमऽ वला अछि, तँ हम हुनका अहाँ सभक ओतऽ पठा देबनि। 24 और हमरा पूरा भरोसा अछि जे प्रभुक सहायता सँ हमहूँ स्वयं जल्दी अहाँ सभ लग आयब। 25 मुदा हमरा ई आवश्यक बुझाइत अछि जे हम अपन भाय एपाफ्रुदितुस केँ अहाँ सभ लग वापस पठा दी। ओ हमरा संग-संग काज करऽ वला आ एहि काजक संघर्ष मे हमरा संग-संग लड़ऽ वला छथि। ओ अहाँ सभक दूत छथि जिनका अहाँ सभ हमर आवश्यकता पूरा करबाक लेल एतऽ पठौने छलहुँ। 26 अहाँ सभ केँ फेर देखबाक लेल हुनका मोन लागल छनि आ एहि बात सँ चिन्तित छथि जे अहाँ सभ हुनका बिमारीक सम्बन्ध मे सुनि लेने छलहुँ। 27 वास्तव मे ओ बहुत बिमार छलाहो आ मरैत-मरैत बँचलाह। मुदा परमेश्वर केँ हुनका पर दया भेलनि आ मात्र हुनके पर नहि, बल्कि हमरो पर जाहि सँ हुनकर मृत्युक कारणेँ हमरा दुःख पर दुःख नहि सहऽ पड़य। 28 एहि कारणेँ, हम हुनका पठयबाक लेल आओर उत्सुक छी, जाहि सँ हुनका फेर देखि कऽ अहाँ सभ आनन्दित होइ आ हमरो मोन हल्लुक भऽ जाय। 29 तेँ प्रभु मे खुशी-आनन्दक संग हुनकर स्वागत करू। एहन लोक सभक आदर करबाक चाही, 30 किएक तँ मसीहक काजक लेल ओ अपना प्राण केँ दाँव पर लगा देलनि आ मृत्युक मुँह धरि पहुँचि गेलाह जाहि सँ ओ हमरा लेल ओ सेवा पूरा करथि जे अहाँ सभ नहि कऽ सकलहुँ।
1 आब, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ प्रभु मे आनन्दित रहू। अहाँ सभ केँ ई बात सभ दोहरा कऽ लिखऽ मे हमरा कोनो कष्ट नहि बुझाइत अछि, किएक तँ ई अहाँ सभक सुरक्षाक लेल हितकर अछि। 2 अहाँ सभ ओहि कुकुर सभ सँ होसियार रहू, हँ, ओहि अधलाह काज कयनिहार सभ सँ, ओहि अंग काट-कूट कयनिहार सभ सँ ⌞जे सभ सिखबैत अछि जे उद्धार पयबाक लेल खतना करौनाइ आवश्यक अछि।⌟ 3 किएक तँ वास्तविक “खतना कयल लोक” तँ अपना सभ छी जे परमेश्वरक आत्मा द्वारा हुनकर आराधना करैत छी आ अपन मानवीय योग्यता पर भरोसा नहि रखैत छी, बल्कि मसीह यीशु पर गौरव करैत छी, 4 ओना तँ हम मानवीय योग्यता पर भरोसा राखि सकैत छलहुँ। जँ ककरो अपन मानवीय योग्यता पर भरोसा रखबाक आधार बुझाइत होइक तँ हमरा ओकरो सँ बेसी भऽ सकैत अछि— 5 जन्मक आठम दिन हमर खतना भेल। हम इस्राएलिए जातिक, बिन्यामीन कुलक, इब्रानी सँ जन्मल इब्रानी छी। धर्म-नियमक पालन करबाक दृष्टिकोण सँ हम एक फरिसी छलहुँ। 6 धर्मक प्रति हमर उत्साह एतेक छल जे हम मसीहक मण्डली पर अत्याचार करैत छलहुँ। आ धर्म-नियम पर आधारित धार्मिकताक दृष्टि सँ हमरा मे कोनो त्रुटी नहि छल। 7 मुदा जाहि बात सभ केँ हम लाभ बुझैत छलहुँ तकरा आब मसीहक कारणेँ हानि बुझैत छी। 8 एतबे नहि, बल्कि हम अपन प्रभु, मसीह यीशु केँ जानि लेनाइ सर्वश्रेष्ठ लाभ मानैत छी जकरा तुलना मे अन्य सभ बात केँ हानि बुझैत छी। हम हुनके लेल सभ किछु त्यागि देने छी, हँ, सभ केँ घृणाक वस्तु बुझैत छी, जाहि सँ हम ई लाभ उठाबी जे मसीह हमर बनि जाथि 9 आ हम हुनका मे पाओल जाइ। ई हमरा ओहि धार्मिकता सँ नहि होइत अछि जे धर्म-नियमक पालन कयला सँ मानल जाइत अछि, बल्कि ओहि धार्मिकता सँ जे मसीह पर विश्वास कयला सँ भेटैत अछि, अर्थात् ओहि धार्मिकता सँ जे मात्र विश्वासक आधार पर परमेश्वर सँ प्राप्त होइत अछि। 10 हँ, हम एही लेल सभ किछु त्यागि देने छी जाहि सँ हम मसीह केँ जानि ली, आ ओहि सामर्थ्यक अनुभव करी जकरा द्वारा ओ फेर जिआओल गेलाह, आ हुनकर दुःख भोगनाइ मे सहभागी बनि जाइ, और एहि तरहेँ जेहन ओ मृत्युक समय मे रहलाह तेहने हमहूँ बनी 11 जाहि सँ चाहे किछुओ होअय हमहूँ मृत्यु सँ जिआओल जा सकी। 12 हम ई नहि कहैत छी जे एखन तक हमरा एहि लक्ष्यक प्राप्ति भऽ गेल अछि वा हमरा सिद्धी भऽ चुकल अछि। मुदा हम आगाँ बढ़ैत जाइत रहैत छी जाहि सँ हम ओहि लक्ष्य केँ प्राप्त करी जाहि लक्ष्यक लेल मसीह यीशु हमरा अपन बना लेने छथि। 13 यौ भाइ लोकनि, हम नहि मानैत छी जे एखन तक हम ओहि लक्ष्य धरि पहुँचि गेल छी। मुदा हम एकटा काज करैत छी—जे पाछाँ अछि तकरा बिसरि कऽ आगाँ वला बातक लेल प्रयत्नशील रहैत छी। 14 हम ओहि लक्ष्यक दिस बढ़ैत जा रहल छी जाहि सँ हम ओ पुरस्कार प्राप्त कऽ सकी जकरा लेल परमेश्वर मसीह यीशु द्वारा हमरा स्वर्ग दिस बजौने छथि। 15 आब अपना सभ जे बुझऽ वला लोक छी, सभ केँ यैह मनोभावना होयबाक चाही आ जँ कोनो बात मे अहाँ सभ केँ दोसर विचार होअय तँ परमेश्वर तकरो अहाँ सभक लेल स्पष्ट करताह। 16 जे किछु होअय, अपना सभ जाहि स्तर धरि पहुँचि गेल छी ताहि अनुरूप आचरण करी। 17 यौ भाइ लोकनि, हम जेना करैत छी, तेना करऽ मे एक-दोसर केँ संग दिअ। हम अहाँ सभ केँ एक नमूना देलहुँ; ताहि अनुसार चलऽ वला लोक सभ पर ध्यान देने रहू, 18 किएक तँ हम अहाँ सभ केँ पहिने बेर-बेर कहि चुकल छी आ एखनो कानि-कानि कऽ कहैत छी जे एहन बहुत लोक सभ अछि जे सभ अपन आचरण द्वारा मसीहक क्रूसक दुश्मन बनैत अछि। 19 ओकरा सभक सर्वनाश निश्चित अछि। ओ सभ पेट केँ अपन ईश्वर बना लेने अछि आ एहन बात सभ पर गर्व करैत अछि जाहि पर लाज होयबाक चाहिऐक। ओ सभ सांसारिक वस्तु सभ पर मोन लगौने अछि। 20 मुदा अपना सभक नागरिकता तँ स्वर्गक अछि आ अपना सभ स्वर्ग सँ आबऽ वला मुक्तिदाताक बाट उत्सुकतापूर्बक तकैत रहैत छी, अर्थात्, प्रभु यीशु मसीहक। 21 हुनका सभ किछु केँ अपना अधीन कऽ लेबाक जे सामर्थ्य छनि, ताहि सामर्थ्य द्वारा ओ अपना सभक कमजोर मरणशील शरीर केँ बदलि कऽ अपन महिमामय शरीर जकाँ बना देताह।
1 एहि लेल, यौ हमर भाइ लोकनि, हमर प्रिय लोक सभ, हँ, अहाँ सभ जिनका सभ पर हमर मोन लागल रहैत अछि, जे सभ हमर आनन्द, हमर मुकुट, हमर प्रिय मित्र सभ छी, जहिना हम अहाँ सभ केँ कहने छी, तहिना प्रभु मे स्थिर रहू! 2 हम यूओदिया आ सुन्तुखे, अहाँ दूनू सँ आग्रहपूर्बक विनती करैत छी जे अहाँ सभ प्रभु मे एक मोनक भऽ कऽ रहू। 3 हँ, यौ हमर विश्वस्त सहकर्मी, हम अहूँ सँ निवेदन करैत छी जे अहाँ एहि दूनू स्त्रीगणक सहायता करू, किएक तँ ई सभ क्लेमेन्स आ हमर अन्य सहयोगी सभक संग, जिनका सभक नाम जीवनक पुस्तक मे लिखल अछि, शुभ समाचार सम्बन्धी संघर्ष मे हमरा संग कठिन परिश्रम कयलनि अछि। 4 प्रभु मे सदिखन आनन्दित रहू। हम फेर कहैत छी, आनन्दित रहू! 5 सभ लोक ई देखि सकय जे अहाँ सभ नम्र लोक छी। प्रभु लगे मे छथि। 6 कोनो बातक चिन्ता-फिकिर नहि करू, बल्कि प्रत्येक परिस्थिति मे परमेश्वर सँ प्रार्थना आ निवेदन करू; अपन विनती धन्यवादक संग हुनका सम्मुख प्रस्तुत करू। 7 तखन परमेश्वरक शान्ति, जकरा मनुष्य केँ बुझि पौनाइ असम्भव अछि, से अहाँ सभक हृदय आ अहाँ सभक बुद्धि केँ मसीह यीशु मे सुरक्षित राखत। 8 अन्त मे, यौ भाइ लोकनि, जे बात सभ सत्य अछि, जे बात सभ प्रतिष्ठित अछि, जे बात सभ न्यायसंगत अछि, जे बात सभ पवित्र अछि, जे बात सभ प्रेम करबाक योग्य अछि, जे बात सभ आदरयोग्य अछि, अर्थात्, जे कोनो बात उत्तम वा प्रशंसनीय अछि ताही पर ध्यान लगौने रहू। 9 अहाँ सभ जे बात सभ हमरा सँ सिखलहुँ, पौलहुँ, सुनलहुँ आ हमरा मे देखलहुँ, तकरे अनुरूप आचरण करू। आ परमेश्वर जे शान्तिक स्रोत छथि, से अहाँ सभक संग रहताह। 10 हम प्रभु मे बहुत आनन्दित छी जे एतेक दिनक बाद अहाँ सभ फेर हमर चिन्ता कयलहुँ। पहिनहुँ अहाँ सभ केँ हमर चिन्ता अवश्य रहैत छल मुदा तकरा प्रगट करबाक कोनो मौका नहि भेटि रहल छल। 11 हम ई एहि लेल नहि कहि रहल छी जे हमरा कोनो बातक कमी अछि, किएक तँ हम प्रत्येक परिस्थिति मे सन्तुष्ट रहनाइ सिखि लेने छी। 12 हम विपन्नता मे रहनाइ आ सम्पन्नता मे रहनाइ, दूनू सँ परिचित छी। चाहे तृप्त होइ वा भूखल होइ, सम्पन्न होइ वा अभाव मे होइ, हम कोनो परिस्थिति मे सन्तुष्ट रहनाइ सिखि लेने छी। 13 जे हमरा बल दैत छथि हम तिनका द्वारा सभ किछु कऽ सकैत छी। 14 तैयो अहाँ सभ नीके कयलहुँ जे संकटक समय मे हमरा कष्ट मे सहभागी बनलहुँ। 15 यौ फिलिप्पी वासी सभ, अहाँ सभ अपने जनैत छी जे जखन अहाँ सभ शुरू मे शुभ समाचार सँ परिचित भेलहुँ आ जखन हम मकिदुनिया प्रदेश सँ विदा भेलहुँ, तँ अहाँ सभ केँ छोड़ि कोनो दोसर मण्डली लेन-देनक विषय मे हमरा संग सहभागी नहि भेल। 16 जखन हम थिसलुनिका मे छलहुँ तहियो अहाँ सभ हमर आवश्यकता पूरा करबाक लेल बेर-बेर सहायता पठौलहुँ। 17 ई बात नहि जे हम अहाँ सभ सँ दानक आशा रखैत छी, बल्कि हम ई आशा रखैत छी जे अहाँ सभक दान देबाक परिणामस्वरूप अहीं सभ केँ फल भेटय, जे अहाँ सभक खाता मे जमा होइत जाय। 18 हमरा सभ किछु भेटल आ ओ बहुत प्रशस्त अछि। अहाँ सभ एपाफ्रुदितुसक हाथेँ जे दान पठौलहुँ तकरा पाबि हमरा कोनो बातक कमी नहि रहि गेल। अहाँ सभक ई दान एक बढ़ियाँ सुगन्ध, एक ग्रहणयोग्य बलिदान अछि, जे परमेश्वर पसन्द करैत छथि। 19 हमर परमेश्वर सेहो अपन ओहि असीम महिमाक भण्डार सँ जे मसीह यीशु मे रहैत अछि, अहाँ सभक प्रत्येक आवश्यकता पूरा करताह। 20 अपना सभक पिता परमेश्वरक स्तुति युगानुयुग होइत रहनि। आमीन। 21 परमेश्वरक सभ लोक केँ जे मसीह यीशु मे छथि, हमर नमस्कार अछि। जे भाय सभ हमरा संग छथि से सभ अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। 22 प्रभुक सभ लोकक दिस सँ जे एतऽ छथि, विशेष रूप सँ तिनका सभक दिस सँ जे सभ सम्राटक राजभवन मे काज करैत छथि, अहाँ सभ केँ नमस्कार अछि। 23 प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभक आत्मा मे बनल रहय।
1 हम पौलुस, जे परमेश्वरक इच्छा सँ मसीह यीशुक एक मसीह-दूत छी, से अपना सभक भाय तिमुथियुसक संग ई पत्र अहाँ सभ केँ लिखि रहल छी, 2 जे सभ कुलुस्से नगर मे रहनिहार परमेश्वरक पवित्र लोक छी, अर्थात् अहाँ विश्वासी भाइ सभ केँ जे मसीह मे छी। अपना सभक पिता परमेश्वर अहाँ सभ पर कृपा करथि आ अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 3 हम सभ जखन-कखनो अहाँ सभक लेल प्रार्थना करैत छी, तँ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक पिता, परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि, 4 किएक तँ मसीह यीशु पर अहाँ सभक जे विश्वास अछि आ परमेश्वरक सभ लोकक लेल जे प्रेम अछि, ताहि सम्बन्ध मे हम सभ सुनने छी। 5 अहाँ सभक ई विश्वास आ प्रेम अहाँ सभक आशा पर आधारित अछि, अर्थात् ओहि बात सभ केँ पयबाक आशा जे बात सभ अहाँ सभक लेल स्वर्ग मे सुरक्षित राखल अछि। एहि बात सभक विषय मे अहाँ सभ तखन सुनलहुँ जखन सत्यक सम्बाद, अर्थात्, सुसमाचार, अहाँ सभ केँ सुनाओल गेल। 6 जहिना ई सुसमाचार अहाँ सभक बीच मे ओहि दिन सँ परिवर्तन लबैत जा रहल अछि जहिया सँ अहाँ सभ एकरा सुनलहुँ आ परमेश्वरक कृपाक सत्यता केँ बुझलहुँ, तहिना ओ सौंसे संसार मे लोकक जीवन मे परिवर्तन लाबि रहल अछि आ बढ़ैत जा रहल अछि। 7 एहि बातक शिक्षा अहाँ सभ अपना सभक प्रिय भाय एपाफ्रास सँ पौलहुँ, जे हमरा सभक संग-संग सेवा करैत छथि आ हमरा सभक प्रतिनिधिक रूप मे मसीहक विश्वासयोग्य सेवक छथि। 8 ओ हमरा सभ केँ कहने छथि जे परमेश्वरक आत्मा अहाँ सभ मे कतेक प्रेम उत्पन्न कयने छथि। 9 एहि कारणेँ, जाहि दिन सँ हम सभ अहाँ सभक विषय मे सुनलहुँ, ताहि दिन सँ अहाँ सभक लेल परमेश्वर सँ प्रार्थना कयनाइ नहि छोड़ने छी। हुनका सँ ई विनती करैत छी जे, ओ अहाँ सभ केँ पूर्ण आत्मिक बुद्धि और बुझबाक क्षमता देथि जाहि सँ अहाँ सभ पूर्ण रूप सँ जानी जे हुनकर इच्छा की अछि। 10 हुनका सँ ई विनती एहि लेल करैत छी जाहि सँ अहाँ सभक आचरण प्रभुक योग्य होअय, जाहि सँ अहाँ सभ प्रभु केँ सभ बात मे प्रसन्न करी। हम प्रार्थना करैत छिऐन जे अहाँ सभ हर प्रकारक भलाइक काज करैत रही आ परमेश्वरक ज्ञान मे बढ़ैत रही। 11 परमेश्वर अपन अद्भुत सामर्थ्यक महान् शक्ति सँ अहाँ सभ केँ मजगूत बनबथि, जाहि सँ सभ बात केँ अहाँ सभ धैर्य आ सहनशीलताक संग सहि सकी, 12 आ आनन्दपूर्बक ओहि पिता केँ धन्यवाद दैत रही जे अहाँ सभ केँ इजोतक राज्य मे रहऽ वला हुनकर लोकक उत्तराधिकार मे सहभागी होयबा जोगरक बनौने छथि। 13 कारण, ओ अपना सभ केँ अन्हारक राज्य सँ मुक्त करा कऽ अपन प्रिय पुत्रक राज्य मे प्रवेश करौने छथि। 14 हुनका पुत्र द्वारा अपना सभ केँ छुटकारा भेटल अछि, पापक क्षमा प्राप्त भेल अछि। 15 यीशु मसीह अदृश्य परमेश्वरक प्रतिरूप छथि, ओ समस्त सृष्टिक उपर सर्वोच्च स्थान पर छथि। 16 किएक तँ हुनके माध्यम सँ सभ वस्तुक सृष्टि भेल, ओ चाहे स्वर्गक होअय वा पृथ्वीक, दृश्य होअय वा अदृश्य, सिंहासन होअय वा प्रभुता, शासन होअय वा अधिकार—सभ वस्तु हुनके द्वारा आ हुनके लेल रचल गेल अछि। 17 ओ सभ वस्तुक सृष्टि सँ पहिने सँ छथि आ समस्त सृष्टि हुनके मे स्थिर रहैत अछि। 18 ओ शरीरक, अर्थात् मण्डलीक, सिर छथि। वैह शुरुआत छथि, और पहिल छथि जे मरल सभ मे सँ जीबि उठलाह, जाहि सँ सभ बात मे हुनके प्रथम स्थान भेटनि। 19 किएक तँ परमेश्वरक इच्छा यैह भेलनि जे हुनकर समस्त परिपूर्णता मसीह मे निवास करनि, 20 आ क्रूस पर मसीह जे खून बहौलनि, तकरा मेल-मिलापक आधार बना कऽ हुनके द्वारा सभ वस्तुक, चाहे ओ पृथ्वी परक होअय वा स्वर्ग मेहक, अपना सँ मेल करा लेथि। 21 पहिने अहूँ सभ परमेश्वर सँ दूर छलहुँ। अहाँ सभ अपन अधलाह विचार-व्यवहारक कारणेँ अपना मोन मे परमेश्वर सँ शत्रुता कयने छलहुँ। 22 मुदा आब परमेश्वर मसीहक हाड़-माँसुक शरीरक मृत्यु द्वारा अपना संग अहाँ सभक मेल करौने छथि, जाहि सँ ओ अहाँ सभ केँ पवित्र, निर्दोष आ निष्कलंक बना कऽ अपना सम्मुख उपस्थित करबथि। 23 परन्तु ई तखने सम्भव अछि जखन अहाँ सभ अपना विश्वास मे दृढ़ भऽ कऽ स्थिर बनल रही आ ओहि आशा सँ विचलित नहि होइ जे अहाँ सभ केँ सुसमाचार द्वारा देल गेल अछि। ई वैह सुसमाचार अछि जे अहाँ सभ सुनलहुँ आ जे आकाशक नीचाँ समस्त सृष्टि मे सुनाओल गेल, और हम पौलुस परमेश्वरक सेवा मे ओकर प्रचार करबाक लेल पठाओल गेल छी। 24 आब हम अहाँ सभक लेल जे कष्ट भोगि रहल छी ताहि कारणेँ आनन्दित छी। एखनो मसीह केँ अपना शरीरक लेल, अर्थात् मण्डलीक लेल, दुःख भोगनाइ बाँकी छनि, और हम अपना देह मे दुःख भोगि कऽ तकरा पूरा करऽ मे सहभागी होइत छी। 25 परमेश्वर अहाँ सभक लाभक लेल एकटा काज हमरा जिम्मा मे दऽ कऽ मण्डलीक सेवक नियुक्त कयलनि, आ से ई अछि जे हम परमेश्वरक वचनक पूरा-पूरी प्रचार करी, 26 अर्थात् ओहि रहस्यक प्रचार, जे युग-युग सँ आ पीढ़ी-दर-पीढ़ी गुप्त छल, मुदा आब परमेश्वरक लोक सभक लेल प्रगट कयल गेल अछि। 27 परमेश्वर अपना लोकक लेल ई रहस्य प्रगट करबाक निश्चय कयलनि जाहि सँ ओ सभ जानथि जे हुनकर योजना, जे सभ जातिक लोकक लेल अछि, से कतेक अद्भुत आ वैभवपूर्ण अछि। ओ रहस्य ई अछि जे, मसीह अपने अहाँ सभ मे वास करैत छथि आ वैह एहि बातक आशाक आधार छथि जे अहाँ सभ परमेश्वरक महिमा मे सहभागी होयब। 28 हम सभ एही मसीहक प्रचार करैत छी। पूर्ण बुद्धि-ज्ञान प्रयोग कऽ कऽ प्रत्येक मनुष्य केँ चेतावनी दैत छी, प्रत्येक मनुष्य केँ शिक्षा दैत छी, जाहि सँ प्रत्येक मनुष्य केँ मसीह मे परिपूर्णता धरि पहुँचा कऽ हुनका सम्मुख प्रस्तुत कऽ सकी। 29 एहि उद्देश्यक पूर्तिक लेल हम हुनका सामर्थ्य सँ, जे हमरा मे प्रबल रूप सँ क्रियाशील अछि, कठिन परिश्रम करैत संघर्ष मे लागल रहैत छी।
1 हम चाहैत छी जे अहाँ सभ ई बात जानि ली जे हम अहाँ सभक लेल, लौदीकिया नगरक विश्वासी सभक लेल आ ओहि सभ लोकक लेल जे सभ हमरा व्यक्तिगत रूप सँ कहियो नहि देखने छथि, केहन संघर्ष करैत रहैत छी। 2 ई हम एहि लेल करैत छी जाहि सँ ओ सभ अपना मोन मे उत्साहित होथि, प्रेमक एकता मे बान्हल रहथि, ओहि आत्मिक धन केँ प्राप्त करथि जे ज्ञानक परिपूर्णता सँ भेटैत अछि, आ एहि तरहेँ परमेश्वरक रहस्य केँ, अर्थात्, मसीह केँ, पूर्ण रूप सँ चिन्हथि। 3 हुनके मे बुद्धि और ज्ञानक समस्त भण्डार नुकायल अछि। 4 ई हम एहि लेल कहि रहल छी जे, केओ अहाँ सभ केँ ओहन तर्क द्वारा बहकाबऽ नहि पाबओ, जे सुनऽ मे ठीक लगितो गलत अछि। 5 ओना तँ हम शारीरिक रूप सँ अहाँ सभ सँ दूर छी, तैयो हमर मोन अहाँ सभक संग अछि आ हमरा ई देखि कऽ आनन्द होइत अछि जे अहाँ सभक जीवन कतेक व्यवस्थित अछि आ मसीह मेहक अहाँ सभक विश्वास कतेक दृढ़ अछि। 6 एहि लेल जहिना अहाँ सभ मसीह यीशु केँ अपन प्रभु मानि कऽ ग्रहण कऽ लेने छी, तहिना हुनका मे रहि कऽ अपन जीवन व्यतीत करू। 7 हुनका मे अपन जड़ि मजगूत राखि कऽ हुनका मे बढ़ैत रहू आ बलवन्त बनैत जाउ। अहाँ सभ केँ जाहि विश्वासक शिक्षा प्राप्त भेल अछि, ताहि मे स्थिर रहि कऽ पूरा मोन सँ प्रभु केँ धन्यवाद दैत रहिऔन। 8 सावधान रहू, कतौ एना नहि होअय जे, केओ अहाँ सभ केँ छल-कपट सँ फुसियाहा तर्क-वितर्क द्वारा धोखा दऽ कऽ अपना जाल मे फँसाबय। ओहन लोकक तर्क-वितर्क मसीह पर नहि, बल्कि मनुष्यक परम्परा सभ पर आ एहि संसारक सिद्धान्त सभ पर आधारित अछि। 9 किएक तँ मसीह मे परमेश्वरक समस्त परिपूर्णता शारीरिक रूप मे वास करैत अछि, 10 आ मसीह मे संयुक्त भेला सँ अहूँ सभ पूर्ण भऽ गेल छी। प्रत्येक शक्ति आ अधिकार हुनके अधीन मे अछि। 11 मसीहे मे अहाँ सभक खतना सेहो भेल अछि—एहन खतना नहि, जे हाथ सँ कयल जाइत अछि ⌞जाहि मे शरीरक कनेक चमड़ा काटि कऽ हटाओल जाइत अछि⌟, बल्कि एहन, जे मसीह द्वारा कयल जाइत अछि आ जाहि द्वारा अहाँ सभक पाप-स्वभावक शक्ति अहाँ सभ मे सँ हटाओल गेल अछि। 12 अहाँ सभ तँ बपतिस्माक समय मे मसीहक संग गाड़ल गेलहुँ, आ हुनका संग फेर जीवित सेहो कयल गेलहुँ किएक तँ अहाँ सभ ओहि परमेश्वरक सामर्थ्य पर विश्वास कयलहुँ जे हुनका मृत्यु मे सँ फेर जीवित कयलथिन। 13 अहाँ सभ जे गैर-यहूदी जातिक लोक छी से एक समय मे अपना पाप सभक कारणेँ, आ पाप-स्वभावक खतना नहि कयल जयबाक कारणेँ, आत्मिक रूप सँ मरल छलहुँ, मुदा परमेश्वर अहाँ सभ केँ मसीहक संग फेर जीवित कयलनि। ओ अपना सभक सभ पाप केँ क्षमा कयलनि। 14 अपना सभक विरोध मे जे दोष-पत्र लिखल छल आ जे अपना सभ केँ दण्डक जोगरक प्रमाणित कयलक, तकरा ओ ओकर सम्पूर्ण नियम सभक संग रद्द कऽ देलनि, आ ओकरा क्रूस पर काँटी ठोकि कऽ अपना सभ सँ दूर कऽ देलनि। 15 ओ आत्मिक दुष्ट शक्ति सभक आ अधिकारी सभक सम्पूर्ण सामर्थ्य नष्ट कयलनि आ मसीहक क्रूस द्वारा ओकरा सभ केँ पराजित कऽ कऽ सभक सामने ओकरा सभ केँ तमाशा बना देलनि। 16 एहि लेल, मोन राखू जे ककरो ई अधिकार नहि अछि जे ओ अहाँ सभ पर एहि विषय मे दोष लगाबय जे, केहन वस्तु खाइत-पिबैत छी, अथवा पाबनि-तिहार, अमावस्या वा विश्राम-दिन किएक नहि मनबैत छी, 17 किएक तँ ई सभ ताहि बात सभक छाया मात्र अछि, जे बाद मे आबऽ वला छल। वास्तविकता मसीहे छथि। 18 मोन राखू जे अहाँ सभ केँ पुरस्कार पयबाक बात मे अयोग्य ठहरयबाक अधिकार ओहन लोक केँ नहि छैक जे सभ ईश्वरीय दर्शन देखबाक धाख जमबैत रहैत अछि, देखाबटी नम्रता प्रगट करैत अछि, आ कहैत अछि जे स्वर्गदूत सभक पूजा कयनाइ आवश्यक अछि। ओहन लोक अपन सांसारिक बुद्धिक कारणेँ बिनु आधारक घमण्ड सँ फुलि जाइत अछि, 19 आ एहि तरहेँ ओ सभ सिर, अर्थात् मसीह, सँ कोनो सम्बन्ध नहि रखैत अछि। मसीह शरीरक सिर छथि जे समस्त शरीर केँ पोषित करैत छथि, आ एहि तरहेँ शरीर, जोड़-जोड़ सभ आ नस सभक द्वारा संगठित भऽ कऽ, परमेश्वरक योजनाक अनुसार बढ़ैत अछि। 20 अहाँ सभ जँ मसीहक संग मरि कऽ संसारक सिद्धान्त सभ सँ मुक्त भऽ गेल छी, तँ अहाँ सभ ओकर आदेश सभक एना कऽ पालन किएक करैत छी, जेना अहाँ सभक जीवन एखनो धरि संसारक अधीन होअय? 21 संसारक आदेश एहन होइत अछि, “एकरा हाथ मे नहि लिअ, ई नहि खाउ, ओकरा नहि छुबू!”— 22 ई सभ मनुष्य सभक आदेश अछि, मानवीय सिद्धान्त सभ पर आधारित अछि, आ एहन वस्तु सभ सँ सम्बन्ध रखैत अछि जे प्रयोग मे अयला पर नष्ट भऽ जाइत अछि। 23 ई सभ, अर्थात्, अपना सँ बनाओल धार्मिक नियम केँ माननाइ, नम्रताक आडम्बर देखौनाइ, आ अपना शरीर केँ कष्ट देनाइ, ओहन बात अछि जाहि मे निःसन्देह बुद्धिक बात तँ बुझाइत अछि, मुदा शारीरिक अभिलाषा सभ केँ रोकऽ मे एहि सभ सँ कोनो लाभ नहि होइत अछि।
1 एहि लेल, जँ अहाँ सभ मसीहक संग जीवित कयल गेल छी, तँ ओहन बात सभ पर मोन लगाउ जे स्वर्ग सँ सम्बन्ध रखैत अछि, जतऽ मसीह परमेश्वरक दहिना कात मे विराजमान छथि। 2 अपन ध्यान पृथ्वी परक वस्तु सभ पर नहि, बल्कि स्वर्गीय वस्तु सभ पर लगाउ, 3 किएक तँ जहाँ तक अहाँ सभक पुरान जीवनक बात अछि, अहाँ सभ तँ मरि गेल छी आ अहाँ सभक नव जीवन आब मसीहक संग परमेश्वर मे नुकायल अछि। 4 मसीहे अहाँ सभक जीवन छथि, और ओ जहिया फेर औताह, तहिया अहूँ सभ हुनका महिमाक वैभव मे सहभागी होयब आ ई बात प्रगट होयत जे अहाँ सभ हुनके लोक छिऐन। 5 एहि लेल, अहाँ सभ मे जे किछु अहाँ सभक पापी मानवीय स्वभाव सँ सम्बन्ध रखैत अछि, तकरा नष्ट कऽ दिअ, अर्थात्, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध, अपवित्र विचार-व्यवहार, शारीरिक काम-वासना, अधलाह बातक लालसा, आ लोभ जे मूर्तिपूजाक बराबरि बात अछि। 6 एहि बात सभक कारणेँ परमेश्वरक प्रकोप अबैत अछि। 7 अहाँ सभ जखन पहिने एहि प्रकारक पापमय जीवन व्यतीत करैत छलहुँ, तँ अहूँ सभ यैह सभ करैत छलहुँ। 8 मुदा आब अहाँ सभ एहि बात सभ केँ, अर्थात् तामस, क्रोध, दुष्ट भावना, दोसराक निन्दा कयनाइ आ गारि बजनाइ, छोड़ि दिअ। 9 एक-दोसर सँ झूठ नहि बाजू, किएक तँ अहाँ सभ अपन पुरान स्वभाव केँ ओकर अधलाह आचरण समेत त्यागि देने छी, 10 आ नव स्वभाव केँ धारण कऽ लेने छी। ई नव स्वभाव जँ-जँ अपना सृष्टिकर्ताक स्वरूपक अनुसार नव बनैत जाइत अछि, तँ-तँ सत्य ज्ञान मे बढ़ैत जाइत अछि। 11 एहि मे कोनो भेद नहि रहि गेल अछि—एहि मे ने केओ यूनानी जातिक अछि आ ने यहूदी, ने केओ खतना कराओल अछि आ ने खतना नहि कराओल, ने केओ अशिक्षित वा जंगली जातिक अछि, ने केओ गुलाम अछि आ ने स्वतन्त्र। एतऽ मसीहे सभ किछु छथि आ अपन सभ लोक मे वास करैत छथि। 12 तेँ अहाँ सभ परमेश्वरक चुनल लोक, हुनकर पवित्र और प्रिय लोक सभ भऽ कऽ, दयालुता, करुणा, नम्रता, कोमलता आ सहनशीलता केँ धारण करू। 13 एक-दोसराक संग सहनशील होउ, आ जँ किनको ककरो सँ सिकायत होअय, तँ एक-दोसर केँ क्षमा करू। जहिना प्रभु अहाँ सभ केँ क्षमा कऽ देलनि, तहिना अहूँ सभ क्षमा करू। 14 आ सभ सँ पैघ बात ई अछि जे आपस मे प्रेम भाव बनौने रहू। प्रेम सभ केँ एकता मे बान्हि कऽ पूर्णता धरि पहुँचा दैत अछि। 15 मसीहक शान्ति अहाँ सभक हृदय मे राज्य करैत रहय, कारण, अहाँ सभ एक शरीरक अंग सभ भऽ कऽ मेल सँ रहबाक लेल बजाओल गेल छी। अहाँ सभ धन्यवाद देनिहार बनल रहू। 16 मसीहक वचन केँ अपन परिपूर्णताक संग अहाँ सभ अपना मे निवास करऽ दिअ। पूर्ण बुद्धि-ज्ञानक संग एक-दोसर केँ शिक्षा आ चेतावनी दैत रहू, आ परमेश्वरक प्रशंसा मे भजन, स्तुति-गान आ भक्तिक गीत पूरा मोन सँ धन्यवादक संग गबैत रहू। 17 अहाँ सभ जे किछु कही वा करी, से सभ प्रभु यीशुक नाम सँ करू आ हुनका द्वारा परमेश्वर पिता केँ धन्यवाद दैत रहू। 18 हे स्त्री सभ, जहिना प्रभु केँ मानऽ वाली सभक लेल उचित अछि, तहिना अपन-अपन पतिक अधीन रहू। 19 हे पति लोकनि, अपन-अपन स्त्री सँ प्रेम करू आ हुनका संग कठोर व्यवहार नहि करू। 20 हौ धिआ-पुता सभ, सभ बात मे अपन माय-बाबूक आज्ञा मानह, किएक तँ एहि सँ प्रभु प्रसन्न होइत छथि। 21 यौ पिता लोकनि, अपना बच्चा सभ केँ तंग नहि करिऔक; एना नहि होअय जे ओकरा सभक साहस टुटि जाइक। 22 यौ दास सभ, एहि संसार मे जे अहाँ सभक मालिक छथि, सभ बात मे तिनकर आज्ञा मानू। मालिक केँ खुश करबाक उद्देश्य सँ, जखन ओ देखिते छथि तखने मात्र नहि, बल्कि शुद्ध मोन सँ और प्रभु पर श्रद्धा राखि कऽ आज्ञा मानू। 23 अहाँ सभ जे किछु करी, मोन लगा कऽ करू, ई मानि कऽ जे मनुष्यक लेल नहि, बल्कि प्रभुक लेल कऽ रहल छी, 24 किएक तँ अहाँ सभ जनैत छी जे, एकर प्रतिफलक रूप मे अहाँ सभ प्रभु सँ उत्तराधिकार प्राप्त करब। अहाँ सभ तँ प्रभु मसीहेक सेवा कऽ रहल छी। 25 जे अन्याय करैत अछि, से अपन अन्यायक प्रतिफल पाओत। ककरो संग पक्षपात नहि कयल जयतैक।
1 यौ मालिक लोकनि, अहाँ सभ ई बात जनैत जे स्वर्ग मे अहूँ सभक एक मालिक छथि, अपन दास सभक संग न्यायपूर्ण आ उचित व्यवहार करू। 2 अहाँ सभ सचेत रहि प्रार्थना मे लागल रहू आ धन्यवाद देबाक मनोभावना रखने रहू। 3 आ हमरो सभक लेल प्रार्थना करू, जे परमेश्वर हमरा सभ केँ सुसमाचार सुनयबाक अवसर देथि, जाहि सँ मसीहक ओहि सत्य केँ लोक सभ केँ सुना सकिऐक, जे पहिने गुप्त छल, मुदा आब प्रगट कयल गेल अछि, आ जकरा लेल हम जहल मे बन्दी छी। 4 प्रार्थना करू जे हम एकरा तहिना स्पष्ट रूप सँ सुना सकी, जहिना हमरा सुनयबाक चाही। 5 प्रभु यीशु केँ नहि मानऽ वला लोक सभक संग विवेकपूर्ण व्यवहार करू। हर अवसरक पूरा सदुपयोग करू। 6 जखन ओकरा सभ सँ बात-चीत करैत छी, तँ नम्रता और विचारशीलता सँ करू, तखन अहाँ सभ प्रत्येक लोक केँ समुचित उत्तर देनाइ सिखब। 7 हमर प्रिय भाय तुखिकुस अहाँ सभ केँ हमरा सम्बन्ध मे सभ समाचार सुनौताह। ओ प्रभुक विश्वस्त दास छथि आ प्रभुक काज मे हमरा संग-संग सेवा करैत छथि। 8 हुनका हम एही अभिप्राय सँ अहाँ सभक ओतऽ पठा रहल छियनि जे ओ अहाँ सभ केँ हमरा सभक कुशल-समाचार सुनबथि आ अहाँ सभक मोन उत्साहित करथि। 9 हुनका संग विश्वस्त आ प्रिय भाय उनेसिमुस सेहो छथि जे अहीं सभक ओहिठामक लोक छथि। ई दूनू गोटे अहाँ सभ केँ एहिठामक सम्पूर्ण परिस्थिति सँ अवगत करौताह। 10 अरिस्तर्खुस, जे एतऽ हमरा संग जहल मे बन्दी छथि, आ मरकुस, जे बरनबासक भाय लगैत छथि, से सभ अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। मरकुसक विषय मे अहाँ सभ केँ आदेश देल गेल अछि; ई जँ अहाँ सभक ओतऽ पहुँचथि तँ अहाँ सभ हिनकर आदर-सत्कार करिऔन। 11 यीशु, जे यूस्तुस कहबैत छथि, सेहो अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। जे सभ एतऽ हमरा संग परमेश्वरक राज्यक लेल काज कऽ रहल छथि, ताहि मे यैह तीनू गोटे यहूदी समाजक छथि। हिनका सभ सँ हमरा बहुत सहायता आ उत्साह भेटल अछि। 12 अहाँ सभक अपन लोक एपाफ्रास अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। मसीह यीशुक ई सेवक सदिखन अहाँ सभक लेल प्रार्थना मे संघर्ष करैत छथि। ओ प्रार्थना करैत छथि जे अहाँ सभ अपना विश्वास मे स्थिर रहि आत्मिक परिपूर्णता धरि बढ़ैत जाइ आ प्रत्येक बात मे परमेश्वरक इच्छा पूरा करऽ मे सुदृढ़ बनल रही। 13 हम हिनका बारे मे गवाही दऽ सकैत छी जे ई अहाँ सभक लेल आ लौदीकिया और हियरापुलिस नगर सभक विश्वासी सभक लेल बहुत परिश्रम कऽ रहल छथि। 14 प्रिय वैद्य लूका, आ देमास अहाँ सभ केँ नमस्कार कहैत छथि। 15 लौदीकिया नगर मे रहनिहार भाय सभ और नुम्फास केँ आ हुनका घर मे जमा होमऽ वला मण्डली केँ हमर नमस्कार कहिऔन। 16 जखन ई पत्र अहाँ सभक बीच पढ़ि कऽ सुना देल जायत, तँ अहाँ सभ एहन व्यवस्था करू जे ई लौदीकिया नगरक मण्डली मे सेहो पढ़ल जाय आ लौदीकियाक नाम सँ पठाओल पत्र अहाँ सभ सेहो पढ़ि कऽ सुनू। 17 अरखिप्पुस केँ ई कहू जे, “प्रभुक सेवा मे जे काज अहाँक जिम्मा देल गेल अछि, तकरा अहाँ अवश्य पूरा करू।” 18 हम, पौलुस, अपने हाथ सँ ई नमस्कार लिखि रहल छी। हम एतऽ जहल मे छी, से नहि बिसरू। अहाँ सभ पर प्रभुक कृपा बनल रहय।
1 पौलुस, सिलास आ तिमुथियुसक दिस सँ, पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीहक मण्डलीक नाम जे~थिसलुनिका नगर मे अछि, ई पत्र— अहाँ सभ पर कृपा कयल जाय आ अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय। 2 हम सभ अपना प्रार्थना मे अहाँ सभ गोटे केँ स्मरण कऽ कऽ अहाँ सभक लेल परमेश्वर केँ सदिखन धन्यवाद दैत छियनि। 3 अहाँ सभक काज, जे विश्वास सँ प्रेरित होइत अछि, परिश्रम, जे प्रेम सँ प्रेरित होइत अछि, आ सहनशीलता, जे ओहि आशा सँ प्रेरित होइत अछि जे अहाँ सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह पर रखने छी, तकरा सभ केँ हम सभ अपन पिता परमेश्वरक सम्मुख हरदम मोन रखैत छी। 4 यौ हमर भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ परमेश्वर प्रेम करैत छथि, आ हम सभ जनैत छी जे अहाँ सभ परमेश्वरक चुनल लोक छी। 5 कारण, हम सभ जखन अहाँ सभक बीच प्रभु यीशुक शुभ समाचार पहुँचौलहुँ तँ ओ मात्र शब्दक रूप मे नहि रहल, बल्कि अहाँ सभ लग सामर्थ्यक संग, परमेश्वरक पवित्र आत्माक संग आ पूर्ण निश्चयताक संग पहुँचल। अहाँ सभक बीच अहाँ सभक कल्याणक लेल हमरा सभक चालि-चलन केहन छल, से अहाँ सभ जनैत छी। 6 अहाँ सभ हमरा सभ केँ आ प्रभु यीशु केँ नमूना मानि कऽ घोर कष्टक सामना करितो पवित्र आत्मा सँ प्राप्त आनन्द सँ सुसमाचार स्वीकार कयलहुँ। 7 तकर परिणाम ई भेल जे अहाँ सभ मकिदुनिया प्रदेश आ अखाया प्रदेशक सभ विश्वासीक लेल नीक उदाहरण बनि गेलहुँ। 8 प्रभुक सुसमाचार अहाँ सभक ओहिठाम सँ मात्र मकिदुनिया आ अखाया मे नहि पसरल, बल्कि परमेश्वर पर अहाँ सभक जे विश्वास अछि, तकर चर्चा सभतरि पसरि गेल अछि। आब एहि सम्बन्ध मे हम सभ ककरो किछु कहिऐक तकर आवश्यकते नहि रहि गेल अछि, 9 कारण, लोक सभ स्वयं हमरा सभ केँ कहऽ लगैत अछि जे अहाँ सभक ओतऽ हमरा सभक केहन स्वागत भेल। ओ सभ सुनबैत अछि जे अहाँ सभ कोन प्रकारेँ मूर्ति सभ केँ छोड़ि कऽ परमेश्वरक दिस घूमि गेलहुँ, जाहि सँ अहाँ सभ सत्य आ जीवित परमेश्वरक सेवा करियनि आ स्वर्ग सँ हुनकर पुत्रक, अर्थात् यीशुक, अयबाक बाट तकियनि, जिनका परमेश्वर मुइल सभ मे सँ जिऔने छथिन। और यैह यीशु पापक विरोध मे प्रगट होमऽ वला परमेश्वरक क्रोध सँ अपना सभ केँ बचाबऽ वला छथि।
1 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ जनिते छी जे अहाँ सभक ओतऽ हमरा सभक अयनाइ व्यर्थ नहि भेल। 2 अहाँ सभ केँ तँ बुझल अछि जे एहि सँ पहिने हमरा सभ केँ फिलिप्पी नगर मे दुर्व्यवहार और अपमान सहऽ पड़ल छल। तैयो अपना परमेश्वरक सहायता सँ हम सभ घोर विरोधक सामना करितो अहाँ सभ केँ परमेश्वरक शुभ समाचार सुनयबाक लेल साहस कयलहुँ। 3 सुसमाचार पर विश्वास करबाक जे आग्रह हम सभ करैत छी से ने तँ असत्य पर आधारित अछि, ने अपवित्र उद्देश्य सँ प्रेरित अछि आ ने ओहि मे कोनो छल-कपट अछि। 4 बल्कि, परमेश्वरे हमरा सभ केँ एहि जोगरक बुझलनि जे हमरा सभक हाथ मे सुसमाचार-प्रचारक काज सौंपल जाय आ एहि तरहेँ हम सभ प्रचार करितो छी। हम सभ ई काज मनुष्य केँ प्रसन्न करबाक लेल नहि करैत छी, बल्कि परमेश्वर केँ, जे हमरा सभक मोन केँ जँचैत छथि। 5 अहाँ सभ जनैत छी, आ परमेश्वरो गवाह छथि जे हम सभ कहियो चापलूसी वला बात नहि बजलहुँ, आ ने हमरा सभक व्यवहार मे कोनो प्रकारक लोभक बहाना छल। 6 हम सभ मनुष्य सँ प्रशंसा पयबाक प्रयत्न नहि कयलहुँ—ने अहाँ सभ सँ आ ने आन ककरो सँ। हम सभ मसीहक पठाओल दूत होयबाक कारणेँ अहाँ सभ पर भार बनि सकैत छलहुँ, मुदा से नहि कयलहुँ। 7 जहिना माय अपना दूधपीबा बच्चाक लालन-पालन करैत अछि तहिना हम सभ अहाँ सभक संग कोमल व्यवहार कयलहुँ। 8 अहाँ सभक लेल हमरा सभ केँ तेहन ममता आ प्रेम भऽ गेल छल जे अहाँ सभ केँ मात्र परमेश्वरक सुसमाचार सुनाबऽ मे नहि, बल्कि अपना केँ अर्पित करऽ मे सेहो हमरा सभ केँ बड़का आनन्द भेल—अहाँ सभ हमरा सभक ततेक प्रिय भऽ गेल छलहुँ। 9 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ केँ तँ हमरा सभक कठोर परिश्रम अवश्य मोन होयत, अहाँ सभक बीच कोना हम सभ राति-दिन खटैत रहैत छलहुँ जाहि सँ परमेश्वरक सुसमाचार सुनबैत ककरो पर भार नहि बनिऐक। 10 अहाँ सभ एहि बातक गवाह छी, आ परमेश्वरो छथि जे, अहाँ सभ जे विश्वासी छी तिनका सभक बीच हमरा सभक आचरण-व्यवहार कतेक पवित्र, उचित और निर्दोष छल। 11 अहाँ सभ जनैत छी जे जेहने व्यवहार एकटा बाबू अपन धिआ-पुताक संग करैत अछि तेहन व्यवहार हम सभ अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक गोटेक संग कयलहुँ— 12 बात सिखबैत आ उत्साह बढ़बैत आग्रह करैत रहलहुँ जे, जे परमेश्वर अहाँ सभ केँ अपना राज्य आ महिमा मे सहभागी होयबाक लेल बजबैत छथि तिनका जेहन जीवन नीक लगनि, ओहने जीवन बिताउ। 13 हम सभ लगातार एहू लेल परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि जे, अहाँ सभ जखन हमरा सभ सँ परमेश्वरक वचन सुनलहुँ तँ ओकरा मनुष्यक सोचल बात बुझि कऽ नहि, बल्कि परमेश्वरक कहल बात मानि कऽ स्वीकार कयलहुँ, आ से ओ वास्तव मे अछिओ। और आब अहाँ सभ जे विश्वास करैत छी तिनका सभक जीवन मे ओ वचन काज कऽ रहल अछि। 14 हँ, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ यहूदिया प्रदेश मे रहऽ वला परमेश्वरक मण्डली सभ जकाँ भऽ गेलहुँ, अर्थात्, ओतऽ रहऽ वला मसीह यीशुक लोक सभ जकाँ। कारण, अहाँ सभ अपना समाजक लोक सँ तेहने दुर्व्यवहार सहलहुँ जेहन ओहो सभ यहूदी सभ सँ सहलनि। 15 यहूदी सभ तँ प्रभु यीशु केँ आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभ केँ मारि देलकनि और आब हमरो सभ केँ भगौने अछि। ओ सभ परमेश्वर केँ अप्रसन्न करैत अछि। ओ सभ पूरा मानव जातिक विरोधी अछि, 16 कारण, जाहि सुसमाचार द्वारा गैर-यहूदी सभ केँ उद्धार होइतैक, तकरा हमरा सभ केँ गैर-यहूदी सभ मे सुनाबऽ सँ रोकबाक प्रयत्न करैत रहैत अछि। एहि तरहेँ ओ सभ अपन पापक घैल भरैत जा रहल अछि। एहि कारणेँ परमेश्वर आब अपन क्रोध प्रगट कऽ कऽ ओकरा सभ केँ दण्ड देथिन। 17 यौ भाइ लोकनि! हम सभ जखन अहाँ सभ सँ किछु समयक लेल दूर कयल गेलहुँ—हृदय मे सँ नहि, बल्कि नजरिक सोझाँ सँ—तँ अहाँ सभ केँ फेर देखबाक बड्ड उत्सुकता भेल। 18 तेँ अहाँ सभ सँ भेँट करबाक कोशिश कयलहुँ। हँ, हम पौलुस, बेर-बेर अयबाक प्रयत्न कयलहुँ, मुदा शैतान हमरा सभ केँ रोकि देलक। 19 यौ भाइ लोकनि, हमरा सभक आशा और आनन्द की अछि? की अहाँ सभ नहि छी? और अपना सभक प्रभु यीशु जहिया फेर औताह, तँ हुनका समक्ष हमरा सभक ओ विजय-मुकुट की होयत जाहि पर हम सभ गर्व करब? की अहाँ सभ नहि होयब? 20 अहीं सभ तँ हमरा सभक गौरव आ आनन्द छी।
1 तेँ अन्त मे जखन हमरा सभ केँ आरो नहि रहल गेल तँ ई नीक बुझायल जे हम सभ अपने एथेन्स नगर मे रही, 2 और अहाँ सभ लग तिमुथियुस केँ पठाबी। ओ हमरा सभक भाय और मसीहक शुभ समाचार सुनाबऽ मे परमेश्वरक संग-संग काज कयनिहार छथि। हुनका एहि लेल पठौलहुँ जे ओ अहाँ सभ केँ विश्वास मे मजगूत करथि और अहाँ सभक हिम्मत बढ़बथि, 3 जाहि सँ अहाँ सभ मे सँ केओ एहि अत्याचार सभक कारणेँ जे अहाँ सभ सहि रहल छी डगमगाय नहि लागी। अहाँ सभ तँ जनिते छी जे एहन कष्ट अपना सभक जीवन मे अयबेटा करत। 4 हम सभ अहाँ सभक ओतऽ जखन छलहुँ तँ अहाँ सभ केँ कहबो कयलहुँ जे अपना सभ केँ अत्याचारक सामना अवश्य करऽ पड़त, आ जेना अहाँ सभ जनिते छी, से बात भेबो कयल। 5 तेँ जखन हमरा आरो नहि रहल गेल तँ हम अहाँ सभक विश्वासक हाल-समाचार बुझबाक लेल तिमुथियुस केँ अहाँ सभ लग पठौलहुँ। हमरा डर छल जे कतौ एना तँ नहि भेल जे धोखा देबऽ वला शैतान अहाँ सभ केँ लोभ देखौने होअय आ हमरा सभक मेहनत बेकार भऽ गेल होअय। 6 मुदा तिमुथियुस एखने अहाँ सभक ओहिठाम सँ आबि गेलाह और अहाँ सभक विश्वास आ प्रेमक नीक समाचार सुनौलनि। ओ कहलनि जे अहाँ सभ हमरा सभ केँ सदिखन प्रेम सँ याद करैत छी आ हमरा सभ केँ फेर देखबाक लेल ओतेक उत्सुक छी जतेक हम सभ अहाँ सभ केँ देखबाक लेल। 7 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभक विश्वासक समाचार जानि हमरा सभ केँ अपन सभ कष्ट-विपत्ति मे अहाँ सभक विषय मे प्रोत्साहन भेटल। 8 अहाँ सभ प्रभु मे स्थिर छी, से सुनि आब हमरा सभ मे जान आबि गेल! 9 अहाँ सभक कारणेँ जे अपना सभक परमेश्वरक सम्मुख हमरा सभक बड़का आनन्द अछि, तकरा लेल हम सभ परमेश्वर केँ कोन शब्द सँ धन्यवाद दियनि? 10 हम सभ दिन-राति पूरा मोन सँ हुनका सँ ई प्रार्थना करैत रहैत छी जे हम सभ अहाँ सभ केँ फेर देखि सकी और अहाँ सभक विश्वास मे जे कमी रहि गेल अछि, तकरा पूरा कऽ सकी। 11 आब अपना सभक पिता परमेश्वर स्वयं और अपना सभक प्रभु यीशु हमरा सभक लेल अहाँ सभ लग अयबाक रस्ता खोलथि। 12 प्रभु एना करथि जे, जाहि तरहेँ हम सभ अहाँ सभ सँ प्रेम करैत छी, ताहि तरहेँ अहाँ सभक प्रेम एक-दोसराक लेल और सभ लोकक लेल बढ़ैत आ उमड़ैत रहय। 13 ओ अहाँ सभक मोन स्थिर करथि जाहि सँ अपना सभक प्रभु यीशु जहिया अपन सभ पवित्र लोकक संग औताह तहिया अहाँ सभ अपना सभक पिता परमेश्वरक सम्मुख पवित्र आ निर्दोष पाओल जाइ।
1 यौ भाइ लोकनि, आब अहाँ सभ केँ किछु आरो बातक विषय मे लिखबाक अछि। अहाँ सभ केँ हम सभ ई शिक्षा देने छी जे कोन तरहेँ जीवन बितयबाक अछि जाहि सँ परमेश्वर केँ प्रसन्नता भेटनि, और ताहि अनुसारेँ अहाँ सभ जीवन बितबैत सेहो छी। आब प्रभु यीशुक नाम सँ हमरा सभक ई निवेदन अछि, ई आग्रह अछि, जे अहाँ सभ एहन जीवन मे आरो-आरो आगाँ बढ़ैत जाउ। 2 अहाँ सभ केँ तँ मोन होयत जे प्रभु यीशुक दिस सँ हम सभ कोन-कोन आदेश अहाँ सभ केँ देलहुँ। 3 परमेश्वरक इच्छा ई छनि जे अहाँ सभ पवित्र बनी। ओ चाहैत छथि जे अहाँ सभ दोसराक संग सभ तरहक अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध सँ दूर रही, 4 अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक व्यक्ति अपना शरीर केँ पवित्रता और मर्यादाक संग नियन्त्रण मे राखी, 5 आ नहि कि प्रभुक शिक्षा सँ अपरिचित जातिक लोक सभ, जे सभ परमेश्वर केँ नहि चिन्हैत अछि, तकरा सभ जकाँ अपना शरीर केँ वासनाक पूर्ति करबाक साधन बुझी। 6 हुनकर इच्छा ई छनि जे, केओ एहन गलत काज कऽ कऽ मर्यादाक उल्लंघन कऽ अपन विश्वासी भाय केँ धोखा नहि दैक। कारण, प्रभु एहन सभ बातक लेल दण्ड देताह। एहि सम्बन्ध मे हम सभ पहिनहुँ अहाँ सभ केँ गम्भीर चेतावनी दऽ देने छी। 7 परमेश्वर तँ अपना सभ केँ अशुद्ध जीवन बितयबाक लेल नहि बजौलनि, बल्कि पवित्र जीवन। 8 एहि लेल, जे केओ एहि आदेश केँ अस्वीकार करैत अछि, से मनुष्य केँ नहि, बल्कि परमेश्वर केँ, जे अहाँ सभ केँ अपन पवित्र आत्मा प्रदान करैत छथि, तिनका अस्वीकार करैत अछि। 9 विश्वासी भाय सभ मे जे एक-दोसराक लेल प्रेम होयबाक चाही, ताहि विषय मे हमरा सभ केँ किछु लिखबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि, कारण, अहाँ सभ अपने एक-दोसराक लेल प्रेम-भाव रखनाइ परमेश्वर सँ सिखने छी, 10 और अहाँ सभ मकिदुनिया प्रदेशक सभ भाय सँ तहिना प्रेम करितो छी। तैयो, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ हमरा सभक ई आग्रह अछि जे, आरो बढ़ि कऽ प्रेम करी। 11 जहिना अहाँ सभ केँ सिखौने छी, तहिना शान्तिपूर्ण जीवन बितयबाक लक्ष्य राखू, सभ केओ अपना-अपना काज मे लागल रहू और अपना हाथ सँ परिश्रम करू। 12 एहि तरहेँ कयला सँ अविश्वासी सभ सेहो अहाँ सभक आदर करत और अहाँ सभ केँ अपना आवश्यकताक पूर्तिक लेल अनका पर निर्भर नहि रहऽ पड़त। 13 यौ भाइ लोकनि, हम सभ नहि चाहैत छी जे अहाँ सभ ताहि भाय सभक दशा सँ अनजान रही जे सभ मरि गेल छथि । एना नहि होअय जे अहाँ सभ बाँकी लोक सभ जकाँ दुखी होइ, जकरा सभ केँ कोनो आशा नहि छैक। 14 हमरा सभ केँ विश्वास अछि जे यीशु मरलाह आ जीबि उठलाह। तहिना इहो विश्वास अछि जे, जे केओ यीशु पर विश्वास करैत मरि गेल छथि, तिनको सभ केँ जहिया यीशु फेर औताह तहिया परमेश्वर हुनका संग अनथिन। 15 हमरा सभ केँ प्रभु सँ जे शिक्षा भेटल अछि ताहि अनुसार अहाँ सभ केँ कहैत छी जे, अपना सभ जे सभ प्रभुक अयबाक समय तक जीवित रहब से सभ तिनका सभ सँ पहिने प्रभु लग ऊपर किन्नहुँ नहि उठाओल जायब जे सभ मरि गेल छथि। 16 कारण, जखन प्रभु आदेश देताह आ प्रधान स्वर्गदूतक स्वर सुनाइ पड़त और परमेश्वरक धुतहूक आवाज सुनाइ देत, तखन प्रभु स्वयं स्वर्ग सँ उतरताह, और जे सभ मसीह पर विश्वास करैत मरि गेल छथि से सभ पहिने जीबि उठताह। 17 तखन अपना सभ, जे सभ तहिओ जीवित रहब, सेहो हुनके सभक संग मेघ मे उठाओल जा कऽ आकाश मे प्रभु सँ भेटब। एहि तरहेँ अनन्त काल धरि अपना सभ प्रभुक संग रहब। 18 तेँ एहि बात सभ द्वारा एक-दोसराक उत्साह बढ़बैत रहू।
1 यौ भाइ लोकनि, कोन बात कहिया कखन होयत, ताहि सम्बन्ध मे किछु लिखबाक कोनो आवश्यकता नहि अछि, 2 कारण, अहाँ सभ अपने नीक सँ जनैत छी जे, “प्रभुक दिन” ताहि तरहेँ अचानक आओत जाहि तरहेँ राति मे चोर अबैत अछि। 3 लोक सभ कहैत रहत जे, “सभ शान्त आ सुरक्षित अछि,” तखन जहिना गर्भवती स्त्री पर अचानक बच्चा केँ जन्म देबाक कष्ट अबैत छैक, तहिना ओकरा सभ पर विनाश आओत, और ओकरा सभ केँ बचबाक कोनो उपाय नहि रहतैक। 4 मुदा, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ अन्हार मे नहि रहि रहल छी जे ओ दिन चोर जकाँ अहाँ सभ पर अचानक आबि जाय। 5 अहाँ सभ केओ तँ इजोतक सन्तान छी, दिनक सन्तान छी। अपना सभ रातिक वा अन्हारक नहि छी। 6 एहि लेल अपना सभ आन लोक सभ जकाँ सुतल नहि रही, बल्कि सतर्क रही आ अपना केँ वश मे राखी। 7 कारण, जे सभ सुतैत अछि से रातिए मे सुतैत अछि आ जे सभ पिबि कऽ माति जाइत अछि सेहो रातिए मे मतैत अछि। 8 मुदा अपना सभ जे छी, से दिनक छी आ तेँ विश्वास आ प्रेम केँ कवच जकाँ, और मुक्तिक आशा केँ टोप जकाँ पहिरि कऽ सतर्क रही। 9 कारण, परमेश्वर अपना सभ केँ दण्ड पयबाक लेल नहि, बल्कि अपना सभक प्रभु यीशु मसीह द्वारा उद्धार पयबाक लेल चुनने छथि। 10 प्रभु यीशु अपना सभक लेल एहि लेल मरलाह जे अपना सभ ⌞हुनकर फेर अयबाक समय मे⌟ चाहे जीवित होइ वा मरि गेल होइ, हुनका संग जीबी। 11 तेँ अहाँ सभ एक-दोसर केँ प्रोत्साहित करू और विश्वास मे मजगूत बनाउ, जेना अहाँ सभ करितो छी। 12 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ हमरा सभक आग्रह अछि जे, अहाँ सभक बीच जे सभ परिश्रम करैत छथि, आत्मिक देख-रेख करैत छथि और प्रभुक दिस सँ अहाँ सभ केँ शिक्षा आ चेतावनी दैत छथि, तिनका सभक आदर करिऔन। 13 हुनका सभक काजक कारणेँ प्रेमपूर्बक हुनका सभक सम्मान करिऔन। एक-दोसरक संग मेल-मिलाप सँ रहू। 14 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ सँ हमरा सभक इहो आग्रह अछि जे, आलसी भाय सभ केँ चेतावनी दिअ। जे केओ हिम्मत हारि लेने छथि, तिनका सभक हिम्मत बढ़ाउ। जे केओ कमजोर छथि तिनका सभक सहायता करू। सभक संग सहनशीलताक व्यवहार करैत धैर्य राखू। 15 एहि बातक ध्यान राखू जे, केओ अधलाह व्यवहारक बदला अधलाह व्यवहार नहि करी, बल्कि सदिखन एक-दोसराक लेल आ सभ लोकक लेल भलाइ करैत रहबाक प्रयास करू। 16 सदिखन आनन्दित रहू, 17 लगातार प्रार्थना करैत रहू। 18 प्रत्येक परिस्थिति मे परमेश्वर केँ धन्यवाद दिऔन, कारण, अहाँ सभ जे मसीह यीशु मे छी तिनका सभ सँ परमेश्वर यैह बात चाहैत छथि। 19 परमेश्वरक पवित्र आत्माक आगि केँ नहि मिझाउ। 20 परमेश्वरक दिस सँ पाओल-सुनाओल सम्बाद सभ केँ तुच्छ नहि बुझू। 21 सभ बात केँ ठीक सँ जाँचू-बुझू और जे ठीक अछि ताहि मे दृढ़ रहू। 22 सभ तरहक अधलाह बात सँ दूर रहू। 23 शान्ति देबऽ वला परमेश्वर स्वयं अहाँ सभ केँ पूर्ण रूप सँ पवित्र करथि। ओ अहाँ सभक आत्मा, प्राण आ शरीर केँ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक अयबाक समय धरि निर्दोष आ सुरक्षित राखथि। 24 ई काज ओ अवश्य करताह, कारण ओ जे अहाँ सभ केँ बजबैत छथि से विश्वासयोग्य छथि। 25 यौ भाइ लोकनि, हमरा सभक लेल प्रार्थना करैत रहू। 26 ओहिठामक सभ भाय लोकनि केँ हमरा सभक दिस सँ पवित्र प्रेमक संग नमस्कार कहिऔन। 27 अहाँ सभ केँ प्रभुक समक्ष ई आज्ञा दैत छी जे, सभ भाय केँ ई पत्र पढ़ि कऽ सुनाओल जाय। 28 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभ पर बनल रहय।
1 पौलुस, सिलास आ तिमुथियुसक दिस सँ, अपना सभक पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीहक मण्डलीक नाम जे थिसलुनिका नगर मे अछि, ई पत्र— 2 पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि आ अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 3 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभक लेल सदिखन परमेश्वर केँ धन्यवाद देनाइ हमरा सभक कर्तव्य अछि। ई बात उचितो अछि, कारण अहाँ सभक विश्वास बहुत नीक सँ बढ़ि रहल अछि, और अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक गोटे केँ जे एक-दोसराक लेल प्रेम अछि, तकर वृद्धि भऽ रहल अछि। 4 एहि लेल परमेश्वरक आन मण्डली सभक बीच हम सभ अहाँ सभक बड़ाइ करैत छी जे, जतेक कष्ट आ अत्याचार अहाँ सभ सहि रहल छी ताहि सभ मे सेहो अहाँ सभक धैर्य आ विश्वास स्थिर रहैत अछि। 5 ई सभ एहि बातक प्रमाण अछि जे परमेश्वरक न्याय उचित होइत छनि; आ एकर फल ई अछि जे अहाँ सभ परमेश्वरक राज्यक योग्य ठहरब, जाहि राज्यक लेल अहाँ सभ एखन दुःख सहि रहल छी। 6 परमेश्वर न्यायी छथि—ओ अहाँ सभ केँ कष्ट देनिहार सभ केँ कष्ट देथिन, 7 और अहाँ सभ केँ, जे कष्ट पौनिहार छी, आ हमरो सभ केँ, ओ आराम देताह। ओ ई सभ तहिया करताह जहिया प्रभु यीशु अपन सामर्थी स्वर्गदूत सभक संग धधकैत आगि मे प्रगट होइत स्वर्ग सँ औताह। 8 ओहि समय मे ओ तकरा सभ केँ दण्ड देथिन जे सभ परमेश्वर केँ स्वीकार नहि कयलक आ अपना सभक प्रभु यीशुक शुभ समाचार केँ नहि मानलक। 9 एहन लोक सभ प्रभुक उपस्थिति आ हुनकर शक्तिक प्रताप सँ दूर कयल जायत और अनन्त कालीन विनाशक दण्ड पाओत। 10 ई बात ओहि दिन होयत जहिया प्रभु यीशु अपन पवित्र लोकक बीच अपन महिमाक गुणगान स्वीकार करबाक हेतु औताह, और ताहि सभ लोकक लेल अत्यन्त खुशी और आश्चर्यक कारण बनबाक हेतु औताह, जे सभ हुनका पर विश्वास कयने अछि। और ओहि मे अहूँ सभ रहब, कारण अहाँ सभ केँ हम सभ हुनका बारे मे जे बात सुनौलहुँ ताहि पर अहाँ सभ विश्वास कयलहुँ। 11 ई सभ बात ध्यान मे राखि, हम सभ लगातार अहाँ सभक लेल प्रार्थना करैत छी जे अपना सभक परमेश्वर अहाँ सभ केँ ताहि बातक योग्य बुझथि जकरा लेल ओ अहाँ सभ केँ बजौलनि। हुनका सँ इहो प्रार्थना करैत छी जे ओ अपना सामर्थ्य सँ भलाइ करबाक अहाँ सभक प्रत्येक इच्छा केँ पूरा करथि आ विश्वास सँ प्रेरित प्रत्येक काज केँ सम्पन्न करऽ मे अहाँ सभक मदति करथि। 12 किएक तँ एहि तरहेँ अपना सभक परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीहक कृपाक कारणेँ अहाँ सभ द्वारा अपना सभक प्रभु यीशु केँ आदर-प्रशंसा प्राप्त होयतनि, आ हुनका द्वारा अहाँ सभ केँ आदर-प्रशंसा प्राप्त होयत।
1 यौ भाइ लोकनि, अपना सभक प्रभु यीशु मसीह जे फेर औताह, ताहि विषय मे, आ अपना सभ जे हुनका लग जमा होयब, ताहि विषय मे हम सभ अहाँ सभ केँ कहि रहल छी— 2 केओ जँ ईश्वरीय सम्बाद पयबाक, वा हमरा सभक दिस सँ कोनो सूचना अथवा पत्र प्राप्त करबाक दावा करय जाहि मे ई कहल गेल होअय जे प्रभुक अयबाक दिन आबि चुकल अछि, तँ ताहि सँ अहाँ सभ तुरत्ते भ्रम मे नहि पड़ि जाउ आ ने घबड़ाउ। 3 केओ अहाँ सभ केँ कोनो तरहेँ धोखा नहि देबऽ पाबओ, कारण ओ दिन ताबत धरि नहि आओत जाबत धरि परमेश्वरक विरोध मे “महा-विद्रोह” नहि भऽ जायत और ओ “अधर्मक पुरुष”, जकर विनाश निश्चित अछि, से प्रगट नहि भऽ जायत। 4 ओ ईश्वर कहौनिहार अथवा पूज्य मानल जाय वला प्रत्येक वस्तुक विरोध करैत अपना केँ ओहि सभ सँ एतेक महान् ठहराओत जे परमेश्वरक मन्दिर मे विराजमान भऽ अपना केँ ईश्वर घोषित करत। 5 की अहाँ सभ केँ याद नहि अछि जे अहाँ सभक बीच रहैत हम ई बात सभ बुझबैत रहैत छलहुँ? 6 अहाँ सभ केँ बुझल अछि जे कोन सामर्थ्य ओकरा एखन रोकने छैक जाहि सँ ओ निर्धारित समय पर प्रगट होअय। 7 अधर्मक गुप्त शक्ति एखनो अपन काज शुरू कऽ देने अछि, मुदा जाबत धरि ओकरा रोकनिहार केँ हटाओल नहि जायत ताबत धरि ओ ओकरा रोकने रहत। 8 तकरबाद ओ अधर्मी पुरुष प्रगट कयल जायत जकरा प्रभु यीशु अपन मुँहक फूक सँ मारि देथिन। प्रभु यीशु महिमा मे आबि कऽ ओकर सर्वनाश कऽ देथिन। 9 ओ अधर्मी पुरुष शैतानक सामर्थ्य सँ परिपूर्ण भऽ कऽ आओत। ओ सभ तरहक शक्तिशाली आश्चर्यपूर्ण चिन्ह आ छल-कपट वला चमत्कार देखाओत, 10 और नाश भेनिहार लोक सभ केँ हर प्रकारक अधर्मक माध्यम सँ धोखा दऽ कऽ फँसाओत। ओ सभ एहि लेल नाश भेनिहार अछि जे ओ सभ ओहि सत्य सँ प्रेम नहि करऽ चाहलक जे सत्य ओकरा सभ केँ बँचा सकैत छलैक। 11 एही लेल परमेश्वर ओकरा सभ मे भ्रमपूर्ण मनोभाव उत्पन्न करैत छथिन जाहि सँ ओ सभ झूठक विश्वास करय। 12 एहि तरहेँ जे केओ सत्य पर विश्वास नहि कयलक आ अधर्म मे मग्न रहल से सभ दोषी ठहरि कऽ दण्डित कयल जायत। 13 यौ भाइ लोकनि, प्रभुक प्रिय लोक, अहाँ सभक लेल हमरा सभ केँ सदिखन परमेश्वर केँ धन्यवाद देबाक अछि, कारण, परमेश्वर शुरुए सँ अहाँ सभ केँ एहि उद्देश्य सँ चुनलनि जे अहाँ सभ हुनकर आत्माक काज द्वारा पवित्र भऽ कऽ और सत्य पर विश्वास कऽ कऽ उद्धार प्राप्त करी। 14 जे शुभ समाचार हम सभ अहाँ सभ केँ सुनौलहुँ ताहि द्वारा परमेश्वर अहाँ सभ केँ एहि उद्धारक लेल बजौलनि, जाहि सँ अहाँ सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक महिमा मे सहभागी बनी। 15 तेँ यौ भाइ लोकनि, अपना विश्वास मे स्थिर रहू आ ओहि शिक्षा मे दृढ़ बनल रहू जे अहाँ सभ केँ हमरा सभ सँ मौखिक रूप सँ वा पत्र द्वारा भेटल अछि। 16 आब स्वयं अपना सभक प्रभु यीशु मसीह और अपना सभक पिता परमेश्वर जे अपना सभ सँ प्रेम कयलनि आ अपना कृपा सँ अनन्त कालीन उत्साह आ अटल आशा देने छथि, 17 से अहाँ सभ केँ प्रोत्साहित करैत रहथि और सभ प्रकारक नीक काज करबाक लेल आ नीक बात बजबाक लेल बल दैत रहथि।
1 यौ भाइ लोकनि, अन्त मे ई—हमरा सभक लेल प्रार्थना करैत रहू जे, प्रभुक वचन जल्दी सँ पसरय आ जहिना अहाँ सभक ओतऽ भेल, तहिना ओ दोसरो-दोसरो ठाम आदरक संग स्वीकार कयल जाय। 2 और ई प्रार्थना करू जे भ्रष्ट आ दुष्ट लोक सभ सँ हमरा सभक रक्षा होइत रहय, कारण, सभ लोक वचन सुनि विश्वास नहि करैत अछि। 3 मुदा प्रभु विश्वासयोग्य छथि। ओ अहाँ सभ केँ दृढ़ बनौने रहताह आ दुष्ट शैतान सँ अहाँ सभ केँ सुरक्षित रखताह। 4 प्रभु पर भरोसा राखि हमरा सभ केँ पूरा विश्वास अछि जे अहाँ सभ हमरा सभक आज्ञाक पालन कऽ रहल छी आ आगाँ सेहो करैत रहब। 5 प्रभु अहाँ सभक हृदय मे परमेश्वरक प्रेमक आ मसीहक धैर्यक अनुभव बढ़बथि। 6 यौ भाइ लोकनि, आब हम सभ प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ अहाँ सभ केँ आज्ञा दैत छी जे अहाँ सभ ओहन सभ भाय सँ दूर रहू जे सभ आलसी अछि आ ओहि शिक्षाक अनुसार नहि चलैत अछि जे हमरा सभ द्वारा अहाँ सभ केँ देल गेल। 7 अहाँ सभ तँ अपने जनैत छी जे, हम सभ जेना करैत छी, तेना अहूँ सभ केँ करबाक चाही—हम सभ अहाँ सभक बीच रहैत आलसी बनि कऽ नहि रहलहुँ। 8 हम सभ बिनु मोल चुका कऽ किनको रोटी नहि खयलहुँ, बल्कि दिन-राति कष्ट सहैत आ परिश्रम करैत खटैत रहलहुँ जाहि सँ अहाँ सभ मे सँ किनको पर भार नहि बनि जाइ। 9 ई बात नहि, जे हमरा सभ केँ अहाँ सभ सँ सहयोग पयबाक अधिकार नहि छल, बल्कि बात ई जे, हम सभ अहाँ सभक लेल उदाहरण बनऽ चाहलहुँ जाहि सँ अहूँ सभ तहिना करी। 10 अहाँ सभक संग रहैत हम सभ अहाँ सभ केँ ई आज्ञा देने छलहुँ जे, “केओ जँ काज नहि करऽ चाहैत अछि, तँ ओ खयबो नहि करओ।” 11 मुदा हम सभ सुनैत छी जे अहाँ सभक बीच किछु लोक आलसीक जीवन व्यतीत कऽ रहल अछि। ओ सभ स्वयं काज नहि करैत अछि आ दोसराक काज मे बाधा दैत अछि। 12 एहन लोक सभ केँ हम सभ प्रभु यीशु मसीहक नाम सँ आज्ञा दैत छिऐक और एहि पर जोर दऽ कऽ अनुरोध करैत छिऐक जे, ओ सभ चुप-चाप अपन काज करओ आ अपन कमाइक रोटी खाओ। 13 और यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ जे छी से सभ भलाइक काज करऽ सँ नहि थाकू। 14 जँ केओ हमरा सभक एहि पत्र मेहक आदेशक पालन नहि करैत अछि तँ ओकरा चिन्हू आ ओकरा सँ कोनो सम्बन्ध नहि राखू, जाहि सँ ओ अपन आचरण-व्यवहार सँ लज्जित होअय। 15 तैयो ओकरा दुश्मन नहि बुझिऔक, बल्कि भाय मानि कऽ समझबिऔक-बुझबिऔक। 16 प्रभु यीशु जे शान्तिक स्रोत छथि, स्वयं अहाँ सभ केँ सदिखन आ सभ तरहेँ शान्ति देने रहथि। प्रभु अहाँ सभ गोटेक संग रहथि। 17 आब हम, पौलुस, ई नमस्कार अपने हाथ सँ लिखैत छी। हमरा अपना हाथ सँ लिखल नमस्कार सँ हमर सभ चिट्ठी चिन्हल जा सकैत अछि। हमर अक्षर एहने होइत अछि। 18 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभ गोटे पर बनल रहय।
1 हम पौलुस, जे अपना सभक उद्धारकर्ता परमेश्वरक आज्ञा सँ, आ मसीह यीशु जे अपना सभक आशाक आधार छथि तिनकर आज्ञा सँ, मसीह यीशुक एक मसीह-दूत छी, 2 से विश्वासक दृष्टि सँ अपन असली पुत्र तिमुथियुस केँ ई पत्र लिखि रहल छी— पिता परमेश्वर आ अपना सभक प्रभु, मसीह यीशु अहाँ पर कृपा आ दया करथि आ अहाँ केँ शान्ति देथि। 3 जहिना मकिदुनिया प्रदेश जाइत काल हम अहाँ सँ आग्रह कयने छलहुँ, तहिना एखनो हमर आग्रह अछि जे अहाँ इफिसुसे नगर मे रहि जाउ, जाहि सँ ओहिठाम जे किछु लोक गलत शिक्षा दऽ रहल अछि तकरा सभ केँ आदेश दिऐक जे ओ सभ एहन शिक्षा देनाइ बन्द करय, 4 आ काल्पनिक दन्तकथा सभ और असंख्य वंशावली सभक चक्कर मे पड़ल नहि रहय। ओहि सँ मात्र वाद-विवाद बढ़ैत अछि, ने कि परमेश्वरक काज, जे विश्वास पर आधारित अछि। 5 हमर एहि आदेशक लक्ष्य ई अछि जे ओ प्रेम बढ़य जे शुद्ध मोन, निर्दोष विवेक आ निष्कपट विश्वास सँ उत्पन्न होइत अछि। 6 किछु लोक एहि सभ केँ छोड़ि, बाट सँ भटकि निरर्थक विवादक बात बजैत रहैत अछि। 7 ओ सभ धर्म-नियम सिखाबऽ वला गुरु बनऽ चाहैत अछि, मुदा जे बात ओ सभ कहैत अछि और जाहि विषय पर जोर दैत अछि तकरा अपने नहि बुझैत अछि। 8 अपना सभ जनैत छी जे जँ धर्म-नियमक उचित उपयोग कयल जाय, तँ ओ उत्तम वस्तु अछि। 9 एहि पर ध्यान रहय जे धर्म-नियम धर्मी लोक सभक लेल नहि, बल्कि अपराधी और अधीन मे नहि रहऽ वला, परमेश्वरक डर नहि मानऽ वला और पापी, नास्तिक और धर्म-विरोधी, माय-बाबूक हत्या कयनिहार और खूनी, 10 परस्त्रीगमन कयनिहार और समलैंगिक सम्बन्ध रखनिहार लोक, मनुष्य केँ किनऽ-बेचऽ वला, झूठ बाजऽ वला और झूठ गवाही देबऽ वला, और ओहि सभ लोकक लेल अछि जे सभ आरो-आरो तेहन कोनो काज सभ करैत अछि जे सही सिद्धान्तक विपरीत अछि। 11 सही सिद्धान्त ओ अछि जे यीशु मसीहक शुभ समाचार सँ मिलैत अछि—ओ शुभ समाचार जे परमधन्य परमेश्वरक महिमा केँ प्रगट करैत अछि आ जकरा सुनयबाक काज हमरा सौंपल गेल अछि। 12 ई काज करबाक लेल अपना सभक प्रभु, मसीह यीशु, हमरा सामर्थ्य देलनि। हम हुनका धन्यवाद दैत छियनि, जे ओ हमरा विश्वासयोग्य बुझि अपन सेवा मे नियुक्त कयलनि, 13 जखन कि हम पहिने हुनकर निन्दा करैत छलहुँ, हुनकर लोक केँ सतबैत छलहुँ आ खुलि कऽ हुनकर अपमान करैत छलहुँ। मुदा हमरा पर हुनकर दया भेलनि, कारण, हमरा सँ ओ सभ काज अज्ञानता आ अविश्वासक दशा मे भेल छल। 14 और देखू, अपना सभक परमेश्वर हमरा पर असीम कृपा कयलनि और संगे-संग हमरा ओहि विश्वास आ प्रेम सँ भरि देलनि जे मसीह यीशु द्वारा भेटैत अछि। 15 ई एक सत्य बात अछि, जकर विश्वास सभ केँ करबाक चाही—मसीह यीशु संसार मे पापी सभ केँ बचयबाक लेल अयलाह। और ओकरा सभ मे सँ सभ सँ बड़का पापी हम छी। 16 मुदा यैह कारण छल जे हमरा पर मसीह यीशुक दया भेलनि, जाहि सँ सभ सँ बड़का पापी पर ओ अपन असीम धैर्य प्रगट करथि, और एहि तरहेँ बाद मे आबऽ वला ओहि लोक सभक लेल हम एक उदाहरण बनिएनि जे सभ हुनका पर विश्वास कऽ कऽ अनन्त जीवन पौनिहार बनताह। 17 युग-युगक राजा, अविनाशी, अदृश्य और एकमात्र परमेश्वरक सम्मान और स्तुति युगानुयुग होइत रहनि। आमीन। 18 यौ हमर प्रिय बालक तिमुथियुस, बितल समय मे अहाँक बारे मे जे परमेश्वरक दिस सँ सम्बाद पाओल गेल छल, तकरे अनुरूप हम अहाँ केँ ई काज सौंपैत छी, जाहि सँ ओहि सम्बाद सँ प्रेरणा पाबि अहाँ सत्यताक लेल नीक लड़ाइ मे लागल रहू। 19 विश्वास मे अटल रहू आ अपन विवेक केँ शुद्ध राखू। एहि दूनू बात केँ किछु लोक बेकार बुझि अपन विश्वास केँ नष्ट कऽ लेने अछि। 20 ओहि मे हुमिनयुस आ सिकन्दर अछि। ओकरा सभ केँ हम शैतानक जिम्मा मे दऽ देने छी, जाहि सँ ओ सभ ई सिखय जे परमेश्वरक निन्दा नहि करबाक अछि।
1 हम सभ सँ पहिने ई अनुरोध करैत छी जे, विनती, प्रार्थना, निवेदन आ धन्यवाद सभ मनुष्यक लेल परमेश्वर लग चढ़ाओल जाय, 2 राजा लोकनि और आरो सभ अधिकारीक लेल सेहो, जाहि सँ अपना सभ भक्ति और मर्यादाक संग चैन आ शान्ति सँ जीवन व्यतीत कऽ सकी। 3 एहन प्रार्थना कयनाइ अपना सभक उद्धारकर्ता परमेश्वरक दृष्टि मे उत्तम बात अछि, और एहि सँ हुनका खुशी होइत छनि, 4 कारण, हुनकर इच्छा ई छनि जे, सभ मनुष्य उद्धार पाबय आ सत्य केँ जानय। 5 किएक तँ परमेश्वर एकेटा छथि और परमेश्वर आ मनुष्यक बीच मध्यस्थ सेहो एकेटा, अर्थात् मसीह यीशु, जे स्वयं मनुष्य छथि, 6 और सभ मनुष्यक छुटकाराक मोल चुकयबाक लेल अपना केँ अर्पित कऽ देलनि। एहि तरहेँ मनुष्यक सम्बन्ध मे जे परमेश्वरक इच्छा छनि, ताहि केँ निश्चित कयल समय पर प्रमाणित कऽ देल गेल। 7 हम एही बात केँ प्रचार करबाक लेल, आ मसीह-दूत होयबाक लेल नियुक्त कयल गेलहुँ और गैर-यहूदी सभ केँ विश्वास आ सत्यक विषय मे सिखयबाक लेल पठाओल गेलहुँ। हम सत्य कहैत छी, झूठ नहि बजैत छी। 8 एहि लेल हम चाहैत छी जे सभ ठाम पुरुष सभ, क्रोध आ विवाद मे नहि पड़ि, अपन निर्दोष हाथ ऊपर उठा कऽ प्रार्थना करथि। 9 तहिना स्त्रीगण सभ सेहो अपन ओढ़न-पहिरन वला बात मे मर्यादा आ शालीनताक ध्यान राखथि। अपन श्रृंगार केशक सजावट, सोना वा मोतीक गहना और दामी-दामी वस्त्र सँ नहि, 10 बल्कि भलाइक काज सभ द्वारा करथि। ई बात ओहि स्त्रीगण सभ केँ शोभा दैत छनि जे सभ अपना केँ परमेश्वरक भक्तिनि कहैत छथि। 11 स्त्रीगण सभ मण्डलीक सभा मे शान्त रहि कऽ अधीनताक संग सिखथि। 12 हम एहि बातक अनुमति नहि दैत छी जे स्त्रीगण सभ उपदेश देथि अथवा पुरुष पर हुकुम चलबथि; हुनका सभ केँ चुप रहबाक चाहियनि। 13 कारण, पहिने आदमक सृष्टि भेलनि, आ बाद मे हव्वाक। 14 दोसर बात, आदम नहि ठकयलाह, बल्कि हव्वा ठका कऽ पाप मे पड़ि गेलीह। 15 मुदा तैयो जँ स्त्रीगण सभ शालीनताक संग विश्वास, प्रेम आ पवित्रता मे स्थिर रहतीह, तँ अपन मातृत्वक कर्तव्य पूरा करैत उद्धार पौतीह।
1 ई बात एकदम सत्य अछि जे जँ केओ मण्डली मे जिम्मेवार बनबाक इच्छा करैत छथि तँ ओ एक उत्तम काज करऽ चाहैत छथि। 2 तेँ ई आवश्यक अछि जे जिम्मेवार लोक निष्कलंक होथि, हुनका एकेटा स्त्री होनि, ओ संयमी, विचारवान, भद्र, अतिथि-सत्कार कयनिहार और शिक्षा देबऽ मे निपुण होथि । 3 ओ शराबी नहि होथि, आ मारा-मारी करऽ वला नहि, बल्कि नम्र होथि। ओ झगड़ा कयनिहार वा धनक लोभी नहि होथि। 4 ओ अपन घर-व्यवहार केँ नीक सँ चलबैत अपन बाल-बच्चा केँ कहल मे रखैत होथि, और बच्चा सभ हुनका आदर दैत होनि। 5 कारण, जँ केओ अपने घर-व्यवहार केँ ठीक सँ चलाबऽ नहि जनैत अछि, तँ ओ परमेश्वरक मण्डलीक देख-रेख कोना कऽ सकत? 6 मण्डलीक जिम्मेवार व्यक्ति नव विश्वासी नहि होथि, नहि तँ कतौ एना नहि होअय जे ओ घमण्ड सँ फुलि कऽ ओहिना दण्ड पयबाक भागी बनि जाथि जेना शैतान बनल। 7 इहो आवश्यक अछि जे ओ बाहरी लोक, अर्थात् अविश्वासी सभक मध्य सम्मानित होथि। कतौ एना नहि भऽ जाय जे ओ अपयशक पात्र बनि शैतानक जाल मे पड़थि। 8 तहिना मण्डली-सेवक सभ सेहो नीक चरित्रक होथि; ओ सभ दुमुहा, शराबी, वा अनुचित लाभ कमयबाक इच्छुक नहि होथि। 9 परमेश्वर द्वारा प्रगट कयल सत्य जाहि पर अपना सभक विश्वास आधारित अछि, तकरा ओ सभ शुद्ध आ निर्दोष मोन सँ मानैत होथि। 10 पहिने हुनका सभक जाँच कयल जानि आ हुनका सभक विरोध मे जँ कोनो बात नहि पाओल जाय, तखन मण्डली-सेवकक रूप मे काज करथि। 11 एहि तरहेँ हुनका सभक स्त्री लोकनि सेहो सभ्य आचरणवाली होथि, दोसराक निन्दा-शिकायत करऽ वाली नहि, बल्कि संयमी और सभ बात मे विश्वासयोग्य होथि। 12 मण्डली-सेवक सभ एकेटा स्त्रीक पति होथि, और अपन बाल-बच्चा आ घर-व्यवहार केँ नीक सँ चलबैत होथि। 13 मण्डली-सेवक बनि जे सेवक सभ अपन सेवाक काज ढंग सँ पूरा करैत छथि, से सभ सम्मान पौताह आ मसीह यीशु परक जे हुनका सभक विश्वास छनि, ताहि विषय मे निर्भयतापूर्बक बजबाक साहस सेहो बढ़तनि। 14 हमरा आशा अछि जे हम जल्दी अहाँ लग आयब, मुदा ई पत्र एहि लेल लिखैत छी जे, 15 जँ हमरा अयबा मे विलम्ब भऽ जाय, तँ अहाँ एहि बात केँ जानि ली जे परमेश्वरक परिवार मे लोकक चालि-चलन केहन रहबाक चाही। परमेश्वरक परिवार जे अछि, से जीवित परमेश्वरक मण्डलिए अछि। वैह सत्यक खाम्ह आ न्यो अछि। 16 एहि बात मे सन्देह नहि जे, परमेश्वर द्वारा प्रगट कयल सत्यक रहस्य महान् अछि— ओ मनुष्यक रूप मे प्रगट भेलाह, पवित्र आत्मा द्वारा सत्य प्रमाणित भेलाह, स्वर्गदूत सभ केँ देखाइ देलथिन, जाति-जाति सभ मे हुनकर प्रचार भेलनि, संसार मे हुनका पर विश्वास कयल गेल, ओ महिमाक संग स्वर्ग मे उठाओल गेलाह।
1 परमेश्वरक आत्मा स्पष्ट कहैत छथि जे अन्तिम समय मे एहनो लोक सभ होयत जे सभ बहकाबऽ वला आत्मा सभ केँ आ दुष्टात्मा सभक शिक्षा सभ केँ मानि कऽ विश्वास त्यागि देत। 2 एहन शिक्षा ओहन झूठ बाजऽ वला कपटी लोक द्वारा आओत जकरा सभक विवेक धिपल लोहा सँ दगायल जकाँ सुन्न भऽ गेल छैक। 3 ओ सभ विवाह और कोनो-कोनो खयबाक वस्तु सभ सँ परहेज करबाक शिक्षा दैत अछि, जखन कि परमेश्वर एहि वस्तु सभक रचना एहि लेल कयलनि जे, सत्य केँ जानऽ वला आ विश्वास करऽ वला सभ द्वारा ई वस्तु सभ धन्यवादक संग ग्रहण कयल जाय। 4 परमेश्वरक सृष्टि कयल प्रत्येक वस्तु नीक अछि। कोनो वस्तु अस्वीकार कयल जाय जोगरक नहि होइत अछि, जँ ओकरा धन्यवादक संग स्वीकार कयल जाइत छैक तँ, 5 कारण, ओ परमेश्वरक कहल बात द्वारा आ प्रार्थना सँ पवित्र ठहराओल जाइत अछि। 6 ई सभ बात विश्वासी भाय सभ केँ अहाँ बुझाउ। एहि तरहेँ अहाँ मसीह यीशुक असली सेवक बनल रहब—एहन सेवक जिनकर भरण-पोषण विश्वासक सिद्धान्त सभ सँ आ ओहि नीक शिक्षा सभ सँ भेल होनि, जकर अहाँ पालन करैत आबि रहल छी। 7 परमेश्वर केँ अपमानित करऽ वला निरर्थक काल्पनिक कथा-पिहानी सभ सँ दूर रहू। तकर बदला मे परमेश्वर केँ पसन्द पड़ऽ वला भक्तिक जीवनक साधना मे लीन रहू। 8 शारीरिक साधना सँ किछु लाभ तँ अछि, मुदा भक्ति सँ असीमित लाभ अछि, किएक तँ ओ जीवनक आश्वासन दैत अछि इहलोक मे सेहो और परलोक मे सेहो। 9 ई एक सत्य बात अछि, जकर विश्वास सभ केँ करबाक चाही। 10 एहि कारणेँ अपना सभ परिश्रम करैत छी आ संघर्ष मे लागल रहैत छी; किएक तँ अपना सभ अपन आशा जीवित परमेश्वर पर रखने छी, जे सम्पूर्ण मनुष्य जातिक, आ विशेष रूप सँ विश्वासी सभक उद्धारकर्ता छथि। 11 अहाँ अपना उपदेश मे एही बात सभक शिक्षा और आदेश दैत रहू। 12 युवा अवस्थाक कारणेँ केओ अहाँ केँ तुच्छ नहि बुझओ, बरु बात-चीत, चालि-चलन, प्रेम, विश्वास आ पवित्रता मे विश्वासी सभक लेल अहाँ नमूना बनू। 13 जाबत धरि हम नहि आयब, ताबत धरि मण्डली केँ धर्मशास्त्र पढ़ि कऽ सुनाबऽ मे, विश्वासी सभ केँ उत्साहित करऽ मे, और शिक्षा देबऽ मे लीन रहू। 14 अहाँ अपन ओहि वरदानक उपयोग करू, जे अहाँ केँ ओहि समय मे भविष्यवाणी द्वारा देल गेल जखन मण्डलीक देख-रेख कयनिहारक समुदाय अहाँ पर हाथ रखलनि। 15 एहि बात सभक ध्यान राखू आ पूर्ण रूप सँ एहि मे लागि जाउ, जाहि सँ सभ लोक अहाँक आत्मिक उन्नति देखि सकय। 16 अहाँ एहि बात सभ मे दृढ़ बनल रहू। अहाँ जे करैत छी आ जे सिखबैत छी, दूनू पर विशेष ध्यान दिअ। एहि तरहेँ कयला सँ अहाँ अपनो लेल और अहाँक शिक्षा केँ सुननिहारो सभक लेल उद्धारक कारण होयब।
1 वृद्ध पुरुष सभ केँ डाँटि-डपटि कऽ नहि, बल्कि हुनका सभ केँ अपन पिता तुल्य मानि आग्रहपूर्बक समझाउ-बुझाउ। युवक सभ केँ भाय, 2 वृद्ध स्त्रीगण सभ केँ माय, आ युवती सभ केँ बहिन मानि हुनका सभक संग एकदम पवित्र भावना सँ व्यवहार राखू। 3 ओहन विधवा सभक सम्मान और सहायता करू जे सभ वास्तव मे निःसहाय छथि। 4 जँ कोनो विधवा केँ बेटा-बेटी वा नाति-पोता सभ अछि, तँ ओहि बेटा-बेटी नाति-पोता सभ केँ सभ सँ पहिने ई सिखबाक चाही जे माय-बाबू, दाइ-बाबा सभ जे हमरा सभक पालन-पोषण कयलनि, तकरा बदला मे हुनका सभक प्रति जे हमर कर्तव्य अछि, से हुनका सभक देख-रेख कऽ कऽ हमरा पूरा करबाक अछि। एहन बात सँ परमेश्वर प्रसन्न होइत छथि। 5 जे विधवा वास्तव मे निःसहाय छथि, जिनका केओ देखऽ वला नहि छनि, से परमेश्वर पर भरोसा राखि राति-दिन हुनका सँ विनती करैत प्रार्थना मे लागल रहैत छथि। 6 मुदा जे विधवा भोग-विलास मे लिप्त भऽ गेल अछि, से जीवित होइतो मरल अछि। 7 अहाँ एहि बात सभक सम्बन्ध मे मण्डलीक लोक सभ केँ ई आज्ञा सभ दिऔक, जाहि सँ एहि क्षेत्र मे ओ सभ निन्दा सँ बाँचल रहि सकय। 8 जे केओ अपन सम्बन्धी सभक आ विशेष कऽ अपने परिवारक सदस्य सभक देख-रेख नहि करैत अछि, से विश्वास त्यागि देने अछि और अविश्वासिओ सँ भ्रष्ट अछि। 9 जखन ओहि विधवा सभक नाम लिखऽ लागब, जिनका सभ केँ मण्डली द्वारा मदति भेटबाक चाही, तँ मात्र ओही विधवा सभक नाम लिखब जे सभ साठि वर्ष सँ कम वयसक नहि होथि, पतिव्रता रहल होथि, 10 और भलाइक काज कयनिहारिक रूप मे चिन्हल-जानल जाइत होथि, अर्थात् अपन बाल-बच्चा सभक नीक सँ पालन-पोषण कयने होथि, अतिथि सभक सत्कार कयने होथि, प्रभुक लोक सभक पयर धोने होथि, दीन-दुखी सभक सहायता कयने होथि आ सभ प्रकारक भलाइक काज मे अपना केँ समर्पित कयने होथि। 11 मुदा जबान विधवा सभक नाम विधवा-सूची मे सम्मिलित नहि कयल जाय। किएक तँ यीशु मसीहक लेल जे ओकरा सभक समर्पण अछि ताहि सँ तेज जखन ओकरा सभक शारीरिक काम-वासना होमऽ लगैत छैक तँ विवाह करऽ चाहैत अछि 12 और एहि तरहेँ ओ सभ अपन पहिने कयल प्रतिज्ञा केँ तोड़ि दोषी बनि जाइत अछि। 13 एतबे नहि, समय बरबाद कयनाइ आ अङने-अङने घुमनाइ ओकरा सभक आदत भऽ जाइत छैक। एहि तरहेँ ओ सभ मात्र आलसिए नहि, बल्कि ओहन-ओहन बात बाजि जे नहि बजबाक चाही, महा बजक्करि, आ दोसराक काज मे टाँग अड़ौनिहारि बनि जाइत अछि। 14 तेँ हम चाहैत छी जे जबान विधवा सभ विवाह करय, सन्तान उत्पन्न करय आ अपन घर-व्यवहार चलाबय, जाहि सँ विरोधी केँ मण्डलीक निन्दा करबाक अवसर नहि भेटैक, 15 कारण, एखनो तँ किछु विधवा भटकि कऽ शैतानक बाट पर चलि गेल अछि। 16 जँ कोनो विश्वासी स्त्रीगणक परिवार मे विधवा सभ छथि, तँ ओ हुनका सभक सहायता करथि। ओहन विधवाक भार मण्डली पर नहि राखल जाय, जाहि सँ मण्डली ताहि विधवा सभक सहायता कऽ सकय जिनका केओ नहि छनि। 17 मण्डली केँ ठीक प्रकार सँ देख-रेख कयनिहार अगुआ लोकनि केँ दोबर आदर-सम्मानक योग्य बुझल जानि, विशेष रूप सँ तिनका सभ केँ जे सभ वचनक प्रचारक काज आ शिक्षा देबऽ वला काज मे परिश्रम करैत छथि। 18 किएक तँ धर्मशास्त्र कहैत अछि जे, “दाउन करैत बरदक मुँह मे जाबी नहि लगाउ,” आ “मजदूर केँ मजदूरी पयबाक अधिकार छैक।” 19 देख-रेख कयनिहार पर जँ कोनो दोष लगाओल जाइत अछि, तँ बिनु दू-तीन गवाहक पुष्टि सँ तकरा स्वीकार नहि करू। 20 जे सभ पाप करैत रहैत अछि, तकरा सभ केँ सभक सामने मे डाँटू, जाहि सँ दोसरो लोक सभ केँ पाप करऽ सँ डर लगतैक। 21 हम परमेश्वर, मसीह यीशु आ हुनकर चुनल स्वर्गदूत सभक सामने अहाँ केँ स्पष्ट आदेश दैत छी जे, बिना कोनो भेद-भाव राखि एहि नियम सभक पालन करू। पक्षपातक भाव सँ किछु नहि करू। 22 बिनु ठीक सँ विचार कयने ककरो पर तुरत हाथ राखि मण्डलीक सेवा-काज मे नियुक्त नहि करू। एना नहि होअय जे अनकर पापक भागी बनी। अपना केँ पवित्र राखू। 23 आब अहाँ मात्र पानि नहि पिबू, बल्कि पाचन-शक्तिक लेल आ बारम्बार अस्वस्थ रहबाक कारणेँ कनेक-कनेक मदिराक सेवन सेहो करू। 24 किछु लोकक पाप प्रत्यक्ष होइत अछि और ओ सभ न्यायिक जाँच सँ पहिनहि दोषी प्रमाणित भऽ जाइत अछि। मुदा किछु लोकक पाप बादे मे प्रगट होइत अछि। 25 तहिना नीक काज सभ सेहो प्रत्यक्ष देखल जाइत अछि, आ जँ ओ नहिओ प्रगट भेल तैयो बहुत समय धरि गुप्त नहि रहि सकत।
1 दासत्वक जुआ तर मे जे लोक सभ अछि से सभ अपन मालिक केँ पूर्ण आदरक योग्य बुझय, जाहि सँ परमेश्वरक नाम आ अपना सभक शिक्षाक निन्दा नहि होअय। 2 जाहि दासक मालिक प्रभु यीशु पर विश्वास कयनिहार छथि, से एहि कारणेँ अपन मालिकक कम आदर नहि करनि जे, ई मालिक तँ विश्वासक दृष्टिएँ हमर भाये अछि, बल्कि ओहि मालिक केँ आओर बढ़ियाँ सँ सेवा करनि, कारण, जाहि आदमी केँ ओकर सेवा सँ लाभ भऽ रहल अछि, से विश्वासी आ ओकर प्रिय भाय छथि। अहाँ विश्वासी सभ केँ एहि बात सभक शिक्षा दैत रहिऔक, आ ओकरा सभ सँ आग्रह करैत रहू जे एहि आज्ञा सभक पालन करओ। 3 एहि सिद्धान्त सभ सँ हटि कऽ जँ केओ कोनो आन शिक्षा दैत अछि आ अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक सत्य सिद्धान्त सभ केँ नहि मानैत अछि और ओहि शिक्षा सँ सहमत नहि अछि जे असली भक्ति उत्पन्न करैत अछि, 4 तँ ओ अहंकारी आ अज्ञानी अछि। ओकरा झगड़ा करबाक आ शब्द सभक विषय मे निरर्थक वाद-विवाद करबाक रोग लागल छैक। एहि प्रकारक वाद-विवाद सँ ईर्ष्या, दुश्मनी, निन्दा आ दोसर लोक सभ पर अधलाह सन्देह होमऽ लगैत अछि, 5 और ओहन लोक सभक बीच हरदम झगड़ा होमऽ लगैत छैक, जकर सभक बुद्धि भ्रष्ट भऽ गेल छैक, जे सभ सत्य सँ वंचित भऽ गेल अछि आ जे सभ भक्ति कयनाइ केँ लाभ कमयबाक साधन मानैत अछि। 6 भक्ति सँ अवश्य पैघ लाभ होइत अछि, मुदा तकरे, जे अपन स्थिति सँ सन्तुष्ट रहैत अछि। 7 किएक तँ अपना सभ एहि संसार मे ने किछु लऽ कऽ आयल छी आ ने एतऽ सँ किछु लऽ कऽ जायब। 8 तेँ जँ अपना सभ केँ भोजन आ वस्त्र अछि तँ ताही सँ सन्तुष्ट रही। 9 मुदा जे केओ धन जमा करऽ चाहैत अछि, से प्रलोभन मे पड़ि जाइत अछि और एहन मूर्खतापूर्ण आ हानिकारक लालसाक जाल मे फँसि जाइत अछि जे लोक सभ केँ पतन आ विनाशक खधिया मे खसा दैत छैक। 10 कारण, धनक लोभ सभ प्रकारक अधलाह बातक जड़ि अछि। एही लोभ मे पड़ि कऽ कतेको लोक सत्यक बाट सँ भटकि कऽ अपन विश्वास त्यागि देने अछि आ अपन मोन केँ विभिन्न दुःख-कष्ट सँ बेधि लेने अछि। 11 मुदा यौ परमेश्वरक भक्त, अहाँ एहि सभ बात सँ दूर भागू आ धार्मिकता, भक्ति, विश्वास, प्रेम, धैर्य आ नम्रताक साधना मे लागू। 12 विश्वासक नीक लड़ाइ मे लागल रहू, और ओहि अनन्त जीवन केँ पकड़ने रहू जे जीवन प्राप्त करबाक लेल अहाँ बजाओल गेलहुँ आ जकरा विषय मे अहाँ बहुतो लोकक समक्ष नीक गवाही देलहुँ। 13 परमेश्वर केँ, जे सभक जीवनदाता छथि, और मसीह यीशु केँ, जे राज्यपाल पिलातुसक समक्ष सत्यक नीक गवाही देलनि, साक्षी राखि कऽ हम अहाँ केँ आज्ञा दैत छी जे, 14 जा धरि अपना सभक प्रभु यीशु मसीह फेर नहि आबि जयताह, ता धरि निष्कलंक और निर्दोष रहि कऽ अहाँ केँ जे जिम्मेवारी देल गेल अछि तकरा पूरा करू। 15 प्रभु यीशु मसीह केँ वैह उचित समय पर प्रगट करथिन जे परमधन्य परमेश्वर और एकमात्र शासक छथि। ओ राजा सभक राजा आ प्रभु सभक प्रभु छथि। 16 ओ अमरताक एकमात्र स्रोत छथि और ओहन इजोत मे वास करैत छथि जकरा लग मे केओ जा नहि सकैत अछि। हुनका कोनो मनुष्य ने कहियो देखने छनि आ ने देखि सकैत छनि। ओही परम परमेश्वरक सम्मान और सामर्थ्य अनन्त काल धरि रहनि। आमीन। 17 एहि वर्तमान संसारक चीज-वस्तुक दृष्टिकोण सँ जे सभ धनिक अछि, तकरा सभ केँ आज्ञा दिऔक जे ओ सभ अहंकारी नहि बनय। ओ सभ धन-सम्पत्ति पर नहि, जे जल्दी सँ समाप्त होइत अछि, बल्कि परमेश्वर पर भरोसा राखय, जे अपना सभ केँ आनन्दित रहबाक लेल सभ वस्तु पर्याप्त मात्रा मे दैत छथि। 18 ओ सभ नीक काज करैत रहय, भलाइक काज सभ करऽ मे धनिक बनय, कंजूस नहि रहय, और दोसराक सहायता करबाक लेल सदिखन तत्पर रहय। 19 एहि तरहेँ ओ सभ अपना लेल एहन पूजी लगाओत जे भविष्यक एक उत्तम आधार रहतैक, जकरा द्वारा ओ सभ ओ जीवन प्राप्त करत जे वास्तविक जीवन अछि। 20 यौ तिमुथियुस, अहाँक जिम्मा मे जे देल गेल अछि तकर रक्षा करू। परमेश्वर केँ अपमानित करऽ वला निरर्थक बकवाद, और सत्यक विरोधी “ज्ञान”क शिक्षा, जे ज्ञान तँ कहबैत अछि मुदा अछि नहि, ताहि सँ दूर रहू। 21 किएक तँ कतेको लोक एहि “ज्ञान” केँ स्वीकार कऽ विश्वासक मार्ग सँ भटकि गेल अछि। अहाँ सभ पर परमेश्वरक कृपा बनल रहओ।
1 हम, पौलुस, जे परमेश्वरक इच्छा सँ आ एहि उद्देश्य सँ मसीह यीशुक एक मसीह-दूत छी जे हम ओहि जीवनक प्रचार करी जाहि जीवनक सम्बन्ध मे परमेश्वर वचन देने छथि, आ जे मसीह यीशु सँ भेटैत अछि, 2 अपन प्रिय बालक तिमुथियुस केँ ई पत्र लिखि रहल छी। पिता परमेश्वर आ अपना सभक प्रभु, मसीह यीशु अहाँ पर कृपा आ दया करथि आ अहाँ केँ शान्ति देथि। 3 हम दिन-राति लगातार अपना प्रार्थना सभ मे अहाँ केँ स्मरण कऽ कऽ परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि, जिनकर सेवा, जहिना हमर पुरखा सभ कयलनि, तहिना हमहूँ शुद्ध मोन सँ करैत छी। 4 हमरा जखन अहाँक आँखिक नोर स्मरण होइत अछि, तँ हमरा बड्ड इच्छा होइत अछि जे अहाँ सँ फेर भेँट करी आ भेँट कऽ कऽ बड़का आनन्द प्राप्त करी। 5 अहाँक निष्कपट विश्वास केँ सेहो हम स्मरण करैत छी। ई विश्वास सभ सँ पहिने अहाँक नानी लोइस आ अहाँक माय यूनिके मे छल और हमरा पूर्ण भरोसा अछि जे आब अहूँ मे अछि। 6 तेँ हम अहाँ केँ मोन पाड़ैत छी जे ओहि वरदान केँ क्रियाशील करू, जे परमेश्वर अहाँ केँ ताहि समय मे देलनि जखन अहाँ पर हम अपन हाथ रखलहुँ। 7 परमेश्वर तँ अपना सभ केँ डरपोकक आत्मा नहि, बल्कि सामर्थ्य, प्रेम आ आत्मसंयमक आत्मा प्रदान कयने छथि। 8 एहि लेल अहाँ ने तँ अपना सभक प्रभुक साक्षी देबऽ सँ लाज मानू, आ ने तँ हमरा कारणेँ लाजक अनुभव करू, जे हम प्रभुक लेल जहल मे बन्दी छी, बल्कि परमेश्वरक देल सामर्थ्य सँ बल पाबि प्रभु यीशु मसीहक सुसमाचारक लेल हमरा संग कष्ट सहू। 9 कारण, परमेश्वर अपना सभक उद्धार कयलनि आ अपना सभ केँ पवित्र जीवन बितयबाक लेल बजौलनि। ई उद्धार अपना सभक कयल काजक कारणेँ नहि, बल्कि हुनकर अपन उद्देश्य आ कृपाक कारणेँ भेल। हुनकर ओ कृपा मसीह यीशुक माध्यम सँ संसारक सृष्टि सँ पहिने अपना सभ पर कयल गेल छल, 10 मुदा आब आबि कऽ अपना सभक उद्धारकर्ता मसीह यीशुक अयनाइ द्वारा स्पष्ट रूप सँ देखाइ देलक अछि। प्रभु यीशु मसीह मृत्युक विनाश कयलनि और अपन सुसमाचारक माध्यम सँ एहि बात केँ प्रकाश मे अनने छथि जे जीवन और अमरत्व पयबाक बाट की अछि। 11 हम एही सुसमाचारक लेल प्रचारक, मसीह-दूत आ शिक्षक नियुक्त कयल गेल छी। 12 एही कारणेँ हम एतऽ ई कष्ट सहि रहल छी, मुदा हम एहि सँ लज्जित नहि छी, कारण, हम जनैत छी जे हम किनका पर विश्वास कयने छी और हमरा कनेको सन्देह नहि अछि जे, जे किछु हम हुनका रखबाक लेल सौंपि देने छियनि, तकरा ओ अपन अयबाक दिन तक सुरक्षित राखऽ मे सामर्थ्यवान छथि। 13 जे शिक्षा अहाँ हमरा सँ पौने छी, तकरा सही शिक्षाक नमूना मानि, मसीह यीशु सँ प्राप्त विश्वास आ प्रेम मे स्थिर रहि कऽ लोक सभ केँ सिखाउ। 14 और पवित्र आत्मा, जे अपना सभ मे वास करैत छथि, तिनका सहायता सँ, उत्तम धनक रूप मे जे शुभ समाचार अहाँक जिम्मा मे देल गेल अछि, तकरा सुरक्षित राखू। 15 अहाँ जनैत छी जे आसिया प्रदेशक सभ केओ हमर संग छोड़ि देलक अछि, जाहि मे फुगिलुस और हिरमुगिनेस सेहो अछि। 16 उनेसिफुरुसक घरक लोक सभ पर परमेश्वर अपन दया कयने रहथुन, कारण, ओ कतेको बेर हमर उत्साह बढ़ौलनि और हमर एहि जंजीर सभ सँ लज्जित नहि भेलाह, 17 बल्कि रोम पहुँचि कऽ हमर पता लगयबाक लेल बहुतो कष्ट उठौलनि आ हमरा सँ भेँट कयलनि। 18 प्रभु करथि जे हुनकर अपन अयबाक दिन मे उनेसिफुरुस परमेश्वरक दया पबथि। ओ इफिसुस मे हमर जे-जतेक सेवा कयलनि से अहाँ नीक जकाँ जनैत छी।
1 एहि लेल, यौ हमर बालक, अहाँ मसीह यीशुक कृपा द्वारा बलवन्त होइत जाउ, 2 और जे बात सभ अहाँ बहुत गवाह सभक समक्ष हमरा सँ सुनने छी, तकरा एहन विश्वासयोग्य लोक सभक जिम्मा मे सौंपि दिऔन जे सभ दोसरो लोक सभ केँ सिखाबऽ मे सक्षम होथि। 3 मसीह यीशुक एक नीक सैनिक जकाँ कष्ट उठाबऽ मे हमरा सभक संग सहभागी होउ। 4 जे सैनिक युद्ध मे जाइत अछि, से अपना केँ संसारक झंझटि मे नहि फँसबैत अछि जाहि सँ ओ अपन सेनापति केँ प्रसन्न कऽ सकय। 5 एहि तरहेँ कोनो खेलाड़ी जँ खेल-कुदक नियमक अनुसार नहि खेलत तँ ओ पुरस्कार नहि पाबि सकत। 6 जे किसान पसेना बहा कऽ परिश्रम करैत अछि, तकरे सभ सँ पहिने फसिलक हिस्सा पयबाक अधिकार छैक। 7 अहाँ हमर एहि बात सभ पर नीक सँ विचार करू, कारण, ई सभ बात पूर्ण रूप सँ बुझऽ मे प्रभु अहाँक सहायता करताह। 8 यीशु मसीह केँ स्मरण राखू, जे दाऊदक वंश मे जन्म लेने छलाह आ जे मृत्यु सँ जिआओल गेल छथि। हम जे सुसमाचार सुनबैत छी, से यैह बात सिखबैत अछि। 9 एही सुसमाचारक लेल हम दुःख भोगि रहल छी—एतऽ तक जे अपराधी जकाँ जहल मे बन्दी छी, मुदा परमेश्वरक वचन केँ बन्दी नहि बनाओल जा सकैत अछि। 10 तेँ हम ई सभ कष्ट तिनका सभक हितक लेल धैर्यपूर्बक सहि लैत छी, जिनका सभ केँ परमेश्वर चुनने छथि, जाहि सँ ओहो सभ मसीह यीशु द्वारा उद्धार प्राप्त करथि आ तकरा संग अनन्तकालीन महिमा मे सहभागी होथि। 11 ई बात एकदम सत्य अछि जे, जँ हम सभ हुनका संग मरि गेल छी, 2 तँ हुनका संग जीवन सेहो पायब। 12 जँ हम सभ धैर्यपूर्बक कष्ट सहब 2 तँ हुनका संग राज्य सेहो करब। जँ हम सभ हुनका अस्वीकार करबनि 2 तँ ओहो हमरा सभ केँ अस्वीकार करताह। 13 जँ हम सभ अविश्वास करब, 2 तैयो ओ विश्वासयोग्य बनल रहताह, 2 किएक तँ ओ अपन स्वभावक विरुद्ध नहि जा सकैत छथि। 14 ई बात सभ अहाँ लोक सभ केँ स्मरण करबैत रहिऔक। ओकरा सभ केँ परमेश्वरक समक्ष चेतावनी दिऔक जे ओ सभ शब्द सभक विषय मे निरर्थक वाद-विवाद नहि करय। एहि सँ सुनऽ वला सभ केँ कोनो लाभ नहि, मात्र नोकसाने होइत छैक। 15 अहाँ अपना केँ परमेश्वर द्वारा ग्रहणयोग्य व्यक्तिक रूप मे परमेश्वरक समक्ष प्रस्तुत करबाक पूरा प्रयत्न करू, अर्थात् एहन कार्यकर्ताक रूप मे जकरा लज्जित होयबाक कोनो कारण नहि होइक और जे सत्यक सिद्धान्त ठीक सँ सिखबैत होअय। 16 परमेश्वर केँ अपमानित करऽ वला निरर्थक बकवाद सँ दूर रहू, किएक तँ ओहन बकवाद करऽ वला लोक सभ आरो अधार्मिक भऽ जाइत अछि, 17 और ओकरा सभक शिक्षा घावक सरनि जकाँ आरो पसरि जाइत अछि। हुमिनयुस और फिलेतुस एहने शिक्षा देनिहार लोक सभ अछि। 18 ओ सभ सत्य सँ दूर भटकि कऽ ई कहैत अछि जे, मनुष्य सभक मृत्यु मे सँ जीबि उठनाइ वला बात जे अछि, से भऽ चुकल अछि, और एहि तरहेँ ओ सभ किछु लोक सभक विश्वास केँ बिगाड़ि रहल अछि। 19 मुदा जे न्यो परमेश्वर रखने छथि से पक्का आ अटल अछि और ओहि पर एहि शब्द मे हुनकर छाप लागल अछि, “प्रभु अपना लोक सभ केँ चिन्हैत छथि,” आ “प्रत्येक व्यक्ति जे अपना केँ प्रभुक लोक कहैत अछि से अधर्मक काज केँ छोड़ि दअय।” 20 कोनो बड़का घर मे मात्र सोने आ चानीक बर्तन नहि होइत अछि, बल्कि काठ आ माटिक बर्तन सेहो होइत अछि। एहि मे सँ किछु विशेष काजक लेल प्रयोग होइत अछि और किछु दुषित काजक लेल। 21 तेँ जँ केओ अपना केँ दुषित वला बात सभ सँ शुद्ध करत तँ ओ विशेष काजक लेल प्रयोग होयबाक जोगरक पात्र होयत। ओ पवित्र भऽ अपन मालिकक लेल उपयोगी बनत, और कोनो नीक काज करबाक लेल तैयार रहत। 22 जवानीक अधलाह लालसा सभ सँ दूर भागू और ओहन लोक जे सभ निष्कपट हृदय सँ प्रभु सँ प्रार्थना करैत छथि, तिनका सभक संग अहूँ धार्मिकता, विश्वास, प्रेम आ शान्तिक जीवन बितौनाइ अपन लक्ष्य बनाउ। 23 निरर्थक आ उटपटाँग विवाद सभ मे नहि पड़ू। अहाँ जनैत छी जे एहि सभ सँ लड़ाइ-झगड़ा उत्पन्न होइत अछि। 24 ई जरूरी अछि जे प्रभुक सेवक लड़ाइ-झगड़ा मे नहि पड़थि, बल्कि सभ पर दया करथि। ओ योग्य शिक्षक होथि आ सहनशील होथि। 25 ई जरूरी अछि जे ओ विरोध कयनिहार सभ केँ नम्रतापूर्बक बुझबथि, ई आशा राखि जे परमेश्वर ओकरा सभ केँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ हृदय-परिवर्तन करबाक आ सत्य केँ चिन्हि सकबाक बुद्धि देथिन, 26 जाहि सँ ओ सभ होश मे आबि शैतानक ओहि फाँस सँ निकलि जाय, जाहि मे फँसा कऽ शैतान ओकरा सभ सँ अपन इच्छा पूरा करयबाक लेल ओकरा सभ केँ अपन गुलाम बना लेने छैक।
1 मुदा अहाँ ई निश्चित रूप सँ जानि लिअ जे अन्तिम दिन सभ मे संकटपूर्ण समय आओत। 2 किएक तँ लोक स्वार्थी, धनक लोभी, अहंकारी, उदण्ड, परमेश्वरक निन्दा कयनिहार होयत। माय-बाबूक आज्ञा नहि मानत, धन्यवाद देबाक भावना नहि राखत, आ परमेश्वर सँ ओकरा सभ केँ कोनो मतलब नहि रहतैक। 3 ओकरा सभ मे ने स्नेह रहत आ ने ककरो लेल दया, ओ सभ दोसराक निन्दा कयनिहार होयत, अपना पर काबू नहि राखत, आ क्रूर होयत। जे किछु नीक अछि, ताहि सँ घृणा करत। 4 ओ सभ विश्वासघाती, दुःसाहसी आ घमण्डी होयत। परमेश्वर सँ प्रेम करबाक बदला मे भोग-विलास सँ प्रेम करत। 5 ओ सभ भक्तिक ढोङ रचत मुदा भक्तिक भितरी शक्ति केँ अस्वीकार करत। अहाँ एहन लोक सभ सँ हटि कऽ रहू। 6 एहन लोक सभ कोनो बहाना सँ लोकक घर मे ढुकि कऽ ओहन कमजोर स्त्रीगण सभ केँ अपना वश मे कऽ लैत अछि जे सभ पापक बोझ सँ पिचायल अछि और अनेक प्रकारक अधलाह इच्छा सभक नियन्त्रण मे अछि। 7 एहन स्त्रीगण सभ सदिखन किछु सिखैत तँ अछि, मुदा सत्यक ज्ञान तक कहियो नहि पहुँचैत अछि। 8 जहिना यन्नेस आ यम्ब्रेस मूसाक विरोध कयलक, तहिना इहो लोक सभ सत्यक विरोध करैत अछि। एकरा सभक बुद्धि भ्रष्ट भऽ गेल छैक और एकरा सभक विश्वास नकली छैक। 9 मुदा ई सभ बेसी आगाँ नहि बढ़ि सकत, किएक तँ मूसाक विरोध कयनिहार जकाँ एकरो सभक मूर्खता सभक सामने मे देखार भऽ जयतैक। 10 मुदा अहाँ जे छी, हमर शिक्षा, चालि-चलन, उद्देश्य, विश्वास, धैर्य, प्रेम और सहनशीलता सँ नीक जकाँ परिचित छी। 11 अहाँ जनैत छी जे अन्ताकिया, इकुनियुम और लुस्त्रा नगर सभ मे हमरा पर केहन-केहन अत्याचार भेल आ हमरा केहन कष्ट उठाबऽ पड़ल। हम कतेक अत्याचार सहलहुँ! मुदा परमेश्वर सभ मे हमर रक्षा कयलनि। 12 ई निश्चित अछि जे, जे सभ मसीह यीशुक लोक बनि भक्तिपूर्ण जीवन बिताबऽ चाहत तकरा सभ केँ अत्याचारक सामना करहे पड़तैक। 13 मुदा दुष्ट और ढोङी लोक दोसरा केँ धोखा दैत आ स्वयं धोखा खाइत दुष्ट स्वभाव मे बढ़िते जायत। 14 परन्तु अहाँ जे छी, अहाँ केँ जे शिक्षा देल गेल अछि आ जाहि बात पर अहाँ विश्वास कयने छी, ताहि पर अटल रहू। स्मरण राखू जे अहाँ किनका सभ सँ ई सभ बात सिखने छी। 15 मोन राखू जे अहाँ बचपने सँ ओहि पवित्र धर्मशास्त्रक जानकार छी जे अहाँ केँ बुद्धि दऽ सकैत अछि, आ से बुद्धि अहाँ केँ ओहि मुक्ति मे पहुँचबैत अछि जे मसीह यीशु पर विश्वास कयला सँ प्राप्त होइत अछि। 16 सम्पूर्ण धर्मशास्त्र परमेश्वरक प्रेरणा द्वारा रचल गेल अछि, आ सत्य सिखयबाक लेल, गलत शिक्षा देखार करबाक लेल, जीवन केँ सुधारबाक लेल आ धार्मिकताक अनुसार जीवन कोना बिताओल जाय ताहि बातक शिक्षा देबाक लेल उपयोगी अछि, 17 जाहि सँ धर्मशास्त्रक प्रयोग द्वारा परमेश्वरक भक्त सुयोग्य भऽ हर प्रकारक नीक काज कुशलतापूर्बक कऽ सकय।
1 परमेश्वरक सामने आ मसीह यीशुक सामने, जे मरल सभक आ जीवित सभक न्याय करताह, हम अहाँ केँ आज्ञा दैत छी। हम ई आज्ञा मसीह यीशुक फेर अयनाइ आ हुनकर राज्य केँ ध्यान मे राखि कऽ दैत छी जे, 2 परमेश्वरक वचनक प्रचार करू, समय-असमय एहि मे लागल रहू। पूरा-पूरी धैर्य राखि शिक्षा दऽ कऽ लोक सभ केँ समझाउ-बुझाउ, चेतावनी दिअ, आ हिम्मत बढ़ाउ। 3 किएक तँ एहन समय आबि रहल अछि जखन लोक सभ सही शिक्षाक बात सुनब बरदास्त नहि करत, बल्कि अपना इच्छाक अनुसार अपना चारू कात तेहन शिक्षक सभक भीड़ जमा करत जे ओकरा सभ केँ वैह बात सुनौतैक जे ओ सभ सुनऽ चाहैत अछि। 4 ओ सभ सत्य केँ सुनऽ काल मे कान मुनि लेत आ कपोल-कल्पित खिस्सा-पिहानीक पाछाँ दौड़त। 5 मुदा अहाँ प्रत्येक परिस्थिति मे सचेत होउ, कष्ट उठाउ, सुसमाचार-प्रचारक काज मे लागल रहू आ अपन सेवा-काजक सभ कर्तव्य पूरा करू। 6 कारण, हम आब बलि कयल जाय वला छी। हमर चलि जयबाक समय आबि गेल अछि। 7 हम नीक लड़ाइ लड़ि लेलहुँ, अपन दौड़ पूरा कऽ लेलहुँ और अपन विश्वास पर अटल रहलहुँ। 8 आब हमरा लेल पुरस्कार राखल अछि—धार्मिकताक ओ मुकुट जकरा उचित न्याय कयनिहार न्यायाधीश, प्रभु, हमरा ताहि दिन देताह जहिया ओ फेर औताह, और से मात्र हमरेटा नहि, बल्कि ओहि सभ लोक केँ जे सभ प्रेमपूर्बक हुनकर अयबाक दिनक प्रतीक्षा कऽ रहल अछि। 9 हमरा लग जल्दी अयबाक प्रयत्न करू, 10 किएक तँ देमास एहि संसारक मोह मे फँसि कऽ हमरा छोड़ि देलक आ थिसलुनिका चल गेल अछि। क्रेसकेंस गलातिया गेल छथि आ तीतुस दलमतिया। 11 मात्र लूका हमरा लग छथि। मरकुस केँ अपना संग लेने अयबनि, कारण, हमरा सेवा-काज करऽ मे हुनका सँ बहुत सहायता भेटैत अछि। 12 हम तुखिकुस केँ इफिसुस पठौने छियनि। 13 अहाँ जखन आयब तँ हमर कम्बल जकरा हम त्रोआस मे करपुसक ओतऽ छोड़ने छलहुँ, आ पोथी सभ, खास कऽ चमड़ा वला पोथी सभ, लेने आयब। 14 सिकन्दर सोनार हमरा बहुत हानि पहुँचौलक। प्रभु ओकरा ओकर काजक फल देथिन। 15 ओकरा सँ अहूँ सावधान रहू, किएक तँ ओ हमरा सभक उपदेश सभक घोर विरोध कयलक। 16 पहिल बेर जखन हमरा कचहरी मे अपन सफाइ देबऽ पड़ल तँ केओ हमर संग नहि देलक, सभ केओ हमरा छोड़ि देलक। प्रभु करथि जे ओकरा सभ केँ एहि बातक लेखा नहि देबऽ पड़ैक! 17 मुदा प्रभु हमरा संग रहलाह आ हमरा सामर्थ्य देलनि, जाहि सँ सभ जातिक लोक केँ हम हुनकर शुभ समाचार पूर्ण रूप सँ सुना सकिऐक। एहि तरहेँ हम “सिंहक मुँह” सँ बचाओल गेलहुँ। 18 प्रभु हमरा दुष्ट सभक हर षड्यन्त्र सँ बचौताह आ अपन स्वर्गीय राज्य मे सुरक्षित लऽ जयताह। हुनकर गुणगान युगानुयुग होइत रहनि। आमीन। 19 प्रिस्किला और अक्विला केँ आ उनेसिफुरुसक घरक सभ लोक केँ हमर नमस्कार कहिऔन। 20 इरास्तुस कोरिन्थ नगर मे रहि गेलाह और त्रोफिमुस केँ हम मिलेतुस नगर मे बिमार छोड़ि आयल छी। 21 जाड़ शुरू होयबा सँ पहिने चल अयबाक प्रयत्न करू। यूबुलुस, पुदेंस, लिनुस, क्लौदिया और अन्य सभ भाय लोकनि अहाँ केँ नमस्कार कहैत छथि। 22 प्रभु अहाँक आत्माक संग रहथि। अहाँ सभ पर हुनकर कृपा बनल रहय।
1 हम, पौलुस, जे परमेश्वरक दास आ यीशु मसीहक एक मसीह-दूत छी, ई पत्र लिखि रहल छी। हमरा एहि लेल पठाओल गेल जे परमेश्वरक चुनल लोक सभ केँ सही बात पर विश्वास करऽ मे मजगूत करी आ सत्यक ओ ज्ञान सिखाबी जे भक्तिक अनुसार आचरण-व्यवहार उत्पन्न करैत अछि। 2 ओ विश्वास आ ज्ञान अनन्त जीवन पयबाक आशाक आधार अछि। परमेश्वर, जे कहियो झूठ नहि बजैत छथि, से संसारक सृष्टि सँ पहिनहि ई अनन्त जीवन देबाक वचन देने छथि, 3 और आब निर्धारित समय पर ओ अपन वचन सुसमाचारक प्रचार द्वारा प्रगट कऽ देलनि। ई प्रचारक काज अपना सभक उद्धारकर्ता परमेश्वरक आज्ञा द्वारा हमरा सौंपि देल गेल अछि। 4 हम ई पत्र हमरा संग एके विश्वास मे सहभागिताक दृष्टि सँ अपन असली पुत्र तीतुस केँ लिखि रहल छी। पिता परमेश्वर आ अपना सभक उद्धारकर्ता मसीह यीशु अहाँ पर कृपा करथि आ अहाँ केँ शान्ति देथि। 5 हम अहाँ केँ क्रेत द्वीप मे एहि लेल छोड़ि अयलहुँ जे ओतुक्का बाँकी बात सभ केँ सुधारू आ जहिना हम अहाँ केँ सिखौने छलहुँ तहिना प्रत्येक नगर मे मण्डलीक देख-रेख कयनिहार सभ केँ नियुक्त करू। 6 ई आवश्यक अछि जे मण्डलीक देख-रेख कयनिहार निष्कलंक होथि, हुनका एकेटा स्त्री होनि, हुनकर बाल-बच्चा प्रभु पर विश्वास करैत होअय आ ओकरा सभ पर बदमास वा बेकहल होयबाक आरोप नहि लगाओल जा सकय। 7 किएक तँ जखन परमेश्वरक काज हुनका हाथ मे सौंपल गेल अछि तँ मण्डलीक जिम्मेवार केँ निष्कलंक होयब आवश्यक अछि। ओ जिद्दी, क्रोधी, शराबी, मारा-मारी कयनिहार आ अनुचित लाभ कमयबाक इच्छुक नहि होथि। 8 बल्कि ओ अतिथि-सत्कार कयनिहार, नीक बात सँ प्रेम कयनिहार, विचारवान, न्यायी, पवित्र चरित्रक आ संयमी होथि। 9 ओ विश्वसनीय वचनक ताहि रूप पर दृढ़ रहथि जाहि रूप मे ओ वचन हुनका सिखाओल गेलनि, जाहि सँ ओ सही सिद्धान्तक अनुसार लोक केँ शिक्षा दऽ सकथि आ तकर विरोधी सभ केँ निरुत्तर कऽ सकथि। 10 कारण, बहुत एहन लोक अछि जे बेकहल, बक-बक कयनिहार आ धोखेबाज अछि, विशेष रूप सँ खतना प्रथाक कट्टर समर्थक यहूदी सभ मे। 11 एकरा सभक मुँह बन्द कयनाइ आवश्यक अछि, किएक तँ एहन लोक नीच लक्ष्य सँ अपने लाभक लेल अनुचित बात सभ सिखा कऽ घरक-घर बिगाड़ि रहल अछि। 12 क्रेत वासी सभक अपनो एक भविष्यवक्ता कहने छथि जे, “क्रेत वासी सभ हरदम झूठ बजैत अछि, मरखाह जानबर आ आलसी पेटाह अछि।” 13 ओकरा सभक विषय मे कहल ई गवाही सत्य अछि। एहि लेल अहाँ ओकरा सभ केँ कड़ा चेतावनी दिऔक जाहि सँ ओकरा सभक विश्वास सही शिक्षा पर आधारित भऽ जाइक, 14 आ ओ सभ यहूदी सभक मनगढ़न्त कथा-पिहानी पर और सत्य केँ अस्वीकार करऽ वला लोक सभक विभिन्न नियम सभ पर ध्यान नहि दिअय। 15 शुद्ध मोनक लोकक लेल सभ वस्तु शुद्ध अछि मुदा जे सभ भ्रष्ट भेल अछि आ प्रभु पर विश्वास नहि करैत अछि, तकरा सभक लेल कोनो वस्तु शुद्ध नहि, कारण ओकरा सभक मोन आ विवेक दूनू दुषित भऽ गेल छैक। 16 ओ सभ अपना केँ परमेश्वर केँ जननिहार तँ कहैत अछि, मुदा अपना व्यवहार द्वारा हुनका अस्वीकार करैत अछि। ओ सभ घृणित अछि, आज्ञा उल्लंघन कयनिहार अछि और कोनो प्रकारक नीक काज करबाक जोगरक नहि अछि।
1 मुदा अहाँ सही शिक्षाक अनुकूल जे बात अछि सैह सिखाउ। 2 वृद्ध पुरुष सभ केँ सिखबिऔन जे ओ सभ संयमी, गम्भीर आ विचारवान होथि तथा सही विश्वास, प्रेम आ धैर्य मे स्थिर। 3 एही तरहेँ बुढ़ि स्त्रीगण सभ केँ सिखबिऔन जे हुनका सभक चालि-चलन प्रभुक श्रद्धा मानऽ वला लोकक अनुरूप होनि। ओ सभ दोसराक निन्दा-शिकायत नहि करथि आ शराबी नहि होथि, बल्कि नीक बात सिखौनिहारि होथि, 4 जाहि सँ ओ सभ जबान स्त्रीगण सभ केँ सिखा सकथि जे ओ सभ अपना पति आ बच्चा सभ सँ प्रेम करथि, 5 आ विचारशील, पवित्र, कुशल गृहणी आ दयालु होथि, और अपन पतिक अधीन रहथि जाहि सँ हुनका सभक व्यवहारक कारणेँ केओ परमेश्वरक वचनक निन्दा नहि करय। 6 तहिना युवक सभ केँ सेहो विचारवान होयबाक लेल समझबिऔक-बुझबिऔक। 7 अहाँ स्वयं प्रत्येक बात मे नीक व्यवहार द्वारा नमूना बनू। अहाँ शुद्ध मोन सँ आ गम्भीरता सँ शिक्षा दिअ— 8 एहन सही सिद्धान्तक शिक्षा दिअ जकर आलोचना नहि कयल जा सकत जाहि सँ कोनो बातक विषय मे अपना सभक निन्दा करबाक अवसर नहि पयबाक कारणेँ विरोधी सभ लज्जित भऽ जाय। 9 गुलाम सभ केँ सिखबिऔक जे ओ सभ प्रत्येक बात मे अपन मालिकक अधीन रहय, मालिक केँ प्रसन्न राखय आ बिनु मुँह लगबैत अपन मालिकक आज्ञाक पालन करय, 10 चोरी-चपाटी नहि करय, बल्कि स्पष्ट सँ देखाबय जे ओ पूर्ण रूप सँ इमानदार अछि जाहि सँ सभ बात मे ओ सभ अपना सभक उद्धारकर्ता परमेश्वरक शिक्षाक शोभा बढ़बय। 11 किएक तँ परमेश्वरक कृपा सभ मनुष्यक उद्धारक लेल प्रगट भेल अछि। 12 ई कृपा अपना सभ केँ ई सिखबैत अछि जे अधर्म आ सांसारिक अभिलाषा सभ केँ त्यागि कऽ एहि संसार मे विचारवान भऽ कऽ और उचित व्यवहार कऽ कऽ एहन जीवन व्यतीत करी जकरा सँ परमेश्वर प्रसन्न होथि। 13 कारण, अपना सभ ओहि दिनक बाट तकैत छी जहिया अपना सभक आनन्दपूर्ण आशा पूरा भऽ जायत, अर्थात्, जहिया अपना सभक महान् परमेश्वर आ उद्धारकर्ता, यीशु मसीह, महिमाक संग प्रगट होयताह। 14 ओ वैह छथि जे अपना केँ अर्पित कऽ देलनि जाहि सँ ओ अपना सभ केँ सभ प्रकारक दुष्कर्म सँ छुटकारा देबाक मोल चुकबथि आ अपना सभ केँ शुद्ध कऽ कऽ ओ अपना लेल एहन प्रजा बनबथि जे हुनकर अपन निज लोक होनि और नीक काज करबाक लेल सदत उत्सुक रहनि। 15 एहि सभ बातक शिक्षा अहाँ दैत रहू, पूरा अधिकारक संग लोक सभ केँ सिखाउ और ओकरा सभ केँ सुधारू। केओ अहाँ केँ तुच्छ नहि बुझय।
1 मण्डलीक लोक केँ स्मरण करबैत रहू जे ओ सभ शासक सभक आ अधिकारी सभक अधीन रहथि, आज्ञाकारी होथि, सभ तरहक नीक काज करबाक लेल तत्पर रहथि, 2 ककरो बदनामी नहि करथि, झगड़ा नहि करथि, विचारशील होथि आ सदिखन सभक संग नम्र व्यवहार करथि। 3 किएक तँ अपनो सभ पहिने निर्बुद्धि, आज्ञा उल्लंघन करऽ वला और भटकल छलहुँ, आ विभिन्न प्रकारक शारीरिक इच्छा आ भोग-विलासक अभिलाषा सभक गुलाम छलहुँ। अपनो सभ दुष्टता आ ईर्ष्या सँ भरल जीवन बितबैत छलहुँ। अपना सभ सँ घृणा कयल जाइत छल आ अपनो सभ एक-दोसर सँ घृणा करैत छलहुँ। 4 मुदा जखन अपना सभक उद्धारकर्ता परमेश्वरक दया आ प्रेम प्रगट भेल, 5 तँ ओ अपना सभक उद्धार कयलनि। ई उद्धार अपना सभक अपन कयल कोनो धर्मक काज सभक आधार पर नहि, बल्कि हुनकर दयाक कारणेँ भेल। अर्थात्, परमेश्वर अपना सभ केँ धो कऽ नव जन्म देलनि, अपन पवित्र आत्मा द्वारा अपना सभ केँ नव बनौलनि। 6 ओ ओहि पवित्र आत्मा केँ अपना सभक उद्धारकर्ता यीशु मसीहक माध्यम सँ प्रशस्त मात्रा मे अपना सभ केँ प्रदान कयलनि, 7 जाहि सँ हुनकर कृपा द्वारा धार्मिक ठहराओल जा कऽ अपना सभ ओहि अनन्त जीवनक उत्तराधिकारी होइ, जकर अपना सभ केँ आशा अछि। 8 ई बात एकदम सत्य अछि आ हम चाहैत छी जे अहाँ एहि बात सभ पर जोर दी, जाहि सँ जे सभ परमेश्वर पर विश्वास कयने छथि से सभ नीक काज सभ मे लागल रहबाक लेल ध्यान देथि। ई बात सभ अति उत्तम आ सभ लोकक लेल कल्याणकारी अछि। 9 मुदा निरर्थक वाद-विवाद, वंशावली सम्बन्धी बात आ धर्म-नियम सम्बन्धी झगड़ा और बतकटौअलि सभ सँ बँचू, किएक तँ एहि सभ सँ कोनो लाभ नहि अछि; ई सभ बेकार अछि। 10 जे केओ अहाँ सभक बीच मे फूट कराबय तकरा चेतावनी दिऔक। जँ दोसरो बेरक चेतावनीक बाद नहि मानैत होअय तँ ओकरा सँ कोनो सम्बन्ध नहि राखू, 11 ई जानि जे एहन व्यक्ति पथभ्रष्ट भऽ गेल अछि आ पाप करिते रहैत अछि। ओ स्वयं अपना केँ दोषी ठहरा लेने अछि। 12 हम जखन अरतिमास वा तुखिकुस केँ अहाँक ओतऽ पठायब तँ अहाँ निकुपुलिस नगर मे हमरा लग जल्दी अयबाक प्रयत्न करब। हम ओतहि जाड़क समय व्यतीत करबाक निश्चय कयने छी। 13 जेनास वकील आ अपुल्लोसक यात्राक लेल नीक सँ प्रबन्ध करबाक कोशिश करू जाहि सँ हुनका सभ केँ कोनो बातक कमी नहि होनि। 14 अपना सभक लोक सभ केँ सेहो नीक काज मे लागल रहनाइ सिखऽ पड़तनि जाहि सँ ओ सभ वास्तविक आवश्यकता सभक पूर्ति कऽ सकथि आ निष्फल जीवन नहि बितबथि। 15 एहिठामक हमरा संगक सभ लोक अहाँ केँ नमस्कार पठबैत छथि। हमरा सभ सँ प्रेम करऽ वला ओहूठामक विश्वासी सभ केँ हमर नमस्कार कहि दिऔन। अहाँ सभ गोटे पर परमेश्वरक कृपा बनल रहय।
1 हम पौलुस, जे मसीह यीशुक कारणेँ जहल मे बन्दी छी, से अपना सभक भाय तिमुथियुसक संग अहाँ फिलेमोन केँ, जे हमरा सभक प्रिय मित्र आ सहकर्मी छी, ई पत्र लिखि रहल छी। 2 संगहि, अहाँक घर मे जमा होमऽ वला मण्डली, बहिन अपफिया, और अरखिप्पुस केँ, जे शुभ समाचारक काज मे हमरा सभक संगी-सैनिक छथि तिनको सभ केँ लिखि रहल छी। 3 अपना सभक पिता परमेश्वर आ प्रभु यीशु मसीह अहाँ सभ पर कृपा करथि और अहाँ सभ केँ शान्ति देथि। 4 यौ फिलेमोन, हम जखन कखनो अपना प्रार्थना सभ मे अहाँ केँ स्मरण करैत छी तँ अपना परमेश्वर केँ धन्यवाद दैत छियनि। 5 कारण, प्रभु यीशु पर अहाँक जे विश्वास अछि, आ हुनकर समस्त लोकक प्रति जे प्रेम अछि, तकर चर्चा सुनैत रहैत छी। 6 हम प्रभु सँ प्रार्थना करैत छी जे, विश्वास मे जे अहाँक सहभागिता अछि, से अहाँ मे सक्रिय भऽ कऽ अहाँ केँ ई बुद्धि और अनुभव प्रदान करय जे अपना सभ मसीहक लेल केहन-केहन भलाइक काज करऽ मे सक्षम छी। 7 यौ भाइ, हमरा ई जानि कऽ बहुत आनन्द आ उत्साह भेटल जे अहाँ अपन प्रेमपूर्ण व्यवहार द्वारा परमेश्वरक लोकक मोन उत्साहित कयलहुँ अछि। 8 एहि लेल, हम एकटा निवेदन करैत छी, ओना तँ हमरा मसीह सँ भेटल अधिकार अछि जे हम अहाँ केँ आज्ञा दी जे अहाँ केँ की करबाक चाही, तैयो हम आज्ञा नहि दऽ कऽ, 9 प्रेमक आधार पर अहाँ सँ एकटा विनतिए करैत छी—हम पौलुस, जे आब बूढ़ भऽ गेल छी आ मसीह यीशुक लेल एखन जहल मे छी । 10 हम अपना बेटाक लेल अहाँ सँ विनती कऽ रहल छी, हँ, उनेसिमुसक लेल। हमरा तँ एहि जहल मे रहैत काल मे आत्मिक दृष्टि सँ ओ हमर बेटा बनि गेल अछि। 11 पहिने ओ अहाँक लेल बेकाजक छल, मुदा आब ओ अहूँक लेल आ हमरो लेल उपयोगी भऽ गेल अछि। 12 हम उनेसिमुस केँ, जे हमर करेजक टुकड़ा अछि, अहाँ लग वापस पठा रहल छी। 13 हम तँ चाहैत छलहुँ जे ओकरा एतऽ अपने लग राखी, जाहि सँ शुभ समाचारक कारणेँ जे हमर ई कैदी वला अवस्था अछि, ताहि मे ओ हमर वैह सेवा करय जे अहाँ हमरा लेल करितहुँ। 14 मुदा हम अहाँक सहमति बिना नहि किछु करऽ चाहलहुँ, जाहि सँ अहाँ द्वारा कयल कोनो उपकार दबाब सँ नहि, बल्कि स्वेच्छा सँ होअय। 15 कारण, भऽ सकैत अछि जे ओ किछु समयक लेल अहाँ सँ एहि लेल अलग भेल जे ओ फेर आबि कऽ सभ दिनक लेल अहाँक होअय, 16 आब गुलामक रूप मे नहि, बल्कि गुलाम सँ बहुत बढ़ि कऽ—प्रिय भायक रूप मे। ओ हमरा लेल अत्यन्त प्रिय अछि, मुदा अहाँक लेल एहू सँ प्रिय—एक मनुष्यक रूप मे और प्रभु मे भायक रूप मे! 17 तेँ जँ प्रभुक सेवा मे अहाँ हमरा अपना संग-संग काज कयनिहार बुझैत छी, तँ एकरा ओहिना स्वीकार करू जेना हमरा करितहुँ। 18 जँ एकरा द्वारा अहाँ केँ कोनो हानि भेल होअय, अथवा एकरा पर अहाँक ऋण बाँकी होअय, तँ से अहाँ हमरा नाम पर लिखि लिअ। 19 हम, पौलुस, अपना हाथ सँ लिखि रहल छी जे, ओकर ऋण अहाँ केँ सधा देब। आ हम ई चर्चा करब आवश्यक नहि बुझैत छी जे अहाँ पर जे हमर ऋण अछि, से तँ अहाँक जीवने अछि। 20 हँ, यौ भाइ, अपना दूनू गोटे प्रभु मे छी, तेँ हमरा लेल एकटा ई काज करू—हमर निवेदन स्वीकार करू; मसीह मे भाइ-भाइक सम्बन्धक कारणेँ हमर मोन हल्लुक कऽ दिअ। 21 हमरा पूर्ण विश्वास अछि जे अहाँ हमर बात मानब, तेँ अहाँ केँ ई पत्र लिखलहुँ। हम ई जनैत छी जे अहाँ केँ जे किछु कहि रहल छी, अहाँ ताहि सँ बेसिए करब। 22 एक आओर बात। हमरा लेल एक कोठरी तैयार राखू, कारण, हमरा आशा अछि जे अहाँ सभक प्रार्थनाक फलस्वरूप परमेश्वर हमरा अहाँ सभ लग फेर अयबाक मौका देताह। 23 एपाफ्रास, जे मसीह यीशुक लेल एतऽ हमरा संग बन्दी छथि, अहाँ केँ अपन नमस्कार पठबैत छथि। 24 हमर सहकर्मी सभ, मरकुस, अरिस्तर्खुस, देमास और लूका सेहो अहाँ केँ नमस्कार पठा रहल छथि। 25 प्रभु यीशु मसीहक कृपा अहाँ सभक आत्मा मे बनल रहय।
1 प्राचीन काल मे परमेश्वर अपना सभक पूर्वज लोकनि सँ विभिन्न समय मे आ विभिन्न प्रकार सँ अपन प्रवक्ता सभ द्वारा बात कयलनि, 2 मुदा आब एहि अन्तिम समय मे ओ अपना सभ सँ बात कयने छथि अपन पुत्र द्वारा, जिनका ओ सभ वस्तुक उत्तराधिकारी बनौलनि आ जिनका द्वारा सम्पूर्ण सृष्टिक रचना सेहो कयलनि। 3 पुत्र परमेश्वरक महिमाक चमक छथि, आ परमेश्वरक व्यक्तित्वक प्रतिरूप छथि। ओ मनुष्य केँ शुद्ध करबाक लेल पापक प्रायश्चित्त कऽ कऽ स्वर्ग मे सर्वशक्तिमान परमेश्वरक दहिना कात बैसलाह। 4 पुत्र स्वर्गदूत सभक अपेक्षा जतेक श्रेष्ठ नाम परमेश्वर सँ पौलनि ततेक ओ स्वर्गदूत सभ सँ पैघो ठहराओल गेल छथि। 5 कारण, परमेश्वर स्वर्गदूत सभ मे सँ किनको कहियो कहाँ ई बात कहलथिन, “अहाँ हमर पुत्र छी, 2 आइ हम अहाँ केँ उत्पन्न कयलहुँ,” आ ई जे, “हम ओकर पिता होयबैक 2 आ ओ हमर पुत्र होयत” ? 6 फेर, परमेश्वर अपन प्रथम सन्तान केँ संसार मे अनबाक समय मे कहैत छथि, “परमेश्वरक सभ स्वर्गदूत हुनका दण्डवत करथुन।” 7 स्वर्गदूत सभक विषय मे परमेश्वर धर्मशास्त्र मे कहैत छथि, “परमेश्वर अपन स्वर्गदूत सभ केँ बसात, हँ, अपन सेवक सभ केँ आगिक धधरा बनबैत छथि।” 8 मुदा अपन पुत्र केँ ई कहैत छथि जे, “हे परमेश्वर, अहाँक सिंहासन युगानुयुग स्थिर रहत, 2 अहाँ अपन राज्य न्याय सँ चलायब। 9 अहाँ धार्मिकता सँ प्रेम आ अधर्म सँ घृणा करैत छी। 2 तेँ परमेश्वर, अहाँक परमेश्वर, हर्ष रूपी तेल सँ अहाँक अभिषेक करैत 2 अहाँ केँ अपना संगी-साथी सभ सँ श्रेष्ठ ठहरौने छथि।” 10 परमेश्वर इहो कहैत छथिन जे, “हे प्रभु, आरम्भ मे अहीं पृथ्वीक न्यो रखलहुँ 2 आ आकाश अहींक हाथक कारीगरी अछि। 11 ओ सभ नष्ट भऽ जायत मुदा अहाँ अटल छी। 2 ओ सभ वस्त्र जकाँ पुरान भऽ जायत। 12 अहाँ ओकरा सभ केँ चद्दरि जकाँ समटब, 2 ओ सभ वस्त्र जकाँ बदलल जायत। मुदा अहाँ एके समान रहब, 2 अहाँक उमेरक कोनो अन्त नहि अछि।” 13 मुदा परमेश्वर स्वर्गदूत सभ मे सँ किनको कहियो कहाँ ई बात कहलथिन जे, “अहाँ हमर दहिना कात बैसू, 2 आ हम अहाँक शत्रु सभ केँ अहाँक पयरक तर मे कऽ देब” ? 14 स्वर्गदूत सभ तखन की छथि? ओ सभ परमेश्वरक सेवा-टहल करऽ वला आत्मा सभ छथि। हुनका सभ केँ ओहि लोक सभक सेवाक लेल पठाओल जाइत छनि जे सभ उद्धार पयबाक उत्तराधिकारी बनैत अछि।
1 तेँ ई आवश्यक अछि जे जाहि बात केँ अपना सभ सुनने छी ताहि पर आरो विशेष ध्यान दी जाहि सँ एना नहि होअय जे अपना सभ भटकि जाइ। 2 कारण, जँ स्वर्गदूतो सभ द्वारा सुनाओल सम्बाद अटल रहल और प्रत्येक अपराधक लेल आ आज्ञा उल्लंघनक लेल जँ उचित दण्ड भेटलैक, 3 तँ आब अपना सभ जँ एहन उत्तम उद्धार केँ तुच्छ मानी तँ कोना बाँचि सकब? एहि उद्धारक सम्बन्ध मे सभ सँ पहिने प्रभु अपने सुनौलनि और तकरबाद जे सभ हुनका सँ सुनलनि से सभ अपना सभक लेल एकर पुष्टि कयलनि। 4 परमेश्वर सेहो प्रमाणित कयलनि जे ई बात सत्य अछि—ओ विभिन्न प्रकारक चिन्ह, चमत्कार आ सामर्थ्यक काज सभ करैत और अपन इच्छाक अनुरूप पवित्र आत्माक वरदान सभ बँटैत एहि उद्धार केँ सत्य ठहरौलनि। 5 परमेश्वर आबऽ वला संसार केँ, जकर चर्चा हम सभ कऽ रहल छी तकरा स्वर्गदूत सभक अधीन नहि कयलनि। 6 बल्कि धर्मशास्त्र मे केओ एहि विषय मे साक्षी दैत ई कहैत छथि जे, “मनुष्य अछि की जकर ध्यान अहाँ राखी? 2 मनुष्यक पुत्र की अछि जकर चिन्ता अहाँ करी? 7 अहाँ ओकरा स्वर्गदूत सभ सँ कनेक छोट बनौलहुँ 2 ओकरा महिमा आ आदरक मुकुट पहिरौलहुँ 8 और सभ किछु ओकर पयरक नीचाँ ओकरा अधीन मे कयलहुँ।” परमेश्वर सभ किछु ओकर अधीन मे करबाक मतलब भेल जे कोनो वस्तु ओकरा अधीन सँ बाहर नहि अछि। तैयो सभ किछु ओकरा अधीन मे, से बात अपना सभ एखन तक नहि देखैत छी। 9 मुदा अपना सभ यीशु केँ देखैत छी जे स्वर्गदूत सभ सँ कनेक छोट बनाओल गेल छलाह जाहि सँ ओ परमेश्वरक कृपा सँ प्रत्येक मनुष्यक लेल मृत्युक अनुभव करथि। आब हुनका महिमा आ आदरक मुकुट पहिराओल गेलनि, से अपना सभ देखैत छी, कारण, ओ सभक लेल मृत्यु केँ भोगलनि। 10 परमेश्वर, जिनका लेल आ जिनका द्वारा सभ वस्तुक रचना कयल गेल, तिनका ई उचित छलनि जे बहुतो पुत्र सभ केँ अपन महिमाक राज्य मे अनबाक लेल ओ यीशु केँ, जे ओकरा सभक उद्धारक बाट बनौनिहार छथि, कष्ट भोगबा कऽ पूर्ण बनबथि। 11 पाप सँ शुद्ध कयनिहार यीशु, आ पाप सँ शुद्ध भेनिहार लोक सभ, दूनूक पिता एके छथि, तेँ यीशु ओकरा सभ केँ अपन भाय कहि कऽ सम्बोधन करऽ मे लाज नहि मानैत छथि। 12 जेना कि यीशु परमेश्वर केँ कहैत छथिन, “हम अपना भाय सभ केँ अहाँक विषय मे सुनायब, 2 आराधना-सभा मे हम अहाँक गुणगान गायब।” 13 फेर ई, “हमहूँ हुनका पर भरोसा राखब।” आ इहो जे, “देखह, हम आ ओ बच्चा सभ, जकरा परमेश्वर हमरा देलनि अछि।” 14 जहिना “ओ बच्चा सभ” रक्त-मांसक होइत अछि तहिना यीशु सेहो मनुष्य बनलाह। ओ एहि लेल मनुष्य बनलाह जाहि सँ मृत्यु केँ भोगि कऽ ओ तकर शक्ति तोड़ि देथि, जकरा हाथ मे मृत्युक शक्ति छैक, अर्थात् शैतान, 15 आ तकरा सभ केँ मुक्त करथि जे सभ जीवन भरि मृत्युक डर सँ बन्हन मे पड़ल छल। 16 कारण, ई स्पष्ट अछि जे यीशु स्वर्गदूत सभक नहि, बल्कि अब्राहमक वंशज सभक सहायता करैत छथि। 17 तेँ ई आवश्यक छल जे सभ बात मे ओ अपन भाय सभक तुल्य बनथि जाहि सँ ओ परमेश्वरक सेवा मे दयावान आ विश्वासयोग्य महापुरोहित बनथि आ लोक सभक पापक प्रायश्चित्त कऽ सकथि। 18 यीशु स्वयं कष्ट भोगलनि जखन शैतान द्वारा हुनका सँ परीक्षा लेल गेलनि आ तेँ ओ आब ओकरा सभक सहायता कऽ सकैत छथि जे सभ परीक्षा मे पड़ल अछि।
1 तेँ यौ पवित्र भाइ लोकनि जे सभ परमेश्वरक बजाओल लोक मे सम्मिलित छी, अहाँ सभ अपन ध्यान यीशु पर केन्द्रित करू, जिनका अपना सभ परमेश्वरक विशिष्ट दूत आ अपना सभक महापुरोहितक रूप मे खुलि कऽ स्वीकार करैत छी। 2 जहिना मूसा परमेश्वरक घरक लोकक बीच सभ काज मे विश्वासयोग्य बनल रहलाह तहिना यीशु अपन नियुक्त कयनिहारक, अर्थात् परमेश्वरक, प्रति विश्वासयोग्य बनल रहलाह। 3 जहिना घर सँ घरक बनौनिहारे बेसी आदरणीय होइत अछि तहिना यीशु मूसा सँ अधिक आदर पयबाक योग्य ठहराओल गेल छथि। 4 प्रत्येक घर तँ ककरो ने ककरो द्वारा बनाओल जाइत अछि, मुदा सभ वस्तु केँ बनाबऽ वला परमेश्वरे छथि। 5 मूसा भविष्य मे सुनाओल जाय वला बातक साक्षी दऽ कऽ परमेश्वरक घरक लोकक बीच सभ काज मे सेवकक रूप मे विश्वासयोग्य छलाह। 6 मुदा मसीह तँ पुत्रक रूप मे परमेश्वरक घरक अधिकारी भऽ विश्वासयोग्य छथि। जँ अपना सभ अपन साहस मे आ ओहि आशा मे जे अपना सभक गौरव अछि, अन्त तक स्थिर रहब तँ अपना सभ स्वयं परमेश्वरक घरक लोक छी। 7 तेँ जहिना पवित्र आत्मा धर्मशास्त्र मे कहैत छथि तहिना, “आइ जँ तोँ सभ परमेश्वरक आवाज सुनबह, 8 तँ अपन मोन ओना जिद्दी नहि बनाबह जेना तोहर सभक पुरखा सभ विद्रोह करैत निर्जन क्षेत्र मे परीक्षाक समय मे कयलकह। 9 ओतऽ ओ सभ कसौटी पर हमर जाँच कयलक जखन कि चालिस वर्ष धरि हमर काज सभ देखने छल। 10 ताहि सँ हम ओहि पीढ़ीक लोक पर क्रोधित भऽ कहलहुँ, एकरा सभक मोन सदत भटकैत रहैत छैक, और ई सभ हमर विचार-व्यवहार बुझऽ नहि चाहलक। 11 तेँ हम क्रोध मे सपत खाइत कहलहुँ जे, ‘ई सभ हमर विश्राम मे कहियो नहि प्रवेश कऽ पाओत।’” 12 यौ भाइ लोकनि, सावधान रहू, कहीं एना नहि होअय जे अहाँ सभ मे सँ ककरो मोन एहन दुष्ट आ अविश्वासी भऽ जाय जाहि सँ ओ जीवित परमेश्वर केँ छोड़ि दय। 13 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ मे सँ केओ पापक छल मे पड़ि कऽ जिद्दी नहि भऽ जाइ ताहि लेल अहाँ सभ जाबत धरि “आइ”क दिन कहबैत अछि ताबत धरि प्रत्येक दिन एक-दोसर केँ उत्साहित करैत रहू। 14 अपना सभ जँ अन्त तक ओ भरोसा जकरा संग शुरू मे शुभ समाचार पर विश्वास कयलहुँ ताहि मे अटल रही, तँ अपना सभ मसीहक संग सहभागी भऽ गेल छी। 15 जेना कि ऊपरो कहल गेल अछि जे, “आइ जँ तोँ सभ परमेश्वरक आवाज सुनबह तँ अपन मोन ओना जिद्दी नहि बनाबह जेना तोहर सभक पुरखा सभ विद्रोह करैत कयलकह।” 16 परमेश्वरक आवाज सुनि कऽ के सभ विद्रोह कयलक? की ओ सभ वैह लोक नहि छल जकरा सभ केँ मूसा मिस्र देश सँ बाहर निकाललनि? 17 परमेश्वर ककरा सभ सँ चालिस वर्ष धरि क्रोधित रहलथिन? की ओकरे सभ सँ नहि जे सभ पाप कयलक आ जकरा सभक लासक ढेरी निर्जन क्षेत्र मे लागि गेल? 18 परमेश्वर सपत खाइत ककरा सम्बन्ध मे कहलनि जे, ई सभ हमर विश्राम मे प्रवेश नहि करऽ पाओत? की तकरे सभक सम्बन्ध मे नहि जे सभ हुनकर आज्ञा नहि मानलकनि? 19 एहि तरहेँ अपना सभ देखैत छी जे ओ सभ अविश्वासक कारणेँ ओहि स्थान मे नहि पहुँचि सकल जतऽ ओकरा सभ केँ विश्राम भेटितैक।
1 परमेश्वर अपना विश्राम मे प्रवेश करयबाक वचन जे अपना लोक केँ देलनि, से एखनो कायम अछि। तेँ अपना सभ सावधान रही, कहीं एना नहि होअय जे अहाँ सभ मे सँ केओ एहि सँ वंचित भऽ जाइ, 2 कारण, जहिना ओकरा सभ केँ शुभ समाचार सुनाओल गेल छलैक तहिना अपनो सभ केँ सुनाओल गेल अछि, मुदा ओहि सुनाओल वचन सँ ओकरा सभ केँ कोनो लाभ नहि भेलैक, कारण, ओ सभ सुनि कऽ तकरा विश्वासक संग स्वीकार नहि कयलक। 3 आब अपना सभ विश्वास करबाक कारणेँ एहि विश्राम मे प्रवेश कयनिहार छी। अविश्वासी पूर्वज सभक सम्बन्ध मे परमेश्वर ई कहलनि, “तेँ हम क्रोध मे सपत खाइत कहलहुँ जे, 2 ई सभ हमर विश्राम मे कहियो नहि प्रवेश कऽ पाओत,” ओना तँ विश्रामक व्यवस्था कयल गेल छल, कारण, सृष्टिक रचनाक समय सँ हुनकर काज समाप्त भऽ गेल छनि। 4 जेना कतौ धर्मशास्त्र मे सातम दिनक विषय मे हुनकर ई कथन छनि जे, “परमेश्वर सातम दिन अपन समस्त काज सँ विश्राम कयलनि।” 5 और फेर, जेना ऊपर लिखल अछि, ओ कहैत छथि, “ई सभ हमर विश्राम मे कहियो नहि प्रवेश कऽ पाओत।” 6 जे सभ पहिने शुभ समाचार सुनने छल से सभ एहि विश्राम मे प्रवेश नहि कऽ सकल, कारण ओ सभ आज्ञा नहि मानलक। मुदा ई निश्चित अछि जे किछु लोक एहि विश्राम मे सहभागी होयबे करत। 7 तेँ परमेश्वर अपना विश्राम मे सहभागी होयबाक एक आओर समय निश्चित कयलनि, जकरा ओ “आइ” कहैत छथि, कारण ओ बहुत वर्ष बितला पर राजा दाऊद द्वारा ई कहैत छथि, जकर चर्चा ऊपरो कयल गेल अछि, “आइ जँ तोँ सभ परमेश्वरक आवाज सुनबह तँ अपन मोन जिद्दी नहि बनाबह।” 8 कारण, जँ यहोशू द्वारा ओकरा सभ केँ विश्राम भेटल रहितैक तँ परमेश्वर तकरा बाद फेर राजा दाऊद द्वारा दोसर दिनक चर्चा नहि कयने रहितथि। 9 तेँ परमेश्वरक प्रजाक लेल परमेश्वरक सातम दिनक विश्राम जकाँ एकटा विशेष विश्राम एखनो बाँकी अछि। 10 कारण, जे केओ परमेश्वरक विश्राम मे प्रवेश कऽ लेने अछि सेहो अपन सभ काज सँ विश्राम करैत अछि जेना परमेश्वर अपन सभ काज सँ कयलनि। 11 तेँ अपनो सभ ओहि विश्राम मे सहभागी होयबाक लेल प्रयत्नशील रही जाहि सँ एना नहि होअय जे ओकरे सभ जकाँ आज्ञा नहि मानबाक कारणेँ ककरो पतन भऽ जाइक। 12 कारण, परमेश्वरक वचन जीवित आ फलदायक अछि आ कोनो दूधारी तरुआरिओ सँ तेज अछि। ओ प्राण आ आत्मा, जोड़-जोड़ आ हड्डीक भीतरका गुद्दी मे छेदि कऽ ओकरा अलग-अलग कऽ दैत अछि और मोनक विचार आ भावनाक जाँच करैत अछि। 13 सम्पूर्ण सृष्टि मे कोनो वस्तु परमेश्वरक दृष्टि सँ नुकायल नहि अछि। जिनका लग अपना सभ केँ अपन लेखा-जोखा देबाक अछि तिनका दृष्टि मे सभ वस्तु खुलल अछि, किछु झाँपल नहि अछि। 14 अपना सभ केँ जखन एतेक पैघ महापुरोहित छथि, अर्थात् परमेश्वरक पुत्र यीशु, जे आकाश केँ पार कऽ स्वर्ग मे गेल छथि, तँ अबैत जाउ, आ जाहि विश्वास केँ खुलि कऽ स्वीकार करैत छी, तकरा दृढ़ता सँ पकड़ने रही। 15 किएक तँ अपना सभक महापुरोहित एहन नहि छथि जे अपना सभक कमजोरी मे अपना सभक संग सहानुभूति नहि राखि सकथि। ओहो सभ बात मे अपने सभ जकाँ शैतान द्वारा जाँचल गेलाह, मुदा ओ पाप नहि कयलनि। 16 तेँ अपना सभ निर्भयतापूर्बक परमेश्वरक सिंहासन लग, जतऽ कृपा कयल जाइत अछि, ततऽ चलू, जाहि सँ अपना सभ पर दया कयल जाय आ अपना सभ ओ कृपा पाबी जे अपना सभक आवश्यकताक समय मे सहायता करत।
1 प्रत्येक महापुरोहित मनुष्ये सभ मे सँ चुनल जाइत छथि और परमेश्वरक सामने मनुष्य सभक प्रतिनिधि होयबाक लेल नियुक्त कयल जाइत छथि जाहि सँ ओ चढ़ौना आ पापक लेल प्रायश्चित्तक बलि सभ चढ़बथि। 2 ओ अज्ञानी आ भुलल-भटकल लोक सभक संग नम्र व्यवहार कऽ सकैत छथि कारण, ओ स्वयं कमजोरी सभ मे ओझरायल छथि। 3 हुनका तँ लोके सभक लेल नहि, बल्कि अपनो पापक लेल बलि चढ़ाबऽ पड़ैत छनि। 4 महापुरोहितक गौरवपूर्ण पद केओ अपने सँ नहि लऽ सकैत अछि। परमेश्वर जिनका नियुक्त करथिन तिनके ई सम्मान देल जाइत अछि, जेना हारूनो केँ परमेश्वरे महापुरोहितक पद पर नियुक्त कयने छलथिन। 5 एही तरहेँ मसीह सेहो महापुरोहितक पदक सम्मान अपने सँ नहि लऽ लेलनि, बल्कि परमेश्वर जे हुनका ई कहलथिन, “अहाँ हमर पुत्र छी, 2 आइ हम अहाँ केँ उत्पन्न कयलहुँ,” से हुनका एहि पद पर रखलथिन। 6 तहिना ओ एक दोसर ठाम कहैत छथि, “जाहि व्यवस्थाक अनुसार मलकीसेदेक पुरोहित भेलाह, 2 ताही व्यवस्थाक अनुसार अहाँ पुरोहित भऽ अनन्त समयक लेल पुरोहित छी।” 7 जखन यीशु एहि पृथ्वी पर रहैत छलाह तँ ओ जोर-जोर सँ आ नोर बहा-बहा कऽ तिनका सँ प्रार्थना आ विनती कयलथिन जे हुनका मृत्यु सँ बचा सकैत छलथिन। हुनकर श्रद्धा-भक्तिक कारणेँ हुनकर प्रार्थना सुनल गेलनि। 8 पुत्र होइतो दुःख-कष्ट भोगि-भोगि कऽ ओ आज्ञा माननाइ सिखलनि। 9 ओ पूर्ण रूप सँ सिद्ध बनि ओहि सभ लोकक लेल अनन्त कालीन मुक्तिक स्रोत बनलाह जे सभ हुनकर आज्ञाक पालन करैत अछि। 10 और परमेश्वर हुनका मलकीसेदेकक अनुरूप महापुरोहितक पद पर नियुक्त कयलथिन। 11 हमरा सभ केँ एहि विषय मे बहुत किछु कहबाक अछि, मुदा तकरा बुझौनाइ कठिन अछि, कारण, बुझऽ मे अहाँ सभ सुस्त छी। 12 समयक अनुसार तँ होयबाक चाहैत छल जे अहाँ सभ गुरु भेल रहितहुँ, मुदा एखन आवश्यकता ई देखैत छी जे अहाँ सभ केँ फेर परमेश्वरक वचनक शिक्षा शुरुए सँ सिखाओल जाय। अहाँ सभक लेल ठोस भोजनक नहि, बल्कि दूधक आवश्यकता अछि। 13 जे दूधे पिबैत अछि तकरा धार्मिकताक शिक्षाक ज्ञान नहि छैक, कारण ओ बच्चे अछि। 14 मुदा ठोस भोजन अछि पैघ लोकक लेल, जे सभ बुद्धि लगबैत अभ्यास द्वारा नीक-अधलाह केँ चिन्हऽ मे निपुण भऽ गेल अछि।
1 तेँ अपना सभ बचपना वला बात छोड़ि मसीहक विषय मे जे शुरू वला शिक्षा अछि ताहि सँ आगाँ बढ़ि कऽ आब गहींर शिक्षा बुझनिहार बनी। अपना सभ आब मृत्युक दिस लऽ जाय वला कर्म सभक लेल पश्चात्ताप आ हृदय-परिवर्तन कयनाइ, परमेश्वर पर विश्वास कयनाइ, 2 बपतिस्मा सभक सम्बन्ध मे शिक्षा, माथ पर हाथ राखऽ वला विधि, मुइल सभक जीबि उठनाइ, और अन्तिम न्याय—ई सभ शुरू वला शिक्षा फेर नहि दोहराबी। 3 आ जँ परमेश्वर होमऽ देताह तँ अपना सभ एहि सँ आगाँ बढ़बे करब। 4 कारण, जे केओ एक बेर इजोत प्राप्त कयने अछि, स्वर्गीय वरदानक स्वाद पौने अछि, परमेश्वरक पवित्र आत्मा मे सहभागी बनल अछि, 5 परमेश्वरक वचन कतेक उत्तम और आबऽ वला राज्य कतेक सामर्थी अछि ताहि बात सभक अनुभव कयने अछि— 6 जँ एहन लोक अपन विश्वास छोड़ि दय तँ ओकरा फेर हृदय-परिवर्तनक बाट पर लौनाइ असम्भव अछि, किएक तँ एहन लोक अपने अहित करैत परमेश्वरक पुत्र केँ फेर क्रूस पर चढ़बैत अछि आ खुल्लमखुल्ला हुनकर अपमान करैत छनि। 7 जे जमीन बेर-बेर वर्षाक पानि सोखैत अछि आ जोताइ-बोआइ कयनिहार किसानक लेल नीक अन्नक उपजा दैत अछि से जमीन परमेश्वरक आशिष पबैत अछि। 8 मुदा जे जमीन काँट-कुश उपजबैत अछि से जमीन बेकार अछि। ओ सरापित होमऽ पर अछि और अन्त मे जराओल जायत। 9 यौ प्रिय मित्र लोकनि, हम सभ एहन बात सभ तँ कहलहुँ मुदा तैयो हमरा सभ केँ अहाँ सभक विषय मे एहि सँ नीक बात, अर्थात् उद्धार सँ मिलऽ वला बातक विश्वास अछि। 10 किएक तँ परमेश्वर अन्यायी नहि छथि जे ओ अहाँ सभक काज आ हुनका प्रति अहाँ सभक ओहि प्रेम केँ बिसरि जाथि, जे प्रेम अहाँ सभ हुनकर लोक सभक सेवा करैत देखौने छी, जे सेवा एखनो कऽ रहल छी। 11 हमरा सभक हार्दिक इच्छा अछि जे अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक गोटे एहिना प्रयत्नशील रही जाहि सँ अहाँ सभ पूरा विश्वासक संग अन्त तक अपना आशा मे स्थिर रही। 12 आलसी नहि होउ, बल्कि ओहन लोक सभ जकाँ बनू जे सभ विश्वास आ धैर्य द्वारा ओहि बात सभक उत्तराधिकारी बनैत अछि जाहि बात सभक विषय मे परमेश्वर वचन देलनि। 13 अब्राहमक उदाहरण लिअ—परमेश्वर अब्राहम केँ वचन दैत समय मे अपने नाम लऽ कऽ सपत खयलनि, कारण, हुनका सँ पैघ केओ नहि छल जकर नाम लऽ कऽ ओ सपत खइतथि। 14 ओ कहलथिन, “निश्चय हम तोरा आशिष देबह। आ तोरा वंश केँ बहुत बढ़यबह।” 15 अब्राहम धैर्यपूर्बक प्रतीक्षा कयलनि आ ओ बात प्राप्त कयलनि जाहि सम्बन्ध मे परमेश्वर वचन देने छलाह। 16 लोक तँ अपना सँ पैघ आदमीक नाम लऽ कऽ सपत खाइत अछि। सपत द्वारा कोनो बात पकिया बनाओल जाइत अछि आ सभ विवाद समाप्त कयल जाइत अछि। 17 तेँ जखन परमेश्वर अपन वचनक उत्तराधिकारी सभक लेल ई बात आरो स्पष्ट करऽ चाहलनि जे हुनकर उद्देश्य बदलि नहि सकैत अछि तँ ओ सपतो खयलनि। 18 परमेश्वर दूटा अटल प्रमाण देलनि, वचन आ सपत, जाहि मे हुनका झुट्ठा भेनाइ असम्भव अछि। ओ ई एहि लेल कयलनि जाहि सँ अपना सभ केँ मजगूत प्रोत्साहन भेटय, अर्थात्, अपना सभ केँ जे सभ सामने मे राखल आशाक प्राप्ति करबाक लेल हुनका शरण मे दौड़ैत आयल छी। 19 जहिना एक लंगर नाव केँ पानि मे स्थिर रखैत अछि तहिना ई आशा अपना सभक आत्मा केँ सुरक्षित आ स्थिर रखैत अछि। ई आशा अपना सभ केँ “परदाक भीतर”, स्वर्गिक परमपवित्र स्थान मे लऽ जाइत अछि, 20 जतऽ यीशु अपना सभक लेल अपना सभ सँ पहिने प्रवेश कयने छथि। ओ मलकीसेदेकक अनुरूप अनन्त कालक लेल महापुरोहित बनि गेल छथि।
1 ई मलकीसेदेक शालेम नगरक राजा आ सर्वोच्च परमेश्वरक पुरोहित छलाह। अब्राहम जखन चारिटा राजा सभ केँ पराजित कऽ कऽ आबि रहल छलाह तखन मलकीसेदेक हुनका सँ भेँट कऽ आशीर्वाद देलथिन 2 और अब्राहम राजा सभ सँ जे धन-सम्पत्ति जिति कऽ अनने छलाह ताहि मे सँ दसम अंश मलकीसेदेक केँ देलथिन। मलकीसेदेकक नामक अर्थ अछि “धार्मिकताक राजा”। फेर, शालेमक अर्थ अछि “शान्ति”, तेँ शालेमक राजा होयबाक कारणेँ हुनकर नामक अर्थ “शान्तिक राजा” सेहो भेलनि। 3 मलकीसेदेकक माय-बाबू आ पूर्वज सभक सम्बन्ध मे किनको कोनो चर्चा नहि अछि आ ने हुनकर जन्म आ मृत्युक चर्चा अछि। ओ परमेश्वरक पुत्र जकाँ अनन्त कालक लेल पुरोहित छथि। 4 मलकीसेदेक कतेक पैघ छलाह ताहि पर ध्यान करू—अपना सभक कुल-पिता अब्राहमो जिति कऽ आनल सम्पत्ति मे सँ हुनका दसम अंश देलथिन। 5 लेवीक सन्तान सभ मे सँ जे सभ पुरोहित बनैत अछि तकरा सभ केँ इस्राएली समाजक लोक, अर्थात् अपना भाय-बन्धु सभ सँ दसम अंश लेबाक आज्ञा धर्म-नियम मे देल गेल छैक, जखन कि सभ अब्राहमेक वंशज अछि। 6 मुदा मलकीसेदेक जे लेवी वंशक नहि छलाह से स्वयं अब्राहम सँ दसम अंश लेलनि आ अब्राहम केँ, जिनका परमेश्वर अपन वचन देने छलाह, आशीर्वाद देलथिन। 7 ई निर्विवाद बात अछि जे आशीर्वाद देबऽ वला व्यक्ति आशीर्वाद पाबऽ वला व्यक्ति सँ पैघ होइत अछि। 8 एक दिस मरऽ वला मनुष्य, ⌞अर्थात् लेवी वंशज सभ,⌟ दसम अंश पबैत अछि, मुदा दोसर दिस वैह दसम अंश पौलनि जिनका सम्बन्ध मे साक्षी देल गेल अछि जे ओ जीवित छथि, ⌞अर्थात् मलकीसेदेक⌟। 9 एहि सँ इहो कहल जा सकैत अछि जे लेवी, जकर सन्तान सभ दसम अंश पबैत अछि सेहो अपन पूर्वज अब्राहमक माध्यम सँ दसम अंश देलक। 10 कारण मलकीसेदेक आ अब्राहमक भेँट जहिया भेलनि, लेवी तहिओ अपन पूर्वज अब्राहमक शरीर मे उपस्थित छल। 11 इस्राएली समाज केँ देल गेल धर्म-नियम तँ लेवीक कुलक पुरोहित वला व्यवस्था पर आधारित छल। तेँ ओहि पुरोहित वला व्यवस्था द्वारा जँ लोक परमेश्वरक नजरि मे धार्मिक ठहराओल जा सकैत छल, तँ अन्य प्रकारक पुरोहित अयबाक आवश्यकता किएक होइत जे लेवीक कुलक हारूनक अनुरूप नहि, बल्कि मलकीसेदेकक अनुरूप छथि? 12 जखन पुरोहित वला व्यवस्था बदलि जाइत अछि तखन ई आवश्यक अछि जे धर्म-नियम केँ सेहो बदलल जाय। 13 अपना सभक प्रभु, जिनका विषय मे ई बात सभ कहल गेल, से एक दोसर कुलक छथि जाहि मे सँ कहियो केओ पुरोहितक रूप मे बलि-वेदी लग सेवा नहि कयलक। 14 कारण, ई स्पष्ट अछि जे हुनकर जन्म यहूदाक कुल मे भेलनि और मूसा जखन पुरोहितक पदक विषय मे लिखैत छलाह तँ एहि कुलक कोनो चर्चा नहि कयलनि। 15 ई बात आरो स्पष्ट भऽ जाइत अछि जखन अपना सभ देखैत छी जे मलकीसेदेकक अनुरूप दोसर पुरोहित ठाढ़ भेलाह 16 जे कोनो वंश-क्रम पर आधारित नियमक अनुसार नहि, बल्कि अविनाशी जीवनक सामर्थ्यक आधार पर पुरोहित बनल छथि। 17 कारण, हुनका विषय मे यैह गवाही देल गेल अछि जे, “जाहि व्यवस्थाक अनुसार मलकीसेदेक पुरोहित भेलाह, 2 ताही व्यवस्थाक अनुसार अहाँ पुरोहित भऽ अनन्त समयक लेल पुरोहित छी।” 18 एहि तरहेँ पहिलुका नियम निर्बल आ अनुपयोगी होयबाक कारणेँ रद्द कऽ देल गेल, 19 कारण, ओहि धर्म-नियम द्वारा केओ धार्मिक नहि भऽ सकैत छल। और आब ओकरा बदला मे ओहि सँ नीक बात देल गेल अछि, अर्थात्, ओ आशा जकरा द्वारा अपना सभ परमेश्वर लग अबैत छी। 20 परमेश्वर बिनु सपत खा कऽ पुरोहितक पद यीशु केँ नहि देलनि। आन पुरोहित सभ बिनु सपतक नियुक्त कयल गेल। 21 मुदा यीशु सपतक संग पुरोहित बनाओल गेलाह जखन परमेश्वर हुनका कहलथिन, “प्रभु सपत खयने छथि आ अपना विचार सँ ओ फिरताह नहि—अहाँ अनन्त समयक लेल पुरोहित छी।” 22 एहि सपत द्वारा यीशु परमेश्वर आ लोकक बीच एक एहन नव सम्बन्धक जमानत भेल छथि जे पहिल सम्बन्ध सँ श्रेष्ठ अछि। 23 एतबे नहि, ओहि पुरोहित सभक संख्या विशेष भेल, कारण मृत्यु ओकरा सभ केँ स्थायी नहि रहऽ देलक। 24 मुदा यीशु सदाकालक लेल जीवित छथि आ तेँ हुनकर पुरोहितक पद स्थायी छनि। 25 निष्कर्ष ई जे, जे सभ यीशु द्वारा परमेश्वर लग अबैत अछि तकरा सभक पूरा-पूरा उद्धार करऽ मे यीशु सामर्थी छथि, कारण, ओ ओकरा सभक पक्ष सँ निवेदन करबाक लेल सर्वदा जीवित छथि। 26 एहि तरहेँ अपना सभ केँ जाहि प्रकारक महापुरोहितक आवश्यकता अछि, यीशु ठीक ओहने महापुरोहित छथि। ओ पवित्र, निर्दोष, निष्कलंक छथि, पापी सभ सँ अलग कयल और सर्वोच्च स्वर्ग मे प्रतिष्ठित कयल गेल छथि। 27 आन महापुरोहित सभ जकाँ हुनका प्रतिदिन पहिने अपना पापक लेल तखन फेर लोक सभक पापक लेल बलि चढ़ाबऽ नहि पड़ैत छनि। ओ अपने केँ बलि चढ़ा कऽ एके बेर मे सदाकालक लेल बलि चढ़ौलनि। 28 धर्म-नियम द्वारा महापुरोहित सभ मनुष्ये सभ मे सँ नियुक्त कयल जाइत अछि, और मनुष्य निर्बल अछि, मुदा ओ सपत जे धर्म-नियमक बाद खायल गेल, ताहि सपत द्वारा परमेश्वरक पुत्र नियुक्त कयल गेलाह आ ओ सदाकालक लेल सिद्ध बनाओल गेल छथि।
1 हमरा सभक कहबाक अर्थ ई अछि जे अपना सभक एहन महापुरोहित छथि जे स्वर्ग मे महान् परमेश्वरक सिंहासनक दहिना कात बैसलाह। 2 ओ ओहि पवित्र स्थान मे, अर्थात् वास्तविक मिलाप-मण्डप मे, सेवा करैत छथि जकरा मनुष्य नहि, बल्कि प्रभु ठाढ़ कयलनि। 3 प्रत्येक महापुरोहित एहि लेल नियुक्त कयल जाइत छथि जे ओ चढ़ौना आ बलिदान सभ चढ़बथि। तेँ ई आवश्यक छल जे अपनो सभक एहि महापुरोहित लग चढ़यबाक लेल किछु होनि। 4 जँ ओ पृथ्वी पर रहितथि तँ ओ पुरोहित होयबे नहि करितथि, कारण, धर्म-नियमक अनुसार चढ़ौना चढ़यबाक लेल पुरोहित सभ छथिए। 5 ओ सभ एहन पवित्र स्थान मे सेवा करैत छथि जे स्वर्ग मेहक पवित्र स्थानक प्रतिरूप आ छाया मात्र अछि। कारण, मूसा जखन मिलाप-मण्डप बनयबाक लेल तैयार छलाह तखन परमेश्वर हुनका आज्ञा देलथिन जे, “सावधान रहह, हम जे किछु तोरा पहाड़ पर देखौने छिअह तोँ ताही नमूनाक अनुसार सभ किछु बनबिहह।” 6 जे सेवा-काज ओ पुरोहित सभ करैत छथि, ताहि सँ यीशुक सेवा-काज अधिक श्रेष्ठ अछि, जहिना ई नव सम्बन्ध जे परमेश्वर यीशुक माध्यम सँ अपना लोकक संग स्थापित कयने छथि से पुरान वला सँ श्रेष्ठ अछि, और श्रेष्ठ बात सभक विषय मे देल गेल वचन पर आधारित अछि। 7 पहिल सम्बन्ध मे जँ कोनो त्रुटी नहि रहैत तँ नव सम्बन्ध स्थापित करबाक आवश्यकते की होइत? 8 मुदा परमेश्वर अपन लोक पर दोष लगबैत ई कहलनि, “प्रभु कहैत छथि जे, देखह, ओ समय आबि रहल अछि 2 जहिया हम इस्राएलक और यहूदाक वंश केँ 2 वचन दऽ कऽ ओकरा सभक संग एक नव सम्बन्ध स्थापित करब। 9 प्रभु कहैत छथि जे, ई ओहि सम्बन्ध जकाँ नहि होयत 2 जे हम ओकरा सभक पूर्वज सभक संग 2 ओहि समय मे स्थापित कयलहुँ 2 जहिया हम ओकरा सभ केँ मिस्र देश सँ 2 हाथ पकड़ि कऽ निकालि अनने छलहुँ। ओ सभ ओहि सम्बन्ध केँ नहि मानि कऽ 2 हमरा संग विश्वासघात कयलक। तेँ हम ओकरा सभ सँ मुँह घुमा लेलहुँ।” 10 प्रभु आगाँ कहैत छथि, “आबऽ वला समय मे इस्राएलक वंशक संग 2 हम वचन दऽ कऽ जे विशेष सम्बन्ध स्थापित करब से ई अछि— हम अपन नियम सभ ओकरा सभक मोन मे राखि देबैक 2 आ ओकरा सभक हृदय पर लिखि देबैक। हम ओकरा सभक परमेश्वर रहबैक 2 आ ओ सभ हमर लोक रहत। 11 तखन एकर आवश्यकता नहि रहत जे केओ अपना पड़ोसी केँ सिखाबय वा अपना भाय केँ कहय जे, ‘प्रभु केँ चिन्हू,’ 2 किएक तँ छोट सँ पैघ धरि सभ केओ हमरा चिन्हत। 12 हम ओकरा सभक अपराध क्षमा कऽ देबैक 2 और ओकरा सभक पापक स्मरण फेर कहियो नहि करब।” 13 परमेश्वर एहि सम्बन्ध केँ “नव” कहि कऽ पहिलुका स्थापित सम्बन्ध केँ पुरान ठहरौलनि। और जे पुरान अछि आ काजक नहि रहल से लुप्त होमऽ-होमऽ पर अछि।
1 पहिलुका सम्बन्ध जे परमेश्वर अपना लोकक संग स्थापित कयने छलाह ताहि मे आराधनाक विषय मे नियम सभ छल और आराधनाक लेल पृथ्वी पर एक पवित्र स्थानो छल। 2 एक मण्डप बनाओल गेल छल जकर पहिल भाग मे लाबनि, टेबुल, आ परमेश्वर केँ चढ़ाओल रोटी रहैत छल। ई भाग “पवित्र स्थान” कहबैत छल। 3 मण्डपक ओ भाग जे दोसर परदाक पाछाँ छल से “परमपवित्र स्थान” कहबैत छल। 4 ओहि भागक सामान ई सभ छल—सोनक वेदी जाहि पर धूप जराओल जाइत छल आ “सम्बन्धक साक्षीक सन्दूक” जाहि पर चारू भाग सोनक पत्तर चढ़ाओल गेल छल। एहि सन्दूक मे सोनक बर्तन जाहि मे “मन्ना” वला रोटी छल, हारूनक लाठी जाहि मे एक बेर पात निकलि गेल छल आ पाथरक दूनू “सम्बन्धक साक्षीक पाटी” जाहि पर परमेश्वर सँ देल गेल दस आज्ञा अंकित छल, ई सभ वस्तु रहैत छल। 5 सन्दूक पर दूटा एहन स्वर्गदूतक प्रतिमा छल जाहि स्वर्गदूत केँ “करूब” कहल जाइत छनि जे परमेश्वरक महिमामय उपस्थितिक प्रतीक छथि। ओहि प्रतिमा सभक पाँखि सन्दूकक झाँप जकरा “प्रायश्चित्तक आसन” कहल जाइत छल तकरा उपर फलकल रहैत छल। मुदा एहि सभ बातक विस्तार सँ चर्चा कयनाइ एखन सम्भव नहि अछि। 6 ई सभ वस्तु एहि तरहेँ अपन-अपन जगह पर राखल गेल छल। ओहि समय सँ पुरोहित सभ अपन सेवा-काज करबाक लेल मण्डपक पहिल भाग मे नियमित रूप सँ जाइत छलाह। 7 मुदा मण्डपक भीतरका भाग मे महापुरोहितेटा एसगरे आ सेहो साल मे एके बेर प्रवेश करैत छलाह आ ओहो बिनु खून लऽ कऽ नहि जाइत छलाह जकरा ओ अपना लेल आ लोकक अनजान मे कयल गेल पापक प्रायश्चित्तक लेल चढ़बैत छलाह। 8 एहि सँ परमेश्वरक पवित्र आत्मा ई देखबैत छलाह जे जाबत तक मण्डपक पहिल भागक व्यवस्था कायम छल ताबत तक परमपवित्र स्थानक मार्ग नहि खुजि गेल छल। 9 ई एखुनका समयक लेल एकटा दृष्टान्त अछि जे स्पष्ट देखबैत अछि जे ई चढ़ौना आ पशु-बलि सभ जे चढ़ाओल जाइत अछि से आराधना कयनिहारक विवेकक दोष नहि हटा सकैत अछि। 10 कारण, ई सभ खयनाइ-पिनाइ और नहयनाइ-धोनाइक विभिन्न विधि सभ सँ सम्बन्धित मात्र शारीरिक नियम सभ अछि जे तहिये तक लागू छल जहिया तक परमेश्वर नव व्यवस्था स्थापित नहि करथि। 11 मुदा मसीह आबऽ वला नीक बात सभक महापुरोहित भऽ कऽ जहिया प्रगट भेलाह तहिया ओ एक एहन मण्डप दऽ कऽ गेलाह जे पुरनका सँ नीक आ पूर्ण अछि आ जे मनुष्यक बनाओल नहि अछि, अर्थात् एहि सृष्टिक नहि अछि। 12 एहि मण्डप बाटे जा कऽ ओ परमपवित्र स्थान मे प्रवेश कयलनि। ओ प्रवेश कयलनि छागर आ बाछाक खून लऽ कऽ नहि, बल्कि अपन खून लऽ कऽ। ओ अपना सभक लेल अनन्त कालीन छुटकारा प्राप्त कऽ सदाक लेल एके बेर प्रवेश कयलनि। 13 पुरान व्यवस्थाक अनुसार छागर आ साँढ़क खून आ जराओल बाछीक छाउर छिटला सँ अशुद्ध भेल आदमी शारीरिक रूप सँ शुद्ध भऽ जाइत छल। 14 जखन ओ बात अछि, तँ ओहि सँ कतेक बढ़ि कऽ मसीह, जे सनातन पवित्र आत्माक माध्यम सँ अपना केँ निष्कलंक बलिक रूप मे परमेश्वर केँ अर्पित कयलनि, तिनकर खून अपना सभक मोन केँ किएक नहि शुद्ध करत जाहि सँ मृत्यु मे लऽ जाय वला कर्म सभ सँ मुक्त भऽ कऽ अपना सभ जीवित परमेश्वरक सेवा करी! 15 एहि प्रकारेँ मसीह आब परमेश्वर आ हुनकर लोकक बीच एक नव सम्बन्ध स्थापित करैत छथि, जाहि सँ परमेश्वर द्वारा बजाओल गेल लोक सभ परमेश्वरक देल वचनक अनुसार अनन्त काल तक रहऽ वला बातक उत्तराधिकारी बनय। ई एहि आधार पर भेल जे पहिल सम्बन्धक समय मे कयल गेल लोकक अपराध सभक दण्ड भोगि कऽ मसीह ओकरा सभक छुटकाराक मूल्य मे अपन जान देलनि। 16 मृत्युक बाद अपन सम्पत्ति कोना बाँटल जाय से स्पष्ट करबाक लेल कतेक लोक वसीयतनामा लिखैत अछि। वसीयतनामा मे लिखल बात लागू करबाक लेल वसीयतनामा लिखऽ वला आदमीक मृत्यु प्रमाणित करब जरूरी अछि। 17 कारण, ओकर मृत्युक बादे, वसीयतनामा मान्य होइत छैक। जाबत तक वसीयतनामा लिखऽ वला जीवित अछि ताबत तक ओ लागू नहि होइत अछि। 18 तेँ परमेश्वर आ हुनकर लोकक बीच जे पहिलुका सम्बन्ध छल, सेहो बिनु खून बहौने स्थापित नहि भेल। 19 जखन मूसा सभ लोक केँ धर्म-नियमक सभ आज्ञा सुना चुकलाह तखन ओ एक जूफा गाछक झाड़ू आ लाल ऊन लऽ कऽ बाछा आ छागर सभक खून पानिक संग मिला कऽ धर्म-नियमक ग्रन्थ आ लोक सभ पर छिटि देलनि। 20 एना करैत ओ कहलथिन, “एहि खून द्वारा परमेश्वर अहाँ सभक संग विशेष सम्बन्ध स्थापित करैत छथि जाहि सम्बन्धक नियम सभ मानबाक आज्ञा देने छथि।” 21 एहि तरहेँ मूसा मिलाप-मण्डप आ ओहि मे धार्मिक विधिक लेल प्रयोग होमऽ वला सभ सामान पर खून छिटलनि। 22 धर्म-नियमक आज्ञाक अनुसार प्रायः सभ वस्तु खून द्वारा शुद्ध कयल जाइत अछि और बिनु खून बहौने पापक क्षमा अछिए नहि। 23 ई आवश्यक छल जे ओ सभ वस्तु जे स्वर्ग मेहक वस्तुक प्रतिरूप मात्र छल से एहन बलिदान द्वारा शुद्ध कयल जाय मुदा वास्तविक स्वर्गिक वस्तुक लेल एहि सँ उत्तम बलिदान जरूरी छल। 24 कारण, मसीह कोनो हाथक बनाओल पवित्र स्थान, जे वास्तविक पवित्र स्थानक प्रतिरूप मात्र अछि, ताहि मे प्रवेश नहि कयलनि। नहि, ओ स्वर्गे मे प्रवेश कयलनि जाहि सँ आब अपना सभक पक्ष सँ परमेश्वरक सामने उपस्थित होथि। 25 और ओ स्वर्ग मे एहि लेल प्रवेश नहि कयलनि जे बेर-बेर अपना केँ चढ़बथि जेना आन महापुरोहित सभ प्रति वर्ष अपन खून लऽ कऽ नहि, पशुक खून लऽ कऽ, परमपवित्र स्थान मे प्रवेश करैत छथि। 26 जँ एना रहैत तँ मसीह केँ सृष्टिक आरम्भ सँ लऽ कऽ एखन धरि बेर-बेर दुःख भोगऽ पड़ल रहितनि। मुदा से नहि, आब युगक अन्त होमऽ-होमऽ पर ओ एके बेर अयलाह जाहि सँ अपना केँ बलिदान कऽ कऽ लोकक पाप केँ मेटबथि। 27 जहिना ई निश्चित कयल गेल अछि जे मनुष्य एके बेर मरय आ तकरबाद ओकर न्याय कयल जाइक, 28 तहिना बहुतो लोकक पाप उठयबाक लेल मसीहो एके बेर बलिदान भऽ गेलाह। आब ओ दोसरो बेर औताह, मुदा पाप उठयबाक लेल नहि, बल्कि ताहि लोक सभक मुक्ति दिअयबाक लेल, जे सभ उत्सुकता सँ हुनकर बाट ताकि रहल अछि।
1 धर्म-नियम मे जे भेटैत अछि, से आबऽ वला नीक बात सभक वास्तविक स्वरूप नहि, बल्कि तकर छाया मात्र अछि। तेँ धर्म-नियमक व्यवस्था साले-साल चढ़ाओल जाय वला एके तरहक बलिदान सभ द्वारा आराधना करऽ वला सभ केँ सिद्ध नहि कऽ सकैत अछि। 2 जँ से बात होइत तँ की ओ बलिदान सभ बन्द नहि भऽ गेल रहैत? आराधना कयनिहार सभ एके बेर मे शुद्ध भऽ गेल रहैत आ ओकरा सभक विवेक फेर ओकरा सभ केँ दोषी नहि ठहरबैत रहितैक। 3 मुदा ठीक एकर विपरीत होइत अछि। एहि बलिदान सभ द्वारा प्रति वर्ष पाप सभक स्मरण दिआओल जाइत अछि। 4 किएक तँ ई असम्भव अछि जे साँढ़ आ छागरक खून पाप केँ मेटाबय। 5 तेँ मसीह संसार मे अयबाक समय मे परमेश्वर केँ कहलथिन, “अहाँ बलि आ चढ़ौना नहि चाहैत छलहुँ, 2 बल्कि अहाँ हमरा लेल एक शरीर तैयार कयलहुँ; 6 अहाँ होम-बलि आ पाप-बलि सँ प्रसन्न नहि छलहुँ। 7 तखन हम कहलहुँ जे, ‘हे परमेश्वर, जहिना धर्मशास्त्र मे हमरा सम्बन्ध मे लिखल अछि, 2 तहिना हम अहाँक इच्छा पूरा करबाक लेल आयल छी।’” 8 ऊपर कहल बात मे मसीहक कथन छनि जे, “अहाँ ने बलिदान, ने चढ़ौना, ने होम-बलि आ ने पाप-बलि चाहलहुँ और ने ओहि सभ सँ प्रसन्न छलहुँ,” जखन कि धर्म-नियमेक अनुसार ओ सभ चढ़ाओल जाइत छल। 9 ओ फेर आगाँ कहैत छथि जे, “देखू, हम अहाँक इच्छा पूरा करबाक लेल आयल छी।” एहि तरहेँ ओ पहिल व्यवस्था केँ समाप्त कयलनि जाहि सँ दोसर केँ स्थापित करथि। 10 और परमेश्वरक ओही इच्छा द्वारा अपना सभ यीशु मसीहक शरीरक बलिदान सँ, जे सदाकालक लेल एके बेर सम्पन्न भेल, पवित्र कयल गेल छी। 11 प्रत्येक पुरोहित दिन-प्रतिदिन ठाढ़ भऽ कऽ अपन सेवाक काज करैत छथि आ एके तरहक बलिदान बेर-बेर चढ़बैत छथि, जे बलिदान पाप केँ कहियो नहि मेटा सकैत अछि। 12 मुदा ई पुरोहित, अर्थात् मसीह, पापक वास्ते सदाक लेल एकेटा बलिदान चढ़ा कऽ परमेश्वरक दहिना कात बैसलाह। 13 ओ ओही समय सँ एहि बातक प्रतीक्षा कऽ रहल छथि जे हुनकर शत्रु सभ केँ हुनका पयरक नीचाँ राखि देल जानि। 14 कारण, ओ अपन एकमात्र बलिदान द्वारा तकरा सभ केँ सदाक लेल सिद्ध कऽ देलनि जे सभ पवित्र कयल जा रहल अछि। 15 परमेश्वरक पवित्र आत्मा सेहो एहि विषय मे धर्मशास्त्र मे अपना सभ केँ गवाही दैत पहिने ई कहैत छथि, 16 “प्रभु कहैत छथि जे, आबऽ वला समय मे ओकरा सभक संग हम वचन दऽ कऽ जे विशेष सम्बन्ध स्थापित करब से ई अछि— हम अपन नियम ओकरा सभक हृदय मे राखि देबैक 2 और ओकरा सभक मोन मे लिखि देबैक।” 17 फेर ओ आगाँ कहैत छथि जे, “हम ओकरा सभक पाप आ अपराध सभक 2 फेर स्मरण नहि करब।” 18 क्षमा जखन भऽ गेल अछि तखन पापक लेल बलि-प्रदानक आवश्यकता नहि रहल। 19 एहि कारणेँ, यौ भाइ लोकनि, यीशुक खून द्वारा अपना सभ केँ सोझे परमपवित्र स्थान मे निडर भऽ कऽ जयबाक साहस अछि। 20 कारण, ओ अपना शरीरक बलिदान द्वारा अपना सभक लेल ओहि परदा बाटे नव आ जीवित रस्ता खोलि देलनि। 21 संगहि अपना सभक एहन महान् पुरोहित छथि जे परमेश्वरक घरक अधिकारी छथि, 22 तेँ आउ, निष्कपट मोन सँ पूर्ण विश्वास आ भरोसाक संग परमेश्वर लग चली, ई जानि जे हृदय पर मसीहक खून छिटल गेला सँ अपना सभक भितरी मोन सभ दोष सँ शुद्ध भऽ गेल अछि आ शरीर शुद्ध पानि सँ साफ भऽ गेल अछि। 23 अपना सभ जाहि आशा पर खुलि कऽ विश्वास रखने छी ताहि आशा केँ दृढ़ता सँ पकड़ने रही, कारण, जे अपना सभ केँ वचन देने छथि से विश्वासयोग्य छथि। 24 प्रेम आ भलाइक काज करऽ मे अपना सभ एक-दोसर केँ कोना प्रेरित कऽ सकी ताहि पर ध्यान राखी। 25 अपना सभ एक संग जमा भेनाइ नहि छोड़ी जेना कि किछु लोकक आदत अछि, बल्कि एक-दोसर केँ प्रोत्साहित करैत रही, विशेष कऽ आब जखन देखैत छी जे ओ दिन लगचिआ गेल अछि जहिया यीशु फेर औताह। 26 कारण जँ अपना सभ सत्यक ज्ञान प्राप्त कयलाक बादो जानि-बुझि कऽ पाप करैत रहब तँ फेर पापक प्रायश्चित्तक लेल कोनो बलिदान बाँचल नहि रहल। 27 बल्कि एतबे बाँचल रहल जे अपना सभ भयभीत भऽ न्यायक प्रतीक्षा आ ओहि भीषण आगिक प्रतीक्षा करी जे परमेश्वरक विरोधी सभ केँ भस्म कऽ देत। 28 जे केओ मूसा द्वारा देल गेल धर्म-नियमक उल्लंघन करैत छल तकरा दू वा तीन लोकक गवाही सँ बिना कोनो दया देखौने मृत्युदण्ड दऽ देल जाइत छल। 29 आब सोचू, जे केओ परमेश्वरक पुत्रक अनादर कयने अछि, जे केओ ओहि खून केँ, जाहि द्वारा परमेश्वर आ हुनकर लोकक बीच नव सम्बन्ध स्थापित कयल गेल आ जाहि खून द्वारा ओ स्वयं पवित्र कयल गेल, तकरा तुच्छ बुझने अछि, आ जे केओ परमेश्वरक दयावान पवित्र आत्मा केँ अपमानित कयने अछि तकरा की होयतैक? एहन लोक आरो कतेक भयंकर दण्ड भोगबाक योग्य भेल! 30 कारण, अपना सभ तिनका चिन्हैत छियनि जे ई कहलनि, “बदला लेब हमरे काज अछि; हमहीं प्रतिफल देब।” और फेर इहो जे, “प्रभु अपन लोकक न्याय करताह।” 31 जीवित परमेश्वरक हाथ मे पड़नाइ भयंकर बात अछि। 32 बितल समयक स्मरण करू जहिया इजोत प्राप्त कयलाक बाद अहाँ सभ महा कष्टक संघर्ष मे स्थिर रहलहुँ। 33 कहियो-कहियो अहाँ सभ निन्दा आ अत्याचार द्वारा लोकक सम्मुख तमाशा बनलहुँ और कहियो-कहियो ओहने संकट मे पड़ल लोक केँ देखि अहाँ सभ स्वेच्छा सँ हुनका सभ केँ संग देलहुँ। 34 अहाँ सभ जहल मे राखल गेल लोकक संग सहानुभूति रखलहुँ, और अहाँ सभक धन-सम्पत्ति जखन लुटि लेल गेल तँ तकरा खुशी सँ बरदास्त कयलहुँ, कारण अहाँ सभ केँ बुझल छल जे अहाँ सभ लग एहि सँ नीक और टिकऽ वला सम्पत्ति अछि। 35 तेँ अपन साहस नहि छोड़ू, कारण एकर प्रतिफल बहुत पैघ होयत। 36 अहाँ सभ केँ स्थिर रहनाइ अति आवश्यक अछि जाहि सँ परमेश्वरक इच्छा पूरा कऽ कऽ अहाँ सभ ओ बात सभ प्राप्त करी जकरा बारे मे परमेश्वर वचन देने छथि। 37 कारण, जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “आब किछुए समय मे ओ जे आबऽ वला छथि से औताह। ओ विलम्ब नहि करताह। 38 हमर धार्मिक लोक विश्वास करैत जीवित रहत मुदा जँ ओ पाछाँ हटि जाय 2 तँ हमर मोन ओकरा सँ प्रसन्न नहि होयत।” 39 पाछाँ हटि कऽ विनाश होमऽ वला सभ मे सँ अपना सभ नहि छी, बल्कि विश्वास करैत उद्धार पौनिहार सभ मे सँ छी।
1 विश्वास की अछि? विश्वास ओहि बात सभक पक्का आश्वासन अछि जकरा लेल आशा कयल जाइत अछि और ओहि वस्तु सभक अस्तित्वक विषय मे दृढ़ निश्चय अछि जे वस्तु सभ देखार नहि अछि। 2 विश्वासेक कारणेँ प्राचीन समयक भक्त सभ सँ परमेश्वर प्रसन्न भेलाह। 3 विश्वासे द्वारा अपना सभ बुझैत छी जे सम्पूर्ण विश्वक सृष्टि परमेश्वरक आज्ञा द्वारा भेल, आ देखाइ पड़ऽ वला वस्तु सभ कोनो आन देखाइ पड़ऽ वला वस्तु सँ नहि रचल गेल। 4 विश्वासेक कारणेँ हाबिल अपन भाय काइन सँ नीक बलिदान परमेश्वर केँ चढ़ौलनि। विश्वासेक कारणेँ हुनका एक धार्मिक पुरुषक रूप मे सम्मान भेटलनि जखन परमेश्वर हुनकर चढ़ौना स्वीकार कयलनि। हाबिल मरल होइतो अपन विश्वास द्वारा आइओ विश्वासक सम्बन्ध मे एक आवाज छथि। 5 विश्वासेक कारणेँ हनोक बिनु मृत्युक अनुभव कयने एहि पृथ्वी परक जीवन सँ सशरीर ऊपर उठा लेल गेलाह। ओ फेर देखाइ नहि पड़लाह कारण परमेश्वर हुनका ऊपर उठा लेने छलथिन। धर्मशास्त्र मे हनोकक सम्बन्ध मे चर्चा कयल गेल अछि जे हुनका उठाओल जयबा सँ पहिने परमेश्वर हुनका सँ प्रसन्न छलथिन। 6 विश्वासक बिना परमेश्वर केँ प्रसन्न कयनाइ असम्भव अछि कारण जे केओ हुनका लग आबऽ चाहैत अछि तकरा ई विश्वास कयनाइ आवश्यक छैक जे परमेश्वर छथि और ओ तकरा प्रतिफल दैत छथिन जे हुनकर खोज मे लगनशील अछि। 7 जे बात ओहि समय तक कहियो नहि देखल गेल छल, तेहन बातक सम्बन्ध मे नूह परमेश्वर सँ चेतावनी पौलनि। विश्वासेक कारणेँ ओ परमेश्वरक भय मानैत हुनकर आज्ञाक अनुसार अपना परिवार केँ बचयबाक लेल एकटा जहाज बनौलनि। ओ अपन विश्वास द्वारा संसार केँ दोषी ठहरौलनि और ओहि धार्मिकताक उत्तराधिकारी बनलाह जे विश्वास पर आधारित अछि। 8 विश्वासेक कारणेँ अब्राहम परमेश्वरक आज्ञा मानलनि जखन परमेश्वर हुनका ओहि देश मे जयबाक लेल बजौलथिन जे देश बाद मे हुनका उत्तराधिकार मे भेटऽ वला छलनि। ओ इहो नहि जानि जे हम कतऽ जा रहल छी विदा भऽ गेलाह। 9 जाहि देशक बारे मे परमेश्वर हुनका वचन देने छलाह, ताहि देश मे ओ विश्वासेक कारणेँ परदेशी भऽ कऽ वास कयलनि। ओ इसहाक आ याकूबक संग, जिनका सभ केँ परमेश्वर सेहो वैह वचन देलनि, तम्बू मे रहलाह। 10 कारण, ओ ओहि नगरक बाट तकैत छलाह जे कहियो नहि हटऽ वला अछि, जकर रचनिहार आ बनौनिहार परमेश्वर छथि। 11 विश्वासेक कारणेँ अब्राहमक स्त्री, सारा, अवस्था ढरि गेलाक बादो गर्भधारण करबाक सामर्थ्य पौलनि, कारण ओ मानलनि जे वचन देबऽ वला परमेश्वर विश्वासयोग्य छथि। 12 एहि तरहेँ एके पुरुष सँ जे मरणासन्न छलाह, अर्थात् अब्राहम सँ, आकाशक तरेगन जकाँ असंख्य और समुद्र-कातक बालु जकाँ अनगनित वंशज उत्पन्न भेल। 13 जाहि बात सभक बारे मे परमेश्वर वचन देने छलाह, से बात सभ बिनु पौने ई सभ लोक विश्वास करितहि मरलाह मुदा ओहि बात सभ केँ दूरे सँ देखि आनन्दित छलाह। ई सभ खुलि कऽ मानि लेलनि जे, “ई संसार हमरा सभक वास्तविक घर नहि अछि; हम सभ एतऽ परदेशी भऽ रहि रहल छी।” 14 जे केओ एहन बात कहैत अछि से स्पष्ट देखबैत अछि जे ओ एक एहन देशक बाट ताकि रहल अछि जे ओकर अपन होइक। 15 ओ सभ ओहि देशक सम्बन्ध मे नहि सोचैत छलाह जाहि देश सँ ओ सभ निकलल छलाह, कारण जँ से बात रहैत तँ ओतऽ घूमि कऽ फेर जा सकैत छलाह। 16 मुदा नहि। ओ सभ ताहि सँ उत्तम एक देश, अर्थात् “स्वर्ग-देश”, मे पहुँचबाक अभिलाषी छलाह। एहि कारणेँ परमेश्वर हुनका सभक परमेश्वर कहयबा मे कोनो संकोच नहि मानैत छथि। ओ तँ हुनका सभक लेल एक नगर तैयार कऽ लेने छथि। 17 परमेश्वर जखन अब्राहम सँ परीक्षा लेलनि तखन अब्राहम विश्वासेक कारणेँ परमेश्वरक आज्ञा मानि इसहाक केँ हुनका अर्पित कयलनि। परमेश्वर जिनका वचन देने छलाह से अपन एकमात्र पुत्र इसहाक केँ वेदी पर बलि चढ़यबाक लेल तैयार भेलाह, 18 जखन कि परमेश्वर हुनका ई कहने छलथिन जे, “इसहाके सँ उत्पन्न वंशज तोहर वंश मानल जयतह।” 19 अब्राहम ई मानैत छलाह जे परमेश्वर मृत्युओ मे सँ लोक केँ जीवित कऽ देबऽ मे सामर्थी छथि और एक अर्थे ओ इसहाक केँ मृत्यु मे सँ फेर पाबिओ लेलनि। 20 विश्वासेक कारणेँ इसहाक अपन पुत्र सभ याकूब आ एसाव केँ भविष्यक सम्बन्ध मे आशीर्वाद देलथिन। 21 विश्वासेक कारणेँ याकूब अपन अन्तिम समय मे यूसुफक दूनू पुत्र, अर्थात् अपन पोता सभ केँ एक-एक कऽ आशीर्वाद देलथिन और अपन लाठीक सहारा लैत झुकि कऽ परमेश्वरक आराधना कयलनि। 22 विश्वासेक कारणेँ यूसुफ अपन जीवनक अन्तिम समय मे इस्राएली समाजक जे मिस्र देश सँ भविष्य मे होमऽ वला प्रस्थानक बात छल तकर चर्चा कऽ ई आदेश देलनि जे “परमेश्वर अवश्य अहाँ सभ केँ बचौताह। तहिया अहाँ सभ निश्चित हमर शरीरक हड्डी एहि देश सँ अपना संग लऽ जायब।” 23 विश्वासेक कारणेँ जखन मूसाक जन्म भेलनि तखन हुनकर माय-बाबू ई देखि जे ई एक विशेष बच्चा अछि, राजाक आज्ञा सँ भयभीत नहि भऽ कऽ हुनका तीन मास धरि नुका कऽ रखलनि। 24 विश्वासेक कारणेँ मूसा नमहर भेला पर राजा फरओक नाति कहायब स्वीकार नहि कयलनि। 25 ओ पापक क्षणिक सुख भोगबाक बदला मे परमेश्वरक प्रजाक संग अत्याचार सहनाइ चुनलनि। 26 ओ मिस्र देशक सम्पूर्ण धन-सम्पत्तिक अपेक्षा आबऽ वला उद्धारकर्ता-मसीहक लेल निन्दा सहब अधिक बहुमूल्य बुझलनि, कारण हुनकर नजरि भविष्य मे भेटऽ वला इनाम पर टिकल रहनि। 27 राजाक क्रोध सँ भयभीत नहि भऽ ओ विश्वासेक कारणेँ मिस्र देश छोड़ि देलनि। जेना ओ अदृश्य परमेश्वर केँ देखैत होथि तेना दृढ़ बनल रहलाह। 28 विश्वासेक कारणेँ ओ फसह-पाबनि स्थापित कयलनि और केबाड़क चौकठि पर खून लगौलनि, जाहि सँ जेठ सन्तान केँ विनाश करऽ वला दूत इस्राएली सभ पर अपन हाथ नहि बढ़बथि। 29 विश्वासेक कारणेँ इस्राएली सभ लाल सागर केँ तेना पार कयलक जेना ओ सुखल भूमि होइक, मुदा जखन मिस्री लोक ओहिना करऽ चाहलक तँ ओ सभ लाल सागरक पानि मे डुबि कऽ मरि गेल। 30 विश्वासेक कारणेँ यरीहो नगर केँ चारू कात सँ घेरऽ वला देवाल ढहि गेल जखन इस्राएली लोक सभ सात दिन धरि ओकर परिक्रमा कयलक। 31 विश्वासेक कारणेँ राहाब नामक वेश्या परमेश्वरक आज्ञा नहि मानऽ वला यरीहो नगरक अन्य लोक सभक संग नष्ट नहि कयल गेलीह, कारण ओ इस्राएली भेदिया सभ केँ दुश्मन नहि मानि स्वागत-सत्कार कयलनि। 32 एहि सँ बेसी हम आओर की कहू? गिदोन, बाराक, शिमशोन, यिप्ताह, दाऊद, शमूएल आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभक चर्चा करबाक एखन समय नहि अछि। 33 ई सभ विश्वासे द्वारा राज्य सभ केँ अपन अधीन कयलनि, न्यायक संग शासन कयलनि, ओ बात सभ प्राप्त कयलनि जाहि बातक सम्बन्ध मे परमेश्वर वचन देने छलाह। ई सभ सिंह सभक मुँह बन्द कऽ, 34 धधकैत आगि केँ मिझा कऽ आ तरुआरिक धार सँ बाँचि कऽ सुरक्षित रहलाह। ई सभ निर्बलता मे बलवन्त कयल गेलाह और युद्ध मे सामर्थी भऽ आन-आन देशक सेना सभ केँ भगौलनि। 35 स्त्रीगण सभ अपन प्रिय लोक केँ मृत्यु सँ फेर जीवित पौलनि। किछु लोक बचाओल जयबाक बात अस्वीकार कऽ यातनापूर्ण मृत्यु सहब चुनलनि जाहि सँ एहि पृथ्वी परक जीवन सँ उत्तम जीवनक लेल जिआओल जाइ। 36 परीक्षा सहैत किछु लोक केँ उपहासक पात्र बनऽ पड़ल, कोड़ाक मारि खाय पड़ल, और जंजीर सँ बन्हा कऽ जहल मे रहऽ पड़ल। 37 किछु लोक केँ पथरबाहि कऽ कऽ मारल गेलनि। किछु केँ आरी सँ चीरि कऽ दू फाँक कऽ देल गेलनि। किछु लोक केँ तरुआरि सँ वध कयल गेलनि। किछु लोक गरीबी, अत्याचार आ दुर्व्यवहार सहैत भेँड़ा और बकरीक छाल ओढ़ने घुमैत छलाह। 38 संसार हुनका सभक जोगरक नहि छल। हुनका सभ केँ निर्जन क्षेत्र मे, पहाड़ पर, गुफा मे और खधिया मे शरण लेबऽ पड़लनि। 39 विश्वासेक कारणेँ एहि सभ लोक सँ परमेश्वर प्रसन्न भेलाह, मुदा तैयो हिनका सभ केँ ओ बात सभ नहि भेटलनि जाहि सम्बन्ध मे परमेश्वर वचन देने छलथिन। 40 कारण, परमेश्वर अपना सभक लेल एहि सँ उत्तम एक योजना बनौने छलाह, आ से ई अछि जे, मात्र अपना सभक संग हुनका सभ केँ पूर्ण सिद्धता भेटतनि।
1 तेँ जखन गवाही देबऽ वला सभक एहन विशाल समूह सँ अपना सभ घेरल छी तँ अबैत जाउ, अपना सभ प्रत्येक विघ्न-वाधा उतारि कऽ फेकि दी, आ पापो, जे अपना सभ केँ तुरत्ते ओझरबैत अछि, आ ई दौड़, जाहि मे अपना सभ केँ दौड़बाक अछि, नहि छोड़ि धैर्यपूर्बक अन्त तक दौड़ी। 2 अपन नजरि अपना सभक विश्वास केँ शुरुआत आ सिद्ध कयनिहार यीशु पर राखी जे सामने राखल आनन्दक कारणेँ क्रूसक कलंक पर ध्यान नहि दऽ तकर दुःख सहलनि आ आब परमेश्वरक सिंहासनक दहिना कात बैसल छथि। 3 ओ जे पापी सभक हाथ सँ कतेक घोर विरोध सहलनि तिनका पर ध्यान दिअ, जाहि सँ एना नहि होअय जे अहाँ सभ थाकि कऽ हिम्मत हारी। 4 पाप सँ संघर्ष करैत अहाँ सभ केँ एखन तक अपन खून नहि बहाबऽ पड़ल अछि। 5 की अहाँ सभ धर्मशास्त्रक ई उपदेश बिसरि गेलहुँ जाहि मे अहाँ सभ केँ पुत्र कहि कऽ सम्बोधन कयल गेल अछि?— “हे हमर पुत्र, प्रभुक सजाय केँ तुच्छ नहि मानह, और जखन ओ तोरा कोनो गलती देखा कऽ डँटैत छथुन 2 तँ हिम्मत नहि हारह। 6 कारण, जकरा सँ प्रभु प्रेम करैत छथि तकरा ओ सजाय दऽ कऽ सुधारैत छथिन, 2 जकरा ओ पुत्र मानैत छथि तकरा ओ कोड़ा लगबैत छथिन।” 7 कष्ट केँ ई बुझि कऽ सहि लिअ जे परमेश्वर एहि द्वारा हमरा सुधारि रहल छथि। कारण ओ अहाँ केँ पुत्र मानि अहाँक संग पिता जकाँ व्यवहार कऽ रहल छथि। की कोनो एहन पुत्र अछि जकर पिता ओकरा सजाय दऽ कऽ नहि सुधारैत होइक? 8 जँ अहाँ सभ केँ सुधारल नहि जाइत अछि जखन की सभ बेटा केँ सुधारल जाइत छैक तँ अहाँ सभ पारिवारिक-पुत्र नहि, अनजनुआ-जन्मल पुत्र सभ छी। 9 एतबे नहि, जखन शारीरिक पिता अपना सभ केँ सजाय दैत छलाह आ ताहि लेल अपना सभ हुनका सभक आदर करैत छलहुँ तँ ओहि सँ बढ़ि कऽ अपन आत्मिक पिताक अधीन मे रहनाइ अपना सभ किएक नहि स्वीकार करी जाहि सँ जीवन पाबी? 10 ओ सभ सीमित समयक लेल जहिना अपना बुद्धिक अनुसार ठीक बुझैत छलाह, तहिना अपना सभ केँ सजाय देलनि, मुदा परमेश्वर ई जानि जे अपना सभक कल्याणक लेल केहन सजाय ठीक होयत अपना सभ केँ सुधारैत छथि जाहि सँ ओ जहिना पवित्र छथि, तहिना अपनो सभ पवित्र बनी। 11 जखन कोनो तरहक सजाय ककरो भेटि रहल छैक तँ ताहि समय मे ओ ओकरा सुखदायक नहि, दुःखदायक लगैत छैक, मुदा बाद मे, तकरा द्वारा सुधारल गेलाक बाद, ओकर परिणाम एक धार्मिक आ शान्तिपूर्ण जीवन होइत अछि। 12 तेँ थाकल हाथ आ कमजोर ठेहुन केँ मजगूत बनाउ। 13 और “अपना लेल सोझ रस्ता बनाउ” जाहि सँ नाङड़क पयर उखड़ैक नहि, बल्कि स्वस्थ भऽ जाइक। 14 सभक संग मेल-मिलाप सँ रहबाक लेल आ पवित्र जीवन बितयबाक लेल पूरा मोन सँ प्रयत्न करू, कारण, पवित्रताक बिना केओ परमेश्वर केँ नहि देखऽ पाओत। 15 सावधान रहू जाहि सँ अहाँ सभ मे सँ केओ परमेश्वरक कृपा सँ वंचित नहि रही, और जाहि सँ एना नहि होअय जे ककरो मोन मे ईर्ष्याक बीया जनमि कऽ कष्टक कारण बनय आ ओकर विष बहुतो केँ दुषित करय। 16 अहाँ सभ मे सँ केओ ककरो संग अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध नहि राखू आ ने एसाव जकाँ परमेश्वरक डर नहि मानऽ वला होउ जे एक साँझक भोजनक बदला मे अपन जेठ सन्तान वला अधिकार बेचि देलनि। 17 अहाँ सभ जनैत छी जे बाद मे जखन ओ अपन पिताक आशीर्वाद प्राप्त करऽ चाहैत छलाह तँ हुनका अस्वीकार कयल गेलनि। नोरो बहा-बहा कऽ विनती कयलनि मुदा हुनका अपन पहिल निर्णय बदलबाक अवसर नहि भेटलनि। 18 अहाँ सभ पूर्वज सभ जकाँ ओहि सीनय पहाड़ लग नहि आयल छी जकरा छुअल जा सकैत अछि, जाहिठाम धधकैत आगि, कारी मेघ, घोर अन्हार, भयंकर अन्हड़-बिहारि, 19 आ धुतहूक आवाज छल, आ जाहिठाम एक स्वर एहन बात कहैत सुनाइ दैत छल जकरा सुनि लोक सभ विनती करऽ लागल जे ओ फेर ओकरा सभ केँ नहि सुनाइ दैक। 20 कारण, ओकरा सभ केँ ओहि स्वरक ई आज्ञा बरदास्त नहि भेलैक जे, “जँ मालो-जाल पहाड़ मे भिड़त तँ ओकरा पथरबाहि कऽ कऽ मारि देल जाय।” 21 ओ दृश्य ततेक भयानक छल जे मूसो कहलनि, “हम डर सँ थर-थर कँपैत छी।” 22 अहाँ सभ ओतऽ नहि, बल्कि सियोन नामक पहाड़ जे स्वर्गिक यरूशलेम अछि, अर्थात् जीवित परमेश्वरक नगर लग आयल छी, जतऽ खुशीक उत्सव मनाबऽ वला लाखो-लाख स्वर्गदूतक सम्मेलन अछि। 23 जतऽ ओ मण्डली अछि, जकर प्रत्येक सदस्य जेठ सन्तान मानल जाइत अछि आ जकरा सभक नाम स्वर्ग मे लिखल गेल अछि ततऽ आयल छी। जतऽ सभक न्यायाधीश परमेश्वर छथि आ जतऽ सिद्ध कयल गेल धार्मिक लोक सभक आत्मा अछि ततऽ आयल छी। 24 अहाँ सभ यीशु लग आयल छी, जे परमेश्वर आ हुनकर लोकक बीच नव सम्बन्धक मध्यस्थ छथि, जिनकर छिटल गेल खून हाबिलक खूनक अपेक्षा कतेक उत्तम बात कहैत अछि। 25 सावधान रहू! जे बाजि रहल छथि तिनकर आज्ञा केँ अस्वीकार नहि करू। कारण, जे लोक सभ पृथ्वी पर सँ चेतावनी देनिहारक बात नहि सुनलक से जखन नहि बाँचि सकल, तखन अपना सभ जँ स्वर्ग सँ चेतावनी देनिहारक बात नहि सुनब तँ कोना बाँचब? 26 ओहि समय हुनकर स्वर पृथ्वी केँ डोला देलक मुदा आब ओ ई वचन देलनि जे, “हम एक बेर आरो पृथ्विए नहि, बल्कि आकाशो डोला देब।” 27 हुनकर “एक बेर आरो” कहला सँ ई स्पष्ट कयल गेल जे डोलऽ वला वस्तु, अर्थात् सृष्टि कयल वस्तु, हटाओल जायत जाहि सँ जे नहि डोलाओल जा सकैत अछि सैहटा रहि जायत। 28 तेँ जखन अपना सभ केँ एहन राज्य भेटि रहल अछि जे अटल अछि तँ अबैत जाउ, अपना सभ परमेश्वरक धन्यवाद करैत श्रद्धा आ भयक संग हुनकर एहन आराधना करी जे हुनका ग्रहणयोग्य होनि। 29 कारण, “अपना सभक परमेश्वर भस्म करऽ वला आगि छथि।”
1 अहाँ सभ एक-दोसर केँ अपन लोक मानि प्रेम करैत रहू। 2 अनचिन्हारो सभक अतिथि-सत्कार कयनाइ नहि बिसरू, कारण, एहि तरहेँ किछु लोक बिनु जनने स्वर्गदूत सभक सेवा-सत्कार कयने छथि। 3 जहल मे राखल लोक सभक ओहिना सुधि लिअ जेना अहाँ अपने ओकरा संग जहल मे राखल होइ। जे सभ सताओल जाइत अछि तकरो सभ पर ध्यान दिअ कारण, अहूँ सभ ओकरे सभ जकाँ हाड़-माँसुक छी। 4 सभ केओ विवाह-बन्धन केँ आदरक दृष्टि सँ देखथि। वैवाहिक सम्बन्ध दुषित नहि कयल जाय कारण, जे अनैतिक सम्बन्ध रखैत अछि, चाहे ओ विवाहित होअय वा अविवाहित, परमेश्वर तकरा दण्ड देताह। 5 अहाँ सभ धनक लोभ सँ मुक्त रहू। जे किछु अहाँ लग अछि ताहि सँ सन्तुष्ट रहू, कारण परमेश्वर कहने छथि, “हम तोहर संग कहियो नहि छोड़बह 2 कहियो तोरा नहि त्यागबह।” 6 तेँ अपना सभ साहसक संग कहैत छी, “प्रभु हमर सहायता कयनिहार छथि, हम कोनो बात सँ नहि डेरायब। 2 मनुष्य हमरा करत की?” 7 अहाँ सभ अगुआ सभक ओहि पहिल समूहक स्मरण करू जे सभ अहाँ सभ केँ परमेश्वरक वचन सुनौलनि। हुनका सभक जीवन-शैली आ तकर परिणाम की भेल ताहि पर विचार करू। जाहि तरहेँ ओ सभ परमेश्वर पर भरोसा रखलनि, ताही तरहेँ अहूँ सभ हुनका पर भरोसा राखू। 8 यीशु मसीह काल्हि, आइ आ अनन्त काल तक एक समान छथि। 9 अनेक प्रकारक विचित्र शिक्षाक फेरी मे नहि पड़ू। नीक ई अछि जे अपना सभ अपन हृदय केँ परमेश्वरक कृपा सँ बलगर बनाबी, नहि कि खान-पान सम्बन्धी नियम सभ सँ, किएक तँ ओहन नियम मानऽ वला लोक सभ केँ कहियो ओहि सँ कोनो लाभ नहि होइत छैक। 10 अपना सभ केँ एक वेदी अछि जाहि पर एहन बलि चढ़ाओल गेल छथि जाहि मे भाग लेबाक अधिकार तकरा सभ केँ नहि छैक जे सभ एखनो मूसाक धर्म-नियम मानि मिलाप-मण्डप मे सेवा-काज करैत अछि। 11 महापुरोहित बलिपशु सभक खून पापक प्रायश्चित्तक लेल परमपवित्र स्थान मे लऽ जाइत छथि, मुदा ओहि पशु सभक लास बस्ती सँ बाहर जराओल जाइत अछि। 12 तहिना यीशु सेहो अपना खून द्वारा लोक सभ केँ पवित्र करबाक लेल नगरक छहरदेवाली सँ बाहरे दुःख भोगलनि। 13 तेँ अपनो सभ हुनका संग कयल गेल अपमान अपना पर स्वीकार कऽ कऽ हुनका लग, मानू बस्ती सँ बाहर, चली। 14 कारण, एहि पृथ्वी पर अपना सभक कोनो स्थायी नगर नहि अछि, बल्कि अपना सभ ओहि नगरक बाट तकैत छी जे भविष्य मे आबऽ वला अछि। 15 तेँ अपना सभ यीशुक माध्यम सँ परमेश्वर केँ स्तुति-बलिदान सदत चढ़बैत रही, अर्थात् मुँह सँ हुनकर नामक गुणगान रूपी चढ़ौना। 16 आ तकरा संग अहाँ सभ भलाइक काज कयनाइ आ अपन चीज-वस्तु सँ दोसराक सहायता कयनाइ नहि बिसरू, कारण एहन बलिदान सँ परमेश्वर प्रसन्न होइत छथि। 17 अहाँ सभ अपन अगुआ सभक आज्ञा मानू आ हुनका सभक अधीन मे रहू। कारण, अहाँ सभक लेल लेखा देबऽ पड़तनि से जानि हुनका सभ केँ दिन-राति अहाँ सभक आत्मिक कल्याणक चिन्ता रहैत छनि। हुनका सभक अधीन मे रहू, जाहि सँ ओ सभ अपन कर्तव्य आनन्दक संग पूरा कऽ सकथि, नहि कि दुःखक संग, किएक तँ ओहि सँ अहाँ सभ केँ कोनो लाभ नहि होइत। 18 हमरा सभक लेल प्रार्थना करैत रहू, कारण, हम सभ अपन मोन शुद्ध बुझैत छी। हम सभ हर बात मे वैह करऽ चाहैत छी जे सही अछि। 19 हम जल्दिए अहाँ सभक बीच फेर आबि सकी, ताहि लेल प्रार्थना करबाक लेल हम विशेष रूप सँ आग्रह करैत छी। 20 शान्ति देबऽ वला परमेश्वर अहाँ सभ केँ सभ प्रकारक नीक गुण सँ सम्पन्न करथि जाहि सँ अहाँ सभ हुनकर इच्छा पूरा कऽ सकियनि। ओ तँ वैह छथि जे भेँड़ा सभक ओहि महान् चरबाह केँ, अर्थात् अपना सभक प्रभु यीशु केँ, हुनकर बहाओल खूनक आधार पर मृत्यु सँ फेर जिऔलथिन और ओहि खून द्वारा अपना लोकक संग अनन्त कालीन विशेष सम्बन्ध स्थापित कयलनि। जाहि काज सँ हुनका प्रसन्नता भेटैत छनि तकरा ओ यीशु मसीहक माध्यम सँ अपना सभ मे सम्पन्न करथि। यीशु मसीहक गुणगान अनन्त काल धरि होनि! आमीन। 22 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ हमर एहि उपदेश पर धैर्यपूर्बक ध्यान दिअ, से हमर आग्रह अछि, कारण, हम अहाँ सभ केँ एक छोटेटा पत्र लिखलहुँ। 23 एकटा ई समाचार सुनबैत छी जे अपना सभक भाय तिमुथियुस केँ जहल सँ छोड़ि देल गेलनि। ओ जँ जल्दी एतऽ पहुँचताह तँ हम हुनका संग लऽ कऽ अहाँ सभ सँ भेँट करबाक लेल आयब। 24 अहाँ सभ अपन अगुआ लोकनि आ प्रभुक सभ लोक केँ हमरा सभक नमस्कार कहिऔन। इटली देशक भाय सभ सेहो अहाँ सभ केँ अपन नमस्कार पठबैत छथि। 25 अहाँ सभ गोटे पर परमेश्वरक कृपा बनल रहय। आमीन।
1 परमेश्वरक आ प्रभु यीशु मसीहक सेवक याकूबक दिस सँ विश्व मे छिड़िया कऽ रहि रहल बारहो कुलक लोक केँ नमस्कार! 2 यौ हमर भाइ लोकनि, अहाँ सभ पर जखन अनेक प्रकारक आपत्ति-विपत्ति आबय तँ ओकरा महा आनन्दक बात बुझू। 3 कारण, अहाँ सभ जनैत छी जे अहाँ सभक विश्वासक जाँच भेला सँ धैर्य उत्पन्न होइत अछि। 4 मुदा धैर्य केँ ओकर अपन काज पूरा करऽ दिऔक, जाहि सँ अहाँ सभ आत्मिक रूप सँ बच्चा नहि रहि कऽ सभ तरहेँ पूर्ण भऽ जाइ आ अहाँ सभ मे कोनो बातक कमी नहि रहय। 5 जँ अहाँ सभ मे सँ किनको बुद्धिक अभाव होअय तँ परमेश्वर सँ माँगू। परमेश्वर अहाँ केँ बुद्धि देताह। कारण, ओ बिनु डँटने खुशी सँ सभ केँ दैत छथि। 6 मुदा जखन मँगैत छी, तँ विश्वासपूर्बक माँगू। शंका नहि राखू, कारण, शंका रखनिहार व्यक्ति समुद्रक हिलकोर जकाँ अछि जकरा हवा उठबैत आ खसबैत रहैत छैक। 7 एहन व्यक्ति ई आशा नहि राखय जे परमेश्वर सँ ओकरा किछु भेटतैक, 8 कारण, एहन मनुष्य दूमतिया अछि। सभ बात मे ओ अपन मोन आगाँ-पाछाँ करैत रहैत अछि। 9 दीन-दुखी विश्वासी भाय अपन वास्तविक ऊँच स्थान पर गर्व करथि। 10 मुदा धनवान अपन नीच स्थान पर गर्व करथि, किएक तँ ओ घासक फूल जकाँ समाप्त भऽ जयताह। 11 सूर्यक उदय होइते रौद बढ़ि जाइत अछि और घास केँ सुखा दैत छैक। ओकर फूल झरि जाइत अछि और ओकर सुन्दरता नष्ट भऽ जाइत छैक। तहिना धनवान मनुष्य सेहो धनक लेल परिश्रम करिते-करिते समाप्त भऽ जायत। 12 धन्य अछि ओ मनुष्य जे आपत्ति-विपत्ति केँ धैर्यपूर्बक सामना करैत अछि, किएक तँ परीक्षा मे स्थिर रहला पर ओकरा ओ जीवन-मुकुट भेटतैक जे परमेश्वर अपना सँ प्रेम करऽ वला सभ केँ देबाक वचन देने छथि। 13 प्रलोभन मे पड़ल कोनो व्यक्ति ई नहि कहय जे, “परमेश्वर हमरा प्रलोभन मे राखि देने छथि,” कारण, परमेश्वर अधलाह बात सभ सँ ने तँ स्वयं प्रलोभन मे पड़ि सकैत छथि आ ने अनका ककरो प्रलोभन मे रखैत छथि, 14 बल्कि जे प्रलोभन मे पड़ैत अछि से अपने खराब अभिलाषा सँ खिचल आ फँसाओल जाइत अछि। 15 तखन अभिलाषाक गर्भ सँ पापक जन्म होइत अछि और पाप बढ़ि कऽ मृत्यु केँ उत्पन्न करैत अछि। 16 यौ हमर प्रिय भाइ सभ, धोखा नहि खाउ। 17 प्रत्येक नीक आ उत्तम दान जे अछि, से ऊपर सँ अबैत अछि। सूर्य, चन्द्रमा आ तारा सभक रचनिहार, पिता, जे छाया जकाँ नहि बदलैत छथि, तिनके सँ ई दान सभ भेटैत अछि। 18 ओ अपना सभ केँ सत्य वचन द्वारा नव जन्म देबाक निर्णय कयलनि, जाहि सँ हुनकर समस्त सृष्टि मे अपना सभ हुनकर सभ सँ श्रेष्ठ रचना होइयनि । 19 यौ हमर प्रिय भाइ सभ, अहाँ सभ एहि बात केँ जानि राखू जे प्रत्येक व्यक्ति केँ सुनबाक लेल तत्पर रहबाक चाही और बाजऽ आ क्रोध करऽ मे देरी करबाक चाही। 20 कारण, मनुष्यक क्रोध ओहि धार्मिक जीवन केँ उत्पन्न नहि करैत अछि जे परमेश्वर देखऽ चाहैत छथि। 21 तेँ सभ प्रकारक गन्दा आचार-व्यवहार आ सभ तरहक अधलाह बात केँ पूर्ण रूप मे अपना सँ दूर कऽ कऽ हृदय मे रोपल गेल परमेश्वरक ओहि वचन केँ नम्रतापूर्बक स्वीकार करू जे वचन अहाँ सभक उद्धार कऽ सकैत अछि। 22 अहाँ सभ वचनक पालन कयनिहार बनू, नहि कि मात्र सुननिहार। जँ सुननिहारे छी तँ अपना केँ धोखा दैत छी। 23 जे केओ वचन केँ सुनैत अछि मुदा तकर पालन नहि करैत अछि, से ओहन मनुष्य जकाँ अछि जे अपन मुँह अएना मे देखैत अछि, 24 तकरबाद चल जाइत अछि आ तुरत बिसरि जाइत अछि जे ओ छल केहन। 25 मुदा जे व्यक्ति परमेश्वरक ओ नियम जाहि मे कोनो त्रुटी नहि अछि और जे अपना सभ केँ स्वतन्त्र करैत अछि तकरा ध्यान सँ देखि ओहि मे बनल रहैत अछि, से व्यक्ति वचन सुनि कऽ बिसरऽ वला नहि, बल्कि तकर पालन करऽ वला बनैत अछि। एहन व्यक्ति अपन सभ काज मे आशिष पाओत। 26 जँ केओ अपना केँ धार्मिक बुझैत अछि मुदा अपन मुँह काबू मे नहि रखैत अछि तँ ओ अपना केँ धोखा दैत अछि और ओकर ओ धर्म बेकार छैक। 27 परमेश्वर पिताक दृष्टि मे शुद्ध आ असली धर्म यैह अछि—विपत्ति मे पड़ल अनाथ और विधवा सभक सहायता कयनाइ और अपना केँ संसारक अशुद्धता सँ बँचा कऽ रखनाइ।
1 यौ हमर भाइ लोकनि, जँ अपना सभक महिमामय प्रभु यीशु मसीह पर अहाँ सभक विश्वास अछि तँ ककरो संग पक्षपात नहि करू। 2 जँ अहाँ सभक आराधना सभा मे कोनो व्यक्ति सोनक औँठी आ किमती वस्त्र पहिरने आबय और एक गरीब व्यक्ति फाटल-पुरान वस्त्र पहिरने सेहो आबय, 3 और तखन अहाँ सभ ओहि किमती वस्त्र पहिरऽ वला पर विशेष ध्यान दैत कहिऐक जे, “अपने एहि नीक स्थान पर बैसल जाओ,” और ओहि गरीब केँ कहिऐक जे, “ओतऽ कात मे ठाढ़ भऽ जो,” वा “एतऽ हमरा पयर लग बैस,” 4 तँ की अहाँ सभ अपना बीच मे भेद-भावपूर्ण व्यवहार नहि कयलहुँ? की अहाँ सभ गलत विचारक अनुसार न्याय कयनिहार नहि ठहरलहुँ? 5 यौ हमर प्रिय भाइ सभ, सुनू! जे सभ संसारक दृष्टि सँ गरीब अछि, की तकरा सभ केँ परमेश्वर विश्वास मे धनिक होयबाक लेल आ ओहि राज्यक उत्तराधिकारी होयबाक लेल नहि चुनलथिन जे राज्य ओ अपन प्रेम कयनिहार सभ केँ देबाक वचन देने छथि? 6 मुदा अहाँ सभ तँ ओहि गरीब लोकक अपमान कऽ देलिऐक। की धनिके लोक सभ अहाँ सभक शोषण नहि करैत अछि, आ अहाँ सभ केँ अदालत मे घिसिअबैत नहि लऽ जाइत अछि? 7 वा, की यैह लोक सभ प्रभु यीशुक सर्वश्रेष्ठ नामक बदनामी नहि करैत अछि, जिनकर लोक अहाँ सभ छी? 8 धर्मशास्त्र कहैत अछि, “अपन पड़ोसी सँ अपने जकाँ प्रेम करह।” जँ अहाँ सभ वास्तव मे एहि राजकीय नियमक पालन करैत छी तँ ठीक करैत छी। 9 मुदा जँ अहाँ सभ पक्षपात करैत छी तँ पाप कऽ रहल छी आ धर्म-नियम अहाँ सभ केँ अपराधी ठहरबैत अछि। 10 कारण, जँ केओ सम्पूर्ण धर्म-नियमक पालन करैत अछि और एकोटा बात मे चुकि जाइत अछि तँ ओ धर्म-नियमक सभ बात मे दोषी ठहरैत अछि। 11 किएक तँ जे ई कहलनि, “परस्त्रीगमन नहि करह,” सैह इहो कहलनि जे, “हत्या नहि करह,” तेँ जँ अहाँ परस्त्रीगमन तँ नहि कयलहुँ मुदा हत्या कयलहुँ तँ अहाँ धर्म-नियमक उल्लंघन कयनिहार ठहरैत छी। 12 एहि लेल अहाँ सभक बात-चीत आ व्यवहार एहन लोक सभक जकाँ होअय जकर सभक न्याय ओहि नियमक अनुसार होयतैक जे स्वतन्त्र करैत अछि। 13 कारण, जे केओ दया नहि देखबैत अछि तकरो न्याय बिनु दये देखौने कयल जयतैक। दया न्याय पर विजयी होइत अछि। 14 यौ हमर भाइ लोकनि, केओ जँ कहैत अछि जे, “हम विश्वास करैत छी,” मुदा ओ ताहि अनुरूप काज नहि करैत अछि तँ ओहि सँ ओकरा लाभ की होयतैक? की एहन विश्वास ओकर उद्धार कऽ सकैत छैक? 15 जँ कोनो भाय वा कोनो बहिन केँ पहिरबाक लेल वस्त्र नहि छैक आ खयबाक लेल भोजनक वस्तु नहि छैक, 16 आ तकरा अहाँ सभ मे सँ केओ कहैत छिऐक जे, “कुशलपूर्बक जाउ, आराम सँ पहिरू-ओढू आ भरि पेट भोजन करू,” मुदा ओकरा जे शरीरक लेल आवश्यक छैक तकर पूर्ति जँ नहि करैत छिऐक तँ ओहि सँ लाभ की? 17 एहि तरहेँ विश्वास सेहो, जँ मात्र विश्वासे अछि आ तकरा संग काज नहि अछि तँ निर्जीव अछि। 18 मुदा एहन व्यक्ति केँ केओ कहि सकैत छैक जे, “अहाँ विश्वास करैत छी आ हम काज करैत छी; आब अहाँ अपन विश्वास बिनु काज सभक द्वारा देखाउ आ हम अपन काज सभक द्वारा देखायब जे हमरा विश्वासो अछि।” 19 अहाँक विश्वास अछि जे परमेश्वर एकेटा छथि। बड्ड बढ़ियाँ! दुष्टात्मा सभ सेहो यैह बात विश्वास करैत अछि आ थर-थर कँपैत अछि। 20 यौ मूर्ख, की अहाँ एहि बात केँ मानबाक लेल तैयार नहि छी जे बिनु काजक विश्वास बेकार अछि? 21 अपना सभक पूर्वज अब्राहम जहिया परमेश्वरक आज्ञा मानि अपन पुत्र इसहाक केँ परमेश्वर केँ चढ़यबाक लेल वेदी पर राखि देलनि, तहिया की ओ एहि काजेक द्वारा धार्मिक नहि ठहराओल गेलाह? 22 की देखाइ नहि दैत अछि जे विश्वास हुनका काज मे क्रियाशील छलनि आ काजेक द्वारा हुनकर विश्वास पूर्ण भेलनि? 23 और धर्मशास्त्रक ई लेख पूरा भेल जे, “अब्राहम परमेश्वरक बातक विश्वास कयलनि और ई विश्वास हुनका लेल धार्मिकता मानल गेलनि।” और ओ परमेश्वरक मित्र कहाओल गेलाह। 24 देखैत छी ने, मनुष्य मात्र विश्वासे सँ नहि, बल्कि काज सँ धार्मिक ठहराओल जाइत अछि। 25 तहिना की वेश्या राहाब सेहो अपन काजेक द्वारा धार्मिक नहि ठहराओल गेलि जखन ओ जासूस सभ केँ अपना घर मे सत्कारक संग रखलकैक आ दोसर बाट सँ पठा देलकैक? 26 तेँ जहिना शरीर आत्माक बिना निर्जीव अछि ठीक तहिना विश्वास सेहो काजक बिना निर्जीव अछि।
1 यौ हमर भाइ लोकनि, अहाँ सभ मे सँ बहुत केओ शिक्षक बनबाक लेल उत्सुक नहि होउ। अहाँ सभ ई बात निश्चय जानि लिअ जे, हम सभ जे शिक्षक छी, तकरा सभक न्याय आरो कठोरताक संग कयल जायत। 2 अपना सभ गोटे सँ कतेको बेर गलती होइत अछि। जँ केओ कहियो गलत बात नहि बजैत अछि, तँ ओ सिद्ध मनुष्य अछि आ ओ अपन सम्पूर्ण शरीर पर नियन्त्रण राखि सकैत अछि। 3 अपना सभ घोड़ा सभ केँ अपना वश मे करबाक लेल जँ ओकरा मुँह मे लगाम लगा दिऐक तँ ओकरा जेम्हर चाही तेम्हर घुमा-फिरा सकैत छी। 4 वा पानि जहाज केँ देखू—ओ कतेक पैघ होइत अछि और तेज हवाक बहाव सँ चलाओल जाइत अछि, तैयो एक छोट पतवार द्वारा नाविक ओकरा अपन इच्छाक अनुसार जेम्हर मोन होइत छैक तेम्हर मोड़ि लैत अछि। 5 तहिना जीह शरीरक एक छोटे अंग अछि, मुदा बात बहुत पैघ-पैघ बजैत घमण्ड करैत अछि। सोचू, नान्हिएटा आगिक लुत्ती कतेकटा वन मे आगि लगा दैत अछि। 6 जीह सेहो एक आगि अछि। अपना सभक शरीरक अंग सभ मे जीहे मे अधर्मक एक विशाल संसार भरल अछि। ई सम्पूर्ण शरीर केँ दुषित कऽ दैत अछि, आ नरकक आगि सँ पजरि कऽ अपना सभक सम्पूर्ण जीवनक गति मे आगि लगा दैत अछि। 7 सभ प्रकारक पशु-पक्षी, जमीन मे ससरऽ वला जीव-जन्तु, जल मे पाओल जाय वला जीव—सभ केँ मनुष्य द्वारा वश मे कयल जा सकैत अछि आ कयलो गेल अछि। 8 मुदा जीह केँ केओ वश मे नहि कऽ सकैत अछि। ई एक एहन अधलाह वस्तु अछि जे कखनो स्थिर नहि रहैत अछि। प्राण-घातक विष एकरा मे भरल छैक। 9 अपना सभ जीह द्वारा अपन प्रभु आ पिताक प्रशंसा करैत छियनि आ एही जीह द्वारा परमेश्वरक स्वरूप मे रचना कयल मनुष्य केँ सराप दैत छिऐक। 10 एके मुँह सँ प्रशंसा आ सराप दूनू निकलैत अछि। यौ हमर भाइ लोकनि, एना तँ होयबाक नहि चाही। 11 की पानिक झड़नाक एके मुँह सँ मिठाह पानि आ तिताह पानि, दूनू बहराइत अछि? 12 यौ हमर भाइ लोकनि, की अंजीरक गाछ पर जैतून फड़ि सकैत अछि वा अंगूरक लत्ती मे अंजीर? तहिना नूनियाह झड़नाक मुँह बाटे मिठाह पानि सेहो नहि बहरा सकैत अछि। 13 अहाँ सभ मे बुद्धिमान और ज्ञानी के छी? जे केओ एहन होइ से अपन नीक आचरण द्वारा और ओ विनम्रता जे बुद्धि सँ उत्पन्न होइत अछि ताहि विनम्रता सँ कयल अपन काज द्वारा अपन बुद्धि केँ प्रमाणित करू। 14 मुदा जँ अहाँ सभक हृदय कटुता, जरनि आ स्वार्थ सँ भरल होअय तँ अपन बुद्धि पर घमण्ड नहि करू। एना सत्य केँ झूठ सँ नहि झाँपू। 15 एहन “बुद्धि” ऊपर सँ नहि अबैत अछि, बल्कि संसार सँ, मानवीय स्वभाव सँ आ शैतान सँ अबैत अछि। 16 किएक तँ जतऽ डाह और स्वार्थ अछि ततऽ अशान्ति और सभ प्रकारक दुष्ट काज सभ होइत अछि। 17 मुदा जे बुद्धि ऊपर सँ अबैत अछि से सभ सँ पहिने पवित्र होइत अछि, तकरबाद ओ शान्तिप्रिय, नम्र, विचारशील, आ करुणा सँ भरल अछि आ नीक काज द्वारा प्रगट होइत अछि। ओहि मे कोनो पक्षपात वला बात वा छल-कपट नहि रहैत अछि। 18 शान्तिक बीया जे मेल-मिलाप करौनिहार व्यक्ति सभ बाउग करैत अछि, ताहि बीया सँ धार्मिक आचरण उपजैत अछि।
1 अहाँ सभक बीच होमऽ वला लड़ाइ-झगड़ा सभक कारण की अछि? की एकर कारण ओ भोग-विलासक अभिलाषा सभ नहि अछि जे अहाँ सभक भीतर मे संघर्ष करैत रहैत अछि? 2 अहाँ सभ कोनो बातक इच्छा करैत छी मुदा ओ पूरा नहि होइत अछि, तखन अहाँ सभ हत्या करैत छी। अहाँ सभ डाह करैत छी, मुदा अहाँ सभक लालसा पूरा नहि होइत अछि तँ लड़ैत-झगड़ैत छी। अहाँ सभ केँ एहि लेल नहि भेटैत अछि जे अहाँ सभ परमेश्वर सँ मँगैत नहि छियनि। 3 और जखन अहाँ सभ मँगितो छी तखन एहि लेल नहि भेटैत अछि जे अहाँ सभ गलत उद्देश्य सँ मँगैत छी जे, जे किछु भेटत तकरा द्वारा भोग-विलासक अभिलाषा सभ केँ तृप्त करी। 4 यौ बइमान लोक सभ, अहाँ सभ परमेश्वरक संग विश्वासघात कऽ रहल छी! की अहाँ सभ नहि जनैत छी जे संसार सँ दोस्ती कयनाइ परमेश्वर सँ दुश्मनी कयनाइ अछि? तेँ जे केओ संसारक दोस्त बनऽ चाहैत अछि से अपना केँ परमेश्वरक शत्रु बना लैत अछि। 5 वा की अहाँ सभक विचार मे धर्मशास्त्रक ई कथन निरर्थक अछि जे, परमेश्वर जाहि आत्मा केँ अपना सभ मे वास करौलनि तकरा ओ अपने लेल चाहैत छथि ? 6 नहि, ओ निरर्थक बात नहि अछि आ तेँ ओ प्रशस्त मात्रा मे कृपा कऽ कऽ अपना सभक सहायता करैत छथि। एहि कारणेँ धर्मशास्त्रक कथन अछि जे, “परमेश्वर घमण्डी सभक विरोध करैत छथि, 2 मुदा नम्र लोक सभ पर कृपा करैत छथि।” 7 तेँ अहाँ सभ परमेश्वरक अधीन होउ। शैतानक आक्रमण केँ सामना करिऔक तँ ओ अहाँ सभ लग सँ पड़ायत। 8 परमेश्वरक लग मे आउ तँ ओहो अहाँ सभक लग मे आबि जयताह। यौ पापी लोक सभ, अपन हाथ शुद्ध करू। यौ दूमतिया लोक सभ, अपन हृदय पवित्र करू। 9 शोक मनाउ, कानू आ विलाप करू। अपन हँसी केँ शोक मे आ अपन आनन्द केँ उदासी मे बदलि लिअ। 10 प्रभुक समक्ष विनम्र बनू और ओ अहाँ सभ केँ सम्मानित करताह। 11 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ एक-दोसराक निन्दा नहि करू। जे केओ अपन भायक निन्दा करैत अछि वा अपना भाय पर दोष लगबैत अछि से धर्म-नियमक निन्दा करैत अछि और धर्म-नियम पर दोष लगबैत अछि। जँ अहाँ धर्म-नियम पर दोष लगबैत छी तँ अहाँ ओकर पालन कयनिहार नहि, बल्कि ओकर न्याय कयनिहार भऽ गेलहुँ। 12 धर्म-नियम देबऽ वला और न्याय करऽ वला तँ एकेटा छथि जिनका उद्धार करबाक अथवा नाश करबाक सामर्थ्य छनि। तखन फेर अहाँ के छी जे अपन पड़ोसीक न्याय करैत छी? 13 अहाँ सभ जे कहैत छी जे, “आइ वा काल्हि हम सभ फलना शहर जायब, ओतऽ एक वर्ष रहब आ व्यापार कऽ कऽ धन कमायब,” से सुनू हमर बात। 14 काल्हि की होयत से अहाँ सभ नहि जनैत छी। अहाँ सभक जीवन अछिए कतेक? अहाँ सभ मेघक धुइन छी जे कनेक काल देखाइ दैत अछि आ फेर लुप्त भऽ जाइत अछि। 15 अहाँ सभ केँ एकर बदला मे तँ ई कहबाक चाही जे, “जँ प्रभुक इच्छा होनि तँ हम सभ जीवित रहब आ ई वा ओ काज करब।” 16 मुदा ई केहन बात भेल जे अहाँ सभ अपन अहंकार सँ नियारल बात सभ पर घमण्ड करैत छी? एहन सभ घमण्ड कयनाइ अधलाह बात अछि। 17 एहि लेल, जे केओ ई जनैत अछि जे की कयनाइ उचित होइत मुदा करैत नहि अछि से पाप करैत अछि।
1 यौ धनिक लोक सभ, हमर बात सुनू। अहाँ सभ चिचिआ-चिचिआ कऽ विलाप करू किएक तँ अहाँ सभ पर विपत्ति सभ आबऽ वला अछि। 2 अहाँ सभक धन मे घून लागि गेल अछि, अहाँ सभक कपड़ा केँ कीड़ा खा लेने अछि। 3 अहाँ सभक सोन-चानी मे बीझ लागि गेल अछि। यैह बीझ अहाँ सभक विरोध मे गवाही देत और आगि जकाँ अहाँ सभक शरीर केँ खा जायत। युगक अन्तक समय अछि आ अहाँ सभ धनक ढेर लगा लेने छी। 4 देखू, जऽन-बोनिहार सभ अहाँ सभक खेतक फसिल कटलक आ अहाँ सभ ओकर बोनि नहि देलिऐक। ओ बोनि अहाँ सभक विरोध मे चिचिया रहल अछि और जऽन-बोनिहार सभक कानब सर्वशक्तिमान परमेश्वरक कान तक पहुँचि गेल अछि। 5 अहाँ सभ पृथ्वी पर सुख आ भोग-विलासक जीवन व्यतीत कयलहुँ और अपना केँ वध होयबाक दिनक लेल पोसि कऽ हृष्टपुष्ट कऽ लेने छी। 6 अहाँ सभ निर्दोष सभ केँ दोषी ठहरा-ठहरा कऽ मारि देलिऐक जखन कि ओ सभ अहाँ सभक कोनो विरोध नहि कयने छल। 7 एहि लेल यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ प्रभुक अयबाक समय धरि धैर्य राखू। देखू, गृहस्थ कोना जमीन सँ बहुमूल्य उपजनिक आशा मे पहिल और अन्तिम वर्षाक लेल धैर्य रखने रहैत अछि। 8 तहिना अहूँ सभ धैर्य राखू, हिम्मत नहि हारू, कारण, प्रभुक अयबाक समय लग आबि गेल अछि। 9 यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ एक-दोसर पर नहि कुड़बुड़ाउ जाहि सँ अहाँ सभ पर दोष नहि लगाओल जाय। देखू, न्याय कयनिहार घरक मुँहे पर ठाढ़ छथि! 10 यौ भाइ लोकनि, कष्टक समय मे धैर्य रखबाक उदाहरणक लेल परमेश्वरक प्रवक्ता सभ केँ देखू जे सभ परमेश्वरक नाम सँ बाजल छलाह। 11 स्मरण राखू जे, जे सभ कष्ट सहि कऽ स्थिर बनल रहलाह, तिनका सभ केँ अपना सभ धन्य कहैत छियनि। अहाँ सभ अय्यूबक धैर्यक बारे मे सुनने छी और अहाँ सभ केँ इहो बुझल अछि जे प्रभु अन्त मे हुनका लेल की कयलनि। प्रभु तँ बड्ड करुणामय आ दयालु छथि। 12 यौ भाइ लोकनि, सभ सँ पैघ बात ई जे अहाँ सभ सपत नहि खाउ, ने स्वर्गक नाम लऽ कऽ, ने पृथ्वीक आ ने कोनो आन वस्तुक, बल्कि अहाँ सभक “हँ” वास्तव मे “हँ” और “नहि” वास्तव मे “नहि” होअय, जाहि सँ अहाँ सभ दण्ड पयबा जोगरक नहि ठहरी। 13 की अहाँ सभ मे सँ केओ कष्ट मे अछि? तँ ओ प्रार्थना करओ। की केओ आनन्दित अछि? तँ ओ स्तुतिक गीत गाबओ। 14 की अहाँ सभ मे केओ बिमार अछि? तँ ओ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार लोकनि केँ बजबनि और ओ सभ प्रभुक नाम सँ ओकरा पर तेल लगा कऽ ओकरा लेल प्रार्थना करथि। 15 विश्वासपूर्ण प्रार्थना बिमारी केँ स्वस्थ कऽ देतैक और प्रभु ओकरा ठीक कऽ देथिन। जँ ओ कोनो पाप कयने होअय तँ ओकर ओ पापो क्षमा कऽ देल जयतैक। 16 तेँ अहाँ सभ एक-दोसराक सम्मुख अपन-अपन पाप मानि लिअ और एक-दोसराक लेल प्रार्थना करू जाहि सँ अहाँ सभ स्वस्थ कयल जाइ। धार्मिक लोकक प्रार्थना सँ बहुत प्रभावशाली परिणाम होइत अछि। 17 एलियाह सेहो अपना सभ जकाँ मनुष्ये छलाह। ओ वर्षा नहि होयबाक लेल पूरा मोन सँ प्रार्थना कयलनि और साढ़े तीन वर्ष तक वर्षा नहि भेल। 18 तखन ओ फेर प्रार्थना कयलनि और आकाश सँ वर्षा भेल आ जमीन सँ फसिलक उपजनि भेल। 19 यौ भाइ लोकनि, जँ अहाँ सभ मे सँ केओ सत्यक बाट सँ भटकि जाय और केओ दोसर ओकरा घुमा कऽ लऽ अनैक, 20 तँ ओ ई जानि लओ जे, जे केओ एक पापी केँ ओकर कुमार्ग सँ घुमा अनैत अछि, से ओकरा नाश होमऽ सँ बचबैत अछि आ ओकर असंख्य पाप क्षमा भऽ जयबाक कारण बनैत अछि।
1 हम पत्रुस, जे यीशु मसीहक एक मसीह-दूत छी, ई पत्र अहाँ सभ परमेश्वरक चुनल लोक सभ केँ लिखि रहल छी, जे सभ पुन्तुस, गलातिया, कप्पदुकिया, आसिया आ बितूनिया प्रदेश सभ मे छिड़िया कऽ रहि रहल छी आ संसार मे परदेशी छी। 2 अहाँ सभ पिता परमेश्वरक पूर्वज्ञानक अनुसार पहिनहि सँ चुनल गेल छी। परमेश्वर अहाँ सभ केँ एहि अभिप्राय सँ चुनने छथि जे अहाँ सभ हुनकर पवित्र आत्मा द्वारा पवित्र कयल जाइ, यीशु मसीहक आज्ञाक पालन करी आ हुनकर खून सँ शुद्ध कयल जाइ। प्रशस्त मात्रा मे अहाँ सभ पर कृपा कयल जाय आ अहाँ सभ केँ शान्ति भेटय। 3 अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक जे परमेश्वर आ पिता छथि, तिनकर स्तुति होनि! ओ अपन अपार दया सँ अपना सभ केँ नव जन्म देने छथि जाहि सँ अपना सभ यीशु मसीहक मृत्यु मे सँ जीबि उठबाक द्वारा एक जीवन्त आशा प्राप्त करी। 4 परमेश्वर अहाँ सभ केँ ओहि धनक उत्तराधिकारी बना देने छथि जे कहियो नष्ट, दुषित वा पुरान नहि होयत, जे अहाँ सभक लेल स्वर्ग मे सुरक्षित राखल अछि। 5 अहाँ सभक विश्वासक माध्यम सँ परमेश्वरक सामर्थ्य अहाँ सभ केँ ओहि उद्धारक लेल सुरक्षित राखि रहल अछि जे समयक अन्त मे प्रगट होमऽ वला अछि। 6 ई अहाँ सभक लेल बड़का आनन्दक विषय अछि, ओना तँ भऽ सकैत अछि जे एखन किछु समयक लेल अहाँ सभ अनेक प्रकारक कष्ट मे पड़ि कऽ दुखी होइ। 7 ई कष्ट सभ एहि लेल अबैत अछि जाहि सँ अहाँ सभक विश्वास परीक्षा द्वारा असली प्रमाणित होअय। सोन, नष्ट होमऽ वला होइतो, आगि मे तपा कऽ शुद्ध कयल जाइत अछि, आ अहाँ सभक विश्वास तँ सोन सँ कतेक मूल्यवान अछि। तहिना अहाँ सभक विश्वास असली प्रमाणित भऽ कऽ यीशु मसीह जहिया फेर औताह, तहिया प्रशंसा, सम्मान आ आदरक कारण होयत। 8 अहाँ सभ यीशु मसीह केँ नहि देखने छिऐन, तैयो अहाँ सभ हुनका सँ प्रेम करैत छी। अहाँ सभ हुनका एखनो नहि देखैत छी, तैयो हुनका पर विश्वास करैत छी आ एहन अद्भुत आनन्द सँ आनन्दित छी जकर वर्णन नहि कयल जा सकैत अछि। 9 कारण, अहाँ सभ अपन विश्वासक परिणाम प्राप्त कऽ रहल छी, अर्थात्, अपन आत्माक उद्धार। 10 एही उद्धारक विषय मे परमेश्वरक प्रवक्ता सभ प्राचीन काल मे सावधानीपूर्बक खोजबीन आ जाँच-पड़ताल कयलनि। ओ सभ अहाँ सभ पर कयल जाय वला कृपाक बारे मे भविष्यवाणी कयलनि। 11 हुनका सभ मे जे मसीहक आत्मा रहैत छलाह से मसीहक दुःख-भोग आ तकरबाद होमऽ वला महिमाक बात सभक भविष्यवाणी कयलनि, आ ओ सभ ई जानऽ चाहैत छलाह जे एहि भविष्यवाणी सभ द्वारा मसीहक आत्मा कोन समय आ कोन परिस्थितिक दिस संकेत कऽ रहल छथि। 12 तखन हुनका सभ केँ ई स्पष्ट कयल गेलनि जे, जाहि बात सभक भविष्यवाणी ओ सभ सुना रहल छलाह, से हुनका सभक अपन हितक लेल नहि, बल्कि अहाँ सभक हितक लेल अछि। कारण, ओ सभ जाहि बात सभक भविष्यवाणी कयलनि, सैह बात सभ आब अहाँ सभ केँ सुनाओल गेल अछि। ओ अहाँ सभ केँ तिनका सभ द्वारा सुनाओल गेल जे सभ स्वर्ग सँ पठाओल पवित्र आत्माक प्रेरणा सँ अहाँ सभक बीच शुभ समाचारक प्रचार कयलनि। ई बात सभ बुझबाक लेल स्वर्गदूतो सभ लालायित रहैत छथि। 13 एहि लेल अहाँ सभ अपन बुद्धि केँ काज करबाक लेल तैयार करू। अपना पर नियन्त्रण राखू आ पूर्ण रूप सँ अपन आशा ओहि कृपा पर रखने रहू जे यीशु मसीह केँ फेर अयला पर अहाँ सभ पर कयल जायत। 14 अहाँ सभ आज्ञाकारी धिआ-पुता जकाँ अपन आचरण राखू, नहि कि पहिने जकाँ, जखन अहाँ सभ अज्ञानी छलहुँ आ अपन अधलाह इच्छा सभक अनुसार आचरण करैत छलहुँ। 15 परमेश्वर, जे अहाँ सभ केँ बजौने छथि, से पवित्र छथि। तहिना अहूँ सभ अपन सम्पूर्ण आचरण-व्यवहार मे पवित्र बनू। 16 कारण, ओ धर्मशास्त्र मे कहैत छथि जे, “अहाँ सभ पवित्र बनू, किएक तँ हम पवित्र छी।” 17 जँ अहाँ सभ तिनका सँ “पिता” कहि कऽ प्रार्थना करैत छियनि, जे बिनु पक्षपात कयने प्रत्येक मनुष्यक ओकर काजक अनुसार न्याय करैत छथि, तँ जाबत धरि अहाँ सभ एहि संसार मे परदेशी भऽ कऽ रहैत छी ताबत धरि हुनका पर श्रद्धा रखैत अपन जीवन व्यतीत करू। 18 अहाँ सभ तँ जनैत छी जे ओहि बेकारक जीवन-चर्या सँ जे अहाँ सभ केँ अपना पूर्वज सभ सँ प्राप्त भेल, ताहि सँ अहाँ सभ केँ मुक्त करबाक लेल एकटा दाम चुकाओल गेल, मुदा से दाम सोन-चानी जकाँ नष्ट होमऽ वला वस्तु सभ नहि छल, 19 बल्कि निर्दोष आ निष्कलंक बलि-भेँड़ाक बहुमूल्य खून, अर्थात् मसीहक बहाओल खून, छल। 20 मसीह संसारक सृष्टि सँ पहिनहि चुनल गेल छलाह, मुदा अहाँ सभक हितक लेल एहि अन्तिमे समय मे प्रगट कयल गेलाह। 21 हुनके द्वारा अहाँ सभ परमेश्वर पर विश्वास कयलहुँ, जे हुनका मृत्यु सँ जिऔलथिन आ महिमा प्रदान कयलथिन। आब अहाँ सभक विश्वास आ भरोसा परमेश्वर पर टिकल अछि। 22 आब अहाँ सभ जँ आज्ञाकारी बनि सत्य केँ स्वीकार कऽ कऽ अपन आत्मा केँ पवित्र कऽ लेने छी, जाहि सँ अपना भाय सभक लेल निष्कपट प्रेम-भाव रखैत छी, तँ एक-दोसर सँ पूरा मोन सँ प्रेम करैत रहबाक लक्ष्य बनाउ। 23 कारण, अहाँ सभ दोहरा कऽ जन्म लेने छी, आ अहाँ सभक ई नव जन्म नाश होमऽ वला बीया सँ नहि, बल्कि ओहन बीया सँ भेल अछि जे कहियो नाश नहि होयत—ई परमेश्वरक जीवित और अटल वचन द्वारा भेल अछि। 24 किएक तँ लिखल अछि जे, “सभ मनुष्य घास जकाँ अछि, और ओकरा सभक सम्पूर्ण सुन्दरता घासक फूल जकाँ छैक। घास सुखि जाइत अछि, आ फूल झरैत अछि, 25 मुदा प्रभुक वचन युगानुयुग स्थिर रहैत अछि।” और ई वचन ओ शुभ समाचार अछि जे अहाँ सभ केँ सुनाओल गेल अछि।
1 एहि लेल अहाँ सभ हर तरहक दुष्ट भावना, सभ प्रकारक छल-कपट, पाखण्ड, डाह आ निन्दा केँ छोड़ू। 2 अहाँ सभ तँ प्रभुक कृपाक स्वाद चिखि लेने छी, आब नव जन्मल बच्चा सभ जकाँ शुद्ध आत्मिक दूधक लेल लालायित रहू, जाहि सँ ओहि द्वारा अपन उद्धार मे पुष्ट भऽ सकब। 4 मसीह ओ जीवित पाथर छथि, जिनका लोक बेकार बुझि कऽ छाँटि देलकनि मुदा जे परमेश्वर द्वारा चुनल गेलाह आ हुनकर दृष्टि मे बहुमूल्य छथि। आब हुनका लग आबि कऽ 5 अहूँ सभ जीवित पाथर सभ जकाँ एक आत्मिक भवन बनैत जा रहल छी, जाहि सँ पुरोहितक एक पवित्र समाज बनि एहन आत्मिक बलिदान चढ़ा सकी जे यीशु मसीह द्वारा परमेश्वर केँ ग्रहणयोग्य होनि। 6 किएक तँ धर्मशास्त्र मे लिखल अछि जे, परमेश्वर कहैत छथि, “देखू, हम सियोन मे एक चुनल पाथर 2 राखि रहल छी, 2 हँ, भवनक कोन्ह परक एक बहुमूल्य पाथर, और जे केओ हुनका पर भरोसा रखैत अछि, 2 तकरा कहियो लज्जित नहि होमऽ पड़तैक।” 7 अहाँ सभक लेल, जे सभ विश्वास करैत छी, ई पाथर बहुमूल्य छथि। मुदा जे सभ विश्वास नहि करैत अछि, तकरा सभक लेल ई पाथर तेना छथि जेना धर्मशास्त्र मे लिखल अछि, “जाहि पाथर केँ राजमिस्तिरी सभ बेकार बुझि कऽ फेकि देने छल, 2 वैह भवनक सभ सँ मुख्य पाथर बनि गेल।” 8 और, “ओहन पाथर जाहि मे लोक केँ ठेस लगतैक, 2 आ ओहन चट्टान, जाहि पर लोक खसत।” ओ सभ एहि कारणेँ खसैत अछि जे ओ सभ प्रभुक वचन केँ नहि मानैत अछि, आ प्रभुक वचन केँ नहि मानऽ वला सभक लेल यैह ठहराओल गेल छैक। 9 मुदा अहाँ सभ परमेश्वरक चुनल वंश, राज-पुरोहितक समाज, पवित्र राष्ट्र आ परमेश्वरक अपन निज प्रजा छी, जाहि सँ अहाँ सभ तिनकर महान् गुण सभक बखान करियनि जे अहाँ सभ केँ अन्हार मे सँ निकालि कऽ अपन अद्भुत इजोत मे बजा अनने छथि। 10 पहिने अहाँ सभ “प्रजा” नहि छलहुँ, मुदा आब अहाँ सभ परमेश्वरक प्रजा छी। पहिने अहाँ सभ पर दया नहि कयल गेल छल, मुदा आब अहाँ सभ परमेश्वरक दया प्राप्त कयने छी। 11 यौ प्रिय भाइ लोकनि, हम अहाँ सभ सँ आग्रह करैत छी जे अहाँ सभ अपना केँ एहि संसार मे परदेशी आ यात्री बुझि कऽ मनुष्य-स्वभावक पापमय इच्छा सभ केँ अपना सँ दूर राखू। ओ इच्छा सभ अहाँ सभक आत्माक विरोध मे युद्ध करैत अछि। 12 अविश्वासी सभक बीच अपन चालि-चलन केँ एतेक नीक बना कऽ राखू जे, जे सभ एखन अहाँ सभ केँ अधलाह काज करऽ वला कहि कऽ निन्दा करैत अछि, से सभ अहाँ सभक नीक काज सभ देखि कऽ न्यायक दिन मे परमेश्वरक स्तुति करनि। 13 मनुष्यक बीच नियुक्त कयल प्रत्येक शासन करऽ वलाक अधीनता स्वीकार करू, किएक तँ प्रभु अहाँ सभ सँ यैह चाहैत छथि—चाहे ओ अधीनता राजाक होअय, जिनका लग सभ सँ पैघ अधिकार छनि, 14 अथवा राज्यपाल सभक होअय, जे सभ अपराध करऽ वला सभ केँ दण्ड देबाक लेल आ नीक काज करऽ वला सभक प्रशंसा करबाक लेल राजा द्वारा नियुक्त कयल जाइत छथि। 15 कारण, परमेश्वरक इच्छा छनि जे अहाँ सभ अपन नीक काज द्वारा अनर्गल बात सभ बजनिहार मूर्ख लोक सभक मुँह बन्द कऽ दी। 16 अहाँ सभ स्वतन्त्र लोक सभ जकाँ आचरण करू, मुदा स्वतन्त्रताक अऽढ़ मे अधलाह काज नहि करू, बल्कि परमेश्वरक दास सभ जकाँ आचरण करबाक लेल अपन स्वतन्त्रताक उपयोग करू। 17 सभ मनुष्यक आदर करू, विश्वासी भाय सभ सँ प्रेम राखू, परमेश्वरक भय मानू, आ राजाक सम्मान करू। 18 हे दास सभ, आदरपूर्बक अपन मालिक सभक अधीन रहू, मात्र तिनका सभक अधीन नहि, जे सभ दयालु आ नम्र छथि, बल्कि तिनको सभक, जे सभ कठोर छथि। 19 किएक तँ जँ केओ ई बात मोन मे रखने रहैत अछि जे, हमरा परमेश्वरक इच्छाक अनुसार अपन जीवन व्यतीत करबाक अछि, आ तखन दुःख उठबैत अन्याय केँ धैर्यपूर्बक सहैत अछि, तँ से प्रशंसा वला बात अछि। 20 मुदा जँ अहाँ सभ अपराध करबाक कारणेँ मारि खाइत छी, आ तखन धैर्यपूर्बक तकरा सहैत छी, तँ एहि मे प्रशंसाक कोन बात भेल? मुदा उचित काज करबाक कारणेँ जँ कष्ट सहैत छी आ धैर्य रखैत छी, तँ एहि सँ परमेश्वर प्रसन्न होइत छथि। 21 नीक काज करबाक कारणेँ कष्ट सहबाक लेल अहाँ सभ बजाओलो गेल छी, किएक तँ मसीह सेहो अहाँ सभक लेल दुःख सहि कऽ एक उदाहरण छोड़ि गेलाह, जाहि सँ अहाँ सभ हुनका पद-चिन्ह सभ पर चलियनि। 22 “ओ कोनो पाप नहि कयलनि, 2 आ ने हुनका मुँह सँ कोनो छल-कपटक बात निकलल।” 23 जखन हुनका अपशब्द कहल गेलनि, तँ ओ उत्तर मे अपशब्द नहि बजलाह। जखन ओ सताओल गेलाह, तँ ओ धमकी नहि देलथिन, बल्कि अपना केँ तिनका इच्छा पर छोड़ि देलनि जे उचित न्यायक अनुसार न्याय करैत छथि। 24 ओ क्रूस पर स्वयं अपने देह मे अपना सभक पाप सभ केँ लऽ लेलनि जाहि सँ अपना सभ पापक लेखेँ मरी आ धार्मिकताक लेल जीवन व्यतीत करी, किएक तँ हुनका घायल भेला सँ अहाँ सभ स्वस्थ भेल छी। 25 अहाँ सभ भटकल भेँड़ा सभ जकाँ छलहुँ, मुदा आब अपन आत्माक चरबाह आ रक्षक लग घूमि आयल छी।
1 एही तरहेँ, हे स्त्री सभ, अहाँ सभ अपन-अपन पतिक अधीन रहू, जाहि सँ जँ हुनका सभ मे सँ केओ प्रभुक वचन केँ नहि मानैत होथि, तँ अहाँ सभक पवित्र आ श्रद्धापूर्ण चालि-चलन केँ देखि कऽ हुनका सभक हृदय मे परिवर्तन भऽ जानि आ ओ सभ विश्वास मे अबथि—ककरो किछु कहबाक कारणेँ नहि, बल्कि अहाँ सभक व्यवहारक कारणेँ। 3 अहाँ सभक सुन्दरता बाहरी श्रृंगार सँ नहि आबय, जेना केशक गुहनाइ, वा सोनाक गहना-गुड़िया सभ आ बढ़ियाँ-बढ़ियाँ कपड़ा पहिरनाइ सँ, 4 बल्कि अहाँ सभक भितरी चरित्र सँ आबय, अर्थात् नम्र आ शान्त स्वभावक सुन्दरता होअय। एहन सुन्दरता टिकैत अछि, और परमेश्वरक नजरि मे बहुत मूल्यवान अछि। 5 किएक तँ प्राचीन काल मे परमेश्वर पर भरोसा राखऽ वाली आ अपना पतिक अधीन रहऽ वाली पवित्र स्त्रीगण सभ एही तरहेँ अपन श्रृंगार करैत छलीह। 6 उदाहरणक लेल, सारा अब्राहम केँ “स्वामी” कहि कऽ हुनकर आज्ञाकारी रहैत छलीह। अहूँ सभ जँ कोनो बात सँ भयभीत नहि भऽ कऽ वैह करी जे उचित अछि, तँ साराक बेटी सभ ठहरब। 7 तहिना यौ पति लोकनि, अहूँ सभ अपन स्त्रीक संग समझदारी सँ रहू। स्त्री केँ “अबला” मानि कऽ हुनकर आदर करू, आ मोन राखू जे ओहो अहाँ जकाँ अनन्त जीवनक वरदान मे सहभागी छथि। एना जँ नहि रहब, तँ अहाँ सभक प्रार्थना मे बाधा पड़ि जायत। 8 अन्त मे ई जे, अहाँ सभ गोटे एक मोनक होउ, एक-दोसराक लेल सहानुभूति राखू, एक-दोसर केँ भाइ मानि कऽ प्रेम करू, दयालु आ नम्र बनू। 9 अधलाह बातक बदला अधलाह बात सँ नहि दिअ, वा अपमानक बदला अपमान सँ नहि, बल्कि आशीर्वाद सँ दिअ। किएक तँ अहाँ सभ यैह करबाक लेल बजाओल गेल छी, जाहि सँ अहाँ सभ आशिष प्राप्त करब। 10 जेना धर्मशास्त्र कहैत अछि, “जे केओ जीवन मे आनन्द उठाबऽ चाहैत अछि 2 आ नीक दिन देखऽ चाहैत अछि, से अपना जीह केँ अधलाह बात सभ बाजऽ सँ 2 आ अपना ठोर केँ कपटपूर्ण बात सभ बाजऽ सँ रोकय। 11 ओ दुष्टता सँ दूर रहय आ भलाइक काज करय, ओ पूरा मोन सँ सभक संग शान्ति सँ रहबाक कोशिश करय। 12 किएक तँ प्रभुक कृपादृष्टि धार्मिक लोक सभ पर रहैत अछि, 2 आ हुनकर कान ओकरा सभक प्रार्थनाक दिस लागल रहैत अछि, मुदा जे सभ अधलाह काज करैत अछि, 2 तकरा सभक दिस सँ प्रभु मुँह फेरि लैत छथि।” 13 जँ अहाँ सभ वैह करबाक लेल उत्सुक छी जे उचित अछि तँ अहाँ सभक हानि के करत? 14 तैयो जँ अहाँ सभ केँ एहि लेल कष्ट सहऽ पड़य जे उचित काज करैत छी तँ ई अहाँ सभक लेल सौभाग्यक बात अछि। “लोकक धमकी सँ ने तँ भयभीत होउ आ ने घबड़ाउ।” 15 मसीह केँ प्रभु मानि कऽ अपना हृदय मे सभ सँ ऊँच स्थान दिऔन। अहाँ सभ केँ जे आशा अछि, ताहि विषय मे जे सभ अहाँ सभ सँ प्रश्न करैत अछि, तकरा सभ केँ उत्तर देबाक लेल सदिखन तत्पर रहू। मुदा से नम्रता आ आदरक संग करू, 16 एहन चालि-चलन राखि कऽ जकरा कारणेँ अहाँक विवेक अहाँ केँ दोषी नहि ठहराओत, जाहि सँ जे लोक सभ अहाँ सभ केँ बदनाम करैत अछि आ अहाँ सभक नीक मसीही आचरणक निन्दा करैत अछि, तकरा सभ केँ लज्जित होमऽ पड़ैक। 17 किएक तँ जँ परमेश्वरक इच्छा ई छनि जे अहाँ सभ दुःख उठाबी, तँ नीक यैह अछि जे अहाँ सभ उचित काज करबाक कारणेँ दुःख उठाउ, नहि कि अधलाह काज करबाक कारणेँ। 18 मसीह सेहो, धर्मी भऽ कऽ अधर्मी सभक लेल मरलाह, पापक प्रायश्चित्तक वास्ते सदाकालक लेल एक बेर मरलाह, जाहि सँ ओ अहाँ सभ केँ परमेश्वर लग लऽ अबथि। ओ शरीर सँ मारल गेलाह, मुदा आत्मा सँ जिआओल गेलाह। 19 और आत्मे मे जा कऽ ओ कैद मे पड़ल आत्मा सभक बीच प्रचार कयलनि। 20 ई आत्मा सभ प्राचीन काल मे आज्ञाक पालन नहि कयने छल जहिया नूहक समय मे जहाज बनैत काल परमेश्वर धैर्यपूर्बक प्रतीक्षा कऽ रहल छलाह। ओहि जहाज मे किछुए लोक, अर्थात् आठ गोटे, पानि द्वारा बाँचल छल। 21 ई पानि बपतिस्माक दिस संकेत करैत अछि, जे आब अहाँ सभ केँ बचबैत अछि। बपतिस्माक अर्थ शरीरक मैल छोड़ौनाइ नहि, बल्कि शुद्ध हृदय सँ अपना केँ परमेश्वरक प्रति समर्पित कयनाइ अछि। ई बपतिस्मा यीशु मसीहक जीबि उठनाइ द्वारा अहाँ सभक उद्धार करैत अछि। 22 कारण, यीशु मसीह जीबि उठि कऽ स्वर्ग मे प्रवेश कयलनि आ आब परमेश्वरक दहिना कात विराजमान छथि। सभ स्वर्गदूत, अधिकारी आ शक्ति सभ हुनके अधीन मे अछि।
1 मसीह अपना शरीर मे दुःख भोगलनि। एहि लेल अहूँ सभ शस्त्र जकाँ ओही मनोभावना केँ धारण करू जे हुनका मे छलनि, किएक तँ जे केओ अपना शरीर मे दुःख भोगने अछि, से पाप सँ सम्बन्ध तोड़ि लेने अछि, 2 और एहि तरहेँ ओ आब अपन मनुष्य-स्वभावक अधलाह इच्छा सभक अनुसार नहि, बल्कि परमेश्वरक इच्छाक अनुसार अपन शेष जीवन बितबैत अछि। 3 अहाँ सभ बितल समय मे ओहन काज सभ जे सांसारिक लोक कयनाइ पसन्द करैत अछि, ताहि मे जतबा समय व्यतीत कयलहुँ सैह बहुत भेल—अर्थात्, निर्लज्जता वला विचार-व्यवहार कयनाइ, शारीरिक इच्छा सभ मे लीन रहनाइ, पिबि कऽ मातल भेनाइ, भोग-विलास आ मौज-मजा कयनाइ, आ मूर्तिपूजा वला घृणित काज कयनाइ। 4 विनाश मे लऽ जाय वला एहि दुराचारक बाट पर आब अहाँ सभ ओकरा सभक संग नहि दौड़ैत छी, तेँ ओकरा सभ केँ आश्चर्य लगैत छैक आ ओ सभ अहाँ सभक निन्दा करैत अछि। 5 मुदा एहन लोक सभ केँ अपन लेखा तिनका लग देबऽ पड़तैक जे जीवित सभक आ मरल सभक न्याय करबाक लेल तैयार छथि। 6 एहि लेल तकरो सभ केँ सुसमाचार सुनाओल गेल छलैक जे सभ एखन मरल अछि, जाहि सँ ओना तँ ओकरा सभक मरनाइ द्वारा ओ सभ शरीर मे वैह न्याय पौलक जे सभ मनुष्य केँ भेटैत छैक, तैयो आत्मा मे ओ सभ ओहन जीवन पाबय जेहन परमेश्वर केँ छनि। 7 सभ बातक अन्त नजदीक अछि। तेँ समझदार बनू और अपना पर काबू राखू जाहि सँ प्रार्थना कऽ सकी। 8 सभ सँ पैघ बात ई जे अहाँ सभ आपस मे अटूट प्रेम राखू, किएक तँ प्रेम असंख्य पाप केँ झाँपि दैत अछि। 9 बिनु कुड़बुड़ा कऽ एक-दोसराक अतिथि-सत्कार करू। 10 अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक गोटे केँ परमेश्वर सँ वरदान भेटल अछि। आब परमेश्वरक विश्वस्त सेवक जकाँ हुनकर कृपाक विभिन्न गुणक वरदान सभ केँ एक-दोसराक सेवा मे लगाउ। 11 जे केओ उपदेश दैत छथि, से एना देथि जेना परमेश्वरेक बात सभ बाजि रहल छथि। जे दोसराक सहायता करैत छथि, से ओहि बल सँ करथि जे परमेश्वर दैत छथि, जाहि सँ सभ बात मे यीशु मसीहक माध्यम सँ परमेश्वरक स्तुति होनि। महिमा आ सामर्थ्य युगानुयुग परमेश्वरेक छनि। आमीन। 12 प्रिय भाइ लोकनि, अपन अग्नि-परीक्षा पर, जे अहाँ सभ केँ जँचबाक लेल भऽ रहल अछि, आश्चर्य नहि मानू, जेना कोनो असाधारण बात भऽ रहल होअय। 13 बल्कि आनन्द मनाउ जे अहाँ सभ मसीहक दुःख-भोग मे सहभागी छी। तखन जाहि दिन मसीह अपना महिमा मे फेर औताह, ताहि दिन अहाँ सभ आओर आनन्दित होयब। 14 जँ अहाँ सभक अपमान एहि लेल कयल जाइत अछि जे अहाँ सभ मसीहक लोक छी, तँ ई अहाँ सभक लेल सौभाग्यक बात अछि, किएक तँ एहि सँ स्पष्ट होइत अछि जे महिमाक आत्मा, जे परमेश्वरक आत्मा छथि, से अहाँ सभ मे वास करैत छथि। 15 एना नहि होअय जे अहाँ सभ मे सँ कोनो व्यक्ति हत्यारा, चोर वा आओर कोनो तरहक अपराधी बनि कऽ, वा दोसराक काज मे टाँग अड़यबाक कारणेँ दुःख भोगय। 16 मुदा जँ केओ मसीही होयबाक कारणेँ दुःख उठबैत छी तँ लज्जित नहि होउ, बल्कि परमेश्वरक स्तुति करू जे मसीहक लोकक रूप मे परिचित छी। 17 किएक तँ न्यायक समय आबि गेल अछि आ से परमेश्वरक परिवारे सँ शुरू भऽ रहल अछि। जँ न्यायक शुरुआत अपना सभ सँ भऽ रहल अछि, तँ तकरा सभ केँ की होयतैक जे सभ अनाज्ञाकारी भऽ परमेश्वरक शुभ समाचार केँ नहि मानैत अछि? 18 जेना लिखल अछि, “जँ धार्मिक लोक सभ मुश्किल सँ उद्धार प्राप्त करत, तँ अधर्मी आ पापी मनुष्य सभक दशा की होयतैक?” 19 एहि लेल जे सभ परमेश्वरक इच्छाक अनुसार दुःख उठा रहल छथि, से सभ अपना केँ विश्वासयोग्य सृष्टिकर्ताक हाथ मे सौंपि देथि आ उचित काज करैत रहथि।
1 अहाँ सभ मे जे मण्डलीक देख-रेख कयनिहार सभ छी, अहाँ सभ सँ हमर एकटा अनुरोध अछि। हमहूँ मण्डलीक एकटा देख-रेख कयनिहार छी, मसीहक कष्टभोगक गवाह छी आ भविष्य मे प्रगट होमऽ वला जे महिमा अछि, ताहि मे हमहूँ अहीं सभ जकाँ सहभागी रहब। 2 अहाँ सभ सँ हमर अनुरोध ई अछि जे, अहाँ सभक जिम्मा मे जे परमेश्वरक भेँड़ा रूपी झुण्ड अछि, तकर अहाँ सभ चरबाह जकाँ रखबारी करू। ओकर देखभाल करू, कोनो दबाब सँ नहि, बल्कि जहिना परमेश्वर चाहैत छथि, तहिना आनन्द सँ करू, और अनुचित लाभक दृष्टि सँ नहि करू, बल्कि सेवा करबाक मोन सँ। 3 जे लोक सभ अहाँ सभ केँ सौंपल गेल अछि, तकरा सभ पर अधिकार नहि जमाउ, बल्कि अपना झुण्डक लेल नमूना बनू। 4 तखन जहिया प्रधान चरबाह प्रगट भऽ जयताह, तहिया अहाँ सभ केँ महिमाक ओ मुकुट प्राप्त होयत जकर शोभा कहियो नहि घटत। 5 एहि तरहेँ, यौ जबान भाइ सभ, अहाँ सभ मण्डलीक देख-रेख कयनिहार सभक अधीन रहू। अहाँ सभ केओ नम्रता सँ एक-दोसराक सेवा करू, किएक तँ, “परमेश्वर घमण्डी सभक विरोध करैत छथि, मुदा नम्र लोक सभ पर कृपा करैत छथि।” 6 एहि लेल परमेश्वरक सामर्थी हाथक नीचाँ नम्र बनू, जाहि सँ ओ अहाँ सभ केँ उचित समय पर सम्मानित करथि। 7 अपन सम्पूर्ण चिन्ता हुनका पर राखि दिअ, किएक तँ हुनका अहाँ सभक चिन्ता छनि। 8 अहाँ सभ अपना पर काबू राखू आ सचेत रहू। अहाँ सभक दुश्मन शैतान गर्जैत सिंह जकाँ घुमैत-फिरैत एहि ताक मे रहैत अछि जे ककरा फाड़ि कऽ खा ली। 9 विश्वास मे दृढ़ रहि कऽ ओकर सामना करू आ मोन राखू जे पूरा संसार मे अहाँ सभक भाय सभ एही प्रकारक कष्ट सहि रहल छथि। 10 अहाँ सभ केँ कनेक काल धरि कष्ट सहन कऽ लेलाक बाद, परमेश्वर, जे सम्पूर्ण कृपाक स्रोत छथि, से अपने अहाँ सभ केँ सिद्ध, दृढ़, बलवन्त आ स्थिर करताह। ओ तँ यीशु मसीह मे अहाँ सभ केँ अपन अनन्त कालीन महिमा मे सहभागी होयबाक लेल बजौने छथि। 11 हुनके शक्ति युगानुयुग बनल रहनि। आमीन। 12 हम ई छोट पत्र सिलासक सहायता सँ लिखि रहल छी, जिनका हम अपन विश्वस्त भाय मानैत छिऐन। हम अहाँ सभ केँ प्रोत्साहित करैत एहि बातक विश्वास दिअबैत छी जे एहि मे जे लिखल अछि से परमेश्वरक असली कृपा अछि। एहि कृपा मे स्थिर रहू। 13 बेबिलोनक मण्डलीक सदस्य सभ, जे सभ अहीं सभ जकाँ परमेश्वर द्वारा चुनल गेल छथि, अहाँ सभ केँ अपन नमस्कार कहैत छथि। मरकुस, जे मसीह मे हमर बेटा अछि, सेहो नमस्कार पठबैत अछि। 14 मसीही प्रेम सँ एक-दोसर केँ सस्नेह नमस्कार करू। अहाँ सभ गोटे केँ, जे सभ मसीह मे छी, शान्ति भेटय।
1 हम, सिमोन पत्रुस, जे यीशु मसीहक सेवक आ मसीह-दूत छी, से अहाँ सभ केँ ई पत्र लिखि रहल छी, जे सभ अपना सभक परमेश्वर आ उद्धारकर्ता यीशु मसीहक धार्मिकता द्वारा वैह बहुमूल्य विश्वास प्राप्त कयने छी जे हमरो सभ केँ प्राप्त भेल। 2 परमेश्वर केँ आ यीशु अपना सभक प्रभु केँ चिन्हबाक द्वारा अहाँ सभ केँ प्रशस्त मात्रा मे कृपा आ शान्तिक अनुभव होअय। 3 परमेश्वर अपन ईश्वरीय सामर्थ्य सँ अपना सभ केँ ओ सभ बात देने छथि जे जीवन आ भक्तिक लेल आवश्यक अछि। ओ जे अपन महिमा आ सद्गुण द्वारा अपना सभ केँ बजौने छथि, तिनका चिन्हबाक द्वारा अपना सभ केँ ई सभ बात प्राप्त भेल। 4 एहि महिमा आ सद्गुण द्वारा ओ अपना सभ केँ बहुमूल्य आ उत्तम बात सभ देबाक वचन देने छथि, जाहि सँ ई बात सभ प्राप्त कऽ कऽ अहाँ सभ भ्रष्ट करऽ वला ओहि अधलाह इच्छा सभ सँ बाँचि सकी जे संसार मे अछि, आ ईश्वरीय स्वभाव मे सहभागी भऽ सकी। 5 एहि लेल पूरा-पूरा प्रयत्न करू जे अहाँ सभ अपना विश्वास मे सद्गुण केँ बढ़बैत चली, अपना सद्गुण मे ज्ञान केँ, 6 अपना ज्ञान मे संयम केँ, अपना संयम मे धैर्य केँ, अपना धैर्य मे भक्ति केँ, 7 अपना भक्ति मे भाय-बहिन वला स्नेह केँ, आ अपना भाय-बहिन वला स्नेह मे प्रेम केँ बढ़बैत चली। 8 किएक तँ जँ अहाँ सभ मे ई गुण सभ अछि, आ बढ़ल जा रहल अछि, तँ ई सभ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह केँ आओर नीक जकाँ चिन्हऽ-जानऽ मे अहाँ सभ केँ निष्क्रिय आ निष्फल नहि होमऽ देत। 9 मुदा जाहि व्यक्ति मे ई गुण सभ नहि अछि, से कनेको दूर नहि देखि सकैत अछि। ओ आन्हर अछि, और ई बिसरि गेल अछि जे ओ पहिलुका पाप सभ सँ शुद्ध कयल गेल अछि। 10 तेँ, यौ भाइ लोकनि, अहाँ सभ वास्तव मे परमेश्वर द्वारा बजाओल गेल छी आ चुनल गेल छी, तकरा सिद्ध करबाक लेल पूरा प्रयत्न करू। ई बात सभ जाबत धरि करैत रहब, ताबत धरि अहाँ सभ कहियो विश्वासक बाट सँ नहि भटकब, 11 बल्कि अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता यीशु मसीहक अनन्त कालीन राज्य मे प्रवेश करबाक लेल अहाँ सभक बड़का स्वागत होयत। 12 तेँ हम बेर-बेर अहाँ सभ केँ एहि बात सभक स्मरण करबैत रहब, ओना तँ अहाँ सभ एहि सभ केँ पहिने सँ जनैत छी, और अहाँ सभ केँ जे सत्य प्राप्त भेल अछि, ताहि मे स्थिर सेहो छी। 13 हम जाबत धरि एहि शरीर रूपी डेरा मे छी, ताबत धरि एहि बात सभक स्मरण दिआ कऽ अहाँ सभ केँ उत्साहित करैत रही, से हम अपन कर्तव्य बुझैत छी, 14 किएक तँ हम जनैत छी जे हमरा अपन एहि शरीर केँ जल्दिए छोड़ि देबाक अछि, जेना कि अपना सभक प्रभु यीशु मसीह हमरा कहने छथि। 15 एहि लेल हम पूरा प्रयत्न करब जे अहाँ सभ हमरा चल गेलाक बादो सभ दिन एहि बात सभक याद कऽ सकी। 16 जखन हम सभ अहाँ सभ केँ सुनौलहुँ जे अपना सभक प्रभु यीशु मसीह कोना सामर्थ्य सँ फेर आबऽ वला छथि, तँ हम सभ चलाकी सँ गढ़ल कथा-पिहानी सभक सहारा नहि लेलहुँ, बल्कि हम सभ हुनकर महानता केँ अपना आँखि सँ देखने छलहुँ। 17 कारण, ओ परमेश्वर पिता सँ सम्मान आ महिमा पौलनि जखन परमेश्वरक दिस सँ ई आवाज सुनाइ देलकनि जे, “ई हमर प्रिय पुत्र छथि, हिनका सँ हम अति प्रसन्न छी।” 18 हम सभ जखन पवित्र पहाड़ पर हुनका संग छलहुँ, तँ हम सभ स्वयं स्वर्ग सँ आयल एहि आवाज केँ सुनलहुँ। 19 एहि घटना द्वारा अपना सभ लग जे परमेश्वरक प्रवक्ता सभक भविष्यवाणी सभ अछि, से सभ आरो विश्वसनीय प्रमाणित भेल अछि। हुनका सभक वचन एक प्रकाश जकाँ अछि जे अन्हार स्थान मे चमकि रहल अछि, और ई नीक होयत जे एहि वचन पर अहाँ सभ ताबत धरि ध्यान देने रहब जाबत धरि फरीछ नहि होयत आ अहाँ सभक हृदय मे भोरुकवा तारा नहि उगत। 20 मुदा सभ सँ पहिने अहाँ सभ ई जानि लिअ जे धर्मशास्त्रक कोनो भविष्यवाणी व्यक्तिगत विचारधाराक विषय नहि अछि, 21 किएक तँ धर्मशास्त्रक कोनो भविष्यवाणी मनुष्यक इच्छा सँ कहियो नहि भेल, बल्कि मनुष्य परमेश्वरक पवित्र आत्मा द्वारा संचालित भऽ कऽ परमेश्वरक दिस सँ बजैत छलाह।
1 मुदा परमेश्वरक ओहि प्रवक्ता सभक समय मे लोकक बीच एहनो व्यक्ति सभ छल जे झूठ बाजि कऽ अपना सभ केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत छल। तहिना अहूँ सभक बीच झुट्ठा शिक्षक सभ ठाढ़ होयत। ओ सभ गुप्त रूप सँ विनाश मे लऽ जाय वला गलत शिक्षा सभ देबऽ लागत, एतऽ तक जे ओ सभ ओहि स्वामी केँ सेहो अस्वीकार करतनि जे ओकरा सभक छुटकाराक लेल दाम चुका कऽ किनने छथिन, आ एहि तरहेँ ओ सभ जल्दिए अपन विनाशक कारण बनत। 2 बहुतो लोक ओकरा सभक निर्लज्ज वला चालि-चलन अपना लेत, आ ओकरा सभक कारणेँ सत्यक मार्गक बदनामी होयत। 3 ओ सभ लोभक कारणेँ अपन बनाओल बात सभ द्वारा अहाँ सभ सँ अनुचित लाभ उठाओत। दण्डक आज्ञा ओकरा सभ पर बहुत पहिनहि भऽ चुकल अछि; ओ एखनो लागू अछि, और आब ओकरा सभक विनाश नजदीक आबि गेल अछि। 4 मोन राखू जे, जे स्वर्गदूत सभ पाप कयलक तकरा सभ केँ परमेश्वर नहि छोड़लनि, बल्कि ओकरा सभ केँ नरकक अन्हार मे जंजीर सँ जकड़ि कऽ न्यायक दिनक प्रतीक्षा करबाक लेल राखि देलनि। 5 ओ प्राचीन कालक संसार केँ नहि छोड़ि, ओहि मेहक अधर्मी लोक केँ जल-प्रलय द्वारा नष्ट कऽ देलथिन, मुदा धार्मिकताक प्रचार करऽ वला नूह आ हुनका संग सात आरो व्यक्तिक रक्षा कयलथिन। 6 ओ सदोम आ गमोरा नगर सभ केँ भस्म कऽ विनाशक दण्ड देलथिन, जाहि सँ ई घटना भविष्यक अधर्मी सभक लेल एक चेतावनी होअय। 7 मुदा ओ लूत केँ बचौलथिन, जे धर्मी लोक छलाह आ ओहि अधर्मी लोक सभक कुकर्मी व्यवहारक कारणेँ दुखी छलाह। 8 कारण, ओ धर्मी पुरुष ओहि लोक सभक बीच मे रहि कऽ दिन प्रति दिन ओकरा सभक जे अधर्मक काज केँ देखैत आ सुनैत छलाह ताहि सँ हुनकर धर्मनिष्ठ आत्मा केँ घोर कष्ट होइत छलनि। 9 एहि तरहेँ अपना सभ देखैत छी जे प्रभु धर्मी लोक केँ संकट मे सँ बचौनाइ आ अधर्मी सभ केँ दण्ड देबाक लेल न्यायक दिन तक रखनाइ जनैत छथि, 10 विशेष रूप सँ तकरा सभ केँ, जे सभ अपना पापी स्वभावक अशुद्ध इच्छा सभक वश मे भऽ तकर सभक पूर्ति करैत अछि आ किनको अधीन मे नहि रहैत अछि। ई झुट्ठा शिक्षक सभ उदण्ड आ घमण्डी अछि, और स्वर्गिक प्राणी सभक निन्दा करऽ सँ सेहो नहि डेराइत अछि, 11 जखन कि स्वर्गदूत सभ, शक्ति आ सामर्थ्य मे श्रेष्ठ होइतो, प्रभुक सम्मुख ओकरा सभक निन्दा कऽ कऽ ओकरा सभ पर दोष नहि लगबैत छथि। 12 एहन लोक अविवेकी जानबर जकाँ अछि जे नीक-अधलाह किछु नहि बुझैत अछि आ जे पकड़ल और मारल जयबाक लेल उत्पन्न होइत अछि। ई लोक जाहि बात सभ केँ बुझितो नहि अछि, तकर निन्दा करैत अछि। जानबर सभ जकाँ, एकरो सभ केँ नष्ट कयल जयतैक। 13 ई सभ जे दोसर केँ हानि पहुँचौने अछि, तकरा बदला मे एकरा सभ केँ सेहो हानि होयतैक। एकरा सभक लेल मनोरंजनक अर्थ अछि, दिन-दुपहरक समय मे भोग-विलास कयनाइ। ई सभ कलंकित आ दुषित लोक अछि आ अहाँ सभक संग बैसि कऽ खाइत-पिबैत काल सेहो एकरा सभक मोन अपना भोग-विलासक बात सभ मे मग्न रहैत छैक। 14 ई सभ बिनु कुकर्मक इच्छा राखि, स्त्रीगण केँ देखिए नहि सकैत अछि। ई सभ पाप करऽ सँ चुकैत नहि अछि। ई सभ चंचल बुद्धि वला लोक सभ केँ अपना जाल मे फँसा लैत अछि। एकरा सभक मोन केँ लोभ करबाक आदत भऽ गेल छैक। एकरा सभ पर परमेश्वरक सराप अछि! 15 ई सभ सोझका बाट छोड़ि कऽ भटकि गेल अछि, किएक तँ ई सभ बेओरक पुत्र बिलामक बाट पर चलऽ लागल अछि, जे अधर्मक मजदूरीक लोभ कयने छल। 16 मुदा ओकरा अपन अपराधक लेल एकटा गदहा सँ डाँट-फटकार सुनऽ पड़लैक—एकटा पशु, जे बात नहि करैत अछि, से मनुष्य जकाँ बाजऽ लागल आ एहि तरहेँ ओहि भविष्यवक्ताक पागलपन केँ रोकि देलक। 17 ई झुट्ठा शिक्षक सभ ओहन इनार अछि, जाहि मे पानि नहि छैक, ओहन मेघ अछि, जकरा हवा उड़िआ कऽ लऽ जाइत अछि। एकरा सभक लेल अन्हार-गुज स्थान निश्चित कयल गेल अछि। 18 कारण, ई सभ घमण्डक बेकार बात सभ कहैत, लोकक शारीरिक लालसा सभ केँ जगा कऽ काम-वासनाक बात सभ द्वारा ओहन लोक सभ केँ फुसला कऽ फँसा लैत अछि जे सभ हाले मे कुकर्मक बाट पर चलऽ वला सभक संगति सँ बाँचि आयल अछि। 19 ई सभ ओकरा सभ केँ स्वतन्त्र करबाक वचन दैत अछि, जखन कि ई सभ स्वयं भ्रष्टताक गुलाम अछि, किएक तँ जँ केओ कोनो बातक वश मे अछि तँ ओ तकर गुलाम भऽ गेल अछि। 20 जँ ई सभ अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता यीशु मसीह केँ चिन्हि कऽ संसारक अशुद्धता सँ बाँचि कऽ निकलि गेलाक बाद फेर ओहि मे फँसि कऽ ओकरे वश मे भऽ गेल, तँ एकरा सभक ई दशा पहिलुको दशा सँ अधलाह अछि। 21 जे पवित्र शिक्षा एकरा सभ केँ देल गेल छल, तकरा बुझि लेलाक बाद ओहि सँ मुँह मोड़ि लेब, ताहि सँ नीक एकरा सभक लेल ई रहैत जे एकरा सभ केँ धार्मिकताक बाटक ज्ञाने नहि प्राप्त भेल रहितैक। 22 एहन लोकक विषय मे ई कहावत सत्य ठहरैत अछि जे, “कुकुर अपन बोकरल चटबाक लेल घूमि अबैत अछि” आ “नहाओल-सोन्हाओल सुगरनी घूमि कऽ फेर थाल मे ओँघराय लगैत अछि।”
1 प्रिय मित्र सभ, हम अहाँ सभ केँ आब ई दोसर पत्र लिखि रहल छी। हम दूनू पत्र मे किछु बात सभक स्मरण दिअबैत अहाँ सभक मोन केँ जागरूक करऽ चाहलहुँ, जाहि सँ अहाँ सभ एहि बात सभक बारे मे ठीक प्रकार सँ सोची। 2 हम चाहैत छी जे, जे बात सभ प्राचीन समय मे परमेश्वरक पवित्र प्रवक्ता सभ द्वारा कहल गेल, और जे आज्ञा अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता अहाँ सभक मसीह-दूत लोकनि द्वारा अहाँ सभ केँ सुनबौलनि, ताहि सभ बातक अहाँ सभ स्मरण करी। 3 सभ सँ पहिने अहाँ सभ ई जानि लिअ जे अन्तिम दिन सभ मे हँसी उड़ाबऽ वला धर्मनिन्दक सभ आओत। ओ सभ अपन अधलाह इच्छा सभक अनुसार विचार-व्यवहार करत 4 आ हँसी उड़बैत कहत जे, “की ओ वचन नहि देने रहथि जे हम फेर आयब? तँ कहाँ अयलाह? हमरा सभक पूर्वज सभ तँ चल गेलाह, तैयो सृष्टिक आरम्भ सँ एखन धरि सभ किछु ओहिना चलैत आबि रहल अछि।” 5 मुदा ओ सभ जानि-बुझि कऽ ई बिसरि जाइत अछि जे प्राचीन समय मे आकाश आ पृथ्वी छल, और पृथ्वी परमेश्वरक आदेशे द्वारा जल मे सँ आ जलक माध्यम सँ बनाओल गेल। 6 और ओही जल द्वारा ओहि समयक संसार बाद मे जल-प्रलय सँ नष्ट सेहो भऽ गेल। 7 हुनके आदेश द्वारा वर्तमान आकाश आ पृथ्वी आगि सँ भस्म होयबाक लेल सुरक्षित राखल गेल अछि। एकरा ओहि दिनक लेल राखल जा रहल अछि जहिया अधर्मी लोक सभक न्याय होयतैक आ ओ सभ नष्ट कऽ देल जायत। 8 मुदा यौ प्रिय मित्र सभ, एकटा एहि बात केँ नहि बिसरू जे, प्रभुक दृष्टि मे एक दिन हजार वर्षक बराबरि अछि, आ हजार वर्ष एक दिनक बराबरि। 9 प्रभु अपन देल वचन पूरा करबा मे देरी नहि करैत छथि, जेना कि किछु लोक बुझैत अछि, बल्कि ओ अहाँ सभक प्रति धैर्य रखने छथि। ओ ई नहि चाहैत छथि जे केओ नाश होअय, बल्कि ई चाहैत छथि जे सभ केओ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करय। 10 मुदा “प्रभुक दिन” चोर जकाँ अचानक आओत। तखन आकाश भयंकर आवाजक संग बिला जायत। सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ प्रचण्ड ताप सँ पिघलि जायत, आ पृथ्वी और ओहि परक सभ वस्तु भस्म भऽ जायत। 11 जँ सभ वस्तु एहि प्रकार सँ नष्ट होमऽ वला अछि, तँ अहाँ सभ केँ केहन लोक होयबाक चाही? अहाँ सभ केँ ई चाही जे “परमेश्वरक दिनक” प्रतीक्षा करैत और ओकरा जल्दी लयबाक प्रयास करैत पवित्र आ भक्तिपूर्ण जीवन व्यतीत करी। ओहि दिन आकाश जरि कऽ नष्ट भऽ जायत आ सूर्य, चन्द्रमा और तारा सभ प्रचण्ड ताप सँ पिघलि जायत। 13 मुदा हुनकर देल वचनक अनुसार अपना सभ एक नव आकाश आ नव पृथ्वीक बाट ताकि रहल छी जाहि मे धार्मिकता वास करत। 14 एहि लेल, यौ प्रिय मित्र सभ, जखन अहाँ सभ एहि बात सभक प्रतीक्षा कऽ रहल छी, तँ एहन कोशिश करू जे ओहि दिन अहाँ सभ प्रभुक दृष्टि मे निर्दोष आ निष्कलंक ठहरी आ हुनका संग मेल-मिलाप सँ रही। 15 मोन राखू जे प्रभुक धैर्य लोक केँ उद्धार पयबाक मौका दैत अछि, जेना कि अपना सभक प्रिय भाय पौलुस सेहो अपन ओहि ज्ञान सँ अहाँ सभ केँ लिखने छथि जे ज्ञान हुनका प्रभु सँ देल गेलनि। 16 ओ अपन सभ पत्र मे एके प्रकार सँ एहि बात सभक सम्बन्ध मे लिखैत छथि। हुनकर पत्र सभ मे किछु बात सभ एहन अछि जे कठिनाइ सँ बुझऽ मे अबैत अछि। अज्ञानी आ चंचल बुद्धि वला लोक सभ धर्मशास्त्रक आन बात सभ जकाँ एहू बात सभ केँ गलत अर्थ लगबैत अछि आ एहि तरहेँ अपन विनाशक कारण बनैत अछि। 17 यौ प्रिय मित्र सभ, अहाँ सभ एहि बात सभ केँ पहिनहि सँ जनैत छी। एहि लेल सावधान रहू। कहीं अधर्मी मनुष्य सभक बहकावा मे आबि कऽ अहाँ सभ अपन सुरक्षित स्थान सँ डगमगा कऽ खसि ने पड़ी। 18 बल्कि अहाँ सभ अपना सभक प्रभु आ उद्धारकर्ता यीशु मसीहक कृपा आ ज्ञान मे बढ़ैत जाउ। हुनकर गुणगान एखनो आ अनन्त काल धरि होइत रहनि! आमीन।
1 जे शुरू सँ छल, जे हम सभ सुनने छी, जे हम सभ अपना आँखि सँ देखने छी, जे हम सभ ध्यानपूर्बक देखने छी और हाथ सँ छुने छी, अर्थात् ओ वचन जे जीवन अछि, से हमरा सभक विषय अछि। 2 ई जीवन प्रगट भऽ गेल, हम सभ एकरा देखलहुँ, और एकरा बारे मे गवाही दैत हम सभ अहाँ सभक सामने ई जीवन प्रस्तुत करैत छी जे अनन्त अछि, जे पिताक संग छल और जे हमरा सभक सामने प्रगट कयल गेल। 3 हम सभ जे देखलहुँ आ सुनलहुँ, से अहाँ सभ केँ कहि रहल छी, जाहि सँ अहूँ सभ केँ हमरा सभक संग संगति होयत। हमरा सभक संगति पिताक संग और हुनकर पुत्र यीशु मसीहक संग अछि। 4 ई बात हम सभ एहि लेल लिखैत छी जाहि सँ हमरा सभक आनन्द पूर्ण होअय। 5 जे सम्बाद हम सभ हुनका सँ सुनलहुँ और अहाँ सभ केँ सुनबैत छी से यैह अछि—परमेश्वर इजोत छथि। हुनका मे एको रत्ती अन्हार नहि छनि। 6 जँ अपना सभ कहैत छी जे हुनका संग हमर संगति अछि जखन कि अन्हारे मे चलि रहल छी तँ झूठ बजैत छी और सत्यक अनुसार आचरण नहि करैत छी। 7 मुदा जँ इजोत मे चलैत छी, जेना ओ इजोत मे छथि, तँ अपना सभ केँ एक-दोसराक संग संगति होइत अछि, और हुनकर पुत्र यीशुक खून अपना सभ केँ सभ पाप सँ शुद्ध करैत अछि। 8 जँ अपना सभ कहैत छी जे हमरा मे कोनो पाप नहि अछि तँ अपना केँ धोखा दैत छी और अपना सभ मे सत्य नहि अछि। 9 मुदा जँ अपना सभ अपन पाप केँ मानि लेब तँ ओ जे विश्वासयोग्य और न्यायी छथि अपना सभ केँ पापक क्षमा करताह और अपना सभ केँ सभ अधर्म सँ शुद्ध करताह। 10 जँ अपना सभ कहैत छी जे हम पाप नहि कयने छी तँ परमेश्वर केँ झुट्ठा ठहरबैत छी, और हुनका वचन केँ अपना जीवन मे कोनो स्थान नहि दैत छी।
1 यौ बौआ सभ, हम अहाँ सभ केँ ई बात एहि लेल लिखि रहल छी जे अहाँ सभ पाप नहि करी। मुदा जँ केओ पाप करय तँ अपना सभ केँ एक गोटे छथि जे पिता लग अपना सभक पक्ष मे विनती करैत छथि, अर्थात् यीशु मसीह, जे धार्मिक छथि। 2 यीशु मसीह स्वयं ओ बलि छथि जिनका द्वारा अपना सभक पापक प्रायश्चित्त कयल गेल, और मात्र अपना सभक पापक नहि, बल्कि सौंसे संसारक सेहो। 3 अपना सभ हुनका चिन्हैत छियनि से तखने जानि सकैत छी जखन हुनकर आज्ञाक पालन करैत छियनि। 4 जे केओ कहैत अछि जे, हम हुनका चिन्हैत छियनि, मुदा हुनकर आज्ञाक पालन नहि करैत अछि, से झुट्ठा अछि और ओकरा मे सत्य नहि छैक। 5 मुदा जे केओ हुनकर वचनक अनुसार चलैत अछि, तकरा मे परमेश्वरक प्रति ओकर प्रेम पूर्ण रूप सँ सिद्ध कयल गेल छैक। अपना सभ एहि सँ निश्चय जानि सकैत छी जे हुनका मे छी— 6 जे केओ कहैत अछि जे, हम परमेश्वर मे रहैत छी, तकरा ओहने जीवन व्यतीत करबाक छैक जेहन यीशु व्यतीत कयलनि। 7 प्रिय मित्र सभ, हम अहाँ सभ केँ कोनो नव आज्ञा नहि लिखि रहल छी। ई पुरान आज्ञा अछि, जे शुरुए सँ अहाँ सभक संग अछि। ई पुरान आज्ञा ओ वचन अछि जे अहाँ सभ सुनने छी। 8 तैयो जे आज्ञा लिखि रहल छी से नवे अछि। ओ हुनका जीवन मे और अहूँ सभक जीवन मे सत्य प्रमाणित भेल अछि, कारण अन्हार दूर भऽ रहल अछि और वास्तविक इजोत एखने सँ चमकि रहल अछि। 9 जे केओ कहैत अछि जे, हम इजोत मे छी, मुदा अपना भाय सँ घृणा करैत अछि, से एखनो अन्हारे मे अछि। 10 जे केओ अपना भाय सँ प्रेम करैत अछि, से इजोत मे रहैत अछि, और ओकरा मे कोनो कारण नहि छैक जाहि सँ ठेस लगतैक। 11 मुदा जे अपना भाय सँ घृणा करैत अछि से अन्हार मे अछि और अन्हारे मे चलैत अछि। ओ नहि जनैत अछि जे हम कतऽ जा रहल छी किएक तँ अन्हार ओकरा आन्हर बना देने छैक। 12 प्रिय बौआ सभ, हम अहाँ सभ केँ ई बात एहि लेल लिखि रहल छी जे प्रभु यीशु मसीह द्वारा अहाँ सभक पाप माफ भऽ गेल अछि। 13 यौ पिता लोकनि, हम अहाँ सभ केँ ई बात एहि लेल लिखि रहल छी जे अहाँ सभ तिनका जानि गेल छी जे शुरू सँ छथि। युवक सभ, हम अहाँ सभ केँ ई बात एहि लेल लिखि रहल छी जे अहाँ सभ दुष्ट शैतान केँ पराजित कयने छी। प्रिय बौआ सभ, हम अहाँ सभ केँ एहि लेल लिखने छी जे अहाँ सभ पिता केँ जानि गेल छी। 14 यौ पिता लोकनि, हम अहाँ सभ केँ एहि लेल लिखने छी जे अहाँ सभ तिनका जानि गेल छी जे शुरू सँ छथि। युवक सभ, हम अहाँ सभ केँ एहि लेल लिखने छी जे अहाँ सभ बलवन्त छी, और परमेश्वरक वचन अहाँ सभ मे रहैत अछि, और अहाँ सभ दुष्ट शैतान केँ पराजित कयने छी। 15 संसार सँ प्रेम नहि करू, और ने संसारक वस्तु सँ। जँ केओ संसार सँ प्रेम करैत अछि, तँ ओकरा मे पिताक प्रति प्रेम नहि छैक। 16 कारण, जे किछु संसार मे छैक, अर्थात् मनुष्यक पापी स्वभावक इच्छा, ओकर आँखिक लालसा और धन-सम्पत्ति पर ओकर घमण्ड, से पिताक दिस सँ नहि, बल्कि संसारक दिस सँ अबैत अछि। 17 संसार और जाहि कोनो बातक लेल ओकर इच्छा होइत छैक, से सभ समाप्त भऽ रहल अछि, मुदा जे व्यक्ति परमेश्वरक इच्छा पर चलैत अछि, से सदा-सर्वदा जीबैत रहत। 18 प्रिय बौआ सभ, ई आब अन्तिम घड़ी अछि। अहाँ सभ सुनि लेने छी जे “मसीह-विरोधी” आबऽ वला अछि, और तहिना एखनो बहुत “मसीह-विरोधी” प्रगट भऽ गेल अछि। एहि सँ अपना सभ जानि सकैत छी जे ई अन्तिम घड़ी अछि। 19 ओ सभ अपना सभ मे सँ निकलि गेल, मुदा वास्तव मे ओ सभ अपना सभक लोक नहि छल। जँ अपना सभक रहैत तँ अपना सभक संग रहले रहैत। मुदा ओकरा सभ केँ चलि गेला सँ ई स्पष्ट होइत अछि जे ओकरा सभ मे सँ केओ वास्तव मे अपना सभक नहि छल। 20 मुदा ओ जे पवित्र छथि, से अहाँ सभ केँ अपन आत्मा देने छथि, और अहाँ सभ गोटे सत्य केँ जनैत छी । 21 तेँ हम अहाँ सभ केँ एहि लेल नहि लिखि रहल छी जे अहाँ सभ सत्य केँ नहि जनैत छी, बल्कि एहि लेल जे अहाँ सभ सत्य केँ जनिते छी, और इहो जनैत छी जे कोनो झूठ सत्य सँ उत्पन्न नहि होइत अछि। 22 और झुट्ठा के अछि? ओ वैह अछि जे एहि बात केँ अस्वीकार करैत अछि जे यीशु उद्धारकर्ता-मसीह छथि। ओहन आदमी “मसीह-विरोधी” अछि। ओ पितो केँ और पुत्रो केँ अस्वीकार करैत अछि। 23 जे केओ पुत्र केँ अस्वीकार करैत अछि, तकरा लग पितो नहि छथिन। जे केओ पुत्र केँ स्वीकार करैत अछि, तकरा लग पितो छथिन। 24 अहाँ सभ, जे बात शुरू मे सुनलहुँ, तकरा अपना मोन मे वास करऽ दिअ। जँ ओ अहाँ सभक मोन मे वास करत, तँ अहूँ सभ पुत्र मे और पिता मे वास करब। 25 और ओ अपना सभ केँ जे बात प्रदान करबाक वचन देने छथि, से अछि अनन्त जीवन। 26 हम अहाँ सभ केँ ई सभ बात तकरा सभक बारे मे लिखि रहल छी जे सभ अहाँ सभ केँ बहकाबऽ चाहैत अछि। 27 मुदा जे पवित्र आत्मा अहाँ सभ केँ मसीह प्रदान कयलनि, से अहाँ सभ मे वास करैत छथि, और तेँ अहाँ सभ केँ आरो शिक्षकक कोनो आवश्यकता नहि अछि। कारण, हुनकर आत्मा अहाँ सभ केँ सभ बात सिखबैत छथि, और ओ आत्मा सत्य छथि, ओ झुट्ठा नहि छथि। जेना ओ अहाँ सभ केँ मसीह मे बनल रहबाक लेल सिखौने छथि तहिना हुनका मे बनल रहू। 28 हँ, बौआ सभ, मसीह मे रहू, जाहि सँ ओ जहिया प्रगट होयताह तहिया अपना सभ स्थिर रहब और हुनकर आगमनक समय मे हुनका सँ मुँह नहि घुमाबऽ पड़त। 29 अहाँ सभ जनैत छी जे ओ धार्मिक छथि, तँ इहो जानि लिअ जे, जे केओ धार्मिकताक आचरण करैत अछि, से परमेश्वरक सन्तान अछि।
1 सोचू! पिता अपना सभ सँ कतेकटा प्रेम कयने छथि, जे अपना सभ परमेश्वरक सन्तान कहाबी! और वास्तव मे सैह छीहो। संसार अपना सभ केँ नहि चिन्हैत अछि, से एहि कारणेँ जे हुनको नहि चिन्हलकनि। 2 प्रिय मित्र सभ, अपना सभ एखन परमेश्वरक सन्तान छी। और भविष्य मे की होयब, से एखन तक प्रगट नहि कयल गेल अछि। मुदा ई जनैत छी जे, मसीह जखन फेर औताह तखन अपना सभ हुनके जकाँ होयब, कारण हुनका ठीक ओहने देखबनि जेहन ओ छथि। 3 जकरा हुनका सँ ई आशा छैक, से अपना केँ पवित्र रखैत अछि जेना ओ पवित्र छथि। 4 जे केओ पाप करैत अछि से परमेश्वरक नियमक उल्लंघन करैत अछि, कारण पाप सैह अछि, अर्थात् परमेश्वरक नियमक उल्लंघन कयनाइ। 5 मुदा अहाँ सभ जनैत छी जे मसीह पाप दूर करबाक लेल अयलाह, और हुनका मे कोनो पाप नहि छनि। 6 जे हुनका मे वास करैत अछि, से पाप नहि करैत रहैत अछि। जे पाप करैत रहैत अछि, से ने हुनका देखने छनि आ ने हुनका चिन्हने छनि। 7 यौ बौआ सभ! एहि विषय मे अहाँ सभ केँ केओ बहकाबओ नहि! जे केओ धार्मिकताक आचरण करैत रहैत अछि, सैह धार्मिक अछि जेना यीशु मसीह धार्मिक छथि। 8 और जे केओ पापक आचरण करैत रहैत अछि, से शैतानक सन्तान अछि, कारण शैतान शुरुए सँ पाप करैत आयल अछि। परमेश्वरक पुत्र एहि लेल संसार मे अयलाह जे ओ शैतानक काज नष्ट करथि। 9 जे केओ वास्तव मे परमेश्वरक सन्तान अछि से पाप नहि करैत रहत, कारण परमेश्वरक स्वभाव ओकरा मे रहैत छैक। ओ पापक आचरण नहि कऽ सकैत अछि, कारण ओ परमेश्वरक सन्तान भऽ गेल अछि। 10 एही प्रकारेँ अपना सभ चिन्हि सकब जे परमेश्वरक सन्तान के अछि और शैतानक सन्तान के अछि—जे धार्मिकताक आचरण नहि करैत अछि से परमेश्वरक सन्तान नहि अछि, आ ने ओ जे अपना भाय सँ प्रेम नहि करैत अछि। 11 जे सम्बाद अहाँ सभ शुरू सँ सुनने छी, से यैह अछि—अपना सभ एक-दोसर सँ प्रेम करी। 12 काइन जकाँ नहि बनू, जे शैतानक छल और अपन भायक हत्या कयलक। ओ भायक हत्या किएक कयलक? एहि लेल, जे ओकर अपन काज अधलाह छलैक और ओकर भायक नीक छलैक। 13 यौ भाइ सभ, जँ संसार अहाँ सभ सँ घृणा करैत अछि तँ एहि सँ आश्चर्यित नहि होउ। 14 अपना सभ जनैत छी जे मृत्यु मे सँ निकलि कऽ जीवन मे पहुँचि गेल छी, कारण अपना भाय सभ सँ प्रेम करैत छी। जे केओ प्रेम नहि करैत अछि, से मृत्यु मे रहैत अछि। 15 जे अपना भाय सँ घृणा करैत अछि से हत्यारा अछि और अहाँ सभ जनैत छी जे कोनो हत्यारा मे अनन्त जीवन वास नहि करैत छैक। 16 प्रेम की अछि, से अपना सभ एहि सँ जनैत छी, जे प्रभु यीशु मसीह अपना सभक लेल अपन प्राण देलनि। और अपना सभ केँ सेहो अपन भाय सभक लेल अपन प्राण देबाक चाही। 17 जँ ककरो संसारक सम्पत्ति छैक, और ओ अपना भाय केँ आवश्यकता मे देखैत छैक, मुदा ओकरा प्रति अपन हृदय कठोर कऽ लैत अछि, तँ ओकरा मे परमेश्वरक प्रेम कोना रहि सकैत छैक? 18 प्रिय बौआ सभ, अपना सभ खाली शब्द वा बात द्वारा प्रेम नहि करी, बल्कि शुद्ध मोन सँ और काज द्वारा करी। 19 तँ एहि प्रकारेँ अपना सभ जानि जायब जे अपना सभ सत्यक सन्तान छी। और एहि प्रकारेँ जखन-जखन अपना सभक मोन अपना सभ केँ दोषी ठहराओत, तखन-तखन अपना सभ अपन मोन केँ हुनका सामने शान्त कऽ सकब। कारण परमेश्वर अपना सभक मोन सँ पैघ छथि, और ओ सभ किछु जनैत छथि। 21 प्रिय मित्र सभ, जँ अपना सभक मोन अपना सभ केँ दोषी नहि ठहरबैत अछि, तँ अपना सभ परमेश्वरक सामने साहस सँ आबि सकैत छी, 22 और जे किछु हुनका सँ मँगबनि से प्राप्त करब, किएक तँ हुनकर आज्ञाक पालन करैत छियनि और वैह करैत छी जे हुनका प्रिय छनि। 23 हुनकर आज्ञा ई अछि जे अपना सभ हुनकर पुत्र यीशु मसीह पर विश्वास करी, और जहिना ओ अपना सभ केँ आदेश देलनि तहिना एक-दोसर सँ प्रेम करी। 24 जे केओ हुनकर आज्ञा सभक पालन करैत अछि, से हुनका मे रहैत अछि और ओ तकरा मे। ओ अपना सभ मे वास करैत छथि, से अपना सभ ओहि आत्मा द्वारा जनैत छी जे ओ अपना सभ केँ देने छथि।
1 प्रिय मित्र सभ, ताहि सभ लोकक विश्वास नहि करू जे कहैत अछि जे हमरा मे परमेश्वरक आत्मा छथि, बल्कि ओकरा सभक जाँच करू, ई बुझबाक लेल जे ओकरा मे जे आत्मा छैक, से परमेश्वरक दिस सँ अछि वा नहि। किएक तँ बहुतो लोक संसार मे निकलि गेल अछि जे झूठ बाजि कऽ अपना केँ परमेश्वरक प्रवक्ता कहैत अछि। 2 परमेश्वरक आत्मा केँ अहाँ सभ एहि तरहेँ चिन्हि सकैत छी—जे केओ स्वीकार करैत अछि जे यीशु मसीह मनुष्य बनि कऽ अयलाह, तकरा मे परमेश्वरक आत्मा छथि। 3 मुदा जे केओ यीशु केँ एहि तरहेँ स्वीकार नहि करैत अछि, तकरा मे जे आत्मा अछि, से परमेश्वरक दिस सँ नहि अछि। ओकरा मे “मसीह-विरोधी”क आत्मा अछि, जकरा बारे मे अहाँ सभ सुनने छलहुँ जे आबऽ वला अछि, और एखनो ओ संसार मे आबि गेल अछि। 4 प्रिय बौआ सभ, अहाँ सभ ओहि झुट्ठा शिक्षक सभ पर विजयी भऽ गेल छी, कारण अहाँ सभ परमेश्वरक छी, और जे अहाँ सभ मे छथि, से तकरा सँ शक्तिशाली छथि जे संसार मे अछि। 5 ओ सभ संसारक अछि आ तेँ संसारेक बात कहैत अछि, और संसार ओकरा सभक बात सुनैत छैक। 6 मुदा अपना सभ परमेश्वरक छी, और जे केओ परमेश्वर केँ चिन्हैत छनि, से अपना सभक सुनैत अछि। मुदा जे केओ परमेश्वरक नहि अछि से अपना सभक नहि सुनैत अछि। एहि सँ अपना सभ सत्यक आत्मा और झूठक आत्मा चिन्हि सकैत छी। 7 प्रिय मित्र सभ, अपना सभ एक-दोसर सँ प्रेम करी, किएक तँ प्रेम परमेश्वर सँ उत्पन्न होइत अछि। जे प्रेम करैत अछि, से परमेश्वरक सन्तान अछि और परमेश्वर केँ चिन्हैत अछि। 8 जे प्रेम नहि करैत अछि, से परमेश्वर केँ नहि चिन्हैत अछि, किएक तँ परमेश्वर प्रेम छथि। 9 परमेश्वर अपन प्रेम अपना सभक बीच एहि प्रकारेँ प्रगट कयलनि—ओ अपन एकलौता पुत्र केँ संसार मे पठा देलनि जाहि सँ अपना सभ हुनका द्वारा जीवन प्राप्त करी। 10 प्रेमक अर्थ ई नहि, जे अपना सभ परमेश्वर सँ प्रेम कयलियनि, बल्कि ई, जे ओ अपना सभ सँ प्रेम कयलनि और अपन पुत्र केँ अपना सभक पापक प्रायश्चित्त करऽ वला बलि बना कऽ पठा देलनि। 11 प्रिय मित्र सभ, जँ परमेश्वर अपना सभ सँ एहन प्रेम कयलनि, तँ अपनो सभ केँ एक-दोसर सँ प्रेम करबाक चाही। 12 परमेश्वर केँ केओ कहियो नहि देखने छनि, मुदा अपना सभ जँ एक-दोसर सँ प्रेम करैत छी तँ ओ अपना सभ मे वास करैत छथि और अपना सभ मे हुनकर प्रेम सिद्ध होइत अछि। 13 अपना सभ हुनका मे रहैत छी और ओ अपना सभ मे, तकर प्रमाण ई भेल जे ओ अपना सभ केँ अपन आत्मा मे सहभागी बना लेने छथि। 14 अपना सभ देखने छी और गवाही दैत छी जे पिता अपना पुत्र केँ संसारक उद्धारकर्ताक रूप मे पठौलनि। 15 जँ केओ स्वीकार करैत अछि जे यीशु परमेश्वरक पुत्र छथि, तँ परमेश्वर ओकरा मे रहैत छथि और ओ परमेश्वर मे। 16 परमेश्वरक प्रेम जे अपना सभक प्रति छनि, तकरा अपना सभ जानि गेल छी और ताही पर भरोसा करैत छी। परमेश्वर प्रेम छथि। जे केओ प्रेम मे रहैत अछि से परमेश्वर मे रहैत अछि, और परमेश्वर ओकरा मे। 17 अपना सभ मे प्रेम सिद्ध होयबाक उद्देश्य ई अछि जे अपना सभ न्यायक दिन मे निर्भय रही, और एहि कारण निर्भय रही जे संसार मे अपना सभ तेहन छी जेहन यीशु छथि। 18 प्रेम मे डर नहि होइत अछि। सिद्ध प्रेम डर केँ भगा दैत अछि, कारण डर दण्ड सँ सम्बन्धित अछि। जे डेराइत अछि, से प्रेम मे सिद्ध नहि भेल अछि। 19 अपना सभ एहि लेल प्रेम करैत छी जे ओ पहिने अपना सभ सँ प्रेम कयलनि। 20 जँ केओ कहैत अछि जे, हम परमेश्वर सँ प्रेम करैत छी, जखन कि अपना भाय सँ घृणा करैत अछि, तँ ओ झूठ बाजऽ वला अछि। कारण, जे अपना भाय सँ जकरा ओ देखने छैक प्रेम नहि करैत अछि, से परमेश्वर सँ जिनका ओ नहि देखने छनि कोना प्रेम कऽ सकैत अछि? 21 और ओ अपना सभ केँ ई आज्ञा देने छथि जे, जे परमेश्वर सँ प्रेम करैत अछि से अपना भाय सँ सेहो प्रेम करय।
1 जे केओ विश्वास करैत अछि जे यीशुए उद्धारकर्ता-मसीह छथि, से परमेश्वरक सन्तान अछि, और जे केओ पिता सँ प्रेम करैत छनि, से हुनकर सन्तानो सँ प्रेम करैत छैक। 2 अपना सभ जँ परमेश्वर सँ प्रेम करैत छी और हुनकर आज्ञा सभक पालन करैत छी तँ एहि सँ ई जानि सकैत छी जे परमेश्वरक सन्तान सभ सँ प्रेम करैत छी। 3 परमेश्वर सँ प्रेम कयनाइ ई अछि—हुनकर आज्ञा सभक पालन कयनाइ। हुनकर आज्ञा सभ कठिन नहि अछि, 4 कारण, जे केओ परमेश्वरक सन्तान अछि, से संसार पर विजय प्राप्त कयने अछि। ओ विजय जे संसार केँ पराजित करैत अछि, से अपना सभक विश्वासे अछि। 5 संसार पर विजय के प्राप्त कऽ सकैत अछि? खाली वैह जे विश्वास करैत अछि जे यीशु परमेश्वरक पुत्र छथि। 6 यीशु मसीह वैह छथि जे जल और खून द्वारा प्रगट भेलाह। ओ मात्र जले द्वारा नहि, बल्कि जल और खून दूनू द्वारा प्रगट भेलाह। और एकर गवाह पवित्र आत्मा छथि, कारण ओ आत्मा सत्य छथि। 7 एहि तरहेँ तीनटा अछि जे गवाही दैत अछि— 8 परमेश्वरक आत्मा, जल और खून, और तीनू सहमत अछि। 9 अपना सभ मनुष्यक गवाही मानि लैत छी, तँ परमेश्वरक गवाही ओहि सँ कतेक पैघ अछि, और ई गवाही परमेश्वर स्वयं अपना पुत्रक विषय मे देने छथि। 10 जे केओ परमेश्वरक पुत्र पर विश्वास करैत अछि, तकरा हृदय मे ई गवाही रहैत छैक। जे केओ परमेश्वरक बात नहि मानैत अछि, से हुनका झुट्ठा ठहरबैत छनि, कारण ओ ओहि गवाहीक विश्वास नहि कयलक जे परमेश्वर अपना पुत्रक विषय मे देने छथि। 11 ओ गवाही ई अछि जे परमेश्वर अपना सभ केँ अनन्त जीवन देने छथि, और ई जीवन हुनकर पुत्र मे भेटैत अछि। 12 जकरा ककरो मे परमेश्वरक पुत्र छथिन, तकरा मे जीवन छैक, और जकरा ककरो मे परमेश्वरक पुत्र नहि छथिन, तकरा मे जीवन नहि छैक। 13 अहाँ सभ केँ, जे परमेश्वरक पुत्रक नाम पर विश्वास करैत छी, हम ई सभ बात लिखि रहल छी जाहि सँ अहाँ सभ जानी जे अहाँ सभ केँ अनन्त जीवन अछि। 14 अपना सभ परमेश्वरक सामने मे साहस सँ आबि सकैत छी, कारण अपना सभक पूर्ण विश्वास अछि जे, जँ हुनकर इच्छाक अनुसार किछु मँगैत छियनि तँ ओ अपना सभक प्रार्थना सुनैत छथि। 15 और जँ ई जनैत छी जे ओ अपना सभक प्रार्थना सुनैत छथि, चाहे जे किछु मँगियनि, तँ इहो निश्चय जनैत छी जे, जे किछु हुनका सँ मँगने छी, से अपना सभ केँ प्राप्त भऽ गेल अछि। 16 जँ केओ अपना भाय केँ एहन पाप करैत देखत जकर परिणाम मृत्यु नहि होइक, तँ ओ प्रार्थना करय, और ओ जे पाप कयलक, तकरा परमेश्वर जीवन देथिन। हम तकरे सभक बारे मे कहैत छी जे एहन पाप करैत अछि जकर परिणाम मृत्यु नहि छैक। किएक तँ एहनो पाप होइत अछि जकर परिणाम मृत्यु छैक। हम नहि कहैत छी जे ओहि सम्बन्ध मे प्रार्थना कयल जाय। 17 सभ गलत काज तँ पाप अछि, मुदा एहनो पाप होइत अछि जकर परिणाम मृत्यु नहि छैक। 18 अपना सभ जनैत छी जे, जे केओ परमेश्वर सँ उत्पन्न भेल अछि, से पाप नहि करैत रहैत अछि। परमेश्वरक पुत्र ओकरा सुरक्षित रखैत छथिन, और शैतान ओकरा छुबि नहि सकैत छैक। 19 अपना सभ जनैत छी जे परमेश्वरक सन्तान छी और सौंसे संसार शैतानक वश मे अछि। 20 अपना सभ इहो जनैत छी जे परमेश्वरक पुत्र आयल छथि और अपना सभ केँ बुझबाक सामर्थ्य देने छथि जाहि सँ अपना सभ सत्य परमेश्वर केँ चिन्हि सकी। अपना सभ सत्य परमेश्वर मे छी, किएक तँ हुनकर पुत्र यीशु मसीह मे छी। यैह सत्य परमेश्वर और अनन्त जीवन छथि। 21 प्रिय बौआ सभ, अपना केँ झुट्ठा-देवता सभ सँ बचा कऽ राखू।
1 ई पत्र हम, “धर्मवृद्ध”, परमेश्वर द्वारा चुनल महिला और हुनकर सन्तान सभ केँ लिखि रहल छी, जिनका सभ सँ हम सत्यक कारणेँ प्रेम करैत छी, और प्रेम हमहींटा नहि, बल्कि ओ सभ लोक सेहो करैत अछि जे सत्य केँ जनैत अछि। 2 ई प्रेम ओहि सत्य पर आधारित अछि जे अपना सभ मे रहैत अछि और अपना सभक संग अनन्त काल तक रहत। 3 परमेश्वर पिताक दिस सँ, और पिताक पुत्र यीशु मसीहक दिस सँ, प्रेम और सत्यक संग कृपा, दया और शान्ति अपना सभ पर बनल रहत। 4 ई देखि हमरा बड्ड आनन्द भेल जे अहाँक किछु सन्तान सत्यक मार्ग पर चलि रहल अछि, जेना पिता अपना सभ केँ आज्ञा देलनि। 5 आब, बहिनजी, हम अहाँ केँ कोनो नव आज्ञा नहि लिखि रहल छी; ई अपना सभ केँ शुरुए सँ भेटल अछि—हम विनती करैत छी जे एक-दोसर सँ प्रेम करी। 6 प्रेमक अर्थ ई भेल जे पिताक आज्ञाक अनुसार चली। हुनकर आज्ञा, जे अहाँ सभ शुरू सँ सुनने छी से ई अछि जे, प्रेमक मार्ग पर चलू। 7 संसार मे बहुतो बहकाबऽ वला झुट्ठा-शिक्षक बहरायल अछि जे नहि मानैत अछि जे यीशु मसीह मनुष्य बनि कऽ अयलाह। एहन व्यक्ति धोखा देबऽ वला और “मसीह-विरोधी” अछि। 8 सावधान रहू—एना नहि होअय जे, जाहि बातक लेल अहाँ सभ परिश्रम कयलहुँ तकरा गमा दी, बल्कि एना होअय जे अहाँ सभ केँ ओहि परिश्रमक पूरा पुरस्कार भेटय। 9 जे केओ मसीहक शिक्षा मे बनल नहि रहैत अछि, बल्कि ताहि सँ अलग बात मानि कऽ ओहि सँ “आगाँ” भगैत अछि, से परमेश्वर सँ वंचित अछि। जे केओ मसीहक शिक्षा मे रहैत अछि, तकरा लग पिता और पुत्र दूनू छथिन। 10 जँ अहाँ सभक ओहिठाम ओहन व्यक्ति आबय जे एहि सँ अलग शिक्षा दैत अछि तँ ओकरा अपना घर मे टपऽ नहि दिअ, आ ने ओकरा कुशलताक कामना करिऔक। 11 कारण, जे ओकरा कुशलताक कामना करैत अछि, से ओकर दुष्ट काज मे सहभागी बनैत अछि। 12 अहाँ सभ केँ बहुत किछु कहबाक अछि, मुदा से सभ हम चिट्ठी मे नहि लिखऽ चाहैत छी। आशा अछि जे अहाँ सभ लग आबि आमने-सामने बात करब, जाहि सँ अपना सभक आनन्द पूर्ण होअय। 13 परमेश्वरक चुनल अहाँक बहिनक सन्तान सभ अहाँ केँ नमस्कार कहैत अछि।
1 हम, “धर्मवृद्ध”, ई पत्र अपन प्रिय भाइ गयुस केँ लिखि रहल छी, जिनका सँ हम सत्यक कारणेँ प्रेम करैत छी। 2 प्रिय मित्र, हम परमेश्वर सँ प्रार्थना करैत छी जे जहिना अहाँ आत्मिक रूप मे कुशल छी, तहिना आओर सभ बात मे सकुशल रहैत स्वस्थ रही। 3 किएक तँ जखन किछु भाय सभ आबि कऽ सुनौलनि जे अहाँ मे सत्यक लेल केहन निष्ठा अछि आ कोना अहाँ सत्य पर चलि रहल छी तँ हम बड्ड खुश भेलहुँ। 4 हमरा लेल एहि सँ बड़का आनन्दक बात दोसर कोनो नहि भऽ सकैत अछि, जे हम ई सुनी जे हमर बच्चा सभ सत्य पर चलि रहल अछि। 5 प्रिय मित्र, अहाँ अपरिचितो भाय सभक सेवा-सत्कार मे जे किछु कऽ रहल छी, ताहि मे अहाँ अपना केँ विश्वासपात्र सिद्ध कयने छी। 6 ओ सभ एतुका मण्डली केँ अहाँक प्रेमक बारे मे कहि देने छथि। जँ अहाँ हुनका सभक आगाँ वला यात्राक एहन प्रबन्ध कऽ दियनि जे परमेश्वर चाहितथि, तँ से बहुत बढ़ियाँ रहत, 7 किएक तँ ओ सभ मसीहक नामक प्रचारक लेल निकलल छथि, और ओहन लोक सभ सँ किछु सहयोग नहि लैत छथि जे सभ प्रभु केँ नहि चिन्हैत अछि। 8 तेँ अपना सभ केँ एहन लोकक सहयोग करबाक चाही, जाहि सँ सत्यक लेल ओ सभ जे काज करैत छथि, ताहि मे अपना सभ हुनका सभक संग सहभागी भऽ सकी। 9 हम मण्डलीक सदस्य सभ केँ एक चिट्ठी लिखने छलहुँ, मुदा दियुत्रिफेस, जे सभक प्रमुख बनबाक धुनि मे अछि, से हमरा सभक बात नहि मानैत अछि। 10 तँ हम जँ आयब तँ ओकर काज झाँपब नहि। ओ दुष्ट भावना सँ हमरा सभक विरोध मे खराब बात सभ कहि कऽ हमरा सभक निन्दा करैत अछि। और एतबे सँ सन्तुष्ट नहि भऽ कऽ ओ भाय सभक अतिथि-सत्कार सेहो नहि करैत अछि, और जे सभ हुनका सभक अतिथि-सत्कार करऽ चाहैत छथि तिनको सभ केँ ओ नहि करऽ दैत अछि, आ हुनका सभ केँ मण्डली सँ निकालि दैत अछि। 11 प्रिय मित्र, अहाँ अधलाह काज देखि कऽ तेना नहि करू, बल्कि जे नीक अछि, तेना करू। जे केओ नीक काज करैत अछि से परमेश्वरक लोक अछि, मुदा जे केओ अधलाह काज करैत अछि, से परमेश्वर केँ कहियो नहि देखने अछि। 12 देमेत्रियुसक बारे मे सभ केओ बहुत नीक कहैत अछि। ओ सत्य पर चलैत छथि, आ एहि तरहेँ हुनका जीवन द्वारा सत्य अपने हुनका नीक लोक ठहरबैत अछि। हमहूँ सभ नीक कहैत छियनि, और अहाँ जनैत छी जे हमरा सभक गवाही सत्य होइत अछि। 13 हमरा अहाँ केँ बहुत किछु कहबाक अछि, मुदा हम चिट्ठी मे नहि लिखऽ चाहैत छी। 14 हमरा आशा अछि जे अहाँ सँ जल्दी भेँट कऽ सकब, आ तखन अपना सभ आमने-सामने बात-चीत करब। 15 अहाँ केँ शान्ति भेटय। एहिठामक संगी सभ अहाँ केँ नमस्कार कहैत छथि। ओहिठामक संगी सभ केँ नाम लऽ लऽ कऽ हमरा सभक नमस्कार कहि देबनि।
1 हम यहूदा, जे यीशु मसीहक सेवक आ याकूबक भाय छी, अहाँ सभ केँ जे सभ परमेश्वर पिता द्वारा बजाओल गेल छी, हुनकर प्रिय लोक छी आ यीशु मसीहक लेल सुरक्षित राखल छी, ई पत्र लिखि रहल छी। 2 अहाँ सभ केँ प्रशस्त मात्रा मे दया, शान्ति आ प्रेम भेटय। 3 प्रिय भाइ सभ, अपना सभ जाहि उद्धार मे सहभागी छी, तकरा विषय मे हम अहाँ सभ केँ लिखबाक लेल बहुत उत्सुक छलहुँ, मुदा आब हमरा आवश्यक बुझायल जे एहि पत्र द्वारा हम अहाँ सभ केँ अनुरोध करी जे, जाहि सत्य पर अपना सभ विश्वास करैत छी आ जे सदा कालक लेल एक बेर प्रभुक लोकक जिम्मा मे सौंपल गेल, तकर रक्षाक लेल संघर्ष करू। 4 किएक तँ अहाँ सभक बीच किछु एहन लोक चुप-चाप पैसि गेल अछि जकरा सभक दण्ड-आज्ञाक बारे मे प्राचीन काल मे धर्मशास्त्र मे लिखल गेल। ओ सभ परमेश्वरक डर नहि मानैत अछि, ओ सभ परमेश्वरक कृपा केँ हेर-फेर कऽ कऽ ओकरा कुकर्म करबाक अधिकारक रूप मे मानि लैत अछि, और अपना सभक एकमात्र स्वामी आ प्रभु, अर्थात् यीशु मसीह केँ, अस्वीकार करैत अछि। 5 ओना तँ अहाँ सभ ई बात पहिने सँ जनैत छी, तैयो हम अहाँ सभ केँ स्मरण कराबऽ चाहैत छी जे, प्रभु मिस्र देश सँ इस्राएली लोक सभ केँ मुक्त करा कऽ निकालि लेलनि, मुदा बाद मे ओकरा सभ मे सँ जे सभ विश्वास नहि कयलक, तकरा सभक विनाश कऽ देलनि। 6 स्वर्गदूतो वला बात केँ मोन पाड़ू—स्वर्गदूत सभ मे सँ जे सभ अपन अधिकारक पद नहि राखि अपन वास स्थान छोड़ि देलक, तकरा सभ केँ परमेश्वर भीषण न्याय-दिनक न्यायक लेल कहियो नहि खुलऽ वला बन्हन मे बान्हि कऽ अन्हार मे राखि देलथिन। 7 एही तरहेँ सदोम, गमोरा आ तकरा लग-पासक नगर सभ ओही स्वर्गदूत सभ जकाँ कुकर्म कयलक आ अप्राकृतिक शारीरिक इच्छा सभक पाछाँ दौड़ैत रहल। ओ सभ अनन्त आगिक दण्ड मे पड़ि कऽ आन लोकक लेल उदाहरण बनल अछि। 8 ठीक ओही तरहेँ ई सभ जे अहाँ सभक समूह मे आयल अछि, से सभ अपन सपना सभ सँ प्रेरणा पाबि कऽ अपना शरीर केँ अशुद्ध करैत अछि, किनको अधीन मे नहि रहैत अछि आ स्वर्गिक प्राणी सभक निन्दा करैत अछि। 9 प्रधान स्वर्गदूत मिकाएल सेहो जखन मूसाक लासक विषय मे शैतान सँ वाद-विवाद कऽ रहल छलाह, तँ हुनका साहस नहि भेलनि जे शैतान केँ अपमान-जनक शब्द कहि कऽ ओकरा पर दोष लगबथि। ओ मात्र एतबे कहलथिन, “परमेश्वरे तोरा दण्डित करथुन।” 10 मुदा ई लोक सभ जाहि बात सभ केँ नहि बुझैत अछि, तकर विरोध मे बजैत अछि। अविवेकी जानबर सभ जकाँ ई सभ एतबे बुझैत अछि जे शरीर मे कोन बातक लेल इच्छा भऽ रहल अछि, आ सैह बात सभ एकरा सभ केँ नष्ट करतैक। 11 ओकरा सभ केँ धिक्कार छैक! किएक तँ ओ सभ काइनक चालि अपनौने अछि। ओ सभ बिलाम जकाँ अनुचित लाभक पाछाँ दौड़ि कऽ पथभ्रष्ट भऽ गेल अछि, आ कोरह जकाँ विद्रोह कऽ कऽ नाश भऽ गेल अछि। 12 ओ सभ अहाँ सभक प्रेम-भोज सभ मे कलंक स्वरूप अछि, किएक तँ ओ सभ निःसंकोच भऽ खाइत-पिबैत खाली अपने भरण-पोषण केँ ध्यान मे रखैत अछि। ओ सभ ओहन मेघ अछि जे बरसैत नहि अछि आ हवाक प्रवाह सँ एम्हर-ओम्हर उड़ैत रहैत अछि। ओ सभ ओहन गाछ सभ अछि जे फड़बाक समय अयला पर सेहो नहि फड़ैत अछि आ जकरा सभ केँ जड़ि सँ उखाड़ल गेल अछि—ओ सभ दू बेर मरि चुकल अछि। 13 ओ सभ समुद्रक प्रचण्ड लहरि सभ अछि जे अपन लज्जाजनक काजक फेन उझलैत अछि। ओ सभ एम्हर-ओम्हर घुमऽ वला तारा सभ अछि जकरा सभक लेल अन्हार-गुज स्थान अनन्त कालक लेल ठहराओल गेल अछि। 14 हनोक सेहो, जे आदम सँ सातम पीढ़ी मे छलाह, एकरा सभक विषय मे भविष्यवाणी कयलनि जे, “देखू, परम-प्रभु अपन असंख्य पवित्र स्वर्गदूतक संग आबि रहल छथि 15 जाहि सँ सभ लोकक न्याय करथि आ अधर्मी सभ जतेक अधर्म कयलक आ धर्मद्रोही पापी सभ प्रभुक विरोध मे जतेक खराब बात बाजल अछि, ताहि सभ बातक लेल ओकरा सभ केँ दोषी ठहरबथि।” 16 एहन लोक सभ कुड़बुड़ाइत रहैत अछि, अनकर दोष तकैत अछि, अपन अधलाह इच्छा सभक अनुसार चलैत अछि, अपन बड़ाइ करैत अछि, आ अपन लाभक लेल लोकक चापलूसी करैत अछि। 17 परन्तु यौ प्रिय भाइ सभ, अहाँ सभ ओहि बात केँ मोन राखू जे अपना सभक प्रभु यीशु मसीहक पठाओल दूत सभ अहाँ सभ केँ पहिनहि कहि देने छथि। 18 ओ सभ कहलनि जे, “अन्तिम समय मे एहन ठट्ठा कयनिहार सभ आओत जे परमेश्वरक डर नहि मानि कऽ अपन अधलाह इच्छा सभक अनुसार आचरण करत।” 19 ई सभ ओहन लोक अछि जे मण्डली मे फूट करबैत अछि। ई सभ मात्र एहि संसारक बात सभक बारे मे सोचैत अछि। एकरा सभ मे परमेश्वरक आत्माक वास नहि अछि। 20 मुदा यौ प्रिय भाइ सभ, अहाँ सभ जाहि अति पवित्र सत्य पर विश्वास कयने छी, ताहि मे बलवन्त होइत जाउ, आ परमेश्वरक पवित्र आत्माक शक्ति द्वारा प्रार्थना करैत रहू। 21 अहाँ सभ अपना केँ परमेश्वरक प्रेम मे रखने रहू आ ओहि दिनक बाट तकैत रहू जहिया अपना सभक प्रभु यीशु मसीह अपना दया सँ अहाँ सभ केँ अनन्त जीवन मे लऽ अनताह। 22 जे सभ अपना विश्वास मे डगमगा रहल अछि, तकरा सभ पर दया करू। 23 दोसर सभ केँ आगि मे सँ खीचि कऽ बचाउ। फेर दोसर लोक एहन अछि, जकरा सभ पर दया करैत काल मे सावधान रहबाक अछि; ओकरा सभक ओहि वस्त्र सभ सँ सेहो घृणा करू जे पापी स्वभावक कुकर्म सँ अपवित्र कयल गेल अछि। 24 आब, जे अहाँ सभ केँ खसऽ सँ बचा सकैत छथि, अपन महिमामय उपस्थिति मे अहाँ सभ केँ निर्दोष आ अति आनन्दित कऽ कऽ ठाढ़ कऽ सकैत छथि— 25 अर्थात्, अपना सभक उद्धारकर्ता, ओहि एकमात्र परमेश्वर केँ अपना सभक प्रभु यीशु मसीह द्वारा महिमा, गौरव, सामर्थ्य, आ अधिकार होनि; जहिना सनातन काल सँ छनि, तहिना एखनो होनि आ युगानुयुग होइत रहनि! आमीन।
1 ई यीशु मसीह द्वारा प्रगट कयल बात अछि। ई हुनका परमेश्वर द्वारा देखाओल गेलनि, जाहि सँ ओ अपन सेवक सभ केँ ओ घटना सभ देखबथि जे जल्दी होमऽ वला अछि। यीशु मसीह अपन स्वर्गदूत पठा कऽ अपन सेवक यूहन्ना केँ एहि बात सभक जानकारी देलनि, 2 और यूहन्ना जे किछु देखलनि, अर्थात्, परमेश्वरक वचन आ यीशु मसीह जे गवाही देलनि, से सभ बात एहि पुस्तक मे लिखलनि। 3 धन्य अछि ओ जे एहि भविष्यवाणी केँ पढ़ैत अछि, आ धन्य अछि ओ सभ जे एकरा सुनैत अछि और एहि मे लिखल बात सभक पालन करैत अछि, किएक तँ ओ समय लगचिआ गेल अछि जहिया ई घटना सभ होयत। 4 आसिया प्रदेशक सातो मसीही मण्डली केँ यूहन्नाक ई पत्र— ओ जे छथि, जे छलाह आ जे आबहो वला समय मे रहताह, से, आ हुनका सिंहासनक समक्ष उपस्थित रहऽ वला सात आत्मा आ यीशु मसीह, से, अहाँ सभ पर कृपा करथि आ शान्ति देथि। यीशु मसीह विश्वसनीय गवाह छथि, मुइल सभ मे सँ पहिल जीबि उठऽ वला छथि आ पृथ्वीक राजा सभक उपर शासन करऽ वला छथि। ओ जे अपना सभ सँ प्रेम करैत छथि, जे अपन खून द्वारा अपना सभ केँ पाप सँ मुक्त कऽ देने छथि, 6 ओ जे अपना सभ केँ अपन राज्य बनौने छथि और अपन पिता परमेश्वरक सेवा करबाक लेल पुरोहित बनौने छथि—तिनकर युगानुयुग स्तुति आ सामर्थ्य होइत रहनि। आमीन। 7 देखू, ओ मेघ सभक संग आबऽ वला छथि। हुनका सभ लोक अपना आँखि सँ देखतनि, ओहो सभ देखतनि जे सभ हुनका भाला सँ भोंकने छलनि। पृथ्वी परक समस्त जातिक लोक हुनका कारण कन्ना-रोहटि करत। ई सभ बात निश्चित होयत। आमीन। 8 प्रभु परमेश्वर कहैत छथि जे, “शुरुआत और अन्त हमहीं छी। हम वैह छी, जे छथि, जे छलाह, जे आबहो वला समय मे रहताह—वैह, जे सर्वशक्तिमान छथि।” 9 हम यूहन्ना, जे अहाँ सभक भाय छी, अहाँ सभक संग ओहि कष्ट, राज्य आ सहनशीलता मे सहभागी छी जे यीशुक लोक होयबाक कारणेँ अपना सभ केँ होइत अछि। हम परमेश्वरक वचनक प्रचार करबाक कारणेँ आ यीशुक सम्बन्ध मे गवाही देबाक कारणेँ पतमुस द्वीप मे बन्दी छलहुँ। 10 “प्रभुक दिन” मे हमरा प्रभुक आत्मा अपना नियन्त्रण मे लेलनि, और हम अपना पाछाँ धुतहूक आवाज जकाँ किनको आवाज जोर सँ ई कहैत सुनलहुँ जे, 11 “जे किछु तोँ देखबह तकरा पुस्तक मे लिखिहह आ ओकरा इफिसुस, स्मुरना, पिरगमुन, थूआतीरा, सरदीस, फिलादेलफिया आ लौदीकिया समेत एहि सातो शहरक मण्डली केँ पठा दिहक।” 12 हमरा ई के कहि रहल छथि तिनका देखबाक लेल हम घुमलहुँ आ घूमि कऽ हम दीप राखऽ वला सातटा सोनाक लाबनि देखलहुँ। 13 ओहि लाबनिक बीच केओ ठाढ़ छलाह जे मनुष्य-पुत्र जकाँ लगैत छलाह। ओ पयर धरि लम्बा वस्त्र पहिरने छलाह और अपन छाती पर सोनाक चौड़ा पट्टी बन्हने छलाह। 14 हुनकर माथक केश ऊन वा बर्फ सन उज्जर छलनि, आ हुनकर आँखि आगि जकाँ धधकि रहल छलनि। 15 हुनकर पयर आगि मे धिपाओल पित्तरि जकाँ चमकि रहल छलनि आ हुनकर बजनाइ समुद्रक गरजनाइ जकाँ सुनाइ दैत छल। 16 हुनका दहिना हाथ मे सातटा तारा छलनि आ हुनका मुँह सँ एक तेज दूधारी तरुआरि निकलि रहल छलनि। हुनकर चेहरा दुपहरक सूर्य जकाँ चमकैत छलनि। 17 हुनका देखिते हम मरल जकाँ हुनका चरण पर खसि पड़लहुँ। तखन ओ अपन दहिना हाथ हमरा पर रखलनि आ कहलनि जे, “नहि डेराह, हम पहिल आ अन्तिम छी। 18 हम वैह छी जे जीवित छथि। हम मरि गेल छलहुँ, मुदा देखह, हम आब युगानुयुग जीवित छी! मृत्यु आ पातालक कुंजी हमरा लग अछि। 19 एहि लेल, जे बात सभ तोँ देखलह, अर्थात्, जे बात सभ भऽ रहल अछि आ जे बात सभ एकर बाद मे होमऽ वला अछि, तकरा लिखि लैह। 20 तोँ जे सातटा तारा हमरा दहिना हाथ मे देखलह तकर, आ एतऽ जे सोनाक सातटा लाबनि अछि, तकर रहस्य ई अछि—सातटा तारा सातो मण्डलीक दूत सभ अछि आ ई सातटा लाबनि सातटा मण्डली अछि।
1 “इफिसुसक मण्डलीक दूत केँ ई लिखह, ओ जे अपन दहिना हाथ मे सातो तारा धयने छथि आ दीप राखऽ वला सोनाक सातो लाबनिक बीच चलैत-फिरैत छथि से ई कहैत छथि— 2 हम अहाँक काज सभ सँ, अहाँक परिश्रम आ अहाँक सहनशीलता सँ परिचित छी। हम जनैत छी जे अहाँ दुष्ट लोक सभ केँ बरदास्त नहि करैत छी। जे सभ अपना केँ मसीह-दूत कहैत अछि मुदा अछि नहि, तकरा सभ केँ अहाँ जाँच कयने छी आ झुट्ठा पौने छी। 3 अहाँ सभ धैर्य रखने छी, हमरा नामक कारणेँ कष्ट सहने छी आ निराश नहि भेलहुँ। 4 मुदा हमरा अहाँक विरोध मे ई कहबाक अछि जे अहाँ अपन पहिलुका प्रेम छोड़ि देने छी। 5 एहि लेल मोन राखू जे कतेक ऊँच स्थान सँ अहाँ खसल छी। आब अहाँ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू आ पहिने जकाँ अपन आचरण राखू। जँ से नहि करब तँ हम आबि कऽ अहाँक लाबनि अपन स्थान पर सँ हटा देब। 6 तैयो एतेक अवश्य अछि जे हमरे जकाँ अहूँ निकोलायी पंथक लोक सभक काज सभ सँ घृणा करैत छी। 7 जकरा सभ केँ कान होइक, से सभ सुनि लओ जे प्रभुक आत्मा मण्डली सभ केँ की कहैत छथि। जे सभ विजय प्राप्त करत तकरा सभ केँ हम परमेश्वरक स्वर्ग-बगीचा मेहक जीवनक गाछक फल खयबाक अधिकार देबैक। 8 “स्मुरनाक मण्डलीक दूत केँ ई लिखह, जे पहिल आ अन्तिम छथि, जे मरि गेल छलाह आ आब जीबि उठल छथि से ई कहैत छथि— 9 हम अहाँक कष्ट आ गरीबी सँ परिचित छी। मुदा वास्तव मे अहाँ धनवान छी! और हम इहो जनैत छी जे, ओ सभ जे यहूदी भऽ कऽ अपना केँ परमेश्वरक लोक कहैत अछि, मुदा अछि नहि, से सभ अहाँक कतेक बदनामी करैत अछि। ओ सभ शैतानक समूह अछि। 10 आबऽ वला समय मे अहाँ जे कष्ट सहऽ वला छी, ताहि सँ नहि डेराउ। देखू, शैतान अहाँ सभ केँ जँचबाक लेल अहाँ सभ मे सँ कतेको गोटे केँ जहल मे राखि देत। एहि तरहेँ अहाँ सभ केँ दस दिन तक कष्ट भोगऽ पड़त। प्राणो देबऽ पड़य, ताहि समय तक विश्वास मे स्थिर रहू, तखन हम अहाँ सभ केँ जीवनक मुकुट प्रदान करब। 11 जकरा सभ केँ कान होइक, से सभ सुनि लओ जे प्रभुक आत्मा मण्डली सभ केँ की कहैत छथि। जे सभ विजय प्राप्त करत तकरा सभ केँ दोसर मृत्यु सँ कोनो हानि नहि होयतैक। 12 “पिरगमुनक मण्डलीक दूत केँ ई लिखह, जिनका लग तेज दूधारी तरुआरि छनि, से ई कहैत छथि— 13 हम ई जनैत छी जे अहाँ ओतऽ रहैत छी जतऽ शैतानक सिंहासन अछि। तैयो अहाँ सभ हमरा नाम पर स्थिर छी आ अहाँ सभ ओहू समय मे हमरा पर विश्वास कयनाइ नहि छोड़लहुँ जहिया अन्तिपास, हमर विश्वस्त गवाह अहाँ सभक शहर जे शैतानक निवास स्थान अछि, ततऽ मारल गेलाह। 14 मुदा हमरा अहाँक विरोध मे किछु बात सभ कहबाक अछि, किएक तँ अहाँ सभ मे किछु एहन लोक अछि जे बिलामक शिक्षा केँ मानैत अछि। बिलाम तँ प्राचीन समय मे राजा बालाक केँ सिखौलक जे इस्राएली सभ केँ फुसलाउ जाहि सँ ओ सभ मूर्ति सभ पर चढ़ाओल गेल वस्तु सभ खा कऽ आ एक-दोसराक संग अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध राखि कऽ पाप मे फँसि जाय। 15 एहि तरहेँ अहूँ सभ मे किछु एहन लोक अछि जे सभ निकोलायी पंथक शिक्षा केँ मानैत अछि। 16 एहि लेल अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू! नहि तँ हम जल्दी अहाँ सभक ओतऽ आयब आ अपन मुँहक तरुआरि सँ ओकरा सभ सँ युद्ध करबैक। 17 जकरा सभ केँ कान होइक से सभ सुनि लओ जे प्रभुक आत्मा मण्डली सभ केँ की कहैत छथि। जे सभ विजय प्राप्त करत तकरा सभ केँ हम ओहि विशेष रोटी मे सँ खुअयबैक जे एखन नुकाओल अछि। ओकरा सभ मे सँ प्रत्येक गोटे केँ हम एक उज्जर पाथर सेहो देबैक जाहि पर एक नव नाम लिखल रहतैक जकरा पाबऽ वला केँ छोड़ि आरो केओ नहि जानि पाओत। 18 “थूआतीराक मण्डलीक दूत केँ ई लिखह, परमेश्वरक पुत्र, जिनकर आँखि आगि सन धधकैत छनि आ जिनकर पयर सुन्दर पित्तरि जकाँ चमकैत छनि, से ई कहैत छथि— 19 हम अहाँक काज सभ, अहाँक प्रेम आ विश्वास, अहाँक सेवा आ धैर्य केँ जनैत छी। हम इहो जनैत छी, जे अहाँ शुरू मे जतेक करैत छलहुँ, ताहि सँ बेसी एखन करैत छी। 20 मुदा हमरा अहाँक विरोध मे ई कहबाक अछि जे, अहाँ ओहि स्त्री, इजेबेल केँ अपना बीच रहऽ देने छी। ओ अपना केँ परमेश्वर सँ विशेष सम्बाद पौनिहारि कहैत अछि आ अपन शिक्षा द्वारा हमर सेवक सभ केँ दोसराक संग अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध रखबाक लेल और मुरुत पर चढ़ाओल गेल वस्तु सभ खयबाक लेल बहकबैत अछि। 21 हम ओकरा अवसर देलिऐक जे ओ अपना कुकर्मक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करय आ कुकर्म केँ छोड़य, मुदा ओ नहि चाहैत अछि। 22 तेँ आब हम ओकरा दुःख-बिमारीक ओछायन पर पटकि देबैक आ जे सभ ओकरा संग कुकर्म करैत अछि, से सभ जँ हृदय-परिवर्तन कऽ ओकरा संग कुकर्म कयनाइ नहि छोड़त, तँ हम ओकरा सभ पर घोर विपत्ति आनि देबैक। 23 हम ओकर धिआ-पुता सभ केँ महामारी सँ मारि देबैक। एहि तरहेँ सभ मण्डली केँ बुझऽ मे आबि जयतैक जे हृदय आ मोन केँ थाह पाबऽ वला हमहीं छी, आ हम अहाँ सभ मे सँ प्रत्येक केँ ओकर काजक अनुसार प्रतिफल देबैक। 24 मुदा हम थूआतीराक बाँकी लोक सभ केँ, अर्थात् अहाँ सभ जे सभ एहि गलत शिक्षा केँ नहि मानैत छी आ ओहि बात सभ केँ नहि सिखने छी, जे शैतानक “रहस्यमय बात” सभ कहबैत अछि, अहाँ सभ सँ हमर कथन ई अछि—हम अहाँ सभ पर आरो कोनो भार नहि राखब— 25 मात्र ई जे, जे बात अहाँ सभ लग अछि, ताहि मे हमरा अयबा धरि दृढ़ रहू। 26 जे सभ विजय प्राप्त करत और अन्त धरि हमर इच्छा पूरा करैत रहत, तकरा सभ केँ हम तहिना जाति-जातिक लोक सभ पर अधिकार देबैक, 27 जहिना हमरो अपना पिता सँ अधिकार प्राप्त भेल अछि। “ओ ओकरा सभ पर लोहाक राजदण्ड सँ शासन करताह आ ओकरा सभ केँ कुम्हारक बर्तन जकाँ चकना-चूर कऽ देताह।” 28 हम ओकरा सभ केँ भोरक तारा सेहो प्रदान करबैक। 29 जकरा सभ केँ कान होइक से सभ सुनि लओ जे प्रभुक आत्मा मण्डली सभ केँ की कहैत छथि।
1 “सरदीसक मण्डलीक दूत केँ ई लिखह, जिनका लग परमेश्वरक सात आत्मा छनि आ जे सातो तारा हाथ मे धयने छथि से ई कहैत छथि— हम अहाँक काज सभ सँ परिचित छी। अहाँ नाम मात्र केँ जीवित छी, मुदा छी वास्तव मे मरल। 2 जागू, आ जे किछु अहाँ लग बाँचल अछि, तकरा मजगूत बनाउ, कारण ओहो मरऽ पर अछि। हम अपन परमेश्वरक दृष्टि मे अहाँक काज सभ केँ अपूर्ण पौलहुँ। 3 स्मरण करू जे अहाँ कोन उपदेश सुनने छलहुँ आ स्वीकार कयने छलहुँ। ओकर पालन करू आ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू। जँ अहाँ नहि जागब, तँ हम चोर जकाँ आबि जायब—अहाँ केँ बुझहो मे नहि आओत जे हम कखन अहाँ लग पहुँचि रहल छी। 4 तैयो सरदीस मे अहाँ सभक बीच किछु एहन व्यक्ति सेहो अछि, जे सभ अपन वस्त्र गन्दा नहि कयने अछि। ओ सभ उज्जर वस्त्र पहिरने हमरा संग टहलत, किएक तँ ओ सभ ताहि बातक योग्य अछि। 5 जे सभ विजय प्राप्त करत, तकरा सभ केँ एहिना उज्जर वस्त्र पहिराओल जयतैक। ओकरा सभक नाम हम जीवनक पुस्तक मे सँ किन्नहुँ नहि मेटयबैक, आ अपन पिता और हुनकर स्वर्गदूत सभक सम्मुख ओकरा सभक नाम लऽ कऽ स्वीकार करब जे ई हमर लोक अछि। 6 जकरा सभ केँ कान होइक से सभ सुनि लओ जे प्रभुक आत्मा मण्डली सभ केँ की कहैत छथि। 7 “फिलादेलफियाक मण्डलीक दूत केँ ई लिखह, जे पवित्र आ सत्य छथि, जिनका लग दाऊदक कुंजी छनि—ओ खोलैत छथि तँ केओ बन्द नहि कऽ सकैत अछि, ओ बन्द करैत छथि तँ केओ खोलि नहि सकैत अछि—से ई कहैत छथि— 8 हम अहाँक काज सभ सँ परिचित छी। देखू, हम अहाँक सामने एक द्वारि खोलि कऽ रखने छी जकरा केओ बन्द नहि कऽ सकैत अछि। हम जनैत छी जे अहाँ केँ बेसी बल नहि अछि, तैयो अहाँ हमर शिक्षाक पालन कयने छी आ एहि बात केँ अस्वीकार नहि कयने छी जे अहाँ हमर लोक छी। 9 सुनू, हम शैतानक समूहक ओहि सदस्य सभ केँ, जे सभ यहूदी भऽ कऽ अपना केँ परमेश्वरक लोक कहैत अछि मुदा अछि नहि, जे सभ झूठ बजैत अछि, तकरा सभ केँ एहि बातक लेल बाध्य करबैक जे ओ सभ आबि कऽ अहाँक चरण मे खसय आ ई जानि लय जे हम अहाँ सँ प्रेम करैत छी। 10 हम जे अहाँ केँ सहनशीलताक संग स्थिर रहबाक आदेश देलहुँ, तकर अहाँ पालन कयलहुँ, तेँ हमहूँ अहाँ केँ ओहि विपत्तिक घड़ी मे सुरक्षित राखब जे पृथ्वीक निवासी सभक परीक्षा लेबाक लेल सम्पूर्ण संसार पर आबऽ वला अछि। 11 हम जल्दिए आबऽ वला छी। जे बात अहाँ लग अछि, ताहि पर दृढ़ बनल रहू, जाहि सँ अहाँक मुकुट सँ केओ अहाँ केँ वंचित नहि कऽ दय। 12 जे सभ विजय प्राप्त करत तकरा सभ केँ हम अपन परमेश्वरक मन्दिर मे एक खाम्ह बनयबैक, और ओ सभ ओतऽ सँ फेर कहियो बाहर नहि जायत। हम अपन परमेश्वरक नाम और अपन परमेश्वरक नगरक नाम ओकरा सभ पर लिखबैक, अर्थात् ओहि नव यरूशलेमक नाम जे हमर परमेश्वरक ओतऽ सँ स्वर्ग सँ उतरऽ वला अछि। और हम अपन नव नाम सेहो ओकरा सभ पर लिखबैक। 13 जकरा सभ केँ कान होइक से सभ सुनि लओ जे प्रभुक आत्मा मण्डली सभ केँ की कहैत छथि। 14 “लौदीकियाक मण्डलीक दूत केँ ई लिखह, ओ जे सत्य छथि, जे विश्वासयोग्य आ सत्य गवाह छथि आ परमेश्वरक सृष्टिक मूलस्रोत छथि से ई कहैत छथि— 15 हम अहाँक काज सभ सँ परिचित छी। हम जनैत छी जे अहाँ ने तँ ठण्ढा छी आ ने गरम। नीक रहैत जे अहाँ चाहे ठण्ढा रहितहुँ वा गरम! 16 तेँ हम अपना मुँह सँ अहाँ केँ उगिलि देब, किएक तँ अहाँ ने ठण्ढा छी ने गरम, बल्कि सुसुम छी। 17 अहाँ कहैत छी जे, “हम धनवान छी, हम सुखी-सम्पन्न भऽ गेलहुँ, हमरा कोनो बातक अभाव नहि अछि।” मुदा अहाँ नहि जनैत छी जे अहाँक दशा कतेक खराब अछि। अहाँ अभागल, गरीब, आन्हर आ नाङट छी। 18 हम अहाँ केँ जे सल्लाह दैत छी, से सुनू। हमरा सँ आगि मे शुद्ध कयल सोना किनि कऽ धनिक भऽ जाउ, हमरा सँ उज्जर वस्त्र मोल लऽ कऽ पहिरि लिअ आ अपन नाङटपनक लज्जा केँ झाँपि लिअ, हमरा सँ मलहम किनि कऽ अपना आँखि पर लगाउ जाहि सँ अहाँ देखि सकब। 19 हम जकरा सभ सँ प्रेम करैत छी, तकरा सभ केँ डँटैत छिऐक आ सजाय दऽ कऽ सुधारैत छिऐक। एहि लेल तन-मन-धन सँ हमर बात मानू आ अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन करू। 20 देखू, हम द्वारि पर ठाढ़ भऽ कऽ केबाड़ ढकढकबैत आवाज दऽ रहल छी। जँ केओ हमर आवाज सुनि केबाड़ खोलत, तँ हम ओकरा लग भीतर आबि कऽ ओकरा संग भोजन करबैक आ ओ हमरा संग। 21 जहिना हम विजयी भऽ कऽ अपन पिताक संग हुनका सिंहासन पर बैसि रहलहुँ, तहिना जे सभ विजय प्राप्त करत, तकरा सभ केँ हम अपना संग सिंहासन पर बैसबाक अधिकार देबैक। 22 जकरा सभ केँ कान होइक, से सभ सुनि लओ जे प्रभुक आत्मा मण्डली सभ केँ की कहैत छथि।”
1 तकरबाद हम आँखि ऊपर उठौलहुँ तँ हमरा सोझाँ मे स्वर्ग मे एक द्वारि देखाइ पड़ल जे खुजल छल। जिनका हम पहिने धुतहू सन आवाज मे अपना सँ बात करैत सुनने छलहुँ, से कहि रहल छलाह जे, “एतऽ ऊपर आउ, हम अहाँ केँ ओ घटना सभ देखायब जे एकरा बाद होमऽ वला अछि।” 2 ओही क्षण हमरा प्रभुक आत्मा अपना नियन्त्रण मे लेलनि। हम देखलहुँ जे स्वर्ग मे एक सिंहासन राखल अछि आ सिंहासन पर केओ विराजमान छथि। 3 ओ सूर्यकान्त आ गोमेद वला बहुमूल्य पाथर जकाँ सुन्दर देखाइ दऽ रहल छलाह। सिंहासनक चारू कात मरकत पाथर जकाँ पनिसोखा देखाइ पड़ि रहल छल। 4 सिंहासनक चारू कात चौबीस सिंहासन छल आ ओहि पर चौबीस धर्मवृद्ध विराजमान छलाह। ओ सभ उज्जर वस्त्र पहिरने छलाह आ हुनका सभक सिर पर सोनाक मुकुट छलनि। 5 मुख्य सिंहासन सँ बिजुली चमकैत छल और मेघक गोंगिअयबाक आ तड़कबाक आवाज निकलैत छल। सिंहासनक सामने मे सातटा मशाल जरि रहल छल; ई सभ परमेश्वरक सात आत्मा अछि। 6 सिंहासनक आगाँ मे सीसाक समुद्र जकाँ बुझाइत छल, जे आर-पार देखाय वला संगमरमर जकाँ साफ छल। बीच मे सिंहासनक चारू कात चारिटा जीवित प्राणी छल जकरा आगाँ-पाछाँ सभतरि आँखिए-आँखि छलैक। 7 पहिल प्राणी शेर सन छल, दोसर बड़द सन, तेसराक मुँह मनुष्यक मुँह जकाँ आ चारिम उड़ैत गरुड़ सन छल। 8 एहि चारू प्राणी मे प्रत्येक केँ छओ-छओटा पाँखि छल। ओकरा सभक सम्पूर्ण शरीर मे आ पाँखिक तर मे सेहो आँखिए-आँखि छल। ओ सभ दिन-राति बिनु अटकि कऽ ई कहैत रहैत अछि, “सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, 2 पवित्र, पवित्र, पवित्र छथि। ओ वैह छथि, जे छलाह, जे छथि आ जे आबहो वला समय मे रहताह।” 9 जखन-जखन ओ प्राणी सभ सिंहासन पर विराजमान, युगानुयुग धरि जीवित रहनिहारक स्तुति, आदर आ धन्यवाद करैत छनि, 10 तखन-तखन चौबीसो धर्मवृद्ध सभ सिंहासन पर विराजमान आ युगानुयुग तक जीवित रहनिहार परमेश्वरक सामने दण्डवत करैत छथिन, हुनकर वन्दना करैत छथिन और सिंहासनक सम्मुख अपन मुकुट राखि कऽ ई कहैत छथि जे, 11 “हे हमरा सभक प्रभु, हमरा सभक परमेश्वर, अहाँ महिमा, सम्मान आ सामर्थ्य पयबाक योग्य छी, किएक तँ अहीं सभ वस्तुक सृष्टिकर्ता छी, 2 अहींक इच्छा सँ एकरा सभक सृष्टि भेलैक, 2 अहींक इच्छा सँ ई सभ अस्तित्व मे अछि।”
1 तकरबाद हम देखलहुँ जे, सिंहासन पर जे विराजमान छथि, तिनका दहिना हाथ मे एकटा पुस्तक छनि जाहि मे भीतर-बाहर, दूनू दिस लिखल गेल अछि और जकरा सातटा मोहर मारि कऽ बन्द कऽ देल गेल अछि। 2 तखन हम एक शक्तिशाली स्वर्गदूत केँ देखलहुँ जे ऊँच स्वर मे आवाज दऽ कऽ पुछि रहल छथि जे, “मोहरक छाप सभ केँ तोड़ि कऽ पुस्तक केँ खोलबाक योग्य के अछि?” 3 मुदा स्वर्ग मे, पृथ्वी पर आ पृथ्वीक नीचाँ पाताल मे केओ एहन व्यक्ति नहि भेटल जकरा ओहि पुस्तक केँ खोलबाक वा ओहि मे देखबाक अधिकार होइक। 4 हम बड्ड कानऽ लगलहुँ, किएक तँ एहन योग्य व्यक्ति केओ नहि भेटल जे ओहि पुस्तक केँ खोलि सकय वा ओहि मे देखि सकय। 5 तखन ओहि चौबीस धर्मवृद्ध मे सँ एक गोटे हमरा कहलनि, “नहि कानू! देखू! ओ जे यहूदाक कुलक शेर छथि, जे दाऊदक वंश मे श्रेष्ठ छथि से विजयी भेल छथि। ओ एहि पुस्तक केँ आ एकर सातो छाप केँ खोलि सकैत छथि।” 6 तखन हम सिंहासनक बीच मे ठाढ़, चारू जीवित प्राणी आ धर्मवृद्ध सभक बीच, एक बलि-भेँड़ा केँ देखलहुँ। ओ देखऽ मे एना लगलाह, जेना कहियो वध कयल गेल होथि। हुनका सातटा सीँग आ सातटा आँखि छलनि। ई सभ परमेश्वरक सात आत्मा अछि जकरा परमेश्वर सम्पूर्ण पृथ्वी पर पठौने छथिन। 7 तकरबाद बलि-भेँड़ा आबि कऽ सिंहासन पर जे विराजमान छलाह, तिनका दहिना हाथ सँ पुस्तक लऽ लेलनि। 8 जखन ओ पुस्तक लऽ लेलनि, तँ चारू जीवित प्राणी आ चौबीसो धर्मवृद्ध हुनकर सम्मुख मुँहक भरे खसि पड़लाह। प्रत्येक गोटेक हाथ मे एकटा वीणा, आ धूप सँ भरल सोनाक कटोरा छलनि। ई धूप परमेश्वरक लोक सभक प्रार्थना सभ अछि। 9 ओ सभ एक नव गीत गाबि रहल छलाह— “अहाँ एहि पुस्तक केँ लेबाक आ एकर छाप सभ केँ खोलबाक योग्य छी, किएक तँ अहाँ वध भऽ कऽ अपन खून सँ प्रत्येक कुल, भाषा, राष्ट्र आ जाति मे सँ परमेश्वरक लेल लोक सभ केँ मोल लेने छी। 10 हमरा सभक परमेश्वरक सेवा करबाक लेल ओकरा सभ केँ एक राज्य बना देने छी, पुरोहित बना देने छी। ओ सभ पृथ्वी पर राज्य करत।” 11 फेर हम देखलहुँ, तँ बहुतो स्वर्गदूत सभक आवाज सुनाइ देलक जे सभ सिंहासन, चारू प्राणी आ धर्मवृद्ध सभक चारू कात ठाढ़ छलाह, जिनकर संख्या लाखो-लाख आ करोड़ो-करोड़ मे छलनि। 12 ओ सभ जोर सँ बाजि रहल छलाह जे, “वध कयल गेल बलि-भेँड़ा सामर्थ्य, धन, बुद्धि, शक्ति, आदर, महिमा आ स्तुति पयबाक योग्य छथि!” 13 तखन हम सृष्टिक प्रत्येक प्राणी केँ, जे स्वर्ग मे अछि, पृथ्वी पर अछि, पृथ्वीक नीचाँ पाताल मे अछि आ समुद्र मे अछि, अर्थात् सभ ठामक सभ जीव केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “जे सिंहासन पर विराजमान छथि तिनका, आ बलि-भेँड़ा केँ, स्तुति, आदर, महिमा आ सामर्थ्य युगानुयुग होइत रहनि!” 14 और ओ चारू जीवित प्राणी बाजल, “आमीन!” आ चौबीसो धर्मवृद्ध मुँहक भरे खसि कऽ दण्डवत कयलथिन।
1 हम देखलहुँ जे बलि-भेँड़ा ओहि सातटा छाप मे सँ एकटा केँ खोललनि। तखन ओहि चारू जीवित प्राणी मे सँ एकटा केँ एहन आवाज मे, जे मेघक गर्जन जकाँ लगैत छल, ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” 2 तखन हमरा एकटा उज्जर घोड़ा देखाइ देलक। ओहि पर जे सवार छल, से धनुष लेने छल। ओकरा एक विजय-मुकुट देल गेलैक आ ओ विजयी भऽ कऽ आरो विजय प्राप्त करबाक लेल निकलि गेल। 3 जखन बलि-भेँड़ा दोसर छाप केँ खोललनि तँ दोसर जीवित प्राणी केँ हम ई कहैत सुनलहुँ जे “आउ!” 4 आब लाल रंगक एकटा घोड़ा बहरायल। ओकर सवार केँ ई अधिकार देल गेलैक जे ओ पृथ्वी पर सँ शान्ति उठा लय, जाहि सँ लोक एक-दोसर केँ खून करऽ लागय। ओकरा एकटा बड़का तरुआरि देल गेलैक। 5 जखन बलि-भेँड़ा तेसर छाप खोललनि, तँ हम तेसर जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” आब हमरा एकटा कारी घोड़ा देखाइ देलक। ओहि पर जे सवार छल, तकरा हाथ मे तराजू छलैक। 6 तखन हमरा एकटा आवाज सुनाइ देलक जे ओहि चारू जीवित प्राणीक बीच सँ अबैत बुझायल, जे ई कहि रहल छल, “दिन भरिक मजदूरी एक सेर गहुम! दिन भरिक मजदूरी तीन सेर जौ! मुदा जैतूनक तेल आ अंगूरक मदिरा केँ नोकसान नहि करिहह।” 7 जखन ओ चारिम छाप खोललनि तँ हम चारिम जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” 8 और हमरा आँखिक सामने एकटा पिअर सन हलका रंगक घोड़ा देखाइ देलक। ओकर सवारक नाम मृत्यु छलैक आ ओकरा पाछाँ-पाछाँ पाताल छलैक। ओकरा सभ केँ पृथ्वीक जनसंख्याक एक चौथाइ भाग पर अधिकार देल गेलैक जे, तरुआरि, अकाल, महामारी आ पृथ्वीक जंगली जानबर सभ द्वारा मारय। 9 जखन बलि-भेँड़ा पाँचम छाप खोललनि तखन हम वेदीक नीचाँ मे ओहि लोक सभक आत्मा सभ केँ देखलहुँ, जे सभ परमेश्वरक वचन पर अटल रहबाक कारणेँ आ तकर गवाही देबाक कारणेँ मारल गेल छलाह। 10 ओ सभ जोर सँ आवाज देलनि जे, “हे स्वामी, अहाँ जे पवित्र आ सत्य छी, अहाँ कहिया तक पृथ्वीक निवासी सभक न्याय कऽ कऽ हमरा सभक खूनक बदला नहि लेब?” 11 हुनका सभ मे प्रत्येक केँ उज्जर वस्त्र देल गेलनि आ कहल गेलनि जे, “किछु समय तक आओर विश्राम करह, जाबत धरि तोरा सभक ओहि संगी-सेवक आ भाय सभक संख्या नहि पुरि जाइत छह, जे सभ तोरे सभ जकाँ मारल जायत।” 12 जखन बलि-भेँड़ा छठम छाप खोललनि, तँ हम देखलहुँ जे बड़का भूकम्प भेल। सूर्य रोंइयाँ सँ बनल कम्बल जकाँ कारी, आ चन्द्रमा खून जकाँ लाल भऽ गेल। 13 आकाशक तारा सभ पृथ्वी पर एना खसल जेना अन्हड़-बिहारि मे अंजीरक काँच फल सभ खसि पड़ैत अछि। 14 आकाश एना विलीन भऽ गेल, जेना ओ कोनो कपड़ा होअय जकरा केओ लपेटि कऽ हटा देने होइक। प्रत्येक पहाड़ आ द्वीप अपना-अपना स्थान सँ हटि गेल। 15 तखन पृथ्वीक राजा, शासक, सेनापति, धनवान आ सामर्थी लोक, और प्रत्येक दास आ स्वतन्त्र व्यक्ति—सभ केँ सभ पहाड़ सभक गुफा सभ मे आ चट्टान सभ मे जा कऽ नुका रहल। 16 और ओ सभ पहाड़ सभ आ चट्टान सभ सँ कहऽ लागल जे, “हमरा सभ पर खसि पड़, आ हमरा सभ केँ हुनका नजरि सँ, जे सिंहासन पर विराजमान छथि, आ बलि-भेँड़ाक क्रोध सँ नुका दे! 17 किएक तँ हुनका लोकनिक क्रोधक भयानक दिन आबि गेल अछि, आ के अछि जे तकर सामना कऽ सकत?”
1 तकरबाद हम देखलहुँ जे चारिटा स्वर्गदूत पृथ्वीक चारू कोना पर ठाढ़ छथि आ पृथ्वीक चारू बसात केँ रोकि कऽ रखने छथि, जाहि सँ धरती पर, समुद्र पर आ गाछ-वृक्ष सभ पर बसात नहि बहय। 2 फेर हम एकटा आरो स्वर्गदूत केँ जीवित परमेश्वरक मोहर लऽ कऽ पूब दिस सँ ऊपर अबैत देखलहुँ। ओ ओहि चारू स्वर्गदूत केँ, जिनका सभ केँ धरती आ समुद्र केँ हानि पहुँचयबाक अधिकार देल गेल छलनि, जोर सँ आवाज दऽ कऽ कहलथिन, 3 “जा धरि हम सभ अपन परमेश्वरक सेवक सभक कपार पर मोहरक छाप नहि लगा दैत छी, ता धरि धरती, समुद्र आ गाछ-वृक्ष सभ केँ कोनो हानि नहि पहुँचाउ।” 4 तखन हम ओहि लोक सभक संख्या सुनलहुँ, जकरा सभ पर मोहरक छाप लगाओल गेलैक। ओ संख्या छल एक लाख चौआलिस हजार। ओ सभ इस्राएलक प्रत्येक कुल मे सँ छल। 5 यहूदा-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, रूबेन-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, गाद-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, 6 आशेर-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, नप्ताली-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, मनश्शे-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, 7 सिमियोन-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, लेवी-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, इस्साकार-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, 8 जबूलून-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर, यूसुफ-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर आ बिन्यामीन-कुल मे सँ बारह हजार लोक सभ पर मोहरक छाप लगाओल गेल। 9 तकरबाद हम आँखि ऊपर उठौलहुँ, तँ हमरा सामने मे एक विशाल भीड़ देखाइ पड़ल, जकर गिनती केओ नहि कऽ सकैत छल। ओहि भीड़ मे प्रत्येक जाति, प्रत्येक कुल, प्रत्येक राष्ट्र आ प्रत्येक भाषाक लोक छल। ओ सभ उज्जर वस्त्र पहिरने छल आ हाथ मे खजूरक छज्जा लेने सिंहासन आ बलि-भेँड़ाक सम्मुख ठाढ़ छल। 10 ओ सभ जोर-जोर सँ कहि रहल छल जे, “सिंहासन पर विराजमान हमरा सभक परमेश्वर द्वारा आ बलि-भेँड़ा द्वारा मात्र उद्धार अछि।” 11 सभ स्वर्गदूत सिंहासनक, धर्मवृद्ध सभक आ ओहि चारू जीवित प्राणीक चारू कात ठाढ़ छलाह। ओ सभ सिंहासनक सम्मुख मुँह भरे खसि कऽ ई कहैत परमेश्वरक वन्दना कयलनि जे, 12 “ई बात सत्य अछि ! हमरा सभक परमेश्वरक स्तुति, महिमा, बुद्धि, धन्यवाद, आदर, शक्ति आ सामर्थ्य युगानुयुग होनि। आमीन!” 13 तकरबाद धर्मवृद्ध सभ मे सँ एक गोटे हमरा पुछलनि जे, “ई सभ जे उज्जर वस्त्र पहिरने अछि, से के अछि, आ कतऽ सँ आयल अछि?” 14 हम उत्तर देलियनि, “यौ सरकार, ई बात तँ अहीं जनैत छी।” तखन ओ हमरा कहलनि जे, “ई लोक सभ वैह अछि जे महाकष्ट सहि कऽ आयल अछि। ई सभ अपन वस्त्र बलि-भेँड़ाक खून मे धो कऽ उज्जर कऽ लेने अछि। 15 एहि लेल ई सभ परमेश्वरक सिंहासनक सम्मुख ठाढ़ रहैत अछि आ दिन-राति हुनका मन्दिर मे हुनकर सेवा करैत रहैत छनि। ओ, जे सिंहासन पर विराजमान छथि, एकरा सभक संग निवास करथिन आ सुरक्षित रखथिन। 16 एकरा सभ केँ ने तँ कहियो फेर भूख लगतैक आ ने पियास। एकरा सभ केँ ने तँ प्रचण्ड रौद सँ कष्ट होयतैक आ ने लू लगतैक। 17 किएक तँ बलि-भेँड़ा जे सिंहासनक बीच विद्यमान छथि, से एकरा सभक चरबाह रहथिन आ एकरा सभ केँ जीवनक जलक झरना लग लऽ जयथिन। और परमेश्वर एकरा सभक आँखिक सभ नोर पोछि देथिन।”
1 जखन बलि-भेँड़ा सातम छाप खोललनि, तँ करीब आधा घण्टा धरि स्वर्ग मे कोनो आवाज नहि सुनाइ पड़ल; सभ शान्त रहल। 2 तकरबाद हम ओहि सातटा स्वर्गदूत केँ देखलियनि, जे सभ परमेश्वरक सम्मुख ठाढ़ रहैत छथि। हुनका सभ केँ सातटा धुतहू देल गेलनि। 3 तखन एकटा आरो स्वर्गदूत सोनाक धूपदानी लऽ कऽ अयलाह आ वेदी लग मे ठाढ़ भऽ गेलाह। हुनका बहुत रास धूप देल गेलनि, जाहि सँ ओ ओकरा सिंहासनक समक्ष स्थित सोनाक वेदी पर परमेश्वरक सभ लोकक प्रार्थनाक संग चढ़बथि। 4 स्वर्गदूतक हाथ सँ धूपक धुआँ परमेश्वरक लोकक प्रार्थना सभक संग परमेश्वरक सम्मुख ऊपर पहुँचलनि। 5 तकरबाद स्वर्गदूत धूपदानी लेलनि आ वेदी परक आगि सँ भरि कऽ ओकरा पृथ्वी पर फेकि देलथिन। एहि पर मेघ तड़कऽ आ गोंगिआय लागल, बिजुली चमकऽ लागल आ भूकम्प भेल। 6 आब ओ सातो स्वर्गदूत, जिनका सभ लग सातटा धुतहू छलनि, ओकरा फुकबाक लेल तैयार भऽ गेलाह। 7 पहिल स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि। एहि पर खूनक संग पाथर आ आगि पृथ्वी पर बरसाओल गेल। एहि सँ पृथ्वीक एक तिहाइ भाग आ गाछ-वृक्ष सभक एक तिहाइ भाग भस्म भऽ गेल, और सभ हरियर घास-पात भस्म भऽ गेल। 8 दोसर स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि, तँ आगि सँ जरैत एक विशाल पहाड़ सन वस्तु समुद्र मे फेकल गेल। एहि सँ समुद्रक एक तिहाइ भाग खून बनि गेल। 9 समुद्र मेहक एक तिहाइ प्राणी मरि गेल आ एक तिहाइ पानिजहाज सभ नष्ट भऽ गेल। 10 तेसर स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि, तँ एक विशाल तारा, मशाल जकाँ जरैत, आकाश सँ टुटल आ नदी सभक और जलस्रोत सभक एक तिहाइ भाग पर खसि पड़ल। 11 ओहि ताराक नाम “चिरैंता”, अर्थात् तिताह, अछि। ओहि सँ जलक एक तिहाइ भाग तीत भऽ गेल आ जल केँ तीत भऽ जयबाक कारणेँ बहुतो लोक मरि गेल। 12 चारिम स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि, तँ सूर्यक एक तिहाइ भाग, चन्द्रमाक एक तिहाइ भाग आ तारा सभक एक तिहाइ भाग पर प्रहार भेल, जाहि सँ ओकरा सभक एक तिहाइ भाग अन्हार भऽ गेलैक। दिनक एक तिहाइ भाग मे इजोत नहि रहल आ तहिना रातिक एक तिहाइ भागक सेहो वैह अवस्था भऽ गेलैक। 13 हम फेर नजरि उठौलहुँ तँ बीच आकाश मे एकटा गरुड़ केँ उड़ैत देखलहुँ, जे जोर सँ ई घोषणा कऽ रहल छल, “कष्ट! कष्ट! कष्ट! पृथ्वीक निवासी सभ पर धुतहूक बाँकी आवाजक कारणेँ, जकरा तीनटा स्वर्गदूत फुकऽ वला छथि कतेक भयानक विपत्ति औतैक! हाय! हाय! हाय!”
1 जखन पाँचम स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि, तँ हम एकटा तारा देखलहुँ जे आकाश सँ पृथ्वी पर खसल छल। ओहि तारा केँ अथाह कुण्डक कुंजी देल गेलैक। 2 ओ अथाह कुण्ड केँ खोललक। एहि पर ओहि कुण्डक धुआँ, जे बड़का भट्ठाक धुआँ सन छल, बहरायल। ओहि धुआँ सँ सूर्य छेका गेल आ आकाश अन्हार भऽ गेल। 3 ओहि धुआँ मे सँ पृथ्वी पर फनिगा सभ बाहर आयल। ओकरा सभ केँ एहन शक्ति देल गेलैक, जेहन पृथ्वी परक बिच्छु सभक होइत छैक। 4 ओकरा सभ केँ ई आदेश देल गेलैक जे ओ सभ घास अथवा कोनो गाछ-वृक्ष केँ हानि नहि पहुँचाबय, बल्कि मात्र ओहि मनुष्य सभ केँ, जकरा कपार पर परमेश्वरक मोहरक छाप नहि लागल होइक। 5 फनिगा सभ केँ ओहि मनुष्य सभक वध करबाक नहि, बल्कि ओकरा सभ केँ पाँच महिना तक भयंकर कष्ट देबाक अनुमति देल गेलैक। ई एहन कष्ट छल जेहन बिच्छुक डंक मारला सँ मनुष्य केँ होइत छैक। 6 ओहि समय मे लोक सभ मृत्युक खोज करत, मुदा ओकरा सभ केँ मृत्यु नहि भेटतैक। ओ सभ मरबाक अभिलाषा करत, मुदा मृत्यु ओकरा सभ लग सँ दूर भागि जयतैक। 7 एहि फनिगा सभक रूप युद्ध करबाक लेल तैयार कयल घोड़ा सन छलैक। ओकरा सभक मूड़ी पर सोनाक मुकुट सन कोनो वस्तु छलैक। ओकरा सभक मुँह मनुष्यक मुँह जकाँ छलैक। 8 ओकरा सभक केश स्त्रीगणक केश सन, आ ओकरा सभक दाँत सिंहक दाँत सन छलैक। 9 ओकरा सभ केँ एहन कवच छलैक जे लोहाक कवच सन छल। ओकरा सभक पाँखिक आवाज एहन छलैक, जेना युद्ध मे जाइत बहुतो रथ आ घोड़ा सभक दौड़ला पर होइत अछि। 10 ओकरा सभक नांगड़ि बिच्छुक पुछड़ी जकाँ छलैक जाहि द्वारा ओ सभ डंक मारि सकैत छल। ओकरा सभक नांगड़ि मे पाँच मास तक मनुष्य सभ केँ पीड़ा देबाक शक्ति छलैक। 11 ओकरा सभक जे राजा छलैक, से ओ दूत अछि जे अथाह कुण्डक अधिकारी अछि। इब्रानी भाषा मे ओकर नाम “अबद्दोन” छैक आ यूनानी मे “अपुल्लयोन”, ⌞अर्थात्, विनाश करऽ वला⌟। 12 पहिल विपत्ति समाप्त भेल। दूटा विपत्ति आरो आबऽ वला अछि। 13 जखन छठम स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि, तखन हम सोनाक वेदी जे परमेश्वरक सम्मुख अछि, तकर चारू सीँग मे सँ एकटा स्वर सुनलहुँ। 14 ओ स्वर छठम स्वर्गदूत केँ, जिनका लग धुतहू छलनि, कहलकनि जे, “महा-नदी फरात लग जे चारू दूत बान्हल अछि, तकरा सभ केँ खोलि दिऔक।” 15 ओहि चारू दूतक बन्हन खोलि देल गेलैक। ओ सभ मनुष्य जातिक एक तिहाइ भाग केँ मारि देबाक लेल एही वर्ष, मास, दिन आ घड़ीक लेल तैयार कऽ कऽ राखल गेल छल। 16 हम ओकरा सभक घोड़सवार सैनिक सभक संख्या सुनलहुँ—ओ बीस करोड़ छल। 17 ओहि दर्शन मे ओ घोड़ा सभ आ ओहि परक सवार सैनिक सभ हमरा एहि तरहेँ देखाइ देलक—ओ सभ आगि सन लाल रंगक, नील रंगक आ गन्धक सन पिअर रंगक कवच पहिरने छल। घोड़ा सभक मूड़ी शेरक मूड़ी जकाँ छलैक आ ओकरा सभक मुँह सँ आगि, धुआँ आ गन्धक बहरा रहल छल। 18 एहि तीन विपत्ति द्वारा, अर्थात् ओहि आगि, धुआँ आ गन्धक द्वारा, जे घोड़ा सभक मुँह सँ बहरा रहल छल, मनुष्य जातिक एक तिहाइ भाग केँ मारि देल गेलैक। 19 ओहि घोड़ा सभक सामर्थ्य ओकरा सभक मुँह आ नांगड़ि दूनू मे छलैक, किएक तँ ओकरा सभक नांगड़ि साँप जकाँ छलैक, जाहि मे मूड़ी लागल छल। एही सभक द्वारा ओ सभ मनुष्य केँ हानि पहुँचा रहल छल। 20 तैयो बाँकी बाँचल लोक, जे सभ एहि विपत्ति सभ सँ मारल नहि गेल छल, से सभ अपना हाथक रचल वस्तु सँ एखनो मोन नहि हटौलक। ओ सभ दुष्टात्मा सभक, आ नहि देखऽ वला, नहि सुनऽ वला, नहि चलऽ वला, सोना, चानी, पित्तरि, पाथर आ काठक मूर्ति सभक पूजा कयनाइ नहि छोड़लक। 21 ओ सभ हृदय-परिवर्तन नहि कयलक, बल्कि हत्या, जादू-टोना, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध आ चोरी वला अपन काज सभ करिते रहल।
1 तकरबाद हम एक दोसर शक्तिशाली स्वर्गदूत केँ स्वर्ग सँ उतरैत देखलियनि। ओ मेघ ओढ़ने छलाह आ हुनका सिर पर पनिसोखा शोभायमान छलनि। हुनकर मुँह सूर्य जकाँ चमकैत छलनि आ हुनकर पयर आगिक खाम्ह जकाँ छलनि। 2 हुनका हाथ मे खुजल एक छोट पुस्तक छलनि। ओ अपन दहिना पयर समुद्र पर आ बामा पयर धरती पर रखलनि। 3 ओ ऊँच स्वर सँ एना आवाज देलनि जेना सिंह गर्जन कयने होअय। एहि पर सातो मेघ-गर्जनक आवाज आबऽ लागल। 4 जखन ओ सातो मेघ-गर्जन अपन-अपन आवाज निकाललक, तँ हम ओकरा सभक कहल बात सभ केँ लिखबाक लेल हाथ उठौलहुँ, मुदा ओही घड़ी मे स्वर्ग सँ ई कहैत एकटा आवाज हम सुनलहुँ जे, “सातो मेघ-गर्जनक आवाज जे बात बाजल तकरा गुप्त राखह, ओकरा नहि लिखह।” 5 तखन जाहि स्वर्गदूत केँ हम समुद्र आ धरती पर ठाढ़ देखने छलियनि, से अपन दहिना हाथ स्वर्ग दिस ऊपर उठौलनि, 6 आ जे युगानुयुग जीवित छथि, जे स्वर्ग आ ओहि मेहक सभ वस्तुक, पृथ्वी आ ओहि परक सभ वस्तुक, और समुद्र आ ओहि मेहक सभ वस्तुक सृष्टिकर्ता छथि, तिनकर सपत खा कऽ कहलनि जे, “आब आरो देरी नहि होयत, 7 बल्कि जाहि दिन सातम स्वर्गदूतक फुकल धुतहूक आवाज सुनाइ पड़त, ताहि दिन परमेश्वरक ओ गुप्त योजना पूरा भऽ जायत, जकरा विषय मे ओ अपन सेवा करऽ वला प्रवक्ता सभ लग घोषणा कयने छलाह।” 8 तखन ओ आवाज जे स्वर्ग सँ हमरा पहिने सुनाइ देने छल, से फेर हमरा ई कहलक जे, “जाह, जे स्वर्गदूत समुद्र आ धरती पर ठाढ़ छथि, तिनका हाथ सँ ओ खुजल छोटका पुस्तक लऽ लैह।” 9 तेँ हम ओहि स्वर्गदूत लग जा कऽ कहलियनि जे, “ई छोट पुस्तक हमरा दऽ दिअ।” ओ हमरा कहलनि जे, “लैह, एकरा खा लैह। ई तोरा पेट केँ कड़ुआह बना देतह मुदा तोरा मुँह मे मधु सन मीठ लगतह।” 10 हम ओहि पुस्तक केँ स्वर्गदूतक हाथ सँ लऽ कऽ खा लेलहुँ। हमरा मुँह मे मधु सन मीठ लागल, मुदा जखन हम घोँटलहुँ, तँ हमर पेट कड़ुआह भऽ गेल। 11 तकरबाद हमरा कहल गेल जे, “तोरा फेर बहुतो राष्ट्र सभक, जाति सभक, भाषा सभक आ राजा सभक विषय मे भविष्यवाणी करऽ पड़तह।”
1 तकरबाद हमरा एकटा नापऽ वला लग्गा देल गेल आ कहल गेल जे, “उठह, परमेश्वरक मन्दिर आ वेदी केँ नापह और मन्दिर मे आराधना कयनिहार सभक गिनती करह। 2 मुदा मन्दिरक बाहरी आङन केँ छोड़ि दहक, ओकरा नहि नापह, किएक तँ ओ परमेश्वर केँ नहि चिन्हऽ वला जातिक लोक सभ केँ देल गेल अछि। ओ सभ बयालीस महिना तक पवित्र नगर केँ लतमरदनि करैत रहत। 3 हम अपन दूनू गवाह केँ अधिकार देबैक जे ओ सभ चट्टी ओढ़ि कऽ एक हजार दू सय साठि दिन तक हमरा सँ पाओल सम्बादक प्रचार करथि।” 4 ई दूनू गवाह दूनू जैतूनक गाछ आ दीप राखऽ वला दूनू लाबनि छथि जे तिनका सामने मे ठाढ़ रहैत छथि जे पृथ्वीक प्रभु छथि। 5 जँ केओ हिनका सभ केँ हानि पहुँचयबाक कोशिश करत, तँ हिनका सभक मुँह सँ आगि बहरा कऽ ओहि दुश्मन सभ केँ भस्म कऽ देतैक। जे केओ हिनका सभक हानि पहुँचाबऽ चाहत, तकर विनाश एहि तरहेँ निश्चित अछि। 6 हिनका सभ केँ अधिकार छनि जे आकाशक द्वारि बन्द कऽ देथि, जाहि सँ ई सभ जहिया तक प्रभु सँ पाओल सम्बादक प्रचार करताह, तहिया तक वर्षा नहि होइक। हिनका सभ केँ इहो अधिकार छनि जे, जलस्रोत केँ खून बना देथि आ जतेक बेर चाहथि, पृथ्वी पर सभ प्रकारक महामारी पठबथि। 7 जखन ओ सभ अपन गवाही देबाक काज समाप्त कऽ लेताह तँ ओ जानबर जे अथाह कुण्ड मे सँ बहराइत अछि, से हुनका सभ पर आक्रमण करत आ हुनका सभ केँ पराजित कऽ कऽ मारि देतनि। 8 हुनका सभक लास ओहि महानगरक सड़क पर पड़ल रहतनि, जतऽ हुनका सभक प्रभु केँ सेहो क्रूस पर चढ़ा कऽ मारि देल गेल छलनि और जे तुलनात्मक रूप मे “सदोम” आ “मिस्र” कहबैत अछि। 9 साढ़े तीन दिन तक प्रत्येक राष्ट्र, कुल, भाषा आ जातिक लोक हुनका सभक लास केँ देखैत रहत आ ओहि लास सभ केँ कबर मे नहि राखऽ देत। 10 पृथ्वीक निवासी सभ हुनका सभक मृत्यु सँ प्रसन्न होयत आ एक-दोसर केँ उपहार पठा कऽ आनन्द मनाओत, किएक तँ परमेश्वरक ई दूनू प्रवक्ता पृथ्वीक निवासी सभ केँ बहुत कष्ट पहुँचौने छलाह। 11 मुदा साढ़े तीन दिनक बाद परमेश्वरक दिस सँ हुनका दूनू मे जीवनक साँस आबि गेलनि आ ओ सभ उठि कऽ ठाढ़ भऽ गेलाह। तखन सभ देखनिहारक मोन मे भयंकर डर सन्हिया गेलैक। 12 तखने स्वर्ग सँ ऊँच आवाज मे एक स्वर हुनका सभ केँ ई कहैत सुनाइ देलक जे, “एतऽ ऊपर आबह,” आ ओ दूनू गोटे अपन दुश्मन सभक आँखिक सामने मेघ बाटे स्वर्ग मे चल गेलाह। 13 ओही घड़ी बड़का भूकम्प भेल आ नगरक दसम भाग माटि मे मिलि गेल। ओहि भूकम्प सँ सात हजार लोक मारल गेल आ बाँचल लोक सभ भयभीत भऽ स्वर्ग मे विराजमान रहऽ वला परमेश्वरक महिमाक गुणगान करऽ लागल। 14 दोसर विपत्ति समाप्त भऽ गेल। देखू, तेसर विपत्ति जल्दिए आबऽ वला अछि। 15 सातम स्वर्गदूत धुतहू फुकलनि। एहि पर स्वर्ग मे एना कहैत कतेको आवाज जोर-जोर सँ आबऽ लागल जे, “संसारक राज्य हमरा सभक प्रभु आ हुनकर मसीह केँ प्राप्त भऽ गेलनि। ओ युगानुयुग तक राज्य करताह।” 16 तखन चौबीसो धर्मवृद्ध, जे परमेश्वरक सम्मुख अपन-अपन सिंहासन पर बैसल छलाह, से सभ मुँह भरे खसि कऽ परमेश्वरक आराधना करैत कहऽ लगलाह जे, 17 “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, 2 अहाँ जे छी, आ जे छलहुँ! हम सभ अहाँ केँ धन्यवाद दैत छी जे 2 अहाँ अपन सामर्थ्यक प्रयोग कऽ कऽ राज्य करऽ लागल छी। 18 जाति-जातिक लोक सभ क्रोधित भेल, 2 और आब अहाँक क्रोध प्रगट भऽ गेल अछि। ओ समय आबि गेल अछि, जहिया मुइल लोक सभक न्याय कयल जयतैक, 2 और जहिया अहाँक सेवा करऽ वला प्रवक्ता सभ 2 आ अहाँक लोक सभ केँ पुरस्कार भेटतैक, 2 अर्थात् छोट-पैघ ओहि सभ लोक केँ जे अहाँक नामक भय मानैत अछि। ओ समय आबि गेल अछि जहिया पृथ्वी केँ नष्ट-भ्रष्ट कयनिहार सभक विनाश कयल जयतैक।” 19 तखन परमेश्वरक मन्दिर जे स्वर्ग मे छल से खोलल गेल आ ओहि मन्दिर मे परमेश्वरक “सम्बन्धक साक्षीक सन्दूक” देखाइ देलक। बिजुली चमकऽ लागल, मेघक गोंगिअयबाक आ तड़कबाक आवाज होमऽ लागल, भूकम्प भेल आ बड़का-बड़का पाथर खसऽ लागल।
1 तकरबाद आकाश मे एक आश्चर्यजनक चिन्ह देखाइ देलक जकर अर्थ महत्वपूर्ण अछि—एक स्त्री वस्त्रक रूप मे सूर्य पहिरने छलीह। हुनका पयरक नीचाँ मे चन्द्रमा छल आ सिर पर बारहटा ताराक एक मुकुट छलनि। 2 ओ गर्भवती छलीह आ बच्चा केँ जन्म देबाक समय आबि जयबाक कारणेँ प्रसव-पीड़ा सँ चीत्कार करैत छलीह। 3 एकटा आरो चिन्ह आकाश मे देखाइ देलक—लाल रंगक एक विशाल अजगर। ओकरा सातटा मूड़ी आ दसटा सीँग छलैक आ ओकरा मूड़ी सभ पर सातटा मुकुट छलैक। 4 ओकर नांगड़ि आकाशक एक तिहाइ भाग तारा सभ केँ बहारि कऽ पृथ्वी पर खसा देलक। बच्चा केँ जन्म देबऽ वाली स्त्रीक सम्मुख ओ अजगर ठाढ़ भऽ गेल, जाहि सँ जखने बच्चाक जन्म होअय, तँ ओकरा गीड़ि जाइ। 5 ओ स्त्री एक बालक केँ जन्म देलनि—ओहि पुत्र केँ, जे सभ जातिक लोक सभ पर लोहाक राजदण्ड सँ शासन करताह। मुदा ओहि बच्चा केँ तुरत उठा कऽ परमेश्वर आ हुनका सिंहासन लग पहुँचा देल गेलनि। 6 ओ स्त्री मरुभूमि दिस भागि कऽ चलि गेलीह जतऽ परमेश्वर हुनका लेल एक स्थान तैयार कयने छलथिन, जाहि सँ एक हजार दू सय साठि दिन तक ओतऽ हुनकर देखभाल कयल जानि। 7 तकरबाद स्वर्ग मे युद्ध शुरू भऽ गेल। मिकाएल अपन स्वर्गदूत सभ केँ संग लऽ अजगर सँ युद्ध करऽ लगलाह। अजगर आ ओकर दूत सभ सेहो युद्ध कयलक, 8 मुदा ओ सभ हारि गेल आ ओकरा सभक लेल स्वर्ग मे कोनो स्थान नहि रहलैक। 9 तखन ओ भयंकर अजगर—प्राचीन समयक ओ साँप, जे महादुष्ट वा शैतान कहबैत अछि आ सम्पूर्ण संसार केँ बहकबैत अछि, तकरा अपन दूत सभक संग पृथ्वी पर फेकि देल गेलैक। 10 तखन हम स्वर्ग मे जोर सँ बजैत एकटा आवाज सुनलहुँ जे ई कहैत छल जे, “आब हमरा सभक परमेश्वरक मुक्ति, शक्ति, राज्य 2 आ हुनकर मसीहक अधिकार प्रगट भेल अछि। किएक तँ हमरा सभक भाय सभ पर दोष लगौनिहार ओ शैतान जे दिन-राति परमेश्वरक समक्ष ओकरा सभ पर दोष लगबैत रहैत छल, तकरा नीचाँ फेकि देल गेल अछि। 11 ओ सभ बलि-भेँड़ाक खून द्वारा 2 आ ओहि वचन द्वारा जकर ओ सभ गवाही दैत रहल ओकरा पर विजयी भेल अछि, किएक तँ ओ सभ अपन प्राणक मोह छोड़ि कऽ 2 मृत्यु केँ सेहो स्वीकार करबाक लेल तैयार छल। 12 एहि कारणेँ, हे स्वर्ग आ ओहि मे निवास कयनिहार सभ, 2 आनन्द मनाउ! मुदा हे पृथ्वी आ समुद्र, तोरा सभ केँ कतेक कष्ट होयतह! 2 किएक तँ शैतान तोरा सभ लग उतरि आयल छह आ ई जानि जे ओकरा कनेके समय बाँचल छैक अत्यन्त क्रोधित भऽ गेल अछि।” 13 जखन ओ अजगर देखलक जे ओ पृथ्वी पर फेकि देल गेल अछि, तँ ओ ओहि स्त्री केँ पाछाँ करऽ लागल, जे बालक केँ जन्म देने छलीह। 14 मुदा स्त्री केँ विशालकाय गरुड़क दूटा पाँखि देल गेलनि, जाहि सँ ओ अजगरक सम्मुख सँ उड़ि कऽ ओहि मरुभूमि मे चलि जाथि, जतऽ साढ़े तीन वर्ष तक हुनकर देखभाल कयल जानि। 15 अजगर स्त्रीक पाछाँ अपना मुँह सँ नदी जकाँ पानि निकाललक, जाहि सँ कि स्त्री केँ बाढ़ि बहा कऽ लऽ जानि। 16 मुदा पृथ्वी स्त्रीक सहायता कयलकनि आ अपन मुँह खोलि कऽ ओहि पानि केँ, जे अजगर अपना मुँह सँ बहौने छल, पिबि लेलक। 17 तखन अजगर स्त्री पर अत्यन्त क्रोधित भेल आ स्त्रीक आरो-आरो सन्तान सभ सँ, अर्थात्, जे सभ परमेश्वरक आज्ञा मानैत छथि आ यीशुक विषय मे देल गेल गवाही पर अटल छथि, तिनका सभ सँ युद्ध करबाक लेल गेल। 18 ओ समुद्रक कछेर पर जा कऽ ठाढ़ भऽ गेल।
1 तखन हम एकटा जानबर केँ समुद्र मे सँ बहराइत देखलहुँ जकरा दसटा सीँग आ सातटा सिर छलैक। ओकर प्रत्येक सीँग पर मुकुट छलैक आ प्रत्येक सिर पर एहन नाम लिखल छलैक जाहि द्वारा परमेश्वरक अपमान होइत छल। 2 हम जाहि जानबर केँ देखलहुँ, से चितुआ सन छल, मुदा ओकर पयर भालुक पयर सन छलैक आ मुँहक आकार सिंहक मुँह सन छलैक। ओकरा अजगर अपन शक्ति, अपन सिंहासन आ अपन महान् अधिकार प्रदान कऽ देलकैक। 3 एना लगैत छल जे ओकर एकटा सिर पर प्राण-घातक प्रहार कयल गेल छलैक, मुदा ओ घाव ठीक भऽ गेल छलैक। एहि कारणेँ सम्पूर्ण पृथ्वीक लोक आश्चर्यित भऽ ओहि जानबरक भक्त भऽ गेल। 4 लोक सभ अजगरक पूजा कयलक, किएक तँ वैह जानबर केँ अधिकार देने छलैक। ओ सभ जानबरक पूजा सेहो कयलक आ कहलक, “एहि जानबरक बराबरि के भऽ सकैत अछि? एकरा संग के युद्ध कऽ सकैत अछि?” 5 ओहि जानबर केँ अहंकारी आ परमेश्वरक निन्दा वला बात सभ बजबाक मुँह देल गेलैक आ बयालीस महिना तक ओकरा अपन काज करैत रहबाक अधिकार भेटलैक। 6 एहि पर ओ परमेश्वरक निन्दा करऽ लागल आ हुनकर नामक, हुनकर निवास-स्थानक आ ओहि सभ लोकक जे स्वर्ग मे रहैत छथि, अपमान करऽ लागल। 7 परमेश्वरक लोक सभक संग युद्ध करबाक आ हुनका सभ पर विजय पयबाक शक्ति ओकरा देल गेलैक, और प्रत्येक कुल, राष्ट्र, भाषा आ जातिक लोक पर ओकरा अधिकार भेटलैक। 8 ओहि जानबरक पूजा पृथ्वीक सभ लोक करत, अर्थात्, ओ सभ लोक जकरा सभक नाम ओहि बलि-भेँड़ाक, जे सृष्टिक आरम्भ सँ पहिने वध कयल गेल छलाह, तिनकर जीवनक पुस्तक मे नहि लिखल गेल छैक। 9 जकरा सभ केँ कान होइक से सभ सुनि लओ। 10 “जकरा बन्दी बनबाक छैक, 2 से बन्दी बनाओल जायत। जकरा तरुआरि सँ मरबाक छैक, 2 से तरुआरि सँ मारल जायत।” एकर अर्थ अछि जे परमेश्वरक लोक सभ केँ धैर्यक संग साहस रखैत विश्वास मे स्थिर रहनाइ जरूरी अछि। 11 तकरबाद हम एक दोसर जानबर केँ देखलहुँ; ओ धरती मे सँ बहराइत छल। ओकरा भेँड़ा जकाँ दूटा सीँग छलैक, मुदा ओ अजगर जकाँ बजैत छल। 12 ओ पहिल जानबरक सेवा मे ओकर सम्पूर्ण अधिकार प्रयोग मे लबैत छल। ओ पृथ्वी आ ओहि परक सभ निवासी सँ ओहि पहिल जानबरक, जकर प्राण-घातक घाव ठीक भऽ गेल छलैक, पूजा करबबैत छल। 13 ओ बड़का-बड़का चमत्कार देखबैत छल, एहनो चमत्कार जे लोकक देखिते-देखिते मे आकाश सँ पृथ्वी पर आगि बरसा दैत छल। 14 पहिल जानबरक सेवा मे जे चमत्कार सभ देखयबाक शक्ति ओकरा भेटल छलैक, ताहि द्वारा ओ पृथ्वीक निवासी सभ केँ बहकबैत छल। ओ ओकरा सभ सँ ओहि पहिल जानबर, जकरा पर तरुआरिक प्रहार भेल छल आ तैयो जीवित छल, तकरा सम्मान मे ओकर मूर्ति बनबौलक। 15 ओकरा जानबरक प्रतिमा मे प्राण राखि देबाक अधिकार भेटलैक जाहि सँ ओ प्रतिमा बाजऽ लागय आ जे सभ प्रतिमाक पूजा नहि करत तकरा मरबा दय। 16 ओ छोट-पैघ, धनिक-गरीब, स्वतन्त्र-दास, सभ लोक केँ दहिना हाथ पर वा कपार पर छाप लगबयबाक लेल बाध्य कयलकैक। 17 ओ एहि प्रकारक नियम बना देलक जे जकरा पर ओ छाप नहि लागल छलैक से सभ कोनो प्रकारक किनऽ-बेचऽ वला काज नहि कऽ सकैत छल। ओ छाप जानबरक नाम वा ओकरा नाम सँ सम्बन्धित अंक छल। 18 एतऽ बुद्धिक आवश्यकता अछि। जे बुद्धिमान होअय, से जानबरक नामक अंकक हिसाब लगाबओ, किएक तँ ई अंक मनुष्यक नामक संकेत अछि। ई अंक 666 अछि।
1 तकरबाद हम आँखि ऊपर उठौलहुँ, तँ देखलहुँ जे बलि-भेँड़ा सियोन पहाड़ पर ठाढ़ छथि आ हुनका संग एक लाख चौआलिस हजार लोक छथि जिनका सभक कपार पर बलि-भेँड़ाक नाम आ हुनकर पिताक नाम लिखल छनि। 2 तखन हम स्वर्ग सँ समुद्रक गरजनाइ जकाँ आ मेघक जोर सँ तड़कनाइ जकाँ, आवाज सुनलहुँ। हम जे आवाज सुनि रहल छलहुँ से एहन छल जेना वीणा बजौनिहार सभ वीणा बजा रहल होअय। 3 ओ सभ सिंहासनक सम्मुख आ चारू जीवित प्राणी और धर्मवृद्ध सभक सम्मुख एक नव गीत गाबि रहल छलाह। ओहि एक लाख चौआलिस हजार लोक जे सभ पृथ्वी पर सँ किनल गेल छलाह, तिनका सभ केँ छोड़ि, केओ नहि ओहि गीत केँ जानि सकैत छल। 4 ई सभ ओ लोक छथि जे स्त्रीक संसर्ग सँ दुषित नहि भेल छथि, किएक तँ ई सभ अपना केँ पवित्र रखने छथि। जतऽ कतौ बलि-भेँड़ा जाइत छथि, ततऽ ई लोक सभ हुनका संग चलैत छथि। हिनका सभ केँ फसिलक प्रथम फलक चढ़ौना जकाँ परमेश्वर आ बलि-भेँड़ा केँ विशेष रूप सँ अर्पित होयबाक लेल मनुष्य सभ मे सँ किनल गेल छनि। 5 हिनका सभक मुँह सँ कहियो झूठ नहि बहरायल। ई सभ निष्कलंक छथि। 6 तकरबाद हम एक आओर स्वर्गदूत केँ आकाशक बीच मे उड़ैत देखलियनि। हुनका लग पृथ्वी पर रहनिहार प्रत्येक जाति, कुल, भाषा आ राष्ट्रक लोक सभ केँ सुनयबाक लेल अनन्त काल तक रहऽ वला सनातन शुभ समाचार छलनि। 7 ओ ऊँच स्वर मे कहलनि, “परमेश्वरक भय मानू आ हुनकर महिमाक गुणगान करू, किएक तँ हुनकर न्याय करबाक समय आबि गेल अछि। स्वर्ग, पृथ्वी, समुद्र आ जलस्रोत सभक जे सृष्टि कयने छथि, तिनकर आराधना करू।” 8 तकरबाद एक दोसर स्वर्गदूत अयलाह आ कहलनि, “सर्वनाश भऽ गेलैक! ओहि महान् बेबिलोन नगरक जे अपन कुकर्मक काम-वासना वला मदिरा सभ जाति केँ पिऔने छलैक, तकर सर्वनाश भऽ गेलैक!” 9 फेर एक तेसर स्वर्गदूत अयलाह। ओ ऊँच स्वर मे कहलनि, “जँ कोनो मनुष्य जानबरक आ ओकर मूर्तिक पूजा करत और अपन कपार वा हाथ पर ओकर छाप लगबाओत, 10 तँ ओकरा परमेश्वरक क्रोधक ओ मदिरा पिबऽ पड़तैक जे बिनु कोनो मिलावट कऽ हुनका क्रोधक बाटी मे ढारल गेल अछि। ओ पवित्र स्वर्गदूत सभ आ बलि-भेँड़ाक सम्मुख आगि आ गन्धक मे घोर यातना भोगत। 11 जे लोक जानबर आ ओकर मूर्तिक पूजा करैत अछि आ ओकर नामक छाप स्वीकार करैत अछि तकर सभक यातनाक धुआँ युगानुयुग तक उड़ैत रहत आ ओकरा सभ केँ दिन-राति कखनो चैन नहि भेटतैक।” 12 एहि कारणेँ परमेश्वरक लोक सभ केँ, अर्थात् तकरा सभ केँ, जे सभ परमेश्वरक आज्ञाक पालन करैत अछि आ यीशु पर विश्वास करऽ मे स्थिर रहैत अछि, धैर्यक संग साहस रखनाइ जरूरी अछि। 13 तखन हमरा स्वर्ग सँ एकटा आवाज ई कहैत सुनाइ देलक जे, “ई लिखह—आब ओ लोक सभ जे प्रभु पर विश्वास कऽ कऽ मरैत अछि, से कतेक धन्य अछि!” प्रभुक आत्मा ई कहैत छथि जे, “हँ, ओ सभ अपन-अपन परिश्रम सँ आराम पाओत, किएक तँ ओकरा सभक सत्कर्म ओकरा सभक संग जयतैक।” 14 फेर हम नजरि उठौलहुँ तँ देखैत छी जे एक उज्जर मेघ अछि आ मेघ पर मनुष्य-पुत्र सन केओ बैसल छथि। हुनका सिर पर सोनाक मुकुट आ हाथ मे एक तेज हाँसू छनि। 15 तखन एक दोसर स्वर्गदूत मन्दिर सँ बहरयलाह आ मेघ पर बैसल व्यक्ति केँ ऊँच स्वर मे कहलथिन, “अपन हाँसू चलाउ आ फसिल काटू, किएक तँ कटनी करबाक समय भऽ गेल अछि, पृथ्वीक फसिल पाकि गेल अछि।” 16 मेघ पर बैसल व्यक्ति पृथ्वी पर अपन हाँसू घुमौलनि आ पृथ्वीक फसिल कटा गेल। 17 तकरबाद एक दोसर स्वर्गदूत स्वर्गक मन्दिर मे सँ बहरयलाह। हुनको हाथ मे एकटा तेजगर हाँसू छलनि। 18 एकटा आओर स्वर्गदूत, जिनका आगि पर अधिकार छलनि, से वेदी लग सँ आबि ऊँच स्वर मे ओहि स्वर्गदूत केँ जे तेजगर हाँसू लेने छलाह, कहलथिन, “अपन तेजगरहा हाँसू घुमाउ आ पृथ्वी पर सँ अंगूरक गुच्छा सभ जमा कऽ लिअ, किएक तँ ओ सभ पाकि गेल अछि।” 19 ओ स्वर्गदूत अपन हाँसू घुमौलनि आ पृथ्वी परक अंगूर सभ केँ काटि कऽ परमेश्वरक क्रोध रूपी विशाल रसकुण्ड मे राखि देलनि। 20 ओ रसकुण्ड जे नगरक बाहर छल, ताहि मे अंगूर सभ पयर सँ पिचल गेल, और रसकुण्ड मे सँ जे खून बहल से घोड़ाक लगामक उँचाइ तक ऊँच, आ लगभग एक सय कोस दूर तक पहुँचि गेल।
1 हम स्वर्ग मे एक आओर महत्वपूर्ण आ आश्चर्यजनक चिन्ह देखलहुँ—सातटा स्वर्गदूत छलाह जिनका लग सातटा विपत्ति छलनि। ई अन्तिम विपत्ति सभ अछि, किएक तँ एकरा सभ द्वारा परमेश्वरक क्रोध पूर्ण भऽ कऽ समाप्त भऽ जाइत अछि। 2 आब हमरा आगि मिलायल सीसाक समुद्र सन कोनो वस्तु देखाइ देलक। जे लोक सभ जानबर पर, ओकर मूर्ति पर आ ओकर नाम सँ सम्बन्धित अंक पर विजय पौने छल, से सभ ओहि सीसाक समुद्र पर ठाढ़ छल। ओकरा सभक हाथ मे परमेश्वरक दिस सँ देल गेल वीणा छलैक। 3 ओ सभ परमेश्वरक सेवक मूसाक गीत आ बलि-भेँड़ाक गीत गाबि कऽ कहि रहल छल जे, “हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर! अहाँक काज सभ महान् आ अद्भुत अछि। हे युग-युगक राजा! अहाँ जे किछु करैत छी से न्यायसंगत आ सत्य अछि। 4 हे प्रभु, के अहाँक भय नहि मानत आ अहाँक महिमाक गुणगान नहि करत? किएक तँ अहींटा पवित्र छी। सभ जातिक लोक सभ आबि कऽ अहाँक आराधना करत, किएक तँ अहाँक न्यायसंगत काज सभ प्रगट भऽ गेल अछि।” 5 तकरबाद हम आँखि ऊपर उठौलहुँ, तँ देखलहुँ जे स्वर्ग मेहक मन्दिर, अर्थात् साक्षीक मण्डप, खोलल गेल, 6 आ ओहि मे सँ ओ सातटा विपत्ति लऽ कऽ सातो स्वर्गदूत बहरयलाह। ओ सभ साफ आ चमकऽ वला मलमलक वस्त्र पहिरने छलाह आ हुनका सभक छाती पर सोनाक चौड़ा पट्टी बान्हल छलनि। 7 तखन ओहि चारू जीवित प्राणी मे सँ एक प्राणी ओहि सात स्वर्गदूत केँ सोनाक सातटा कटोरा देलथिन जे युगानुयुग जीवित रहऽ वला परमेश्वरक क्रोध सँ भरल छल। 8 आब मन्दिर परमेश्वरक महिमा आ सामर्थ्यक कारणेँ धुआँ सँ भरि गेल। जा धरि ओहि सात स्वर्गदूतक सातो विपत्ति सभ समाप्त नहि भऽ गेल, ता धरि केओ मन्दिर मे प्रवेश नहि कऽ सकल।
1 तखन हम मन्दिर मे सँ ऊँच स्वर मे एक आवाज सुनलहुँ जे ओहि सातो स्वर्गदूत केँ कहि रहल छलनि, “जाह, परमेश्वरक क्रोध सँ भरल ओ सातो कटोरा पृथ्वी पर उझिलि दहक।” 2 एहि पर पहिल स्वर्गदूत जा कऽ अपन कटोरा पृथ्वी पर उझिलि देलनि। ओहि सँ जाहि लोक पर जानबरक छाप लागल छल आ जे सभ ओकर मूर्तिक पूजा करैत छल, तकरा सभक शरीर मे घृणित आ दुःखदायी फोंका बहरा गेलैक। 3 दोसर स्वर्गदूत अपन कटोरा समुद्र मे उझिललनि, तँ समुद्रक पानि मरल मनुष्यक खून जकाँ खूने-खून भऽ गेल आ ओहि मेहक प्रत्येक जीव-जन्तु मरि गेल। 4 तेसर स्वर्गदूत अपन कटोरा नदी सभ पर आ जलक स्रोत सभ पर उझिललनि; ओहो सभ खून बनि गेल। 5 तखन हम ओहि स्वर्गदूत केँ, जिनका जल पर अधिकार छनि, ई कहैत सुनलहुँ, “हे पवित्र परमेश्वर, अहाँ, जे छी आ जे छलहुँ, अहाँ न्यायी छी, अहाँक ई निर्णय सभ न्यायसंगत अछि। 6 जे सभ अहाँक लोक सभक आ अहाँक प्रवक्ता सभक खून बहौने छल, तकरा सभ केँ अहाँ पिबाक लेल खूने देलहुँ। ओकरा सभ केँ ई दण्ड भेटनाइ उचिते छल।” 7 तखन हम फेर वेदी लग सँ एकटा आवाज केँ ई कहैत सुनलहुँ, “हँ, हे सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर, अहाँक निर्णय सभ निश्चय उचित आ न्यायसंगत अछि।” 8 चारिम स्वर्गदूत अपन कटोरा सूर्य पर उझिलि देलनि। सूर्य केँ शक्ति देल गेलैक जे ओ मनुष्य सभ केँ अपन आगिक ताप सँ झरकाबय। 9 मनुष्य सभ प्रचण्ड ताप सँ झरकऽ लागल। ओ सभ विपत्ति सभ पर अधिकार रखनिहार परमेश्वरक नामक निन्दा कयलक, मुदा अपना पापक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन नहि कयलक आ परमेश्वरक स्तुति नहि करऽ चाहलक। 10 पाँचम स्वर्गदूत अपन कटोरा जानबरक सिंहासन पर उझिलि देलनि। एहि सँ ओकर सम्पूर्ण राज्य मे अन्हार पसरि गेलैक आ पीड़ाक कारणेँ लोक सभ अपन जीह दाँत सँ काटऽ लागल। 11 ओ सभ अपन पीड़ा आ फोंका सभक कारणेँ स्वर्ग मे विराजमान रहऽ वला परमेश्वरक निन्दा कयलक, मुदा अपन अधलाह काज सभक लेल पश्चात्ताप कऽ कऽ हृदय-परिवर्तन नहि कयलक। 12 छठम स्वर्गदूत अपन कटोरा फरात महा-नदी पर उझिलि देलनि। फरात नदीक जल सुखा गेल जाहि सँ पूब दिसक राजा सभक लेल अयबाक बाट तैयार भऽ जाइक। 13 तकरबाद हम अजगरक मुँह सँ, जानबरक मुँह सँ आ झुट्ठा भविष्यवक्ताक मुँह सँ तीनटा दुष्टात्मा केँ, जे देखऽ मे बेङ जकाँ लगैत छल, बहराइत देखलहुँ। 14 ई सभ चमत्कार देखाबऽ वला दुष्टात्मा सभ अछि। ओ सभ समस्त संसारक राजा सभ लग जा कऽ ओकरा सभ केँ जमा करैत अछि जाहि सँ “सर्वशक्तिमान परमेश्वरक महान् दिन” अयला पर ओ सभ युद्ध करय। 15 “देखह, हम चोर जकाँ आबि रहल छी! धन्य अछि ओ जे जागल रहैत अछि आ अपन वस्त्र अपना संग रखैत अछि जाहि सँ ओ नाङट नहि बहराय आ लोक ओकर नग्नता नहि देखैक।” 16 ओ अशुद्ध आत्मा सभ राजा सभ केँ ओहि स्थान पर जमा कयलक जे इब्रानी भाषा मे हर-मगिदोन कहबैत अछि। 17 तखन सातम स्वर्गदूत अपन कटोरा हवा मे उझिललनि। मन्दिरक सिंहासन सँ बहुत जोरक आवाज मे ई कहैत सुनाइ देलक, “समाप्त भऽ गेल!” 18 एहि पर बिजुली चमकऽ लागल, मेघक गोंगिअयबाक आ तड़कबाक आवाज होमऽ लागल आ बहुत भारी भूकम्प भेल। ओ भूकम्प एतेक भारी छल जे पृथ्वी पर मनुष्यक उत्पत्ति सँ लऽ कऽ आइ तक कहियो नहि ओहन भूकम्प भेल छल। 19 ओहि भूकम्प सँ महानगरक तीन टुकड़ा भऽ गेल आ संसारक राष्ट्र सभक नगर सभ खण्डहर भऽ गेल। परमेश्वर महानगर बेबिलोन केँ स्मरण कयलनि और अपन भयंकर क्रोधक मदिरा ओकरा पिऔलनि। 20 सभ द्वीप विलीन भऽ गेल आ पहाड़ सभक पता नहि चलल। 21 आकाश सँ मन-मन भरि केँ बड़का-बड़का पाथर मनुष्य सभ पर खसऽ लागल। पाथरक वर्षाक कारणेँ मनुष्य सभ परमेश्वरक निन्दा कयलक, किएक तँ ई विपत्ति अत्यन्त भयंकर छल।
1 जाहि सात स्वर्गदूत लग सातटा कटोरा छलनि ताहि मे सँ एकटा स्वर्गदूत हमरा लग आबि कऽ कहलनि, “एतऽ आउ, हम अहाँ केँ देखायब जे ओहि महावेश्या केँ कोना कऽ दण्डित कयल जायत जे बहुतो नदी-नहरिक पानि पर बैसल अछि। 2 ओकरा संग पृथ्वीक राजा सभ कुकर्म कयलक आ पृथ्वीक निवासी सभ ओकर कुकर्मक मदिरा पिबि कऽ माति गेल अछि।” 3 तकरबाद ओ स्वर्गदूत हमरा प्रभुक आत्माक नियन्त्रण मे राखि कऽ मरुभूमि मे लऽ गेलाह। हम ओतऽ एक स्त्रीगण केँ एक लाल जानबर पर बैसल देखलहुँ। जानबरक सम्पूर्ण शरीर पर परमेश्वरक निन्दा करऽ वला नाम सभ लिखल छल। ओकरा सातटा मूड़ी आ दसटा सीँग छलैक। 4 ओ स्त्री बैगनी आ लाल रंगक वस्त्र पहिरने छलि आ सोन, बहुमूल्य पाथर आ मोती सभ सँ सुसज्जित छलि। ओ हाथ मे सोनाक लोटा लेने छलि जे घृणित वस्तु सभ सँ आ ओकर वेश्यावृत्तिक अशुद्धता सँ भरल छलैक। 5 ओकरा कपार पर एक रहस्यमय नाम अंकित छलैक— “महान् बेबिलोन, पृथ्वीक वेश्या सभ आ घृणित वस्तु सभक माय।” 6 हम देखलहुँ जे ओ स्त्री परमेश्वरक लोक सभक खून पिबि कऽ माति गेल अछि। ओ तिनका सभक खून पिबि लेने छल, जे सभ यीशुक लेल गवाही देबाक कारणेँ मारल गेल छलाह। हम ओकरा देखि कऽ अत्यन्त चकित भऽ गेलहुँ। 7 तखन ओ स्वर्गदूत हमरा कहलनि, “अहाँ किएक चकित होइत छी? हम अहाँ केँ ओहि स्त्रीक रहस्य बुझा दैत छी आ ओहि जानबरक सेहो, जाहि पर ओ सवार अछि, जकरा सातटा मूड़ी आ दसटा सीँग छैक। 8 जाहि जानबर केँ अहाँ देखलहुँ से पहिने छल, आब नहि अछि, आ अथाह कुण्ड मे सँ निकलऽ वला अछि; ओ निकलत आ नष्ट कयल जायत। मुदा पृथ्वीक ओ निवासी सभ जकरा सभक नाम सृष्टिक आरम्भहि सँ जीवनक पुस्तक मे नहि लिखल गेल अछि, से सभ ई देखि कऽ आश्चर्य मे पड़ि जायत जे ओ जानबर पहिने छल, तखन नहि छल, और फेर आबि गेल अछि। 9 एकरा बुझबाक लेल विवेकपूर्ण बुद्धिक आवश्यकता अछि। ओ सातटा मूड़ी सातटा पहाड़ अछि जाहि पर ओ स्त्री बैसल अछि। 10 ओ सभ सातटा राजा सेहो अछि जाहि मे सँ पाँचटाक पतन भऽ गेल अछि, एकटा एखन अछि आ दोसर एखनो आयल नहि अछि, मुदा जखन ओ आओत तँ किछुए समय तक रहि पाओत। 11 ओ जानबर जे पहिने छल आ आब नहि अछि, से आठम राजा अछि। मुदा वास्तव मे ओ ओही सात राजाक समूह मेहक अछि, और ओकर विनाश निश्चित अछि। 12 “अहाँ जे दस सीँग देखलहुँ, से दसटा राजा अछि। ओकरा सभ केँ एखन तक राज्य-सत्ता नहि भेटल छैक, मुदा ओकरा सभ केँ घड़ी भरिक लेल मात्रे ओहि जानबरक संग राज्याधिकार देल जयतैक। 13 ओकरा सभक एकेटा उद्देश्य छैक और तकरा लेल ओ सभ अपन शक्ति आ अधिकार ओहि जानबर केँ सौंपि देतैक। 14 ओ सभ बलि-भेँड़ाक संग युद्ध करत आ बलि-भेँड़ा ओकरा सभ पर विजयी भऽ जयताह, किएक तँ ओ प्रभु सभक प्रभु आ राजा सभक राजा छथि। हुनका संग ओ लोक सभ रहत जे सभ हुनकर बजाओल गेल, चुनल गेल आ विश्वासयोग्य लोक सभ अछि।” 15 तकरबाद स्वर्गदूत हमरा कहलनि, “नदी-नहरि सभक ओ पानि जे अहाँ देखलहुँ आ जाहि पर वेश्या बैसल अछि, से सभ अनेक राष्ट्र, विशाल जनसमूह, जाति-जातिक लोक आ विभिन्न भाषाक लोक सभ अछि। 16 अहाँ जाहि जानबर केँ आ दसटा सीँग केँ देखलहुँ से सभ ओहि वेश्याक शत्रु बनि जायत। ओ सभ ओकरा उजाड़ कऽ कऽ नाङट कऽ देतैक। ओकर माँसु खा जयतैक आ ओकरा आगि मे जरा देतैक। 17 किएक तँ जाबत तक परमेश्वरक कहल बात पूरा नहि भऽ जानि, ताबत तक परमेश्वर अपन उद्देश्य पूरा करयबाक लेल ओहि राजा सभ केँ एहि बात मे एकमत रहबाक भावना देथिन जे हम सभ अपन राजकीय अधिकार जानबर केँ सौंपने रहब। 18 अहाँ जाहि स्त्री केँ देखलहुँ, से ओ महानगर अछि जे पृथ्वीक राजा सभ पर राज्य करैत अछि।”
1 तकरबाद हम एक आओर स्वर्गदूत केँ स्वर्ग सँ उतरैत देखलहुँ। हुनका लग पैघ अधिकार छलनि आ हुनकर तेज सँ धरती प्रकाशित भऽ गेल। 2 ओ ऊँच स्वर मे बजलाह, “सर्वनाश भऽ गेलैक! महानगर बेबिलोनक सर्वनाश भऽ गेलैक! ओ दुष्टात्मा सभक निवास स्थान, सभ प्रकारक अशुद्ध आत्माक अड्डा आ प्रत्येक अशुद्ध आ घृणित चिड़ैक अखाढ़ा बनि गेल अछि। 3 किएक तँ सभ जातिक लोक ओकर कुकर्मक काम-वासना वला मदिरा पिने अछि, पृथ्वीक राजा सभ ओकरा संग कुकर्म कयने अछि आ पृथ्वीक व्यापारी सभ ओकर अपार भोग-विलास करबाक कारणेँ धनवान भऽ गेल अछि।” 4 हमरा स्वर्ग सँ फेर एक दोसर आवाज ई कहैत सुनाइ देलक, “हौ हमर प्रजा! ओहि महानगर मे सँ निकलि आबह जाहि सँ तोँ सभ ओकर पाप सभक सहभागी नहि बनह आ ओकरा पर आबऽ वला विपत्ति सभ तोरा सभ पर नहि औतह 5 किएक तँ ओकर पापक ढेरी स्वर्ग तक पहुँचि गेल अछि आ परमेश्वर ओकर अपराध सभ केँ नहि बिसरल छथि। 6 जहिना ओ अनका संग कयने अछि, तहिना तोँहूँ सभ ओकरा संग करह। ओकर सभ काजक लेल ओकरा सँ दुगुना बदला लैह। जाहि लोटा मे ओ अनका लेल मदिरा मिला कऽ पिऔने अछि 2 ताहि मे ओकरा लेल दुगुना मिला कऽ पिया दहक। 7 ओ जतबा अपन बड़ाइ कयलक आ सुख-विलास कयलक 2 ततबा ओकरा यातना आ पीड़ा दहक। किएक तँ ओ अपना मोन मे कहैत अछि जे, ‘हम रानी भऽ कऽ सिंहासन पर विराजमान छी। 2 हम विधवा नहि छी। हम कहियो शोक मे नहि पड़ब।’ 8 एहि कारणेँ एके दिन मे ओकरा पर ई सभटा विपत्ति औतैक— मृत्यु, शोक आ अकाल। ओ आगि मे भस्म कयल जायत, किएक तँ ओकर न्याय करऽ वला, प्रभु-परमेश्वर, सामर्थी छथि। 9 “पृथ्वीक राजा, जे सभ ओकरा संग कुकर्म कयलक आ ओकरा संग भोग-विलासक जीवन व्यतीत कयलक, से सभ जखन ओकर जरबाक धुआँ देखत तँ ओकरा लेल कानत आ शोक करत। 10 ओकरा पीड़ा केँ देखि कऽ ओ सभ भयभीत भऽ जायत आ दूरे सँ ठाढ़ भऽ कऽ कहत, ‘हे महान् बेबिलोन! हाय! हाय! हे शक्तिशाली महानगर! तोरा घड़िए भरि मे दण्ड दऽ देल गेलह।’” 11 पृथ्वीक व्यापारी सभ ओकरा लेल कानत आ शोक करत, किएक तँ आब ओकरा सभक माल केओ नहि किनतैक— 12 अर्थात् ओकरा सभक सोन, चानी, बहुमूल्य पाथर आ मोती; ओकरा सभक नीक मलमल, बैगनी कपड़ा, रेशमी आ लाल वस्त्र; अनेक प्रकारक सुगन्धित काठ; हाथीक दाँत सँ, बहुमूल्य काठ सभ सँ, पित्तरि, लोहा आ संगमरमर सँ बनल हर प्रकारक वस्तु; 13 ओकरा सभक दालिचीनी, मसल्ला, धूप, इत्र आ सुगन्धित तेल; मदिरा, जैतूनक तेल, मैदा आ गहुम; गाय-बड़द आ भेँड़ा, घोड़ा आ रथ; गुलाम—हँ, मनुष्यो सभ। 14 ओ सभ कहत, “हे बेबिलोन, जाहि फल प्राप्तिक तोँ कामना कयने छलह, से तोरा सँ दूर चल गेलह। तोहर सम्पूर्ण वैभव आ तड़क-भड़कक सर्वनाश भऽ गेलह। तोँ ई सभ फेर नहि देखबह।” 15 एहि वस्तु सभक व्यापारी सभ, जे सभ ओहि नगरक कारणेँ धनवान भऽ गेल छल, से सभ आब ओकर यातना देखि कऽ भयभीत भऽ दूरे सँ ठाढ़ भऽ कानि-कानि कऽ शोक करत, 16 आ कहत, “एहि महानगरक लेल हाय, हाय! जे नीक मलमल, बैगनी आ लाल रंगक वस्त्र पहिरैत छलि, आ सोन, बहुमूल्य पाथर आ मोती सभ सँ विभूषित छलि! 17 एकर सम्पूर्ण वैभव घड़िए भरि मे माटि मे मिलि गेलैक!” प्रत्येक जहाजक कप्तान, प्रत्येक जलयात्री, नाव चलाबऽ वला सभ आ ओ सभ लोक जे सभ समुद्र सँ जीविका चलबैत अछि, सभ दूरे ठाढ़ रहत, 18 आ ओकर जरबाक धुआँ देखि कऽ चिचिया उठत जे, “एहि महानगर जकाँ और कोन नगर छल?” 19 ओ सभ अपना मूड़ी पर गर्दा राखत आ कन्ना-रोहटि करैत कहत, “एहि महानगरक लेल हाय, हाय! ई, जकरा वैभव सँ जहाजक मालिक सभ धनिक भऽ गेल, से महानगर आब घड़ी भरि मे उजाड़ भऽ गेल!” बेबिलोनक विनाश सँ स्वर्ग मे आनन्द 20 “हे स्वर्ग, ओकर पराजय सँ आनन्द मनाउ! हे पवित्र लोक सभ, मसीह-दूत लोकनि आ परमेश्वरक प्रवक्ता सभ, आनन्द मनाउ! किएक तँ जे व्यवहार ओ अहाँ सभक संग कयने छलि, तकरा लेल परमेश्वर ओकरा दण्डित कऽ देलथिन।” 21 तखन एक बलवान स्वर्गदूत जाँतक चक्की सन एक विशाल पाथर उठौलनि आ समुद्र मे फेकैत कहलनि, “एही तरहेँ महानगर बेबिलोन सेहो बलपूर्बक नीचाँ फेकि देल जायत आ ओकर पता कहियो नहि चलत। 22 वीणा बजौनिहारक, गबैयाक, बाँसुरी बजौनिहारक आ धुतहू फुकऽ वला सभक आवाज तोरा मे कहियो नहि सुनाइ पड़त। कोनो व्यवसायक कारीगर फेर 2 कहियो तोरा मे नहि पाओल जायत। जाँत चलबाक आवाज आब तोरा मे 2 कहियो नहि सुनाइ देत। 23 डिबियाक प्रकाश तोरा मे फेर 2 कहियो नहि देखल जायत। वर आ कनियाँक बजनाइ तोरा मे 2 कहियो नहि सुनाइ पड़त। तोहर व्यापारी सभ संसारक सामर्थी व्यक्ति बनि गेल छल आ तोहर जादू-टोना सँ सभ जातिक लोक ठकल गेल छल। 24 ओकरा मे प्रभुक प्रवक्ता सभ आ पवित्र लोक सभक खून पाओल गेल, हँ, ओहि सभ लोकक खून, जे सभ पृथ्वी पर वध कयल गेल छल।”
1 तकरबाद हम स्वर्ग मे विशाल जनसमूहक आवाज जकाँ ऊँच स्वर मे ई कहैत सुनलहुँ जे, “परमेश्वरक स्तुति होनि! उद्धार, महिमा आ सामर्थ्य हमरा सभक परमेश्वरेक छनि। 2 किएक तँ हुनकर सभ निर्णय उचित आ न्यायसंगत अछि। सम्पूर्ण पृथ्वी केँ अपन वेश्यावृत्ति सँ भ्रष्ट करऽ वाली ओहि महावेश्या केँ ओ दण्डित कयलथिन। ओ ओकरा सँ अपन सेवक सभक खूनक बदला लऽ लेलथिन।” 3 ओ सभ फेर ऊँच आवाज मे बजलाह, “परमेश्वरक स्तुति होनि! ओहि महानगरक जरबाक धुआँ 2 अनन्त काल तक ऊपर उठैत रहत।” 4 तखन चौबीसो धर्मवृद्ध आ चारू जीवित प्राणी दण्डवत करैत सिंहासन पर विराजमान परमेश्वरक आराधना कयलनि आ बजलाह, “हँ, एहिना होअय! परमेश्वरक स्तुति होनि!” 5 तकरबाद सिंहासन सँ एक आवाज ई कहैत सुनाइ देलक जे, “हे परमेश्वरक सेवक सभ, हुनकर भय मानऽ वला सभ लोक, 2 चाहे छोट होअय वा पैघ, अपना सभक परमेश्वरक स्तुति करू!” 6 तखन हम एक विशाल जनसमूहक आवाज वा समुद्रक लहरिक आवाज वा गर्जन करैत मेघक आवाज जकाँ ई कहैत सुनलहुँ, “परमेश्वरक स्तुति होनि! किएक तँ प्रभु, अपना सभक सर्वशक्तिमान परमेश्वर, राज्य कऽ रहल छथि। 7 अबैत जाउ, अपना सभ आनन्दित आ हर्षित होइ आ हुनकर महिमाक गुणगान करियनि! किएक तँ बलि-भेँड़ाक विवाह-उत्सवक समय आबि गेल अछि; हुनकर दुल्हिन अपना केँ तैयार कऽ लेने छथि। 8 हुनका पहिरबाक लेल साफ आ चमकैत नीक मलमलक वस्त्र देल गेल छनि।” नीक मलमलक वस्त्र प्रभुक लोक सभक धार्मिक काजक प्रतीक अछि। 9 तकरबाद ओ स्वर्गदूत हमरा कहलनि, “ई लिखू—धन्य छथि ओ सभ जे सभ बलि-भेँड़ाक विवाह-भोज मे निमन्त्रित भेल छथि!” ओ हमरा फेर कहलनि, “ई परमेश्वरक सत्य वचन अछि।” 10 तखन हम हुनकर आराधना करबाक लेल हुनका चरण पर खसि पड़लहुँ। मुदा ओ हमरा कहलनि, “एना नहि करू! हम तँ अहाँ जकाँ आ अहाँक भाय सभ जकाँ, जे सभ यीशुक विषय मे देल गेल गवाही पर स्थिर छथि, दासे छी। अहाँ परमेश्वरक आराधना करू, किएक तँ जे केओ यीशुक विषय मे गवाही दैत छथि, तिनका प्रवक्ता जकाँ परमेश्वरे सँ प्रेरणा भेटैत छनि।” 11 तखन हम देखलहुँ जे स्वर्ग खुजल अछि। हमरा एक उज्जर घोड़ा देखाइ देलक आ ओहि पर जे सवार छलाह से “विश्वासयोग्य” आ “सत्य” कहबैत छथि। ओ न्यायक अनुसार उचित फैसला करैत छथि आ उचित युद्ध करैत छथि। 12 हुनकर आँखि आगि जकाँ धधकैत छनि। हुनका सिर पर बहुते राजमुकुट छनि। हुनका शरीर पर एक नाम लिखल अछि जकरा हुनका छोड़ि आओर केओ नहि जनैत अछि। 13 ओ खून मे डुबाओल वस्त्र पहिरने छथि आ हुनकर नाम छनि “परमेश्वरक वचन”। 14 स्वर्गक सेना सभ उज्जर चमकैत नीक मलमलक वस्त्र पहिरने, उज्जर घोड़ा पर सवार हुनका पाछाँ-पाछाँ चलि रहल अछि। 15 जाति-जाति केँ मारबाक लेल हुनका मुँह सँ एक तेज तरुआरि बहरायल अछि। “ओ ओकरा सभ पर लोहाक राजदण्ड सँ शासन करताह।” ओ सर्वशक्तिमान परमेश्वरक भयानक क्रोध रूपी मदिराक रसकुण्ड मे अंगूर केँ धाँगि दैत छथि। 16 हुनका वस्त्र आ हुनका जाँघ पर ई नाम लिखल अछि, “राजा सभक राजा आ प्रभु सभक प्रभु।” 17 फेर हम एक स्वर्गदूत केँ सूर्य मे ठाढ़ देखलहुँ। ओ ऊँच स्वर मे आकाशक बीच उड़ऽ वला सभ चिड़ै केँ सोर पारलनि, “अबै जो, परमेश्वरक महाभोजक लेल जमा होइत जो। 18 तोरा सभ केँ राजा सभक, सेनापति सभक, शक्तिशाली पुरुष सभक, घोड़ा आ घोड़सवार सभक, आ सभ लोकक—स्वतन्त्र, दास, छोट, पैघ—सभक माँसु खयबाक लेल भेटतौक।” 19 तकरबाद हम जानबर केँ आ पृथ्वीक राजा सभ केँ और ओकरा सभक सेना सभ केँ ओहि घोड़सवार आ हुनकर सेना सभ सँ युद्ध करबाक लेल जमा भेल देखलहुँ। 20 ओ जानबर पकड़ल गेल आ ओकरा संग ओ झुट्ठा भविष्यवक्ता सेहो, जे ओकर सेवा करैत चमत्कार सभ देखौने छल। एहि चमत्कार सभ द्वारा ओ ओहि लोक सभ केँ बहकौने छल जे सभ जानबरक छाप ग्रहण कयने छल आ ओकर मूर्तिक पूजा कयने छल। जानबर आ झुट्ठा भविष्यवक्ता केँ गन्धक सँ धधकैत आगिक कुण्ड मे जीविते फेकि देल गेलैक। 21 बाँकी लोक ओहि घोड़सवारक मुँह सँ बहराइत तरुआरि सँ मारल गेल आ सभ चिड़ै ओकरा सभक माँसु खा कऽ अघा गेल।
1 तकरबाद हम एक स्वर्गदूत केँ स्वर्ग सँ नीचाँ अबैत देखलहुँ। हुनका हाथ मे अथाह कुण्डक कुंजी आ बड़काटा जंजीर छलनि। 2 ओ ओहि अजगर केँ, अर्थात् प्राचीन समयक ओहि साँप केँ, जे महादुष्ट वा शैतान अछि, पकड़ि कऽ एक हजार वर्षक लेल बान्हि देलनि। 3 ओकरा अथाह कुण्ड मे फेकि कऽ बन्द कऽ देलनि आ ओहि पर मोहर मारि देलनि जाहि सँ जा धरि एक हजार वर्ष बिति नहि जाय, ता धरि ओ जाति-जातिक लोक सभ केँ आओर नहि बहका सकय। तकरबाद ओकरा किछु समयक लेल छोड़ल गेनाइ आवश्यक अछि। 4 तखन हम सिंहासन सभ देखलहुँ। जे सभ ओहि पर बैसल छलाह, तिनका सभ केँ न्याय करबाक अधिकार देल गेल छलनि। हम ओहि लोक सभक आत्मा सभ केँ देखलहुँ जिनका सभक सिर यीशुक गवाही देबाक कारणेँ आ परमेश्वरक वचन सुनयबाक कारणेँ काटि देल गेल छलनि। ओ सभ ने तँ ओहि जानबरक आ ने ओकर मूर्तिक पूजा कयने छलाह, ने अपना कपार वा हाथ पर ओकर छाप लगबौने छलाह। ओ सभ फेर जीवित भऽ हजार वर्ष तक मसीहक संग राज्य कयलनि। 5 ई पहिल जीबि उठनाइ अछि। बाँकी मरल लोक सभ हजार वर्ष समाप्त भेलाक बादे जीवित भेल। 6 धन्य आ पवित्र छथि ओ सभ, जे पहिल जीबि उठनाइ मे सहभागी छथि। एहन लोक सभ पर दोसर मृत्युक कोनो प्रभाव नहि पड़त। ओ सभ परमेश्वर आ मसीहक सेवाक लेल पुरोहित होयताह आ हुनका संग हजार वर्ष तक राज्य करैत रहताह। 7 हजार वर्ष पुरि गेलाक बाद शैतान केँ अपन बन्हन सँ मुक्त कऽ देल जयतैक। 8 ओ पृथ्वीक चारू कोनाक राष्ट्र सभ केँ, अर्थात् “गोग” आ “मागोग” केँ बहकयबाक लेल आ युद्धक लेल जमा करबाक हेतु निकलत। ओकरा सभक संख्या समुद्रक बालु जकाँ असंख्य रहतैक। 9 ओ सभ सम्पूर्ण पृथ्वी पर पसरि कऽ परमेश्वरक लोक सभक निवास स्थान केँ, अर्थात्, परमेश्वरक प्रिय नगर केँ, घेरि लेलक। मुदा स्वर्ग सँ आगि बरसल आ ओकरा सभ केँ भस्म कऽ देलकैक। 10 तखन शैतान, जे ओकरा सभ केँ बहकौने छलैक, तकरा आगि आ गन्धकक कुण्ड मे फेकि देल गेलैक, जाहिठाम जानबर आ झुट्ठा भविष्यवक्ता केँ फेकल गेल छलैक। ओ सभ दिन-राति अनन्त काल धरि अत्यन्त कष्ट भोगैत रहत। 11 तकरबाद हम एक विशाल उज्जर सिंहासन आ ओहि पर विराजमान व्यक्ति केँ देखलहुँ। हुनका सोझाँ सँ पृथ्वी आ आकाश लुप्त भऽ गेल और ओकर कोनो नामो-निशान नहि रहल। 12 तखन हम छोट-पैघ, सभ मरल लोक केँ सिंहासनक सम्मुख ठाढ़ देखलहुँ आ पुस्तक सभ खोलल गेल। तकरबाद एक आओर पुस्तक खोलल गेल जे जीवनक पुस्तक अछि। मरल सभक कयल कर्म, जे पुस्तक सभ मे लिखल गेल छलैक, ताहि अनुसार ओकरा सभक न्याय कयल गेलैक। 13 समुद्र ओहि मरल सभ केँ जे ओकरा मे छल, प्रस्तुत कयलक। तखन मृत्यु आ पाताल अपन-अपन मरल सभ केँ प्रस्तुत कयलक। ओकरा सभ मे सँ प्रत्येक व्यक्तिक न्याय ओकरा कर्मक अनुसार कयल गेलैक। 14 तकरबाद मृत्यु आ पाताल, दूनू केँ आगिक कुण्ड मे फेकि देल गेलैक। ई आगिक कुण्ड दोसर मृत्यु अछि। 15 जकरा सभक नाम जीवनक पुस्तक मे लिखल नहि भेटलैक तकरा सभ केँ आगिक कुण्ड मे फेकि देल गेलैक।
1 तखन हम एक नव आकाश आ एक नव पृथ्वी देखलहुँ। पुरान आकाश आ पुरान पृथ्वी, दूनू लुप्त भऽ गेल छल आ आब समुद्रो नहि रहल। 2 तकरबाद हम पवित्र नगर, नव यरूशलेम, केँ स्वर्ग सँ परमेश्वर लग सँ उतरैत देखलहुँ। ओ अपन वरक लेल श्रृंगार कयल गेल नव कनियाँ जकाँ सजाओल गेल छल। 3 तखन हमरा सिंहासन सँ एक आवाज जोर सँ ई कहैत सुनाइ पड़ल, “देखू, परमेश्वरक निवास आब मनुष्यक बीच मे छनि। परमेश्वर ओकरा सभक संग निवास करताह। ओ सभ हुनकर प्रजा होयत आ परमेश्वर अपने ओकरा सभक बीच रहि कऽ ओकरा सभक परमेश्वर होयथिन। 4 ओ ओकरा सभक आँखिक सभ नोर पोछि देथिन। तकरबाद ने मृत्यु रहत, ने शोक, ने विलाप आ ने कष्ट, किएक तँ पहिलुका बात सभ समाप्त भऽ गेल अछि।” 5 तकरबाद सिंहासन पर जे विराजमान छलाह, से व्यक्ति हमरा कहलनि, “देखू, सभ किछु हम नव बना दैत छी।” तखन ओ हमरा कहलनि, “ई बात सभ लिखू, किएक तँ ई सत्य अछि और एहि पर भरोसा राखल जा सकैत अछि।” 6 ओ हमरा फेर कहलनि, “पूर्ण भऽ गेल! हम अल्फा और ओमेगा, अर्थात् शुरुआत आ अन्त छी। जे केओ पियासल होअय तकरा हम मङनी मे जीवनक जलक सोता सँ पिअयबैक। 7 जे सभ विजयी होयत, से सभ ई बात सभ प्राप्त करबाक अधिकारी होयत। हम ओकरा सभक परमेश्वर होयबैक आ ओ सभ हमर पुत्र होयत। 8 मुदा डरपोक सभक, अविश्वासी सभक, घृणित लोकक, हत्यारा सभक, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध राखऽ वला सभक, जादू-टोना कयनिहार सभक, मुरुतक पूजा कयनिहार सभक आ सभ झूठ बजनिहारक स्थान ओहि आगिक कुण्ड मे होयतैक जे गन्धक सँ धधकैत रहैत अछि। यैह अछि दोसर मृत्यु।” 9 तकरबाद जाहि सात स्वर्गदूत सभ लग सातटा अन्तिम विपत्ति सँ भरल सात कटोरा छलनि, तिनका सभ मे सँ एक गोटे हमरा लग आबि कऽ कहलनि, “एतऽ आउ, हम अहाँ केँ दुल्हिन, अर्थात् बलि-भेँड़ाक स्त्रीक दर्शन करायब।” 10 तखन ओ हमरा प्रभुक आत्माक नियन्त्रण मे राखि कऽ एक विशाल आ उँचगर पहाड़ पर लऽ जा कऽ पवित्र नगर, अर्थात् यरूशलेम, देखौलनि। ओ नगर परमेश्वर लग सँ स्वर्ग सँ उतरि रहल छल। 11 ओ परमेश्वरक महिमाक तेज सँ प्रकाशित छल आ बहुमूल्य पाथरक समान, सूर्यकान्त वा आर-पार देखाय वला सीसा जकाँ चमकि रहल छल। 12 ओकर चारू कात एक पैघ आ उँचगर छहरदेवाली छल जाहि मे बारहटा फाटक छल आ प्रत्येक फाटक पर एक-एकटा स्वर्गदूत ठाढ़ छलाह। सभ फाटक पर इस्राएलक बारहो कुल मे सँ एक-एक कुलक नाम लिखल छल। 13 पूब दिस तीन फाटक, उत्तर दिस तीन फाटक, दक्षिण दिस तीन फाटक आ पश्चिम दिस तीन फाटक छल। 14 नगरक छहरदेवाली बारहटा न्योक पाथर पर बनाओल गेल छल जाहि पर बलि-भेँड़ाक बारहो मसीह-दूतक नाम लिखल छल। 15 जे स्वर्गदूत हमरा सँ बात कऽ रहल छलाह तिनका लग नगर आ ओकर फाटक सभ आ नगरक छहरदेवाली केँ नपबाक लेल सोनाक एकटा नापऽ वला लग्गा छलनि। 16 नगर चौखूट छल। ओकर लम्बाइ आ चौराइ बराबरि छल। ओ लग्गा सँ नगर केँ जखन नपलनि तँ ओकर लम्बाइ 800 कोस भेल। ओकर लम्बाइ, चौराइ आ उँचाइ एके रंग छलैक। 17 नगरक छहरदेवाली केँ जखन नपलनि, तँ ओकर मोटाइ मनुष्य सभक नापक अनुसार, जे नाप स्वर्गदूत सेहो प्रयोग कयलनि, 144 हाथ भेल। 18 नगरक छहरदेवाली सूर्यकान्त पाथर सँ बनल छल, आ नगर शुद्ध सोन सँ बनल छल, जे साफ सीसा जकाँ आर-पार देखाइ दैत छल। 19 ओहि नगरक न्यो हर प्रकारक बहुमूल्य पाथर सँ सुसज्जित छल। न्योक पहिल पाथर सूर्यकान्तक, दोसर नीलमक, तेसर गोदन्तीक, चारिम मरकतक, 20 पाँचम सुलेमानीक, छठम गोमेदक, सातम स्वर्णमणिक, आठम पेरोजक, नवम पुखराजक, दसम लहसनियांक, एगारहम धूम्रकान्तक आ बारहम चन्द्रकान्तक छल। 21 बारहो फाटक बारह मोती सँ बनल छल। प्रत्येक फाटक एक-एकटा मोतीक बनल छल। ओहि नगरक मुख्य सड़क आर-पार देखाय वला सीसा जकाँ शुद्ध सोन सँ बनल छल। 22 हम ओहि नगर मे कोनो मन्दिर नहि देखलहुँ, किएक तँ सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर आ बलि-भेँड़ा ओकर मन्दिर छथि। 23 नगर मे सूर्य आ चन्द्रमाक प्रकाशक आवश्यकता नहि अछि, किएक तँ परमेश्वरक महिमाक तेज ओकर इजोत होइत अछि आ बलि-भेँड़ा ओकर डिबिया छथि। 24 जाति-जातिक लोक सभ नगरक इजोत मे चलत आ पृथ्वीक राजा सभ अपन वैभव केँ ओहि मे लाओत। 25 नगरक फाटक कखनो दिन मे बन्द नहि कयल जायत आ राति ओतऽ होयबे नहि करत। 26 ओहि नगर मे जाति-जातिक लोक सभक वैभव आ सम्मान लाओल जायत। 27 मुदा कोनो अपवित्र वस्तु आ घृणित काज कयनिहार अथवा झूठ पर आचरण कयनिहार व्यक्ति ओहि नगर मे प्रवेश नहि कऽ पाओत, बल्कि मात्र ओ लोक सभ जिनकर नाम बलि-भेँड़ाक जीवनक पुस्तक मे लिखल छनि।
1 आब ओ स्वर्गदूत हमरा जीवन-जलक नदी देखौलनि, जे आर-पार देखाय वला सीसाक समान साफ छल आ जे परमेश्वर और बलि-भेँड़ाक सिंहासन सँ निकलि कऽ, 2 नगरक मुख्य सड़कक बीच बाटे बहि रहल छल। नदीक दूनू कात मे जीवनक गाछ छल जे साल मे बारह बेर फड़ैत छल—हर मास मे एक बेर। ओहि गाछक पात जाति-जातिक लोक सभ केँ स्वस्थता प्रदान करबाक लेल छल। 3 ओतऽ आब कोनो सरापित बात नहि रहत। परमेश्वरक आ बलि-भेँड़ाक सिंहासन ओहि नगर मे रहत, आ हुनकर सेवक सभ हुनकर आराधना करथिन। 4 ओ सभ हुनकर मुँह देखथिन आ हुनका सभक कपार पर हुनकर नाम लिखल रहतनि। 5 ओतऽ फेर कखनो राति नहि होयत। ओकरा सभ केँ डिबियाक इजोत वा सूर्यक प्रकाशक आवश्यकता नहि होयतैक, किएक तँ प्रभु परमेश्वर ओकरा सभक प्रकाश रहथिन, आ ओ सभ युगानुयुग राज्य करैत रहताह। 6 तकरबाद स्वर्गदूत हमरा कहलनि, “ई बात सभ सत्य अछि और एहि पर भरोसा राखल जा सकैत अछि। प्रभु परमेश्वर, जे अपन प्रवक्ता सभ केँ प्रेरित करैत छथि, से अपना स्वर्गदूत केँ पठौलनि जाहि सँ ओ अपना सेवक सभ केँ ओ घटना सभ देखबथि जे जल्दी होमऽ वला अछि।” 7 “देखू, हम जल्दिए आबऽ वला छी। धन्य छथि ओ सभ, जे सभ एहि पुस्तकक भविष्यवाणीक बात सभ केँ मानैत छथि।” 8 हम, यूहन्ना, अपने ई बात सभ देखलहुँ आ सुनलहुँ। ई बात सभ देखि कऽ आ सुनि कऽ हम एहि बात सभ केँ देखाबऽ वला स्वर्गदूतक आराधना करबाक लेल हुनका चरण पर खसि पड़लहुँ। 9 मुदा ओ हमरा कहलनि, “एना नहि करू! हम तँ अहाँ जकाँ आ अहाँक भाय सभ, अर्थात्, ओ सभ जे प्रभुक प्रवक्ता सभ छथि, तिनका सभ जकाँ आ एहि पुस्तकक बात सभ केँ माननिहार सभ लोक जकाँ दासे छी। अहाँ परमेश्वरेक आराधना करू!” 10 ओ हमरा आगाँ कहलनि, “अहाँ एहि पुस्तकक भविष्यवाणीक बात सभ केँ गुप्त नहि राखू, किएक तँ समय लगचिआ गेल अछि। 11 जे अन्याय करैत अछि से अन्याये करैत रहओ, जे भ्रष्ट अछि से भ्रष्टे बनल रहओ, जे नीक काज करैत अछि, से नीके करैत रहओ, आ जे पवित्र अछि से पवित्रे बनल रहओ।” 12 “देखू, हम जल्दिए आबि रहल छी। हमरा लग प्रत्येक मनुष्य केँ ओकरा कर्मक अनुसार देबाक लेल प्रतिफल अछि। 13 हम अल्फा आ ओमेगा, पहिल आ अन्तिम, शुरुआत आ अन्त छी। 14 धन्य छथि ओ सभ जे अपन वस्त्र केँ धोइत छथि। हुनका सभ केँ जीवनक गाछक फल खयबाक और नगर मे जयबाक लेल फाटक सभ बाटे प्रवेश करबाक अधिकार भेटतनि। 15 मुदा ‘कुकुर’, जादू-टोना कयनिहार, अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध रखनिहार, हत्यारा, मुरुतक पूजा कयनिहार, आ असत्य सँ प्रेम कयनिहार और ओहि पर आचरण कयनिहार बाहरे रहि जायत। 16 “हम, यीशु, स्वयं अपना स्वर्गदूत केँ पठौने छी जाहि सँ ओ अहाँ सभ केँ एहि बात सभक गवाही देथि, आ अहाँ सभ मण्डली सभ केँ दी। हम दाऊद-वंशक मूल छी, दाऊदक श्रेष्ठ वंशज छी, हम भोरक चमकैत तारा छी।” 17 परमेश्वरक आत्मा आ बलि-भेँड़ाक दुल्हिन कहैत छथि, “आउ!” जे सभ सुनैत अछि सेहो सभ कहओ, “आउ!” जे पियासल होअय, से आबओ। जे चाहैत होअय, से बिनु मूल्य दऽ कऽ जीवन-जल प्राप्त करओ। 18 जे लोक सभ एहि पुस्तकक भविष्यवाणीक बात सभ सुनैत अछि, हम तकरा सभ केँ ई चेतावनी दैत छिऐक जे, “जँ केओ एहि मे किछु जोड़त तँ परमेश्वर एहि पुस्तक मे लिखल विपत्ति सभ ओकरा जीवन मे जोड़ि देथिन। 19 और जँ केओ भविष्यवाणीक एहि पुस्तकक बात सभ मे सँ कोनो बात हटा देत, तँ परमेश्वर जीवनक गाछ आ पवित्र नगर, जाहि सभक वर्णन एहि पुस्तक मे कयल गेल, ताहि मे सँ ओकर हिस्सा हटा देथिन।” 20 जे एहि बात सभक गवाही दऽ रहल छथि, से ई कहैत छथि, “हँ, हम जल्दी आबऽ वला छी।” आमीन! हे प्रभु यीशु, आउ! 21 प्रभु यीशुक कृपा अहाँ सभ गोटे पर बनल रहय। आमीन।